#bhagwaanvishnukeavtaar
Explore tagged Tumblr posts
chaitanyabharatnews · 3 years ago
Text
आज है पुत्रदा एकादशी, जानिए इस व्रत का महत्व और पूजा विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। इस बार पुत्रदा एकादशी 18 अगस्त 2021 को है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है।
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें। Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 3 years ago
Text
संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस बार पुत्रदा एकादशी 18 अगस्त को है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है।
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें। Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years ago
Text
पापों से मुक्ति दिलाता है जया एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज माघ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को जया एकादशी कहा गया है। जया एकादशी का व्रत बहुत ही शुभ माना गया है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस बार जया एकादशी 23 फरवरी को पड़ रही है। आइए जानते हैं जया एकादशी का महत्व और पूजा-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
जया एकादशी व्रत का महत्व हिंदू धर्म में माघ शुक्‍ल में आने वाली जया एकादशी का विशेष महत्‍व है। मान्‍यता है कि इसका व्रत करने से मनुष्य पापों से छूट कर मोक्ष को प्राप्त होता है। यही नहीं इसके प्रभाव से भूत, पिशाच आदि योनियों से भी मुक्त हो जाता है। इस दिन श्री हरि विष्‍णु की पूजा की जाती है। कहते हैं कि जिस मनुष्य ने इस एकादशी का व्रत किया है उसने मानो सब यज्ञ, जप, दान आदि कर लिए।
Tumblr media
जया एकादशी पूजा-विधि एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें। भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करें और व्रत का संकल्‍प लें। अब घर के मंदिर में एक चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थापित करें। अब एक लोटे में गंगाजल लें और उसमें तिल, रोली और अक्षत मिलाएं। इसके बाद भगवान विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर उन्‍हें पुष्‍प अर्पित करें। अब घी के दीपक से विष्‍णु की आरती उतारें और विष्‍णु सहस्‍नाम का पाठ करें। जया एकादशी के दिन तिल का दान करना अच्‍छा माना जाता है। शाम के समय भगवान विष्‍णु की पूजा कर फलाहार ग्रहण करें। ये भी पढ़े... इस दिन है षटतिला एकादशी, जानिए व्रत का महत्व और पूजन-विधि मोक्षदा एकादशी : इस दिन श्रीकृष्ण ने दिया था गीता उपदेश, जानिए इसका महत्व और पूजन-विधि बुधवार को इस मंत्र के जाप पूर्ण करें अपना व्रत, जरुर प्रसन्न होंगे भगवान गणेश Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years ago
Text
आज है पुत्रदा एकादशी, जानिए इस व्रत का महत्व और पूजा विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। इस बार पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी 2021 को है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है।
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें। Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years ago
Text
संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। इस बार पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी 2021 को है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है।
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें। Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years ago
Text
संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष ��ी एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार सावन पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई को पड़ रही है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। पहली पौष माह में जबकि दूसरी सावन में।
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें। ये भी पढ़े... 2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा गुरुवार को इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, घर में आएगी सुख-समृद्धि Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 5 years ago
Text
संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म के मुताबिक सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत पुत्रदा एकादशी का होता है। हर साल पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। इस बार पौष पुत्रदा एकादशी 6 जनवरी को पड़ रही है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी का महत्व मान्‍यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु की आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो भी भक्‍त पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे तन, मन और जतन से करते हैं तो उन्‍हें संतान रूपी रत्‍न मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जो कोई भी पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पढ़ता है, सुनता है या सुनाता है उसे स्‍वर्ग की प्राप्‍ति होती है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। पहली पौ��� माह में जबकि दूसरी सावन में।
Tumblr media
पुत्रदा एकादशी पूजन-विधि एकादशी के दिन सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। अब घर के मंदिर में श्री हरि विष्‍णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद विष्‍णु को धूप-दीप दिखाकर विधिवत पूजा-अर्चना करें और आरती उतारें। भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। एकादशी के पूरे दिन निराहार रहें। शाम के समय कथा सुनने के बाद फलाहार करें। एकादशी के दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं और यथा सामर्थ्‍य दान देकर व्रत का पारण करें। ये भी पढ़े... 2020 में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज त्योहार, यहां देखें पूरे साल की लिस्ट घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा गुरुवार को इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, घर में आएगी सुख-समृद्धि Read the full article
0 notes