#सिंदूर क्यों लगाया जाता है
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Wedding Rituals : शादी में क्यों लगाया जाता है अंगूठी से सिंदूर, जानिए धार्मिक मान्यताWedding Rituals : भारतीय शादियाँ अपने आप में खास होती हैं और सबसे ज़्यादा रस्में हिंदू परिवारों की होती हैं। इस शादी में एक चीज़ जो आपने रस्म के तौर पर देखी होगी वो है महिला के मांग में सिंदूर। इसे सुहाग की निशानी माना जाता है
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Tilak - Post Number 01
अपनी भारतीय संस्कृति/सभ्यता सबसे पुरानी और एक जीवन्त सभ्यताओं में से एक है। हजारों/लाखों वर्षों के विकास शोध और अनुसन्धान के पश्चात हमारी सनातन संस्कृति प्रखर हुई है। इसका हर एक पहलू (जैसे तिलक, चोटी, जनेऊ, माला आदि) हजारों/लाखों वर्षों की खोज, तपस्या के बाद हमारे सनातन संस्कृति का हिस्सा हुआ है। इसके पीछे बहुत ही सूक्ष्म वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक रहस्य छिपा हुआ है जो मानव जीवन के विकास और प्रगति में विशेष और महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है।
आज की पीढ़ी अपनी इस सनातन संस्कृति से दूर होती जा रही है, इसका मुख्य कारण इसमें छिपे हुए सूक्ष्म वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक रहस्य की जानकारी उन्हें न होना है। वे पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव में आकर, अपनी इस सुव्यवस्थित तथा विकसित परम्परा को रूढ़ी, देहाती, गँवार परम्परा के नाम से तिरस्कृत कर रहे हैं। मेरा तथा मेरे संगठन का उद्देश्य हमारी इस सुविकसित परम्परा में छिपे हुए सूक्ष्म वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक रहस्यों को खोज कर, वर्तमान तथा आने वाले पीढ़ियों के समक्ष प्रस्तुत करना है, ताकि हम सब इसे गर्व के साथ धारण तथा अपना सकें। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए हम सर्वप्रथम तिलक के विषय में कुछ लेख प्रस्तुत करने जा रहे है:
तिलक
ललाट शून्यं, श्मशान तुल्यं
आमतौर पर चंदन, कुमकुम, रोली, सिंदूर, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाने का विधान है। ललाट पर, मस्तिष्क के भ्रु-मध्य में जिस स्थान पर टीका या तिलक लगाया जाता है यह गुरु स्थान है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है। यही हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इसी कारण शरीर में यह स्थान सबसे अधिक पूजनीय है। बहुत से विधर्मी तिलक लगाने पर हंसते हैं, उन्हें सही उत्तर देने के लिए हमें तिलक लगाने के पीछे के सूक्ष्म वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक रहस्य को जानना आवश्यक है।
तिलक हमें क्यों धारण करना चाहिए?
१) आप इस बात पर थोड़ा विचार कीजिये कि आपने जितने भी हमारे देवी देवताओं या ऋषियों मुनियों सन्तों के चित्र देखे होंगे, सभी के सभी तिलक धारण किये हैं। इसका अर्थ ही है कि कुछ न कुछ इस तिलक में विशेष बात तो अवश्य है। तिलक हमारे सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण धर्म चिन्ह है जिसे हम सभी हिन्दुओं को गर्व के साथ धारण करना चाहिए।
२) नाड़ी विज्ञान के अनुसार हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं, जिन्हें कुण्डलिनी चक्र (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा , सहस्रार) कहते हैं। मस्तक पर भौंहों के बीच में जहाँ तिलक लगाते हैं, वहीं हमारा आज्ञा चक्र स्थित होता है। यह चक्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहाँ शरीर की प्रमुख तीन नाड़ियाँ, इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती हैं। ये तीनों नाड़ियाँ इतनी महत्वपूर्ण हैं कि इनके मिलन स्थल की तुलना त्रिवेणी संगम से की जाती है। जब हम तिलक लगाकर रखते हैं तो आज्ञा चक्र सक्रिय रहता है। आप स्वयं अनुभव करें कि जब आप तिलक लगाए रखते हैं तब अनुभूति होती है कि तिलक के स्थान पर कुछ दबाव है। जब तिलक नहीं लगाते तब ऐसा अनुभव नहीं होता।
३) हमारे मस्तिष्क में एक ग्रंथि होती है जिसका नाम है 'पिनियल ग्लैंड'। यह मस्तिष्क के दोनों हिस्सों के बिल्कुल बीच में ही होती है। ��स ग्रंथि से ही सेरोटोनिन से उत्पन्न मेलाटोनिन हार्मोन उत्पन्न होता है। यही हार्मोन हमारे सोने-जागने और सक्रियता क्रियाशीलता को प्रभावित करता है। यही ग्रंथि हमारे दैनिक और आध्यात्मिक जीवन को जोड़ने का काम करती है। जब यह सक्रिय होती है तब ही मनुष्यों को अत्यंतिक आनन्द की अनुभूति होती है। तब ऐसा अनुभव होता है कि मनुष्य को सर्व का ज्ञान हो गया। मस्तिष्क स्फूर्तिवान हो जाता है। तिलक लगा कर, योग तथा ध्यान करने से इस ग्रंथि को सक्रिय किया जाता है।
४) वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंदन का तिलक (Chandan Tilak) लगाने से मस्तिष्क में शांति, सक्रियता तथा शीतलता बनी रहती है। कुमकुम का तिलक लगाने से मस्तिष्क में सेराटोनिन (Serotonin) व बीटाएंडोरफिन (beta-Endorphin) नामक रसायनों का संतुलन होता है। कुमकुम का तिलक आज्ञा चक्र की शुद्धि करते हुए उसे कैल्शियम देते हुए ज्ञान चक्र को प्रज्वलित करता है। केसर ओज को बढ़ाता है। जिस परिस्थिति में तुरन्त निर्णय करने की आवश्यकता हो, वहाँ केसर का तिलक लगाकर जाना चाहिए। भस्म का तिलक वैराग्य की और अग्रसर करते हुए मस्तिष्क के रोम कूपों के विषाणुओं को भी नष्ट करता है।
५) हिन्दू परम्���रा में मस्तक पर तिलक लगाना शुभ माना जाता है, इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। तिलक लगाने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह मन को शांत और शुद्ध रखकर चिंता और तनाव कम करने में सहायता करता है। विशेष तौर पर कुमकुम में पारा होता है, जो माथे पर दबाने पर उस क्षेत्र के तंत्रिका जोड़ पर एक्यूप्रेशर का काम करता है और पूरे तंत्रिका तंत्र को ठंडा करता है। यह अनिद्रा को दूर करता है। यही कारण है कि हमारे पास शिरोधारा जैसी आयुर्वेदिक चिकित्साएँ हैं जो माथे पर तेल टपकाने पर केंद्रित हैं। तिलक लगाने से हमारी मेधाशक्ति भी बढ़ती है। अगले लेख में मैं तिलक के विधान, प्रकार तथा उनसे संबंधित लाभ को आपके सामने प्रस्तुत करूँगा।
हर हर महादेव राघवेन्द्र
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सिंदूर लाल व पीले रंग का सौन्दर्य प्रसाधन जिसे भारत में हिन्दू, बौद्ध, जैन व विभिन्नि और समुदाय की महिलायें अपनी मांग में लगाती हैं | बहुत सी औरतें इसको मांग के अलावा, सिंदूर की बिन्दी भी माथे पर लगाती हैं| क्या आपको पता है कि मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है, आइये जानते है मांग में सिंदूर लगाये जाने का कारण, सिंदूर लगाये जाने के फायदे व सिंदूर लगाये जाने का वैज्ञानिक कारण|
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हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं अपने मांग में क्यों लगाती है सिंदूर, जानिए कारण
हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं अपने मांग में क्यों लगाती है सिंदूर, जानिए कारण
रोचक बातें : हिंदू धर्म में माने जाने वाले हर परंपरा के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक कारण जरूर होता है। हालांकि ज्यादातर लोग इन परंपराओं को लोगों का अंधविश्वास मानते हैं। हिंदू समाज में सभी विवाहित महिलाओं को अपने माथे पर सिंदूर लगाने की प्रथा हजारों साल से चली आ रही है। जिसे लोग महिला के विवाहित होने की एक निशानी के रूप में देखते हैं। क्योंकि महिलाएं शादी के बाद ही सिंदूर लगाती हैं।
नई सरकारी…
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Sakat Chauth: आज हैं तिलकुटा चौथ, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
डेस्क। आज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जायेगा। माघ मास की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) कहा जाता है। इस दिन महिलायें व्रत रखती हैं। इस दिन माताएं अपने पुत्र की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। आज संकष्टी चतुर्थी (रविवार, 31 जनवरी) होगी। भिन्न-भिन्न स्थानों पर इस दिन को ‘संकष्टी चतुर्थी’, ‘सकट चौथ’, ‘तिलकुट चौथ’, ‘माही चौथ’ अथवा ‘वक्रतुण्डी चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि जो माताएं सकट चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी श्रद्धा से गणेश भगवान की पूजा करती हैं, उनकी संतान सदा निरोग रहती है। ये व्रत करने वालों पर गणपति भगवान की विशेष कृपा होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
व्रत एवं पूजा विधि-
माघ मास की कृष्णपक्ष की चतुर्थी के दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान करने के पश्चात स्वच्छ अथवा नये वस्त्र पहनकर घर के मंदिर में भगवान श्रीगणेश की पूजा करें।
इसके बाद पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हुए सूर्यास्त के बाद एक बार पुनः गणेश जी की प्रतिमा के पास मिट्टी का कलश स्थापित करें। इसमें स्वच्छ जल भरकर कलश में तिल, सिक्का, अक्षत और दो सुपारी रखकर कलश की दीप से ढक दें।
इस पर चावल रखें और चावल के ऊपर छोटा दीपक रखकर उसमें घी का दीप प्रज्जवलित करें। भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा पर महिलाएं सिंदूर लगाते हुए श्रीगणेश जी की स्तुति गान करें।
अब गणेश जी को मोदक अथवा लड्डू, तिल गुड़ का लड्डू, शकरकंद, अमरूद और गुड़ ��र्पित करें। अमूमन जिस घर में पुत्र का जन्म होता है, उस घर में तिल-गुड़ का पहाड़ बनाकर चढ़ाने की परंपरा है।
गणेश जी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात तिल से बने पहाड़ को चाकू से काटा जाता है। बाद में इसे ही प्रसाद के तौर पर पास-पड़ोस में बांटा जाता है।
कहते हैं कि इस दिन भगवान गणेश जी की कम से कम 12 नामों का भी ध्यान करना चाहिए। ये हैं भगवान गणेश के 12 नाम
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।
सकट चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी प्रारम्भः 31 जनवरी को रात 08.24 बजे से चतुर्थी समाप्त 1 फरवरी को शाम 06.24 बजे तक चंद्रोदय का समय- रात 08.41 बजे
चंद्रमा को दें ऐसे अर्घ्य-
शाम के समय भगवान श्रीगणेश जी की पूजा के पश्चात चंद्रोदय की प्रतीक्षा करते हैं। ज्यों ही चंद्रमा दिखता है, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य देने के लिए पीतल या तांबे के कलश में शहद, रोली, चंदन और रोली और दूध भरकर उससे ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. इसके पश्चात पारन करना चाहिए। कुछ स्थानों पर महिलाएं व्रत का पारन शकरकंद खाकर करती हैं।
व्रत कथा-
एक नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका. परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला, महाराज न जाने क्यों मेरा आंवां पक नहीं रहा है। राजा ने राजपंडित को बुलाकर इसका कारण पूछा, तो राजपंडित ने कहा, -हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से ही आंवां पक सकेगा। राजा के आदेश से बलि की व्यवस्था की गयी। हर बार बलि के लिए जिस परिवार का नंबर आता है, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेजेगा। इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आती है।
वृद्धा का एक ही बेटा था, जो उसके भरण-पोषण का आसरा था, लेकिन राजा की आज्ञा मानना उसकी भी मजबूरी थी। दुखी वृद्धा सोचने लगी, कि उसका एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन उससे हमेशा के लिए दूर चला जायेगा। तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, -भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। सकट माता तेरी रक्षा करेंगी। सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और वृद्धा सकट माता के सामने बैठकर पूजा-प्रार्थना करने लगी।
