#सेना 7 आई
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पहले थे चारों तरफ घर, अब सिर्फ मलबा और पत्थर... शिमला में बाढ़ से तबाही, मिट का इस गांव का नामोनिशान
शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले साल की तरह इस बार फिर से बारिश ने तबाही मचाई है। प्रदेश के जिलों में बादल फटने की घटनाएं सामने आ रही है। शिमला के रामपुर में बादल फटने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। रामपुर के में बुधवार देर रात बादल फटने से हाहाकार मच गई। बादल फटने से पानी का ऐसा सैलाब आया कि पूरे गांव का नामोनिशान मिट गया है। कई लोग पानी के तेज बहाव में बह गए। अब यहां चारों तरफ सिर्फ मलबा और पत्थर ही दिख रहा हैं। सोशल मीडिया पर समेज गांव की नई और पुरानी तस्वीर भी वायरल हो रही है। इस तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि जहां पहले इस गांव में काफी घर थे, अब सिर्फ मलबा और बड़े-बड़े पत्थर मौजूद है। कैसे आई तबाहीबुधवार देर रात करीब 12 बजकर 50 मिनट पर श्रीखंड पीक पर बादल फटा। बादल फटने समेज खड्ड में पानी का सैलाब आ गया। समेज खड्ड में आई इस जल प्रलय ने पूरे गांव को चपेट में लिया। गांव में मौजूद लोगों को खड्ड में आई इस बाढ़ से बचने तक का मौका नहीं मिला। पानी के तेज बहाव में 36 लोग बह गए। इस गांव के 22 लोग शामिल थे। वहीं 7 प्रॉजेक्ट कर्मी और चार प्रवासी भी शामिल थे।लोगों ने बताई आपबीतीसमेज गांव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सभी लोग देर रात खाना खाने के बाद सो गए थे। पानी के तेज बहाव की आवाज सुनकर वो बाहर आए तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। पानी के तेज बहाव ने पूरे गांव को चपेट में ले लिया था। उन्होंने भागकर अपनी जान बचा ली। सुबह जैसे ही आसपास के लोगों को बादल फटने की सूचना मिली तो वो समेज गांव पहुंचे। यहां का नजारा देख उनकी आंखों में आंसू आ गए। वो ��ोते-बिलखते अपनों की तलाश करने लगे, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया। एक परिवार के सभी सदस्य लापताआसमान से बरसी इस तबाही में एक परिवार के सभी सदस्य लापता हो गए है। फिलहाल प्रशाशन ने राहत कार्य आरंभ कर दिया है। आईटीबीपी, स्पेशल होमगार्ड की टुकड़ी भी रेस्क्यू दल समेज कांव में मौजूद हैं और लापता लोगों की तलाश की जा रही है। समेज गांव में बाढ़ आने से 26 मकान बह गए है। सीएम सुक्खू ने कहा कि बीती रात प्रदेश में कई स्थानों पर बादल फटने की दुखद घटना में 50 से अधिक लोग लापता हैं और 2 लोगों के शव रिकवर किए गए हैं। NDRF, SDRF, होम गार्ड और फायर सर्विसेज की टीमें राहत, खोज और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। सेना से भी मदद मांगी गई है। स्थानीय प्रशासन द्वारा राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है http://dlvr.it/TBP3pX
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रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना ""
7 मार्च 1679 ई0 की बात है, ठाकुर सुजान सिंह अपनी शादी की बारात लेकर जा रहे थे, 22 वर्ष के सुजान सिंह किसी देवता की तरह लग रहे थे,
ऐसा लग रहा था मानो देवता अपनी बारात लेकर जा रहे हों
उन्होंने अपने दुल्हन का मुख भी नहीं देखा था, शाम हो चुकी थी इसलिए रात्रि विश्राम के लिए "छापोली" में पड़ाव डाल दिये । कुछ ही क्षणों में उन्हें गायों में लगे घुंघरुओं की आवाजें सुनाई देने लगी, आवाजें स्पष्ट नहीं थीं, फिर भी वे सुनने का प्रयास कर रहे थे, मानो वो आवाजें उनसे कुछ कह रही थी ।
सुजान सिंह ने अपने लोगों से कहा, शायद ये चरवाहों की आवाज है जरा सुनो वे क्या कहना चाहते हैं ।
गुप्तचरों ने सूचना दी कि युवराज ये लोग कह रहे है कि कोई फौज "देवड़े" पर आई है। वे चौंक पड़े । कैसी फौज, किसकी फौज, किस मंदिर पे आयी है ?
जवाब आया "युवराज ये औरंगजेब की बहुत ही विशाल सेना है, जिसका सेनापति दराबखान है, जो खंडेला के बाहर पड़ाव डाल रखी है ।
कल खंडेला स्थित श्रीकृष्ण मंदिर को तोड़ दिया जाएगा । निर्णय हो चुका था,
एक ही पल में सब कुछ बदल गया । शादी के खुशनुमा चहरे अचानक सख्त हो चुके थे, कोमल शरी�� वज्र के समान कठोर हो चुका था ।
जो बाराती थे, वे सेना में तब्दील हो चुके थे, वे अपने सेना के लोगों से विचार विमर्श करने लगे । तब उनको पता चला कि उनके साथ मात्र 70 लोगों की छोटी सी एक सेना थी ।
तब वे रात्रि के समय में बिना एक पल गंवाए उन्होंने पास के गांव से कुछ आदमी इकठ्ठे कर लिए ।
करीब 500 घुड़सवार अब उनके पास हो चुके थे,
अचानक उन्हें अपनी पत्नी की याद आयी, जिसका मुख भी वे नहीं देख पाए थे, जो डोली में बैठी हुई थी । क्या बीतेगी उसपे, जिसने अपनी लाल जोड़े भी ठीक से नहीं देखी हो ।
वे तरह तरह के विचारों में खोए हुए थे, तभी उनके कानों में अपनी माँ को दिए वचन याद आये, जिसमें उन्होंने राजपूती धर्म को ना छोड़ने का वचन दिया था, उनकी पत्नी भी सारी बातों को समझ चुकी थी, डोली के तरफ उनकी नजर गयी, उनकी पत्नी महँदी वाली हाथों को निकालकर इशारा कर रही थी । मुख पे प्रसन्नता के भाव थे, वो एक सच्ची क्षत्राणी के कर्तब्य निभा रही थी, मानो वो खुद तलवार लेकर दुश्मन पे टूट पड़ना चाहती थी, परंतु ऐसा नहीं हो सकता था ।
सुजान सिंह ने डोली के पास जाकर डोली को और अपनी पत्नी को प्रणाम किये और कहारों और नाई को डोली सुरक्षित अपने राज्य भेज देने का आदेश दे दिया और खुद खंडेला को घेरकर उसकी चौकसी करने लगे ।
लोग कहते हैं कि मानो खुद कृष्ण उस मंदिर की चौकसी कर रहे थे, उनका मुखड़ा भी श्रीकृष्ण की ही तरह चमक रहा था।
8 मार्च 1679 को दराबखान की सेना आमने सामने आ चुकी थी, महाकाल भक्त सुजान सिंह ने अपने इष्टदेव को याद किये और हर हर महादेव के जयघोष के साथ 10 हजार की मुगल सेना के साथ सुजान सिंह के 500 लोगो के बीच घनघोर युद्ध आरम्भ हो गया ।
सुजान सिंह ने दराबखान को मारने के लिए उसकी ओर लपके और 40 मुगल सेना को मौत के घाट उतार दिए । ऐसे पराक्रम को देखकर दराबखान पीछे हटने में ही भलाई समझी, लेकिन ठाकुर सुजान सिंह रुकनेवाले नहीं थे ।
जो भी उनके सामने आ रहा था वो मारा जा रहा था । सुजान सिंह साक्षात मृत्यु का रूप धारण करके युद्ध कर रहे थे । ऐसा लग रहा था मानो खुद महाकाल ही युद्ध कर रहे हों ।
इस बीच कुछ लोगों की नजर सुजान सिंह पे पड़ी,
लेकिन ये क्या सुजान सिंह के शरीर में सिर तो है ही नहीं...
