#1 दिन में जुकाम कैसे ठीक करें?
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sehatgyantips · 11 months ago
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sabkuchgyan · 4 years ago
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सर्दी की रात में होने वाली खांसी से बचाव कैसे करें, जानिए इन 3 तरीकों से
सर्दी की रात में होने वाली खांसी से बचाव कैसे करें, जानिए इन 3 तरीकों से
जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दी, जुकाम और खांसी होती ह��। कुछ लोग पूरे दिन स्वस्थ रहते हैं। रात में खांसी दिखाई देती है। नींद ठीक से नहीं होती है। इसके अलावा, सीने में दर्द दिखाई देता है। यदि आपको खांसी या रात में खांसी है, तो इस दवा का उपयोग सोने के लिए करें। 1. गार्गल (कुल्ला): रात को सोने जाने से पहले गर्म पानी से गार्गल या कुल्ला करें। गरारे करने से गले में दर्द कम हो जाता है। कोई खांसी भी…
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itsadvertising · 4 years ago
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Covid 19 Current Affairs Question in Hindi
कोरोना वायरस से जुड़े 50 महत्वपूर्ण प्रशन हिन्दी में – Covid 19 Current Affairs Question in Hindi
इस वेबसाइट का आशय यह है कि आपको हमेशा वर्तमान जानकारी मिलती रहेगी जिससे आपको आगामी परीक्षा में समर्थन मिलेगा,
यदि आप किसी Government Job की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि आपको Current Affairs की Knowledge हो, आपको ये जानकारी हो कि आपके राज्य में, देश में या विदेश में क्या हो रहा है, आपकी सरकार कौन से अभियान और योजनायें शुरू कर रही है.
कौन से नियम और कानून  बनाये गये हैं, उनमें क्या बदलाव किये जा रहे हैं, देश की अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है, राजनीति में क्या हो रहा है, हमारे देश में कौन सी नई New Tecnology  आई है, विज्ञान में कौन से नए आविष्कार हो रहे हैं, हमारे देश की सेना में कौन सी Exercise चलाई जा रही हैं, आदि के बारे में जानकारी होना अति आवश्क है,
हम आपको इस वेबसाइट के माध्यम से आने वाली UPSC, IAS,  PCS, Banking, IBPS, Railway, Clerk, PO, UPPSC, RPSC, BPSC, MPPSC, TNPSC, MPSC, KPSC SSC EXAM, EXAM , HSSC EXAM, RSSC EXAM, PSSC EXAM, NDA EXAM, BANK EXAM और अन्य सरकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए हर रोज नई कर्रेंट अफेयर���स and GK की लेटेस्ट अपडेट देंगे जो आपको आने वाली सरकारी नोंकरी में सायता करेगी,
1. कोरोना किस प्रकार से फैलने वाली बीमारी है?
A. जीवाणु द्वारा
B. विषाणु द्वारा
C. दोनों
D. फफूंद द्वारा
Ans.     व��षाणु द्वारा
2. कोरोना वायरस का पहला केश किस वर्ष मिला था?
A. 2017
B. 2018
C. 2019
D. 2020
Ans.    2019
3. कोरोना वायरस का नाम किस भाषा से लिया गया है?
A. हिन्दी
B. अँग्रेजी
C. लैटिन
D. चीनी
Ans.    लैटिन
4. कोरोना वायरस का पहला केश किस देश मे मिला था?
A. अमेरिका
B. रूस
C. इटली
D. चीन
Ans.   चीन
5. कोरोना वायरस का पूरा नाम क्या है?
A. 2019 नॉवेल कोरोना
B. 2019-nCoV
C. दोनों
D. क्राउन
Ans.    दोनों
6. कोरोनावायरस किस बीमारी का कारण होता है?
A.  मर्स
B.  सार्स
C.  A और B दोनों
D.  इनमें से कोई नहीं
Ans.  अ और ब दोनों
7. कोविड-19 के लिए कौन- सा वायरस जिम्मेदार है?
A. एन1एच1
B. इबोला
C. सार्स-कोव 2
D. निडोवायरस
Ans.   सार्स-कोव 2
8. कोरोनावायरस के लक्षण क्या है?
A.  बुखार
B.  खांसी
C.  सांस लेने में तकलीफ
D.  उपर्युक्त सभी
Ans.   उपर्युक्त सभी
9. इस वायरस का नाम कोरोनावायरस कैसे पड़ा?
A. क्राउन जैसा स्ट्रचर होने के कारण
B. पत्ती जैसा आकार होने के कारण
C. ईंटों जैसी सतह होने के कारण
D. इनमें से कोई नहीं
Ans.   क्राउन जैसा स्ट्रचर होने के कारण
10. WHO के द्वारा कोरोना वायरस को क्या नाम दिया है?
A. क्राउन
B. COVID-19
C. 2019-nCoV
D. सभी
Ans.    COVID-19
11. कोरोना से पीड़ित व्यक्ति के शरीर मे क्या-क्या बदलाव आते है?
A. निमोनिया
B. खांसी
C. जुकाम, बुखार
D. सभी
Ans.    सभी
12. कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रभाव किस मौसम मे रहता है?
A. सर्दी
B. गर्मी
C. बरसात
D. सभी मौसम मे बराबर
Ans.    सर्दी
13. कोरोना किस प्रकार का वायरस है?
A. डीएनए
B. आरएनए
C. दोनों
D. इनमे से कोई नहीं
Ans.    आरएनए
14. कोरोना वायरस दो मुख्य वायरस कौन से है?
A. MERS-CoV, SES-CoV
B. SARA-CoV , SES-CoV
C. MERS-CoV, SARA-CoV
D. SES-CoV.MEC-CoV
Ans.   MERS-CoV, SARA-CoV
15. अभी तक किस देश मे कोरोना वायरस के कारण सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है?
A. चीन
B. ईरान
C. अमेरिका
D. इटली
Ans.     अमेरिका
16. कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति मे कितने दिनों बाद इसके लक्षण दिखाई देते है?
A. 2 दिन से 14 दिन
B. 7 दिन से 14 दिन
C. 10 दिन से 20 दिन
D. 14 दिन से 18 दिन
Ans.     2 दिन से 14 दिन
17. COVID-1 के नाम से किस वायरस को जाना जाता है?
A. कोरोना
B. SARS
C. MERS
D. सभी को
Ans.    SARS
18.   कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण किस संस्था द्वारा ग्लोबल इमरजेंसी लागू की गई है?
A. यूनिसेफ
B. डबल्यूएचओ
C. युनेस्को
D. सभी
Ans.    डबल्यूएचओ
19.   कोरोना वाइरस से लड़��े के लिए डबल्यूएचओ ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 600 मिलियन डॉलर
B. 650 मिलियन डॉलर
C. 675 मिलियन डॉलर
D. 700 मिलियन डॉलर
Ans.  675 मिलियन डॉलर
20.   कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए ADB (एशियन डेवेलपमेंट बैंक) ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 2 मिलियन डॉलर
B. 60 मिलियन डॉलर
C. 67 मिलियन डॉलर
D. 70 मिलियन डॉलर
Ans.    2 मिलियन डॉलर
21.   कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए भारत ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 2 मिलियन डॉलर
B. 6 मिलियन डॉलर
C. 1 मिलियन डॉलर
D. 7 मिलियन डॉलर
Ans.    1 मिलियन डॉलर
22.   किस राज्य सरकार ने म्यांमार,चीन और दक्षिण पूर्व एशिया देशों से डिब्बा बांध खाद्य पदार्थों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है?
A. उत्तर प्रदेश
B. उत्तराखंड
C. मिजोरम
D. मणिपुर
Ans.    मणिपुर
23.    कोरोना वायरस के खतरे मे भारत किस स्थान पर है?
A. 10 वें
B. 29 वें
C. 23 वें
D. 20 वें
Ans.     23 वें
24. कोरोना वायरस से निपटने के लिए किस देश ने टास्क फोर्स का गठन किया है?
A. भारत
B. चीन
C. इटली
D. ईरान
Ans.     भारत
25.      क्या चिकन, मीट, अंडा खाने से कोरोना वायरस का संक्रमण होता है?
Ans.    अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिसमें कहा जाए कि यह नॉनवेज खाने से फैल रहा है।
26.   कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत मे जनता कर्फ़्यू किस तिथि को हुआ था?
A. 21 मार्च – 2020
B. 22 मार्च – 2020
C. 23 मार्च – 2020
D. 24 मार्च – 2020
Ans.    22 मार्च – 2020
27.    कोरोना वायरस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निम्न मे से कौन सी ई-मेल आईडी उपलब्ध कराई है?
28.   गोमूत्र पीने, अदरक, काली मिर्च, लहसुन, गर्म पानी आदि का इस्ते माल करने से कोरोना का वायरस मर जाएगा। इस पर क्या कहेंगे?
Ans.     सोशल मीडिया में फैलाई जा रहीं ये सभी जानकारियां महज भ्रांतियां हैं। इन सबसे न तो कोरोना वायरस का संक्रमण रुकेगा और न ही यह ठीक करने की दवा है। अदरक, लहसुन, काली मिर्च से गले में वायरस मर जाएगा, इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है।
29.   कोरोना वाइरस से जुड़ी जानकारी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कौन सा नया हेल्पलाइन नंबर जारी किया है?
A. 102
B. 1098
C. 1075
D. 1198
Ans.     1075
30. आस्ट्रेलिया मे कोरोना वायरस की वैक्सीन किस भारतीय वैज्ञानिक की अगुआई मे तैयार की जा रही है?
A. ऋषभ सिंह
B. एसएस वासन
C. के एल कालेकर
D. सभी
Ans.    एसएस वासन
31. चाइना के वुहान शहर मे फसे 324 भारतीयों को किस विमान से बाहर निकाला गया था
A. एयर इंडिया
B. विस्तारा
C. पवन हंस
D. इंडिगो
Ans.     एयर इंडिया
33. कोविड-19 के वैक्सीन के लिए हाल ही में मनुष्यों पर पहला परिक्षण कहां पर शुरू हुआ है,
A. रूस
B. अमेरिका
C. जापान
D. भारत
Ans.  अमेरिका
33.  अभी हाल ही में कोरोना वायरस ट्रैकर किसने लांच किया है
A. माइक्रोसॉफ्ट
B. मक्रोवेब
C. मक्रोवोर्ल्ड
नेटफ्लेसी
Ans.  माइक्रोसॉफ्ट
34.   कोरोना वायरस से लड़ने के लिए स्वच्छ हाथों की शक्ति को बढ़ावा देने के लिए सेफहैंड़स चुनौती की शुरूआत किसने की है
A. WHO
B. DWO
C. MON
D. ESRO
Ans.  WHO
35.  किसने कोविड-19 महामारी से संबंधित जानकारी के लिए एक वेबसाइट लांच की है
A. SAARC आपदा प्रबंधन केंद्र
B. AAWER आपदा प्रबंधन केंद्र
C. WQRST आपदा प्रबंधन केंद्र
D. GHTUO आपदा प्रबंधन केंद्र
Ans.  SAARC आपदा प्रबंधन केंद्र
36.   मणिपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग ने कोरोना वायरस के मद्देनजर इथाईल अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर की कितनी बोतलें बनाई है,
A. 500
B. 600
C. 400
D. 300
Ans.  500
37.    किस बैंक ने IND – COVID इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन की घोषणा की है
A.INDIA BANK
B.SBI BANK
C.PNB BANK
D.ICICI BANK
Ans.   इंडियन बैंक
38.   भारत में कोरोना वायरस से पहले मृत्यु किस राज्य में हुई थी?
A. कर्नाटक
B. हरयाणा
C. पंजाब
D. उतर्पर्देश
Ans.   कर्नाटक
39.    सूक्ष्मदर्शी (Microscope) द्वारा देखने पर कोरोना वायरस की संरचना किसके समान दिखाई देती है?
A. मुकुट के समान
B. मछर के समान
C. चीटी के समान
D. फुल के समान
Ans.   मुकुट के समान
40.    हाल ही मे किस देश ने कपड़ों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है?
A. नेपाल
B. भूटान
C. अमेरिका
D. भारत
Ans.    भारत
41.    कोरोना वायरस क्या है?
A. यह वायरस का एक बड़ा परिवार जैसा है.
B. यह निडोवायरस के परिवार से संबंधित है.
C. A और B दोनों सही हैं
D. केवल Aसही है।
Ans.   A और B दोनों सही हैं
16 August 2020 Today Current Affairs in Hindi 16 अगस्त 2020 आज की ताज़ा कर्रेंट अफेयर्स
42.   11 फरवरी, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी के लिए एक आधिकारिक नाम की घोषणा की है जो कि 2019 नॉवेल कोरोना वायरस के प्रकोप का कारण बन रही है? इस बिमारी का नया नाम क्या है?
A. COVID-19
B. COVn-19
C. COnV-20
D. COnVID-19
Ans.   COVID -19
43.   नॉवेल कोरोनो वायरस के पहले मामले की पहचान कहां हुई थी?
A. बीजिंग
B. शंघाई
C. वुहान
D. तिआनजिन
Ans.   वुहान
44.   कोरोना वायरस निम्नलिखित में से किस बीमारी से संबंधित है?
A. MERS
B. SARS
C. A और B दोनों
D. न तो A और न ही B
Ans.   C. A और B दोनों –  ( MERS Middle East Respiratory Syndrome और SARS  Severe Acute Respiratory Syndrome )
45.    कोरोना वायरस का नाम कहां से पड़ा?
A. crown-like projection जैसे अनुमानों के कारण.
B. leaf-like projection जैसे अनुमानों के कारण.
C. ईंटों की उनकी सतह संरचना के कारण.
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans.   crown-like projection जैसे अनुमानों के कारण
46.   कोरोना वायरस से बचने के लिए कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत है?
A. छींक आने पर अपनी नाक और मुंह ढक कर रखें.
B. अपने आहार में अधिक लहसुन शामिल करें.
C. एंटीबायोटिक्स उपचार के लिए अपने डॉक्टर से मिलें.
D. हर घंटे के बाद अपने हाथ धोएं.
Ans.  छींक आने पर अपनी नाक और मुंह ढक कर रखें
47.    सैनिटाइजर के कई ब्रांड बाज़ार में उपलब्ध हैं। लोगों में भ्रमित हैं कि कौन सा लें कौन सा न लें। इस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है?
Ans.    उनको पहले देखना चाहिए कि बॉटल पर एल्कोउहल बेस्डं लिखा है या नहीं, क्योंकि एल्को हल बेस्डक सैनिटाइजर वायरस को मार देता है।
48.    कोरोना वायरस से बचाव कैसे करें, क्या-क्या सावधानियां बरतें?
Ans.     अगर किसी को ज़ुकाम, नज़ला, खांसी है तो वह अपनी खांसी को ढके या फिर अपनी बाज़ू में खांसे। टिश्यूि या रुमाल का प्रयोग करे।
49.    गांव में एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर उपलब्धइ नहीं रहता है। ऐसी सिचुवेशन में किस तरह से हमें हाथ साफ करना चाहिए?
Ans.    जरूरी नहीं है कि आपके पास सैनिटाइजर हो। साबुन से अगर अच्छे   से हाथ धोएं, वही बहुत है। साबुन से हाथ धोना सेनइटाइजर से बेहतर है।
50.    हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल कब करें?
