ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूपी वृक्ष को जो विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
संत रामपाल जी महाराज जी ही वह तत्वदर्शी संत हैं।#तारणहार_संतरामपालजी_महाराज
ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूपी वृक्ष को जो विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूपी वृक्ष को जो विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
संत रामपाल जी महाराज जी ही वह तत्वदर्शी संत हैं।
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विश्नोई धर्म के संस्थापक संत जम्भेश्वर जी ने शब्द वाणी सं. 102 में कहा है:
विष्णु-विष्णु भण अजर जरी जै, धर्म हुवै पापां छुटिजै।
हरि पर हरि को नाम जपीजै, हिरयालो हरि आण हरूं, हरि नारायण देव नरूं।
आशा सास निरास भइलो, पाइलो मोक्ष दवार खिंणू।।
हरि अर्थात परमात्मा हरियाणा में प्रकट होंगे। उनके द्वारा बताई शास्त्रोक्त भक्ति की साधना से मोक्ष का मार्ग प्राप्त होगा। संत जम्भेश्वर जी की यह वाणी संत रामपाल जी महाराज पर खरी उतरती है। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं जिनका अवतरण हरियाणा प्रांत में हुआ है। उनके द्वारा बताई भक्ति से लोग सुखी हो रहे हैं, क्योंकि संत रामपाल जी द्वारा बताई भक्ति शास्त्रों से प्रमाणित है।
💠संत रामपाल जी कौन हैं?
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूपी वृक्ष को जो विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
संत रामपाल जी महाराज जी ही वह तत्वदर्शी संत हैं।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
परमात्मा साकार है!
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश - पृष्ठ 463
💠कौन हैं संत रामपाल जी महाराज?
संत रामपाल जी महाराज कबीर परमेश्वर के अवतार हैं जिनके विषय में कबीर परमेश्वर ने 600 वर्ष पूर्व ही कबीर सागर के अध्याय स्वसमवेद बोध के पृष्ठ 171 पर बताया था कि
पांच सहंस अरू पाँच सौ पाँच, जब कलियुग बीत जाय।
महापुरूष फरमान तब, जग तारन को आय।।
घर घर बोध विचार हो, दुर्मति दूर बहाय।
कलियुग में इक होय सब, बरते सहज सुभाय।।
कहा उग्र कहा छुद्र हो, हरै सबकी भव पीर (पीड़)।
सो समान समदृष्टि है, समरथ सत्य कबीर।।
💠कौन हैं संत रामपाल जी?
संत रामपाल जी महाराज जगत के तारणहार, मुक्तिदाता संत हैं जिनके विषय में फ्रांस के विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी के शतक 6 श्लोक 70 में लिखा है:
“मैं छाती ठोककर कहता हूं कि वह महापुरुष ऐसा ज्ञान बतलायेगा, जो आज से पहले किसी ने भी न सुना होगा, उसके ज्ञान को सुनकर सभी विद्वान कहलाने वाले धर्मगुरुओं को नतमस्तक होना पड़ेगा।”
जो ज्ञान संत रामपाल जी बता रहे हैं वह ज्ञान अब तक किसी को भी पता नहीं था और हम इस बात से भी वाकिफ़ हैं कि संत रामपाल जी महाराज ने वर्तमान समय के सभी धर्मगुरुओं को आध्यात्मिक ज्ञानचर्चा में निरुत्तर कर दिया है।
💠संत रामपाल जी कौन हैं?
जिस महापुरुष के विषय में जयगुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी ने शाकाहारी पत्रिका (जयगुरुदेव की अमरवाणी भाग 2) के पृष्ठ 50 पर 7 सितंबर 1971 को भविष्यवाणी करी कि
'वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं वह 20 वर्ष का हो चुका है। यदि उसका पता बता दूँ तो लोग उसके पीछे पड़ जाएंगे, अभी ऊपर से बताने का आदेश नहीं हुआ है।'
वह अवतार यानि महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी हैं जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गाँव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में हुआ था जो 7 सितंबर 1971 को 20 वर्ष के हो चुके थे।
💠कौन हैं संत रामपाल जी?
धर्मगुरु व कथावाचकों का कहना है कि कर्मफल तो भोगना ही पड़ता है। जबकि संत रामपाल जी महाराज वे पूर्ण संत हैं जिन्होंने सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2, 5, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 162 मंत्र 5 व ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 163 मंत्र 1-3 से प्रमाण सहित बताया कि यदि साधक की जीवन शक्ति नष्ट हो गई हो और वह मृत्यु के निकट पहुंच गया है तो भी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी उसे पुनः जीवित करके सौ वर्ष की आयु प्रदान कर देते हैं। साथ ही किसी भी तरह का असाध्य रोग हो उसे भी परमात्मा ठीक कर देता है। यहाँ तक की परमात्मा हमारे संस्कारों में भी परिवर्तन कर सकता है।
💠संत रामपाल जी कौन हैं?
सम्पूर्ण विश्व को मानवता के सूत्र में बांधने का प्रयत्न करने वाले महापुरुष हैं संत रामपाल जी महाराज। जिनका नारा है:
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।
💠कौन हैं संत रामपाल जी महाराज?
