Tumgik
#विश्व कैंसर दिवस का शुरुआत
abhay121996-blog · 4 years
Text
विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष Divya Sandesh
#Divyasandesh
विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष
जरूरी है कैंसर से बचाव कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनियाभर में साल इस बीमारी से करोड़ो लोग ग्रसित होते हैं और लगभग एक करोड़ लोगों की असमय मौत हो जाती है। भारत मे इसकी गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख महिलाएँ और 7 लाख पुरुष इससे ग्रसित हो जाते हैं जिसमे से लगभग आधे मौत का शिकार हो जाते हैं । वास्तव में कैंसर में शरीर की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और वो ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। इसकी विशेषता यह है कि यह शरीर के किसी भी हिस्से या अंग में मौजूद कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। कैंसर की गंभीरता को देखते हुए प्रतिवर्ष 4 फरवरी को विश्व कैन्सर दिवस का आयोजन किया जाता है । विश्व कैंसर दिवस के आयोजन का उद्देश्य कैंसर के बारे में जागरूकता और कैंसर शिक्षा को बढ़ावा देना तथा सरकारों एवँ व्यक्तियों पर कैंसर के खिलाफ करने के लिए प्रेरित करना है जिससे रोकथाम योग्य मौतों को रोका जा सके।
कैंसर के प्रकार :
एक अनुमान के अनुसार दुनिया में लगभग100 प्रकार के कैंसर पाये जाते हैं। इनमें ब्लड कैंसर, मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर, अंडाशय कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर, मूत्राशय का कैंसर, मस्तिष्क का कैंसर, लिवर (यकृत) कैंसर, बोन कैंसर, पेट का कैंसर, आदि प्रमुख हैं। दुनिया में सबसे अधिक लोगइन्हीं प्रकार के कैंसर से ग्रसित होते हैं।
कैंसर के कारणों का अभी निश्चित रूप से पता नहीं लगाया जा पाया है परंतु यह माना जाता है कि कैंसर के लिये कुछ चीजें जिम्मेदार हैं जैसे:
तंबाकू या उससे बने उत्पाद, जैसे- सिगरेट आदि का लंबे समय तक सेवन मुंह और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है।
लंबे समय तक अल्कोहल का सेवन लिवर (यकृत) कैंसर समेत शरीर के कई अंगों में कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।
आनुवंशिक दोष या उत्परिवर्तन भी कैंसर के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकता है। इसमें स्तन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
लंबे समय तक पराबैंगनी किरणों के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
कभी-कभी मोटापा भी कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है।
(विश्व कैंसर दिवस) कैंसर के लक्षण :
कैंसर के लक्षण देर से प्रकट होते हैं इसलिए शरीर की नियमित जांच करते रहना चाहिए तथा नीचे दिये हुये लक्षणों में से कोई दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
त्वचा के नीचे गांठ महसूस होना
शरीर का वजन अचानक से कम या ज्यादा होना
त्वचा पर जल्दी निशान पड़ जाना
निगलने में कठिनाई होना
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
घाव का जल्दी ठीक न होना
थकान और कमजोरी महसूस होना
पेट में लगातार दर्द होना
कैंसर से बचाव के उपाय :
कैंसर का उपचार कठिन है परंतु बचाव आसान है इसलिए कुछ सावधनियाँ अपना कर इससे बचा जा सकता है। * शरीर को नियमित जांच करते रहें।
धूम्रपान,तम्बाकू, गुटका,शराब, पान, मसाला का सेवन न करें।
हरी सब्जियां, फाइबर युक्त आहार, मौसमी फल, आदि का प्रयोग करें।
आहार में अधिक वसा न लें
रेडिएशन के संपर्क में आने से बचें
नियमित रूप से व्यायाम करें
शरीर का सामान्य वजन बनाए रखें।
कोई परेशानी होने परतुरंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। कैंसर का उपचार : अभी तक कैंसर का कोई निश्चित उपचार नहीं खोजा जा सका है परंतु सर्जरी , रेडियोथेरेपी द्वारा इसके उपचार का प्रयास किया जा रहा है। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति द्वारा कैंसर के रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है तथा शरीर की तकलीफों को कम किया जा सकता है कैंसर के उपचार में होम्योपैथी की भूमिका पूरक के रूप में हो सकती है। चूंकि कैंसर का कोई निश्चित उपचार नहीं है इसलिए बचाव पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
लेखक डॉ अनुरूद्ध वर्मा ,वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक हैं।
मोबाइल नंबर 9415975558
ये भी पढ़ें : ब्रेकिंग : रिटायर्ड आईपीएस भवेश कुमार होंगे मुख्य सूचना आयुक्त
ई-पेपर पढ़ें : दिव्य संदेश
0 notes
allgyan · 4 years
Link
वर्ल्ड कैंसर डे का मकसद जागरूकता फैलाना ही है -
कैंसर दुनिया की सबसे एक दौर में सबसे बड़ी समस्या बन के उभरी थी | पहले कैंसर होना ही नहीं बचना जैसा था |अभी तो कई अत्याधुनिक मशीने और तरीके के विकास से इसमें कमी लायी गयी है |दुनिया भर में हर साल 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु) मर जाते हैं। इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना था। वर्ष 2025 तक, कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष 60 लाख होने का अनुमान है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं।और इसलिए ही वर्ल्ड कैंसर डे का महत्व बढ़ जाता है |
सबसे पहले वर्ल्ड कैंसर डे कब मना -
विश्व कैंसर दिवस प्रतिवर्ष फ़रवरी के दूसरे रविवार को मनाया जाता है|1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया। यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया जाता है |इस बीमारी के सबसे बड़ी दिक्कत है की शुरुआती दौर में इसका पता नहीं लगता है |कैंसर बहुत ही घातक माना जाता है ये कई तरह का होता है |
कैंसर आखिर क्या है -
मानव शरीर कईं अनगिनत कोशिकाओं यानी सैल्स से बना हुआ है और इन कोशिकाओं में निरंतर ही विभाजन होता रहता है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसपर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। लेकिन कभी-कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाएं बेहिसाब तरीकेसे बढ़ने लगती हैं, उसे कैंसर कहा जाता हैं। जब शरीर की कोशिकाओं के जीन परिवर्तन की शुरुआत होती है वही से कैंसर की शुरुआत होती है |कोई विशेष कारण नहीं है की वो बदलते होते है कभी -कभी वो स्वम ही बदलने लगते है |फिर दूसरे कारणों की वजह से ऐसा हो सकता है, जैसे- गुटका-तंबाकू जैसी नशीली चीजें खाने से, अल्ट्रावॉलेट रे या फिर रेडिएशन आदि इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं । ऐसा देखा गया है की कैंसर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को समाप्त कर देता है|जैसे-जैसे शरीर में कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं, वैसे-वैसे ट्यूमर यानि एक प्रकार की गांठ उभरती रहती है।यदि इसका उपचारसही समय पर न किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है।
कैंसर कितने प्रकार के होते है -
जानकारों की माने तो कैंसर 200 तरह के होते है |लेकिन हम आपको सभी कैंसर के बारे में नहीं बता पाएंगे |हम यहाँ पर उन्ही कैंसर पर ध्यान देंगे |जो ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है |उसमे से तो कई के नाम आप भी बखूबी जानते होंगे |लेकिन चलिए हम भी आपको इनके बारे में अपने स्टाइल में बताते है |
1 - ब्लड कैंसर -
लोगों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में ब्लड कैंसर सबसे आगे है।इस कैंसर में व्यक्ति के शरीर की रक्त कोशिकाओं में कैंसर पैदा होने लगता हैऔर इसी के चलते शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और कैंसर बहुत तेजी से शरीर में संक्रमित होना शुरू हो जाता है।इसमें आपको ब्लड का बार -बार जाँच किया जाता है |धीमी गति से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के कई रोगियों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तेजी से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के लक्षणों में थकान, वज़न घटना, बार-बार संक्रमण, नील पड़ना और खून बहना शामिल हैं|रक्त कैंसर के इलाज के लिए कीमोथैरेपी के अलावा कभी-कभी विकिरण चिकित्सा और मूल-कोशिका प्रत्यारोपण का भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
