#शून्य
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necromancerthedark · 1 year ago
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शून्य
शून्य में देखना..
ये शब्द मुझे काफ़ी प्रशिद्ध दार्शनिक Nietzsche के एक कथन की याद दिलाते है:
“Battle not with monsters, lest ye become a monster, and if you gaze into the abyss, the abyss gazes also into you.”
हालाकि यहाँ पर शून्य की बात नहीं अंधकार की बात हो रही है. लेकिन क्या शून्य और अंधकार एक जैसे नहीं है? अंधकार प्रकाश की कमी है और शून्य एहसास की कमी ।
मुझे दर्शन शास्त्र के बारे में इतना तो नहीं पता, लेकिन इतना तो पता है कि शून्य का एहसास काफ़ी शांत और संतोषजनक होता है। कुछ ना महसूस कर पाना भी एक एहसास है । शून्य की कोई परिभाषा तो नहीं, ना ही कोई अकार है । बस जब आपका शरीर और मस्तिष्क को एक ऐसी शांति का अनुभव हो जो कुछ ना करने से मिल रही हो, जो बिलकुल स्थिर हो।
हालाकि शून्य काफ़ी संतोषजनक होता लेकिन यह अनुभव की प्राप्ति की लत जब किसी को लग जाती तो वह इंसान शून्य में ही शांति और सुख पाने लगता है, हमे समझना चाहिए कि शून्य एक अनुभूति विहीन आयाम है और उस आयाम में ही सुख पाना एक paradox से कम नहीं ।
Nietzsche के कथन और ऊपर लिखित अनुछेद पर वापस ध्यान देने पर शून्य और अंधकार का संबंध और गहरा होता है । शून्य और अंधकार दोनों में ज़्यादा समय व्यतीत करने से वह हमे अपने जैसा बना देते हैं। अंधकार हमें विवेकहीन और क्रूर बनाता है, वहीं शून्य हमें संवेदनहीन और खोखला बना देता है।
(शून्य शब्द का उपयोग यहाँ "void" के लिए हुआ है)
~ Necromancer
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writerss-blog · 2 years ago
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शून्य
कांग्रेस का सिमटता दायरा सियासत में शून्य का अहसास मोदी जी के आभामंडल के नहीं कोई आस पास, भ्रष्टाचार के नाग फांस में जकड़े राजनेता जनता के नाम पर खुद को बचाने का प्रयास राजनीतिक शून्य का अहसास अवाम किस पर करे विश्वास, नई राजनीति के खींची लकीर को लांघने में विफल अपने राजनीतिक वजूद की आस, दाग को छिपाने में दागदार का बढ़ता छलावा, सभी दलों में भ्रष्टाचार का अलाव सबको शून्य के घेरे में…
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itiwale · 11 months ago
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knowledgenews1 · 2 years ago
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अंतराळात कसे कापतात केस ?