पहले तो आंवां पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया। प्रातःकाल ��ठने पर कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया कि आंवां पक गया था और वृद्धा का बेटा सुरक्षित था। सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे, यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली। तभी से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है।
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Shani Jayanti 2020: जानिए शनि जयंती पर कैसे करें पूजा
शनि जयंती 22 मई को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, शनि जयंती प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है। शनि जयंती हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है। विशेषकर शनि की साढ़े साती, शनि की ढ़ैय्या आदि शनि दोष से पीड़ित जातकों के लिये इस दिन का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। शनि राशिचक्र की दसवीं व ग्यारहवी राशि मकर और कुंभ के अधिपति हैं। एक राशि में शनि लगभग 18 महीने तक रहते हैं। शनि का महादशा का काल भी 19 साल का होता है।धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से शनि का महत्वपूर्ण स्थान है। आस्था के दृष्टि से देखें तो शनि को देवता की संज्ञा दी गई है और ज्योतिष में इसे एक क्रूर ग्रह माना गया है।
शनिदेव को भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया की संतान माना जाता है। वैसे तो 9 ग्रहों के परिवार में इन्हें सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है। लेकिन असल में शनि न्याय और कर्मों के देवता हैं। यदि आप किसी के साथ धोखाधड़ी नहीं करते और किसी पर कोई जुल्म या अत्याचार नहीं करते यानी किसी भी बुरे काम में नहीं हैं तो आपको शनि से घबराने की आवश्यकता नहीं है। शनिदेव भले मानुषों का कभी बुरा नहीं करते।शनि जिन्हें कर्मफलदाता माना जाता है। दंडाधिकारी कहा जाता है, न्यायप्रिय माना जाता है। जो अपनी दृष्टि से राजा को भी रंक बना सकते हैं। हिंदू धर्म में शनि देवता भी हैं और नवग्रहों में प्रमुख ग्रह भी जिन्हें ज्योतिषशास्त्र में बहुत अधिक महत्व मिला है। शनिदेव को सूर्य का पुत्र माना जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या को ही सूर्यदेव एवं छाया (संवर्णा) की संतान के रूप में शनि का जन्म हुआ। आइए जानते हैं शनि जयंती का मुहूर्त और इसके जन्म से जुड़ी महत्वपूर्ण कथा।
शनि जयंती 2020 मुहूर्त-
अमावस्या तिथि आरंभ – 21:35 बजे (21 मई 2020) अमावस्या तिथि समाप्त – 23:07 बजे (22 मई 2020)
शनि ग्रह के जन्म से जुड़ी कथा-
शनि और सूर्य देव के बीच कट्टर शत्रुता है। जबकि इन दोनों के बीच पिता-पुत्र का संबंध है। सूर्य देव शनि के पिता हैं। सवाल ये है कि पिता-पुत्र का संबंध होने के बावजूद इन दोनों के बीच इतनी गहरी दुश्मनी क्यों है। इसका जवाब हमें पौराणिक कथाओं में मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है-कहते हैं सूर्य देव का विवाह संज्ञा के साथ हुआ था। लेकिन सूर्यदेव का तेज इतना था कि संज्ञा उनके इस तेज को सहन नहीं कर पाती थीं।
समय बीतता गया और धीरे-धीरे संज्ञा सूर्य देव के विशाल तेज को सहन करती गईं। दोनों की वैवस्त मनु, यम और यमी नामक संतानें भी हुईं। लेकिन अब संज्ञा के लिए सूर्य देव का तेज सहना मुश्किल होने लगा। ऐसे में उन्हें एक उपाय सूझा। उपाय था कि संज्ञा अपनी परछाई छाया को सूर्यदेव के पास छोड़ कर चली जाए। संज्ञा ने ऐसा ही किया। इस दौरान सूर्यदेव को भी छाया पर जरा भी संदेह नहीं हुआ। दोनों खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगे। दोनों से सावर्ण्य मनु, तपती, भद्रा एवं शनि का जन्म हुआ।
उधर जब शनि छाया के गर्भ में थे तो छाया तपस्यारत रहती थीं और व्रत उपवास भी खूब किया करती थीं। कहते हैं कि उनके अत्यधिक व्रत उपवास करने से शनिदेव का रंग काला हो गया। जब शनि का जन्म हुआ तो सूर्य देव अपनी इस संतान को देखकर हैरान हो गए। उन्होंने शनि के काले रंग को देखकर उसे अपनाने से इंकार कर दिया और छाया पर आरोप लगाया कि यह उनका पुत्र नहीं हो सकता, लाख समझाने पर भी सूर्यदेव नहीं माने। स्वयं और अपनी माता के अपमान के कारण शनि देव सूर्य देव से शत्रु का भाव रखने लगे। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब किसी व्यक्ति कीकुंडली में शनि और सूर्य एक ही भाव में बैठे हों तो ��स व्यक्ति के अपने पिता या अपने पुत्र से कटु संबंध रहेंगे। शनि देव भगवान शिव के भक्त हैं। उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है।
शनि पूजा की विधि-
शनिदेव की पूजा करने के लिये कुछ अलग नहीं करना होता। इनकी पूजा भी अन्य देवी-देवताओं की तरह ही होती है। शनि जयंती के दिन उपवास भी रखा जाता है। व्रती को प्रात:काल उठने के पश्चात नित्यकर्म से निबटने के पश्चात स्नानादि से स्वच्छ होना चाहिये। इसके पश्चात लकड़ी के एक पाट पर साफ-सुथरे काले रंग के कपड़े को बिछाना चाहिये। कपड़ा नया हो तो बहुत अच्छा अन्यथा साफ अवश्य होना चाहिये। फिर इस पर शनिदेव की प्रतिमा स्थापित करें। यदि प्रतिमा या तस्वीर न भी हो तो एक सुपारी के दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाये। इसके पश्चात धूप जलाएं। फिर इस स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवायें। सिंदूर, कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल आदि के साथ-साथ नीले या काले फूल शनिदेव को अर्पित करें। इमरती व तेल से बने पदार्थ अर्पित करें। श्री फल के साथ-साथ अन्य फल भी अर्पित कर सकते हैं। पंचोपचार व पूजन की इस प्रक्रिया के बाद शनि मंत्र की एक माला का जाप करें। माला जाप के बाद शनि चालीसा का पाठ करें। फिर शनिदेव की आरती उतार कर पूजा संपन्न करें।
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Do You Know Why Tilak Is Applied On The Forehead In Hindu Religion
क्या आप जानते है की हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक क्यों लगाया जाता है
क्या आपको पता है की हिन्दू धर्म को हर शुभ कार्य क दौरान अपने माथे पर तिलक क्यों लगाते है? आज के समय में हर व्यक्ति के घर पूजा पाठ तो होती ही होगी। परन्तु आपने कभी जानने की कोशिश करी है की आखिर क्यों चंदन, कुम-कुम, हल्दी, सिंदूर, राख का तिलक अपने माथे पर लगाते है। तथा इसे माथे पर लगाने के क्या फायदें है। प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में यह परम्परा चली आ रही है। क्या माथे पर तिलक लगाने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? क्यों किसी भी पूजा के सम्पूर्ण होने के बाद माथे पर तिलक लगाना अनिवार्य होता है?
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हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर घर के बाहर तुलसी का पौधा होना अनिवार्य बताया गया है। प्रतिदिन तुलसी की पूजा करना और पौधे में जल अर्पित करना प्राचीनकालीन परंपरा है। तुलसी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है, धन की कोई कमी नहीं होती। इसके पीछे धार्मिक कारण है। तुलसी में हमारे सभी पापों का नाश करने की शक्ति होती है, इसकी पूजा से आत्म शांति प्राप्त होती है। तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है। तुलसी को लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है। विधि-विधान से इसकी पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और इनकी कृपा स��वरूप हमारे घर पर कभी धन की कमी नहीं होती। अगर कोई जातक तुलसी की माला से किसी भी लक्ष्मी मन्त्र का यथा शक्ति 1 से 11 माला प्रतिदिन जप करे तो धन की प्राप्ति होने लगती है और उसके परिवार में सुख समृद्धि आती है। तुलसी पूजा की विधि :तुलसी पूजा के लिए घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। तुलसी के आठ नाम : धर्मशास्त्रों के अनुसार तुलसी के आठ नाम बताए गए हैं- वृंदा, वृंदावनि, विश्व पूजिता, विश्व पावनी, पुष्पसारा, नन्दिनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी। तुलसी एक औषधि : ऐसा माना जाता है कि तुलसी पूजा से हमारे घर पर दैवीय कृपा बनी रहती है। तुलसी एक औषधि भी है। जिस घर में तुलसी होती है वहां बीमारियां फैलाने वाले कई कीटाणु स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं। तुलसी घर के सदस्यों की बीमारियों से रक्षा करती है और इसके नियमित सेवन से हमारे शरीर के कई रोग दूर होते हैं। जब तुलसी का पौधा सुख जाए तो क्या और क्यों करना चाहिए? तुलसी का पौधा होने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रहता है। कभी-कभी किसी कारण से यह पौध सूख भी जाता है ऐसे में इसे घर में नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करके दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। सुखा हुआ तुलसी का पौधा घर में रखना कई परिस्थितियों में अशुभ माना जाता है। इससे विपरित परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। घर की बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए। तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टेरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्ती खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है। According to Hindu beliefs every outdoor Basil plant be inevitable. daily worship of Basil and plant water homage prachinkalin tradition. Basil worship at home comfort-prosperity continues, no shortage of funding. in religious reason behind it is undoing all our sins to Basil's power.It is derived from the worship of self peace. Basil plant from being at home does not affect the evil eye home and away from home and other evils, Chawla had. Basil of the Lakshmi format. mode – from its legislative prayers are delighted and pleased at mahalaxmi format at our House ever short of funds. If there is a Jataka tulsi Garland from Lakshmi mantra of Chanting the Rosary each day from 1 to 11 as power, money seems to be and her family in receipt of happiness prosperity. tulsi Puja: Basil to worship ghee lamps, incense, vermilion, sandalwood, naivadya and floral homage. According to Basil Basil eight names: the name of the eight epics-vrinda, vrindavni, world pujitaPavni, pushpasara, nandini, basil, and Krishna biography. Basil is a drug: it is believed that divine grace at our House of worship Basil. Basil is a drug. the House Basil spread many diseases there are mites are automatically destroyed. tulsi household members will be protected from diseases and many of our regular intake body disease away. when the Basil plant is pleasure What and why? Basil plant having home atmosphere is absolutely Holy and free from germs. sometimes, for some reason this plant is too dry so it should not be in the House but it flowed into a holy river took the second by Basil plant. baked Basil plant in the House is considered unlucky in many circumstances than expected results may impact on barkat of the House. . Explains why House always completely healthy Basil plants should be planted soon. Basil is religious significance from the point of view of science, but Basil is a drug similar to the sanjeevani mortage Basil in Ayurveda. buti. Basil contains many properties are large complex diseases and their prevention is helpful in Basil plant staying at home makes her aroma environment Holy The disease bacteria in the air and delete etc. Basil protects us from many diseases of the respiratory sungadh. as well as Basil a blade of the Rose will not come to us from ever fever and all disease of Basil away from us forever by eating. our bodies rogapratirodhak capacity considerably.