2-ब्रेन कैंसर -
ब्रेन कैंसर व्यक्ति के सिर वाले भाग में पनपता है ।ब्रेन कैंसर का ही दूसरा नाम ब्रेन ट्यूमर भी है ।इस कैंसर वाले रोगी के दिमाग वाले भाग में एक ट्यूमर यानि गांठ बन जाती है और यह गांठ समय के साथ-साथ बड़ी होने लगती है और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाती है ।एक वीक से ज्यादा समय तक लगातार सर दर्द होना और लगातार दर्द निवारक लेने के बाद भी सही नहीं होना   ब्रेन कैंसर का लक्षण हो सकता है |
3 - स्तन कैंसर -
स्तन कैंसर या जिसे ब्रैस्ट कैंसर भी कहते हैं, यह विशेषकर महिलाओं को होता है, परंतु ऐसा नहीं है कि यह पुरुषों को नहीं हो सकता। इस कैंसर से ग्रसित औरतों के स्तन में एक प्रकार की गांठ बननी शुरु हो जाती है,जो धीरे-धीरे समयानुसार बढ़ने लगती है। यदि इससे बचाव करना है तो नियमित रूप से स्तन की जांच करवाते रहें।स्तन कैंसर के लक्षणों में स्तन में गांठ होना, निपल से खून मिला हुआ रिसाव और निपल या स्तन की बनावट या प्रकृति में बदलाव शामिल हैंइसका इलाज कैंसर की अवस्था पर निर्भर करता है इसमें कीमोथेरेपी (रसायनों से उपचार), रेडिएशन थेरेपी (किरणों से उपचार), हॉर्मोन से उपचार और ऑपरेशन करना शामिल हो सकते हैं|
4 - स्किन कैंसर -
चर्म कैंसर यानि स्किन कैंसर के मामले भी देश में बहुत तेजी से सामने आए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि स्किन कैंसर बहुत अधिक गर्मी में रहने, उचित भोजन न करने और शून्य शारीरिक गतिविधि न करने से शरीर में पनपता है । स्किन कैंसर हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है । ये रोग बहुत खतरनाक श्रेणी में है आज 4 फरवरी के दिन कैंसर वर्ल्ड डे होने के साथ हमारा भी कर्तब्य बनता है की आपको इन रोगों के लिए जागृत करे | हमारा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है की आपको जागरूक किया जाये |
1 note · View note
mrrajverma · 3 years
Text
Tumblr media
*📜 01 नवम्बर 📜*
*🥗 विश्व शाकाहारी दिवस 🥗*
आज विश्व शाकाहारी दिवस है। हर साल 1 नवंबर को विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों में शाकाहार भोजन में लोगों की रुचि को बढ़ाना और उसके साथ पर्यावरण की रक्षा को प्रोत्साहित करना। अब पूरी दुनिया में शाकाहारी भोजन के तौर तरीके बढ़ रहे हैं। शाकाहारी खान पान काफी पसंद भी किया जा रहा है।
👇वर्ल्ड वेजिटेरियन डे की शुरुआत 👇
विश्व शाकाहारी दिवस की शुरूआत साल 1977 में हुई। इसकी शुरूआत नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी द्वारा की गई थी। इस सोसाइटी का उद्देश्य था कि लोगों को शाकाहारी भोजन के लिए प्रेरित किया जाए। इसकी शुरूआत भी इसी लक्ष्य के साथ शुरू हुई थी कि लोगों को शाकाहारी भोजन की तरफ आकर्षित किया जाए।
इसके अलावा लोगों को शाकाहार के फायदे, शाकाहार जीवन की खासियत, बीमारियों से बचाव और पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में जागरुक करना है। क्योंकि आज के समय में मांसाहार की वजह से स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू जैसी गंभीर बीमारियां सैकड़ों लोगों की मौत का कारण बन रही हैं। जबकि शाकाहारी लाइफस्टाइल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को भी मात दी जा सकती है। इसके साथ ही इससे पृथ्वी का पारिस्थितिक तंत्र भी सामान्य बनाने में मदद मिलेगी।
👇 विश्व शाकाहारी दिवस का इतिहास 👇
विश्व शाकाहारी दिवस यानि वर्ल्ड वेगन डे 1 नवंबर, 1977 में पहली बार यूके वेगन सोसाइटी ने मनाया था। साल 1944 में वेगन सोसायटी की स्थापना हुई थी। जिसकी 50 वीं वर्षगांठ पर वेगन सोसायटी के अध्यक्ष ने नवंबर की पहली तारीख को यादगार बनाने और लोगों में शाकाहारी आहार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वेगन दिवस (Vegan Day) को हर साल मनाने की घोषणा की।
वेगन डे मनाने का एक कारण भेदभाव भी था। क्योंकि उस समय वेगंस को डेयरी उत्पादों का उपभोग करने की अनुमति नहीं थी। जिसके विरोध में उन्होंनें अंडे का सेवन बंद कर दिया और फिर 1951 में ये एक शाकाहारी आंदोलन बन गया है। जो जानवरों के शोषण में हिस्सा नही लेते थे। तब से हर साल 1 नवंबर को पूरी दुनिया में शाकाहार को प्रोत्साहित करने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं।
👇 शाकाहारी होने के फायदे 👇
- शाकाहारी खाना खाने से डायबिटीज टाइप 2 में राहत मिलती है। क्योंकि शाकाहार में सब्जियों, फलों और अनाज का सेवन किया जाता है। जिससे प्राकृतिक रुप से ही शरीर में बनने वाले इंसुलिन को कम करने में मदद मिलती है। जिसमें मखाने, जामुन और करेला आदि अहम भूमिका निभाते हैं।
- शाकाहारी भोजन से वजन कम करने में मदद मिलती है। अगर आप रोजाना दिन में 3-4 बार थोड़ा थोड़ा फल, सब्जियां, अनाज और सूखे मेवे का संतुलित मात्रा में सेवन करते हैं, तो इससे आप कुछ ही दिनों में अपने बढ़ते वजन को नियंत्रित करते हुए कम कर सकते हैं।
- दिल से जुड़ी बीमारियों में शाकाहारी भोजन बहुत कारगर होता है। नियमित फल और सब्जियों का सेवन करने से शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है, साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद मिलती है। जिससे दिल पर एक्स्ट्रा दबाव नहीं पड़ता है।
- आज के दौर में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना बेहद कॉमन है, ऐसे में अगर आप प्याज, लहसुन और अन्य शाकाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन नियमित रुप से करते हैं, तो इससे आप बिना किसी तरह की दवाई के भी अपने रक्तचाप को सामान्य बना सकते हैं।
- शाकाहारी भोजन आपके पेट से जुड़े रोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होता है। क्योंकि ये मांसाहार की तुलना में पचाने में बेहद आसान होता है।
🥦🍅🥒🥬🥦🍅🥒🥬🥦🍅🥒🥬
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years
Text
विश्व किडनी दिवस: जानें किडनी की बीमारियों के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय, सजग न हुए तो गुर्दा बना देगा मुर्दा
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज हर साल मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस (World Kidney Day) मनाया जाता है। किडनी रोग और उससे संबंधित सभी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव को कम करने और किडनी के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल किडनी दिवस पर कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); विश्व किडनी दिवस का इतिहास विश्व किडनी दिवस मनाने की शुरुआत साल 2006 में हुई थी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य किडनी से संबंधित समस्याओं और इसके उपचार के प्रति लोगों को जागरूक करना है। किडनी रोगों से लोगों की जान तक चली जाती है। ऐसे में इस रोग से लड़ने के लिए हर साल विश्व किडनी दिवस पर लोगों को जागरूक किया जाता है। खराब लाइफस्टाइल किडनी रोग का कारण किडनी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग है। आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान के कारण किडनी खराब होने की समस्या आम बात हो गई है। किडनी खराब होने के बाद हमारे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं लेकिन कई बार हम इन्हें अनदेखा कर देते हैं। बता दें शरीर के अन्य अंगों की तरह ही किडनी भी बेहद अहम और नाजुक होते हैं, इनके असन्तुलित हो जाने से पूरे शरीर की स्थिति बिगड़ जाती है। किडनी की बीमारी के कारण- अधिक शराब पीना मांस का अधिक सेवन करना कम मात्रा में पानी पीना अधिक मात्रा में नमक खाना दर्दनाशक दवाओं का अधिक सेवन करना धूम्रपान करना और अधिक सॉफ्ट-ड्रिक्स पीना पेशाब रोकना किडनी की बीमारी के शुरुआती लक्षण  पैरों और आंखों के नीचे सूजन चलने पर जल्दी थकान और सांस फूलना रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना खून की कमी से शरीर पीला पड़ना
Tumblr media
