#वाली कैद
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DAY 5981
Jalsa, Mumbai July 3/July 4, 2024 Wed/Thu 12:42 pm
I am responsible for this late Blog and my apologies .. just wanted to know what it feels like to get to bed earlier tha what has been happening all the past few days .. and this is the result .. am still groggy and wish to get in more sleep .. work is stable today so shall catch up soon .. but the morning mind is perhaps more awake than earlier ..
🤣
at work in the Studio was a delight .. had the dearest Shekhar over to just jam and spend time with his music and appreciate its lasting spell on all that he is ding and getting his appreciation of wanting to do some 🎶 together ..
He is far too gracious in his observations for me, but if feasible shall give it a try .. and make music .. !!!
I had a great piece of writing from our elder from Varanasi .. a scholar and dedicated human , which I thought might interest the lovers of his thoughts or his immense knowledge of Sanskrit , which he teaches and expounds ..
*!! हे प्रभु हे परमेश्वर हम सभी आपके कृतज्ञ हैं।
आपने मानव जीवन, जीव जन्तु की संरचना में न जाने कितने यन्त्रों को स्थापित किया है जो कि अत्यंत विस्मयकारी है ।हे जगत पालन कर्ता आपने
सिर के बालों से लेकर पैर के अंगूठे तक 24 घंटे भगवान, तू रक्त प्रवाहित करता है… जीभ पर नियमित अभिषेक कर रहा है… निरंतर तू मेरा ये हृदय चलाता है…
चलने वाला कौन सा यंत्र तू फिट कर दिया है हे भगवान… पैर के नाखून से लेकर सिर के बालों तक बिना रुकावट संदेशवाहन करने वाली प्रणाली… किस अदृश्य शक्ति से चल रही है कु��� समझ नहीं आता।
हड्डियों और मांस में बनने वाला रक्त कौन सा अद्वितीय आर्किटेक्चर है… इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं है।
हजार-हजार मेगापिक्सल वाले दो-दो कैमरे दिन-रात सारी दृश्यें कैद कर रहे हैं।
दस-दस हजार टेस्ट करने वाली जीभ नाम की टेस्टर,
अनगिनत संवेदनाओं का अनुभव कराने वाली त्वचा नाम की सेंसर प्रणाली… और… अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाज पैदा करने वाली स्वर प्रणाली और उन फ्रीक्वेंसी का कोडिंग-डीकोडिंग करने वाले कान नाम का यंत्र…
पचहत्तर प्रतिशत पानी से भरा शरीर रूपी टैंकर हजारों छेद होने के बावजूद कहीं भी लीक नहीं होता…
स्टैंड के बिना मैं खड़ा रह सकता हूँ…गाड़ी के टायर घिसते हैं, पर पैर के तलवे कभी नहीं घिसते। अद्भुत ऐसी रचना है।
देखभाल, स्मृति, शक्ति, शांति ये सब भगवान तू देता है। तू ही अंदर बैठ कर शरीर चला रहा है। अद्भुत है यह सब, अविश्वसनीय, असमझनीय।
ऐसे शरीर रूपी मशीन में हमेशा तू ही है, इसका अनुभव कराने वाला आत्मा भगवान तू ऐसा कुछ फिट कर दिया है कि और क्या तुझसे मांगूं…
तेरे इस *अद्भुत संरचना के खेल का निश्छल, *निस्वार्थ आनंद* का हिस्सा रहूँ!… ऐसी सद्बुद्धि मुझे दे!!
तू ही यह सब संभालता है इसका अनुभव मुझे हमेशा रहे!!! रोज पल-पल कृतज्ञता से तेरा ऋणी होने का स्मरण, चिंतन हो, यही परमेश्वर के चरणों में प्रार्थना है!🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
May the Hindi gyani's of the Ef brigade do make an attempt to translate for the Hindi challenged ..
I shall find time later to give it my explanation too ..
It is an ode to the MAKER of us all of us humans and what a wonder the human is .. that HE has mede ..
