#शुल्क नियामक समिति
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गुजरात: FRC ने 636 तकनीकी कॉलेजों के लिए पुराने शुल्क ढांचे को बरकरार रखा - टाइम्स ऑफ इंडिया
गुजरात: FRC ने 636 तकनीकी कॉलेजों के लिए पुराने शुल्क ढांचे को बरकरार रखा – टाइम्स ऑफ इंडिया
अहमदाबाद: शुल्क नियामक समिति राज्य तकनीकी महाविद्यालयों के लिए पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 636 तकनीकी महाविद्यालयों की फीस संरचना में कोई परिवर्तन नहीं करने का निर्णय लिया गया है। अभियांत्रिकी, फार्मेसी, आर्किटेक्चर, एमबीए और एमसीए 2023 में। समिति तकनीकी कॉलेजों को अपनी फीस संरचना में संशोधन नहीं करने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है क्योंकि छात्रों के माता-पिता को महामारी के दौरान तालाबंदी के…
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शुल्क नियामक समिति ने शिक्षा विभाग को दो स्कूलों पर कार्रवाई करने को कहा शुल्क नियामक समिति ने शिक्षा विभाग से दो स्कूलों पर कार्रवाई करने को कहा
शुल्क नियामक समिति ने शिक्षा विभाग को दो स्कूलों पर कार्रवाई करने को कहा शुल्क नियामक समिति ने शिक्षा विभाग से दो स्कूलों पर कार्रवाई करने को कहा
गुडगाँव27 मिनट पहले प्रतिरूप जोड़ना डीपीएस मारुति कुंज व डीएलएफ सिटी फेज 2 स्कूल के बीच फीस विवाद को लेकर फीस एवं फंड रेगुलेटरी कमेटी ने जिला शिक्षा विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है. इस मामले को लेकर एफएफआरसी ने लिखा है कि उक्त शिकायत में दोनों पक्षों को जांच में शामिल होकर जांच रिपोर्ट देनी है. जिला शिक्षा अधिकारी और जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी को अपनी राय देने को कहा गया है. प्राइमरी…
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समिति ने एमएनआरई से केंद्रीय लोक उपक्रम योजना के तहत सौर क्षमता वृद्धि लक्ष्य बढ़ाने को कहा Divya Sandesh
#Divyasandesh
समिति ने एमएनआरई से केंद्रीय लोक उपक्रम योजना के तहत सौर क्षमता वृद्धि लक्ष्य बढ़ाने को कहा
नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) से केंदीय लोक उपक्रमों द्वारा ग्रिड से जुड़ी सौर परियोजनओं की योजना के तहत क्षमता वृद्धि लक्ष्य बढ़ाने को कहा है। साथ ही समिति ने इन इकाइयों की अधिक भागीदारी के लिये उन्हें प्रोत्साहित करने को लेकर सक्रियता से कदम उठाने को कहा है। मंत्रालय परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिये वित्तपोषण (वीजीएफ) के साथ केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसयू) द्वारा ग्रिड से जुड़ी सौर फोटोवोल्टिंग बिजली परियोजनाएं लगाने की योजना क्रियान्वित कर रहा है। योजना के तहत इन परियोजाओं का क्रियान्वयन देश में विनिर्मित सौर सेल और मॉड्यूल के साथ हो रहा है। ऊर्जा पर संसद की स्थायी समिति ने इस महीने संसद में पेश अपनी 17वीं रिपोर्ट में कहा, ���‘केंदीय लोक उपक्रमों और सरकारी विभागों द्वारा ग्रिड से जुड़ी सौर परियोजनाओं की योजना के तहत क्षमता वृद्धि लक्ष्य बढ़ाया जाना चाहिए।’’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘चूंकि अबतक केवल कुछ ही केंद्रीय लोक उपक्रम योजना में भाग ले रहे हैं, ऐसे में मंत्रालय को और सीपीएसयू/सरकारी विभागों को इसमें भागीदारी को लेकर प्रोत्साहित करने को लेकर सक्रियता के साथ कदम उठाने चाहिए।’’ योजना के तहत वीजीएफ उपलब्ध कराने के बारे में एमएनआरई ने कहा कि परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिये वित्तपोषण का मकसद घरेलू रूप से विनिर्मित सौर पीवी सेल और मॉड्यूल तथा आयातित उपकरणों की लागत के बीच अंतर को पाटना है। एमएनआरई ने यह भी कहा कि सीपीएसयू योजना चरण-दो के तहत शुल्क ‘कोट’ करने की जरूरत नहीं है और बोलीदाताओं को केवल वीजीएफ के बारे में बताना होता है। इसके तहत अधिकतम स्वीकार्य सीमा 70 लाख रुपये प्रति मेगावॉट है। योजना के पहले चरण के तहत न�� सीपीएसयू ने इसमें भाग लिया। ये कंपनियां हैं, एनटीपीसी, भेल, राष्ट्रीय इस्पात निगम, एनएचपीसी, ओएनजीसी, गेल, स्कूटर्स इंडिया, दादरा एवं नगर हवेली पावर डिस्ट्रिब्यूशन कॉरपोरेशन और एनएलसी इंडिया। इस योजना के दूसरे चरण में 12,000 मेगावॉट क्षमता सृजित करने के लक्ष्य के तहत सात सीपीएसयू/सरकारी संगठनों ने इसमें भाग लिया। ये कंपनियां हैं…एनएचडीसी, सिंगरेनी कोलियरी कंपनी, असम पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, नालंदा विश्विविद्यालय, एनटीपीसी और इंदौर नगर निगम। समिति ने यह भी कहा कि छतों पर लगायी जाने वाली सौर परियोजनाओं का लक्ष्य तबतक हासिल नहीं किया जा सकता जबतक समुचित तरीके से ‘नेट/ग्रॉस मीटरिंग’ व्यवस्था लागू नहीं की जाती। इसके अलावा नियमन/परिचालन प्रक्रिया आदि के संदर्भ में एकरूपता भी जरूरी है। ग्रॉस मीटरिंग में उपभोक्ताओं की क्षतिपूर्ति निश्चित दर पर कुल सौर बिजली उत्पादन और ग्रिड से उसे जोड़े जाने के आधार पर की जाती है जबकि नेट मीटरिंग में ग्राहकों की खपत के बाद जो सौर बिजली ग्रिड से जोड़ी जाती है, उसका भुगतान किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्य/संयुक्त बिजली नियामक आयोग ने ‘नेट मीटरिंग नियमन/शुल्क आदेश जारी किया है लेकिन इस संदर्भ में एकरूपता का अभाव है।
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विभिन्न मांगों पर प्रदर्शन किया - विभिन्न मांगों पर प्रदर्शन किया
विभिन्न मांगों पर प्रदर्शन किया – विभिन्न मांगों पर प्रदर्शन किया
खबर सुनें खबर सुनें विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कियास्कूल संचालकों पर मनमानी का आरोप, जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापनशुल्क नियामक समिति के गठन की आवाज उठाई सांवद समाचार एजेंसीमव। पैरेंट स्टूडेंट इंटीग्रेशन फोरम के लोगों ने सरकार के मानकों, बैग वेट, शिक्षकों की योग्यता, एनसीआरटी की पुस्तकों के शिक्षण, शुल्क नियामक समिति के गठन, कोरोना काल की शुल्क माफी और गलत तरीके से दायर मुकदमों को हटाने की…
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16 दिसंबर से 24×7 उपलब्ध होगी NEFT सुविधा, नहीं लगेगा कोई शुल्क
