#शंख निर्माण
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ajitdas0987 · 5 months ago
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लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
🔹त्रेतायुग में नल तथा नील दोनों ही कबीर परमेश्वर के शिष्य थे। कबीर परमेश्वर ने नल नील को आशीर्वाद दिया था कि उनके हाथों से को�� भी वस्तु चाहें वह किसी भी धातू से बनी हो,जल में ��ूबेगी नहीं। परंतु अभिमान होने के कारण नल नील के आशीर्वाद को कबीर परमेश्वर ने वापस ले लिया था। तब कबीर परमेश्वर ने एक पहाड़ी के चारों और रेखा खींचकर उसके पत्थरों को हल्का कर दिया था। वही पत्थर समुद्र पर तैरे थे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
🔹कबीर साहेब जी ही त्रेतायुग में लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण जी को मुनीन्द्र रुप में मिले थे विभीषण जी ने उनसे तत्वज्ञान ग्रहण कर उपदेश प्राप्त किया और मुक्ति के अधिकारी हुए।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया।
धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।।
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।
🔹त्रेतायुग में कबीर परमात्मा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से प्रकट हुये थे। त्रेता युग में कबीर परमात्मा लंका में रहने वाले चंद्रविजय और उनकी पत्नी कर्मवती को भी मिले थे। और उस समय के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण को भी ज्ञान समझा कर अपनी शरण में लिया। यही कारण था कि रावण के राज्य में भी रहते हुए उन्होंने धर्म का पालन किया।
🔹कबीर परमात्मा जी द्वारा नल और नील के असाध्य रोग को ठीक करना
जब त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया तथा नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से ही पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ था। पांडवों के अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि महर्षि मंडलेश्वर उपस्थित थे। यहां तक की भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे। फिर भी उनका शंख नहीं बजा। कबीर परमेश्वर ने सुपच सुदर्शन वाल्मीकि के रुप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया था।
🔹परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से जब द्वापरयुग में प्रकट थे तब काशी में रह रहे थे। सुदर्शन नाम का एक युवक उनकी वाणी से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। एक दिन सुदर्शन ने करुणामय जी से प��छा कि आप जो ज्ञान देते हैं उसका कोई ऋषि-मुनि समर्थन नहीं करता है, तो कैसे विश्वास करें? उन्होंने सुदर्शन की आत्मा को सत्यलोक का दर्शन करवाया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। उसके माता-पिता रोते हुए परमेश्वर करूणामय के घर आए और उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
तीसरे दिन सुदर्शन होश में आया और कबीर जी को देखकर रोने लगा। उसने सबको बताया कि परमेश्वर करूणामय (कबीर साहेब जी) पूर्ण परमात्मा हैं और सृष्टि के रचनहार हैं।
🔹द्वापरयुग में एक राजा चन्द्रविजय था। उसकी पत्नी इन्द्रमति धार्मिक प्रवृत्ति की थी।
द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे।करूणामय साहेब ने रानी से कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म-मृत्यु के कष्ट से नहीं बचा सकती। आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु, न नकली साधना बचा सकेगी। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। सर्प बनकर काल ने रानी को डस लिया। करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हुए। दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया।
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parasparivaarorg · 2 months ago
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पारस: हिंदू धर्म में शंख का क्यों है इतना महत्व ?
पारस: हिंदू धर्म में शंख का महत्व
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
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इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अ���नी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी शंख के महत्व के बारे में बताते हैं कि जिस घर में शंख होता है, वहां हमेशा देवी लक्ष्मी का वास होता है। शंख की पवित्रता और शुद्धता को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि इसे सभी देवताओं ने स्वयं अपने हाथों में धारण किया है।
सनातन धर्म या हिंदू धर्म में शंख का विशेष महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हिंदू धर्म में शंख को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है। क्योंकि सनातन परंपरा में जब भी कोई शुभ कार्य, पूजा पाठ, हवन आदि होता है तो शंख अवश्य बजाया जाता है। चलिये आज इस आर्टिकल में हम आपको शंख के महत्व और इसके लाभ के बारे में बताते हैं।
भगवान विष्णु को शंख अत्यंत प्रिय है
मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले 14 कीमती रत्नों से शंख की उत्पत्ति हुई थी। शंख समुद्र मंथन में से निकले 14 रत्नों में से एक है। भगवान विष्णु को शंख अत्यंत प्रिय है इसलिए भगवान श्री नारायण की पूजा में शंखनाद जरूर होता है। उत्तर पूर्व दिशा में शंख रखने से घर में खुशहाली आती है। भगवान विष्णु हमेशा अपने दाहिने हाथ में शंख पकड़े हुए दिखाई देते हैं। शंख हिंदू धर्म और धार्मिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है। जब शंख बजाया जाता है तो ऐ���ा कहा जाता है कि इससे वातावरण की सारी नकारात्मकता दूर होती है और शंख की ध्वनि से वातावरण बुरे प्रभावों से मुक्त हो जाता है।
शंख सुख-समृद्धि और शुभता का कारक
पूजा पाठ या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में शंख का उपयोग किया जाता है। शंख की ध्वनि जीवन में आशा का संचार करके बाधाओं को दूर करती है। पूजा करते समय शंख में रखा जल छिड़क कर स्थान की शुद्धि की जाती है। सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ के पहले और आखिरी में शंखनाद जरूर किया जाता है। पूजा-पाठ के साथ हर मांगलिक कार्यों के दौरान भी शंख बजाया जाता है। शंख को सुख-समृद्धि और शुभता का कारक माना गया है। शंख बजाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
शंख के लाभ
शंख बजाने से हमारी सेहत भी अच्छी बनी रहती है।
हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं और सांस लेने की समस्या दूर होती है।
नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और वातावरण शुद्ध होता है।
वास्तु शास्त्र में शंख का विशेष महत्व है।
शंख को घर में रखने से यश, उन्नति, कीर्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इससे आरोग्य वृद्धि, पुत्र प्राप्ति, पितृ दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है।
शंखनाद से अद्भुत शौर्य और शक्ति का अनुभव होता है इसलिए योद्धाओं द्रारा इसका प्रयोग किया जाता था।
शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
महत्व
पूजा-पाठ में शंख का विशेष महत्व माना जाता है। शंख का प्रयोग वास्तु दोषों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही शंख बजाने का संबंध स्वास्थ्य से भी है। शंख की पूजा के बारे में महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि तीर्थों में जाकर दर्शन करने से जो शुभ फल प्राप्त होता है, वह शंख को घर में रखने और दर्शन करने मात्र से ही पूरा हो जाता है। धार्मिक कार्यों में शंख बजाना बहुत ही अच्छा माना जाता है।
माना जाता है कि देवताओं को शंख की आवाज बहुत पसंद होती है इसलिए शंख की आवाज से प्रसन्न होकर भगवान भक्तों की हर इच्छा को पूरी करते हैं। वास्तु के अनुसार शंख बजाने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में पूजा में न केवल शंख का इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि शंख की भी पूजा की जाती है।
महंत पारस भाई जी ने बताया कि अथर्ववेद में शंख को पापों का नाश करने वाला, लंबी आयु का दाता और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला बताया गया है।
महंत श्री पारस भाई जी बताते हैं कि शंख से घर में पॉजिटिव वाइब्स आती है। शंख से निकलने वाली ध्वनि से बीमारियों के कीटाणु खत्म हो��े हैं, जिससे आप स्वस्थ रहते हैं।
ध्वनि का प्रतीक माना जाता है शंख
शंख नाद ध्वनि का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि आत्म नाद यानि आत्मा की आवाज की शिक्षा देती है। अध्यात्म में शंख ध्वनि, ओम ध्वनि के समान ही मानी गई है। शंख एकता, व्यवस्था और अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। शंख बजाने से घर की सभी बुराईयां नष्ट होती हैं और घर का वातावरण अच्छा रहता है। शंख जीव को आत्मा से जुड़ने का ज्ञान देता है।
पूजा में क्यों जरूरी माना जाता है शंख?