अमेरिका की भविष्यवक्ता फ्लोरेंस अपनी पुस्तक "Golden Light of New Era" में लिखती हैं कि
'जब मैं ध्यान लगाती हूं तो अक्सर एक संत को देखती हूँ। उसका गौर वर्ण है, सफेद बाल है, मुख पर ना दाढ़ी है, ना मूंछ है। वह संत अपनी कल्याणकारी विचारधारा तथा अपने सत् चरित्र प्रबल अनुयायियों की शक्ति से संपूर्ण विश्व में नए ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं। उनमें इतनी शक्ति है कि वे प्राकृतिक परिवर्तन भी कर सकते हैं। उनकी कृपा और प्रयत्नों से मानवीय सभ्यता में नई जाग्रति आएगी।'
वह संत कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज हैं जो उस नए ज्ञान को पूरे विश्व को प्रदान कर रहे हैं जिससे अभी तक सभी लोग अनभिज्ञ थे।
💠संत रामपाल जी कौन हैं?
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
संत रामपाल जी महाराज जी ही सर्व शास्त्रों के ज्ञाता हैं।
💠संत रामपाल जी महाराज कौन हैं?
संत रामपाल जी महाराज पूर्ण सतगुरु हैं जो सद्ग्रंथों से प्रमाणित सत्संग करते हैं वे अपने सत्संगो में कही एक-एक बात का प्रमाण शास्त्रों में दिखाते हैं। संत रामपाल जी महाराज गीता अध्या�� 9 श्लोक 25 से प्रमाणित करते हुए बताते हैं कि मनमाने कर्मकांड जैसे-श्राद्ध, पिण्ड दान, माता मसानी और प्रेतों की पूजा करना गीता में मना किया गया है क्योंकि इनके करने से मानव भूत व पितर योनि को प्राप्त होता है। जिससे साधक का मानव जीवन व्यर्थ हो जाता है और वह मानव जीवन के मूल उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर पाता। इसलिए उनके द्वारा भक्त समाज को शास्त्र अनुकूल भक्ति प्रदान की जा रही है जिससे मानव का आत्म कल्याण हो सके।
💠कौन हैं संत रामपाल जी?
संत रामपाल जी महाराज के विषय में भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने शतक 1 श्लोक 50 में कहा है:
'तीन ओर से सागर से घिरे द्वीप यानि हिन्दुस्तान में उस महान संत का जन्म होगा, उस समय तत्वज्ञान के अभाव से अज्ञान अंधेरा होगा। वह धार्मिक नेता भक्ति की शक्ति से तथा तत्वज्ञान द्वारा सर्व राष्ट्रों को नतमस्तक करेगा। एशिया में उसे रोकना, उसके प्रचार में बाधा करना पागलपन होगा।'
संत रामपाल जी के तत्वज्ञान को नकली धर्मगुरुओं द्वारा रोकने का भरसक प्रयास किया गया। इसके विपरीत संत रामपाल जी का तत्वज्ञान दिन दुगनी और रात चौगुनी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है।
💠कौन हैं संत रामपाल जी?
सभी धर्मगुरु कहते हैं कि कर्मफल अर्थात पाप कर्म तो भोगना ही पड़ेगा जबकि संत रामपाल जी महाराज एकमात्र संत हैं जो यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाण सहित बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर सकता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
💠संत रामपाल जी कौन हैं?
संत रामपाल जी महाराज एक विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारक संत हैं जो अपने तत्वज्ञान के माध्यम से समाज से दहेज प्रथा, नशा, भ्रष्टाचार, अंधविश्वास, पाखंडवाद, छुआछात जैसी सभी सामाजिक बुराइयों को समाप्त कर, एक ऐसे स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं। जिसमें सभी व्यक्ति मिल-जुलकर आपसी भाईचारे के साथ रहेंगे और एक पूर्ण परमात्मा की शास्त्र अनुकूल भक्ति करेंगे, जिससे मानव सुखी होगा।
💠संत रामपाल जी कौन हैं?
क़ुरान शरीफ़ सूरह फ़ुरकान 25 की आयत 59 में जिस बाख़बर से इल्म प्राप्त करने के लिए कहा गया है वह बाख़बर संत रामपाल जी महाराज हैं जो क़ुरान शरीफ़, सूरह शूरा 42 आयत 2 में कादिर अल्लाह की इबादत के सांकेतिक कलमा (मंत्र) 'अैन. सीन. काफ' का भेद बताते हैं और कादिर अल्लाह (पूर्ण परमात्मा) की प्राप्ति के लिए इन्हीं सांकेतिक मंत्र को प्रदान करते हैं जिससे लोगों को अल्लाह से मिलेने वाले सम्पूर्ण लाभ हो रहे हैं।
ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूपी वृक्ष को जो विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला अविनाशी विस्तारित पीपल का वृक्ष है, जिसके जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व पत्ते कहे हैं। उस संसार रूपी वृक्ष को जो विस्तार से जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संत है।
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