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) 16 दिसंबर से सभी बैंकों में 24 घंटे के लिए कर देने की घोषणा की है। इसके लिए बैंक ग्राहकों से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); 24 घंटे मिलेगी सुविधा बता दें अब तक एनईएफटी सुविधा सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक रहती है। महीने के पहले और तीसरे शनिवार को इसका समय सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक रहता है। ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए आरबीआई ने अब इसे 24 घंटे करने का फैसला लिया है। आरबीआई ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि, 'अब एनईएफटी के तहत ट्रांजैक्शन की सुविधा छुट्टी समेत हफ्ते के सातों दिन उपलब्ध होगी।' आरबीआई ने सभी बैंकों को सुचारू तरीके से एनईएफटी ट्रांजैक्शन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। शुल्क खत्म करने का निर्णय लिया साथ ही आरबीआई ने सभी सदस्य बैंकों को नियामक के पास चालू खाते में हर समय पर्याप्त राशि रखने को कहा है, जिससे कि एनईएफटी ट्रांजैक्शन में कोई समस्या नहीं हो। आरबीआई ने यह भी कहा कि, 'अब सभी बैंक एनईएफटी में किए गए बदलाव के बारे में उपभोक्ताओं को सूचित कर सकते हैं।' बता दें 6 जून को हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने आम जनता को तोहफा देते हुए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर के जरिए होने वाला लेन-देन निशुल्क कर दिया था। यह नियम एक जुलाई से लागू हो चुका था। क्या होता है NEFT नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) किसी भी बैंक के जरिए रुपए ट्रांसफर करने यानी कि एक बैंक से दूसरे बैंक में भेजने का तरीका है। इंटरनेट के जरिए दो लाख रुपए तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए आम आदमी या फिर कोई कंपनी रुपए किसी दूसरी ब्रांच या किसी दूसरे शहर की ब्रांच में क���सी भी व्यक्ति या संगठन अथवा कंपनी को भेज सकते हैं। अब लगभग सभी बैंकों में एनईएफटी की सुविधा मिलती है। लेकिन इसके लिए भेजने वाले और पैसा पाने वाले, दोनों के पास इंटरनेट बैंकिंग सेवा का होना जरूरी है। इस सुविधा के तहत पैसे भेजने के लिए ग्राहक को सभी तरह की जानकारी बैंक को देनी होती है। यदि दोनों खाते एक ही बैंक के हैं तो कुछ ही सेकेंड्स में पैसा ट्रांसफर हो सकता है। ये भी पढ़े... आरबीआई ने दी आम आदमी को बड़ी सौगात, अब से NEFT और RTGS से पैसे ट्रांसफर करना हुआ मुफ्त दिसंबर में 8 दिन बंद रहने वाले हैं बैंक, पहले ही निपटा लें अपने जरुरी काम 7 महीने में आरबीआई को लगा दूसरा बड़ा झटका, डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने दिया इस्तीफा Read the full article
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68500 शिक्षक भर्ती: पांच हजार साक्ष्य कार्यालय में उपलब्ध, कॉपी का दोबारा मूल्यांकन और स्कैन कॉपी मांगने वाले सशुल्क दे रहे हैं ब्योरा Shikshak Bharti
68500 शिक्षक भर्ती: पांच हजार साक्ष्य कार्यालय में उपलब्ध, कॉपी का दोबारा मूल्यांकन और स्कैन कॉपी मांगने वाले सशुल्क दे रहे हैं ब्योरा Shikshak Bharti
इलाहाबाद : 68500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में अनियमितताओं की जांच करने वाले अधिकारी गड़बड़ी के साक्ष्य खोज रहे हैं। इसके लिए विज्ञप्ति तक जारी हुई है, जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में ही करीब पांच हजार अभ्यर्थी बाकायदे शुल्क देकर स्कैन कॉपी इसीलिए मांग रहे हैं, क्योंकि उन्हें मिले अंकों पर भरोसा नहीं है। तमाम अभ्यर्थी उत्तर पुस्तिकाओं का दोबारा मूल्यांकन कराने की मांग भी कर चुके हैं। शिक्षक भर्ती का रिजल्ट 13 अगस्त को आने के बाद से लगातार परिणाम में मिले अंकों पर परीक्षा देने वाले ही सवाल उठा रहे हैं। शासनादेश के मुताबिक अभ्यर्थी दो हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा करके स्कैन कॉपी और उनकी उत्तर पुस्तिका का पुनमरूल्याकन कराने की मांग कर रहे हैं। पूर्व सचिव ने 30 अगस्त तक की समय सीमा तय की थी, उस समय तक करीब ढाई हजार आवेदन आए, बाद में इसे बढ़ाकर एक वर्ष कर दिया गया है। ऐसे में पांच हजार आवेदन आ चुके हैं और हर दिन यह संख्या बढ़ रही है। जिस परीक्षा में एक लाख सात हजार से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए हों और उनमें 41556 उत्तीर्ण हुए इसके बाद स्कैन कॉपी मांगने वाले पांच हजार अभ्यर्थी वही हैं, जो मिले अंकों से संतुष्ट नहीं है। ऐसे अभ्यर्थियों ने परीक्षा की अपनी कार्बन कॉपी और रिजल्ट के अंक पत्र की प्रति भी लगाई है। इस साक्ष्य के जरिए उनका दावा है कि मिले अंक सही नहीं है। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि उच्च स्तरीय समिति ने भले ही अब साक्ष्य व स्कैन कॉपी जांच प्र��्रिया के तहत भले ही मांगी हो लेकिन, इससे अधिक लाभ होने वाला नहीं है। इसकी जगह समिति को उन अभ्यर्थियों की पीड़ा समझनी चाहिए, जो स्कैन कॉपी मिलने की राह देख रहे हैं। अभ्यर्थियों को लगानी पड़ेगी दौड़ : परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि वह परीक्षा शुल्क और स्कैन कॉपी का शुल्क दे चुके हैं, अब लखनऊ में साक्ष्य देने के लिए बेवजह की दौड़ लगानी पड़ेगी। जब परीक्षा नियामक प्राधिकारी का कार्यालय इलाहाबाद में है तो यहीं पर साक्ष्य लिया जाना चाहिए था, इसमें सभी को सहूलियत रहती और ज्यादा मामले भी सामने आते।
Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/09/68500-shikshak-bharti_96.html
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जीरो टॉलरेंस : सीएम ने फेरा सीए के मंसूबों पर पानी
जीरो टॉलरेंस : सीएम ने फेरा सीए के मंसूबों पर पानी
शुल्क नियामक समिति में सदस्य बनने पर लगा दी रोक कांग्रेस शासन में भी पा गए थे ऊँची पहुँच से नियुक्ति इस बार भी फिट बैठ गई थी गोटी लेकिन जुगाड़ पर अचानक फिर गया पानी देवभूमि मीडिया ब्यूरो देहरादून।सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का एक और मामला सामने आया है। अपने ताल्लुकातों का फायदा उठाते हुए एक सीए (Chartered Accountant) ने बेहद अहम शुल्क नियामक समिति में अपना नाम शामिल करा लिया था।…
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नोएडा के नामी स्कूल पर पांच लाख जुर्माना, 24 घंटे में लौटाएगा बढ़ी फीस
नोएडा के नामी स्कूल पर पांच लाख जुर्माना, 24 घंटे में लौटाएगा बढ़ी फीस #schoolfee #feehike
उत्तर प्रदेश के नोएडा में निजी स्कूलों के खिलाफ मनमाने तरीके से फीस वृद्धि करने के आरोपों पर कार्रवाई की गई है. जनपदीय स्कूल शुल्क नियामक समिति ने अपने पिछले आदेश का पालन नहीं करने पर नोएडा के एक निजी स्कूल पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया है और स्कूल को 24 घंटे के अंदर बढ़ी हुई फीस वापस करने के निर्देश दिये हैं.
