#वामन द्वादशी पूजा
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः 🏵️🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (द्वादशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-18-जुलाई-2024
वार:--------गुरुवार
तिथी :---12द्बादशी:-20:44
पक्ष :-------शुक्लपक्ष
माह:-------आषाढ
नक्षत्र :-----ज्येष्ठा:-27:25
योग:---शुक्ल-06:12/ब्रह्म:-28:43
करण:------बव:-08:59
चन्द्रमा:---वृश्चिक:-27:25/धनु
सूर्योदय:-----06:00
सूर्यास्त:------19:27
दिशा शूल-----दक्षिण
निवारण उपाय:-----राई का सेवन
ऋतु :-------वर्षा ऋतु
गुलीक काल:------09:18से10:58
राहू काल:---14:18से15:58
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगा��्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:---कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-06:00से07:38तक
चंचल:-11:05से12:43तक
लाभ:-12:43से14:21तक
अमृत:-14:21से15:59तक
शुभ:-17:48से19:27तक
🌓चोघङिया रात🌗
अमृत:-19:27से20:47तक
चंचल:-20:47से22:08तक
लाभ:-00:48से02:08तक
शुभ:-03:20से04:40तक
अमृत:-04:40से06:00तक
🙏आज के विशेष योग🙏 वर्ष का 101वा दिन, वामन पूजा, स्थिरयोग 20:44से27:25, रवियोग प्रारंभ 27:25, हरिवास- राऽभाव,
🙏🪷टिप्स🪷🙏
तुलसी को रोज अक्षत चढ़ाएं।
*🌅सुविचार🌅👏*
ईश्वर जिससे प्यार करते हैं उन्हें अग्नि परीक्षाओं से गुज़ारते हैं।...👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*आंखों के नीचे सूजन को कम करने के तरीके -*
*ग्रीन टी बैग -*
ग्रीन टी में एंटीऑक्सिडेंट होता हैं, जो आपकी आंखों के आसपास की त्वचा को फिर से जीवंत करता हैं और सूजन, लालिमा और रेटिना की सूजन को कम करने में मदद करता है। इसमें टैनिन होता है जो आंखों की सूजन को कम करने में सहायता करता है। इसके लिए आप ग्रीन टी बैग को रेफ्रीजिरेटर में रखकर ठंड़ा कर लीजिए। फिर इसे 10 से 15 मिनट के लिए आईलीड पर रखिए। आप इसे पूरे दिन दो से तीन बार दोहरा सकते हैं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ बाहर जाने की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के योग हैं। परिवार व स्नेहीजनों के साथ विवाद हो सकता है। शत्रुता में वृद्धि होगी। अज्ञात भय रहेगा। थकान महसूस होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। परिवार व मित्रों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। शारीरिक कष्ट संभव है, सावधान रहें। निवेश शुभ रहेगा। तीर्थयात्रा की योजना बन सकती है।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। बजट बिगड़ेगा। दूर से शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भागदौड़ रहेगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। जोखिम न उठाएं।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
किसी अपरिचित की बातों में न आएं। धनहानि हो सकती है। थोड़े प्रयास से ही काम सफल रहेंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा। संतान पक्ष से आरोग्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। हानि संभव है। भाइयों का साथ मिलेगा।
👩🏻🦱 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
किसी की बातों में न आएं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। अचानक लाभ के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार में वृद्धि से संतुष्टि रहेगी। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। उत्साह से काम कर पाएंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। व्ययसाय लाभप्रद रहेगा। कार्य पर ध्यान दें।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। नई योजना बनेगी। लोगों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काफी समय से अटके काम पूरे होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
परिवार की आवश्यकताओं के लिए भागदौड़ तथा व्यय की अधिकता रहेगी। वा��न व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। का��्य की गति धीमी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश करने का समय नहीं है। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है, धैर्य रखें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शारीरिक कष्ट संभव है। व्यवसाय धीमा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की नाराजी झेलनी पड़ सकती है। परिवार में मनमुटाव हो सकता है। सुख के साधनों पर व्यय सोच-समझकर करें। निवेश करने से बचें। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
कष्ट, भय, चिंता व तनाव का वातावरण बन सकता है। जीवनसाथी पर अधिक मेहरबान होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यय होगा। मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा। नए संपर्क बन सकते हैं। धनार्जन होगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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⛅व्रत पर्व विवरण - पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी ( वैष्णव), वामन जयन्ती*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी : 26 सितम्बर 2023🌹*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
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Madhusudan Dwadashi मधुसूदन द्वादशी dwadashi ki katha द्वादशी के दिन @sartatva2023
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की केशव नाम से धूप, दीप, गंध, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए. फिर आगे के महीनों की द्वादशी में क्रम से नारायण, माधव, गोविंद, विष्णु, मधुसूदन, त्रिविक्रम, वामन, श्रीधर, ह्रषीकेश, पद्मनाभ और दामोदर नामों से कृष्ण पूजन करना चाहिए.