Ans.   अगर आप सफर कर रहे हैं, तो मजबूरी है कि आप सैनिटाइजर का प्रयोग करें, लेकिन अगर आप ऐसी जगह पर हैं, जहां पानी और साबुन उपलब्धक है, तो उसका ही इस्ते,माल करना चाहिए,
यदि आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप हमारे, YouTube, Facebook  और Instagram पर जा सकते हैं, सभी लिंक नीचे दिए गए हैं, धन्यवाद,
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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क्या गर्मी में कोरोना का खतरा कम हो जाएगा या नॉनवेज खाने से यह वायरस फैलेगा? यहां देखें कोरोना से संबंधित सभी सवालों के जवाब
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चैतन्य भारत न्यूज भारत में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। देश में अब तक कोरोना वायरस की चपेट में करीब 300 लोग आ गए हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को देशभर में 'जनता कर्फ्यू' की अपील की है। कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दैनिक भास्कर समूह से बातचीत के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित कई सवालों के जवाब दिए हैं। आइए जानते हैं- (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ज्यादातर लोगों का यही सवाल है कि क्या जनता कर्फ्यू से कोरोना वायरस का संक्रमण रुकेगा? इसका जवाब देते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह उस दिशा में एक कदम है कि हमें कैसे घर पर रहना है। अगर हम लोगों को कई दिन तक घर पर रहने के लिए कहे तो वे इसके लिए भी तैयार रहें। खुले वातावरण, सतह पर लगे वायरस के संक्रमण पर भी कुछ हद तक काबू पाया जा सकेगा। क्या वायरस गर्मी आने पर खत्म हो जाएगा? इसके जवाब में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कम तापमान के दौरान वायरस वातावरण में अधिक देर तक जीवित रहता है। गर्मी आने से वायरस कम समय तक जीवित रहेगा। इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी कम हो जाएगा। क्या कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए 1 दिन का बंद पर्याप्त है? इसके जवाब में उन्होंने कहा- नहीं सतह से भले वायरस खत्म हो जाए लेकिन यदि संक्रमित व्यक्ति एक दिन के बंद के बाद बाहर आता है तो वह कई लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि पूरे ठीक होने तक संक्रमित व्यक्ति घर में ही रहे। वायरस से बेहतर बचाव का तरीका बताते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा, सोशल दूरी और बार-बार हाथ धोना इसका सबसे अच्छा विकल्प है। किसी के फासले पर ड्रॉपलेट इंफेक्शन होता है तो 1 से 2 मीटर दूरी ��क जाता है। संक्रमित व्यक्ति मुंह पर हाथ लगाता है तो वह उसके हाथ से किसी सतह, जगह को संक्रमित करता है। जब अन्य व्यक्ति संक्रमित वाले से हाथ मिलाता है या फिर संक्रमित सतह छूकर मुंह, नाक छूता है तो वह उसमें भी आ जाता है। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि मोबाइल, फोन, रिमोट, स्विच, दरवाजे के हैंडल की सतह पर भी वायरस लग सकते हैं। ऐसे सामान की सतह पर वायरस जिंदा रहता है इसलिए इसे भी साफ करना बेहद जरूरी है। कोरोना वायरस नॉनवेज खाने से नहीं फैलता है। लेकिन डॉ. गुलेरिया का कहना है कि जो भी नॉनवेज खा रहें है वह पहले उसे पूरी तरह से पका लें और फिर ही खाएं। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कोरोनावायरस फिलहाल भारत में दूसरी स्टेज पर है और हमें इसे कम्यूनिट संक्रमण वाली तीसरे स्टेज में जाने से रोकना है। ये भी पढ़े... Coronavirus: सरकार ने बताया कोरोना वायरस से कैसे बचें? जानें क्या करें और क्या ना करें  आम सर्दी-जुकाम से कितने अलग होते हैं कोरोना वायरस के लक्षण? जानिए कैसे पता करें अंतर कोरोना से बचने के लिए घर पर ही बना सकते हैं सैनेटाइजर जेल, इस विधि से करें तैयार Read the full article
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margdarsanme · 4 years ago
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 14 Pahalwan ki Dholak
NCERT Class 12 Hindi Chapter 14 :: Pahalwan ki Dholak
(पहलवान की ढोलक)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्ट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।उत्तर:कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में अद्भुत तालमेल था। ढोल बजते ही लुट्टन की रगों में खून दौड़ने लगता था। उसे हर थाप में नए दाँव-पेंच सुनाई पड़ते थे। ढोल की आवाज उसे साहस प्रदान करती थी। ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में निम्नलिखित तालमेल था
धाक-धिना, तिरकट तिना – दाँव काटो, बाहर हो जाओ।
चटाक्र-चट्-धा – उठा पटक दे।
धिना-धिना, धिक-धिना — चित करो, चित करो।
ढाक्र-ढिना – वाह पट्ठे।
चट्-गिड-धा – मत डरना। ये ध्वन्यात्मक शब्द हमारे मन में उत्साह का संचार करते हैं।
प्रश्न 2.कहानी के किस-किस मोड़ पर लुटेन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए? (CBSE-2008)उत्तर:लुट्न पहलवान का जीवन उतार-चढ़ावों से भरपूर रहा। जीवन के हर दुख-सुख से उसे दो-चार होना पड़ा। सबसे पहले उसने चाँद सिंह पहलवान को हराकरे राजकीय पहलवान का दर्जा प्राप्त किया। फिर काला खाँ को भी परास्त कर अपनी धाक आसपास के गाँवों में स्थापित कर ली। वह पंद्रह वर्षों तक अजेय पहलवान रहा। अपने दोनों बेटों को भी उसने राजाश्रित पहलवान बना दिया। राजा के मरते ही उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। विलायत से राजकुमार ने आते ही पहलवान और उसके दोनों बेटों को राजदरबार से अवकाश दे दिए। गाँव में फैली बीमारी के कारण एक दिन दोनों बेटे चल बसे। एक दिन पहलवान भी चल बसा और उसकी लाश को सियारों ने खा लिया। इस प्रकार दूसरों को जीवन संदेश देने वाला पहलवान स्वयं खामोश हो गया।
प्रश्न 3.लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है? (CBSE-2008, 2009)उत्तर:पहलवान ने ढोल को अपना गुरु माना और एकलव्य की भाँति हमेशा उसी की आज्ञा का अनुकरण करता रहा। ढोल को ही उसने अपने बेटों का गुरु बनाकर शिक्षा दी कि सदा इसको मान देना। ढोल लेकर ही वह राज-दरबार से रुखसत हुआ। ढोल बजा-बजाकर ही उसने अपने अखाड़े में बच्चों-लड़को��� को शिक्षा दी, कुश्ती के गुर सिखाए। ढोल से ही उसने गाँव वालों को भीषण दुख में भी संजीवनी शक्ति प्रदान की थी। ढोल के सहारे ही बेटों की मृत्यु का दुख पाँच दिन तक दिलेरी से सहन किया और अंत में वह भी मर गया। यह सब देखकर लगता है कि उसका ढोल उसके जीवन का संबल, जीवन-साथी ही था।
प्रश्न 4.गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा? (CBSE-2009, 2011, 2015)उत्तर:ढोलक की आवाज़ सुनकर लोगों में जीने की इच्छा जाग उठती थी। पहलवान नहीं चाहता था कि उसके गाँव का कोई आदमी अपने संबंधी की मौत पर मायूस हो जाए। इसलिए वह ढोल बजाता रहा। वास्तव में ढोल बजाकर पहलवान ने अन्य ग्रामीणों को जीने की कला सिखाई। साथ ही अपने बेटों की अकाल मृत्यु के दुख को भी वह कम करना चाहता था।
प्रश्न 5.ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था। (CBSE-2008, 2012, 2015)अथवापहलवान की ढोलक की उठती गिरती आवाज़ बीमारी से दम तोड़ रहे ग्रामवासियों में संजीवनी का संचार कैसे करती है? (CBSE-2013)उत्तरमहामारी की त्रासदी से जूझते हुए ग्रामीणों को ढोलक की आवाज संजीवनी शक्ति की तरह मौत से लड़ने की प्रेरणा देती थी। यह आवाज बूढ़े-बच्चों व जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य उपस्थित कर देती थी। उनकी स्पंदन शक्ति से शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। ठीक है कि ढोलक की आवाज में बुखार को दूर करने की ताकत न थी, पर उसे सुनकर मरते हुए प्राणियों को अपनी आँखें मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी। उस समय वे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आवाज गाँव वालों को मृत्यु से लड़ने की प्रेरणा देती थी।
प्रश्न 6.महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था? (CBSE-2008)उत्तर:महामारी ने सारे गाँव को बुरी तरह से प्रभावित किया था। लोग सुर्योदय होते ही अपने मृत संबंध���यों की लाशें उठाकर गाँव के श्मशान की ओर जाते थे ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके। सूर्यास्त होते ही सारे गाँव में मातम छा जाता था। किसी न किसी बच्चे, बूढ़े अथवा जवान के मरने की खबर आग की तरह फैल जाती थी। सारा गाँव श्मशान घाट बन चुका था।
प्रश्न 7.कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वाराविशेष सम्मान दिया जाता था।(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?उत्तर:(क) कुश्ती या दंगल पहले लोगों व राजाओं के प्रिय शौक हुआ करते थे। राजा पहलवानों को सम्मान देते थे, परंतु आज स्थिति बदल गई है। अब पहले की तरह राजा नहीं रहे। दूसरे, मनोरंजन के अनेक साधन प्रचलित हो गए हैं।
(ख) कुश्ती की जगह अब अनेक आधुनिक खेल प्रचलन में हैं; जैसे-क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज, फुटबॉल आदि।
(ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा सकती साथ-साथ पहलवानों को उचित प्रशिक्षण तथा कुश्ती को बढ़ावा देने हेतु मीडिया का सहयोग लिया जा सकता है।
प्रश्न 8.आंशय स्पष्ट करें आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।उत्तर:लेखक ने इस कहानी में कई जगह प्रकृति का मानवीकरण किया है। यह गद्यांश भी प्रकृति का मानवीकरण ही है। यहाँ लेखक के कहने का आशय है कि जब सारा गाँव मातम और सिसकियों में डूबा हुआ था तो आकाश के तारे भी गाँव की दुर्दशा पर आँसू बहाते प्रतीत होते हैं। क्योंकि आकाश में चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। यदि कोई तारा अपने मंडल से टूटकर पृथ्वी पर फैले दुख को बाँटने आता भी था तो वह रास्ते में विलीन (नष्ट) हो जाता था। अर्थात् वह पृथ्वी तक पहुँच नहीं पाता था। अन्य सभी तारे उसकी इस भावना को नहीं समझते थे। वे तो केवल उसका मजाक उड़ाते थे और उस पर हँस देते थे।
प्रश्न 9.पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।उत्तर:मानवीकरण के अंश
औधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।आशय-रात का मानवीकरण किया गया है। ठंड में ओस रात के आँसू जैसे प्रतीत होते हैं। वे ऐसे लगते हैं मानो गाँव वालों की पीड़ा पर रात आँसू बहा रही है।
तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। आशय-तारों को हँसते हुए दिखाकर उनका मानवीकरण किया गया है। वे मजाक उड़ाते प्रतीत होते हैं।
ढोलक लुढ़की पड़��� थी। आशय-यहाँ पहलवान की मृत्यु का वर्णन है। पहलवान व ढोलक का गहरा संबंध है। ढोलक का बजना पहलवान के जीवन का पर्याय है।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप ऐसी किसी अन्य आपद स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे/करेंगी?उत्तर:पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति का चित्रण किया गया है। आजकल ‘स्वाइन फ्लू’ जैसी बीमारी से आम जनता में दहशत है। मैं ऐसी स्थिति में निम्नलिखित कार्य करूंगा
लोगों को स्वाइन फ्लू के विषय में जानकारी दूँगा।
स्वाइन फ्लू के रोगियों को उचित इलाज करवाने की सलाह दूँगा।
जुकाम व बुखार के रोगियों को घर में रहने तथा मास्क लगाने का परामर्श दूँगा।
मरीजों की जाँच में सहायता करूंगा।
प्रश्न 2.ढोलक की थाप मृत गाँव में संजीवनी भरती रहती थी-कला और जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए।उत्तर:कला और जीवन का गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। कला जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना रहे इसके लिए कला बहुत ज़रूरी है। यह कई रूपों में हमारे सामने आती है; जैसे नृत्य कला, संगीत कला, चित्रकला आदि। कला जीवन की प्राण शक्ति है। कला के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी लगता है।
प्रश्न 3.चर्चा करें – कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है।उत्तर:कलाएँ सरकारी सहायता से नहीं फलतीं-फूलतीं। ये कलाकार के निष्ठाभाव, मेहनत व समर्पण से विकसित होती हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.हर विषय, क्षेत्र, परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं। पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए। साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोई पाँच-पाँच शब्द बताइए –चिकित्सा, क्रिकेट, न्यायालय, या अपनी पसंद का कोई क्षेत्रउत्तर:
चिकित्सा – अस्पताल, नर्स, डॉक्टर, टीका, पथ्य, औषधि, जाँच।
क्रिकेट – बैट, गेंद, विकेट, छक्का, चौका, क्लीन बोल्ड।
न्यायालय – जज, वकील, नोटिस, जमानत, अपील, साक्षी, केस।
शिक्षा – पुस्तक, अध्यापक, विद्यार्थी, स्कूल, बोर्ड, पुस्तकालय।
पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली सूची कसरत, धुन, थाप, दांवपेंच, पठान, पहलवान, बच्चू, शेर का बच्चा, चित, दाँव काटो, मिट्टी के शेर, चारों खाने चित, आली आदि।
प्रश्न 2.पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सर्जनात्मकता को बढ़ा��ा देता है बल्कि क��्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवतः वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं –
फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा।
राजा साहेब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।
पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।
उत्तर:उसकी पहलवानी के किस्से दूर-दराज के गाँवों में मशहूर थे। अच्छे से अच्छा पहलवान भी उससे हार जाता। यदि कोई उसे ललकारने की हिम्मत करता तो वह उस पर बाज की तरह टूट पड़ता। उसकी पहलवानी के चर्चे राजा साहब के कानों तक भी पहुँची। राजा साहब ने उसकी पहलवानी पर प्रसन्न होकर उसे नकद इनाम दिया और आजीवन राजमहल में रख लिया। इस प्रकार राजा, साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिधि में चार चाँद लगा दिए। वह और अधिक मन लगाकर पहलवानी करने लगा। पहलवान की स्त्री ने उसी जैसे दो पहलवान बेटों को पैदा किया। दुर्भाग्य से वह स्वर्ग सिधार गई। इन दोनों बेटों को भी उसने दंगल में उतारने का निर्णय ले लिया। उसके दोनों बेटों ने भी अपने बाप की लाज रखी।
प्रश्न 3.जैसे क्रिकेट में कमेंट्री की जाती है वैसे ही कुश्ती की कमेंट्री की गई है? आपको दोनों में क्या समानता और अंतर – दिखाई पड़ता है?उत्तर:
क्रिकेट में बल्लेबाज, क्षेत्ररक्षण व गेंदबाजी का वर्णन होता है, जबकि कुश्ती में दाँव-पेंच का।
क्रिकेट में स्कोर बताया जाता है, जबकि कुश्ती में चित या पट का।
कुश्ती में प्रशिक्षित कमेंटेटर निश्चित नहीं होते, जबकि क्रिकेट में प्रशिक्षित कमेंटेटर होते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.क्या यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बनाती है?उत्तर:यह कहानी निर्विवाद रूप से रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बना देती है। ग्रामीण अंचल का इतना यथार्थ और मार्मिक चित्रण पहले शायद नहीं हुआ। ग्रामीण लोक कलाएँ किस तरह विलुप्त होती जा रही हैं इसका चित्रण उन्होंने किया है। यह कहानी पुरानी सत्तात्मक व्यवस्था के टूटने के साथ-साथ लोक कलाओं में आ रही रुकावट का चित्रण करती है। बदलते ग्रामीण परिवेश का यथार्थ अंकन करती यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकारों की श्रेणी में खड़ा कर देती है।
प्रश्न 2.लुट्टन पहलवान की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में लिखिए।उत्तर:लुट्टन के माता-पिता की मृत्यु नौ साल में ही हो चुकी थी। उसकी शादी हो चुकी थी। उसकी विधवा सास ने उसे पाला और पोसा। वह अपनी सास के यहाँ कसरत करते-करते बड़ा हो गया। इसी कारण वह पहलवानी में जोर आजमाइश करने लगा।
प्रश्न 3.गाँव में फैली बीमारी से उत्पन्न गाँव की दशा का चित्रण कहानीकार ने किस प्रकार किया है? (CBSE-2008)उत्तर:गाँव में महामारी ने पाँव पसार लिए थे। चारों ओर मौत का भयानक तांडव फैला था। रेणु’ लिखते हैं कि सिया���ों का क्रंदन और चेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़ ‘हरे राम, हे भगवान! की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे।
प्रश्न 4.जब मैनेजर और सिपाहियों ने लुट्टन पहलवान को चाँद सिंह से लड़ने से मना कर दिया तो लुट्टन ने क्या कहा?उत्तर:मैनेजर और सिपाहियों की बातें सुनकर लुट्न सिंह गिड़गिड़ाने लगा। वह राजा साहब के सामने जा खड़ा हुआ। उसने कहा दुहाई सरकार, पत्थर पर माथा पटककर मर जाऊँगा लेकिन लडूंगा अवश्य सरकार, वह कहने लगा-लड़ेंगे सरकार हुकुम हो सरकार।
प्रश्न 5.कहानी की संवाद योजना कैसी है? बताइए।उत्तर:फणीश्वर नाथ रेणु’ की सभी कहानियों में संवाद योजना देखते ही बनती है। उनकी संवाद योजना चुस्त, सार्थक और प्रभाव उत्पन्न करने वाली है। संवादों के माध्यम से कहानीकार ने पात्रों की मानसिक और चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कर दिया है। लुट्न पहलवान की मन:स्थिति का अंकन निम्न संवाद में हुआ है“दुकानदारों को चुहल करने की सूझती। हलवाई अपनी दुकान पर बुलाता-“पहलवान काका। ताजा रसगुल्ला बना है, जरा नाश्ता कर लो पहलवान बच्चों की-सी स्वाभाविक हँसी हँसकर कहता “अरे तनी मनी काहे। ले आव डेढ़ सेर और बैठ जाता” राजा साहब की विशेषता का उल्लेख इस संवाद में हुआ है।” राजा साहब दस रुपए का नोट देकर कहने लगे-जाओ मेला देखकर घर जाओ… “नहीं, सरकार लड़ेंगे हुकुम हो सरकार।
प्रश्न 6.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के संदेश को स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2016)उत्तर:‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में व्यवस्था के बदलने के साथ लोककला व इसके कलाकार के अप्रासांगिक हो जाने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एक दम नयी व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकर के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हायतौबा करने वाली निरीहता की भूमि पर पटक देती है।
प्रश्न 7.राजा साहब ने लुट्टन को क्यों सहारा दिया था? अंत में उसकी दुर्गति होने का क्या कारण था? (CBSE-2016)अथवापहलवान लुट्टन सिंह को राजा साहब की कृपादृष्टि कब प्राप्त हुई ? वह उन सुविधाओं से वंचित कैसे हो गया? (CBSE-2011)उत्तर:लुट्टन ने बचपन से ही कुश्ती सीखी। उसने चाँद पहलवान को हरा दिया। श्यामनगर के मेले के दंगल में उसने यह चमत्कार दिखाया। राजा साहब ने उसे आश्रय दिया। इसके बाद उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। अब वह दर्शनीय जीव बन गया था। पंद्रह साल तक वह राजदरबार में रहा। उसने दोनों बेटों को भी पहलवानी में उतारा। राजा साहब के मरने के बाद नए राजा को घुड़सवारी में रुचि थी। उसने पहलवान व उसके बेटों को राजदरबार से निकाल दिया। अब वह गाँव आकर रहने लगा। यहाँ उसे भोजन भी मुश्किल से मिलना था। महामारी ने उसके बेटों को लील लिया। उनके चार-पाँच दिन बाद वह भी मर गया।