जिलाधिकारी बी एन सिंह ने शनिवार को सेक्टर-27 स्थित अपने कैंप कार्या��य पर जिला…
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मेडिकल कॉलेजों ने बढ़ाई फीस
उत्तराखंड के निजी मेडिकल कॉलेजों ने नए शैक्षिक सत्र के लिए दो से ढाई गुना तक फीस बढ़ा दी है। प्रवेश एवं शुल्क नियंत्रण समिति की संस्तुति के आधार पर फीस बढ़ोतरी की गई। इसकी सूचना एचएनबी चिकित्सा विवि की वेबसाइट पर भी अपलोड की गई है। इस फैसले से एमबीबीएस और एमडी-एमएस में प्रवेश ले ने वाले ऑल इंडिया और स्टेट कोटे के छात्रों को अब दोगुनी फीस चुकानी होगी। 15 मार्च को फीस नियामक कमेटी की बैठक में यह…
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७५ करोड उठाएपछि संक्रमितलाई बीमा दावी भुक्तानीमा नयाँ शर्त
१९ भदौ, काठमाडौं । नोवेल कोरोना भाइरस (कोभिड-१९) संक्रमण पुष्टि हुँदा समेत बीमा कम्पनीहरूले बीमा भुक्तानी दिन आनकानी गरेका छन् । सबै प्रक्रिया पुर्याएर बीमाका लागि आवेदन दिएका मध्��े २५ प्रतिशतले पनि भुक्तानी पाएका छैनन् ।
बिहीबारसम्म एक हजार ४६७ जनाले बीमा भुक्तानी माग गरेका छन् । उनीहरूमध्ये जम्मा २३९ जनाले मात्रै भुक्तानी पाएका छन् । २१३ जनाले जनही एक लाख रुपैयाँ र २६ जनाले जनही ५० हजार रुपैयाँ भुक्तानी पाएका हुन ।
५० हजार बीमा गरेका १२९ जना र एक लाख रुपैयाँ बीमा गरेका एक हजार ९९ जनाले संक्रमित भइसक्दा पनि भुक्तानी पाएका छैनन् ।
बीमा समितिले एक हजार रुपैयाँमा एक लाख र पाँच सयमा ५० हजार रुपैयाँ बीमा गर्न पाउने व्यवस्था छ । सामुहिक बीमा गर्दा भने एक लाखका लागि ६ सय र ५० हजारका ३ सय रुपैयाँ तिरे पुग्छ ।
२० वटा बीमा कम्पनीमा १२ लाख भन्दा बढीले बीमा गरिसकेका छन् । उनीहरूबाट ती कम्पनीहरूले ७५ करोड रुपैयाँ भन्दा धेरै बीमा शुल्क आर्जन गरिसकेका छन् ।
ती कम्पनीहरूले अहिलेसम्म जम्मा २ करोड २६ लाख रुपैयाँ भुक्तानी गरेका छन् ।
सरकारीमा परीक्षण नगरे बीमितले रकम नपाउने
सरकारले मात्रै धान्न नसकेपछि सरकारले कोभिड-१९ परीक्षण गर्ने अधिकार निजी क्षेत्रलाई पनि दियो । सरकारी ढिलासुस्तीले वाक्कदिक्क भएका धेरैले निजी प्रयोगशालामै परीक्षण गर्न थाले ।
बीमा समितिले भने बीमा गरिसकेका व्यक्तिहरूलाई रकम नदिने जुक्ति निकाल्यो । समितिले स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालय माताहतको निकायबाट कोरोना परीक्षण गराएर पीसीआर रिर्पोट पोजिटिभ आएमात्रै बीमा दावी भुक्तानी दिने मापदण्ड बनायो ।
समितिको यो मापदण्डअनुसार निजी प्रयोगशालामा परीक्षण गराउनेहरूले भने संक्रमण भए पनि बीमा रकम पाउँदैनन् ।
अझै दुःख लाग्दो कुरा के छ भने समितिले बनाएको मापदण्ड अर्थमन्त्रालयबाट स्वीकृत समेत भइसकेको छ । अर्थमन्त्रालयका सहसचिव झक्कप्रसाद आचार्य धेरै नक्कली रिपोर्ट आउन सक्ने भएकाले यस्तो मापदण्ड स्वीकृत गरिएको बताउँछन् ।
बीमा समितिका कार्यकारी निर्देशक राजुरमण पौडेल पनि नक्कली रिपोर्ट ल्याएर बीमा दावी भुक्तानी हुने गरेको गुनासो आएकाले यस्तो नियम बनाउनुपरेको बताउँछन् ।
अर्थ मन्त्रालयका एक पूर्व अर्थसचिव भने कोरोनाले जस्तै बीमा कम्पनीले पनि बीमा समिति र अर्थ मन्त्रालयसँग मिलेर जनतालाई ‘संक्रमित’ बनाउन लागि परेको बताउँछन् ।
‘नक्कली केस आएको छ भने उसलाई कारवाही गर्ने कानून छ, फलना नक्कली आयो भन्नु पर्यो’ ती पूर्व सचिव भन्छन्, ‘एक दुई जनाले बदमासी गरेको निहुँमा लाखौं जनतालाई असर पर्ने नियम बनाउन पाइँदैन ।’
जिम्मेवारी बीमा समितिको होः स्वास्थ्य मन्त्रालय
स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मन्त्रालयले भने को फर्जी हो वा होइन भन्ने विषयमा बीमा समिति आफैं सचेत हुनुपर्नेमा जोड दिएको छ । मन्त्रालयका प्रा. डा. जागेश्वर गौतम बीमा कम्पनीहरु कोरोना ��ंक्रमितको संख्या धेरै हुने र धेरै रकम तिर्नु भनेर डराएको हुनसक्ने बताउँछन् ।
तर सरकारी मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाबाट गरिएको परीक्षण अमान्य भने नहुने गौतमले बताए । केही-केहीले फर्जी पनि रिपोर्ट बनाउन सक्ने भन्दै उनले त्यसतर्फ बीमा समिति सचेत हुनुपर्ने बताए । निजी प्रयोगशालाहरू पनि विश्वसनीय भएको वातावरण बनाउनु पर्ने उनको तर्क छ ।
कसरी हुन्छ यो विषय चाँडै समाधान गर्नु पर्ने मन्त्रालयका प्रवक्ता गौतमको सुझाव छ ।
जनतालाई दुःख दिने नियत होइनः बीमक संघ
बीमक संघका महासचिव चंकी क्षेत्री जनतालाई दुःख दिने बीमा कम्पनीहरुको नियत नभएको बताउँछन् । बीमा गरिसकेपछि नियममा रहेर त्यो भुक्तानी हुनै पर्ने उनको भनाइ छ ।
तर, नियामक निकायले बनाएको नियम आफूहरूले पालना गर्��ु परेका कारण धेरै��ो भुक्तानी हुन बाँकी रहेको उनले बताए ।
‘स्पष्ट व्यवस्था भए सजिलो हुने थियो, हामीले त नियम बनेपछि पालना गर्नैपर्छ’ महासचिव क्षेत्रीले भने, ‘विवाद हुनै नै देखियो, अब कसरी हुन्छ यसलाई स्पष्ट पार्नु पर्छ ।’
