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In Pics: प्रेग्नेंसी और बेटे को जन्म देने के बाद सपना चौधरी ने कर लिया है काफी वेट गेन, लेटेस्ट तस्वीरों में पहचानना हुआ मुश्किल
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विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक Divya Sandesh
#Divyasandesh
विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक
नई दिल्ली। पर्यावरण से जुड़ी स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु, जैव विविधता और भूमि क्षरण संकट से सफलतापूर्वक निपटने के लिए अगले तीन दशकों में प्रकृति में कुल 8.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। यानी 2050 तक सालाना 536 अरब डॉलर खर्च करने होंगे है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रकृति आधारित समाधानों में वार्षिक निवेश को 2030 तक तिगुना और 2050 तक चार गुना बढ़ाना होगा, जो कि 133 बिलियन डॉलर के मौजूदा निवेश से जुड़ा है।
गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), और इकोनॉमिक्स ऑफ लैंड डिग्रेडेशन (ईएलडी) पहल द्वारा विविड इकोनॉमिक्स के सहयोग से ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) द्वारा आयोजित की गई थी।
यह सरकारों, वित्तीय संस्थानों और व्यवसायों से भविष्य में आर्थिक निर्णय लेने के केंद्र में प्रकृति को रखकर इस निवेश अंतर को दूर करने का आग्रह करता है।
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यह जलवायु और जैव विविधता संकटों से निपटने सहित सामाजिक चुनौतियों से संबंधित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निर्णय लेने के लिए प्रकृति को केंद्रीय बनाकर प्रकृति आधारित समाधानों के लिए पूंजी प्रवाह में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल देता है।
रिपोर्ट 2050 तक वित्त अंतर को बंद करने के लिए प्रकृति आधारित समाधानों की क्षमता को अनलॉक करने का समर्थन करती है।
हानिकारक कृषि और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी का पुन उपयोग करके और आर्थिक और नियामक प्रोत्साहन बनाकर, अधिक स्थायी रूप से निर्माण करके, अब और 2050 के बीच 4.1 खरब डॉलर के वित्त अंतर को बंद करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है।
हालाँकि, प्रकृति वर्तमान में अनुमानित आर्थिक प्रोत्साहन खर्च का केवल 2.5 प्रतिशत है। निवेश के अंतर को पाटने के लिए निजी पूंजी को भी नाटकीय ढंग से बढ़ाना होगा।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से राजस्व प्रवाह को विकसित करना और बढ़ाना और निजी पूंजी में भीड़ के साधन के रूप में ��िश्रित वित्त मॉडल का उपयोग करना ऐसा करने के लिए आवश्यक समाधानों के सूट में से एक है, जिसके लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं से जोखिम साझाकरण की भी आवश्यकता होती है।
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वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में ट्रॉपिकल फॉरेस्ट एलायंस के प्रमुख जस्टिन एडम्स ने कहा, “स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट प्रकृति में बढ़ते निवेश की तात्कालिकता और महत्वपूर्णता को रेखांकित करती है।”
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा ” जैव विविधता का नुकसान पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल अपने उत्पादन का 10 प्रतिशत खर्च कर रहा है। यदि हम प्रकृति आधारित समाधानों को पर्याप्त रूप से वित्त नहीं देते हैं, तो हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए देशों की क्षमताओं को प्रभावित करेंगे। अगर हमने अभी प्रकृति को नहीं बचाया तो हम सतत विकास हासिल नहीं कर पाएंगे।”
रिपोर्ट के अनुसार, वनों के प्रबंधन, संरक्षण और बहाली सहित अकेले वन आधारित समाधानों के लिए वैश्विक स्तर पर कुल वार्षिक व्यय में 203 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी।
यह 2021 में प्रत्येक नागरिक के लिए प्रति वर्ष केवल 25 डॉलर के बराबर है।
रिपोर्ट में संरक्षण उपायों के वित्तपोषण के साथ बहाली कार्रवाई में निवेश को जोड़ने का आह्वान किया गया है। इसके परिणामस्वरूप वन और कृषि वानिकी (खाद्य उत्पादन और पेड़ उगाने का संयोजन) क्षेत्र में 2020 की तुलना में 2050 तक लगभग 300 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हो सकती है।
–आईएएनएस
