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#स्वस्थ लिवर के लिए खुराक
newsuniversal-in · 2 years
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सिद्धार्थनगर के डॉक्टर भास्कर शर्मा ने होम्यौपैथिक चिकित्सा पर कही बड़ीबात 
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सिद्धार्थनगर। होम्योपैथी के सिरमौर सिद्धार्थनगर के डॉक्टर भास्कर शर्मा ने मंगलवार को एक भेंटवार्ता में होम्यौपैथी चिकित्सा पद्धति, बीमारियों का इलाज, परहेज तथा अपनी योग्यता के विषय में विस्तार से बताया। प्रस्तुत है उनसे खास बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अशं। प्रश्न- चिकित्सा के क्षेत्र में आपके पास कौन-कौन सी डिग्री है? उत्तर- मेरे पास होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की विश्व की सबसे बड़ी डिग्री है। बीएचएमएस, एमडी (होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका) पीएचडी (होम्योपैथिक)। प्रश्न- आपने होम्योपैथिक चिकित्सा में अपना रजिस्ट्रेशन किन- किन जगहों पर कराया है और रजिस्ट्रेशन नंबर कितना है? उत्तर- मेरा रजिस्ट्रेशन होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड उत्तर प्रदेश में जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर एच 028454 तथा केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद नई दिल्ली भारत सरकार में 2539 है। प्रश्न- अभी तक आपने कितने पुस्तकों का लेखन किया है तथा समाज में इसका क्या प्रभाव रहा है? उत्तर- मैंने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की 156 पुस्तकों का लेखन किया है। हमारी प्रकाशित पुस्तकों के द्वारा समाज में जागरूकता उत्पन्न हुई है। लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए और समय रहते अपने इलाज के लिए तत्पर हुए हैं। प्रश्न- आप अब तक कितने निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन कर चुके हैं? उत्तर- मैं सौ से अधिक निशुल्क चिकित्सा शिविर का लगा चुका हूं। विभिन्न स्थानों पर निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने से वहां के स्थानीय लोगों को जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें तत्काल सुविधा मिली। प्रश्न- क्या आपका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है किसके लिए दर्ज है? उत्तर- मेरा नाम होम्योपैथिक चिकित्सा क्षेत्र में लार्जेस्ट होम्योपैथी लेशन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। विश्व का एकमात्र चिकित्सक हूं जो मेरा नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में होम्योपैथी के क्षेत्र में दर्ज है। इससे विश्व के तमाम देशों में स्वास्थ्य के प्रति कार्य करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। जिसमें श्रीलंका, जापान, कंबोडिया इत्यादि देशों में एक सकारात्मक संदेश गया। प्रश्न- क्या आपको गूगल ने भी रिसर्च स्कॉलर का प्रमाण पत्र दिया है? उत्तर- जी हां राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय रिसर्च पेपर देने से गठिया रोग, अस्थमा, मधुमेह, एनीमिया, गैस्ट्राइटिस, पीलिया, स्किन डीजीज आदि इत्यादि बीमारियों के बारे में सूक्ष्म से सूक्ष्म बातें और उनका उपचार करने की संपूर्ण जानकारी मिलती है। प्रश्न- आपने होम्योपैथिक चिकित्सा की कौन-कौन सी पुस्तकों का लेखन किया है। कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों का नाम बताएं ? उत्तर- होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका भाग 1 भाग 2 भाग 3 होम्योपैथिक थैरेपीयूटिक्स, कैंसर एंड होम्योपैथी, होम्योपीडिया मैटेरिया मेडिका। प्रश्न- होम्योपैथी क्या है? उत्तर- होम्योपैथी शब्द का अर्थ है ’समान पीड़ा’। जब एक स्वस्थ व्यक्ति को औषधीय रूप से प्रेरित पदार्थों की उच्च खुराक दी जाती है, तो वे कुछ लक्षण विकसित कर सकते हैं। होम्योपैथिक दवा या होम्योपैथी इस आधार पर काम करती है कि जब एक ही पदार्थ को पतला किया जाता है, तो वे विभिन्न कारणों से उत्पन्न होने वाले समान लक्षणों के उपचार में मदद करते हैं। होम्योपैथिक दवाएं रोगाणुओं पर हमला करने के लिए नहीं जानी जाती हैं, बल्कि रोग के कारण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती हैं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के अलावा, होम्योपैथिक दवाएं रोगी के मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं, जो उपचार का एक अनिवार्य हिस्सा है। प्रश्न- क्या होम्योपैथिक दवाओं का साइड इफेक्ट होता है? उत्तर- होम्योपैथी एक पूरी तरह सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। एलोपैथी के तरह इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। अंग्रेजी मेडिसिन में आप जिस भी बीमारी के इलाज के लिए जिस भी दवा का सेवन करते हैं, उसका कोई न कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है। ट्यूबरकुलोसिस की दवा टीबी का इलाज तो करती है, लेकिन साथ ही लिवर पर भी नकारात्मक असर डालती है। माइग्रेन के लिए ली जा रही दवा का साइड इफेक्ट ये है कि ये रक्त को पतला करती है। किसी भी तरह के दर्द के लिए हम जो पेनकिलर लेते हैं, वो पेनकिलर शरीर की इम्युनिटी को कमजोर कर रहा होता है। लेकिन होम्योपैथी के साथ ऐसा नहीं है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. यह दवा सिर्फ उस बीमारी और कष्ट का ही निवारण करती है, जिसके लिए वह दी जा रही है। प्रश्न-क्या होम्योपैथी द्वारा सभी रोगों का इलाज किया जा सकता है? उत्तर- चिकित्सा की किसी भी अन्य प्रणाली की तरह, होम्योपैथी की भी अपनी सीमाएँ हैं। होम्योपैथी द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज किया जा सकता है। सिर्फ ऐसे मामलों के सिवाए जिसमें शल्य-चिकित्सा की आवश्यकता है। इसके अलावा, कुछ तथा-कथित शल्य-चिकित्सीय रोग जैसे कि बढ़े हुए टॉन्सिल, किडनी स्टोन, बवासीर, गर्भाशय के ट्यूमर इत्यादि का भी होम्योपैथी द्वारा इलाज किया जा सकता है। प्रश्न- होम्योपैथी गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है? उत्तर- होम्योपैथिक दवाएं अपनी प्रकृति में चूंकि आक्रामक नहीं होतीं, इसलिए यह गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, शिशुओं और बुजुर्गों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। कमजोर शरीर पर इनका कोई नकारात्मक असर नहीं होता। प्रश्न- होम्योपैथिक दवा कितने दिन में काम करता है? उत्तर- होम्योपैथिक दवाओं के असर करने का समय कई कारकों पर निर्भर करता है। अगर रोग की हाल ही में उत्पत्ति हुई है तो इलाज कम समय में ही पूरा किया जा सकता है। ऐसे में, अगर दवा का चयन, प्रभावशीलता एवं पुनरावृत्ति का समय सही हो तो होम्योपैथिक दवाएं जल्द असर करती हैं। प्रश्न- क्या यह सच है कि होम्योपैथिक इलाज के दौरान चाय, प्याज, लहसुन आदि का सेवन करना मना होता है? उत्तर- नहीं यह सच नहीं है, होम्योपैथिक इलाज के दौरान प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी, पान इत्यादि का सेवन करना मना नहीं होता है। प्रश्न- क्या मधुमेह के रोगी ऐसी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं जिसमें चीनी होती है? उत्तर- हाँ, मधुमेह के रोगी चीनी युक्त होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इन दवाओं में चीनी की मात्रा बहुत कम होती है। जरूरत अनुसार, यह दवाइयां आसुत जल के साथ भी ली जा सकती है। Read the full article
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गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन
डॉक्टर द्वारा महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान बहुत खास ख्याल रखने के लिए कहा जाता है महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के बारे में ख्याल रखना होता है इसके लिए महिलाओं को रहन-सहन और स्वस्थ भोजन करने की सलाह दी जाती है महिला को गर्भावस्था के दौरान अपने खानपान का खास तौर से ध्यान रखना होता है क्योंकि खान-पान का असर उसके बच्चे पर पड़ता है और उसका शारीरिक विकास में सुधार होता है सही खान-पान के नहीं होने से बच्चे की शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है।
इसके लिए महिलाओं को सभी उपयोगी और पोषक तत्व वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।  महिलाओं को समय-समय पर खानपान में बदलाव करना चाहिए और उन्हें जरूरत वाली चीजों का सेवन करना चाहिए जिसमें बदाम प्रोटीन वाली चीजें दाल दूध वाली चीजें हैं। सब्जियां फल-फूल आदि का सेवन करना चाहिए। जो महिलाएं गर्भावस्था के समय अपना ख्याल नहीं रख पाते हैं, उसका परिणाम उसके बच्चे को भुगतना पड़ता है और प्रसव के दौरान बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।
गर्भावस्था में स्वस्थ भोजन क्या है?
गर्भावस्था के दौरान महिला और बच्चे के लिए शारीरिक विकास और मानसिक विकास के लिए मां को स्वस्थ भोजन करने की आवश्यकता होती है। स्वस्थ भोजन के अंदर विटामिन सी विटामिन डी कैल्शियम पोटेशियम वसा कार्बोहाइड्रेट आदि सभी प्रचुर मात्रा में दी जाती है ताकि बच्चा और मां दोनों स्वस्थ रहें और प्रसव के दौरान किसी की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
इसके लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करने की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ भोजन करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन
गर्भावस्था के समय महिला को अपने होने वाले बच्चे के खास खयाल के लिए स्वस्थ भोजन करने की आवश्यकता होती है इससे उसके बच्चे को अच्छा पोषण मिलता है ताकि वह हष्ट पुष्ट पैदा हो। गर्भावस्था के दौरान यदि महिला द्वारा स्वस्थ भोजन का ध्यान नहीं रखा जाता है तो महिला को आयरन कैल्शियम जैसे बहुत से पोषक तत्व की कमी हो जाती है।
जिससे बच्चे की शारीरिक विकास में बाधा आती है। हमने नीचे कुछ चीजों का उल्लेख किया है जिसमें बताया गया है कि गर्भावस्था के समय महिला को क्या-क्या खाना चाहिए।
दूध से बनी चीजें
महिला के प्रेग्नेंट होने पर गर्भावस्था के समय महिला को ज्यादा से ज्यादा दूध से बनी चीजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। दूध से बनी चीजें से दही इसके अंदर प्रोटीन विटामिन कैल्शियम आदि के अच्छे स्रोत पाए जाते हैं महिला गर्भावस्था के दौरान पनीर का सेवन भी कर सकती है क्योंकि इसके अंदर बड़ी मात्रा में कैल्शियम होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत ही जरूरी है इसे बच्चे का शारीरिक विकास होने में मदद मिलती है।
दालें
दाल शरीर के लिए बहुत ही जरूरी चीज है क्योंकि इसके अंदर प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है और एक गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन की सही मात्रा मिलना जरूरी है जो महिला शाकाहारी है उन्हें मांसाहारी चीजों से दूर रहना चाहिए उसके लिए दालों का सेवन कर सकती है, क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन मिलता है खासकर महिला मसूर की दाल का भरपूर सेवन कर सकती है।  यह बच्चे और महिला के लिए अच्छा है।
मांस और मछली
जो महिलाएं मांस और मछली जैसी चीजों का सेवन करती है वह मांस और मछली का सेवन कर सकती है यह प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जिस महिलाओं को दालों से प्रोटीन कब मिलता है वह मांस मछली खा सकती है।
अंडा सफेद होने के कारण इससे सफेदी प्रोटीन अच्छी मात्रा में मिल जाता है जबकि मटन के अंदर आयरन किसकी मात्रा होती है दो शिशु के लिए बहुत ही जरूरी है मछली का सेवन करने से बच्चे का शारीरिक विकास होता है।
बादाम
गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ भोजन के अंदर मेवा और बादाम खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसके अंदर प्रोटीन की मात्रा होती है महिलाएं गर्भावस्था के दौरान मेले के साथ में बादाम पैसा खर्च आदि का सेवन कर सकती है यह बच्चे के लिए भी गुणकारी है।
सब्जियां
मनुष्य को शरीर में उर्जा प्रदान करने के लिए सब्जियों की बहुत जरूरत है क्योंकि सबसे के अंदर आयरन विटामिन बी विटामिन सी विटामिन फोलिक एसिड जैसे बहुत से तत्व पाए जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला को हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर बहुत से पोषक तत्व होते हैं।
महिला को खासतौर से पालक का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर आयरन की प्रचुर मात्रा होती है इसके अलावा विटामिन बी होता जो बच्चे के लिए अच्छा होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को टमाटर का सेवन करना चाहिए क्योंकि टमाटर के अंदर विटामिन सी होता है और साथ ही साथ मटर रोड डोकली जैसी चीजों का भी सेवन नंबर चाहिए हरे सलाद का सेवन महिलाएं कर सकती है क्योंकि इसके अंदर आयरन पोटेशियम कैल्शियम फाइबर आदि की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर के विकास के लिए बहुत ही जरूरी होती है।
फल फूल
शरीर में कमजोरी को दूर करने के लिए व्यक्ति फलों का सेवन करता है यहां तक कि फलों के जूस का भी इस्तेमाल करता है।  गर्भवती महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है इसके लिए महिला को फाइबर युक्त फलों का सेवन करना चाहिए जिससे एक कब्ज से परेशानी का सामना किया जा सकता है। इसके अलावा फलों के अंदर बहुत से खनिज तत्व पाए जाते हैं और विटामिन पाए जाते हैं महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तरबूज का सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याओं को लड़ने की ताकत होती है आम संतरे नींबू जैसे फलों का सेवन करना चाहिए जिसके अंदर विटामिन सी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है विटामिन सी के लिए पोषक तत्व है।
तरल पदार्थ
गर्भवती महिला को समय-समय पर जूस पीना चाहिए जो उसके अंदर महिलाओं को खनिज और विटामिन की प्रचुर मात्रा मिल जाती है महिलाएं ज्यादा पानी पीती है इससे महिलाओं हाइड्रेटेड जैसी परेशानी से लड़ लेती है।
फलों को अक्सर भिगोकर उसका पानी पीना चाहिए यह हाइड्रेटेड रहने का एक सबसे बेहतरीन तरीका है। इससे पानी का स्वाद भी कहीं हद तक बदल जाता हैं। ध्यान रहे महिलाओं को डिब्बाबंद फलों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर उच्च मात्रा में अप्राकृतिक मिठास होती है जो बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
वसा
गर्भवती महिला को आहार के अंदर वसा युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए यह बच्चे की विकास के लिए बहुत ही जरूरी है और प्रसव अच्छे से हो सके उसके लिए भी बहुत जरूरी है यह महिलाओं को प्रसव के लिए तैयार करने में मदद करता है। गर्भवती महिला को वनस्पति तेल जैसे वसायुक्त तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मक्खन और घी जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए यह अतिरिक्त वसा पैदा कर सकता है जो गर्भावस्था के समय परेशानी पैदा कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर द्वारा महिलाओं को कुछ चीजें के लिए मना किया जाता है क्योंकि यह महिला और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक होते हैं। महिलाओं को पता होना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान किन चीजों को खाने से बचना चाहिए। क्योंकि कुछ खाते बताता है ऐसे होते हैं जो महिला को गर्भ अवस्था के दौरान परेशानी पैदा कर सकते हैं।
महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बैंगन खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह है मासिक धर्म उत्तेजित करने का काम करता है और महिला को कच्चे अंडे नहीं खाने चाहिए क्योंकि इससे सालमोनेला नामक संक्रमण पैदा हो जाता है और  आंत पर प्रभाव पड़ता है जिससे महिलाओं को दस्त बुखार पेट दर्द जैसी परेशानियां हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान महिला को कुछ खाद्य पदार्थ जैसे तिल के बीज सॉफ और मेथी  आदि चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके अंदर फाइटोएस्ट्रोजन पाया जाता है जो गर्भाशय को खत्म कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान जरूरी विटामिन कौन से हैं?