सरकारले बनाएको नीति आफूहरुले पालना गर्ने भन्दै उनले जनतालाई दुःख नदिने किसिमको नीति बन्नु पर्ने बताए ।
सरकारले विभिन्न निजी ल्याबलाई कोरोना परीक्षणका लागि मान्यता दिएको छ । सबै ल्याबमा गरिएको परीक्षणका अनुसार नै स्वास्थ्य मन्त्रालयले हरेक दिन अपडेट गराउँदै आएका छन् । जसमा पछिल्लो समय अधिकांश निजी प्रयोगशालामै परीक्षण गरिएको हुन्छ ।
सरकारले गरेको निर्णय नै अमान्य हुने गरी बीमा समितिले नयाँ मापदण्ड बनाएको भन्दै चौतर्फी आलोचना शुरु भएको छ । कतिपयले बीमा कम्पनीहरूले बीमा गर्ने तर भुक्तानी नगर्ने अर्थात् बीमा गरिएको रकम पचाउने योजना अनुसार यस्तो मापदण्ड बनाएको भन्दै सामाजिक सञ्जालमा समेत तीव्र आलोचना भएको छ ।
बीमा क्षेत्र बदनाम हुने जोखिम
बीमा गरेपछि सहजै दावी भुक्तानी पाउनु पर्छ । तर बीमा कम्पनीहरू यसअघि पनि सहजै भुक्तानी नदिएको भनेर बेलाबेलामा विवादमा आउने गरेका छन् । बीमा दावी गरेको महिनौसम्म पनि भुक्तानी नदिएपछि समितिले पछिल्लो समय केही सहज बनाएको छ ।
कोरोना बीमामा भने समितिले नै कडा मापदण्ड बनाएर बीमा गर्नेहरुलाई पनि भुक्तानी नपाउने अवस्था सिर्जना गरिदिएको छ । बीमाको पहुँच बढ्दै गएको बेला यो प्रकरणले बीमाबारे समुदायस्तरमा नकरात्मक संदेश फैलने बीमा कम्पनीकै प्रमुख कार्यकारी अधिकृत -सीईओ) हरू बताउँछन् ।
‘बीमा समितिले जुन मापदण्ड बनायो, यो एकदमै गलत छ यसले बीमा क्षेत्रकै बद्नाम हुने भयो’ एक सीईओले भने, ‘यही तरिका हो भने त भोलि मान्छेहरू बीमा भन्ने शब्द सुन्ने वित्तिकै तर्सिन्छन्, यो बीमा क्षेत्रकै लागि दुःखको कुरा हुनेछ ।’
बीमा गरेको रकम भुक्तानी नै हुँदैन भन्ने सन्देश जनमानसमा जान लागेको भन्दै उनले बेलैमा सचेत हुनु र्ने बताए ।
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नयाँ कम्पनी थपिएपछि बीमा बजारमा बढ्यो प्रतिष्पर्धा
१७ साउन, काठमाडौं । नेपाली बीमा इतिहास ७ दशक लामो भए पनि बीमाको पहुँच भने अझै पनि धेरै नागरिकमा पुगन सकेको छैन । पछिल्लो समय भने बीमाको दायरा विस्तार हुँदै गएको बीमा क्षेत्रको नियामक निकाय बीमा समिति बताउँछ ।
२ वर्ष अघिसम्म बीमाको पहुँच ७ प्रतिशत नागरिकमा मात्रै सीमित थियो । अहिले २७ प्रतिशत नागरिक (वैदेशिक रोजगार समेत) बीमाको दायरामा आएको समितिले बताउँछ । बीमाको पहुँच यसरी विस्तार हुनुमा नयाँ बीमा कम्पनीहरुको पनि राम्रो योगदान देखिएको छ ।
वर्षौदेखि बीमा बजारमा राज गरिरहेका बीमा कम्पनीहरुलाई डेढ वर्षअघि स्थापना भएक��� कम्पनीहरुले टक्कर दिएका छन् । चिरञ्जीवि चापागाईं बीमा समितिको अध्यक्षमा नियुक्त भएपछि १० वटा नयाँ बीमा कम्पनीहरुलाई सञ्चालन अनुमति दिएका थिए ।
आवश्यकता नभए पछि लाइसेन्स बाँडेको भन्दै अध्यक्ष चापागाईंको आलोचना समेत भएको थियो । तर, सञ्चालनको २ वर्ष नपुग्र्दै नयाँ बीमा कम्पनीहरुको ‘परफरमेन्स’ धेरै राम्रो देखिएको छ ।
वर्षौंदेखि सञ्चालनमा रहेका केहि कम्पनीलाई पनि कतिपय नयाँ कम्पनीहरुले बीमा शुल्क आर्जनमा टपेका छन् । गत आर्थिक वर्ष २०७६/७७ मा १९ बीमा कम्पनीहरुले ९४ अर्ब ३५ करोड रुपैयाँ बीमा शुल्क आर्जन गरेका छन् ।
यसमा नयाँ थपिएका बीमा कम्पनीहरुको योगदान १५ अर्ब ७४ करोड रुपैयाँ रहेको छ । उता सञ्चालनमा रहेका २० निर्जीवन बीमा कम्पनीहरुले २५ अर्ब ८४ करोड रुपैयाँ बीमा शुल्क आर्जन गरेका छन् ।
बीमक संघका अध्यक्ष भन्छन्- कडा प्रतिष्पर्धा
जीवन बीमा कम्पनीहरुका प्रमुख कार्यकारी अधिकृतहरुको संगठन जीवन बीमक संघका अध्यक्ष तथा सूर्या लाइफ इन्स्यारेन्स कम्पनीका प्रमुख कार्यकारी अधिकृत शिवनाथ पाण्डे अहिले कम्पनीहरुबीच संगिन प्रतिष्पर्धा चलेको बताउँछन् ।
अध्यक्ष पाण्डेले नयाँ बीमा कम्पनी थपिएपछि प्रतिपर्धा पनि बढाएको बताए । उनले नयाँ कम्पनीका कारण पुराना कम्पनीहरुमा चुनौतीहरु पनि थपिएको बताए । समग्रमा भने यसले राम्रै प्रभाव परेको उनले बताए ।
‘दायरा पनि बढेको छ, गाउँ-गाउँमा बीमाको पहुँच पुगेको छ’ अनलाइनखबरसँगको कुराकानीमा उनले भने, ‘संख्या थपिएपछि प्रतिष्पर्धा त हुने नै भयो पहुँच पनि बढेकाले समग्रमा राम्रै छ ।’ कोभिड-१९को त्रासका बिच अघिल्लो आर्थिक वर्षको तुलनामा करिब ३० प्रतिशतले व्यवसाय बढेको भन्दै उनले खुसी व्यक्त गरे ।
‘लकडाउनले गर्दा ३ महिना तनावपूर्ण रहृयो, समग्र अर्थतन्त्रमा प्रभाव परेकोले यसलाई स्वभाविक मान्नु परो, बीमा पनि अर्थतन्त्रकै पाटो भयो’ उनले भने, ‘नयाँ बिजनेस राम्रो देखियो, ३० प्रतिशत हाराहारीमा वृद्धि हुनु राम्रो कुरा हो ।’
नियामक निकाय खुसी
बीमा कम्पनीहरुको प्रगति देखेर नियामक भने खुसी छ । बीमा समितिका अध्यक्ष चिरञ्जीवि चापागाईंले पछिल्लो समय बीमा कम्पनीहरुले गाउँ-गाउँमा पुगेर सेवा दिएको कारण राम्रो नतिजा आएको भन्दै खसी व्यक्त गरे ।