किडनी रोगों से बचने के उपाय  खाने में नमक, सोडियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान रखना। 35 साल के बाद साल में कम-से-कम एक बार ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच जरूर कराएं। ब्लड प्रेशर या डायबिटीज के लक्षण मिलने पर हर छह महीने में पेशाब और खून की जांच कराएं। रोज 8 से 10 गिलास पानी पिएं। फल और हरी सब्जियां ज्यादा सेवन करना। मैग्नीशियम किडनी को सुचारू रूपसे काम करने में मदद कर सकता है ऐसे फूड्स का सेवन करना जिसमें मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में हो। न्यूट्रिशन से भरपूर खाना, रोजाना एक्सरसाइज और वजन कंट्रोल रखने से भी किडनी की बीमारी से बचा जा सकता है। किडनी में पथरी के लक्षण दर्द, बुखार, उल्टी, पेशाब में खून आना व जलन होना हैं। किडनी कैंसर के लक्षण दर्द, पेट के बाजुओं में भारीपन, बुखार व पेशाब में खून आना है। किडनी फेल के लक्षण ऐसी परिस्थिति में मरीज को उल्टी या उबकाई आती है, चेहरे और पैरों पर सूजन रहती है। साथ ही पेशाब की मात्रा कम हो जाती है। किडनी फेल होने के कारणों में डायबिटीज या ब्लड प्रेशर का होना बहुत मायने रखता है। इसके अलावा पथरी भी किडनी को डैमेज कर उसे फेल कर देती है। ये भी पढ़े... वर्ल्ड स्ट्रोक डे : हर साल डेढ़ करोड़ लोगों की जान ले रहा स्ट्रोक, जानें इससे बचने के उपाय राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस : ये हो सकते हैं कैंसर होने के कारण, आईने के सामने खड़े होकर लगाएं पता विश्व कैंसर दिवस: दुनियाभर में हर 6 में से 1 मौत कैंसर से, बचाव के लिए जागरूकता जरूरी Read the full article
0 notes
Text
विश्व तम्बाखू निषेध दिवस
Tumblr media
आज विश्व तम्बाखू निषेध दिवस पर हम बात कर रहे है उन लोगों के लिए जो इसमें फंस चुके है वो इससे कैसे निकले ? निश्चित रूप से इसमें से निकलना आसान नहीं है ये बात मैं बहुत अच्छे से जानता हूं  क्योंकि मैं लगभग 20 साल इसमें फंसा रहा हूँ। 3 से 4 साल तक तो ये लेना मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि ये लेते ही मूड चेंज हो जाता है और अच्छा महसूस होने लगता था,रात को पढ़ने में नींद भागने में भी मुझे मदद मिली थी परंतु कुछ साल गुजरने के बाद जब मुझे इसके नुकसान महसूस होना शुरू हुए जैसे इसकी मात्रा लगातार बढ़ती जा रही थी , मैं जल्दी थक जाता था और खांसी बुखार में भी मैं चाहकर भी इसको बंद नहीं कर पाता था जिसके कारण मुझे खांसी लंबे समय बनी रहती थी। छोड़ने की इच्छा होते हुए भी इससे निकलने में मुझे 16-17 साल लग गए। आज मैं तम्बाखू से 6 साल से दूर हूँ । आज मैं देखता हूँ कि अधिकतर व्यक्ति जो लंबे समय से इसका उपभोग कर रहे है वो इसको छोड़ना चाहते है पर इससे निकल नहीं पा रहे है लोग इसके सामने शक्तिहीन हो गए है । दुर्भाग्यवश अभी तक कोई बहुत प्रभावी उपचार उपलब्ध भी नहीं है। 12th क्लास में मैंने सिगरेट पीना शुरू की कॉलेज ख़त्म होते होते मैं उससे परेशान हो चुका था मैं इससे निकलने की कोशिश कर रहा था, मेरे दोस्तों ने जो की गुटखा खाते थे मुझे ज्ञान दिया की सिगरेट तुम लंबे समय से पी रहे हो एक काम करो सिगेरट की आदत पुरानी है इसको बंद करने के लिए कुछ दिन गुटखा खाओ जब सिगरेट का मन होना बंद हो जाये तब धीरे से गुटखा बंद कर देना । इस आईडिया ने कुछ दिन तक तो कम किया कुछ दिन बाद में सिगरेट और गुटखा दोनों लेने लगा।
मैंने 16-17 साल में हजारों कोशिश की सैकड़ों बार कसमे खाई की कल से बंद करना है रात के 12 बजे तक ढ़ेर सारी सिगेरट पीता था और रात के ठीक 12 बजे बची हुई सिगरेटें फेक देता था । मेरे दिमाग में सालों तक चलता रहा है कि कल से सिगेरट और गुटखा बंद, लेकिन हुआ नही। सैकड़ों बार मैंने दोस्तों और परिवार के बीच घोषणा कर दी की अब जीवन भर के लिए बंद कर दिया है और कई बार कुछ दिन के लिए हुआ भी पर फिर जल्दी ही शुरू हो जाता था। कुछ दिन बंद करने के बाद एक अधूरापन सा लगता था और एक दिन विचार आ जाता था कि बस आज पी लेता हूं कल से फिर से बंद कर दूंगा लेकिन एक बार जब दुबारा शुरू होती थी तो फिर से बंद नहीं कर पाता था जितने दिन बंद करी होती थी उसका कोटा भी फिर पूरा करता था।लगातार खांसी कफ बना रहता था ,जरा सा काम करने में मेरी हालात खराब हो जाती थी। मैं और नहीं लेना चाहता था किंतु खुद को रोक भी नहीं पाता था।
ऐसे समय में मुझे मेरे एक मित्र से तम्बाखू से दूर होने के एक अमेरिकन प्रोग्राम जिसका नाम निकोटीन एनोनिमस है के बारे में पता चला ये प्रोग्राम अभी तक मेरे द्वारा अपनाए गए विचारों से बिलकुल अलग था । मैं पहले अपने को मजबूत करता था कि मैं इसे जीवन भर को छोड़ सकता हूँ हालाँकि छोड़ नहीं पा रहा था पर ये कार्यक्रम कहता है कि बहुत कोशिश कर चुके हो अब ये मान ही लो की तुम हमेशा को नहीं छोड़ सकते हो ,यही ये कार्यक्रम कहता है कि आप छोड़ तो नहीं सकते किंतु कुछ टूल्स की मदद से एक दिन के हिसाब से इसको बंद रख सकते हो, इसने एक स्लोगन दिया है "जस्ट फॉर टुडे" या "केवल आज के दिन" ये कहता है कि हमें अपने दिमाग की प्रोग्रामिंग जो की "कल से बंद" के हिसाब से हो गयी है और टेक्निकली 'कल' कभी आता नहीं है हम कभी यह नहीं कह सकते कि आज कल है ,ये प्रोग्राम कहता है ही हमें जीवन भर का लोड लेने की जरूरत नहीं है जब हम कहते हैं ना कि कल से जीवन भर नहीं पियूँगा तो दिमाग कहता है कि इतना बड़ा त्याग करने वाले है कल से कभी नहीं पीयेंगे तो आज तो जम के पी लेते है क्योंकि कल से तो फिर जीवन भर नहीं पीना है। और जब अगले दिन जब हम उठते है तो दिमाग में तो हमारे ये ही सेट है कि कल से बंद करना है जबकि आज तो 'आज' है। इस कारण हम बंद नहीं कर पाते है।इस निकोटीन एनोनिमस नाम के प्रोग्राम ने कहा कि हम अपना तम्बाखू बंद करेंगे वो भी केवल एक दिन के लिए और वो दिन आज का रहेगा ये प्रोग्राम केवल एक दिन पर फोकस करने का बोलता है आज के दिन। 12 जून 2013 से आज तक मैं केवल एक ही दिन बंद करने का सोच कर बैठा हूँ केवल आज के दिन, यकीन मानिये लगभग 6 साल से मैं अपने को आज मैं ही पाता हूं मेरा आज ख़त्म नहीं हो पा रहा है जबकि जब तक मैं कल से बंद करने का बोलता था सालों तक मेरा कल नहीं आया।अब आज तक मैंने किसी से नहीं बोला की मैंने तम्बाखू छोड़ दिया है, आज लगभग छह साल होने पर भी मेरा एक ही लक्ष्य रहता है कि किसी तरह आज का दिन बिना तम्बाखू के निकल जाये। मैंने देखा है कि लोग 3-4 साल भी बंद करने के बाद शुरू कर देते है इससे निकलना आसान नहीं होता है एक से एक पढे लिखे लोग इससे नहीं निकल पा रहे है । इसीलिए मैं भी नहीं सोचता की मैं इससे निकल सकता हूँ मेरा टारगेट है कि बस आज का दिन बिना तम्बाखू के निकल जाये।
ये प्रोग्राम एक आध्यात्मिक कार्यक्रम है जी की कहता है कि आज के दिन भी हम खुद इससे दूर नहीं हो सकते है इसके लिए हमें ईश्वर की मदद लेनी होगी। आज जब मैं सबेरे उठा था तो बिस्तर से उतरने से पहले आज छटवे साल में भी मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि प्रभु आज मुझे नशे से बचाना और दिन ख़त्म होने पर सोने से पहले यदि मैंने नहीं पी तो मैं ईश्वर का धन्यवाद करूँगा आज के दिन नशे से दूर रखने के लिए।यकीन मानिए प्रार्थनाएं काम करती है।
ये एक निश्चित बात है कि तम्बाखू की शारीरिक निर्भरता ब��ुत ज्यादा होती है ये बंद करने पर शारीरिक और मानसिक विदड्रॉल सिम्पटम  आते है जिनसे जोड़ों में दर्द, अनिंद्रा , एकाग्रता में दिक्कत,सोचने और काम करने में दिक्कत,भूख कम या ज्यादा लगना और मसूड़ों और सर में खिंचाव होता है ये सब लगभग 14 दिन तक रहता है उसके बाद लगातार कम होता जाता है। ये कष्ट उस कष्ट के सामने कुछ भी नहीं है जो हमें पीते रहने पर हो रहे है या होने वाले है। इसके साथ ये बात भी पक्की है कि तम्बाखू एकदम से बंद करने पर शराब की तरह जान जाने का खतरा नहीं होता है ।
जब तम्बाखू बंद करेंगे तो शरीर को तेज़ तलब होगी इसके लिए कुछ रिसर्च बताती है की खट्टी चीजों में तम्बाखू की तलब काम करने के गुण होते है जब भी हम तम्बाखू बंद करें उस दिन अपने आहार में दही,मठा, संतरा,आंवला,नींबू, आम और अमरुद जैसी चीजें बढा दे।
देखा गया है कि एकदम से तम्बाखू बंद करने से मोशन की समस्या हो जाती है इसके निदान के लिए हमें अपने भोजन में सलाद और पपीते को मात्रा बढ़ा देनी चाहिए और सबेरे उठकर गर्म पानी लेना चाहिए। ये समस्या काफी हद तक काम हो जायेगी।
