गुरु शनि की युति को कहते हैं! ( महासंयोग)
गुरु शनि की युति को कहते हैं! ( महासंयोग)
शनि और बृहस्पति की युति होने से महासंयोग बनता है।
क्योंकि ये दोनों ग्रह अत्यंत प्रभावशाली और धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं।
इसलिए इस युति का प्रभाव जातक के जीवन में शुभ-अशुभ दोनों प्रकार से परिणाम देता है।
शनि गुरु युति- अगर किसी की कुंडली में शनि गुरु की युति हो या ये दोनों एक दूसरे को देख रहे हों तो जातक काफी अच्छा सलाहकार होता है।
ऐसे व्यक्ति को राजनीति में भी अच्छा पद प्राप्त होने की पूरी सम्भावना रहती है। उच्च कोटि का साधक और मंत्रो का ज्ञाता होता है।
बृहस्पति सबसे अधिक शुभ ग्रह है जबकि शनि सबसे अधिक पापी ग्रह है। लेकिन ये दोनों एक दूसरे के प्रति तटस्थ हैं।
कुंडली में शनि और बृहस्पति की युति जातक को समाज में नाम और प्रसिद्धि दिलाने में मदद करती है।
ऐसे व्यक्ति को अच्छी सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है और हर जगह उसका सम्मान किया जाता है।
यह युति जातक को साहस, परिश्रम, समृद्धि और प्रसिद्धि भी प्रदान करती है।
जातक जिद्दी, बुद्धिमान, धनी, विनम्र, शांत और धार्मिक प्रवृत्ति वाला होता है।
हालाँकि, वे अपने साथी पर अविश्वास करते हैं और स्वभाव से थोड़े दबंग होते हैं।
ऐसे जातक अपनी बात मनवाने और मानने की क्षमता के कारण नेतृत्व या राजनीति में उच्च पद का आनंद भी ले सकते हैं
यह युति पहले भाव में अच्छा फल नहीं देती जिनकी कुंडली में पहले भाव में गुरु शनि की युति होगी वह लोग हमेशा से कर्ज में डूबे होंगे ।
और इनके साथ में परेशानी उनकी हमें बनी हुई रहेगी लेकिन
अगर यह युति 11वें भाव में बनती है तो बहुत अच्छा होता है।
करियर मान सम्मान धन दौलत व्यक्ति दानी होता है दान करने वाला होता है ।
लेकिन कभी किसी के आगे झुकता नहीं और किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी ऐसा व्यक्ति बहुत अच्छा होता है ।हर तरह से परिपूर्ण होता है ।
बाकी यह युति सभी भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव करती है अच्छा प्रभाव भी देती है बुरा प्रभाव भी देती है।
लेकिन इसका परिणाम तभी देखा जाता है जब इन दोनों ग्रहों में से किसी की भी महादशा आएगी ।
यह किसी भी दशा में दोनों ग्रह चल रहे होंगे इस टाइम आपको अच्छा बुरा का फल प्राप्त हो सकता है।
सावन के महीने में अपने राशि के रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं अगर जो भी व्यक्ति नाम राशि से रुद्राक्ष लेना चाहता है वह अपने लिए सिद्ध कराकर मंगवा सकते हैं।
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क्या कन्या लग्न की कुंडली में शनि दूसरे भाव में हो और शनि की महादशा चल रही है तो क्या परिणाम मिलेगा?