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Vaman Dwadashi Puja 2022: वामन द्वादशी व्रत करने से मिलता है मनचाहा फल, इन चीज़ों का करें दान
Vaman Dwadashi Puja 2022: वामन द्वादशी व्रत करने से मिलता है मनचाहा फल, इन चीज़ों का करें दान
Image Source : INDIA TV Vasudev Dwadashi Vrat 2022 Vaman Dwadashi 2022 : हिंदू धर्म में हर पूजा-पाठ का काफी महत्व माना जाता है। हर पूजा हर व्रत के अपने-अपने फायदे होते हैं। आज वामन द्वादशी है। वामन द्वादशी आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। वामन अवतार को भगवान विष्णु का पांचवां अवतार माना जाता है। त्रेता युग में दानवों के…
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वामन द्वादशी पर श्रद्धा भक्ति के साथ किया गया पूजन
वामन द्वादशी पर श्रद्धा भक्ति के साथ किया गया पूजन
नगसर(गाजीपुर)। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में शुक्रवार को दोपहर में वामन द्वादशी पर भगवान विष्णु के वामनावतार का पूजन श्रद्धा भक्ति के साथ किया गया। पूजन के दौरान गांवो में भगवान विष्णु के मूर्ति की पूजा अर्चना के बाद राजा बलि और भगवान वाम��� के द्वारा बलि से तीन पग में ही तीनो लोको को दान लेने के बाद मुक्त करने की कथा भी सुने जिसमे दान करने और वचनबद्ध हो जाने के बाद विमुख होने पर नरक मिलने तथा…
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आज 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास रहेगा। इसे पुरुषोत्तम मास और मलमास भी कहते हैं। भगवान विष्णु ने इस माह को अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम दिया है। इसी वजह से अधिकमास में विष्णुजी की पूजा करने और उनके दस अवतारों की कथा सुनने की परंपरा है। विष्णुजी के अवतारों की सीख यह है कि बुराई का अंत जरूर होता है। हमें हर स्थिति में मन शांत रखना चाहिए और अधर्म से बचना चाहिए। हमेशा सकारात्मक रहें। तभी जीवन में सुख-शांति मिल सकती है।
हर बार अधिकमास में जगह-जगह भागवत कथाओं का आयोजन होता है, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से इस तरह के धार्मिक आयोजन नहीं हो पाएंगे। ऐसी स्थिति में अपने घर पर ही ग्रंथों को पढ़ सकते हैं, टीवी पर, सोशल मीडिया पर संतों की कथाएं सुन सकते हैं। अधिकमास में ध्यान करने की भी परंपरा है।
यहां जानिए भगवान विष्णुजी के दस अवतारों से जुड़ी खास बातें...
1. मत्स्य अवतार
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु के पहले अवतार मत्स्य की जयंती मनाई जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार ��िष्णुजी ने पुष्पभद्रा नदी किनारे मत्स्य अवतार लिया था। प्राचीन समय में असुर हयग्रीव का आतंक बढ़ गया था और पूरी पृथ्वी जल मग्न हो गई थी। तब मछली के रूप में श्रीहरि का पहला मत्स्य अवतार हुआ। मत्स्य स्वरूप में हयग्रीव का वध किया और जल प्रलय से पृथ्वी के सभी जीवों की रक्षा की थी।
2. कूर्म अवतार
हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा पर कूर्म जयंती मनाई जाती है। ये भगवान विणु का दूसरा अवतार माना गया है। इस अवतार के संबंध में कथा प्रचलित है कि प्राचीन समय में जब समुद्र मंथन हुआ, तब विष्णुजी ने कछुए का रूप लेकर अपनी पीठ पर मंदराचल पर्वत को ग्रहण किया था। देवताओं और दानवों ने वासुकि नाग को रस्सी की तरह मंदराचल की नेती बनाया और समुद्र को मथा था। इस मंथन में हलाहल विष निकला, जिसे शिवजी ने ग्रहण किया था। इसके बाद 14 रत्न निकले। अमृत कलश निकला।
3. वराह अवतार
भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर वराह जयंती मनाई जाती है। वराह यानी शुकर। इस अवतार का मुख शुकर का था, लेकिन शरीर इंसानों की तरह था। दैत्य हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था। तब ब्रह्माजी की नाक से विष्णुजी वराह स्वरूप में अवतरित हुए। वराहदेव समुद्र में गए और अपने दांतों पर पृथ्वी रखकर बाह�� ले आए। इसके बाद उन्होंने हिरण्याक्ष का वध किया। हिरण्याक्ष नाम में हिरण्य का अर्थ स्वर्ण और अक्ष का अर्थ है आंखें। जिसकी आंखें दूसरे के धन पर लगी रहती हैं, वही हिरण्याक्ष होता है।
4. नृसिंह अवतार
नृसिंह अवतार प्राचीन समय में वैशाख माह में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि हुआ था। इस अवतार के संबंध में भक्त प्रहलाद की कथा प्रचलित है। प्रहलाद को असुर हिरण्यकशिपु से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने एक खंबे से नृसिंह अवतार लिया था। इनका आधा शरीर शेर का और आधा शरीर इंसान का था। प्रहलाद हिरण्यकशिपु का पुत्र था, लेकिन वह विष्णुजी का परम भक्त था। इस कारण हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए कई बार प्रयास किए। लेकिन, हर बार विष्णुजी ने उसकी रक्षा की। भगवान ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया।
5. वामन अवतार