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के समय विटामिन की बहुत जरूरत होती है एक हष्ट पुष्ट बच्चे के लिए विटामिन की सही मात्रा होना जरूरी है सभी जानते हैं कौन-कौन से विटामिन जरूरी होते हैं।
गर्भवती महिला को विटामिन बी या फॉलिक एसिड जैसे महत्वपूर्ण विटामिन तत्वों की आवश्यकता होती है यह गर्भधान से पहले बहुत जरूरी होती है महिलाओं में विटामिन बी की कमी से बच्चे में न्यूरल ट्यूब का दोष हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी और कैल्शियम की आवश्यकता होती है इसकी कमी के कारण बच्चे की कंकाल प्रणाली मैं परेशानी आ सकती है और बच्चे और महा दोनों को खतरा हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं को विटामिन सी की प्रचुर मात्रा लेनी जरूरी है क्योंकि यह आयरन को अवशोषित कर लेता है और शरीर में खनिज तत्वों की कमी को पूरी करता है यह महिला के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के समय सावधानियां
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को वह सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि यह इसके बच्चे के जीवन का सवाल में हो सकता है महिलाओं को  गर्भावस्था के समय कुछ विशेष बातों को ध्यान रखना चाहिए हमने यह विशेष बातें नीचे एक ही करके बताइए चलिए जानते हैं।
धूम्रपान
गर्भवती महिला को धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए यह महिला और उसके बच्चे दोनों को चौकी में डाल सकता है और बच्चे का आंतरिक संरचना पर प्रभाव पड़ सकता है और इससे उसकी मृत्यु हो सकती है।
शराब
गर्भवती महिला यदि शराब का सेवन करती है तो उसका असर बच्चे भी पड़ता है और बच्चे की कोशिकाएं का विकास रुक जाता है जिससे बच्चे की मृत्यु हो सकती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के समय शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
ज्यादा खाना
गर्भवती महिला को ज्यादा खाने से भी परेशानी हो सकती है महिला को अपना संतुलन बनाए रखने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह खाने की मात्रा को निश्चित करें क्योंकि डिलीवरी के दौरान महिला का वजन सही होना चाहिए। ज्यादा खाने से गर्भवती महिला को डायबिटीज की परेशानी हो सकती है जिसका असर महिला और बच्चे पर पड़ता है।
कच्चे मांस का सेवन
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कच्चे मांस खाने से बचना चाहिए क्योंकि इसके अंदर परजीवी  होते हैं जो बच्चे के शारीरिक विकास को रोकने का काम करते हैं और भोजन में विष का कारण बन सकते हैं।
मछली का सेवन
महिलाओं के पास मांस और मछली का सेवन करने का विकल्प होता है परंतु इसके अंदर झींगा और कैंडल लाइट पूर्णा बहुत ही अच्छी फूड है महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि मछलियों के अंदर भी अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती है जो गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी चाहिए। महिलाओं को प्रतिदिन फिश लिवर ऑयल कैप्सूल का सेवन करना चाहिए यह महिला के गर्भ अवस्था के दौरान एक अच्छी खुराक है।
वजन
गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन बढ़ जाता है जिसके कारण अशोक के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है महिला को अपने व्यवस्था के दौरान वजन को एक सही मात्रा में रखना चाहिए ताकि उसे किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
Calcium का सेवन
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कैल्शियम वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए यह अंतिम दो तिमाही में बच्चे की विकास को अच्छे से करने में मदद करता है। इसके बाद ���ह ओस्टियोपोरोसिस विकसित होने वाली जैसी परेशानी से लड़ने के लिए भी फायदेमंद है।
जिस प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति को जीने के लिए एक स्वस्थ भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन की आवश्यकता होती है।  यह उसके और उसके बच्चे के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।  महिला और अपने बच्चे के शारीरिक विकास हेतु महिला को स्वस्थ भोजन प्रणाली को अपनाना चाहिए। महिला को गर्भावस्था के दौरान बहुत ही सावधान रहना चाहिए क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों का सवाल होता है।
Reference : https://www.ghareluayurvedicupay.com/paushtik-bhojan-for-pregnancy/
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sabkuchgyan · 4 years
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लिवर को हेल्दी और शक्तिशाली बनाने का फार्मूला जान लीजिये
लिवर को हेल्दी और शक्तिशाली बनाने का फार्मूला जान लीजिये #Ayurvedic #Health #Liver
यदि आप भी लिवर संबंधी किसी भी समस्या के शिकार हैं तो आज से ही बातें अम्ल में लाइए, जरूर फायदा होगा। लिवर  की बीमारियों पर केवल अपनी डाइट में बदलाव करके भी काबू पा सकते हैं, इसके लिए बस आपको अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव करना होगा। चलिए, जान लेते हैं जरुरी फॉर्मूले :-
ग्रीन टी– ग्रीन टी का सेवन करने से आपके शरीर से टॉक्सिन बाहर हो जाएंगे और मोटापे में भी कमी आ जाएगी, जिससे शरीर का हाइड्रेशन…
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margdarsanme · 3 years
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आंवला मुरब्बा के फायदे amla murabba ke fayde
(Healthy Amla Murabba)आंवला मुरब्बा के औषधीय गुण : पौष्टिकता से भरपूर आंवला मुरब्बा में कैरोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी कम्पलैक्स, विटामिन सी, आयरन, फाइबर, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, क्रोमियम, काॅपर खनिज आदि तत्व मौजूद हैं। खास पोषक तत्वों के एक साथ होने से रिच एंटीआक्सीडेंट के साथ एंटीबैक्टीरियल एजेन्ट भी है। आंवला मुरब्बा शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त करने में सहायक है।
आंवला मुरब्बा के फायदे / अमला मुरब्बा बेनिफिट्स (Health benefits of Amla Murabba) Amla Murabba ke Fayde
आंखों के लिए उत्तम आंवला मुरब्बा आंखों की रोशनी कमजोर होने पर और आंखों की भेंगापन समस्या में रोज आंवला मुरब्बा दूध या फिर फल रस के खाना फायदेमंद है। आंवला मुरब्बा रिच कैरोटीन, विटामिन बी कम्पलैक्स, विटामिन सी युक्त खास एंटीआॅक्सीडेंट है। इसी लिए एक्सपर्ट चिकित्सक आंखों की कमजोरी समस्या में आंवला मुरब्बा खाने की सलाह देते हैं। आंवला मुरब्बा तेजी से आंखों की समस्याओं को दूर करने में सहायक है। आंवला मुरब्बा आंखों के लिए उत्तम सुरक्षित आहार है। बच्चों के लिए आंवला मुरब्बा अमृत औषधि रूप आंवला मुरब्बा बच्चों के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार है। आंवला मुरब्बा किसी टाॅनिक स्रोत से कम नहीं है। आंवला मुरब्बा बच्चों की आंखों, मस्तिष्क, पाचन और लीवर को स्वस्थ सुचारू बनाये रखने का उत्तम स्रोत है। आंवला मुरब्बा बच्चों के लिए टाॅनिक स्रोत माना जाता है। आंवले से बच्चों के लिए कई तरह के टाॅनिक, हेल्दी पेय पदार्थ, सिरप बनाये जाते हैं। अल्सर, पेट खराबी और कब्ज एसिडिटी नाशक आंवला मुरब्बा आंवला मुरब्बा पेट सम्बन्धित समस्याओं जैसे पेट अल्सर, कब्ज, पेट जलन, एसिड रिफ्लेक्स, अपचन आदि में औषधि रूप है। रोज सुबह खाली पेट 1 आंवला मुरब्बा खायें। आंवला फाइबर विटामिन कम्पलैक्स युक्त पोषक तत्वों का स्रोत है। जोकि पेप्टिक अल्सर में आंवला मुरब्बा और आंवला जूस उत्तम पोषण है। आंवला मुरब्बा बढ़ाये इम्यून सिस्टम आंवला मुरब्बा रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। आंवला मुरब्बा बदलते मौसम में सर्दी - जुकाम, बुखार, वायरल संक्रमण से शरीर को बचाने में सक्षम है। आंवला मुरब्बा एंटीआॅक्सीडे��ट के साथ एंटीबैक्टीरियल स्रोत भी है। त्वचा रखे स्वस्थ आंवला मुरब्बा विटामिन बी कम्पलैक्स, विटामिन सी, विटामिन ई मिनरल तत्वों का मिश्रण है। आंवला मुरब्बा त्वचा पर एक्स्फोलीऐशन की तरह काम करता है। जोकि एन्टी एस्ट्रिंजेन्ट से त्वचा को झुर्रियों, मुहांसो, दाग से बचाने में सहायक है। जिससे त्वचा आयु बढ़ने पर भी सदाबहार एक जैसी बनी रहती है। आंवला मुरब्बा त्वचा के लिए किसी ब्यूटी एंजेंट से कम नहीं है। बालों के लिए रिच पोषण आंवला मुरब्बा आंवला मुरब्बा गुनगुने दूध के साथ पीने से बाल टूटने झड़ने और बाल सफेद होने की समस्या को रोकने में सहायक है। आंवला मुरब्बा बालों के लिए खास प्राकृतिक पोषण स्रोत है। हृदय स्वस्थ रखे आंवला मुरब्बा आंवला मुरब्बा जिंक, क्रोमियम, काॅपर और विटामिन कम्पलैक्स का उत्तम भण्डार है। आंवला मुरब्बा शरीर से वी.एल.डी.एल. और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल घटाने में सहायक है। कोलेस्ट्राॅल बढ़ने, स्ट्राॅक, वहिकाओं के ब्लाॅकेज और वहिकाओं में सूजन से बचने के लिए रोज 1 आंवला मुरब्बा खायें। आंवला मुरब्बा हृदय स्वास्थ्य के लिए उत्तम आहार है। रक्त की कमी दूर करे आंवला मुरब्बा आंवला मुरब्बा आयरन और विटामिन सी का उत्तम स्रोत है। आंवला मुरब्बा Haemoglobin लेवल बढ़ाता है। आंवला दूध के साथ सुबह खली पेट खायें। और दिन के खाने के 2 घण्टे बाद आंवला मुरब्बा खायें। एनीमिया, मासिक धर्म बिलीडिंग और अन्य तरह से शरीर में रक्त कमी होने पर रोज आंवला मुरब्बा खायें। आंवला मुरब्बा रक्त बढ़ाने का प्राकृतिक रूप से उत्तम स्रोत है। रक्त साफ करे आंवला मुरब्बा रक्त खराब होने पर, नसो और वहिकाओं के ब्लाॅकेज समस्या में आंवला मुरब्बा सुबह खाली पेट खायें। और आंवला मुरब्बा शरीर से विषाक्त पदार्थ निकाले में सक्षम है। आंवला मुरब्बा एक तरह से Blood Cleanser का काम करता है। महिलाओं के लिए आंवला मुरब्बा बरदान आंवला मुरब्बा महिलाओं के लिए प्राकृतिक टाॅनिक है। गर्भावस्था के दौरान रिच विटामिनस मिनरलस भ्रूण विकास और इम्यून सिस्टम मजबूत करने में सहायक है। मासिक धर्म में स्राव होने से रक्त की कमी दूर करने और दर्द से आराम पाने के लिए आंवला मुरब्बा सेवन उत्तम स्रोत है। और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी आंवला मुरब्बा सरक्षित उत्तम आहार है। आंवला मुरब्बा रक्त संचार बढ़ाने के साथ महिलाओं में प्रजन्न शक्ति भी बढ़ाता है। और फर्टिलिटी (बांझपन) समस्या में रोज सुबह ��ा फिर रात्रि सोने से 1 घण्टे पहले आंवला मुरब्बा गर्म दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। आंवला मुरब्बा महिलाओं में अपचन, भूख नहीं लगना, फर्टिलिटी, पेट गैस रहने, प्रजन्न कमजोरी जैसे विभिन्न समस्याओं से भी छुटकारा देता है। आंवला मुरब्बा महिलाओं के लिए उत्तम आहार स्रोत है। आंवला मुरब्बा सेवन विधि और सावधानियां
आंवला मुरब्बा प्राकृतिक रूप से उत्तम खुराक है। आंवला मुरब्बा मस्तिष्क, किड़नी, हृदय, लिवर, पाचनतंत्र को प्रभावित करता है। आंवला मुरब्बा चिकित्सक की सलाह से लें।
रोज 15 ग्राम तक ही आंवला मुरब्बा खाना फायदेमंद है।
आंवला मुरब्बा सुबह खाली पेट और 1 कप दूध के साथ लें।
आंवला मुरब्बा भोजन के साथ नहीं खायें।
आंवला मुरब्बा भोजन के 2 घण्टे अंतराल में खायें।
आंवला मुरब्बा रिच विटामिनस मिनरलस पोषक तत्वों को स्रोत है। आंवला मुरब्बा सीमित मात्रा में खायें। रोज 1 आंवला मुरब्बा ही खायें।
आंवला मुरब्बा अधिक मात्रा में खाने से गुर्दें की पथरी बन सकती है।
आंवला मुरब्बा ज्यादा खाने से पेशाब में जलन दर्द समस्या हो सकती है।
अधिक मात्रा में आंवला मुरब्बा सेवन रक्त शर्करा लेवल बढ़ा सकता है।
आंवला मुरब्बा रक्तचाप बढ़ा सकता है।
रोज लगभग 15 ग्राम आंवला मुरब्बा ही खायें। अधिक मात्रा में आवला मुरब्बा सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
from Blogger http://www.margdarsan.com/2019/07/amla-murabba-benefits.html
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                                                  सैमफायर®                                                     वैलनेस                                                हल्दी कैप्सूल्स
हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं। आयुर्वेद में हल्दी को एक महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है। हल्दी को कई सालों से एक एंटीसेप्टिक की तरह उपयोग कर रहे हैं।
हल्दी के औषधीय गुण
हल्दी में एंटी-डायबिटिक, एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक, एंटी बायोटिक, कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को स्वस्थ रखने वाला गुण), हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर स्वस्थ रखने वाला गुण) और नेफ्रोप्रोटेक्टिव (किडनी स्वस्थ रखने वाला गुण) गुण मुख्य हैं।
हल्दी के फायदे:-
लिवर डिटॉक्स / Liver Detox - (Detoxification & Anti-Oxidant)
हल्दी में डिटॉक्सिफिकेशन और एंटी ऑक्सीडेंट गुण होने के कारण युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से होने वाली लिवर टॉक्सिटी से बचाव में मदद करता हैं।
मधुमेह / Diabetes
हल्दी में एंटी-डायबिटिक गुण होते है इसलिए मधुमेह में होने वाली किसी प्रकार की जटिलता के जोखिम को भी कम  करने में लाभदायक है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता / Immunity - (Anti-Oxidant)
हल्दी में महत्वपूर्ण घटक करक्यूमिन एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होने के साथ-साथ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता  है। यह विभिन्न इम्यून सेल्स की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में भी मदद करता है।
कैंसर / Cancer - (Anti biotic)
इसमें एंटीकैंसर गुण भी मौजूद होता है, जो प्रोस्ट्रेट, स्तन और लंग्स कैंसर के जोखिम से बचाव में मदद कर सकता है हल्दी में मजूद करक्यूमिन तत्व ट्यूमर सेल्स को कम करने या उसके प्रसार को रोकने में मदद करता है।
ह्रदय रोग / Heart disease - (Cardio protective)
हल्दी का उपयोग ह्रदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है। हल्दी का सबसे महत्वपूर्ण घटक करक्यूमिन में कार्डियो प्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण इसके उपयोग से  ह्रदय रोग के जोखिम से बचाव हो सकता है।
पाचन संबंधी समस्या / Digestive Problems - (Anti-Oxidant & Anti-inflammatory)
हल्दी का उपयोग न सिर्फ गैस और पेट फूलने की परेशानी से राहत दिला सकता है, बल्कि आंत संबंधी समस्या और पाचन संबंधी समस्याओं से भी राहत दिलाने में मददगार करता है इतना ही नहीं हल्दी में मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण अल्सर के जोखिम को भी कम करने में  मदद करता है।
अल्जाइमर / Alzheimer's Diseases - (Anti-Oxidant & Anti-inflammatory
अल्जाइमर, जो कि एक मस्तिष्क संबंधी समस्या है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। हल्दी का एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण अल्जाइमर की स्थिति में सुधार करने में सहायक होता है।
चिंता और डिप्रेशन / Anxiety & Stress - (Anti-Oxidant & Anti-inflammatory)
हल्दी में मौजूद करक्युमिनोइड घटक का एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में  मदद करता है।
अस्थमा / Asthma - (Anti-inflammatory)
हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के कारण इसका सेवन ब्रोंकाइल अस्थमा के उपचार के लिए भी मददगार होता है।
अनिद्रा की समस्या (Insomnia problem)
हल्दी में मेलाटोनिन नामक हार्मोन को बढ़ाने का गुण पाया जाता है। इसलिए सोने से पहले यदि आप हल्दी का सेवन करते हैं तो आपको जल्दी नींद आएगी और आप को स्ट्रेस फ्री महसूस कराने में सहायक होता है।
शरीर / जोड़ों में दर्द (Body / Joint pain)
हल्दी में पेन किलर का गुण पाया जाता है जो शरीर में होने वाले दर्द व जोड़ों के दर्द, गठिया आदि रोगों को दूर करने  में लाभदायक होता है।
हल्दी के नुकसान और सावधानियां :-
अगर आप पीलिया से ग्रस्त है या कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी करवा रहे हैं तो आप को हल्दी से परहेज करनी चाहिए।
हल्दी और भी कई रोगों में लाभकारी है इस लिए SAMPHIRE FOOD & PHARMA PVT. LTD. द्वारा हल्दी को प्रोसेस करके इस का Extract को पाउडर के रूप में बना कर vegetarian capsules में भरा गया है जो ऊपर लिखे सभी रोगो के लिए लाभदायक होता है।
खुराक :  1-2 कैप्सूल दिन में 2 बार ताजे पानी के साथ लें या चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लें।
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gethealthy18-blog · 5 years
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विटामिन बी6 के फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamin B6 Benefits in Hindi
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विटामिन बी6 के फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamin B6 Benefits in Hindi
विटामिन बी6 के फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamin B6 Benefits in Hindi Auli Tyagi
Hyderabd040-395603080 February 17, 2020
शरीर को स्वस्थ रखने में पोषक तत्वों की अहम भूमिका होती है। इनकी कमी आते ही स्वास्थ्य समस्याओं का होना लाजिमी है। इसलिए, यह ध्यान रखना जरूरी है कि कौन से पोषक तत्व का सेवन कब, कैसे और कितना करना है। वैसे तो शरीर के लिए कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं, लेकिन विटामिन्स का अपना महत्त्व है। इनके कई प्रकार होते हैं, जो शरीर को अलग-अलग तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम विटामिन बी6 के बारे में बता रहे हैं। विटामिन बी6 की कमी से होने वाली समस्याओं और विटामिन बी6 के फायदों के बारे में जानने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि विटामिन-बी6 की कमी क्या है।
विटामिन बी6 की कमी क्या है? – What is Vitamin B6 Deficiency in Hindi
यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड ऑफ द इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, सभी के लिए विटामिन-बी6 की मात्रा अलग-अलग होती है। जहां वयस्कों को प्रतिदिन 1.3 मिलीग्राम विटामिन-बी6 की जरूरत होती है, वहीं पुरुषों को 1.7 मिलीग्राम और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 2 मिलीग्राम तक विटामिन-बी6 प्रतिदिन चाहिए होता है। इसकी पूर्ति न होने पर ही विटामिन-बी6 की कमी होती है। वैसे एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) के मुताबिक, संतुलित आहार का सेवन करने वालों में विटामिन-बी6 की कमी होने की आशंका कम होती है (1)। विटामिन-बी 6 की आवश्यकता शरीर में शर्करा, वसा और प्रोटीन के उचित कार्य के लिए होती है। यह मस्तिष्क, नसों, त्वचा और शरीर के कई अन्य हिस्सों के उचित विकास को सुनिश्चित करती है। विटामिन-बी6 की कमी से इनके विकास में बाधा उत्पन्न होती है (2)। माना जाता है कि विटामिन-बी6 की कमी का सीधा संबंध कई बार बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन जैसे विटामिन-बी12 और फोलिक एसिड की कमी से भी होता है (3)।
अब, हम विटामिन बी 6 की कमी के कारण के बारे में बता रहे हैं। फिर आगे हम विटामिन बी 6 की कमी के लक्षण पर चर्चा करेंगे।
विटामिन बी6 की कमी होने के कारण – Causes of Vitamin B6 Deficiency in Hindi
शरीर में विटामिन बी6 की कमी किसी बीमारी व पोषक तत्वों से जुड़ी हो सकती है। नीचे हम बता रहे हैं कि शरीर में विटामिन-बी6 कमी के कारण क्या-क्या हो सकते हैं (1) (3) (4) (5)।
गुर्दे संबंधी यानी रेनल की बीमारियां (Chronic renal insufficiency)।
होमोसिसटिन्यूरिया (homocystinuria) यानी चयापचय में गड़बड़ी जैसे आनुवंशिक रोग भी विटामिन बी 6 की कमी के कारण में शामिल हैं।
एंटीएपिलेप्टिक जैसी दवाइयां भी समय के साथ विटामिन बी 6 की कमी का कारण बन सकती हैं।
किसी बीमारी की वजह से होने वाला इंफ्लामेशन जैसे अर्थराइटिस भी विटामिन बी6 की कमी का कारण होता है।
शराब का सेवन।
अपर्याप्त गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) अवशोषण भी विटामिन बी 6 की कमी के कारण में शामिल है।
लिवर फेल होना (Hepatic dysfunction)
कुपोषण
शारिरिक गतिविधि में कमी
बुढ़ापे
एस-एल्ब्यूमिन (s-albumin), एक तरह के प्रोटीन में कमी
उच्च होमोसिस्टीन (रक्त में मौजूद एमिनो एसिड) मूल्य
नीचे हम विटामिन बी 6 की कमी के लक्षण के बारे में बता रहे हैं।
विटामिन बी6 की कमी के लक्षण – Symptoms of Vitamin B6 Deficiency in Hindi
विटामिन बी6 शरीर के लिए कितना जरूरी होता है, यह तो हम बता ही चुके हैं। अब हम विटामिन-बी6 की कमी के लक्षण के बारे में नीचे बता रहे हैं (1) (3) (6)।
न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव शरीर में देखने को मिलते हैं। इसमें सेंट्रल नर्व सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।
माइक्रोकैटिक एनीमिया (microcytic anemia)।
इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफिक (electroencephalographic) असामानता भी एक लक्षण है। इसमें मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
चेलिटिस (cheilosis) यानी होंठों पर पपड़ी जमना और मुंह के कोनों पर दरारें आना।
ग्लोसिटिस (Glossitis) यानी जीभ में सूजन आना।
अवसाद होना या फिर भ्रम की स्थिति पैदा होना।
प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना।
दौरे पड़ना (Seizure)।
शिशुओं में विटामिन बी 6 की कमी के लक्षण (3):
चिड़चिड़ापन
असामान्य रूप से तीव्र आवाज का सुनाई देना।
कॉन्सुलिव सीजर्स (Convulsive seizures)।
चलिए, अब विटामिन बी6 के फायदे  के बारे में जान लेते हैं।
विटामिन बी6 के फायदे – Vitamin B6 Benefits in Hindi
1. गर्भावस्था के दौरान मतली में मदद
गर्भवतियों को हमेशा ही पर्याप्त पोषण लेने की सलाह दी जाती है। पोषक की कमी होने पर प्रेगनेंसी में विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। गर्भावस्था में होने वाली एक आम परेशानी जी-मिचलाना व मितली है, जिसे विटामिन-बी6 की पूर्ति से दूर किया जा सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की मानें, तो गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से विटामिन बी 6 (पाइरिडोक्सिन) की खुराक लेने से मतली से कुछ हद तक राहत मिल सकती है (7)। ध्यान रखें कि इसे खाद्य पदार्थ के माध्यम से ही लें। अगर इसके सप्लीमेंट्स लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। विटामिन बी 6 के स्रोत में हरे मटर, मछली, चिकन व आलू शामिल हैं।
2. धमनियों के लिए
एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक शोध में पता लगाया गया है कि विटामिन बी 6 की कमी एथेरोस्क्लेरोसिस के जोखिम को बढ़ा सकती है (8)। एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धमनियों के अंदर प्लाक (एक तरह का फैट) जम जाता है और खून के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय संबंधी रोग हो सकता है। वहीं, एक अन्य शोध के अनुसार विटामिन-बी6 का सेवन हृदय रोग की आशंका को कुछ हद तक कम कर सकता है (9)। इसलिए, आहार में विटामिन बी 6 के स्रोत को शामिल करके धमनी व ह्रदय संबंधी बीमारियों के खतरे से बचा जा सकता है (3)। 
3. प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम ऐसी समस्या है, जो हर महीने महिलाओं को मासिक धर्म शुरू होने से कुछ दिन पहले होने लगती है। इसमें पेट दर्द, कमर दर्द आदि शामिल हैं। माना जाता है कि पीरियड्स से पहले होने वाले दर्द विटामिन-बी6 की कमी से संबंधित है। एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक रिसर्च के मुताबिक, विटामिन-बी6 का सेवन अगर 100 मिलीग्राम/प्रतिदिन किया जाता है, तो यह मासिक धर्म के लक्षणों और प्रीमेंस्ट्रुअल डिप्रेशन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (10)।
4. डिप्रेशन और मूड को ठीक करे
जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि विटामिन बी6 की कमी के कारण डिप्रेशन भी हो सकता है (3)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि विटामिन बी-6 का सेवन करने से अवसाद से कुछ राहत मिल सकती है। उत्तर प्रदेश में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में भी इस बात कि पुष्टि हुई है कि अवसाद के मरीजों में विटामिन-बी6 की मात्रा कम होती है। इस समस्या को कम करने के लिए डाइट में कुछ सुधार करके और विटामिन-बी 6 युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से डिप्रेशन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, विटामिन-बी6 शरीर में ट्रिप्टोफैन (tryptophan) के स्तर को भी बेहतर करता है। यह एक प्रकार का एमिनो एसिड होता है, जो शरीर में मूड को प्रभावित करने वाले सेरोटोनिन नामक रसायन का निर्माण करता है (11)। 
5. मस्तिष्क स्वास्थ्य और अल्जाइमर
विटामिन-बी6 मूड को ठीक करने के साथ-साथ मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। यह विटामिन मस्तिष्क के फंक्शन को रेगुलेट करता है। साथ ही यह न्यूरोपैसाइट्रिक (Neuropsychiatric) विकार जैसे – दौरा (सीजर) व माइग्रेन से भी राहत दिला सकता है, क्योंकि इन बीमारियों का सीधा संबंध विटामिन बी-6 की कमी से है। वहीं, यह अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचाने में भी मदद कर सकता है। दरअसल, हाइपरहोमोसिस्टिनिमिया की वजह से अल्जाइमर होता है। रक्त में होमोसिस्टीन नामक एमिनो एसिड का स्तर अधिक होने को हाइपरहोमोसिस्टिनिमिया कहा जाता है। इसके स्तर को कम करने में विटामिन-बी 6 मदद कर सकता है (12)। इसी वजह से माना जाता है कि मस्तिष्क को स्वस्थ रखने और अल्जाइमर से बचाने में विटामिन-बी 6 अहम भूमिका निभा सकता है।
6. एनीमिया
विटामिन-बी6 की कमी की वजह से एनीमिया भी हो सकता है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक शोध भी इस बात की पुष्टि करता है। शोध के दौरान की गई एक केस स्टडी के मुताबिक 72 वर्ष की एक महिला को विटामिन-बी 6 की कमी की वजह से एनीमिया हुआ। ट्रीटमेंट के तौर पर महिला को पिरिडॉक्सल फॉस्फेट दिया गया। यह विटामिन-बी6 का ही प्रकार है। इसे देने से महिला में एनीमिया के लक्षण में सुधार पाया गया (13)।
एक अन्य रिसर्च के मुताबिक, विटामिन-बी6 की कमी से गर्भवती महिलाओं को भी एनीमिया हो सकता है (14)। इस अवस्था से निपटने के लिए एनीमिया ग्रसित गर्भवतियों को ट्रीटमेंट के तौर पर पहले विटामिन-बी6 की कम मात्रा दी गई और धीरे-धीरे इसकी मात्रा प्रसव के बाद बढ़ाई गई। इससे रोगी के लिवर में मध्यम मात्रा में आयरन एकत्रित हुआ। इसी तरह करीब तीन महीने तक पाइरिडोक्सिन (Pyridoxine) विटामिन-बी6 का सप्लीमेंट देने के बाद लाल रक्त कोशिकाओं में सुधार पाया गया है। इस शोध में यह भी बताया गया है कि विटामिन-बी6 के अधिक सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना सही रहेगा (15)। इस रिसर्च से अनुमान लगाया जा सकता है कि एनीमिया से बचाव में विटामिन बी6 के फायदे उठाए जा सकते हैं।
7. कैंसर से बचाव में विटामिन बी6 के फायदे
माना जाता है कि विटामिन-बी6 की कमी की वजह से कैंसर भी हो सकता है (16)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित जानवरों पर किए गए रिसर्च के मुताबिक, विटामिन-बी6 की कमी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है। शोध में कहा गया है कि विटामिन बी6 दवा के रूप में कैंसर पर काम कर सकती है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। हां, इतना जरूर साफ है कि डायटरी विटामिन-बी6 का सेवन कैंसर के खतरे से बचाए रखने में मदद कर सकता है (17)। ध्यान रखें कि अगर किसी में भी कैंसर के लक्षण नजर आएं, तो घरेलू उपाय के बारे में सोचने की जगह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
8. आंखों के स्वास्थ्य के लिए
विटामिन बी-6 को नेत्र के लिए भी फायदेमंद माना गया है। यह आंख संबंधी रोग के लक्षण को ठीक करने में मदद कर सकता है। खासकर, उम्र के साथ कमजोर होने वाली आंखों की रोशनी यानी ऐज रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन (AMD) में यह कारगर है। एनसीबीआई पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, 7 वर्ष तक किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि विटामिन-बी6, बी12 और फोलिक एसिड (बी9) की दैनिक मात्रा लेने से AMD का जोखिम 35-40% तक कम हो सकता है (18)।
एक अन्य अनुसंधान के मुताबिक, विटामिन-बी6 की कमी से रेटिना की नसें अवरुद्ध हो जाती है। 524 लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि विटामिन-बी6 का कमी नसों को प्रभावित करके रेटिना संबंधी विकार का कारण बन सकती है। विटामिन-बी6 की कमी से होमोसिस्टीन (रक्त में मौजूद एमिनो एसिड) का स्तर भी बढ़ता है, जिसकी वजह से रेटिना संबंधी विकार हो सकता है। इसी वजह से माना जाता है कि विटामिन बी 6 के स्रोत नेत्र संबंधी विकार से बचा सकते हैं (19)। 
9. अर्थराइटिस संबंधी सूजन
जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि सूजन की वजह से होने वाली बीमारी जैसे अर्थराइटिस विटामिन बी 6 की कमी के कारण हो सकती है (3)। ऐसे में कहा जा सकता है कि डाइट में विटामिन-बी6 को शामिल करने से अर्थराइटिस की समस्या को कुछ हद तक ठीक करने में मदद मिल सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च की मानें तो विटामिन-बी6 का स्तर अर्थराइटिस के रोगियों की समस्या की गंभीरता और दर्द से जुड़ा हुआ है। कम होता विटामिन-बी का स्तर अर्थराइटिस के रोगियों में सूजन के रूप में नजर आता है (20)।
चलिए, अब विटामिन बी6 की कमी से बचने के कुछ टिप्स बता देते हैं।
विटामिन बी6 की कमी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Vitamin B6 Deficiency in Hindi
विटामिन बी6 की कमी से बचने के कुछ आसान उपाय इस प्रकार हैं (3):
विटामिन-बी 6 से बचने का सबसे आसान उपाय है, विटामिन बी 6 युक्त खाद्य पदार्थों, जैसे मटर, मछली व आलू आदि का सेवन किया जाए।
डॉक्टर की सलाह पर विटामिन बी-6 के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
विटामिन-बी6 युक्त नट्स और ड्राई फ्रूट्स जैसे किशमिश आदि को शामिल कर सकते हैं।
यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आप विटामिन-बी6 के महत्व को अच्छी तरह समझ गए होंगे। अब आप विटामिन-बी6 को अपनी डेली डाइट में शामिल करना न भूलें, क्योंकि इसका सेवन आपको कई समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है और स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है। हां, अगर किसी को कोई स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, तो पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें कि विटामिन-बी6 की कितनी मात्रा लेना लाभकारी होगा। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरूर बताएं। अगर आप बी6 के सेवन से जुड़ी कुछ अन्य जानकारी चाहते हैं, तो हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं।
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Auli Tyagi
औली त्यागी उभरती लेखिका हैं, जिन्होंने हरिद्वार (उत्तराखंड) से पत्रकारिता और जनसंचार में एम.ए. की डिग्री हासिल की है। औली को लेखन के क्षेत्र में दो साल का अनुभव है। औली प्रतिष्ठित दैनिक अखबार और कम्युनिटी रेडियो स्टेशन से ट्रेनिंग ले चुकी हैं। औली सामाजिक मुद्दों पर लिखना पसंद करती हैं। लेखन के अलावा इन्हें वीडियो एडिटिंग और फोटोग्राफी का तकनीकी ज्ञान भी हैं। इन्हें हिंदी और उर्दू साहित्य में विशेष रुचि है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/vitamin-b6-ke-fayde-aur-iski-kami-ke-karan-lakshan-in-hindi/
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rajatgarg79 · 6 years
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जानिए बॉडी बनाने वाले सप्लीमेंट कैसे बन जाते हैं किडनी के लिए जहर
क्या आपने कभी सोचा है कि किसी डॉक्टर या मेडिकल परामर्श के बिना बॉडी बनाने के लिए जो टॉनिक लेते हैं, वे आपको किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं? रोहित नाम के एक युवा के साथ हुई यह घटना आपकी आंखे खोल देगी कि कैसे हम लोग अपनी बॉडी बनाने के मकसद से बिना किसी चिकित्स्कीय मार्गदर्शन के लंबे समय तक लगातार सप्लीमेंट लेने के कारण अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
एक वयस्क व्यक्ति का सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mm/hg और 140/90 mm/hg (mm Hg: मिलीमीटर ऑफ मर्क्युरी, ब्लड प्रेशर नापने की यूनिट है) के बीच माना जाता है। जब रोहित को अस्पताल ले जाया गया, तब उनका बीपी 220/140 mm/hg था। इसके अलावा परीक्षणों से पता चला कि उनका क्रिएटिनिन स्तर भी सामान्य से छह गुना अधिक था। डॉक्टर स्वयं एक स्वस्थ, युवा व्यक्ति की ऐसी स्थिति देख कर चकित रह गए। 
(और पढ़ें - क्रिएटिनिन स्तर का टेस्ट कैसा होता है)
पूछताछ पर, डॉक्टर को पता चला कि पश्चिमी दिल्ली के व्यवसायी, रोहित, बॉडी बनाने की चाहत रखते थे और अपने जिम ट्रेनर की सलाह पर चार साल से वर्कआउट से पहले लिए जाने वाले सप्लीमेंट ले रहे थे। इनमें मांसपेशियों की ताकत, ऊर्जा और क्षमता बढ़ाने के लिए कैफीन, एमीनो एसिड और क्रिएटिन जैसे तत्व शामिल थे।
(और पढ़ें - वर्कआउट से पहले क्या खाएं)
वे बताते हैं, "चार साल पहले, मेरे ट्रेनर ने सुझाव दिया कि मुझे अभ्यास से पहले प्री वर्कआउट फॉर्मूला अपनाना चाहिए। इसने मेरे ऊर्जा के स्तर में अचानक वृद्धि कर दी और मैं लंबे समय तक भारी वजन उठा सकता था।"
2003 से जिम जाने वाले 32 वर्षीय रोहित ने कहा कि जब तक किडनी प्रभावित नहीं हुई तब तक उन्होंने चार साल तक हर दिन सप्लीमेंट लिए। वे कहते हैं, "मुझे बाद में पता चला कि आम तौर पर इस तरह की खुराक कम अवधि के लिए या एक समय अंतराल पर ली जाती है।"
जिस हॉस्पिटल में रोहित को एडमिट किया गया वहां के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक और प्रमुख के मुताबिक, अगर उनके बीपी को समय रहते दवाओं से कम नहीं किया गया तो रोहित की ब्रेन हैमरेज के कारण मौत हो सकती है। वे बताते हैं, "जब रोहित को अस्पताल में लाया गया तब उनका क्रिएटिनिन का स्तर 6.7 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर की सामान्य सीमा के मुकाबले 0.84-1.21mg था। वे किडनी फेल होने से केवल एक कदम दूर थे, अगर ऐसा हो जाता तो उनको जीवन भर डायलिसिस की आवश्यकता होती।" 
(और पढ़ें - बीपी कम करने के लिए योग)
सौभाग्य से, रोहित के मामले में, सप्लीमेंट का सेवन तत्काल बंद करने, बीपी को नियंत्रित करने के लिए दवा लेने और सही आहार लेने के चलते वे खतरे से बाहर निकल गए। लेकिन अब उन्हें इस बात पर प्रतिबंध के साथ रहना होगा कि वह क्या खा सकता है और कितना व्यायाम कर सकते हैं। डॉक्टर कहते हैं, "किडनी की कार्य क्षमता को पूरी तरह से बहाल नहीं किया जा सकता है। इसलिए, इसे अधिक खराब होने से रोकने के लिए, रोहित को स्ट्रीट फूड से बचने की सलाह दी ग�� है। उन्होंने कहा कि ज्यादा कठिन एक्सरसाइज भी नहीं करना चाहिए, केवल नियमित सैर करें।" 
(और पढ़ें - सुबह सैर करने के फायदे)
डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में सभी किडनी रोगियों में से 10% ऐसा युवा हैं जो सप्लीमेंट के अत्यधिक प्रयोग के शिकार हैं। वे बताते हैं, "हेल्थ सप्लीमेंट के लंबे समय तक उपयोग के कारण मेरे कम से कम तीन रोगियों की किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी हैं और अब वे डायलिसिस पर हैं।"
दिल्ली के प्रसिद्ध लिवर एंड बायलरी साइंस इंस्टिट्यूट में नेफ्रोलॉजी के प्रमुख ने बिना चिकित्सकीय देखरेख के अक्सर सप्लीमेंट का उपयोग करने वाले युवाओं की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "कभी भी किसी डॉक्टर या योग्य पेशेवर की सलाह के बिना प्री-वर्कआउट सप्लीमेंट या प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण, इस तरह की प्रथा चल रही है और जो आमतौर पर पूरी तरह स्वस्थ व्यक्तियों का भी स्वास्थ्य संकट में डाल रही है।"
एक बड़े फिटनेस सेंटर के प्रबंध निदेशक ने कहा, जिम जाने वाले लगभग 20% पुरुष ऐसे सप्लीमेंट लेते हैं। वे कहते हैं, "अधिक प्रोटीन वाली ड्रिंक्स लेना भी आम हैं। डॉक्टर की देखरेख में या चिकित्सा पेशेवर के मार्गदर्शन में इनका सेवन किया जाए तो अच्छा रहता है।" 
(और पढ़ें - प्रोटीन पाउडर कितनी मात्रा में लेना चाहिए)
नोट: यह लेख एक सच्ची घटना पर आधारित है, लेकिन रोगी की पहचान गुप्त रखने के उद्देश्य से उनका नाम और अन्य निजी जानकारियां बदली गयी है। यह लेख लिखने के पीछे हमारा मुख्य उदेश्य केवल हमारे पाठकों को जागरूक करना है। 
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/disease/kidney-disease/muscle-supplements-turns-poison-for-kidneys
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bisaria · 6 years