प्रश्न 8.लुट्टन से राज पहलवान लुट्टन सिंह बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए? (CBSE-2009, 2010, 2011, 2015)अथवापहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिनों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (CBSE-2009)उत्तर:लुट्टन की कीर्ति राज पहलवान बन जाने के बाद दूर-दूर तक फैल गई। राजा ने उसे दरबार में रखा। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि से उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोगा पहनकर अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।
प्रश्न 9.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर बताइए कि महामारी फैलने पर चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा कैसी हो जाती थी। पहलवान की ढोलक उनकी सहायता किस प्रकार करती थी? (CBSE 2010)उत्तर:महामारी फैलने पर गाँव में चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा दयनीय हो जाती थी। लोग दिन भर खाँसते कराहते रहते थे। रोज दो-चार व्यक्ति मरते थे। दवाओं के अभाव में उनकी मृत्यु निश्चित थी। शरीर में शक्ति नहीं रहती थी। पहलवान की ढोलक मृतप्राय शरीरों में आशा व जीवंतता भरती थी। वह संजीवनी शक्ति का कार्य करती थी।
प्रश्न 10.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए। ( सैंपल पेपर-2015)उत्तर:‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में पुरानी और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया है। पुरानी व्यवस्था में राजदरबार लोक कलाकारों को संरक्षण प्रदान करता था। उनके सहारे ये जीवित रहते थे, परंतु नई व्यवस्था में विलायती दृष्टिकोण को अपनाया गया। लोक कलाकार हाशिए पर चले गए।
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khabaruttarakhandki · 4 years ago
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इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए हेअल्थी ड्रिंक्स
आयुर्वेद हमारी कई स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को ठीक करने के लिए असरदार होता है यही कारण है कि बड़े बड़े पैमाने पर लोग आजकल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का सहारा ले करके अपनी बीमारियों को ठीक करते हैं तथा सुरक्षित रखते हैं बीमारियों से बचे रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह होता है कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे यानी कि हमारी इम्यूनिटी हमेशा अच्छी रहे इससे हमारे शरीर में जो बीमारियां उत्पन्न होती हैं उनसे लड़ने में सुरक्षा मिलती है और यह संक्रमण से हम को बचाती हैं इनसे बचने के लिए हमें  आयुर्वेदिक चीजों का सहारा लेना पड़ता है सर्दी खांसी जुकाम बुखार जैसी स्थिति मजबूत एबिलिटी वालों को छू भी नहीं पाती हैं इसके लिए हमें  इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए हम यहां आपको दो तरीके के आयुर्वेदिक ड्रिंक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप घर पर आराम से बहुत कम समय में तैयार कर सकते हैं|
जो कि आपके शरीर के लिए बहुत ज्यादा अच्छी होंगी जोकि साथ-साथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के साथ-साथ आपको स्वस्थ भी रखेंगे हम कई प्रकार के ड्रिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं आज आपको हम यहां कुछ खास तरीके के 2 दिन बता रहे हैं जो आपको बहुत ज्यादा असर कारी रहेंगे इसके लिए आपको सारा तथा बादाम दो ऐसे ड्राई फ्रूट हैं जिन्हें हम आम तौर पर घर में बनाने वाले किसी भी व्यंजन में डालते हैं । द्वारा तथा बदाम सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है नेशनल सेंटर ऑफ बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार द्वारा और बादाम में दो ऐसे ड्राई फ्रूट होते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम सेल्स को मजबूत बनाने में बहुत योगदान देते हैं इसके सेवन नियमित रूप से करने वाले लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत ज्यादा स्ट्रांग होती है जबकि टीम के रूप में अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत तेजी से मजबूत कर सकता है|
खासकर कोरोनावायरस के इस बुरे वक्त में चंद्रमा से इस दौर में हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना है हमारे लिए बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है इस वक्त हमारे शरीर से संक्रमण से लड़ने की ताकत को बढ़ा सकता है तो यही वह दिन से और संक्रमण की चपेट में आने से रोक सकता है। हम आपको इस दिन को तैयार करने का तरीका बताते हैं एक गिलास तैयार करने के लिए आपको तीन से चार पानी में भीगे हुए छुआरे तीन से चार पानी में भीगे हुए बादाम तथा एक गिलास दूध इस लिंक को तैयार करने की विधि पहला  भिगो कर रखे हुए बदाम और सारे को पानी से निकालकर इन्हें अच्छी तरह धो लें अब ग्राइंडर में बादाम बेचारे को डालें और थोड़ा सा दूध मिला लें अब इसे कम से कम 5 मिनट तक चला है ताकि बदाम और छोरा बारीक बारीक टुकड़ों में कट करके उसका पेस्ट बन जाए बचा हुआ दूध में मिलाकर कम से कम 3 मिनट तक ग्राइंडर को फिर से चलाएं तथा इसमें  मीठे स्वाद के लिए चीनी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं रात को सोने से पहले आप इस लिंक को सेवन करें और आपको नींद भी बहुत अच्छी आएगी और यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होगा दूसरा ड्रिंक है|
तुलसी हल्दी दालचीनी लौंग से बना काला जो आर्किमिडी बढ़ाने के लिए बहुत ज्यादा अचूक कारगर है जहां बताते हैं कि यह ड्रिंक किस तरीके से बनाया जाता है आपको इस दिन को बनाने के लिए तुलसी हल्दी दालचीनी लौंग से बना काढ़ा कुछ सामान्य सामग्रियों के साथ बनाया जा सकता है जो आप में औषधीय तथा उपचार 1 गुणों के लिए प्रसिद्ध है यह सभी सामग्रियां अपनी विशेषताओं को काला में कहलाती हैं तथा एक साथ आपकी शरीर की एनर्जी बढ़ाने और बेहतर करने के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी है यह कड़वी ड्रिंक पी में सुधार करने में बहुत ज्यादा मदद करती है यह है आम भारतीय मसा��ों के साथ-साथ बनाई जाती है यह एक रेसिपी है जो आपको घर पर काढ़ा बनाने में बहुत मदद करेगी हम सभी अचानक से एक लंबे म्यूजियम के लाभों के लिए जाग गए हैं करो ना वायरस की महामारी में हमें ये एहसास हो चुका है कि हमारे शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए एक को मजबूत होना बहुत जरूरी है|
हालांकि इस समय यह साबित करने की कोई जरूरत नहीं है कि इम्यून वायरस को रोकने या इलाज करने में मदद करता है लेकिन आपको स्वस्थ स्वस्थ रखने में मदद करता है और लोगों को आंशिक रूप से भी मजबूरी होती है जबकि अन्य को इस बना इसे बनाने के लिए कई उपाय करने पड़ते हैं उनकी बढ़ाने के लिए प्राकृतिक तरीकों से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता हर्बल चाय  ड्रिंक काढ़ा तथा कई नेचुरल चीजें हैं जो हमारी इम्यूनिटी को बहुत अच्छे से फायदेमंद करती हैं जिसमें कि हमें हेल्दी रखने की बहुत ताकत होती है आम सर्दी खांसी और जुखाम अन्य समस्याओं से दूर रखने में मदद करती है यह इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक काला दिया बता रहे हैं जो ब्यूटी के लिए बहुत अच्छा है जिसको बनाने के लिए आपको तुलसी हल्दी लॉन्ग दालचीनी से बड़ा हुआ काला होता है इसमें से सारे औषधीय गुण होते हैं जीवाणुओं और एंटी एंड प्लेइंग इन गुणों से भरपूर होते हैं गले में खराश के प्रबंधन के लिए लॉन्ग बहुत ज्यादा उपयोगी होती है|
यह सभी सामग्रियां कई विशेषताओं से भरपूर होती हैं यह सभी रोटी बनाने के लिए बहुत फायदेमंद होती है इसे घर पर कैसे बनाना है यह हम आपको बताते हैं चार कप काढ़ा बनाने के लिए आपको सामग्री में 10 तुलसी के पत्ते 1 इंच दालचीनी का टुकड़ा 23 लॉन्ग आधा चम्मच हल्दी दो चम्मच श���द इसमें  आपको सबसे पहले एक मुसल में तुलसी के पत्ते दालचीनी हल्दी और लॉन्ग को दरदरा पीस लें इसके बाद एक पैन में फंसे हुए मसालों को डालें हल्दी पाउडर के साथ सभी मसालों को सूखा भून लें अब इसमें तीन से पांच कप पानी मिला लें और इसे उबालें इसे पांच 7 मिनट तक उबालें ताकि मसालों का स्वाद और पोषण तत्व इसमें अच्छे से घुल मिल जाए अब  बहुत अच्छी तरह से इस गाड़ी को उबाल जाने के बाद इसे छान लें तथा इसमें एक से दो चम्मच शहद का मिलाकर के इस कार्य का घूंट घूंट करके इसे पी हैं  और इसका डे को गरम-गरम ही पीना है गर्म पानी से गले की खराश में मदद मिलती है और कुछ आराम आता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके पास गर्म काढ़ा हो और इसे हर दिल लेने की कोशिश करें  इससे आपकी इम्यूनिटी बहुत अच्छी हो जाएगी तथा आपका शरीर रोगों से लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा
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vsplusonline · 5 years ago
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कोरोना: वो वायरस जिसने 141 देश के लोगों को पहुंचा दिया 'ICU' में - Coronavirus worldwide impact health emergency covid 19 who china iran italy india
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कोरोना: वो वायरस जिसने 141 देश के लोगों को पहुंचा दिया 'ICU' में - Coronavirus worldwide impact health emergency covid 19 who china iran italy india
कोरोना वायरस से अब तक 6,000 लोगों की हो चुकी है मौत
चीन में कोरोना वायरस से 3,140 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
वैश्विक महामारी बना कोरोना वायरस, अलर्ट पर कई देश
चीन के वुहान शहर से कोरोना वायरस बेहद तेजी से दुनिया के 141 देशों में फैल चुका है. जहां भी COVID-19 वायरस का संक्रमण फैल रहा है, देखते ही देखते मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते 6,000 लोगों की मौत हो गई है, 152,428 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.
चीन में कोरोना वायरस ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़कर 81,021 हो गई है, वहीं करीब 3,194 लोगों की मौत हो गई है. चीन से बाहर करीब 2199 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. कोरोना वायरस के खतरे की जद में अफ्रीका, यूरोप और एशिया समेत पूरी दुनिया है.
यूरोपीय देश इटली में कोरोना वायरस के 24,747 केस सामने आ चुके हैं. इटली में एक दिन में ही 368 लोगों की मौत हो गई. इटली में कुल 1,809 लोगों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़े दुनियाभर में चीन के बाद सबसे ज्यादा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस को पहले ही महामारी घोषित कर चुका है. ईरान भी कोरोना वायरस से बुरी तरह से प्रभावित है. ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण के करीब 13,000 मामले पुष्ट हो चुके हैं, वहीं कोरोना वायरस के 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
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स्पेन में 100 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
स्पेन में कोरोना वायरस के कुल 2,000 नए मामले सामने आए हैं. स्पेन में कोरोना वायरस के 100 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. इटली के बाद स्पेन दूसरा यूरोपीय देश है, जहां कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. लगातार बढ़ रहे मौत के मामलों के चलते दुनियाभर के देशों ने एहतियातन सुरक्षा कई सुरक्षात्मक कदम उठाए हैं.
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दुनियाभर के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स, जमीनी सीमाओं और बंदरगाहों पर लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है. कई देशों ने प्रभावित देशों से नागरिकों की आवाजाही पर रोक लगा दी है. कई देशों में कोरोना वायरस को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दी गई है.
दुनिया के किन मशहूर हस्तियों को हुआ कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस से दुनिया की मशहूर हस्तियां भी प्रभावित हुई हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की पत्नी सोफी गेग्रोइरे ट्रूडो भी कोरोना वायरस का शिकार हो चुकी हैं. उन्हें घर में ही बने आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है. इंग्लिश प्रीमियर लीग क्लब आर्सेनल के मुख्य कोच मिकेल अर्टेटा और चेल्सी के कैलम हडसन ओडोई भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं.
स्पेन की समानता मंत्री इरेन मोंटेरो भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गईं हैं. एहतियाती कदम उठाते हुए, स्पेन के अधिकारियों ने पूरे कैबिनेट और शाही परिवार पर COVID-19 परीक्षण किए हैं. ऑस्ट्रेलिया में ऑस्कर विजेता अभिनेता टॉम हैंक्स और उनकी पत्नी रीता विल्सन भी कोरोना वायरस COVID-19 पॉजिटिव हैं.
कहां हुईं कितनी मौतें?
दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से 6000 लोगों की मौत हो गई हैं. स्पेन में ताजा आंकड़ों के मुताबिक 105 लोगों की मौत हुई है. चीन में 3,199 लोगों की जान जा चुकी है. भारत में कोरोना वायरस से 2 लोगों की मौत हुई है, वहीं ईरान में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कोरोना पर सार्क की बैठक
भारत ने रविवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों के लिए कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला करने को लेकर एक समान स्वैच्छिक आपातकालीन कोष (कॉमन वालंटरी इमरजेंसी फंड) की स्थापना के लिए एक करोड़ डॉलर देने की पेशकश की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई, जिसमें एक संयुक्त रणनीति बनाने की तैयारी की गई. इसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य सं��ठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सार्वजनिक रूप से एकजुट होने से बचने की सलाह के मद्देनजर की. इस प्रस्ताव का दक्षेस (SAARC) के दूसरे देशों के स्वागत किया और स्वीकार किया . दक्षेस के अन्य सदस्यों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान शामिल हैं.
इटली में लॉक डाउन, अमेरिका में राष्ट्रीय आपदा
इटली में कोरोना वायरस से 1809 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. इटली में पूरी तरह से लॉक डाउन की स्थिति है. इटली में कोरोना वायरस को राष्ट्रीय आपदा भी घोषित किया जा चुका है. कोरोना वायरस से इटली चीन के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित देश है. अमेरिका में कोरोना वायरस को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जा चुका है. ईरान में भी ऐसे ही हालात है. भारत के कई राज्यों में हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति है.
भारत के किस किस राज्य में फैला कोरोना वायरस
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 112 मामले सामने आए हैं. 13 लोगों का उपचार किया जा चुका है. 2 लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली में 7, हरियाणा में 14, केरल में 22, राजस्थान में 4, तेलंगाना में 3, यूपी में 13, लद्दाख में 3, तमिलनाडु में 1, जम्मू-कश्मीर में 2, पंजाब में 1, महाराष्ट्र में 33, कर्नाटक में 7 आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड से भी एक-एक मामले सामने आए हैं.
भारत ने क्या कदम उठाए हैं
भारत ने कई देशों को जारी ई वीजा पर रोक लगा दी है. जमीनी सीमाओं के साथ-साथ बंदरगाहों पर भी स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को आने दिया जा रहा है. कई जगहों पर लोगों की आवाजाही रोक दी गई है. विदेश से आने वाले लोगों को अलग रखा जा रहा है, जहां उन्हें मेडिकल टीम की निगरानी में रखा गया है.
कई देशों में भारत की मेडिकल टीम है, जो कोरोना वायरस नेगेटिव सर्टिफिकेट यात्रियों को जारी कर रही है, जिसके बाद ही उन्हें भारत आने दिया जा रहा है. विदेश से आने वाले नागरिकों को 14 दिन तक अलग रखने के बाद ही जाने दिया जा रहा है. देश में स्वास्थ्य सेवाएं अलर्ट पर हैं.
कैसे फैला कोरोना वायरस?
चीन के वुहान शहर के पशु बाजार से फैला कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है. वुहान के पशु बाजार में 112 से ज्यादा किस्म के जानवरों के मांस का कारोबार होता है. दावा किया गया कि इसी बाजार से कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया. दावा किया जा रहा है कि अगर चीन ने सही समय पर सुरक्षात्मक रवैया अपनाया होता तो हालात इतने खराब नहीं होते.
क्या हैं कोरोना वायरस के लक्षण?
कोरोना वायरस यानी COVID-19 वायरस के संक्रमण का ठीक-ठीक कारण अभी तक सामने नहीं आ सका है. कोरोना वायरस के लक्षण आम सर्दी-जुकाम की तरह ही हैं जैसे गले में खराश होना, सूखी खांसी और बुखार आना. मिलते-जुलते लक्षणों की वजह से ही लोगों के लिए कोरोना वायरस और आम सर्दी-जुकाम में फर्क करना मुश्किल हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, बुखार, सूखी खांसी, थकान, थूक बनना, सांस की तकलीफ, गले में खराश, सिरदर्द, लकवा या गठिया, ठंड लगना, मिचली या उल्टी, बंद नाक, दस्त, खांसी में खून आना कोरोना वायरस के अन्य लक्षण हैं.
ऐसे करें कोरोना वायरस से बचाव
स्वास्थ्य मंत्रालय और चिकित्सकों की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए. किसी भी चीज को छूने के बाद ठीक तरह से हाथ धोएं. कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के संपर्क से बचें. जुकाम या खांसी से ग्रसित व्यक्ति से 2 मीटर की दूरी पर रहें.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी अपनी एडवाइजरी में कहा कि अपने हाथों से आंख, मुंह और नाक पर बार-बार हाथ ले जाने से बचें. ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाएं. फोन और दूसरी जरूरी चीजों की सफ��ई पर विशेष ध्यान दें. छींकते वक्त मुंह को रुमाल से ढकें. बेहद जरूरी ही होने पर घर से बाहर निकलें. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर इकट्ठा होने बचें.
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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अकल दाढ़ दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Wisdom Tooth Pain Remedies in Hindi
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अकल दाढ़ दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Wisdom Tooth Pain Remedies in Hindi
अकल दाढ़ दर्द के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Wisdom Tooth Pain Remedies in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 October 14, 2019
किशोरावस्था में मानसिक बदलाव के साथ कई शारीरिक बदलाव भी होते हैं। कुछ बदलाव सामान्य होते हैं, तो कुछ दर्दनाक होते हैं। अकल दाढ़ निकलना इन दर्दनाक बदलावों में से एक है। अकल दाढ़ निकलने पर किसी को हल्का दर्द होता है, तो किसी को तेज। इसकी वजह से मुंह की सूजन के साथ कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको न सिर्फ अकल दाढ़ क्या है, इसके बारे में बताएंगे, बल्कि अकल दाढ़ में दर्द को कम करने के घरेलू उपाय भी आपके साथ शेयर करेंगे। इसके अलावा, हम आपको अकल दाढ़ दर्द का इलाज कैसे करें, इसकी भी जानकारी देंगे। अब बिना देर करते हुए जानिए अकल दाढ़ से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।
अकल दाढ़ के इलाज जानने से पहले यह जान लेते हैं कि अकल दाढ़ क्या है?
