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हनुमदष्टादशाक्षर मन्त्र प्रयोग
‘मन्त्र महोदधि‘ में यह मन्त्र इस प्रकार उल्लिखित है- ‘ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा।’ इस अष्टादशाक्षर मन्त्र का प्रयोग स्नान एवं सन्ध्यादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर करना चाहिए। विनियोग ॐ अस्य मन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, हनुमान् देवता, हुं बीजम्, स्वाहा शक्तिः, सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः । श्री सिद्धबली हनुमान मंदिर, गोरखनाथ और बजरंगबली की कहानी (Story of Shri Siddhabali…
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Dussehra 2022 : दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से जाना जाता है. Dussehra 2022 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दशहरा का त्योहार दशमी तिथि या अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष के 10वें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के महीनों में आता है। दशहरा का त्योहार दिवाली से ठीक 20 दिन पहले आता है। इस वर्ष दशहरा 5 अक्टूबर 2022, बुधवार के दिन मनाया जाएगा. Dussehra 2022 : दशहरा क्यों मनाया जाता है? राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे. उनकी पत्नी का नाम सीता था. राजा दशरथ राम के पिता थे. रानी कैकई के कारण राम को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नगरी छोड़ कर जा��ा पड़ा. इस वनवास में उनकी पत्नी सीता व् छोटे भाई लक्ष्मण भी उनके साथ गए. उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया. रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी, लेकिन उसमे अपार अहंकार था. वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था. वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था. जिसे ख़त्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामावतार लिया था. राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी ने राम का साथ दिया. इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया. इस विजय के कारण प्रति वर्ष दशहरा (विजयादशमी)मनाया जाता है. इसे भी पढ़े : बच्चों को मोबाइल / टीवी दिखाए बिना खाना कैसे खिलाये? बच्चों का पालन पोषण (Parenting) देश के अलग अलग भागों में दशहरा मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई जगहों पर दशहरा पूरा दस दिन के लिए मनाया जाता है. मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने सुनाई जाती है. साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 9 दिन तक किया जाता है। महान संत तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस रामलीला प्रदर्शन का आधार बनती हैं। रामलीला मंचन के द्वारा वास्तविक लोग रामायण के पात्रों और उनके इतिहास को बताते है। रावण दहन इस दिन सड़कों पर बहुत भीड़ होती है। लोग गाँवों से शहरों में दशहरा मेला देखने आते है। जिसे दशहरा मेला के नाम से जाना जाता है। हजारों की संख्या में आदमी, औरत और बच्चे मैदान में अपने पास के क्षेत्रों से इस उत्सव का आ���न्द उठाते है। राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार के लिये असली कलाकार होते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के कागज के बड़े बड़े पुतले बनाये जाते है। रावण दहन की प्रथा, जहां इन विशाल पुतलों को जलाया और जलाया जाता है, को भगवान राम की बुराई पर जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। रावण दहन के नाम पर पुतलों को जलाने का यह कार्य हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सदाचार, सत्य और अच्छाई के मार्ग पर चलना चाहिए। इसके अलावा, विजयादशमी के दिन, देवी दुर्गा की ��िट्टी की मूर्तियों को नदियों या जल निकायों में विसर्जित कर दिया जाता है। यह अक्सर एक भावनात्मक दिन होता है, खासकर बंगालियों के लिए, क्योंकि यह देवी दुर्गा के प्रस्थान का प्रतीक है। इस दिन, बंगाली विवाहित महिलाएं पूजा पंडालों में इकट्ठा होती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर या सिंदूर लगाती हैं। यह देवी दुर्गा को विदाई देने के लिए एक अनुष्ठान के रूप में किया जाता है। लोग इस दिन अपने प्रियजनों के साथ मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान भी करते हैं। कोरोनावायरस महामारी अभी भी कहर बरपा रही है, इसलिए इस वर्ष का दशहरा सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सावधानी से मनाया जाना चाहिए। सुरक्षा बनाए रखने के लिए, सभी को सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करना चाहिए। दर्शन के लिए बाहर जाने के इच्छुक भक्तों को सामाजिक दूरी के मानदंडों का सख्ती से पालन करना चाहिए और मास्क पहनना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रावण दहन का भी आयोजन किया जाए। यह भी सुझाव दिया गया है कि भक्त भीड़-भाड़ वाले मामलों से बचने के लिए ऑनलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से डिजिटल दर्शन का विकल्प चुन सकते है. दशहरा का पर्व हर एक के जीवन में बहुत महत्व
है इस दिन लोग अपने अंदर की भी बुराइयों को ख़त्म करके नई जीवन की शुरुआत करते है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। दशहरा त्यौहार जश्न के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है। सबकी जश्न की अपनी मान्यता है किसानों के लिए फसल को घर लाने का जश्न, बच्चों के लिए राम द्वारा रावण के वध का जश्न , बड़ो द्वारा बुराई पर अच्छाई का जश्न, आदि। यह पर्व बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। लोगों का मानना है की इस दिन अगर स्वामी के पत्तों को घर लाये जाए तो बहुत ही शुभ होता है और इस दिन शुरू किये गए कार्य में जरूर सफलता मिलती है। बच्चों को मोबाइल / टीवी दिखाए बिना खाना कैसे खिलाये? बच्चों का पालन पोषण (Parenting) जीवन में नैतिक मूल्य का महत्व Importance of Moral Values बच्चों के मन में टीचर का डर Purchase Best & Affordable Discounted Toys From Amazon Purchase Best & Affordable Laptop From Amazon Heavy Discount on Health & Personal Care Products on Amazon Discounted Kitchen & Home Appliances on Amazon [ Source link
