#हीट स्ट्रोक का इलाज
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ब्लड प्रेशर और तनाव के रोगियों को लू लगने का खतरा ज्यादा, जानें क्या करें
ब्लड प्रेशर और तनाव के रोगियों को लू लगने का खतरा ज्यादा, जानें क्या करें
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लू लगने से बचने के उपाय लू से बचने के टिप्स (Tips for Heat Stroke): गर्मियों के मौसम का सीधा असर आपके मूड पर भी होता है। कई लोगों में गर्मियों में सीजनल अफेक्टिव डिस्ऑर्डर (एसएडी) की समस्या सामने आती है।
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गर्मी में होने वाली बीमारियां, लक्षण और उनसे बचने के उपाय : डॉ निखिल चौधरी ,वरिष्ठ चिकित्सक,आईजीआईएमएस
देशभर में इस वक्त मई-जून की प्रचंड गर्मी पड़ रही है। खासकर उत्तर भारत में तो झुलसा देने वाली गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। एक तो पहले ही लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। साथ में अब तेज धूप, गर्म हवाओं और तेजी से बढ़ते तापमान ने भी लोगों को घरों में कैद कर दिया है। पारा लगातार 44-45 डिग्री के आसपास बना हुआ है। इतनी भीषण गर्मी की वजह से घरों के अंदर रहने वाले लोगों की तबीयत भी खराब हो रही है। इसी विषय पर डॉ निखिल चौधरी ,वरिष्ठ चिकित्सक ,आईजीआईएमएस ने कहा की
वैसे भी हर मौसम अपने साथ कुछ कॉमन बीमारियां लेकर आता है। सर्दी-जुकाम, खांसी और फ्लू सर्दी के मौसम में और डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां बारिश के मौसम में परेशानी का सबब बनती हैं। ठीक वैसे ही गर्मी के मौसम की भी कुछ कॉमन बीमारियां हैं जिन्हें अगर गंभीरता से न लिया जाए तो कई बार ये जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। आप भले ही कितने भी फिट और हेल्दी क्यों न हों आपको बीमारियों से बचने के लिए जरूरी ऐहतियाती कदम जरूर उठाने चाहिए। हम इस आर्टिकल में आपको गर्मी में होने वाली 8 सबसे कॉमन बीमारियों और उनसे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं।
लू लगना (हीट स्ट्रोक)
गर्मी में लू लगना सबसे कॉमन समस्या लेकिन यह एक गंभीर स्थिति है और अगर समय रहते इसका इलाज न हो तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। लक्षणों की बात करें तो लू लगने पर शरीर का तापमान 104 डिग्री फैरेनहाइट या इससे अधिक हो जाता है, सांस लेने की गति तेज हो जाती है, दिल की धड़कन बढ़ने लगती है, सिर में दर्द होने लगता है, बेहोशी आने लगती है और उल्टी आने लगती है।
बचने के उपाय: गर्मी में लू लगने से बचने के लिए ढीले व हल्के कपड़े पहनें, जहां तक संभव हो ठंडी जगहों पर रहें, अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें, दिन के सबसे गर्म समय यानी दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच कड़ी धूप में बाहर निकलने से बचें। अगर बाहर निकलना जरूरी हो तो टोपी और छाते का इस्तेमाल करें और खाली पेट घर से बाहर न निकलें।
धूप से त्वचा का जलना (सनबर्न)
गर्मी के मौसम में जब सूरज की किरणें बेहद तेज हों, ऐसे में बार-बार धूप में बाहर जाने से आपकी त्वचा जल सकती है और इसे ही सनबर्न कहते हैं। अगर आपकी स्किन का रंग गुलाबी या लालिमा भरा हो, छूने पर त्वचा पर गर्माहट महसूस हो, दर्द, असहजता या खुजली होने लगे, त्वचा में सूजन हो, साथ में अगर सिरदर्द, बुखार और थकान भी हो तो सनबर्न गंभीर हो सकता है। सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क में देर तक रहने के कारण सनबर्न हो जाता है।
बचने के उपाय: इसके लिए जहां तक संभव हो धूप में कम से कम निकलें, सीधे धूप ��ी जगह छाया वाली जगह में बैठें, धूप से बचने के लिए टोपी, छाता और सनग्लास का इस्तेमाल करें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, बाहर निकलते वक्त हाथ, पैर और सिर को ढक कर रखें, स्किन को सनबर्न से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
घमौरी (हीट रैश)
गर्मी के मौसम में घमौरियां होना भी त्वचा से संबंधित सामान्य समस्या है जो वयस्कों या बच्चों किसी को भी हो सकती है। जब गर्मी के कारण किसी व्यक्ति को बहुत ज्यादा पसीना निकलता है लेकिन वह पसीना कपड़े की वजह से या फिर किसी और कारण से त्वचा में ही दबा रह जाता है और बाहर नहीं निकल पाता तो स्किन पर छाले या छोटे-छोटे गांठ हो जाते हैं, इसे ही घमौरियां कहते हैं। कुछ घमौरियां कांटेदार या अधिक खुजली वाली होती हैं।
बचने के उपाय: घमौरी से बचने के लिए जहां तक संभव हो गर्मी के मौसम में हल्के सूती कपड़े पहनें जिससे आपकी त्वचा सांस ले पाए। ठंडे वातावरण में रहें, गर्मी से बचने के लिए एसी-कूलर का इस्तेमाल करें, ऐसा काम न करें जिससे ज्यादा पसीना निकले, त्वचा को ड्राई यानी सूखा रखने की कोशिश करें, स्किन पर पाउडर भी लगा सकते हैं।
विषाक्तता (फूड पाइजनिंग)
फूड पाइजनिंग भी गर्मियों में होने वाली सबसे कॉमन बीमारियों में से एक जो दूषित खाना या पानी के सेवन के कारण होती है। अगर आप किसी ऐसे भोजन को खा लें जो कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया या विषैले तत्वों के संपर्क में आया हो तो फूड पाइजनिंग की समस्या हो जाती है। दूषित खाना या पानी का सेवन करने के 2 से 3 घंटे के अंदर व्यक्ति में उल्टी आना, मतली, पतला दस्त, पेट में दर्द व ऐंठन और बुखार जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। समय पर इलाज न हो तो यह समस्या जानलेवा भी साबित हो सकती है।
बचने के उपाय: फूड पाइजनिंग से बचने के लिए बाहर की खाने-पीने की चीजों से बचें और साथ ही घर पर भी खाना बनाते और खाते वक्त कई जरूरी बातों का ध्यान रखें। अपने हाथ, बर्तन, भोजन बनाने की सतहों को अच्छे से साफ करें, पके हुए भोजन को कच्चे भोजन से दूर रखें, भोजन को अच्छे से सही तापमान पर पकाएं, जल्दी खराब होने वाली चीजों को तुरंत फ्रिज में रखें। गर्मी के मौसम में बचा हुआ और बासी खाना काने से परहेज करें।
दस्त (डायरिया)
चूंकि गर्मी के मौसम खाने-पीने की चीजें अगर ज्यादा देर तक बाहर रखी हों तो वह जल्दी खराब हो जाती हैं और इसी कारण से दस्त या डायरिया की समस्या गर्मियों के मौसम की कॉमन समस्या है। डायरिया, ढीले और पानी के मल के रूप में पहचाने जाते हैं। दिन में अगर 3 बार से ज्यादा पानी के साथ पतला दस्त हो तो यह डायरिया का लक्षण हो सकता है। कई बार डायरिया के साथ पेट दर्द, बुखार, सिरदर्द और कमजोरी भी होने लगती है।
बचने के उपाय: जहां तक संभव हो पानी को उबालकर ही पिएं, फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही काटें। गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए खूब सारा पानी पिंए और आप चाहें तो पानी में नमक और चीनी मिलाकर भी पी सकते हैं ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहे।
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नकवी ने कहा, कांग्रेस कर रही जनादेश का अपमान नईदिल्ली/एजेंसी(realtimes) केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए आज कहा कि वह लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश पर आत्मचिंतन करने की बजाय उसका अपमान कर रही है। श्री नकवी ने यहां संवा���ादाताओं से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को समझना होगा कि ‘हार के हीट स्ट्रोक’ का इलाज ‘पिज्जा नहीं प्याज’ है। कांग्रेस के मित्रों को जब तक देश की इस देसी हकीकत समझ नहीं आयेगी तब तक कांग्रेस की लफ्फाजी लू के लपेट में आती रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज भी जनादेश पर आत्मचिंतन करने के बजाय अहंकार का रास्ता अपना रही है और जनादेश को अपमानित करने का जुगाड़ बना रही है।
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गर्मियों में खाएं कच्ची प्याज, सनबर्न और कब्ज समेत कई बीमारियां होंगी दूर
गर्मियों का मौसम आते ही हमें अपने खान-पान का बहुत ख्याल रखने की जरूरत होती है! खाने में हमारी जरा सी लापरवाही हमें मुसीबत में डाल सकती है! तेज धूप और गर्मी में घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है! धूप में सनबर्न और लू लगने का खतरा सबसे ज्यादा होता है! लेकिन क्या आप जानते हैं हर घर में इस्तेमाल होने वाली प्याज आपको लू के थपेड़ों से तो बचाती है साथ ही आपके पेट को फिट रखती है! प्याज खाने से क���्ज और बदहजमी की शिकायत भी दूर हो जाती है! गर्मी के मौसम में आपको रोज खाने में सलाद के रुप में प्याज खानी चाहिए!
