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SIM CARD SWAPPING Fraud: एक Miss Call में बैंक Account खाली कैसे रोकें
SIM CARD SWAPPING Fraud | एक Miss Call में बैंक Account खाली कैसे रोकें, sim swapping kya hai, sim swapping in hindi, sim swapping fraud, sim swapping fraud hindi Sim Card Swapping कैसे होता है लोगों को लूटने का खेल आपका सिम कोई दूसरा कैसे उपयोग करता है इसके बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से जानेंगे। आज समय में सभी लोगों के पास आज स्मार्टफोन है। आज की इंटरनेट की इस दुनिया में लगभग प्रत्येक व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ा हुआ है। इसके भले ही बहुत से फायदे हो लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है। आजकल साइबर फ्रॉड के नए नए एवं विभिन्न प्रकार के केस सामने आ रहे है।
SIM CARD SWAPPING
साइबर फ्राड करने लोग अक्सर नए नए तरीको का उपयोग करते है। जिनमें से साइबर फ्रॉड का एक तरीका सिम स्वैपिंग है। सिम स्वैपिंग करके फ्राड करने बाले लोगों के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते हैं और ��ोगों इसकी थोड़ी भी भनक भी नहीं लगती है। सिम कार्ड स्वैपिंग के जुड़े मामले देश के कई राज्यों से सामने आए हैं जिनमें सिम स्वैपिंग करके लोगों के बैंक अकाउंट से लाखों रुपये निकाल लिए गए हैं। आइए इस लेख जानते हैं कि आखिर क्या है सिम स्वैपिंग और इससे बचने के तरीके क्या है।
क्या है सिम स्वैपिंग?
सिम स्वैपिंग से सीधा मतलब है सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम स्वैपिंग में आपके मोबाइल नंबर से एक नए सिम का अलग से रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके कुछ समय बाद आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और आपके मोबाइल से अचानक नेटवर्क गायब हो जाता है। ऐसे में ठग आपके मोबाइल नंबर से एक दूसरा नया सिम चालू कर लेता है और इसी का फायदा उठाकर वह आपके नंबर पर ओटीपी लेकर और फिर आपके खाते से पैसे निकाल लेता है।
ठगी कई लोग मिलकर करते हैं
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के अनुसार लगभग 2011 के बाद इस तरह के अपराध बहुत तेजी बढ़े हैं। सिम स्वैपिंग सिर्फ एक ब्यक्ति नहीं करता बल्कि इस तरह के काम को अंजाम देने में कई लोग शामिल रहते हैं। एक संगठित साइबर फ्राड का समूह इस प्रकार के काम को अंजाम देते हैं। साइबर फ्राड करने बाले लोग अलग-अलग तरह के मीडिया, सोशल मीडिया के द्वारा पहले तो आप पर नजर रखी जाती है और आपकी जानकारियां एकत्रित की जाती हैं। कई बार आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आती है और उसके द्वारा आपसे जानकारी ली जाती हैं।
अक्सर ऐसे ही होती है सिम स्वैपिंग की शुरुआत
सिम कार्ड स्वैपिंग के लिए लोगों के पास ये ठग फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वे आपके सिम कार्ड की कंपनी जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया या जियो के ऑफिस से बोल रहे हैं। ये ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं। इसी बातचीत के दौरान ये आपसे 20 अंकों का सिम नंबर मांगते हैं जो कि सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है। जैसे ही आप नंबर बताते हैं तो वे आपसे 1 दबाने के लिए कहते हैं। 1 दबाने के साथ ही नया सिम कार्ड जारी करने का ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाता है और फिर आपके फोन से नेटवर्क गायब हो जाता है। ये साइबर फ्राड करने वाले लोग अक्सर आपको कॉल करते है और वे बोलते है की मै एयरटेल कंपनी या अन्य कंपनी जिसकी आपकी सिम है में उस कंपनी से बोल रहा हु। ये ठग बोलते है कि इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्राप को ठीक करने का दावा करते है आपका सिम खराब हो चुका है आपको दूसरा सिम ले लेना चाहिए। ये ठग अक्सर उन दिनों को चुनते है जिनमें 2 से 3 दिनों की अक्सर छुट्टी रहती है। लोगों झांसा में लेकर मेल एड्रेस द्वारा लिंक भेजते है जिस पर ठग लोग फॉर्म भरने के लिए बोलते है जिससे की आपकी सिम ��ुनः एक्टिवेट हो जायेगी और क्यू आर कोड मिलेगा जो कि आपके मोबाइल में आ जायेगा। आपके द्वारा यह फॉर्म भरने के बाद कंपनी द्वारा भेजा गया क्यू आर कोड हैकर हाथ लग जाता है वह क्यू आर कोड को स्केन करके आपके नम्बर कि सिम एक्टिवेट कर लेता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में 4 से 12 घंटे लगते है। इधर कस्टमर के नम्बर की सिम बंद हो जाती है। Cyber Fraud को कैसे रोकें 2023 DIGITAL E-RUPEE के फायदे एवं नुकसान 2023
नेटवर्क ठग के फोन में आ जाता है
जैसे ही आपके सिम का नेटवर्क गायब होता है वैसे ही ठग के पास आपके नंबर से दूसरे मौजूद सिम कार्ड में नेटवर्क आ जाता है। ये ठग बड़े ही शातिर होते हैं। ये पहले से ही लोगों पर अपनी नजर बनाए रखते हैं और इंटरनेट बैंकिंग की आईडी और पासवर्ड इनके पास पहले से ही एकत्रित करके रखते है। ट्रांजेक्शन करने के लिए इन्हें सिर्फ एक ओटीपी की आवश्यकता होती है जिसे ये लोग सिम स्वैप की प्रक्रिया को पूरा करके प्राप्त कर लेते हैं।