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आपने कई दफा सुना होगा कि खाना खाने के बाद दूध मत पियो, नमक के साथ दूध पीने से चर्म रोग हो जाता है। कई लोगों ने दूध को लेकर कई धारणाएं बना ली है। लेकिन दूध से जुड़ी कई धारणाएं गलत है जिन्‍हें हम बचपन से सुनते आ रहे है। इनमें से कितनी सही है और गलत हमें नहीं मालूम है।
दूध हमारे शरीर के विकास के ल‍िए आवश्‍यक आहार में से एक है। ये हमारे शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन जैसी कई तत्‍वों की पूर्ति करती है। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, विटामिन बी, पोटेशियम और मैग्नीशियम होते हैं। जो भोजन को संतुलित बनाने में मदद करते हैं। दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। दूध पीने को लेकर ऐसे कई मिथक है जिन्‍हें सच मानकर लोग इसका सेवन करना बंद कर देते हैं।
तो आइए आपको दूध के मिथक के बारे में बताते हैं।
दूध पीने से किडनी स्‍टोन हो जाता है
अक्‍सर लोगों को कहते हुए सुना है कि ज्‍यादा दूध पीने से किडनी स्‍टोन हो जाता है। लेकिन ऐसी कोई रिसर्च या वैज्ञानिक पुख्‍ता सबूत नहीं मिले है जिससे ये बात साबित हो जाए कि किडनी स्‍टोन की एक वजह दूध भी हो सकता है। दूध पीने से उल्‍टा किडनी स्‍टोन से बचा जा स‍कता है।
दूध पीने से आ जाता है यौवन
दूध से जुड़ी एक अजीबो गरीब अफवाह ये भी है कि ज्‍यादा दूध पीने से लड़कियां जल्‍दी ही यौवन के दहलीज पर कदम रख देती है। ज्‍यादा दूध पीने का यौवन से कोई लेना देना नहीं है। बल्कि बढ़ती उम्र वाले बच्‍चों को दूध जरुर पीना चाहिए क्‍योंकि इससे कैल्शियम की खुराक मिलती है जो कि बच्‍चों के ल‍िए आवश्‍यक तत्‍वों में से एक है।
दूध को उबालने से पोषक तत्‍व कम हो जाते है
दूध से बैक्टीरिया दूर करने के लिए दूध को उबालना आप पर निर्भर करता है। क्योंकि इसे उबालने से इसमें मौजूद पोषक तत्व की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता है। चाहे आप कितनी ही बार क्यों ना उबाल लें। कुछ लोग इसके पोषक तत्व कम ना हो जाएं इसलिए ठंडे दूध का सेवन करते हैं।
दूध से मिलता है ढे़र सारा केल्शियम
दूध कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है लेकिन इसके अलावा ऐसे दूसरे स्‍त्रोत भी है जिससे कैल्शियम की पूर्ति की जा सकें। 2 चम्मच चिया के बीज में दूध की तुलना में छ गुना ज्यादा कैल्शियम होता है। माना जाता है कि हमारे शरीर में 3 साल की उम्र के बाद शरीर में प्रोटीन तोड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है। इसलिए आपके शरीर को अच्छी मात्रा में विटामिन डी की जरुरत होती है ताकि वह शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद ���र सके।
दिन में 2 गिलास दूध पीना चाहिए
डेयरी उत्पाद संतुलित आहार के लिए फायदेमंद होते हैं। जिसे दही, पनीर किसी भी तरह से अपने आहार में शामिल किया जा सकता है। दूध का सेवन करना आपकी इच्छा होती है। रोज के कैल्शियम और प्रोटीन की जरुरत को पूरा करने के लिए आप अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन भी कर सकते हैं। दूध पोषक तत्वों का सेवन करने का सबसे आसान विकल्प है। मगर इसका मतलब यह नहीं की आप इस पर निर्भर हो जाएं।
दूध पीने से सूजन होती है
जिन लोगों को कोई समस्या नहीं होती है उन्हें दूध पीने से किसी भी तरह की सूजन, गैस की समस्या नहीं होती है। लेकिन इसे कुछ तरह के भोजन के साथ सेवन करने से सूजन हो सकती है। दूध के साथ कभी फल का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पाचन तंत्र में कई समस्या होने का खतरा रहता है।
मसालों के साथ नहीं दूध का सेवन नहीं
कई जगहों पर खाने में नमक या मसाले के साथ दूध के इस्तेमाल को सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता रहा है लेकिन तमाम एशियाई देशों के साथ ही हमारे देश के कई राज्यों में भोजन बनाते वक्त मसाले में दूध मिलाया जाता रहा है जो गलत नहीं है। जानकारों के अनुसार दूध में ऐसा कोई तत्व नहीं है जो नमक (सोडियम) के साथ मिलकर शरीर को नुकसान दें।
इन लोगों को नहीं पीना चाहिए दूध
दूध की वजह से डाइजेशन से संबंधित समस्या या फिर लैक्टो-एलर्जी यानी दूध या डेयरी उत्पाद की एलर्जी होती है। वहीं लिवर से संबंधित किसी रोगी के लिए भी दूध फायदेमंद नहीं होता है। लेकिन दूध से चर्मरोग या कोई दूसरी समस्या हो ये भी मिथक है।
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jayveer18330 · 7 years
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उपवास में होनेवाले चमत्कार
             उपवास या भूख के समय पर हमारे शरीर करता है चमत्कार  यू तो उपवास हम हमारे धार्मिक त्योहार या कभी कभी सिर्फ़ शरीर को स्वस्थ रखने के लिए करते है । जब कि हमारे देश के कई लोगो के लिए यह मजबूरी होती है । खाने के लिए खाना तो होना चहियर न ! ना हो तो उपवास के सिवा दूसरा कोई चारा नही रहता । जिसे आम बोली में भूखमरा कहा जाता है । तो अलग नजरिये से देखे तो यह एक शस्त्र का काम भी करता है जिसका कई बार उपयोग कोय जा चुका है । गांधीजी ने इसका बहुत खूबी से अंग्रेजो के खिलाफ उयोग किया था । साथ साथ कभी कभी बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए माँबाप के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करते है । तो कुछ नमूने इसे सिर्फ़ और सिर्फ़ गिनिस बुक में नाम लिखवाने के लिए भूखे मरते है जैसे कि सन 2004 ,18 मे के दिन चेन जिआनमिन नाम के चीना ने 49 दिन तक काँच की एक केबिन में रहकर रिकार्ड बनाया । वैसे यह रिकॉर्ड भी ज़्यादा दिनों तक टिका नही । रशिया के 46 वर्षीय एग्सी वरतानिया नाम के इंसान ने सन 2005 , 17 ऑक्टोबर को 50 दिनों के उपवास करके यह रिकॉर्ड तोड़ दिया ।       वैसे तो उपवास और भुखमरे के बीच मे बहोत फर्क है । भूखमरा मजबूरी होती है और उपवास शरीर को आराम देने के लिए किया जाता है जो शरीर के लिए बहुत उपयोगी होता है । आज हम बात करनेवाले है भुखमरे या लंबे चले उपवास दौरान हमारा शरीर क्या करता है । उसमें क्या बदलाव आता है । जिसका एक अनजान वैज्ञानिक पहलू है । आज हम उस पहलू के बारे में जानेंगे जो कई सारे चमत्कार लगेंगे । तो चलिए जानते है अरे शरीर को जो हम जब भूखे होते है तो चमत्कारों की झड़ी लगा देता है ।
        आम तौर पर उपवास और भूखमरा भारत और इंडिया में चल रहा है । लेकिन आज हम उपवास के दौरान शरीर कैसे लड़ता है और क्या बदलाव होता है ? और कैसे ये सब बायोकेमिकल प्रोसेस होती है इसके बारे में जानते है । जिंदा रहने के लिए और जिंदा रखने के लिए शरीर क्या करता है ? आज हम जानते है कि अगर आठ दिन का उपवास होता है तो क्या होता है ?       उपवास में शरीर मे क्या बदलाव आते है क्या बायोलाजिकल परिवर्तन होता है उससे  पहले जानते है कि जब हम खाते है तब क्या होता है । संतुलित खाने में 65 % कार्बोदित , 25 % प्रोटीन और 10% चर्बी होती है । ये सब पोषक तत्व आते में सोख लिया जाता है जो लसिका में जाता है । जहाँ से लीवर में पहुँचता है । वहाँ ये सब पोषक तत्व कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजिन में परिवर्तित हो जाते है । अखिर में वो ग्लूकोज़ में बदल जाते है । जिसमे से कुछ चर्बी के रूप में टिस्यू में जमा हो जाते है । बाकी बचा ग्लोकोज कोष में भस्मीभावन हो जाता है । जिस के कारण कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होता है । उच्छ्वास में बहार निकलता कार्बन डायऑक्साइड यही है । इससे शरीर मे ऊर्जा मिलती है । खुराक का पाचन एक संकीर्ण प्रक्रिया है । जो निरंतर चलती है , कमसे कम जब तक खाना मील जाता है तब तक को चलती ही रहती है । इसमें बदलाव तब आता है जब खाना मिलना बंद होता है ।
       जब भूख खाना मिलना बंद होता है तब सब से पहले भूख का सिग्नल हमारा पेट देता है । जो अंकुचन करता है । हर दो तीन मिनिट में यह होता है । अब जब ऐसा होने पर भी खाने का एक दाना भी नही मिलता तब दिमाग का हाइपोथेलेमस नाम का हिस्सा पेट के हॉर्मोन्स को निकलता है । अब भी खाना नही मिलता तो हमारा शरीर अपने मेटा बिलोजिम में बदलाव लाता है । क्योंकि हमारे शरीर मे ग्लूकोज एक अहम अनिवार्य तत्व है । क्योंकि पूरे ग्लूकोज का 66 % हिस्सा माँगेने वाले दिमाग और शरीर की नर्वस सिस्टम को हर वक्त ग्लूकोज चाहिए । इस पोषक तत्व के बिना इन महत्वपूर्ण अंगों को एक पल भी नही चलता । और दूसरा कुछ नही चलता ।        इसलिए जब ग्लूकोज का लेवल गिरता है तब पहला जीवन रक्षा मोर्चा लगता है । ग्लाइकोजेन को शरीर ग्लूकोज़ में बदलता है । ये वही है जिसको शरीर ने पहले बचाव के लिए संग्रह किया था । मगर इसका ज्यादा ग्लूकोज नही बनता । ज्यादा से ज्यादा इससे 400 कैलरी ही मिलती है । जो एक दिन भी न चले , क्योकि एक पुख्त इंसान को एक दिन की 1500 से 2000 कैलरी चाहिए । और शरीर पूरे ग्लाइकोजिन को नही बदलता इमरजेंसी के लिए कुछ ग्लाइकोजेन को अनामत रखता है ।  अब भी खाना न मिले तो मानिये की सुरक्षा का मोर्चा टूट गया । लेकिन हमारा शरीर बैकअप सिस्टम लगाना नही भूला । जैसे ही पहला मोर्चा टूटता है कुछ ग्लाइकोजेन मांशपेशियों में भी स्टोर होता है । अब शरीर उसका इस्तेमाल करता है । बायोकेमिकल प्रोसेस से यह एमेनो एसिड का रूप लेकर वह लिवर को ओर जाता है । जिसे लिवर ग्लूकोज़ में बदल देता है । जो खून में मिलने लगता है । यह शरीर का दूसरा बैकअप मोर्चा है । उपवास करनेवाला फिर भी खा��ा न खाय तो शरीर जा प्रोटीन तीसरा मोर्चा खोलता है ।        लेकिन प्रोटीन के लिए ऊर्जा की रेशनिंग करने में एक मर्यादा आड़े आती है । मांशपेशियों में बहुत सा प्रोटीन होने के बावजूद कोष  के बंधारण को बिना जोख़िम में डाले मिल सकता प्रोटीन का प्रमाण बहुत सीमित है । वैसे भी प्रोटीन की एक ग्राम में से 4 कैलरी ऊर्जा मिलती है जो शुद्ध प्रोटीन की मात्रा है । शरीर के प्रोटीन में 50 % पानी और 50 % प्रोटीन की मात्रा से कैलरी भी आधी ही मिल पाती है । जिसकी भी एक लिमिट है । किसी उपवास के दौरान शरीर प्रोटीन को इस्तेमाल करता है ।शरीर के कुल प्रोटीन के 50 % प्रोटीन का ही उपयोग करता है । 50 % से ज्यादा प्रोटीन का उपयोग हो तो जीवन को टिकाना मुश्किल होता है ।       लंबे अनशन के बाद ग्लाइकोजेन और प्रोटीन इन दो पोषक तत्व के बाद चरबी ऊर्जा का अहम स्तोत्र है । जो सही मायने में ऊर्जा का भंडार है । क्योंकि चरबी प्रति ग्राम एक या दो नही बल्कि 9 कैलरी ऊर्जा देती है । वैसे भी शरीर मे चरबी का प्रमाण अधिक होता है । एक पुख्त वयस्क इंसान के शरीर मे लगभग 15 % चरबी होती है । इस चरबी को शरीर ग्लाइसेरोल और फैटी एसिड में तब्दील करता है । इस ग्लाइसेरोल को लिवर सीधे खून में मिलता है जो मुख्य रूप से शरीर की नर्वस सिस्टम को सक्रिय रखने के लिए इस्तेमाल करता है । फैटी एसिड के मामले में एक चमत्कार होता है । उपवास के दौरान फैटी एसिड को शरीर " कीटोन " नाम के एक अद्भुत द्रव्य बनाता है जो मूलभूत रूप से शरीर के लिए ईंधन है । अचरज की बात है कि आम तौर पर जब हम खाना खाते है तब कभी भी यह द्रव्य नही बनता । सिर्फ़ उपवास करने पर शरीर की सिर्फ़ जिंदा रखने के लिए ही लिवर इस द्रव्य का प्रोडक्शन करता है । स्वाभिक रूप से शरीर सिर्फ़ और सिर्फ़ शरीर को बचाने के लिए ही डिफेंसिव मोड़ में ये सब क़दम उठता है । अचरज की बात है कि ग्लुजोज का 66 % इस्तेमाल करता दिमाग ऊर्जा की रेशनिंग होने पर ग्लूकोज का आग्रह नही रखता । जिसके बिना दिमाग़ को एक पल नही चलता वह खून में ग्लूकोज होने के बावजूद उसका इस्तेमाल नही करता । वह ' किटोंन " द्रव्य से ही काम चल लेता है । ये किसी चमत्कार से कम नही । जिसकी वजह से शरीर को प्रोटीन का ज्याफ इस्तेमाल न करना पड़े और चरबी का श्रेष्ठ उपयोग शरीर को बचाने के लिए किया जा सके । खाना न मिलने पर पूरा शरीर ऊर्जा में आई कटौती से पूरा तड़जोड करता है । पूरा शरीर उसमे अपना योगदान देता है । जैसे कि हमारे आंते में मैक्रोविली नामके रेशेवले कोष होते है जिसका काम है खून में मीले पोषक तत्व कोसोखना । लेकिन इसके लिए थोड़े समय मे वे मर जाते है और दूसरे मैक्रोविली उसका साथ लेते है । जब उपवास लंबा होता है तो उनके व्यवहार में परिवर्तन आता है । उनका मृत्युदर कम हो जाता है । क्योंकि नए कोष बनाने के लिए ऊर्जा चाहिए जो कि उपवास के समय नही होती । इसलिए ऊर्जा की बचत हो वे अपनी कार्यशैली बदल देते है । ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व को सोख सके उसके लिए अपना क्षेत्रफ़ल 20 % से 30 % तक फैला देता है । हृदय , मूत्रपिंड , फेफड़े जैसी हर समय चलती क्रिया को शरीर लो लेवल पर लाकर 20 % कर देता है । खून का दबाव घटकर 70 से 75 कर देता है । शरीर पूरे शरीर का प्रोटीन इस्तेमाल करता है लेकिन दिमाग , मूत्रपिंड , फेफड़े ,ह्रदय जैसे अंगों का प्रोटीन नही उपयोग में लाता । क्योंकि शरीर के इन जिंदा रहने के लिए जरूरी अंगो का स्वास्थ्य जोख़िम में नही आना चाहिए ।
            अनशन और अनुकूलन होने के बावजूद शरीर को अनशन का असर बिना दिखे नही रहता । हर दिन 0.65 किलोग्राम वजन कम होता जाता है । तंदुरस्त इंसान 14 दिनों तक भूख सहन कर सकता है । उसके अतिरेक होने पर आंते की स्किन थोड़ी पारदर्शक बनती है । हृदय , मूत्रपिंड , फेफड़े जैसे अंगों के प्रोटीन का उपयोग होने पर उन पर कायमी असर होता है । 1988 में दुष्काल में जो इंसान का ह्रदय आमतौर पर 350ग्राम का होता है उस समय के इंसानो के पासमोर्टम करने पर 45 % लोगो का ह्रदय सिर्फ़ 170 ग्राम का ही रह गया था ।        मूलभूत प्रश्न यह है कि उपवास करना चाहिए या नही ? हमारे आयुर्वेद के उपवास का बहुत महत्व बताया गया है । जो शरीर के स्वास्थ्य के अति लाभकारी है । रोज खाना खाने के बाद शरीर मे लेक्टिक एसिड जैसी अशुद्धियां उत्पन्न होती है जो उपवास करने पर नष्ट हो जाती है । उपवास न करो तो ये अशुद्धियों को शरीर निकालने ने के लिए काम ही नही कर सकता । क्योंकि शरीर रोज के खाने को पचाने में से ही समय नही मिलता । जैसे कम्प्यूटर में एक समय पर दो प्रोग्राम नही चल सकते वैसे ही शरीर मे भी एक काम स्विच ऑफ होने के बाद ही दूसरा अशुद्धियों को निकालने का काम कर सकता है । उपवास वही मोड़ है जब शरीर सब अशुद्धियो को निकालकर शरीर को संतुलित कर देता है । महीने में एक दो उपवास शरीर को यही मौके देता है ।   तो मोरल ऑफ धी स्टोरी शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपवाद जरूर करे , निरोगी रहे और जीवन का आनंद ले ।   हैपी हेल्थी लाइफ़ !  स्वस्थ जीवन मुबारक हो ।
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sabkuchgyan · 4 years
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ये 10 पावरफुल फल जो रखें हमेशा आपके लीवर को फिट
ये 10 पावरफुल फल जो रखें हमेशा आपके लीवर को फिट #LiverFoods #Health #Ayurveda #HealthTips #DailyLife #HappyLife
हेल्थ डेस्क:लीवर (Liver Foods) शरीर के कई कार्यों को नियंत्रित करता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। अगर लिवर खराब हो जाता है तो हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस, एल्कोहॉलिक लिवर डिजीज, और लिवर कैंसर जैसी कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे आहार बताएंगे, जिनकी वजह से लिवर के विषैले टॉक्सिन्स आसानी से बाहर निकल जाएंगे। अगर आप भी अपने लिवर को स्वस्थ रखना चाहते…
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gethealthy18-blog · 5 years
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विटामिन A की कमी के कारण, लक्षण और घरेलु इलाज – Vitamin A Deficiency in Hindi
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विटामिन A की कमी के कारण, लक्षण और घरेलु इलाज – Vitamin A Deficiency in Hindi
विटामिन A की कमी के कारण, लक्षण और घरेलु इलाज – Vitamin A Deficiency in Hindi Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 January 24, 2020
बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए जरूरी है शरीर में सभी पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा। इसके लिए चाहिए होता है पोषक आहार। आखिर खाद्य पदार्थों के माध्यम से ही तो इन जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। अगर इनमें से किसी एक भी पोषक तत्व की कमी या अधिकता हो जाए तो धीरे-धीरे मनुष्य को कई शारीरिक समस्याएं घेरने लगती हैं। इन्हीं पोषक तत्वों में से एक है विटामिन ए। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आपको विटामिन ए के स्रोत, विटामिन ए के फायदे और विटामिन ए की कमी से जुड़ी कई जरूरी बातें जानने को मिलेंगी। ऐसे में आपको इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि विटामिन ए लेख में बताई जाने वाली समस्याओं से राहत पाने का एक विकल्प हो सकता है, लेकिन यह इसका इलाज नहीं है। इसलिए, किसी भी समस्या के पूर्ण उपचार के लिए डॉक्टरी परामर्श बेहद जरूरी है। 
तो आइए सबसे पहले विटामिन ए के फायदे जान लेते हैं, बाद में हम अन्य जरूरी बातों पर चर्चा करेंगे। 
विषय सूची
विटामिन A के फायदे – Vitamin A Benefits In Hindi 
1. कैंसर से बचाव
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित बायोमेड रिसर्च इंटरनेशनल के एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि विटामिन ए शरीर के विभिन्न भागों में ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है। साथ ही इसमें कैंसर सेल के खिलाफ लड़ने की भी क्षमता पाई जाती है (1)। इस कारण यह माना जा सकता है कि विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कैंसर से बचाव का काम कर सकता है।
2. बढ़ती उम्र के कारण मैकुलर डिजेनेरेशन
मैकुलर डिजेनेरेशन (Macular Degeneration) का अर्थ है, मैकुला (Macula) का नष्ट होना। बता दें मैकुला आंख में मौजूद रेटीना का केन्द्रीय हिस्सा होता है, जो देखने की क्रिया में मुख्य भूमिका निभाता है (2)। आंखों के लिए जरूरी पोषक तत्वों से जुड़े एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि विटामिन ए आंखों की कार्यक्षमता में सुधार करने के साथ ही मैकुलर डिजेनेरेशन के जोखिम को दूर रखने में भी मदद कर सकता है (3)। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों का चयन इस समस्या से राहत पाने का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
3. मीजल्स की समस्या में लाभकारी