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर वामन प्रकोटत्सव मनाया जाता है। ये अवतार सतयुग में हुआ था। उस समय असुर राजा बलि ने देवताओं को पराजित करके स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। तब विष्णुजी ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया। इसके बाद एक दिन राजा बलि यज्ञ कर रहा था, तब वामनदेव राजा बलि के पास गए और तीन पग धरती दान में मांगी। शुक्राचार्य के मना करने के बाद भी राजा बलि ने वामनदेव को तीन पग धरती दान में देने का वचन दे दिया। वामन ने विशाल रूप धारण किया और एक पग में धरती, दूसरे पग में स्वर्गलोक नाप लिया। तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने वामन को खुद सिर पर पग रखने को कहा। वामन भगवान ने जैसे ही बलि के सिर पर पैर रखा, वह पाताल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताललोक का स्वामी बना दिया और सभी देवताओं को उनका स्वर्ग फिर से मिल गया।
6. परशुराम अवतार
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम चिरंजीवी माने गए हैं। परशुराम ने हैहयवंशी क्षत्रियों के आतंक खत्म किया, राजा सहस्त्रार्जुन का वध किया था। परशुराम का जिक्र त्रेतायुग की रामायण और द्वापरयुग की महाभारत में भी है।
7. श्रीराम अवतार
चैत्र माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर श्रीराम प्रकटोत्सव मनाया जाता है। त्रेता युग में राजा दशरथ के यहां भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया था। श्रीराम ने रावण के साथ ही उस समय के सभी अधर्मी असुरों का वध किया। धर्म और मर्यादा की स्थापना की थी। इसीलिए इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भी कहा जाता है।
8. श्रीकृष्ण अवतार
द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। उस समय श्रीकृष्ण ने कंस और उसके सभी साथी असुरों का वध किया। दुर्योधन के साथ ही पूरे कौरव वंश के आतंक को खत्म करने में पांडवों का मार्गदर्शन किया।
9. बुद्ध अवतार
भगवान बुद्ध को विष्णुजी का नवां अवतार माना गया है। गौतम बुद्ध का जन्म 2564 साल पहले लुंबिनी में हुआ था। लुंबिनी नेपाल में स्थित है। हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा बुद्ध जयंती मनाई जाती है। बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने समाज को अहिंसा और करुणा का संदेश दिया था।
10. कल्कि अवतार
भगवान विष्णु का दसवां अवतार कल्कि अभी प्रकट नहीं हुआ है। मान्यता है कि कलियुग करीब 4 लाख 32 हजार साल का है। अभी कलियुग के करीब 5 हजार साल ही हुए हैं। कलियुग के अंत में जब धरती पर अधर्म बहुत बढ़ जाएगा। धर्म लगभग खत्म होने लगेगा, उस समय धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे। सभी अधर्मियों को खत्म करेंगे और फिर से धर्म की स्थापना करेंगे।
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डोल ग्यारस आज, इस व्रत को करने से हर संकट का होता है अंत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, इसीलिए इसे 'परिवर्तनी एकादशी' भी कहा जाता है। इसके अलावा भी इसे 'पद्मा एकादशी', 'वामन एकदशी' और 'जलझूलनी एकादशी' के नाम से जाना जाता है। इस साल डोल ग्यारस 29 अगस्त 2020 को है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं डोल ग्यारस का महत्व और पूजा-विधि।
डोल ग्यारस का महत्व डोल ग्यारस के दिन व्रत करने से व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि कृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को 'डोल ग्यारस' के रूप में मनाया जाता है।
डोल ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे 'वामन ग्यारस' भी कहा जाता है। जो भी इस एकादशी में भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उसके हर संकट का अंत होता है।
डोल ग्यारस पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर एकादशी व्रत करने का संक��्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु और कृष्ण के बाल रूप की आराधना करें और उनकी मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाएं। पूजा में तुलसी और फलों का प्रयोग करें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अन्न का दान अवश्य करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत खोल लें। ये भी पढ़े... दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां भगवान गणेश ने क्यों लिया विकट अवतार, जानिए इसका रहस्य Read the full article
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जाने कब है परिवर्तिनी एकादशी ,यज्ञ समान मिलता है फल
परिवर्तिनी एकादशी व्रत 29 अगस्त शनिवार को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी अपने शयन मुद्रा में करवट बदलते हैं। करवट बदलने से उनके स्थान में परिवर्तन हो जाता है इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से व्रती को वाजपेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के दिन विष्णु जी के वामन रूप की पूजा होती है। पद्म पुराण में स्वयं श्रीकृष्ण जी ने कहा है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करनी चाहिए क्योंकि भगवान इन चार महीनों में वामन रूप में पाताल में निवास करते हैं।
परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त…..
