#विस्थापन और पुनर्वास
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महाराष्ट्र सरकार की कुटिल साजिश अदानी को दिया नमक की जमीन
महाराष्ट्र सरकार एक कुटिल साजिश के तहत धारावी प्रकल्प के साथ सरकारी नमक की जमीन भी सौंप दे रही है। इसके खिलाफ मुंबई कांग्रेस प्रमुख एवं पूर्व शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने आवाज उठाई। (Maharashtra government’s devious conspiracy gave salt land to Adani) इस्माईल शेखमुंबई– कांग्रेस सांसद एवं पूर्व शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार पर धारावी झुग्गी-बस्ती के पुनर्विकास की…
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जिलाधिकारी चमोली ने राजमार्गो, सरकारी व वन भूमि से त्वरित अतिक्रमण हटाने जाने के संबध में ली समीक्षा बैठक
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जिलाधिकारी चमोली ने राजमार्गो, सरकारी व वन भूमि से त्वरित अतिक्रमण हटाने जाने के संबध में ली समीक्षा बैठक
चमोली / 10 अगस्त/ गुरुवार- आज जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने गुरूवार को विस्थापन और पुनर्वास के तहत लंबित प्रकरणों की समीक्षा की।
उन्होंने निर्देशित किया कि ऐसे प्रभावित परिवार जिनको भवन निर्माण हेतु धनराशि जारी की गई है, उनका भवन निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जाए।
जिलाधिकारी ने उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा प्राप्त रिट में पारित आदेशों के क्रम में राजमार्गो, सरकारी व वन भूमि से त्वरित अतिक्रमण हटाने जाने के संबध में समीक्षा करते हुए निर्देशित किया कि अवैध अतिक्रमण हटाने हेतु त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
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विस्थापन की मांग करते भल्डगांववासियों के साथ जिलाधिकारी ने की बैठक
विस���थापन की मांग करते भल्डगांववासियों के साथ जिलाधिकारी ने की बैठक Tehri News: लम्बे समय से विस्थापन की मांग करते आ रहे भल्डगांव के नागरिकों के साथ जिलाधिकारी टिहरी मयूर दीक्षित ने बैठक की और थर्ड पार्टी से भल्डगांव के जांच का आश्वासन दिया। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित द्वारा सोमवार को देर सायं पुनर्वास निदेशालय नई टिहरी में टीएचडीसी, पुनर्वास के अधिकारियों एवं भल्डगांव के ग्रामीणों के साथ बैठक की…
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कोरबा। कल 13 फरवरी को कोरबा जिले के बांकी मोंगरा क्षेत्र के गंगानगर गांव में छत्तीसगढ़ किसान सभा (Kisan Sabha) द्वारा आयोजित 'विस्थापन पीड़ितों की संघर्ष सभा' को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज, बीकेयू के महासचिव राजवीर सिंह जादौन, भूमि अधिकार आंदोलन से जुड़े छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ किसान सभा के सचिव ऋषि गुप्ता तथा सीटू नेता वी एम मनोहर सहित कई स्थानीय नेता ��ंबोधित करेंगे। केंद्र और राज्य सरकार की गांव-गरीब और आदिवासी-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित हो रही इस सभा की तैयारियां पूरी हो चुकी है। छग किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि पूरे जिले के भू-अधिग्रहण से प्रभावित ग्रामीण, रोजगार और पुनर्वास के लिए जूझ रहे भू-विस्थापित तथा वनाधिकार से वंचित आदिवासी इस संघर्ष सभा में हजारों की संख्या में हिस्सा लेंगे और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के प्रेरणादायी उदबोधन और दिशा-निर्देशों के अनुसार जल, जंगल, जमीन से जुड़े अपने मुद्दों पर संघर्ष की नई रणनीति तैयार करेंगे। किसान सभा द्वारा आयोजित इस सभा को कई स्थानीय संगठनों के नेताओं का भी साथ मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में विस्थापन एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरकर सामने आया है और यहां चल रहे संघर्षों के केंद्र में किसान सभा एक प्रमुख संगठन के रूप में उभरा है। एसईसीएल द्वारा विस्थापित ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर और आदिवासी वनाधिकार से जुड़े मुद्दों पर किसान सभा का लगातार रोजगार और पुनर्वास के सवाल पर कुसमुंडा में लगातार 500 दिनों से धरना जारी है। वहीं वर्षों से वन भूमि पर काबिज आदिवासियों की बेदखली और कानूनी प्रमाणों के बावजूद उनके दावे निरस्त किये जाने से आदिवासियों के बीच भी काफी गहरा असंतोष है। एनटीपीसी और अन्य प्लांटों द्वारा अनियमित तरीके से जो राखड़ बांध बनाये गए हैं, उससे भी बड़ी संख्या में विस्थापन और जनधन की हानि हो रही है। किसान सभा सहित विभिन्न संगठन इन मुद्दों पर लगातार आंदोलनरत है। किसान सभा नेता ने बताया कि टिकैत के स्वागत और संघर्ष सभा के लिए वाहन जत्थों, ग्राम सभाओं, बैठकों और पर्चा वितरण के जरिये व्यापक प्रचार किया गया है, जिससे संघर्ष सभा मे हजारों लोगों के जुटने की संभावना है। इस सभा के जरिये सभी नेता खेती-किसानी, विस्थापन और भूमि से जुड़े मुद्दों पर साझा संघर्ष विकसित करने की जरूरत के संदेश को आम जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने देशव्यापी किसान आंदोलन फिर से शुरू करने की घोषणा की है। राकेश टिकैत के छत्तीसगढ़ दौरे और किसान सभा की संघर्ष सभा को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
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सरकार के निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहे जोशीमठ आपदा प्रभावित
देहरादू��– जोशीमठ के आपदा प्रभावित परिवारों का पुनर्वास और विस्थापन करना राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है करीब 1 महीना बीत जाने के बाद आपदा प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से लिए जाने वाले निर्णय का इंतजार है कल दिल्ली में एनडीएमए की महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें केंद्र सरकार के स्तर पर अप्रैल में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा से पहले ही जोशीमठ के प्रभावित को विस्थापित करने की योजनाएं…
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Joshimath:वन टाइम सेटलमेंट के लिए राजी नहीं लोग, सरकार के सुझाए तीन विकल्पों पर प्रभावितों ने दी प्रतिक्रिया - Joshimath People Are Not Ready For One Time Settlement three Options Suggested By The Government Uttarakhand
आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और विस्थापन के लिए सरकार ने जो तीन विकल्प दिए हैं, उनसे आपदा प्रभावित सहमत नहीं हैं। प्रभावितों का कहना है कि सरकार की ओर से विकल्पों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। जोशीमठ के स्थायी निवासी वन टाइम सेटलमेंट के लिए राजी नहीं हैं। ऐसे ही कुछ लोगों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अपनी बात कही। तीन जनवरी से हम बेघर हैं, अखबारों के माध्यम से बार-बार कहा जा रहा…
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Joshimath:रिपोर्ट के इंतजार में लटका पुनर्वास व पुनर्निर्माण, 29 दिन बाद भी फैसला नहीं ले पाई सरकार - Joshimath: Rehabilitation And Reconstruction Hangs Waiting For Report Even After 29 Days