SIM CARD SWAPPING Fraud
फर्जी साइट के द्वारा एकत्रित करते हैं बैंकिंग डीटेल
ये ठग ऑनलाइन विज्ञापन का सहारा लेकर फर्जी बैंकिंग वेबसाइट को बनाकर लोगों की बैंकिंग सम्बंधित जानकारियां एकत्रित करने के लिए फर्जी बेव साईट का सहारा लेते है इसके बाद जब आप गूगल में अपने इंटरनेट बैंकिंग सर्च करते हैं तो इनकी फर्जी वेबसाइट का लिंक सबसे ऊपर दिखई देता है। ऐसे में आपको लगता है कि सबसे ऊपर दिखाई देने वाला लिंक सही है। इसके बाद आप फर्जी वेबसाइट पर अपने इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड और आईडी डाल देते हैं और यहीं से आपकी बैंकिंग डीटेल इन ठगों के पास पहुंच जाती है। तो आपके लिए आवश्यक है कि आपको इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से ही करें। वेबसाइट के बारे में पूरी जानकारी आपको बैंक से मिली बुक में मिल जा��गी।
फोन को बंद करने की यह गलती ना करें
कई मामलों में ऐसा भी हुआ है कि ये ठग लगातार फोन करके परेशान करते हैं। ऐसे में आप इन ठगों से तंग आकर अपना फोन को बंद कर देते हैं और उन्हें इसी समय बेसब्री से इंतजार होता है। लिकिन एक सिम को एक्टिव होने में लगभग तीन से चार घंटे का समय लगता है। ऐसे में वे ठग आपको परेशान करके आपका फोन बंद कराना चाहते हैं जिससे कि उनको सिम कार्ड को चालू कराने का समय मिल जाए।
ये ठग अकाउंट में पैसे जमा करने का दे सकते हैं ऑफर
कोई भी अनजान व्यक्ति आपके खाते में कुछ पैसा जमा कराना चाहता है तो उससे भी सावधान रहने की जरूरत है वे लोग आपसे कहेंगे कि 10 फीसदी रुपये आपको दे देंगे। आपको ऐसे अक्सर फोन भी आ सकते हैं जिनमें कहा जाएगा कि कुछ ही देर में आपके खाते में रकम भेजी जाने वाली है। ये रकम सिम स्वैपिंग के माध्यम से किसी के खाते से अवैध तरीके से निकाली गई रकम हो सकती है। ऐसे में आप अनजाने में अपराधी बन सकते हैं क्योंकि आपका खाता भी उन ठगों के अपराध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा। अगर कोई अनजान व्यक्ति बिना मतलब के आपके खाते में पैसे जमा करना चाहता है तो उसके झांसे में न आएं।
SIM CARD SWAPPING Fraud
सिम स्वैपिंग द्वारा ठगी होने पर क्या करें
मान लीजिये आपने अपनी ओर से पूरी सावधानी वर्ती लेकिन किसी कारणवश आपके साथ ऐसा हो जाता है तो आपको ऐसे में क्या करना चाहिए। किसी भी तरह के आपके साथ फ्रॉड होने पर सबसे पहले अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड को बैंक कस्टमर केयर से ब्लॉक करवाएं और इसके बाद बैंक को इसकी लिखित पूरी सूचना दें। इसके अलावा गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई वेबसाइट आप https://cybercrime.gov.in/ पर भी जाकर इसकी शिकायत कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप अपने नजदीकी थाने में एफ आई आर लिखवा सकते है��� Read the full article
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प्रौद्योगिकी के इस रूप में कार्य करता है। शातिर क्रिमिनल बैटरी की तरह ही बेहतर होता है। मूवी के …. Source link
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Coronavirus Vaccine- वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में कोरोना हो जाए तो घबराएं नहीं, जानिए ऐसी स्थिति में क्या करें?
Coronavirus Vaccine- वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में कोरोना हो जाए तो घबराएं नहीं, जानिए ऐसी स्थिति में क्या करें?
<p style="text-align: justify;">कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भारत में अब 1 मई से 18 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी. हालांकि कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी भी लोगों के मन में कई सवाल हैं. लोगों को डर है कि वैक्सीन के बाद उन्हें कोरोना हो जाएगा. अगर वैक्सीन लगने से पहले ही कोरोना के लक्षण दिख जाएं तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए. अगर कोरोना वैक्सीन लगने के बाद बुखार…
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पेगासस कैसे करता है जासूस का काम -
पेगासस और भारत
पेगासस को इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है।बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाईवेयर ख़रीदा है।इसे लेकर पहले भी विवाद हुए हैं।मेक्सिको से लेकर सऊदी अरब की सरकार तक पर इसके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए जा चुके हैं। व्हाट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक समेत कई दूसरी कंपनियों ने इस पर मुकदमे किए हैं।जैसा की अभी खबरे आ रही है की इसी की मदद से भारत में कई पत्रकार और राजनेता की जासूसी की गयी है। इसलिए हमने भी सोचा की आपको ये बताया जाये की आखिर ये क्या बला है और ये कैसे काम करता है और ये आपके ही फ़ोन से आपकी की जासूसी कैसे करता है।
पेगासस है क्या -
पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ ने बनाया है।ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है।एन्क्रिप्टेड ऐसे संदेश होते हैं जिसकी जानकारी सिर्फ मेसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले को होती है।जिस कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर मेसेज भेजा जा रहा, वो भी उसे देख या सुन नहीं सकती है।पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले को उस व्यक्ति के फ़ोन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकती हैं।
2016 में संयुक्त अरब अमीरात के इसकी पहली शिकायत -
पेगासस से जुड़ी जानकारी पहली बार साल 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर की बदौलत मिली। उन्हें कई एसएमएस प्राप्त हुए थे, जो उनके मुताबिक संदिग्ध थे। उनका मानना था कि उनमें लिंक गलत मकसद भेजे गए थे।उन्होंने अपने फोन को टोरंटो विश्वविद्यालय के 'सिटीजन लैब' के जानकारों को दिखाया।उन्होंने एक अन्य साइबर सुरक्षा फर्म 'लुकआउट' से मदद ली। मंसूर का अंदाज़ा सही था।अगर उन्होंने लिंक पर क्लिक किया होता, तो उनका आइफ़ोन मैलवेयर से संक्रमित हो जाता।इस मैलवेयर को पेगासस का नाम दिया गया।
लुकआउट के शोधकर्ताओं ने इसे किसी "एंडपॉइंड पर किया गया सबसे जटिल हमला बताया " गौर करने वाली बात ये है कि आमतौर पर सुरक्षित माने जाने वाले एप्पल फ़ोन की सुरक्षा को ये प्रोग्राम भेदने में कामयाब हुआ।हालांकि एप्पल इससे निपटने के लिए अपडेट लेकर आया था।मेक्सिको क�� सरकार पर पेगासस की मदद से मोबाइल की जासूसी करने वाला उपकरण बनाने का आरोप लगा।
2017 में सका इस्तेमाल मेक्सिको में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और भ्रष्टाचाररोधी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किया जा रहा था। मैक्सिको के जानेमाने पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी सरकार पर मोबाइल फोन से जासूसी करने का आरोप लगाते हुए इसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है।पेगासस सॉफ्टवेयर मैक्सिको की सरकार को इसरायली कंपनी एनएसओ ने इस शर्त पर बेचा थी कि वो इसका इस्तेमाल सिर्फ़ अपराधियों और चरमपंथियों के ख़िलाफ़ करेंगे।इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह है कि यह स्मार्टफोन और मॉनिटर कॉल्स, टेक्स्ट्स और दूसरे संवादों का पता लगा सकता है।यह फोन के माइक्रोफोन या कैमरे को एक्टिवेट भी कर सकता है।
आरोप और जवाब
एक सऊदी पत्रकार की हत्या में इसका इस्तेमाल किया गया है इसका आरोप है औरकंपनी पर सऊदी सरकार को सॉफ्टवेयर देने का भी आरोप है, जिसका कथित तौर पर पत्रकार जमाल खशोग्जी की हत्या से पहले जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इन आरोपों पर कंपनी का कहना है की एनएसओ कंपनी हमेशा से दावा करती रही है कि ये प्रोग्राम वो केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य "आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना" है।वह कभी भी अपने स्पाइवेयर का उपयोग नहीं करती है - केवल संप्रभु सरकारें करती हैं। इसलिए कहा जाता है की आपके फ़ोन ही आपकी कब जासूसी करने लगेंगे आपको हवा भी नहीं लगेगी।
#Pegasus#Pegasusisspyware#Pegasusहैक्या#इसराइलीसाइबरसुरक्षाकंपनीएनएसओ#इसरायलीकंपनीएनएसओ#एकसऊदीपत्रकारकीहत्या#एनएसओकंपनी#एनएसओग्रुपटेक्नॉलॉजीज़#पत्रकारजमालखशोग्जी#पत्रकारजमालखशोग्जीकीहत्या#पेगासस#पेगाससआपकोएन्क्रिप्टेडऑडियोसुनने#पेगाससएकस्पाइवेयर#पेगासससॉफ्टवेयर#पेगाससहैक्या#मेक्सिकोमेंमानवाधिकारकार्यकर्ताओं#सॉफ्टवेयरकीखासियत
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वॉट्सऐप पर मिले किसी भी लिंक पर क्लिक न करें, पुलिस ने दी चेतावनी
वॉट्सऐप पर मिले किसी भी लिंक पर क्लिक न करें, पुलिस ने दी चेतावनी
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (नोएडा) रणविजय सिंह ने जनता को चेतावनी दी है कि कश्मीर फाइल्स मूवी मुफ्त डाउनलोड लिंक की आड़ में हैकर्स द्वारा व्हाट्सएप पर मैलवेयर पहुंचाया जा सकता है। पुलिस चेतावनी दे रही है कि हैकर लोगों को कश्मीर फाइल्स मूवी मुफ्त में डाउनलोड करने का लालच देकर उनके स्मार्टफोन में मैलवेयर इंस्टॉल करने के लिए मूर्ख बनाने की कोशिश कर सकते हैं। पुलिस लोगों को व्हाट्सएप: कश्मीर फाइल्स पर…
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जानकारी: हैकर कैसे हैक करते हैं आपका फोन, स्मार्टफोन में कैसे पहुंचते हैं जासूसी वाले एप
जानकारी: हैकर कैसे हैक करते हैं आपका फोन, स्मार्टफोन में कैसे पहुंचते हैं जासूसी वाले एप
तेजी से आगे बढ़ती इस डिजिटल दुनिया में किसी की जासूसी करना आम बात हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का होना और हर हाथ में स्मार्टफोन का होना है। स्मार्टफोन भले ही आपके कई काम को आसान कर देता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आपका फोन ही आपका सबसे बड़ा जासूस है। आप ��स इतना समझ लीजिए कि यदि आपके फोन में कोई एप है तो उसका डेवलपर आप पर पूरी नजर रख सकता है। व्हाट्सएप जैसा एप…
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#how to hack whatsapp#malware#malware attack#malware virus#pegasus#pegasus software#spyware#spyware app#whatsapp hacks