😭😭😭😭😭😭
लोगों को घोर आश्चर्य हुआ, लेकिन उनके अपने लोगों को ये समझते देर नहीं लगी कि सुजान सिंह तो कब के मोक्ष को प्राप्त कर चुके हैं ।
ये जो युद्ध कर रहे हैं, वे सुजान सिंह के इष्टदेव हैं । सबों ने मन ही मन अपना शीश झुककर इष्टदेव को प्रणाम किये ।
अब दराबखान मारा जा चुका था, मुगल सेना भाग रही थी, लेकिन ये क्या, सुजान सिंह ��ोड़े पे सवार बिना सिर के ही मुगलों का संहार कर रहे थे ।
उस युद्धभूमि में मृत्यु का ऐसा तांडव हुआ, जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुगलों की 7 हजार सेना अकेले सुजान सिंह के हाथों मारी जा चुकी थी । जब मुगल की बची खुची सेना पूर्ण रूप से भाग गई, तब सुजान सिंह जो सिर्फ शरीर मात्र थे, मंदिर का रुख किये ।
इतिहासकार कहते हैं कि देखनेवालों को सुजान के शरीर से दिव्य प्रकाश का तेज निकल रहा था, एक अजीब विश्मित करनेवाला प्रकाश निकल रहा था, जिसमें सूर्य की रोशनी भी मन्द पड़ रही थी ।
ये देखकर उनके अपने लोग भी घबरा गए थे और सबों ने एक साथ श्रीकृष्ण की स्तुति करने लगे, घोड़े से नीचे उतरने के बाद सुजान सिंह का शरीर मंदिर के प्रतिमा के सामने जाकर लुढ़क गया और एक शूरवीर योद्धा का अंत हो गया ।
🚩🚩🙏🙏माँ भारती के इस शूरवीर योद्धा को कोटि-कोटि नमन हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए 🚩🚩🙏🙏
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नए प्रोसेसर के साथ आ रहे हैं लेनोवो लीजन 7 आई, 5 आई और 5 आई प्रो गेमिंग लैपटॉप, देखें क्या खास है
नए प्रोसेसर के साथ आ रहे हैं लेनोवो लीजन 7 आई, 5 आई और 5 आई प्रो गेमिंग लैपटॉप, देखें क्या खास है
नई दिल्ली। लेनोवो अपने सेना 7i, सेना 5i, और लीजन 5 आई प्रो गलत तरीके से तैयार किया गया है। कंपनी के इन तीनों ही गेमिंग लैपटॉप में गेमिंग सपोर्ट के साथ इंटेल कोर 11 वी-जनरल टाइगर लेक एच-सीरीज का प्रोसेसर दिया गया है। ये गेमिंग लैपटॉप में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए Y-Fi 6 के साथ विंडो 10 और थंडरबोल्ट का स्पोर्ट दिया गया है। आपको बता दें कि लेनोवो के लीजन सीरीज गेमिंग लैपटॉप में एनवीडिया जीफोर्स…
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🌷 *जीने की राह* 🌷
*(Part-16)*
*विवाह कैसे करें | जीने की राह*
*Right Way of Performing Marriage (Way of Living)*
📜जैसे श्री देवी दुर्गा जी ने अपने तीनों पुत्रों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) का विवाह किया था, इसी पुस्तक में आगे पढ़ेंगे। मेरे (लेखक के) अनुयाई ऐसे ही करते हैं। 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी है। फेरों के स्थान पर उसको बोला जाता है जो करोड़ गायत्राी मंत्रा (¬ भूर्भवः ...) से उत्तम तथा लाभदायक है। जिसमें विश्व के सर्व देवी-देव तथा पूर्ण परमात्मा का आह्वान तथा स्तुति-प्रार्थना है। जिस कारण से सर्व शक्तियां उस विवाह वाले जोड़े की सदा रक्षा तथा सहायता करते हैं। इससे बेटी बची रहेगी। जीने की सुगम राह हो जाएगी।
विवाह में प्रचलित वर्तमान परंपरा का त्याग:-
विवाह में व्यर्थ का खर्चा त्यागना पड़ेगा। जैसे बेटी के विवाह में बड़ी बारात का आना, दहेज देना, यह व्यर्थ परंपरा है। जिस कारण से बेटी परिवार पर भार मानी जाने लगी है और उसको गर्भ में ही मारने का सिलसिला शुरू है जो माता-पिता के लिए महापाप का कारण बनता है। बेटी देवी का स्वरूप है। हमारी कुपरम्पराओं ने बेटी को दुश्मन बना दिया। श्री द���वीपुराण के तीसरे स्कंद में प्रमाण है कि इस ब्रह्माण्ड के प्रारम्भ में तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) का जब इनकी माता श्री दुर्गा जी ने विवाह किया, उस समय न कोई बाराती था, न कोई भाती था। न कोई भोजन-भण्डारा किया गया था। न डी.जे बजा था, न कोई नृत्य किया गया था। श्री दुर्गा जी ने अपने बड़े पुत्रा श्री ब्रह्मा जी से कहा कि हे ब्रह्मा! यह सावित्राी नाम की लड़की तुझे तेरी पत्नी रूप में दी जाती है। इसे ले जाओ और अपना घर बसाओ। इसी प्रकार अपने बीच वाले पुत्र श्री विष्णु जी से लक्ष्मी जी तथा छोटे बेटे श्री शिव जी को पार्वती जी को देकर कहा कि ये तुम्हारी पत्नियां हैं। इनको ले जाओ और अपना-अपना घर बसाओ। तीनों अपनी-अपनी पत्नियों को लेकर अपने-अपने लोक में चले गए जिससे विश्व का विस्तार हुआ।