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By Tanvi Sharma
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मंगलवार का दिन हनुमानजी का समर्पित होता है। वैसे तो सप्ताह के सातो दिन किसी न किसी देवी-देवता के लिए व्रत रखे जाते हैं, लेकिन मंगलवार का दिन हनुमानजी की पूजा अर्चना करने सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। और मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है। मंगलवार का व्रत करने वालों की कुंडली में मंगल ग्रह निर्बल होने ने के चलते होने वाले कष्ट दूर होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। क्या अपने कभी गौर किया है मंगलवार के दिन हनुमानजी को बूंदी का प्रसाद ही क्यों चढ़ाया जाता है। मंगलवार को कुछ ��ातों को ख्याल रखना चाहिए ताकि पूजा सफल हो सके और हनुमान जी प्रसन्न रहें।
ऐसा माना जाता है की इस दिन हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी की असीम कृपा मिलती है। इसी के साथ मंगलवार का व्रत व्यक्ति के मान, सम्मान, बल, साहस और पुरुषार्थ में भी वृद्धि करता है।और इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है और भय, भूत-प्रेत की बाधा और, काली शक्तियों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भी ये व्रत करने की सलाह दी जाती है।
बल और बुद्धी भी देते हैं हनुमान ऐसे करें पूजा
मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा सूर्यास्त के बाद करना चाहिए ऐसा माना जाता है की सूर्योस्त के बाद भी पूजा करने से हनुमानजी जल्दी प्रसन्न हो जाते है। मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन भी माना जाता है। इसलिए मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा करने से मंगल दोष भी दूर होते हैं। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से धन व संपदा भी मिलती है। इसके लिए शाम को सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के मंदिर या अपने घर में ही उनकी मूर्ति के सामने साफ आसन लगाकर बैठें और सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं,सिंदूर, चमेली का तेल चढ़ाएं व पुष्प आदि अर्पित करें इसी के साथ बूंदी का भोग लगाएं याद रहे के हनुमानजी को भूल कर भी दूध से बनी मिठाई का भोग ना लगाएं। इस के बाद मंत्रों का जाप करें।
ऊँ रामदूताय नम: ऊँ पवन पुत्राय नम:इन मंत्रों के बाद हनुमान चालीसा का जाप भी करें।
इसलिए लगाएं बूंदी का भोग
मंगलवार को हनुमान जी पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने कि आवश्यकता होती है जैसे इस दिन किसी को भी कड़वी बातें ना बोलें। ऐसा करने से बजरंगबली नाराज हो सकते हैं, इसके अलावा मंगलवार को बाल बनवाना व दाढ़ी कटवाना अशुभ माना जाता है।
मंगलवार के दिन दूध से बनी मिठाइयां हनुमानजी को नहीं चढ़ानी चाहिए क्योंकी दूध को चंद्रमा का कारक माना जाता है। वहीं चंद्रमा और मंगल दोनों एक दूसरे के विरोधी होते हैं इसलिए मंगलवार को हनुमान जी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाया जाता है। और इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। मंगलवार को व्रत रखने वाले भक्तों को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए और रात में व्रत तोड़ते समय दही और दूध के साथ पराठे खाना चाहिए।
मंगलवार को भूलकर भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए। हनुमानजी को लाल रंग बहुत पसंद होता है इसलिए लाल कपड़ा पहनें।
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वाशिकरण तिलक
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वाशिकरण तिलक
vashikaran tilak
वशीकरण तिलक- मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बा��ाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है.
vashikaran tilak for love
वशीकरण में कई तरह की सामग्री प्रयोग में लाई जाती है. उदाहरणार्थ :
१. शुद्ध सिन्दूर
२. शुद्ध केसर
३. शुद्ध गोरोचन
इन सबको बराबर भाग में मिलाकर एक चांदी की डिब्बी में रख लिया जाता है. फिर सूर्यौदय के पश्चात इस डिब्बी में से तिलक लगाना चाहिए. तिलक लगाने की सही जगह है, “दोनों भौंहों के बीच -‘आज्ञाचक्र’ “. तिलक लगाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए :
” ॐ नमः सर्व लाक वशंकराय कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र के प्रयोग से सबको अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है.
वशीकरण के अन्तर्गत प्रियजन को मनाने के लिए निम्नलिखित विधि अपनायी जाती है:- ” सर्वप्रथम सुबह स्नान ध्यान करके सुबह के समय वशीकरण तिलक की सामग्री को गंगाजल, चन्दन पाउडर के साथ मिश्रित करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए तिलक करें। इससे आपका रूठा हुआ मित्र मान जायेगा और आपके पास आ जायेगा। मन्त्र है :
“ॐ नमः कामाक्षी देवी ( नारी व पुरुष का नाम ) सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र का २१ दिन तक रोज़ जाप करना है।“
हर स्त्री सोचती है की उसका पति उसके वश में रहे. उसकी हर बात माने. ज्योतिषशास्त्र में पति को वश में करने के लिए वशीकरण तिलक मंत्र है. “रविवार के दिन रात को सोते समय कुछ सिन्दूर बिस्तर पर पति के सोने वाले हिस्से की ओर बिखरा दें तथा सुबह ��ाहा कर माँ पार्वती का नाम लेकर उससे अपनी मांग में भर लें.” इससे पति सदैव वश में रहते हैं.
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है ” कामरूप कामाख्या मंदिर” . यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. इसका तांत्रिक महत्त्व है. यहां पर एक
मोहन मंत्र प्रचलित है. माना जाता है की , कामरूप कामाख्या क्षेत्र में ‘कामिया सिन्दूर’ पाया जाता है. इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार जाप करें. इससे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा. प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’ पर सात बार निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाएं. इस तिलक को लगाकर जहाँ भी जाएंगे सभी वश में हो जायेंगे.
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मन्त्र है:
“हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया, कैलास पर्वत से आया।
कौन लाया, अन्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुsरु, सत् कबीर। ”
वशीकरण तिलक मन्त्र नकारात्मक भी हैं और सकारात्मक भी. इसका सकारात्मकता पूर्ण प्रयोग व्यक्ति को प्रगति, मनचाहे वर की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठित स्थान दिला सकता है. इससे दूसरों की भलाई भी की जा सकती है.
परंतु यदि व्यक्ति नकारात्मक प्रवृति वाला हो तो वह सिर्फ अपना ही भला सोचता है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके इस मन्त्र तंत्र के प्रयोग का किसी दुसरे पर दुष्प्रभाव भी पद सकता है . और वह इस वशीकरण तिलक मन्त्र का काली विद्या के रूप में प्रयोग करता है, जिसका न सिर्फ दूसरों पर बल्कि स्वयं उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
अंततः हम यही कहना चाहते हैं की वशीकरण तिलक मन्त्र जैसी शक्तियों का प्रयोग यदि कोई व्यक्ति करना भी चाहता है तो ‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबके हित की भावना को ध्यान में रख कर करें. इसका दुरूपयोग ना करें.
vashikaran tilak for bussiness
Vashikaran Tilak :- प्रिय साधक टिका वशीकरण, तिलक वशीकरण, सम्मोहन तिलक एक ही प्रकार के विभिन रूप है जिसके द्वारा कोई भी किसी को भी अपने वस में कर सकता है | इसके लिए सबसे पहले वशीकरण बनाया जाता है या आप किसी साधु से भी इसको प्राप्त कर सकते है और या आप हमसे इसकी प्रयोग विधि जन सकते है | यदि ��पको वशीकरण टिका बना हुआ कही से मिल जाता है तो केवल आपको मस्तिक में लगाना होता है और आप जिस किसी के शामे जाते है वो आपसे प्रसन होकर आपकी सारी बातो में हा करता है आप जैसा चाहते हो वो इंसान वैसा ही करता है | लेकिन एक सिद्ध वशीकरण तिलक पाना बहुत ही मुश्किल काम है | लेकिन इसकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है आप इसको अपने घर पर भी बना सकते उसके लिए कुछ विधि से इसको बनाना पड़ता है|
वशीकरण काजल मंत्र, सम्मोहन काजल निर्माण विधि, काजल/सुरमा के टोटके – जब काजल किसी लड़की की आंखों मे लग जाये तो वो उसका शिंगार बन जाता है, तो जब उसे किसी छोटे बच्चे के माथे पर लगाया जाता है तो वो उसकी रक्षा करता है। उसे किसिकी बुरी नजरों से बचाता है। जी हां, काजल को सिर्फ शिंगार तक ही नहीं देखा जाता, आज इसके मायने और बढ़ चुके है। इसका इस्तेमाल वशीकरण के लिय भी लोग करते है। जिसे काजल वशीकरण कहते है। वशीकरण का मतलब तो हम सब ही समझ चुके है। जिसमे एक इंसान किसी दूसरे इंसान को अपने कंट्रोल मे करके उसको अपने अधिकार मे लेना चाहता हो।
vashikaran tilak for home
तो चलिये जानते है काजल के कुछ ऐसे की उपाय जिनके प्रयोग से आपको लाभ मिल सकता है। यदि आपके घर मे अक्सर अशांति का महोल बने रहता है व शांति बनाए जाने की कोशीशे विफल होती जा रही है तो ऐसे मे आप शनिवार के दिन सुबह एक काले कपड़े मे जटा वाले नारियल को लपेट ले फिर उसपर काजल से21 बिंदी लगा दे, इसके बाद उसे घर के बाहर लटका दे। इससे आपका घर बुरी नजरों से बच सकेगा और आप शांति का महोल महसूस कर पाएंगे। यही नहीं यदि आप काजल को एक शीशी में लेकर, शनिवार के दिन उसे अपने सिर से पैर तक 9 बार फेरकर किसी सुनसान स्थान पर गाड़ आए। ऐसा करने के बाद आप पीछे पलटकर न देखे। ध्यान रहे जिस चीज़ या औज़ार से गड्डा खोदा था उसे भी वही छोड़ दे। ऐसा करके आप शनि को शांत करके अपने जीवन मे भी शांति को पा सकते है
काजल द्वारा वशीकरण करने हेतु आप रविवार के दिन, पुष्य नक्षत्र के अंतर्गत गूलर के फूल व कपास की रूई को आपस मे मिलाकर बत्ती बना ले, फिर मक्खन से उसे जला ले। ऐसा करने के बाद आपको उस बत्ती से निकलने वाली आग से ही काजल बनाना होगा। याद रहे इस काजल को आप किसी और को न दे। हर रात इसे लगाने से आप किसीको भी अपनी ओर आकर्षित करके अपने वश मे कर सकते हो।
वशीकरण तिलक/सम्मोहन तिलक को सिद्ध करने के लिए बहुत से प्रकार मंत्र और सबको सिद्ध करने की अलग विधि विधान है जैसे की आप अपने ऑफिस में बॉस को खुश रखना चाहते है इसके लिए अलग से वशीकरण मंत्र का उच्चारण किया जायेगा, यदि आप किसी लड़की से प्रेम करते है और उसको अपने वश में ��रना चाहते है तो आपको अलग विधि और मंत्र का प्रयोग करना पड़ेगा| तो मै ये बताना चाहता हु की वशीकरण तिलक को किस के लिए आप प्रयोग मै लेना चाहते है सब कार्य के लिए अलग अलग विधि विधान मौजूद है |
वशीकरण के आसान तरीके मैं आपका स्वागत है | आज हम आपको वशीकरण के तिलक के बारे में बताने वाले हैं| जिसके इस्तेमाल से आप किसी को भी वश में कर सकते है| इस वशीकरण तिलक की वजह से आपके सामने आने वाले लोगों को आप अपने इशारे पर नचा सकते हो| हम इस वश में करने करने वाला तिलक का इस्तमाल कर के अपना काम पूरा कर सकते हो और एक खुशहाल जीवन बिता सकते हो और कामयाबी पा सकते हो|