जेव्हा मानव स्पेस मध्ये किंवा स्पेस सेटल मध्ये प्रवास करत असताना अनेक गोष्टी कशा करत असेल असा प्रश्न नेहमीच आपल्याला पडतो. यातील एक दैनंदिन काम म्हणजे केस कापणे अथवा दाढी करणे हे अंतराळात कसे करतात याचा प्रश्न आपल्याला नक्कीच पडत असेल. पृथ्वीच्या कक्षेत फिरत असलेल्या आंतरराष्ट्रीय अंतराळ स्थानकावर अनेक अंतराळवीर दीर्घकाळासाठी राहत असतात. शून्य गुरुत्वाकर्षण असलेल्या अशा ठिकाणी दैनंदिन कामे कशी…
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writers-potion · 8 months ago
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Do you have any cool alias for "zero" ? It's not for character name so I don't mind if it's complicated
Words to Use Instead of...Zero
I'm not sure if my ideas are "cool" in your standards, but here we go:
nought
nothing (not a single thing, not anything, nothing at all)
nil
naught
aught
none
nowt
nix
oh/o
zilch
nix
not a sausage
sweet Fanny Asams
zip
the nadir
nada
bupkis (= nothing at all)
goose egg
cipher
void
nullity
void
nullus
the additive identity
the subtractive indentity
the positional value/notation
the commutative ring
the trivial
algoritmi
Maybe you can try an analogy of some sort:
the circle
the big wheel
the ring
the undefined
existance of non-existence
the large dot
vacant star
You can try building on zero in language other than English:
Russian: ноль (nol')
Chinese (Mandarin): 零 (líng)
Japanese: ゼロ (rei, maru)
Korean: 영 (yeong)
Arabic: صفر (sifr)
Hindi: शून्य (shunya)
Swedish: noll
Turkish: sıfır
Greek: μηδέν (midén)
Hungarian: nulla
Czech: nula
Thai: ศูนย์ (sǔun)
Finnish: nolla
+ You don't need to answer, but why do you need a cool alias for zero? I'm genuinely curious LOL
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33-108 · 2 months ago
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By meditating on Shunya, he (the meditator) becomes the Spirit of Shunya (shunyatman), permeating everythingand omnipresent.
- Tantraloka-Viveka 1.64
शून्य का ध्यान करने से वह (ध्यान करने वाला) शून्य आत्मा (शून्य पुरुष) बन जाता है, जो सबमें व्याप्त है और सर्वव्यापी है।
- तंत्रालोक-��िवेक 1.64
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deathelegy · 2 years ago
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शून्य या शिव
शून्य बिना संसार नही, शून्य बिना वेद चार नही,
शून्य सा कोई आकार नहीं, शून्य के अलावा आधार नहीं,
शून्य से श्रृष्टि, शून्य से दृष्टि,
शून्य से यज्ञ, शून्य सर्वज्ञ,
शून्य ही छंद, शून्य ही द्वंद,
शून्य ही शेष, शून्य ही द्वेष,
शून्य के बिना किसी का अंश नही,
शून्य को मिटा सके ऐसा कोई कंस नहीं,
शून्य समय का उदय है, शून्य काल का सुबह है,
शून्य ही श्राप है, शून्य ही पश्चाताप है,
शून्य का मन साफ है, शून्य ही महाकाल का लिबास है,
शून्य ही शंकर के गले में लपटा सांप है,
शून्य ही शिव के होने का आभास है ||
- अय्यारी
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jackhkeynes · 6 months ago
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Mathematical Etymology
excerpts from the Veriloquace Glossary o'Mathematics, a reference quire compiled by Rotcham University Primers.
zeffer /ˈzɛ.fə/ [zero] the number of things in an empty collection, the quantity one fewer than one. Before 1350 < Scholastic Latin zefer, zefrum (alt. zephirus by false connection to Zephyr) < Arabic صِفْر • ṣifr "empty, void" < in sense from Sanscrit शून्य • śūnyá "empty, void".
ablate /ˈa.blət/ [negative] fewer than zeffer, as of a debtor's money or a distance backward. 1481 < Lombard ablad < Scholastic Latin ablātus "taken away, withdrawn, removed", first used in financial accounts and taken up by mathematicians some decades later.
dart /ˈdaːt/ [~vector] a segment of a line, considered with a choice of which end is the head and which the vane. Around 1470 < Early Merch dart "throwing spear, dart" < Middle French dart, dard < Medieval Latin dardus < Frankish *darōth < Classical German *darōthus "light spear, javelin, dart". Extended to its mathematical sense by the pictorial analogy of drawing arrowheads on line segments.
augrim /ˈəu.gɾɪm/ [~arithmetic] the mathematics of calculation with numbers; computation more generally. Around 1220 < Drengot augrime, algrisme etc < Old French algorisme < Scholastic Latin algorismus "the use of Arabic numbers" < Arabic الخَوَارِزْمِيّ • al-ḵawārizmiyy, a name of the Persian polymath whose mathematical works introduced much of mathematics to Europe.
arrhumb /ˈa.ɾəm/ [cosine] the sending of an angle to the quotient of the height of a rod deflected by that angle from the vertical to the full length of the rod. Early Merch arrum, arrom (the modern spelling is influenced by unrelated rhumb "compass bearing") < Arabic الرمح • ar-rumḥ "spear, shaft". This appears to be a metaphorical extension related to the use ofوتر • watar < Sanscrit ज्या • jyā́ "bowstring" for vater [sine].
