#वापस नहीं आया
Explore tagged Tumblr posts
sanewshimachal · 1 month ago
Text
!! जीवन का आनंद !! Story of The Week
बहुत समय पहले की बात है जब सिकंदर अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था वह अपनी शक्ति पर इतना गुमान करने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है।
देश-दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार सिकंदर ने उस जगह को खोज लिया जहां पर उसे अमृत प्राप्त हो सकता था वह एक पुरानी गुफा थी जहां पर कोई आता जाता नहीं था।
देखने में वह बहुत डरावनी लग रही थी लेकिन सिकंदर ने एक जोर से सांस ली और गुफा में प्रवेश कर गया वहां पर उसने देखा कि गुफा के अंदर एक अमृत का झरना बह रहा है।
उसने जल पीने के लिए हाथ ही बढ़ाया था कि एक कौवे की आवाज आई। कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था। कौवा जोर से बोला ठहर रुक जा यह भूल मत करना…
सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा। वह बड़ी ही दयनीय अवस्था में था, पंख झड़ गए थे, पंजे गिर गए थे, वह अंधा भी हो गया था बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था।
सिकंदर ने कहा तू कौन होता है मुझे रोकने वाला…?
मैं पूरी दुनिया को जीत सकता ह��ं तो यह अमृत पीने से मुझे तू कैसे रोकता है! तब कौवे ने आंखों से आंसू टपकाते हुए बोला कि मैं भी अमृत की तलाश में ही इस गुफा में आया था और मैंने जल्दबाजी में अमृत पी लिया। अब मैं कभी मर नहीं सकता, पर अब मैं मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता।
देख लो मेरी हालत। कौवे की बात सुनकर सिकंदर देर तक सोचता रहा सोचने के बाद फिर बिना अमृत पीए ही चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया।
सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता है जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।
शिक्षा :- जीवन में हमें हमेशा खुश रहना चाहिए। हमें कभी भी खुश रहने के लिए बड़ी सफलता या समय का इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय के साथ हम बूढ़े होते जाते हैं और फिर अपने जीवन का असली आनंद नहीं उठा पाते हैं।
Tumblr media
5 notes · View notes
rightnewshindi · 2 months ago
Text
लंदन में रहने वाली 24 साल की हर्षिता बरेला की लाश कार के बूट से बरामद, कहा था, पति मुझे मर डालेगा
Britain News: लंदन में रहने वाली 24 साल की भारतीय महिला हर्षिता बरेला की हत्या का मामला सामने आया है। उसकी लाश को 14 नवम्बर को एक कार के बूट से बरामद किया गया। हर्षिता की मां सुदेश कुमारी ने मीडिया से कहा कि उनकी बेटी ने कुछ हफ्ते पहले उन्हें बताया था कि उसका पति उसे मार डालेगा। हर्षिता ने अपनी मां से कहा था, “मैं उसके पास वापस नहीं जाऊंगी। वह मुझे मार डालेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि उसका पति यानी…
2 notes · View notes
ajitdas0987 · 8 months ago
Text
लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
🔹त्रेतायुग में नल तथा नील दोनों ही कबीर परमेश्वर के शिष्य थे। कबीर परमेश्वर ने नल नील को आशीर्वाद दिया था कि उनके हाथों से कोई भी वस्तु चाहें वह किसी भी धातू से बनी हो,जल में डूबेगी नहीं। परंतु अभिमान होने के कारण नल नील के आशीर्वाद को कबीर परमेश्वर ने वापस ले लिया था। तब कबीर परमेश्वर ने एक पहाड़ी के चारों और रेखा खींचकर उसके पत्थरों को हल्का कर दिया था। वही पत्थर समुद्र पर तैरे थे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
🔹कबीर साहेब जी ही त्रेतायुग में लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण जी को मुनीन्द्र रुप में मिले थे विभीषण जी ने उनसे तत्वज्ञान ग्रहण कर उपदेश प्राप्त किया और मुक्ति के अधिकारी हुए।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया।
धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।।
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।
🔹त्रेतायुग में कबीर परमात्मा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से प्रकट हुये थे। त्रेता युग में कबीर परमात्मा लंका में रहने वाले चंद्रविजय और उनकी पत्नी कर्मवती को भी मिले थे। और उस समय के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण को भी ज्ञान समझा कर अपनी शरण में लिया। यही कारण था कि रावण के राज्य में भी रहते हुए उन्होंने धर्म का पालन किया।