दोस्तों इस वशीकरण तिलक का इस्तेमाल कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है इसका इस्तेमाल कई जगह पर होता है जैसे कि जॉब,नौकरी, ऑफिस और बिजनेस में और अपना मनचाहा प्यार पाने के लिए, परिवार में या किसी को अपने वश में करने के लिए | इस तिलक को सम्मोहन तिलक भी कहते हैं|
सम्मोहन तिलक के इस्तेमाल से आप अगर आपका प्यार आपसे रूठ गया है, आपसे दूर हो गया है तो आप इसको अपने प्यार के सामने जाकर वश में कर सकते हो| इस तिलक का इस्तेमाल अपने सर पर करना चाहिए यह तिलक किसी अन्य के सर पर नहीं लगाना है इसलिए आप को वश में करने के लिए तकलीफ नहीं होगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा|
vashikaran tilak for husband
वशीकरण के तिलक के बारे में आप इस वशीकरण को तिलक को घर पर ही बना सकते हैं| इसके लिए हम आपको नीचे कुछ तरीके बताएंगे जिसके इस्तेमाल से आप घर पर ही वशीकरण तिलक को बना सकते हैं| तो जानते हैं कैसे बनाते हैं वशीकरण तिलक और वशीकरण का इस्तेमाल कैसे करते हैं|
वशीकरण तिलक को बनाने के लिए आपको थोड़ा सा सिंदूर लेना है, थोड़ा केसर लेना है और थोड़ा शुद्ध गोराचन लेना है|
इन सब को अच्छे से मिलाकर एक चांदी के डब्बे में रखना है छोटी सी डिब्बी भी ले सकते हो |
इस तिलक का प्रयोग रोज सुबह करना है यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि तिलक हमेशा आपने माथे के मध्य ललाट में लगाना चाहिए|
जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, केशर, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।
स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे ��ुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के नि��ित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं। शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
vashikaran tilak for girlfriend
वशीकरण तिलक बनाने के लिए अष्टगंध, हल्दी के अतिरिक्त तिलक किए जाने वाले दूसरे पदार्थों मं रोली, सिंदूर आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर विधिवत धूप और दीप दिखाए जाते हैं। पूजन के लिए अपने इष्टदेव का ध्यान किया जाता है। ध्यान के समय उपयुक्त मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से तिलक अभिमंत्रित हो जाता है, जिसे लगाने के समय संबंधित उपायों का मंत्र-जाप करना आवश्यक होता है। वशीकरण तिलकों में स्त्री या पुरुष वशीकरण और सर्वजन वशीकरण तिलक मुख्य हैं। इससे न केवल ध्यान केंद्रीत करने में मदद मिलती है, बल्कि दिमागी व आंतरिक शक्ति बढ़ती है, बल मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा बचना संभव होता है।
वशीकरण का शाब्दिक अर्थ है वशीभूत होना, अर्थात व्यक्ति के मन, चित्त व शरीर को मंत्रो तथा तांत्रिक क्रियाओ के माध्यम से ��शीभूत करना |
पौराणिक काल से लोगो को हित कार्यो हेतु हमारे साधु संत व तांत्रिक इन क्रियाओं का प्रयोग किया करते थे, जिससे व्यक्ति उनके वंश में हो जाता था और कोई अनर्थ कार्य होने से बच जाता था
यह क्रिया आज भी मौजूद है, इसे करने की अलग अलग प्रयोग विधि तथा उपाय है | इन्ही उपायों में से एक उपाय वशीकरण तिलक है | इस तिलक में अलौकिक शक्तिया होती है, जो भी व्यक्ति इस तिलक का प्रयोग करता है सामने वाला व्यक्ति उससे आकर्षित होने लगता है | अर्थात उसके मन व शरीर आपके प्रति आकर्षित होने लगते है |
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वशीकरण तिलक
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वशीकरण तिलक
वशीकरण तिलक
वशीकरण तिलक – मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है
वशीकरण तिलक for bussiness
Vashikaran Tilak :- प्रिय साधक टिका वशीकरण, तिलक वशीकरण, सम्मोहन तिलक एक ही प्रकार के विभिन रूप है जिसके द्वारा कोई भी किसी को भी अपने वस में कर सकता है | इसके लिए सबसे पहले वशीकरण बनाया जाता है या आप किसी साधु से भी इसको प्राप्त कर सकते है और या आप हमसे इसकी प्रयोग विधि जन सकते है | यदि आपको वशीकरण टिका बना हुआ कही से मिल जाता है तो केवल आपको मस्तिक में लगाना होता है और आप जिस किसी के शामे जाते है वो आपसे प्रसन होकर आपकी सारी बातो में हा करता है आप जैसा चाहते हो वो इंसान वैसा ही करता है | लेकिन एक सिद्ध वशीकरण तिलक पाना बहुत ही मुश्किल काम है | लेकिन इसकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है आप इसको अपने घर पर भी बना सकते उसके लिए कुछ विधि से इसको बनाना पड़ता है|
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वशीकरण काजल मंत्र, सम्मोहन काजल निर्माण विधि, काजल/सुरमा के टोटके – जब काजल किसी लड़की की आंखों मे लग जाये तो वो उसका शिंगार बन जाता है, तो जब उसे किसी छोटे बच्चे के माथे पर लगाया जाता है तो वो उसकी रक्षा करता है। उसे किसिकी बुरी नजरों से बचाता है। जी हां, काजल को सिर्फ शिंगार तक ही नहीं देखा जाता, आज इसके मायने और बढ़ चुके है। इसका इस्तेमाल वशीकरण के लिय भी लोग करते है। जिसे काजल वशीकरण कहते है। वशीकरण का मतलब तो हम सब ही समझ चुके है। जिसमे एक इंसान किसी दूसरे इंसान को अपने कंट्रोल मे करके उसको अपने अधिकार मे लेना चाहता हो।
वशीकरण तिलक for husband
वशीकरण के तिलक के बारे में आप इस वशीकरण को तिलक को घर पर ही बना सकते हैं| इसके लिए हम आपको नीचे कुछ तरीके बताएंगे जिसके इस्तेमाल से आप घर पर ही वशीकरण तिलक को बना सकते हैं| तो जानते हैं कैसे बनाते हैं वशीकरण तिलक और वशीकरण का इस्तेमाल कैसे करते हैं|
वशीकरण तिलक को बनाने के लिए आपको थोड़ा सा सिंदूर लेना है, थोड़ा केसर लेना है और थोड़ा शुद्ध गोराचन लेना है|
इन सब को अच्छे से मिलाकर एक चांदी के डब्बे में रखना है छोटी सी डिब्बी भी ले सकते हो |
इस तिलक का प्रयोग रोज सुबह करना है यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि तिलक हमेशा आपने माथे के मध्य ललाट में लगाना चाहिए|
जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, के��र, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।
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स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे हुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के निहित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं। शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
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जाने भारतीय परंपराओ का महत्व क्यो लगाते सिंदूर व चूडियां
जाने भारतीय परंपराओ का महत्व क्यो लगाते सिंदूर व चूडियां
जाने भारतीय परंपराओ का महत्व क्यो लगाते सिंदूर व चूडियां
क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं? सिंदूर क्यों लगाया जाता है? नमस्ते करने के क्या फायदे हैं? यहां हम आपको ऐसी ही पांच भारतीय परंपराओं के पीछे का वैज्ञानिक कारण बताएंगे।
चूड़ियां पहनने से बनती है ऊर्जा –भारत में चूड़ियां सुहागन की सबसे बड़ी निशानी है। शादी के बाद महिलाएं के हाथ चूड़ियों से सजे रहते हैं। ये…
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वाशिकरण तिलक
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vashikaran tilak
वशीकरण तिलक- मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है.
vashikaran tilak for love
वशीकरण में कई तरह की सामग्री प्रयोग में लाई जाती है. उदाहरणार्थ :
१. शुद्ध सिन्दूर
२. शुद्ध केसर
३. शुद्ध गोरोचन
इन सबको बराबर भाग में मिलाकर एक चांदी की डिब्बी में रख लिया जाता है. फिर सूर्यौदय के पश्चात इस डिब्बी में से तिलक लगाना चाहिए. तिलक लगाने की सही जगह है, “दोनों भौंहों के बीच -‘आज्ञाचक्र’ “. तिलक लगाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए :
” ॐ नमः सर्व लाक वशंकराय कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र के प्रयोग से सबको अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है.
वशीकरण के अन्तर्गत प्रियजन को मनाने के लिए निम्नलिखित विधि अपनायी जाती है:- ” सर्वप्रथम सुबह स्नान ध्यान करके सुबह के समय वशीकरण तिलक की सामग्री को गंगाजल, चन्दन पाउडर के साथ मिश्रित करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए तिलक करें। इससे आपका रूठा हुआ मित्र मान जायेगा और आपके पास आ जायेगा। मन्त्र है :
“ॐ नमः कामाक्षी देवी ( नारी व पुरुष का नाम ) सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र का २१ दिन तक रोज़ जाप करना है।“
हर स्त्री सोचती है की उसका पति उसके वश में रहे. उसकी हर बात माने. ज्योतिषशास्त्र में पति को वश में करने के लिए वशीकरण तिलक मंत्र है. “रविवार के दिन रात को सोते समय कुछ सिन्दूर बिस्तर पर पति के सोने वाले हिस्से की ओर बिखरा दें तथा सुबह नाहा कर माँ पार्वती का नाम लेकर उससे अपनी मांग में भर लें.” इससे पति सदैव वश में रहते हैं.
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है ” कामरूप कामाख्या मंदिर” . यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. इसका तांत्रिक महत्त्व है. यहां पर एक
मोहन मंत्र प्रचलित है. माना जाता है की , कामरूप कामाख्या क्षेत्र में ‘कामिया सिन्दूर’ पाया जाता है. इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार जाप करें. इससे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा. प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’ पर सात बार निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाएं. इस तिलक को लगाकर जहाँ भी जाएंगे सभी वश में हो जायेंगे.
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मन्त्र है:
“हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया, कैलास पर्वत से आया।
कौन लाया, अन्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुsरु, सत् कबीर। ”
वशीकरण तिलक मन्त्र नकारात्मक भी हैं और सकारात्मक भी. इसका सकारात्मकता पूर्ण प्रयोग व्यक्ति को प्रगति, मनचाहे वर की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठित स्थान दिला सकता है. इससे दूसरों की भलाई भी की जा सकती है.
परंतु यदि व्यक्ति नकारात्मक प्रवृति वाला हो तो वह सिर्फ अपना ही भला सोचता है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके इस मन्त्र तंत्र के प्रयोग का किसी दुसरे पर दुष्प्रभाव भी पद सकता है . और वह इस वशीकरण तिलक मन्त्र का काली विद्या के रूप में प्रयोग करता है, जिसका न सिर्फ दूसरों पर बल्कि स्वयं उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
अंततः हम यही कहना चाहते हैं की वशीकरण तिलक मन्त्र जैसी शक्तियों का प्रयोग यदि कोई व्यक्ति करना भी चाहता है तो ‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबके हित की भावना को ध्यान में रख कर करें. इसका दुरूपयोग ना करें.