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साइबर अपराध - Help Hindi Me
साइबर अपराध पर निबंध | Essay on cyber crime
आज का युग इंटरनेट का युग कहलाता है। जीवन को सरल बनाने के लिए हम अपने सभी कार्य इंटरनेट के द्वारा करते हैं। ऑनलाइन खरीदारी, बैंक का काम, पैसों का लेनदेन, टिकट बुक कराना आदि सभी कार्य आज इंटरनेट के द्वारा आसानी से घर बैठे हो जाते हैं।
इसके साथ ही सोशल मीडिया जैसे कि व्हाट्सएप, टि्वटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक हमारे जीवन का अनिवार्य ��िस्सा बन चुका है। हम अपने जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज को इस पर डालते हैं जैसे हम कहां गए, क्या खाया व अपनी बहुत सी तस्वीरें इस पर अपलोड करते है।
इंटरनेट ने देशों को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में आर्थिक रूप से भी सहायता की है। पर जैसा कि कहा जाता है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इंटरनेट ने हमारे जीवन को आसान तो कर दिया है लेकिन इसके साथ कुछ खतरों ने भी जन्म लिया है। जिसे साइबर अपराध या साइबर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है।
साइबर अपराध क्या है? (What is Cyber Crime?/Cyber Crime in Hindi/Cyber Crime kya hai)
Cyber Crime meaning/definition in Hindi साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो इंटरनेट का गलत उपयोग करके या अवैध रूप से किसी व्यक्ति या समूह के साथ धोखा करना है।
इसमें लोगों में घृणा फैलाना, किसी की व्यक्तिगत जानकारी या तस्वीर का गलत फायदा उठाना, बैंक खातों में धोखाधड़ी करना, किसी के क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी प्राप्त करके पैसे चुराना या फिर लोगो के मोबाइल या सिस्टम में विभिन्न प्रकार के वायरस फैलाना आदि साइबर अपराध के अंतर्गत आते हैं।
साइबर अपराध अलग-अलग रूपों में किया जाता है। भारत देश भी अब साइबर अपराध की चपेट में आ रहा है। साइबर अपराध करने वाले भिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर और कोड का प्रयोग करते हैं। जिसके द्वारा हैकिंग, धोखाधड़ी, वायरस, स्पाइवेयर, रेनसमवेयर, फिशिंग इत्यादि रूपों में साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है।
साइबर अपराध के कुछ प्रकार (Cyber Crime Types)
हैकिंग- हैकर्स किसी व्यक्ति के कंप्यूटर या सिस्टम का पासवर्ड क्रैक करके उसकी जानकारी हासिल करते हैं। सिस्टम में प्रवेश करने के लिए वह भिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं और पीड़ित व्यक्ति को इसकी जानकारी नहीं होती कि उनका कंप्यूटर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। हैकिंग के द्वारा अपराधी, पीड़ित व्यक्ति की निजी जानकारी और उसके कंप्यूटर में उसकी सभी प्रकार की चीजों की जानकारी को प्राप्त कर सकता है।
साइबर स्टॉकिंग- साइबरस्टॉकिंग सोशल मीडिया पर होती है, इसमें अपराधी किसी व्यक्ति को SMS या मेल के द्वारा परेशान करता है और उन्हें धमकी भी देता है। इस अपराध के तहत भारत में धारा 354 D भारतीय दंड संहिता 1860 कानून दिया गया है। जिसमें किसी भी महिला को कोई ऑनलाइन स्टॉक करके कोई परेशान करें तो उसे साइबर अपराध के तहत सजा मिलती है।
फिशिंग- फिशिंग में हैकर व्यक्ति को मेल या यूआरएल(URL) के द्वारा संदेश भेजें जाता है। जिसमें व्यक्ति को अपना पासवर्ड बदलने, खाते की जानकारी आदि के लिए कहा जाता है। जैसे ही व्यक्ति उस यूआरएल को खोलता है तो हैकर के पास उसकी जानकारी चली जाती है और वह कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर को मैलवेयर(Malware) के द्वारा नुकसान पहुंचाते हैं।
नंबर या तस्वीरों का गलत उपयोग- इस अपराध के तहत अपराधी किसी व्यक्ति के फोन नंबर या उसकी तस्वीर प्राप्त करके उसका गलत इस्तेमाल करता है। उसकी तस्वीरों को फोटोशॉप करके उसका दुरुपयोग या पोर्नोग्राफी आदि में डाल देता है।
साइबर स्पाईंग- साइबर स्पाईंग के अंतर्गत अपराधी किसी होटल के शीशे या बाथरूम या फिर किसी मॉल के चेंजिंग रूम में कैमरा छुपा देता है। जिसमें महिलाओं के निजी तस्वीरें या वीडियो निकालकर उन्हें परेशान करता है या उन तस्वीरों और वीडियो का दुरुपयोग करता है।
वायरस- वायरस एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जिसको आपके स्मार्टफोन/कंप्यूटर पर डाउनलोड करते ही आपके स्मार्टफोन/कंप्यूटर की सारी जानकारी हैकर को मिल जाती है और उसका गलत फायदा उठाता है।
साइबर अपराध के लिए बनाए गए कानून (Laws against cyber crime/cyber crime act)
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में 21796 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए थे। भारत में साइबर अपराध की समस्या बढ़ती ही जा रही है। भारत में साइबर अपराध के तहत सूचना प्रौद्योगिकी कानून आईटी कानून 2000, आईटी संशोधन अधिनियम 2008 लागू किए गए थे। इन कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए धाराएं बनाई गई है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की जो हैकिंग और साइबर ��पराध संबंधी धाराएं हैं उनमें- 43, 43A, 66, 66B, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A, 74 है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 जारी की गई जिसमें साइबर अपराध करने पर 2 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा मिल सकती है।