My love
Amitabh Bachchan
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Shaheed Diwas 2023: 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए
Shaheed Diwas : 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी थी
हर साल 23 मार्च को भारत शहादत दिवस मनाया जाता है। भारत के तीन वीर सपूतों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे । ये तीनों ही युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु भारत की आजादी के लिए अपनी जान देने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे। 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु नाम के तीन युवकों को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी। वह 23 वर्ष के थे। इसलिए ,शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में, भारत सरकार ने 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में घोषित किया। ��ेकिन क्या आपको पता है कि इन तीनों शहीदों की मौत भी अंग्रेजी हुकूमत की एक साजिश थी? भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सभी को 24 मार्च को फाँसी देनी तय हुई थी, लेकिन अंग्रेजों ने एक दिन पहले 23 मार्च को भारत के तीनों वीर पुत्रो को फांसी पर लटका दिया। आखिर इसकी वजह क्या थी? आखिर भगत सिंह और उनके साथियों ने ऐसा क्या अपराध किया था कि उन्हें फांसी की सजा दी गई। भगत सिंह की पुण्यतिथि पर जानिए उनके जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातें।
देश की आजादी के लिए सेंट्रल असेंबली में बम फेंका गया।
8 अप्रैल, 1929 को दो क्रांतिकारियों, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका और ‘साइमन गो बैक’ नारे में भी संदर्भित किया गया था। जहां कुख्यात आयोग के प्रमुख सर जॉन साइमन मौजूद थे। साइमन कमीशन को भारत में व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था। बम फेंकने के बाद दोनों ने भागने की कोशिश नहीं की और सभा में पर्चे फेंक कर आजादी के नारे लगाते रहे और अपनी गिरफ्तारी दी। जो पर्चे गिराए उनमें पहला शब्द “नोटिस” था। उसके बाद उनमें पहला वाक्य फ्रेंच शहीद अगस्त वैलां का था। लेकिन दोनों क्रांतिकारियों द्वारा दिया गया प्रमुख नारा ‘’इंकलाब जिंदाबाद’’ था । इस दौरान उन्हें करीब दो साल की सजा हुई।
करीब दो साल की मिली कैद
भगत सिंह करीब दो साल तक जेल में रहे। उन्होंने बहुत सारे क्रांतिकारी लेख लिखे, जिनमें से कुछ ब्रिटिश लोगों के बारे में थे, और अन्य पूंजीपतियों के बारे में थे। जिन्हें वह अपना और देश का दुश्मन मानते थे। उन्होंने कहा कि श्रमिकों का शोषण करने वाला कोई भी व्यक्ति उनका दुश्मन है, चाहे वह व्यक्ति भारतीय ही क्यों न हो।
जेल में भी जारी रखा विरोध
भगत सिंह बहुत बुद्धिमान थे और कई भाषाएँ जानते थे। वह हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी आती जानते थे । उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से बंगाली भी सीखी थी। भगत सिंह अक्सर अपने लेखों में भारतीय समाज में लिपि, जाति और धर्म के कारण आई लोगों के बीच की दूरी के बारे में चिंता और दुख व्यक्त करते थे।
राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव की फांसी की तारीख तय की गई
दो साल तक कैद में रहने के बाद, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च, 1931 को फाँसी दी जानी थी। हालाँकि, उनकी फाँसी की ख़बर से देश में बहुत हंगामा हुआ और ब्रिटिश सरकार प्रतिक्रिया से डर गई। वह तीनों सपूतों की फांसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीयों का आक्रोश और विरोध देख अंग्रेज सरकार डर गई थी।
डर गई अंग्रेज सरकार
ब्रिटिश सरकार को इस बात की चिंता थी कि भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु की फाँसी के दिन भारतीयों का गुस्सा उबलने की स्थिति में पहुँच जाएगा, और स्थिति और भी बदतर हो सकती है। इसलिए, उन्होंने उसकी फांसी की तारीख और समय को बदलने का फैसला किया।
तय समय से पहले दी भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी
ब्रिटिश सरकार ने जनता के विरोध को देखते हुए 24 मार्च जो फांसी का दिन था उसे 11 घंटे पहले 23 मार्च का दिन कर दिया। इसका पता भगत सिंह को नहीं था। 22 मार्च की रात सभी कैदी मैदान में बैठे थे। तभी वार्डन चरत सिंह आए और बंदियों को अपनी-अपनी कोठरियों में जाने को कहा। कुछ ही समय बाद नाई बरकत की बात कैदियों के कानों में पड़ी कि उस रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।
23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे फांसी दे दी जायगी । कहते है कि जब भगत सिंह से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन (Reminiscences of Leni) की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। लेकिन जेल के अधिकारियों ने चलने को कहा तो उन्होंने किताब को हवा में उछाला और कहा – ’’ठीक है अब चलो।’’
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 बजकर 33 मिनट पर 23 मार्च 1931 को शाम में लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव एक दूसरे से मिले और उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामे आजादी का गीत गाया।
”मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग इे बसन्ती चोला।।’’
साथ ही ’इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ और ’हिंदुस्तान आजाद हो’ का नारा लगये ।
उनके नारे सुनते ही जेल के कैदी भी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। कहा जाता है कि फांसी का फंदा पुराना था लेकिन जिसे फांसी दी गई वह काफी तंदुरुस्त था। मसीद जलाद को फाँसी के लिए लाहौर के पास शाहदरा से बुलाया गया था। भगतसिंह बीच में खङे थे और अगल-बगल में राजगुरु और सुखदेव खङे थे। जब मसीद जल्लाद ने पूछा कि, ’सबसे पहले कौन जाएगा?’