vashikaran tilak for bussiness
Vashikaran Tilak :- प्रिय साधक टिका वशीकरण, तिलक वशीकरण, सम्मोहन तिलक एक ही प्रकार के विभिन रूप है जिसके द्वारा कोई भी किसी को भी अपने वस में कर सकता है | इसके लिए सबसे पहले वशीकरण बनाया जाता है या आप किसी साधु से भी इसको प्राप्त कर सकते है और या आप हमसे इसकी प्रयोग विधि जन सकते है | यदि आपको वशीकरण टिका बना हुआ कही से मिल जाता है तो केवल आपको मस्तिक में लगाना होता है और आप जिस किसी के शामे जाते है वो आपसे प्रसन होकर आपकी सारी बातो में हा करता है आप जैसा चाहते हो वो इंसान वैसा ही करता है | लेकिन एक सिद्ध वशीकरण तिलक पाना बहुत ही मुश्किल काम है | लेकिन इसकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है आप इसको अपने घर पर भी बना सकते उसके लिए कुछ विधि से इसको बनाना पड़ता है|
वशीकरण काजल मंत्र, सम्मोहन काजल निर्माण विधि, काजल/सुरमा के टोटके – जब काजल किसी लड़की की आंखों मे लग जाये तो वो उसका शिंगार बन जाता है, तो जब उसे किसी छोटे बच्चे के माथे पर लगाया जाता है तो वो उसकी रक्षा करता है। उसे किसिकी बुरी नजरों से बचाता है। जी हां, काजल को सिर्फ शिंगार तक ही नहीं देखा जाता, आज इसके मायने और बढ़ चुके है। इसका इस्तेमाल वशीकरण के लिय भी लोग करते है। जिसे काजल वशीकरण कहते है। वशीकरण का मतलब तो हम सब ही समझ चुके है। जिसमे एक इंसान किसी दूसरे इंसान को अपने कंट्रोल मे करके उसको अपने अधिकार मे लेना चाहता हो।
vashikaran tilak for home
तो चलिये जानते है काजल के कुछ ऐसे की उपाय जिनके प्रयोग से आपको लाभ मिल सकता है। यदि आपके घर मे अक्सर अशांति का महोल बने रहता है व शांति बनाए जाने की कोशीशे विफल होती जा रही है तो ऐसे मे आप शनिवार के दिन सुबह एक काले कपड़े मे जटा वाले नारियल को लपेट ले फिर उसपर काजल से21 बिंदी लगा दे, इसके बाद उसे घर के बाहर लटका दे। इससे आपका घर बुरी नजरों से बच सकेगा और आप शांति का महोल महसूस कर पाएंगे। यही नहीं यदि आप काजल को एक शीशी में लेकर, शनिवार के दिन उसे अपने सिर से पैर तक 9 बार फेरकर किसी सुनसान स्थान पर गाड़ आए। ऐसा करने के बाद आप पीछे पलटकर न देखे। ध्यान रहे जिस चीज़ या औज़ार से गड्डा खोदा था उसे भी वही छोड़ दे। ऐसा करके आप शनि को शांत करके अपने जीवन मे भी शांति को पा सकते है
काजल द्वारा वशीकरण करने हेतु आप रविवार के दिन, पुष्य नक्षत्र के अंतर्गत गूलर के फूल व कपास की रूई को आपस मे मिलाकर बत्ती बना ले, फिर मक्खन से उसे जला ले। ऐसा करने के बाद आपको उस बत्ती से न���कलने वाली आग से ही काजल बनाना होगा। याद रहे इस काजल को आप किसी और को न दे। हर रात इसे लगाने से आप किसीको भी अपनी ओर आकर्षित करके अपने वश मे कर सकते हो।
वशीकरण तिलक/सम्मोहन तिलक को सिद्ध करने के लिए बहुत से प्रकार मंत्र और सबको सिद्ध करने की अलग विधि विधान है जैसे की आप अपने ऑफिस में बॉस को खुश रखना चाहते है इसके लिए अलग से वशीकरण मंत्र का उच्चारण किया जायेगा, यदि आप किसी लड़की से प्रेम करते है और उसको अपने वश में करना चाहते है तो आपको अलग विधि और मंत्र का प्रयोग करना पड़ेगा| तो मै ये बताना चाहता हु की वशीकरण तिलक को किस के लिए आप प्रयोग मै लेना चाहते है सब कार्य के लिए अलग अलग विधि विधान मौजूद है |
वशीकरण के आसान तरीके मैं आपका स्वागत है | आज हम आपको वशीकरण के तिलक के बारे में बताने वाले हैं| जिसके इस्तेमाल से आप किसी को भी वश में कर सकते है| इस वशीकरण तिलक की वजह से आपके सामने आने वाले लोगों को आप अपने इशारे पर नचा सकते हो| हम इस वश में करने करने वाला तिलक का इस्तमाल कर के अपना काम पूरा कर सकते हो और एक खुशहाल जीवन बिता सकते हो और कामयाबी पा सकते हो|
दोस्तों इस वशीकरण तिलक का इस्तेमाल कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है इसका इस्तेमाल कई जगह पर होता है जैसे कि जॉब,नौकरी, ऑफिस और बिजनेस में और अपना मनचाहा प्यार पाने के लिए, परिवार में या किसी को अपने वश में करने के लिए | इस तिलक को सम्मोहन तिलक भी कहते हैं|
सम्मोहन तिलक के इस्तेमाल से आप अगर आपका प्यार आपसे रूठ गया है, आपसे दूर हो गया है तो आप इसको अपने प्यार के सामने जाकर वश में कर सकते हो| इस तिलक का इस्तेमाल अपने सर पर करना चाहिए यह तिलक किसी अन्य के सर पर नहीं लगाना है इसलिए आप को वश में करने के लिए तकलीफ नहीं होगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा|
vashikaran tilak for husband
वशीकरण के तिलक के बारे में आप इस वशीकरण को तिलक को घर पर ही बना सकते हैं| इसके लिए हम आपको नीचे कुछ तरीके बताएंगे जिसके इस्तेमाल से आप घर पर ही वशीकरण तिलक को बना सकते हैं| तो जानते हैं कैसे बनाते हैं वशीकरण तिलक और वशीकरण का इस्तेमाल कैसे करते हैं|
वशीकरण तिलक को बनाने के लिए आपको थोड़ा सा सिंदूर लेना है, थोड़ा केसर लेना है और थोड़ा शुद्ध गोराचन लेना है|
इन सब को अच्छे से मिलाकर एक चांदी के डब्बे में रखना है छोटी सी डिब्बी भी ले सकते हो |
इस तिलक का प्रयोग रोज सुबह करना है यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि तिलक हमेशा आपने माथे के मध्य ललाट में लगाना चाहिए|
जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, केशर, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।
स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे हुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के निहित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं। शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
vashikaran tilak for girlfriend
वशीकरण तिलक बनाने के लिए अष्टगंध, हल्दी के अतिरिक्त तिलक किए जाने वाले दूसरे पदार्थों मं रोली, सिंदूर आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर विधिवत धूप और दीप दिखाए जाते हैं। पूजन के लिए अपने इष्टदेव का ध्यान किया जाता है। ध्यान के समय उपयुक्त मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से तिलक अभिमंत्रित हो जाता है, जिसे लगाने के समय संबंधित उपायों का मंत्र-जाप करना आवश्यक होता है। वशीकरण तिलकों में स्त्री या पुरुष वशीकरण और सर्वजन वशीकरण तिलक मुख्य हैं। इससे न केवल ध्यान केंद्रीत करने में मदद मिलती है, बल्कि दिमागी व आंतरिक शक्ति बढ़ती है, बल मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा बचना संभव होता है।
वशीकरण का शाब्दिक अर्थ है वशीभूत होना, अर्थात व्यक्ति के मन, चित्त व शरीर को मंत्रो तथा तांत्रिक क्रियाओ के माध्यम से वशीभूत करना |
पौराणिक काल से लोगो को हित कार्यो हेतु हमारे साधु संत व तांत्रिक इन क्रियाओं का प्रयोग किया करते थे, जिससे व्यक्ति उनके वंश में हो जाता था और कोई अनर्थ कार्य होने से बच जाता था
यह क्रिया आज भी मौजूद है, इसे करने की अलग अलग प्रयोग विधि तथा उपाय है | इन्ही उपायों में से एक उपाय वशीकरण तिलक है | इस तिलक में अलौकिक शक्तिया होती है, जो भी व्यक्ति इस तिलक का प्रयोग करता है सामने वाला व्यक्ति उससे आकर्षित होने लगता है | अर्थात उसके मन व शरीर आपके प्रति आकर्षित होने लगते है |
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वाशिकरण तिलक
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वाशिकरण तिलक
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वशीकरण तिलक- मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है.
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वशीकरण में कई तरह की सामग्री प्रयोग में लाई जाती है. उदाहरणार्थ :
१. शुद्ध सिन्दूर
२. शुद्ध केसर
३. शुद्ध गोरोचन
इन सबको बराबर भाग में मिलाकर एक चांदी की डिब्बी में रख लिया जाता है. फिर सूर्यौदय के पश्चात इस डिब्बी में से तिलक लगाना चाहिए. तिलक लगाने की सही जगह है, “दोनों भौंहों के बीच -‘आज्ञाचक्र’ “. तिलक लगाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए :
” ॐ नमः सर्व लाक वशंकराय कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र के प्रयोग से सबको अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है.
वशीकरण के अन्तर्गत प्रियजन को मनाने के लिए निम्नलिखित विधि अपनायी जाती है:- ” सर्वप्रथम सुबह स्नान ध्यान करके सुबह के समय वशीकरण तिलक की सामग्री को गंगाजल, चन्दन पाउडर के साथ मिश्रित करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए तिलक करें। इससे आपका रूठा हुआ मित्र मान जायेगा और आपके पास आ जायेगा। मन्त्र है :
“ॐ नमः कामाक्षी देवी ( नारी व पुरुष का नाम ) सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र का २१ दिन तक रोज़ जाप करना है।“
हर स्त्री सोचती है की उसका पति उसके वश में रहे. उसकी हर बात माने. ज्योतिषशास्त्र में पति को वश में करने के लिए वशीकरण तिलक मंत्र है. “रविवार के दिन रात को सोते समय कुछ सिन्दूर बिस्तर पर पति के सोने वाले हिस्से की ओर बिखरा दें तथा सुबह नाहा कर माँ पार्वती का नाम लेकर उससे अपनी मांग में भर लें.” इससे पति सदैव वश में रहते हैं.
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है ” कामरूप कामाख्या मंदिर” . यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. इसका तांत्रिक महत्त्व है. यहां पर एक
मोहन मंत्र प्रचलित है. माना जाता है की , कामरूप कामाख्या क्षेत्र में ‘कामिया सिन्दूर’ पाया जाता है. इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार जाप करें. इससे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा. प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’ पर सात बार निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाएं. इस तिलक को लगाकर जहाँ भी जाएंगे सभी वश में हो जायेंगे.
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मन्त्र है:
“हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया, कैलास पर्वत से आया।
कौन लाया, अन्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुsरु, सत् कबीर। ”
वशीकरण तिलक मन्त्र नकारात्मक भी हैं और सकारात्मक भी. इसका सकारात्मकता पूर्ण प्रयोग व्यक्ति को प्रगति, मनचाहे वर की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठित स्थान दिला सकता है. इससे दूसरों की भलाई भी की जा सकती है.
परंतु यदि व्यक्ति नकारात्मक प्रवृति वाला हो तो वह सिर्फ अपना ही भला सोचता है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके इस मन्त्र तंत्र के प्रयोग का किसी दुसरे पर दुष्प्रभाव भी पद सकता है . और वह इस वशीकरण तिलक मन्त्र का काली विद्या के रूप में प्रयोग करता है, जिसका न सिर्फ दूसरों पर बल्कि स्वयं उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
अंततः हम यही कहना चाहते हैं की वशीकरण तिलक मन्त्र जैसी शक्तियों का प्रयोग यदि कोई व्यक्ति करना भी चाहता है तो ‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबके हित की भावना को ध्यान में रख कर करें. इसका दुरूपयोग ना करें.