कन्या लग्न की कुंडली में यदि शनि दूसरे भाव में स्थित है और शनि की महादशा चल रही है, तो इसके निम्नलिखित संभावित परिणाम हो सकते हैं:
धन और संपत्ति के मामले में उतार-चढ़ाव: दूसरा भाव धन, परिवार, और वाणी का प्रतिनिधित्व करता है। शनि की महादशा में आर्थिक मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। धन का संचय धीरे-धीरे होगा, लेकिन मेहनत और धैर्य से स्थिति में सुधार हो सकता है।
परिवारिक जीवन में कठिनाइयाँ: परिवार के सदस्यों के साथ कुछ मनमुटाव हो सकता है। परिवार में किसी बड़े सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है।
वाणी में कठोरता: शनि के प्रभाव से व्यक्ति की वाणी में कठोरता और गंभीरता आ सकती है। यह दूसरों के साथ संवाद में कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ: यदि शनि का अशुभ प्रभाव है, तो व्यक्ति को दांत, आँखों, या गले से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं।
शनि का स्वभाव धीमा और स्थिर होता है, इसलिए जीवन के सभी क्षेत्रों में शनि की महादशा के दौरान धीमी प्रगति देखने को मिल सकती है। मेहनत और धैर्य से कार्य करने पर अंततः लाभ मिल सकता है।
हालांकि, कुंडली के संपूर्ण विश्लेषण के लिए अन्य ग्रहों की स्थिति, शनि की दृष्टि, और दशा-अंतर्दशा का भी अध्ययन करना आवश्यक है। यदि हमे आपकी जन्म कुंडली के आधार पर जानकारी चाहिए तो। आप Kundli Chakra Professional 2022 सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक बेहतर जानकारी दे सकता है। और अधिक जाने के लिए हमसे जोड़ भी सकते है। (8595675042)
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल महंत श्री पारस भाई जी से समझे
बुध
बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बुध का जन्म चन्द्रमा और देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा से हुआ। बुध व्यक्ति के ज्ञान को बढ़ाने वाला ग्रह है। यह ग्रह व्यक्ति को सोचने समझने में या किसी चीज की पहचान करने में और अपने विचार व्यक्त करने में मदद करता है। यह छोटा सा ग्रह है लेकिन तेज तर्रार ग्रह है। यह कन्या राशि में उच्च व मीन राशि में नीच के होते है। यह उत्तर दिशा का स्वामी है। सूर्य व शुक्र इसके मित्र हैं वहीं मंगल और चंद्रमा से शत्रुता रखता है। बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह हैं। जिन लोगों का बुध अच्छा होता है, वे संचार के क्षेत्र में सफल होते हैं। वहीं यदि जातक की कुण्डली मे बुध की स्थिति कमज़ोर होती है तो जातक को तर्कशक्ति, बुद्धि और संवाद में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
जानेमाने ज्योतिषी और महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है जिससे हम एक सार्थक जीवन यापन करते हैं। मतलब वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, गणित, तर्क, संचार और चतुरता का कारक माना गया है। कुंडली में बुध की सही स्थिति होने पर यह अपने से संबंधित घटकों के प्रभाव को बढ़ा देता है और सही स्थान पर न होने पर आपको संबंधित क्षेत्र में सचेत रहने की आवश्यकता है। बुध का स्थान ही दिखाता है कि व्यक्ति किस तरह से लोगों से संपर्क करता है और वह क्या बनना चाहता है। बुध ग्रह, जातक को किसी भी परिस्थिति में ढलने की कला देता है। बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है जिससे हम एक सार्थक जीवन यापन करते हैं। मतलब वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, गणित, तर्क, संचार और चतुरता का कारक माना गया है।
बुध एक तटस्थ ग्रह है इसलिए यह जिस भी ग्रह की संगति में आता है उसी के अनुसार ही व्यक्ति को इसके परिणाम मिलते हैं। बुध किस जातक पर क्या प्रभाव छोड़ेगा यह सब उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। जातक की कुंडली में जिस स्थान पर बुध होगा वो स्थान बतायेगा कि वह जातक या व्यक्ति अपने गुणों का किस तरह इस्तेमाल करेगा। बुध ग्रह अपने गुणों के साथ-साथ जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके भी फल प्रदान करता है। बुध महादशा 17 वर्ष की होती है। बुध प्रभावित व्यक्ति हास्य प्रेमी होते हैं और मजाक करना पसंद करते हैं।
ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से बुध को आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। बुध सफल व्यापार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यदि बुध ग्रह अच्छा होगा तो जातक कई भाषाओं का ज्ञाता हो सकता है। यह आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं और वाणिज्य और कारोबार में सफल होते हैं।