तब सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकाने की सहमति दी। मसीद जल्लाद ने सावधानी से एक-एक करके रस्सियों को खींचा और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मारकर हटा दिया। लगभग 1 घंटे तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे, उसके बाद उन्हें नीचे उतारा गया और लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट एनएस सोढ़ी द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
तीन क्रांतिकारियों, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार
ब्रिटिश सरकार की योजना थी इन सबका अंतिम दाह संस्कार जेल में करने की योजना ��नाई थी। हालांकि, अधिकारियों को चिंता हुई ��ि अगर जेल से दाह संस्कार की प्रक्रिया से निकलने वाले धुएं को देखा तो जनता नाराज हो जाएगी। इसलिए, उन्होंने जेल की दीवार को तोड़ने और कैदियों के शवों को जेल के बाहर ट्रकों पर फेंकने का फैसला किया।
इससे पहले ब्रिटिश सरकार ने तय किया था कि भगत सिंह राजगुरु सुखदेव का अंतिम संस्कार रावी नदी के तट पर किया जाएगा, लेकिन उस समय रावी में पानी नहीं था। इसलिए उनके शव को फिरोजपुर के पास सतलुज नदी के किनारे लाया गया। उनके शवों को आग लगाई गई। इसके बारे में जब आस-पास के गाँव के लोगों को पता चल गया, तब ब्रिटिश सैनिक शवों को वहीं छोङकर भाग गये। कहा जाता है कि सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया था।
अगले दिन जब तीनों क्रांतिकारियों की मौत की खबर फैली तो उनके सम्मान में तीन मील लंबा जुलूस निकाला था। इसको लेकर लोगों ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया ।
फांसी से पहले भगत सिंह ने अपने साथियों को एक पत्र लिखा था।
साथियों,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ कि मैं कैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता।
मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है- इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज नहीं हो सकता। आज मेरी कमजोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए।
लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगतसिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।
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क़ैद
एक किस्सा क़ैद है उस आसमानी साड़ी के आँचल के कोने मेंकुछ आंसू क़ैद है उन झुर्रियों वाली मुस्कराहट के पीछेक़ैद हैं मैं और तुम इस ढ़लती शाम में जैसेजैसे बिछड़े हुए दो तारे मिल गएहमारे किस्सों के आशियाने मिल गयेकैद है उस मिट्टी के गुल्लक में २ आनेऔर मेरे बचपन की यादेंजिसमे तुम हो और घर का वो बगीचाजहाँ कैद हैं झूलों में ठिठोलियां मेरी और तुम्हारीकैद है यौवन की वो पहली बारिश और कैद हैं मेरी एक पायल घर के…
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सात साल तक सनकी कपल की कैद में रही युवती, बार-बार किया गया रेप; अदालत ने सुनाई 104 साल जेल की सजा
California News: उस लड़की की उम्र उस वक्त महज 20 साल थी, जब उसके साथ एक भयानक घटना घटी। वो 19 मई 1977 का दिन था, जब उसने अपने दोस्त के जन्मदिन में जाने के लिए एक सनकी पति-पत्नी से लिफ्ट मांगी और उन्होंने उसे अगवा कर लिया। इसके बाद उसे चाकू की नोक पर लकड़ी के एक बॉक्स में बंदी बनाकर रखा गया और सात साल तक रूह कंपा देने वाली यातनाएं दी गईं। उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया गया, पीटा गया और छत से…
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बेटे को कैद करने के लिए महिला ने अपने घर को बनाया जेल, सलाखें बनाने के पीछे बताई चौंकाने वाली वजह
दुनिया में एक मां ही होती है जो अपने बच्चे का पूरा ख्याल रखती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि मां को अपने बच्चों को बचाने के लिए बुरा बनना पड़ता है. इसके लिए भले ही दुनिया उन्हें बुरा समझे उससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है. ऐसा ही कुछ इन दिनों थाइलैंड से सामने आया है. जहां एक मां ने अपने बच्चे के घर को जेल में तबदील कर दिया है. जिसकी कहानी जानने के बाद हर कोई दंग और यही सवाल कर रहा है कि कोई मां…
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मोहाली के जीरकपुर CHC अस्पताल में घुसे चोर ; गभर्वती डॉक्टर से धक्का मुक्की, कैमरे में हुए कैद
मोहाली के जीरकपुर स्थित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) ढकौली में रविवार देर रात 2 चोर घुस गए। जब सिरिंज चोरी कर भागते हुए उन्हें 8 महीने की गर्भवती महिला डॉ. प्रभजोत कौर ने रोकने की कोशिश की तो वह उसे जोर से धक्का देकर फरार हो गए। यह घटना बहुत ही चौंकाने वाली है और स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती है। सूचना मिलते ही जीरकपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंचकर सारी स्थिति का जायजा लिया। वहीं,…
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नॉर्वे में मरी हुई मिली रूस की जासूस बेलुगा व्हेल ह्वाल्डिमिर, पुतिन को बहुत बड़ा झटका!
