#सच तो यह है
Explore tagged Tumblr posts
santoshkukreti04-blog · 2 years ago
Link
Hindi Short Story: "सच तो यह है" एक हिंदी छोटी कहानी है जो एक विकलांग ससुर के जीवन बहु के उनके प्रति सम्मान बारे में है। इस कहानी के मुख्य किरदार रतन जी हैं, जो अपने जीवन में एक समस्या से जूझ रहे हैं। वह एक सफल आईटी पेशेवर है लेकिन उसकी शादी टूट गई है और उसे उस से अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए निपटना होगा। "सच तो यह है" एक अनोखी लघुकथा है एक बहु जो घर ऑफिस के साथ साथ विकलांग पिता समान ससुर की सेवा करती है।
Read More:
कहानी: बीच में घर एक हिन्दी कहानी
मेरा मायका: छोटी कहानी
कॉफी: एक हिन्दी कहानी
कहानी तेनालीराम ने बचाई जान
0 notes
subhashdagar123 · 2 months ago
Text
Tumblr media
0 notes
leftkidllama · 6 months ago
Text
Tumblr media
0 notes
lavkushdaas · 9 months ago
Text
Tumblr media
0 notes
hi-avathisside · 5 months ago
Text
अज्ज दिन चढ्डेया
मेरा हर दिन तेरे नाम से शुरू होता है, ये मेरा दिन, मेरी रात, मेरे शब, सब तेरे नाम। आज का दिन, और आगे का हर एक दिन तेरे नाम ही तो है। तेरा चेहरा देखा तो यही दिन शुरू होता है।
अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा
प्यार एक सपना है, और सपनों में आने वाला इंसान ही प्यार है। सपनों में जो मिलता है उसे सच करना ही तो प्यार है।
वो जो मुझे खवाब में मिले उसे तू लगा दे अब गले तेनू दिल दा वास्ता
अपने प्यार के लिए दुआएं मांगना, हाय, यह तो सबसे बड़े प्यार की निशानी है। की, ऐ खुदा, मेरा प्यार और मैं, सब तेरा, लेकिन वो मेरा।
मेरी भी आहों को सुन ले दुवाओ को मुझको वो दिला मैंने जिसको है दिल दिया,
जिसकी हंसी से दिन बने, जिसकी हंसी से दिन ढले, जिसकी हंसी दुनिया बने, वो इंसान, वो चाहत, ही प्यार है।
अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा, वो जो मुझे खवाब में मिले उसे तू लगा दे अब गले तेनू दिल दा वास्ता
प्यार के लिए सबसे लड़ जाना, ये दुनिया पार कर जाना ही तो प्यार है। आज का दिन, और अगला हर दिन सब तेरे नाम। मैं और तू, एक, ये दुनिया हमसे परे, और हम इनसे।
कि किस्मत का लिखा मिटा दूं, कि रब्ब का कहा अनकहा कर दूं, कि ये मोहब्बत, क्या किया तूने, हाथों की लकीरें मोड़ दूं, तू मेरा, और मैं तेरा। मोहब्बत ऐसी कि रब्ब से मांगी ना मिली तो मोहब्बत कैसी।
माँगा जो मेरा है जाता क्या तेरा है, मेने कौन सी तुझसे जन्नत माँगा ली कैसा खुदा है तू, बस नाम का है तू। रब्बा जो तेरी इतनी सी भी ना चली।
प्यार के लिए बस इतना ही करना है तो प्यार है। अपने प्यार को पाने के लिए जुस्ताजू, उसकी बाहों में जाने की जुस्ताजू। प्यार ही तो जुस्ताजू है
मेरी भी आहों को सुन ले, दुवाओ को मुझको वो दिला, मैंने जिसको है दिल दिया । अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
21 notes · View notes
nana9579248138 · 1 month ago
Text
#जाति_मनुष्यकी_अशांति_का_कारण
Living Being Is Our Race
जाति मनुष्य की अशांति का कारण हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई।
आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभू के बच्चे सोई।।
कबीर परमेश्वर ने कहा है कि आप हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, आर्य- बिश्नोई, जैनी आदि-आदि धर्मों में बंटे हुए हो। लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हो।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य सुनें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर
Tumblr media Tumblr media
6 notes · View notes
lucifar7000 · 5 months ago
Text
Including link: https://www.freesexkahani.com/
"दोस्तो, मेरा नाम युग है और मैं मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल शहर में रहता हूँ.