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shankardas · 4 months ago
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Sant Rampalji Vs Zakir Naik
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ज़ाकिर नाइक झूठ बोल कर भोली जनता को, चुटकुले सुनाकर अपने पीछे लगा रहे हैं। अध्यात्म मार्ग इनके पास शून्य है। - बाख़बर संत रामपाल जी महाराज
सच्चाई जानने के लिए देखें विडियो Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर।
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writerss-blog · 2 years ago
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भावना शून्य
दुनिया के बाजार में भावनाओं का कोई मोल नहीं अगर कुछ हैं तो शोहरत की बुलंदियों का मोल , लोग अपने अपने तरीके से अपनी ख्वाहिशों का महल बनाते हैं उनको हासिल करने का जुगत लगाते हैं एक अंधी दौड़ है दिखावा की दुनिया का इज्जतदार वही है जो दौलत के ढेर पर बैठा है, यह कोई नहीं जानना चाहता दौलत कैसे कमाई गई, दौलत के ढेर तले सब कुछ चिप जाता है ।।
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rabindradaas · 9 months ago
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#Reality_Of_BrahmaKumari_Panth ब्रह्माकुमारी पन्थको यथार्थ वेदहरूमा लेखिएको छ कि परमात्मा साकार हुनुहुन्छ तर ब्रह्माकुमारी पन्थमा सिकाइन्छ- परमात्मा निराकार हुनुहुन्छ। यसबाट स्पष्ट हुन्छ यिनीहरूको आध्यात्मिक ज्ञान बिल्कुल शून्य छ।
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helputrust · 1 year ago
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शून्य से शिखर तक अपना परचम लहराने वाले अंतर्राष्ट्रीय भाला फेंक खिलाड़ी श्री नीरज चोपड़ा को विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीतने पर हार्दिक बधाई ! आपने अपने प्रयासों और मेहनत के साथ ही अपने अद्भुत प्रदर्शन से भारत का मान-सम्मान बढ़ाया है जिसके लिए हम सभी भारतवासियों को आप पर अत्यंत गर्व है। आपने अपनी प्रतिबद्धता, मेहनत और संघर्ष के साथ यह उपलब्धि हासिल की है तथा इसके साथ ही आपने दुनिया के सबसे बेहतरीन भाला फेक खिलाड़ियों के मध्य एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया है। हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं | पुनः बधाई और शुभकामनाएँ !
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creamy-mushroom-noodles · 1 year ago
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शून्य fucks given
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jayshrisitaram108 · 1 year ago
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💐आज का विचार💐
दुनियां में हर कोई साधारण से असाधारण होने की पात्रता रखता है यहाँ अनेकों ऐसे उदाहरण है जिन्होंने शून्य से यात्रा प्रारम्भ की और फिर शिखर तक जा पहुंचे
॥ जय श्री राधे कृष्ण ॥
🌺🌷सुप्रभात🌷🌺
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deepjams4 · 1 year ago
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चाँद और अंतरिक्ष यात्री!
तू मेरी जमीं की अंधेरी तरफ़ जो आया है
क्या रौशनी करेगा या कुछ चुराने आया है!
क्या नहीं मिला ज़मीं पे खोज करके तुम्हें
जो खोज करने यहाँ मेरी जमीं पे आया है!
तुम्हें यहाँ देखकर मैं असमंजस में हूँ बड़ा
क्यों यहाँ आने का तुमने जोखिम उठाया है!