तम्बाखू पीने में अच्छा अनुभव होता है या कहें कि मजा आता है इसका कारण तम्बाखू में निकोटीन नाम के पदार्थ का होना  है ये एक नशा उत्पन्न करने वाला एडिक्टिव सब्स्टेन्स मतलब लत लगाने वाला पदार्थ है हम जब तम्बाखू लेते है और ये निकोटीन हमारे मस्तिष्क में पहुँचता है और हमें अच्छा फील करवाता है। ये मज़ा हमारे दिमाग में लॉक हो चुका है इसी मज़े को लेने के लिए हम बार बार पीते है। व्यक्ति का कितना भी नुकसान हो रहा हो पर वो यही सोचता है कि बस आज और पी लेता हूँ कल से बंद कर दूंगा मैं अपने अनुभव के आधार पर जनता हूँ कि कल से बंद करने का निर्णय ईमानदारी से लिया हुआ होता है पर हो नहीं पता है। तम्बाखू की शारीरिक और मानसिक निर्भरता बहुत ज्यादा होती है एकदम से तम्बाखू बंद करने पर गुस्सा,बेचैनी और चिड़चिड़ापन आता है जो हमको फिर से पीने को मजबूर करता है हमें इसका समाधान करना ही होगा। इसको दूर करने के लिए मैं आपको दो उपाय बताता हूँ  पहला ये है कि हमें किसी तरह का व्यायाम करना चाहिए क्योंकि व्यायाम करने से हमारे दिमाग में एक सिरेटोनिन नाम का केमिकल निकलता है जो की हमें अच्छा फील करवाता है,इसीलिए सर्वे बताते है कि व्यायाम करने वालों का मूड अधिकतर अच्छा रहता है।
दूसरा हमें अपने मूड को ठीक रखने के लिए शुरुआत में छोटे छोटे काम करने चाहिए है इसका कारण यह है कि जब हम कोई काम पूरा करते है और हमारे दिमाग में ये विचार आता है कि हो गया इसके साथ ही हमारे दिमाग में एक डोपामाइन नाम का केमिकल रिलीज़ होता है जो की हमें अच्छा फील करवाता है। ये काम हो सकते है कोई अलमारी जमाना , कपडे धोना ,पेड़ों में पानी देना या और कुछ भी जो की जल्दी पूरा हो जाये आप देखना आपका मूड अच्छा हो जायेगा ऐसा दिमाग में इस केमिकल के रिलीज़ होने के कारण होता है।
ये निश्चित जानिए की केवल ये सोचने से की अब कभी  नहीं पियूँगा कुछ नहीं होने वाला है ये हम पहले सैकड़ों बार कर चुके है । इसके लिए एक्शन लेने की जरूरत है बहुत कुछ करना पड़ेगा तब जाकर इसका समाधान मिलेगा वो भी एक दिन के लिए ही। हमें आजीवन आज के दिन अलर्ट रखना होगा और ऊपर बताये गए एक्शन लेने होंगे।इसके अतिरिक्त जिन दोस्तों के साथ तम्बाखू लेते है उनसे दूरी बनाए क्योंकि निश्चित रूप से उनको बुरा लगेगा कि ये क्यों छोड़ रहा है क्योंकि चाहते तो सब है पर कर नहीं पाते है वो पूरी कोशिश करेंगे की आप दुबारा लेने लगो।
अपने मूड पर लगातार काम करना होगा कोई भी गुस्सा,अपराधबोध या खुन्नस हमें फिर से तम्बाखू की ओर ले जा सकते है ।मूड अच्छा रखने के लिए ध्यान करना भी बहुत अच्छा समाधान है ये हमें अपना स्वामी बनने में मदद करता है मतलब  हम जो नहीं करना चाहते उन कामों को नहीं करते है।
तम्बाखू बंद करते ही साथ फ़ौरन ही इसके फायदे होना शुरू हो जायेंगे जिससे जीवन तो बढेगा ही उसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती जाएगी तम्बाखू बंद करने के 8 घंटे के अंदर शरीर से निकोटीन निकलना शुरू हो जायेगा , ह्रदय गति और ब्लड प्रेशर नार्मल होना शुरू हो जायेगा तथा रक्त में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ना शुरू हो जायेगा:
12 घंटे बाद आपके शरीर में निकोटीन पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा;
24 घंटे बाद आपके खून में से कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर एकदम से बहुत कम हो जायेगा;
3 से 5 दिन बाद स्वाद लेने और सूंघने की क्षमता में सुधार आ जायेगा और आप कुछ अच्छा महसूस करने लगेंगे और नींद भी बेहतर हो जायेगी;
1 महीने के बाद आपको अपनी प्रतिरोधक क्षमता में सुधार दिखाई देगा और पहले की अपेक्षा लंबी सांस ले पाएंगे जिससे एक्सरसाइज करने में आसानी अनुभव करेंगे;
2 महीने बाद आपको स्मोकिंग के कारण जो ज्यादा कफ बनता था वो बनना बंद हो जायेगा,ब्लड प्रेशर का लेवल नार्मल व्यक्ति की तरह हो जायेग तथा शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन में सुधार आएगा ये आसानी से हाथ और पांव तक जायेगा;
3 माह बाद फेफड़े साफ होने का सिस्टम ठीक हो जायेगा;
1 साल बाद हार्ट डिजीज से मृत्यु का खतरा अभी भी धूम्रपान करने वाले की तुलना में आधा रह जायेगा;
5 साल बाद मुँह और गले का कैंसर होने का खतरा अभी भी धूम्रपान कर रहे व्यक्ति की तुलना में आधा रह जायेगा;
10 साल बाद फेफड़े का कैंसर होने का खतरा अभी भी धूम्रपान कर रहे व्यक्ति की तुलना में आधा रह जायेगा;
15 साल बाद हृदय रोग और लकवे का खतरा एक ऐसे व्यक्ति के बराबर हो जायेगा जिसने कभी धूम्रपान नहीं किया है।
इसी के साथ आपको आज के दिन तम्बाखू से दूर होने की शुभकामना देता हूं। धन्यवाद।
राजीव तिवारी,
एडिक्शन काउंसलर,
शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र,भोपाल
9981665001, 9479665001
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें  https://shuddhinashamuktikendra.com
nasha mukti, nasha mukti kendra, nasha mukti kendra bhopal, deaddiction centre, deaddiction centre bhopal, rehabilitation centre, rehabilitation centre bhopal
0 notes
bhaskarhindinews · 5 years
Text
Anti Tobacco day 2019: These programs will run to curb cancer
धूम्रपान के बढ़ते इस्तेमाल को रोकने लिए चलाएं जाएंगे ये जागरुकता कार्यक्रम
Tumblr media
प्रत्येक वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को मनाया जाता है। तंबाकू से होने वाले जानलेवा नुकसानों के बारे में लोगों को सजग किया जाता है, व इस दिन कई सारी ऐसी योजनाएं भी चलाई जाती हैं जो लोगों के स्वास्थ्य संबंध के लिए आवश्यक होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO)के द्वारा इसकी शुरुआत 1987 में की गई थी। विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2019 का विषय "तंबाकू और फेफड़े का स्वास्थ्य" है। इस बार का विषय नकारात्मक प्रभाव पर केंद्रित है जो तम्बाकू का असर लोगों के फेफड़ों के स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो कैंसर से लेकर जीर्ण श्वसन रोग जैसी विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकता है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें - https://www.bhaskarhindi.com/news/anti-tobacco-day-2019-these-programs-will-run-to-curb-cancer-69316
0 notes
abhay121996-blog · 3 years
Text
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी Divya Sandesh
#Divyasandesh
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी
लंदन। इंग्लैंड और भारत के बीच दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन शुक्रवार को लॉर्ड्स रेड जाएगा।  रेड फॉर रूथ दिवस पर, दोनों टीमों के खिलाड़ी रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन के लोगो और रेड प्लेइंग नंबरों के साथ विशेष स्मारक शर्ट पहनेंगे।
रूथ दिवस के लिए वार्षिक रेड त्रासदी का सामना करने पर माता-पिता और बच्चों के लिए समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा और रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन द्वारा प्रदान की जाने वाली मदद करेगा। फाउंडेशन की स्थापना इंग्लैंड के पूर्व कप्तान सर एंड्रयू स्ट्रॉस ने अपनी दिवंगत पत्नी रूथ की याद में की थी।  दिसंबर 2018 में केवल 46 वर्ष की आयु में धूम्रपान न करने वाले फेफड़ों के कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
यह खबर भी पढ़ें: सावन में दिख जाए नीलकंठ पक्षी तो खुल जाएगी आपकी बंद किस्मत
स्ट्रॉस शुक्रवार को लॉर्ड्स में अपने बेटों सैम (१५) और लुका (१३) के साथ लाल सूट में तीसरे ‘रेड फॉर रूथ’ दिन के लिए उपस्थित होंगे। माता-पिता की मृत्यु का सामना करने वाले बच्चे के साथ दान हर परिवार के साथ खड़ा है, भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पेशेवर और भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है।
यह खबर भी पढ़ें: साल में एक दिन खुलता है शमशान घाट पर बना कंकाली मंदिर, जानिए इसकी अनोखी कहानी