🔹कबीर परमात्मा जी द्वारा नल और नील के असाध्य रोग को ठीक करना
जब त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया तथा नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से ही पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ था। पांडवों के अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि महर्षि मंडलेश्वर उपस्थित थे। यहां तक की भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे। फिर भी उनका शंख नहीं बजा। कबीर परमेश्वर ने सुपच सुदर्शन वाल्मीकि के रुप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया था।
🔹परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से जब द्वापरयुग में प्रकट थे तब काशी में रह रहे थे। सुदर्शन नाम का एक युवक उनकी वाणी से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। एक दिन सुदर्शन ने करुणामय जी से पूछा कि आप जो ज्ञान देते हैं उसका कोई ऋषि-मुनि समर्थन नहीं करता है, तो कैसे विश्वास करें? उन्होंने सुदर्शन की आत्मा को सत्यलोक का दर्शन करवाया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। उसके माता-पिता रोते हुए परमेश्वर करूणामय के घर आए और उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
तीसरे दिन सुदर्शन होश में आया और कबीर जी को देखकर रोने लगा। उसने सबको बताया कि परमेश्वर करूणामय (कबीर साहेब जी) पूर्ण परमात्मा हैं और सृष्टि के रचनहार हैं।
🔹द्वापरयुग में एक राजा चन्द्रविजय था। उसकी पत्नी इन्द्रमति धार्मिक प्रवृत्ति की थी।
द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे।करूणामय साहेब ने रानी से कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म-मृत्यु के कष्ट से नहीं बचा सकती। आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु, न नकली साधना बचा सकेगी। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। सर्प बनकर काल ने रानी को डस लिया। करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हुए। दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया।
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
4 notes · View notes
casualflowerglitter · 2 years ago
Text
सूफी फकीर हसन जब मरा। उससे किसी ने पूछा कि तेरे गुरु कितने थे? उसने कहाः गिनाना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि इतने-इतने गुरु थे कि मैं तुम्हें कहां गिनाऊंगा! गांव-गांव मेेरे गुरु फैले हैं। जिससे मैंने सीखा, वही मेरा गुरु है। जहां मेरा सिर झुका, वहीं मेरा गुरु।’
फिर भी जिद्द की लोगों ने कि कुछ तो कहो, तो उसने कहा, ‘तुम मानते नहीं, इसलिए सुनो। पहला गुरु था मेरा--एक चोर।’ वे तो लोग बहुत चैंके, उन्होंने कहाः चोर? कहते क्या हो! होश में हो। मरते वक्त कहीं एैसा तो नहीं कि दिमाग गड़बड़ा गया है! चोर और गुरु?’
उसने कहाः हां, चोर और गुरु। मैं एक गांव में आधी रात पहंुचा। रास्ता भटक गया था। सब लोग सो गए थे, एक चोर ही जग रहा था। वह अपनी तैयारी कर रहा था जाने की। वह घर से निकल ही रहा था। मैंने उससे कहाः ‘भाई, अब मैं कहां जाऊं? रात आधी हो गई। दरवाजे सब बंद हैं। धर्मशालाएं भी बंद हो गईं। किसको जगाऊ नींद से? तू मुझे रात ठहरने देगा?’
उसने कहाः ‘स्वागत आपका।’ ‘लेकिन’, उसने कहाः ‘एक बात मैं जाहिर कर दंूः मैं चोर हूं। मैं आदमी अच्छे घर का नहीं हूं। तुम अजनबी मालूम पड़ते हो। इस गांव मंे कोई आदमी मेरे घर में नहीं आना चाहे��ा। मैं दूसरों के घर में जाता हूं, तो लोग नहीं घुसने देते। मेेरे घर तो कौन आएगा? मुझे भी रात अंधेरे में जब लोग सो जात हैं, तब उनके घरों में जाना पड़ता हैं। और मेरे घर के पास से लोग बच कर निकलते हैं। मैं जाहिर चोर हूं। इस गांव का जो नवाब है, वह भी मुझसे डरता और कंपता है। पुलिसवाले थक आते हैं। तुम अपने हाथ आ रहे हो! मैं तुम्हंे वचन नहीं देता। रात-बेरात लूट लूं! तो तुम जानो। ’
हसन ने कहा कि मैंने इतना सच्चा और ईमानदार आदमी कभी देखा ही नहीं था, जो खुद कहे कि मैं चोर हूं! और सावधान कर दे। यह तो साधु का लक्षण है। तो रुक गया। हसन ने कहा कि मैं रुकूंगा। तू मुझे लूट ही लेे, तो मुझे खुशी होगी।