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‘शिव’ को अब ‘हनुमान’ की भूमिका Divya Sandesh
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‘शिव’ को अब ‘हनुमान’ की भूमिका
प्रदीप सरदाना सीरियल की दुनिया में बरसों से भगवान शिव की भूमिका निभा रहे अभिनेता तरुण खन्ना ही अब हनुमान जी के रूप में अवतरित होने जा रहे हैं। इस सीरियल का नाम है ‘राधाकृष्ण’ जिसका प्रसारण पिछले काफी समय से स्टार भारत पर हो रहा है। यूं तो तरुण खन्ना पिछले करीब पांच बरसों में विभिन्न 7 सीरियल में शिव की भूमिका कर चुके हैं। इनमें ‘संतोषी मा��’, ‘शनि’, ‘नमन’, ‘राम सिया के लवकुश’, ‘देवी आदि परमशक्ति’, ‘परम अवतार श्रीकृष्ण’ के साथ ‘राधाकृष्ण’ भी है, लेकिन तरुण जहां ‘राधाकृष्ण’ में शिव का किरदार पहले की तरह निभाते रहेंगे, वहीं अब हनुमान की भूमिका भी करेंगे। तरुण कहते हैं, ‘मुझे एक ही सीरियल में शिव के साथ हनुमान बनना अच्छा लग रहा है। हालांकि दोनों भूमिकाओं के लिए घंटों बैठकर तैयार होना पड़ता है। हनुमान के रोल को निभाना ज्यादा कठिन है क्योंकि मैं इसके मेकअप के बाद ज्यादा हिल डुल नहीं सकता। शूटिंग के दौरान बीच में बैठने के लिए भी मेरे लिए एक अलग कुर्सी है। क्योंकि पूंछ के साथ किसी भी कुर्सी पर नहीं बैठा जा सकता। इन दोनों भूमिकाओं को करना सुखद रहेगा।’
‘अनुपमा’ से अपूर्व अग्निहोत्री की वापसी स्टार प्लस के सुपर हिट सीरियल ‘अनुपमा’ में अब अपूर्व अग्निहोत्री की वापसी हो रही है। कई सीरियल और फिल्मों में काम कर चुके अपूर्व ‘सौभाग्यलक्ष्मी’ और ‘बेपनाह’ सीरियल के बाद पिछले तीन वर्षों से अभिनय की दुनिया से दूर थे। अपूर्व को ‘अनुपमा’ में डॉ अद्वैत खन्ना का एक ऐसा किरदार मिला है, जो सीरियल की कहानी को नए ढंग से आगे बढ़ाएगा। अग्निहोत्री कहते हैं, ‘मेरे किरदार में कई रंग हैं। जो शाह परिवार में कई बड़े बदलाव लेकर आयेगा। एक अंतराल के बाद ‘अनुपमा’ जैसे बड़े सीरियल से लौटना अच्छा लग रहा है।’
मूक बधिर बच्चों से मिलीं मोनिका इन दिनों मुंबई में शूटिंग रुकने के कारण कई कलाकार अपने परिवार के साथ हैं और कोरोना से सुरक्षा में जुटे हैं। जबकि कुछ कलाकार मुंबई से बाहर निकलकर अपने उन सपनों को पूरा कर रहे हैं जो लगातार शूटिंग के चलते पूरे नहीं कर पाते थे। अभिनेत्री मोनिका खन्ना ने इस मुश्किल घड़ी में उन मूक बधिर बच्चों से मिलने का कार्यक्रम बनाया जो शाहपुर के एक एनजीओ में रहते हैं। मोनिका इन दिनों एकता कपूर के सीरियल ‘प्रेम बंधन’ में वंदना शास्त्री की भूमिका कर रही हैं। जाने-माने अभिनेता और लेखक धीरज सरना लिखित ‘प्रेम बंधन’ का प्रसारण दंगल टीवी पर सोमवार से शनिवार शाम साढ़े 7 बजे हो रहा है। मोनिका कहती हैं, ‘मैंने देखा कि छोटे-छोटे न बोल सकने और न सुन पाने वाले बच्चे जहां रह रहे हैं वहां पंखे तक नहीं हैं। फिर भी वे खुश हैं। उन बच्चों के साथ जब मैंने कुछ चित्रकला, कुछ शिल्प किया तो वे और भी खुश हो उठे। मुझे लगता है हमको ऐसी जगहों पर जरूर जाना चाहिए। हम कितनी ही सुख सुविधाओं और अपने लाइफ स्टाइल के साथ जीते हैं। फिर भी हमारी अभिलाषाएं खत्म नहीं होतीं। जबकि वे बच्चे अपनी छोटी सी सुख सुविधाओं में भी कितने खुश थे। मैं उन बच्चों की ऊर्जा देख मंत्र मुग्ध हो गयी।’
टॉप 4 में ‘सुपर डांसर’ बार्क की 15वें सप्ताह क��� टीआरपी रिपोर्ट के अनुसार सोनी चैनल पर चल रहा ‘सुपर डांसर-चैप्टर 4’ इस बार टॉप 4 में आ गया है। इससे साफ है कि इस बार भी बच्चों के कमाल के डांस सभी का दिल मोह रहे हैं। उधर लगा था कि शूटिंग रुकने के कारण ‘सुपर डांसर’ का प्रसारण इस बार नहीं हो पाएगा। लेकिन चैनल के पिटारे से इस सप्ताह का एपिसोड भी निकल कर आ रहा है। हालांकि इस बार के एपिसोड में गीता कपूर तो पहले की तरह रहेंगी लेकिन शिल्पा शेट्टी और अनुराग बसु जज नहीं होंगे। उनके स्थान पर मेहमान जज के रूप में फराह खान और रेमो डिसूजा होंगे। इनके सामने जब 8 साल की ईशा मिश्रा ने ‘छम्मा -छम्मा’ गीत पर डांस किया तो सभी ईशा के कायल हो गए। रेमो ने कहा मैं तो सारे दिन बैठकर ईशा का शानदार डांस देख सकता हूं। साथ ही रेमो ने कोरियोग्राफर आशीष की भी तारीफ की। फराह ने ईशा से कहा तुमने तो उर्मिला मतोंदकर से भी अच्छा डांस कर दिया। इस तारीफ के साथ फराह ने ईशा को एक टिफिन बॉक्स दिया तो वह समोसे और आलू टिक्की देख खुशी से उछल पड़ी। उधर, इस सप्ताह के टॉप 5 के अन्य कार्यक्रमों की बात करें तो ‘अनुपमा’ पहले, ‘इमली’ दूसरे तो ‘गुम है किसी के प्यार में’ तीसरे नंबर पर है। चौथे नंबर पर ‘सुपर डांसर’ है तो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ पांचवे नंबर पर है।
गुजरात पहुंचा ‘वागले परिवार’ सोनी सब पर ‘वागले की दुनिया’ के नए एपिसोड की वापसी हो गयी है। पिछले दिनों इसके कुछ कलाकारों को कोरोना होने और शूटिंग रुकने से इसके पुराने एपिसोड प्रसारित होने लगे थे। लेकिन अब इसके फिर से नए एपिसोड शुरू हो गए हैं। इसके लिए पूरी यूनिट को गुजरात की सीमा पर सिलवासा शहर में जाना पड़ा, जो दादरा नगर हवेली, दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी है। शूटिंग मुंबई से सिलवासा में करते हुए कहानी में भी एक नया ट्विस्ट दिया गया है। इसमें वागले परिवार छुट्टी पर एक रिसोर्ट पर जाता है। लेकिन राजेश वागले को वहां पहुंचकर अपना सूटकेस नहीं मिलता। तब वंदना जैसे-तैसे होटल के स्टाफ को बोलकर राजेश के लिए कपड़ों का प्रबंध करती है। इधर वंदना का 40वां जन्म दिन भी मनाने की तैयारी है। नये एपिसोड में सीनियर वागले दंपत्ति यानी अंजन श्रीवास्तव और भारती अचरेकर नहीं होंगे। लेकिन कहानी में कुछ और पात्रों के लिए दीपक पारिक, मानसी जोशी, अमित सोनी और भक्ति चौहान जैसे कलाकार शामिल होंगे। उधर सुमित राघवन (राजेश वागले) और पारिवा प्रणति (वंदना) ने ‘वागले की दुनिया’ के नए एपिसोड फिर से शुरू होने पर खुशी जाहिर की, जबकि सीरियल के निर्माता जेडी मजेठया ने बताया, ‘हम 30 अप्रैल तक तो सिलसावा में शूटिंग करेंगे ही। आगे की शूटिंग मुंबई के लॉकडाउन आदि पर निर्भर करेगी।’