एकादशी तिथि आरंभ – 28 अगस्त, शुक्रवार – सुबह 08 बजकर 38 मिनट से एकादशी तिथि समाप्त – 29 अगस्त, शनिवार – सुबह 08 बजकर 17 मिनट तक पारण का समय – 30 अगस्त, रविवार – सुबह 05:58 बजे से 08:21 बजे तक
परिवर्तिनी एकादशी व्रत विधि…..
# सुबह जल्दी उठें। शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। # भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से नहलाएं। # अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें और भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें। # पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें तथा पूजा के अंत में विष्णु आरती करें। # शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करें। # विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें। # लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा…..
पुराणों के अनुसार राजा बलि ने अपने प्रताप के बल पर तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था। एक बार भगवान विष्णु ने राजा बलि की परीक्षा ली। राजा बलि किसी भी ब्राह्राण को कभी भी निराश नहीं करता था। वामन रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग जमीन देने का वचन मांग लिया। भगवान विष्णु ने दो पग में समस्त लोकों को नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना वचन पूरा करने के लिए अपना सिर वामन ब्राह्राण के पैर के नीचे रख दिया। राजा बलि पाताल लोक में समाने लगे तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को भी अपने साथ रहने के लिए आग्रह किया और भगवान विष्णु ने पाताल लोक चलाने का वचन दिया।
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आषाढ़ महीने की द्वादशी तिथि आज, इस दिन वामन पूजा करने की परंपरा है
आषाढ़ महीने की द्वादशी तिथि आज, इस दिन वामन पूजा करने की परंपरा है
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आषाढ़ महीने के देवता हैं भगवान वामन इसलिए इस महीने की द्वादशी पर होती हैं इनकी विशेष पूजा
दैनिक भास्कर
Jul 02, 2020, 07:02 AM IST
गुरुवार, 2 जुलाई यानी आज वामन द्वादशी व्रत किया जा रहा है। आषाढ़ महीने के देवता भगवान विष्णु के अवतार वामन ही हैं। इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है। वामन पुराण के अनुसार इस दिन व्रत और पूजा करने से…
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#Ashadh#Dwadashi date of Ashadh month is today#the tradition of worshiping Vamana on this day.#Vamana
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#वामन द्वादशी भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी या वामन जयंती कहते हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान वामन का प्राकट्य हुआ था। इस बार वामन द्वादशी 10 सितंबर, मंगलवार को है। धर्म ग्रंथों में वामन को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। वामन द्वादशी का व्रत इस प्रकार करें- #व्रत व पूजा विधि वैष्णव भक्तों को इस दिन उपवास करना चाहिए। सुबह स्नान आदि करने के बाद वामन द्वादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दोपहर (अभिजित मुहूर्त) में भगवान वामन की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद एक बर्तन में चावल, दही और शक्कर रखकर किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए। शाम के समय व्रती (व्रत करने वाला) को फिर से स्नान करने के बाद भगवान वामन का ��ूजन करना चाहिए और व्रत कथा सुननी चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और स्वयं फलाहार करना चाहिए। इस तरह व्रत व पूजन करने से भगवान वामन प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। #प्रामाणिक कथा एक बार दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मां अदिति बहुत दुखी हुईं। उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की। इससे प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट होकर बोले- देवी! चिंता मत करो। मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उसका खोया राज्य दिलाऊंगा। समय आने पर उन्होंने अदिति के गर्भ से वामन के रूप में अवतार लिया। उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे। एक दिन उन्हें पता चला कि राजा बलि स्वर्ग पर स्थायी अधिकार जमाने के लिए अश्वमेघ यज्ञ करा रहा है। यह जानकर वामन वहां पहुंचे। उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी। बलि ने उन्हें एक उत्तम आसन पर बिठाकर उनका सत्कार किया और अंत में उनसे भेंट मांगने के लिए कहा। इस पर वामन चुप रहे। लेकिन जब बलि उनके पीछे पड़ गया तो उन्होंने अपने कदमों के बराबर तीन पग भूमि भेंट में मांगी। बलि ने उनसे और अधिक मांगने का आग्रह किया, लेकिन वामन अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर बलि ने हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया। संकल्प पूरा होते ही वामन का आकार बढ़ने लगा और वे वामन से विराट हो गए। उन्होंने एक पग से पृथ्वी और दूसरे से स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया। वह बोला- प्रभु, सम्पत्ति का स्वामी सम्पत्ति से बड़ा होता है। तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दें। सब कुछ गंवा चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख वामन प्रसन्न हो गए। (at राधे राधे Radhe Radhe) https://www.instagram.com/p/B2LLj9cDRQ5/?igshid=1u6hg41g4etfx
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जानिए परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत के नियम, महत्व और पारण का समय-
परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. ऐसा कहा गया है कि इस एकादशी पर श्री हरि शयन करते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है.