शुक्रवार की पहल के माध्यम से, फाउंडेशन देश भर में हजारों परिवारों के लिए अपनी सहायता सेवा का विस्तार करने और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करने की उम्मीद करता है। यह गैर-धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर में और अधिक शोध की आवश्यकता का भी समर्थन कर रहा है। द रेड फॉर रूथ को पहले ही सचिन तेंदुलकर से समर्थन प्राप्त हो चुका है, जिन्होंने 2011 विश्व कप फाइनल जीत का जश्न मनाते हुए उनके 290 ए4 प्रिंट पर हस्ताक्षर किए हैं और फाउंडेशन द्वारा नीलामी के लिए रखे गए हैं। लंदन में विश्व प्रसिद्ध आईमैक्स सिनेमा भी रूथ दिवस के लिए रेड के सम्मान में लाल रंग से जगमगाता है।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
allgyan · 4 years
Photo
Tumblr media
वर्ल्ड कैंसर डे का मकसद जागरूकता फैलाना ही है -
कैंसर दुनिया की सबसे एक दौर में सबसे बड़ी समस्या बन के उभरी थी | पहले कैंसर होना ही नहीं बचना जैसा था |अभी तो कई अत्याधुनिक मशीने और तरीके के विकास से इसमें कमी लायी गयी है |दुनिया भर में हर साल 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु) मर जाते हैं। इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना था। वर्ष 2025 तक, कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष 60 लाख होने का अनुमान है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं।और इसलिए ही वर्ल्ड कैंसर डे का महत्व बढ़ जाता है |
सबसे पहले वर्ल्ड कैंसर डे कब मना -
विश्व कैंसर दिवस प्रतिवर्ष फ़रवरी के दूसरे रविवार को मनाया जाता है|1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया। यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया जाता है |इस बीमारी के सबसे बड़ी दिक्कत है की शुरुआती दौर में इसका पता नहीं लगता है |कैंसर बहुत ही घातक माना जाता है ये कई तरह का होता है |
कैंसर आखिर क्या है -
मानव शरीर कईं अनगिनत कोशिकाओं यानी सैल्स से बना हुआ है और इन कोशिकाओं में निरंतर ही विभाजन होता रहता है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसपर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। लेकिन कभी-कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाएं बेहिसाब तरीकेसे बढ़ने लगती हैं, उसे कैंसर कहा जाता हैं। जब शरीर की कोशिकाओं के जीन परिवर्तन की शुरुआत होती है वही से कैंसर की शुरुआत होती है |कोई विशेष कारण नहीं है की वो बदलते होते है कभी -कभी वो स्वम ही बदलने लगते है |फिर दूसरे कारणों की वजह से ऐसा हो सकता है, जैसे- गुटका-तंबाकू जैसी नशीली चीजें खाने से, अल्ट्रावॉलेट रे या फिर रेडिएशन आदि इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं । ऐसा देखा गया है की कैंसर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को समाप्त कर देता है|जैसे-जैसे शरीर में कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं, वैसे-वैसे ट्यूमर यानि एक प्रकार की गांठ उभरती रहती है।यदि इसका उपचारसही समय पर न किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है।
कैंसर कितने प्रकार के होते है -
जानकारों की माने तो कैंसर 200 तरह के होते है |लेकिन हम आपको सभी कैंसर के बारे में नहीं बता पाएंगे |हम यहाँ पर उन्ही कैंसर पर ध्यान देंगे |जो ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है |उसमे से तो कई के नाम आप भी बखूबी जानते होंगे |लेकिन चलिए हम भी आपको इनके बारे में अपने स्टाइल में बताते है |
1 - ब्लड कैंसर -
लोगों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में ब्लड कैंसर सबसे आगे है।इस कैंसर में व्यक्ति के शरीर की रक्त कोशिकाओं में कैंसर पैदा होने लगता हैऔर इसी के चलते शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और कैंसर बहुत तेजी से शरीर में संक्रमित होना शुरू हो जाता है।इसमें आपको ब्लड का बार -बार जाँच किया जाता है |धीमी गति से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के कई रोगियों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तेजी से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के लक्षणों में थकान, वज़न घटना, बार-बार संक्रमण, नील पड़ना और खून बहना शामिल हैं|रक्त कैंसर के इलाज के लिए कीमोथैरेपी के अलावा कभी-कभी विकिरण चिकित्सा और मूल-कोशिका प्रत्यारोपण का भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
2-ब्रेन कैंसर -
ब्रेन कैंसर व्यक्ति के सिर वाले भाग में पनपता है ।ब्रेन कैंसर का ही दूसरा नाम ब्रेन ट्यूमर भी है ।इस कैंसर वाले रोगी के दिमाग वाले भाग में एक ट्यूमर यानि गांठ बन जाती है और यह गांठ समय के साथ-साथ बड़ी होने लगती है और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाती है ।एक वीक से ज्यादा समय तक लगातार सर दर्द होना और लगातार दर्द निवारक लेने के बाद भी सही नहीं होना   ब्रेन कैंसर का लक्षण हो सकता है |
3 - स्तन कैंसर -
स्तन कैंसर या जिसे ब्रैस्ट कैंसर भी कहते हैं, यह विशेषकर महिलाओं को होता है, परंतु ऐसा नहीं है कि यह पुरुषों को नहीं हो सकता। इस कैंसर से ग्रसित औरतों के स्तन में एक प्रकार की गांठ बननी शुरु हो जाती है,जो धीरे-धीरे समयानुसार बढ़ने लगती है। यदि इससे बचाव करना है तो नियमित रूप से स्तन की जांच करवाते रहें।स्तन कैंसर के लक्षणों में स्तन में गांठ होना, निपल से खून मिला हुआ रिसाव और निपल या स्तन की बनावट या प्रकृति में बदलाव शामिल हैंइसका इलाज कैंसर की अवस्था पर निर्भर करता है इसमें कीमोथेरेपी (रसायनों से उपचार), रेडिएशन थेरेपी (किरणों से उपचार), हॉर्मोन से उपचार और ऑपरेशन करना शामिल हो सकते हैं|
4 - स्किन कैंसर -
चर्म कैंसर यानि स्किन कैंसर के मामले भी देश में बहुत तेजी से सामने आए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि स्किन कैंसर बहुत अधिक गर्मी में रहने, उचित भोजन न करने और शून्य शारीरिक गतिविधि न करने से शरीर में पनपता है । स्किन कैंसर हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है । ये रोग बहुत खतरनाक श्रेणी में है आज 4 फरवरी के दिन कैंसर वर्ल्ड डे होने के साथ हमारा भी कर्तब्य बनता है की आपको इन रोगों के लिए जागृत करे | हमारा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है की आपको जागरूक किया जाये |
1 note · View note
Text
'तंबाकू भारत छोड़ो' मुहिम की शुरुआत has been published on PRAGATI TIMES
'तंबाकू भारत छोड़ो' मुहिम की शुरुआत
जयपुर, (आईएएनएस)| विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर भगवान महावीर कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की ओर से लोगों में तंबाकू से होने वाले स्वास्थ्य पर नुकसान के प्रति जागरूकता लाने के लिए तंबाकू भारत छोड़ो मुहिम की शुरुआत की जा रही है।
भगवान महावीर कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की वरिष्ठ उपाध्यक्षा अनिला कोठारी ने बताया, “अस्पताल का मकसद तंबाकू से होने वाले कैंसर में हो रही बढ़ोतरी को कम करना है। इसके तहत विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत हस्ताक्षर अभियान से की गई है। इसमें जे.एल.एन. मार्ग में अस्पताल परिसर के मुख्य द्वार पर हस्ताक्षर वॉल स्थापित की गई है।” भगवान महावीर कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के चिकित्सा निदेशक मेजर जनरल एस.सी. पारीक ने बताया, “संस्थान का मकसद प्रभावितों का इलाज तो है ही साथ ही इस रोग से बचने के स्वास्थ्य उपायों को अपनाने पर भी केंद्रित है। अक्सर यह पाया गया है कि मुंह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू की लत है। ऐसे में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर दस दिवसीय कार्यक्रम श्रृंखला आयोजित की जा रही है।” इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न स्थानों पर निशुल्क स्वास्थ्य जांच कैंपों का आयोजन किया जा रहा है। इसका मकसद तंबाकू खाने वाले व्यक्तियों की स्वास्थ्य जांच कर कैंसर संभावना का पता लगाना है, ताकि समय पर उपचार प्रारंभ कर रोग को खत्म किया जा सके। अस्पताल प्रबंधन की ओर से लगाए जाने वाले कैंप प्रमुखता से मॉल्स, कॉपोरेट संस्थान, मीडिया संस्थान, औद्योगिक क्षेत्रों, सरकारी संस्थानों में आयोजित किए जा रहे हैं।
0 notes
allgyan · 4 years
Text
वर्ल्ड कैंसर डे की शुरुआत कब से हुई ?