सुबह-सुबह चोर वापस लौटा। हसन ने दरवाजा खोला। पूछाः ‘कुछ मिला?’ उसने कहाः ‘आज तो नहीं मिला, लेकिन फिर रात कोशिश करूंगा।’ ऐसा, हसन ने कहा, एक महीने तक मैं उसके घर रुका, और एक महीने तक उसे कभी कुछ न मिला।
वह रोज शाम जाता, उसी उत्साह उसी उमंग से--औैर रोज सुबह जब मैं पूछता--कुछ मिला भाई? तो वह कहता, अभी तो नहीं मिला। लेकिन क्या है, मिलेगा। आज नहीं तो कल नहीं तो परसों। कोशिश जारी रहनी चाहिए।
तो हसन ने कहा कि जब मैं परमात्मा की तलाश में गांव-गांव, जंगल-जंगल भटकता था और रोज हार जाता था, और रोज-रोज सोचता था कि है भी ईश्वर या नहीं, तब मुझे उस चोर की याद आती थी,कि वह चोर साधारण संपत्ति चुराने चला था; मैं परमात्मा को चुराने चला हूं। मैं परम संपत्ति का अधिकारी बनने चला हूं। उस चोर के मन में कभी निराशा न आई; मेरे भी निराशा का कोई कारण नहीं है। ऐसे मैं लगा ही रहा। इस चोर ने मुझे बचाया; नहीं तो मैं कई दफा भाग गया होता, छोड़ कर यह सब खोज। तो जिस दिन मुझे परमात्मा मिला, मैंने पहला धन्यवाद अपने उस चोर-गुरु को दिया।
तब तो लोग उत्सुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘कुछ और कहो; इसके पहले कि तुम विदा हो जाओ। यह तो बड़ी आश्चर्य की बात तुमने कही; बड़ी सार्थक भी।
उसने कहाः और एक दूसरे गांव में ऐसा हुआ; मैं गांव में प्रवेश किया। एक छोटा सा बच्चा, हाथ में दीया लिए जा रहा था किसी मजार पर चढ़ाने को। मैंने उससे पूछा कि ‘बेटे, दीया तूने ही जलाया? उसने कहा, ‘हां, मैंने ही जलाया।’ तो मैंने उससे कहा कि ‘मुझे यह बता, यह रोशनी कहां से आती है? तूने ही जलाया। तूने यह रोशनी आते देखी? यह कहां से आती हैं?’
मैं सिर्फ मजाक कर रहा था--हसन ने कहा। छोटा बच्चा, प्यारा बच्चा था; मैं उसे थोड़ी पहेली में डालना चाहता था। लेकिन ��सने बड़ी झंझट कर दी। उसने फूंक मार कर दीया बुझा दिया, और कह��� कि सुनो, तुमने देखा; ज्योति चली गई; कहां चली गई?
मुझे झुक कर उसके पै��� छूने पड़े। मैं सोचता था, वह बच्चा है, वह मेरा अहंकार था। मैं सोचता था, मैं उसे उलझा दंूगा, वह मेरा अहंकार था। उसने मुझे उलझा दिया। उसने मेरे सामने एक प्रश्न-चिह्न खड़ा कर दिया।
ऐसे हसन ने अपने गुरुओं की कहानियां कहीं।
तीसरा गुरु हसन ने कहा, एक कुत्ता था। मैं बैठा था एक नदी के किनारे--हसन ने कहा--और एक कुत्ता आया, प्यास से तड़फड़ाता। धूप घनी है, मरुस्थल है। नदी के किनारे तो आया, लेकिन जैसे उसने झांक कर देखा, उसे दूसरा कुत्ता दिखाई पड़ा पानी में, तो वह डर गया। तो वह पीछे हट गया। प्यास खींचे पानी की तरफ; भय खींचे पानी के विपरीत। जब भी जाए, नदी के पास, तो अपनी झलक दिखाई पड़े; घबड़ा जाए। पीछे लौट आए। मगर रुक भी न सके पीछे, क्योंकि प्यास तड़फा रही है। पसीना-पसीना हो रहा है। उसका कंठ दिखाई पड़ रहा है कि सूखा जा रहा है। और मैं बैठा देखता रहा। देखता रहा।
फिर उसने हिम्मत की और एक छलांग लगा दी--आंख बंद करके कूद ही गया पानी में। फिर दिल खोल कर पानी पीया, और दिल खोल कर नहाया। कूदते ही वह जो पानी में तस्वीर बनती थी, मिट गई।
*हसन ने कहा, ऐसी ही हालत मेरी रही। परमात्मा में झांक-झांक कर देखता था, डर-डर जाता था। अपना ही अहंकार वहां दिखाई पड़ता था, वही मुझे डरा देता था। लौट-लौट आता। लेकिन प्यास भी गहरी थी। उस कुत्ते की याद करता; उस कुत्ते की याद करता; सोचता। एक दिन छलांग मार दी; कूद ही गया; सब मिट गया। मैं भी मिट गया; अहंकार की छाया बनती थी, वह भी मिट गई; खूब दिल भर के पीया। कहै कबीर मैं पूरा पाया...।*
~PPG~
2 notes · View notes
youinwords · 1 year ago
Text
4th October 2023
मैं कल के लिए तैयार हूं ।
पर यह खत लिखते वक्त रात के १२ बज रहे है, इसीलिए मैं कहूंगा के मैं आज के लिए तैयार हूं ।
फिर वही रात है। फिर वही रात है ख़ाब की
रात भर ख़ाब में देखा करेंगे तुम्हे
लेकिन किसीने बताया नही के, कुछ रातें ऐसी भी होगी के उन्हें खाबों में तो देखोगे मगर अगले दिन, वो तुम्हे देखेंगे या नहीं - इसका कोई जवाब नहीं। आज की रात कुछ ऐसी ही है।
मुझे वो रात याद है जब मैं हमारी amusement park वाली trip से वापस आया था, जिस तरह मुझे पता था कि शायद अब तुम मुझसे बात नही करोगी। शायद आज की भी रात कुछ ऐसी ही है ...