विषय सूची
अकल दाढ़ क्या है? – What is Wisdom Tooth in Hindi
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अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि अकल दाढ़ क्या है, तो हम आपको बता दें कि यह आपका सबसे आखिर में निकलने वाला दांत होता है, जो 20 साल की उम्र तक आ जाते हैं। सामान्य तौर पर चार अकल दाढ़ होती हैं, दो ऊपर के जबड़े पर और दो नीचे। अकल दाढ़ दर्द और बिना दर्द के भी निकल सकती हैं (1)। आइए अब नीचे जानते हैं कि यह दर्द क्यों होता है।
आखिर अकल दाढ़ निकलने के दौरान दर्द क्यों होता है? इस सवाल का जवाब हम आपको नीचे बता रहे हैं।
अकल दाढ़ दर्द के कारण – Causes of Wisdom Tooth Pain in Hindi
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अकल दाढ़ के दर्द के कुछ कारण हम आपको नीचे बता रहे हैं (1)।
कभी-कभी अकल दाढ़ टेढ़े-मेढ़े तरीके से निकलने लगती हैं, जिससे मसूड़े प्रभावित होते हैं और इस कारण दर्द होता है।
कुछ मामलों में अकल दाढ़ निकलने के दौरान आसपास के दांत प्रभावित होने लगते हैं, जिस कारण दर्द हो सकता है।
कभी-कभी अन्य दांतों की वजह से जब अकल दाढ़ ठीक तरह से नहीं निकल पाती है, तो भी दर्द हो सकता है।
अगर दांत में संक्रमण हो जाए, तो भी दर्द हो सकता है।
अकल दाढ़ में दर्द की वजह जानने के बाद अब आगे जानिए अक्ल दाढ़ निकलने के लक्षण।
अक्ल दाढ़ निकलने के लक्षण – Wisdom Tooth Symptoms in Hindi
आप कैसे जानेंगे कि अक्ल दाढ़ आने वाली हैं, तो इसके लिए कुछ लक्षण आपको महसूस हो सकते हैं, जिसके बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं (1)।
��सूड़े में सूजन या लालिमा
दर्द
जबड़े के नीचे सूजन
मुंह खोलने में परेशानी
भोजन निगलने में कठिनाई
सांस की बदबू
मसूड़े से मवाद आना
बुखार
नोट : दर्द के साथ मसूड़े से मवाद या सांस की बदबू, संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर अकल दाढ़ निकलने पर आपको हल्का दर्द होता है, तो आप अकल दाढ़ दर्द का इलाज घरेलू तरीके से कर सकते हैं। नीचे हम आपको अकल दाढ़ दर्द का इलाज करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं।
अकल दाढ़ दर्द के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Wisdom Tooth Pain in Hindi
1. अकल दाढ़ में दर्द के लिए लहसुन
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सामग्री :
एक या दो लहसुन की कलियां
उपयोग करने का तरीका :
लहसुन की कलियों को कुचलकर पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को अकल दाढ़ में दर्द वाले हिस्से पर लगाएं।
इसके अलावा, आप अकल दाढ़ में दर्द वाले हिस्से पर कुछ देर लहसुन की एक कली दबाकर रख सकते हैं।
इस उपाय को जब तक दर्द से राहत न मिले, दिन में तीन से चार बार करें।
कैसे फायदेमंद है?
लहसुन में एलिसिन (Allicin) नामक यौगिक होता है, जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। लहसुन का यह गुण दर्द से राहत दिलाने में आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें एनाल्जेसिक (Analgesic) यानी दर्द निवारक गुण भी होता है, जो दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण मुंह में संक्रमण से बचाव करने का काम कर सकता है (2) (3)।
2. अकल दाढ़ में दर्द के लिए लौंग
सामग्री :
लौंग या लौंग का तेल
उपयोग करने का तरीका :
एक लौंग लें और उसे अकल दाढ़ के नीचे दबाएं, ताकि यह अपनी जगह से न हिले।
वैकल्पिक रूप से आप प्रभावित दांत पर और आसपास लौंग का तेल भी लगा सकते हैं।
आप लौंग या लौंग तेल को पूरे दिन में दो से तीन बार लगा सकते हैं, जब तक आपको दर्द से राहत न मिले।
कैसे फायदेमंद है?
दांत दर्द के लिए आपने लौंग के उपाय के बारे में जरूर सुना होगा। दरअसल, लौंग में एनाल्जेसिक गुण मौजूद होते हैं, जो दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसी गुण के कारण यह अकल दाढ़ दर्द में भी लाभकारी साबित हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीस्पेटिक, एंटी-वायरल, एंटीफंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण अकल दाढ़ से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का काम करेंगे। इन सब गुणों के अलावा, यह ऐंटीनोसीसैप्टिव (Antinociceptive) की तरह भी काम कर सकता है, जो दर्द की संवेदनशीलता को कम करने में मदद कर सकता है (4)।
3. अकल दाढ़ में दर्द के लिए नमक का पानी
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सामग्री :
एक से दो चम्मच नमक
एक गिलास गर्म पानी
उपयोग करने का तरीका :
नमक को एक गिलास गर्म पानी में घोलें।
अब इस पानी से कुल्ला करें।
ध्यान रहे कि पानी गुनगुना हो।
कैसे फायदेमंद है?
गले में दर्द या दांत दर्द की स्थिति में अक्सर गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करने की सलाह दी जाती है। यह उपाय आप अकल दाढ़ के दर्द को कम करने के लिए भी अपना सकते हैं (5) (6)।, जो अकल दाढ़ में संक्रमण से बचाव कर सकते हैं। इसके साथ इसमें एंटी-सेप्टिक गुण भी होता है, जो संक्रमण की वजह से होने वाले दांत दर्द को कम कर सकता है (7)। हालांकि, इस बारे में अभी और शोध कि आवश्यकता है कि नमक का पानी अकल दाढ़ दर्द के लिए कितना कारगर हो सकता है। अगर आपको एलर्जी की समस्या है या दर्द बहुत तेज है, तो नमक का पानी उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह भी ले लें।
4. ऑयल पुलिंग विथ कोकोनट ऑयल (नारियल तेल)
सामग्री :
एक बड़ा चम्मच नारियल तेल
उपयोग करने का तरीका :
एक चम्मच नारियल तेल को अपने मुंह में डालकर 5 से 10 मिनट के लिए घुमाएं।
फिर इसे थूक दें और गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें।
आप सुबह ब्रश करने से पहले इस प्रक्रिया को कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
ऑयल पुलिंग मसूड़ों की सूजन कम करने का एक कारगर तरीका हो सकता है (8)। अगर बात करें नारियल तेल की, तो इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी के साथ एनाल्जेसिक (Analgesic, दर्द निवारक) गुण भी मौजूद होते हैं, जो अकल दाढ़ के दर्द को बहुत हद तक कम कर सकते हैं (9)।
5. अकल दाढ़ में दर्द के लिए अमरूद की पत्तियां
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सामग्री :
एक मुट्ठी ताजी अमरूद की पत्तियां
एक से दो गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका :
अमरूद की पत्तियों को पानी में उबाल लें।
अब इस पानी को थोड़ी देर गुनगुना होने के लिए रखें और फिर कुल्ला करें।
आप चाहें तो प्रभावित जगह पर अमरूद के पत्ते कुछ देर दबा कर भी रख सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
शोध के मुताबिक यह पाया गया है कि अमरूद की पत्तियों में एनाल्जेसिक (Analgesic) यानी दर्द को कम करने, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं, जो दांत दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (7) (10)।
6. अकल दाढ़ में दर्द के लिए पीनट बटर
सामग्री :
थोड़ा-सा पीनट बटर
उपयोग करने का तरीका :
अपनी तर्जनी उंगली पर थोड़ा पीनट बटर लें और सीधे प्रभावित दांत पर लगाएं।
आप इसे एक दिन में दो से तीन बार लगा सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
पीनट बटर में रेज्वेराट्रॉल (Resveratrol) नामक तत्व मौजूद होता है, जिसमें एनाल्जेसिक (Analgesic) यानी दर्द को कम करने और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह अकल दाढ़ के दर्द में कितना लाभकारी है, उसका अभी तक कोई सटीक प्रमाण नहीं है। इसलिए, इस बारे में आप एक बार ��ॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं (11) (12) (13)।
7. अकल दाढ़ में दर्द के लिए हींग
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सामग्री :
चुटकी भर हींग
आधा चम्मच मोसंबी का रस
उपयोग करने का तरीका :
आधा या एक चम्मच मोसंबी के रस में चुटकी भर हींग डालकर मिला लें।
अब इस मिश्रण में रूई को भिगोएं और उस रूई को अकल दाढ़ के दर्द वाले जगह पर दबा लें।
इसे कुछ देर तक दबाएं रखें, फिर रूई को हटाकर चाहें तो गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें।
कैसे फायदेमंद है?
हींग की बात करें, तो कई सालों से इसे न सिर्फ मसाले के रूप में, बल्कि औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता रहा है। सर्दी-जुकाम हो या किसी प्रकार का दर्द, यह एक बेहतरीन घरेलू नुस्खों में से एक है। इसमें मौजूद एनाल्जेसिक गुण और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण अकल दाढ़ के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (14)।
8. अकल दाढ़ में दर्द के लिए सेब का सिरका
सामग्री :
एक से दो चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका :
एक गिलास पानी में एक से दो चम्मच सेब का सिरका मिलाएं।
अब इस मिश्रण को माउथवॉश की तरह उपयोग में लाएं।
आप एक से दो बार इस मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
यह न सिर्फ दांत दर्द को कम करने में मदद कर सकता है, बल्कि यह दांतों को साफ रखने में भी लाभकारी हो सकता है (7)। सेब के सिरके को घरेलू उपाय के तौर पर दांत दर्द के लिए उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन यह अकल दाढ़ के दर्द से राहत दिलाने में कितना मदद कर सकता है, इस पर अभी और शोध की जरूरत है।
9. अकल दाढ़ में दर्द के लिए प्याज
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सामग्री :
एक छोटा-सा प्याज या प्याज का छोटा टुकड़ा
उपयोग करने का तरीका :
आप प्याज को चबा सकते हैं।
इसके अलावा, दर्द से प्रभावित जगह पर प्याज की कली को थोड़े देर दबाकर रख सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
कच्चे प्याज को चबाना दांत दर्द के घरेलू उपायों में से एक है। प्याज के एंटीमाइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक गुण मुंह के बैक्टीरिया को खत्म कर दांत दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसमें क्वेरसेटिन (Quercetin) नामक फ्लेवेनॉइड भी होता है, जो गुणकारी एंटीऑक्सीडेंट है। यह दांत दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, प्याज में मौजूद विटामिन-सी मसूड़ों को स्वस्थ बनाने में भी मदद कर सकता है (7)।
10. अकल दाढ़ में दर्द के लिए आइस पैक
सामग्री :
बर्फ के कुछ टुकड़े या आइस पैक
उपयोग करने का तरीका :
आइस पैक लें और इसे गाल पर रखें जहां अकल दाढ़ का दर्द है।
10 से 15 मिनट के लिए इसे लगाए रखें।
जब तक दर्द से राहत न मिले, इसे रोजाना 3 से 4 बार दोहराएं।
कैसे फायदेमंद है?
बर्फ लगाने से दर्द वाला हिस्सा थोड़ी देर के लिए सुन्न हो जाता है, जिस कारण दर्द का एहसास नहीं होता है। यह कुछ देर के लिए आराम दिला सकता है, लेकिन फिर दर्द शुरू हो सकता है। इसलिए, अगर आप डॉक्टर के पास जाना चाहते हैं और उस दौरान थोड़ी देर की राहत चाहते हैं, तो इस नुस्खे को आजमा सकते हैं (7) (15)।
11. अकल दाढ़ में दर्द के लिए एसेंशियल ऑयल
(क) पिपरमिंट ऑयल
सामग्री :
एक चम्मच पिपरमिंट एसेंशियल ऑयल
एक चम्मच नारियल तेल
उपयोग करने का तरीका :
��ेपरमिंट एसेंशियल ऑयल और नारियल तेल को समान मात्रा में मिलाएं।
इस मिश्रण को अपनी उंगली से प्रभावित दांत और उसके आसपास के मसूड़ों पर लगाएं।
4 से 5 मिनट के लिए धीरे-धीरे मालिश करें।
अगर दर्द ज्यादा है, तो मालिश करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ उसे हल्के से लगा लें।
फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें।
ऐसा आप रोजाना 1 से 2 बार कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
पेपरमिंट एसेंशियल ऑयल में मेंथॉल होता है, जिसमें एनाल्जेसिक (Anlagesic) गुण यानी दर्द को कम करने के गुण मौजूद होते हैं। इसे अकल दांत में लगाने से दर्द से राहत मिल सकती है (16) (17) (18)।
(ख) टी ट्री ऑयल
सामग्री :
एक से दो बूंद टी ट्री ऑयल
उपयोग करने का तरीका :
एक या दो बूंद टी ट्री ऑयल लें और उसे दर्द से प्रभावित अकल दाढ़ पर उंगली या रूई से लगाएं।
अगर दर्द कम है, तो तेल से एक-दो मिनट तक मालिश करें और अगर दर्द ज्यादा है, तो मालिश न करें।
फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें।
आप एक से दो बार इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
टी ट्री ऑयल को अपने एंटीसेप्टिक और एंटीमाइक्रोबियल गुणों के लिए जाना जाता है। ऐसे में अगर आप इसे अकल दाढ़ के दर्द से प्रभावित जगह पर लगाएंगे, तो यह संक्रमण से बचाव कर सकता है। इतना ही नहीं इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को भी कम करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं, इसमें दर्द निवारक गुण भी होता हैं, जो दर्द को कम करने में मदद कर सकता है (7) (19) (20) (21)।
नोट : ध्यान रहे कि इस तेल को आप निगले न। इस तेल को निगलने से आपकी सेहत खराब हो सकती है (22)।
12. अकल दाढ़ में दर्द के लिए लिस्ट्रीन (Listerine)
सामग्री :
एक छोटा ढक्कन लिस्ट्रीन (Listerine)
उपयोग करने का तरीका :
एक छोटे गिलास में थोड़ा लिस्ट्रीन लेकर उससे कुल्ला करें।
आप रोज एक से दो बार इसका उपयोग करें, खासतौर पर खाने के बाद।
कैसे फायदेमंद है?
लिस्ट्रीन कई लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है। अगर बात करें अकल दाढ़ में दर्द की समस्या की, तो इसके लिए भी यह उपयोग किया जा सकता है। लिस्ट्रीन के एंटी-माइक्रोबियल गुण मुंह के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं। इसके उपयोग से कीटाणुओं का खतरा कम हो सकता है और दांत में होने वाले संक्रमण या दर्द का जोखिम भी कम हो सकता है (23)।
13. अकल दाढ़ में दर्द के लिए नींबू पानी और नमक
सामग्री :
आधा नींबू
चुटकी भर नमक
पानी
उपयोग करने का तरीका :
आधे नींबू को निचोड़कर रस निकाल लें।
अब इसमें कुछ बूंदें पानी की मिला लें।
फिर इस मिश्रण में चुटकी भर नमक मिलाकर मिश्रण बना लें।
अब इस मिश्रण को दर्द से प्रभावित जगह पर लगाएं।
जब भी आपको अकल दाढ़ में दर्द महसूस हो, तो यह मिश्रण लगा लें।
कैसे फायदेमंद है?
नींबू में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जिस वजह से यह रूट कैनाल में औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। ऐसे में आप इसे अकल दाढ़ में दर्द के इलाज के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं (24)। इसके अलावा, नमक में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो संक्रमण से बचाव कर दर्द से राहत दिला सकते हैं (7)।
सावधानी- नींबू के रस को सीधे दांत पर न लगाएं, बल्कि पानी में मिलाकर लगाएं। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यह आपके दांतों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और आपका दांत ठीक होने के बजाय खराब भी हो सकता है।
14. अकल दाढ़ में दर्द के लिए हल्दी
Shutterstock
सामग्री :
एक चम्मच हल्दी
आवश्यकतानुसार पानी
उपयोग करने का तरीका :
आप थोड़े से पानी में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को ब्रश करने के बाद दर्द से प्रभावित जगह पर लगाएं।
इसे लगभग आधा घंटा लगा रहने दें औ फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें।
अगर आप ऐसे नहीं लगाना चाहते हैं, तो आप आधा चम्मच हल्दी को एक गिलास पानी में डालकर माउथ वॉश की तरह उपयोग कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद है?
एक औषधि के रूप में हल्दी का उपयोग प्राचीन समय से किया जाता रहा है। यह बेहतरीन घरेलू नुस्खों में से एक है। यह एंटीबायोटिक्स से भरपूर होती है। इतना ही नहीं इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण दर्द और सूजन को कम कर सकता है (7)।
नोट : ऊपर बताए गए अकल दाढ़ में दर्द के उपाय आपको दर्द से निपटने में मदद करेंगे। हो सकता है कि ये दर्द को पूरी तरह से ठीक न कर पाए, लेकिन यह कुछ देर के लिए आराम जरूर दिला सकते हैं। अगर इनके उपयोग से भी आपको आराम नहीं मिल रहा है, तो अकल दाढ़ दर्द का इलाज करने के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। इसके अलावा, ऊपर बताई गई किसी भी सामग्री से अगर आपको एलर्जी है, तो उसका उपयोग न करें या डॉक्टर की सलाह अनुसार उपयोग करें।
कई बार घरेलू उपचार या दवाइयां असर नहीं करती और इन्हीं कारणों से अकल दाढ़ दर्द का इलाज उसे निकालना ही होता है। अकल दाढ़ निकालने के बाद नीचे बताए जा रहे हीलिंग टिप्स का पालन जरूर करें।
अक्ल दाढ़ निकालने के बाद कुछ जरूरी हीलिंग टिप्स
अक्ल दाढ़ निकालन�� के बाद दवाइयों के साथ-साथ अगर इन टिप्स को फॉलो करेंगे, तो आपको जल्द से जल्द फायदा हो सकता है और आपका दर्द ठीक होने में मदद मिल सकती है।
अकल दाढ़ की सर्जरी कराने के बाद कुछ घंटों तक कुछ खाने-पीने और यहां तक कि बात करने से बचे।
अकील दाढ़ निकल जाने के बाद कुछ दिनों तक उस जगह को छूने या जीभ लगाने से बचें। बार-बार छूने से संक्रमण या रक्तस्राव हो सकता है।
जब रक्तस्राव बंद हो जाए, तो खुद को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं और अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।
सर्जरी के तुरंत बाद कसरत न करें।
जिस तरफ दर्द हो रहा है, उस गाल पर आइस पैक रखें।
हल्का भोजन करें, जिसमें आपको ज्यादा चबाने की जरूरत न हो।
बेहतर होगा कि डॉक्टर से अपनी डाइट के बारे में पूछ लें।
आशा करते हैं कि ऊपर बताए गए अकल दाढ़ में दर्द के घरेलू उपचार से आपको काफी हद तक आराम मिलेगा। अगर आपके पास भी अक्ल दाढ़ का दर्द ठीक करने के घरेलू नुस्खे हैं, तो उन्हें अपने अनुभव के साथ नीचे कमेंट बॉक्स में शेयर करें। इसके अलावा, इस लेख से जुड़ा कोई सवाल हो, तो उसे भी बेझिझक हमसे पूछें। अंत में आपको बताते चलें कि अकल दाढ़ निकलने का कहीं से भी यह मतलब नहीं है कि आपको ��ब जाकर अकल आई है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो किशोरावस्था के दौरान होती है और अगर इसमें कोई परेशानी या दर्द हो, तो वक्त रहते अकल दाढ़ दर्द का इलाज करें। याद रखें आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में है, इसलिए खुद का ध्यान रखें और स्वस्थ रहें।
 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अकल दाढ़ को निकलवाना चाहिए या नहीं?