इस बार परिवर्तिनी एकादशी 9 सितंबर, सोमवार को है.
महत्व:-
इसे पद्मा एकादशी या पार्श्व एकादशी भी कहा जाता है. इस व्रत में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है. कहा गया है कि इस एकादशी व्रत से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट होते हैं. इस दिन लक्ष्मी पूजन का विधान भी बताया गया है.
पूजा विधि:-
1-एकादशी से एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए. रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोएं.
2-एकादशी वाले दिन प्रात:काल उठकर भगवान का ध्यान करें. स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें.
3-भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
4-पूजा में तुलसी, ऋतु फलों का उपयोग करें.
5-व्रत के दिन किसी की बुराई ना करें. झूठ ना बोलें. मन में सात्विक विचार रखें. यथाशक्ति दान करें.
6-अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें.
परिवर्तिनी एकादशी पारण का समय:-
पार्श्व एकादशी पारणा मुहूर्त : 07:05:49 से 08:33:13 तक (10 सितंबर)
अवधि:1 घंटे 27 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय: 07:05:49 पर (10 सितंबर)
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आषाढ़ महीने की द्वादशी तिथि आज, इस दिन वामन पूजा करने की परंपरा है
आषाढ़ महीने की द्वादशी तिथि आज, इस दिन वामन पूजा करने की परंपरा है
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आषाढ़ महीने के देवता हैं भगवान वामन इसलिए इस महीने की द्वादशी पर होती हैं इनकी विशेष पूजा
दैनिक भास्कर
Jul 02, 2020, 07:02 AM IST
गुरुवार, 2 जुलाई यानी आज वामन द्वादशी व्रत किया जा रहा है। आषाढ़ महीने के देवता भगवान विष्णु के अवतार वामन ही हैं। इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है। वामन पुराण के अनुसार इस दिन व्रत और पूजा करने से…
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🕉 ॐ गं गणपतये नमः 🕉
🌄 #सुप्रभातम 🌄
🗓 #आज_का_पञ्चाङ्ग 🗓
🌻 #बुधवार, २१ #जुलाई २०२१ 🌻
सूर्योदय: 🌄 ०५:४०
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१०
चन्द्रोदय: 🌝 १६:५०
चन्द्रास्त: 🌜२७:१२
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 आषाढ़
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 द्वादशी (१६:२६ तक)
नक्षत्र 👉 ज्येष्ठा (१८:३० तक)
योग 👉 ब्रह्म (१६:१२ तक)
प्रथम करण 👉 बव (०५:५२ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (१६:२६ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 धनु (१८:१९ से)
मंगल 🌟 सिंह (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 मिथुन (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 सिंह (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
रा��ु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌❌❌
अमृत काल 👉 १०:२७ से ११:५५
विजय मुहूर्त 👉 १४:४१ से १५:३६
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०३ से १९:२७
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०३ से २४:४४
राहुकाल 👉 १२:२३ से १४:०७
राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम
यमगण्ड 👉 ०७:१३ से ०८:५६
होमाहुति 👉 शनि
दिशाशूल 👉 उत्तर
नक्षत्र शूल 👉 पूर्व (१८:३० तक)
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 उत्तर (पूर्व १८:३० से)
शिववास 👉 कैलाश पर (१६:२६ से नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - लाभ २ - अमृत
३ - काल ४ - शुभ
५ - रोग ६ - उद्वेग
७ - चर ८ - लाभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - उद्वेग २ - शुभ
३ - अमृत ४ - चर
५ - रोग ६ - काल
७ - लाभ ८ - उद्वेग
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पूर्व (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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प्रदोष व्रत, बुध अस्त पूर्व में २७:०९ से, वामन पूजा, विवाहदी मुहूर्त (पंजाब, हिमाचल, कश्मीर, हरियाणा आदि के लिये) मकर-कुंम्भ लग्न सायं ०७:१० से प्रातः ०५:३८ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १८:३० तक जन्मे शिशुओ का नाम
ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (या, यी, यू) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम मूल नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमश (ये, यो) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क - २९:१२ से ०७:३४
सिंह - ०७:३४ से ०९:५३
कन्या - ०९:५३ से १२:१०
तुला - १२:१० से १४:३१
वृश्चिक - १४:३१ से १६:५१
धनु - १६:५१ से १८:५४
मकर - १८:५४ से २०:३५
कुम्भ - २०:३५ से २२:०१
मीन - २२:०१ से २३:२५
मेष - २३:२५ से २४:५८
वृषभ - २४:५८ से २६:५३
मिथुन - २६:५३ से २९:०८
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पञ्चक रहित मुहूर्त
अग्नि पञ्चक - ०५:२९ से ०७:३४
शुभ मुहूर्त - ०७:३४ से ०९:५३
रज पञ्चक - ०९:५३ से १२:१०
शुभ मुहूर्त - १२:१० से १४:३१
चोर पञ्चक - १४:३१ से १६:२६
शुभ मुहूर्त - १६:२६ से १६:५१
रोग पञ्चक - १६:५१ से १८:३०
शुभ मुहूर्त - १८:३० से १८:५४
मृत्यु पञ्चक - १८:५४ से २०:३५
अग्नि पञ्चक - २०:३५ से २२:०१
शुभ मुहूर्त - २२:०१ से २३:२५
मृत्यु पञ्चक - २३:२५ से २४:५८
अग्नि पञ्चक - २४:५८ से २६:५३
शुभ मुहूर्त - २६:५३ से २९:०८
रज पञ्चक - २९:०८ से २९:३०
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आज का राशि��ल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिए अशुभ फलदायी रहेगा। मध्यान के बाद में शारीरिक एवं मानसिक स्थूलता अनुभव होगी लेकिन फिर भी लापरवाही बरतेंगे जिसके कारण बाद में स्थिति गंभीर भी हो सकती है खास कर आज मध्यान बाद किसी प्रकार का जोखिम ना लें। भावुकता की भी अधिकता रहने से मामूली बातों को प्रतिष्ठा से जोड़ेंगे। नकारात्मक भावनाओ से बचे अन्यथा धन और कीर्ति की हानि हो सकती है। संतान के उद्दंड व्यवहार से पारिवारिक वातावरण दूषित हो सकता है। कार्य क्षेत्र पर कम समय मे अधिक धन कमाने के प्रलोभन मिलेंगे इनसे दूर रहे अन्यथा निराश होना पड़ेगा।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिए आनंददायक रहेगा। आज प्रत्येक क्षेत्र में विरोधी परास्त होंगे। सामाजिक मान-सम्मान भी बढेगा। व्यापार विस्तार अथवा नए कार्य के आरंभ की योजना बनेगी जो कि भविष्य के लिये लाभदायक सिद्ध होगा परंतु आज कोई नया कार्य आरंभ ना करें। आस-पास के धार्मिक स्थान की यात्रा से मन को शान्ति मिलेगी। किसी परिचित से लंबे समय बाद भेंट से हर्ष एवं लाभ होगा। स्त्री एवं संतान के ऊपर खर्च करेंगे परंतु आज इनसे किसी न किसी कारण मानसिक क्लेश ही मिलेगा। संध्या बाद परिस्थिति पहले से बेहतर बनेगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आपके आज के दिन का पूर्वार्ध अत्यन्त व्यस्त रहने वाला है लेकिन व्यस्तता बे फिजूल के कार्यो को लेकर रहेगी। इस समय कार्य क्षेत्र पर कम समय दे पाएंगे। आज किसी पुराने मामले को लेकर सरकारी दस्तावेजो को पूर्ण करने में अधिकांश समय व्यतीत होगा परंतु इसमें विघ्नों के बाद आंशिक सफलता मिलेगी। कार्य क्षेत्र पर लाभ के अवसर निकल सकते है लेकिन यहाँ धैर्य से काम लेना जरूरी है अन्यथा आपके हिस्से का लाभ किसए प्रतिद्वंदी को मिल सकता है। संध्या के समय अत्यधिक थकान परंतु फिर भी शांति अनुभव करेंगे। सेहत नरम होने पर भी लापरवाही करेंगे।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिये शुभ फलदायी रहेगा। आज नौकरी एवं व्यवसाय में थोड़े परिश्रम से अधिक लाभ मिल सकेगा अधिकारी आप पर प्रसन्न रहेंगे लेकिन आज स्वभाव में अतिआत्मविश्वास भी रहेगा जिसके कारण लोगो के बीच हास्य के पात्र भी बन सकते है। आज आश्वासनों के चक्कर में धन ना फसाएँ हानि हो सकती है। मध्यान पश्चात नए कार्यो में ��ोच समझकर धन लगाए गलत निवेश हानि करा सकता है। पारिवारिक वातावरण भी आज अन्य दिनों की अपेक्षा शांत रहेगा। बुजुर्गो का आशीर्वाद मिलेगा। सेहत में थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव लगा रहेगा।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन आपको मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के पूर्वार्ध में क्रोध की अधिकता रहने से किसी प्रियजन अथवा आस पड़ोसी से तकरार होने की प्रबल संभावना है। सेहत भी नरम रहने से कार्य में मन नहीं लगेगा। आज विरोधी प्रबल रहेंगे मौन रहकर मध्यान तक का समय बिताये इसके बाद परिस्थितियो ने सुधार आने लगेगा। आकस्मिक दुर्घटना में चोट का भय है यथासंभव यात्रा टाले। प्रातः काल कुछ समय धर्म-कर्म में बिताएं आत्म बल मिलने से मानसिक शांति अनुभव करेंगे।