मीजल्स (Measles) एक प्रकार का वायरस संक्रमण है, जो मुख्य तौर पर श्वसन तंत्र से संबंधित है। इसमें आमतौर पर रोगी में बुखार, सूखी खांसी और नाक बहने की समस्या देखी जाती है। वहीं गंभीर स्थिति में शरीर पर चकत्ते भी देखने को मिल सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक विटामिन ए की कमी की स्थिति में इस समस्या के होने का जोखिम अधिक रहता है। यही कारण है कि इस संक्रमण के इलाज में विटामिन ए की खुराक को शामिल किया जाता है (4)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से इस समस्या से राहत पाने के साथ ही इसके होने की आशंका को भी दूर रखा जा सकता है।
4. आंखों की रोशनी बढ़ाए
आंखों की रोशनी को बनाए रखने में भी विटामिन ए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस संबंध में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के बायो-केमेस्ट्री विभाग द्वारा किए शोध में पाया गया कि विटामिन ए आंखों की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है, जो देखने की क्रिया में मुख्य भूमिका निभाती हैं (5)। इस तथ्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों को आंखों की रोशनी बढ़ाने वाले आहार के रूप में लिया जा सकता है।
5. हड्डियों के विकास में सहायक
यूएस के विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के न्यूट्रीशनल साइंस विभाग द्वारा किए गए एक शोध में इस बात को माना गया कि विटामिन ए अप्रत्यक्ष तरीके से यानी प्रोविटामिन ए कैरोटीनॉयड (विटामिन ए का एक्टिव रूप) के रूप में हड्डियों के विकास में सहायक साबित हो सकता है। साथ ही शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि विटामिन ए का अत्यधिक सेवन हड्डियों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। हालांकि, यह शरीर में किस मात्रा में और कब तक सुरक्षित रह सकता है और हड्डियों को मजबूती देने में यह किस प्रकार कार्य करता है, इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है (6)।
6. प्रजनन में मददगार
विशेषज्ञों के मुताबिक विटामिन ए अन्य स्वास्थ्य ल��भों के साथ ही प्रजनन की क्रिया में भी अहम भूमिका निभाता है। बताया जाता है कि जहां एक ओर पुरुषों में यह वीर्य यानी स्पर्म के बनने की प्रक्रिया में मदद करता है तो दूसरी ओर महिलाओं के गर्भधारण की प्रक्रिया में मददगार साबित होता है। इतना ही नहीं गर्भधारण के पश्चात भ्रूण के विकास में भी सहायता करता है (7)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्त्री व पुरुष दोनों में ही विटामिन ए समान रूप से प्रजनन प्रक्रिया में सहायक साबित हो सकता है।
7. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए 
विटामिन ए को रोग प्रतिरोधक क्षमता  बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। दरअसल, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कई तरह के संक्रमण से लड़ने की शरीर को शक्ति देता है। साथ यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही उसे बनाए रखने में भी मदद करता है (8)। इस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थ सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकते हैं।
विटामिन ए के फायदे के बाद आइए अब हम विटामिन ए की कमी के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
विटामिन A की कमी क्या  है? – What is Vitamin A Deficiency in Hindi
सामान्य तौर पर व्यक्ति के खून में करीब प्रति डेसीलीटर 15 से 60 माइक्रोग्राम विटामिन ए पाया जाता है। जब यह मात्रा 15 माइक्रोग्राम से भी कम हो जाती है तो इसे विटामिन ए की कमी कहा जाता है (9)। विटामिन ए की कमी होने पर कुछ खास लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जिनके बारे में हम आपको आगे लेख में बताएंगे।
लेख के अगले भाग में अब हम आपको विटामिन ए की कमी होने के कारणों से परिचित कराएंगे।
विटामिन A की कमी होने का कारण – Causes of Vitamin A Deficiency in Hindi
अन्य पोषक तत्वों की तरह ही आहार में विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल न करना इसकी कमी का एक कारण हो सकता है। वहीं कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी है, जो विटामिन ए की कमी का कारण उत्पन्न हो सकती है। वह समस्याएं कुछ इस प्रकार हैं (9) :
सिस्टिक फाइब्रोसिस (फेफड़े से संबंधित एक गंभीर समस्या)।
पेनक्रियाज यानी अग्नाशय में सूजन या उसका ठीक तरह से काम न करना।
सीलिएक डिजीज (आंतों से संबंधित एक समस्या)।
विटामिन ए की कमी के कारणों के बाद आइए अब हम विटामिन A की कमी के लक्षण भी जान लेते हैं।
विटामिन A की कमी के लक्षण – Symptoms of Vitamin A Deficiency in Hindi
विटामिन A की कमी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (9)।
छोटे बच्चों में हड्डियों और दांतों से जुड़ी समस्या होना।
आंखों में सूजन व सूखापन आना।
रतौंधी (रात के वक्त देखने में परेशानी) होना।
बार-बार संक्रमण की चपेट में आना।
त्वचा पर चकत्ते दिखना।
विकास में कमी होना।
सूखी त्वचा का होना। 
विटामिन A की कमी के लक्षण के बाद लेख के अगले भाग में अब हम आपको विटामिन ए के स्रोत से परिचित कराएंगे।
विटामिन A युक्त खाद्य पदार्थ – Vitamin A Rich Foods in Hindi
1. बीफ लिवर
विटामिन ए की कमी के उपचार के लिए बीफ लिवर को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। बीफ लिवर में मौजूद विटामिन ए की प्रचुर मात्रा शरीर में इसकी पूर्ति कर विटामिन ए की कमी से होने वाले जोखिमों को दूर रखने में मदद कर सकता है।
 मात्रा– 100 ग्राम बीफ लिवर में करीब 26088 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (10)।
2. सैलमन मछली
मछली खाने के शौकीन सैलमन मछली को विटामिन ए के विकल्प तौर पर इस्तेमाल में ला सकते हैं। वजह यह है कि इसमें शरीर के लिए जरूरी अन्य कई पोषक तत्वों के साथ विटामिन ए भी मौजूद होता है। ऐसे में विटामिन ए की कमी के उपचार के तौर पर सैलमन मछली को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
मात्रा– 100 ग्राम सैलमन मछली में करीब 40 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (11)।
3. ड्राई एप्रिकोट
विटामिन ए की कमी के उपचार में ड्राई एप्रिकोट का सेवन भी किया जा सकता है। शाकाहार पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए ड्राई एप्रिकोट विटामिन ए की कमी को पूरा करने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
मात्रा–  100 ग्राम ड्राई एप्रिकोट में करीब 250 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (12)।
4. हरी पत्तेदार सब्जियां
विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। विटामिन ए की कमी के उपचार के तौर पर हरी पत्तेदार सब्जियों का सूप बनाकर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
मात्रा – 100 ग्राम हरी पत्तेदार सब्जियों के सूप में करीब 196 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (13)।
5. फोर्टीफाइड ओटमील
फोर्टीफाइड ओटमील को आहार में शामिल कर भी काफी हद तक विटामिन ए की कमी को होने से रोका जा सकता है। इसके लिए आप नियमित नाश्ते में इसे शामिल कर सकते हैं। वहीं आप चाहें तो इसे शाम के नाश्ते के तौर पर भी प्रयोग में ला सकते हैं।
मात्रा– 100 ग्राम फोर्टीफाइड ओटमील में करीब 2574 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (14)।
6. खरबूजा
गर्मियों के दिनों में खरबूजा के फायदे पानी की कमी को तो पूरा करते ही हैं, साथ ही यह विटामिन ए की कमी को पूरा करने में भी सहायक है। ऐसे में इसे भी विटामिन ए की पूर्ति के लिए इस्तेमाल में शामिल किया जा सकता है।
मात्रा– 100 ग्राम खरबूजे में करीब 772 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (15)।
7. दुग्ध उत्पाद
दूध को पोषक तत्वों का भण्डार माना जाता है। यही कारण है दूध के फायदे भी कई है। खास यह है कि इसके सेवन से स्वास्थ्य के लिए जरूरी कई पोषक तत्व हासिल हो जाते हैं। इसमें विटामिन ए भी शामिल है। ऐसे में विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए भी दूध व दूध से बने पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
मात्रा– 100 मिली दूध में करीब 208 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (16)।
8. गाजर
गाजर के फायदे में विटामिन ए की कमी को पूरा करना भी शामिल है। दरअसल, शाकाहार में शामिल यह एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। ऐसे में गाजर का सेवन न केवल विटामिन ए की दैनिक जरूरत को पूरा कर सकता है, बल्कि इसकी कमी की स्थिति में भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।
मात्रा– 100 ग्राम गाजर में करीब 7051 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (17)।
9. पपीता
मीठे और रसीले स्वाद के लिए पसंद किया जाने वाला पपीता भी किसी मायने में कम नहीं है। इसमें भी विटामिन ए भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है। ऐसे में विटामिन ए की पूर्ति के लिए इसे भी एक अच्छे विकल्प के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
मात्रा– 100 ग्राम पपीता में करीब 1000 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (18)।
10. शकरकंद
आप में से कई लोगों को शकरकंद का मीठा स्वाद काफी लुभाता होगा, लेकिन शायद ही आपको मालूम हो कि शकरकंद के फायदे में विटामिन ए की कमी को पूरा करना भी शामिल है। विशेषज्ञों के मुताबिक अन्य फलों और सब्जियों से कहीं अधिक विटामिन ए शकरकंद में उपलब्ध होता है। यही कारण है कि इसे विटामिन ए का एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है।
मात्रा– 100 ग्राम शक्करकंद में करीब 14173 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (19)।
11. आम
विटामिन ए की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए आम के फायदे बड़े काम आ सकते हैं। कारण यह है कि विटामिन ए की दैनिक जरूरी मात्रा को पूरा करने में यह अकेले ही सक्षम है। अन्य पोषक तत्वों के साथ ही इसमें विटामिन ए भी अच्छी मात्रा में उपलब्ध होता है।
मात्रा– 100 ग्राम आम में करीब 714 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए पाया जाता है (20)।
नोट– एक वयस्क महिला को प्रतिदिन करीब 700 माइक्रोग्राम यानी लगभग 2331 IU (इंटरनेशनल यूनिट) और पुरुष को करीब 900 माइक्रोग्राम यानी लगभग 2999 IU (इंटरनेशनल यूनिट) विटामिन ए की आवश्यकता होती है (21)।
विटामिन ए के स्रोत के बारे में जानने के बाद अब हम आपको विटामिन ए की कमी से रोग कौन-कौन से हो सकते हैं, इस बारे में बताएंगे।
विटामिन A की कमी से होने वाले रोग
विटामिन ए की कमी से रोग होना स्वाभाविक है, जो कुछ इस प्रकार हैं (21)।
रतौंधी (कम रोशनी या रात में न देख पाने की समस्या)।
जीरोप्थैलमिया (Xerophthalmia) यानी आंखों से आंसू सूख जाने की समस्या।
हाइपरकेराटोसिस (Hyperkeratosis) यानी त्वचा का रूखा-सूखा और बेजान हो जाना। 
विटामिन ए की कमी से रोग के विषय में जानने के बाद अब हम आपको विटामिन ए की कमी से बचाव के बारे में बताएंगे।
विटामिन A की कमी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Vitamin A Deficiency in Hindi
विटामिन ए की कमी से बचाव के उपाय कुछ इस प्रकार हैं।
संतुलित और पौष्टिक आहार ही विटामिन ए की कमी से बचाव का एक मात्र उपाय है।
विटामिन ए की पूर्ति के लिए जितना हो सके विटामिन ए के स्रोत यानी खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
विटामिन ए के किसी भी स्रोत को संतुलित मात्रा में ही इस्तेमाल में लाएं।
अगर विटामिन ए के सप्लीमेंट को उपयोग में लाना चाहते हैं तो उसकी ली जाने वाली मात्रा के बारे में डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।
विटामिन ए की स्वास्थ्य को बनाए रखने में क्या भूमिका है, इस बारे में तो अब आप अच्छे से जान गए होंगे। वहीं विटामिन ए के फायदे और इसकी कमी से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में भी आपको पूरी जानकारी हासिल हो गई होगी। लेख में हमने आपको विटामिन ए की कमी के लक्षणों के विषय में बताया है, जो इस समस्या की पहचान कर उपचार की ओर कदम बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। फिर देर किस बात की, अगर आपका भी कोई नजदीकी या परिवार का सदस्य इस समस्या से जूझ रहा है तो लेख में बताए गए तरीकों को इस्तेमाल कर आप इस समस्या को काफी हद तक दूर कर सकते हैं। इस विषय से जुड़ा कोई अन्य सवाल हो तो उसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचाना न भूले।  
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Ankit Rastogi
अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
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आर्टिचोक के फायदे और नुकसान – Artichokes Benefits and Side Effects in Hindi
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आर्टिचोक के फायदे और नुकसान – Artichokes Benefits and Side Effects in Hindi
आर्टिचोक के फायदे और नुकसान – Artichokes Benefits and Side Effects in Hindi vinita pangeni Hyderabd040-395603080 January 7, 2020
सदियों से विभिन्न प्रकार की सब्जियों का इस्तेमाल स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी किया जाता रहा है। इनमें से कई सब्जियां तो आम हैं, लेकिन कुछ के बारे में कम ही लोग जानते हैं। इन्हीं में से एक है ‘आर्टिचोक’। दरअसल, यह सब्जी नहीं बल्कि एक अपरिपक्व फूल की कली है, जिसका इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है। माना जाता है कि यह सब्जी कई रोगों के लक्षण दूर करने के साथ ही स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकती है। यही वजह है कि इस लेख में हम आर्टिचोक के विषय में जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं। आप यहां आर्टिचोक के फायदे और नुकसान के साथ ही इसके उपयोग के तरीके भी जान पाएंगे।
चलिए, सबसे पहले आर्टिचोक के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं, यह जान लेते हैं।
विषय सूची
आर्टिचोक के फायदे – Benefits of Artichokes in Hindi
1. पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करे:
पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आर्टिचोक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी संबंध में एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर एक शोध भी प्रकाशित हुआ है। इस शोध के मुताबिक आर्टिचोक के पत्ते के अर्क में मौजूद बाइल (लिवर द्वारा निकलने वाला तरल पदार्थ) को बढ़ावा देना वाला प्रभाव पाचन में मदद कर सकता है। साथ ही यह इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण, जैसे पेट दर्द और अपच (Dyspepsia) की समस्या को दूर करने में लाभदायक हो सकता है (1) (2)।
दरअसल, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम यानी आंत संबंधी समस्या भी पाचन संबंधी समस्याओं में से एक है (3)। माना जाता है कि आर्टिचोक में मौजूद फाइबर पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है (4) (5)। पाचन से जुड़ी परेशानी को दूर करने के लिए आर्टिचोक का सेवन काढ़ा या चाय के रूप में किया जा सकता है।
2. कैंसर को बढ़ने से रोके:
आर्टिचोक को लेकर किए गए अध्ययनों के मुताबिक इसका अर्क स्तन कैंसर की कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालकर, कैंसर सेल्स को फैलने से रोक सकता है। दरअसल, इसमें पॉलीफेनोल नामक केमिकल कंपाउंड होता है, जो कैंसर कोशिकाओं की गतिविधि को धीमा कर सकता है (6)। आ��्टिचोक में मौजूद पोलीफेनोलिक कंपाउंड की वजह से ही इसमें कीमोप्रेंटिव गतिविधि भी पाई जाती है (7)। कीमोप्रेंटिव गुण कैंसर के फैलने की गति को कम करने के साथ ही इसकी पुनरावृत्ति यानी एक बार कैंसर होने के बाद दोबारा कैंसर होने की आशंका को धीमा कर सकता है (8)।
3. लिवर स्वास्थ्य में सुधार:
आर्टिचोक का सेवन लिवर के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इसके सेवन से लिवर एंजाइम्स में सुधार हो सकता है। इसमें फ्लेवोनोइड्स और कैफॉइलक्विनिक (Caffeoylquinic) एसिड मौजूद होते हैं, जो हेपेटोप्रोटेक्टिव गतिविधि और हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं। हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण लिवर को डैमेज होने से बचाता है और साथ ही यह नॉनअल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (Nonalcoholic Steatohepatitis -NASH में भी फायदा पहुंचा सकता है। दरअसल, नॉनअल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस वो बीमारी होती है, जिसमें बिना अल्कोहल के सेवन के ही लिवर में फैट जमने लगता है, जिससे लिवर में सूजन और संक्रमण होता है (9)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक आर्टिचोक सबसे ज्यादा लाभकारी प्रभाव लिवर पर ही दिखाता है। आर्टिचोक की जड़ों और पत्तियों के अर्क का इस्तेमाल लिवर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। यह लिवर की कोशिकाओं को दोबारा बनने में भी मदद कर सकता है (2)।
4. हृदय स्वास्थ्य:
आर्टिचोक, विश्व में उगाए जाने वाले सबसे प्राचीन पौधों में से एक है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्सों (पत्तियों, फलों और जड़ों) के अर्क का उपयोग समय-समय पर औषधीय रूप में किया जाता रहा है। यही वजह है कि आर्टिचोक के फायदे में हृदय स्वास्थ्य भी शामिल है। इटली में की गई एक स्टडी के मुताबिक हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम के लिए आर्टिचोक के वैकल्पिक इस्तेमाल को लेकर जागरूकता जरूरी है (10)।  दरअसल, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकता है (2)। इसमें मौजूद फ्लेवोनाइड्, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Hypercholesterolemia, कोलेस्ट्रॉल का अधिक स्तर) को कम कर सकता है और एंटीऑक्सीडेंट गुण एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis, धमनी में जमने वाले प्लाक) से बचा सकता है। इन दोनों समस्याओं का संबंध हृदय रोग से है (11)।
5. डायबिटीज:
आर्टिचोक की पत्तियों के इथेनॉल अर्क में एंटीहाइपरग्लिसेमिक गुण पाया जाता है। यह गुण ग्लूकोज के लेवल को कम करके डायबिटीज के स्तर को घटा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक शोध के दौरान आर्टिचोक की पत्तियों का अर्क (200 से 400 मिलीग्राम प्रति किलो वजन) एक निर्धारित समय तक जब चूहों को दिया गया, तो उनका ग्लूकोज लेवल 42.84 से 37.91 प्रतिशत तक घटा। माना जाता है कि इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक प्रभाव टेरपेनॉइड, फिनोल, फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और कार्डियक ग्लाइकोसाइड जैसे यौगिक की वजह से है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मधुमेह की वजह से होने वाले ऑर्गन डैमेज से भी बचाव कर सकते हैं (12)।