प्याज में पोषक तत्व
प्याज जमीन के अंदर होने वाली जड़ वाली सब्जी है, जिसमें बड़ी मात्रा में मिट्टी से अवशोषित पोषक तत्व पाए जाते हैं! प्याज का तीखा स्वाद और गंध सल्फर यौगिकों की वजह से होता है! प्याज में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन A, B, C और आयरन भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है! प्याज हमारे शरीर की प्रणाली को साफ रखता है! प्याज में पाया जाने वाला क्वेरसेटिन एक एंटीऑक्सीडेंट है और हानिकारक तत्वों से लड़ता है!
गर्मियों में प्याज खाने के फायदे-
1-गर्मियों में ठंडक- गर्मियों में प्याज खाना फायदेमंद माना जाता है! प्याज शरीर को ठंडा रखने का काम करती है, क्योंकि इसमें ठंडक देने के गुण होते हैं! प्याज में वोलेटाइल ऑयल होता है, जिससे शरीर का टेंपरेचर कंट्रोल रहता है! आप प्याज को सलाद के रूप में कच्चा खा सकते हैं!
2- अपच और कब्ज दूर- प्याज खाने से अपच और कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है! प्याज में फाइबर और प्रीबायोटिक्स होता है जो गट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है! प्याज खाने से पाचन तंत्र भी मजबूत बनता है! वहीं इससे कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी कंट्रोल रहता है!
3- हीट स्ट्रोक से बचाता है- अगर आप ज्यादा देर तक धूप में काम करते हैं! तो आपको हीट स्ट्रोल की समस्या हो सकती है! इससे बचने के लिए आपको रोज कच्चा प्याज खाना चाहिए! प्याज खाने से शरीर को ठंडक मिलेगी! हीट स्ट्रोक के इलाज के लिए आप प्याज के पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं! प्याज के पेस्ट को आप माथे, कान के पीछे और छाती पर लगा सकते हैं!
4- ब्लड शुगर और बल्ड प्रेशर कंट्रोल- प्याज खाना डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है! प्याज में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 होता है, जो ब्लड शुगर के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है! प्याज में कम कार्ब्स और ज्यादा फाइबर होता है जो डायबिटीज के रोगियों के लिए अच्छा है! वहीं प्याज में पाया जाने वाला पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है!
5- सनबर्न में आराम- गर्मियों में प्याज को रामबाण माना जाता है! गर्मियों में प्याज न सिर्फ आपके शरीर को फायदा पहुंचाती है बल्कि त्वचा और बालों को भी हेल्दी रखती है! आप सन बर्न होने पर त्वचा पर प्याज के रस का इ���्तेमाल कर सकते हैं! धूप से झुलसी त्वचा के लिए ये अच्छा इलाज है! वहीं प्याज का रस लगाने से बालों से जुड़ी कई परेशानियां नहीं होती हैं!
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Sagar News In Hindi : Sagar Coronavirus Updates; BMC doctors and staff On Ambulance paramedical staff | सागर में पीपीई किट पहने एंबुलेंस का स्टाफ गश ��ाकर सड़क पर गिरा, डॉक्टरों ने इलाज के लिए हाथ तक नहीं लगाया
Sagar News In Hindi : Sagar Coronavirus Updates; BMC doctors and staff On Ambulance paramedical staff | सागर में पीपीई किट पहने एंबुलेंस का स्टाफ गश खाकर सड़क पर गिरा, डॉक्टरों ने इलाज के लिए हाथ तक नहीं लगाया
दोपहर दो बजे 44 डिग्री टेम्परेचर में मरीजों को शिफ्ट कर रहा था एंबुलेंस का स्टाफ
पीपीई किट पहने होने की वजह से स्टाफ को हीट स्ट्रोक लगा, झटके आने लगे थे
दैनिक भास्कर
May 28, 2020, 10:39 PM IST
सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में अपनी जान पर खेलकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की शिफ्टिंग करने वाले 108 एंबुलेंस के पैरामेडिकल स्टाफ के साथ अमानवीय व्यवहार करने का मामला सामने आया है। यहां भीषण गर्मी में…
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कोको बटर के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cocoa Butter Benefits and Side Effects in Hindi
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कोको बटर के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cocoa Butter Benefits and Side Effects in Hindi
Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 October 9, 2019
कोको बटर का नाम आते ही, इससे बनने वाले सौंदर्य उत्पादों व खाद्य पदार्थों का जिक्र जरूर किया जाता है। हो भी क्यों न, इसके औषधीय गुण इतने लाभकारी जो हैं। यही कारण है कि कोको बटर का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में सदियों से किया जा रहा है, लेकिन हम बता दें कि कोको बटर खूबसूरत बनाने के साथ-साथ आपको कई बीमारियों से भी बचाता है। कोको बटर के फायदे में एनीमिया, भूख की कमी, बुखार, ट्यूबरक्लोसिस, पथरी, शारीरिक संबंधों में कम रुचि व दिमागी थकान आदि से आराम दिलाना शामिल है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कोको बटर के ऐसे ही कुछ खास फायदों की बात करेंगे। फायदों के अलावा हम कोको बटर के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि कोको बटर क्या है।
विषय सूची
कोको बटर क्या है – What is Cocoa Butter in Hindi
कोको बटर एक प्रकार का बटर है, जिसे थियोब्रोम कोको के पौधे पर होने वाले कोको बीज से निकाला जाता है। वास्तविकता में यह कोको बीज का फैट होता है। इन बीजों को पकाने के बाद, दबा कर इनमें से कोको बटर निकाला जाता है। रंग में यह हल्का पीला, मीठी खुशबू और स्वाद में लगभग चॉकलेट जैसा होता है। कोको बटर का उपयोग चॉकलेट और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ जैसे बेकरी उत्पाद बनाने में किया जाता है (2)। कोको बटर के फायदे की वजह से इसका उपयोग कई ब्यूटी उत्पाद में किया जाता है (3)। इसमें ऐसे कई गुण पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। उन सभी गुणों के बारे हम ��पको लेख के अगले भाग में बताएंगे।
यह जानने के बाद कि कोको बटर क्या है, आगे जानिये कोको बटर के फायदे के बारे में।
कोको बटर के फायदे – Benefits of Cocoa Butter in Hindi
1. एलर्जी
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कोको बटर का उपयोग एक्जिमा को कम करने में किया जा सकता है। एक्जिमा एक प्रकार की स्किन एलर्जी होती है, जिसमें त्वचा पर लाल चकत्ते, रैशेज, खुजली और सूजन होने लगती है। इससे राहत पाने में कोको बटर का उपयोग 50 से 100 प्रतिशत लाभकारी साबित हो सकता है (4)। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्किन एलर्जी के लक्षण से आराम दिलाने में मदद करते हैं (3)।
2. स्किन बर्न
कोको बटर के फायदे में त्वचा को स्किन बर्न से राहत दिलाना भी है। इसका उपयोग सनबर्न या अन्य किसी वजह से जली त्वचा को ठीक करने में किया जाता है (5)। कोको बटर में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जिन्हें जली त्वचा के घाव भरने में लाभकारी माना गया है (3)। यह त्वचा में फ्री रेडिकल्स की गतिविधियों को कम करता है और घाव को जल्दी भरने में मदद करता है (6)।
3. टैटू के घाव
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माना जाता है कि जिस प्रकार कोको बटर का उपयोग जली हुई त्वचा के घाव को भरने में किया जा सकता है, उसी तरह इसका प्रयोग टैटू के घाव भरने में भी किया जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। इसलिए, अगर आप टैटू के कारण हुए घाव पर कोको बटर लगा रहे हैं, तो एक बार विशेषज्ञ से परामर्श जरूर कर लें।