शंका समाधान:- कुछ व्यक्ति कहते हैं कि पार्वती जी की मृत्यु हो गई थी। उस देवी का पुनर्जन्म राजा दक्ष के घर हुआ था। युवा होने पर देवी सती (पार्वती) जी ने नारद के बताने के पश्चात् श्री शिव जी को पति बनाने का दृढ़ संकल्प कर लिया और अपनी माता जी के माध्यम से अपनी इच्छा पिता दक्ष को बताई तो राजा दक्ष ने कहा कि वह शिव जी मेरा दामाद बनने योग्य नहीं है क्योंकि वह नग्न रहता है। केवल एक मृगछाल परदे पर बाँधता है। शरीर पर राख लगाकर भांग के नशे में रहता है। सर्पों को साथ रखता है। ऐसे व्यक्ति से मैं अपनी बेटी का विवाह करके जगत में हँसी का पात्रा नहीं बनूंगा। परंतु देवी पार्वती भी जिद की पक्की थी। उसने अपनी इच्छा श्री शिव जी के पास भिजवा दी और कहा कि मैं आपसे विवाह करना चाहती हूँ। राजा दक्ष ने पार्वती जी का विवाह किसी अन्य के साथ निश्चित कर रखा था। उसी दिन श्री शिव जी अपने साथ हजारों की सँख्या में भूत-प्रेत, भैरव तथा अपने गणों को लेकर विवाह मंडप पर पहुँच गए। राजा दक्ष के सैनिकों ने विरोध किया। शिव की सेना और दक्ष की सेना में युद्ध हुआ। पार्वती ने शिव जी को वरमाला पहना दी। पार्वती को बलपूर्वक लेकर श्री शिव जी कैलाश पर्वत पर अपने घर ले गए। कुछ व्यक्ति कहते हैं कि देखो! श्री शिव जी भी भव्य बारात लेकर पार्वती से विवाह करने आए थे। इसलिए बारात की परंपरा पुरातन है। इसलिए बारात बिना विवाह की शोभा नहीं होती। इसका उत्तर यह है कि यह विवाह नहीं था, यह तो पे्रम प्रसंग था। श्री शिव जी बारात नहीं सेना लाए थे पार्वती को बलपूर्वक उठाकर ले जाने के लिए। विवाह की पुरातन परम्परा श्री देवी महापुराण के तीसरे स्कंद में है जो ऊपर बता दी है। बेटियों तथा बेटों को चाहिए कि अपने माता-पिता जी की इच्छानुसार विवाह करें। प्रेम विवाह महाक्लेश का कारण बन जाता है। जैसे भगवान शिव जी और पार्वती जी का किसी बात पर मन-मुटाव हो गया। शिव जी ने पार्वती जी से पत्नी व्यवहार बंद कर दिया तथा बोलचाल भी बंद कर दी। पार्वती ने सोचा कि अब यह घर मेरे लिए नरक हो गया है। इसलिए कुछ दिन अपनी माँ के पास चली जाती हूँ। पार्वती जी अपने पिता दक्ष के घर मायके में चली गई। उस दिन राजा दक्ष ने एक हवन यज्ञ का आयोजन किया हुआ था। राजा दक्ष ने अपनी बेटी का सत्कार नहीं किया तथा कहा कि आज क्या लेने आई हो? देख लिया उसका प्रेम, चली जा घर से। पार्वती जी ने अपनी माता से श्री शिव जी के नाराज होने की कथा बता दी थी। माता ने अपने पति दक्ष को सब बताया था। पार्वती जी को अब न मायके में स्थान था, न ससुराल में। प्रेम विवाह ने ऐसी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न कर दी कि दक्ष पुत्राी को आत्महत्या के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं देखा और राजा दक्ष के विशाल हवन कुण्ड में जलकर मर गई। धार्मिक अनुष्ठान का नाश किया। अपना अनमोल मानव जीवन खोया। पिता का नाश कराया क्योंकि जब श्री शिव जी को पता चला तो वे अपनी सेना लेकर पहुँचे और अपने ससुर दक्ष जी की गर्दन काट दी। बाद में बकरे की गर्दन लगाकर जीवित किया। उस प्रेम विवाह ने कैसा घमासान मचाया। शिव सेना को
बारात बताकर कुप्रथा को जन्म दिया गया है और यह प्रसंग प्रेम विवाह रूपी कुप्रथा का जनक है जो समाज के नाश का कारण है।
विवाह जो सुप्रथा से हुआ, वह आज तक सुखी जीवन जी रहे हैं। जैसे श्री ब्रह्मा जी तथा श्री विष्णु जी।
विवाह करने का उद्देश्य:- विवाह का उद्देश्य केवल संतानोत्पत्ति करना है। फिर पति-पत्नी मिलकर परिश्रम करके बच्चों का पालन करते हैं। उनका विवाह कर देते हैं। फिर वे अपना घर बसाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेम विवाह समाज में अशांति का बीज बोना है। समाज बिगाड़ की चिंगारी है।
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हादसाः भारतीय सेना के जवानों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त, 7 की मौत, 19 गंभीर घायल...
हादसाः भारतीय सेना के जवानों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त, 7 की मौत, 19 गंभीर घायल…
देशः लद्दाख से बड़ी दुखद खबर सामने आ आई है, जहां जवानों से भरी एक बस नदी में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त (accident) हो गई। इससे 7 जवानों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई जवान घायल हो गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह वाहन दुर्घटना (accident) लद्दाख के थोइस से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर हुआ। बताया गया कि सेना की बस श्योक नदी में गिर गई। घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन 7 जवानों को मृत घोषित…
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लद्दाख: जवानों को ले जा रहा सेना का वाहन नदी में गिरा, 7 जवानों ने गंवाई जान, कई घायल, प्रधानमंत्री ने जताया शोक
लद्दाख। तुरतुक सेक्टर में एक वाहन दुर्घटना में भारतीय सेना के 7 जवानों की मौत हो गई, वहीं कुछ जवानों को गंभीर चोटें आई हैं। सेना के सूत्रों के मुताबिक घायलों के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल उपलब्ध करने की कोशिश जारी है।भारतीय वायुसेना की मदद से गंभीर रूप से घायल जवानों को पश्चिमी कमान में स्थानांतरित करने के लिए हवाई प्रयास शामिल हैं। सेना की जिस गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ, उसमें 26 जवान सवार थे।…
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#कबीरसागर_का_सरलार्थPart222
पृष्ठ 137 पर आगे कहा है कि:-Sat sahib ji ♥
कलयुग का प्रथम चरण कब था?
