#वैदिक इतिहास
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samanygyan · 2 years ago
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vikaskumarsworld · 1 year ago
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🦋हरि आये हरियाणे नू🦋
राजस्थान के प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव पीर के अनुसार जगत के कल्याण के लिए भारतवर्ष में उत्पन्न मसीह जाट वर्ण से होगा और वह कबीर प्रभु के गुण गाएगा। उनकी यह भविष्यवाणी जाट वर्ण में उत्पन्न हरियाणा के संत रामपाल जी पर खरी उतरती है। जिनका 8 सितंबर को जन्म दिवस है।
8 सितंबर को उस महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ, जिनके विषय में अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चार्ल्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
देश विदेश के अनेकों महापुरुषों ने धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में अपने लेखों में वर्णन किया है कि वो मानव इतिहास का सबसे महानतम व्यक्ति बनेगा व जनता का अपार समर्थन प्राप्त करेगा। उसके विचारों का बोलबाला पूरे विश्व मे होगा व सभी लोग उसके  बताए मार्ग पर चलने के लिए बाध्य होंगे।
युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
भगवान 8 सितंबर 1951 को धरती पर अवतरित हो चुके हैं संत रामपाल जी महाराज के रूप में।
जगत का तारणहार
गरीब दास जी की वाणी है कि:-
"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा।।"
परमेश्वर का नुमाइंदा संत दिल्ली मण्डल में उत्पन्न होगा। उस संत द्वारा बताया हुआ तत्वज्ञान पूरे विश्व को स्वीकृत होगा। यह भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने भी की है। वह जगत के तारणहार संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारत के धनाना गांव में हुआ जो पहले दिल्ली क्षेत्र में पड़ता था।
सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हर इंसान सुखी होगा और पृथ्वी स्वर्ग समान बनेगी।
जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक संत तुलसीदास जी ने 7 सितम्बर 1971 को भविष्यवाणी की थी कि वह अवतार जो पूरे विश्व में शा��ति स्थापित करेगा, भारत को विश्व गुरु बनायेगा, उसकी एक भाषा, एक झंडा होगा। वह 20 वर्ष का हो गया है। संत रामपाल जी ही वह अवतार हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951को हुआ था  जोकि 7 सितम्बर 1971 को पूरे 20 वर्ष के थे।
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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पवित्र पुस्तक "धरती पर अवतार"
https://bit.ly/DhartiParAvtar16.5.2000
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amirhashmilive · 25 days ago
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ब्राह्मणवाद का ऐतिहासिक उद्गम और प्रभाव
ब्राह्मणों का इतिहास भारत के प्राचीन समाज के निर्माण और विकास से जुड़ा हुआ है। ब्राह्मणों को समाज में एक उच्च स्थान प्राप्त था और उन्हें वैदिक यज्ञों, धार्मिक अनु��्ठानों और शिक्षा का संरक्षक माना जाता था। इस आर्टिकल में हम ब्राह्मणों की उत्पत्ति, जाति और वर्ण व्यवस्था की स्थापना, इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव, महात्मा गांधी और डॉ. बी. आर. अंबेडकर द्वारा ब्राह्मणवाद के विरुद्ध संघर्ष, और निम्न…
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rightnewshindi · 29 days ago
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Horoscope 18 October; आज कुंभ राशि के जातकों की धन संपदा में होगी वृद्धि, पढ़ें 18 अक्टूबर का इतिहास
Horoscope 18 October; आज कुंभ राशि के जातकों की धन संपदा में होगी वृद्धि, पढ़ें 18 अक्टूबर का इतिहास #News #NewsUpdate #newsfeed #newsbreakapp
Horoscope Rashifal 18 October 2024: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। हर राशि का स्वामी ग्रह होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आकंलन किया जाता है। 18 अक्टूबर 2024 को शुक्रवार है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा-उपासना करने से जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती…
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blog4nation · 2 months ago
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मातृभाषा हिंदी l
नमस्ते हिंदी l
हिंदी भाषा की परिभाषा यह है कि व्यक्ति अपनी भावनाएं, इच्छाएं, समस्याएं और अपनी बातों को व्यक्त करते हैं और अपनी वक्तव्य को दूसरों तक पहुंचाता है और भाषा के द्वारा ही व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढता है, या दूसरों की समस्याओं का समाधान करता है l
यदि एक भाषा दूसरी भाषा को दबाता है तो इंसान खुद ब खुद दबता चला जाता है l
आइए हम सब मिलकर हिंदी को प्रोत्साहित करें, हिंदी को महत्व दें और हिंदी को आगे बढ़ावा देl
अपना एक ही अभियान हिंदी सर्वोपरि है l
हिंदी महान है…l.