सीएम पुष्कर सिंह धामी – फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो विस्तार जोशीमठ में भू-धंसाव के 29 दिन बाद भी सरकार पुनर्वास और पुनर्निर्माण पर कोई फैसला नहीं ले पाई है। जब तक सरकार को तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट नहीं मिल जाती है, उसके हाथ बंधे हैं। ऐसे में जोशीमठ के भविष्य को लेकर तस्वीर कब तक साफ हो पाएगी, शासन का कोई अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। सरकार ने एक दिन पहले पुनर्वास और विस्थापन के…
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सीएम जयराम बोले-16,352 पौंग विस्थापितों में से राजस्थान में केवल 8,713 को मिली जमीन #news4
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पौंग बांध और अन्य जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से प्रदेश के लोगों ने विस्थापन का दर्द झेला है। पौंग बांध निर्माण के दृष्टिगत 16,352 विस्थापित हिमाचलियों के पुनर्वास के लिए राजस्थान में 2.25 ल��ख एकड़ भूमि आरक्षित की गई। इनमें से केवल 8,713 विस्थापितों को भूमि और मुरब्बा उपलब्ध करवाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शनिवार को राजस्थान के…
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भूमि अधिकार आंदोलन का सम्मेलन 28 को रायपुर में, हन्नान मोल्ला, मेधा पाटकर, सुनीलम होंगे शामिल
भूमि अधिकार आंदोलन का सम्मेलन 28 को रायपुर में, हन्नान मोल्ला, मेधा पाटकर, सुनीलम होंगे शामिल
रायपुर(realtimes) छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन, खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की कॉरपोरेट लूट तथा इसके खिलाफ लड़ रहे संगठनों और कार्यकर्ताओं पर दमन के खिलाफ भूमि अधिकार आंदोलन का राज्य स्तरीय सम्मेलन 28 जून को पेस्टोरल सेंटर, बैरन बाजार, रायपुर में आयोजित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में भूमि से विस्थापन, पुनर्वास, पर्यावरण संरक्षण, आदिवासियों,…
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चर्चा में "कश्मीर फाइल्स" फिल्म
द्वारा : प्रेमसिंह सियाग
मुझे आज तक यह समझ नहीं आया कि कोई बिना संघर्ष के कैसे अपनी विरासत छोड़कर भाग सकता है!
किसानों की जमीनों पर आंच आई तो 13 महीने तक सब कुछ त्यागकर दिल्ली के बॉर्डर पर पड़े रहे।
कश्मीर घाटी में आज भी जाट-गुर्जर खेती कर रहे है।पीड़ित होने का रोना-धोना आजतक दिल्ली जंतर/मंतर आकर नहीं किया है।
1967 के बाद से देश के बारह राज्यों में आदिवासियों को चुन-चुनकर मारा जा रहा है और कारण इतना ही बताया जाता है कि विकास के रास्ते में रोड़ा बनने वाले नक्सली लोगों को निपटाया जा रहा है!
आदिवासियों का नरसंहार कभी चर्चा का विषय नहीं बनता है।उनके विस्थापन का दर्द,पुनर्वास की योजनाओं पर कोई विमर्श नहीं होता।
सुविधा के लिए बता दूँ कि 1989 तक कश्मीरी पंडित बहुत खुश थे और हर क्षेत्र में महाजन ��ने हुए थे।
अचानक दिल्ली में बीजेपी समर्थित सरकार आती है और राज्य सरकार को बर्खास्त करके जगमोहन को राज्यपाल बना दिया जाता है।
कश्मीरी पंडितों पर जुल्म हुए और दिल्ली की तरफ प्रस्थान किया गया!
उसके बाद बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा मुसलमानों को विलेन साबित करने के लिए राष्ट्रीय मुद्दा बना लिया!
कांग्रेस सरकार ने जमकर इस मुद्दे को निपटाने के लिए सालाना खरबों के पैकेज दिए और जितने भी कश्मीरी पंडित पलायन करके आये उनको एलीट क्लास में स्थापित कर दिया।
साल में एक बार जंतर-मंतर पर आते,बीजेपी के सहयोग से ब्लैकमेल करते और हफ्ता वसूली लेकर निकल लेते थे।
8 साल से केंद्र में बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार है व कश्मीर से धारा 370 हटा चुके है लेकिन कश्मीरी पंडित वापिस कश्मीर में स्थापित नहीं हो पा रहे है!
धरने-प्रदर्शन से निकलकर हफ्तावसूली की गैंग फिल्में बनाकर पूरे देश को इमोशनल ब्लैकमेल करके वसूली का नया तरीका ईजाद कर चुकी है!