बुध ग्रह मनुष्य के हृदय में बसता है। ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह का प्रिय रंग हरा है। रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध वाणिज्य, चोरी तथा यात्रा का देवता है। ग्रीक भाषा में इसे परमेश्वर का दूत कहा गया है। बुध हमारे नाड़ी तंत्र को भी नियंत्रित करता है और व्यक्ति को अतिसंवेदनशील बनाता है। बुध ग्रह के अच्छे फल के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और गणेश जी की आराधना करें। बुध कमजोर होने पर बुध यंत्र का उपयोग करें। दान करने से आपको फायदा मिल सकता है। सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।
बृहस्पति
ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु के नाम से भी जाना जाता है। बृहस्पति को महाऋषि अंगीरा का पुत्र माना जाता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है और इन प्रभावों का असर हमारे जीवन पर पड़ता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार बृहस्पति को बहुत लाभदायी ग्रह माना जाता है। यानि जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। सभी ग्रहों में गुरु बृहस्पति सबसे उच्च और बड़ा ग्रह माना गया है यही वजह है कि बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहते हैं।यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है वहीं मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति को बहुत लाभदायी ग्रह माना जाता है। यानि जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों में गुरु बृहस्पति सबसे उच्च और बड़ा ग्रह माना गया है यही वजह है कि बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहते हैं।
संतान सुख, वैवाहिक जीवन सुखी, मान सम्मान और धन दौलत आदि के लिए देव गुरु बृहस्पति ग्रह का मजबूत होना सबसे जरूरी बताया जाता है। गुरु को शिक्षा, अध्यापक, धर्म, बड़े भाई, दान, परोपकार, संतान, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, वृद्धि, धन और पुण्य आदि का कारक माना जाता है। बृहस्पति ग्रह को स्वतंत्रता, सहनशक्ति और खुशहाली का ग्रह माना जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत हो तो वह जातक ज्ञान के क्षेत्र में हमेशा आगे होता है और इसके साथ ही उस व्यक्ति को जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा होती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है और वह व्यक्ति सदैव सत्य के रास्ते पर चलता है। बृहस्पति ग्रह को पीला रंग प्रिय है। कुंडली में यदि कोई भाव कमज़ोर है और उस पर गुरु की कृपा दृष्टि पड़ जाए तो वह भाव मजबूत हो जाता है। बृहस्पति ग्रह को किस्मत वालों के ग्रह के रूप में देखा जाता है। बृहस्पति ग्रह ही जीवन के धार्मिक पहलुओं, सफलता, खुशियों, सपनों, ज्ञान और योग्यता का प्रतीक है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बृहस्पति की अच्छी स्थिति मनुष्य का भाग्य बदल देती है लेकिन यदि यह सही जगह न हो तो व्यक्ति को सतर्क रहने की जरूरत है।
शुक्र
वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो कि सप्तम भाव यानी कि पत्नी के भाव के कारक होते हैं। शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी होते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने शुक्र ग्रह के बारे में बताया कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वह व्यक्ति जीवन में भौतिक और शारीरिक सुख-सुविधाओं का लाभ उठाता है। शुक्र ग्रह को सबसे चमकीले ग्रह के रूप में जाना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वह व्यक्ति जीवन में भौतिक और शारीरिक सुख-सुविधाओं का लाभ उठाता है। यदि व्यक्ति विवाहित है तो उसका वैवाहिक जीवन सुखी व्यतीत होता है। वहीं यदि शुक्र कुंडली में कमज़ोर हो तो जातक को विवाह में अशुभ परिणाम मिलते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह का प्रभाव सकारात्मक रहता है यानी शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं वे व्यक्ति बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं।
शुक्र विवाह, सौन्दर्य, प्रेम, रोमांस, संगीत, काम वासना, भौतिक सुख-सुविधा, पति-पत्नी,कला, प्रेमिका, मनोरंजन, करिश्मा, सुविधा, आरामदायक चीज़ों, फ़ैशन, वैभव और ऐशोआराम आदि का कारक होता है।