मैं अक्सर चूत चुदाई की कहानी पढ़ता रहता हूं और दिन में दो बार हिला लेता हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी छोटी बहन वर्षा की चुदाई की कहानी है.
इसमें आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपनी ही सगी बहन को चोदकर अपनी रं��ी बना लिया.
यह Xxx सिस फक कहानी आज से एक साल पहले की उस समय की है जब मैंने 12 वीं के बोर्ड के इम्तिहान दिए थे.
एग्जाम के बाद से स्कूल की छुट्टी चल रही थीं.
मैं अपने परिवार के बारे में बता दूं.
मेरे घर में पाँच सदस्य हैं. मम्मी-पापा, दीदी और एक छोटी बहन.
मेरे पापा का नाम सुदेश है. उनकी उम्र 44 साल है.
मेरी मम्मी का नाम अदिति है. उनकी उम्र 42 साल है. लेकिन वे 30 से ज्यादा की नहीं लगती हैं.
उनका फिगर 32-28-36 का है. वे पारदर्शी साड़ी पहनती हैं और नाभि से नीचे साड़ी को बांधती हैं.
पारदर्शी साड़ी के साथ टू बाय टू की रुबिया के झीने ब्लाउज में से उनकी ब्रा साफ दिखाई देती है.
उनकी थिरकती चूचियों और मटकती गांड को देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.
मेरी एक बड़ी बहन है, जिसका का नाम दीपाली है.
वह मुझसे एक साल बड़ी है और वह भी बहुत सेक्सी दिखती है.
दीपाली के बाद मैं हूँ और मुझसे छोटी बहन है.
उसका नाम वर्षा है.
वह मुझसे एक साल छोटी है.
उसकी उम्र 18 साल की है. उसने अभी जवानी की दहलीज पर अपना पहला कदम रखा ही है.
उसके दूध मस्त गोरे हैं और बहुत ही कांटा आइटम है.
उसकी फूली हुई गांड के बीच की दरार को देखकर मेरा उसे चोदने का मन करता है.
मैंने कई बार उसकी ब्रा पैंटी को सूंघकर लंड हिलाया है.
उन दिनों मैं उसकी चूत और गांड में लंड डालने की प्लानिंग कर रहा था.
वैसे सपनों में तो मैं उसे कई बार चोद चुका था पर हकीकत में उसे चोदने में डर लगता था कि कहीं उसने शोर मचा दिया तो सारी इज्जत की मां चुद जाएगी.
यों तो हम दोनों काफी खुले हुए हैं और हमें एक दूसरे के सारे सीक्रेट पता हैं.
कभी कभी वह मुझे गले लगाती है, तो उसके दूध मेरे सीने से लग कर एक मीठी रगड़ दे जाते हैं.
मैं उसके चूतड़ भी सहला देता था.
उस वक्त मन ही मन मैं उसे चोदने का सोचने लगता था.
ऐसा लगता था कि इसे यहीं घोड़ी बना कर इसकी गांड मार दूं.
एक रात को हम सब मिलकर टीवी देख रहे थे और वह हमेशा की तरह मेरी बगल में बैठी टीवी देख रही थी.
मैं भी हमेशा की तरह उसकी टांग से टांग रगड़ कर मस्त हो गया था. मेरा हाथ भी उसकी टांग पर घूम रहा था.
उस दिन काफी रात हो गई थी तो हम सब सोने के लिए जाने लगे.
वर्षा मेरे साथ सोती थी.