इसके साथ ही कंप्यूटर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘कंप्यूटर एमरजैंसी रिस्पांस टीम’ निर्धारित की गई।
जनवरी 2020 में साइबर क्राइम को नियंत्रित करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre- 14C) लागू किया गया।
साइबर अपराध से बचने के उपाय (Precautions to avoid cyber crime)
1. संदिग्ध ईमेल या मैसेज- यदि आपके पास कोई संदिग्ध मेल यह मैसेज आता है तो उस मैसेज को ओपन करने से बचें या पहले उसके बारे में जानकारी हासिल करें।
2. मोबाइल और कंप्यूटर में हाई सिक्योरिटी- अपने मोबाइल और कंप्यूटर को हमेशा अपडेट रखें और उसमें विश्वसनीय सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस रखें।
3. गोपनीयता- अपने मोबाइल का ओटीपी और पासवर्ड किसी भी व्यक्ति को न दे। इसके साथ ही अपने बैंक खातों व क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी अनावश्यक किसी को न दें।
4. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी- ऑनलाइन खरीदारी व लेनदेन करते समय सावधान रहें। इस दौरान किसी भी अज्ञात पॉपअप या लिंक पर क्लिक न करें।
5. सोशल मीडिया पर सावधानी बरतें- सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें, अनजान लोगों को अपने ग्रुप या फ्रेंड्स लिस्ट में जोड़ने और उनसे बात करने में सतर्क रहें व उन्हें अपने निजी जीवन के बारे में कोई भी जानकारी देने से बचें।
https://helphindime.in/what-is-cyber-crime-meaning-definition-essay-in-hindi/
निष्कर्ष (Conclusion for Cyber Crime)
साइबर अपराध की समस्याएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही है| इस समस्या से बचने के लिए सबसे आवश्यक चीज जो है वह सावधानी। हमें इंटरनेट व सोशल मीडिया का प्रयोग करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
हमें अपनी निजी और गोपनीय जानकारी को गलत हाथों में जाने से रोकना चाहिए। किसी भी चीज या व्यक्ति पर संदेह होने पर या अपराध होने पर हमें डरने और घबराने के जगह पुलिस की मदद लेनी चाहिए। हमारी स्वयं की सुरक्षा सबसे पहले हमारे हाथों में होती है, यदि हम जागरूक और सतर्क रहेंगे तो हम साइबर अपराध की समस्या से बच सकते है और अपने आस पास के लोगों को भी बचा सकते है। हमें लोगों को इस बारे में जागरूक करना चाहिए और इसके लिए स्कूलों और अन्य जगहों पर साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता कार्यक्रम करने चाहिए।
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Follow These 5 Rules to Save Your WhatsApp Chats From Hacker | हैकर क्या कोई भी वॉट्सऐप चैट लीक नहीं कर सकेंगा, बस इन 5 बातों का रखना होगा ध्यान
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Follow These 5 Rules to Save Your WhatsApp Chats From Hacker | हैकर क्या कोई भी वॉट्सऐप चैट लीक नहीं कर सकेंगा, बस इन 5 बातों का रखना होगा ध्यान
नई दिल्ली38 मिनट पहले
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दिनभर ऐप पर की गई चैट्स को वॉट्सऐप रात में अपने क्लाउट स्टोरेज में सेव करता है
वॉट्सऐप चैट एन्क्रिप्टेड होती है लेकिन क्लाउड पर सेव हुआ कंटेंट एन्क्रिप्टेड नहीं होता
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी की बदौलत वॉट्सऐप को सबसे सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म माना जाता है। बावजूद इसके कई बार चैट लीक या वायरल होने की खबरें सुनने को मिल जाती हैं। हाल ही में कुछ सेलिब्रिटी की वॉट्सऐप चैट वायरल हो गई थीं, जिसके बाद लोगों के मन में प्लेटफॉर्म की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए थे।
कम ही लोग जानते हैं कि वॉट्सऐप अपने यूजर्स को कई तरह के सिक्योरिटी फीचर्स प्रदान करता है, ताकि अकाउंट सुरक्षित रखा जा सके। हालांकि, वॉट्सऐप यूजर्स को भी कुछ नियमों का पालन करना जरूरत, ताकि चैट गलत हाथों में न लगे। चलिए जानते हैं कैसे….
1. क्लाउड बैकअप को डिसे��ल करें
दिनभर में की गई चैट्स को वॉट्सऐप रात में अपने क्लाउट स्टोरेज में सेव करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, यदि यूजर वॉट्सऐप अन-इंस्टॉल करता है या किसी नए फोन में अकाउंट ओपन करता है, तो क्लाउड स्टोरेज से पुरानी चैट्स और मीडिया फाइल्स रिकवर कर सके।
गौर करने वाली बात यह है कि वॉट्सऐप चैट तो एन्क्रिप्टेड होती है लेकिन क्लाउड पर सेव हुआ कंटेंट एन्क्रिप्टेड नहीं होता। ऐसे में अगर यह किसी हैकर के हाथ में बैकअप का एक्सेस लग जाए तो आसानी से किसी दूसरे डिवाइस में वॉट्सऐप चैट का बैकअप लेकर, उन्हें आसानी से पढ़ सकता है।