उनले बीमामा भारत र चीनकै हाराहारीमा पुगेको भन्दै बीमा कम्पनीहरुका सीईओ र कर्मचारीहरुलाई धन्यवाद दिए । ‘नयाँ कम्पनीलाई धेरै चुनौती थियो, ंअहिले धेरै राम्रो भएको छ भने हामी चीन र भारतको लेभलमा पुग्यौं’ अध्यक्ष चापागाईंले भने, ‘कुल ग्राहस्थ उत्पादनमा हाम्रो योगदान ३.५ प्रतिशत पुगेको छ, भारतमा पनि ३.५ छ चीनको ४.५ छ, कभरेजको हिसाबले पनि करिब उस्तै उस्तै छ ।’
नयाँ कम्पनीहरुलाई लाइसेन्स दिनु अद्धि पुँजी पनि सानो भएको र कम्पनी पनि विश्वास कम हुनुका साथै कम्पनीहरु सहर केन्दि्रत रहेको उनले बताए । आफू अध्यक्ष भएपछि पुँजी वृद्धि र लाइसेन्स दिने निर्णयसँगै भएका क��रण यसको राम्रो प्रभाव परेको उनले बताए ।
बीमाको पहुँच राम्रो बढ्��ुको परिणाम भने नियामक निकाय र कम्पनीहरुको सक्रियता भएको उनले बताए । अहिले गाउँ-गाउँमा पुगेको भन्दै उनले रेमिट्यान्सको पनि बीमामा सदुपयोग भएको अध्यक्ष चापागाईंको बुझाई छ ।
‘रेमिट्यान्स घरघरमा आउँथ्यो, तर यो बीमामा पुगेको थिएन, हामीले स्थानीय सरकारसँग बीमा समिति भनेर अभियान नै चलायौं’ उनले भने, ‘अर्को भनेको अभिकर्ताहरु आन्दोलनमा थिए । हामीले त्यो विवाद समाधान गर्यौं, त्यसपछि बीमा अभिकर्ता प्रोत्साहित भएर गाउँ-गाउँ पुगे, यसको नतिजा राम्रो देखियो ।’
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बीमाका हाकिम भन्छन्– कोरोना संक्रमित देखेर भागेका होइनौं
२४ जेठ, काठमाडौं । हतारमा ��िर्णय गर्ने र फुर्सदमा पछि हट्ने सरकारी रोग बीमा क्षेत्रको नियमनकारी निकाय बीमा समितिमा पनि सरेको छ । वैशाख ७ मा कोरोना बीमा भनेर ल्याएको नयाँ कार्यक्रम बिहीबार एकाएक बन्द भयो । शुक्रबार फेरि वीमा कार्यक्रम खुल्ला गरियो ।
वीमा गर्नेहरुको तीव्र आकर्षण हुँदाहुँदै बीमा कम्पनीहरुले कोरोना बीमा पोलिसी नै बन्द गर्न समितिलाई दबाव दिए । बीमा समितिले पनि तत्कालै कोरोना बीमा पोलिसी बन्द भएको घोषणा गर्यो ।
अर्थमन्त्री डा. युवराज खतिवडाले गत १५ गते बजेट भाषणमा नै भनेको अर्थात राज्यको प्राथमिकतामा परेको कोरोना वीमा कार्यक्रम एक्कासी बन्द भएपछि सबैको चासो हुने नै भयो । तथापि बजेट कार्यान्वयनमा नै ठाडो चुनौती दिएर बन्द भएको कोरोना बीमा कार्यक्रम शुक्रबार पुनः सुचारु भएको छ ।
कोरोना पोजिटिभ आए एक लाख रुपैयाँसम्मको जोखिम बहन गर्ने यो कार्यक्रम बन्द हुनुको प्रमुख कारण थियो, संक्रमितको संख्या धेरै हुनु । तर, कोरोना बीमा बन्द हुनुको अर्को कारण पनि चर्चामा आएको छ ।
तत्कालीन अर्थमन्त्री कृष्णबहादुर महराको सिफारिसमा मन्त्रिपरिषदबाट नियुक्ति पाएका बीमा समितिका अध्यक्ष चिरञ्जीवी चापागाईं र अर्थमन्त्री डा. युवराज खतिवडाको खासै राम्रो सम्बन्ध छैन ।
कोरोना बीमा पोलिसी बन्द भएपछि सरकारको कार्यक्रमलाई धक्का लाग्यो । र, अर्थमन्त्रीकै दबावमा पुनः यो सुचारु भएको छ । भोलि अप्ठेरो परेमा सरकारले सहयोग गर्ने अर्थमन्त्रीले बीमा समितिलाई वचन दिएपछि कोरोना वीमा कार्यक्रम फेरि सुचारु हुने भएको हो ।
आखिर विहीबार अकस्मात् कोरोना बीमा किन बन्द भयो ? अनि एकदिन पनि नबित्दै किन निर्णय फिर्ता भयो ? यिनै विषयमा हामीले वीमा समितिका अध्यक्ष चापागाईंसँग कुराकानी गरेका छौं ।
कोरोना वीमा कार्यक्रम विहीबार बन्द गरेर शुक्रबार पुनः सुचारु भएको घोषणा गर्नुभो, यो लफडा के हो ?
पहिलो कुरा त एकदिन पनि भएकै छैन । दोस्रो कुरा बन्द पनि भएको छैन । बन्द भएको भन्ने कुरालाई नै म अस्वीकार गर्छु । हामीले हिजो सूचना बन्द भनेर निकालेका थिएनौं । हामीले स्थगन भनेका थियौं ।
बीमाको नियमअनुसार विहीबार राति १२ बजेसम्म बीमा गर्ने सुविधा दिएका थियौं । शुक्रबार पनि विहान ११ बजेबाट नै यो बीमा शुरु भइसकेको छ । हामीले शुरुमा नै भनेका थियौं कि, यसको बेला बेलामा रिभ्यू हुन्छ । सके हामी नै धान्छौं, नसके सरकारलाई गुहार्छौं हामीले भनेकै थियौँ ।
हामीसँग एउटा पुर्नबीमा कम्पनी छ । यसको विदेशमा पुनर्बीमा नहुने भएकाले हामीले यसलाई बेलाबेलामा रिभ्यू गर्छौं भनेका थियौँ । विहीबार हामीले रातभरि नसुती रिभ्यु गरेका छौं । शुक्रबार अफिस खुलेकोे एक घण्टामै बीमा पुनः शुरु भइहाल्यो । यसलाई बन्द भएको थियो भनेर बुझ्नुभएन ।
ल तपाईले भनेकै कुरा मानौं, स्थगन मात्र भएको हो । अनि कोरोना बीमा स्थगनै गर्नुपर्ने अवस्था चाहिँ किन आयो ?
हामीले केही नयाँ ��ोडालिटी बनाउनुपर्ने थियो । हाम्रा निर्जिवन बीमा कम्पनीहरुको पुँजी २० अर्ब छ । एउटा पुर्नबीमा कम्पनीको १० अर्ब जोड्दा ३० अर्ब पुँजी हुन आउँछ । हाम्रो हिजोसम्मको दायित्व पनि ३० अर्ब पुगेको थियो । दायित्व र पुँजी नै असमान हुने अवस्था आएपछि गाह्रो हुन्छ भनेर नयाँ मोडालिटी बनाउनुपर्छ भन्ने कुरा आएको हो । बीमा कम्पनीका साथीहरुले एउटा कमिटी बनाएर यसलाई टुंग्याऔं भन्नुभएको थियो ।
मैले कमिटी बनाउनुपर्दैन, म आफै काम गर्छु भनेँ । नियामक निकायको प्रमुख नै कमिटीमा बस्ने कुरा भएन । मैले म आफैँ अध्ययन गरेर काम गर्छु भनेँ । त्यसपछि हामीले केही समय लगाएर मोडालिटी तयार गर्न सफल भयौँ ।
नयाँ मोडालिटी कस्तो बनाउनुभयो त ? बीमा त पहिलेकै अनुसार हुने भनिएको छ त ?