मैं भी उसके सो जाने के बाद उसके ��ूध दबाता, गांड में लंड रगड़ता … लेकिन कभी चोद नहीं सका था.
एक दिन मम्मी और दीदी मौसी के घर निकल गईं वे दो दिन के लिए गई थीं.
कुछ देर बाद पापा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे.
पापा को दारू पीने की आदत है और आज मम्मी के न होने से उनके लिए यह किसी त्यौहार के जैसा दिन था.
मैं जानता था कि पक्के में आज पापा दोस्तों के साथ अपनी महफ़िल जमाएंगे.
मुझे पूरी उम्मीद थी कि वे मुझे फोन करके घर आने से मना करेंगे.
वही हुआ भी … एक घंटा बाद उनका फोन आ गया कि वे ऑफिस के काम से बाहर जा रहे हैं और कल शाम तक या परसों वापस आ जाएंगे.
उनके फोन से मुझे बेहद खुशी हुई कि अब बहन की चूत चोदी जा सकती है.
अब घर मैं ���र वर्षा अकेले थे.
आज चुदाई का सही समय था.
मैं हॉल में टीवी देख रहा था और वर्षा कमरे में थी.
मैंने सोचा कि चल कर देखूँ कि वर्षा क्या कर रही है.
मैं कमरे में गया तो वर्षा तौलिया में मेरे सामने थी. वह नहा कर निकली थी.
उसकी तौलिया छोटी थी, जिससे उसके दूध दिख रहे थे.
उसने गुस्से से मुझे बाहर जाने को कहा, मैं बाहर आ गया.
लेकिन अब उसे चोदने का मन कर रहा था.
शाम हो गई, मैं छत पर बैठा था कि तभी वह आई.
वर्षा- सॉरी भैया, मैं आज आप पर चिल्लायी.
मैं- कोई बात नहीं. वैसे तुम बहुत खूबसूरत हो!
वर्षा- आपको कैसे पता कि मैं खूबसूरत हूं?
मैं- आज तुम्हें बिना कपड़ों के देखा, तब से जाना कि तुम बेहद खूबसूरत हो … आई लव यू वर्षा. सच में मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.
मैंने न जाने किस आवेश में उससे यह कह तो दिया लेकिन मुझे डर लग रहा था कि अब वह क्या कहती है.
वह मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और फिर एकदम से आगे बढ़ कर मुझे किस करने लगी.
मैं भी उसका साथ देने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा.
हम दोनों की 5 मिनट के किस के बाद वह हट गई और शर्माने लगी.
मैंने उसकी तरफ देख कर उसे वापस अपनी गोदी में लेने के लिए हाथ बढ़ाया.
तो वह कहने लगी- आज रात को आपके लिए मेरे पास कुछ बहुत खास है.
मैं समझ गया कि आज मैं इसकी चूत का रस ले सकूँगा.
मैंने कहा- आज खाना मत बनाना, मैं बाहर से ले आऊंगा.
उसने पूछा- क्या पापा का खाना भी लेकर आओगे?
मैंने उसे आंख मारते हुए बताया- नहीं, आज पापा अपनी दारू के प्रोग्राम में व्यस्त रहेंगे शायद … उनका फोन आया था कि वे कल शाम तक वापस आएंगे या हो सकता है कि परसों ही घर आ पाएं!
यह सुनकर मेरी छोटी बहन मुस्कुरा दी और बोली- ओके, इस खबर के लिए अब आपको और भी बढ़िया उपहार मिलेगा.
मैं समझ गया कि शायद अब यह और ज्यादा कामुक होकर चुदना चाहती है.
कुछ देर बाद मैं बाजार गया और वहां से खाना पैक करवा कर मेडिकल स्टोर से सेक्स की गोली लेता हुआ घर के लिए निकल पड़ा.
घर वापस आया तो 8 बज गए थे.
मैं घर पहुंचा तो मैंने देखा कि वर्षा ने लाल रंग की शॉर्ट नाइटी पहन रखी थी.