अगर आपको यह चिंता सता रही है कि वॉट्सऐप चैट किसी गलत हाथों में न पड़ जाए, तो तुरंत ऑटोमैटिक क्लाउड ऑप्शन को डिसेबल कर दें। हालांकि, ऐसा करने के बाद यदि आप वॉट्सऐप अन-इंस्टॉल करते हैं, तो दोबारा ऐप इंस्टॉल करने पर पुरानी चैट रिकवर नहीं कर सकेंगे।
डिसेबल करने के लिए इन स्टेप्स फॉलो करें… WhatsApp Settings > Chats > Chat Backup > Back up to Google Drive option > select Never हालांकि, ऐसा करने के बाद यदि आप वॉट्सऐप अन-इंस्टॉल करते हैं, तो दोबारा ऐप इंस्टॉल करने पर पुरानी चैट रिकवर नहीं कर सकेंगे।
2. मैनुअल एन्क्रिप्शन चेक करें
वैसे तो वॉट्सऐप चैट एन्क्रिप्टेड होती है लेकिन इसे हम खुद भी चेक कर सकते हैं। चेक करने के लिए चैट ओपन कर नाम पर क्लिक करना होगा और उसके बाद एन्क्रिप्शन ऑप्शन पर क्लिक करना होगा।
टैप करने के बाद एक पॉप-अप सामने आएगा, जिसमें QR कोड और नीचे 40 डिजिट दिखाई देंगे। ये सिक्योरिटी कोड होता है। यह वॉट्सऐप आइडेंटिटी होती है, जिसे दूसरे के साथ भी शेयर कर सकते हैं।
अगर आपको सुनिश्चित करना है कि आपकी वॉट्सऐप चैट सुरक्षित है या नहीं, तो आप ���पने फोन में दिखाई दे रहे कोड को दूसरे यूजर के कोड से वेरिफाई कर सकते हैं। अगर दोनों को एक समान कोड दिखाई दे रहे हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है, आपकी चैट सुरक्षित है।
3. टू-स्टेप वैरिफिकेशन
टू-स्टेप वैरिफिकेशन से अकाउंट को और ज्यादा सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। अगर अपने ये फीचर एक्टिवेट कर रखा है, तो जब भी आप किसी अन्य डिवाइस पर अकाउंट ओपन करेंगे तो ये 6-डिजिट कोड मागेंगा, जो सिर्फ आपको पता होगा।
ऐसे में अगर किसी हैकर के हाथ में आपका नंबर या वॉट्सऐप अकाउंट की डिटेल लग भी जाए, तो भी वह वॉट्सऐप यूज नहीं कर पाएगा, क्योंकि इस्तेमाल करने के लिए उसे वहीं 6-डिजिट कोड की जरूरत होगी।
इसे एक्टिवेट करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें… Menu > Settings > Account > Two-step verification > Enable. इसे एक्टिवेट करने के लिए आपको ईमेल एड्रेस भी देना होगा, ताकि भूल जाने पर कोड दोबारा रिकवर किया जा सके।
4. एक्टिवेट फिंगरप्रिंट/ फेस-आईडी सिक्योरिटी
वॉट्सऐप बायोमैट्रिक सिक्योरिटी भी प्रदान करता है। यूजर अपने फिंगरप्रिंट या फेस-आईडी से वॉट्सऐप को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
एंड्रॉयड यूजर इसे एक्टिवेट करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें.. Settings > Accounts > Privacy > Fingerprint Unlock.
इसी तरह एपल यूजर फेस आईडी एक्टिवेट कर सकते हैं। इसका फायदा ये होगा कि अगर फ��न गुम या चोरी हो जाता है या किसी गलत हाथ में पड़ जाता है, तो भी चैट सुरक्षित रहेंगी।
5. स्कैम में न फंसे
आखिरी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण नियम- वॉट्सऐप ग्रुप पर आ रही किसी भी अनजान लिंक पर बिना सोचे समझें क्लिक न करें। ये स्पाईवेयर हो सकता है, जो आपके फोन से निजी जानकारियां चुरा सकता है।
इसके अलावा किसी भी अनजान नंबर से इनबॉक्स में भेजी गई फाइल को डाउनलोड न करें। हालांकि, इससे सुरक्षित रहने के लिए भी वॉट्सऐप में फीचर उपलब्ध है।
इस फीचर की बदौलत बिना आपकी परमिशन कौन आपको ग्रुप में जोड़ सके और कौन न जोड़ सके, इसे तय किया जा सकता है।
ऐसा करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें.. Settings > Account > Privacy > Groups > My Contacts. इसे फायदा यह होगा कि हर कोई आपको किसी भी ग्रुप में जोड़ नहीं सकेगा।
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कैसे बताएं कि आपका फोन हैक हो गया है | WeLive सुरक्षा
कैसे बताएं कि आपका फोन हैक हो गया है | WeLive सुरक्षा
क्या आपको लगता है कि आपके स्मार्टफोन को मैलवेयर ने हैक कर लिया है? यहां बताया गया है कि हैक किए गए फोन के संकेतों का पता कैसे लगाया जाए और हैकर को अपने फोन से कैसे हटाया जाए। एंड्रॉइड और आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत के साथ, फोन उनकी विनम्र कॉल और टेक्स्ट सुविधाओं से कहीं आगे विकसित हो गए हैं – वे अब पोर्टेबल स्मार्ट डिवाइस हैं जो उन कार्यों को करने में सक्षम हैं जिन्हें पहले लैपटॉप और पीसी को…
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Hackers can follow you from the location you get from the smartphone, know how companies track you | स्मार्टफोन से आपकी लोकेशन को कंपनियां बेच रही हैं, हैकर कर रहे फॉलो; जानिए आप कैसे होते हैं ट्रैक 32 मिनट पहले कॉपी लिंक दुनियाभर में करोड़ों लोग स्मार्टफोन ऐप्स के जरिए रोज अपनी लोकेशन शेयर कर रहे हैं। यह डाटा एडवरटाइजर्स और दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किया जाता है।
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पेगासस कैसे करता है जासूस का काम -
पेगासस और भारत