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भूमिपूजन के बाद बोले पीएम मोदी- आज भारत राममय है, मंदिर से निकलेगा भाईचारे का संदेश, राम सबके हैं
चैतन्य भारत न्यूज अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है। कई सालों तक कोर्ट में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया है। उन्होंने सबसे पहले अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए। भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान शामिल रहे। इसके बाद पीएम मोदी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि, 'देश आज स्वर्णिम इतिहास रच रहा है। आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों को इंतजार आज समाप्त हो रहा है।' पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, 'हमें आपसी ��्रेम-भाईचारे के संदेश से राम मंदिर की शिलाओं को जोड़ना है, जब-जब राम को माना है विकास हुआ है जब भी हम भटके हैं विनाश हुआ है। सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है, सबके साथ से और विश्वास से ही सबका विकास करना है। कोरोना के कारण जैसे हालात हैं, राम के द्वारा दिया गया मर्यादा का रास्ता जरूरी है।' पीएम मोदी बोले कि, 'अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भारतीय संस्कृति का दर्शन देगा, अनंतकाल तक मानवता को प्रेरणा देगा। पीएम मोदी ने यहां कहा कि सबके राम, सबमें राम और जय सिया राम। देश में जहां भी प्रभु राम के चरण पड़े हैं, वहां पर राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूरी पृथ्वी पर श्रीराम जैसा कोई शासक हुआ ही नहीं है, कोई भी दुखी ना हो कोई भी गरीब ना हो। नर और नारी समान रुप से सुखी हों। पीएम मोदी ने कहा कि राम का आदेश है कि बच्चों, बुजुर्ग और वैद्यों की रक्षा करनी चाहिए, जो हमें कोरोना ने भी सिखा दिया है। साथ ही अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्ग दर्शन करती रही है, महात्मा गांधी ने रामराज्य का सपना देखा था। राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते और सोचते हैं। राम परिवर्तन-आधुनिकता के पक्षधर हैं।' पीएम मोदी ने कहा कि, 'राम हर जगह हैं, भारत के दर्शन-आस्था-आदर्श-दिव्यता में राम ही हैं। तुलसी के राम सगुण राम हैं, नानक-तुलसी के राम निगुण राम हैं। भगवान बुद्ध-जैन धर्म भी राम से जुड़े हैं। तमिल में कंभ रामायण है, तेलुगु, कन्नड़, कश्मीर समेत हर अलग-अलग हिस्से में राम को समझने के अलग-अलग रुप हैं। पीएम मोदी ने कहा कि राम सब जगह हैं, राम सभी में हैं। विश्व की सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या इंडोनेशिया में है, वहां पर भी रामायण का पाठ होता है। पीएम ने बताया कि कंबोडिया, श्रीलंका, चीन, ईरान, नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में राम का नाम लिया जाता है।' 'आज देश के लोगों के सहयोग से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जैसे पत्थर पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बना, वैसे ही घर-घर से आई शिलाएं श्रद्धा का स्त्रोत बन गई हैं। ये न भूतो-न भविष्यति है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की ये शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'आज का ये दिन करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है, ये दिन सत्य-अहि��सा-आस्था और बलिदान को न्य���यप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है। कोरोना वायरस से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था और हर किसी की भावना का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। पीएम ने कहा कि इस मंदिर के साथ इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर, केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को राम की सेवा करने का सौभाग्य मिला।' पीएम मोदी ने कहा कि राम हम सभी के भीतर हैं, घुलमिल गए हैं। पीएम ने कहा कि भगवान राम की शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं और क्या कुछ नहीं हुआ। अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मंदिर बनने का काम शुरू हुआ है, ये मंदिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा, करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि, 'आने वाली पीढ़ियों को ये मंदिर संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे, यहां के लोगों के लिए अवसर बनेगा। मेरा सौभाग्य है मुझे ट्रस्ट ने ऐतिहासिक पल के लिए आमंत्रित किया। मेरा आना स्वभाविक था, आज इतिहास रचा जा रहा है। आज पूरा भारत राममय है, हर मन दीपमय है। पीएम ने कहा कि राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम।।।सदियों का इंतजार समाप्त हो रहा है। बरसों तक रामलला टेंट में रहे थे, लेकिन अब भव्य मंदिर बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में आजादी के लिए आंदोलन चला है, 15 अगस्त का दिन उस आंदोलन का और शहीदों की भावनाओं का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक पीढ़ियों ने प्रयास किया है, आज का ये दिन उसी तप-संकल्प का प्रतीक है। राम मंदिर के चले आंदोलन में अर्पण-तर्पण-संघर्ष-संकल्प था।' ये भी पढ़े... अयोध्या में रचा गया इतिहास, प्रधानमंत्री मोदी ने पूजा के बाद रखी राम मंदिर की आधारशिला, नींव में रखी 40 किलो चांदी की ईंट पीएम मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर में लगाया पारिजात का पौधा, जानिए इसका धार्मिक महत्व राम मंदिर भूमि पूजन: PMO ने साझा की प्रस्तावित राम मंदिर की तस्वीरें, अयोध्या में मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू Read the full article
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बुरे और डरावने सपने आने पर करें ये उपाय
रात में सोते समय सपना आना तो लाजमी सी बात है। लेकिन उन सपनों में भी कुछ सपने अच्छे होते है तो कुछ बुरे। अच्छे सपनों के कारण हम दिनभर खुश रहते हैं तो वही�� बुरे सपनों का असर आपके दिमाग और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। कई बार आपकी नींद अचानक रात में किसी बुरे सपने को देखने के बाद खराब हो जाती है। सपनों का संबंध हमारे वर्तमान और भविष्य की घटनाओं से हो सकता है। अगर लगातार डरावने स्वपन आते हैं तो वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाया जा सकता है और डरावने स्वपन से मुक्ति भी मिल सकती है।