आदिवासी रोज अपनी विरासत को बचाने के लिए चूहों की तरह मारे जा रहे है लेकिन कभी संज्ञान नहीं लिया जाता।आज किसान कौमों को विभिन्न तरीकों से मारा जा रहा है लेकिन कोई चर्चा नहीं होती।
1995 के बाद से आज तक तकरीबन 15 लाख किसान व्यवस्था की दरिंदगी से तंग आकर आत्महत्या कर चुके है लेकिन पिछले 25 सालों में एक भी बार जंतर-मंतर पर कोई धरना नहीं हुआ,राष्ट्रीय मीडिया में विमर्श का विषय नहीं बना और केंद्र सरकार की तरफ से चवन्नी भी राहत पैकेज के रूप में नहीं मिली।
भागलपुर,पूर्णिया,गोदरा के दंगों से भी पलायन हुआ व देश के सैंकड़ों नागरिक मारे गए।मुजफरनगर फाइल्स या हरियाणा जाट आरक्षण पर हरियाणा फाइल्स भी बननी चाहिए!
हर नागरिक की मौत का संज्ञान लिया जाना चाहिए।एक नागरिक की जान अडानी-अंबानी की संपदा से 100 गुणा कीमती है।हफ्ता-वसूली की यह मंडी अब खत्म होनी चाहिए।भावुक अत्याचारों का धंधा कब तक चलाया जाएगा?
किसान कौम के बच्चे बंदूक लेकर इनके घरों की सुरक्षा के लिए खड़े हो तब ये लोग बंगलों में जाएंगे!क्यों देश इनका नहीं है क्या?ये नागरिक के बजाय राष्ट्रीय दामाद क्यों बनना चाहते है?
भारत सरकार संसाधन दे रही है आर्मी तैनात है तो डर किससे है?जिससे खतरा है उनके खिलाफ लड़ो!जाट-गुज्जर कश्मीर घाटी में आज भी रह-रहे है उन्होंने कभी असुरक्षा को लेकर रो��ा-धोना नहीं किया है।
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अति संवदेनशील गांवों के प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को मुख्यमंत्री ने दी हरी झंडी
अति संवदेनशील गांवों के प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को मुख्यमंत्री ने दी हरी झंडी
चार जिलों में आपदा के दृष्टिगत अत्यधिक संवेदनशील प्रभावित परिवारों को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन और पुनर्वास की अनुमति दी है। इसके लिए आपदा प्रबंधन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार मानक मदों के अनुसार धनराशि भी जारी करने की मंजूरी दी है।टिहरी जिले के अत्यधिक संवेदनशील ग्राम बेथाण नामे तोक के चार प्रभावित परिवारों के विस्थापन-पुनर्वास नीति के तहत…
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मुख्यमंत्री रावत ने विस्थापन और पुनर्वास की दी अनुमति
मुख्यमंत्री रावत ने विस्थापन और पुनर्वास की दी अनुमति
देहरादून: चार जिलों में आपदा के दृष्टिगत अत्यधिक संवेदनशील प्रभावित परिवारों को मुख्यमंत्री रावत ने सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन और पुनर्वास की अनुमति दी है। इसके लिए आपदा प्रबंधन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार मानक मदों के अनुसार धनराशि भी जारी करने की मंजूरी दी है। सीएम के निर्देश पर सिंचाई नहर निर्माण में अनियमितता की जांच विस्थापन-पुनर्वास नीति के तहत विस्थापित टिहरी जिले के अत्यधिक…
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कोरबा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कटघोरा विधानसभा में आगमन पर 17 जनवरी को छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में सैकड़ों किसान, आदिवासी और भू विस्थापित ग्रामीण धरना देंगे और आदिवासियों को बेदखल करने की बजाए उन्हें वनाधिकार पट्टा देने तथा भूविस्थापित ग्रामीणों को नियमित रोजगार देने तथा उन्हें रोजगार व पुनर्वास दिए बिना बेदखल न करने की मांग एवं अन्य जनसमस्याओं पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। छतीसगढ़ किसान सभा की जिला समिति की विस्तारित बैठक में यह फैसला किया गया। किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि वनाधिकार के सवाल पर जिले में केवल बतकही की जा रही है और असल में वर्षों से वनभूमि पर काबिज आदिवासी व गैर-आदिवासी पात्र लोगों को वन भूमि से ��बरन बेदखल किया जा रहा है। कई ��गहों पर गौठान के नाम पर बेदखल जारी है। किसान सभा नेताओं ने कहा कि वन भूमि से बेदखली के अपने स्वयं के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा रखा है, लेकिन कोरबा जिले में वन विभाग और जिला प्रशासन इसकी अवमानना कर रहा है और राज्य सरकार का अपने अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। किसान सभा ने कहा है कि कोरबा