मॉस्को: रूस की जासूस व्हेल ह्वाल्डिमिर नॉर्वे के तट के करीब मरी हुई मिली है। इस व्हेल ने 2019 में पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। 14 फुट लंबी और 2,700 पाउंड वजनी इस व्हेल को पांच साल पहले कैमरे के लिए डिजाइन किए गए हार्नेस के साथ देखा गया था। इस व्हेल के हार्नेस पर सेंट पीटर्सबर्ग के उपकरण का निशान बना हुआ था। इसके बाद सोशल मीडिया पर उसे ह्वाल्डिमिर जासूस व्हेल के नाम से पहचान दी गई थी। यह व्हेल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमी�� पुतिन को बहुत प्यारी थी। कहा जाता है कि ह्वाल्डिमिर व्हेल रूस के जानवरों को जासूस बनाने के प्रोजेक्ट का हिस्सा थी। हालांकि, रूस ने कभी भी खुले तौर पर इस दावे को नहीं स्वीकारा। ह्वाल्डिमिर कैसे पड़ा नाम इस व्हेल का ह्वाल्डिमिर नाम व्हेल के लिए इस्तेमाल होने वाले नॉर्वेजियन शब्द "ह्वाल" और रूसी राष्ट्रपति के नाम के पहले हिस्से "व्लादिमीर" का मिश्रण है। बेलुगा व्हेल आम तौर पर सुदूर ठंडे आर्कटिक महासागर में रहती हैं। हालांकि, ह्वाल्डिमिर इंसानों के बीच रहने की अभ्यस्त थी। वह इंसानों के बीच खुद को सहज रूप से प्रदर्शित करती थी। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है कि इसने अपने जीवन का अधिकांश समय इंसानी कैद में गुजारे हैं, जिससे वह यहां रहने की अभ्यस्त हो चुकी है। नॉर्वे के करीब रहती थी यह व्हेल ह्वाल्डिमिर की रक्षा के लिए काम करने वाले नॉर्वे के एक एनजीओ मरीन माइंड के संस्थापक सेबेस्टियन स्ट्रैंड ने कहा, "यह दिल तोड़ने वाला है। उसने नॉर्वे में ही हजारों लोगों के दिलों को छू लिया है।" पिछले साल, नॉर्वे ने अपने नागरिकों से अनुरोध किया था कि वे ह्वाल्डिमिर के साथ किसी भी प्रकार के संपर्क से बचें, जिसे ओस्लो के करीब एक इलाके में देखा गया था। "ह्वाल्डिमिर" के रूप में जानी जाने वाली सफेद व्हेल अब आंतरिक ओस्लोफजॉर्ड में रहती थी। नॉर्वे के फिसरीज मंत्रालय ने कहा था कि इस व्हेल से छोटी नावों को खतरा हो सकता है। http://dlvr.it/TCgN0m
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Best 100+ Sad Shayari 2 line | दो लाइन सैड शायरी
Sad Shayari 2 line: जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है और कभी-कभी ये उतार-चढ़ाव हम पर भारी पड़ सकते हैं, जिससे हम दुखी महसूस करते हैं। चाहे वह प्यार, स्नेह या रिश्तों के कारण हो, ये भावनात्मक चुनौतियाँ अक्सर अकेलेपन या यहाँ तक कि अवसाद की भावना को जन्म देती हैं। आज के लेख में, हम आपके लिए दिल को छू लेने वाली Sad Shayari 2 line का संग्रह लेकर आए हैं, जो दुख की इन भावनाओं को बखूबी बयां करती हैं। ये छोटी लेकिन गहरी शायरी उन सभी के लिए है जो भावनात्मक रूप से कमज़ोर हैं और अपने दर्द को व्यक्त करने का तरीका खोज रहे हैं।. अगर आप Sad Shayari खोजते हुए इस लेख पर आए हैं, तो हमें विश्वास है कि आपको इन शब्दों में सांत्वना मिलेगी। आप अपने प्रियजनों को यह बताने के लिए इन शायरियों को अपने WhatsApp Status पर भी शेयर कर सकते हैं कि आप कठिन समय से गुज़र रहे हैं और आपका मूड अभी सबसे अच्छा नहीं है। हमें उम्मीद है कि ये पंक्तियाँ आपको समझने और समर्थन महसूस कराने में मदद करेंगी।.
Sad Shayari 2 line
तेरे बदलने का दुख नहीं है मुझको, मैं तो अपने यकीन पर शर्मिंदा हूं..! बेपनाह मोहब्बत का आख़िरी पड़ाव इक लंबी सी ख़ामोशी 💔 तु जीत कर रो पड़ेगा हम तुझसे ऐसे हारेंगे 💔। कुछ तारीखें, ज़ख्म ताजा कर देती हैं ! 💔
थोड़ा और समझदार होने के लिए थोड़ा और अकेला होना पड़ता है. 💔
जिसने हालात पी लिये हो वो फिर जहर से नही डरता 💔
किसी पर मरने से, शुरू होती है मोहब्ब्त इश्क़ जिंदा लोगों के बस की बात नहीं 💔
हम कहाँ किसी के लिए खास हैं, ये तो हमारे दिल का अंधविश्वास हैं
जो सोचा सब वैसा ही, होने लगे तो 💔 जिंदगी और ख्वाब में, फर्क क्या रह जाएगा 💔
Sad shayari😭 life 2 line boy
हम उनकी याद में है ❤️ जिन्हे हम याद नही हैं ❤️। तुम क्या गए कि, वक़्त का अहसास मर गया, रातों को जागते रहे, और दिन को सो गए। 💔 बहुत अजीब हैं, तेरे बाद की, ये बरसातें भी, हम अक्सर बन्द कमरे में, भीग जाते हैं। 💔 कितने अज़ीब लोग हैं? बात पकड़ कर इंसान छोड़ देते हैं। शायद बहुत जान लिया उन्होंने हमें, यही वजह थी, कि हम बुरे लगने लगे उन्हें। मेरी फितरत में खामोशी नहीं है.., मैं एक हंगामा हूँ, जो बोल पड़ता है..!!! हमें अहमियत नहीं दी गई और हम, जान तक दे रहे थे 💔 जिसका मिलना किस्मत में नहीं होती उससे मोहब्बत भी बेइंतहा होती हैं नजरों से जो उतर गए क्या फर्क पढ़ता है, वो कहां गए 💔 किसी पर, मरने से शुरू होती है, मोहब्ब्त इश्क़ जिंदा लोगों के बस की बात नहीं 💔 किसी ने खूब कहा हैं, मोहब्बत नहीं जनाब,यादे ��ुलाती हैं..