सपने यूं ही बरबस आंखो में चले आते हैं और कभी हंसाते तो कभी रुला जाते हैं। सपनों के रहस्य पर ऋषि-मुनियों ने काफी शोध किया और बताया कि सपने कई बार तो यूं ही आते-जाते हैं लेकिन कई सपने खास तौर पर जिन्हें सूर्योदय से कुछ घंटे पहले आपने देखा है उनका कुछ ना कुछ मतलब होता है यानी वह संकेत होता है कि आपके जीवन में कुछ अच्छा या कुछ बुरा होने वाला है। रामायण और महाभारत तक में सपनों के रहस्य का जिक्र किया गया है। और बताया गया है कि सपनों के अशुभ परिणाम को कैसे रोका जा सकता है। आइए जानें जब बुरे सपने आएं तो क्या करें।
अगर रात में भयानक स्वप्न देख लिया है और आंख खुल जाए तो तुरंत भगवान शिव का नाम स्मरण करें। सुबह शिवमंदिर में जल अर्पित करें। लगातार बुरे स्वपन आते हैं तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। ऐसा करने से स्वपन का कोई दुष्परिणाम नहीं होगा।
हनुमान जी सब प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। घर में सुंदरकांड का पाठ करें। रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
बच्चों को अगर ��रावने स्वपन परेशान करते हैं तो सिरहाने पर रात में सोने से पहले एक चाकू रख लें। अगर चाकू न हो तो कोई भी नुकीली चीज रखकर सो सकते हैं।
तांबे के बर्तन में पानी भरकर पलंग के नीचे रखें। सुबह उठने के बाद इस पानी को गमले में डाल दें।
अगर बेड के सिरहाने पर जूते या चप्पल रखे हों तो भी डरावने स्वपन आ सकते हैं। हमेशा बिस्तर को साफ रखें।
सोने से पहले आप अपने पैरों को धोना ना भूलें। गहरे रंग की चादर न ओढ़ें।
रात में झूठा मुंह रखकर सोने से भी डरावने सपने आते हैं। सपने में बार-बार नदी, झरना या पानी दिखाई दे तो यह पितृ दोष की वजह से हो सकता है।
घर में नियमित गंगाजल का छिड़काव करें। बच्चों के बिस्तर पर सोने से पहले गंगाजल छिड़क दें।
यदि आपको भूत-प्रेत के सपने दिखते हैं तो रात को कमरे में तिल के तेल का दीपक जलाकर सोएं।
महिलाएं रात को बाल बांधकर सोए और कमरे में बिल्कुल अंधेरा न करें, हल्की रोशनी करके सोएं।
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श्री मद् भागवत कथा
आज प्रथम दिन की कथा, दिल्ली गणेश नगर मे ठा. श्री रमण विहारी जी ट्रस्ट व शर्मा परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन कथा व्यास *स्वामी श्री हरिदास राधेशनन्दन जू* ने बताया कि, श्रीमद्भागवत एक ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को रसमय बना देता है। भगवन् कष्ष्ण की अद्भूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्रीमद्भागवत कथा एक सुन्दर सेतु है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है। इस पुराण में 12 स्कन्ध एवं 335 अध्याय हैं। ब्यास जी ने 17 पुराणों की रचना कर ली लेकिन श्रीमद्भागवत कथा लिखने पर ही उन्हें सन्तोष हुआ। फिर ब्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को श्रीमद्भागवत पढ़ायी, तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को जिन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला, उन्हें सात दिनों तक श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी। जिससे राजा परीक्षित को सात दिन में मोक्ष की प्राप्ति हुयी। *निगमकल्पतरोर्गलितं फलं शुकमुखादमृतं द्रवसंयुतं।* *पिवत भागवतं रसमालयं महुरसो रसिका भुविभावुकाः।।* श्रीमद्भागवत वेद रूपी वष्क्षों से निकला एक पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण अमश्तमय एवं मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है। द्रवमय अमष्त से भरे इस रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है। इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिये। जितनी ज्यादा कथा सुनेंगे ��तना ही जीवन सुधरेगा। पित्रों का उद्धार करता है श्रीमद्भागवत:- श्रीमद्भागवत करने से पित्रों का उद्धार हो जाता है। भागवत पुराण करवाने वाला अपना उद्धार तो करता ही है अपितु अपने सात पीढि़यों का उद्धार कर देता है। पापी से पापी व्यक्ति भी यदि सच्चे मन से श्रीमद्भागवत की कथा सुन ले तो उसके भी समस्त पाप दूर हो जाते हैं। जीवन पर्यन्त कोई पाप कर्म करता रहे और पाप कर्म करते-करते मर जाय एवं भयंकर भूत-प्रेत योनि में चला जाय, यदि उसके नाम से हम श्रीमद्भागवत कथा करवायें तो वह भी बैकुण्ठ-लोक को प्राप्त करता है। इसके पीछे एक अद्भुद एवं विचित्र कथा है। तुंगभद्रा नदी के किनारे किसी नगर में आत्मदेव नामक एक ब्राह्मण रहते थे। ब्राह्मण बड़े सुशील और सरल स्वभाव के थे। लेकिन उनकी पत्नी धुँधली बड़ी दुष्ट प्रकष्ति की थी। वह बड़ी जिद्दी, अहंकारी और लोभी थी। आत्मदेव जी के घर में कोई कमी नहीं थी। लेकिन उनकी कोई सन्तान नहीं थी। एक दिन उन्हें स्वप्न हुआ कि तुम्हारी कोई सन्तान नहीं, इसलिये तुम्हारे पित्र बड़े दुःखी हैं और तुम्हारे दिये हुये जल को गर्म श्वास से ग्रहण करते हैं। आत्मदेव जी को बड़ा दुःख हुआ। सोचने लगे कि मेरी सन्तान नहीं इसलिये पित्रों के दोष से ही मेरे घर में गाय का कोई बछड़ा नहीं होता और न ही पेड़ पर फल लगते हैं। सन्तानहीन व्यक्ति के जीवन को धिक्कार है। वह तो इह लोक-परलोक दोनों ही में दुःख पाता है। एक दिन सबकुछ छोड़-छाड़कर दुःखी मन से आत्मदेव जी सीधे वन चले गये। दो-तीन दिन तक वन में विलाप करने के पश्चात् एक दिन उन्हें वहाँ एक महात्मा के दर्शन हुये और अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा ने आत्मदेव जी को एक फल दिया और कहा कि इस फल को अपनी पत्नी को खिला देना। इससे उसका पुत्र हो जायेगा। आत्मदेव जी घर आये और अपनी पत्नी धुँधली को वह फल दे दिया। धुँधली ने सोचा कि ये पता नहीं किस बाबा से उठा लाये हैं, फल खाके कुछ हो गया तो! चलो सन्तान हो भी जाय तो उसे पालने में कितना कष्ट उठाना पड़ता है, मैं गर्भवती हो गयी तो मेरा रूप-सौन्दर्य ही बिगड़ जायेगा। ऐसा सोचकर उसने वह फल घर में