तेरे वहाँ तो सुना है ज़मीन टुकड़ों में बँटी है
घूमना आसान नहीं पाबंदियों का साया है!
न पासपोर्ट न ही कोई वीज़ा बनाया तुमने
फिर कैसे यूँही मुँह उठाकर चला आया है!
यहाँ जो मेरी इजाज़त बिना उतर आया है
चल बता भी जमीं से क्या संदेशा लाया है!
निकलने को कभी छुप जाने को कहते हो
कभी मामा तो कभी मुझे महबूब बताया है!
मुझे तुमसे क्या कहकर मुख़ातिब होना है
इस फ़ैसले का क्या कोई फ़रमान लाया है!
इस्म पर सवालिया निशान लगा रक्खा है
समझ में ही नहीं आता मुझे क्या बनाया है!
मेरे आधे हिस्से में सदा अंधेरा ही रहता है
तुम्हारा तो हर कोना सूरज ने चमकाया है!
उस ज���ाँ में किस बात की कमी हो सकेगी
जिसे सूरज की रौशनी ने ख़ूब नहलाया है!
सुना है तू यहाँ पानी की खोज में आया है
सुना है बस्ती बसाने का इरादा भी लाया है!
न धरती पे जमीं कम है न पानी की कमी है
क्यों क़ब्ज़े का इरादा लिए तू यहाँ आया है!
लालच में फँसे की देखो कैसी दुर्दशा हुई है
दिमाग़ बस छीनने हड़पने में क्यों लगाया है!
बेहतर होता इंसान अपनी जमीं ही खोजता
कोई वहाँ हालात बेहतर बनाने की सोचता!
विध्वंस के कगार पहुँच विनाशकारी खड़ा है
रुकता नहीं जानते हुए इसका अंजाम बुरा है!
इस होड़ से इंसान क्या कभी निकल सकेगा
लगता तो नहीं एक सौम्य समाज रच सकेगा!
ब्रम्हाण्ड विजय का स्वप्न बस स्वप्न ही रहेगा
सब उजड़ जाएगा फिर बस शून्य हाथ लगेगा!
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kaminimohan · 1 year ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1419.
एक तितली की तरह
-© कामिनी मोहन।
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जो हैं सुशोभित 
हैं निकट एक चट्टान के
निकट रहेंगे हमेशा
उज्ज्वल तन संसार के
आनंद की आग में जल जाएँगे
फ़र्क नहीं कि वक़्त निगल कर
किधर ले जाएँगे।
जुनून और पागल कर देने वाली भूख की तरह
रचित पांडुलिपियाँ अथाह शून्य में बिखराएँगे
जैसे एक पेंटिंग बनाने में
लग गए हो कई साल
उन रंग भरे शब्दों के
कविताओं की सूचियाँ बनाएँगे।
कहीं आधे अंधेरे और उजाले के बीच
कहीं आधे और पूरे शब्दों के बीच
कहीं कठोरता और कोमलता के बीच
कहीं आराधना और साधना ​​के बीच
कहीं उदासीनता और प्यार के बीच
काँपता हुआ दिल ठहरेगा
मिलने की निश्चिंतता के बीच
हम एक अवर्णनीय गंध फैलाएँगे।
जैसे आकाश में तारे
अपना रहस्य छिपाते चमकते रहते हैं
हवाएँ समय का ताना-बाना बुनती रहती हैं
लहरें पृथ्वी की उज्ज्वल
अंधेरी भूमि पर घूमती रहती हैं
जब ख़ालीपन हमेशा रहता है
तब प्रेम के प्रभामंडल को पहनकर
हम पूर्णता में हास्य लेकर आएँगे।
भ्रम की भ्रामक दुनिया में
एक तेज़ है
सब उज्ज्वल है
हम जिज्ञासा में
एक तितली की तरह
तैरते जाएँगे
मौत की आशंका और आतंक से भरी हुई
रक्त से सनी धरती पर
उगने वाले फूलों को झड़ने से बचाएँगे।
-© कामिनी मोहन ।
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