पेगासस को इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने तैयार किया है।बांग्लादेश समेत कई देशों ने पेगासस स्पाईवेयर ख़रीदा है।इसे लेकर पहले भी विवाद हुए हैं।मेक्सिको से लेकर सऊदी अरब की सरकार तक पर इसके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए जा चुके हैं। व्हाट्सऐप के स्वामित्व वाली कंपनी फ़ेसबुक समेत कई दूसरी कंपनियों ने इस पर मुकदमे किए हैं।जैसा की अभी खबरे आ रही है की इसी की मदद से भारत में कई पत्रकार और राजनेता की जासूसी की गयी है। इसलिए हमने भी सोचा की आपको ये बताया जाये की आखिर ये क्या बला है और ये कैसे काम करता है और ये आपके ही फ़ोन से आपकी की जासूसी कैसे करता है।
पेगासस है क्या -
पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ ने बनाया है।ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है।एन्क्रिप्टेड ऐसे संदेश होते हैं जिसकी जानकारी सिर्फ मेसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले को होती है।जिस कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर मेसेज भेजा जा रहा, वो भी उसे देख या सुन नहीं सकती है।पेगासस के इस्तेमाल से हैक करने वाले को उस व्यक्ति के फ़ोन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकती हैं।
2016 में संयुक्त अरब अमीरात के इसकी पहली शिकायत -
पेगासस से जुड़ी जानकारी पहली बार साल 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर की बदौलत मिली। उन्हें कई एसएमएस प्राप्त हुए थे, जो उनके मुताबिक संदिग्ध थे। उनका मानना था कि उनमें लिंक गलत मकसद भेजे गए थे।उन्होंने अपने फोन को टोरंटो विश्वविद्यालय के 'सिटीजन लैब' के जानकारों को दिखाया।उन्होंने एक अन्य साइबर सुरक्षा फर्म 'लुकआउट' से मदद ली। मंसूर का अंदाज़ा सही था।अगर उन्होंने लिंक पर क्लिक किया होता, तो उनका आइफ़ोन मैलवेयर से संक्रमित हो जाता।इस मैलवेयर को पेगासस का नाम दिया गया।
लुकआउट के शोधकर्ताओं ने इसे किसी "एंडपॉइंड पर किया गया सबसे जटिल हमला बताया " गौर करने वाली बात ये है कि आमतौर पर सुरक्षित माने जाने वाले एप्पल फ़ोन की सुरक्षा को ये प्रोग्राम भेदने में कामयाब हुआ।हालांकि एप्पल इससे निपटने के लिए अपडेट लेकर आया था।मेक्सिको की सरकार पर पेगासस की मदद से मोबाइल की जासूसी करने वाला उपकरण बनाने का आरोप लगा।
2017 में सका इस्तेमाल मेक्सिको में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और भ्रष्टाचाररोधी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किया जा रहा था। मैक्सिको के जानेमाने पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी सरकार पर मोबाइल फोन से जासूसी करने का आरोप लगाते हुए इसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है।पेगासस सॉफ्टवेयर मैक्सिको की सरकार को इसरायली कंपनी एनएसओ ने इस शर्त पर बेचा थी कि वो इसका इस्तेमाल सिर्फ़ अपराधियों और चरमपंथियों के ख़िलाफ़ करेंगे।इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह है कि यह स्मार्टफोन और मॉनिटर कॉल्स, टेक्स्ट्स और दूसरे संवादों का पता लगा सकता है।यह फोन के माइक्रोफोन या कैमरे को एक्टिवेट भी कर सकता है।
आरोप और जवाब
एक सऊदी पत्रकार की हत्या में इसका इस्तेमाल किया गया है इसका आरोप है औरकंपनी पर सऊदी सरकार को सॉफ्टवेयर देने का भी आरोप है, जिसका कथित तौर पर पत्रकार जमाल खशोग्जी की हत्या से पहले जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इन आरोपों पर कंपनी का कहना है की एनएसओ कंपनी हमेशा से दावा करती रही है कि ये प्रोग्राम वो केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और इसका उद्देश्य "आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना" है।वह कभी भी अपने स्पाइवेयर का उपयोग नहीं करती है - केवल संप्रभु सरकारें करती हैं। इसलिए कहा जाता है की आपके फ़ोन ही आपकी कब जासूसी करने लगेंगे आपको हवा भी नहीं लगेगी।
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सावधान! 30 लाख एंड्रॉयड फोन की फोटोज़ और Call पर बड़ा खतरा! पाई गईं 400 खामियां
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फोन के प्रोसेसर से जुड़ी एक बड़ी खामी का पता चला है. इस खामी के चलते हैकर किसी भी स्मार्टफोन के ज़रिए जासूसी कर सकते हैं. इससे हैकर को यूज़र के फोटोज़, वीडियोज़, कॉल रिकॉर्डिंग्स, रियल टाइम माइक्रोफोन डेटा, GPS और लोकेशन डेटा को एक्सेस मिल जाता…
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हैकर अब नहीं कर पाएंगे स्मार्टफोन यूजर्स की जासूसी, Apple लेकर आया जबर्दस्त फीचर