बीमा पुरानै तरिकाले हुने हो । यसमा जोखिम वहन गर्ने क्षमता अलिकति परिवर्तन भएको छ । पहिलो १० हजार व्यक्ति अर्थात एक अर्ब रुपैयाँ बराबरको जोखिम बीमा कम्पनीहरुले धान्नेछन् । त्यो भन्दा माथि दायित्व सिर्जना भयो भने थप एक अर्ब रुपैयाँसम्म हाम्रो नेपाल पुनर्बीमा कम्पनीले धान्ने छ ।
अर्थमन्त्रीज्यूसँग मेरो नराम्रो कहिल्यै छैन । विगतमा त छँदै छैन, भविश्यमा पनि हुँदैन
अब त्यसपछि पनि २ अर्बबाट क्रस गर्यो भने ५० करोड रुपैयाँ बीमा कम्पनीहरुको महामारी कोषमा रहेको रकमबाट बहन हुनेछ । हाम्रो शुक्रबार बिहान सञ्चालक समिति बैठक पनि बसेको छ । यी विषयमा हामीले सञ्चालक समितिमा पनि छलफल गर्नुपर्ने थियो, गरिसकेका छौंँ ।
सञ्चालक समितिले तपाई ‘गो अ हेड’ भन्नुभएको छ । अब थप एक अर्ब रुपैयाँ हाम्रो बीमा शुल्क फण्डमा भएको रकमबाट बीमा समितिले नै बेहोर्छ । यति गर्दा हाम्रो साढे ३ अर्ब रुपैयाँ भयो ।
त्योभन्दा पनि बढी दायित्व सिर्जना हुने अवस्था आयो भने नेपाल सरकारको वार्षिक कार्यक्रम र बजेटमा पनि छ, दायित्व बहनका लागि हामी नेपाल सरकारलाई अनुरोध गर्नेछौं । दायित्व सिर्जनामा कुरा मिलेकाले हाम्रा बीमा कम्पनीहरु आजबाट पुनः उत्सुकताका साथ बीमा गर्न जानुभएको छ ।
मैले के भनेको छु भने, जुन कम्पनीले धेरै विमित बनाउँछ, त्यो कम्पनी पुरस्किृत हुन्छ । पूर्वी झापादेखि दैलेख हुँदै पश्चिम कञ्चपुरसम्मको मान्छेलाई बीमाको दायरामा ल्याउनुस�� ।
अब कोरोनाको कारणले नेपाली जनतालाई परेको आर्थिक दायित्व बीमा कम्पनीले जुन दिन्छु भनेको छ त्यो दिन तयार छ भन्ने सन्देश फैलाउनुस भनेको छु । वहाँहरु खुसी हुनुभएको छ ।
अर्थमन्त्री र तपाईको सम्वन्धका कारण पनि बजेटमा समावेश भएपछि स्थगन भएको चर्चा पनि छ नि ?
त्यस्तो कदापि होइन । माननीय अर्थमन्त्रीज्यूसँग मेरो राम्रो सम्वन्ध छ । मन्त्रीज्यूले मलाई आवश्यक निर्देशन दिनुहुन्छ, वहाँले मलाई सपोर्ट गर्नुभएको छ । वहाँ नेपाल राष्ट्र बैंकको गभर्नर हुँदा म राष्ट्र बैंकमै थिएँ । वहाँको माताहतको कर्मचारी भएर काम गरेँ । अर्थमन्त्रीसँग मेरो राम्रो सम्वन्ध छैन भनेर मि���ियाले किन लेख्छन्, मैले कुरो बुझेको छैन । सम्वन्ध राम्रो छैन भन्ने कुरा गलत हो ।
एउटा कुरा तपाईंलाई के भन्न चाहान्छु भने नेपाल राष्ट्र बैंकले गर्ने सबैभन्दा ठूलो पारिवारिक भन्ने सर्वेक्षण हुन्छ । मुद्रास्फिति मापन गर्नका लागि यसले कन्जुमर प्राइस इन्डेक्स निकाल्छ । यसका लागि प्रत्येक १०/१० वर्षमा ठूलो सर्वे गर्छ । पाँचौं पारिवारिक बजेट सर्बे गर्ने बेलामा वहाँले मलाई विश्वासका साथ त्यो सर्वेको नेतृत्व तपाईले गर्नुस् र रिजल्ट निकाल्नुस् भन्नुभएको थियो । वहाँले मलाई प्रोजेक्ट चिफ बनाएर जानुभयो । वहाँ गभर्नर हुनुहन्थ्यो, वहाँको मार्गदर्शन र निर्देशनअनुसार नै मैले सफलतापूर्वक काम सम्पन्न गरेको हुँ । अहिले राष्ट्र बैंकले ��ुन प्राइस इन्डेक्स निकाल्छ, मुद्रा स्फितिको । म जुनियर अधिकृत हुँदा नै वहाँले मलाई त्यतिबेरै माया गरेर यो जिम्मेवारी दिनुभएको थियो । अहिले पनि राष्ट्र बैंकको वेबसाइटमा पाइएला, मेरो नेतृत्वमा भएको काम । कनिष्ट निर्देशक हुँदाहुँदै पनि सर्वेमा काम गर्ने ४ हजारभन्दा बढी मान्छेहरुको नेतृत्व गरें । मसँग सयजना जति त कर्मचारी नै थिए । मलाई वहाँले निकै विश्वास गरेर जिम्मेवारी दिनुभएको थियो । अर्थमन्त्रीज्यूसँग मेरो नराम्रो कहिल्यै छैन । विगतमा त छँदै छैन, भविश्यमा पनि हुँदैन ।
कोरोना बीमा पाृलिसी स्थगनले बजेट कार्यान्वयनमा असहयोग भयो भनेर अर्थमन्त्री रिसाएपछि तपाई ब्याक हुनुभएको होइन ?
त्यस्तो केही कुरै भएको छैन । म फेरि तपाईलाई यो कुरा दोहोर्याउन चाहान्छु कि हामीले बन्द गरेको नै थिएनौं । मलाई थाहा छ रातारात काम गरेर आज सुचारु नगरेको भए मलाई अझ ठूलो आरोप आउथ्यो होला । म रातभर बसेर मोडल फिक्स गरेर ल्याएँ । फेरि मैले सञ्चालक समितिको बैठक पनि त राख्नुपर्ने थियो । मलाई अलिकति समय त थियो । पहिले मैले निर्णय गरेर पछि सञ्चालक समितिले स्वीकृत गरेको हो ।
अहिले त मैले छलफल गर्न पनि थोरै समय चाहिएको थियो । म एक्लैले गर्ने कुरा भएन । म स्वेच्छाचारी किसिमले अघि बढ्ने कुरा भएन । मैले बिहान ८ बजे आकस्मिक सञ्चालक समितिको बैठक राखेर सहमत गराएर, बिमक संघलाई १० बजे बोलाएर सबैको सहमतिमा सुचारु गराइसकेको छु ।
कोरोना बीमा बन्द गराउनुपर्छ भनेर प्रस्ताव गर्ने बिमकहरु नै पछि कसरी राजी भए त ?
वहाँहरुको लजिक पनि ठिकै थियो । पुँजी बराबरकै हाम्रो दायित्व सिर्जना भयो, बीमा समितिले एउटा मोडल बनाइदिनुपर्यो भन्ने वहाँहरुको कुरा थियो । वहाँहरुले कमिटी बनाउन प्रस्ताव गर्नुभएको थियो, मैले पर्दैन भनेँ । कमिटी बनाएको भए यति छिटो काम हुने थिएन । मैले रातभरि काम गरेर बिहान सञ्चालक समितिबाट पास गराएको छु ।
आज एउटा निर्णय गर्यो, भोलि पछि हट्यो गर्ने सरकारकै शैली तपाईहरुले पनि देखाउनुभयो, रातारात काम हुने थियो भने स्थगन किन गर्नु पर्थ्यो त ?