बँधी बन्ध्या गाय को खिला दिया और आत्मदेव जी से कहकर छह-सात महीने के लिये अपनी बहिन के घर चली गयी। कुछ महीनों बाद बहिन का पुत्र लेकर लौटी और आत्मदेव जी से कहा कि मेरा पुत्र हो गया। आत्मदेव जी बड़े प्रसन्न हुये और धुँधली के कहने पर उस पुत्र का नाम धुँधकारी रख दिया। इधर धुँधली ने जो फल अपनी बन्ध्या गाय को खिलाया था उस गाय ने भी एक सुन्दर से बालक को जन्म दिया। जिसका पूरा शरीर मनुष्य की तरह और गाय की तरह उसके कान थे। इसलिये आत्मदेवजी ने उसका नाम गौकर्ण रख दिया। धीरे-��ीरे दोनों बालक बड़े होने लगे तो गौकर्ण पढ़-लिखकर विद्वान और ज्ञानी बना, लेकिन धुँधकारी बड़ा दुष्ट पैदा हुआ। "गौकर्ण पण्डितोज्ञानी धुँधकारीमहाखलः" गौकर्ण पढ़ने को बनारस चला गया। धुँधकारी गाँव में ही बच्चों को पीटता, वष्द्धों को परेशान करता, चोरी करता, धीरे-धीरे डाका डालने लगा और बहुत बड़ा डाकु बन गया। माँस-मदिरा का सेवन करता हुआ धुँधकारी रोज मध्य रात्रि में घर आता। आत्मदेव जी को बड़ा दुःख हुआ, पुत्र को बहुत समझाया, लेकिन पुत्र नहीं माना। बड़े दुःखी मन से आत्मदेव जी सीधे वन को चले गये और भगवान का भजन करते हुये आत्मदेव जी ने अपने शरीर का परित्याग कर दिया। अब घर में माँ रहती तो माँ को भी धुँधकारी परेशान करने लगा, यहाँ तक कि माँ को पीटने लगा। एक दिन धुँधली ने भी डर कर अर्द्धरात्रि में कुँए में कूदकर आत्महत्या कर ली। अब तो धुँधकारी घर में पाँच-पाँच वेश्याओं के साथ में रहने लगा। एक दिन धन के लोभ में उन वेश्याओं ने धुँधकारी को मदिरा पिलाकर जलती हुयी लकड़ी से जलाकर मार डाला और धुँधकारी को वहीं दफनाकर उसका सारा धन लेकर के भाग गयी। धुँधकारी जीवन भर पाप कर्म करता रहा और मरने के बाद भयंकर प्रेत-योनि में चला गया। एक दिन गौकर्ण जी तीर्थ यात्रा से लौटे तो जाना कि धुँधकारी प्रेत-योनि में भटक रहा हैै। तब गौकर्ण ने अपने भाई के निमित्त श्रीमद्भागवत की कथा करवायी। सात दिनों तक कथा सुनने के पश्चात् धुँधकारी प्रेत-योनि से विमुक्त होकर दिव्य-स्वरूप धारण कर भगवान विष्णु के लोक में पहुँच गये। इसलिये पित्रों के निमित्त श्रीमद्भागवत कथा करवाने से पित्रों को मुक्ति मिल जाती है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने का फल:- मानव जीवन सबसे उत्तम और अत्यन्त दुर्लभ है। श्रीगोविन्द की विशेष कष्पा से हम मानव-योनि में आये हैं। भगवान के भजन करने के लिये ही हमें यह जीवन मिला है और श्रीमद्भागवत कथा सुनने से या करने से हम अपना मानव जीवन में जन्म लेना सार्थक बना सकते हैं। श्रीमद्भागवत कथा सुनने के अनन्त फल हैं। 1. श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मनुष्य को आत्मज्ञान होता है। भगवान की दिव्य लीलाओं को सुनकर मनुष्य अपने ऊपर परमात्मा की विशेष अनुकम्पा का अनुभव करता है। 2. श्रीमद्भागवत कथा करने से मनुष्य अपने सुन्दर भाग्य का निर्माण शुरू कर देता है। वह ईह लोक में सभी प्रकार के भोगों को भोग कर परलोक में भी श्रेष्ठता को प्राप्त करता है। 3. श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को जीना सिखाती है तथा मष्त्यु के भय से दूर करती है एवं पित्र दोषों को शान्त करती है। 4. जिस व्यक्ति ने जीवन में कोई सत्कर्म न किया हो, सदैव दुराचार में लिप्त रहा हो, क्रोध रूपी अग्नि में जो हमेशा जलता रहा हो, जो व्यभिचारी हो गया हो, परस्त्रीगामी हो गया हो, यदि वह व्यक्ति भी श्रीमद्भागवत की कथा करवाये तो वह भी पापों से मुक्त हो जाता है। 5. जो ��त्य से विहीन हो गये हों, माता-पिता से भी द्वेष करने लगे हों, अपने धर्म का पालन न करते हों, वे भी यदि श्रीमद्भागवत कथा सुनें तो वे भी पवित्र हो जाते हैं। 6. मन-वाणी, बुद्धि से किया गया कोई भी पापकर्म-चोरी करना, छद्म करना, दूसरों के धन से अपनी आजीविका चलाना, ब्रह्म-हत्या करने वाला भी यदि सच्चे मन से श्रीमद्भागवत कथा सुनले तो उसका भी जीवन पवित्र हो जाता है। 7. जीवन-पर्यन्त पाप करने के पश्चात् मरने के बाद भयंकर प्रेत-योनि (भूत योनि) में चला गया व्यक्ति के नाम पर भी यदि हम श्रीमद्भागवत की कथा करवायें तो वह भी प्रेत-योनि से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है। श्रीमद्भागवत कथा करवाने का मुहुर्त:- श्रीमद्भागवत कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। भागवत् के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन श्रीमद्भागवत कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है। पित्रों के निमित्त उनकी मोक्ष तिथि को लेना चाहिये। श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कहाँ करें?:- श्रीमद्भागवत कथा करवाने के लिये स्थान अत्यधिक पवित्र होना चाहिये। जन्म भूमि में श्रीमद्भागवत कथा करवाने का विशेष महत्व बताया गया है - जननी जन्मभूमिश्चः स्वर्गादपि गरियशी - इसके अतिरिक्त हम तीर्थों में भी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कर विशेष फल प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी जहाँ मन को सन्तोष पहुँचे, उसी स्थान पर कथा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। कथा के लिये स्थान का निर्वाचर करके सर्वप्रथम भूमि का मार्जन और गोबर से लेप करना चाहिये। वहाँ एक मण्डप और उसके ऊपर गुम्बद के आकार का चन्दोवा लगाकर तथा हनुमान जी के लिये एक झण्डा लगायें तथा पित्रों के निमित्त एक सात गाँठ वाले बाँस लगायें। श्रीमद्भागवत कथा करने के नियम:- श्रीमद्भागवत कथा का वक्ता विद्वान ब्राह्मण, शास्त्रज्ञ, देवभक्त, निर्लोभी, आचारवान, संयमी, एवं संशय निवारण में समर्थ होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। श्रीमद्भागवत कथा में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं। प्रातःकाल स्नानादि से निवष्त्त होकर स्वच्छ वस्त्रों को धारण करके कलश की स्थापना करनी चाहिये। गणेश, नवग्रह, योगिनी, मातष्का, क्षेत्रपाल, बटुक, तुलसी, विष्णु, शंकर आदि की पूजा करके भगवान नारायण की अराधना करनी चाहिये। कथा के दिनों में श्रोता एवं वक्ता को क्षौर-मुण्डन आदि नहीं कराना चाहिये। उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक भोजन, संयमित, शुद्ध आचरण तथा अहिंसाशील होना चाहिये। प्याज, लहसून, माँस-मदिरा, धूम्रपान इत्यादि तामस पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिये तथा वक्ता एवं श्रोता को इनका तथा स्त्री संग का त्याग करना चाहिये। *कथा व्यास स्वामी श्री हरिदास राधेशनन्दन जू जो श्री वृन्दावन धाम से आए हुए हैं, ने अपने समधुर भजनो से सभी को अमृतपान कराया।*