उसने मुझे देख कर आंख मारी और पूछा- मैं कैसी लग रही हूं?
मैं- बहुत सेक्सी लग रही हो मेरी जान!
यह कह कर मैं उस पर झपटने को हुआ.
वर्षा- चलो, पहले खाना खाना खाते हैं. आज की रात मैं तुम्हारी हूं, जो करना है … कर लेना.
फिर हम दोनों ने खाना खाया और मैं कमरे में गया.
मैंने देखा कि कमरा तो एकदम करीने से सजा हुआ था. उसने तकियों और कुशन से बेड सजाया था.
मैं मन ही मन खुश हुआ.
वर्षा- सजावट कैसी लग रही है?
मैं- अच्छी है, पर क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो!
वर्षा- मैं तो आपसे कबसे प्यार करती हूं, बस आप ही देर कर रहे थे.
मैं उसकी तरफ मादक भाव से देखने लगा.
मैं वर्षा को किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसकी नाइटी उतार कर फेंक दी. उसने नाइटी के नीचे कुछ नहीं पहना था, शायद वह पूरी तरह नंगी होकर चुदवाना चाहती थी.
उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड चूसने लगी.
वह एकदम पेशेवर रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी.
उसका लंड चूसना देख कर मुझे संदेह हुआ कि कहीं इसकी चूत पहले से ही तो खुली हुई नहीं है!
पर अगले ही पल मैं शांत हो गया कि कमसिन लड़की की चूत को सीलबंद चूत समझ कर ही चोदना चाहिए.
मैंने उसके सर पर अपना हाथ रख कर उसे अपने लौड़े पर दबाते हुए कहा- मेरी रानी, इतना अच्छा लंड चूसना कहां से सीखा?
वर्षा- मैंने बहुत सारी पोर्न फिल्में देखी हैं. भैया मैं जानबूझ कर अपनी पैंटी और ब्रा बाथरूम में छोड़ देती थी ताकि आप उसे सूंघकर अपना लंड हिला सकें.
मैं- तुम मुझसे कबसे प्यार करती हो?
वर्षा- जब से मैंने आपका 7 इन्च लम्बा लंड देखा है, बस तभी से आपसे चुदवाना चाहती हूं.
यह कहते हुए उसने खड़े होकर अपनी सफ़ाचट चूत मुझे दिखाई.
मैंने उसकी चूत की महक को अपने नथुनों में भरा और कामोन्मत्त हो गया.
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए.
वह मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा.
कुछ मिनट बाद उसने मुझसे कहा- भाई, अब रहा नहीं जा रहा है, जल्दी से अपना लंड डाल दो.
मैंने चुदाई की स्थिति बनाई और उसकी चूत की तरफ देखने लगा कि इतनी संकरी चूत में मेरा मूसल कैसे घुस सकता है.
तभी उसने मेरा लंड अपने हाथ से अपनी चूत पर सैट कर दिया.
मेरा सुपारा उसकी चूत की बंद लकीर पर मुँह मारने लगा.
वह भी सुपारे की गर्मी पाकर अपनी गांड हिलाती हुई मेरे लंड को अन्दर बुलाने लगी थी.
मुझसे रहा न गया और मैंने एक जोरदार धक्का ल��ा दिया.
शॉट एकदम सही समय पर और सही जगह पर लगा था तो करीब ढाई इंच लंड चूत को फाड़ कर अन्दर घुस गया था.
लंड क्या घुसा, उसकी तो चीख ही निकल गई.
उसकी चीख बता रही थी कि पक्का यह उसका पहली बार वाला हमला था.
मैं सजग हो गया और अन्दर ही अन्दर बेहद खुश भी हो गया था कि आज चूत फाड़ने का पहला मौका मिला है.
अब मैं उसे किस करने लगा और उसे सहलाने लगा, उसका एक दूध अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
अपने चूचे चुसवाने से उसे अच्छा लगने लगा.