अगर आपकी अकल दाढ़ स्वस्थ है और उसमें किसी प्रकार का दर्द नहीं है, तो उसे निकालने की आवश्यकता नहीं है। वहीं, अगर आपकी अकल दाढ़ मसूड़ों के भीतर धंस गई है, ठीक से निकल नहीं पा रही है या उसमें असहनीय दर्द हो रहा है, तो उसे हटा देना बेहतर है। ऐसे में यह संक्रमण का कारण भी बन सकता है, जिसका प्रभाव मसूड़ों और अन्य दांतों पर भी पड़ सकता है (25) (26)।
क्या यह दाढ़ बहुत उपयोगी है?
यह दाढ़ जबड़े के सबसे पीछे वाली दाढ़ होती है और इसका चबाने में कुछ खास योगदान नहीं होता है। इतना ही नहीं कई लोगों की तो अकल दाढ़ आती भी नहीं है।
क्या अकल दाढ़, सामान्य दांत की तरह निकल सकती है?
कई बार अकल दाढ़ टेढ़ी-मेढ़ी निकलती हैं या मसूड़ों में दब जाती है या आसपास के दांत की वजह से ठीक तरह से निकल नहीं पाती है, जिस कारण यह दर्द की वजह बन जाती है। ऐसे में छोटी-सी सर्जरी की जरूरत हो सकती है। वहीं, कुछ लोगों को ज्यादा दर्द का एहसास नहीं होता और यह बिना दर्द के भी निकल सकती है।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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fitnesswomenshealth-blog · 6 years ago
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काली मिर्च के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
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काली मिर्च के फायदे - All Ayurvedic - A Natural Way of Improving Your Health
All Ayurvedic – A Natural Way of Improving Your Health
आयुर्वेदिक औषधियाँ
आरोग्यम
जड़ी बूटी
काली मिर्च एक ऐसा मसाला है जो स्वाद के साथ ही औषधिय गुणों से भी भरपूर है। इसे सलाद, कटे फल या दाल शाक पर बुरक कर उपयोग लिया जाता है। इसका उपयोग घरेलु इलाज में भी किया जा सकता है। काली मिर्च खाने के बड़े ही फायदे हैं, (ब्लॅक पेपर) के कई घरेलू नुस्खे और उपाय हैं, जिससे आपको कई बीमारियो और समस्याओं में बहुत ��ाभ मिलता हैं। 
काली मिर्च के तीखे स्वाद के कारण इसका बहुत ही कम इस्तेमाल किया जाता हैं, लेकिन अनेक प्रकार की बीमारियो में काली मिर्च का इस्तेमाल घरेलू नुस्खे के तौर पर किया जाता हैं। पेट, स्किन और हड्डियो से जुड़ी प्रॉब्लम्स को डोर करने में काली मिर्च बहुत ज़्यादा असरदार होती हैं। आज जाँएंगे की इसका कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करके रोगो को दूर किया जा सकता हैं। यदि आप प्रतिदिन 1 काली मिर्च का सेवन करे तो आपको 56 फायदे होंगे, आइये आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के रामबाण प्रयोग व फायदे।
काली मिर्च के फायदे :
उम्र बढ़ने के साथ ही होने वाला गठिया रोग काली मिर्च का इस्तेमाल बहुत ही फयदेमंद होता हैं। इसे तिल के तेल में जलने तक गरम करे। उसके बाद इस तेल को ठंडा होने पर दर्द वाली जगह आदि पर लगाए आपको बहुत ही आराम मिलेगा।
जंक फुड के कारण बवासीर की समस्या आजकल ज़्यादातर लोगो को रोग कर रही हैं। इससे छुटकारा ��ाने के लिए जीरा, काली मिर्च और चीनी या मिशरी को पीस कर एक साथ मिला ले। सुबह-शाम दो से तीन बार इसे लेने से बवासीर में राहत मिलती हैं।
पेट दर्द का कारण सिर्फ़ खराब ख़ान-पान ही नही होता हैं, बल्कि कीड़े भी इसकी वजह हो सकते हैं। इससे भूख कम लगती हैं और वजन तेज़ी के साथ घटने लगता हैं। इन्हे डोर करने के लिए च्छच्छ में काली मिर्च का पाउडर मिला कर पिए इसके अलावा काली मिर्च को किसमिस के साथ मिला कर खाने से भी पेट के कीड़े दूर होते हैं।
त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है।
काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है।
ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करें।
काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फंाक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है।
आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है।
शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है।
चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।
कालीमिर्च ��भी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।
हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में निम के कोमल 7 ताजा पत्ते, 7 कालिमिर्ची और चुटकी भर सेंधा नमक पानी डालकर पीसकर 5 चम्मच पानी में घोलकर सुबह भूखे पेट एक बार एक दिन में पियें। इसके बाद 2 घंटो तक कुछ न खाएं। यह एक व्यक्ति की खुराक हैं ऐसे लेने से साल भर बुखार नहीं आएगा। हर साल इसी तरह लेते रहे और बुखार से बचें रहे।  
कालिमिर्ची में मौजूद पाईपरिन नामक तत्व कीटाणुनाशक होता हैं। यह मलेरिया और वायरस जैसे ज्वरो के विषाणुओं को नष्ट कर देता हैं। 60 ग्राम पीसी हुई कालिमिर्ची 2 ग्लास पानी में इतना उबालें की आधा ग्लास पानी रह जाये फिर इसे छानकर हर 4 घंटे से उसके 3 भाग करके पियें। इससे मलेरिया बुखार ठीक हो जाता हैं।
सिर में डेंड्रफ और खुजली के वजह से बाल गिरते हो तो कालिमिर्ची, प्याज, नमक सबको पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। बालो का झड़ना बंद हो जायेगा।
अगर बाल सफ़ेद हो गए हो तो 10 कालिमिर्ची रोजाना सुबह भूखे पेट और शामको चबाकर निगल जाएं। यह प्रयोग कम से कम एक साल से ज्यादा करें। यह आजमाया हुआ प्रयोग हैं। कालिमिर्ची मीठे तेल, (तिल का तेल) मिलाकर लगाएं तो और अधिक लाभ होगा।
कालिमिर्ची और फिटकरी समान मात्रा में बारीक पीसकर मिला लें। थोड़ा सा पाउडर लेकर पानी डालकर पेस्ट बनाकर तिनके की रुई लगाकर फुरेरी से मस्सों पर रोजाना दिन में 3 बार लगाएं। मस्से हट जायेंगे।
फोड़ा, फुंसी, दाध, खुजली आदि पर पीसी कालिमिर्ची और घी मिलाकर लगाए लाभ होता हैं।
हरे पुदीना के 30 पत्ती 2-2 चम्मच सौंफ और मिश्री, 5 कालिमिर्ची सब में पानी डालकर पीसकर एक कप गर्म पानी में घोलकर छानकर पिने से हिचकी बंद हो जाएगी।
5 कालिमिर्ची जलाकर पीसकर बार बार सूंघने से हिचकी बंद हो जाती हैं।
निम की निम्बोली के अंदर की सुखी गिरी और कालिमिर्ची को बराबर मात्रा में लेकर दोनों को कूटपीसकर आधा चम्मच रोजाना सुबह भूखे पेट पानी से फांकी 2 सप्ताह तक लें। इससे आशातीत लाभ होंगे, चाहे केसा भी बवासीर हो ठीक हो जाती हैं।
यह पाचनशक्ति बढ़ाती हैं। एक कालिमिर्ची, जीरा, सेंधा नमक, सोडा, पीपल सब समान भाग में लेकर पिसलें खाना खाने के बाद आधा चम्मच पानी से 2 बार लें। खाना अच्छी तरह से पचेगा हजम होगा।
अगर खाना ठीक से नहीं पचता हो और शौच ढीली और आंवयुक्त होती हो तो कालिमिर्ची सेंधा नमक अजवाइन सुखा पोदीना बड़ी इलायची समान भाग में पीसकर एक-एक चम्मच 2 बार खाने के बाद फांक लें।
5 ग्राम कालिमिर्ची पीसकर आधा चम्मच गाय के घी के साथ लेने से सब तरह की खुजली और विष का प्रभाव दूर हो जाता हैं। फुंसी उठते ही उसपर कालिमिर्ची पानी में पीसकर लगाने से फुंसी बैठ जाती हैं। गुहेरी, बाल तोड़ फोड़े भी ठीक हो जाते हैं।
कुत्ते के काटने पर प्राथमि�� उपचार के तोर पर कालिमिर्ची पीसकर घाव पर भुरक दें और फिर डॉकटर को भी दिखा दें। ऐसा करने से जहर का प्रभाव कम हो जायेगा।
चाय में कालिमिर्ची, लौंग, दाल चीनी, सोडा, छोटी इलायची अपने टेस्ट के हिसाब से डालकर पिने से स्फूर्ति आती हैं। आलसी और उदासीनता दूर हो जाती हैं। थकान होने पर, मानसिक संताप, दुःख होने पर यह चाय जरूर पियें।
5 कालिमिर्ची और 10 किशमिश मिलाकर चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
कालिमिर्ची स्वाद तन्तु को उत्तेजित कर पाचनशक्ति बढाती हैं। आंतो में बनने वाली गैस को बनने से भी रोकती हैं।
गुड कालिमिर्ची पीसकर मिलाकर थोड़ा-थोड़ा रोजाना दिन में 3 बार खाएं और गर्म पानी पिएं।
पित्त, दौर्बल्य, नैत्रज्योतिवर्धक : चौथाई चम्मच पीसी कालिमिर्ची आधा चम्मच घी या मक्खन में मिलाकर चाटें जो इसके कड़वेपन के कारण नहीं खा सके वह इसमें मिश्री मिलाकर खा सकते हैं।
फुंसी, फोड़े कच्चे बिना पके, खुजली और दाद में उपरोक्त नुस्खे के साथ कालिमिर्ची पानी डालकर चटनी की तरह पीसकर लगाएं।
आधे सिर का वह दर्द जो की सूर्य उदय के साथ होता हो, इसमें कालिमिर्ची के 10 दाने और 2 चम्मच मिश्री को कुटपिसकर सुबह सूर्यौदय से पहले फांक लेने से लाभ होता हैं।
छुरी, चाक़ू से कटने पर घांव पर पानी डालकर साफ़ कर उस पर कालिमिर्ची का पाउडर छिड़कर दबा दें। खून बहना तत्काल रुक जायेगा। दर्द और इन्फेक्शन भी नहीं होंगे। क्योंकि कालिमिर्ची दर्द निवारक, एंटी बैक्टीरियल और एंटीसॉफ्टिक होती हैं। घाव पर कालिमिर्ची पाउडर से जलन भी नहीं होंगी।
एक परिवार में 5 व्यक्तियों के लिए चटनी का अनुपात मुनक्का 10, अदरक 10 ग्राम, लॉन्ग 5, तुलसी के पत्ते 20 और अपने टेस्ट के हिसाब से नमक, जीरा, कालिमिर्ची मिलाकर चटनी बनाकर हर तीसरे दिन खाते रहने से वर्षा ऋतू के दुष्प्रभाव से बचाव होता हैं।
चुटकीभर पीसी कालिमिर्ची एक चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 2 बार चाटें। इससे बुद्धि का विकास भी होगा।
30 ग्राम मक्खन या एक चम्मच घी में आटा कालिमिर्ची और शक्कर मिलाकर रोजाना चाटने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं। मस्तिष्क में तरावट आती हैं और बुद्धि प्रखर होती है। कमजोरी दूर होती हैं।
15 कालिमिर्ची, 2 बादाम, गिरी 5, मुनक्का 2 छोटी इलायची एक गुलाब का फूल आधा चम्मच पोस्ता के दाने सबको रात को एक कुल्ल्हड़ पानी से भरकर भिगो दें। सुबह सब को 250 ग्राम गर्म दूध में मिलाकर रोजाना कुछ महीनो तक पियें। इससे मस्तिष्क को तरावट मिलेगी थकान दूर होगी शक्ति बढ़ेगी।
12 कालिमिर्ची कूटकर घी में तलें। घी नितारकर इसमें गेहूं का आटा सेंक कर गुड या शकर डालकर हलुआ बनाकर उसमें तली हुई कालिमिर्ची डालकर सुबह शाम भोजन से पहले खाएं। चक्कर आना बंद हो जायेगा।
20 कालिमिर्ची गुलाबजल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाएं और सुबह गर्म पानी से धोयें। इससे की�� मुंहासे झूरिया साफ़ होकर चेहरा साफ़ होने लगता हैं।
5 कालिमिर्ची 10 तुलसी के पत्ते पीसकर शहद में मिलाकर 3 बार रोजाना चाटें।
इसमें 10 कालिमिर्ची पीसकर पानी से फांक लेने या खाने से लाभ होता हैं।
कालीमिर्च अलम्पित्त को ख़त्म करती हैं। 5 कालिमिर्ची का पाउडर प्याज और निम्बू का रस एक-एक चम्मच तीनो। तिन चम्मच पानी में मिलाकर एक बार रोजाना सुबह पियें। अलम्पित्त में फायदे होंगे। 
कालिमिर्ची का पाउडर घी शकर मिलाकर चौथाई चम्मच सुबह शाम लेने से शरीर बलवान रहता हैं।
10 कालिमिर्ची पीसकर एक ग्लास दूध में उबालकर मीठा डालकर पिने से पेट दर्द में लाभ होता हैं।
कालिमिर्ची, हींग, सोडा समान मात्रा में पिसलें। आधा-आधा चम्मच सुबह शाम गर्म पानी से फांक लें।
10 पीसी कालिमिर्ची, एक कप दंहि, जरा सा गुड मिलाकर रोजाना 2 बार खाने से नकसीर में लाभ होता हैं।
एक ग्लास दूध में चुटकी भर कालिमिर्ची और हल्दी डालकर उबालकर सोते समय गर्म-गर्म रोजाना पिएं।
10 कालिमिर्ची कूटकर एक ग्लास पानी में उबालकर गरारे करने से गला साफ़ हो जाता हैं, गले का दर्द, दांत दर्द, संक्रमण दूर हो जाता हैं।
जुकाम खांसी नाक बंद और एलर्जी हो तो सुबह शाम 5 साबुत कालिमिर्ची दांतों से अच्छी तरह चबाएं और एक ग्लास गुन-गुना दूध पियें। दूध में अदरक और तुलसी के पत्तो का रस मिला लें और पियें। ऐसा 5 दिन तक लगातार करें। इससे जुकाम और एलर्जी में जल्द ही आराम मिलता हैं।
12 कालिमिर्ची 3 ग्राम ब्राह्मी की पत्तियां पीसकर आधा ग्लास पानी में छानकर रोजाना 2 बार पिएं।
नैत्रज्योतिवर्धक (आंखों की रोशनी बढ़ाना) : कालिमिर्ची नैत्रज्योति बढ़ाती हैं, घी कालिमिर्ची, मिश्री मिलाकर चाटें।
पीसी हुई कालिमिर्ची घी में मिलाकर चांदनी रात में खुले स्थान में रखें। सुबह होने से पहले खुले स्थान में से हटाले यह आधा चम्मच रोजाना खाएं।
अनियमित मासिक धर्म : एक चम्मच शहद में पीसी हुई 5 कालिमिर्ची मिलाकर लगातार २ महीने तक चाटने से मासिकधर्म नियमित हो जाता हैं, अन्य दोष भी दूर हो जाते हैं।
बहुत बारीक पीसी हुई कालीमिर्ची 2 चम्मच, 3 चम्मच देसी घी में मिलाकर लकवा ग्रस्त अंगो पर लैप और मालिश 10 दिन तक करें।
कालिमिर्ची चबाने से मुंह का स्वाद ठीक हो जाता हैं, जी नहीं मचलाता हैं।
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sabkuchgyan · 4 years ago
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सर्दी की रात में होने वाली खांसी से बचाव कैसे करें, जानिए इन 3 तरीकों से
सर्दी की रात में होने वाली खांसी से बचाव कैसे करें, जानिए इन 3 तरीकों से
जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दी, जुकाम और खांसी होती है। कुछ लोग पूरे दिन स्वस्थ रहते हैं। रात में खांसी दिखाई देती है। नींद ठीक से नहीं होती है। इसके अलावा, सीने में दर्द दिखाई देता है।
यदि आपको खांसी या रात में खांसी है, तो इस दवा का उपयोग सोने के लिए करें।
1. गार्गल (कुल्ला):
रात को सोने जाने से पहले गर्म पानी से गार्गल या कुल्ला करें।
गरारे करने से गले में दर्द कम हो जाता है। कोई खांसी भी…
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gyanyognet-blog · 6 years ago
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Cumin seeds benefits for health
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Cumin seeds benefits for health
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जीरे के चमत्कारिक औषधीय गुण
वजन कम करने के साथ साथ यह बहुत सारी अन्य बीमारियां से भी बचता है, जैसे कोलेस्ट्रॉल कम करता है, हार्ट अटैक से बचता है, स्मरण शक्ति बढ़ता है, खून की कमी को ठीक करता है, पाचन तंत्र ठीक कर गैस और ऐठन ठीक करता है। कैसे 15 दिनों में वजन कम करने में मदद करता है।
मोटापा घटाए
दो चम्मच जीरा 1 ग्लास पानी में भींगाकर रात भर रख दें, सुबह इसे उबाल लें और गर्म चाय की तरह पिएँ. बचा हुआ जीरा चबा लें. इसके नियमित सेवन से अनावश्यक चर्बी खत्म हो जाती है पानी को पीने के बाद 1 घंटें तक कुछ न खाएं.