4. शेविंग क्रीम की तरह
कई शेविंग क्रीम ब्रांड्स अपने उत्पादों में कोको बटर का उपयोग करते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कोको बटर में मॉइस्चराइजिंग गुण होता है (5)। इसकी इसी खूबी की वजह से माना जाता है कि यह शेविंग क्रीम में त्वचा में नमी बनाए रखने वाले तत्व की तरह काम कर सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि कोको बटर के इस गुण के संबंध में अभी कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।
5. एंटी एजिंग क्रीम
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प्रदूषण और धूप की पराबैंगनी कारणों का त्वचा पर कई प्रकार से बुरा असर होता है। समय से पहले झुर्रियां पड़ना भी इसमें शामिल है। ऐसे में, कोको बटर को एंटी एजिंग क्रीम की तरह उपयोग किया जा सकता है। इसमें विटामिन-ई पाया जाता है (7), जो त्वचा पर एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह बढ़ती उम्र के लक्षण जैसे झुर्रियां व महीन रेखाएं आदि से निजात पाने में मदद कर सकता है (8)। इस प्रकार कोको बटर के फायदे में एंटी एजिंग गुण भी शामिल है।
6. अंडर आई क्रीम
बिल्कुल एंटी एजिंग क्रीम की तरह कोको बटर का उपयोग अंडर आई क्रीम की तरह भी किया जा सकता है। बढ़ती उम्र के लक्षण जैसे झुरियां, महीन रेखाएं व मुंहासे आदि आंखों के नीचे भी आ सकते हैं। ऐसे में इसमें पाया जाने वाला विटामिन-ई काम आ सकता है (7)। इससे आंखों के नीचे मसाज करने से कोको बटर के फायदे आपको अंडर ऑय क्रीम की तरह मिल सकते हैं (8)।
7. स्ट्रेच मार्क्स
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कोको बटर के फायदे आपके स्ट्रेच मार्क्स को बढ़ने से रोकने और कम करने में मदद कर सकते हैं। कोको बटर और इसमें पाए जाने वाला विटामिन-ई त्वचा की इलास्टिसिटी और नमी को बढ़ाता है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में मदद मिल सकती है (9)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की जरूरत है।
8. फटे होंठों के लिए
अगर आपके होंठ फटे हुए हैं और उनमें नमी की कमी है, तो आप कोको बटर का उपयोग कर सकते हैं। कोको बटर त्वचा पर नमी की एक परत बनाए रखता है और उन्हें फटने या रूखा होने से बचाता है (5)। इसलिए, जब भी होंठ सूखें, तो उन पर थोड़ा-सा कोको बटर लगाने से आपको फटे होंठों से जल्द आराम मिल सकता है।
9. बालों के लिए फायदेमंद
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शोध में पाया गया है कि कोको बटर का उपयोग त्वचा में रक्त संचार और ऑक्सीजन के संचार को बढ़ाने में मदद कर सकता है (10)। अगर रक्त संचार बेहतर रहता है, तो बालों को बढ़ने में मदद मिलती है (11)। साथ ही कोको बटर में मौजूद विटामिन-ई (7), बालों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से बचाकर झड़ने से रोकता है (12)।
यह जानने के बाद कि कोको बटर क्या होता है और इसके फायदे क्या हैं, आइए आपको इसमें मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दे दें।
कोको बटर के पौष्टिक तत्व – Cocoa Butter Nutritional Value in Hindi
नीचे जानिये कि कोको बटर में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व कितनी मात्रा में पाए जाते हैं (7):
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम कैलोरी 884 kcal ऊर्जा 3699 किलोजौल टोटल लिपिड (फैट) 100 ग्राम विटामिन्स विटामिन-ई 1.8 मिलीग्राम विटामिन-के 24.7 माइक्रोग्राम लिपिड्स फैटी एसिड (टोटल सैचुरेटेड) 59.7 ग्राम फैटी एसिड (टोटल मोनो अनसैचुरेटेड) 32.9 ग्राम फैटी एसिड (टोटल पॉली अनसैचुरेटेड) 3 ग्राम फाइटोस्टेरोल्स 201 मिलीग्राम
कोको बटर के पौष्टिक तत्वों जानने के बाद अब आपको यह बताते हैं कि आप कोको बटर का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं।
कोको बटर का उपयोग – How to Use Cocoa Butter in Hindi
कोको बटर का उपयोग कई ब्यूटी उत्पादों, हेयर केयर उत्पाद और खाद्य पदार्थों में किया जाता है, जैसे (2) (3) :
कोको बटर का उपयोग हर रोज मॉइस्चराइजर की तरह किया जा सकता है। जब भी त्वचा रूखी लगे, अपने हाथों में थोड़ा-सा कोको बटर ले कर त्वचा पर लगा लें।
धूप में निकलने से पहले त्वचा पर कोको बटर लगाने से यह त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। इसलिए इसका उपयोग सनस्क्रीन की तरह भी किया जा सकता है।
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह फटे होंठों के लिए भी लाभदायक है। ऐसे में, आप कोको बटर का उपयोग लिप बाम की तरह भी कर सकते हैं।
रात को सोने से पहले चेहरे पर कोको बटर से एंटी एजिंग क्रीम की तरह मसाज करें। इससे त्वचा मुलायम रहेगी और चेहरे पर झुर्रियां भी नहीं आएंगी।
कोको बटर को पिघला कर आप इससे अपने स्कैल्प और बालों में मसाज कर सकते हैं।
कोको बटर में फैट की मात्रा अधिक होने के वजह से इसका उपयोग केक व अन्य बेकरी उत्पाद में बटर की तरह किया जा सकता है। यह खाने को बेहतर स्वाद देगा।
अब आपको कोको बटर से जुड़ी लगभग हर जानकारी मिल गई होगी। लेख के आखिरी भाग में जानिये कोको बटर के नुकसान के बारे में।
कोको बटर के नुकसान – Side Effects of Cocoa Butter in Hindi
कोको बटर के नुकसान पर अभी कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। हां, अगर आप कोको बटर का उपयोग किसी खास बीमारी या एलर्जी के लिए कर रहे हैं, तो उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। इसके अलावा, कोको बटर के कुछ उत्पादों में एस्ट्रोजन हार्मोन (मादा हार्मोन) का स्तर कम करने के प्रभाव देखे गए हैं, जिसे एंटी-एस्ट्रोजेनिक प्रभाव कहा जाता है (13)। एस्ट्रोजेन हॉर्मोन महिलाओं के मासिक धर्म, गर्भावस्था और अन्य शारीरिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एंटी-एस्ट्रोजेनिक को एस्ट्रोजन ब्लॉकर भी कहा जाता है। इसके प्रभाव के कारण महिलाओं के शरीर में मादा हॉर्मोन एस्ट्रोजेन का निर्माण नहीं होता है (14)। एस्ट्रोजेन की कमी से महिलाओं को महावारी, गर्भावस्था और अन्य शारीरिक गतिविधियों में समस्या का सामना करना पड़ सकता है (15)। इससे किशोरावस्था के दौरान भी विकास में समस्या आ सकती है (16)।
इस लेख से यह तो स्पष्ट हो गया कि कोको बटर क्या है और यह आपकी त्वचा में प्राकृतिक रूप से नमी बनाए रखने में कितना लाभदायक साबित हो सकता है। उम्मीद करते हैं कि अब जब कभी भी आप एक प्रभावशाली मॉइस्चराइजर के बारे में सोचेंगे, तो कोको बटर के फायदे आपके दिमाग में जरूर आएंगे। कोको बटर के नुकसान सभी को नहीं झेलने पड़ते। अगर आपको नट्स एलर्जी है, तो शायद कोको बटर का उपयोग आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, इसे इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श कर लें। साथ ही, अगर अब भी आपके मन में कोको बटर या उससे जुड़ा कोई भी सवाल है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर हमसे पूछ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कोको बटर की जगह उपयोग किये जाने वाले विकल्प?