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Today's Horoscope-
मेष : लंबे समय से चल रहे विवाद जल्दी खत्म हो सकते हैं। अपने बुजुर्गों के निमित्त भोजन फल का दान करें। किसी मरीज के इलाज हेतु आर्थिक मदद करें।
वृष: अनुजों व कर्मचारियों का सहयोग होगा। दाम्पत्य संबंध में सुधार व वैवाहिक सुख का आनंद लेंगे। बुजुर्ग/गरीब की आर्थिक मदद करें और उन्हें भोजन करवाएं।
मिथुन: घर-परिवार का सुख बढ़ेगा। किसी की जमानत ना दें। कानूनी झंझटों से राहत मिलेगी। बच्चों में फल फ्रूट वितरित करें।
कर्क: कैरियर की दृष्टि से महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। गैस्टिक पेट आदि रोगों से समस्या रहेगी। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
सिंह: लेन-देन के मामले में किसी पर ज्यादा भरोसा न करें। व्यापार में नए एवं लाभकारी अनुबंध होंगे। अपने खानपान का ख्याल रखें। गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाएं।
कन्या: जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। कानूनी कार्यों में सफलता मिलेगी। वाहन चलाते समय सावधानी रखें। गौशाला में हरे चारे और गुड़ का दान करें।
तुला: नए विषय और योजनाओं पर कार्य करेंगे। आर्थिक समस्याएं जल्द हल होंगी। गरीबों में फल फ्रूट वितरित करें। किसी मरीज के इलाज हेतु आर्थिक मदद करें।
वृश्चिक: आपके मनोबल में वृद्धि होगी। कई दिनों से अटके अधूरे काम पूरे होंगे। हनुमान जी के मंदिर में की मिठाई अर्पित करें। उसके पश्चात गरीबों में वितरित करें।
धनु: व्यावसायिक कार्यों में सुदृढ़ता आएगी। विरोधियों को मात देने में सफल रहेंगे। मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में इजाफा होगा । मजदूरों में समोसे नमकीन बांटे।
मकर: स्वास्थ्य में सुधार होगा। मन में निराशा व उदासी का भाव विद्यमान रहेगा। किसी जरूरतमंद को जूते चप्पल दान करें। संभव हो तो मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
कुंभ: कुछ अस्थिरता महसूस करेंगे। नए कार्यक्षेत्र में प्रवेश की संभावना है। आर्थिक मामलों में किसी अनुभवी की राय लेना बेहतर रहेगा। गाय को गुड़ और हरा चारा गौशाला में दें।
म���न: दूसरों की चिंताएं ज्यादा करेंगे। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। आज अमावस्या के दिन अपने बुजुर्गों के नाम पर गरीबों को भोजन वितरित करें।
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*हनुमान बरी - HANUMAN BARI*
🌳 जिला फिरोजाबाद, तहसील सिरसागंज के पैगू रोड पर ग्राम नगला खुशहाली में स्थित है बरगद का पवित्र पेड़ आज से लगभग 300 साल पुराना है, जिसके नीचे स्वयं प्रकट हुए श्री हनुमान। बरगद को स्थानीय भाषा में *बरी* कहा जाता है, अतः श्री हनुमंत लाल और पवित्र बरगद के पेड़ को मिलाकर हनुमान बरी के नाम से पुकारा जाता है। हनुमान बरी को एसे भी परिभाषित किया जा सकता है, *स्वयंभू श्री हनुमान अवतरित पवित्र बरगद वृक्ष*।
📜 गाँव मे होने वाले सभी शुभकार्यों की शुरूआत इसी पवित्र स्थल से होती है। सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को यहाँ चालीसा, आरती का पाठ करने के लिए बहुत संख्या में श्रद्धालु आते हैं। काफी भक्त यहां हनुमान जी पर चोला तथा प्रसाद चढ़ाते हैं।
🚩 *बूढ़े मंगल* अर्थात भादौं माह का अंतिम मंगलवार यहाँ का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है, जो बहुत ही धूम-धाम से ग्राम वासियों तथा आस-पास के लोगों द्वारा मनाया जाता है। बूढ़े मंगल के दिन पवित्र विशाल वट वृक्ष पर झंडा चढ़ाने का विधान है, जिसे यहाँ की बोल-चाल की भाषा में नेंजा भी कहा जाता है। झंडे की महिमा उसकी पवित्रता के साथ उसकी उँचाई तथा विशालता से भी जोड़ी जाती है।
🔥 होली के पवित्र त्योहार की शुरुआत हर घर से गोबर के उपले तथा पेड़ की लकड़िया रख कर यहाँ से ही होती है। बच्चों का सबसे बड़ा आकर्षण बरगद के पेड़ से निकलने वाली लटकती हुई जड़ें हैं, जिनपर सभी मस्ती से झूलते हुए श्री हनुमंत लाल के सानिध्य में होने के भरपूर मजे लेते हैं।
💦 धुलण्डी/होलिका-दहन के दिन 15 दिन पहिले रखी होली को जलाने का कार्य सुबह-सुबह होता है, और सारा गाँव यहीं से अपने घर की होलिका के लिए आग्नि लेकर जातें हैं। यहाँ तक कि होली खेलने की शुरूआत भी इसी पवित्र जगह से ही होती है।
🙏 हनुमान बरी पर हनुमान जी को हनुमान बाबा कहा जाता है और यहाँ का प्रसिद्ध व पसंदीदा जयकारा *हनुमान बाबा की जय हो* है! आज-कल मंदिर के इस पवित्र परिसर में एक नये शिव-पार्वती मंदिर का भी निर्माण किया जा चुका है।
*Know More About Hanuman Bari:* http//www.hanumanbari.com
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😀 *होशियार बच्चा और रामायण की कहानी* 😀 अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्णय लिया पप्पू :- सर मैं कुछ कहना चाहता हूँ। अध्यापक :- कहो बेटा पप्पू :- रामचंद्र जी का पुल बनाने का निर्णय गलत था। अध्यापक :- वो कैसे। पप्पू :- सर, उनके पास हनुमान थे जो उडकर लंका जा सकते थे। तो उनको पुल बनाने की कोई जरूरत नहीं थी अध्यापक :- हनुमान ही तो उड़ना जानते थे बाकी रीछ और वानर तो नहीं उडते थे। पप्पू :- सर वो हनुमान की पीठ पर बैठ कर जा सकते थे। जब हनुमान पुरा पहाड़ उठाकर ले जा सकते थे। तो..... अध्यापक :- भगवान की लीला पर सवा�� नहीं उठाया करते नालायक पप्पू :- वैसे सर एक उपाय और था। अध्यापक :- (गुस्से में ).....क्या ? पप्पू :- सर, हनुमान अपने आकार को कितना भी छोटा बड़ा कर सकते थे जैसे सुरसा के मुंह से निकलने के लिए छोटे हो गये थे और सूर्य को मुंह में लेते समय सूर्य से भी बडे.......... तो वो अपने आकार को भी तो समुद्र की चौडाई से बड़ा कर सकते थे और समुद्र के ऊपर लेट जाते। और सारे बन्दर 🙊 हनुमान जी की पीठ से गुजरकर लंका पहुंच जाते और रामचंद्र को भी समुद्र की अनुनय विनय करने की जरूरत नहीं पड़ती। वैसे सर एक बात और पूछूँ? अध्यापक :- पूछो। पप्पू :- सर सुना है। समुन्द्र पर पुल बनाते समय वानरों ने पत्थर पर "राम" नाम लिखा था..... जिससे वो पत्थर पानी 💧 में तैरने लगे। अध्यापक :- हाँ तो ये सही है। पप्पू :- सर, सवाल ये है बन्दर🐒🐒🐒 भालूओ को पढना लिखना किसने सिखाया था? अध्यापक :- हरामखोर पाखंडी बन्द कर अपनी बकवास और मुर्गा 🐓🐓🐓बन जा पप्पू :- *ठीक है सर, सदियों से हम मूर्ख बनते आ रहे हैं.....* चलो आज मुर्गा 🐓🐓🐓 बन जाते हैं!!!!! 😀 *मन्दिर नहीं, स्कुल चाहिए !* *धर्म नहीं, अधिकार चाहिए !!* * सोच में वैज्ञानि���ता लाएं * अच्छा लगे तो शेयर करें।।।।. 👏🏻 सत् साहेब👏🏻