5 ग्राम दही में एक चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर रोज़ खाने से भी मोटापा कम होता है|
जीरे के साथ अदरक और नींबू का सेवन करने से जल्दी वजन कम होता है. अदरक को काट लें और गाजर के साथ अन्य सब्जियों को उबालें. इसमें जीरा पाउडर, नींबू और कटी हुई अदरक डालें. रात में इस सूप को पीने से वजन कम होगा|
भुनी हुई हींग, काला नमक और जीरा समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. इसे 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार दही के साथ लेने से भी मोटापा कम होता है. इससे शरीर में फालतू चर्बी तो निकलती ही है, साथ ही कोलेस्ट्रॉल भी घटता है और खून का परिसंचरण तेजी से होता है
3 ग्राम जीरे के पाउडर को पानी में मिला कर इसमें कुछ बूंदें शहद की मिला लें और इसे पीएं.
पाचन शक्ति बढाए
थोड़ा सी हींग, जीरा और काला नमक बराबर मात्रा में लें और उन सब को ग्राइन्ड कर लें। इसे दही के साथ खाए यह पाचन शक्ति बढाता है |
जीरा,सेंधा नमक,काली मिर्च,सौंठ और पीपल सबको समान मात्रा में लेकर पीस लें | इस चूर्ण को एक चम्मच भोजन के बाद ताजे पानी से लेने पर अपच में लाभ होता है |
सर्दी जुकाम से राहत
सर्दी जुकाम होने पर जीरे को अच्छी तरह से भून लें. इसे पोटली बनाकर समय-समय पर सूंघते रहें ऐसा करने से छींक आना बंद हो जाएगी|
हार्ट के मरीजो के लिए लाभदायक
जीरा कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही फैट को शरीर में बनने से रोकता है। इसलिए यह वजन कम करने में मदद करता है साथ ही हार्ट अटैक से भी बचाता है|
आयरन की कमी दूर करे
जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्त्रोत है नियम्मित रूप से जीरे का सेवन करने से खून की कमी दूर होती है। यह शरीर में ऑक्सीजन का सभी हिस्सों में पहुंचना सुचारु करता है
कब्ज में लाभ
कब्ज होने पर एक गिलास छाछ में काला नमक और भूना जीरा मिलाकर पी लें, ऐसा करने से कब्ज से राहत मिलेगी
त्वचा के लिए लाभदायक
किसी के चहरे पर कोई दाग-धब्बे, पिंपल या किसी प्रकार का कोई इंफेक्शन हो गया हो, तो थोड़ा-सा जीरा पीसकर किसी भी फेस पैक में मिलाकर लगा लें, जल्द से जल्द आराम मिलेगा।जीरे में मौजूद विटामिन ई चेहरे की त्वचा में कसाव लाता है, उसका निखार बढ़ाता है और आपको हमेशा जवान दिखने में मदद करता है। जब भी आप फेस पैक लगाएं उसके चुटकी भर जीरे का पाउडर मिला लें।
जीरा पाउडर, हल्दी और शहद को मिलाकर इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दे फिर मुह धो ले इससे त्वचा नर्म और उजली बनती है।
पेट दर्द व बदन दर्द से राहत
जीरे के चूर्ण को ३-३ ग्राम गर्म पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पेट के दर्द तथा बदन दर्द से छुटकारा मिलता है|
डायरिया में फ़ायदा
दही में भूना हुआ जीरा और काला नमक मिलाकर खाने से डायरिया में फायदा होता है
पांच ग्राम जीरे को भूनकर तथा पीसकर दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करने से दस्तों में लाभ होता है |
बालों के लिए लाभदायक
ऑलिव ऑयल में काला जीरा मिलाकर लगाने से बाल लम्बे व मजबूत होते है और रूसी से भी छुटकारा मिलता है।
एसिडिटी की समस्या दूर करे
जीरा,धनिया और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में मलाकर पीस लें | इस चूर्ण की २-२ चम्मच सुबह-शाम सादे पानी से लेने पर अम्लपित्त या एसिडिटी ठीक हो जाती है |
खुजली की समस्या दूर करे
खुजली की समस्या होने पर थोड़े से पानी में जीरा उबाल लें, फिर उसे छानकर नहाने वाले पाने में मिलाकर नहा लें|
भूख बढाए
आंवले के साथ जीरा, अजवाइन, और काला नमक मिलाकर खाने से भूख बढ़ती है. इससे दस्त में भी राहत मिलती है.
चहरे पर चमक लाये
पानी में जीरा उबाल लें. इसे छान लें. इस पानी से चेहरा साफ करने से चेहरे पर चमक आती है.
डायबिटीज में बचाव
नियमित रूप से जीरे का पानी पीने से ग्लूकोज़ लेवल भी कंट्रोल में रहता है। जिससे डायबिटीज़ का खतरा कम हो जाता है।
जी मिचलाना बंद करे
जी मिचलाने पर जीरे, नमक और नींबू के रस को मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से तुरत राहत मिलेगी। इसके अलावा लौंग, काली मिर्च और चीनी भी मिला कर खा सकते है|
दांत के दर्द में लाभ
दांतों में दर्द हो तो जीरा और सेंधा नमक को महीन पीस कर इस का पाउडर बना ले इस पाउडर से दांतों की मसाज करने से दर्द में राहत मिलेगी व मुंह की बदबू भी दूर होगी |
हाथों की खुजलाहट से राहत
जीरे की एक चुटकी से आप हाथों की खुजलाहट से निजात पा सकते है। थोड़े पानी में जीरे को उबालें और फिर उस पानी से अपने हाथ धो लें। इससे खुजली में तुरंत खुजली में आराम मिलेगा
पेट के कीड़े मारे
१५ ग्राम जीरे को ४०० मिली पानी में उबाल लें | १��० ग्राम शेष रह जाये तब २०-४० मिली की मात्रा में प्रातः-सांय पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
डिलीवरी के बाद लाभदायक
डिलीवरी के बाद जीरे का पानी पीना बहुत लाभदायक होता है इससे वजन भी नही बढ़ता है|
जीरे के नुकसान
अत्यधिक जीरा खाने से भी गैस व डकार की समस्या भी हो सकती है |
जीरे में मौजूद तेल अत्‍यधिक अस्थिर होने के कारण, अधिक लंबे समय तक जीरे के अधिक मात्रा में इस्‍तेमाल करने से यह लीर और किडनी को नुकसान पहुंचाता सकता है|
गर्भवती महिलाओं को जीरे का सेवन नही करना चाहिए ज्‍यादा मात्रा में जीरे का सेवन करने से गर्भपात या समय से पहले डिलीवरी होने की आंशका बढ़ जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को जीरे के अधिक सेवन से बचना चाहिए।
जीरा में मादक गुण मौजूद होते हैं। इसलिए जीरे का ज्यादा सेवन नही करना चाहिए, क्‍योंकि यह नशे की लत बन सकता है।
अत्यधिक मात्रा में ज्यादा जीरा का उपयोग करने से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्त श्राव का सामना करना पड़ सकता है
अधिक मात्रा में जीरे का सेवन करने से शरीर में ब्‍लड शुगर का स्‍तर कम होने लगता है।
डायबिटीज रोगियों को अपने ब्‍लड शुगर के स्‍तर को नियंत्रण में रखने के लिए जीरे का अत्यधिक मात्रा में सेवन नही करना चाहिए
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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क्या गर्मी में कोरोना का खतरा कम हो जाएगा या नॉनवेज खाने से यह वायरस फैलेगा? यहां देखें कोरोना से संबंधित सभी सवालों के जवाब
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चैतन्य भारत न्यूज भारत में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। देश में अब तक कोरोना वायरस की चपेट में करीब 300 लोग आ गए हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को दे��भर में 'जनता कर्फ्यू' की अपील की है। कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दैनिक भास्कर समूह से बातचीत के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित कई सवालों के जवाब दिए हैं। आइए जानते हैं- (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); ज्यादातर लोगों का यही सवाल है कि क्या जनता कर्फ्यू से कोरोना वायरस का संक्रमण रुकेगा? इसका जवाब देते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह उस दिशा में एक कदम है कि हमें कैसे घर पर रहना है। अगर हम लोगों को कई दिन तक घर पर रहने के लिए कहे तो वे इसके लिए भी तैयार रहें। खुले वातावरण, सतह पर लगे वायरस के संक्रमण पर भी कुछ हद तक काबू पाया जा सकेगा। क्या वायरस गर्मी आने पर खत्म हो जाएगा? इसके जवाब में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कम तापमान के दौरान वायरस वातावरण में अधिक देर तक जीवित रहता है। गर्मी आने से वायरस कम समय तक जीवित रहेगा। इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी कम हो जाएगा। क्या कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए 1 दिन का बंद पर्याप्त है? इसके जवाब में उन्होंने कहा- नहीं सतह से भले वायरस खत्म हो जाए लेकिन यदि संक्रमित व्यक्ति एक दिन के बंद के बाद बाहर आता है तो वह कई लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि पूरे ठीक होने तक संक्रमित व्यक्ति घर में ही रहे। वायरस से बेहतर बचाव का तरीका बताते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा, सोशल दूरी और बार-बार हाथ धोना इसका सबसे अच्छा विकल्प है। किसी के फासले पर ड्रॉपलेट इंफेक्शन होता है तो 1 से 2 मीटर दूरी तक जाता है। संक्रमित व्यक्ति मुंह पर हाथ लगाता है तो वह उसके हाथ से किसी सतह, जगह को संक्रमित करता है। जब अन्य व्यक्ति संक्रमित वाले से हाथ मिलाता है या फिर संक्रमित सतह छूकर मुंह, नाक छूता है तो वह उसमें भी आ जाता है। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि मोबाइल, फोन, रिमोट, स्विच, दरवाजे के हैंडल की सतह पर भी वायरस लग सकते हैं। ऐसे सामान की सतह पर वायरस जिंदा रहता है इसलिए इसे भी साफ करना बेहद जरूरी है। कोरोना वायरस नॉनवेज खाने से नहीं फैलता है। लेकिन डॉ. गुलेरिया का कहना है कि जो भी नॉनवेज खा रहें है वह पहले उसे पूरी तरह से पका लें और फिर ही खाएं। डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कोरोनावायरस फिलहाल भारत में दूसरी स्टेज पर है और हमें इसे कम्यूनिट संक्रमण वाली तीसरे स्टेज में जाने से रोकना है। ये भी पढ़े... Coronavirus: सरकार ने बताया कोरोना वायरस से कैसे बचें? जानें क्या करें और क्या ना करें  आम सर्दी-जुकाम से कितने अलग होते हैं कोरोना वायरस के लक्षण? जानिए कैसे पता करें अंतर कोरोना से बचने के लिए घर पर ही बना सकते हैं सैनेटाइजर जेल, इस विधि से करें तैयार Read the full article
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margdarsanme · 4 years ago
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 14 Pahalwan ki Dholak
NCERT Class 12 Hindi Chapter 14 :: Pahalwan ki Dholak
(पहलवान की ढोलक)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्ट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।उत्तर:कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में अद्भुत तालमेल था। ढोल बजते ही लुट्टन की रगों में खून दौड़ने लगता था। उसे हर थाप में नए दाँव-पेंच सुनाई पड़ते थे। ढोल की आवाज उसे साहस प्रदान करती थी। ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में निम्नलिखित तालमेल था
धाक-धिना, तिरकट तिना – दाँव काटो, बाहर हो जाओ।
चटाक्र-चट्-धा – उठा पटक दे।
धिना-धिना, धिक-धिना — चित करो, चित करो।
ढाक्र-ढिना – वाह पट्ठे।
चट्-गिड-धा – मत डरना। ये ध्वन्यात्मक शब्द हमारे मन में उत्साह का संचार करते हैं।
प्रश्न 2.कहानी के किस-किस मोड़ पर लुटेन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए? (CBSE-2008)उत्तर:लुट्न पहलवान का जीवन उतार-चढ़ावों से भरपूर रहा। जीवन के हर दुख-सुख से उसे दो-चार होना पड़ा। सबसे पहले उसने चाँद सिंह पहलवान को हराकरे राजकीय पहलवान का दर्जा प्राप्त किया। फिर काला खाँ को भी परास्त कर अपनी धाक आसपास के गाँवों में स्थापित कर ली। वह पंद्रह वर्षों तक अजेय पहलवान रहा। अपने दोनों बेटों को भी उसने राजाश्रित पहलवान बना दिया। राजा के मरते ही उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। विलायत से राजकुमार ने आते ही पहलवान और उसके दोनों बेटों को राजदरबार से अवकाश दे दिए। गाँव में फैली बीमारी के कारण एक दिन दोनों बेटे चल बसे। एक दिन पहलवान भी चल बसा और उसकी लाश को सियारों ने खा लिया। इस प्रकार दूसरों को जीवन संदेश देने वाला पहलवान स्वयं खामोश हो गया।
प्रश्न 3.लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है? (CBSE-2008, 2009)उत्तर:पहलवान ने ढोल को अपना गुरु माना और एकलव्य की भाँति हमेशा उसी की आज्ञा का अनुकरण करता रहा। ढोल को ही उसने अपने बेटों का गुरु बनाकर शिक्षा दी कि सदा इसको मान देना। ढोल लेकर ही वह राज-दरबार से रुखसत हुआ। ढोल बजा-बजाकर ही उसने अपने अखाड़े में बच्चों-लड़कों को शिक्षा दी, कुश्ती के गुर सिखाए। ढोल से ही उसने गाँव वालों को भीषण दुख में भी संजीवनी शक्ति प्रदान की थी। ढोल के सहारे ही बेटों की मृत्यु का दुख पाँच दिन तक दिलेरी से सहन किया और अंत में वह भी मर गया। यह सब देखकर लगता है कि उसका ढोल उसके जीवन का संबल, जीवन-साथी ही था।
प्रश्न 4.गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा? (CBSE-2009, 2011, 2015)उत्तर:ढोलक की आवाज़ सुनकर लोगों में जीने की इच्छा जाग उठती थी। पहलवान नहीं चाहता था कि उसके गाँव का कोई आदमी अपने संबंधी की मौत पर मायूस हो जाए। इसलिए वह ढोल बजाता रहा। वास्तव में ढोल बजाकर पहलवान ने अन्य ग्रामीणों को जीने की कला सिखाई। साथ ही अपने बेटों की अकाल मृत्यु के दुख को भी वह कम करना चाहता था।
प्रश्न 5.ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था�� (CBSE-2008, 2012, 2015)अथवापहलवान की ढोलक की उठती गिरती आवाज़ बीमारी से दम तोड़ रहे ग्रामवासियों में संजीवनी का संचार कैसे करती है? (CBSE-2013)उत्तरमहामारी की त्रासदी से जूझते हुए ग्रामीणों को ढोलक की आवाज संजीवनी शक्ति की तरह मौत से लड़ने की प्रेरणा देती थी। यह आवाज बूढ़े-बच्चों व जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य उपस्थित कर देती थी। उनकी स्पंदन शक्ति से शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। ठीक है कि ढोलक की आवाज में बुखार को दूर करने की ताकत न थी, पर उसे सुनकर मरते हुए प्राणियों को अपनी आँखें मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी। उस समय वे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आवाज गाँव वालों को मृत्यु से लड़ने की प्रेरणा देती थी।
प्रश्न 6.महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था? (CBSE-2008)उत्तर:महामारी ने सारे गाँव को बुरी तरह से प्रभावित किया था। लोग सुर्योदय होते ही अपने मृत संबंधियों की लाशें उठाकर गाँव के श्मशान की ओर जाते थे ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके। सूर्यास्त होते ही सारे गाँव में मातम छा जाता था। किसी न किसी बच्चे, बूढ़े अथवा जवान के मरने की खबर आग की तरह फैल जाती थी। सारा गाँव श्मशान घाट बन चुका था।
प्रश्न 7.कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वाराविशेष सम्मान दिया जाता था।(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?उत्तर:(क) कुश्ती या दंगल पहले लोगों व राजाओं के प्रिय शौक हुआ करते थे। राजा पहलवानों को सम्मान देते थे, परंतु आज स्थिति बदल गई है। अब पहले की तरह राजा नहीं रहे। दूसरे, मनोरंजन के अनेक साधन प्रचलित हो गए हैं।
(ख) कुश्ती की जगह अब अनेक आधुनिक खेल प्रचलन में हैं; जैसे-क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज, फुटबॉल आदि।
(ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा सकती साथ-साथ पहलवानों को उचित प्रशिक्षण तथा कुश्ती को बढ़ावा देने हेतु मीडिया का सहयोग लिया जा सकता है।
प्रश्न 8.आंशय स्पष्ट करें आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।उत्तर:लेखक ने इस कहानी में कई जगह प्रकृति का मानवीकरण किया है। यह गद्यांश भी प्रकृति का मानवीकरण ही है। यहाँ लेखक के कहने का आशय है कि जब सारा गाँव मातम और सिसकियों में डूबा हुआ था तो आकाश के तारे भी गाँव की दुर्दशा पर आँसू बहाते प्रतीत होते हैं। क्योंकि आकाश में चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। यदि कोई तारा अपने मंडल से टूटकर पृथ्वी पर फैले दुख को बाँटने आता भी था तो वह रास्ते में विलीन (नष्ट) हो जाता था। अर्थात् वह पृथ्वी तक पहुँच नहीं पाता था। अन्य सभी तारे उसकी इस भावना को नहीं समझते थे। वे तो केवल उसका मजाक उड़ाते थे और उस पर हँस देते थे।
प्रश्न 9.पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।उत्तर:मानवीकरण के अंश
औधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।आशय-रात का मानवीकरण किया गया है। ठंड में ओस रात के आँसू जैसे प्रतीत होते हैं। वे ऐसे लगते हैं मानो गाँव वालों की पीड़ा पर रात आँसू बहा रही है।
तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। आशय-तारों को हँसते हुए दिखाकर उनका मानवीकरण किया गया है। वे मजाक उड़ाते प्रतीत होते हैं।
ढोलक लुढ़की पड़ी थी। आशय-यहाँ पहलवान की मृत्यु का वर्णन है। पहलवान व ढोलक का गहरा संबंध है। ढोलक का बजना पहलवान के जीवन का पर्याय है।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप ऐसी किसी अन्य आपद स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे/करेंगी?उत्तर:पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति का चित्रण किया गया है। आजकल ‘स्वाइन फ्लू’ जैसी बीमारी से आम जनता में दहशत है। मैं ऐसी स्थिति में निम्नलिखित कार्य करूंगा
लोगों को स्वाइन फ्लू के विषय में जानकारी दूँगा।
स्वाइन फ्लू के रोगियों को उचित इलाज करवाने की सलाह दूँगा।