6. सीसा (Lead) की विषाक्तता से बचाए :
लेड (Lead) यानी सीसा, एक ऐसा पर्यावरणीय प्रदूषक, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसकी वजह से लिवर, किडनी और अन्य अंगों से संबंधित गंभीर रोग हो सकते हैं। यही वजह है कि लेड विषाक्तता से शरीर को बचाना जरूरी है। ऐसे में आर्टिचोक उपयोगी साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद फेनोलिक्स और फ्लेवोनोइड यौगिक की वजह से इसे रक्त और टिश्यू में मौजूद लेड की मात्रा को दूर करने में सहायक माना गया है। दरअसल, सीसा की विषाक्तता के कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है। यह स्ट्रेस लिवर, किडनी, मस्तिष्क और अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे में माना जाता है कि लेड के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रभावी हो सकता है। यह गुण आर्टिचोक में भी होता है, इसलिए इसे सीसा की विषाक्तता से बचाव करने का अच्छा उपाय माना जा सकता है (13)।
7. कोलेस्ट्रोल :
आर्टिचोक का सेवन करने से लिपिड प्रोफाइल में सुधार किया जा सकता है, जिससे कोलेस्टॉल के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसमें खासकर ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) और कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने की क्षमता पाई गयी है। माना जाता है कि इसमें मौजूद घटक ल्यूटोलिन और क्लोरोजेनिक एसिड, कोलेस्ट्रोल को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं (14)। 
8. ब्लड प्रेशर:
एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च पेपर के मुताबिक ब्लड प्रेशर के कुछ रोगियों को जब आर्टिचोक का जूस दिया गया, तो 12 हफ्ते तक इसका सेवन करने के बाद रोगियों के उच्च रक्तचाप में कुछ हद तक कमी पाई गयी। ऐसे में माना जा सकता है कि इसका सेवन हाई बीपी के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है (11)। वहीं दूसरी ओर आर्टिचोक में पोटेशियम की मात्रा भरपूर होती है, जिसे बीपी और हृदय संबंधी रोगों से बचाव के लिए लाभदायक माना जाता है (15)।
9. त्वचा स्वास्थ्य व स्किन एजिंग :
आर्टिचोक में मौजूद पॉलीफेनोल त्वचा के लिए लाभदायक हो सकता है। यह सूर्य की हानिकारक किरणों के साथ ही मुक्त कणों के दुष्प्रभाव से भी त्वचा को बचाने में मदद कर सकता है। शायद यही वजह है कि इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स में बतौर एंटी-एजिंग तत्व के रूप में किया जाता है। यह त्वचा के रूखेपन को दूर करने के साथ ही त्वचा की इलास्टिसिटी बनाए रखने में मदद कर सकता है (7)।
स्किन एजिंग का एक कारण कोलेजन मेटाबॉलिज्म (एक तरह के प्रोटीन का चयापचय) में गड़बड़ी भी है। ऐसे में आर्टिचोक का लंबे समय तक इस्तेमाल कर कोलेजन मेटाबोलिज्म को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी गुण त्वचा एडिमा (सूजन) से भी बचाने में मदद कर सकता है (16)। इसे पेस्ट के रूप में त्वचा पर लगाने के साथ ही आहार में भी शामिल किया जा सकता है।
नोट : गौर हो कि ऊपर बताए गये अध्ययनों में से कुछ शोध जानवरों पर, कुछ इंसानों पर तो कुछ लैब में किए गये हैं।
आर्टिचोक के फायदे के बाद इसमें मौजूद पोषक तत्वों पर एक नजर डाल लेते हैं।
आर्टिचोक के पौष्टिक तत्व – Artichokes Nutritional Value in Hindi
शरीर को आर्टिचोक का लाभ इसमें मौजूद पोषक तत्वों की वजह से ही मिलते हैं। यही वजह है कि हम तालिका के माध्यम से नीचे आर्टिचोक में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं (4)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम जल 84.94 g ऊर्जा 47 kcal प्रोटीन 3.27 g कुल फैट 0.15 g कार्बोहाइड्रेट 10.51 g फाइबर 5.4 g शुगर 0.99 g मिनरल कैल्शियम 44 mg आयरन 1.28 mg मैग्नीशियम 60 mg फास्फोरस 90 mg पोटेशियम 370 mg सोडियम 94 mg जिंक 0.49 mg विटामिन विटामिन सी 11.7 mg नियासिन 1.046 mg थियामिन 0.072 mg  राइबोफ्लेविन  0.066  mg फोलेट, टोटल 68 µg कोलीन 34.4 mg विटामिन ए, RAE 1 µg कैरोटीन, बीटा  8 g विटामिन ए, IU 13 IU ल्यूटिन + जेक्सैंथिन 464 µg विटामिन ई, (अल्फा-टोकोफेरॉल) 0.19  mg विटामिन के 14.8 µg लिपिड फैटी एसिड, सैचुरेटेड 0.036 g
आर्टिचोक में मौजूद पोषक तत्व के बाद हम नीचे आर्टिचोक का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इसके बारे में बता रहे हैं।
आर्टिचोक का उपयोग – How to Use Artichokes in Hindi
आर्टिचोक का लाभ तो आप जान ही चुके हैं। अब इसके उपयोग के बारे में जान लेना भी जरूरी है। कई लोग आर्टिचोक के फायदे से वाकिफ होते हुए भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते, क्योंकि वो इस बात से अंजान होते हैं कि इसका कौन सा हिस्सा खाया जाता है और कौन सा नहीं। ऐसे में हम नीचे आपको आर्टिचोक का उपयोग और सेवन योग्य हिस्से के बारे में बता रहे हैं।
खाने योग्य हिस्सा:
आर्टिचोक के पत्तों को हटाने के बाद जो बीच का हिस्सा बचता है, उसे खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। आर्टिचोक के इस हिस्से को हार्ट भी कहा जाता है।
इसके अलावा, इसके पत्तों को भी इस्तेमाल में लाया जाता है। लेकिन उसे पूरा खाने के बजाए, दांतों से खींचकर उसके मुलायम हिस्से को खाकर पत्ते को फेंक दिया जाता है।
आर्टिचोक के शुरुआती कुछ पत्तों को निकालने के बाद ही अन्य पत्तों का सेवन किया जाना चाहिए।
आर्टिचोक का उपयोग:
आर्टिचोक को उबालकर चटनी या चीज़ में डीप करके खाया जा सकता है।
इसे ग्रिल करके और भूनकर भी आहार में शामिल किया जाता है।
इसका इस्तेमाल स्टफ्ड ब्रेड या अन्य भरवा रेसिपी जैसे आलू भरवा के लिए किया जा सकता है।
आर्टिचोक को पकाने की सबसे लोकप्रिय विधि स्टिमिंग है।
इसे स्मूदी बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
आर्टिचोक की पत्तियों से काढ़ा और चाय भी बना सकते हैं।
इसके पाउडर का सेवन सीधे या पानी में घोलकर किया जा सकता है।
आर्टिचोक को गोली के रूप में भी ग्रहण किया जा सकता है।
कितनी मात्रा में सेवन करें:
आर्टिचोक को इस्तेमाल करने की वैसे तो कोई खास मात्रा निर्धारित नहीं है, लेकिन इस पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार इसके सेवन की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है (17):
हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और अपच के लिए इसके सूखे पत्तों के पाउडर से बना पानी वाला घोल का एक से दो ग्राम तक सेवन किया जा सकता है।
वयस्क इसके क्रूड ड्रग्स की खुराक 5 से 10 ग्राम तक ले सकते हैं।
हर्बल चाय के लिए दिनभर में इसके सूखे पत्तों का 6 ग्राम तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
आर्टिचोक का उपयोग कैसे किया जाए, यह बताने के बाद अब हम नीचे आर्टिचोक के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
आर्टिचोक के नुकसान – Side Effects of Artichokes in Hindi
आर्टिचोक के फायदे के साथ ही इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है। नीचे हम कुछ आम आर्टिचोक के नुकसान के बारे में बता रहे हैं (17):
गैस की समस्या।
पेट में ऐंठन के साथ मामूली दस्त।
एलर्जिक रिएक्शन।
मतली और हार्ट बर्न।
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
एंटीकोआगुलंट्स (Anticoagulants) दवाइयों का प्रभाव कम कर सकता है, जैसे फेनप्रोकोमोन और वारफरिन)। ये दवाइयां रक्त के थक्कों को रोकने का काम करती हैं।
कमजोरी महसूस होना।
भूख में कमी या अत्यधिक भूख लगना।
आर्टिचोक के लाभ और इसके नुकसान दोनों के बारे में हम इस लेख में विस्तार से बता चुके हैं। अब आप अपनी सूझबूझ के साथ आर्टिचोक का इस्तेमाल कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आर्टीचोक लेख में बताई गई बीमारियों को सीधे तौर पर ठीक करने के बजाए, उनके लक्षण दूर करने और उनसे बचाव में मदद कर सकता है। किसी भी तरह के गंभीर रोग से ग्रसित होने पर डॉक्टर से संपर्क करना ही समझदारी है। घरेलू उपाय को स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। अगर लेख पढ़ने के बाद भी आर्टिचोक के बारे में कुछ सवाल आपके जहन में हों, तो उन्हें कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।
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विनिता पंगेनी ने एनएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में बीए ऑनर्स और एमए किया है। टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करते हुए इन्हें करीब चार साल हो गए हैं। इन्हें उत्तराखंड के कई पॉलिटिकल लीडर और लोकल कलाकारों के इंटरव्यू लेना और लेखन का अनुभव है। विशेष कर इन्हें आम लोगों से जुड़ी रिपोर्ट्स करना और उस पर लेख लिखना पसंद है। इसके अलावा, इन्हें बाइक चलाना, नई जगह घूमना और नए लोगों से मिलकर उनके जीवन के अनुभव जानना अच्छा लगता है।
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कॉड लिवर आयल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cod Liver Oil Benefits and Side Effects in Hindi
कॉड लिवर आयल के फायदे, उपयोग औ��� नुकसान – Cod Liver Oil Benefits and Side Effects in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 November 26, 2019
शरीर को कई तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। हालांकि, अधिकांश पोषक तत्वों की पूर्ति रोज खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से हो जाती है, लेकिन कभी-कभी सप्लीमेंट्स की भी जरूरत पड़ती है। कॉड लिवर आयल भी इन्हीं में से एक है। यही कारण है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख का विषय भी कॉड लिवर आयल है। यहां हम आपको कॉड लिवर आयल क्या है, कॉड लिवर आयल के फायदे व इसके उपयोग के बारे में वैज्ञानिक प्रमाण के साथ जानकारी देने की कोशिश करेंगे। साथ ही आपको कॉड लिवर आयल से नुकसान के विषय में भी जानकारी देंगे।
कॉड लिवर आयल आपको स्वस्थ रखने में मदद जरूर कर सकता है, लेकिन यह किसी बीमारी का उपचार नहीं हो सकता। इसलिए, पूरी तरह से कॉड लिवर आयल पर निर्भर होने के बजाय गंभीर शारीरिक समस्या में डॉक्टरी परामर्श जरूरी है।
सबसे पहले जानते हैं कि कॉड लिवर आयल क्या है? लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।
विषय सूची
कॉड लिवर आयल क्या है? What is Cod Liver Oil in Hindi
इस तेल को ताजा कॉड (एक प्रकार की मछली) के लिवर को खाने से या सप्लीमेंट लेने से प्राप्त किया जा सकता है। यह तेल कैप्सूल के रूप में भी बाजार में उपलब्ध होता है। कॉड लिवर ऑयल का उपयोग विटामिन-ए और विटामिन-डी के स्रोत के रूप में किया जाता है (1)। यह शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचा सकता है, जिनके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।
चलिए, अब जानते हैं कि यह शरीर को कैसे स्वस्थ रख सकता है।
कॉड लिवर आयल के फायदे – Benefits of Cod Liver Oil in Hindi
1. आंखों के लिए कॉड लिवर आयल के फायदे
बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं और उन्हीं में से एक है नजर का कमजोर होना। ऐसे में कॉड लिवर आयल के सेवन से इस समस्या के जोखिम को कम किया जा सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन  के अनुसार, विटामिन-ए और ओमेगा-3 फैटी एसिड ग्लूकोमा (Glaucoma) के उपचार में मददगार साबित हो सकते हैं।
ग्लूकोमा एक नेत्र संबंधी विकार है, जिसमें ऑप्टिक नर्व (जो दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण होती है) को नुकसान होता है। यह विकार आगे चलकर अंधेपन का कारण बन सकता है। ऐसे में कॉड लिवर आयल के फायदे देखे जा सकते हैं। यह विटामिन-ए और ओमेगा-3 फैटी एसिड दोनों से समृद्ध होता है। ये दोनों पोषक तत्व दृष्टि संबंधी बीमारी ग्लूकोमा के जोखिम को कुछ कम कर सकते हैं (2)। फिलहाल, इस विषय में और शोध की आवश्यकता है।
2. हृदय के लिए कॉड लिवर आयल के फायदे
हृदय रोग के जोखिम से बचने के लिए कॉड लिवर ऑयल का सेवन किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, मधुमेह के मरीजों में कॉड लिवर ऑयल का सेवन करने से दिल की बीमारी बचा जा सकता है। फिलहाल, यह शोध सिर्फ चूहों पर किया गया है, मनुष्यों पर नहीं। इसलिए, इसके सेवन के बारे में एक बार डॉक्टर की राय लेना जरूरी है (3)।
3. एंटी-इंफ्लेमेटरी
कॉड लिवर आयल को एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा के तौर पर इस्तेमाल करने से रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis – एक प्रकार का गठिया) से राहत मिल सकती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस शरीर में इन्फ्लेमेशन यानी सूजन के कारण होने वाली समस्या है। ऐसे में कॉड लिवर आयल में मौजूद एन-3 फैटी एसिड (n-3 fatty acids) एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव दिखा सकता है, जिससे जोड़ों के दर्द और सूजन से कुछ राहत मिल सकती है (4) (5)। वहीं, अगर ज्यादा तकलीफ हो, तो साथ में डॉक्टरी इलाज भी जरूर कराएं।
4. सांस संबंधी संक्रमण के लिए कॉड लिवर आयल
बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण सांस संबंधी संक्रमण हो सकते हैं (6)। ऐसे में कॉड लिवर ऑयल का सेवन फायदेमंद हो सकता है। कॉड लिवर ऑयल में एंटी-इंफेक्टिव गुण मौजूद होते हैं। यह गुण संक्रमण से बचाव करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद विटामिन डी सांस संबंधी बीमारियों से बचाव कर सकता है (7)।
5. दिमाग के लिए कॉड लिवर आयल के फायदे
कभी-कभी बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में कॉड लिवर ऑयल का उपयोग दिमागी विकास में फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके सेवन से बढ़ती उम्र के दौरान भी मस्तिष्क स्वस्थ रह सकता है (8)।
6. हड्डियों के लिए कॉड लिवर आयल के फायदे
यह तो लगभग हर कोई जानता है कि कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है। साथ ही विटामिन-डी भी हड्डियों के लिए आवश्यक पोषक तत्व है। विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम को अवशोषित होने में मदद करता है, जिस कारण हड्डियों का स्वास्थ्य बरकरार रह सकता है। वहीं, कॉड लिवर ऑयल को विटामिन-डी का अच्छा स्रोत माना गया है (1)। विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण (Absorbtion) को बढ़ावा देने में मदद करता है (9)। ऐसे में कॉड लिवर आयल का सीमित मात्रा में सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।
7. पेट के लिए कॉड लिवर आयल के फायदे
गलत खान-पान की वजह से पेट में गैस या अल्सर जैसी समस्या हो सकती हैं। वहीं, कॉड लिवर ऑयल में एंटी-अल्सर गुण मौजूद होते हैं। एसिटिक एसिड के कारण होने वाले क्रोनिक गैस्ट्रिक अल्सर के उपचार में कॉड लिवर ऑयल मददगार साबित हो सकता है। इतना ही नहीं यह ड्यूडिनल अल्सर (Duodenal Ulcer) से भी बचाव कर सकता है (10)। इस प्रकार का अल्सर डियोडेनम  (Duodenum-छोटी आंत का पहला हिस्सा) में होता है। वहीं, अगर कोई गंभीर रूप से अल्सर से पीड़ित है, तो उसे घरेलू नुस्खे के साथ-साथ डॉक्टर से इलाज भी जरूर करवाना चाहिए।
8. घाव को भरने व त्वचा के लिए कॉड लिवर आयल के फायदे
कॉड लिवर ऑयल युक्त मरहम का उपयोग करने से घाव को जल्द भरने में मदद मिल सकती है। ऐसा माना गया है कि विटामिन-ए जो कॉड लिवर आयल में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होता है, घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकता है। इसे त्वचा पर मौजूद रैशेज, घाव व जलने की समस्या से राहत पाने में भी उपयोग किया जा सकता है (11)। फिलहाल, इस मामले में अभी और सटीक प्रमाण की आवश्यकता है। इसलिए, इसके उपयोग से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें (1)।
आगे जानिए कि कॉड लीवर ऑयल का उपयोग कैसे किया जाए।
कॉड लिवर आयल का उपयोग – How to Use Cod Liver Oil in Hindi
कॉड लीवर ऑयल का उपयोग के बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (1)।
खुराक : कॉड लिवर आयल की उचित खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि उपयोगकर्ता की आयु, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियां। इसलिए, किसे कितना कॉड लिवर आयल उपयोग कर��ा चाहिए, इस बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
टाइम : कई लोगों का मानना है कि कॉड लिवर ऑयल के सप्लीमेंट्स को रात को खाने के बाद लेना चाहिए, लेकिन लोगों के कहे अनुसार इसका सेवन करना उचित नहीं है। इसलिए, डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है कि इसका सेवन किस समय करना ठीक है।
हर चीज के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं, वैसे ही कॉड लिवर आयल से नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए, एहतियात के तौर पर हम कॉड लिवर आयल से नुकसान के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं।
कॉड लिवर आयल से नुकसान – Side Effects of Cod Liver Oil in Hindi
अधिक सेवन करने से कॉड लिवर आयल से नुकसान के बारे में नीचे पढ़ें (1):
सांस की दुर्गंध
सीने में जलन
पेट खराब या दस्त
मतली
रक्तस्त्राव की समस्या
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कॉड लिवर ऑयल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसकी अधिक मात्रा से शरीर में विटामिन-ए और विटामिन-डी का स्तर बढ़ सकता है, जो मां और होने वाले शिशु दोनों के लिए घातक हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति ब्लड प्रेशर कम करने की दवाई का सेवन कर रहा है, तो वह डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही कॉड लिवर ऑयल का सेवन करें। दवा के साथ कॉड लिवर ऑयल को लेने से ब्लड प्रेशर जरूरत से ज्यादा कम हो सकता है।
कॉड लिवर आयल के फायदे जानने के बाद इसे खाने की इच्छा कई लोगों को होगी, लेकिन हम स्पष्ट कर दें कि कॉड लिवर आयल के फायदे से शारीरिक समस्याओं से सिर्फ बचाव हो सकता है। हम यह दावा नहीं कर रहे हैं कि यह किसी बीमारी को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। अगर किसी को कोई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है, तो वह डॉक्टर की सलाह लेने में बिल्कुल देर न करे। इसके अलावा, कॉड लीवर ऑयल का उपयोग भी डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें। कॉड लिवर आयल से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/cod-liver-oil-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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पपीता के पत्ते के जूस के फायदे और नुकसान – Papaya Leaf Juice Benefits and Side Effects in Hindi