सैड शायरी हिंदी 2 line girl
तेरे बदलने का दुःख नहीं हैं मुझकों, हम तो अपने यकीन पर शर्मिंदा हैं.. बेशक बातें कम हो गई हैं, पर फिक्र हर पल रहती हैं तेरी… हमेशा मैं ही क्यों डरु, तुझको खोने से, कभी तू भी डरे, मेरे न होने से.. सच्चा प्यार केवल दो,पल के लिए ही होता हैं, पर जख्म सालों के,लिए दे जाता हैं.. जब दर्द खुद को ही सहना हैं, फिर औरों को बताना क्या… आप तो मेरी जान थे, आपकी यादे क्यो मेरी जान ले रही हैं…
सैड शायरी😭 लाइफ 2 लाइन (sad shayari😭 life 2 line)
बेहतर हैं उन रिश्तों का टूट जाना, जिस रिश्ते की, वजह से, आप टूट रहे हैं.. आज हम तरस रहे हैं तुम्हारे लिए, कल तुम तरसोगे हमारे लिए… मुस्कुराना हमारी मजबूरी हैं, जिंदगी तो ऐसे भी, हमसे नाराज रहती हैं… कभी कभी अपनो से ऐसा दर्द मिलता हैं, आँशु तो पास होते हैं। मगर रोया नहीं जाता.. ज़िंदगी में हर मौके का फायदा उठाओ, मगर किसी के भरोसे का नहीं… जिस तरह मैंने तुझें चाहा, कोई और चाहे तो भूल जाना मुझें… जो सबको संभालने की,, कोशिश करता हैं न, उसको संभालना हर कोई भूल जाता हैं… जिसने भी कहा हैं,सच ही कहा हैं, सुकून तो, मरने के बाद ही आता हैं।
ऐटिटूड 😔 सैड शायरी boy
ज़िंदगी में गुलाब के तरह खिलना हैं, तो काटो से तालमेल बढ़ाना ही पड़ेगा.. आज अश्क से, आँखों में क्यों हैं आये हुए, गुजर गया है ज़माना तुझे भुलाये हुए। कम नहीं हैं, आँसू मेरी आँखों में, मगर रोता नहीं कि, उनमें उसकी तस्वीर दिखती है नीन्द मे भी आखू से आसू बहन लगत हे जब आप मेरा हाथ छोड़कर जात हो इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त, आँख जब भी नम हुई, वजह तुम ही निकले। अपने ही हाथों से जला दिया अपना घर, कहना उससे, और एक ��ाम, तेरा कर दिया। बीन मोसम बारिशे हो जाती है कभी बादलो से तो कभी आँखो से चुपके-चुपके रात आसू बहाना याद है हम अब तक आशिक़ी का वो जमाना याद है आसू तेरी यादो की कैद में है तेरी याद आने से, इन्हें जमानत मिल, जाती है
न्यू सैड शायरी 2 line
मुस्कुराने की आरजू मे छुपाया जो दर्द को अश्क हमारी आखो मे पत्थर के हो गए मेर शहर मे बारिश हो जाती हे कभी बादलो से कभी आखो से। बह जाती काश यादें भी,, आँसुओ के साथ एक दिन हम भी रो लेते तसल्ली से बैठकर। मुस्काती आँखो मे अक्सर देखे हम ने रोते ख्वाब। होते ही शाम, जलने लगा, याद का अलाव आँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े। इस कदर रोया हूँ तेरी याद मे आइन आखो के धुंधले हो गए। काश मै तुम्हे अनदेखा करता जिस तरह तुम मुझे अनदेखा करती हो। मै रोना चाहता हूँ खूब रोना चाहता हूँ मै फिर उस के बाद गहरी नीद सोना चाहता हु। चलो कुछ तो किया उसने प्यार नही तो तबाह ही सही। ज़िन्दगी में कुछ पल बस ऐसे गुजर जाते है बस रहे जाती हैं तो उनकी यादें। लोग इंसान देख कर प्यार करते हैं मैने प्यार करके एक इंसान को देख लिया। बेशक दिल कितना भी उदास है फिर भी,, तेरे लोट आने की आस है। इश्क मे हमने कीतन सीतम सहे हे शहर तो छोड़ दिया,,, अब क्या जीना छोड़ दे। जिस दिल से मै प्यार की आस कर रहा था उस दिल मे तो इंसानियत भी नही थी। रिश्ते भी आजकल दिलो के नही जरूरत के रह गए है। दर्द गूंज रहा दिल में शहनाई की तरह, जिस्म से मौत की,, ये सगाई तो नहीं। मौत तेरा डर ��हीं मुझको, क्योंकि मारा है,, जीते जी अपनो ने मुझको। बे-मौत मर जाते है, बे-आवाज़ रोने वाले। जहर पीने से कहाँ मौत आती है, मर्जी खुदा की भी चाहिए,, मौत के लिए। इंसान तब मरता है जब उसके अंदर की इंसानियत मर जाती है। मौत से तो दुनिया मरती है, आशिक तो, प्यार से ही मर जाता है। अगर किसी को मारना है मोहब्बत सिखाकर चले जाए। नफरत बता रही है मोहब्बत कितनी की होगी। इंतजार बताता है मोहब्बत कितनी गहरी है। उसकी बातों से लगता है किसी और को चाहने लगे हैं। यहां तक साथ निभाएंगे फिर जाए मोहब्बत हो या दोस्ती।
zindagi सैड शायरी हिंदी 2 line