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Vashikaran Tilak :- प्रिय साधक टिका वशीकरण, तिलक वशीकरण, सम्मोहन तिलक एक ही प्रकार के विभिन रूप है जिसके द्वारा कोई भी किसी को भी अपने वस में कर सकता है | इसके लिए सबसे पहले वशीकरण बनाया जाता है या आप किसी साधु से भी इसको प्राप्त कर सकते है और या आप हमसे इसकी प्रयोग विधि जन सकते है | यदि आपको वशीकरण टिका बना हुआ कही से मिल जाता है तो केवल आपको मस्तिक में लगाना होता है और आप जिस किसी के शामे जाते है वो आपसे प्रसन होकर आपकी सारी बातो में हा करता है आप जैसा चाहते हो वो इंसान वैसा ही करता है | लेकिन एक सिद्ध वशीकरण तिलक ��ाना बहुत ही मुश्किल काम है | लेकिन इसकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है आप इसको अपने घर पर भी बना सकते उसके लिए कुछ विधि से इसको बनाना पड़ता है|
वशीकरण काजल मंत्र, सम्मोहन काजल निर्माण विधि, काजल/सुरमा के टोटके – जब काजल किसी लड़की की आंखों मे लग जाये तो वो उसका शिंगार बन जाता है, तो जब उसे किसी छोटे बच्चे के माथे पर लगाया जाता है तो वो उसकी रक्षा करता है। उसे किसिकी बुरी नजरों से बचाता है। जी हां, काजल को सिर्फ शिंगार तक ही नहीं देखा जाता, आज इसके मायने और बढ़ चुके है। इसका इस्तेमाल वशीकरण के लिय भी लोग करते है। जिसे काजल वशीकरण कहते है। वशीकरण का मतलब तो हम सब ही समझ चुके है। जिसमे एक इंसान किसी दूसरे इंसान को अपने कंट्रोल मे करके उसको अपने अधिकार मे लेना चाहता हो।
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तो चलिये जानते है काजल के कुछ ऐसे की उपाय जिनके प्रयोग से आपको लाभ मिल सकता है। यदि आपके घर मे अक्सर अशांति का महोल बने रहता है व शांति बनाए जाने की कोशीशे विफल होती जा रही है तो ऐसे मे आप शनिवार के दिन सुबह एक काले कपड़े मे जटा वाले नारियल को लपेट ले फिर उसपर काजल से21 बिंदी लगा दे, इसके बाद उसे घर के बाहर लटका दे। इससे आपका घर बुरी नजरों से बच सकेगा और आप शांति का महोल महसूस कर पाएंगे। यही नहीं यदि आप काजल को एक शीशी में लेकर, शनिवार के दिन उसे अपने सिर से पैर तक 9 बार फेरकर किसी सुनसान स्थान पर गाड़ आए। ऐसा करने के बाद आप पीछे पलटकर न देखे। ध्यान रहे जिस चीज़ या औज़ार से गड्डा खोदा था उसे भी वही छोड़ दे। ऐसा करके आप शनि को शांत करके अपने जीवन मे भी शांति को पा सकते है
काजल द्वारा वशीकरण करने हेतु आप रविवार के दिन, पुष्य नक्षत्र के अंतर्गत गूलर के फूल व कपास की रूई को आपस मे मिलाकर बत्ती बना ले, फिर मक्खन से उसे जला ले। ऐसा करने के बाद आपको उस बत्ती से निकलने वाली आग से ही काजल बनाना होगा। याद रहे इस काजल को आप किसी और को न दे। हर रात इसे लगाने से आप किसीको भी अपनी ओर आकर्षित करके अपने वश मे कर सकते हो।
वशीकरण तिलक/सम्मोहन तिलक को सिद्ध करने के लिए बहुत से प्रकार मंत्र और सबको सिद्ध करने की अलग विधि विधान है जैसे की आप अपने ऑफिस में बॉस को खुश रखना चाहते है इसके लिए अलग से वशीकरण मंत्र का उच्चारण किया जायेगा, यदि आप किसी लड़की से प्रेम करते है और उसको अपने वश में करना चाहते है तो आपको अलग विधि और मंत्र का प्रयोग करना पड़ेगा| तो मै ये बताना चाहता हु की वशीकरण तिलक को किस के लिए आप प्रयोग मै लेना चाहते है सब कार्य के लिए अलग अलग विधि विधान मौजूद है |
वशीकरण के आसान तरीके मैं आपका स्वागत है | आज हम आपको वशीकरण के तिलक के बारे में बताने वाले हैं| जिसके इस्तेमाल से आप किसी को भी वश में कर सकते है| इस वशीकरण तिलक की वजह से आपके सामने आने वाले लोगों को आप अपने इशारे पर नचा सकते हो| हम इस वश में करने करने वाला तिलक का इस्तमाल कर के अपना काम पूरा कर सकते हो और एक खुशहाल जीवन बिता सकते हो और कामयाबी पा सकते हो|
दोस्तों इस वशीकरण तिलक का इस्तेमाल कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है इसका इस्तेमाल कई जगह पर होता है जैसे कि जॉब,नौकरी, ऑफिस और बिजनेस में और अपना मनचाहा प्यार पाने के लिए, परिवार में या किसी को अपने वश में करने के लिए | इस तिलक को सम्मोहन तिलक भी कहते हैं|
सम्मोहन तिलक के इस्तेमाल से आप अगर आपका प्यार आपसे रूठ गया है, आपसे दूर हो गया है तो आप इसको अपने प्यार के सामने जाकर वश में कर सकते हो| इस तिलक का इस्तेमाल अपने सर पर करना चाहिए यह तिलक किसी अन्य के सर पर नहीं लगाना है इसलिए आप को वश में करने के लिए तकलीफ नहीं होगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा|
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वशीकरण के तिलक के बारे में आप इस वशीकरण को तिलक को घर पर ही बना सकते हैं| इसके लिए हम आपको नीचे कुछ तरीके बताएंगे जिसके इस्तेमाल से आप घर पर ही वशीकरण तिलक को बना सकते हैं| तो जानते हैं कैसे बनाते हैं वशीकरण तिलक और वशीकरण का इस्तेमाल कैसे करते हैं|
वशीकरण तिलक को बनाने के लिए आपको थोड़ा सा सिंदूर लेना है, थोड़ा केसर लेना है और थोड़ा शुद्ध गोराचन लेना है|
इन सब को अच्छे से मिलाकर एक चांदी के डब्बे में रखना है छोटी सी डिब्बी भी ले सकते हो |
इस तिलक का प्रयोग रोज सुबह करना है यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि तिलक हमेशा आपने माथे के मध्य ललाट में लगाना चाहिए|
जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, केशर, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।
स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे हुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के निहित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं। शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
vashikaran tilak for girlfriend
वशीकरण तिलक बनाने के लिए अष्टगंध, हल्दी के अतिरिक्त तिलक किए जाने वाले दूसरे पदार्थों मं रोली, सिंदूर आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर विधिवत धूप और दीप दिखाए जाते हैं। पूजन के लिए अपने इष्टदेव का ध्यान किया जाता है। ध्यान के समय उपयुक्त मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से तिलक अभिमंत्रित हो जाता है, जिसे लगाने के समय संबंधित उपायों का मंत्र-जाप करना आवश्यक होता है। वशीकरण तिलकों में स्त्री या पुरुष वशीकरण और सर्वजन वशीकरण तिलक मुख्य हैं। इससे न केवल ध्यान केंद्रीत करने में मदद मिलती है, बल्कि दिमागी व आंतरिक शक्ति बढ़ती है, बल मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा बचना संभव होता है।
वशीकरण का शाब्दिक अर्थ है वशीभूत होना, अर्थात व्यक्ति के मन, चित्त व शरीर को मंत्रो तथा तांत्रिक क्रियाओ के माध्यम से वशीभूत करना |
पौराणिक काल से लोगो को हित कार्यो हेतु हमारे साधु संत व तांत्रिक इन क्रियाओं का प्रयोग किया करते थे, जिससे व्यक्ति उनके वंश में हो जाता था और कोई अनर्थ कार्य होने से बच जाता था
यह क्रिया आज भी मौजूद है, इसे करने की अलग अलग प्रयोग विधि तथा उपाय है | इन्ही उपायों में से एक उपाय वशीकरण तिलक है | इस तिलक में अलौकिक शक्तिया होती है, जो भी व्यक्ति इस तिलक का प्रयोग करता है सामने वाला व्यक्ति उससे आकर्षित होने लगता है | अर्थात उसके मन व शरीर आपके प्रति आकर्षित होने लगते है |
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वाशिकरण तिलक
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वाशिकरण तिलक
vashikaran tilak
वशीकरण तिलक- मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है.
vashikaran tilak for love
वशीकरण में कई तरह की सामग्री प्रयोग में लाई जाती है. उदाहरणार्थ :
१. शुद्ध सिन्दूर
२. शुद्ध केसर
३. शुद्ध गोरोचन
इन सबको बराबर भाग में मिलाकर एक चांदी की डिब्बी में रख लिया जाता है. फिर सूर्यौदय के पश्चात इस डिब्बी में से तिलक लगाना चाहिए. तिलक लगाने की सही जगह है, “दोनों भौंहों के बीच -‘आज्ञाचक्र’ “. तिलक लगाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए :
” ॐ नमः सर्व लाक वशंकराय कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र के प्रयोग से सबको अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है.
वशीकरण के अन्तर्गत प्रियजन को मनाने के लिए निम्नलिखित विधि अपनायी जाती है:- ” सर्वप्रथम सुबह स्नान ध्यान करके सुबह के समय वशीकरण तिलक की सामग्री को गंगाजल, चन्दन पाउडर के साथ मिश्रित करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए तिलक करें। इससे आपका रूठा हुआ मित्र मान जायेगा और आपके पास आ जायेगा। मन्त्र है :
“ॐ नमः कामाक्षी देवी ( नारी व पुरुष का नाम ) सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र का २१ दिन तक रोज़ जाप करना है।“
हर स्त्री सोचती है की उसका पति उसके वश में रहे. उसकी हर बात माने. ज्योतिषशास्त्र में पति को वश में करने के लिए वशीकरण तिलक मंत्र है. “रविवार के दिन रात को सोते समय कुछ सिन्दूर बिस्तर पर पति के सोने वाले हिस्से की ओर बिखरा दें तथा सुबह नाहा कर माँ पार्वती का नाम लेकर उससे अपनी मांग में भर लें.” इससे पति सदैव वश में रहते हैं.
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है ” कामरूप कामाख्या मंदिर” . यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. इसका तांत्रिक महत्त्व है. यहां पर एक
मोहन मंत्र प्रचलित है. माना जाता है की , कामरूप कामाख्या क्षेत्र में ‘कामिया सिन्दूर’ पाया जाता है. इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार जाप करें. इससे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा. प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’ पर सात बार निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाएं. इस तिलक को लगाकर जहाँ भी जाएंगे सभी वश में हो जायेंगे.
vashikaran tilak for love back
मन्त्र है:
“हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया, कैलास पर्वत से आया।
कौन लाया, अन्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुsरु, सत् कबीर। ”
वशीकरण तिलक मन्त्र नकारात्मक भी हैं और सकारात्मक भी. इसका सकारात्मकता पूर्ण प्रयोग व्यक्ति को प्रगति, मनचाहे वर की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठित स्थान दिला सकता है. इससे दूसरों की भलाई भी की जा सकती है.
परंतु यदि व्यक्ति नकारात्मक प्रवृति वाला हो तो वह सिर्फ अपना ही भला सोचता है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके इस मन्त्र तंत्र के प्रयोग का किसी दुसरे पर दुष्प्रभाव भी पद सकता है . और वह इस वशीकरण तिलक मन्त्र का काली विद्या के रूप में प्रयोग करता है, जिसका न सिर्फ दूसरों पर बल्कि स्वयं उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
अंततः हम यही कहना चाहते हैं की वशीकरण तिलक मन्त्र जैसी शक्तियों का प्रयोग यदि कोई व्यक्ति करना भी चाहता है तो ‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबके हित की भावना को ध्यान में रख कर करें. इसका दुरूपयोग ना करें.