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पपीता के पत्ते के जूस के फायदे और नुकसान – Papaya Leaf Juice Benefits and Side Effects in Hindi
पपीता के पत्ते के जूस के फायदे और नुकसान – Papaya Leaf Juice Benefits and Side Effects in Hindi vinita pangeni Hyderabd040-395603080 October 28, 2019
सब्जियों के साथ-साथ फलों का सेवन भी संतुलित आहार का हिस्सा होता है। फलों की बात करें, तो पपीता भी गुणकारी फलों में से एक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ पपीता ही नहीं, बल्कि पपीते के पत्ते भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। स्टाइक्रेज के इस लेख में हम आपको पपीते के पत्तों के जूस के फायदे के बारे में प्रमाण के साथ जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं सेहतमंद रहने के लिए आप किस तरीके से पपीते के पत्तों का रस बनाकर उपयोग कर सकते हैं, यह भी आपको इस लेख में पढ़ने को मिलेगा। तो अब विस्तार से पपीता के पत्ते के जूस के फायदे के बारे में जान लेते हैं।
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पपीता के पत्ते के जूस के फायदे – Benefits of Papaya Leaf Juice in Hindi
1. डेंगू बुखार
डेंगू के प्रकोप से लगभग हर कोई परेशान है। डेंगू वायरस के कारण अक्सर लोगों को बुखार हो जाता है। यह बुखार हर वर्ष देशभर में कई लोगों की जिंदगी छीन लेता है। इस जानलेवा वायरस की वजह से तेज बुखार, दाने और तेज सिरदर्द, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द, कंपकंपी और आंख में दर्द की समस्या होती है। डेंगू वायरस आखिर में शरीर में प्लेटलेट को इतना कम कर देता है कि लोगों की मौत भी हो जाती है।
ऐसे में आप पपीते के पत्ते का 25 एमएल रस दिन में दो बार ले सकते हैं। इससे आपके प्लेटलेट काउंट बढ़ने में मदद मिल सकती है और संक्रमण की गंभीरता कम हो सकती है। दरअसल, पीपते के पत्ते के अर्क में आवश्यक बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जैसे पपैन (Papain), कायमोपोपीन (Chymopapain) और कैरिकेन (Caricain), जो डेंगू बुखार के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं (1)।
2. एंटीमलेरिया
पपीते का सेवन मलेरिया के लिए भी बेहतर माना जाता है। पपीते के पत्ते, फल, बीज और जड़ में एंटीमलेरियल (Antimalarial) गुण होते हैं (1)। खासकर, पपीते के पत्ते के एंटीमलेरियल (Antimalarial) गुण रक्त में मौजूद पैरासाइट्स को खत्म करने का काम कर सकते हैं, जिस कारण मलेरिया की रोकथाम में मदद मिलती है। आप पपीते के पत्ते के रस का रोजाना सेवन कर सकते हैं (2) (3)।
3. पाचन प्रक्रिया और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर
पपीते की पत्तियों में कारपैन (Karpain) के रासायनिक यौगिक होते ह��ं, जो पाचन क्रिया में बाधा डालने वाले सूक्ष्मजीवों (माइक्रोऑर्गेनिज्म) को खत्म करने का काम करते हैं, जिससे पाचन क्रिया में सुधार हो सकता है (5)। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (Gastrointestinal Disorder) जैसे इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से राहत पाने में मदद मिल सकती है (6)। साथ ही इसके सेवन से अल्कोहल की वजह से होने वाले गैस्ट्रिक की समस्या या गैस्ट्रिक अल्सर को भी ठीक करने में मदद मिल सकती है (7)।
4. लिवर
लिवर संबंधी रोग का कारण कई बार हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Hypercholesterolemia) यानी उच्च कोलेस्ट्रोल हो सकता है (8)। आप इस समस्या को पपीते के पत्ते के रस का सेवन करके कम कर सकते हैं। पपीते के पत्ते का जूस कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करके आपके रक्त को साफ करता है और आपको लिवर संबंधी परेशानियों से बचाए रखने में मदद कर सकता है (9)। इसके साथ आपको अपनी जीवनशैली और खान-पान में भी बदलाव करने जरूरी हैं।
5. इम्यूनिटी को बढ़ाए
पपीते के पत्ते का जूस आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाकर आपको बीमारियों से बचाने में मदद करता है। दरअसल, इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) गुण होते हैं, जिसकी मदद से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर की जरूरत के अनुरूप काम करती है (10) (1)। इससे कई बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है।
6. एंटी-कैंसर
पपीते के पत्ते के जूस में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) प्रभाव की वजह से यह कैंसर जैसे प्राणघातक बीमारी से भी लड़ने में मदद कर सकता है। इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव शरीर में बढ़ रहे कैंसर सेल्स और ट्यूमर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकता है (10)। साथ ही इसमें ऐंटी-कैंसर गुण भी मौजूद हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं (11)।
7.  एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीनोसाइसेप्टिव
पपीते के पत्ते में भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। यह गुण शरीर में किसी भी तरह के सूजन (लालिमा, सूजन और दर्द) के प्रभाव को कम कर सकते हैं (12)। साथ ही इसमें एंटीनोसाइसेप्टिव (Antinociceptive) प्रभाव भी होते हैं। एंटीनोसाइसेप्टिव एजेंट न्यूरोन्स और तंत्रिका तंत्र में दर्द पैदा करने वाले और हानिकारक तत्व का पता लगाकर उन्हें रोकने मदद कर सकते हैं (13) (14)।
8. त्वचा के लिए
पपीते के पत्ते का सेवन आपकी त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी और ई आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने के साथ-साथ झुर्रियों को भी दूर करने में मदद कर सकते हैं (15) (16)। खासकर, विटामिन-सी आपके कोलेजन (त्वचा के लिए जरूरी प्रोटीन) को बनाने में मदद करता है और त्वचा में कसावट लाता है (17)।
9. डैंड्रफ 
डैंड्रफ न सिर्फ बालों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि कई बार शर्मिंदगी का कारण भी बन जाता है। ऐसे में आप पपीते के पत्ते के घरेलू नुस्खे को अपनाकर डैंड्रफ से छुटकारा पा सकते हैं। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है कि पपीते की पत्तियां डैंड्रफ को पूरी तरीके से दूर कर सकती हैं या नहीं, लेकिन आप पपीते के पत्ते से निकले रस से स्कैल्प की मसाज कर सकते हैं। इसके अलावा, पपीते के पत्तों को पीसकर इसके पेस्ट को स्कैल्प पर लगाकर इसका असर देख सकते हैं। यह सुझाव हम आपको लोगों के अनुभव के आधार पर दे रहे हैं।
इसके अलावा, पपीते के फल का इस्तेमाल सीधे तौर पर आपके स्कैल्प को साफ करके रूसी की समस्या को दूर करने के लिए किया जा सकता है (18)। ऐसे में माना जाता है कि पपीते की पत्तियां भी रूसी की समस्या में असरदार साबित हो सकती है। पपीते के फल में पाए जाने वाले अधिकतर गुण पपीते के पत्तों में भी मौजूद होते हैं।
10. बालों के लिए
बालों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी पपीते के पत्ते के रस का इस्तेमाल किया जा सकता है। पपीते की पत्तियों को आपको पानी में उबालकर ठंड़ा होने के लिए रखना होगा। इसके बाद इस पानी को आप बाल साफ करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। माना जाता है कि इससे बाल अच्छी तरह से साफ हो जाते हैं। बालों से गंदगी दूर होने की वजह से बाल स्वस्थ रहते हैं। आप इसका लेप बनाकर बतौर हेयर मास्क भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
दरअसल, पपीते के पत्ते में मौजूद विटामिन-ई और सी दोनों पोषक तत्व बालों के लिए जरूरी होते हैं। यह झड़ते बालों की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं (15)। खासकर, विटामिन-ई बालों को फ्री-रेडिकल्स की वजह से बालों को होने वाली क्षति (असमय सफेद होना और झड़ना) से बचाने में मदद कर सकता है (19)।
पपीते के पत्ते का रस किस तरह आपको फायदा पहुंचाता है, यह तो आप जान ही चुके हैं। अब हम आपको पपीते के पत्ते के जूस में मौजूद पौष्टिक तत्वों के बारे में बताएंगे।
पपीता के पत्ते के जूस के पौष्टिक तत्व – Papaya Leaf Juice Nutritional Value in Hindi 
पपीते के पत्ते में अल्कलॉइड कार्पेन (Alkaloids carpain), स्यूडोकार्पैन (pseudocarpain), डीहाइड्रोकार्पाइन I व II (dehydrocarpaine I and II), कोलीन (choline), कारपोसाइड (carposide) और विटामिन सी व ई (vitamin C and E ) पाए जाते हैं। इसके अलावा, पपीते के पत्ते में पाए जाने वाले पोषक तत्व और गुण कुछ इस प्रकार हैं (15) (13)।
फ्लेवोनोइड्स (काएफेरफेरोल और माइरिकेटिन)
अल्कलॉइड्स (कारपाइन, स्यूडोकार्पाइन, डीहाइड्रोकार्पाइन I और II)
फेनोलिक कंपाउंड (फेरुलिक एसिड, कैफिक एसिड, क्लोरोजेनिक एसिड)
सिनोजेनिक यौगिक (बेंजिलग्लुकोसिनोलेट)
कैरोटीनॉयडज जैसे कैरोटीन, लाइकोपीन व एंथ्राक्विनोन ग्लाइकोसाइड
एंटी-इंफ्लेमेटरी, हाइपोग्लाइकेमिक, एंटी-फर्टिलिटी, गर्भपात, हेपेटोप्रोटेक्टिव व घाव भरने जैसे गुण।
इसके अलावा एंटीहाइपरटेंसिव और एंटीट्यूमोर गतिविधियां भी पपीते की पत्तियों में पाई जाती हैं।
पपीते के पत्ते के जूस के बारे में इतना जानने के बाद अब आपके में पपीता के पत्ते के जूस का उपयोग कैसे किया जाए, यह सवाल भी आ ही रहा होगा। आपके इस सवाल का जवाब हम लेख के इस भाग में देंगे।
पपीत�� के पत्ते के जूस का उपयोग – How to Use Papaya Leaf Juice in Hindi
पपीते के पत्ते के जूस का उपयोग एक ही है कि बस इसे बनाकर आप सीधे पी लें, लेकिन यह स्वाद में इतना कड़वा होता है कि काफी देर तक आपके मुंह का स्वाद बिगड़ा रह सकता है। इसलिए, नीचे हम आपको इसे पीने के कुछ अन्य तरीके भी बताएंगे।
पपीते के पत्ते का जूस बनाते वक्त उसमें कुछ मीठे फल भी मिला सकते हैं।
कच्चे पत्ते के रस की कड़वाहट को कम करने के लिए इसमें आप थोड़ी मिश्री मिला सकते हैं।
आप इसमें चीनी भी डालकर पी सकते हैं।
चीनी की जगह आप पौष्टिक शहद या अन्य स्वीटनर मिला सकते हैं।
नोट : आप इसकी कड़वाहट कम करने के लिए इसमें बेहिचक कुछ मीठा मिला सकते हैं। हम आपको सलाह देंगे की आप बिना कुछ मीठा मिलाएं इसका सेवन करें। अगर आप बिना कुछ मीठा मिलाएं इसे नहीं पी पा रहे हैं, तो आप धीरे-धीरे पपीते के पत्ते के रस में मीठे की मात्रा को कम करते जाएं। इसके अलावा, अगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो इसके सेवन से पहले विशेषज्ञ की राय लें या इसके उपयोग से पहले पैच टेस्ट करें।
कितनी मात्रा का सेवन करें:
उपचार के रूप में उपयोग किए जाने वाले पपीते के पत्ते की उपयुक्त खुराक उपयोगकर्ता की आयु, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों पर निर्भर करती हैं। वैसे तो इस समय पपीते के पत्ते के जूस की खुराक की उचित सीमा निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक शोध मौजूद नहीं हैं, लेकिन आप एक छोटा कप पपीते के पत्ते का रस पी सकते हैं। इसे पीते समय ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते हैं और इनका ज्यादा सेवन हानिकारक हो सकता है। किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए चिकित्सक से सलाह जरूर लें। अगर आप बाजार से पपीते के पत्ते का जूस खरीद रहे हैं, तो उत्पाद के लेबल पर लिखे निर्देशों का पालन करें। अगर आप घर में इसका जूस बना रहे हैं, तो पत्तों को अच्छे से धो लें और पूरी सफाई का ध्यान रखें।
अब हम आपको पपीते के पत्ते के नुकसान के बारे में बताएंगे।
पपीता के पत्ते के जूस के नुकसान – Side Effects of Papaya Leaf Juice in Hindi
पपीते के पत्ते के जूस के फायदे तो यकीनन अनेक हैं, लेकिन इसके सेवन से नुकसान भी हो सकते हैं। पपीते के पत्ते के जूस के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं (17)।
यह गर्भपात का कारण बन सकता है।
बांझपन की वजह भी बन सकता है।
कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है।
पपीते के पत्ते का घरेलू औषधि के रूप में इस्तेमाल करने का चलन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। आप भी इस लेख से समझ गए होंगे कि पपीते के पत्ते का जूस कितना लाभकारी है। अब आप बिना देर किए स्वास्थ्य लाभ के लिए पपीता के पत्ते के जूस का उपयोग शुरू कर सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि पपीता के पत्ते के जूस के फायदे के साथ ही नुकसान भी हैं, इसलिए आपको दोनों पहलूओं को अच्छे से देख-समझकर ही पपीता के पत्ते के जूस का उपयोग करना चाहिए। आप पपीते के पत्ते के जूस से संबंधित इस लेख को लेकर अपने सवालों और सुझावों को कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।
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vinita pangeni
विनिता पंगेनी ने एनएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में बीए ऑनर्स और एमए किया है। टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करते हुए इन्हें करीब चार साल हो गए हैं। इन्हें उत्तराखंड के कई पॉलिटिकल लीडर और लोकल कलाकारों के इंटरव्यू लेना और लेखन का अनुभव है। विशेष कर इन्हें आम लोगों से जुड़ी रिपोर्ट्स करना और उस पर लेख लिखना पसंद है। इसके अलावा, इन्हें बाइक चलाना, नई जगह घूमना और नए लोगों से मिलकर उनके जीवन के अनुभव जानना अच्छा लगता है।
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प्राकृतिक रूप से चमकती त्वचा पाने के लिए बेस्ट डायट प्लान – Glowing Skin Diet Plan in Hindi
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प्राकृतिक रूप से चमकती त्वचा पाने के लिए बेस्ट डायट प्लान – Glowing Skin Diet Plan in Hindi
Arpita Biswas March 1, 2019
महिला हो या पुरुष हर किसी को चमकती त्वचा और चेहरे की चाहत होती है। आप कहीं भी जाते हैं, तो सबसे पहले आपका चेहरा ही आकर्षण का केंद्र बनता है। वो बात और है कि इन दिनों बढ़ते प्रदूषण और तनाव भरी जिंदगी के कारण आपका चेहरा प्राकृतिक चमक खोने लगता है। परिणामस्वरूप त्वचा संबंधी परेशानियां घेरने लगी हैं। इस कारण से आप तरह-तरह की क्रीम, लोशन, स्किन केयर प्रोडक्ट, मेकअप और स्किन ट्रीटमेंट पर पानी की तरह पैसा बहाते हो। हालांकि, इनका असर कुछ वक्त तक तो रहता है, लेकिन कई बार साइड इफेक्ट का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में कभी आपने सोचा है कि चमकती त्वचा के लिए आहार भी बहुत मायने रखता है।
विषय सूची
स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम चमकती त्वचा के लिए आहार और डाइट प्लान आपके साथ शेयर कर रहे हैं। साथ ही हम आपको उन खाद्य पदार्थों के बारे में भी बताएंगे, जिनका सेवन आपको नहीं करना चाहिए।
चमकती त्वचा के लिए डायट प्लान – Diet Plan For Glowing Skin
मील क्या खाएं प्रातः सुबह
(6:00 बजे)
एक कप पानी + आधे नींबू का जूस
या
एक कप पानी + एलोवेरा जूस
नाश्ता
(6:45-7:00 बजे)
एक कप पपीता + एक कप दूध/सोय मिल्क/ग्रीन टी + 4 बादाम
या
गेहूं की एक रोटी + एक कप रिकोटा चीज/उबला हुआ अंडा/दलिया + एक कप ग्रीन टी
मध्य सुबह
(9:30-10:00 बजे)
एक खीरा/ गाजर का टुकड़ा दही/हुमस के साथ
या
एक कप ताजा फलों का रस/नारियल पानी
दोपहर का भोजन
(12:30-1:00 बजे)
सब्जियों के साथ लेटस रैप और चिकन/मशरूम/टोफू + एक कप छाछ
या
ह       हल्की उबली सब्जियां + ग्रिल्ड फिश/चिकन/दाल का सूप + एक छोटा कप ब्राउन राइस
शाम का नाश्ता
(3:30-4:00 बजे)
एक कप ग्रीन टी या एक कप ताजे फलों/सब्जियों का रस रात का खाना
(7:00-7:30 बजे)
सब्जियों/चिकन स्टू (stew) + एक फ्लैट ब्रेड + एक कप रायता
या
मिक्स सब्जी करी + दो फ्लैट ब्रेड + एक कप रायता
रात को सोने से पहले
(10:00 बजे)
एक कप गर्म दूध/पानी + एक चुटकी हल्दी
इस डाइट चार्ट से क्या-क्या लें – Takeaways From This Diet Chart in Hindi
बेशक, स्वास्थ्य के लिहाज से यह डायट चार्ट ठीक है, लेकिन आपको सिर्फ इसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। आप उन सभी अच्छे खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं, जो आपकी त्वचा को स्वस्थ और जवां रखने में मदद करें। इसके लिए यह समझना जरूरी है कि अपने आहार में क्या शामिल किया जाए और क्या नहीं। इस संबंध में हम आपको नीचे कुछ टिप्स दे रहे हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।
खाली पेट पानी पीना जरूरी है। साथ ही आप एलोवेरा जूस, हल्दी पाउडर या नींबू के रस का सेवन कर सकते हैं।
जब भी आप सुबह कहीं बाहर जाएं, तो पहले नाश्ता जरूर करें।
अपने आहार में सही मात्रा में फल, सब्जियों और प्रोटीन को शामिल करें।
सही स्नैक्स का चुनाव करें जैसे – फलों का रस, दही, छाछ या फिर नारियल पानी।
ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो आपके पेट और लिवर के लिए अच्छे हो।
उन खाद्य पदार्थों से बचें, जिनसे आपको एलर्जी हो सकती है, जैसे कि डेयरी उत्पाद, सी फूड इत्यादि।
आप अपने आहार में स्वाद लाने के लिए हल्के-फुल्के मसाले और हर्ब्स मिला सकते हैं।
अब वक्त है उन खाद्य पदार्थों के बारे में जानने का, जिन्हें अपनी जीवनशैली में शामिल करना चाहिए।
प्राकृतिक रूप से ग्लोइंग स्किन के लिए 15 खाद्य पदार्थ – Glowing skin diet in hindi
1. हरी पत्तेदार सब्जियां
चमकती त्वचा के लिए आहार की बात करें, तो हरी पत्तेदार सब्जियां सबसे पहले आती हैं। एंटीऑक्सीडेंट और आवश्यक विटामिन्स व पोषक तत्वों से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे – पालक, मूली के पत्ते, सरसों का साग, धनिया व ब्रोकोली आदि आपको बेजान त्वचा से राहत दिलाकर आपकी त्वचा पर निखार लाते हैं । आप इन सब्जियों को सलाद, सूप, सैंडविच व दाल आदि में भी डालकर सेवन कर सकते हैं।
2. पानी
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पानी पीना न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए, बल्कि आपकी त्वचा के लिए भी लाभकारी है। जब आप पूरे दिन में खूब सारा पानी पीते हैं, तो आप हाइड्रेटेड रहते हैं, जिसका प्रभाव आपके चेहरे पर नजर आता है। पानी न सिर्फ आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है, बल्कि यह आपके चेहरे पर झुर्रियां होने से भी बचाता है। साथ ही यह आपकी त्वचा में चमक लाता है। आप हर वक्त अपने पास पानी की बोतल रखें और जब भी आपको सोडा वाले पेय पदार्थ या कोल्ड ड्रिंक पीने का मन करे, तो उनकी जगह पानी पी लें।