जुकाम व बुखार के रोगियों को घर में रहने तथा मास्क लगाने का परामर्श दूँगा।
मरीजों की जाँच में सहायता करूंगा।
प्रश्न 2.ढोलक की थाप मृत गाँव में संजीवनी भरती रहती थी-कला और जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए।उत्तर:कला और जीवन का गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। कला जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना रहे इसके लिए कला बहुत ज़रूरी है। यह कई रूपों में हमारे सामने आती है; जैसे नृत्य कला, संगीत कला, चित्रकला आदि। कला जीवन की प्राण शक्ति है। कला के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी लगता है।
प्रश्न 3.चर्चा करें – कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है।उत्तर:कलाएँ सरकारी सहायता से नहीं फलतीं-फूलतीं। ये कलाकार के निष्ठाभाव, मेहनत व समर्पण से विकसित होती हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.हर विषय, क्षेत्र, परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं। पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए। साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोई पाँच-पाँच शब्द बताइए –चिकित्सा, क्रिकेट, न्यायालय, या अपनी पसंद का कोई क्षेत्रउत्तर:
चिकित्सा – अस्पताल, नर्स, डॉक्टर, टीका, पथ्य, औषधि, जाँच।
क्रिकेट – बैट, गेंद, विकेट, छक्का, चौका, क्लीन बोल्ड।
न्यायालय – जज, वकील, नोटिस, जमानत, अपील, साक्षी, केस।
शिक्षा – पुस्तक, अध्यापक, विद्यार्थी, स्कूल, बोर्ड, पुस्तकालय।
पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली सूची कसरत, धुन, थाप, दांवपेंच, पठान, पहलवान, बच्चू, शेर का बच्चा, चित, दाँव काटो, मिट्टी के शेर, चारों खाने चित, आली आदि।
प्रश्न 2.पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सर्जनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवतः वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं –
फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा।
राजा साहेब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।
पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।
उत्तर:उसकी पहलवानी के किस्से दूर-दराज के गाँवों में मशहूर थे। अच्छे से अच्छा पहलवान भी उससे हार जाता। यदि कोई उसे ललकारने की हिम्मत करता तो वह उस पर बाज की तरह टूट पड़ता। उसकी पहलवानी के चर्चे राजा साहब के कानों तक भी पहुँची। राजा साहब ने उसकी पहलवानी पर प्रसन्न होकर उसे नकद इनाम दिया और आजीवन राजमहल में ���ख लिया। इस प्रकार राजा, साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिधि में चार चाँद लगा दिए। वह और अधिक मन लगाकर पहलवानी करने लगा। पहलवान की स्त्री ने उसी जैसे दो पहलवान बेटों को पैदा किया। दुर्भाग्य से वह स्वर्ग सिधार गई। इन दोनों बेटों को भी उसने दंगल में उतारने का निर्णय ले लिया। उसके दोनों बेटों ने भी अपने बाप की लाज रखी।
प्रश्न 3.जैसे क्रिकेट में कमेंट्री की जाती है वैसे ही कुश्ती की कमेंट्री की गई है? आपको दोनों में क्या समानता और अंतर – दिखाई पड़ता है?उत्तर:
क्रिकेट में बल्लेबाज, क्षेत्ररक्षण व गेंदबाजी का वर्णन होता है, जबकि कुश्ती में दाँव-पेंच का।
क्रिकेट में स्कोर बताया जाता है, जबकि कुश्ती में चित या पट का।
कुश्ती में प्रशिक्षित कमेंटेटर निश्चित नहीं होते, जबकि क्रिकेट में प्रशिक्षित कमेंटेटर होते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.क्या यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बनाती है?उत्तर:यह कहानी निर्विवाद रूप से रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बना देती है। ग्रामीण अंचल का इतना यथार्थ और मार्मिक चित्रण पहले शायद नहीं हुआ। ग्रामीण लोक कलाएँ किस तरह विलुप्त होती जा रही हैं इसका चित्रण उन्होंने किया है। यह कहानी पुरानी सत्तात्मक व्यवस्था के टूटने के साथ-साथ लोक कलाओं में आ रही रुकावट का चित्रण करती है। बदलते ग्रामीण परिवेश का यथार्थ अंकन करती यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकारों की श्रेणी में खड़ा कर देती है।
प्रश्न 2.लुट्टन पहलवान की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में लिखिए।उत्तर:लुट्टन के माता-पिता की मृत्यु नौ साल में ही हो चुकी थी। उसकी शादी हो चुकी थी। उसकी विधवा सास ने उसे पाला और पोसा। वह अपनी सास के यहाँ कसरत करते-करते बड़ा हो गया। इसी कारण वह पहलवानी में जोर आजमाइश करने लगा।
प्रश्न 3.गाँव में फैली बीमारी से उत्पन्न गाँव की दशा का चित्रण कहानीकार ने किस प्रकार किया है? (CBSE-2008)उत्तर:गाँव में महामारी ने पाँव पसार लिए थे। चारों ओर मौत का भयानक तांडव फैला था। रेणु’ लिखते हैं कि सियारों का क्रंदन और चेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़ ‘हरे राम, हे भगवान! की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे।
प्रश्न 4.जब मैनेजर और सिपाहियों ने लुट्टन पहलवान को चाँद सिंह से लड़ने से मना कर दिया तो लुट्टन ने क्या कहा?उत्तर:मैनेजर और सिपाहियों की बातें सुनकर लुट्न सिंह गिड़गिड़ाने लगा। वह राजा साहब के सामने जा खड़ा हुआ। उसने कहा दुहाई सरकार, पत्थर पर माथा पटककर मर जाऊँगा लेकिन लडूंगा अवश्य सरकार, वह कहने लगा-लड़ेंगे सरकार हुकुम हो सरकार।
प्रश्न 5.कहानी की संवाद योजना कैसी है? बताइए।उत्तर:फणीश्वर नाथ रेणु’ की सभी कहानियों में संवाद योजना देखते ही बनती है। उनकी संवाद योजना चुस्त, सार्थक और प्रभाव उत्पन्न करने वाली है। संवादों के माध्यम से कहानीकार ने पात्रों की मानसिक और चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कर दिया है। लुट्न पहलवान की मन:स्थिति का अंकन निम्न संवाद में हुआ है“दुकानदारों को चुहल करने की सूझती। हलवाई अपनी दुकान पर बुलाता-“पहलवान काका। ताजा रसगुल्ला बना है, जरा नाश्ता कर लो पहलवान बच्चों की-सी स्वाभाविक हँसी हँसकर कहता “अरे तनी मनी काहे। ले आव डेढ़ सेर और बैठ जाता” राजा साहब की विशेषता का उल्लेख इस संवाद में हुआ है।” राजा साहब दस रुपए का नोट देकर कहने लगे-जाओ मेला देखकर घर जाओ… “नहीं, सरकार लड़ेंगे हुकुम हो सरकार।
प्रश्न 6.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के संदेश को स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2016)उत्तर:‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में व्यवस्था के बदलने के साथ लोककला व इसके कलाकार के अप्रासांगिक हो जाने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एक दम नयी व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकर के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हायतौबा करने वाली निरीहता की भूमि पर पटक देती है।
प्रश्न 7.राजा साहब ने लुट्टन को क्यों सहारा दिया था? अंत में उसकी दुर्गति होने का क्या कारण था? (CBSE-2016)अथवापहलवान लुट्टन सिंह को राजा साहब की कृपादृष्टि कब प्राप्त हुई ? वह उन सुविधाओं से वंचित कैसे हो गया? (CBSE-2011)उत्तर:लुट्टन ने बचपन से ही कुश्ती सीखी। उसने चाँद पहलवान को हरा दिया। श्यामनगर के मेले के दंगल में उसने यह चमत्कार दिखाया। राजा साहब ने उसे आश्रय दिया। इसके बाद उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। अब वह दर्शनीय जीव बन गया था। पंद्रह साल तक वह राजदरबार में रहा। उसने दोनों बेटों को भी पहलवानी में उतारा। राजा साहब के मरने के बाद नए राजा को घुड़सवारी में रुचि थी। उसने पहलवान व उसके बेटों को राजदरबार से निकाल दिया। अब वह गाँव आकर रहने लगा। यहाँ उसे भोजन भी मुश्किल से मिलना था। महामारी ने उसके बेटों को लील लिया। उनके चार-पाँच दिन बाद वह भी मर गया।
प्रश्न 8.लुट्टन से राज पहलवान लुट्टन सिंह बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए? (CBSE-2009, 2010, 2011, 2015)अथवापहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिनों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (CBSE-2009)उत्तर:लुट्टन की कीर्ति राज पहलवान बन जाने के बाद दूर-दूर तक फैल गई। राजा ने उसे दरबार में रखा। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि से उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोगा पहनकर अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।
प्रश्न 9.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर बताइए कि महामारी फैलने पर चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा कैसी हो जाती थी। पहलवान की ढोलक उनकी सहायता किस प्रकार करती थी? (CBSE 2010)उत्तर:महामारी फैलने पर गाँव में चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा दयनीय हो जाती थी। लोग दिन भर खाँसते कराहते रहते थे। रोज दो-चार व्यक्ति मरते थे। दवाओं के अभाव में उनकी मृत्यु निश्चित थी। शरीर में शक्ति नहीं रहती थी। पहलवान की ढोलक मृतप्राय शरीरों में आशा व जीवंतता भरती थी। वह संजीवनी शक्ति का कार्य करती थी।
प्रश्न 10.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए। ( सैंपल पेपर-2015)उत्तर:‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में पुरानी और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया है। पुरानी व्यवस्था में राजदरबार लोक कलाकारों को संरक्षण प्रदान करता था। उनके सहारे ये जीवित रहते थे, परंतु नई व्यवस्था में विलायती दृष्टिकोण को अपनाया गया। लोक कलाकार हाशिए पर चले गए।
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margdarsanme · 4 years ago
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 14 Pahalwan ki Dholak
NCERT Class 12 Hindi Chapter 14 :: Pahalwan ki Dholak
(पहलवान की ढोलक)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.कुश्ती के समय ढोल की आवाज़ और लुट्ट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज़ आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।उत्तर:कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में अद्भुत तालमेल था। ढोल बजते ही लुट्टन की रगों में खून दौड़ने लगता था। उसे हर थाप में नए दाँव-पेंच सुनाई पड़ते थे। ढोल की आवाज उसे साहस प्रदान करती थी। ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में निम्नलिखित तालमेल था
धाक-धिना, तिरकट तिना – दाँव काटो, बाहर हो जाओ।
चटाक्र-चट्-धा – उठा पटक दे।
धिना-धिना, धिक-धिना — चित करो, चित करो।
ढाक्र-ढिना – वाह पट्ठे।
चट्-गिड-धा – मत डरना। ये ध्वन्यात्मक शब्द हमारे मन में उत्साह का संचार करते हैं।
प्रश्न 2.कहानी के किस-किस मोड़ पर लुटेन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए? (CBSE-2008)उत्तर:लुट्न पहलवान का जीवन उतार-चढ़ावों से भरपूर रहा। जीवन के हर दुख-सुख से उसे दो-चार होना पड़ा। सबसे पहले उसने चाँद सिंह पहलवान को हराकरे राजकीय पहलवान का दर्जा प्राप्त किया। फिर काला खाँ को भी परास्त कर अपनी धाक आसपास के गाँवों में स्थापित कर ली। वह पंद्रह वर्षों तक अजेय पहलवान रहा। अपने दोनों बेटों को भी उसने राजाश्रित पहलवान बना दिया। राजा के मरते ही उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। विलायत से राजकुमार ने आते ही पहलवान और उसके दोनों बेटों को राजदरबार से अवकाश दे दिए। गाँव में फैली बीमारी के कारण एक दिन दोनों बेटे चल बसे। एक दिन पहलवान भी चल बसा और उसकी लाश को सियारों ने खा लिया। इस प्रकार दूसरों को जीवन संदेश देने वाला पहलवान स्वयं खामोश हो गया।
प्रश्न 3.लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है? (CBSE-2008, 2009)उत्तर:पहलवान ने ढोल को अपना गुरु माना और एकलव्य की भाँति हमेशा उसी की आज्ञा का अनुकरण करता रहा। ढोल को ही उसने अपने बेटों का गुरु बनाकर शिक्षा दी कि सदा इसको मान देना। ढोल लेकर ही वह राज-दरबार से रुखसत हुआ। ढोल बजा-बजाकर ही उसने अपने अखाड़े में बच्चों-लड़कों को शिक्षा दी, कुश्ती के गुर सिखाए। ढोल से ही उसने गाँव वालों को भीषण दुख में भी संजीवनी शक्ति प्रदान की थी। ढोल के सहारे ही बेटों की मृत्यु का दुख पाँच दिन तक दिलेरी से सहन किया और अंत में वह भी मर गया। यह सब देखकर लगता है कि उसका ढोल उसके जीवन का संबल, जीवन-साथी ही था।
प्रश्न 4.गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा? (CBSE-2009, 2011, 2015)उत्तर:ढोलक की आवाज़ सुनकर लोगों में जीने की इच्छा जाग उठती थी। पहलवान नहीं चाहता था कि उसके गाँव का कोई आदमी अपने संबंधी की मौत पर मायूस हो जाए। इसलिए वह ढोल बजाता रहा। वास्तव में ढोल बजाकर पहलवान ने अन्य ग्रामीणों को जीने की कला सिखाई। साथ ही अपने बेटों की अकाल मृत्यु के दुख को भी वह कम करना चाहता था।
प्रश्न 5.ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था। (CBSE-2008, 2012, 2015)अथवापहलवान की ढोलक की उठती गिरती आवाज़ बीमारी से दम तोड़ रहे ग्रामवासियों में संजीवनी का संचार कैसे करती है? (CBSE-2013)उत्तरमहामारी की त्रासदी से जूझते हुए ग्रामीणों को ढोलक की आवाज संजीवनी शक्ति की तरह मौत से लड़ने की प्रेरणा देती थी। यह आवाज बूढ़े-बच्चों व जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य उपस्थित कर देती थी। उनकी स्पंदन शक्ति से शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। ठीक है कि ढोलक की आवाज में बुखार को दूर करने की ताकत न थी, पर उसे सुनकर मरते हुए प्राणियों को अपनी आँखें मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी। उस समय वे मृत्यु से नहीं डरते थे। इस प्रकार ढोलक की आवाज गाँव वालों को मृत्यु से लड़ने की प्रेरणा देती थी।
प्रश्न 6.महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था? (CBSE-2008)उत्तर:महामारी ने सारे गाँव को बुरी तरह से प्रभावित किया था। लोग सुर्योदय होते ही अपने मृत संबंधियों की लाशें उठाकर गाँव के श्मशान की ओर जाते थे ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके। सूर्यास्त होते ही सारे गाँव में मातम छा जाता था। किसी न किसी बच्चे, बूढ़े अथवा जवान के मरने की खबर आग की तरह फैल जाती थी। सारा गाँव श्मशान घाट बन चुका था।
प्रश्न 7.कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वाराविशेष सम्मान दिया जाता था।(क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?(ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?उत्तर:(क) कुश्ती या दंगल पहले लोगों व राजाओं के प्रिय शौक हुआ करते थे। राजा पहलवानों को सम्मान देते थे, परंतु आज स्थिति बदल गई है। अब पहले की तरह राजा नहीं रहे। दूसरे, मनोरंजन के अनेक साधन प्रचलित हो गए हैं।
(ख) कुश्ती की जगह अब अनेक आधुनिक खेल प्रचलन में हैं; जैसे-क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज, फुटबॉल आदि।
(ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा सकती साथ-साथ पहलवानों को उचित प्रशिक्षण तथा कुश्ती को बढ़ावा देने हेतु मीडिया का सहयोग लिया जा सकता है।
प्रश्न 8.आंशय स्पष्ट करें आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।उत्तर:लेखक ने इस कहानी में कई जगह प्रकृति का मानवीकरण किया है। यह गद्यांश भी प्रकृति का मानवीकरण ही है। यहाँ लेखक के कहने का आशय है कि जब सारा गाँव मातम और सिसकियों में डूबा हुआ था तो आकाश के तारे भी गाँव की दुर्दशा पर आँसू बहाते प्रतीत होते हैं। क्योंकि आकाश में चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। यदि कोई तारा अपने मंडल से टूटकर पृथ्वी पर फैले दुख को बाँटने आता भी था तो वह रास्ते में विलीन (नष्ट) हो जाता था। अर्थात् वह पृथ्वी तक पहुँच नहीं पाता था। अन्य सभी तारे उसकी इस भावना को नहीं समझते थे। वे तो केवल उसका मजाक उड़ाते थे और उस पर हँस देते थे।
प्रश्न 9.पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।उत्तर:मानवीकरण के अंश
औधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।आशय-रात का मानवीकरण किया गया है। ठंड में ओस रात के आँसू ज��से प्रतीत होते हैं। वे ऐसे लगते हैं मानो गाँव वालों की पीड़ा पर रात आँसू बहा रही है।
तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। आशय-तारों को हँसते हुए दिखाकर उनका मानवीकरण किया गया है। वे मजाक उड़ाते प्रतीत होते हैं।
ढोलक लुढ़की पड़ी थी। आशय-यहाँ पहलवान की मृत्यु का वर्णन है। पहलवान व ढोलक का गहरा संबंध है। ढोलक का बजना पहलवान के जीवन का पर्याय है।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप ऐसी किसी अन्य आपद स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे/करेंगी?उत्तर:पाठ में मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति का चित्रण किया गया है। आजकल ‘स्वाइन फ्लू’ जैसी बीमारी से आम जनता में दहशत है। मैं ऐसी स्थिति में निम्नलिखित कार्य करूंगा
लोगों को स्वाइन फ्लू के विषय में जानकारी दूँगा।