कोको बटर की जगह शिया बटर का उपयोग किया जा सकता है। इसमें भी लगभग कोको बटर जैसे ही गुण पाए जाते हैं।
कोको बटर को कितने समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है?
कोको बटर को लगभग दो साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जब भी आप कोको बटर से बने उत्पाद खरीदें, तो उनकी एक्सपायरी डेट देख लें और उसी के अनुसार उनका उपयोग करें।
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Soumya Vyas
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ड्रैगन फ्रूट के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान – Dragon Fruit Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
जानिए ड्रैगन फ्रूट के फायदे, उपयोग और नुकसानों के बारे में। इसे आप सेहत के साथ-साथ बालों और त्वचा के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। डायबिटीज, कैंसर, ह्रदय रोग जैसे और भी कई सारे बिमारिओं में इसके फायदों के बारे में विस्तारित जानने के लिए पढ़े ये लेख…
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पसीना न आना
परिचय:
जब हमारे शरीर को गर्मी लगती है, तो इसकी प्रतिक्रिया के रूप में शरीर से पसीना आने लगता है। पसीना न आने की समस्या को अंग्रेजी में “अनहाइड्रोसिस” (Anhidrosis) कहा जाता है। यह समस्या बहुत ही कम मामलों होती है, इसमें पसीने की ग्रंथियां पसीना बनाना कम कर देती हैं या पूरी तरह से बंद कर देती हैं। इसके कारण पूरे शरीर से या फिर शरीर के किसी छोटे हिस्से से पसीना आना बंद हो जाता है। पसीने ना आने से त्वचा संबंधी कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जैसे त्वचा में गंभीर रूप से जलन, इन्फेक्शन, सूजन, लालिमा और त्वचा संबंधी अन्य समस्याएं होना।
(और पढ़ें- चर्म रोग का इलाज)
पसीना ना आने से कई लक्षण होने लगते हैं, जैसे चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना व गर्मी लगना और कम पसीना आना या बिलकुल बंद हो जाना।
इस स्थिति का पता लगाना कठिन हो सकता है। पसीना ना आने का पता लगाने के लिए कुछ प्रकार के टेस्ट भी किए जाते हैं, जैसे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का एमआरआई टेस्ट करना, आयोडीन स्टार्च टेस्ट और पसीने की ग्रंथियों की जांच करने के लिए स्किन बायोप्सी टेस्ट भी किया जाता है। पसीना ना आना एक ऐसा विकार है जिसकी रोकथाम नहीं की जा सकती लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर शरीर का तापमान बढ़ने से रोकथाम की जा सकती है।
यदि आपको पसीना ना आने की समस्या है, तो धूप व गर्मी में बाहर निकलने की कम से कम क��शिश करें, हल्��े रंगों के व ढीले ढाले कपड़े पहनें। इसका इलाज उस स्थिति के अनुसार किया जाता है, जिसके कारण आपको पसीना ना आने की समस्या हो रही है। इलाज के दौरान पसीना कम करने वाली स्थितियों से बचना जिनके कारण गर्मी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं।
यदि आपके डॉक्टर को कोई ऐसी अंदरुनी बीमारी मिल जाती है, जो पसीना ना आने का कारण बन रही है, तो शायद इस समस्या का इलाज हो सकता है। शरीर में सामान्य रूप से पसीना ना आने से शरीर का तापमान गंभीर रूप से बढ़ जाता है, जिससे जीवन के लिए घातक स्थिति पैदा हो जाती है। शरीर का तापमान गंभीर रूप से बढ़ने से “हीट स्ट्रोक” हो जाता है, जिसे आम भाषा में “लू लगना” कहा जाता है।
(और पढ़ें - लू लगने पर क्या करें)
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/disease/lack-of-sweat
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बच्चों के सिर में दर्द, थकान, पेट में दर्द और दस्त होना इस बीमारी के हैं लक्षण, डॉक्टर बता रहे हैं इलाज नई दिल्ली: दिनों-दिन बढ़ती गर्मी कई बीमारियों की वजह बन रही है. इनमें से एक खतरनाक बीमारी है हीट स्ट्रोक, जिसकी चपेट में ज्यादातर बच्चे आ रहे हैं. इस स्ट्रोक में सिर में दर्द, थकान, सुस्ती, भूख का कम होना, बदन में ऐंठन, उल्टी होना, पेट में दर्द, जलन, दस्त होना, चक्कर आना और साथ ही मानसिक संतुलन बिगड़ने जैसे हालात भी पैदा हो जाते हैं. इस स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है शरीर में पानी की कमी से डिहाइड्रेशन होना. क्योंकि गर्मी में ज्यादा देर धूप में रहने से शरीर से अधिक मात्रा में पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है. UPSC Result 2017: 4 साल के बच्चे की मां ने किया कमाल, हरियाणा में बनीं मिसाल इस हीट स्ट्रोक को ठीक करने कुछ टिप्स दे रहे हैं मुरादाबाद के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. एम. इरशाद. उनका कहना है कि इंसान का शरीर 37 डिग्री तक तापमान सहन करने में सक्षम होता है. तापमान इससे ऊपर जाने पर शरीर में कई प्रकार की दिक्कत महसूस होने लगती है, शरीर से पानी खत्म होने लगता है खून गाढ़ा हो जाता है. डॉ.इरशाद ने कहा कि सावधानी न बरतने पर बच्चे बहुत जल्दी इन बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं. बच्चे बहुत नाजुक होते हैं, उन्हें गर्मी और धूप से होने वाली बीमारी से बचाने के लिए बहुत एहतियात बरतने की जरुरत होती है. इस गर्मी में जितना हो सके ��च्चों को कोल्ड ड्रिंक से दूर रखें, शिकंजी का इस्तेमाल करें साथ ही गुड़ को दही में मिलाकर खिलाएं. TV देखने वाले बच्चों को लग सकती है ये लत...सेहत के लिए खतरनाक उन्होंने कहा कि गर्मी में फूड पॉइजनिंग होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसलिए कटा हुआ फ��� न खरीदें और न ही देर से रखा हुआ खाना खाएं, बाहर खुले में बिकने वाले तले हुए खाद्य पदार्थ का सेवन न करें. कोशिश करें कि गर्मी में तरल पदार्थ का सेवन अधिक करें. बाजार में खुले रूप से बिकने वाले जूस का सेवन भी घातक हो सकता है, उससे बचें. जरुरत पड़ने पर चिकित्सक से सलाह लें. मुरादाबाद के ही चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. तारिक अली ने कहा कि घर से बाहर निकलते समय ढीले कपड़े पहनें, चुस्त कपड़े पहनने से परहेज करें, ताकि शरीर में बाहर की हवा लगती रहे. सूती कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर होगा, जबकि सिंथेटिक, पोलिस्टर कपड़े पहनने से बचें. गांव के बच्चे शहरी बच्चों के मुकाबले इस चीज़ में आगे, जानें क्या उन्होंने कहा कि घर से बाहर निकलते समय खाली पेट न जाएं, अधिक देर भूखे रहने से बचें. घर से बाहर निकलते समय शिकंजी, ठंडा शर्बत या पानी पी कर निकलें साथ ही पानी की बोतल लेकर चलें. बहुत अधिक पसीना आने पर तुरंत ठंडा पानी न पिएं, जबकि सादा पानी धीरे-धीरे कर के पीना शुरू करें, लस्सी का सेवन अधिक करें. डॉ. अली ने कहा कि इस भीषण गर्मी में बच्चों को स्कूल से लाने या ले जाने के समय तौलिया को पानी मे भीगोकर उससे ढककर ले जाएं, जिससे बच्चे का बदन ठंडा रह सके, छाते का इस्तेमाल भी बेहतर रहेगा. उन्होंने सलाह दी कि बच्चे को ऐसा कपड़ा पहनाएं, जिससे उसका शरीर पूरी तरह से ढका हुआ हो. गहरे रंग के कपड़े बच्चों को न पहनाएं. हो सके तो हल्के रंग या सफेद कपड़े ही पहनाएं. बच्चों के पेशाब का रंग चेक करते रहें, पेशाब पीला होने की दशा में ये सुनिश्चित कर लें कि बच्चे को पानी की कमी हो रही है. उसे भरपूर पानी पिलाएं और जरूरी होने पर चिकित्सक से सलाह लें. (इनपुट - आईएएनएस) टिप्पणियां