हिंदी हम सब का सम्मान है..l
हिंदी, अभिव्यक्तित्व की निखार है l
हिंदी, अंतरात्मा की एक पुकार है..l
अपनों से अच्छा व्यवहार है l
हिंदी और संस्कृत भाषा में अपने पूर्वजों का संस्कार हैं l
अपनी भाषा हिंदी है तो समृद्धि है, उत्थान है और…
मानवता को विश्व स्तर पर पहुंचाने का एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की संपत्ति है l
हिंदी भाषा में स्वाबलंबन है, समरसता है, संभावना है, समर्पण है l
हिंदी है तो खुशियां और समृद्धि है l
हिंदी है तो सब सुख संपन्न है l
हिंदी भाषा में दूरदर्शिता है l
हिंदी भाषा अविष्कारों की जननी हैl
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की एक पहचान हैl
हिंदी महान है...l
हिंदी है तो बौद्धिक संस्कृति है
हिंदी है तो कवि और कलाकार है
हिंदी है तो बुद्धिजीवी अपार है l
हिंदी है तो ज्ञान का भंडार है l
हिंदी और संस्कृत है तो ..
लोगों को शास्त्र का ज्ञान है l
उपनिषद और वैदिक विज्ञान है ll
हिंदी है तो राष्ट्रभक्ति है,
नारी की शक्ति है l
हिंदी है तो युवा शक्ति है l
हिंदी है तो हिंदुस्तान शक्तिशाली है l
हिंदी एक साधना है l
हिंदी आरा��ना है l
अंतर्मन की पूजा है हिंदी l
अपनों की आदर और सत्कार है हिंदी l
हिंदी एक विचारधारा l
जो बहती गंगा सी धारा है ll
हिंदी कामधेनु गो है l
कल्पतरू है हिंदी ll
रिधि सिद्धि है हिंदी l
शुभ लाभ है हिंदी ll
सर्वे भवंतू सुखिना: है l
वसुदेव कुटुंबकम है ll
हिंदी है तो निस्वार्थ भावना है l
एक सहयोग है l
हिंदी एक योग है ll
कवि की कल्पना है हिंदी l
हिंदी है तो परिपक्वता है l
हिंदी, भाषा में एक विश्वास है l
हिंदी, विश्व गुरु बनने का ब्रह्मास्त्र हैl
हिंदी और संस्कृत है तो मानवता है l
ललाट पर लगी भगवा रोड़ी की टीका है हिंदी l
हम सभी के लिए वरदान है हिंदी l
राष्ट्र की मान और सम्मान है हिंदी l
आन, बान और शान हिंदी l
हिंदुत्व की जान है हिंदी l
हिंदी हमारी जुबान है l
हिंदी है तो हम जवान हैं l
उर्दू और फारसी के साथ भाईचारा निभाता आया है हिंदी l
उनके कुछ अनमोल शब्द खरीद रखे हैं हिंदी l
जय हिंद का नारा दिया है हिंदी ने l
राष्ट्रीयता पूरी निभाया है हिंदी ने l
स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर लड़ाई लड़ी है हिंदी ने l
हिंदुस्तान को आजादी दिलाई है हिंदी ने l
हिंदी है तो हम शक्तिमान हैं l
पत्रकारिता की लाठी है हिंदी l
लेखकों की साथी है हिंदी l
छात्रों का सहपाठी हिंदी l
रंगमंच की पहचान है हिंदी l
फिल्म जगत की जान है हिंदी l
गीत संगीत की आत्मा है हिंदी l
14 सितंबर की वार्षिक उत्सव तक ही सीमित नहीं है हिंदी l
साल के 365 दिनों तक साथ निभाता है हिंदी l
कार्यालय में भी बढ़-चढ़कर कार्य करता है हिंदी l
लाखों लेखकों का लेख -निबंध है हिंदी l
अनपढ़ों पर लगाती प्रतिबंध है हिंदी
हिंदी है तो स्वच्छता अभियान है l
हिंदी हमारे देश का अभिमान है l
हिंदी है तो पर्यावरण में गतिविधियां...है ,
प्रकृति के साथ जीने की अनेक विधियां है l
हिंदी है तो अनेकता में एकता हैl
हिंदी है तो अभिव्यक्ति की आजादी हैl
हिंदी भाषा का सकारात्मक दिशा में एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी हैं तो...