यानि यह ग्रह आनंद, सामाजिक संबंधों, शादी और अन्य प्रकार की भागीदारी से संबंधित है। शुक्र हमें प्यार की कीमत और क्षमता का अहसास करवाता है। किसी व्यक्ति के जीवनसाथी के चुनाव पर भी शुक्र के स्थान का गहरा प्रभाव पड़ता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शुक्राचार्य को ऋषि भृगु का पुत्र माना जाता है। वे राक्षसों के गुरु हैं। शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च हो होते हैं वहीं कन्या राशि में नीच के हो जाते हैं। मीन राशि द्वादश भाव की राशि होकर शैया सुख को दर्शाती है यही वजह है कि शुक्र वहां उच्च होकर जीवन में अच्छे परिणाम देते हैं। कन्या राशि छठे भाव मतलब प्रतिस्पर्धा के भाव की राशि है इसी कारण शुक्र वहां नीच होकर अच्छे परिणाम नहीं देते हैं।
यदि व्यक्ति को किसी कार्य में अचानक से लगातार सफलताएं मिलने लगे तो समझिए यह मजबूत शुक्र के संकेत हैं। शुक्र प्यार की ओर झुकाव का भी सूचक है। यह व्यक्तियों के प्रति हमारे आकर्षण और चुनाव को दर्शाता है। शुक्रवार का दिन इसे प्रिय है और इसका शुभ रंग सफेद है। कन्याओं की सेवा करने से शुक्र प्रसन्न होता है। अगर शुक्र पीड़ित हो या आपको अच्छे फल नहीं दे रहा है तो शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ कर कन्याओं को रबड़ी का भोग दें और कन्याओं या शादीशुदा स्त्रियों की मदद करें। कमजोर शुक्र को मजबूत करने के लिए वृषभ और तुला राशि के जातकों को हीरा धारण करना चाहिए |
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Shani Jayanti 2024: शनि जंयती पर इस तरह करें शनिदेव की पूजा, सौभाग्य और समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद
हर साल ज्येष्ठ मा��� की अमावस्या तिथि को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार 06 जून 2024 को शनि जयंती मनाई जा रही है। बता दें कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन शनि देव की आराधना करने का विशेष महत्व होता है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में शनि की महादशा, साढ़ेसाती, ढैय्या या शनिदोष चल रहा होता है, उनके लिए यह दिन काफी अहम होता है।
शनि देव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता…
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मेरी बहन की शादी नहीं हो पा रही है। उसकी जन्मतिथि 30 दिसंबर 1992, समय प्रातः 7:15, जन्म स्थान शिकोहाबाद, फिरोजाबाद में हुआ है। बताने का कष्ट करेंगे शादी कब तक होगी?
आपकी बहन की शादी के समय की भविष्यवाणी करने के लिए उसकी जन्म कुंडली का विश्लेषण करना आवश्यक है। उसकी जन्मतिथि, समय और स्थान के आधार पर कुंडली की कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं:
कुंडली की जांच: कुंडली के सातवें भाव (विवाह का भाव) और उसके स्वामी का स्थान, दृष्टि और दशाओं की जांच करें।
दशा और अंतर्दशा: वर्तमान में कौनसी महादशा और अंतर्दशा चल रही है, इसका विश्लेषण करें। विवाह के योग बनने के लिए अनुकूल दशाओं का होना आवश्यक है।
ग्रहों की दृष्टि: सातवें भाव पर गुरु, शुक्र, या चंद्रमा की दृष्टि होने से विवाह के योग बन सकते हैं। इन ग्रहों की स्थिति को देखें।
गोचर ग्रह: वर्तमान में गुरु और शनि का गोचर कुंडली के सातवें भाव से कैसे प्रभावित हो रहा है, इसे ध्यान में रखें। यह महत्वपूर्ण समय संकेत दे सकता है।
उपाय: विवाह में देरी हो रही हो तो उपाय के रूप में कुछ धार्मिक अनुष्ठान, जैसे ��ि गुरु की पूजा, व्रत, या किसी ज्योतिषीय उपाय का सहारा लिया जा सकता है।
इन बिंदुओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप अपनी जन्मतिथि की जानकारी देकर अपनी कुंडली और ग्रह के बारे में जान सकते हैं। इसके लिए आप विवाह सूत्रम २ का उपयोग कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप हमसे जुड़ सकते हैं।8595675042
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shani saadhesaatee ka dar - kyon hotee hai shani kee mahaadasha aur saadhe saatee
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की दशा और अंतर्दशा इंसान के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। इनमें सबसे ज्यादा भयावह मानी जाने वाली दशा है – शनि की महादशा और साढ़ेसाती। शनि ग्रह को कर्म और न्याय का कारक माना जाता है। शनि की साढ़ेसाती और महादशा में व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शनि साढ़ेसाती क्या होती है?