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हरी मिर्च के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Green Chili Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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हरी मिर्च के 15 फायदे, उपयोग और नुकसान – Green Chili Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Nripendra Balmiki June 3, 2019
हरी मिर्च के बिना व्यंजनों की दुनिया अधूरी है। यह अपने तीखेपन के लिए जानी जाती है और इसे ��ाने का जायका बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसकी खासियत सिर्फ तीखेपन तक सीमित नहीं है, बल्कि कई वैज्ञानिकों शोधों में इसके औषधीय गुणों की पुष्टि हुई है। ���री मिर्च के इन तमाम गुणों की चर्चा हम इस लेख में करने जा रहे हैं। हमारे साथ जानिए हरी मिर्च के फायदे और इसे इस्तेमाल करने के विभिन्न तरीकों के बारे में।
विषय सूची
हरी मिर्च के फायदे – Benefits of Green Chili in Hindi
1. हृदय स्वास्थ्य
हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने में हरी मिर्च के फायदे बहुत हैं। हरी मिर्च का तीखापन कोलेस्ट्रॉल के स्तर और प्लेटलेट्स के जमाव को नियंत्रित कर हृदय रोग और हार्ट अटैक के जोखिम को कम कर सकता है। भविष्य में हृदय रोग के खतरे से बचने के लिए भोजन में मिर्च की सीमित मात्रा ले सकते हैं (1)।
2. मधुमेह
मधुमेह के मरीजों के लिए हरी मिर्च लाभकारी साबित हो सकती है। हरी मिर्च एक कारगर एंटी डायबिटिक के रूप में काम करती है। इसके पीछे कारण हरी मिर्च में कैप्साइसिन नामक खास तत्व का होना है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का काम करता है (2), (3)। इसके अलावा, हरी मिर्च शरीर में लिपिड केटाबॉलिज्म को बढ़ाकर टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकती है (4)।
3. वजन नियंत्रित
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वजन नियंत्रित करने में भी हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन की महत्वपूर्ण भूमिका देखी जा सकती है। कैप्साइसिन एंटी-ओबेसिटी की तरह काम करता है, जो वजन घटाने में मदद करता है और अतिरिक्त चर्बी को जमने से रोकता है (3), (5)।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता
हरी मिर्च का एक महत्वपूर्ण लाभ रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार हरी मिर्च में इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने की क्षमता होती है। यह पेट के कीड़ों से भी मुक्ति देने का काम करती है (1)।
इसके अलावा हरी मिर्च विटामिन-ए से भी समृद्ध होती है, जो प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर शरीर को संक्रमण से दूर रखती है (6), (7)।
5. उच्च रक्तचाप
उच्च रक्चचाप से परेशान मरीज हरी मिर्च का लाभ उठा सकते हैं। हरी मिर्च शरीर के विभिन्न भागों और कोशिकाओं में लिपिड केटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करती है, जिससे उच्च रक्तचाप से छुटकारा मिल सकता है (4)।
6. आंखों के लिए
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अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए, आप विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। आखों के लिए विटामिन-ए, विटामिन-सी व विटामिन-ई प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं। हरी मिर्ची इन सभी पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, जो आंखों के लिए फायदेमंद हो सकती है (8), (6)।
7. हड्डी और दांत
हड्डी और दांतों के लिए भी हरी मिर्च खाने के फायदे बहुत हैं। हरी मिर्च कैल्शियम से युक्त होती है, जो हड्डियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व माना जाता है। कैल्शियम एक खनिज है, जो हड्डी और दांत को मजबूत करता है और उनके विकास में मदद करता है (6), (9)।
8. पाचन स्वास्थ्य
पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में हरी मिर्च अहम भूमिका अदा करती है। हरी मिर्च फाइबर से युक्त होती है, और पाचन स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है। फाइबर मल निकासी की प्रक्रिया को सरल बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है (6), (10)।
9. जीवाणु संक्रमण
हरी मिर्च विटामिन-सी और विटामिन-ए जैसे एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होती है, जो शरीर को बैक्टीरियल प्रभाव से मुक्त रखने का काम करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण पेट के अल्सर से भी निजात दिलाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा, मिर्च का प्रयोग लंबे समय से पेट के कीड़ों को मारने के लिए भी किया जा रहा है (11)।
10. कैंसर
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हरी मिर्च के लाभ यहां खत्म नहीं होते, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हरी मिर्च कैंसर जैसी घातक बीमारी से रोकथाम भी कर सकती है। यहां भी हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन की भूमिका देखी जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार कैप्साइसिन एक कारगर एंटी कैंसर के रूप में काम करता है (5)।
11. तनाव
हरी मिर्च तनाव से छुटकारा देने का काम भी कर सकती है। हरी मिर्च विटामिन और मिनरल्स से समृद्ध होती है, जो तनाव को दूर करने का काम करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-बी की उच्च मात्रा मूड को बदलने का काम कर सकती है (12)।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-सी मधुमेह के मरीजों में चिंता (anxiety) को दूर करने का काम कर सकता है (6), (13)।
12. एनीमिया
हरी मिर्च के फायदे में एनीमिया से राहत भी शामिल है। यह एक घातक बीमारी है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होती है। लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में आयरन की अहम भूमिका होती है और इसकी कमी से यह समस्या उत्पन्न होती है (14)। शरीर में आयरन की पूर्ति के लिए हरी मिर्च का सेवन किया जा सकता है (6)।
13. मस्तिष्क स्वास्थ्य
मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी हरी मिर्च का उपयोग किया जा सकता है। हरी मिर्च विटामिन-बी6, बी12 और फोलेट से जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ावा देने का काम करते हैं। ये पोषक तत्व खासकर महिलाओं में याददाश्त को बेहतर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, आयरन युवा महिलाओं में मस्तिष्क कार्यप्रणाली में सुधार का काम करता है (6), (15)।
14. सर्दी और साइनस
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आम सर्दी और साइनस से लड़ने में हरी मिर्च आपकी मदद कर सकती है। यहां हरी मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन का महत्वपूर्ण रूप देखा जा सकता। एक रिपोर्ट के अनुसार लगातार दो हफ्ते तक कैप्साइसिन नो��� स्प्रे का इस्तेमाल राइनाइटिस (बंद नाक) पर प्रभावी असर छोड़ सकता है (16)।
15. त्वचा के लिए
त्वचा के लिए भी हरी मिर्च के फायदे बहुत हैं। हरी मिर्च विटामिन-सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होती है, जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए खास पोषक तत्व माना जाता है। विटामिन-सी त्वचा में कोलेजन को बढ़ाने का काम करता है। विटामिन-सी का प्रयोग त्वचा को चमकाने, एंटी-एजिंग और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव वाले कॉस्मेटिक उत्पादों में भी किया जाता है (17)।
अब तो आप शरीर के लिए हरी मिर्च खाने के फायदे जान गए होंगे। आइए, अब जान लेते हैं कि इसमें कौन-कौन से पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।