दिल तो पहले होता था सीने में अब तो दर्द लिए फिरते है ये दिल तब रो देता हैं, रोने से दिल के जख्म भर जायेंगे, मेरा दर्द सिर्फ मेरा था , ये जान कर, मुझे और भी दर्द हुआ। किसी ने सच कहा था मोहब्बत नहीं यादें रुलाती है। यह कैसा इश्क था तुम्हें पाकर खो दिया दुनिया में किसी से उम्मीद मत रखना एक दिन सब, छोड़ कर, चले जाते हैं हमने उन्हें खोया है जो कभी हमारे थे ही नहीं ! एक बार मोहब्बत करो एक पल मारोगे एक पल जिओगे सबसे बड़ी भीख मोहब्बत है वह भीख मैंने मांगी है। वो अश्क बन के मेरी आखो में रहता हे अजीब शख्स है पानी के घर मे रहता है पलकों के,, बंध तोड़ के, दामन पे गिर गया, एक अश्क मेरे ज़ब्त की तौहीन कर गया। चाय जैसी उबल रही है जिंदगी, मगर हम भी हर घूँट का, आनंद शौक से लेंगे। हमें अहमियत नहीं दी गई और हम जान तक, दे रहे थे 💔 मोहब्बत में हम उन्हें हारे हैं, जो कहते थे बस हम तुम्हारे हैं… न जाने कैसी, नजर लगी है, इस जमाने की वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की Read Also Read the full article
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चलती ट्रेन से गिरा यात्री, जिआरपी कॉस्टेबल ने बचाई जान
रूड़की, लक्सर स्टेशन पर एक यात्री ट्रेन मे चढ़ते समय नीचे गिर गया मौके पर मौजूद महिला जिआरपी कॉस्टेबल ने बहादुरी दिखाते हुए यात्री को बाहर निकाला यह खौफनाक मंजर सीसीटीवी कैमरे मे कैद हो गया। अंबाला के पास चल रहे किसान आंदोलन के चलते पंजाब से आने वाली सभी ट्रेनें लेट चल रही है जिसके चलते जम्मू से सियालदह जाने वाली ट्रेन अपने निर्धारित समय से लगभग 5 घंटे देरी से लक्सर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर…
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( #Muktibodh_part212 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part213
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 407-408
प्रश्न :- (���र्मदास जी का):- हे जिन्दा! आप जी ने तीनों देवताओं (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिवजी) की भक्ति करने वालों की दशा तो श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 तथा अध्याय 9 श्लोक 23 में प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया कि तीनों गुणों (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) की भक्ति करने वाले
राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझ (गीता ज्ञान दाता ब्रह्म) को भी नहीं भजते। अन्य देवताओं की भक्ति पूजा करने वालों का सुख
समय (स्वर्ग समय) क्षणिक होता है। स्वर्ग की प्राप्ति करके शीघ्र ही पृथ्वी पर जन्म धारण करते हैं। हे महात्मा जी! कृपया कोई संसार में हुए बर्ताव से ऐसा प्रकरण सुनाइए जिससे
आप जी की बताई बातों की सत्यता का प्रमाण मिले।
उत्तर :- (जिन्दा जगदीश का) y ने रजगुण ब्रह्मा जी देवता को भक्ति करके प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने कहा कि पुजारी! माँगो क्या माँगना चाहते हो? हिरण्यकश्यप ने माँगा कि सुबह मरूँ न शाम मरुँ, बाहर मरूँ न भीतर मरूँ, दिन मरूँ न रात मरुँ, बारह मास में न मरुँ, न आकाश में मरुँ, न धरती पर मरुँ। ब्रह्माजी ने कहा तथास्तु। इसके पश्चात् हिरण्यकश्यप ने अपने आपको अमर मान लिया और अपना नाम जाप करने को कहने लगा। जो विष्णु का नाम जपता, उसको मार देता। उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु जी की भक्ति करता था। उसको कितना सताया था। हे धर्मदास! कथा से तो आप परिचित हैं। भावार्थ है कि रजगुण ब्रह्मा का भक्त राक्षस कहलाया, कुत्ते वाली मौत मारा गया।
2. तमगुण शिवजी के उपासकों का चरित्र : लंका के राजा रावण ने तमगुण शिव की भक्ति की थी। उसने अपनी शक्ति से 33 करोड़ देवताओं को कैद कर रखा था। फिर देवी सीता का अपहरण कर लिया। इसका क्या हश्र हुआ, आप सब जानते हैं। तमगुण शिव का उपासक रावण राक्षस कहलाया, सर्वनाश हुआ। निंदा का पात्र बना।