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आप आपके लिए लाभदायक रहेगा। आज स्वास्थ्य छोटी-मोटी परेशानियों को छोड़ उत्तम ही रहेगा। आज आपके सोचे हुए कार्य व्यवहारिकता के बल पर अपने आप होते चले जायेंगे जिससे मन प्रसन्न रहेगा। आज परिश्रम के कार्यो की अपेक्षा बौद्धिक कार्यो में सहज सफलता मिलेगी। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। संध्या पश्चात परिजनों के साथ किसी महत्त्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे यहाँ अपने विचार अंत मे रखें अन्यथा किसी की कटु वाणी सुनने को मिलेगी। दूर के कार्यो से धन लाभ होगा लेकिन खर्चीला स्वभाव बचत नही करने देगा।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आपका मानसिक संतुलन स्थिर नही रहेगा असमंजस की स्थिति के कारण पल पल में निर्णय बदलेंगे इससे कार्य विलंब के साथ अन्य लोगो को परेशानी होगी फिर भी स्वार्थी पूर्ति के कारण आज आपसे कोई शिकायत नही करेगा। मन आज अनैतिक कार्यो में जल्दी आकर्षित होगा स्वभाव में भी उदण्डता रहेगी बिना कलह किये किसी कार्य को नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी मन मर्जी व्यवहार के कारण जिस लाभ के अधिकारी है उसमें कमी आएगी। धन की आमद आज पूर्व नियोजित रहेगी थोड़ी बहुत अतिरिक्त आय भी बना लेंगे लेकिन खर्च के आगे आज कमाई कम ही लगेगी। मौसमी बीमारियों एवं संयम की कमी के कारण सेहत बिगड़ सकती है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दोपहर बाद का समय आपके लिये अत्यन्त शुभफलदायी रहेगा लेकिन आज आपका स्वभाव सनकी रहेगा किसए भी कार्य को करने से पहले सोचने समझने में समय व्यर्थ करेंगे।आज आलस्य को त्याग निष्ठा से कार्य में लग जाए भाग्योन्नति के प्रबल योग होने से थोड़े से परिश्रम के बाद घर-बाहर मान-बड़ाई मिलेगी। भाई-बहनों के लिए भी आज आप सहायक बनेंगे। नए कार्य में निवेश के लिए शुभ अवसर है ��िसंकोच होकर कर सकते है। परिजनों के साथ धार्मिक यात्रा का अवसर मिलेगा। सेहत सामान्य रहेगी तली वस्तुओं का परहेज करें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन कार्यो में विफलता मिलने से मन हताशा से भरा रहेगा। नकारात्मकता बढ़ने से शरीर भी अस्वस्थ हो सकता है।
किसी ग़लतफ़हमी के कारण मित्र अथवा परिजनों से मनमुटाव संभव है। आज धार्मिक कार्यो के ऊपर धन खर्च होगा। कोई भी सरकारी कार्य आज टालना ही बेहतर रहेगा। लंबी यात्रा के प्रसंग बन सकते है इन्हें भी फिलहाल स्थगित करना ही बेहतर रहेगा। विरोधी कुछ समय के पिय प्रबल रहेंगे। संध्या बाद से स्तिथि में सुधार आने लगेगा तब तक धैर्य से काम लें।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आपका आज का दिन कुछ समय सामाजिक गतिविधियों में बीतेगा। आज आप अपनी वाणी एवं व्यवहार से लोगो का दिल जीत लेंगे चाहे इसके पीछे निजी स्वार्थ ही हो फिर भी मान-सम्मान में वृद्धि होगी। आज बनाये नए संपर्क भविष्य के लिए लाभदायी सिद्ध होंगे। मध्यान बाद व्यापार-व्यवसाय से आकस्मिक लाभ के योग है सतर्क रहें। आज सामाजिक एवं घरेलू खर्च भी अधिक रह सकता है। परिवार में वातावरण शांत रहेगा। गले से निचले भाग में व्याधि होने की संभावना है। आज किसी के ऊपर शंकालु प्रवृति कलह करा सकती है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन मध्यान तक आपके लिये अनुकूल रहेगा। व्यापार में कम परिश्रम से सफलता मिलने से कार्य के प्रति उत्साह बढ़ेगा लेकिन आर्थिक दृष्टिकोण से आज भी दिन कुछ न कुछ कमी अवश्य रखेगा। नौकरी पेशा जातको को भी परिश्रम का फल आर्थिक या पदोन्नति के रूप में मिल सकता है इसके लिए किसी की खुशामद भी करनी पड़ेगी। जोखिम वाले कार्यो में निवेश से अकस्मात लाभ हो सकता है। संध्या का समय परिजन अथवा किसी जानकार के साथ मतभेद होने पर अशान्त बनेगा। नसों में दुर्बलता अथवा पेट संबंधित समस्या से परेशानी हो सकती है
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन मध्यम फलदायी रहेगा। व्यापार अथवा नौकरी करने वाले जातक आज परिश्रम के बाद ही कार्य में सफलता पा सकेंगे। उच्चाधिकारी से किसी बात पर मतभेद रह सकता है आज इनसे बचकर रहने का प्रयास करें। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों का पूर्ण सहयोग मिलने से थोड़ी राहत अनुभव होगी। परिवार में पत्नी अथवा पुत्र के कारण कलह के योग बनेंगे। खर्च अधिक रहेगा। आज आर्थिक मामलों में ढील ना दें अन्यथा आगे परेशानी हो सकती है। गैस कब्ज के कारण परेशानी होने की संभावना है।