हरी मिर्च के पौष्टिक तत्व – Green Chili Nutritional Value in Hindi
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी 93.89 ग्राम ऊर्जा 20kacl प्रोटीन 0.86 कुल लिपिड (वसा) 0.17 फाइबर, कुल डाइटरी 4.64 शुगर, कुल 2.40 मिनरल्स कैल्शियम 10 आयरन 0.34 मैग्नीशियम 10 फास्फोरस 20 पोटैशियम 175 सोडियम 3 जिंक 0.13 विटामिन थायमिन 0.057 राइबोफ्लेविन 0.028 नियासिन 0.480 विटामिन-बी6 0.224 फोलेट, डीएफई 10 विटामिन-बी12 0.00 विटामिन ए, RAE 18 विटामिन ए IU 370 विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल) 0.37 विटामिन-डी (डी 2 + डी 3) 0.0 विटामिन-डी 0 विटामिन-के (फाइलोक्विनोन) 7.4 लिपिड फैटी एसिड, कुल सैचुरेटेड 0.058 फैटी एसिड, कुल मोनोअनसैचुरेटेड 0.008 फैटी एसिड, कुल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.062 फैटी एसिड, कुल ट्रांस 0.000 कोलेस्ट्रॉल 0
हरी मिर्च खाने के फायदे और इसमें मौजदू पौष्टिक तत्वों के बाद नीचे जानिए कि इसका इस्तेमाल आप किस प्रकार कर सकते हैं।
हरी मिर्च का उपयोग – How to Use Green Chili in Hindi
खाने के लिए हरी मिर्च का उपयोग विभिन्न तरीके से किया जा सकता है। नीचे जानिए, आप किस प्रकार हरी मिर्च को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं :
हरी मिर्च का अधिकतर इस्तेमाल सब्जी बनाने के लिए किया जाता है, जहां हल्के और ज्यादा तीखेपन की जरूरत होती है। आप जरूरत के हिसाब से मिर्च की संख्या बढ़ा सकते हैं।
खाने के साथ कच्ची मिर्च का प्रयोग सलाद में किया जाता है। जि��्हें ज्यादा तीखा खाना पसंद है, वो कच्ची मिर्च दोपहर या रात के भोजन के साथ ले सकते हैं।
आप तली हुई मिर्च का सेवन भी भोजन के साथ कर सकते हैं। इसके लिए आप मिर्च को बीच में से हल्का लंबा काट लें और हल्का नमक छिड़कर तेल में अच्छी तरह फ्राई कर लें।
इसके अलावा, आप हरी मिर्च का अचार भी बना सकते हैं।
हरी मिर्च का उपयोग के तरीकों के बाद आइए अब जान लेते हैं कि हरी मिर्च के अत्यधिक सेवन से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
हरी मिर्च के नुकसान – Side Effects of Green Chili in Hindi
हरी मिर्च एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो कई तरह से आपको लाभ पहुंचा सकती है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन निम्नलिखित समस्याओं का कारण बन सकता है :
जिन्हें ज्यादा तीखा पसंद नहीं, उनके लिए हरी मिर्च का अत्यधिक सेवन पेट में जलन और डायरिया का कारण बन सकता है।
बवासीर से पीड़ित मरीजों के लिए हरी मिर्च नुकसानदायक हो सकती है।
कुछ हरी मिर्च बहुत ज्यादा तीखी होती हैं, जो मुंह में अधिक जलन पैदा कर सकती हैं।
ये थे हरी मिर्च से होने वाले सबसे कारगर स्वास्थ्य लाभ। अगर आप लेख में बताई गई किसी भी समस्या से पीड़ित हैं, तो नियमित रूप से हरी मिर्च का सेवन शुरू कर दें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि अगर इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो इसके सेवन पर रोक लगाएं और डॉक्टर से संपर्क करें। आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। किसी भी प्रकार के सुझावों और सवालों के लिए आप नीचे कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
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Nripendra Balmiki
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लू लगने (हीट स्ट्रोक, सन स्ट्रोक) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Heat Stroke Symptoms and Home Remedies in Hindi
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लू लगने (हीट स्ट्रोक, सन स्ट्रोक) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Heat Stroke Symptoms and Home Remedies in Hindi
Nripendra Balmiki May 30, 2019
कड़ी धूप में लू लगने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। यह गर्मियों के दौरान होने वाली सबसे गंभीर समस्या है, जिसके घातक परिणाम हो सकते हैं। मार्च से लेकर जून के बीच इसका खतरा सबसे ज्यादा रहता है। एक रिपोर्ट के अनुसार लू मानसिक रूप से बीमार करने के साथ-साथ मृत्यु का कारण भी बन सकती है (1)। ऐसे में इसके प्रति जागरूक और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है। इस लेख हम आपको लू लगने के कारण, लक्षण और इसके विभिन्न घरेलू इलाज के बारे में बता रहे हैं। सबसे पहले जानते हैं कि आखिर यह लू लगना होता क्या है?
विषय सूची
हीट स्ट्रोक या लू लगना क्या होता है – What is Heat Stroke in Hindi
शरीर के अंदर का तापमान एक सीमा तक नियंत्रित रह पाता है। जब हमारा शरीर गर्म होता है, तो शरीर पसीना निकालकर बढ़ते तापमान को कम कर देता है, लेकिन जब वातावरण अत्यधिक गर्म हो जाता है, तो शरीर का कूलिंग सिस्टम निष्क्रय हो जाता है और शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। चिकित्सकीय रूप से लू लगना या हीट स्ट्रोक उस अवस्था को कहते हैं, जब शरीर का तापमान 41 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक पहुंच जाता है और पीड़ित बेहोश हो जाता है। अगर समय रहते पीड़ित को फर्स्ट एड नहीं दिया जाए, तो उसकी जान भी जा सकती है (2)।
सन स्ट्रोक जानने के बाद आगे जानिए लू लगने के कारणों के बारे में।
लू लगने के कारण – Causes of Sunstroke in Hindi
ऐसा नहीं है कि धूप में जाते ही लू लग जाती है, इसके पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं (3)-
अत्यधिक तापमान वाले इलाके में जाना।
शरीर में पानी की कमी।
कड़ी धूप में काम करना।
गर्मी में ज्यादा कपड़े पहनना।
गर्मी में अल्कोहल का सेवन।
गर्म और भीड़भाड़ वाला इलाका।
भीषण आग के निकट जाना।
लू लगने के लक्षण – Symptoms of Heat Stroke in Hindi
किसी व्यक्ति को लू लगी है, इसकी पहचान करना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए लू लगने के लक्षण (4)।
शरीर अत्यधिक गर्म होना
सिर चकराना
मानसिक संतुलन खोना
जी-मिचलाना
उल्टी
त्वचा का लाल, सूखा या झुलसा हुआ होना
पल्स का तेज होना
सिरदर्द
सन स्ट्रोक के कारण और लक्षणों के बाद आगे जानिए लू लगने पर उपचार कैसे किया जाए।
हीट स्ट्रोक (लू लगना) के लिए असरकारी घरेलू उपाय – Home Remedies for Heat Stroke in Hindi
सन स्ट्रोक से बेहोश व्यक्ति को तुरंत कोई तरल न पिलाएं, बल्कि उसे किसी ठंडी जगह पर ले जाएं और डॉक्टरी उपचार के लिए एम्बुलेंस को कॉल करें (4)। लू लगने पर यहां बताए जा रहे घरेलू उपचार का सहारा लिया जा सकता है।
1. प्याज का रस
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सामग्री :
प्याज का रस
एक चम्मच का चौथाई जीरा
चुटकी भर चीनी
कैसे करें इस्तेमाल :
लू लगने के दौरान पीड़ित को आराम पहुंचाने के लिए प्याज के रस का प्रयोग दो तरीके से किया जा सकता जैसे –
एक प्याज का रस निकालें और पीड़ित के कान के पीछे, पैरों के नीचे और छाती पर लगाकर छोड़ दें।
या
एक प्लाज को छोटा-छोटा काट लें।
गर्म पैन में भूनने के लिए रखें और ऊपर से जीरा व चीनी डालें।
तीन-चार मिनट तक अच्छी तरह भूनें।
इसे हल्का ठंडा करके पीड़ित को खिलाएं।
कितनी बार करें :
प्याज के रस का इस्तेमाल हीट स्ट्रोक की अवस्था में एक बार करें। वहीं, दूसरा उपाय कुछ दिनों तक दिन में एक-दो बार दिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