प्रथम चरण कलयुग निरयाना। तब मगहर मांडौ मैदाना।।
परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि मैं मगहर में एक लीला करूंगा। ब्राह्मणों के साथ आध्यात्मिक मैदान माँडूँगा यानि ज्ञान गोष्टी करूँगा। (मैदान माँडने का भावार्थ है कि किसी के साथ कुश्ती करना या लड़ाई करना या ज्ञान चर्चा यानि शास्त्रार्थ करने के लिए चैलेंज करना) पंडितजन कहा करते थे कि जो काशी शहर में मरता है वह स्वर्ग में जाता है तथा जो मगहर शहर में मरता है, वह गधा बनता है। इसलिए मगहर में कोई मत मरना। परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि सत्य साधना करने वाला मगहर मरे तो भी स्वर्ग तथा स्वर्ग से भी उत्तम लोक में जाता है। {मगहर नगर उत्तर प्रदेश में जिला-संत कबीर नगर में है। गोरखपुर से 25 कि.मी. अयोध्या की ओर है।} कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि मैं मगहर में मरूँगा और उत्तम लोक में जाऊँगा। विक्रमी संवत् 1575 (सन् 1518) माघ के महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परमेश्वर कबीर जी ने सतलोक जाने की सूचना दे दी। काशी से मगहर सीधे रास्ते से 150 कि.मी. है। उस समय कबीर परमेश्वर जी की लीलामय आयु 120 वर्ष थी। पैदल चलकर तीन दिन में काशी शहर से मगहर स्थान पर पहुँचे। काशी नरेश बीर सिंह बघेल कबीर परमेश्वर जी का शिष्य था तथा मगहर नगर का नवाब बिजली खान पठान भी परमेश्वर कबीर जी का शिष्य था। दोनों अपनी-अपनी सेना लेकर मगहर के बाहर आधा कि.मी. दूर आमी नदी के किनारे जहाँ पर कबीर जी बैठे थे, वहीं पहुँच गए। परमेश्वर कबीर जी ने एक चद्दर अपने नीचे बिछवाई, भक्तों ने श्रद्धा से दो-दो इंच फूल बिछा दिए। कबीर जी उस पर लेट गए तथा कहा कि मैं संसार छोड़कर जाऊँगा, उस समय हजारों की संख्या में लोग तथा सेना के जवान उपस्थित थे। ब्राह्मण भी देखने आए थे। परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि मेरा शरीर नहीं मिलेगा क्योंकि बिजली खान पठान मुसलमान था। वह कह रहा था कि हम अपने गुरू का अंतिम संस्कार मुसलमान रीति से करेंगे। बीर देव सिंह हिन्दू था, उसने कहा कि हम अपने गुरू जी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से करेंगे। यदि बातों से बात नहीं बनी तो युद्ध करके लेंगे। परमेश्वर जी ने कहा कि आपको मेरी शिक्षा का क्या असर हुआ? आप आज भी हिन्दू तथा मुसलमान को भिन्न-भिन्न मान रहे हो। आप लड़ाई करोगे तो ठीक नहीं होगा, परंतु उनको कोई असर नहीं था, वे अंदर से लड़ाई करने के लिए पूरी तरह तैयार थे। परमेश्वर अंतर्यामी थे। उन्होंने कहा कि यदि मेरा शरीर ��िल जाए तो आप मेरे शरीर को आधा-आधा बाँट लेना, एक-एक चद्दर ले लेना, लड़ाई न करना। परमेश्वर कबीर जी ने एक चद्दर ऊपर ओढ़ ली। कुछ देर पश्चात् आकाश से आवाज आई कि चद्दर उठाकर देखो, मुर्दा नहीं है। देखा तो शरीर के स्थान पर सुगंधित ताजे फूलों का ढ़ेर शव के समान मिला। हिन्दू तथा मुसलमान कहाँ तो मारने-काटने पर तुले थे, कहाँ एक-दूसरे को गले लगाकर रो रहे थे। पंडित भी आश्चर्य चकित थे कि मग���र मरने वाला सशरीर स्वर्ग चला गया क्योंकि पंडितों को सतलोक का ज्ञान नहीं है। दोनों धर्मों ने एक-एक चद्दर तथा आधे-आधे फूल ले लिए। दोनों ने मगहर में यादगार बनाई जो पास-पास बनी है। बिजली खान पठान ने दोनों यादगारों के नाम 500.500 बीघा जमीन दे दी जो आज भी प्रमाण है। (एक बीघा पुराना = 2.75 बीघा नया। एक एकड़ पाँच नए बीघों का है।) वह समय कलयुग का प्रथम चरण था जिस समय परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए थे।
कलयुग का बिचली पीढ़ी का समय
परमेश्वर कबीर जी ने बताया था कि जिस समय कलयुग पाँच हजार पाँच सौ पाँच (5505) वर्ष बीत जाएगा, तब हम तेरहवां पंथ चलाएंगे। सन् 1997 में कलयुग 5505 वर्ष बीत चुका है। वह तेरहवां पंथ प्रारम्भ हो चुका है।
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16. दिल्ली समेत देश के उत्तरी-पश्चिमी इलाके में हल्के बादल छा रहे हैं। राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में बारिश हो रही है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बर्फबारी के साथ बारिश हुई है। मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने बताया कि दिल्ली में आज रात बारिश हो सकती है।
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21. साल 2021में सोने की कीमत में 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। सोने का भाव इस समय 48000 रुपये के आसपास चल रहा है जो कि 56200 रुपये प्रति 10 ग्राम के इसके ऑल टाइम हाई से करीब 8000 रुपये नीचे है।
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वरिष्ठ समाजसेवी कारगिल युद्ध विजेता पूर्व सूबेदार श्याम सुंदर सिंह पटेल को जन्मदिन पर बधाई व शुभकामनाएं देकर जन्मदिन मनाया वीर सेनानी पूर्व सैनिक कल्याण समिति प्रयागराज के संरक्षक, वरिष्ठ समाजसेवी व कारगिल युद्ध विजेता पूर्व सूबेदार श्यामसुंदर सिंह पटेल का जन्मदिन बड़ी सादगी के साथ सिविल लाइंस पत्रिका हाउस के पास स्थित प्रयागराज कार्यालय में पूर्व सैनिकों व समाज के तमाम लोगों ने अपनी अपनी बधाइयां व शुभकामनाएं देते हुए जन्मदिन मनाया इस अवसर पर पुष्प भेंट कर मिठाई खिलाकर उनका जन्मदिन मनाया गया समिति के उपाध्यक्ष श्री ईश्वर चंद तिवारी ने बताया की श्री पटेल जी का जन्म 12 सितंबर 1955 को कौशांबी जनपद के ग्राम व पोस्ट बैश काटी ,मंझनपुर के एक कृषक परिवार में हुआ था इनके पर बाबा