पूजा घर में दक्षिणावर्ती शंख रखना और बजाना अत्यंत शुभ माना जाता है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनि, पूजा या यज्ञ में शंख का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। शंख बजाने के बाद ही कोई भी पूजा सफल मानी जाती है। शंख बजाने से ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।
सुबह-शाम शंख बजाने से आपका परिवार बुरी नजर से बचा रहता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि सभी समस्याओं और दोषों को दूर करती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां पर माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
शंख का पूजन कैसे करें
घर में नया शंख लाने के बाद उसे सबसे पहले किसी साफ बर्तन में रखकर अच्छी तरह से जल से साफ कर लें। इसके बाद शंख का गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। अब शंख को पोंछकर चंदन, पुष्प, धूप और दीप से पूजन करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण करें और हाथ जोड़कर निवेदन करें कि वो हमारे घर में आयें और इस शंख में आकर वास करें।
महान ज्योतिष महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि हर दिन इसी तरह शंख की सच्चे भाव से पूजा करने के बाद ही इसे बजायें। क्योंकि ऐसा करने पर आपको अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
दूर होती हैं कई बीमारियां
कहते हैं रोजाना शंख बजाने से हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। जिस कारण पेट, छाती और गर्दन से जुड़ी बीमारियां दूर होती हैं। साथ ही शंखनाद से श्वास लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। शंख बजाने से सांस की समस्याएं भी खत्म होती हैं। सांस की प्रक्रिया सही तरीके से चलती है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा इससे थायराइड या बोलने संबंधित बीमारियों में राहत मिलती है।
जब हम शंख बजाते हैं तो तब हमारी मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिसकी वजह से झुर्रियों की समस्या भी दूर होती है। शंख में कैल्शियम होता है। यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई रोग है तो रात को शंख में पानी भरकर रख दें और फिर सुबह उस पानी से त्वचा पर मालिश करें। ऐसा करने पर त्वचा से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। शंख बजाने से हृदय रोग भी दूर होते हैं।
शंख बजाने से तनाव तो दूर होता ही है, साथ ही मन शांत रहता है। माना जाता है कि यदि आप प्रतिदिन शंख बजाते हैं तो दिल का दौरा पड़ने की संभावना काफी कम हो जाती है।
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sharpbharat · 4 months ago
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jamshedpur surya mandir committee : पवित्र सावन की तीसरी सोमवारी के जलाभिषेक यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए सूर्य मंदिर समिति ने शुरु की तैयारी, शिवभक्तों को पूरे सावन बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराएगी समिति, संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह ने शंख मैदान के निर्माण कार्य को बताया अनुसूचित, कहा - निर्माण कार्य से मैदान हो जाएगा छोटा, सभी आयोजनों पर पड़ेगा असर, विधायक का आरोप निराधार
जमशेदपुर : भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन का आगमन होने वाला है. 22 जुलाई को सोमवार से पवित्र सावन की शुरुआत होगी. इस बार सावन 29 दिनों का है. एक ओर जहां श्रावण मास में लौहनगरी जमशेदपुर के सभी शिवालयों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बहुत श्रद्धा से की जाती है तो वहीं, सावन के तृतीय सोमवारी पर सिदगोड़ा स्थित सूर्यधाम के शिवालय में प्रत्येक वर्ष हजारों शिवभक्त पूरे भक्तिभाव के साथ…
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tarshem112 · 5 months ago
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
09/06/24
*🔸ट्विटर + कू Trending सेवा🔸*
🌿  *मालिक की दया से अब कबीर साहेब की द्वापरयुग और त्रेतायुग की लीला से सम्बंधित Twitter और Koo पर सेवा करेंगे जी।*
*टैग है⤵️*
*#सच्चा_इतिहास_परमात्मा_का*
*Kabir is God*
*📷''' सेवा से सम्बंधित photo लिंक।*
https://www.satsaheb.org/dwaparyug-tretayug-lila-hindi/
https://www.satsaheb.org/dwaparyug-tretayug-lila-english-2/
*🔮सेवा Points🔮* ⬇️
🔹क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को त्रेतायुग में मुनीन्द्र ऋषि रूप में परमात्मा मिले थे, जिन्होंने हनुमान जी को अपना अमरलोक दिखाया था और सतभक्ति प्रदान की थी।
🔹लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, ��िभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
🔹त्रेतायुग में नल तथा नील दोनों ही कबीर परमेश्वर के शिष्य थे। कबीर परमेश्वर ने नल नील को आशीर्वाद दिया था कि उनके हाथों से कोई भी वस्तु चाहें वह किसी भी धातू से बनी हो,जल में डूबेगी नहीं। परंतु अभिमान होने के कारण नल नील के आशीर्वाद को कबीर परमेश्वर ने वापस ले लिया था। तब कबीर परमेश्वर ने एक पहाड़ी के चारों और रेखा खींचकर उसके पत्थरों को हल्का कर दिया था। वही पत्थर समुद्र पर तैरे थे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
🔹कबीर साहेब जी ही त्रेतायुग में लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण जी को मुनीन्द्र रुप में मिले थे विभीषण जी ने उनसे तत्वज्ञान ग्रहण कर उपदेश प्राप्त किया और मुक्ति के अधिकारी हुए।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया।
धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।।
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।
🔹त्रेतायुग में कबीर परमात्मा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से प्रकट हुये थे। त्रेता युग में कबीर परमात्मा लंका में रहने वाले चंद्रविजय और उनकी पत्नी कर्मवती को भी मिले थे। और उस समय के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण को भी ज्ञान समझा कर अपनी शरण में लिया। यही कारण था कि रावण के राज्य में भी रहते हुए उन्होंने धर्म का पालन किया।
🔹कबीर परमात्मा जी द्वारा नल और नील के असाध्य रोग को ठीक करना
जब त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया तथा नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से ही पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ था। पांडवों के अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि महर्षि मंडलेश्वर उपस्थित थे। यहां तक की भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे। फिर भी उनका शंख नहीं बजा। कबीर परमेश्वर ने सुपच सुदर्शन वाल्मीकि के रुप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया था।
🔹परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से जब द्वापरयुग में प्रकट थे तब काशी में रह रहे थे। सुदर्शन नाम का एक युवक उनकी वाणी से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। एक दिन सुदर्शन ने करुणामय जी से पूछा कि आप जो ज्ञान देते हैं उसका कोई ऋषि-मुनि समर्थन नहीं करता है, तो कैसे विश्वास करें? उन्होंने सुदर्शन की आत्मा को सत्यलोक का दर्शन करवाया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। उसके माता-पिता रोते हुए परमेश्वर करूणामय के घर आए और उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