यूनानी स्कॉलर्स के अनुसार हीट स्ट्रोक के दौरान प्याज का इस्तेमाल मरीज के शरीर का तापमान कम करने के लिए किया जा सकता है। पीड़ित को त्वरित आराम पहुंचाने के लिए यह उपाय अच्छा विकल्प हो सकता है (5)। साथ ही एहतिहात के तौर पर मरीज को डॉक्टर के पास ले जाना न भूलें।
2. धनिये का पानी
सामग्री :
धनिये का एक गुच्छा
एक चुटकी चीनी
कैसे करें इस्तेमाल :
पत्तियों को साफ कर लें और थोड़ा पानी के साथ ग्रांइड क�� लें।
अब साफ सूती कपड़ा लें और ग्रांइड किया हुआ धनिया उसमें निचोड़कर रस निकाल लें।
इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर कुछ मिनटों के लिए रेफ्रिजरेटर में ठंडा करें और पी लें।
कितनी बार करें :
लू लगने पर कुछ दिनों तक दिन में एक बार धनिये के रस का इस प्रकार सेवन करें।
कैसे है लाभदायक :
धनिया अपनी ठंडी तासीर के लिए जाना जाता है (6), जिसका इस्तेमाल लू लगने पर शरीर का तापमान और निर्जलीकरण के प्रभाव को कम करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, धनिये की पत्तियां पोटेशियम व सोडियम (इलेक्ट्रोलाइट के अहम तत्व) जैसे पोषक तत्वों से भी समृद्ध होती हैं (7), जो लू लगने के दौरान मरीज के शरीर में तरल संतुलन बनाने में मदद कर सकती हैं (8)।
3. छाछ
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सामग्री :
दो बड़े चम्मच दही
एक गिलास पानी
एक चुटकी नमक
एक चुटकी जीरा पाउडर
बनाने की प्रक्रिया :
पानी के साथ दही को अच्छी तरह फेंट लें।
नमक व जीरा पाउडर डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
इसे फ्रिज में चिल्ड होने के लिए रखें और पिएं।
कितनी बार करें :
गर्मियों में प्रतिदिन 1-2 गिलास छाछ पिएं।
कैसे है लाभदायक :
हीट स्ट्रोक के उपाय के रूप में आप छाछ का सेवन कर सकते हैं। गर्मियों के दौरान छाछ निर्जलीकरण से बचाने और शरीर से गर्मी को खींचने का काम करती है। यह प्रोबायोटिक्स, प्रोटीन, खनिज और विटामिन से भी समृद्ध होती है, जो लू लगने के दौरान मरीज के शरीर को पोषित करने का काम कर सकती है (9)।
4. ठंडे पानी से स्नान
सामग्री :
ठंडा पानी
बाथटब
कैसे करें इस्तेमाल :
बाथटब को ठंडे पानी से भर लें और 15 से 20 मिनट तक मरीज को स्नान कराएं।
कितनी बार करें :
यह एक प्राथमिक चिकित्सा उपाय है और इसका इस्तेमाल रोगी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने से पहले किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
ठंडा पानी हीट स्ट्रोक से प्रभावित शरीर के ताप को कम करने में मदद कर सकता है (10)।
सावधानी : बर्फ का ठंडे पानी का उपयोग न करें, क्योंकि इससे शरीर का तापमान काफी गिर सकता है और अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
5. एसेंशियल ऑयल
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सामग्री :
पेपरमिंट ऑयल की दो-तीन बूंदें
लैवेंडर ऑयल की एक-दो बूंदें
दो चम्मच जैतून या बादाम का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
जैतून या बादाम के तेल के साथ पेपरमिंट तेल को मिलाएं।
इस तेल मिश्रण को गर्दन के पीछे, तलवों और कलाई पर अच्छी तरह लगाएं।
कितनी बार करें :
जब भी महसूस हो कि शरीर का तापमान बढ़ रहा है, इस उपाय को अपनाएं।
कैसे है लाभदायक :
लैवेंडर का तेल न सिर्फ सनबर्न, बल्कि किसी भी कारण से त्वचा में होने वाली जलन को ठीक कर सकता है (11)। वहीं, दूसरी ओर ��ेपरमिंट ऑयल शरीर पर ठंडा प्रभाव डालता है और तापमान को कम करने में मदद करता है (12)। लू लगने के उपाय के रूप में यह उपाय किया जा सकता है।
6. चीनी दवाइयां
सामग्री :
एक कप सूखी मूंग की दाल
तीन कप पानी
कैसे करें इस्तेमाल
मूंग को उबाल लें और ठंडा होने के लिए रख दें।
पानी को छान लें और पिएं।
कितनी बार करें :
लू लगने के दौरान मूंग के पानी को पिएं।
कैसे है लाभदायक :
मूंग एक खास दाल है, जिसका इस्तेमाल पारंपरिक चीनी चिकित्सा में भी किया जाता है। मूंग की दाल लू से प्रभावित शरीर से गर्मी खींचने और निर्जलीकरण से मुक्त करने के लिए प्रयोग में लाई जा सकती है (13)।
7. इमली का रस
सामग्री :
15 ग्राम इमली
200 ml पानी
तीन आलूबुखारे
कैसे करें इस्तेमाल :
इमली को थोड़ी देर के लिए पानी में उबालने के लिए रख दें।
अब इसमें आलूबुखारा काट कर डालें।
अच्छी तरह उबलने के बाद इस मिश्रण को 200ml पानी में 1 घंटे के लिए डालकर छोड़ दें।
अब पानी को छान लें और ठंडा करके पिएं।
कितनी बार करें :
लू के लक्षण दिखने पर यह उपाय करें।
कैसे है लाभदायक :
यूनानी स्कॉलर्स के अनुसार हीट स्ट्रोक के दौरान मरीज के शरीर का तापमान कम करने के लिए इस उपाय का इस्तेमाल किया जा सकता है (5)। इमली का इस प्रकार इस्तेमाल शरीर को हाइड्रेट करने का काम भी करेगा।
8. सेब का सिरका
सामग्री :
एक गिलास ठंडा पानी
एक चम्मच सेब का सिरका
कैसे करें इस्तेमाल :
पानी में सिरका मिलाएं और इसे पिएं।
कितनी बार करें :
धूप में चक्कर आते हैं या कमजोरी महसूस होने पर इसे पिएं।
कैसे है लाभदायक :
हीट स्ट्रोक के उपाय के रूप में सेब का सिरका प्रभावी विकल्प हो सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होता है और पानी के साथ मिलाकर प्रभावी रूप से काम करता है। शरीर की अत्यधिक गर्मी खींचने और निर्जलीकरण से बचने के लिए आप यह उपाय अपना सकते हैं (14), (15)।
9. चंदन का पेस्ट
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सामग्री :
तीन-चार चम्मच चंदन पाउडर
पानी आवश्यकतानुसार
कैसे करें इस्तेमाल :
पानी की मदद से चंदन पाउडर का पेस्ट बनाएं।
पेस्ट को माथे व छाती पर लगाएं और एक-दो घंटे के लिए छोड़ दें।
कितनी बार करें :
सन स्ट्रोक के लक्षणों को कम करने के लिए इसे एक बार लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
लू लगने के उपाय के रूप में आप चंदन का पेस्ट प्रयोग में ला सकते हैं। चंदन को अपने शीतल गुणों के लिए जाना जाता है, जिसके पेस्ट का इस्तेमाल लू से प्रभावित त्वचा से गर्मी खींचने और सिरदर्द जैसे लक्षणों को दूर करने के लिए किया जा सकता है (16)।
ऊपर बताए गए लू लगने पर उपचार के अलावा आप निम्नलिखित सुझावों का भी पालन कर करें।
हीट स्ट्रोक के लिए कुछ और टिप्स और लू लगने से बचाव
धूप में बाहर निकलते समय अपने सिर को हमेशा स्कार्फ या टोपी से ढकें। इसके अलावा, आप छाते का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
खासतौर पर गर्मियों में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। पानी आपके शरीर को हाइड्रेटेड और शरीर को ठंडा रखेगा। जब भी आप बाहर निकलें, अपने साथ पानी की एक बोलत जरूर रखें।
शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए नींबू पानी या छाछ पिएं।
गर्मियों के दौरान ढीले-ढाले और सूती कपड़े पहनें।
गर्मियों में हल्के रंग के कपड़े पहनें, क्योंकि ये गर्मी को कम अवशोषित (Absorb) करते हैं।
तेज धूप में बाहर काम या कसरत न करें।
हर दिन कम से 6-7 घंटे सोएं और विटामिन, खनिज व प्रोटीन युक्त संतुलित आहार खाएं।
आशा है कि हीट स्ट्रोक से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियों से आप अवगत हो गए होंगे। अगर आप या आपके परिवार का सदस्य लू के लक्षणों का अनुभव करता है, तो लेख में बताए गए जरूरी उपचार और बचने के तरीकों का पालन करना न भूलें। यह समस्या आप के आसपास किसी भी को भी हो सकती है, इसलिए इस जानकारी को अपने तक सीमित न रखें, बल्कि दूसरों के साथ भी साझा करें। यह लेख आपके लिए कितना कारगर साबित हुआ, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल –
हीट स्ट्रोक के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हैं?