पूर्वज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे जिनका संस्कार इनके पिता श्री राजन बाबू सिंह पूर्व प्रधानाचार्य व माता स्वर्गीय श्रीमती शांति देवी में आए वही से संस्कार पाकर देश सेवा समाज सेवा के भाव इनके अंदर आए व पढ़ लिखकर थल सेना में भर्ती हुए तथा कारगिल युद्ध विजेता होकर सेना से सेवानिवृत्त हुए तब से समाज सेवा जनकल्याण के कार्यों में अपना पूरा समय लगाते हैं इन्हें सेना में सेवा के दौरान 7 राष्ट्रपति पदक मिले समाज सेवा में कई संस्थाओं ने कई कई बार सम्मान पत्र से सम्मानित भी किया जिनका जन्मदिन मना कर हम सभी गौरवान्वित हो रहे हैं आप कई शैक्षिक ,सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी व सदस्य भी है बधाई देने वालों में महापौर श्रीमती अभिलाषा गुप्ता नंदी व मंत्री जी नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी, डॉक्टर नरेंद्र कुमार सिंह गौर, न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त कैप्टन डी पी एन सिंह ,न्याय मूर्ति श्री भगवान सिंह सेवानिवृत्त, आर एस उत्तम , आई सी तिवारी,जी यादव,सी एल सिंह ,सुनील धवन ,विजय विशाल, एस एन मिश्रा ,श्रीमती अनीता सचान रजनी वर्मा,मंजू सिंह,राजेश्वरी पटेल आदि कई पूर्व सैनिक शामिल रहे #rashidjamal #shahareaman https://www.instagram.com/p/CTuRu1GpBHY/?utm_medium=tumblr
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🚩विभाजन का यह इतिहास आपके कलेजों को फाड़ देगा 15 अगस्त 2021
🚩इस लेख में 1947 में जिन्ना के इशारों पर जो अत्याचार पाकिस्तान में बलूच रेजिमेंट ने हिन्दुओं पर किया उसका उल्लेख किया गया है। हर हिन्दू को यह इतिहास ज्ञात होना चाहिए।
🚩विभाजन पश्चात भारत सरकार ने एक तथ्यान्वेषी संगठन बनाया जिसका कार्य था पाकिस्तान छोड़ भारत आये लोगों से उनकी जुबानी अत्याचारों का लेखा जोखा बनाना। इसी लेखा जोखा के आधार पर गांधी हत्याकांड की सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के जज जी डी खोसला ��िखित, 1949 में प्रकाशित, पुस्तक 'स्टर्न रियलिटी' विभाजन के समय दंगों, कत्लेआम, हताहतों की संख्या और राजनैतिक घटनाओं को दस्तावेजी स्वरूप प्रदान करती है। हिंदी में इसका अनुवाद और समीक्षा 'देश विभाजन का खूनी इतिहास (1946-47 की क्रूरतम घटनाओं का संकलन)' नाम से सच्चिदानंद चतुर्वेदी ने किया है। नीचे दी हुई चंद घटनायें इसी पुस्तक से ली गई हैं जो ऊंट के मुंह में जीरा समान हैं।
🚩11 अगस्त 1947 को सिंध से लाहौर स्टेशन पह़ुंचने वाली हिंदुओं से भरी गाड़ियां खून का कुंड बन चुकी थीं। अगले दिन गैर मुसलमानों का रेलवे स्टेशन पहुंचना भी असंभव हो गया। उन्हें रास्ते में ही पकड़कर उनका कत्ल किया जाने लगा। इस नरहत्या में बलूच रेजिमेंट ने प्रमुख भूमिका निभाई। 14 और 15 अगस्त को रेलवे स्टेशन पर अंधाधुंध नरमेध का दृश्य था। एक गवाह के अनुसार स्टेशन पर गोलियों की लगातार वर्षा हो रही थी। मिलिट्री ने गैर मुसलमानों को स्वतंत्रता पूर्वक गोली मारी और लूटा।
🚩19 अगस्त तक लाहौर शहर के तीन लाख गैर मुसलमान घटकर मात्र दस हजार रह गये थे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति वैसी ही बुरी थी। पट्टोकी में 20 अगस्त को धावा बोला गया जिसमें ढाई सौ गैर मुसलमानों की हत्या कर दी गई। गैर मुसलमानों की दुकानों को लूटकर उसमें आग लगा दी गई। इस आक्रमण में बलूच मिलिट्री ने भाग लिया था।
🚩25 अगस्त की रात के दो बजे शेखपुरा शहर जल रहा था। मुख्य बाजार के हिंदू और सिख दुकानों को आग लगा दी गई थी। सेना और पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। आग बुझाने के लिये अपने घर से बाहर निकलने वालों को गोली मारी जाने लगी। उपायुक्त घटनास्थल पर बाद में पहुंचा। उसने तुरंत कर्फ्यू हटाने का निर्णय लिया और उसने और पुलिस ने यह निर्णय घोषित भी किया। लोग आग बुझाने के लिये दौड़े। पंजाब सीमा बल के बलूच सैनिक, जिन्हें सुरक्षा के लिए लगाया गया था, लोगों पर गोलियाँ बरसाने लगे। एक घटनास्थल पर ही मर गया, द��सरे हकीम लक्ष्मण सिंह को रात में ढाई बजे मुख्य गली में जहाँ आग जल रही थी, गोली लगी। अगले दिन सुबह सात बजे तक उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दिया गया। कुछ घंटों में उनकी मौत हो गई।
🚩गुरुनानक पुरा में 26 अगस्त को हिंदू और सिखों की सर्वाधिक व्यवस्थित वध की कार्यवाही हुई। मिलिट्री द्वारा अस्पताल में लाये जाने सभी घायलों ने बताया कि उन्हें बलूच सैनिकों द्वारा गोली मारी गयी या 25 या 26 अगस्त को उनकी उपस्थिति में मुस्लिम झुंड द्वारा छूरा या भाला मारा गया। घायलों ने यह भी बताया कि बलूच सैनिकों ने सुरक्षा के बहाने हिंदू और सिखों को चावल मिलों में इकट्ठा किया। इन लोगों को इन स्थानों में जमा करने के बाद बलूच सैनिकों ने पहले उन्हें अपने कीमती सामान देने को कहा और फिर निर्दयता से उनकी हत्या कर दी। घायलों की संख्या चार सौ भर्ती वाले और लगभग दो सौ चलंत रोगियों की हो गई। इसके अलावा औरतें और सयानी लड़कियाँ भी थीं जो सभी प्रकार से नंगी थीं। सर्वाधिक प्रतिष्ठित घरों की महिलाएं भी इस भयंकर दु:खद अनुभव से गुजरी थीं। एक अधिवक्ता की पत्नी जब अस्पताल में आई तब वस्तुतः उसके शरीर पर कुछ भी नहीं था। पुरुष और महिला हताहतों की संख्या बराबर थी। हताहतों में एक सौ घायल बच्चे थे।