अनेकों व्यापार है..l
अच्छा व्यवहार है..l
आपस में प्यार और शिष्टाचार है l
हिंदी है तो न्यायालय में न्याय है l
जीने का अधिकार हैl
हिंदी में ही तो...
हीतो पदेस की कहानियां है l
हिंदी में तो विदुर नीति है l
हिंदी है तो चाणक्य नीति है l
जिस पर हिंदुस्तान टिकी है l
हिंदी में लिखी पंचतंत्र है l
राजनीति का एक मूल मंत्र है ll
हिंदी है तो लोकतंत्र है l
हिंदी है तो हम स्वतंत्र है l
हिंदी है तो...
पूजा-अर्चना है l
आशा है, अभिलाषा हैl
हिंदी, हिंदुत्व की परिभाषा है l
हिंदी है तो जीने की इच्छा है l
हिंदी अपने आप में एक उच्च शिक्षा है l
हिंदी में दिखाई देती भविष्य की तस्वीर है l
हिंदी ने कलम से लिखी लाखों लोगों की तकदीर है ll
हिंदी बदलती दशा ��े साथ दिखाती एक नई दिशा हैl
हिंदी है तो अपनों से रिश्ता है
अनजान भी फरिश्ता है l
हिंदी हिंदुत्व की एकत्रीकरण है
हिंदी इतिहास का स्मरण है l
दिनकर की दिनचर्या थी हिंदी.......l
कबीरदास, सूरदास और मीरा की वंदना थी हिंदी l
संस्कृत-हिंदी है तो तुलसीदास की रामचरितमानस है l हनुमान चालीसा है हिंदी l
सुंदरकांड का पाठ और गीता है हिंदीl
हिंदी है तो दुश्मन भी अपने सामने नतमस्तक है l
हिंदी है तो दुनिया हिंदुस्तान के सामने नतमस्तक है l
जय हिंद l
जय हिंदी ll
जय हिंदुस्तान lll
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं!
संभार :
मधुसूदन लाल
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bonmonjour · 3 months ago
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it's always so satisfying to correctly identify the root of a [vṛddhi] + ik adjective, it can be tricky sometimes
वर्ष, वार्षिक
पुराण, पौराणिक
वेद, वैदिक
धर्म, धार्मिक
लिंग, लैंगिक
इतिहास, ऐतिहासिक
पुष्टी, पौष्टिक
शब्द, शाब्दिक
शरिर, शारिरिक
मन (< मनः < मनस् ), मानसिक
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dharmiksuvichar · 6 months ago
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sonuonlinetechnical · 9 months ago
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माता सरस्वती जी के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां
माता सरस्वती हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं और वे ज्ञान, विद्या, कला, संगीत और शिक्षा की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इनके पूजन का समय वसंत ऋतु के आरंभ के समय आता है, जिसे बसंत पंचमी कहा जाता है। यह पर्व सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है और यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पंचमी को आता है, जिसे हम सामान्यत: फरवरी-मार्च के बीच देख सकते हैं।
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सरस्वती देवी के दर्शन, वस्त्र, और आकृति की प्रतिमा में हाथ में वीणा होती है और वे हंस पर विराजमान होती हैं। वीणा उनकी प्रमुख वाहना भी है। माता सरस्वती की पूजा में सबसे अधिक चंदन की माला, कुमकुम, अक्षत, फूल आदि का प्र��ोग होता है।
वेदों में माता सरस्वती को 'वाग्देवी' और 'वेदमाता' के रूप में उपासित किया गया है, जिसका अर्थ है कि वे वाणी की देवी हैं और वेदों की माता हैं। वे विद्या के स्रोत के रूप में जानी जाती हैं और छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति में संचालित करने वाली हैं।
वैदिक धर्म के साथ ही सरस्वती देवी को पुराणों और इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनकी कई कहानियाँ हैं, जिनमें उनके धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने विशेष युद्ध और लड़ाइयाँ लड़ीं हैं।