vashikaran tilak for bussiness
Vashikaran Tilak :- प्रिय साधक टिका वशीकरण, तिलक वशीकरण, सम्मोहन तिलक एक ही प्रकार के विभिन रूप है जिसके द्वारा कोई भी किसी को भी अपने वस में कर सकता है | इसके लिए सबसे पहले वशीकरण बनाया जाता है या आप किसी साधु से भी इसको प्राप्त कर सकते है और या आप हमसे इसकी प्रयोग विधि जन सकते है | यदि आपको वशीकरण टिका बना हुआ कही से मिल जाता है तो केवल आपको मस्तिक में लगाना होता है और आप जिस किसी के शामे जाते है वो आपसे प्रसन होकर आपकी सारी बातो में हा करता है आप जैसा चाहते हो वो इंसान वैसा ही करता है | लेकिन एक सिद्ध वशीकरण तिलक पाना बहुत ही मुश्किल काम है | लेकिन इसकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है आप इसको अपने घर पर भी बना सकते उसके लिए कुछ विधि से इसको बनाना पड़ता है|
वशीकरण काजल मंत्र, सम्मोहन काजल निर्माण विधि, काजल/सुरमा के टोटके – जब काजल किसी लड़की की आंखों मे लग जाये तो वो उसका शिंगार बन जाता है, तो जब उसे किसी छोटे बच्चे के माथे पर लगाया जाता है तो वो उसकी रक्षा करता है। उसे किसिकी बुरी नजरों से बचाता है। जी हां, काजल को सिर्फ शिंगार तक ही नहीं देखा जाता, आज इसके मायने और बढ़ चुके है। इसका इस्तेमाल वशीकरण के लिय भी लोग करते है। जिसे काजल वशीकरण कहते है। वशीकरण का मतलब तो हम सब ही समझ चुके है। जिसमे एक इंसान किसी दूसरे इंसान को अपने कंट्रोल मे करके उसको अपने अधिकार मे लेना चाहता हो।
vashikaran tilak for home
तो चलिये जानते है काजल के कुछ ऐसे की उपाय जिनके प्रयोग से आपको लाभ मिल सकता है। यदि आपके घर मे अक्सर अशांति का महोल बने रहता है व शांति बनाए जाने की कोशीशे विफल होती जा रही है तो ऐसे मे आप शनिवार के दिन सुबह एक काले कपड़े मे जटा वाले नारियल को लपेट ले फिर उसपर काजल से21 बिंदी लगा दे, इसके बाद उसे घर के बाहर लटका दे। इससे आपका घर बुरी नजरों से बच सकेगा और आप शांति का महोल महसूस कर पाएंगे। यही नहीं यदि आप काजल को एक शीशी में लेकर, शनिवार के दिन उसे अपने सिर से पैर तक 9 बार फेरकर किसी सुनसान स्थान पर गाड़ आए। ऐसा करने के बाद आप पीछे पलटकर न देखे। ध्यान रहे जिस चीज़ या औज़ार से गड्डा खोदा था उसे भी वही छोड़ दे। ऐसा करके आप शनि को शांत करके अपने जीवन मे भी शांति को पा सकते है
काजल द्वारा वशीकरण करने हेतु आप रविवार के दिन, पुष्य नक्षत्र के अंतर्गत गूलर के फूल व कपास की रूई को आपस मे मिलाकर बत्ती बना ले, फिर मक्खन से उसे जला ले। ऐसा करने के बाद आपको उस बत्ती से निकलने वाली आग से ही काजल बनाना होगा। याद रहे इस काजल को आप किसी और को न दे। हर रात इसे लगाने से आप किसीको भी अपनी ओर आकर्षित करके अपने वश मे कर सकते हो।
वशीकरण तिलक/सम्मोहन तिलक को सिद्ध करने के लिए बहुत से प्रकार मंत्र और सबको सिद्ध करने की अलग विधि विधान है जैसे की आप अपने ऑफिस में बॉस को खुश रखना चाहते है इसके लिए अलग से वशीकरण मंत्र का उच्चारण किया जायेगा, यदि आप किसी लड़की से प्रेम करते है और उसको अपने वश में करना चाहते है तो आपको अलग विधि और मंत्र का प्रयोग करना पड़ेगा| तो मै ये बताना चाहता हु की वशीकरण तिलक को किस के लिए आप प्रयोग मै लेना चाहते है सब कार्य के लिए अलग अलग विधि विधान मौजूद है |
वशीकरण के आसान तरीके मैं आपका स्वागत है | आज हम आपको वशीकरण के तिलक के बारे में बताने वाले हैं| जिसके इस्तेमाल से आप किसी को भी वश में कर सकते है| इस वशीकरण तिलक की वजह से आपके सामने आने वाले लोगों को आप अपने इशारे पर नचा सकते हो| हम इस वश में करने करने वाला तिलक का इस्तमाल कर के अपना काम पूरा कर सकते हो और एक खुशहाल जीवन बिता सकते हो और कामयाबी पा सकते हो|
दोस्तों इस वशीकरण तिलक का इस्तेमाल कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है इसका इस्तेमाल कई जगह पर होता है जैसे कि जॉब,नौकरी, ऑफिस और बिजनेस में और अपना मनचाहा प्यार पाने के लिए, परिवार में या किसी को अपने वश में करने के लिए | इस तिलक को सम्मोहन तिलक भी कहते हैं|
सम्मोहन तिलक के इस्तेमाल से आप अगर आपका प्यार आपसे रूठ गया है, आपसे दूर हो गया है तो आप इसको अपने प्यार के सामने जाकर वश में कर सकते हो| इस तिलक का इस्तेमाल अपने सर पर करना चाहिए यह तिलक किसी अन्य के सर पर नहीं लगाना है इसलिए आप को वश में करने के लिए तकलीफ नहीं होगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा|
vashikaran tilak for husband
वशीकरण के तिलक के बारे में आप इस वशीकरण को तिलक को घर पर ही बना सकते हैं| इसके लिए हम आपको नीचे कुछ तरीके बताएंगे जिसके इस्तेमाल से आप घर पर ही वशीकरण तिलक को बना सकते हैं| तो जानते हैं कैसे बनाते हैं वशीकरण तिलक और वशीकरण का इस्तेमाल कैसे करते हैं|
वशीकरण तिलक को बनाने के लिए आपको थोड़ा सा सिंदूर लेना है, थोड़ा केसर लेना है और थोड़ा शुद्ध गोराचन लेना है|
इन सब को अच्छे से मिलाकर एक चांदी के डब्बे में रखना है छोटी सी डिब्बी भी ले सकते हो |
इस तिलक का प्रयोग रोज सुबह करना है यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि तिलक हमेशा आपने माथे के मध्य ललाट में लगाना चाहिए|
जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, केशर, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।
स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे हुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के निहित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं। शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
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वशीकरण तिलक बनाने के लिए अष्टगंध, हल्दी के अतिरिक्त तिलक किए जाने वाले दूसरे पदार्थों मं रोली, सिंदूर आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर विधिवत धूप और दीप दिखाए जाते हैं। पूजन के लिए अपने इष्टदेव का ध्यान किया जाता है। ध्यान के समय उपयुक्त मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से तिलक अभिमंत्रित हो जाता है, जिसे लगाने के समय संबंधित उपायों का मंत्र-जाप करना आवश्यक होता है। वशीकरण तिलकों में स्त्री या पुरुष वशीकरण और सर्वजन वशीकरण तिलक मुख्य हैं। इससे न केवल ध्यान केंद्रीत करने में मदद मिलती है, बल्कि दिमागी व आंतरिक शक्ति बढ़ती है, बल मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा बचना संभव होता है।
वशीकरण का शाब्दिक अर्थ है वशीभूत होना, अर्थात व्यक्ति के मन, चित्त व शरीर को मंत्रो तथा तांत्रिक क्रियाओ के माध्यम से वशीभूत करना |
पौराणिक काल से लोगो को हित कार्यो हेतु हमारे साधु संत व तांत्रिक इन क्रियाओं का प्रयोग किया करते थे, जिससे व्यक्ति उनके वंश में हो जाता था और कोई अनर्थ कार्य होने से बच जाता था
यह क्रिया आज भी मौजूद है, इसे करने की अलग अलग प्रयोग विधि तथा उपाय है | इन्ही उपायों में से एक उपाय वशीकरण तिलक है | इस तिलक में अलौकिक शक्तिया होती है, जो भी व्यक्ति इस तिलक का प्रयोग करता है सामने वाला व्यक्ति उससे आकर्षित होने लगता है | अर्थात उसके मन व शरीर आपके प्रति आकर्षित होने लगते है |
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वशीकरण तिलक- मनुष्य २१वीं सदी में पदार्पण कर चूका है. कई आकाशगंगाओं की खोज कर चुका है. इतनी प्रगति के बावजूद मनुष्य को अब भी यह विश्वास है की मंत्र सिद्धि के माध्यम से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है. आम भाषा में इसी को वशीकरण कहते हैं . वशीकरण से अभिप्राय है -“किसी को अपने वश में करना “. वशीकरण का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है. इसके द्वारा मनुष्य अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना सकता है, मनचाहा वर प्राप्त किया जा सकता है, अपने करियर में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है.
ये तो हुआ वशीकरण का अर्थ. अब जानते हैं की तिलक क्या होता है? तिलक अर्थात टीका, जिसे हम अपने माथे पर भौंहों के बीच में लगते हैं. भारत योग की नगरी है. आदिकाल से हमारे यहाँ योग का, कुंडलिनी क्रिया का महत्त्व रहा है. योग विद्या के अनुसार यह मन जाता है की दोनों भौंहों के बीच में आज्ञाचक्र पर तिलक करने से न सिर्फ ललाट की आभा बढ़ती है, बल्कि इससे मन मस्तिष्क में एक स्फूर्ति का संचरण भी होता है.
वशीकरण तिलक शब्द वशीकरण+तिलक से मिलकर बना है. अर्थात मन्त्रों द्वारा सिद्ध की गई विशेष सामग्री का तिलक के रूप में प्रयोग करके किसी को वश में करना या फिर अपन आकर्षण शक्ति को बढ़ाना. अब सवाल यह उठता है की मनुष्य इस वशीकरण तिलक को आखिर क्यों प्रयोग करता है? इसके कई कारन हो सकते हैं, जैसे- किसी विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए, किसी पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ताकि वह पार्टी में सबके आकर्षण का केंद्र बन सके. इसके माध्यम से किसी विशेष स्त्री या उरुष को मोहित भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस वशीकरण तिलक का प्रयोग अपने रूठे मित्र को मनाने के लिए भी करते हैं. वशीकरण तिलक का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले व्यक्तियों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी किया जाता है.
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वशीकरण में कई तरह की सामग्री प्रयोग में लाई जाती है. उदाहरणार्थ :
१. शुद्ध सिन्दूर
२. शुद्ध केसर
३. शुद्ध गोरोचन
इन सबको बराबर भाग में मिलाकर एक चांदी की डिब्बी में रख लिया जाता है. फिर सूर्यौदय के पश्चात इस डिब्बी में से तिलक लगाना चाहिए. तिलक लगाने की सही जगह है, “दोनों भौंहों के बीच -‘आज्ञाचक्र’ “. तिलक लगाते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए :
” ॐ नमः सर्व लाक वशंकराय कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र के प्रयोग से सबको अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है.
वशीकरण के अन्तर्गत प्रियजन को मनाने के लिए निम्नलिखित विधि अपनायी जाती है:- ” सर्वप्रथम सुबह स्नान ध्यान करके सुबह के समय वशीकरण तिलक की सामग्री को गंगाजल, चन्दन पाउडर के साथ मिश्रित करके निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए तिलक करें। इससे आपका रूठा हुआ मित्र मान जायेगा और आपके पास आ जायेगा। मन्त्र है :
“ॐ नमः कामाक्षी देवी ( नारी व पुरुष का नाम ) सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ”
इस मन्त्र का २१ दिन तक रोज़ जाप करना है।“
हर स्त्री सोचती है की उसका पति उसके वश में रहे. उसकी हर बात माने. ज्योतिषशास्त्र में पति को वश में करने के लिए वशीकरण तिलक मंत्र है. “रविवार के दिन रात को सोते समय कुछ सिन्दूर बिस्तर पर पति के सोने वाले हिस्से की ओर बिखरा दें तथा सुबह नाहा कर माँ पार्वती का नाम लेकर उससे अपनी मांग में भर लें.” इससे पति सदैव वश में रहते हैं.
असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है ” कामरूप कामाख्या मंदिर” . यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है. इसका तांत्रिक महत्त्व है. यहां पर एक
मोहन मंत्र प्रचलित है. माना जाता है की , कामरूप कामाख्या क्षेत्र में ‘कामिया सिन्दूर’ पाया जाता है. इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक निम्नलिखित मन्त्र का १०८ बार जाप करें. इससे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा. प्रयोग के समय ‘कामिया सिन्दूर’ पर सात बार निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर अपने माथे पर टीका लगाएं. इस तिलक को लगाकर जहाँ भी जाएंगे सभी वश में हो जायेंगे.
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मन्त्र है:
“हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार।
मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर।
सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे।
तेल सिन्दूर कहाँ से आया, कैलास पर्वत से आया।
कौन लाया, अन्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया।
काला, गोरा, तोतला तीनों बसे कपार।
बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल।
दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए।
सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुsरु, सत् कबीर। ”
वशीकरण तिलक मन्त्र नकारात्मक भी हैं और सकारात्मक भी. इसका सकारात्मकता पूर्ण प्रयोग व्यक्ति को प्रगति, मनचाहे वर की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठित स्थान दिला सकता है. इससे दूसरों की भलाई भी की जा सकती है.
परंतु यदि व्यक्ति नकारात्मक प्रवृति वाला हो तो वह सिर्फ अपना ही भला सोचता है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके इस मन्त्र तंत्र के प्रयोग का किसी दुसरे पर दुष्प्रभाव भी पद सकता है . और वह इस वशीकरण तिलक मन्त्र का काली विद्या के रूप में प्रयोग करता है, जिसका न सिर्फ दूसरों पर बल्कि स्वयं उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
अंततः हम यही कहना चाहते हैं की वशीकरण तिलक मन्त्र जैसी शक्तियों का प्रयोग यदि कोई व्यक्ति करना भी चाहता है तो ‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबके हित की भावना को ध्यान में रख कर करें. इसका दुरूपयोग ना करें.