3. हल्दी
हल्दी आपके शरीर के अंदर और बाहर हानिकारक बैक्टीरिया को मारती है। हल्दी में मौजूद मुख्य फाइटोन्यूट्रिएंट करक्यूमिन (Cucurmin) एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है। आप सुबह के वक्त सबसे पहले कच्ची हल्दी का सेवन कर सकते हैं या फिर आप रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में हल्दी मिक्स करके पी सकते हैं। आपको एक हफ्ते के अंदर फर्क नजर आने लगेगा। आप हल्दी को सब्जी, सलाद व जूस आदि में भी मिला सकते हैं।
4. एवोकाडो
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एवोकाडो त्वचा के लिए उत्तम खाद्य पदार्थ है। यह विटामिन-ई और स्वस्थ वसा से भरपूर होता है। स्वस्थ वसा सूजन को कम करता है और विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। एवोकाडो त्वचा के नुकसान को कम करने में मदद करता है, नमी को लॉक करता है और वक्त से पहले झुर्रियों, मुंहासे और बेजान त्वचा को रोकने में मदद करता है। आप एवोकाडो को नाश्ते के दौरान या फिर सैंडविच और सलाद के साथ सेवन कर सकते हैं।
5. एलोवेरा
त्वचा की समस्याओं को दूर करने के लिए एलोवेरा सबसे लोकप्रिय घरेलू उपाय है। इसमें ऑक्सिन और जिबरेलिन नामक हार्मोंस होते हैं, जिनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता हैं। इसलिए, जब आप एलोवेरा लगाते हैं, इसका जूस पीते हैं या फिर इसे सप्लीमेंट की तरह सेवन करते हैं, तो यह किसी भी तरह की सूजन को कम करने में मदद करता है। ध्यान रहे कि कभी सीधा एलोवेरा के पत्ते से निकले जेल का सेवन न करें। यह हानिकारक साबित हो सकता है।
6. फल
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फल विटामिन्स, मिनरल्स और फ्रूट शुगर से भरपूर होते हैं। मीठे फल बार-बार भूख लगने की लत को कम करते हैं। इस कारण जंक फूड खाने की आदत कम हो सकती है। इसलिए, फलों का सेवन करके, आप अपनी त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं और त्वचा में चमक बढ़ा सकते हैं। नीचे हम कुछ फलों के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी त्वचा के लिए फायदेमंद हैं।
आम एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन-ए से भरपूर होता है, जो त्वचा पर वक्त से पहले एजिंग या झुर्रियों की परेशानी से बचाता है। साथ ही त्वचा की चमक और कसाव को बरकरार रखता है। यह त्वचा की नई कोशिकाओं को बढ़ने में भी मदद करता है।
केला विटामिन-ए, बी और ई से भरपूर होता है। यह त्वचा पर समय से पहले आने वाली झुर्रियों से बचाता है।
पपीता त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाता है और त्वचा की अशुद्धियों को दूर कर त्वचा को साफ करता है।
संतरा और कीवी विटामिन-सी से भरपूर होते हैं, जो झुर्रियां को होने से रोकते हैं और कोलेजन संश्लेषण को बढ़ाते हैं। अमरूद, अंगूर और स्ट्रॉबेरी भी ऐसे फल हैं, जो विटामिन-सी से भरपूर होते हैं। विटामिन-सी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से होने वाली क्षति से बचाता है और नए कोशिकाओं को बनने में मदद करता है। इस प्रकार यह आपकी त्वचा को लंबे वक्त तक जवां और खूबसूरत बनाए रखता है।
एक गिलास गर्म पानी में शहद और नींबू का रस मिलाकर पीने से आपकी त्वचा में निखार आएगा, जिससे आपकी त्वचा और साफ नजर आएगी।
सेब टोंड लुक को बनाए रखने में मदद करता है और आपकी त्वचा को जवां बनाता है।
जामुन भी विटामिन-सी से भरपूर होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और इम्युनिटी बूस्टर है। इनका सेवन करने से त्वचा के काले धब्बे और निशान से जल्दी छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
7. गाजर
गाजर में बीटा-कैरोटीन, विटामिन-ए और एंटीऑक्सीडेंट के उच्च स्तर होते हैं। ये विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर आपकी त्वचा को अंदर से स्वस्थ बनाते हैं। ये आपकी त्वचा को सूरज से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और समय से पहले चेहरे पर आने वाली झुर्रियों को रोकते हैं। शकरकंद और रतालू अन्य विकल्प हैं, जो समान परिणाम दिखाते हैं।
8. मछली और मछली का तेल
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मछली और मछली का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। इसके सेवन से त्वचा में प्राकृतिक तेल का स्तर संतुलित रहता है, जो सूजन, मुंहासे, फटी त्वचा और लालिमा को कम करने में मदद करता है। त्वचा को स्वस्थ और मुलायम बनाए रखने के लिए आप वसा युक्त मछली जैसे ट्यूना, साल्मन, कार्प या फिर फिश ऑयल के सप्लीमेंट्स का सेवन कर सकते हैं। मछली की त्वचा को निकाले बिना ग्रिल्ड या बेक्ड फिश का सेवन करना फायदेमंद होता है।
9. स्वस्थ फैट
स्वस्थ फैट आपकी त्वचा के लिए गुणकारी होता है। स्वस्थ फैट के सबसे अच्छे स्रोत नट्स (बादाम व अखरोट आदि), बीज (अलसी, सूरजमुखी के बीज, चिया बीज आदि), स्वस्थ तेल (जैतून का तेल, चावल की भूसी का तेल आदि) और मछली हैं। शाकाहारियों के लिए नट्स, बीज और तेल बढ़िया विकल्प हैं। दाग रहित त्वचा पाने के लिए आप अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्वों को शामिल करें।
10. ग्रीन टी/माचा टी
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ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट का प्राकृतिक स्रोत है। चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हानिकारक मुक्त कणों को नष्ट करने में मदद करता है, जिससे आपकी त्वचा समय से पहले बूढ़ी, काले धब्बों और लालिमा का शिकार होने से बच जाती है। ग्रीन टी मुंहासे पैदा करने वाले हार्मोन के स्तर को भी कम करने में मदद करती है, जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ और दमकती नजर आती है।
11. ब्रोकली
ब्रोकली में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फ्री ऑक्सीजन रेडिकल्स कोशिकाओं को क्षति पहुंचाकर कोशिकाओं और अंगों के सामान्य कामकाज को बाधित करते हैं। इससे हार्मोंस के स्तर में असंतुलन, कमजोर इम्युनिटी या पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, आपको भोजन के माध्यम से एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी खुराक लेनी चाहिए। ऐसे में ब्रोकली अच्छा विकल्प है।
12. दही
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दही और छाछ में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन और मल त्याग में मदद करते हैं। जब आपकी पाचन शक्ति सही होती है, तो आपको त्वचा से जुड़ी परेशानियां जैसे – कील-मुंहासे, दाग-धब्बे या किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा भी कम होता है। प्रतिदिन दोपहर के भोजन के बाद, रात के खाने के साथ या स्मूदी में दही का सेवन कर सकते हैं।
13. लौकी
चेचक यानी चिकन पॉक्स कभी भी हो सकते हैं और कई बार चिकन पॉक्स के निशान कई दिनों तक रहते हैं। कुछ लोगों के चेहरे पर तो ये उम्र भर रह जाते हैं। ऐसे में लोग कई तरह के उपाय भी करते हैं, लेकिन कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में सही खाना बहुत मददगार साबित हो सकता है। लौकी (लौकी का रस) चिकन पॉक्स के निशान को हटाने के लिए अच्छा प्राकृतिक उपचार है। लौकी में मौजूद फाइटोन्यूट्रिएंट्स में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इस लिहाज से लौकी प्राकृतिक रूप से निशान हटाने के लिए अच्छा खाद्य पदार्थ है। आप नाश्ते में अन्य खाद्य पदार्थों के साथ लौकी का जूस पी सकते हैं। आप लौकी का सूप बना सकते हैं या सब्जी और दाल में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं।
14. करेला
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करेला भले ही खाने में कड़वा लगे, लेकिन इसके कई फायदे हैं। यह न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह आपकी त्वचा के लिए भी बहुत गुणकारी है। यह त्वचा संबंधी कई परेशानियों जैसे – एलर्जी, दाग-धब्बे और टैन से राहत दिलाता है। यह न सिर्फ एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है, बल्कि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। साथ ही करेला आपके लिवर और पेट को भी स्वस्थ रखता है। आप करेले को उबालकर खा सकते हैं। इसे भूनकर या लंबे वक्त तक पानी में भिगोकर न खाएं, क्योंकि ऐसा करने से इसके पोषक तत्व खत्म या कम हो जाते हैं।
15. रेड वाइन
रेड वाइन और कुछ नहीं, बल्कि लाल अंगूर का फर्मेन्टेड रस होता है। इसमें त्वचा की चमक को बरकरार रखने के और एजिंग या वक्त से पहले झुर्रियों की समस्या को कम करने के गुण होते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और त्वचा को सूजन व सूरज की हानिकारक किरणों से होने वाली क्षति से बचाने में मदद करते हैं। इसका सीमित मात्रा में ही सेवन करें, क्योंकि शराब का अधिक सेवन करने से आप डीहाइड्रेट हो सकते हैं, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
ये तो थे चमकती त्वचा के लिए आहार ( glowing skin diet in hindi) जिनका सेवन आप कर सकते हैं, लेकिन अपनी त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए किन खाद्य पदार्थों से आपको बचना चाहिए यह जानना भी जरूरी है।
नीचे हम आपको वो खाद्य पदार्थ बता रहे हैं, जिनका सेवन आपको नहीं करना चाहिए।
क्या न खाएं – Foods To Avoid in Hindi
चटपटा या मसालेदार खाना।
प्रोसेस्ड और जंक फूड।
उच्च सोडियम और उच्च शर्करा वाले खाद्य पदार्थ।
तैलीय व अधिक मिर्च-मसाले वाले खाद्य पदार्थ।
ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनमें एस्ट्रोजन (estrogen) का उच्च स्तर हो।
ऐसे खाद्य पदार्थ, जो शरीर के आंतरिक तापमान को बढ़ाते हैं।
ओवरकुकड या आंशिक रूप से जले खाद्य पदार्थ (कबाब)।
स्वस्थ और चमकती त्वचा अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है और चमकती त्वचा के लिए आहार (glowing skin diet in hindi) भी बहुत मायने रखता है। इसलिए, वक्त रहते अपने खाने की सभी बुरी आदतों को दूर कर स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन शुरू करें। ऊपर दिए गए डायट प्लान को फॉलो करें और एक नई जीवनशैली को अपनाएं। साथ ही अपने अनुभव हमारे साथ कमेंट बॉक्स में शेयर करना न भूलें।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/chamakti-twacha-paane-ke-liye-diet-plan-in-hindi/
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rajatgarg79 · 7 years
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यह कब्ज की समस्या का इलाज करने में भी बहुत सहायक है। कब्ज के लिए यह शहद के साथ मिलाकर दिन में लगभग 6 बार ली जाती है। इसके अलावा यह अपच के इलाज के लिए कुटकी बहुत मददगार होती है। यह गैस्ट्रिक रस का स्राव बढ़ाती है। यह भूख में सुधार करती है। यह पेट को मजबूत करके अपच के विभिन्न कार्यों को बढ़ावा देने में मदद करती है। और पढ़ें - अपच का घरेलू इलाज)
4. कुटकी का उपयोग है जलोदर में लाभकारी - Picrorhiza Kurroa Benefits for Ascites in Hindi
जलोदर या पेट में पानी भरने के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है। 50 ग्राम कुटकी को 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें और सुबह-शाम इसका सेवन करें।
5. कुटकी का लाभ उठाए बुखार के लिए - Kutki Capsules for Fever in Hindi
पित्त कफ असंतुलन की वजह से बुखार में भारीपन, आंतरिक जलन, सिरदर्द आदि महसूस होता है। कुटकी में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं, जिसके कारण इसे बहुत अधिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। (और पढ़ें – बुखार का घरेलू इलाज) 1 ग्राम कुटकी पाउडर और 3 ग्राम चीनी को मिक्स कर लें। भोजन करने से 10 मिनट पहले इस मिश्रण को दिन में 1 या 2 बार लें। इसके अलावा आप कुटकी कैप्सूल भी उपयोग कर सकते हैं। प्रत्येक दिन एक शुगर कैंडी के साथ एक कैप्सूल ले सकते हैं। यदि आप कुटकी कैप्सूल का उपयोग कर रहे हैं तो इन्हे 1 वर्ष तक रखा जा सकता है, लेकिन अगर यह पाउडर के रूप में है तो इसे केवल 3 से 5 महीनों के लिए स्टोर किया जा सकता है। इसके अलावा 3 से 4 ग्राम कुटकी पाउडर को सुबह-शाम शहद के साथ खाने से पुराना बुखार, सर्दियों में होने वाला बुखार और कब्ज के साथ होने वाले बुखार ठीक हो जाते हैं। (और पढ़े - बुखार में क्या खाना चाहिए)
6. कुटकी और चिरायता एक्जिमा के लिए - Kutki and Chirata for Eczema in Hindi
एक्जिमा को साफ करने के लिए कुटकी और चिरायता को हल्का गर्म करें। इससे एक्जिमा के रोग ठीक हो जाते हैं। रात में 5-5 ग्राम कुटकी और चिरायता को किसी कांच के बर्तन में रखें और उसमें 100 मिलीलीटर पानी डालें और सुबह उठने पर उस पानी को छानकर पी जाएं इससे एक्जिमा ठीक और खून साफ हो जाता है। 1 से 3 ग्राम कुटकी जड़ पाउडर को पानी के साथ दिन में 2 बार लेने से त्वचा के सभी रोग दूर हो जाते हैं। इसके अलावा छालरोग में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
7. कुटकी का प्रयोग करे सफेद दागो को ठीक - Picrorhiza Kurroa for Vitiligo in Hindi
कुटकी, मंजिष्ठा, त्रिफला, बच, दारू हल्दी, नीम की छाल और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें और 40 दिनों तक इसका सेवन करें। इससे सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
8. कुटकी चूर्ण है गठिया में सहायक - Kutki Powder for Arthritis in Hindi
गठिया के रोग में कुटकी बहुत ही अधिक लाभकारी होती है। कुटकी के साथ 480 से 960 मिलीग्राम शहद सुबह-शाम लेने से गठिया रोग ठीक हो जाता है। इससे रोगी का बुखार भी खत्म हो जाता है।
9. कुटकी जड़ी बूटी दिलाए रक्त विकार से मुक्ति - Kutki Herb Uses For Bleeding Disorder in Hindi
मुलैठी के साथ इसका प्रयोग करने से यह एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लॉमरेटरी गुण देती है जिससे रक्त विकार, बुखार और हृदय रोग से मुक्ति मिलती है। 10 ग्राम मुलैठी पाउडर और 10 ग्राम कुटकी पाउडर को मिक्स करें। अब इस मिश्रण को 500 मिलीग्राम या 1 ग्राम गुनगुने पानी के साथ मिलाकर दिन में एक या दो बार लें। इसके अलावा 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम कुटकी पाउडर को शहद के साथ सुबह-शाम खाने से हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है। (और पढ़े - अडुळसा काढा है ब्लीडिंग में उपयोगी)
10. कुटकी का सेवन है हिचकी और उल्टी का इलाज- Kutki Root Powder for Vomiting And Hiccups in Hindi
अनुसंधान के अनुसार यह जड़ी बूटी सभी लिवर संबंधी समस्याओं के लिए बहुत उपयोगी है। इसलिए यह पीलिया के कारण हिचकी और उल्टी का इलाज करने में सहायक होती है। एक चम्मच शहद में 1 ग्राम कुटकी को मिलाएं। और दिन में 2 बार इसका सेवन करें। नोट: गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करें।  (और पढ़ें – लौंग खाने के लाभ हैं उबकन और उलटी का सफल उपचार)
11. कुटकी ���े औषधीय गुण करें मधुमेह में मदद - Kutki Herb for Diabetes in Hindi
इसके मुख्य गुणधर्म पाचन स्राव को उत्तेजित करते हैं जो बदले में अग्नाशयी इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करते हैं। यह ग्लाइकोजन के रूप में रक्त शर्करा के संचय में लीवर की सहायता करती है, जो मधुमेह प्रबंधन में आवश्यक है।
12. कुटकी पाउडर है वजन कम करने में उपयोगी - Kutki for Weight Loss in Hindi
कुटकी का उपयोग किसी भी वजन कम करने के कार्यक्रम के लिए एक मुख्य हर्बल घटक के रूप में उपयोग किया जा सकता है क्योंकि यह कड़वा एजेंट पाचन अग्नि, स्वस्थ उन्मूलन और चयापचय को बढ़ावा देने के लिए बहुत ही अच्छा है। कुटकी, चित्रक और त्रिकटु के पाउडर को समान मात्रा में मिलाएं। मिक्स करने के बाद इस मिश्रण को लगभग आधा चम्मच गर्म पानी के साथ लें। आपको इस मिश्रण को एक बार अपने मुँह में घुमा कर फिर निगलना चाहिए। यदि आप अधिक वजन वाले हैं तो दिन में एक बार और अगर अधिक मोटापे से ग्रस्त हैं तो दिन में दो बार इसका सेवन करें। (और पढ़े - वजन कम करने के लिए अगर भूखे रहेंगे तो देखिए क्या होगा)
कुटकी के अन्य फायदे - Other Benefits of Kutki in Hindi
कुटकी और काले जीरे को पीसकर कान के अंदर की गांठों पर गर्म करके लगाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा दैनिक रूप से कुटकी के काढ़े से 2-3 बार कान धोने से कान का दर्द दूर हो जाता है। कुटकी, अतीस, हल्दी, पाढ़ल, नागरमोथा तथा जौ का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के सभी रोग ठीक हो जाते हैं। कुटकी को पीसकर गर्म लेप बनाकर घाव पर लगाने से आराम मिलता है। घाव को कुटकी के काढ़े से धोने से भी लाभ होता है। इससे घाव धोने पर घाव का दर्द दूर हो जाता है। कुटकी वायरल हेपेटाइटिस के इलाज के लिए बहुत मददगार होती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देती है। 10 ग्राम कुटकी पाउडर को 240 मिलग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम बच्चे को सेवन कराने से बच्चों के रोग ठीक हो जाते हैं। कुटकी को पानी में पीसकर बच्चों के शरीर पर लेप लगाने से बच्चों का बुखार समाप्त हो जाता है। इसके अलावा कुटकी पाउडर में मिश्री और शहद मिलाकर चटाने से भी बच्चों का बुखार समाप्त होता है।
कुटकी के नुकसान - Kutki ke Nuksan in Hindi
गर्भावस्था के दौरान इसके उपयोग को लेकर पूर्ण जानकारी नहीं है तो आपको इसे गर्भावस्था के दौरान लेने से बचना चाहिए। यह जड़ीबूटी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाती है इसलिए यदि आपको मल्टीपल स्केलेरोसिस या ल्यूपस जैसी समस्याएं हैं तो इसका इस्तेमाल करने से बचने का प्रयास करें। कुटकी आपके रक्त में शर्करा के स्त��� को कम करती है इसलिए यदि आप मधुमेह के रोगी हैं, तो इसे लेने के दौरान शर्करा के स्तर में परिवर्तन की जांच करें और यदि आप देख रहे हैं कि यह आपके स्तर को कम कर रही है तो इससे बचने का प्रयास करें। यदि आप कोई सर्जिकल ऑपरेशन कराने जा रहे हैं, तो शल्यक्रिया के पूरा होने के दो सप्ताह के बाद ही इसका सेवन करें। अगर कुटकी को उचित देखभाल के साथ नहीं लिया जाता है तो यह उल्टी, मतली और चकत्ते का कारण बन सकती है। यह दस्त को बिगाड़ सकती है। इसका उपयोग बच्चों में बहुत कम खुराक में किया जा सकता है। from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via http://www.myupchar.com/tips/kutki-benefits-and-side-effects-in-hindi/
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