सरस्वती पूजा को खासकर छात्रों, कलाकारों और विद्वानों द्वारा बहुत महत्व दिया जाता है। इस दिन छात्र अपनी शिक्षा की मां देवी सरस्वती की आराधना करते हैं और उनसे विद्या, बुद्धि और समझ की वरदान प्राप्त करने की कामना करते हैं।
इस प्रकार, माता सरस्वती हिंदू धर्म की एक उच्च देवी हैं जिनकी पूजा और आराधना के माध्यम से विद्या, ज्ञान और कला की प्राप्ति की आशा की जाती है।
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drbinodkumar · 10 months ago
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वैदिक इतिहास का आरम्भ सृष्टि के आरम्भ से होता है अर्थात् 01,96,08,53,124 (लगभग 02 अरब वर्ष) वर्ष पूर्व से होता है । वैदिक संस्कृति सभी संस्कृति की जननी है । 🍁🙏
#book #vaidicculture #vaidicphysics #bookworld #hindu #literature
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ramanan50 · 10 months ago
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रोम की स्थापना 21 अप्रैल, 753 ईसा पूर्व राम नवमी लिटिल राम
सनातन धर्म के इतिहास के साथ अध्ययन किया जाने वाला विश्व का इतिहास दिलचस्प है।यह इस बात के ढेर सारे सबूत दिखाता है कि सनातन धर्म दुनिया भर में मौजूद था और विश्व सभ्यताओं का अग्रदूत है, चाहे वह यूरोप हो, एशिया हो, अमेरिका हो, ऑस्ट्रेलिया हो...के वैदिक लिंक
सनातन धर्म के इतिहास के साथ अध्ययन किया जाने वाला विश्व का इतिहास दिलचस्प है।यह इस बात के ढेर सारे सबूत दिखाता है कि सनातन धर्म दुनिया भर में मौजूद था और विश्व सभ्यताओं का अग्रदूत है, चाहे वह यूरोप हो, एशिया हो, अमेरिका हो, ऑस्ट्रेलिया हो…के वैदिक लिंक पर लेख पोस्ट किए हैंईरान,इराक,सुमेरिया,माया,मिस्र के,पॉलिनेशियन,रोमन,ईसाई, औरयूरोपीय सभ्यताएँ.और वेटिकन का हवाई दृश्य शिव लिंग जैसा दिखता है…
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abhinews1 · 11 months ago
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गीता जयंती के शुभ अवसर पर छात्रों को 100 से अधिक मुफ्त भगवद गीता कीं वितरित
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गीता जयंती के शुभ अवसर पर छात्रों को 100 से अधिक मुफ्त भगवद गीता कीं वितरित
गीता जयंती (मोक्षदा एकादशी) के शुभ अवसर पर, इस्कॉन भागवत महाविद्यालय, (वैदिक अध्ययन का एक कॉलेज), जो गोवर्धन में स्थित है, ने छात्रों को 100 से अधिक मुफ्त भगवद गीता वितरित कीं यह कार्यक्रम कृष्णाश्रय गुरुकुल सेडी (कौशल एवं उद्यमिता विकास संस्थान), जतीपुरा, गोवर्धन श्रीमान राम मोहन लवानिया.जी के द्वारा आयोजित किया गया था I जहां विभिन्न पृष्ठभूमि के विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों ने सक्रिय और उत्साहपूर्वक भाग लिया। भगवद-गीता पर आधारित मन प्रबंधन और आदतों की शक्ति पर एक संक्षिप्त व्याख्यान पर चर्चा की गई, साथ ही प्रश्न और उत्तर सत्र I ब्रह्मचारी प्रेमसिंधु गौरंगा दास, एम.ए. (इतिहास), (एम.ए.) धर्मशास्त्र), (पीएचडी), सह-संस्थापक, इस्कॉन भागवत महाविद्यालय के द्वारा लिया गया। सभी छात्र, प्रबंधन कर्मचारी भगवद गीता की एक प्रति पाकर खुश हुए और प्रतिदिन पढ़ने और अपने जीवन को उपयोगी और सफल बनाने का वादा किया।
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astrovastukosh · 11 months ago
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💥Bharat ak Khoj: भारतीय ऋषि-मुनि द्वारा रचे वेदों का ज्ञान💥