और इस बार तुमने मुझे दूर रहने के लिए भी कहा है, मैं तुम्हारी बात मानूंगा। लेकिन मेरा दिल ये कैसे माने की कुछ दिन पहले जो इतने करीब थे, वहीं कुछ चंद दिनों में इस तरह पराएं भी हो जाए? और तुम्हारी आखों में मुझे मेरी दुनिया समा लेने की आदत लग गई है, अब सामने देख कर चलू तो कुछ खोया खोया सा मेहेसुस करूंगा।
अब कैसे तुम्हे बताऊं के रोज़ मेरे कानों को तुम्हार�� मुझे बुलाने का इंतज़ार रहता था (है?), अब कोई और मेरा नाम ले तो पलट कर देखने में कहां वो बात रहेगी।
.
कल, जब हम जाने - अनजाने में मिलेंगे, तब बात करो या ना, एक बार मेरी आखों में तुम्हारे लिए दबा हुआ प्यार ज़रूर देख लेना ।
1 note · View note
kaminimohan · 2 years ago
Text
Free tree speak काव्यस्यात्मा 1368.
मानसिक प्रवाह की आँच
- कामिनी मोहन। 
Tumblr media
वो प्रतिध्वनि जिसे पीछे छोड़ आए हैं,
उसे याद करने के सिवाय 
अनिश्��ितता में उलझने के सिवाय 
अब तक, कुछ और कर नहीं पाए हैं। 
अनुकूल है 
या वाक़ई प्रासंगिक प्रतिकूल 
अपनी नियत को देखते हैं।
पदार्थों को हाथ में लिए खड़े हैं
स्मृति के तार से आ रही 
आवाज़ को चुपचाप सुनते हैं। 
जहाँ शब्दों को शांत किया है
वहाँ से कोई एक शोर लेकर आया करती हैं
एक धागा है जिसे कस के बांधा है
उसें तोड़ जाया करती हैं। 
धागे के टूटने पर भी दो सिरे हैं
दोनों किनारों की अपनी रवानियाँ है। 
उनकी कभी न बदलने वाली 
एक दूसरे से जुड़ी हुई प्रेम कहानियाँ है। 
जादू है वापस जुड़ जाने की सोच में
इसीलिए प्रतिबिंबित है
रचनात्मक स्पष्टता के ठोस पत्थर है।
जो प्रागैतिहासिक काल की दीवार को थामे 
बीते हुए लम्हों को उत्कीर्ण करते खुरदुरे स्तर है। 
घर पर कहे सुने गए शब्दों की 
लिपियां उत्कीर्ण है
जो अपनी चंचलता छिपाते हैं।
सब एक जगह बैठकर 
अलग-अलग पैटर्न बनाते हैं। 
बोलने की चाह रखते हैं
उत्सुक होते हैं।
शायद आपस में ही 
गुज़रे दिनों की बाते करते हैं। 
मानसिक इको की कविता को
तरोताज़ा करते हैं।
स्वतःस्फूर्त होने की चाह में
मानसिक प्रवाह की आँच को
न्यौछावर करने की चेष्टा करते हैं। 
- © कामिनी मोहन पाण्डेय। 
3 notes · View notes
superharyananewss · 5 days ago
Text
Tumblr media
करनाल के युवा की कहानी जो करनाल के कैमला गांव का रहने वाला है, ये युवा 2019 में 32 लाख रुपए लगाकर डोंकी के माध्यम से usa गया था, लेकिन इस युवा का बॉन्ड नहीं भरा इसलिए इसे वापिस आना पड़ गया और उसके सभी पैसे बर्बाद हो गए । ये युवा 2020में वापिस आ गया था, अब ये युवा अपना कैफे चलाता है, ये युवा इस उम्मीद के साथ गया था कि पैसे कमा लेगा इसलिए कर्जा लेकर गया था
0 notes
ainnewsone · 6 days ago
Text
अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों का निर्वासन: अमृतसर में उतरा सैन्य विमान ,अमेरिका से भारत लौटे 205 प्रवासी?