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Chhori 96 ki Song: सपना ने मांगी वाइन, शॉप कीपर ने कर दिया देने से इन्कार, वीडियो वायरल
हरियाणा की मशहूर डांसर सपना चौधरी का नया वीडियो सॉन्ग ‘छोरी 96 की…’ हाल ही में यूट्यूब पर रिलीज किया गया है। सपना का ये वीडियो यूट्यूब पर काफी धामाल मचा रहा है। इसमें उनका बिंदास लुक देखने को मिल रहा है। बता दें कि यह हरियाणवीं भाषा में रोमांटिक गाना हैं। इस गाने को फैंस काफी पस��द कर रहे हैं और यह तेजी से वायरल हो रहा है।
हो रहा तेजी से वायरल
सपना इस म्यूजिक वीडियो सॉन्ग ‘छोरी 96 की…’ में बिंदास हरियाणवी छोरी के किरदार में नजर आ रही हैं। वीडियो में नजर आ रहा है कि सपना चौधरी एक स्टोर में जाकर वाइन मांग रही हैं लेकिन स्टोर में क्रेडिट कार्ड ना चलने की वजह से दुकानदार उन्हें ड्रिंक देने से मना कर देता है। इसके बाद सपना हरियाणवी भाषा में बोलती हैं ‘देखूंगी तने कैसे ना देगा।’ बता दें कि इस गाने को यूट्यूब पर Times Music द्वारा रिलीज किया गया है। इसके निर्देशक पंकज सिवाच हैं। गौरतलब है कि इस वीडियो को अभी तक 47 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है और ये यूट्यूब पर 27वें नंबर पर ट्रेंड भी कर रहा है।
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बिग बॉस से लौटने के बाद बटोरी ख्याति
स्टेज परफॉरमर के तौर पर अपना कॅरियर शुरू करने वाली सपना चौधरी टीवी शो ‘बिग बॉस’ की भी कंटेस्टेंट रह चुकी हैं। वहां से लौटने के बाद उन्होंने कई फिल्म साइन की थी। सपना ने ना सिर्फ हरियाणवी बल्कि हिंदी, भोजपुरी और पंजाबी गानों पर भी अपना जलवा बिखेर चुकी हैं। ‘बिग बॉस’ से लौटने के बाद उन्होंने अपने लुक में भी काफी परिवर्तन किया है। सपना इन दिनों म्युजिक वीडियोज में काफी बिजी हैं। हाल ही में उनका म्यूजिक वीडियो ‘राम की सू…’ जारी किया गया था। इसे फैंस ने काफी पसंद किया था।
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निर्वाचन प्रणालीबारे बौद्धिक बहस आवश्यकः मन्त्री देवनिर्वाचन प्रणालीबारे बौद्धिक बहस आवश्यकः मन्त्री देव राजविराज, १६ भदौं । हालको प्रत्यक���ष निर्वाचन प्रणालीबाट गरिब तथा विपन्नको प्रतिनिधित्व हुन नसक्ने अवस्था रहेको भन्दै यसबारे बहस हुनुपर्ने संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मन्त्री जितेन्द्र नारायण देवले बताएका छन् । चित्रगुप्त सेवा समिति राजविराजले शुक्रबार आयोजना गरेको स्वागत तथा सम्मान कार्यक्रममा बोल्दै उनले यस्तो कुरा बताएका छन् । ‘अहिलेको निर्वाचन प्रणालीलाई परिवर्तन नगरे गरिबका छोराछोरी चुनाव जित्न सक्दैनन्’ उनले भने ‘यसबारे बौद्धिक वर्गले चर्चा परिचर्चा चलाउनु आवश्यक छ । केही दिन अघि सम्पन्न स्थानीय तह निर्वाचनमा गाउँपालिकाको अध्यक्षमा चुनाव लड्दा एक उम्मेदवारले २–३ करोड रुपैयाँसम्म खर्च गरेको आफुले जानकारी पाएको खुलासा गर्दै नेपाल फोरम लोकतान्त्रिकका उपाध्यक्ष रहेका देवले प्रश्न गरे ‘यस्तै हो भने गरिब तथा मध्यम वर्गले कसरी चुनाव लड्ने ?’ योग्यता, क्षमतावान र देश तथा समाजकालागि केही गर्ने भावना बोकेका व्यक्तिलाई स्थानीय निकायको चुनावमा प्रतिनिधित्व गराउनुपर्ने आवश्यक रहेपनि आर्थिक अभावकै कारण त्यस्ताहरुले बञ्चित हुनुपर्ने अवस्था आउनु विडम्बना नै रहेको उनको कथन थियो । मन्त्री देवले सबै वर्गका मानिसको सहभागिताकालागि कस्तो निर्वाचन प्रणाली उपयुक्त हुन्छ भनी सोच्नु पर्ने बेला आइसकेको स्पष्ट पारे । बाराको निजगढस्थित अन्तराष्ट्रिय विमानस्थल र राजविराज विमानस्थल आफ्ना कार्यकालका दुई प्रमुख सपना रहेको भन्दै नेता देवले राजविराज विमानस्थलको स्तरोन्नति पुरा गरि यही कार्तिक १६ गतेपछि विमानसेवा सुरु हुने जानकारी दिए । उनले निजगढको अन्तराष्ट्रिय विमानस्थल विश्वकै १० उत्कृष्ट विमानस्थल मध्ये एक हुने समेत बताए । मन्त्री देवलाई चित्रगुप्त सेवा समितिका अध्यक्ष अशोक कुमार कर्णले मिथिलाको पाग तथा दोसल्ला ओढाई सम्मान गरेका थिए । उक्त अवसरमा नेपाल लोकतान्त्रिक फोरमका जिल्ला अध्यक्ष तथा पूर्व मेयर शैलेश कुमार चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार शिवहरी प्रसाद भट्टराई, पत्रकार महासंघ सप्तरीका अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार खड्गा, निलम कर्ण लगायतले शुभकामना मन्तव्य व्यक्त गरेका थिए ।
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विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक Divya Sandesh