जब शनि चंद्रमा से 12 राशि की दूरी पर होता है तो वह स्थिति…
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Astrologer और Numerologist भूमिका कलम जी।
ज्योतिष एक ऐसी विधा है जो रहस्य के साथ जिज्ञासा भी जगाती है। वेबदुनिया के इस एपिसोड में हमारे साथ हैं Astrologer और Numerologist भूमिका कलम जी। इस एपिसोड में हमने उनसे ज्योतिष, तंत्र और पूर्व जन्म से जुडी कई जिज्ञासाओं पर प्रश्न किये। अगर आप इस विषय को और अधिक गहराई से समझना चाहते हैं तो यह एपिसोड ज़रूर देखें. #Prediction2024 #Jyotish2024 #Horoscope2024 #Tantra #Zodiac #AnnualHoroscope #yearlyprediction #Astrology #JyotishShastra #Astrologer #numerology #Numerology2024 #pastLife #FuturePrediction #Podcast 00:00 Coming up on the podcast 2:16 Introduction 3:27 ज्योतिष क्या है? 5:10 एक ही दिन, समय और स्थान पर जन्मे बच्चों के भाग्य क्यों होते हैं अलग? 6:42 कुण्डली मिलान के बाद भी क्यों होती है शादियां असफल? 9:01 क्या हर व्यक्ति को कुण्डली दिखवानी चाहिए? 10:38 किस उम्र में दिखाना चाहिए कुण्डली? 11:36 भविष्यवाणियाँ क्यों हो जाती हैं गलत? 15:37 प्रेम विवाह का योग क्या कुण्डली से पता चलता है? 16:00 प्रेम विवाह क्यों होते हैं असफल? 19:35 सरकारी नौकरी का योग बताती है कुण्डली? 21:29 मांगलिक दोष 24:45 शनि की साढ़े साती 28:43 राहु की महादशा 30:50 रातों-रात कैसे बदलती है ज़िन्दगी? 32:40 क्या ज्योतिष अन्धविश्वास नहीं है? 33:31 तिथियों का हेर-फेर? 36:23 कालसर्प दोष और पित्रदोष के उपाय 40:07 मैडिटेशन करने से क्या बदलाव आते हैं? 41:48 क्या सच में ‘नज़र’ लगती है? 47:05 क्या लड़कियाँ नहीं पढ़ सकतीं हनुमान चालीसा? 48:31 क्या बागेश्वर धाम धीरेन्द्र शास्त्री के पास सिद्धि है? 50:15 राज योग और गज केसरी योग 53:28 क्या Life Style से बदलता है भाग्य? 56:37 तंत्र क्या है? 58:48 अघोरी कौन हैं? 1:00:00 शव साधना क्या है? 01:02:08 तंत्र और भैरव साधना 01:04:55 तंत्र में स्त्री का योगिनी स्वरुप 01:07:22 पूर्व जन्म के रहस्य 01:07:55 Past Life Regression 01:11:56 पूर्वजन्म में छुपी बीमारी की जड़ 01:13:51 सबसे बड़ा रामबाण उपाय 01:15:50 वर्ष 2024 की सबसे बड़ी भविष्यवाणी 01:17:28 क्या 2024 विनाशकारी साल है? अपने काम की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें- https://hindi.webdunia.com/utility सिनेमा जगत (बॉलीवुड) की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक
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NCWA-11 पर लगी शनि की महादशा ?
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Neelam Ring for Makar Rashi
शनि ग्रह को मजबूत करने तथा उनके अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए नीलम की इस पंचधातु की अंगूठी को धारण किया जाता है। यह सर्टिफाइड अभिमंत्रित अंगूठी है जिसमें 5.5 रत्ती का नेचुरल नीलम रत्न लगा है।
कौन कर सकता है धारण:
मकर और कुंभ राशि के जातक इसको धारण कर सकते हैं क्योंकि शनि ग्रह ही इन राशियों का स्वामी होता है।
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अगर शनि की महादशा या अंतरदशा हो या…
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Marriage license in astrology
विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? विवाह के लिए सप्तम भाव होता है, और उसका स्वामी ग्रह उसके लिए जिम्मेदार है। साथ ही विवाह के लिए शुक्र ग्रह जिम्मेदार है दोनों लड़का और लड़की के लिए, सभी लग्न के जातकों के लिए। लड़को के लिए शुक्र उनकी पत्नी का कारक है और लड़कियों में बृहस्पति उनके पति का कारक है
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दूसरा मुख्य कारक ग्रह स्थिति बनती है. जन्म कुंडली में विवाह सुख के लिए मुख्य रुप से बृहस्पति, शुक्र और मंगल को विशेष रुप से देखा जाता है. यह ग्रह विवाह एवं विवाह उपरांत इत्यादि की स्थिति के विषय में स्पष्ट रुप से संकेत देने में सक्षम होते हैं.