थोड़ी देर बाद वह खुद अपनी कमर उठा कर लंड लेने लगी.
उसका दर्द कम हो गया था.
मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया और अपना पूरा लंड उसकी चूत की जड़ तक उतार दिया.
उसकी दर्द भरी चीख निकल गई पर इस बार मेरे होंठ चूसने की वजह से आवाज नहीं निकल पाई.
इस बार मैंने बिना रुके धक्कों की स्पीड तेज कर दी.
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे.
फिर 5 मिनट तक चुदाई के बाद उसे भी मजा आने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी- आह हहह हहह आज मेरी चूत फ़ाड़ कर इसका भोसड़ा बना दो … बड़ा मजा आ रहा है भैया … आहह आज मेरी चूत की माँ चुद गईई ईई आह.
मुझे अपनी बहन की चूत रगड़ने में बेहद सुकून मिल रहा था.
मैं भी सांड की तरह अपनी छोटी बहन को बकरी समझ कर चोदने में लगा हुआ था.
काफी देर की जोरदार चुदाई के बाद मैंने चूत से लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया.
वह अच्छी तरह से लंड चूसने लगी.
मैंने उसके मुँह में ही जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और 5 मिनट बाद उसके मुँह में ही झड़ गया.
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा, दो बार उसकी चूत और एक बार गांड बजाई.
Xxx सिस फक के बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
अगली सुबह मैं 12 बजे उठा.
तब तक वर्षा नहाकर तैयार हो गई थी.
उसने मुझे जगाया और एक किस किया.
मैं जागा तो उसने मुझसे फ्रेश होने को कहा.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, हम दोनों दबा कर चुदाई करते.
मैंने वर्षा की मदद से अपनी मम्मी को भी चोदा.
यह सब कैसे हुआ था, उसे मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.
11 notes · View notes
vaanigheer · 1 month ago
Text
#जाति_मनुष्यकी_अशांति_का_कारण
कबीर परमेश्वर ने कहा है कि आप हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, आर्य बिश्नोई, जेनी आदि आदि धर्म में बटे हुए हो, लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हैं।
Living Being Is Our Race
Tumblr media
4 notes · View notes
sunil23-chand · 1 month ago
Text
Tumblr media
#जाति_मनुष्यकी_अशांति_का_कारण
कबीर परमेश्वर ने कहा है कि आप हिंदू मुस्लिम, सिख इसाई ,आर्य बिश्नोई ,जेनी आदि, आदि धर्म में बटे हुए हैं लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हैं ।
अधिक जानकारी के लिए आवश्यक पड़े पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
Living Being Is Our Race
4 notes · View notes
beyond-the-coat · 1 month ago
Text
मौन का संगीत: ज्ञान और अनुभव की परिभाषा
जिन्हें ज्ञान है, उन्हें ज्ञात है,
हर कर्म एक तप है,
हर श्वास एक वरदान।
किन्तु यह सच एक ऐसा तथ्य है,
जो जानते हैं, वो कह नहीं पाते,
और जो कहते रहते हैं, वो कभी जान नहीं पाते।
शब्दों के इस जगत में, अर्थ गहराई में छुप जाते हैं,
भावनाओं के सागर में, अनकहे दर्द बह जाते हैं।
सत्य जो दिल में बसता है,
वह मौन की भाषा से व्यक्त होता है।
ज्ञान की परिभाषा नहीं होती,
यह अनुभव का एक दरिया है,
जो महसूस करते हैं, वो समझते हैं,
जो शब्दों में ढालते हैं, वो छू जाते हैं।
हर खामोशी का अपना संगीत है,
हर मौन की एक गूंज है,
जीवन की इस यात्रा में,