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विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का एक फीसदी से भी कम निवेश जलवायु परिवर्तन रोकने में सहायक
नई दिल्ली। पर्यावरण से जुड़ी स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु, जैव विविधता और भूमि क्षरण संकट से सफलतापूर्वक निपटने के लिए अगले तीन दशकों में प्रकृति में कुल 8.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। यानी 2050 तक सालाना 536 अरब डॉलर खर्च करने होंगे है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रकृति आधारित समाधानों में वार्षिक निवेश को 2030 तक तिगुना और 2050 तक चार गुना बढ़ाना होगा, जो कि 133 बिलियन डॉलर के मौजूदा निवेश से जुड़ा है।
गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), और इकोनॉमिक्स ऑफ लैंड डिग्रेडेशन (ईएलडी) पहल द्वारा विविड इकोनॉमिक्स के सहयोग से ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) द्वारा आयोजित की गई थी।
यह सरकारों, वित्तीय संस्थानों और व्यवसायों से भविष्य में आर्थिक निर्णय लेने के केंद्र में प्रकृति को रखकर इस निवेश अंतर को दूर करने का आग्रह करता है।
यह खबर भी पढ़ें: पुलिस वालों ने पूरे रीति-रिवाज से कराई प्रेमी युगल की शादी, दिया आशीर्वाद
यह जलवायु और जैव विविधता संकटों से निपटने सहित सामाजिक चुनौतियों से संबंधित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निर्णय लेने के लिए प्रकृति को केंद्रीय बनाकर प्रकृति आधारित समाधानों के लिए पूंजी प्रवाह में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल देता है।
रिपोर्ट 2050 तक वित्त अंतर को बंद करने के लिए ��्रकृति आधारित समाधानों की क्षमता को अनलॉक करने का समर्थन करती है।
हानिकारक कृषि और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी का पुन उपयोग करके और आर्थिक और नियामक प्रोत्साहन बनाकर, अधिक स्थायी रूप से निर्माण करके, अब और 2050 के बीच 4.1 खरब डॉलर के वित्त अंतर को बंद करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तनों की आवश्यकता है।
हालाँकि, प्रकृति वर्तमान में अनुमानित आर्थिक प्रोत्साहन खर्च का केवल 2.5 प्रतिशत है। निवेश के अंतर को पाटने के लिए निजी पूंजी को भी नाटकीय ढंग से बढ़ाना होगा।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से राजस्व प्रवाह को विकसित करना और बढ़ाना और निजी पूंजी में भीड़ के साधन के रूप में मिश्रित वित्त मॉडल का उपयोग करना ऐसा करने के लिए आवश्यक समाधानों के सूट में से एक है, जिसके लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं से जोखिम साझाकरण की भी आवश्यकता होती है।
यह खबर भी पढ़ें: नर्सिंग कर्मियों ने ड्यूटी के दौरान PPE किट पहनकर किया सपना चौधरी के गाने पर धमाकेदार डांस, देखें Video,
वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में ट्रॉपिकल फॉरेस्ट एलायंस के प्रमुख जस्टिन एडम्स ने कहा, “स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट प्रकृति में बढ़ते निवेश की तात्कालिकता और महत्वपूर्णता को रेखांकित करती है।”
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा ” जैव विविधता का नुकसान पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल अपने उत्पादन का 10 प्रतिशत खर्च कर रहा है। यदि हम प्रकृति आधारित समाधानों को पर्याप्त रूप से वित्त नहीं देते हैं, तो हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए देशों की क्षमताओं को प्रभावित करेंगे। अगर हमने अभी प्रकृति को नहीं बचाया तो हम सतत विकास हासिल नहीं कर पाएंगे।”
रिपोर्ट के अनुसार, वनों के प्रबंधन, संरक्षण और बहाली सहित अकेले वन आधारित समाधानों के लिए वैश्विक स्तर पर कुल वार्षिक व्यय में 203 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी।
यह 2021 में प्रत्येक नागरिक के लिए प्रति वर्ष केवल 25 डॉलर के बराबर है।
रिपोर्ट में संरक्षण उपायों के वित्तपोषण के साथ बहाली कार्रवाई में निवेश को जोड़ने का आह्वान किया गया है। इसके परिणामस्वरूप वन और कृषि वानिकी (खाद्य उत्पादन और पेड़ उगाने का संयोजन) क्षेत्र में 2020 की तुलना में 2050 तक लगभग 300 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हो सकती है।
–आईएएनएस
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