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Vashikaran Tilak :- प्रिय साधक टिका वशीकरण, तिलक वशीकरण, सम्मोहन तिलक एक ही प्रकार के विभिन रूप है जिसके द्वारा कोई भी किसी को भी अपने वस में कर सकता है | इसके लिए सबसे पहले वशीकरण बनाया जाता है या आप किसी साधु से भी इसको प्राप्त कर सकते है और या आप हमसे इसकी प्रयोग विधि जन सकते है | यदि आपको वशीकरण टिका बना हुआ कही से मिल जाता है तो केवल आपको मस्तिक में लगाना होता है और आप जिस किसी के शामे जाते है वो आपसे प्रसन होकर आपकी सारी बातो में हा करता है आप जैसा चाहते हो वो इंसान वैसा ही करता है | लेकिन एक सिद्ध वशीकरण तिलक पाना बहुत ही मुश्किल काम है | लेकिन इसकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है आप इसको अपने घर पर भी बना सकते उसके लिए कुछ विधि से इसको बनाना पड़ता है|
वशीकरण काजल मंत्र, सम्मोहन काजल निर्माण विधि, काजल/सुरमा के टोटके – जब काजल किसी लड़की की आंखों मे लग जाये तो वो उसका शिंगार बन जाता है, तो जब उसे किसी छोटे बच्चे के माथे पर लगाया जाता है तो वो उसकी रक्षा करता है। उसे किसिकी बुरी नजरों से बचाता है। जी हां, काजल को सिर्फ शिंगार तक ही नहीं देखा जाता, आज इसके मायने और बढ़ चुके है। इसका इस्तेमाल वशीकरण के लिय भी लोग करते है। जिसे काजल वशीकरण कहते है। वशीकरण का मतलब तो हम सब ही समझ चुके है। जिसमे एक इंसान किसी दूसरे इंसान को अपने कंट्रोल मे करके उसको अपने अधिकार मे लेना चाहता हो।
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तो चलिये जानते है काजल के कुछ ऐसे की उपाय जिनके प्रयोग से आपको लाभ मिल सकता है। यदि आपके घर मे अक्सर अशांति का महोल बने रहता है व शांति बनाए जाने की कोशीशे विफल होती जा रही है तो ऐसे मे आप शनिवार के दिन सुबह एक काले कपड़े मे जटा वाले नारियल को लपेट ले फिर उसपर काजल से21 बिंदी लगा दे, इसके बाद उसे घर के बाहर लटका दे। इससे आपका घर बुरी नजरों से बच सकेगा और आप शांति का महोल महसूस कर पाएंगे। यही नहीं यदि आप काजल को एक शीशी में लेकर, शनिवार के दिन उसे अपने सिर से पैर तक 9 बार फेरकर किसी सुनसान स्थान पर गाड़ आए। ऐसा करने के बाद आप पीछे पलटकर न देखे। ध्यान रहे जिस चीज़ या औज़ार से गड्डा खोदा था उसे भी वही छोड़ दे। ऐसा करके आप शनि को शांत करके अपने जीवन मे भी शांति को पा सकते है
काजल द्वारा वशीकरण करने हेतु आप रविवार के दिन, पुष्य नक्षत्र के अंतर्गत गूलर के फूल व कपास की रूई को आपस मे मिलाकर बत्ती बना ले, फिर मक्खन से उसे जला ले। ऐसा करने के बाद आपको उस बत्ती से निकलने वाली आग से ही काजल बनाना होगा। याद रहे इस काजल को आप किसी और को न दे। हर रात इसे लगाने से आप किसीको भी अपनी ओर आकर्षित करके अपने वश मे कर सकते हो।
वशीकरण तिलक/सम्मोहन तिलक को सिद्ध करने के लिए बहुत से प्रकार मंत्र और सबको सिद्ध करने की अलग विधि विधान है जैसे की आप अपने ऑफिस में बॉस को खुश रखना चाहते है इसके लिए अलग से वशीकरण मंत्र का उच्चारण किया जायेगा, यदि आप किसी लड़की से प्रेम करते है और उसको अपने वश में करना चाहते है तो आपको अलग विधि और मंत्र का प्रयोग करना पड़ेगा| तो मै ये बताना चाहता हु की वशीकरण तिलक को किस के लिए आप प्रयोग मै लेना चाहते है सब कार्य के लिए अलग अलग विधि विधान मौजूद है |
वशीकरण के आसान तरीके मैं आपका स्वागत है | आज हम आपको वशीकरण के तिलक के बारे में बताने वाले हैं| जिसके इस्तेमाल से आप किसी को भी वश में कर सकते है| इस वशीकरण तिलक की वजह से आपके सामने आने वाले लोगों को आप अपने इशारे पर नचा सकते हो| हम इस वश में करने करने वाला तिलक का इस्तमाल कर के अपना काम पूरा कर सकते हो और एक खुशहाल जीवन बिता सकते हो और कामयाबी पा सकते हो|
दोस्तों इस वशीकरण तिलक का इस्तेमाल कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है इसका इस्तेमाल कई जगह पर होता है जैसे कि जॉब,नौकरी, ऑफिस और बिजनेस में और अपना मनचाहा प्यार पाने के लिए, परिवार में या किसी को अपने वश में करने के लिए | इस तिलक को सम्मोहन तिलक भी कहते हैं|
सम्मोहन तिलक के इस्तेमाल से आप अगर आपका प्यार आपसे रूठ गया है, आपसे दूर हो गया है तो आप इसको अपने प्यार के सामने जाकर वश में कर सकते हो| इस तिलक का इस्तेमाल अपने सर पर करना चाहिए यह तिलक किसी अन्य के सर पर नह���ं लगाना है इसलिए आप को वश में करने के लिए तकलीफ नहीं होगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा|
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वशीकरण के तिलक के बारे में आप इस वशीकरण को तिलक को घर पर ही बना सकते हैं| इसके लिए हम आपको नीचे कुछ तरीके बताएंगे जिसके इस्तेमाल से आप घर पर ही वशीकरण तिलक को बना सकते हैं| तो जानते हैं कैसे बनाते हैं वशीकरण तिलक और वशीकरण का इस्तेमाल कैसे करते हैं|
वशीकरण तिलक को बनाने के लिए आपको थोड़ा सा सिंदूर लेना है, थोड़ा केसर लेना है और थोड़ा शुद्ध गोराचन लेना है|
इन सब को अच्छे से मिलाकर एक चांदी के डब्बे में रखना है छोटी सी डिब्बी भी ले सकते हो |
इस तिलक का प्रयोग रोज सुबह करना है यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि तिलक हमेशा आपने माथे के मध्य ललाट में लगाना चाहिए|
जैसा की वशीकरण तिलक से तो परिचित होंगे इसका अनुभूत प्रयोग किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए होता है | हिंदू परंपरा में ललाट पर तिलक लगाने के कई तरीके बताए गए हैं, तो इसे सुख-शांति देने, गौरव, आत्मविश्वास, आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ाने तथा मन को एकाग्र करने के अतिरिक्त वशीरकण या सम्मोहन का अचूक प्रभाव देने वाल भी बताया गया है। आधुनिक जीवनशैली और तकनीक के सहारे जीवन को सहज-सरल बनाया जा रहा है। इसके साथ ही अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही हल्दी, रोली, चंदन, सिंदूर, केशर, भस्म आदि से तिलक लगाने की परंपरा के पीछे की छिपी भावनात्मक महत्व को समझने की जरूरत है।
स्त्री-पुरुष सभी के द्वारा लगाया जाने वाला तिलक मनोवैज्ञानिक प्रभाव और वैज्ञानिक आधार समेटे हुए है। इसमें धार्मिक कार्य की उपयोगिता और महत्ता के निहित है। इसमें विजयोत्सव के भाव हैं। शुभकामनाओं और शुभ संकेतों का प्रतीक है। इसमें सामने वाले को सम्मोहित करने की अद्भुत क्षमता है। तिलक लगाने वाला व्यक्ति सात्विक भावना से भरा रहता है, जिसपर देवी-देवताओं की विशिष्ट कृपा बनी रहती है। विभिन्न पर्व-त्यौहारों, धार्मिक तीर्थस्थलों, विशिष्ट आतिथि सत्कार, धार्मिक अनुष्ठानों, शुभ-संस्कारों और पूजा-पाठ के कार्य इसके बगैर संपन्न नहीं होते हैं। इसके प्रभाव में आया हुआ व्यक्ति आध्यात्मिकता और आत्मीयता की ओर अग्रसारित हो जाता है। एक तरह से यह तीसरे नेत्र के प्रतीक के रूप में बेहद चमत्कारी प्रभाव वाला है।
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने के अनेक उपायों में तिलक से वशीकरण करने के विविध तरीके बताए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके द्वारा कठोर से कठोर दिल के इंसान को भी अपनी इच्छा के अनुरूप वश में किया जा सकता है। तिलक के सम्मोहन में वह शक्ति है, जिससे रूठा हुआ व्यक्ति भी अपनी सारी नाराजगी और शिकायतों को भूलकर नए सिरे से सकारात्मक भावना के साथ जुड़ जाता है। यह कहें कि तिलक में सामने वाले व्यक्ति के मन को मोहित करने की अद्भुत क्षमता होती है।
तिलक से वशीकरण के उपाय को जादू या मंत्र-तंत्र से अभिमंत्रित टोना-टोटका कहना सही नहीं होगा। इसमें संपूर्ण वैज्ञानिकता है और इससे तिलकधारी की प्रबुद्धता उभरकर सामने आ जाती है। आध्यात्म के नजरिए से मस्तिष्क के ठीक बीचो-बीच ‘आज्ञा चक्र’ बना हुआ है, जबकि विज्ञान के अनुसार दिमाग में सेराटोनिक और बीटा एंडेर्फिन रसायन का होने वाला संतुलित स्राव ही मन को उत्साहित कर सकारात्मक बनाता है। मन के विज्ञान को प्रभावित करने वाले तिलक उपायोग के प्रयोग विधि काफी सरल है।
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वशीकरण तिलक बनाने के लिए अष्टगंध, हल्दी के अतिरिक्त तिलक किए जाने वाले दूसरे पदार्थों मं रोली, सिंदूर आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर रखकर विधिवत धूप और दीप दिखाए जाते हैं। पूजन के लिए अपने इष्टदेव का ध्यान किया जाता है। ध्यान के समय उपयुक्त मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से तिलक अभिमंत्रित हो जाता है, जिसे लगाने के समय संबंधित उपायों का मंत्र-जाप करना आवश्यक होता है। वशीकरण तिलकों में स्त्री या पुरुष वशीकरण और सर्वजन वशीकरण तिलक मुख्य हैं। इससे न केवल ध्यान केंद्रीत करने में मदद मिलती है, बल्कि दिमागी व आंतरिक शक्ति बढ़ती है, बल मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा बचना संभव होता है।
वशीकरण का शाब्दिक अर्थ है वशीभूत होना, अर्थात व्यक्ति के मन, चित्त व शरीर को मंत्रो तथा तांत्रिक क्रियाओ के माध्यम से वशीभूत करना |
पौराणिक काल से लोगो को हित कार्यो हेतु हमारे साधु संत व तांत्रिक इन क्रियाओं का प्रयोग किया करते थे, जिससे व्यक्ति उनके वंश में हो जाता था और कोई अनर्थ कार्य होने से बच जाता था
यह क्रिया आज भी मौजूद है, इसे करने की अलग अलग प्रयोग विधि तथा उपाय है | इन्ही उपायों में से एक उपाय वशीकरण तिलक है | इस तिलक में अलौकिक शक्तिया होती है, जो भी व्यक्ति इस तिलक का प्रयोग करता है सामने वाला व्यक्ति उससे आकर्षित होने लगता है | अर्थात उसके मन व शरीर आपके प्रति आकर्षित होने लगते है |
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