स्वाइन फ्लू के रोगियों को उचित इलाज करवाने की सलाह दूँगा।
जुकाम व बुखार के रोगियों को घर में रहने तथा मास्क लगाने का परामर्श दूँगा।
मरीजों की जाँच में सहायता करूंगा।
प्रश्न 2.ढोलक की थाप मृत गाँव में संजीवनी भरती रहती थी-कला और जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए।उत्तर:कला और जीवन का गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। कला जीवन को जीने का ढंग सिखाती है। व्यक्ति का जीवन आनंदमय बना रहे इसके लिए कला बहुत ज़रूरी है। यह कई रूपों में हमारे सामने आती है; जैसे नृत्य कला, संगीत कला, चित्रकला आदि। कला जीवन की प्राण शक्ति है। कला के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी लगता है।
प्रश्न 3.चर्चा करें – कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है।उत्तर:कलाएँ सरकारी सहायता से नहीं फलतीं-फूलतीं। ये कलाकार के निष्ठाभाव, मेहनत व समर्पण से विकसित होती हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1.हर विषय, क्षेत्र, परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं। पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए। साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले कोई पाँच-पाँच शब्द बताइए –चिकित्सा, क्रिकेट, न्यायालय, या अपनी पसंद का कोई क्षेत्रउत्तर:
चिकित्सा – अस्पताल, नर्स, डॉक्टर, टीका, पथ्य, औषधि, जाँच।
क्रिकेट – बैट, गेंद, विकेट, छक्का, चौका, क्लीन बोल्ड।
न्यायालय – जज, वकील, नोटिस, जमानत, अपील, साक्षी, केस।
शिक्षा – पुस्तक, अध्यापक, विद्यार्थी, स्कूल, बोर्ड, पुस्तकालय।
पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली सूची कसरत, धुन, थाप, दांवपेंच, पठान, पहलवान, बच्चू, शेर का बच्चा, चित, दाँव काटो, मिट्टी के शेर, चारों खाने चित, आली आदि।
प्रश्न 2.पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सर्जनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों, वाक्यांशों के स्थान पर किन्हीं अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवतः वह अर्थगत चमत्कार और भाषिक सौंदर्य उद्घाटित न हो सके। कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं –
फिर बाज की तरह उस पर टूट पड़ा।
राजा साहेब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए।
पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।
उत्तर:उसकी पहलवानी के किस्से दूर-दराज के गाँवों में मशहूर थे। अच्छे से अच्छा पहलवान भी उससे हार जाता। यदि कोई उसे ललकारने की हिम्मत करता तो वह उस पर बाज की तरह टूट पड़ता। उसकी पहलवानी के चर्चे राजा साहब के कानों तक भी पहुँची। राजा साहब ने उसकी पहलवानी पर प्रसन्न होकर उसे नकद इनाम दिया और आजीवन राजमहल में रख लिया। इस प्रकार राजा, साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिधि में चार चाँद लगा दिए। वह और अधिक मन लगाकर पहलवानी करने लगा। पहलवान की स्त्री ने उसी जैसे दो पहलवान बेटों को पैदा किया। दुर्भाग्य से वह स्वर्ग सिधार गई। इन दोनों बेटों को भी उसने दंगल में उतारने का निर्णय ले लिया। उसके दोनों बेटों ने भी अपने बाप की लाज रखी।
प्रश्न 3.जैसे क्रिकेट में कमेंट्री की जाती है वैसे ही कुश्ती की कमेंट्री की गई है? आपको दोनों में क्या समानता और अंतर – दिखाई पड़ता है?उत्तर:
क्रिकेट में बल्लेबाज, क्षेत्ररक्षण व गेंदबाजी का वर्णन होता है, जबकि कुश्ती में दाँव-पेंच का।
क्रिकेट में स्कोर बताया जाता है, जबकि कुश्ती में चित या पट का।
कुश्ती में प्रशिक्षित कमेंटेटर निश्चित नहीं होते, जबकि क्रिकेट में प्रशिक्षित कमेंटेटर होते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.क्या यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बनाती है?उत्तर:यह कहानी निर्विवाद रूप से रेणु’ को आंचलिक कहानीकार बना देती है। ग्रामीण अंचल का इतना यथार्थ और मार्मिक चित्रण पहले शायद नहीं हुआ। ग्रामीण लोक कलाएँ किस तरह विलुप्त होती जा रही हैं इसका चित्रण उन्होंने किया है। यह कहानी पुरानी सत्तात्मक व्यवस्था के टूटने के साथ-साथ लोक कलाओं में आ रही रुकावट का चित्रण करती है। बदलते ग्रामीण परिवेश का यथार्थ अंकन करती यह कहानी रेणु’ को आंचलिक कहानीकारों की श्रेणी में खड़ा कर देती है।
प्रश्न 2.लुट्टन पहलवान की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में लिखिए।उत्तर:लुट्टन के माता-पिता की मृत्यु नौ साल में ही हो चुकी थी। उसकी शादी हो चुकी थी। उसकी विधवा सास ने उसे पाला और पोसा। वह अपनी सास के यहाँ कसरत करते-करते बड़ा हो गया। इसी कारण वह पहलवानी में जोर आजमाइश करने लगा।
प्रश्न 3.गाँव में फैली बीमारी से उत्पन्न गाँव की दशा का चित्रण कहानीकार ने किस प्रकार किया है? (CBSE-2008)उत्तर:गाँव में महामारी ने पाँव पसार लिए थे। चारों ओर मौत का भयानक तांडव फैला था। रेणु’ लिखते हैं कि सियारों का क्रंदन और चेचक की डरावनी आवाज़ कभी-कभी निस्तब्धता को अवश्य भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज़ ‘हरे राम, हे भगवान! की टेर अवश्य सुनाई पड़ती थी। बच्चे कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे।
प्रश्न 4.जब मैनेजर और सिपाहियों ने लुट्टन पहलवान को चाँद सिंह से लड़ने से मना कर दिया तो लुट्टन ने क्या कहा?उत्तर:मैनेजर और सिपाहियों की बातें सुनकर लुट्न सिंह गिड़गिड़ाने लगा। वह राजा साहब के सामने जा खड़ा हुआ। उसने कहा दुहाई सरकार, पत्थर पर माथा पटककर मर जाऊँगा लेकिन लडूंगा अवश्य सरकार, वह कहने लगा-लड़ेंगे सरकार हुकुम हो सरकार।
प्रश्न 5.कहानी की संवाद योजना कैसी है? बताइए।उत्तर:फणीश्वर नाथ रेणु’ की सभी कहानियों में संवाद योजना देखते ही बनती है। उनकी संवाद योजना चुस्त, सार्थक और प्रभाव उत्पन्न करने वाली है। संवादों के माध्यम से कहानीकार ने पात्रों की मानसिक और चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कर दिया है। लुट्न पहलवान की मन:स्थिति का अंकन निम्न संवाद में हुआ है“दुकानदारों को चुहल करने की सूझती। हलवाई अपनी दुकान पर बुलाता-“पहलवान काका। ताजा रसगुल्ला बना है, जरा नाश्ता कर लो पहलवान बच्चों की-सी स्व��भाविक हँसी हँसकर कहता “अरे तनी मनी काहे। ले आव डेढ़ सेर और बैठ जाता” राजा साहब की विशेषता का उल्लेख इस संवाद में हुआ है।” राजा साहब दस रुपए का नोट देकर कहने लगे-जाओ मेला देखकर घर जाओ… “नहीं, सरकार लड़ेंगे हुकुम हो सरकार।
प्रश्न 6.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के संदेश को स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2016)उत्तर:‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में व्यवस्था के बदलने के साथ लोककला व इसके कलाकार के अप्रासांगिक हो जाने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एक दम नयी व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकर के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हायतौबा करने वाली निरीहता की भूमि पर पटक देती है।
प्रश्न 7.राजा साहब ने लुट्टन को क्यों सहारा दिया था? अंत में उसकी दुर्गति होने का क्या कारण था? (CBSE-2016)अथवापहलवान लुट्टन सिंह को राजा साहब की कृपादृष्टि कब प्राप्त हुई ? वह उन सुविधाओं से वंचित कैसे हो गया? (CBSE-2011)उत्तर:लुट्टन ने बचपन से ही कुश्ती सीखी। उसने चाँद पहलवान को हरा दिया। श्यामनगर के मेले के दंगल में उसने यह चमत्कार दिखाया। राजा साहब ने उसे आश्रय दिया। इसके बाद उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। अब वह दर्शनीय जीव बन गया था। पंद्रह साल तक वह राजदरबार में रहा। उसने दोनों बेटों को भी पहलवानी में उतारा। राजा साहब के मरने के बाद नए राजा को घुड़सवारी में रुचि थी। उसने पहलवान व उसके बेटों को राजदरबार से निकाल दिया। अब वह गाँव आकर रहने लगा। यहाँ उसे भोजन भी मुश्किल से मिलना था। महामारी ने उसके बेटों को लील लिया। उनके चार-पाँच दिन बाद वह भी मर गया।
प्रश्न 8.लुट्टन से राज पहलवान लुट्टन सिंह बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए? (CBSE-2009, 2010, 2011, 2015)अथवापहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिनों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (CBSE-2009)उत्तर:लुट्टन की कीर्ति राज पहलवान बन जाने के बाद दूर-दूर तक फैल गई। राजा ने उसे दरबार में रखा। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि से उसने सभी नामी पहलवानों को हरा दिया। वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोगा पहनकर अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।
प्रश्न 9.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर बताइए कि महामारी फैलने पर चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा कैसी हो जाती थी। पहलवान की ढोलक उनकी सहायता किस प्रकार करती थी? (CBSE 2010)उत्तर:महामारी फैलने पर गाँव में चिकित्सा और देखरेख के अभाव में ग्रामीणों की दशा दयनीय हो जाती थी। लोग दिन भर खाँसते कराहते रहते थे। रोज दो-चार व्यक्ति मरते थे। दवाओं के अभाव में उनकी मृत्यु निश्चित थी। शरीर में शक्ति नहीं रहती थी। पहलवान की ढोलक मृतप्राय शरीरों में आशा व जीवंतता भरती थी। वह संजीवनी शक्ति का कार्य करती थी।
प्रश्न 10.‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए। ( सैंपल पेपर-2015)उत्तर:‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में पुरानी और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया है। पुरानी व्यवस्था में राजदरबार लोक कलाकारों को संरक्षण प्रदान करता था। उनके सहारे ये जीवित रहते थे, परंतु नई व्यवस्था में विलायती दृष्टिकोण को अपनाया गया। लोक कलाकार हाशिए पर चले गए।
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khabaruttarakhandki · 4 years ago
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इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए हेअल्थी ड्रिंक्स
आयुर्वेद हमारी कई स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्याओं को ठीक करने के लिए असरदार होता है यही कारण है कि बड़े बड़े पैमाने पर लोग आजकल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का सहारा ले करके अपनी बीमारियों को ठीक करते हैं तथा सुरक्षित रखते हैं बीमारियों से बचे रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी यह होता है कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे यानी कि हमारी इम्यूनिटी हमेशा अच्छी रहे इससे हमारे शरीर में जो बीमारियां उत्पन्न होती हैं उनसे लड़ने में सुरक्षा मिलती है और यह संक्रमण से हम को बचाती हैं इनसे बचने के लिए हमें  आयुर्वेदिक चीजों का सहारा लेना पड़ता है सर्दी खांसी जुकाम बुखार जैसी स्थिति मजबूत एबिलिटी वालों को छू भी नहीं पाती हैं इसके लिए हमें  इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए हम यहां आपको दो तरीके के आयुर्वेदिक ड्रिंक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप घर पर आराम से बहुत कम समय में तैयार कर सकते हैं|
जो कि आपके शरीर के लिए बहुत ज्यादा अच्छी होंगी जोकि साथ-साथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के साथ-साथ आपको स्वस्थ भी रखेंगे हम कई प्रकार के ड्रिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं आज आपको हम यहां कुछ खास तरीके के 2 दिन बता रहे हैं जो आपको बहुत ज्यादा असर कारी रहेंगे इसके लिए आपको सारा तथा बादाम दो ऐसे ड्राई फ्रूट हैं जिन्हें हम आम तौर पर घर में बनाने वाले किसी भी व्यंजन में डालते हैं । द्वारा तथा बदाम सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है नेशनल सेंटर ऑफ बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार द्वारा और बादाम में दो ऐसे ड्राई फ्रूट होते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम सेल्स को मजबूत बनाने में बहुत योगदान देते हैं इसके सेवन नियमित रूप से करने वाले लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत ज्यादा स्ट्रांग होती है जबकि टीम के रूप में अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत तेजी से मजबूत कर सकता है|
खासकर कोरोनावायरस के इस बुरे वक्त में चंद्रमा से इस दौर में हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना है हमारे लिए बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है इस वक्त हमारे शरीर से संक्रमण से लड़ने की ताकत को बढ़ा सकता है तो यही वह दिन से और संक्रमण की चपेट में आने से रोक ��कता है। हम आपको इस दिन को तैयार करने का तरीका बताते हैं एक गिलास तैयार करने के लिए आपको तीन से चार पानी में भीगे हुए छुआरे तीन से चार पानी में भीगे हुए बादाम तथा एक गिलास दूध इस लिंक को तैयार करने की विधि पहला  भिगो कर रखे हुए बदाम और सारे को पानी से निकालकर इन्हें अच्छी तरह धो लें अब ग्राइंडर में बादाम बेचारे को डालें और थोड़ा सा दूध मिला लें अब इसे कम से कम 5 मिनट तक चला है ताकि बदाम और छोरा बारीक बारीक टुकड़ों में कट करके उसका पेस्ट बन जाए बचा हुआ दूध में मिलाकर कम से कम 3 मिनट तक ग्राइंडर को फिर से चलाएं तथा इसमें  मीठे स्वाद के लिए चीनी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं रात को सोने से पहले आप इस लिंक को सेवन करें और आपको नींद भी बहुत अच्छी आएगी और यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होगा दूसरा ड्रिंक है|
तुलसी हल्दी दालचीनी लौंग से बना काला जो आर्किमिडी बढ़ाने के लिए बहुत ज्यादा अचूक कारगर है जहां बताते हैं कि यह ड्रिंक किस तरीके से बनाया जाता है आपको इस दिन को बनाने के लिए तुलसी हल्दी दालचीनी लौंग से बना काढ़ा कुछ सामान्य सामग्रियों के साथ बनाया जा सकता है जो आप में औषधीय तथा उपचार 1 गुणों के लिए प्रसिद्ध है यह सभी सामग्रियां अपनी विशेषताओं को काला में कहलाती हैं तथा एक साथ आपकी शरीर की एनर्जी बढ़ाने और बेहतर करने के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी है यह कड़वी ड्रिंक पी में सुधार करने में बहुत ज्यादा मदद करती है यह है आम भारतीय मसालों के साथ-साथ बनाई जाती है यह एक रेसिपी है जो आपको घर पर काढ़ा बनाने में बहुत मदद करेगी हम सभी अचानक से एक लंबे म्यूजियम के लाभों के लिए जाग गए हैं करो ना वायरस की महामारी में हमें ये एहसास हो चुका है कि हमारे शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए एक को मजबूत होना बहुत जरूरी है|
हालांकि इस समय यह साबित करने की कोई जरूरत नहीं है कि इम्यून वायरस को रोकने या इलाज करने में मदद करता है लेकिन आपको स्वस्थ स्वस्थ रखने में मदद करता है और लोगों को आंशिक रूप से भी मजबूरी होती है जबकि अन्य को इस बना इसे बनाने के लिए कई उपाय करने पड़ते हैं उनकी बढ़ाने के लिए प्राकृतिक तरीकों से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता हर्बल चाय  ड्रिंक काढ़ा तथा कई नेचुरल चीजें हैं जो हमारी इम्यूनिटी को बहुत अच्छे से फायदेमंद करती हैं जिसमें कि हमें हेल्दी रखने की बहुत ताकत होती है आम सर्दी खांसी और जुखाम अन्य समस्याओं से दूर रखने में मदद करती है यह इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक काला दिया बता रहे हैं जो ब्यूटी के लिए बहुत अच्छा है जिसको बनाने के लिए आपको तुलसी हल्दी लॉन्ग दालचीनी से बड़ा हुआ काला होता है इसमें से सारे औषधीय गुण होते हैं जीवाणुओं और एंटी एंड प्लेइंग इन गुणों से भरपूर होते हैं गले में खराश के प्रबंधन के लिए लॉन्ग बहुत ज्यादा उपयोगी होती है|
यह सभी सामग्रियां कई विशेषताओं से भरपूर होती हैं यह सभी रोटी बनाने के लिए बहुत फायदेमंद होती है इसे घर पर कैसे बनाना है यह हम आपको बताते हैं चार कप काढ़ा बनाने के लिए आपको सामग्री में 10 तुलसी के पत्ते 1 इंच दालचीनी का टुकड़ा 23 लॉन्ग आधा चम्मच हल्दी दो चम्मच शहद इसमें  आपको सबसे पहले एक मुसल में तुलसी के पत्ते दालचीनी हल्दी और लॉन्ग को दरदरा पीस लें इसके बाद एक पैन में फंसे हुए मसालों को डालें हल्दी पाउडर के साथ सभी मसालों को सूखा भून लें अब इसमें तीन से पांच कप पानी मिला लें और इसे उबालें इसे पांच 7 मिनट तक उबालें ताकि मसालों का स्वाद और पोषण तत्व इसमें अच्छे से घुल मिल जाए अब  बहुत अच्छी तरह से इस गाड़ी को उबाल जाने के बाद इसे छान लें तथा इसमें एक से दो चम्मच शहद का मिलाकर के इस कार्य का घूंट घूंट करके इसे पी हैं  और इसका डे को गरम-गरम ही पीना है गर्म पानी से गले की खराश में मदद मिलती है और कुछ आराम आता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके पास गर्म काढ़ा हो और इसे हर दिल लेने की कोशिश करें  इससे आपकी इम्यूनिटी बहुत अच्छी हो जाएगी तथा आपका शरीर रोगों से लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा
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