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🦚🌈 श्री भक्ति ग्रुप मंदिर 🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री गणेश जी🙏🌹🙏
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
☎️🪀 +91-7509730537 🪀☎️
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
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10 सितंबर को वामन जयंती, भगवान को दक्षिणावर्ती शंख से चढ़ाएं दूध
मंगलवार, 10 सितंबर को वामन जयंती है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर वामन प्रकोटत्सव मनाया जाता है। सतयुग में इस तिथि भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की या वामनदेव की मूर्ति की पूजा करें और दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक करें। इस दिन चावल, दही और मिश्री का दान करना चाहिए। भगवान वामन…
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जानिए कब है डोल ग्यारस, इस व्रत को करने से हर संकट का होता है अंत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, इसीलिए इसे 'परिवर्तनी एकादशी' भी कहा जाता है। इसके अलावा भी इसे 'पद्मा एकादशी', 'वामन एकदशी' और 'जलझूलनी एकादशी' के नाम से जाना जाता है। इस साल डोल ग्यारस 29 अगस्त 2020 को है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं डोल ग्यारस का महत्व और पूजा-विधि।
डोल ग्यारस का महत्व डोल ग्यारस के दिन व्रत करने से व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि कृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को 'डोल ग्यारस' के रूप में मनाया ज��ता है।
डोल ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे 'वामन ग्यारस' भी कहा जाता है। जो भी इस एकादशी में भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उसके हर संकट का अंत होता है।
डोल ग्यारस पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु और कृष्ण के बाल रूप की आराधना करें और उनकी मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाएं। पूजा में तुलसी और फलों का प्रयोग करें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अन्न का दान अवश्य करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत खोल लें। ये भी पढ़े... दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां भगवान गणेश ने क्यों लिया विकट अवतार, जानिए इसका रहस्य Read the full article
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जानिए कब है डोल ग्यारस, इस व्रत को करने से हर संकट का होता है अंत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, इसीलिए इसे 'परिवर्तनी एकादशी' भी कहा जाता है। इसके अलावा भी इसे 'पद्मा एकादशी', 'वामन एकदशी' और 'जलझूलनी एकादशी' के नाम से जाना जाता है। इस साल डोल ग्यारस 29 अगस्त 2020 को है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं डोल ग्यारस का महत्व और पूजा-विधि।
डोल ग्यारस का महत्व डोल ग्यारस के दिन व्रत करने से व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि कृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को 'डोल ग्यारस' के रूप में मनाया जाता है।
डोल ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे 'वामन ग्यारस' भी कहा जाता है। जो भी इस एकादशी में भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उसके हर संकट का अंत होता है।
डोल ग्यारस पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु और कृष्ण के बाल रूप की आराधना करें और उनकी मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाएं। पूजा में तुलसी और फलों का प्रयोग करें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अन्न का दान अवश्य करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत खोल लें। ये भी पढ़े... दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां भगवान गणेश ने क्यों लिया विकट अवतार, जानिए इसका रहस्य Read the full article
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