निगम क्षेत्र के अंतर्गत वन भूमि पर हजारों परिवार पीढ़ियों से बसे हैं, लेकिन उन्हें वनाधिकार देने की अभी तक कोई प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है, जबकि वनाधिकार कानून में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में शामिल वन भूमि में कोई अंतर नहीं किया गया है। इसी प्रकार जिले में हजारों आदिवासी परिवार हैं, जिनसे वनाधिकार के दावे नहीं लिए जा रहे हैं या बिना किसी पावती और छानबीन के रद्दी की टोकरी में डाल दिये गए हैं। प्रशांत झा ने कहा कि वामपंथ के दबाव में संप्रग सरकार के समय आदिवासियों और परंपरागत वन निवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए यह कानून बनाया गया था। इसे लागू करने में रमन सिंह सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन कांग्रेस सरकार के बनने के चार साल बाद भी सरकार के दावों के खिलाफ प्रशासन यदि आदिवासियों को बेदखल कर रहा है, तो यह स्पष्ट है कि आदिवासियों के लिए कांग्रेस और भाजपा राज में कोई अंतर नहीं है। किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि कोयला उत्पादन के नाम पर बड़े पैमाने पर किसानों को विस्थापित किया जा रहा है। भूविस्थापितों को जमीन अधिग्रहण के बाद रोजगार और मुआवजा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी केवल जमीन को किसानों से छीनने में लगे हुए है। झा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आगमन पर 17 जनवरी को सैकड़ों लोग वनाधिकार पट्टा और एसईसीएल के विस्थापन और किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं करने वाले अधिकारियों की खिलाफ धरना देते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे तथा जनता के प्रति उनके प्रशासन की संवेदनहीनता से उन्हें अवगत कराएंगे।
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प्रदेश सरकार प्रभावितों के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रख कर कार्य कर रही है: अध्यक्ष बीकेटीसी अजेंद्र अजय
श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष और जोशीमठ आपदा के पर्यवेक्षण के लिए मुख्यमंत्री के विशेष प्रतिनिधि अजेंद्र अजय ने कहा कि पहली बार आपदा प्रभावितों की सलाह और सुझाव के आधार पर विस्थापन व पुनर्वास का पैकेज तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ को लेकर शासन स्तर पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ( एचपीसी ) द्वारा सोमवार को आयोजित बैठक में प्रभावितों के लिए संस्तुत…
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Joshimath:जोशीमठ में कितने प्रभावितों का होगा स्थायी विस्थापन, अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद फैसला लेगी सरकार - Joshimath Is Sinking How Many Affected Will Be Permanently Displaced In Joshimath Not Decided
अपने घर खाली करते जोशीमठ के लोग – फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो विस्तार जोशीमठ आपदा प्रभावित के लिए सरकार ने पुनर्वास और विस्थापन के लिए तीन विकल्प तो सुझा दिए हैं, लेकिन कितने क्षेत्र और कितने प्रभावितों का स्थायी विस्थापन होगा, यह अभी तय नहीं है। आपदा प्रभावित क्षेत्र के संबंध में विभिन्न तकनीकी संस्थाओं की ओर से किए जा रहे सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद ही सरकार इस पर कोई निर्णय ले…
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पराते ने कहा- विस्थापन और रोजगार के मुद्दे पर लड़ाई एक राजनैतिक संघर्ष
पराते ने कहा- विस्थापन और रोजगार के मुद्दे पर लड़ाई एक राजनैतिक संघर्ष
कुसमुंडा(realtimes) पूरे देश में आजादी के बाद से अब तक विकास परियोजनाओं के नाम पर दस करोड़ से ज्यादा लोगों को विस्थापित किया गया है और अपने पुनर्वास और रोजगार के लिए आज भी वे भटक रहे हैं। सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियां गरीबों की आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों को उनसे छीन रही है। यही कारण है कि कुछ लोग मालामाल हो रहे हैं और अधिकांश जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए विस्थापन के खिलाफ और रोजगार…
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