🚩शेखपुरा में 26 अगस्त की सुबह सरदार आत्मा सिंह की मिल में करीब सात आठ हजार गैर मुस्लिम शरणार्थी शहर के विभिन्न भागों से भागकर जमा हुये थे । करीब आठ बजे मुस्लिम बलूच मिलिट्री ने मिल को घेर लिया। उनके फायर में मिल के अंदर की एक औरत की मौत हो गयी। उसके बाद कांग्रेस समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह मिलिट्री वालों के पास हरा झंडा लेकर गये और पूछा आप क्या चाहते हैं । मिलिट्री वालों ने दो हजार छ: सौ रुपये की मांग की जो उन्हें दे दिया गया। इसके बाद एक और फायर हुआ और एक आदमी की मौत हो गई। पुन: आनंद सिंह द्वारा अनुरोध करने पर बारह सौ रुपये की मांग हुई जो उन्हें दे दिया गया। फिर तलाशी लेने के बहाने सबको बाहर निकाला गया। सभी सात-आठ हजार शरणार्थी बाहर निकल आये। सबसे अपने कीमती सामान एक जगह रखने को कहा गया। थोड़ी ही देर में सात-आठ मन सोने का ढेर और करीब तीस-चालीस लाख जमा हो गये। मिलिट्री द्वारा ये सारी रकम उठा ली गई। फिर वो सुंदर लड़कियों की छंटाई करने लगे। विरोध करने पर आनंद सिंह को गोली मार दी गयी। तभी एक बलूच सैनिक द्वारा सभी के सामने एक लड़की को छेड़ने पर एक शरणार्थी ने सैनिक पर वार किया। इसके बाद सभी बलूच सैनिक शरणार्थियों पर गोलियाँ बरसाने लगे। अगली प्रांत के शरणार्थी उठकर अपनी ही लड़कियों की इज्जत बचाने के लिये उनकी हत्या करने लगे।
🚩1 अक्टूबर की सुबह सरगोधा स��� पैदल आने वाला गैर मुसलमानों का एक बड़ा काफिला लायलपुर पार कर रहा था। जब इसका कुछ भाग रेलवे फाटक पार कर रहा था अचानक फाटक बंद कर दिया गया। हथियारबंद मुसलमानों का एक झुंड पीछे रह गये काफिले पर टूट पड़ा और बेरहमी से उनका कत्ल करने लगा। रक्षक दल के बलूच सैनिकों ने भी उनपर फायरिंग शुरु कर दी। बैलगाड़ियों पर रखा उनका सारा धन लूट लिया गया। चूंकि आक्रमण दिन में हुआ था, जमीन लाशों से पट गई। उसी रात खालसा कालेज के शरणार्थी शिविर पर हमला किया गया। शिविर की रक्षा में लगी सेना ने खुलकर लूट और हत्या में भाग लिया। गैर मुसलमान भारी संख्या में मारे गये और अनेक युवा लड़कियों को उठा लिया गया।
🚩अगली रात इसी प्रकार आर्य स्कूल शरणार्थी शिविर पर हमला हुआ। इस शिविर के प्रभार वाले बलूच सैनिक अनेक दिनों से शरणार्थियों को अपमानित और उत्पीड़ित कर रहे थे। नगदी और अन्य कीमती सामानों के लिये वो बार बार तलाशी लेते थे। रात में महिलाओं को उठा ले जाते और बलात्कार करते थे। 2 अक्टूबर की रात को विध्वंश अपने असली रूप में प्रकट हुआ। शिविर पर चारों ओर से बार-बार हमले हुये। सेना ने शरणार्थियों पर गोलियाँ बरसाईं। शिविर की सारी संपत्ति लूट ली गई। मारे गये लोगों की सही संख्या का आंकलन संभव नहीं था क्योंकि ट्रकों में बड़ी संख्या में लादकर शवों को रात में चिनाब में फेंक दिया गया था।
🚩करोर में गैर मुसलमानों का भयानक नरसंहार हुआ। 7 सितंबर को जिला के डेढ़ेलाल गांव पर मुसलमानों के एक बड़े झुंड ने आक्रमण किया। गैर मुसलमानों ने गांव के लंबरदार के घर शरण ले ली। प्रशासन ने मदद के लिये दस बलूच सैनिक भेजे। सैनिकों ने सबको बाहर निकलने के लिये कहा। वो औरतों को पुरूषों से अलग रखना चाहते थे। परंतु दो सौ रूपये घूस लेने के बाद औरतों को पुरूषों के साथ रहने की अनुमति दे दी। रात मे सैनिकों ने औरतों से बलात्कार किया। 9 सितंबर को सबसे इस्लाम स्वीकार करने को कहा गया। लोगों ने एक घर में शरण ले ली । बलूच सैनिकों की मदद से मुसलमानों ने घर की छत में छेद कर अंदर किरोसिन डाल आग लगा दी। पैंसठ लोग जिंदा जल गये।
🚩यह लेख हमने संक्षिप्त रूप में दिया है। विभाजन से सम्बंधित अनेक पुस्तकें हमें उस काल में हिन्दुओं पर जो अत्याचार हुए, उससे अवगत करवाती हैं, हर हिन्दू को इन पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि "जो जाति अपने इतिहास से कुछ सबक नहीं लेती उसका भविष्य निश्चित रूप से अंधकारमय होता है।" -डॉ. विवेक आर्य
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👉शाम देश राज्यों से बड़ी खबरें👈👇 कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने खोला खजाना, राज्यों को जारी की गई 8873 करोड़ की पहली किस्त
*👉शाम देश राज्यों से बड़ी खबरें👈*
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1* कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने खोला खजाना, राज्यों को जारी की गई 8873 करोड़ की पहली किस्त,
*2* थमने का नाम भी नहीं ले रहा है कोरोना, पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 4,01,993 नए मरीज, 3,523 लोगों ने इस बिमारी से जान गंवाई,राहत की खबर करीब तीन लाख लोगों ने कोरोना को मात दी,
*3* कोरोना: 'कुछ हफ्तों के लिए बंद करो देश, तब सुधरेंगे हालात' अमेरिकी डॉक्टर ने भारत को दी सलाह
*4* दिल्ली सरकार से हाई कोर्ट ने कहा- आर्मी से क्यों नहीं मांगते मदद, बेड बढ़ाने जा रहे हैं ऐसा कहने से काम नहीं चलेगा
*5* दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर आज सुबह गुरुद्वारा सीस गंज साहिब में पूजा की।
*6* कोरोना संकट के समय भारतीय सेना देशवासियों की मदद के लिए आगे आई, कहा- हर हाल में जीतना है यह यु्द्ध
*7* कोविड-19 से निपटने पर राष्ट्रीय नीति पर राजनीतिक सर्वसम्मति बनाई जाए: सोनिया गांधी ने केंद्र से कहा
*8* गुजरात में बड़ा हादसा! भरूच में कोविड अस्पताल में लगी भीषण आग, 18 मरीजों की मौत
*9* दुखद: मशहूर सितार वादक पद्मभूषण देबू चौधरी का कोरोना संक्रमण के चलते निधन, दिल्ली में चल रहा था इलाज
*10* टीवी और बॉलीवुड एक्टर बिक्रमजीत कंवरपाल का कोरोना से निधन हो गया है. वह 52 साल के थे. बिक्रमजीत कंवरपाल एक एक्टर बनने से पहले आर्मी के अफसर रह चुके थे