तीसरे दिन सुदर्शन होश में आया और कबीर जी को देखकर रोने लगा। उसने सबको बताया कि परमेश्वर करूणामय (कबीर साहेब जी) पूर्ण परमात्मा हैं और सृष्टि के रचनहार हैं।
🔹द्वापरयुग में एक राजा चन्द्रविजय था। उसकी पत्नी इन्द्रमति धार्मिक प्रवृत्ति की थी।
द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे।करूणामय साहेब ने रानी से कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म-मृत्यु के कष्ट से नहीं बचा सकती। आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु, न नकली साधना बचा सकेगी। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। सर्प बनकर काल ने रानी को डस लिया। करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हुए। दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया।
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ramkumarsstuff · 5 months ago
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
08/06/24
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🌿  *मालिक की दया से कल सुबह 07:00 बजे कबीर साहेब की द्वापरयुग और त्रेतायुग की लीला से सम्बंधित Twitter और Koo पर सेवा करेंगे जी।*
*📷''' सेवा से सम्बंधित photo बाद में भेजे जाएंगे जी ।*
*🔮सेवा Points🔮* ⬇️
🔹क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को त्रेतायुग में मुनीन्द्र ऋषि रूप में परमात्मा मिले थे, जिन्होंने हनुमान जी को अपना अमरलोक दिखाया था और सतभक्ति प्रदान की थी।
🔹लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
🔹त्रेतायुग में नल तथा नील दोनों ही कबीर परमेश्वर के शिष्य थे। कबीर परमेश्वर ने नल नील को आशीर्वाद दिया था कि उनके हाथों से कोई भी वस्तु चाहें वह किसी भी धातू से बनी हो,जल में डूबेगी नहीं। परंतु अभिमान होने के कारण नल नील के आशीर्वाद को कबीर परमेश्वर ने वापस ले लिया था। तब कबीर परमेश्वर ने एक पहाड़ी के चारों और रेखा खींचकर उसके पत्थरों को हल्का कर दिया था। वही पत्थर समुद्र पर तैरे थे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
🔹कबीर साहेब जी ही त्रेतायुग में लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण जी को मुनीन्द्र रुप में मिले थे विभीषण जी ने उनसे तत्वज्ञान ग्रहण कर उपदेश प्राप्त किया और मुक्ति के अधिकारी हुए।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया।
धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।।
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।
🔹त्रेतायुग में कबीर परमात्मा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से प्रकट हुये थे। त्रेता युग में कबीर परमात्मा लंका में रहने वाले चंद्रविजय और उनकी पत्नी कर्मवती को भी मिले थे। और उस समय के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण को भी ज्ञान समझा कर अपनी शरण में लिया। यही कारण था कि रावण के राज्य में भी रहते हुए उन्होंने धर्म का पालन किया।
🔹कबीर परमात्मा जी द्वारा नल और नील के असाध्य रोग को ठीक करना
जब त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया तथा नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से ही पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ था। पांडवों के अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि महर्षि मंडलेश्वर उपस्थित थे। यहां तक की भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे। फिर भी उनका शंख नहीं बजा। कबीर परमेश्वर ने सुपच सुदर्शन वाल्मीकि के रुप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया था।
🔹परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से जब द्वापरयुग में प्रकट थे तब काशी में रह रहे थे। सुदर्शन नाम का एक युवक उनकी वाणी से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। एक दिन सुदर्शन ने करुणामय जी से पूछा कि आप जो ज्ञान देते हैं उसका कोई ऋषि-मुनि समर्थन नहीं करता है, तो कैसे विश्वास करें? उन्होंने सुदर्शन की आत्मा को सत्यलोक का दर्शन करवाया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। उसके माता-पिता रोते हुए परमेश्वर करूणामय के घर आए और उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
तीसरे दिन सुदर्शन होश में आया और कबीर जी को देखकर रोने लगा। उसने सबको बताया कि परमेश्वर करूणामय (कबीर साहेब जी) पूर्ण परमात्मा हैं और सृष्टि के रचनहार हैं।
🔹द्वापरयुग में एक राजा चन्द्रविजय था। उसकी पत्नी इन्द्रमति धार्मिक प्रवृत्ति की थी।
द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे।करूणामय साहेब ने रानी से कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म-मृत्यु के कष्ट से नहीं बचा सकती। आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु, न नकली साधना बचा सकेगी। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। सर्प बनकर काल ने रानी को डस लिया। करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हुए। दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया।
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more-savi · 1 year ago
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Agra mai Ghumane ki Jagah
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Agra mai Ghumane ki Jagah
  यदि आप Agra mai Ghumane ki jagah की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है। आगरा, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध शहर है, जिसका इतिहास मुगल सम्राटों से जुड़ा है। आगरा भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक अमूल्य खजाना है। इस खूबसूरत शहर की सुंदरता और इतिहास का आनंद लेने के लिए हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं। यहां हम आपको आगरा में घूमने लायक कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में बताएंगे: Taj Mahal,Agra ताज महल आगरा का मुख्य पर्यटक आकर्षण है और दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक है। इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसका निर्माण कार्य 22 वर्षों में पूरा हुआ। इसकी शानदार संगमरमर की संरचना, प्राकृतिक उद्यान और नहरें अपने मनमोहक दृश्यों से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। Agra Fort,Agra आगरा का किला भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। मुगल बादशाह अकबर द्वारा निर्मित यह किला पुराने शहर में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसके भीतर दरबार-ए-खास, शीश महल, मोती मस्जिद, मुसम्मन बुर्ज जैसी रोमांचक जगहें हैं। किले से आप ताज महल का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। Fatehpur Sikri ,Agra फ़तेहपुर सीकरी आगरा से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे अकबर ने महिलाओं के महल के लिए बनवाया था, जिसका नाम अकबर की रानी जोध बाई के नाम पर रखा गया था। यहां की इमारतें और गुंबद