वर्ल्ड कैंसर डे का मकसद जागरूकता फैलाना ही है -
कैंसर दुनिया की सबसे एक दौर में सबसे बड़ी समस्या बन के उभरी थी | पहले कैंसर होना ही नहीं बचना जैसा था |अभी तो कई अत्याधुनिक मशीने और तरीके के विकास से इसमें कमी लायी गयी है |दुनिया भर में हर साल 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु) मर जाते हैं। इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करना था। वर्ष 2025 तक, कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष 60 लाख होने का अनुमान है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं।और इसलिए ही वर्ल्ड कैंसर डे का महत्व बढ़ जाता है |
सबसे पहले वर्ल्ड कैंसर डे कब मना -
विश्व कैंसर दिवस प्रतिवर्ष फ़रवरी के दूसरे रविवार को मनाया जाता है|1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया। यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया जाता है |इस बीमारी के सबसे बड़ी दिक्कत है की शुरुआती दौर में इसका पता नहीं लगता है |कैंसर बहुत ही घातक माना जाता है ये कई तरह का होता है |
कैंसर आखिर क्या है -
मानव शरीर कईं अनगिनत कोशिकाओं यानी सैल्स से बना हुआ है और इन कोशिकाओं में निरंतर ही विभाजन होता रहता है । यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसपर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। लेकिन कभी-कभी जब शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाएं बेहिसाब तरीकेसे बढ़ने लगती हैं, उसे कैंसर कहा जाता हैं। जब शरीर की कोशिकाओं के जीन परिवर्तन की शुरुआत होती है वही से कैंसर की शुरुआत होती है |कोई विशेष कारण नहीं है की वो बदलते होते है कभी -कभी वो स्वम ही बदलने लगते है |फिर दूसरे कारणों की वजह से ऐसा हो सकता है, जैसे- गुटका-तंबाकू जैसी नशीली चीजें खाने से, अल्ट्रावॉलेट रे या फिर रेडिएशन आदि इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं । ऐसा देखा गया है की कैंसर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को समाप्त कर देता है|जैसे-जैसे शरीर में कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं, वैसे-वैसे ट्यूमर यानि एक प्रकार की गांठ उभरती रहती है।यदि इसका उपचारसही समय पर न किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है।
कैंसर कितने प्रकार के होते है -
जानकारों की माने तो कैंसर 200 तरह के होते है |लेकिन हम आपको सभी कैंसर के बारे में नहीं बता पाएंगे |हम यहाँ पर उन्ही कैंसर पर ध्यान देंगे |जो ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है |उसमे से तो कई के नाम आप भी बखूबी जानते होंगे |लेकिन चलिए हम भी आपको इनके बारे में अपने स्टाइल में बताते है |
1 - ब्लड कैंसर -
लोगों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में ब्लड कैंसर सबसे आगे है।इस कैंसर में व्यक्ति के शरीर की रक्त कोशिकाओं में कैंसर पैदा होने लगता हैऔर इसी के चलते शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और कैंसर बहुत तेजी से शरीर में संक्रमित होना शुरू हो जाता है।इसमें आपको ब्लड का बार -बार जाँच किया जाता है |धीमी गति से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के कई रोगियों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तेजी से बढ़ने वाले रक्त कैंसर के लक्षणों में थकान, वज़न घटना, बार-बार संक्रमण, नील पड़ना और खून बहना शामिल हैं|रक्त कैंसर के इलाज के लिए कीमोथैरेपी के अलावा कभी-कभी विकिरण चिकित्सा और मूल-कोशिका प्रत्यारोपण का भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
2-ब्रेन कैंसर -
ब्रेन कैंसर व्यक्ति के सिर वाले भाग में पनपता है ।ब्रेन कैंसर का ही दूसरा नाम ब्रेन ट्यूमर भी है ।इस कैंसर वाले रोगी के दिमाग वाले भाग में एक ट्यूमर यानि गांठ बन जाती है और यह गांठ समय के साथ-साथ बड़ी होने लगती है और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाती है ।एक वीक से ज्यादा समय तक लगातार सर दर्द होना और लगातार दर्द निवारक लेने के बाद भी सही नहीं होना   ब्रेन कैंसर का लक्षण हो सकता है |
3 - स्तन कैंसर -
स्तन कैंसर या जिसे ब्रैस्ट कैंसर भी कहते हैं, यह विशेषकर महिलाओं को होता है, परंतु ऐसा नहीं है कि यह पुरुषों को नहीं हो सकता। इस कैंसर से ग्रसित औरतों के स्तन में एक प्रकार की गांठ बननी शुरु हो जाती है,जो धीरे-धीरे समयानुसार बढ़ने लगती है। यदि इससे बचाव करना है तो नियमित रूप से स्तन की जांच करवाते रहें।स्तन कैंसर के लक्षणों में स्तन में गांठ होना, निपल से खून मिला हुआ रिसाव और निपल या स्तन की बनावट या प्रकृति में बदलाव शामिल हैंइसका इलाज कैंसर की अवस्था पर निर्भर करता है इसमें कीमोथेरेपी (रसायनों से उपचार), रेडिएशन थेरेपी (किरणों से उपचार), हॉर्मोन से उपचार और ऑपरेशन करना शामिल हो सकते हैं|
4 - स्किन कैंसर -
चर्म कैंसर यानि स्किन कैंसर के मामले भी देश में बहुत तेजी से सामने आए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि स्किन कैंसर बहुत अधिक गर्मी में रहने, उचित भोजन न करने और शून्य शारीरिक गतिविधि न करने से शरीर में पनपता है । स्किन कैंसर हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है । ये रोग बहुत खतरनाक श्रेणी में है आज 4 फरवरी के दिन कैंसर वर्ल्ड डे होने के साथ हमारा भी कर्तब्य बनता है की आपको इन रोगों के लिए जागृत करे | हमारा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है की आपको जागरूक किया जाये|
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/2LkSUYI
1 note · View note
abhay121996-blog · 3 years
Text
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी Divya Sandesh
#Divyasandesh
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी
लंदन। इंग्लैंड और भारत के बीच दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन शुक्रवार को लॉर्ड्स रेड जाएगा।  रेड फॉर रूथ दिवस पर, दोनों टीमों के खिलाड़ी रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन के लोगो और रेड प्लेइंग नंबरों के साथ विशेष स्मारक शर्ट पहनेंगे।
रूथ दिवस के लिए वार्षिक रेड त्रासदी का सामना करने पर माता-पिता और बच्चों के लिए समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा और रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन द्वारा प्रदान की जाने वाली मदद करेगा। फाउंडेशन की स्थापना इंग्लैंड के पूर्व कप्तान सर एंड्रयू स्ट्रॉस ने अपनी दिवंगत पत्नी रूथ की याद में की थी।  दिसंबर 2018 में केवल 46 वर्ष की आयु में धूम्रपान न करने वाले फेफड़ों के कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
यह खबर भी पढ़ें: सावन में दिख जाए नीलकंठ पक्षी तो खुल जाएगी आपकी बंद किस्मत
स्ट्रॉस शुक्रवार को लॉर्ड्स में अपने बेटों सैम (१५) और लुका (१३) के साथ लाल सूट में तीसरे ‘रेड फॉर रूथ’ दिन के लिए उपस्थित होंगे। माता-पिता की मृत्यु का सामना करने वाले बच्चे के साथ दान हर परिवार के साथ खड़ा है, भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पेशेवर और भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है।
यह खबर भी पढ़ें: साल में एक दिन खुलता है शमशान घाट पर बना कंकाली मंदिर, जानिए इसकी अनोखी कहानी
शुक्रवार की पहल के माध्यम से, फाउंडेशन देश भर में हजारों परिवारों के लिए अपनी सहायता सेवा का विस्तार करने और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करने की उम्मीद करता है। यह गैर-धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर में और अधिक शोध की आवश्यकता का भी समर्थन कर रहा है। द रेड फॉर रूथ को पहले ही सचिन तेंदुलकर से समर्थन प्राप्त हो चुका है, जिन्होंने 2011 विश्व कप फाइनल जीत का जश्न मनाते हुए उनके 290 ए4 प्रिंट पर हस्ताक्षर किए हैं और फाउंडेशन द्वारा नीलामी के लिए रखे गए हैं। लंदन में विश्व प्रसिद्ध आईमैक्स सिनेमा भी रूथ दिवस के लिए रेड के सम्मान में लाल रंग से जगमगाता है।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
abhay121996-blog · 3 years
Text
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी Divya Sandesh
#Divyasandesh
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी
लंदन। इंग्लैंड और भारत के बीच दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन शुक्रवार को लॉर्ड्स रेड जाएगा।  रेड फॉर रूथ दिवस पर, दोनों टीमों के खिलाड़ी रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन के लोगो और रेड प्लेइंग नंबरों के साथ विशेष स्मारक शर्ट पहनेंगे।