अथर्वदेव : थर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। ज्ञान से श्रेष्ठ कर्म करते हुए जो परमात्मा की उपासना में लीन रहता है वही अकंप बुद्धि को प्राप्त होकर मोक्ष धारण करता है। इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है। इसके 20 अध्यायों में 5687 मंत्र है। इसके आठ खण्ड हैं जिनमें भेषज वेद और धातु ���ेद ये दो नाम मिलते हैं।
हिंदुओ के मूल ग्रन्थ
(१) वेद { जिनको श्रुति भी कहते हैं }
ऋग्वेद ( ज्ञान ) = १०५७९ मंत्र
यजुर्वेद ( कर्म ) = १९७५ मंत्र
सामवेद ( उपासना ) = १८७५ मंत्र
अथर्ववेद ( विज्ञान ) = ५९७० मंत्र
कुल मंत्र = २०४१६
वेदों के अर्थों को समझाने ��े लिए जिन ग्रन्थों का प्रवचन वैदिक ऋषियों ने किया है, उनको शाखा कहते हैं ।
कुल शाखाएँ = ११२७
वर्तमान में उपलब्ध शाखाएँ = १२
उपलब्ध शाखाओं के नाम
{१} ऋग्वेद की उपलब्ध शाखाएँ
(क) शाकल (ख) वाष्कल
{२} यजुर्वेद की उपलब्ध शाखाएँ
(क) काण्व (ख) मध्यन्दिनी (ग) तैत्तिरीय संहिता (घ) काठक (ङ) मैत्रायणी
{३} सामवेद की उपलब्ध शाखाए
(क) जैमिनीया (ख) राणायसीम
{४} अथर्ववेद की उपलब्ध शाखाएँ
(क) शौनक (ख) पिप्पलाद
वेदों में से कुछ लघु वेद भी ऋषियों ने बनाए थे जिनको उपवेद कहते हैं , भिन्न भिन्न विषयों को समझाने के लिए चार उपवेद हैं।
{१} ऋग्वेद ------------------- आयुर्वेद
{२} यजुर्वेद------------------- धनुर्वेद
{३} सामवेद ------------------ गन्धर्ववेद
{४} अथर्ववेद ----------------- अर्थवेद
चारों वेदों में से विज्ञान के उत्कृष्ट स्वरूप को समझाने के लिए वेदों में से ब्राह्मण ग्रन्थ भी बनाए हैं।
{१} ऋग्वेद का ब्राह्मण ------------- ऐतरेय
{२} यजुर्वेद का ब्राह्मण ------------- शतपथ
{३} सामवेद का ब्राह्मण ------------ सामविधान
{४} अथर्ववेद का ब्राह्मण ----------- गोपथ
[ इन्हीं ब्राह्मणों को पुराण भी कहते हैं । ]
६ वैदिक शास्त्र :--
(क) न्याय (ख) वैशेषिक
(ग) साङ्ख्य (घ) योग
(ङ) मिमांसा (च) वेदांत
{ ये छः शास्त्र तर्क प्रणाली को प्रस्तुत करते हैं, इनको पढ़ने से तर्क के द्वारा मनुष्य धर्म और अधर्म के भेद को जान सकता है }
६ वेदाङ्ग वे हैं जिनको पढ़कर मनुष्य वेदों का अर्थ करने में समर्थ होता है।
(क) शिक्षा
(ख) कल्प
(ग) व्याकरण
(घ) निरुक्त
(ङ) छंद
(च) ज्योतिष
वेदांत शास्त्र को ब्रह्मसूत्र भी कहते हैं और इसको समझने के लिए ११ मुख्य उपनिषदें हैं :-
(१) ईश
(२) कठ
(३) केन
(४) प्रश्न
(५) मुण्डक
(६) माण्डुक्य
(७) ऐतरेय
(८) तैत्तिरीय
(९) छांदोग्य
(१०) बृहदारण्यक
(११) श्वेताश्वतर
ऐतिह्या ( इतिहास ग्रन्थ ) :-
(१) योगवशिष्ठ महारामायण
(२) वेदव्यास कृत महाभारतम्
समृति ग्रन्थ :-
(१) मनुस्मृति ( विशुद्ध - कर्म पर आधारित न कि जन्म पर )
(२) विधुर नीति
(३) चाणक्य नीति
राम
*🌳 चार वेद, जानिए किस वेद में क्या है 🌳*
          *बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां है*
        *प्रत्येक हिन्दू को पता होनी चाहिए*
         *और कृपया अपने बच्चो को भी*
          *अपने धर्म के विषय मे बताइये*
वेद दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ है। इसी के आधार पर दुनिया के अन्य मजहबों की उत्पत्ति हुई जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने अपने तरीके से भिन्न भिन्न भाषा में प्रचारित किया। वेद ईश्वर द्वारा ऋषियों को स���नाए गए ज्ञान पर आधारित है इसीलिए इसे श्रुति कहा गया है। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ होता है ज्ञान। वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। शतपथ ब्राह्मण के श्लोक के अनुसार अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ने तपस्या की और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को प्राप्त किया। प्रथम तीन वेदों को अग्नि, वायु, सूर्य (आदित्य), से जोड़ा जाता है और संभवत: अथर्वदेव को अंगिरा से उत्पन्न माना जाता है। एक ग्रंथ के अनुसार ब्रह्माजी के चारों मुख से वेदों की उत्पत्ति हुई।... वेद सबसे प्राचीनतम पुस्तक हैं इसलिए किसी व्यक्ति या स्थान का नाम वेदों पर से रखा जाना स्वाभाविक है। जैसे आज भी रामायण, महाभारत इत्यादि में आए शब्दों से मनुष्यों और स्थान आदि का नामकरण किया जाता है।
वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।
वेदों के उपवेद : ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्ववेद और अथर्ववेद का स्थापत्यवेद ये क्रमशः चारों वेदों के उपवेद बतलाए गए हैं।
वेद के विभाग चार है: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग-स्थिति, यजु-रूपांतरण, साम-गति‍शील और अथर्व-जड़। ऋक को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्ही के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना हुई।
1.ऋग्वेद : ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान। ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र हैं। इस वेद की 5 शाखाएं हैं - शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन। इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ बहुत कुछ है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा ��िकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है।
2.यजुर्वेद : यजुर्वेद का अर्थ : यत् + जु = यजु। यत् का अर्थ होता है गतिशील तथा जु का अर्थ होता है आकाश। इसके अलावा कर्म। श्रेष्ठतम कर्म की प्रेरणा। यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। तत्व ज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रह्माण, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। यह वेद गद्य मय है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य मंत्र हैं। इस वेद की दो शाखाएं हैं शुक्ल और कृष्ण।
कृष्ण :वैशम्पायन ऋषि का सम्बन्ध कृष्ण से है। कृष्ण की चार शाखाएं हैं।
शुक्ल : याज्ञवल्क्य ऋषि का सम्बन्ध शुक्ल से है। शुक्ल की दो शाखाएं हैं। इसमें 40 अध्याय हैं। यजुर्वेद के एक मंत्र में च्ब्रीहिधान्यों का वर्णन प्राप्त होता है। इसके अलावा, दि��्य वैद्य और कृषि विज्ञान का भी विषय इसमें मौजूद है।
सामवेद : साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप है। सामवेद गीतात्मक यानी गीत के रूप में है।  इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। 1824 मंत्रों के इस वेद में 75 मंत्रों को छोड़कर शेष सब मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं।इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसमें मुख्य रूप से 3 शाखाएं हैं, 75 ऋचाएं हैं।
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herwerewolfmentality · 11 months ago
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💫आदि-सनातन धर्म से उत्पन्न सनातन धर्म का यथार्थ इतिहास💫
चतुर्युग की आदि में आदि सनातन धर्म को स्वयं परम अक्षर ब्रह्म ने स्थापित किया था तथा अपने मुख कमल से तत्त्वज्ञान बोलकर वाणी द्वारा जनता को समझाया। बहुत सारे व्यक्तियों ने स्वीकारा। मनु जी ऋषि ने पढ़ा, अच्छा लगा, परंतु काल प्रेरणा से सूक्ष्मवेद त्यागकर चारों वेदो पर आधारित साधना करते रहे। उसे वे सनातन धर्म (पंथ) कहते थे यानि पूर्व में हिन्दू धर्म (पंथ) को सनातन धर्म कहा जाता था।
सत्ययुग में लगभग एक लाख वर्षों तक सनातन धर्म के सब ऋषि-मुनि वेदों को आधार मानकर धार्मिक क्रिया करते थे। उसके पश्चात् साधक यानि ऋषिजन शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करने लगे। इसी को मरीचि ऋषि ने (जो ऋषभदेव का पौत्र तथा भरत का पुत्र था) वैदिक धर्म नाम दिया। आदि शंकराचार्य ने इस�� हिन्दू नाम दिया तथा देवी-देवताओं की मूर्ति पूजा, कर्मकाण्ड प्रवेश किया।