हामीले जसरी गरे पनि मोडालिटी परिवर्तन गर्नुपर्ने थियो । निर्णय गराउनु पर्ने थियो । केही सकारात्मक सोच्नुपर्छ भन्ने मलाई लाग्छ । मलाई ��ञ्चालक समितिबाट स्वीकृत गराउनुपर्ने थियो । मेरै कारणले गर्दाखेरि रातभरि बसेर काम गरेको हो ।
बीमा कम्पनीका केही साथीहरुले त स्थगित नै गरौं भनेर आउनुभएको थियो । बन्द चाहिँ नगरौं मैले नै भनेको हो । हिजो सबैलाई डर थियो । अब छैन । यो राष्ट्रियकरण भइसकेको थियो । यसकारण हामी ब्याक हुन मिल्ने थिएन । सूचनामा हामीले केही घण्टाका लागि स्थगन भन्न मिलेन । यसलाई ल्याएको हो, राज्यको कार्यक्रममा समावेश परेको छ । अब निरन्तर हुन्छ ।
सामान्यतया युद्ध र महामारीको बीमा नहुने विश्वव्यापी चलन छ, तपाईले नयाँ अभ्यास गरेर बिवादमा तानिनुभयो होइन ?
फेरि म तपाईलाई भन्छु, यहाँ विवाद केही भएको छैन । म कतै विवादमा परेकै छैन । मैले गरेको कामको त सबैले प्रशंसा परेको छ । म नियामक निकायको प्रमुख हुँ । यो कार्यक्रम राज्यको कार्यक्रम हो । मैले राज्यको कार्यक्रम सफल बनाउनु मेरो दायित्व हो, म त्यो दायित्वबाट पछि हट्नै मिल्दैन ।
हामी (बीमा समिति) ले शुरुमा ल्याएको हो । यो ठीक छ भनेर राज्यको कार्यक्रममा नै पर्यो । यहाँ विवाद गर्नुपर्ने कुरै छैन । यो कार्यक्रम नयाँ हो, यहीँ नै नभएर पनि यस्ता प्रकारका अन्य देशहरुले पनि बीमा गरेका छन् । अन्य देशहरुले विदेशीको गरेका छैनन्, आफ्नो देशभित्र त उनीहरुले पनि गरेका छन् । हिजो हुलदंगा र आतंकवादको भनेर बीमा पुलमार्फत बीमा गरिएको थियो होइन र ? यो महामारीका लागि पनि हामी आफैं गर्छौ भनेर गरेका हौं । यो मोडल अन्य देशहरुमा पनि जान सक्छ ।
आज पुनः शुरु भयो, भोलि सक्रमित झन् धेरै बढे भनेर कम्पनीले बन्द गर्नुपर्ने बताउने पो हुन् कि ?
तपाईहरुले आशंका गर्नु ठिकै होला । तर, संक्रमण धेरै भएर हामी भागेको होइन । समस्या भनेको पुँजी भन्दा दायित्व धेरै भएपछिको हो । दायित्व कम हुँदासम्म हामी चुप थियौं, दायित्व धेरै भएपछि बाँडफाँट गर्नु परेको हो । यसका लागि मोडल बनाउनु परेको हो । यो पनि बीमा कम्पनीहरुकै अनुरोधमा हो । यस्तै समस्या आउन सक्ला भनेर हामीले पहिले नै बीचमा रिभ्यू हुन सक्छ त भनेका नै थियाैँ । छोटो समयमा समस्या सकियो, म त खुसी छु ।
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UPTET 2018: 28 अक्टूबर को होगी यूपी टीईटी 2018, टीईटी का विज्ञापन 15 सितंबर को होगा जारी
UPTET 2018: 28 अक्टूबर को होगी यूपी टीईटी 2018, टीईटी का विज्ञापन 15 सितंबर को होगा जारी
लखनऊ : प्रदेश सरकार बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती की दूसरी परीक्षा तैयारियों में जुट गई है। शासन तय समय से पहले दोनों परीक्षाएं कराने जा रहा है। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी 2018 की समय सारिणी जारी हो गई है। इसका इम्तिहान 28 अक्टूबर को प्रदेश भर के विभिन्न जिलों में दो पालियों में होगा। परीक्षा परिणाम नवंबर के अंत तक आने की उम्मीद है। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल 41556 को नियुक्ति पत्र पांच सितंबर को दिया जाना है। काउंसिलिंग शुरू होने से पहले ही शासन ने अगली भर्ती की प्रथम चरण की परीक्षा यानी यूपी टीईटी 2018 का विस्तृत कार्यक्रम जारी हुआ है। यह इम्तिहान भी परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव उप्र इलाहाबाद कराएंगी। टीईटी का विज्ञापन 15 सितंबर को और आवेदन के लिए पंजीकरण 17 सितंबर अपरान्ह से शुरू होगा। पंजीकरण की अंतिम तारीख तीन अक्टूबर शाम छह बजे तक है।
41556 सहायक अध्यापक भर्ती: वीडियोग्राफी की निगरानी में शिक्षक भर्ती की काउंसिलिंग, जिलों में महिला, पुरुष और दिव्यांगों के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए जा��: बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को भेजे निर्देश
41556 शिक्षक भर्ती को चयन की जिला समिति का निर्धारण, अभ्यर्थियों की चयन व नियुक्ति अध्यापक सेवा नियमावली 1981 यथा संशोधित में दिए प्रावधान के अनुरूप
41556 शिक्षक भर्ती काउन्सलिंग हेतु पत्रावली तैयार करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश व दस्तावेज
41556 शिक्षक भर्ती की काउन्सलिंग के समय प्रस्तुत किए जाने वाले 100 रुपये स्टाम्प पेपर पर शपथ-पत्र का प्रारूप
UPTET 2018: यूपी टीईटी का चार अक्टूबर तक जमा होगा आवेदन शुल्क और दिसंबर में आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षा, शीर्ष कोर्ट के निर्देश का अनुपालन में जल्द कराई जा रही टीईटी
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कैबिनेट का फैसला निजी स्कूलों के फीस नियंत्रण पर मानसून सत्र में कानून, अन्य फैसले
कैबिनेट का फैसला निजी स्कूलों के फीस नियंत्रण पर मानसून सत्र में कानून, अन्य फैसले
लखनऊ : प्रदेश में संचालित निजी स्कूलों द्वारा छात्रों से वसूल किये जा रहे मनमाने शुल्क पर नियंत्रण के लिए सरकार मानसून सत्र में कानून बनाएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश, 2018 की जगह अब उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) विधेयक-2018 को विधान मंडल के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।1राज्य सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि प्रदेश के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराने के लिए निजी स्कूलों द्वारा मनमाने शुल्क पर अंकुश लगाने को अध्यादेश लागू किया गया है। यह शैक्षिक सत्र 2018-19 से लागू है। अध्यादेश की जगह अब विधेयक लाया जाएगा। 1इस विधेयक में जन सामान्य की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंडल स्तर पर बनाई गई समिति के स्थान पर शुल्क को विनियमित करने के लिए हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में जिला शुल्क नियामक समिति का गठन किया जा रहा है। जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में गठित की जाने वाली समिति को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन दीवानी न्यायालय और अपीलीय न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी।इस समिति के सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। प्रस्तावित निर्णय से छात्र, छात्रओं एवं उनके अभिभावकों पर निजी विद्यालयों द्वारा डाले जा रहे वित्तीय अधिभार से मुक्ति मिलेगी। प्रस्तावित निर्णय के अन्तर्गत कोई शुल्क नहीं लगा है। शासन को कोई राजस्व नहीं प्राप्त होगा और सभी कार्यवाही जनहित में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के ��िए की जा रही है।सरकारी भवनों से आसानी से बेदखल होंगे अवैध कब्जाधारीराब्यू, लखनऊ : राज्य संपत्ति विभाग के भवनों पर अवैध रूप से काबिज संस्थाओं, राजनीतिक दल, कर्मचारी व अन्य संगठन, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री, पत्रकार, अधिकारी और एनजीओ जैसे सभी आवंटियों को आसानी से बेदखल किया जा सकेगा। मंगलवार को कैबिनेट द्वारा उप्र सार्वजनिक भू-गृहादि (कतिपय अप्राधिकृत अध्यासियों की बेदखली) नियमावली-2018 को म���जूरी देने से राज्य संपत्ति विभाग की मुश्किलें कम होंगी।15 दिन के नोटिस पर पुलिसिया कार्रवाई होगी : आवंटन निरस्त होने के बाद राज्य संपत्ति विभाग को अधिकार होगा कि आवंटी को भवन खाली करने के लिए 15 दिन का नोटिस जारी करें। इस अवधि में भवन खाली नहीं होता है तो मजिस्टेट व पुलिस बल को साथ लेकर खाली कराने की कार्रवाई की जा सकेगी।