Tumblr media
Indian Deportation from the US: Flight Lands in Amritsar with Undocumented Migrants अमेरिका से भारतीयों का निर्वासन: अमृतसर में उतरा विमान, जानिए पूरी जानकारी AIN NEWS 1: अमेरिकी सेना का एक विमान 205 भारतीय प्रवासियों को लेकर अमृतसर के गुरु रविदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। यह निर्वासन डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपत�� बनने के बाद पहला बड़ा मामला है। इन भारतीय नागरिकों को अवैध प्रवासी घोषित कर अमेरिका से वापस भेजा गया। भारतीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया पंजाब के प्रवासी मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अमेरिका के इस फैसले पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि कई भारतीय वर्क परमिट पर गए थे, लेकिन वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें अवैध प्रवासी मान लिया गया। धालीवाल ने भारत सरकार से इस मुद्दे को अमेरिकी प्रशासन के सामने उठाने की अपील की और कहा कि इन प्रवासियों को अमेरिका में स्थायी नागरिकता दी जानी चाहिए थी। पंजाब सरकार का समर्थन पंजाब सरकार ने कहा है कि वह इन लौटे प्रवासियों की पूरी मदद करेगी। राज्य के डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि पंजाब सरकार उनके पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार ��े संपर्क में है। कैसे हुआ निर्वासन? अमेरिका में अवैध प्रवासियों को आमतौर पर इमिग्रेशन विभाग के जरिए निर्वासित किया जाता है। लेकिन इस बार अमेरिकी सेना को इस काम में लगाया गया। अमेरिका ने पहले ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास के प्रवासियों को भी सैन्य विमानों से निर्वासित किया था। सैन्य निर्वासन में प्रति यात्री $4,700 (करीब 4 लाख रुपये) का खर्च आया था। निर्वासन से पहले अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर सेना के विशेष केंद्रों में इन्हें रखा गया था। ट्रंप प्रशासन की सख्ती और भारत की प्रतिक्रिया डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर इस मुद्दे पर चर्चा की थी। अमेरिका ने भारत से अवैध भारतीय प्रवासियों पर सख्त कदम उठाने की अपील की थी। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अवैध प्रवासन का समर्थन नहीं करता और यदि कोई भारतीय नागरिक अवैध रूप से अमेरिका में रह रहा है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत वापस लाने के लिए भारत तैयार है। क्या है आगे की योजना? निर्वासित भारतीयों को उनके गृहनगर भेजने की व्यवस्था की जा रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कुलदीप धालीवाल इस मुद्दे पर अगले हफ्ते बैठक कर सकते हैं। पंजाब सरकार ने अवैध रूप से विदेश जाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है। अमेरिका का यह सख्त कदम अवैध प्रवासन पर उसकी कठोर नीति को दर्शाता है। भारत सरकार ने संकेत दिया है कि वह अवैध रूप से विदेश जाने वाले भारतीयों की सुरक्षा और कानूनी स्थिति को सुधारने के लिए कड़े कदम उठाएगी। यह मुद्दा भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण विषय बन सकता है। https://youtube.com/shorts/Ur-Q5rVg6zY?si=UO7MPMaJ5p1_t8uQ A U.S. military aircraft carrying undocumented Indian immigrants has landed in Amritsar, marking the first major deportation under Donald Trump's second term. The deportation highlights America's strict immigration policies and its impact on Indian immigrants. Punjab government officials have assured assistance to the returnees, while India's External Affairs Minister S. Jaishankar emphasized that India does not support illegal migration. The issue of deported Indians from the US is expected to be a key topic in upcoming discussions between India and the United States.   Read the full article
0 notes
iammanhar · 11 days ago
Text
Day✍️1556
+91/CG10☛In Home☛31/01/25 (Fri)☛22:06
आज सुबह गाँव गया था ,एक जरूरी काम करने के बाद वापस लौट आया | उसके बाद ऑफिस गया था ,आज ऑफिस में महीना का आखिरी दिन बढ़िया रहा ,लेकिन जैसा इस महीना में काम को लेकर उम्मीद किया था वैसा रिजल्ट नहीं आया | अब समय चक्र अगले महीना में कल प्रवेश करने वाले है ....
इससे ज्यादा कुछ नहीं ...
