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संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार सावन पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई को पड़ रही है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति होत�� है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु की आरा��ना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्हें संतान रूपी रत्न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। पहली पौष माह में जबकि दूसरी सावन में।
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विष्णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्य दान देकर व्रत का पारण करें। ये भी पढ़े... 2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा गुरुवार को इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, घर में आएगी सुख-समृद्धि Read the full article
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