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भूमिपूजन के बाद बोले पीएम मोदी- आज भारत राममय है, मंदिर से निकलेगा भाईचारे का संदेश, राम सबके हैं
चैतन्य भारत न्यूज अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है। कई सालों तक कोर्ट में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया है। उन्होंने सबसे पहले अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए। भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान शामिल रहे। इसके बाद पीएम मोदी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि, 'देश आज स्वर्णिम इतिहास रच रहा है। आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों को इंतजार आज समाप्त हो रहा है।' पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, 'हमें आपसी प्रेम-भाईचारे के संदेश से राम मंदिर की शिलाओं को जोड़ना है, जब-जब राम को माना है विकास हुआ है जब भी हम भटके हैं विनाश हुआ है। सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है, सबके साथ से और विश्वास से ही सबका विकास करना है। कोरोना के कारण जैसे हालात हैं, राम के द्वारा दिया गया मर्यादा का रास्ता जरूरी है।' पीएम मोदी बोले कि, 'अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भारतीय संस्कृति का दर्शन देगा, अनंतकाल तक मानवता को प्रेरणा देगा। पीएम मोदी ने यहां कहा कि सबके राम, सबमें राम और जय सिया राम। देश में जहां भी प्रभु राम के चरण पड़े हैं, वहां पर राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूरी पृथ्वी पर श्रीराम जैसा कोई शासक हुआ ही नहीं है, कोई भी दुखी ना हो कोई भी गरीब ना हो। नर और नारी समान रुप से सुखी हों। पीएम मोदी ने कहा कि राम का आदेश है कि बच्चों, बुजुर्ग और वैद्यों की रक्षा करनी चाहिए, जो हमें कोरोना ने भी सिखा दिया है। साथ ही अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्ग दर्शन करती रही है, महात्मा गांधी ने रामराज्य का सपना देखा था। राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते और सोचते हैं। राम परिवर्तन-आधुनिकता के पक्षधर हैं।' पीएम मोदी ने कहा कि, 'राम हर जगह हैं, भारत के दर्शन-आस्था-आदर्श-दिव्यता में राम ही हैं। तुलसी के राम सगुण राम हैं, नानक-तुलसी के राम निगुण राम हैं। भगवान बुद्ध-जैन धर्म भी राम से जुड़े हैं। तमिल में कंभ रामायण है, तेलुगु, कन्नड़, कश्मीर समेत हर अलग-अलग हिस्से में राम को समझने के अलग-अलग रुप हैं। पीएम मोदी ने कहा कि राम सब जगह हैं, राम सभी में हैं। विश्व की सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या इंडोनेशिया में है, वहां पर भी रामायण का पाठ होता है। पीएम ने बताया कि कंबोडिया, श्रीलंका, चीन, ईरान, नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में राम का नाम लिया जाता है।' 'आज देश के लोगों के सहयोग से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जैसे पत्थर पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बना, वैसे ही घर-घर से आई शिलाएं श्रद्धा का स्त्रोत बन गई हैं। ये न भूतो-न भविष्यति है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की ये शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'आज का ये दिन करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है, ये दिन सत्य-अहिंसा-आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है। कोरोना वायरस से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था और हर किसी की भावना का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। पीएम ने कहा कि इस मंदिर के साथ इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर, केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को राम की सेवा करने का सौभाग्य मिला।' पीएम मोदी ने कहा कि राम हम सभी के भीतर हैं, घुलमिल गए हैं। पीएम ने कहा कि भगवान राम की शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं और क्या कुछ नहीं हुआ। अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मंदिर बनने का काम शुरू हुआ है, ये मंदिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा, करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि, 'आने वाली पीढ़ियों को ये मंदिर संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे, यहां के लोगों के लिए अवसर बनेगा। मेरा सौभाग्य है मुझे ट्रस्ट ने ऐतिहासिक पल के लिए आमंत्रित किया। मेरा आना स्वभाविक था, आज इतिहास रचा जा रहा है। आज पूरा भारत राममय है, हर मन दीपमय है। पीएम ने कहा कि राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम।।।सदियों का इंतजार समाप्त हो रहा है। बरसों तक रामलला टेंट में रहे थे, लेकिन अब भव्य मंदिर बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में आजादी के लिए आंदोलन चला है, 15 अगस्त का दिन उस आंदोलन का और शहीदों की भावनाओं का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक पीढ़ियों ने प्रयास किया है, आज का ये दिन उसी तप-संकल्प का प्रतीक है। राम मंदिर के चले आंदोलन में अर्पण-तर्पण-संघर्ष-संकल्प था।' ये भी पढ़े... अयोध्या में रचा गया इतिहास, प्रधानमंत्री मोदी ने पूजा के बाद रखी राम मंदिर की आधारशिला, नींव में रखी 40 किलो चांदी की ईंट पीएम मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर में लगाया पारिजात का पौधा, जानिए इसका धार्मिक महत्व राम मंदिर भूमि पूजन: PMO ने साझा की प्रस्तावित राम मंदिर की तस्वीरें, अयोध्या में मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू Read the full article