◆ अन्य उदाहरण :- आप जी को भस्मासुर की कथा का तो ज्ञान है ही। भगवान शिव (तमोगुण) की भक्ति भस्मागिरी करता था। वह बारह वर्षों तक शिव जी के द्वार के सामने ऊपर को पैर नीचे को सिर (शीर्षासन) करके भक्ति तपस्या करता रहा। एक दिन
पार्वती जी ने कहा हे महादेव! आप तो समर्थ हैं। आपका भक्त क्या माँगता है? इसे प्रदान कर��� प्रभु। भगवान शिव ने भस्मागिरी से पूछा बोलो भक्त क्या माँगना चाहते हो। मैं तुझ पर अति प्रसन्न हूँ। भस्मागिरी ने कहा कि पहले वचनबद्ध हो जाओ, तब माँगूंगा। भगवान शिव वचनबद्ध हो गए। तब भस्मागिरी ने कहा कि आपके पास जो भस्मकण्डा(भस्मकड़ा) है, वह
मुझे प्रदान करो। शिव प्रभु ने वह भस्मकण्डा भस्मागिरी को दे दिया। कड़ा हाथ में आते ही भस्मागिरी ने कहा कि होजा शिवजी होशियार! तेरे को भस्म करुँगा तथा पार्वती को पत्नी
बनाउँगा। यह कहकर अभद्र ढ़ंग से हँसा तथा शिवजी को मारने के लिए उनकी ओर दौड़ा।
भगवान शिव उस दुष्ट का उद्देश्य जानकर भाग निकले। पीछे-पीछे पुजारी आगे-आगे ईष्टदेव शिवजी (तमगुण) भागे जा रहे थे।
विचार करें धर्मदास! यदि आपके देव शिव जी अविनाशी होते तो मृत्यु के भय से नहीं डरते। आप इनको अविनाशी कहा करते थे। आप इन्हें अन्तर्यामी भी कहते थे। यदि भगवान शिव अन्तर्यामी होते तो पहले ही भस्मागिरी के मन के गन्दे विचार जान लेते। इससे सिद्ध हुआ कि ये तो अन्तर्यामी भी नहीं हैं। जिस समय भगवान शिव जी आगे-आगे और भस्मागिरी पीछे-पीछे भागे जा रहे थे, उस समय भगवान शिव ने अपनी रक्षा के लिए परमेश्वर को पुकारा। उसी समय ‘‘परम अक्षर ब्रह्म’’ जी पार्वती का रुप बनाकर भस्मागिरी दुष्ट के सामने खड़े हो गए तथा कहा हे भस्मागिरी! आ मेरे पास बैठ। भस्मागिरी को पता था कि अब शिवजी निकट स्थान पर नहीं रुकेंगे। भस्मागिरी तो पार्वती के लिए ही तो सर्व उपद्रव कर रहा था। हे धर्मदास! आपको सर्व कथा का पता है। पार्वती रुप में परमात्मा ने भस्मागिरी को गण्डहथ नाच नचाकर भस्म किया। तमोगुण शिव का पुजारी भस्मागिरी अपने गन्दे कर्म से भस्मासुर अर्थात् भस्मा राक्षस कहलाया।
इसलिए इन तीनों देवों के पुजारियों को राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख कहा है।
3. अब सतगुण श्री विष्णु जी के पुजारियों की कथा सुनाता हूँ।
◆◆ एक समय हरिद्वार में हर की पोडियों पर कुंभ का मेला लगा। उस अवसर पर तीनों गुणों के उपासक अपने-अपने समुदाय में एकत्रित हो जाते है। गिरी, पुरी, नागा-नाथ ये भगवान तमोगुण शिव के उपासक होते हैं तथा वैष्णव सतगुण भगवान विष्णु जी के उपासक होते हैं। हर की पोडि़यों पर प्रथम स्नान करने पर दो समुदायों ‘‘नागा तथा वैष्णवों‘‘ का झगड़ा हो गया। लगभग 25 हजार त्रिगुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा
तमगुण शिव) के पुजारी लड़कर मर गये, कत्लेआम कर दिया। तलवारों, छुरों, कटारी से एक-दूसरे की जान ले ली। सूक्ष्मवेद में कहा है किः-
तीर तुपक तलवार कटारी, जमधड़ जोर बधावैं हैं।
हर पैड़ी हर ��ेत नहीं जाना, वहाँ जा तेग चलावैं हैं।।
काटैं शी�� नहीं दिल करुणा, जग में साध कहावैं हैं।
जो जन इनके दर्शन कूं जावैं, उनको भी नरक पठावैं हैं।।
हे धर्मदास! उपरोक्त सत्य घटनाओं से सिद्ध हुआ कि रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिवजी की पूजा करने वालों को गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख कहा है।
◆ परमेश्वर जिन्दा जी के मुख कमल से उपरोक्त कथा सुनकर धर्मदास जी का सिर फटने को हो गया। चक्कर आने लगे। हिम्मत करके धर्मदास बोला हे प्रभु! आपने तो मुझ ज्ञान के अँधे को आँखें दे दी दाता। उपरोक्त सर्व कथायें हम सुना तथा पढ़ा करते थे परन्तु कभी विचार नहीं आया कि हम गलत रास्ते पर चल रहे हैं। आपका सौ-सौ बार धन्यवाद। आप जी ने मुझ पापी को नरक से निकाल दिया प्रभु!