मुगल संस्कृति की भव्यता को दर्शाते हैं। Jahangir Mahal,Agra जहाँगीर महल आगरा के आसपास फ़तेहपुर सीकरी में स्थित है। इसे मुगल सम्राट अकबर के बेटे जहांगीर की पत्नी नूरजहां के नाम पर बनवाया गया था। इसकी वास्तुकला, नक्काशी और कब्रों के अंदर की सजावट आपको आश्चर्यचकित कर देगी। Itimad-ud-Daula’s Tomb: इतिमादुद्दौला का मकबरा आगरा के नगर निगम क्षेत्र में स्थित है और इसे बाग-ए-दौला के नाम से भी जाना जाता है। इसे नूरजहाँ की माँ की कब्र के रूप में बनाया गया था। इसकी संरचना और विशालता आपको लुभाएगी। Chini ka Rauza: चीनी का रौज़ा का नाम मुग़ल सम्राट अकबर के वज़ीर अफ़ज़ल खान के नाम पर रखा गया है। यह भव्य और शानदार संरचना आपको मुगल संस्कृति की विरासत का दर्शन क���ाएगी। Ram Bagh: आगरा में घूमने के लिए राम बाग एक और खूबसूरत विकल्प है। यह राम बाग मकबरे के पास स्थित एक सुंदर उद्यान है। यहां आप खूबसूरत फूलों और पेड़ों का आनंद ले सकते हैं। Moti Masjid: यह आगरा किले के अंदर स्थित एक शानदार मस्जिद है। इसकी शंख-चक्र के आकार की मीनारें, विस्तृत मोज़े और सुंदर नक्काशी इसे देखने लायक बनाती है। Guru Ka Taal: गुरु का ताल आगरा में घूमने लायक एक और महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह खूबसूरत झील और पानी के आसपास के परिदृश्य का आनंद लेने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। Sikander Rauza: सिकंदर रौज़ा आगरा से लगभग 13 किमी दूर सिकंदरपुर नामक स्थान पर स्थित है। यह अकबर का मकबरा है और इसकी शानदार संरचना और सजावट आपको आश्चर्यचकित कर देगी। ये आगरा में घूमने लायक कुछ जगहें हैं जो इस खूबसूरत शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं। ऐतिहासिक स्थलों, बाजारों और स्थानीय संस्कृति का आनंद लेने के लिए आपको यहां कई और दिलचस्प विकल्प भी मिलेंगे। आपको आगरा के आकर्षणों का आनंद लेने के लिए पर्याप्त समय निकालना चाहिए ताकि आप इस जगह के खूबसूरत दृश्यों का अधिकतम लाभ उठा सकें। Also Read - Delhi mai Ghumane ki jagah Frequently asked questions: आगरा घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है? उत्तर प्रदेश के मौसम के अनुसार आगरा घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च तक है। इस मौसम में ठंडी हवाएं चलती हैं जिससे आप आसानी से दर्शनीय स्थलों की यात्रा का आनंद ले सकते हैं। ताज महल देखने के लिए टिकट की कीमत क्या है? ताज महल देखने के लिए टिकट की कीमत भारतीय पर्यटकों के लिए अलग और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग है। बच्चों के लिए और विशेष श्रेणियों के लिए भी अलग-अलग दरें निर्धारित हैं। कृपया सटीक विवरण के लिए आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित अधिकारी देखें। आगरा घूमने के लिए कितने दिन का समय पर्याप्त है? आगरा घूमने के लिए बहुत समय है, लेकिन अगर आप सभी प्रमुख दर्शनीय स्थल देखना चाहते हैं तो कम से कम 2-3 दिन का समय उचित है। आगरा का निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है? आगरा के निकट निकटतम हवाई अड्डा आगरा हवाई अड्डा है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए सेवाएँ प्रदान करता है। आगरा की यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? आगरा पहुंचने के लिए ट्रेन और बसें सबसे सुविधाजनक साधन हैं। आगरा रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के प्रमुख स्टेशनों में से एक है और देश के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।   Also Read - Vadodara mai ghumane ki jagah Read the full article
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astrovastukosh · 1 year ago
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*🍁सुबह उठ कर भूमि-वंदन क्यों करना चाहिए?🍁*
शास्त्रों में मनुष्य को प्रात:काल उठने के बाद धरती माता की वंदना करके ही भूमि पर पैर रखने का विधान किया गया है। पहले दायें पैर को भूमि पर रख कर हाथ से पृथ्वी का स्पर्श कर फिर मस्तक पर लगाया जाता है, साथ ही पांव रखने के लिए विष्णु��त्नी भूदेवी से क्��मा मांगी जाती है—‘हे धरती माता ! मुझे तुम्हारे ऊपर पैर रखने में बहुत संकोच होता है, तुम तो मेरे भगवान की शक्ति हो।’
भूमि-वंदना का मंत्र इस प्रकार है—
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डिते ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे ।।
अर्थात्–समुद्ररूपी वस्त्रों को धारण करने वाली, पर्वतरूपी स्तनों से शोभित विष्णुपत्नी, मेरे द्वारा होने वाले पाद स्पर्श के लिए आप मुझे क्षमा करें।
भगवान नारायण श्रीदेवी और भूदेवी (पृथ्वी) के पति हैं। भूदेवी कश्यप ऋषि की पुत्री हैं और पुराणों में इनका एक देवी रूप है। भूदेवी अपने एक रूप से संसार में सब जगह फैली हुईं हैं और दूसरे रूप में देवी रूप में स्थित रहती हैं।
कश्यप ऋषि की पुत्री होने से ये ‘काश्यपी’, स्थिर रूप होने से ‘स्थिरा’, विश्व को धारण करने से ‘विश्वम्भरा’, अनंत रूप होने से ‘अनंता’ और सब जगह फैली होने से ‘पृथ्वी’ कहलाती हैं। भगवान की पत्नी होने के कारण वे ‘विष्णुप्रिया’ के नाम से जानी जाती हैं।
सृष्टि के समय ये प्रकट होकर जल के ऊपर स्थिर हो जाती हैं और प्रलयकाल में ये जल के अंदर छिप जाती हैं।
वाराहकल्प में जब हिरण्याक्ष दैत्य पृथ्वी को चुराकर रसातल में ले गया, तब भगवान श्रीहरि हिरण्याक्ष को मार कर रसातल से पृथ्वी को ले आए और उसे जल पर इस प्रकार रख दिया, मानो तालाब में कमल का पत्ता हो। इसके बाद ब्रह्मा जी ने उसी पृथ्वी पर सृष्टि रचना की। उस समय वाराहरूपधारी भगवान श्रीहरि ने सुंदर देवी के रूप में उपस्थित भूदेवी का वेदमंत्रों से पूजन किया और उन्हें ‘जगत्पूज्य’ होने का वरदान देते हुए कहा—
‘तुम सबको आश्रय प्रदान करने वाली बनो। देवता, सिद्ध, मानव, दैत्य आदि से पूजित होकर तुम सुख पाओगी। गृहप्रवेश, गृह निर्माण के आरम्भ, वापी, तालाब आदि के निर्माण के समय मेरे वर के कारण लोग तुम्हारी पूजा करेंगे।’
इसके बाद त्रिलोकी में पृथ्वी की पूजा होने लगी।
*भूमि वंदना क्यों करनी चाहिए?*
नींद से उठने के बाद चूंकि हमें बिस्तर से उतर कर आगे के कार्यों के लिए भूमि पर पांव रखना पड़ेगा और कौन मनुष्य ऐसा होगा जिसे अपनी माता के ऊपर पैर रखना अच्छा लगेगा ? इसी विवशता के कारण सबसे पहले भूमि वंदना कर उन पर पांव रखने के लिए विष्णुपत्नी भूदेवी से क्षमा मांगी जाती है।
पृथ्वी माता ने सबको धारण कर रखा है; अत: वे सभी के लिए पूज्य और वंदन-आराधन के योग्य हैं । वे न रहें या उनकी कृपा न रहे तो सारा जगत कहीं भी ठहर नहीं सकता है।
पृथ्वी माता धैर्य और क्षमा क��� देवी हैं । पृथ्वी पर मनुष्य कितना आघात करता है, जल निकालने के लिए भूमि के हृदय को चीरा जाता है, अन्न उपजाने के लिए भूमि के हृदय पर हल चलाया जाता है, मनुष्य व जीव-जन्तु भी उस पर मल-मूत्र का त्याग करते हैं; लेकिन धरती को कभी क्रोध नहीं आता । जिस दिन धरती माता को क्रोध आ जाए, धरती हिलने लगे, भूकम्प आ जाए तो मानव जाति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
