राशिफल 1 मार्च: मकर राशि में हैं बुध, गुरु व शनि, धनु और मीन राशि वालों को मिल सकता है शुभ समाचार, पढ़ें अन्य का हाल
राशिफल 1 मार्च: मकर राशि में हैं बुध, गुरु व शनि, धनु और मीन राशि वालों को मिल सकता है शुभ समाचार, पढ़ें अन्य का हाल
ग्रहों की स्थिति-मंगल और राहु मेष राशि में हैं। चंद्रमा कन्या राशि में हैं। केतु वृश्चिक राशि में हैं। बुध, गुरु और शनि मकर राशि में हैं। सूर्य और शु्क्र कुंभ राशि में बने हुए हैं। मंगल और राहु का एक साथ होना ठीक नहीं है। नीच के गुरु के साथ बुध और शनि का एक साथ होना भी अच्छा नहीं है। बहुत जरूरी है बचकर पार करने की।
राशिफल-
मेष-शत्रुओं से निजात मिलेगी या यूं कहें कि शत्रुओं का दमन कर देंगे आप।…
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🚩 1 जनवरी का इतिहास जान लेंगे आप तो छोड़ देंगे नववर्ष मनाना - 25 दिसंबर 2021
🚩विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में राज करने के लिए सबसे पहले भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात किया जिससे हम अपनी महान दिव्य संस्कृति भूल जाएं और उनकी पाश्चात्य संस्कृति अपना लें जिसके कारण वे भारत में राज कर सकें।
🚩अपनी संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण आज हिन्दू भी 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।
🚩नववर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 ईस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था । उसके बाद भारतीय नववर्ष के अनुसार छोड़कर ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।
🚩भारत देश में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो भारत की ऋषि-मुनियों की प्राचीन सनातन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।
🚩भारत का प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें भारतीय अपने मूल इतिहास को भूल गये और अंग्रेजों का गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।
🚩हद तो तब हो जाती है जब एक दूसरे को नववर्ष की बधाई भी देने लग जाते हैं। क्या किसी भी ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..??? किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?
🚩इस साल आने वाला नया वर्ष 2022 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।
🚩हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2078 चल रहा है।
🚩इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है ।
🚩इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्र���कृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि जबसे पृथ्वी का प्रारम्भ हुआ तबसे सनातन (हिन्दू) धर्म है।
🚩कहाँ करोड़ों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ भारतीय अपनी गरिमा से गिर 2000 साल पुराना नववर्ष मना रहे हैं!
🚩जरा सोचिए....!!!
🚩सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!
🚩जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी द्वारा उसका नामकरण कैलेंडर से नहीं हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सभी व्रत, त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है। मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।
🚩आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं | इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।
🚩सोचिये! आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ?
🚩1 जनवरी को क्या नया हो रहा है..????
🚩न ऋतु बदली... न मौसम...न कक्षा बदली...न सत्र....न फसल बदली...न खेती.....न पेड़ पौधों की रंगत...न सूर्य चाँद सितारों की दिशा.... ना ही नक्षत्र...
🚩हाँ, नए साल के नाम पर करोड़ो /अरबों जीवों की हत्या व करोड़ों /अरबों गैलन शराब का पान व रात पर फूहणता अवश्य होगी।
🚩भारतीय संस्कृति का नव संवत् ही नया साल है.... जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैं जो विज्ञान आधारित है और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण घर, मन्दिर, गली, दुकान सभी जगह पूजा-पाठ व भक्ति का पवित्र वातावरण होता है ।
🚩अतः हिन्दुस्तानी अपनी मानसिकता को बदले, विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने और चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही नूतन वर्ष मनाये।
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मंगलवार, 30 मार्च 2021: जानिए आज के शुभ मुहूर्त Divya Sandesh
#Divyasandesh
मंगलवार, 30 मार्च 2021: जानिए आज के शुभ मुहूर्त
डेस्क। आपके लिए आज का दिन शुभ हो, अगर आप आज वाहन खरीदने का विचार कर रहे हैं या आज कोई नया व्यापार आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सकें। ज्योतिष एवं धर्म की दृष्टि से इन मुहूर्तों का विशेष महत्व है। मुहूर्त और चौघड़िए के आधार पर खास मुहूर्त….