ज्ञान का सबसे बड़ा साक्षी अनुभव है।
तो जो महसूस कर सको, वही सत्य है,
जो समझ सको, वही ज्ञान।
हर कर्म तपस्या है, हर क्षण अनमोल,
बस इसे जी लो, यही जीवन का अन्वेषण है।
~Dr Riya
2 notes · View notes
rajgour987 · 1 month ago
Text
जाति_मनुष्यकी_अशांति_का_कारण
जाति मनुष्य की अशांति का कारण हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भा��-भाई।
आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभू के बच्चे सोई।।
कबीर परमेश्वर ने कहा है कि आप हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, आर्य- बिश्नोई, जैनी आदि-आदि धर्मों में बंटे हुए हो। लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हो।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य सुनें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर
Tumblr media
Living Being Is Our Race
2 notes · View notes
dharmel · 6 months ago
Text
#भारतीय_मीडिया_की_गिरती_गरिमा
🚫फ़र्ज़ी ख़बरों का जाल, मीडिया का असली हाल
झूठ: ABP News, Hindustan Times ने संत रामपाल जी महाराज को दंगा कराने और अवैध हिरासत में रखने वाला कहकर आरोप लगाया।
सच: इन बिकाऊ न्यूज़ चैनलों को यह तक पता नहीं कि दंगा कराने और अवैध हिरासत में रखने वाला जो झूठा केस संत रामपाल जी पर लगाया गया था। उसमें कोर्ट संत रामपाल जी महाराज को 29 अगस्त 2017 को पहले ही बाइज़्ज़त बरी कर चुका है। तो झूठ की फैक्ट्री चलाने वाले इन न्यूज़ चैनलों और इनके हुड़क चुल्लू एंकरों को कुछ तो शर्म करनी चाहिए।
Indian Media Spreading Lies
Tumblr media
4 notes · View notes
sanewshimachal · 2 months ago
Text
क्या है घर को साफ-सुथरा रखने का 'वन-टच' नियम ?
वन टच रूल उन युक्तियों में से एक है जो पूरे इंटरनेट पर हैं - ब्लॉगर इसकी कसम खाते हैं और उत्पादकता के लिए समर्पित साइटें इसकी प्रशंसा करती हैं - क्योंकि यह बहुत सरल है फिर भी जीवन को बदलने वाला है। यदि आप परिचित नहीं हैं, तो यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा यह लगता है: आप किसी विशेष वस्तु को जहाँ वह है वहाँ से वहाँ ले जाने के लिए एक (और केवल एक) स्पर्श का उपयोग करते हैं जहाँ उसे होना चाहिए।
क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप घर आकर अपने कोट को कुर्सी पर कुछ देर के लिए रख दें और फिर उसे अलमारी में टांग दें?
तो, कोट के ऊपर बताए गए उदाहरण में, जब आप अंदर आएं तो उसे सोफे पर गिरा दें और बाद में जब बैठने का समय हो तो उसे टांग दें (यह 2 बार छूना है - अगर आप इसे अस्थायी रूप से कहीं और भी ले जाएं तो 3 बार), आप बस अंदर जाएं और कोट को अपनी अलमारी में टांग दें। 1 बार छूना, कुल मिलाकर कम प्रयास।
वन टच नियम का पालन करने का अर्थ है कि आपको चीजों को उनके स्थान पर रखने के लिए अधिक प्रयास नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि आपकी अधिकांश चीजें पहले ही वन टच करके उनके उचित स्थान पर पहुंच चुकी होंगी।
इसमें आदत डालने की जरूरत होती है, खासकर यदि यह आपकी सामान्य आदतों के विपरीत हो, लेकिन यह निश्चित रूप से आपके घर में अंतर लाएगा - यह कम अव्यवस्थित लगेगा, और आप लंबे समय में अपना समय बचाएंगे।
सच में, बस इतना ही है। आसान है, है न?