रूथ दिवस के लिए वार्षिक रेड त्रासदी का सामना करने पर माता-पिता और बच्चों के लिए समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा और रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन द्वारा प्रदान की जाने वाली मदद करेगा। फाउंडेशन की स्थापना इंग्लैंड के पूर्व कप्तान सर एंड्रयू स्ट्रॉस ने अपनी दिवंगत पत्नी रूथ की याद में की थी।  दिसंबर 2018 में केवल 46 वर्ष की आयु में धूम्रपान न करने वाले फेफड़ों के कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
यह खबर भी पढ़ें: सावन में दिख जाए नीलकंठ पक्षी तो खुल जाएगी आपकी बंद किस्मत
स्ट्रॉस शुक्रवार को लॉर्ड्स में अपने बेटों सैम (१५) और लुका (१३) के साथ लाल सूट में तीसरे ‘रेड फॉर रूथ’ दिन के लिए उपस्थित होंगे। माता-पिता की मृत्यु का सामना करने वाले बच्चे के साथ दान हर परिवार के साथ खड़ा है, भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पेशेवर और भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है।
यह खबर भी पढ़ें: साल में एक दिन खुलता है शमशान घाट पर बना कंकाली मंदिर, जानिए इसकी अनोखी कहानी
शुक्रवार की पहल के माध्यम से, फाउंडेशन देश भर में हजारों परिवारों के लिए अपनी सहायता सेवा का विस्तार करने और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करने की उम्मीद करता है। यह गैर-धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर में और अधिक शोध की आवश्यकता का भी समर्थन कर रहा है। द रेड फॉर रूथ को पहले ही सचिन तेंदुलकर से समर्थन प्राप्त हो चुका है, जिन्होंने 2011 विश्व कप फाइनल जीत का जश्न मनाते हुए उनके 290 ए4 प्रिंट पर हस्ताक्षर किए हैं और फाउंडेशन द्वारा नीलामी के लिए रखे गए हैं। लंदन में विश्व प्रसिद्ध आईमैक्स सिनेमा भी रूथ दिवस के लिए रेड के सम्मान में लाल रंग से जगमगाता है।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
abhay121996-blog · 3 years
Text
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी Divya Sandesh
#Divyasandesh
आज लॉर्ड्स में मनाया जाएगा रेड फॉर रूथ दिवस, खास जर्सी पहनकर मैदान में उतरेंगे खिलाड़ी
लंदन। इंग्लैंड और भारत के बीच दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन शुक्रवार को लॉर्ड्स रेड जाएगा।  रेड फॉर रूथ दिवस पर, दोनों टीमों के खिलाड़ी रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन के लोगो और रेड प्लेइंग नंबरों के साथ विशेष स्मारक शर्ट पहनेंगे।
रूथ दिवस के लिए वार्षिक रेड त्रासदी का सामना करने पर माता-पिता और बच्चों के लिए समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा और रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन द्वारा प्रदान की जाने वाली मदद करेगा। फाउंडेशन की स्थापना इंग्लैंड के पूर्व कप्तान सर एंड्रयू स्ट्रॉस ने अपनी दिवंगत पत्नी रूथ की याद में की थी।  दिसंबर 2018 में केवल 46 वर्ष की आयु में धूम्रपान न करने वाले फेफड़ों के कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
यह खबर भी पढ़ें: सावन में दिख जाए नीलकंठ पक्षी तो खुल जाएगी आपकी बंद किस्मत
स्ट्रॉस शुक्रवार को लॉर्ड्स में अपने बेटों सैम (१५) और लुका (१३) के साथ लाल सूट में तीसरे ‘रेड फॉर रूथ’ दिन के लिए उपस्थित होंगे। माता-पिता की मृत्यु का सामना करने वाले बच्चे के साथ दान हर परिवार के साथ खड़ा है, भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पेशेवर और भावनात्मक समर्थन प्रदान क��ता है।
यह खबर भी पढ़ें: साल में एक दिन खुलता है शमशान घाट पर बना कंकाली मंदिर, जानिए इसकी अनोखी कहानी
शुक्रवार की पहल के माध्यम से, फाउंडेशन देश भर में हजारों परिवारों के लिए अपनी सहायता सेवा का विस्तार करने और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करने की उम्मीद करता है। यह गैर-धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर में और अधिक शोध की आवश्यकता का भी समर्थन कर रहा है। द रेड फॉर रूथ को पहले ही सचिन तेंदुलकर से समर्थन प्राप्त हो चुका है, जिन्होंने 2011 विश्व कप फाइनल जीत का जश्न मनाते हुए उनके 290 ए4 प्रिंट पर हस्ताक्षर किए हैं और फाउंडेशन द्वारा नीलामी के लिए रखे गए हैं। लंदन में विश्व प्रसिद्ध आईमैक्स सिनेमा भी रूथ दिवस के लिए रेड के सम्मान में लाल रंग से जगमगाता है।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
abhay121996-blog · 4 years
Text
विश्व कैंसर दिवस 2021: ब्लड कैंसर होने से पहले शरीर देने लगता हैं ये संकेत, बचने के लिए तुरंत शुरू कर दें ये काम Divya Sandesh
#Divyasandesh
विश्व कैंसर दिवस 2021: ब्लड कैंसर होने से पहले शरीर देने लगता हैं ये संकेत, बचने के लिए तुरंत शुरू कर दें ये काम
नई दिल्ली। हर वर्ष विश्व भर में 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।  कैंसर से बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाने की शुरुआत सन 1933 में हुई थी। इस साल विश्व कैंसर दिवस की थीम ‘आई एम एंड आई विल’ है। इस थीम से पता चलता है कि किसी व्यक्ति के कार्य कैसे प्रभावी हो सकते हैं। यह दर्शाता है कि हर क्रिया कैंसर से लड़ने के लिए मायने रखती है।
इसे मेडिकल भाषा में ल्यूकेमिया कहा जाता है, जिसमें व्हाइट ब्लड सेल की मात्रा रेड ब्लड सेल की तुलना में काफी ज्यादा हो जाती है। ब्लड कैंसर होने से पहले शरीर कुछ संकेत देता है जिन्हें समय पर पहचानकर इलाज शुरू किया जा सकता है। 
ब्लड कैंसर के लक्षण 
ब्लड कैंसर का कोई एक लक्षण नहीं होता है। ब्लड कैंसर में खून की कमीं होती है,एनीमिया होता है, लंबा बुखार होना, शरीर के अंगों से रक्तस्राव होना ये लक्षण हो सकते हैं। यदि हम कहें की खून की कमीं ही ब्लड कैंसर का प्रमुख लक्ष्ण है तो यह भी गलत है लेकिन जब कई चीजें एक साथ हो जैसा कि ऊपर बताया है तो ब्लड कैंसर हो सकता है। 
सांस में कमी: कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बाधित करते हैं। ये  कोशिकाएं शरीर में सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती हैं। जब लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है, तो सांस की तकलीफ हो सकती है। (सांस की तकलीफ फेफड़ों के कैंसर का भी संकेत है। लेकिन इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
थकान और कमजोरी: यह लक्षण खून की कमी एनीमिया का भी हो सकता है लेकिन आपको समय पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। खून में रेड ब्लड सेल्स की कमी के कारण शरीर में थकान और कमजोरी होने लगती है। बेहतर खानपान के बावजूद अगर आप हमेशा थकान महसूस करते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए।
त्वचा पर गहरा निशान बनना: कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर ऑफ अमेरिका के अनुसार, त्वचा पर बिना वजह किसी गहरे निशान का बनना खतरे की घंटी है। इस तरह के निशान प्लेटलेट कम होने या रक्त के थक्के बनने की वजह से हो सकता है। ये निशान हाथ या पैर पर दिखाई दे सकते हैं।
त्वचा पर छोटे धब्बे बनना: शरीर के किसी हिस्से में छोटे गोल धब्बे बनना ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता हैइन छोटे आकार के धब्बों में दर्द नहीं होता है। यह धब्बे प्लेटलेट काउंट कम होने की वजह से बन सकते हैं जो ब्लड कैंसर का का संकेत देते हैं।
बेवजह खून का बहना: मसूड़ों, आंत्र, फेफड़े, या सिर में चोट लगने, असामान्य नाक से खून बहना गंभीर समस्या है। ऐसा प्लेटलेट की कमी और थक्के की समस्याओं का संकेत हो सकता है, जो सीधे रूप से ल्यूकेमिया का संकेत हैं।
ब्लड कैंसर के ये भी हैं कुछ संकेत
इनके अलावा ब्लड कैंसर के संकेतों में मसूड़ों में सूजन या फैलाव होना, हमेशा पेट फूलना, पेट के ऊपरी हिस्से में बायीं ओर दर्द रहना, हमेशा बुखार रहना, रात में सोते समय पसीना आना, हमेशा सिरदर्द रहना, त्वचा का रंग बदलना, हड्डियों में दर्द रहना, लिम्फ नोड्स में सूजन, स्किन रैशेष, जल्दी से इन्फेक्शन की चपेट में आना आदि भी शामिल हैं।
ब्लड कैंसर का इलाज 
ब्लड कैंसर की स्टेज और अन्य कैंसर की स्टेज में काफ़ी अंतर होता है. अगर ब्लड कैंसर है तो शरीर की हर कोशिका में ब्लड होता है इसमें स्टेज का ज्यादा लेना देना नहीं होता है। हमें यह पता करना होता है कि ब्लड कैंसर हुआ कैसे। कैंसर किसी भी प्रकार का हो, उसमें स्टेज अवश्य होती है, जैसे पहली, दूसरी और एडवांस स्टेज। ब्लड कैंसर और दूसरे बाकि कैंसर में यहां अंतर है। डॉक्टर के लिए यह जानना अहम चनौती होती है कि रोगी में बल्ड कैसे हुआ ?