विवाह का सुख किस प्रकार का होगा यह पता लगाया जा सकता है. इस में मुख्य रुप से सातवें भाव के स्वामी ग्रह, लग्न भाव के स्वामी ग्रह, दूसरे भाव के स्वामी ग्रह, पांचवें भाव के स्वामी ग्रह, नौवें भाव के स्वामी ग्रह तथा ग्यारहवें भाव के स्वामी ग्रह को देखना होता है. जन्म कुंडली में इनकी शुभ स्थिति शुभ विवाह के लिए उत्तरदायी होती है.
1. सप्तमेश वक्री हो व मंगल अष्टम भाव में स्थित हो तो विवाह कार्य विलम्ब से होता है।
2. सप्तमेश निर्बल होकर अपने स्थान से छठें, आठवें व बारहवें स्थान में स्थित हो तो विवाह संपन्न होने में विलम्ब का योग बनता है।
3. सप्तमेश व शनि दोनों ही आपस में अकारक होकर एक साथ युक्त हों तो विवाह कार्य में बाधाएं आती हैं।
4. शुक्र व शनि दोनों आपस में सामने हों या चौथे भाव में हों और चंद्रमा आठवें या बारहवें हो तो विवाह में विलम्ब कराता है।
5. शुक्र व शनि लग्न में हों तथा मंगल सप्तम भाव में हो तो विवाह युवावस्था के निकल जाने के बाद होता है।
6. चंद्रमा राहु के साथ होकर सप्तम भाव में स्थित हो तथा सप्तमेश नीच या निर्बल हो तो विवाह कार्य में अत्यंत बाधाएं आती हैं।
7.चंद्र और शुक्र साथ में होने पर उनके सप्तम में मंगल और शनि विराजमान हो तब भी विवाह में बाधा आती है। शनि और सूर्य के कुंडली में पारस्परिक संबंध रखने पर भी विवाह समय पर संपन्न नही हो पाता।
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8, जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं।
9.सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है।
10.सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
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काजल के बारे में क्या कहते है ज्योतिष शास्त्र
केवल आंखों में काजल लगाने से ही लाभ नहीं मिलता है बल्कि आप काजल के ये उपाय आजमा कर जीवन की कई सारी परेशानियों को दूर कर सकते हैं।
काजल का प्रयोग महिलाएं अपने रूप सौंदर्य को बढ़ाने के लिए भी करती हैं और नजरदोष को दूर करने के लिए भी काजल का खूब उपयोग किया जाता है। हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में भी काजल के बहुत सारे उपाय बातए गए हैं, जो आसान होने के साथ ही चमत्कारी भी हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काजल के प्रयोग से जीवन में आ रही परेशानियों को कैसे दूर भगाया जा सकता है और यह कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है...? इस विषय पर ज्योतिष कहता है कि 'काजल को हर धर्म में किसी न किसी रूप में विशेष माना गया है। हिंदू धर्म की बात की जाए तो काजल का सीधा संबंध नजर दोष को दूर करने से है। हम सदियों से देखते चले आ रहे हैं कि छोटे बच्चों को बुरी नजर से दूर करने के नजर बट्टू लगाया जाता है। मगर काजल के प्रयोग से और भी बाधाओं को दूर किया जा सकता है।'
क्लेश दूर करने का उपाय
अगर आपके परिवार में सदस्यों के मध्य आपसी संबंध अच्छे नहीं हैं, तो उन्हें मधुर बनने का प्रयास आप इस टोटके को आजमा कर कर सकती हैं। आपको एक काले कपड़े में जटा वाला नारियल लपेट कर उसमें काजल से 21 बिंदियां बना कर शनिवार के दिन घर के मुख्य द्वार या मुख्य द्वार के ऊपर टांग देना चाहिए। ऐसा करने से जिन नकारात्मक ऊर्जाओं की वजह से घर में क्लेश हो रहा है, वह समाप्त हो जाएगा।
सुख एवं समृद्धि के लिए
अगर आप अपने जीवन में सुख एवं समृद्धि (सुख-समृद्धि के लिए वास्तु टिप्स )चाहते हैं, तो आपको रवि पुष्य योग के दिन काजल का एक उपाय करना चाहिए। इस विषय में मान्यता हैं, 'पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। आमतौर पर यह नक्षत्र गरुवार या रविवार के दिन ही पड़ता है। इस दिन से आप कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ कर सकते हैं। साथ ही इस दिन गूलर के फूल से बने काजल को आंखों में लगाकर रात में सो जाने से आपके सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि आती है।'
नजरदोष दूर करने का उपाय
बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उनकी आंखों में काजल लगाने की जगह आपको हाथों की हथेली, पैर के तलवों, कान के पीछे और माथे पर काजल से एक बिंदी लगा देनी चाहिए। यह सेहत के लिहाज से भी सुरक्षित है और बच्चे को नजरदोष से बचाने के लिए भी यह उपाय बहुत ही कारगर है।
शनि दोष दूर करने का उपाय
यदि आपकी कुंडली में शनि दोष है या आप पर शनि की महादशा चल रही है तो आपको शनिवार के दिन शीशे के सामने खड़े होकर 9 बार अपने सिर के ऊपर से सीधे और उल्टे क्रम में काजल को घुमा कर किसी ऐसे स्थान पर गाड़ देना चाहिए जहां आप वापस दोबारा कभी भी न जाएं।
इसके अलावा यदि आपके विवाह में विलंब हो रहा है तो आप शनि देव के मंदिर में सुरमा अर्पित करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाएगी।
राहु को शांत करने का उपाय
राहु ग्रह को शांत करने के लिए आप अधिक से अधिक काले काजल या सुरमा का दान करें। बेहतर होगा कि आप घर पर ही पहले सुरमा बनाएं और फिर उसका दान करें। यह उपाय उन जातकों के लिए बहुत ही अच्छा रहेगा जिनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
मंगल दोष दूर करने का उपाय
अगर कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर है या फिर मंगल दोष है तो आपको काले की जगह सफेद सुरमा आंखों में लगाना चाहिए।
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Rashifal 2023: आपके लिए कैसा रहेगा साल 2023? किन राशियों पर होगा शनि और राहु का सीधा प्रभाव
Rashifal 2023: आपके लिए कैसा रहेगा साल 2023? किन राशियों पर होगा शनि और राहु का सीधा प्रभाव
नई दिल्ली। जनवरी 2023 से शनि और राहु की महादशा बनी रह सकती है। राहु 30 अक्टूबर 2023 को मेष राशि से निकलकर मतलब राशि में वक्री हो जाएंगे। वहीं 17 जनवरी 2023 को शनि स्वराशि कुंभ में 30 साल बाद पहुंचेंगे। ज्योतिष सूचनाओं के अनुसार ये दोनों ग्रह शनि और राहु कई राशियों के जातकों को परेशान करेंगे। इन दोनों योजनाओं के गोचर से मानव जीवन पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ते हैं।
आने वाले साल 2023 को लेकर कई…
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 12 नवम्बर 2022 सूर्योदय :- 06:39 सूर्यास्त :- 17:44 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- मिथुन मास :- अगहन तिथि :- चतुर्थी वार :- शनिवार नक्षत्र :- मृगशिरा ( मृगशिरा नक्षत्र प्रातः 07:33 तक तत्पश्चात आर्द्रा नक्षत्र ) योग :- सिद्ध करण :- बव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- शरद लाभ :- 13:34 - 14:58 अमृत:- 14:59 - 16:21 शुभ :- 08:02 - 09:25 राहु काल :- 09:26 - 10:48 जय महाकाल महाराज :- *शनि की महादशा अंतर्दशा में करें निम्नलिखित उपाय:-* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में शनि की महादशा अथवा अंतर्दशा आदि कष्टकारी है तो प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष में जल चढावें व तेल का चौमुखी दीपक लगाकर शनिदेव के मंत्र "" ॐ शं शनैश्चराय नमः "" का जप करें तत्पश्चात पीपल वृक्ष की सात परिक्रमा करें। ऐसा करने पर शनि की दशा आदि में राहत मिलेगी व शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। आज का मंत्र :- ""|| ॐ शं शनैश्चराय नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 12 नवम्बर 2022 ( शनिवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/Ck2FHL9yJ83/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को लेकर अनेक नकारात्मक धारणाएं बनी हुई है. लोग शनि की महादशा, साढ़ेसाती, ढ़ैय्या आदि का नाम सुनकर डरने लगते हैं. परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। ज्योतिष में शनि ग्रह को भले एक क्रूर व पाप ग्रह माना जाता है लेकिन यह कुंडली में अशुभ व पीड़ित अवस्था में होने पर ही व्यक्ति को कष्ट देता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ व बलवान स्थिति में हो तो वह उसे रंक से राजा बना सकता है. शनि को तीनों लोकों का न्यायाधीश व दंडाधिकारी माना जाता है इसलिए यह मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फल प्रदान करता है.
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