gn
0 notes
vedantbhoomidigital · 1 month ago
Text
दिल्ली जा रहे एयर इंडिया के विमान के इंजन में खराबी के बाद आपातकालीन लैंडिंग कराई गई
हवाईअड्डे के सूत्रों ने बताया कि रविवार को दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की एक उड़ान का एक इंजन हवा में बंद हो जाने के बाद आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। सूत्रों के अनुसार, उड़ान संख्या 2820 ने रविवार शाम करीब 7 बजे बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ान भरी थी। सूत्रों ने बताया, ''यह बेंगलुरु के चारों ओर घूमने के एक घंटे बाद वापस लौट आया।'' यह परसों हुआ। हमारे पास तकनीकी विवरण नहीं…
0 notes
deepak-132 · 1 month ago
Text
#सतलोक_Vs_स्वर्ग
एक पापी एक पुण्यी आया एक है सूम दलेल रे। बिना भजन कोई काम ना आवे दोनों यम की जेल रे।।
स्वर्ग का अर्थ है मनुष्य शरीर में कमाए हुए पुण्यों को स्वर्ग में भोगकर नाश करना फिर 84 लाख योनियों में भटकना।
जबकि सत भक्ति करके सतलोक गमन के बाद मनुष्य फिर वापस यहाँ नहीं आता
Tumblr media
0 notes
rightnewshindi · 2 months ago
Text
शेख हसीना की वापस बांग्लादेश नहीं भेजेगा भारत, जानें क्यों टकराव तक हुआ मंजूर
Delhi News: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को सौंपे जाने की मांग की है। पूर्व पीएम इस समय भारत में हैं। 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद वह वायुसेना के हेलीकॉप्टर से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची थीं और तब से दिल्ली में ही कहीं हैं। पिछले हफ्ते ही बांग्लादेश की तरफ से शेख हसीना की वापसी की मांग को लेकर एक डिप्लोमैटिक नोट आया था, लेकिन भारत सरकार ने इस पर कोई…
0 notes
mohd-asif · 2 months ago
Text
आए तो यूँ कि जैसे हमेशा से मेहरबान
भूले तो यूँ कि गोया कभी आशना न थे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आए तो यूँ कि जैसे हमेशा से मेहरबान – इस लाइन में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ यह बयाँ कर रहे हैं कि जब कोई खास शख़्स उनकी ज़िंदगी में वापस आया, तो उसने ऐसा किया जैसे वह हमेशा से उनके साथ था, जैसे उनका आना एक सामान्य बात हो, और वह बिना किसी दूरी के, बिना किसी अजनबीपन के आए।
भूले तो यूँ कि गोया कभी आशना न थे – यहाँ फ़ैज़ यह कहते हैं कि जब उस शख़्स ने उन्हें भुलाया, तो ऐसा लगा जैसे वह कभी भी उनके करीबी नहीं थे। उसकी बेरुखी और बेपरवाही ऐसी थी कि जैसे कभी उनके बीच कोई रिश्ता या पहचान ही नहीं थी।
यह शेर उस स्थिति को दर्शाता है, जहाँ किसी इंसान को एक खास रिश्ते में बहुत गहरा लगाव होता है, लेकिन जब वह इंसान उसे छोड़ कर चला जाता है, तो वह न सिर्फ़ उसे भूलता है, बल्कि ऐसा व्यवहार करता है जैसे उन्होंने कभी एक-दूसरे को समझा ही नहीं था। जैसे एक बार कोई पुराना दोस्त किसी समय अच्छे संबंधों में था, लेकिन बाद में वह बिना किसी कारण के अजनबी की तरह बर्ताव करता है, तो यह शेर उस दर्द को पूरी तरह व्यक्त करता है।
0 notes
asr24news · 2 months ago
Text
सुल्तानपुर में लापता 11 वर्षीय उसामा का रहस्य सामने आया, हर कोई हतप्रभ
सुल्तानपुर, 28 नवंबर 2024। यूपी के सुल्तानपुर जिले रहस्यमयी तरीके से लापता हुए 11 वर्षीय मासूम उसामा की घटना का खुलासा हो गया है। घटना शहर के गांधीनगर मोहल्ले की है। यहां सोमवार 26 नवंबर की रात व्यापारी शकील अहमद का 11 वर्षीय बेटा मोहम्मद उसामा उर्फ साहिल रहस्मयी तरीके से लापता हो गया था। सोमवार रात करीब 8 बजे उसामा घर से बारात देखने निकला और फिर वापस नहीं लौटा। अगले दिन परिजनों को अलग-अलग…
0 notes
shayariana · 3 months ago
Text
Famous 30+ Dosti Shayari in Hindi | दोस्ती शायरी
Tumblr media
दोस्त हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा हो���े हैं, जो हमें ताकत, भरोसा, सम्मान और हिम्मत देते हैं। Famous 30+ Dosti Shayari in Hindi आपको याद दिलाएगी कि दोस्त आपके लिए कितने अहम हैं। अकेलेपन के पलों में या जब आपको सहारे की ज़रूरत होती है, तो सबसे पहले दिमाग में अक्सर आपके दोस्त आते हैं। यह गहरा रिश्ता सच्ची दोस्ती का दिल है - जहाँ एक दोस्त बिना किसी दूसरे विचार के, समय या असुविधा की परवाह किए बिना दूसरे की मदद करने के लिए आगे आता है। कभी-कभी दोस्ती बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसे कभी नहीं तोड़ना चाहिए। जब ​​दोस्त नाराज़ होते हैं, तब भी उनका गुस्सा हमेशा के लिए नहीं रहता क्योंकि वे अपने जीवन में आपकी अहमियत जानते हैं। खुलेपन का एक छोटा सा इशारा गलतफहमियों को दूर कर सकता है और आपके बीच के बंधन को मज़बूत कर सकता है। अगर आपका कोई दोस्त है जिसे आप बहुत प्यार करते हैं, तो हमारी Dosti Shayari उस प्यार और प्रशंसा को व्यक्त करने के लिए एकदम सही है। दोस्ती के अनमोल बंधन का जश्न मनाने और इस खूबसूरत रिश्ते की गर्मजोशी को व्यक्त करने के लिए इन शायरी का इस्तेमाल करें।
Sacchi Dosti Shayari in Hindi सच्ची दोस्ती पर शायरी
Tumblr media
दोस्ती में दोस्त दोस्त का खुदा होता है, मेहसूस तब होता है जब वो ���ुदा होता है..!!!