आज के मुहूर्त
शुभ विक्रम संवत्- 2077, हिजरी सन्- 1440-41, ईस्वी सन् -2021
अयन- उत्तरायण
मास-चैत्र
पक्ष-कृष्ण
संवत्सर नाम-प्रमादी
ऋतु- वसंत
ये खबर भी पढ़े: मंगलवार, 30 मार्च, जानिए, आज के सोने-चांदी का भाव
आज का वार-मंगलवार
आज की तिथि (सूर्योदयकालीन)-द्वितीया
आज का नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-चित्रा
योग (सूर्योदयकालीन)-व्याघात
करण (सूर्योदयकालीन)-तैतिल
लग्न (सूर्योदयकालीन)-मीन
आज का शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
दिशा शूल-उत्तर
योगिनी वास-उत्तर
गुरु तारा-उदित
शुक्र तारा-अस्त
चंद्र स्थिति-तुला
व्रत/मुहूर्त-संत तुकाराम जयंती/भद्रा/द्विपुष्कर योग
यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
आज का उपाय-हनुमान मंदिर में बताशे अर्पित करें।
वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
नोट: उपर्युक्त विवरण पंचांग आधारित है पंचांग भेद होने पर तिथि/मुहूर्त/समय में परिवर्तन होना संभव है।
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धर्म 2021: अब 14 अप्रैल तक विवाह और मुंडन जैसे गृह प्रवेश जैसे कार्य, जानें क्यों?
धर्म 2021: अब 14 अप्रैल तक विवाह और मुंडन जैसे गृह प्रवेश जैसे कार्य, जान���ं क्यों?
खरमास 2021: इस 1 महीने बिल्कुल भी ना करें ये काम …
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जब सूर्य देव ने अपने रथ में लगे घोड़ों को विश्राम करने के लिए छोड़ कर अपने रथ में खर यानी गधों को जोड़ लिया था तब उनके रथ की गति धीमी हो गई थी। यह चक्र पूरे एक महीने तक चला गया था और इसे केवल खरमास कहा जाता है।
इस बार पंचांग के अनुसार 14 मार्च को फाल्गुन मास का शुक्ल पक्ष आरंभ होने के साथ ही खरमास भी शुरू हो गया…
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Kharmas 2021: जानें कब से शुरू हो रहा है खरमास और क्या होता है यह #news4
यदि आप जानना चाहते हैं कि कब से शुरू हो रहा है खरमास तो हिंदू पंचांग के मुताबिक, खरमास 14 मार्च 2021 से शुरू हो रहा है और यह 14 अप्रैल 2021 तक रहेगा। यदि आप कोई शुभ कार्य करने का सोच रहे हैं तो 14 मार्च से पहले निपटा लें अन्यथा 14 अप्रैल के बाद करना होगा।
1. जब सूर्य, बृहस्पति की राशि धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब से ही खरमास आरंभ होता है। इस समय कुंभ राशि में सूर्य गोचर कर रहे…
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http://www.radheradheje.com/sitaashtami/ सीता अष्टमी (जानकी जन्मोत्सव) इस बार सीता अष्टमी 06 मार्च 2021 दिन शनिवार को पड़ रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती का पर्व मनाया जाता है। जानकी जन्मोत्सव को सीता अष्टमी और श्री जानकी (सीता) नवमी भी कहा जाता है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिये इस दिन माँ सीता और प्रभु श्री राम की पूजा की जाती है। इस दिन माता सीता की पूजा की शुरुआत की गणेश जी और अंबिका जी की अर्चना से की जाती है। इसके बाद सीता जी की मूर्ति या तस्वीर पर पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान चढ़ाकर पूजन किया जाता है। सीता अष्टमी कथा एक बार जब ��ाजा जनक हल से धरती जोत रहे थे। तभी उनका हल किसी कठोर चीज से स्पर्श हुआ जब राजा जनक ने देखा तो वहां से उन्हें एक कलश प्राप्त हुआ। उस कलश में एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक के कोई संतान नहीं थी, वे उस कन्या को अपने साथ ले आए। इस कन्या का नाम ही सीता रखा गया। राजा जनक की जेयष्ठ पुत्री होने के कारण ये जनक दुलारी कहलायीं। माता सीता को लक्ष्मी जी का ही स्वरूप माना जाता है। जानकी जयंती के दिन दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं सीता अष्टमी का महत्व और पूजा विधि… कैसे मनाएं सीता अष्टमी पर्व- 1. सीता अष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर माता सीता और भगवान श्रीराम को प्रणाम कर व्रत करने का संकल्प लें। 2. चौकी पर सीताराम का चित्र स्थापित करें 3. सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें. उसके बाद माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करें। 4. माता सीता के समक्ष पीले फूल, पीले वस्त्र और और सोलह श्रृंगार का सामान समर्पित करें। 5. माता सीता की पूजा में पीले फूल, पीले वस्त्र ओर सोलह श्रृंगार का समान जरूर चढ़ाना चाहिए। 6. भोग में पीली चीजों को चढ़ाएं और उसके बाद मां सीता की आरती करें। 7. आरती के बाद श्री जानकी रामाभ्यां नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। 8. दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और दान करें। 9. शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें सीता अष्टमी का महत्व सीता अष्टमी पर व्रत रखने वालों को सौभाग्य, सुख और संतान की प्राप्ति होती है. परिवार में समृद्धि बनी रहती है. https://www.instagram.com/p/CMCcGOsALW7/?igshid=5fyflfacw8o2
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🚩 चैत्री नूतनवर्ष का इतिहास जानकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे-08 अप्रैल 2021
🚩 चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है । 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है । इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।
🚩 चैत्रमास की शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि की उत्पति हुई थी और इस दिन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
आइये आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी कुछ घटनाएं बताते हैं...।
🚩 इतिहास में इस प्रकार वर्णित है चैत्री वर्ष प्रतिपदा...
1. भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का सर्जन...
2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक...
3. माँ दुर्गा के नवरात्र व्रत का शुभारम्भ...
4. प्रारम्भयुगाब्द (युधिष्ठिर संवत्) का आरम्भ..
5. उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्भ..
6. शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ...
7. महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्थापना दिवस..
8. भगवान झूलेलाल का अवतरण दिन..
9. मत्स्यावतार दिवस..
10 - डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन ।
🚩 नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं...!!! इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं ।
🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक...दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी ।
🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में गुड़ीपड़वा की गिनती होती है । इसी दिन भगवान श्री राम ने बालि के अत्याचारी शासन से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी ।
🚩 नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों...???
🚩 भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।
🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है ।
🚩विक्रमी संवत किसी की संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है ।
🚩भारतीय गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है ।
🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।
🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं । यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है । प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है ।
🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से उज्जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा ।
🚩महाराज विक्रमादित्य ने चैत्री प्रतिपदा के दिन से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की । साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी ।
🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक के रूप में मनाया गया ।
🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया ।
🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है । यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है । हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं ।
🚩कैसे मनाएं नूतन वर्ष...???
🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फहराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।
🚩 अब से सभी भारतीय संकल्प लें कि अंग्रेजों द्वारा चलाया गया नववर्ष(1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष) न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष (इस साल 13 अप्रैल ) को मनाएंगे ।
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बुधवार, 10 मार्च 2021: जानिए आज के शुभ मुहूर्त Divya Sandesh
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बुधवार, 10 मार्च 2021: जानिए आज के शुभ मुहूर्त
डेस्क। आपके लिए आज का दिन शुभ हो, अगर आप आज वाहन खरीदने का विचार कर रहे हैं या आज कोई नया व्यापार आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सकें। ज्योतिष एवं धर्म की दृष्टि से इन मुहूर्तों का विशेष महत्व है। मुहूर्त और चौघड़िए के आधार पर खास मुहूर्त….
आवश्यकता से अधिक न खाएं टमाटर, हो सकती है गड़बड़ी
आज के मुहूर्त
शुभ विक्रम संवत्- 2077, हिजरी सन्- 1440-41, ईस्वी सन् -2021
अयन- उत्तरायण
मास-फाल्गुन
पक्ष-कृष्ण
संवत्सर नाम- प्रमादी
ऋतु-वसंत
आज का वार-बुधवार
तिथि (सूर्योदयकालीन)-द्वादशी
नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-श्रवण
योग (सूर्योदयकालीन)-परिघ
करण (सूर्योदयकालीन)-तैतिल
लग्न (सूर्योदयकालीन)-कुंभ
आजा का शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
दिशा शूल-ईशान
योगिनी वास-नैऋत्य
गुरु तारा-उदित
शुक्र तारा-अस्त
चंद्र स्थिति-मकर
व्रत/मुहूर्त-प्रदोष व्रत
यात्रा शकुन-हरे फल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
आज का उपाय-शिवजी का दुग्धाभिषेक करें।
वनस्पति तंत्र उपाय- अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
नोट: उपर्युक्त विवरण पंचांग आधारित है पंचांग भेद होने पर तिथि/मुहूर्त/समय में परिवर्तन होना संभव है।
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