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डीएलएड (DLEd पूर्व बीटीसी) कालेज संबद्धता की विज्ञप्ति जारी, परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव (Regulatory authority secretary) ने दिया निर्देश
डीएलएड (DLEd पूर्व बीटीसी) कालेज संबद्धता की विज्ञप्ति जारी, परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव (Regulatory authority secretary) ने दिया निर्देश
इलाहाबाद : डीएलएड (DLEd पूर्व बीटीसी) व डीपीएसई (NTT) संबद्धता 2018-19 की विज्ञप्ति जारी (Release) हो गई है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव (Regulatory authority secretary) ने निर्देश दिया है कि एनसीटीई से मान्यता प्राप्त कालेज संबद्धता पाने के लिए 22 मार्च तक अपने जिले के डायट प्राचार्य को आवेदन पत्र उपलब्ध कराएं। इस आवेदन पर जिला स्तरीय समिति निर्णय (District level committee decision) करेगी और कालेज का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट छह अप्रैल तक परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद को भेजेंगे। सचिव डा. सुत्ता सिंह ने बताया कि 20 अप्रैल को इस संबंध में राज्य स्तरीय समिति की बैठक होगी। 25 अप्रैल तक समिति के निर्णय पर शासन मुहर लगाएगा। 30 अप्रैल को परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय (Exam Regulatory Authority Office) संबंधित कालेजों को संबद्धता का प्रमाणपत्र जारी करेगा। इसमें उन्हीं कालेजों को संबद्धता मिलेगी जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षा परिषद (National education council) ने दो वर्ष का पाठ्यक्रम चलाने की मान्यता दी है। आवेदन का प्रारूप परीक्षा नियामक की वेबसाइट पर अपलोड है। आवेदन पत्र के साथ 50 हजार प्रक्रिया शुल्क व एक हजार आवेदन शुल्क भी देना होगा।डीएलएड कालेज संबद्धता की विज्ञप्ति जारी
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रिजल्ट में फेल, कॉपी पर पास में फंसी 68500 शिक्षक भर्ती: सरकार ने तेजी से की कार्रवाई, उच्च स्तरीय जांच समिति की सुस्ती पड़ गई भारी
रिजल्ट में फेल, कॉपी पर पास में फंसी 68500 शिक्षक भर्ती: सरकार ने तेजी से की कार्रवाई, उच्च स्तरीय जांच समिति की सुस्ती पड़ गई भारी
परिषदीय स्कूलों की सबसे बड़ी 68500 शिक्षक भर्ती आखिरकार देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ के दायरे में आने जा रही है। यह नौबत इसलिए आई, क्योंकि लिखित परीक्षा का परिणाम आने के बाद रिजल्ट में फेल और स्कैन कॉपी में पास अभ्यर्थियों की गुत्थी सुलझाने में शासन व परीक्षा संस्था सफल नहीं हो सकी। 1सरकार ने तेजी से अफसरों पर कार्रवाई का निर्देश दिया लेकिन, कुछ को छोड़कर अब तक चिन्हित अफसरों की सूची तक मुहैया नहीं हो पाई है। उच्च स्तरीय जांच समिति की सुस्ती से पूरी भर्ती कटघरे में है। कॉपी पर सफल मिले 51 अभ्यर्थी उच्च स्तरीय जांच समिति ने परीक्षा संस्था की जांच करने में तय समय से अधिक वक्त लिया। इसके बाद भी फेल करार 51 अभ्यर्थी ही उसे कॉपी पर पास मिले। परीक्षा नियामक सचिव ने बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी सूची में महज 45 नाम ही दिए हैं। छह अभ्यर्थी उत्तीर्ण प्रतिशत से कम अंक पा रहे थे। इसी बीच अभ्यर्थियों ने जारी स्कैन कॉपी के आधार पर ऐसे नाम जारी किए हैं, जो कॉपी पर उत्तीर्ण हैं। इससे समिति की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े हो गए हैं कि समिति ने जांच के नाम पर खानापूर्ति की है? वरना कॉपी पर उत्तीर्ण अन्य अभ्यर्थी उसे क्यों नहीं दिखे। जिन्हें उत्तीर्ण करार दिया गया, उनमें भी कई कॉपी पर फेल हैं। 53 चयनित, लेकिन कॉपी पर फेल जांच समिति ने रिजल्ट में उत्तीर्ण करार देकर नियुक्ति पा चुके 53 अभ्यर्थियों को कॉपी पर फेल पाया है। अब तक उनके संबंध में निर्णय नहीं लिया जा सका है। पांच अक्टूबर के शासनादेश में उनकी कॉपी का दोबारा मूल्यांकन कराने के निर्देश हैं, जबकि बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव उन्हें नोटिस देने का निर्देश दे चुके हैं। अब तक यह प्रकरण अधर में है। सात पर्यवेक्षक व परीक्षक कौन ? जांच समिति ने रिपोर्ट में राज्य विज्ञान संस्थान के सात पर्यवेक्षक व 343 उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में गड़बड़ी करने वाले परीक्षकों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया, समिति ने इनके नाम नहीं भेजे हैं, इससे उन पर कार्रवाई नहीं हो सकी है, जबकि मुख्यमंत्री निर्देश दे चुके हैं। केवल लिखित परीक्षा की संस्था को ह�� ब्लैक लिस्ट किया जा सका है। पुनमरूल्यांकन कब, कॉपियां मिलेंगी? शासन ने लिखित परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों से पुनर्मूल्यांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन लिया है। सरकार के निर्देश पर इसका शुल्क नहीं लिया गया है। दोबारा मूल्यांकन कब से होगा, अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं, जिन नौ हजार अभ्यर्थियों ने स्कैन कॉपी के लिए दो-दो हजार रुपये दिए हैं, उन सबको अब तक स्कैन कॉपियां नहीं दी सकी हैं। जांच समिति खुद सवालों के घेरे में शासन ने उच्च स्तरीय समिति गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में बनाई थी। बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह व सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक वेदपति मिश्र को रखा गया। समिति गठन के बाद से कहा जा रहा था कि वह अफसर इसमें क्यों है, जो गड़बड़ियों के लिए सीधे न सही परोक्ष रूप से जिम्मेदार हैं।
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