भूमि की शस्य-सम्पदा से ही अन्नरूप प्राण उत्पन्न होता है । साथ ही भूमि के हृदय में अनंत ऐश्वर्य जैसे—हीरा, पन्ना, रूबी, नीलम, सोना, लोहा, तांबा और न जानें कितनी धातुएं रहती हैं, जो वे हमें प्रदान करती हैं; इसलिए पृथ्वी देवी का सदा सम्मान करना चाहिए।
कुछ चीजें जो भूदेवी की मर्यादा के विरुद्ध हैं, वह नहीं करनी चाहिए। जैसे—
दीपक, शिवलिंग, देवी की मूर्ति, शंख, यंत्र, शालग्राम का जल, फूल, तुलसीदल, जपमाला, पुष्पमाला, कपूर, गोरोचन, चंदन की लकड़ी, रुद्राक्ष माला, कुश की जड़, पुस्तक और यज्ञोपवीत—इन वस्तुओं को कभी भी भूमि पर नहीं रखना चाहिए।
ग्रहण के अवसर पर भूमि को नहीं खोदना चाहिए।
*भूमि वंदन करने के पीछे यही शिक्षा छिपी है कि मनुष्य को पृ्थ्वी की तरह सहनशील, धैर्यवान और क्षमावान होना चाहिए!*
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
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ragbuveer · 1 year ago
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(अष्टमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#bageshwardhamsarkardivyadarbar
#kedarnath
#badrinath
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-26-जून-2023
वार:-------सोमवार
तिथी:------08अष्टमी:-26:05
माह:-------आषाढ
पक्ष:--------शुक्लपक्ष
नक्षत्र:----उतराफाल्गुनी:-12:44
योग :------व्यतिपात:-06:07
करण:------विष्टि:-13:20
चन्द्रमा:------कन्या
सुर्योदय:------05:51
सुर्यास्त:-------19:29
दिशा शुल-------पूर्व
निवारण उपाय:---दर्पण देखकर यात्रा करें
ऋतु:-----------ग्रीष्म-वर्षा ऋतु
गुलिक काल:---14:11से 15:52
राहू काल:-----07:26से 09:07
अभीजित-------12:00से12:55
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
.युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
अमृत:-05:51से07:33तक
शुभ:-09:14से10:56तक
चंचल:-14:25से16:06तक
लाभ:-16:06से17:48तक
��मृत:-17:48से19:29तक
🌗चोघङिया रात🌓
चंचल:-19:29से20:47तक
लाभ:-23:17से00:36तक
शुभ:-01:55से03:12तक
अमृत:-03:12से04:32तक
चंचल:-04:32से05:51तक
आज के विशेष योग
वर्ष का97वा दिन, भद्रा समाप्त 13:19, केतु चित्रा पर 21:18, दुर्गाष्टमी, परशुराम अष्टमी (उड़ीसा), खरसी पूजा त्रिपुरा, व्यतिपात पुण्य,
🙏👉वास्तु टिप्स👈🙏
घर में शंख कि पुजा रोज करे।
सुविचार
हारना सबसे बुरी विफलता नहीं है कोशिश ना करना ही सबसे बड़ी विफलता है।👍राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*विटामिन सी के लाभ : -*
*जोड़ों का दर्द* - जोड़ों में कोलेजन और काटिर्लेज क��� क्षतिग्रस्त होने, उम्र के बढ़ने या फिर किसी इंफेक्शन के कारण पर जोड़ों में दर्द की समस्या आती है। विटामिन सी, जोड़ों के लिए कोलेजन नामक प्रोटीन का निर्माण करता है जो दर्द से राहत में मददगार है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज का दिन मिला-जुला रहेगा। कारोबार में आर्थिक लाभ मिलने के योग हैं। किसी यात्रा पर जा सकते हैं। खुद पर संयम रखें। शारीरिक तथा मानसिक स्वस्थ्य का ध्यान रखें। किसी रिश्तेदार के घर मांगलिक प्रसंग में जा सकते हैं। दांपत्य जीवन का सुख और आनंद मिलेगा।
☀️ वृषभ राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। बड़े कार्यों में सफलता हासिल होगी। आय के स्रोत विकसित होंगे। क्रोध पर नियंत्रण और वाणी पर संयम बरतें। धार्मिक कार्यों में खर्च होने की संभावना है। परिवार के सदस्यों के बीच पुराना तनाव खत्म होगा और रिश्ते मजबूत बनेंगे।
☀️ मिथुन राशि :- आज का दिन नौकरी तथा कारोबार के क्षेत्र में धन लाभ के योग हैं। परिवारजनों के साथ समय आनंदपूर्वक बीतेगा। शारीरिक, मानसिक स्वस्थ और उत्साही बने रहेंगे। अपनी वाणी पर संयम बरतें। संतान पक्ष की ओर से मन खुश रहेगा।
☀️ कर्क राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। आकस्मिक धन लाभ के योग हैं। नए कार्य शुरू करने के लिए दिन अनुकूल नहीं है। धार्मिक कार्य तथा किसी यात्रा पर जा सकते हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से व्याकुलता का अनुभव रहेगा। परिवार के साथ समय गुजारेंगे और खूब मजा करेंगे।
☀️ सिंह राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। मन अशांत और शरीर थोड़ा थकान से भरा रहेगा। वाहन के रख-रखाव में खर्च बढ़ेंगे। अपनी भावनाओं को वश में रखें। क्रोध से काम बिगड़ सकते हैं। धार्मिक यात्रा का आयोजन हो सकता है। बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सहायता करेंगे, जिससे आपको खुशी मिलेग���।
☀️ कन्या राशि :- आज का दिन अच्छा बीतेगा। नौकरी-पेशे वाले लोगों को लाभ होगा। अपने कार्यों से आपको यश की प्राप्ति होगी। परिवार में सुख-शांति रहेगी। स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें और खान-पान पर विशेष ध्यान दें। सोच समझ कर लिए गए फैसले आपको खुशी देंगे।
☀️ तुला राशि :- आज का दिन शुभ रहेगा। धैर्यशीलता में वृद्धि होगी। अधिकारी आप के कार्य से संतोष का अनुभव करेंगे। नए वाहन का सुख मिल सकता है। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। शारीरिक रूप से अस्वस्थता और मानसिक चिंता बनी रहेगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। नौकरी में अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। क्रोध और वाणी पर संयम बरतें। मानसिक तनाव बढ़ सकता है। नकारात्मक विचारों से दूर रहें। सामाजिक समारोह में भाग लें और नए दोस्त बनाने में समय व्यतीय करें।
☀️ धनु राशि :- आज का दिन अच्छा रहेगा। आकस्मिक धनलाभ मिल सकता है। छात्रों के लिए अच्छा समय है। आपके द्वारा परोपकार का कार्य हो सकता है। संतान पक्ष की ओर से शुभ समाचार मिलेगा। मेहनत से किये गये काम सफल होंगे और आपकी अलग पहचान बनेगी।
☀️ मकर राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। कारोबार में आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है, खर्चों की अधिकता रहेगी। मित्रों और स्नेहीजनों के साथ प्रवास या पर्यटन का योग है। गृहस्थ जीवन में सुख और शांति बनी रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण और वाणी पर संयम रखें। सामाजिक कार्यों में अपने को व्यस्त रखें।
☀️ कुंभ राशि :- आज का दिन लाभदायक रहेगा। शारीरिक व मानसिक रूप से उत्तम रहेगा। कोई छोटी सी बहस भी बड़े झगड़े में परिवर्तित हो सकती है। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। नौकरी में स्थान परिवर्तन की संभावना है। किसी धार्मिक स्थल पर जाने का योग हो सकता है। नए कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं।
☀️ मीन राशि :- आज का दिन सामान्य रहेगा। रोजगार कार्यों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा। आय में वृद्धि होगी। लेकिन अनावश्यक खर्च भी अधिक बढ़ेगा। पारिवारिक शांति बनाए रखने के लिए निरर्थक वाद-विवाद करने से बचें। संतान या रिश्तेदारों से अनबन हो सकती है। यात्रा पर जाने से बचें।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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boharanews · 2 years ago
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Bsnews, 13 April,2023, tuesday, 6:00 pm
मानवीय स्वभाव, प्रकृति और समुद्री विज्ञान
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मानवीय सभ्यता में प्रशासनिक व्यवस्था का होना क्यों आवश्यक है?