लेकिन तकनीक और आधुनिक चिकित्सा ने इसे मुमकिन बना दिया है। अब ऐसी दवाईयां आ गयी हैं जिससे इसकी शुरुआत की पहचान हो सकती है। यह पता लगाया जा सकता है कि कैंसर किस कोशिका से पनपा और इलाज के माध्यम से उस कोशिका को ही खत्म कर दिया जाता है और इसी आधुनिक चिकित्सा को कीमोथेरेपी कहते हैं ।
ब्लड कैंसर से बचने के उपाय
– नियमित रूप से व्यायाम करें। – एक अनुशासित, स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें। – जड़ी-बूटियों और कीटनाशकों से दूर रखें। – रेडिएशन के संपर्क से बचें। – स्वस्थ भोजन खाएं और खूब पानी पिएं। – खुद दवा लेने से बचें और किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। – किसी भी तरह का लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years
Text
World No Tobacco Day : तंबाकू एक ऐसा नशा जो हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की ले रहा जान, जानें तंबाकू से होने वाली बीमारियां
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज दुनिया भर में हर साल 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' (World No Tobacco Day) मनाया जाता है। इस दिन तंबाकू या इसके उत्पादों के उपभोग पर रोक लगाने या इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरुक किया जाता है। इस दिन की शुरुआत तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को सचेत करने के उद्देश्य से की गई है। पहली बार कब मनाया गया यह दिन साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मृत्युदर में वृद्धि को देखते हुए इसे एक महामारी माना। इसके बाद हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। क्यों मनाया जाता विश्व तंबाकू निषेध दिवस? पूरे विश्व के लोगों को तंबाकू मुक्त और स्वस्थ बनाने हेतु तथा सभी स्वास्थ्य खतरों से बचाने के लिये तंबाकू चबाने या धुम्रपान के द्वारा होने वाले सभी परेशानियों से बचाने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल तंबाकू की वजह से 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हो रही हैं।
Tumblr media
क्या है तंबाकू? तंबाकू एक प्रकार की फसल होता है जिसकी खेती की जाती है। दुनियाभर की कई जगहों पर इसकी कृषि की जाती है। इसका मानव शरीर पर काफी नुकसान पड़ता है। इसके पत्तों पर उच्च मात्रा में नशीला पदार्थ पाया जाता है। इसके सेवन से मानव स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। स्वास्थ्य पर तंबाकू के बुरे प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए इस दिन कई अभियान, कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस दुनिया भर में धूम्रपान करने के प्रभाव, तंबाकू चबाने और इससे उत्पन्न हुई बीमारियां जैसे कि कैंसर, दिल की बीमारियों के बारे में जागरुक करना ही इस दिन को मनाने का महत्व है। तंबाकू से होने वाले दुष्परिणाम तंबाकू में अत्यधिक नशे की आदत वाला निकोटीन नामक पदार्थ होता है। निकोटीन आपको कुछ समय के लिए अच्छा महसूस कराता हैं, लेकिन इसका लंबे समय तक उपयोग, आपके हृदय, फेफड़े और पेट के साथ-साथ आपके तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता हैं। इसका लंबे समय तक प्रयोग करने से खांसी और गले में परेशानी होना, धब्बेदार त्वचा, दांतों का रंग खराब (दांतों का पीलापन) होना आदि है। एक अवधि के बाद, व्यक्ति का शरीर, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर निकोटीन का आदी हो जाता है तथा अंत में व्यक्ति गंभीर स्वास्थ्यगत समस्याओं से पीड़ित हो जाता है। तंबाकू में हजारों तरह के रासायनिक तत्व या केमिकल्स होते हैं, जिसमें से कई तत्व कैंसर बनने का कारण बनते हैं। तंबाकू का सेवन सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। तंबाकू का सेवन करने से होने वाली बीमारियां फेफड़ों का कैंसरमुंह का कैंसर फेंफड़ों का खराब होना प्रोस्टेट ग्रंथि का कैंसर पेट का कैंसर ब्रेन ट्यूमर दिल के रोग आंखें कमजोर होना मुंह से बदबू आना ये भी पढ़े.... धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या हुई ���म, देखें रिपोर्ट 7 साल की बच्ची ने शुरू की सिगरेट-तंबाकू छुड़ाने की मुहिम, लोगों से कहती है- 4 दिन हो गए कश नहीं लिया, सिगरेट दो ना विश्व तंबाकू निषेध दिवस : सिगरेट पीने के बाद ऐसी हो जाती है फेफड़ों की हालत, देखें वीडियो Read the full article
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years
Text
World No Tobacco Day : तंबाकू एक ऐसा नशा जो हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की ले रहा जान, जानें तंबाकू से होने वाली बीमारियां
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज दुनिया भर में हर साल 31 मई को 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' (World No Tobacco Day) मनाया जाता है। इस दिन तंबाकू या इसके उत्पादों के उपभोग पर रोक लगाने या इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरुक किया जाता है। इस दिन की शुरुआत तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को सचेत करने के उद्देश्य से की गई है। पहली बार कब मनाया गया यह दिन साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मृत्युदर में वृद्धि को देखते हुए इसे एक महामारी माना। इसके बाद हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। क्यों मनाया जाता विश्व तंबाकू निषेध दिवस? पूरे विश्व के लोगों को तंबाकू मुक्त और स्वस्थ बनाने हेतु तथा सभी स्वास्थ्य खतरों से बचाने के लिये तंबाकू चबाने या धुम्रपान के द्वारा होने वाले सभी परेशानियों से बचाने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल तंबाकू की वजह से 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हो रही हैं।
Tumblr media
क्या है तंबाकू? तंबाकू एक प्रकार की फसल होता है जिसकी खेती की जाती है। दुनियाभर की कई जगहों पर इसकी कृषि की जाती है। इसका मानव शरीर पर काफी नुकसान पड़ता है। इसके पत्तों पर उच्च मात्रा में नशीला पदार्थ पाया जाता है। इसके सेवन से मानव स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। स्वास्थ्य पर तंबाकू के बुरे प्रभावों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए इस दिन कई अभियान, कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस दुनिया भर में धूम्रपान करने के प्रभाव, तंबाकू चबाने और इससे उत्पन्न हुई बीमारियां जैसे कि कैंसर, दिल की बीमारियों के बारे में जागरुक करना ही इस दिन को मनाने का महत्व है। तंबाकू से होने वाले दुष्परिणाम तंबाकू में अत्यधिक नशे की आदत वाला निकोटीन नामक पदार्थ होता है। निकोटीन आपको कुछ समय के लिए अच्छा महसूस कराता हैं, लेकिन इसका लंबे समय तक उपयोग, आपके हृदय, फेफड़े और पेट के साथ-साथ आपके तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता हैं। इसका लंबे समय तक प्रयोग करने से खांसी और गले में परेशानी होना, धब्बेदार त्वचा, दांतों का रंग खराब (दांतों का पीलापन) होना आदि है। एक अवधि के बाद, व्यक्ति का शरीर, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर निकोटीन का आदी हो जाता ह��� तथा अंत में व्यक्ति गंभीर स्वास्थ्यगत समस्याओं से पीड़ित हो जाता है। तंबाकू में हजारों तरह के रासायनिक तत्व या केमिकल्स होते हैं, जिसमें से कई तत्व कैंसर बनने का कारण बनते हैं। तंबाकू का सेवन सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। तंबाकू का सेवन करने से होने वाली बीमारियां फेफड़ों का कैंसरमुंह का कैंसर फेंफड़ों का खराब होना प्रोस्टेट ग्रंथि का कैंसर पेट का कैंसर ब्रेन ट्यूमर दिल के रोग आंखें कमजोर होना मुंह से बदबू आना ये भी पढ़े.... धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या हुई कम, देखें रिपोर्ट 7 साल की बच्ची ने शुरू की सिगरेट-तंबाकू छुड़ाने की मुहिम, लोगों से कहती है- 4 दिन हो गए कश नहीं लिया, सिगरेट दो ना विश्व तंबाकू निषेध दिवस : सिगरेट पीने के बाद ऐसी हो जाती है फेफड़ों की हालत, देखें वीडियो Read the full article
0 notes