Tumblr media
कभी कभी शब्द नही होते तकलीफ बताने को, बस दिल करता है दोस्त, तू समझ ले, संभाल ले, गले से लगा ले.!!!
Tumblr media
तू परेशान मत हो दोस्त, मैं करता हु कुछ, ऐसे दोस्त का जिंदगी में होना बहुत जरूरी है..!!!
Tumblr media
पैसा जरूरतें पूरी कर सकता है, पर एक दोस्त की कमी नही..!!!
Tumblr media
फर्क सिर्फ सोचने का है दोस्त, वरना दोस्ती भी मोहब्ब्त से कम नहीं होती..!!!
Tumblr media
वक्त की यारी तो हर कोई करता है मेरे दोस्त, मजा तो तब है जब वक्त बदल जाए पर यार ना बदले..!!!
Tumblr media
तुम याद करोगे एक दिन, इस दोस्ती के ज़माने को, हम चले जायेंगे एक दिन कभी ना वापस आने को.!!!
Tumblr media
दावे दोस्ती के मुझे आते ही नही यारो, एक जान है जब दिल चाहे मांग लेना..!!!
Tumblr media
दोस्तो की दोस्ती में कभी कोई रूल नही होता, और ये सिखाने के लिए कोई स्कूल नही होता..!!!
Best 2 line Dosti Shayari in Hindi
Tumblr media
लोग पूछते है इतने गम में भी खुश क्यों हो, मैने कहा दुनिया साथ दे ना दे, मेरा दोस्त तो साथ है..!!!
Tumblr media
जिंदगी के उदास लम्हों में, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं..!!!
Tumblr media
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है, जब तू कबूल है, तो तेरा सब कुछ कबूल है..!!!
Tumblr media
गीले शिकवे सभी दिल से निकाले रखिए, दोस्ती कीमती होती है संभाले रखिए..!!!
Tumblr media
इस शहर में हस्ती हमारी आम ना होगी, मर जायेंगे यारी मगर बदना ना होगी…!!!
Tumblr media
ये बात और है कोई भी दावा नही करते, हम उनसे दोस्ती करते है दिखावा नहीं करते..!!!
Tumblr media
वो जिदंगी को खूबसूरत बना जाते है, जो दोस्त बाहर रहकर सालो बाद घर आते है..!!!
Tumblr media
प्यार मोहब्बत तो हम भी करते है, लेकिन अपने जिगरी यार से..!!!
Tumblr media
नाम छोटा है मगर दिल बड़ा रखता हु, पैसे से इतना अमीर नही, मगर अपने यारो के गम खरीदने की औकात रखता हु..!!!
Love Dosti Shayari प्यार पर दोस्ती शायरी
Tumblr media
आधी रात को उठकर तेरा ख्याल आया दोस्त, अभी तो आधी रात और कटनी है मुझे..!!!
Tumblr media
जो खुश नही है हमसे, उन्हे दूर जाने का पूरा हक है..!!!
Tumblr media
मुझे पढ़ने वाले कही मेरी राह ही ना चुन ले दोस्त, आखिरी पन्ने पर लिख देना, हम इश्क हार गए थे..!!!
Tumblr media
वो को ऊपर बैठकर मेरी कहानी लिख रहा है ना, उससे कहो बस खतम कर दे अब.!!!
Tumblr media
अंदाज़ हमे भी आते है नजर अंदाज करने के दोस्त, मगर तू भी तकलीफ से गुजरे हमे मंजूर नहीं..!!!
Tumblr media
तेरी याद ऐसी है मेरे दोस्त, मैं भीड़ में भी अकेला महसूस करता हु..!!!
Tumblr media
अगर मुझे कोई दुनिया में सबसे अजीज है, बस वही दोस्त है जो मेरे दिल के करीब है..!!!