हीट स्ट्रोक के दीर्घकालिक प्रभाव निम्नलिख��त हो सकते हैं (17) – • बेहोशी, कोमा व दौरा पड़ना आदि • लिवर, किडनी व हार्ट डैमेज
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए कौन-कौन से खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए ?
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से दूर रहें : • तला हुआ भोजन • ऐसी खाद्य सामग्री, जो शरीर का तापमान बढ़ा दे, जैसे लहसुन व लौंग आदि • सब्जियां जैसे मूली और सरसों का साग आदि • मांस, शराब, चाय व कॉफी जैसे गर्म पदार्थ
हीट स्ट्रोक के लिए प्राथमिक चिकित्सा उपचार क्या है?
आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को कॉल करने के बाद, निम्नलिखित बिंदुओं का पालन करें (4) : • पीड़ित को ठंडी जगह पर ले जाएं। • सभी अनावश्यक कपड़ों को हटा दें, ताकि त्वचा को खुली हवा मिल सके। • पूरे शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करें। • हीट स्ट्रोक से बेहोश व्यक्ति को तुरंत कोई तरल न पिलाएं।
हीट स्ट्रोक का रिकवरी समय क्या है?
अस्पताल में भर्ती होने के बाद, हीट स्ट्रोक से उबरने में पीड़ित को एक से दो दिन का वक्त लग सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि लू का लक्षण कितना गंभीर है।
हीट स्ट्रोक कौन से तापमान पर होता है?
जब शरीर का तापमान 41 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक पहुंच जाता है, तो इसे हीट स्ट्रोक माना जाता है (2)।
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Nripendra Balmiki
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/loo-lagne-ke-karan-lakshan-gharelu-ilaj-in-hindi/
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बच्चों के सिर में दर्द, थकान, प���ट में दर्द और दस्त होना इस बीमारी के हैं लक्षण, डॉक्टर बता रहे हैं इलाज नई दिल्ली: दिनों-दिन बढ़ती गर्मी कई बीमारियों की वजह बन रही है. इनमें से एक खतरनाक बीमारी है हीट स्ट्रोक, जिसकी चपेट में ज्यादातर बच्चे आ रहे हैं. इस स्ट्रोक में सिर में दर्द, थकान, सुस्ती, भूख का कम होना, बदन में ऐंठन, उल्टी होना, पेट में दर्द, जलन, दस्त होना, चक्कर आना और साथ ही मानसिक संतुलन बिगड़ने जैसे हालात भी पैदा हो जाते हैं. इस स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है शरीर में पानी की कमी से डिहाइड्रेशन होना. क्योंकि गर्मी में ज्यादा देर धूप में रहने से शरीर से अधिक मात्रा में पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है. UPSC Result 2017: 4 साल के बच्चे की मां ने किया कमाल, हरियाणा में बनीं मिसाल इस हीट स्ट्रोक को ठीक करने कुछ टिप्स दे रहे हैं मुरादाबाद के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. एम. इरशाद. उनका कहना है कि इंसान का शरीर 37 डिग्री तक तापमान सहन करने में सक्षम होता है. तापमान इससे ऊपर जाने पर शरीर में कई प्रकार की दिक्कत महसूस होने लगती है, शरीर से पानी खत्म होने लगता है खून गाढ़ा हो जाता है. डॉ.इरशाद ने कहा कि सावधानी न बरतने पर बच्चे बहुत जल्दी इन बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं. बच्चे बहुत नाजुक होते हैं, उन्हें गर्मी और धूप से होने वाली बीमारी से बचाने के लिए बहुत एहतियात बरतने की जरुरत होती है. इस गर्मी में जितना हो सके बच्चों को कोल्ड ड्रिंक से दूर रखें, शिकंजी का इस्तेमाल करें साथ ही गुड़ को दही में मिलाकर खिलाएं. TV देखने वाले बच्चों को लग सकती है ये लत...सेहत के लिए खतरनाक उन्होंने कहा कि गर्मी में फूड पॉइजनिंग होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसलिए कटा हुआ फल न खरीदें और न ही देर से रखा हुआ खाना खाएं, बाहर खुले में बिकने वाले तले हुए खाद्य पदार्थ का सेवन न करें. कोशिश करें कि गर्मी में तरल पदार्थ का सेवन अधिक करें. बाजार में खुले रूप से बिकने वाले जूस का सेवन भी घातक हो सकता है, उससे बचें. जरुरत पड़ने पर चिकित्सक से सलाह लें. मुरादाबाद के ही चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. तारिक अली ने कहा कि घर से बाहर निकलते समय ढीले कपड़े पहनें, चुस्त कपड़े पहनने से परहेज करें, ताकि शरीर में बाहर की हवा लगती रहे. सूती कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर होगा, जबकि सिंथेटिक, पोलिस्टर कपड़े पहनने से बचें. गांव के बच्चे शहरी बच्चों के मुकाबले इस चीज़ में आगे, जानें क्या उन्होंने कहा कि घर से बाहर निकलते समय खाली पेट न जाएं, अधिक देर भूखे रहने से बचें. घर से बाहर निकलते समय शिकंजी, ठंडा शर्बत या पानी पी कर निकलें साथ ही पानी की बोतल लेकर चलें. बहुत अधिक पसीना आने पर तुरंत ठंडा पानी न पिएं, जबकि सादा पानी धीरे-धीरे कर के पीना शुरू करें, लस्सी का सेवन अधिक करें. डॉ. अली ने कहा कि इस भीषण गर्मी में बच्चों को स्कूल से लाने या ले जाने के समय तौलिया को पानी मे भीगोकर उससे ढककर ले जाएं, जिससे बच्चे का बदन ठंडा रह सके, छाते का इस्तेमाल भी बेहतर रहेगा. उन्होंने सलाह दी कि बच्चे को ऐसा कपड़ा पहनाएं, जिससे उसका शरीर पूरी तरह से ढका हुआ हो. गहरे रंग के कपड़े बच्चों को न पहनाएं. हो सके तो हल्के रंग या सफेद कपड़े ही पहनाएं. बच्चों के पेशाब का रंग चेक करते रहें, पेशाब पीला होने की दशा में ये सुनिश्चित कर लें कि बच्चे को पानी की कमी हो रही है. उसे भरपूर पानी पिलाएं और जरूरी होने पर चिकित्सक से सलाह लें. (इनपुट - आईएएनएस) टिप्पणियां
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