*11* गुजरात में बड़ा हादसा! भरूच में कोविड अस्पताल में लगी भीषण आग, 18 मरीजों की मौत
*12* लालू यादव के बेहद करीबी बिहार के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का निधन, कोरोना संक्रमित थे
*13* राजस्थान: गहलोत ने लोगों से शादियां टालने की अपील की, महामारी पर विजय पाने के लिए कोविड संक्रमण की कड़ी को तोड़ना जरूरी है जो शादी में आने वाली भीड़ से संभव नहीं हो पाएगा।
*14* कल ही आएंगे UP पंचायत चुनाव के रिजल्ट, काउंटिंग पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
*15* सख्ती: ऑस्ट्रेलिया ने भारत से आने वालों पर लगाई पाबंदी, कहा- नियमों का उल्लंघन किया तो भेजेंगे जेल
*16* रिलायंस इंडस्ट्री की बड़ी पहल : रोज 1000 मीट्रिक टन ऑ���्सीजन का उत्पादन, बचेगी 1 लाख लोगों की जान
*17* इकॉनमी पर कोरोना की दूसरी लहर का असर नहीं? अप्रैल में रिकॉर्ड 1.41 लाख Cr. का GST कलेक्शन
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भारतीय सेना ने पाकिस्तानी गोलीबारी का शिकार हुए आम नागरिकों की मदद
भारतीय सेना ने पाकिस्तानी गोलीबारी का शिकार हुए आम नागरिकों की मदद
<p style="text-align: justify;">सरहद पर पाकिस्तानी गोलीबारी का शिकार होने वाले आम नागरिक और हादसों में अपने अंग गंवा चुके लोगों की सहायता के लिए भारतीय सेना एक बार फिर से मददगार बन कर आई है. भारतीय सेना ने भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस), जयपुर के साथ मिलर फारकिया गली, कुपवाड़ा में एक कृत्रिम अंग फिटमेंट शिविर का आयोजन किया.</p> <p style="text-align: justify;">7 से 9 जुलाई 21 के…
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4 दिनों में अदाणी को 92 हजार करोड़ का फटका
मुंबई – अदाणी ग्रुप के मालिक गौतम अदाणी को जबरदस्त झटका लगा है। पिछले 4 दिनों में उनकी कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त बिकवाली हुई है। इससे ��ौतम अदाणी के हिस्से का मार्केट कैप 92 हजार करोड़ रुपए घट गया है। यह 4.48 लाख करोड़ रुपए रह गया है।
आंकड़े बताते हैं कि इन 4 दिनों में अदाणी की संपत्तियों में करीबन 17% की कमी आई है। सबसे ज्यादा योगदान इसमें अदाणी पोर्ट एंड SEZ का रहा है। यह शेयर 52 हफ्ते के लेवल से करीबन 20% टूटा है। अदाणी की लिस्टेड कंपनियों में अदाणी पोर्ट एवं एसईजेड, अदाणी टोटल गैस, अदाणी ट्रांसमिशन, अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी पावर और अदाणी इंटरप्राइजेज हैं।
मंगलवार को अदाणी की लिस्टेड 6 कंपनियों के शेयरों में गौतम अदाणी के हिस्से का मार्केट कैप 4.48 लाख करोड़ रुपए रहा है। 7 अप्रैल को यह 5.40 लाख करोड़ रुपए था। आंकड़ों के मुताबिक,7 अप्रैल को उनकी सभी कंपनियों का शेयर करीबन 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर पहुंच गए थे। इससे इनके मार्केट कैपिटलाइजेशन में तेजी आई थी। इनकी कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया था।
इस साल की शुरुआत से ही अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बेतहाशा बढ़े हैं। एक साल की बात करें तो अदाणी टोटल गैस और अदाणी ट्रांसमिशन के शेयरों ने तो 15 गुना और 10 गुना का फायदा निवेशकों को दिया है। इसी तरह इसकी अन्य कंपनियों के भी शेयरों ने ऐसा ही फायदा दिया है। पिछले ही हफ्ते ब्लूमबर्ग की बिलिनेयर इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अदाणी व्यक्तिगत रूप से विश्व में सबसे ज्यादा संपत्ति जोड़ने में नंबर वन पर थे। वे इस इंडेक्स में टॉप 10 अरबपतियों की लिस्ट में आ गए थे। पिछले 4 सालों में अदाणी का मार्केट कैप 496.31% बढ़ा है। कमाई के मामले में गौतम अदाणी बीते साल अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क को पछाड़ चुके हैं। 2020 में गौतम अदाणी की नेटवर्थ में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। 2020 में उनकी नेटवर्थ 16.2 बिलियन डॉलर के बढ़कर 59.9 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई है। फोर्ब्स की 2020 की लिस्ट में गौतम अदाणी 8.9 बिलियन डॉलर की नेटवर्थ के साथ 155वें स्थान पर थे।
मंगलवार को ही अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) को S&P डाउजोंस ने बड़ा झटका दिया है। S&P ने APSEZ को अपने सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स से बाहर कर दिया है। S&P डाउ जोंस ने कहा है कि अदाणी पोर्ट्स के म्यांमार की सेना के साथ कारोबारी संबंध होने के कारण यह फैसला लिया गया है।
इससे पहले पिछले हफ्ते भी अदाणी के विरोध में एक फैसला आने की आशंका जताई गई थी। देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) अदाणी ग्रुप की कोयला खदान को लोन देने से अपने पैर पीछे खींच सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लैकरॉक सहित काफी सारे क्लाइेंट एक्टिविट्स और निवेशक दबा�� बना रहे हैं अदाणी के कोयला खदान को लोन न मिले।
Source Link - https://www.arthlabh.com/2021/04/14/gautam-adani-group-market-cap-loss-rs-92-thousand-crore-as-sensex-slips-below-1700-points/
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प्रधानमंत्री जी ने 11 अप्रेल को ज्योतिबा फुले जयंती से 14 अप्रेल को आंबेडकर जयंती तक 'टीका उत्सव' मनाने का आह्वान किया है लेकिन राज्यों में वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में टीका उत्सव कैसे मनाया जा सकता है?