प्रशासनिक व्यवस्थाएं प्रकृति के अनुरूप मानवीय स्वभाव का अनुसरण करती हैं। यदि व्यवस्थाओं का अस्तित्व समाप्त हो जाता है तो इसके अभाव में लोग निश्चित रूप से अराजकता की तरफ बढ़ने लगते हैं। और अंततः इसकी परिणिति जंगलराज के रूप में सामने आती है। मानवीय सभ्यता में शासकीय व्यवस्था संवेदनशील, तटस्थ,और अनुपालना कराने के लिए कठोर होनी चाहिए। जबकि जंगल राज में प्रत्येक जीव स्वयं तक सीमित होता है।और अपनी शक्ति, सामर्थ्य, और परिस्थितियों के अनुरूप अपना विकास करता है। मानवीय स्वभाव को Naturalization पर स्थापित करना ही सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
रामसेतू या ADAMS BRIDGE
रामसेतू या Adam bridge प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचना का मिश्रण है। Arichal Munai (India) से मन्नार की खाड़ी तक हिन्द महासागर में Coral reef की एक प्राचीन श्रंखला है।
इस प्रकार की रचनाएँ गर्म समुद्री क्षेत्रों में पायीं जातीं हैं। जिन्हें कोमल शरीर वाले सूक्ष्म समुद्री जीव तैयार करते हैं। इस प्रकार के जीव करोड़ों की संख्या में समूह में रहते हैं। ये अपने शरीर के चारों तरफ कैल्सियम का कठोर आवरण बनाते हैं। और अनुकूलित क्षेत्र में कालोनी के रूप में विस्तार करते हैं। कैल्सियम का निर्माण करने वाले जीवों में ��ंख, सीपी, घोंघे, कौड़ी आदि जैसे जीव प्रमुखता से होतें हैं। कोरल रीफ से हमें शंख, सीप, कौड़ी, एवं समुद्री रत्नों के रूप में मूंगा और मोती प्राप्त होतें हैं।
कभी कभी समुद्री जीवों द्वारा कैल्सियम की चट्टानें इतनी विकसित हो जातीं हैं कि ये समुद्री जल की सतह से भी ऊपर आ जातीं हैं और एक समुद्री द्वीप जैसी आकृति बना लेती हैं। हालांकि समुद्र की आंतरिक हलचल अथवा जलस्तर के घटने या बढ़ने से ये समुद्री संरचनायें क्षतिग्रस्त भी होती रहतीं हैं।
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हिन्द महासागर में इस कैल्सियम चट्टान की श्रंखला के ऊपर समुद्री जल का स्तर कहीं आधा मीटर, कहीं 10 से 15 मीटर तो कहीं चट्टानें समुद्री जल स्तर से ऊपर हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है। कि प्राचीन युग भी तकनीकी रूप से उन्नत एवं समृद्ध रहा है। जिसमें इस प्रकार की भौगोलिक स्थिति के आधार पर 45 - 50 किमी लंबा पुल बनाना बहुत अधिक कठिन कार्य तो हो सकता था। लेकिन असंभव कार्य नहीं था। एक लंबी समयावधि के बाद यह शोध का विषय भी इसलिए नहीं रह जाता है। क्योंकि लंबे अंतराल में कोरल रीफ के समुद्री जीव इसमें एक बहुत बड़ा परिवर्तन कर चुके होते हैं।
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सेतु समुद्र�� परियोजना के अंतर्गत कैनाल का निर्माण करने के लिए यदि कैल्शियम की इन बड़ी चट्टानों को हटाया जाता है तो इससे समुद्री जीवों की एक बड़ी कालोनी नष्ट हो जायेगी और इनके द्वारा निर्मित उत्पादन प्राप्त होने बंद हो जायेंगे, समुद्री भौगोलिक स्थिति में परिवर्तन होने पर तटीय क्षेत्रों के लिए खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। क्योंकि कैल्सियम रीफ की यह श्रंखला दक्षिण-पश्चिम के समुद्री जल दाब को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। फिर भी प्राकृतिक संरचनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए तकनीकी विकास के विकल्प खुले रहने चाहिए।
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Published by Bsnews
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thakurbabanews · 3 years ago
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नेपालकै सबैभन्दा ठुलो शंख निर्माणको काम सम्पन्न
नेपालकै सबैभन्दा ठुलो शंख निर्माणको काम सम्पन्न
९ चैत, सल्यान : कर्णाली प्रदेश सल्यानमा नेपालकै सबैभन्दा ठुलो नमुना शंख निर्माण गरिएको छ। छत्रेश्वोरि गाउँपालिका वडा नम्बर ६ सल्यानमा रहेको संखमूलको शंखपार्क धार्मिक पर्यटक प्रबन्ध गर्ने उदेश्यले ठुलो शंख निर्माण गरिएको स्थानीयले जनाएका छन्। स्थानीयका अनुसार, करिव एक करोड साठी लाख लागतमा बनाएको २१ फिट लम्बाई र १३ फिट उचाई रहेको नेपालकै सबैभन्दा ठुलो शंख रहेको दाबि गरिएको बताए। यद्यपी यस…
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shwetabhpathak · 3 years ago
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कहीं शिव निकल रहे हैं,कहीं गणराय।। हिमालय के कत्यूरी साम्राज्य में अवस्थित,द्वाराहाट क्षेत्र में गणाई (गणराई) से सड़क निर्माण में निकली १२ वीं सदी की भव्य गणेश मूर्ति। घंट मृदंग शंख चंग बज रहे हैं। जय शिव शंभो Ravindra Singh Basera Dev सा... Credits :- स्वदेश कुमार https://www.instagram.com/p/CdnP67Uvzzw/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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satyam-mathematics · 3 years ago
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1.गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya):
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गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya):महावीराचार्य का जीवन परिचय अन्य गणितज्ञों की भांति छुपा हुआ है।वे राष्ट्रकूट वंश के महान शासक अमोघवर्ष नृपतुंग के समकालीन थे।महावीराचार्य ने गणित सार संग्रह,ज्योतिष-पटल तथा षटत्रिशंका इत्यादि मौलिक एवं अभूतपूर्व ग्रंथों की रचना की है जो कि ज्योतिष एवं गणित विषयों पर अपनी विषय वस्तु के कारण महत्त्वपूर्ण है।
महावीराचार्य के इन ग्रंथों को भारतीय गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।इसमें संसार को जो देन मिली है,उनकी अनेक विद्वानों ने प्रशंसा की है।हिंदू गणित के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉक्टर विभूतिभूषण दत्त ने अपने निबंध में मुख्य रूप से महावीराचार्य के त्रिभुज और चतुर्भुज-संबंधी गणित का विश्लेषण किया है और बताया है कि इसमें अनेक ऐसी विशेषताएं हैं जो अन्यत्र कहीं नहीं मिलती।इसी प्रकार महावीराचार्य की प्रशंसा करते हुए डी.ई. स्मिथ ‘गणित सार संग्रह’ के अंग्रेजी संस्करण की भूमिका में लिखते हैं कि त्रिकोणमिति तथा रेखागणित के मौखिक तथा व्यावहारिक प्रश्नों से यह साबित होता है कि गणितज्ञ महावीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya),ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य में समानता तो है लेकिन फिर भी महावीराचार्य के प्रश्नों में इनसे श्रेष्ठ��ा पाई जाती है।