Tumblr media
2 notes · View notes
electroniccyclecupcake · 6 months ago
Text
सच: इन बिकाऊ न्यूज़ चैनलों को यह तक पता नहीं कि दंगा कराने और अवैध हिरासत में रखने वाला जो झूठा केस संत रामपाल जी पर लगाया गया था। उसमें कोर्ट संत रामपाल जी महाराज को 29 अगस्त 2017 को पहले ही बाइज़्ज़त बरी कर चुका है। तो झूठ की फैक्ट्री चलाने वाले इन न्यूज़ चैनलों और इनके हुड़क चुल्लू एंकरों को कुछ तो शर्म करनी चाहिए।
Tumblr media
3 notes · View notes
spiritualraja · 4 months ago
Text
समाज में परंपराएं और अंधविश्वास: एक सोचने योग्य विषय
हमारा समाज विभिन्न परंपराओं और मान्यताओं से भरा हुआ है। कई बार ऐसा लगता है कि कुछ चीजें केवल इसलिए चली आ रही हैं क्योंकि वे सदियों से चली आ रही हैं। पर क्या हमने कभी गंभीरता से सोचा है कि इनमें से कितनी चीजें वास्तव में आज के दौर में प्रासंगिक हैं? क्या जाति व्यवस्था की अब भी आवश्यकता है? क्या महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नियम वास्तव में सही हैं? क्या अंधविश्वासों को बिना प्रश्न किए मानते जाना उचित है?
मेरा नाम राजा है, और मेरी उम्र 22 वर्ष है। मैं यह दावा नहीं करूंगा कि मेरे पास ज्ञान का विशाल भंडार है, लेकिन अपने जीवन के इस मोड़ पर इतना जरूर समझ चुका हूं कि कई सामाजिक मान्यताएं केवल परंपराओं का अनुसरण हैं, जिनका तर्क से कोई लेना-देना नहीं है। ये सवाल मैंने खुद से भी पूछे थे, और लंबे समय तक सोचने और पढ़ने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि ये परंपराएं और अंधविश्वास सिर्फ सामाजिक नियमों का हिस्सा बन गए हैं जिन्हें हम बिना सोचे-समझे मानते जा रहे हैं।
हम अपने आस-पास के समाज में इन चीजों को होते हुए देखते हैं—बाजारों में, गलियों में, और हमारे सामाजिक ढांचे के हर हिस्से में। फिर भी, हम में से बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इन परंपराओं और मान्यताओं पर सवाल उठाते हैं। जब मैं देखता हूं कि आज भी समाज में जाति ��र लिंग के आधार पर भेदभाव हो रहा है, तो मुझे सच में अचरज होता है कि हम अब भी इन चीजों को क्यों स्वीकार कर रहे हैं। क्या वाकई इनकी अब कोई जरूरत है?
मैं यह समझता हूं कि शायद समाज के कुछ हिस्से मेरी बातों से सहमत न हों। लेकिन फिर भी, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि एक बार अपने आप से और अपने समाज से इन सवालों को पूछिए। क्या ये परंपराएं और अंधविश्वास अब भी जरूरी हैं? क्या इनका कोई तार्किक आधार है?
जवाब शायद यही मिलेगा: "हमारे दादा-दादी ने किया, इसलिए हम भी कर रहे हैं।"लेकिन क्या यह पर्याप्त कारण है?
समाज को आगे बढ़ाने के लिए हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। अगर हम अतीत के केवल अनुकरण करते रहेंगे, तो विकास कैसे होगा? यह जरूरी है कि हम इन सवालों को खुद से पूछें और उन पर विचार करें, ताकि हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ सकें जो तर्कसंगत, न्यायसंगत और आधुनिक हो।
- राजा
3 notes · View notes
guddudas · 6 months ago
Text
Tumblr media
#मीडिया_को_झूठ_शोभा_नहीं_देता
ABP News का भंडाफोड़
ABP News, आपके पास क्या सबूत है कि संत रामपाल जी ने दंगे कराए।
जबकि सच तो यह है कि संत रामपाल जी दंगे वाले मामले में 29 अगस्त 2017 को बाइज्जत बरी हो चुके हैं। जिससे पता चलता है कि तुमने जनता को गुमराह करने का ठेका ले रखा है।
Sant RampalJi Se Maafi Maango
6 notes · View notes