केन्द्रीय मंत्री श्री अमित शाह एवं श्री रविशंकर प्रसाद द्वारा दिया गया राज्यों में वैक्सीन की कमी ना होने का बयान भी तथ्यात्मक रूप से पूर्णत: गलत है। ��ाजस्थान कोरोना प्रबंधन एवं वैक्सीनेशन में शुरुआत से अग्रणी रहा है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का वैक्सीनेशन करने में राजस्थान सभी राज्यों में सबसे आगे है।
6 अप्रेल तक केंद्र सरकार से राजस्थान को 1,07,40,860 कोविड वैक्सीन डोजेज प्राप्त हुईं। इनमें से 2,15,180 वैक्सीन सेना को उपलब्ध करवाई गईं हैं। 8 अप्रेल तक 91,55,370 डोजेज लगा दी गईं हैं। करीब 4,34,888 डोजेज खराब हुईं जो केन्द्र सरकार द्वारा अनुमत सीमा 10% के आधे से भी कम है। 9 अप्रेल की सुबह प्रदेश में करीब 9.70 लाख वैक्सीन डोजेज शेष थीं।
प्रदेश में 8 अप्रेल 4.65 लाख, 7 अप्रेल को 5.81 लाख, 6 अप्रेल को 4.8 लाख एवं 5 अप्रेल को 5.4 लाख वैक्सीन डोजेज लगाई गईं। 9 अप्रेल की सुबह प्रदेश में करीब 9.70 लाख वैक्सीन डोजेज शेष थीं। प्रतिदिन करीब 5.18 लाख वैक्सीन औसतन राजस्थान में लगाई जा रही हैं। आज का वैक्सीनेशन का कार्य पूरा होने के बाद प्रदेश में करीब 5 लाख वैक्सीन डोजेज ही बची हैं जो आगे वैक्सीनेशन के लिए अपर्याप्त हैं।
केन्द्र सरकार ने वैक्सीन की 3.83 लाख डोजेज की अगली खेप 12 अप्रेल को आना प्रस्तावित है। इस कारण राजस्थान में कल कई जिलों में वैक्सीनेशन का कार्य बंद करना पड़ेगा। 3.83 लाख डोजेज से भी एक दिन से अधिक वैक्सीनेशन नहीं किया जा सकेगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 8 अप्रेल को आंध्र प्रदेश में 1.2 दिन, बिहार में 1.6 दिन, उत्तर प्रदेश में 2.5 दिन, उत्तराखंड में 2.9 दिन, उडीसा में 3.2 दिन, मध्य प्रदेश में 3.5 दिन और महाराष्ट्र में 3.8 दिन की डोजेज ही शेष थी।
कई राज्यों से आज वैक्सीनेशन क��न्द्रों पर वैक्सीन उपलब्ध ना होने की तस्वीरें भी सामने आई हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार को स्पष्ट तौर पर वैक्सीन की कमी होने की बात सार्वजनिक तौर पर कहनी चाहिए। वैक्सीनेशन के कार्य में कोई राजनीति नहीं की जा रही है लेकिन तथ्यों से स्पष्ट है कि अनेक राज्यों में वैक्सीन की कमी है। केन्द्र सरकार को सार्वजनिक तौर पर वैक्सीन डोजेज की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
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वैक्सीनेशन में कोई राजनीति नहीं लेकिन तथ्यों से स्पष्ट कि अनेक राज्यों में वैक्सीन की कमी है: अशोक गहलोत Divya Sandesh
#Divyasandesh
वैक्सीनेशन में कोई राजनीति नहीं लेकिन तथ्यों से स्पष्ट कि अनेक राज्यों में वैक्सीन की कमी है: अशोक गहलोत
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोविड वैक्सीन की कमी का मुद्दा उठाया है। गहलोत ने एक बयान जारी करके कहा कि प्रधानमंत्री ने 11 अप्रेल को ज्योतिबा फुले जयंती से 14 अप्रेल को आंबेडकर जयंती तक ‘टीका उत्सव’ मनाने का आह्वान किया है लेकिन राज्यों में वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में टीका उत्सव कैसे मनाया जा सकता है?
गहलोत ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के जरिए दिया गया राज्यों में वैक्सीन की कमी ना होने का बयान तथ्यात्मक रूप से पूर्णत: गलत है। राजस्थान कोरोना प्रबंधन एवं वैक्सीनेशन में शुरुआत से अग्रणी रहा है।
60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का वैक्सीनेशन करने में राजस्थान सभी राज्यों में सबसे आगे है। 6 अप्रेल तक केंद्र सरकार से राजस्थान को 1,07,40,860 कोविड वैक्सीन डोजेज प्राप्त हुईं। इनमें से 2,15,180 वैक्सीन सेना को उपलब्ध करवाई गईं हैं। 8 अप्रेल तक 91,55,370 डोजेज लगा दी गईं हैं। करीब 4,34,888 डोजेज खराब हुईं जो केन्द्र सरकार द्वारा अनुमत सीमा 10% के आधे से भी कम है।
यह खबर भी पढ़ें: यहां फसल को बंदरों से बचाने के लिए पालतू कुत्तों के साथ किया जा रहा हैं ये काम
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में 8 अप्रेल 4.65 लाख, 7 अप्रेल को 5.81 लाख, 6 अप्रेल को 4.8 लाख एवं 5 अप्रेल को 5.4 लाख वैक्सीन डोजेज लगाई गईं। 9 अप्रेल की सुबह प्रदेश में करीब 9.70 लाख वैक्सीन डोजेज शेष थीं। प्रतिदिन करीब 5.18 लाख वैक्सीन औसतन राजस्थान में लगाई जा रही हैं।
आज का वैक्सीनेशन का कार्य पूरा होने के बाद प्रदेश में करीब 5 लाख वैक्सीन डोजेज ही बची हैं जो आगे वैक्सीनेशन के लिए अपर्याप्त हैं। केन्द्र सरकार ने वैक्सीन की 3.83 लाख डोजेज की अगली खेप 12 अप्रेल को आना प्रस्तावित है। इस कारण राजस्थान में कल कई जिलों में वैक्सीनेशन का कार्य बंद करना पड़ेगा। 3.83 लाख डोजेज से भी एक दिन से अधिक वैक्सीनेशन नहीं किया जा सकेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 8 अप्रेल को आंध्र प्रदेश में 1.2 दिन, बिहार में 1.6 दिन, उत्तर प्रदेश में 2.5 दिन, उत्तराखंड में 2.9 दिन, उडीसा में 3.2 दिन, मध्य प्रदेश में 3.5 दिन और महाराष्ट्र में 3.8 दिन की डोजेज ही शेष थी।
कई राज्यों से आज वैक्सीनेशन केन्द्रों पर वैक्सीन उपलब्ध ना होने की तस्वीरें भी सामने आई हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार को स्पष्ट तौर पर वैक्सीन की कमी होने की बात सार्वजनिक तौर पर कहनी चाहिए। वैक्सीनेशन के कार्य में कोई राजनीति नहीं की जा रही है लेकिन तथ्यों से स्पष्ट है कि अनेक राज्यों में वैक्सीन की कमी है। केंद्र सरकार को सार्वजनिक तौर पर वैक्सीन डोजेज की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
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