New Delhi:ऐप्स और सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर यूजर्स की सिक्यॉरिटी और प्रिवेसी को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। आए दिन होने वाले डेटा लीक्स यूजर्स को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐपल ने यूजर्स की इसी चिंता को दूर करने की कोशिश की है। ऐपल अपने नए अपडेट में खास फीचर (Apple IOS 14 Security Features) ऑफर कर रहा है, जिससे यूजर्स को फोन के माइक्रोफोन या कैमरा के ऐक्टिवेट होने पर पता चल जाएगा। यह फीचर (Apple IOS 14 Security Features) यूजर को उन ऐप्स के बारे में बताएगा जिनके जरिए हैकर्स माइक्रोफोन को ऑन करके उनकी की बातें सुन रहे होंगे। कंपनी इस फीचर को iOS 14 के साथ ऑफर करने वाली है। अपडेट इसी साल सितंबर में सभी यूजर्स के लिए रोलआउट हो जाएगा। ऑरेंज डॉट से मिलेगा अलर्ट iOS 14 अपडेट के बाद यूजर को माइक्रोफोन ऑन होने की स्थिति में डिवाइस की स्क्रीन में ऊपर दाईं तरफ एक ऑरेंज कलर का डॉट दिख जाएगा। यह डॉट फोन का कैमरा ऑन होने पर भी रिफ्लेक्ट होगा। इसकी (Apple IOS 14 Security Features) खास बात है कि आप फोन के कंट्रोल सेंटर में जाकर यह चेक कर सकते हैं कि कौन सा ऐप डिवाइस के माइक्रोफोन या कैमरा को इस्तेमाल कर रहा है। इसमें अगर आपको किसी तरह की गड़बड़ी लगे तो आप तुरंत सेटिंग्स में जाकर ऐप के परमिशन्स को चेक कर सकते हैं। ऐप की परमिशन कर सकते हैं बंद अगर आपको लगता है कि कोई ऐप बिना आपकी मर्जी फोन के कैमरा या माइक्रोफोन को ऐक्सेस कर रहा है, तो आप उसके इस परमिशन को डिनाइ (deny) कर सकते हैं। इसके बाद भी अगर आपके मन में उस ऐप को लेकर संदेह है तो बेहतर होगा कि उसे आप सिस्टम से डिलीट कर दें। OnePlus 8 Pro की खरीद पर ₹3 हजार का इंस्टैंट डिस्काउंट, 12 बजे सेल बढ़ेगी यूजर्स की Read the full article
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Qualcomm के इस चिपसेट में आई खामी, दुनियाभर के 30% फोन पर मंडरा रहा खतरा, कॉल भी सुन सकते हैं हैकर्स Divya Sandesh
#Divyasandesh
Qualcomm के इस चिपसेट में आई खामी, दुनियाभर के 30% फोन पर मंडरा रहा खतरा, कॉल भी सुन सकते हैं हैकर्स
अगर आप क्वालकॉम प्रोसेसर से लैस स्मार्टफोन यूज कर रहे हैं तो आपको सतर्क हो जाने की जरूरत है। दरअसल, क्वालकॉम द्वारा बनाई गई चिपसेट में एक खामी पाई गई है और यह कोई छोटी-मोटी खामी नहीं है। इस खामी को चेकपॉइंट रिसर्च में ढूंढा है और अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि दुनियाभर के 30 फीसदी स्मार्टफोन इससे प्रभावित हुए है। इससे लोगों को क्या नुकसान है, चलिए बताते हैं…
चेकपॉइंट रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस खामी का फायदा उठाकर हैकर्स न सिर्फ आपके डेटा तक पहुंच सकते हैं बल्कि यूजर के फोन कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज भी हालिस कर सकते हैं।
इन कंपनियों के फोन में है प्रभावित चिप
चेक प्वाइंट रिसर्च के अनुसार, इस समय बग Samsung, Google, Xiaomi, LG समेत लगभग सभी एंड्रॉइड स्मार्टफोन निर्माताओं के डिवाइसेस को प्रभावित करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि खामी वाली इस चिप का उपयोग वर्तमान में दुनियाभर के 40 प्रतिशत फोन में किया जाता है, लेकिन केवल 30 प्रतिशत फोन ही Qualcomm MSM Interface (QMI) से लैस हैं, जो कि हमलों के लिए आवश्यक हैं। मोबाइल स्टेशन मॉडेम (MSM) बग से प्रभावित भाग है जो फोन के अधिकांश महत्वपूर्ण कंपोनेंट को क्षमता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकर को मलेशियस ट्रोजन ऐप या किसी अन्य तरीके के माध्यम से लक्षित डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम तक पहुंचने की आवश्यकता होगी। लक्षित डिवाइस तक पहुंचने के बाद हैकर यूजर की संवेदनशील जानकारी चुराने के लिए मॉडेम में मलेशियल कोड इंजेक्ट कर सकते हैं।
यूजर की कॉल भी सुन सकता है हैकररिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकार का हमला फोन के क्यूएमआई (एक प्रोटोकॉल जो एमएसएम के भीतर विभिन्न सॉफ्टवेयर कंपोनेंट के बीच कम्युनिकेशन को नियंत्रित करता है) को हाईजैक कर देगा। सरल शब्दों में, इस तरह के हमले से हैकर्स टेक्स्ट मैसेज और पीड़ित की कॉल हिस्ट्री तक पहुंच सकते हैं, जबकि उसी समय यूजर की कॉल भी सुन सकते हैं। अटैक इससे भी गंभीर हो सकता है क्योंकि यह खामी हैकर को डिवाइस के सिम कार्ड तक पहुंच प्रदान करेगा।
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Hackers can follow you from the location you get from the smartphone, know how companies track you | स्मार्टफोन से आपकी लोकेशन को कंपनियां बेच रही हैं, हैकर कर रहे फॉलो; जानिए आप कैसे होते हैं ट्रैक एक घंटा पहले कॉपी लिंक दुनियाभर में करोड़ों लोग स्मार्टफोन ऐप्स के जरिए रोज अपनी लोकेशन शेयर कर रहे हैं। यह डाटा एडवरटाइजर्स और दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किया जाता है।
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स्मार्टफोन यूजर्स के लिए नया खतरा, बैंकिंग डीटेल और डेटा चुरा रहे हैकर
स्मार्टफोन यूजर्स के लिए नया खतरा, बैंकिंग डीटेल और डेटा चुरा रहे हैकर
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हैकिंग
नई दिल्ली स्मार्टफोन यूजर्स के लिए एक नया खतरा सामने आ गया है। साइबर सिक्यॉरिटी फर्म Cybereason के मुताबिक EventBot नाम का मैलवेयर (एक तरह का वायरस) यूजर के स्मार्टफोन में सेंधमारी कर रहा है। इस मैलवेयर के जरिए हैकर ऐंड्रॉयड फोन में मौजूद सेंसिटिव डेटा के साथ बैंकिग और दूसरे फाइनैंशल ऐप्स से डीटेल चुरा लेते हैं। डिवाइस में इंस्टॉल होने के बाद EventBot पर्सनल डेटा, पासवर्ड,…
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