Tumblr media
ऐसा लगता है सिर्फ नाम के है, ये इश्क मोहब्बत किस काम के है, किसी दिलबर की जरूरत ही नही, मेरे सब दोस्त मेरे काम के है..!!! Read Also Read the full article
0 notes
mangesh1982 · 3 months ago
Text
#GodKabir_In_Treta_DwaparYug
#TrueKnowledge_By_SantRampalJi
#सच्चा_इतिहास_परमात्मा_का
#history #historyfacts #leela #fbreelsviral #fbreelsvideo #fbreels #reelsfbシ
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod #kabir #god #incarnation #Moksha #meeting #witness #SupremeGodKabir #supreme
🔹क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी को त्रेतायुग में मुनीन्द्र ऋषि रूप में परमात्मा मिले थे, जिन्होंने हनुमान जी को अपना अमरलोक दिखाया था और सतभक्ति प्रदान की थी।
🔹लंका फतह करने में बाधा बन रहे समुद्र के आगे असहाय हुए दशरथ पुत्र राम से भिन्न वह आदिराम/आदिपुरुष परमात्मा कौन है, जो त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में उपस्थित थे एवं जिनकी कृपा से नल नील के हाथों समुद्र पर रखे गए पत्थर तैर पाए थे।
इस आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 7:30 बजे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब मुनींद्र ऋषि नाम से आये। तब रावण की पत्नी मंदोदरी, विभीषण, हनुमान जी, नल - निल, चंद्र विजय और उसके पूरे परिवार को कबीर परमात्मा ने शरण में लिया जिससे उन पुण्यात्माओं का कल्याण हुआ।
🔹कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
🔹त्रेतायुग में नल तथा नील दोनों ही कबीर परमेश्वर के शिष्य थे। कबीर परमेश्वर ने नल नील को आशीर्वाद दिया था कि उनके हाथों से कोई भी वस्तु चाहें वह किसी भी धातू से बनी हो,जल में डूबेगी नहीं। परंतु अभिमान होने के कारण नल नील के आशीर्वाद को कबीर परमेश्वर ने वापस ले लिया था। तब कबीर परमेश्वर ने एक पहाड़ी के चारों और रेखा खींचकर उसके पत्थरों को हल्का कर दिया था। वही पत्थर समुद्र पर तैरे थे।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब ने मुनींद्र ऋषि रूप में एक पहाड़ी के आस-पास रेखा खींचकर सभी पत्थर हल्के कर दिये थे। फिर बाद में उन पत्थरों को तराशकर समुद्र पर रामसेतु पुल का निर्माण किया गया था।
इस पर धर्मदास जी ने कहा हैं :-
"रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।"
🔹कबीर साहेब जी ही त्रेतायुग में लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण जी को मुनीन्द्र रुप में मिले थे विभीषण जी ने उनसे तत्वज्ञान ग्रहण कर उपदेश प्राप्त किया और मुक्ति के अधिकारी हुए।
🔹त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया।
धन-धन सतगुरू सत कबीर भक्त की पीर मिटाने वाले।।
रहे नल-नील यत्न कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।।
🔹त्रेतायुग में कबीर परमात्मा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से प्रकट हुये थे। त्रेता युग में कबीर परमात्मा लंका में रहने वाले चंद्रविजय और उनकी पत्नी कर्मवती को भी मिले थे। और उस समय के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण को भी ज्ञान समझा कर अपनी शरण में लिया। यही कारण था कि रावण के राज्य में भी रहते हुए उन्होंने धर्म का पालन किया।
🔹कबीर परमात्मा जी द्वारा नल और नील के असाध्य रोग को ठीक करना
जब त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया तथा नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
🔹द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से ही पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ था। पांडवों के अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि महर्षि मंडलेश्वर उपस्थित थे। यहां तक की भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे। फिर भी उनका शंख नहीं बजा। कबीर परमेश्वर ने सुपच सुदर्शन वाल्मीकि के रुप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया था।
🔹परमेश्वर कबीर जी करुणामय नाम से जब द्वापरयुग में प्रकट थे तब काशी में रह रहे थे। सुदर्शन नाम का एक युवक उनकी वाणी से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया। एक दिन सुदर्शन ने करुणामय जी से पूछा कि आप जो ज्ञान देते हैं उसका कोई ऋषि-मुनि समर्थन नहीं करता है, तो कैसे विश्वास करें? उन्होंने सुदर्शन की आत्मा को सत्यलोक का दर्शन करवाया। सुदर्शन का पंच भौतिक शरीर अचेत हो गया। उसके माता-पिता रोते हुए परमेश्वर करूणामय के घर आए और उन पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
तीसरे दिन सुदर्शन होश में आया और कबीर जी को देखकर रोने लगा। उसने सबको बताया कि परमेश्वर करूणामय (कबीर साहेब जी) पूर्ण परमात्मा हैं और सृष्टि के रचनहार हैं।
🔹द्वापरयुग में एक राजा चन्द्रविजय था। उसकी पत्नी इन्द्रमति धार्मिक प्रवृत्ति की थी।
द्वापर युग में परमेश्वर कबीर करूणामय नाम से आये थे।करूणामय साहेब ने रानी से कहा कि जो साधना तेरे गुरुदेव ने दी है तेरे को जन्म-मृत्यु के कष्ट से नहीं बचा सकती। आज से तीसरे दिन तेरी मृत्यु हो जाएगी। न तेरा गुरु, न नकली साधना बचा सकेगी। अगर तू मेरे से उपदेश लेगी, पिछली पूजाएँ त्यागेगी, तब तेरी जान बचेगी। सर्प बनकर काल ने रानी को डस लिया। करूणामय (कबीर) साहेब वहाँ प्रकट हुए। दिखाने के लिए मंत्र बोला और (वे तो बिना मंत्र भी जीवित कर सकते हैं) इन्द्रमती को जीवित कर दिया।
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
0 notes