क्रमशः_______________
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चक्रधरपुर/ रामगोपाल जेना : चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन अमृत भारत योजना के तहत एचडी सीसीटीवी कैमरों से लैश होगा. स्टेशन परिसर के कई हिस्सों का चयन रेलवे सुरक्षा ब�� और कैमरा लगाने वाली कंपनी वर्ल्ड केमिनेशन के कर्मचारियों के द्वारा किया गया हैं. जहां से पल पल की जानकारी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाएंगी. चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन को बी- वन श्रेणी का दर्जा प्राप्त है. इससे पहले चक्रधरपुर स्टेशन में दो दर्जन…
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ऑडियो कहानी |दूसरी शादी | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद कमर सिद्दीक़ी - Audio Story | Doosri Shaadi | Storybox with Jamshed Qamar Siddiqui
कहानी – दूसरी शादी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी आसमान जब दिवाली की रात पर पटाखों से जगमगा जाता था, जब सुनहरी आसमानी फुलझड़ियां बल खाती हुई लकीरों से आसमान को खूबसूरत बना देती थीं और जब गली के मोड़ पर चकरघिन्नी घुमाते हुए बच्चे खुश हो कर उछलते हुए तालियां पीटते थे तो पुरानी दिल्ली के कटरा इलाके के एक छोटे से मकान में रहने वाली सृष्टि उन सभी मंज़र को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहती थी। सृष्टि जब छोटी थी…
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सोनू पंजाबन को हाई कोर्ट ने सुनाई 24 साल जेल की सजा, जानें कौन है सेक्स ट्रैफिकिंग रैकेट चलाने वाली यह लेडी डॉन
सोनू पंजाबन को हाई कोर्ट ने सुनाई 24 साल जेल की सजा, जानें कौन है सेक्स ट्रैफिकिंग रैकेट चलाने वाली यह लेडी डॉन #News #RightNewsIndia #RightNews
Delhi News: सोनू पंजाबन एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को सोनू पंजाबन उर्फ गीता अरोड़ा की सजा निलंबित करने की अर्जी खारिज कर दी थी. सोनू पंजाबन दिल्ली-एनसीआर में वेश्यावृत्ति रैकेट चलाने के लिए कुख्यात थी। दरअसल, 2020 में एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति में धकेलने के जुर्म में ट्रायल कोर्ट ने सोनू पंजाबन को 24 साल कैद की सजा सुनाई थी. इसी सजा के खिलाफ सोनू पंजाबन ने…
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तीन साल में 11 लोगों की जान लेने वाली बाघिन को पिंजरे में बंद किया गया
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के चिचपल्ली वन क्षेत्र में पिछले तीन साल में 11 लोगों की जान लेने वाली बाघिन को पिंजरे में सफलतापूर्वक कैद कर लिया गया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। वन अधिकारी ने बताया कि मुल तहसील के ‘बफर’ और संरक्षित क्षेत्र में विचरण करने वाली बाघिन टी-83 को शनिवार सुबह जनाला क्षेत्र की ‘कम्पार्टमेंट’ संख्या 717 में बेहोश किया गया। इस अभियान में पशु चिकित्सक और अन्य लोग शामिल…
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Noida News : भीख मंगवाने के लिए बच्ची का अपहरण करने वाली महिला को मिली 3 साल की कैद की सजा
Noida News : यह मामला यूपी के नोएडा शहर की बगल में स्थित भंगेल कस्बे का है। भंगेल से 6 साल की एक बच्ची का अपहरण करने वाली शातिर महिला को गौतमबुद्धनगर जिले के जिला न्यायालय ने 3 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही महिला पर 15 हजार रुपये का नकद जुर्माना भी लगाया गया है। महिला पर आरोप था कि उसने बच्ची से भीख मंगवाने के लिए उसका अपहरण कर लिया था।
आपको बता दें कि इसी साल जनवरी माह में नोएडा के भंगेल से एक 6 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। इस प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने छह महीने में फैसला करने के निर्देश जारी किए थे। ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में स्थित जिला कचहरी में मंगलवार 8 अगस्त 2023 को अपहरण करने वाली महिला को 9 साल कैद की सजा सुना दी गई है।
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