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भूमिपूजन के बाद बोले पीएम मोदी- आज भारत राममय है, मंदिर से निकलेगा भाईचारे का संदेश, राम सबके हैं
चैतन्य भारत न्यूज अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है। कई सालों तक कोर्ट में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया है। उन्होंने सबसे पहले अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए। भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान शामिल रहे। इसके बाद पीएम मोदी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि, 'देश आज स्वर्णिम इतिहास रच रहा है। आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों को इंतजार आज समाप्त हो रहा है।' पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, 'हमें आपसी प्रेम-भाईचारे के संदेश से राम मंदिर की शिलाओं को जोड़ना है, जब-जब राम को माना है विकास हुआ है जब भी हम भटके हैं विनाश हुआ है। सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है, सबके साथ से और विश्वास से ही सबका विकास करना है। कोरोना के कारण जैसे हालात हैं, राम के द्वारा दिया गया मर्यादा का रास्ता जरूरी है।' पीएम मोदी बोले कि, 'अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भारतीय संस्कृति का दर्शन देगा, अनंतकाल तक मानवता को प्रेरणा देगा। पीएम मोदी ने यहां कहा कि सबके राम, सबमें राम और जय सिया राम। देश में जहां भी प्रभु राम के चरण पड़े हैं, वहां पर राम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूरी पृथ्वी पर श्रीराम जैसा कोई शासक हुआ ही नहीं है, कोई भी दुखी ना हो कोई भी गरीब ना हो। नर और नारी समान रुप से सुखी हों। पीएम मोदी ने कहा कि राम का आदेश है कि बच्चों, बुजुर्ग और वैद्यों की रक्षा करनी चाहिए, जो हमें कोरोना ने भी सिखा दिया है। साथ ही अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही शांति भी बनी रहेगी। राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्ग दर्शन करती रही है, महात्मा गांधी ने रामराज्य का सपना देखा था। राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते और सोचते हैं। राम परिवर्तन-आधुनिकता के पक्षधर हैं।' पीएम मोदी ने कहा कि, 'राम हर जगह हैं, भारत के दर्शन-आस्था-आदर्श-दिव्यता में राम ही हैं। तुलसी के राम सगुण राम हैं, नानक-तुलसी के राम निगुण राम हैं। भगवान बुद्ध-जैन धर्म भी राम से जुड़े हैं। तमिल में कंभ रामायण है, तेलुगु, कन्नड़, कश्मीर समेत हर अलग-अलग हिस्से में राम को समझने के अलग-अलग रुप हैं। पीएम मोदी ने कहा कि राम सब जगह हैं, राम सभी में हैं। विश्व की सबसे अधिक मुस्लि�� जनसंख्या इंडोनेशिया में है, वहां पर भी रामायण का पाठ होता है। पीएम ने बताया कि कंबोडिया, श्रीलंका, चीन, ईरान, नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में राम का नाम लिया जाता है।' 'आज देश के लोगों के सहयोग से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जैसे पत्थर पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बना, वैसे ही घर-घर से आई शिलाएं श्रद्धा का स्त्रोत बन गई हैं। ये न भूतो-न भविष्यति है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की ये शक्ति पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का विषय है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'आज का ये दिन करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है, ये दिन सत्य-अहिंसा-आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है। कोरोना वायरस से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था और हर किसी की भावना का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। पीएम ने कहा कि इस मंदिर के साथ इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर, केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को राम की सेवा करने का सौभाग्य मिला।' पीएम मोदी ने कहा कि राम हम सभी के भीतर हैं, घुलमिल गए हैं। पीएम ने कहा कि भगवान राम की शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं और क्या कुछ नहीं हुआ। अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मंदिर बनने का काम शुरू हुआ है, ये मंदिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा, करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि, 'आने वाली पीढ़ियों को ये मंदिर संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा। पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे, यहां के लोगों के लिए अवसर बनेगा। मेरा सौभाग्य है मुझे ट्रस्ट ने ऐतिहासिक पल के लिए आमंत्रित किया। मेरा आना स्वभाविक था, आज इतिहास रचा जा रहा है। आज पूरा भारत राममय है, हर मन दीपमय है। पीएम ने कहा कि राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम।।।सदियों का इंतजार समाप्त हो रहा है। बरसों तक रामलला टेंट में रहे थे, लेकिन अब भव्य मंदिर बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में आजादी के लिए आंदोलन चला है, 15 अगस्त का दिन उस आंदोलन का और शहीदों की भावनाओं का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक पीढ़ियों ने प्रयास किया है, आज का ये दिन उसी तप-संकल्प का प्रतीक है। राम मंदिर के चले आंदोलन में अर्पण-तर्पण-संघर्ष-संकल्प था।' ये भी पढ़े... अयोध्या में रचा गया इतिहास, प्रधानमंत्री मोदी ने पूजा के बाद रखी राम मंदिर की आधारशिला, नींव में रखी 40 किलो चांदी की ईंट पीएम मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर में लगाया पारिजात का पौधा, जानिए इसका धार्मिक महत्व राम मंदिर भूमि पूजन: PMO ने साझा की प्रस्तावित राम मंदिर की तस्वीरें, अयोध्या में मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू Read the full article
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