महावीराचार्य ने गणित की प्रशंसा करते हुए ‘गणित सार संग्रह’ में लिखा है-कामशास्त्र,अर्थशास्त्र,गांधर्व शास्त्र,गायन,नाट्यशास्त्र,पाकशास्त्र,आयुर्वेद,वास्तुविद्या,छंद,अलंकार,काव्यतर्क,व्याकरण आदि में तथा कलाओं के समस्त गुणों में गणित अत्यंत उपयोगी है।सूर्य आदि ग्रहों की गति को ज्ञात करने में,देश और काल को ज्ञात करने में सर्वत्र गणित का उपयोग हुआ है।द्वीपों,समूहों और पर्वतों की संख्या,व्यास और परिधि,लोक,अंतर्लोक,स्वर्ग और नरक के रहने वाले सबके श्रेणीबद्ध भवनों,सभा एवं मंदिरों के निर्माण गणित की सहायता से जाने जाते हैं।अधिक कहने से क्या प्रयोजन? त्रैलोक्य में जो कुछ भी वस्तु है,उसका अस्तित्व गणित के बिना संभव नहीं हो सकता। गणितज्ञ महवीराचार्य ( Mathematician Mahviracharya) ने अंक-संबंधी जोड़,बाकी,गुणा,भाग,वर्ग,वर्गमूल और घनमूल इन आठों परिक्रमों का भी उल्लेख किया है।इन्होंने शून्य तथा काल्पनिक संख्याओं पर भी विचार व्यक्त किए हैं।गणित सार संग्रह में 24 अंक तक की संख्या का उल्लेख किया है और उसको इस प्रकार नाम दिए हैं-एक,दस,शत,सहस्र,दस सहस्र,लक्ष, दशलक्ष,कोटि,दशकोटि,शतकोटि,अर्बुद,न्यर्बुद, खर्व,महाखर्व,पदम्,महापदम्,क्षोणी,महाक्षोणी, शंख,महाशंख,क्षिति, महाक्षिति, क्षोभ,महाक्षोभ।
भिन्नों के विषय में महावीराचार्य की विधि विशेष उल्लेखनीय है।लघुतम समापवर्त्य की कल्पना पहले महावीर ने ही की थी।
महावीराचार्य ने युगपत समीकरण (Simultaneous Equation) को हल करने का नियम भी दिया है।वर्ग समीकरण को व्यावहारिक प्रश्नों द्वारा समझाया है।उन्होंने इन प्रश्नों को दो भागों में विभाजित किया है।एक तो वे प्रश्न,जिनमें अज्ञात राशि के वर्गमूल का कथन होता है तथा दूसरे वे जिनमें अज्ञात राशि के वर्ग का निर्देश रहता है।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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सबको ₹2 हजार दिए... जब ममता के समर्थक के दावे की दुकानदार ने खोल दी पोल! Divya Sandesh
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सबको ₹2 हजार दिए... जब ममता के समर्थक के दावे की दुकानदार ने खोल दी पोल!
हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, रामनगर पश्चिम बंगाल में 27 मार्च को पहले चरण की 30 सीटों पर चुनाव होने हैं। जिले में भी आती है। रामनगर विधानसभा सीट से वर्ष 2016 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) के उम्मीदवार रहे अखिल गिरि ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने सीपीएम कैंडिडेट तापस सिन्हा को 28253 मतों से शिकस्त दी थी। टीएमसी नेता अखिल गिरि को कुल मिलाकर 107081 और सीपीएम के कैंडिडेट तापस सिन्हा को 78828 वोट मिले थे।
रामनगर विधानसभा सीट में दीघा क्षेत्र भी आता है, जो कि समुद्र के किनारे बसा हुआ है। यहां दीघा शंकरपुर उन्नयन (विकास) परिषद का दफ्तर भी आकर्षण का केंद्र है। इसे ‘जहाजवाड़ी’ नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, शिप (जहाज) की तर्ज पर बना है। रामनगर विधानसभा सीट में ज्यादातर लोग पर्यटन से जुड़े व्यवसाय से रोजीरोटी जुटाते हैं। हां, यहां बड़ी संख्या में मछुआरा समुदाय भी है। दीघा में बंगाल ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से भी लोग आते हैं। आपको बता दें कि दीघा के भी दो हिस्से हैं। न्यू दीघा और ओल्ड दीघा। स्थानीय लोग बताते हैं कि जबसे न्यू दीघा की बसावट हुई है तबसे ओल्ड दीघा में पर्यटकों की संख्या कम होती है।
‘ममता ने हमारी मदद की लेकिन…’शंख, कोरल आदि के विक्रेता श्रीकृष्ण रॉय बताते हैं कि कोरोना महामारी के बीच व्यापारियों पर बहुत बुरा असर पड़ा था। अब तो लोग बेफिक्र हो चुके हैं। हमें डर लगता है लेकिन अब क्या ही किया जा सकता है।
‘…तो मुझ पर लगाया गया चोरी का आरोप’ ओल्ड दीघा में लोगों ने कहा, ‘ममता बनर्जी ने दीघा को बहुत कुछ दिया है। हम दीदी के साथ हैं। रही बात अधिकारी परिवार की तो जो लोग टीएमसी में सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं वो लोग बीजेपी का दामन थाम रहे हैं।’ यहां मौजूद एक शख्स ने कहा, ‘समुद्र के किनारे निर्माण कार्य चल रहा था। उस वक्त शिशिर अधिकारी टीएमसी के साथ थे। उन्होंने मुझ पर चोरी का आरोप लगाते हुए जेल भिजवा दिया। आरोप लगाया गया कि मैंने पत्थरों की चोरी की है। इस आरोप के बाद मैं टीएमसी के साथ-साथ शिशिर से भी नाराज हो गया। अब मुझे लगता है कि इसमें टीएमसी की कोई गलती नहीं थी।’
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sharpbharat · 5 months ago
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jamshedpur surya mandir committee : सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमेटी का सरयू राय पर पलटवार, रघुवर दास के विकास के काम को चमकाकर अपना नाम लिखवाना चाहते है सरयू राय, आध्यात्मिक स्थल को बर्बाद करने के लिए हो रही है साजिश
जमशेदपुर : जमशेदपुर के सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर परिसर के शंख मैदान में संरचना निर्माण कार्य की अनुशंसा कर विधायक सरयू राय एक सुंदर, रमणीक और लाखों लोगों की आस्था से जुड़े धार्मिक स्थल को बर्बाद करने में लगे हैं. पिछले साढ़े चार से कोई ना कोई कार्य के जरिये वे सूर्य मंदिर के छठ घाट तालाब, आध्यात्मिक स्थल शंख मैदान की महत्ता को नष्ट करने की राजनीतिक साजिश कर रहे हैं. उपरोक्त बातें सूर्य मंदिर समिति…
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sabkuchgyan · 4 years ago
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इन 2 राशियों के दिल में खिलेगा, प्यार का फूल
इन 2 राशियों के दिल में खिलेगा, प्यार का फूल #Astrology #Horoscope