पुराणों को द्वापर युग के अंत में राजा जनमेजय के समय में श्री व्यास जी ने लिखा था जो ऋषियों द्वारा बताया अनुभव है। श्री देवी महापुराण में राजा जनमेजय का भी वर्णन है जो पांडव राजा परीक्षित का पुत्र था। परीक्षित राजा की सर्प के डसने से मृत्यु हुई थी। ऋषि सुखदेव जी ने स्वर्ग से आकर सात दिन राजा परीक्षित को कथा सुनाई थी। उसका नाम श्रीमद्भागवत (सुधा सागर) है जिसको भी लिपिबद्ध व्यास ऋषि जी ने किया है। इससे सिद्ध है कि द्वापर युग के अंत में तथा कलयुग की आदि में पुराण, वेद, महाभारत आदि-आदि शास्त्र लिपिबद्ध व्यास जी द्वारा किए गए थे। श्री व्यास जी तो केवल लेखक हैं, ज्ञान अन्य ऋषियों का है। कुछ ऋषि व्यास जी का अपना ज्ञान भी है। इससे पहले कोई पुराण पुस्तक रूप में नहीं थी। वेदों को ताड़ वृक्ष के पत्तों पर लिखा गया था जिनको ऋषियों ने मौखिक याद कर लिया था। ऋषियों ने वेदों को पढ़ा, पंरतु समझ नहीं सके। उनका अर्थ अपनी बुद्धि अनुसार करके साधना करते थे। अपना-अपना अनुभव अपने शिष्यों को सुनाते थे। इन्हीं ऋषियों के अज्ञान की देन है तीर्थों का भ्रमण, धामों पर जाना।
पित्तर पूजा, भूत पूजा, देवताओं की पूजा यानि अस्थियाँ उठाकर गंगा में जल प्रवाह करना, तेरहवीं करना, महीना करना, वर्षी करना, श्राद्ध करना, पिंड भरवाना, गरुड़ पुराण का पाठ मृत्यु के पश्चात् करना आदि-आदि यह शास्त्र विधि त्यागकर मनमाना आचरण शुरू हुआ जो वर्तमान सन् 2013 तक चल रहा है। जो सत्ययुग के एक लाख वर्ष बीत जाने के बाद से प्रारंभ हुआ था। जिस शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करने वालों को कोई लाभ नहीं मिलता। जिसका प्रमाण श्रीमद्भगवत गीता शास्त्र में अध्याय 16 श्लोक 23-24 में प्रमाण है।
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sanjyasblog · 1 year ago
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🦋हरि आये हरियाणे नू🦋
राजस्थान के प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव पीर के अनुसार जगत के कल्याण के लिए भारतवर्ष में उत्पन्न मसीह जाट वर्ण से होगा और वह कबीर प्रभु के गुण गाएगा। उनकी यह भविष्यवाणी जाट वर्ण में उत्पन्न हरियाणा के संत रामपाल जी पर खरी उतरती है। जिनका 8 सितंबर को जन्म दिवस है।
8 सितंबर को उस महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ, जिनके विषय में अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चार्ल्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
देश विदेश के अनेकों महापुरुषों ने धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में अपने लेखों में वर्णन किया है कि वो मानव इतिहास का सबसे महानतम व्यक्ति बनेगा व जनता का अपार समर्थन प्राप्त करेगा। उसके विचारों का बोलबाला पूरे विश्व मे होगा व सभी लोग उसके बताए मार्ग पर चलने के लिए बाध्य होंगे।
युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
भगवान 8 सितंबर 1951 को धरती पर अवतरित हो चुके हैं संत रामपाल जी महाराज के रूप में।
जगत का तारणहार
गरीब दास जी की वाणी है कि:-
"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा।।"
परमेश्वर का नुमाइंदा संत दिल्ली मण्डल में उत्पन्न होगा। उस संत द्वारा बताया हुआ तत्वज्ञान पूरे विश्व को स्वीकृत होगा। यह भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने भी की है। वह जगत के तारणहार संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारत के धनाना गांव में हुआ जो पहले दिल्ली क्षेत्र में पड़ता था।
सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हर इंसान सुखी होगा और पृथ्वी स्वर्ग समान बनेगी।
जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक संत तुलसीदास जी ने 7 सितम्बर 1971 को भविष्यवाणी की थी कि वह अवतार जो पूरे विश्व में शांति स्थापित करेगा, भारत को विश्व गुरु बनायेगा, उसकी एक भाषा, एक झंडा होगा। वह 20 वर्ष का हो गया है। संत रामपाल जी ही वह अवतार हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951को हुआ था जोकि 7 सितम्बर 1971 को पूरे 20 वर्ष के थे।
#PropheciesAboutSantRampalJi
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rightnewshindi · 1 month ago
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Horoscope 6 October; आज कुंभ राशि के लोगों को मिलेगी शुभ सूचना, पढ़ें 6 अक्टूबर का इतिहास
Horoscope Rashifal 6 October 2024: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। हर राशि का स्वामी ग्रह होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आकंलन किया जाता है। 6 अक्टूबर 2024 को रविवार है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, 6 अक्टूबर का दिन कुछ राशि वालों के लिए बेहद शुभ होने वाला…
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jaswantdas · 1 year ago
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🦋हरि आये हरियाणे नू🦋
राजस्थान के प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव पीर के अनुसार जगत के कल्याण के लिए भारतवर्ष में उत्पन्न मसीह जाट वर्ण से होगा और वह कबीर प्रभु के गुण गाएगा। उनकी यह भविष्यवाणी जाट वर्ण में उत्पन्न हरियाणा के संत रामपाल जी पर खरी उतरती है। जिनका 8 सितंबर को जन्म दिवस है।
8 सितंबर को उस महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ, जिनके विषय में अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चार्ल्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
देश विदेश के अनेकों महापुरुषों ने धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में अपने लेखों में वर्णन किया है कि वो मानव इतिहास का सबसे महानतम व्यक्ति बनेगा व जनता का अपार समर्थन प्राप्त करेगा। उसके विचारों का बोलबाला पूरे विश्व मे होगा व सभी लोग उसके  बताए मार्ग पर चलने के लिए बाध्य होंगे।
युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
भगवान 8 सितंबर 1951 को धरती पर अवतरित हो चुके हैं संत रामपाल जी महाराज के रूप में।
जगत का तारणहार
गरीब दास जी की वाणी है कि:-
"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा।।"
परमेश्वर का नुमाइंदा संत दिल्ली मण्डल में उत्पन्न होगा। उस संत द्वारा बताया हुआ तत्वज्ञान पूरे विश्व को स्वीकृत होगा। यह भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने भी की है। वह जगत के तारणहार संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारत के धनाना गांव में हुआ जो पहले दिल्ली क्षेत्र में पड़ता था।
सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हर इंसान सुखी होगा और पृथ्वी स्वर्ग समान बनेगी।
जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक संत तुलसीदास जी ने 7 सितम्बर 1971 को भविष्यवाणी की थी कि वह अवतार जो पूरे विश्व में शांति स्थापित करेगा, भारत को विश्व गुरु बनायेगा, उसकी एक भाषा, एक झंडा होगा। वह 20 वर्ष का हो गया है। संत रामपाल जी ही वह अवतार हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951को हुआ था  जोकि 7 सितम्बर 1971 को पूरे 20 वर्ष के थे।
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