राशिफल में शामिल सभी राशियों में दो राशिया ऐसी हैं जिनकी कुंडली में शंख योग और प्रेम योग का निर्माण एक साथ हो रह�� हैं। तथा इनके लव लाइफ में अच्छे दिन आने वाले हैं। तो आइये जानते हैं विस्तार से की इन 2 राशियों के दिल में खिलेगा प्यार का फूल। मेष राशि, राशिफल में शामिल सभी राशियों में मेष राशि के लोगों की कुंडली में प्रेम योग का संख योग का निर्माण हो रहा हैं। जिसके कारण मेष राशि के लोगों के दिल में…
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more-savi · 1 year ago
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Agra mai Ghumane ki Jagah
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Agra mai Ghumane ki Jagah
  यदि आप Agra mai Ghumane ki jagah की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है। आगरा, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध शहर है, जिसका इतिहास मुगल सम्राटों से जुड़ा है। आगरा भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक अमूल्य खजाना है। इस खूबसूरत शहर की सुंदरता और इतिहास का आनंद लेने के लिए हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं। यहां हम आपको आगरा में घूमने लायक कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में बताएंगे: Taj Mahal,Agra ताज महल आगरा का मुख्य पर्यटक आकर्षण है और दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक है। इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसका निर्माण कार्य 22 वर्षों में पूरा हुआ। इसकी शानदार संगमरमर की संरचना, प्राकृतिक उद्यान और नहरें अपने मनमोहक दृश्यों से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। Agra Fort,Agra आगरा का किला भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। मुगल बादशाह अकबर द्वारा निर्मित यह किला पुराने शहर में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसके भीतर दरबार-ए-खास, शीश महल, मोती मस्जिद, मुसम्मन बुर्ज जैसी रोमांचक जगहें हैं। किले से आप ताज महल का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं। Fatehpur Sikri ,Agra फ़तेहपुर सीकरी आगरा से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे अकबर ने महिलाओं के महल के लिए बनवाया था, जिसका नाम अकबर की रानी जोध बाई के नाम पर रखा गया था। यहां की इमारतें और गुंबद मुगल संस्कृति की भव्यता को दर्शाते हैं। Jahangir Mahal,Agra जहाँगीर महल आगरा के आसपास फ़तेहपुर सीकरी में स्थित है। इसे मुगल सम्राट अकबर के बेटे जहांगीर की पत्नी नूरजहां के नाम पर बनवाया गया था। इसकी वास्तुकला, नक्काशी और कब्रों के अंदर की सजावट आपको आश्चर्यचकित कर देगी। Itimad-ud-Daula’s Tomb: इतिमादुद्दौला का मकबरा आगरा के नगर निगम क्षेत्र में स्थित है और इसे बाग-ए-दौला के नाम से भी जाना जाता है। इसे नूरजहाँ की माँ की कब्र के रूप में बनाया गया था। इसकी संरचना और विशालता आपको लुभाएगी। Chini ka Rauza: चीनी का रौज़ा का नाम मुग़ल सम्राट अकबर के वज़ीर अफ़ज़ल खान के नाम पर रखा गया है। यह भव्य और शानदार संरचना आपको मुगल संस्कृति की विरासत का दर्शन कराएगी। Ram Bagh: आगरा में घूमने के लिए राम बाग एक और खूबसूरत विकल्प है। यह राम बाग मकबरे के पास स्थित एक सुंदर उद्यान है। यहां आप खूबसूरत फूलों और पेड़ों का आनंद ले सकते हैं। Moti Masjid: यह आगरा किले के अंदर स्थित एक शानदार मस्जिद है। इसकी शंख-चक्र के आकार की मीनारें, विस्तृत मोज़े और सुंदर नक्काशी इसे देखने लायक बनाती है। Guru Ka Taal: गुरु का ताल आगरा में घूमने लायक एक और महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह खूबसूरत झील और पानी के आसपास के परिदृश्य का आनंद लेने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। Sikander Rauza: सिकंदर रौज़ा आगरा से लगभग 13 किमी दूर सिकंदरपुर नामक स्थान पर स्थित है। यह अकबर का मकबरा है और इसकी शानदार संरचना और सजावट आपको आश्चर्यचकित कर देगी। ये आगरा में घूमने लायक कुछ जगहें हैं जो इस खूबसूरत शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं। ऐतिहासिक स्थलों, बाजारों और स्थानीय संस्कृति का आनंद लेने के लिए आपको यहां कई और दिलचस्प विकल्प भी मिलेंगे। आपको आगरा के आकर्षणों का आनंद लेने के लिए पर्याप्त समय निकालना चाहिए ताकि आप इस जगह के खूबसूरत दृश्यों का अधिकतम लाभ उठा सकें। Also Read - Delhi mai Ghumane ki jagah Frequently asked questions: आगरा घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है? उत्तर प्रदेश के मौसम के अनुसार आगरा घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च तक है। इस मौसम में ठंडी हवाएं चलती हैं जिससे आप आसानी से दर्शनीय स्थलों की यात्रा का आनंद ले सकते हैं। ताज महल देखने के लिए टिकट की कीमत क्या है? ताज महल देखने के लिए टिकट की कीमत भारतीय पर्यटकों के लिए अलग और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग है। बच्चों के लिए और विशेष श्रेणियों के लिए भी अलग-अलग दरें निर्धारित हैं। कृपया सटीक विवरण के लिए आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित अधिकारी देखें। आगरा घूमने के लिए कितने दिन का समय पर्याप्त है? आगरा घूमने के लिए बहुत समय है, लेकिन अगर आप सभी प्रमुख दर्शनीय स्थल देखना चाहते हैं तो कम से कम 2-3 दिन का समय उचित है। आगरा का निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है? आगरा के निकट निकटतम हवाई अड्डा आगरा हवाई अड्डा है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए सेवाएँ प्रदान करता है। आगरा की यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? आगरा पहुंचने के लिए ट्रेन और बसें सबसे सुविधाजनक साधन हैं। आगरा रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के प्रमुख स्टेशनों में से एक है और देश के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।   Also Read - Vadodara mai ghumane ki jagah Read the full article
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