#वह शरीर भी आपके साथ नहीं ज
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#भगवान न भूलोस्व तनु सम प्रिय और न आना। सो भी संग न चलत निदाना।।अपने शरीर के समान अन्य कुछ वस्तु प#वह शरीर भी आपके साथ नहीं ज
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Kam Kashariya India
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एक भी पुरुष ऐसा नहीं है जो अपने शयनकक्ष में खराब सेक्स करना चाहता है लेकिन चीजें उसके अनुसार नहीं चल रही हैं। वहाँ बहुत से लोग बहुत खराब ��ौन रोगों से पीड़ित हैं जैसे शीघ्रपतन, स्तंभन दोष, छोटा लिंग, कम कामेच्छा और सहनशक्ति। ये मुद्दे पूरी दुनिया में लगभग 60% पुरुषों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर रहे हैं। इसलिए, अगर आप भी उनमें से एक हैं जो ऊपर सूचीबद्ध इन समस्याओं से पीड़ित हैं तो चिंता न करें क्योंकि हम यहां मदद करने के लिए हैं। हम यहां Kam Kashariya नामक सभी यौन समस्याओं के अद्भुत समाधान के साथ हैं।
वास्तव में Kam Kashariya क्या है?
Kam Kashariya गोलियाँ एक पुरुष वृद्धि की गोली है जो विभिन्न दृष्टिकोणों से यौन क्षमता में सुधार करने का वादा करती है, उदाहरण के लिए निर्माता द्वारा निर्देशित आत्मविश्वास, सहनशक्ति और हार्मोनल संतुलन का समर्थन करना। पूरक उन पुरुषों के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है जो उम्र में आगे बढ़ चुके हैं और अपने यौन जीवन पर परिपक्वता के प्रभाव का पता लगाना शुरू कर दिया है। उम्र के साथ सेक्स हार्मोन कम होने लगते हैं। यह समीकरण जो करता है वह टेस्टोस्टेरोन के निर्माण को बनाए रखता है, एक महत्वपूर्ण या सिंथेटिक पुरुष हार्मोन जो यौन कल्याण को नियंत्रित करता है। यह दो साथियों के लिए खुशी पैदा कर सकता है और साथ ही किसी व्यक्ति की यौन इच्छा में सुधार कर सकता है।
Kam Kashariya कैप्सूल पुरुष वृद्धि एक आहार उत्पाद है जो दृढ़ फिक्सिंग के साथ निर्मित होता है। यह पूरक गोली के रूप में आता है, जिससे इसे लेना और ले जाना आसान हो जाता है। यह एफडीए द्वारा बीमाकृत प्रयोगशाला में निर्मित किया गया है और 100% रिटर्न गारंटी के साथ आता है। यह उत्पाद आपको वे लाभ देता है जो आप कुछ साल पहले सपने में देख सकते थे। यह आपको अधिक यौन शक्ति, आनंद और आत्मविश्वास का अनुभव कराता है ताकि आप अपनी जरूरत की किसी भी महिला को आकर्षित कर सकें।
Kam Kashariya कैसे काम करता है?
वांछित परिणाम प्राप्त करने में आपकी सहायता के लिए सूत्र दो मुख्य तरीकों में काम करता है। बल्ले से ही, यह नाइट्रिक ऑक्साइड और टेस्टोस्टेरोन के निर्माण की मदद से रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। बेहतर और तेज रक्त प्रवाह शरीर द्वारा स्पष्ट रूप से कई स्थिरीकरणों के बेहतर प्रतिधारण का कारण बनता है। यह आपके लिंग के कक्षों को आपको कठिन और स्थायी इरेक्शन देने के लिए महत्वपूर्ण रूप से प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, एक तेज़ प्रतिधारण रणनीति का पालन करें ताकि जब आप इसे लेना शुरू करें तो यह काम करना शुरू कर दे। न केवल ऊर्जावान परिणाम, Kam Kashariya कीमत कामेच्छा बढ़ाने वाला फॉर्मूला समर्थित परिणाम देता है ताकि आप किसी भी घटना में अद्भुत, जोरदार और खुश महसूस करते रहें जब आप माप से राहत का आनंद लेते हैं। उत्पाद का उद्देश्य आपको अपने जीवन का सबसे अच्छा सेक्स करने में मदद करना है और यह हर उस व्यक्ति के लिए एक अद्भुत समीकरण है जिसने किसी भी प्रकार की यौन चिकित्सा समस्या के परिणामस्वरूप कम स���रक्षित और अपमानित महसूस किया है।
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Kam Kashariya से यौन लाभ :
• इस उत्पाद की मदद से कामेच्छा और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सहजता से बढ़ाया जाएगा। कोई भी व्यक्ति बिना अधिक प्रयास के करिश्मे को उठा सकता है जिससे उसके आकर्षण में वृद्धि होगी।• कोई भी व्यक्ति बिना अधिक प्रयास के लंबे समय तक बिस्तर पर रहने के लिए तैयार हो सकता है। यह वृद्धि व्यक्ति को साथी को बिस्तर में डूबने की अनुमति देगी।• व्यक्ति के लिंग का आकार बड़ा और बेहतर होगा। यह पूरक लिंग के आकार को लंबाई और परिधि दोनों में बढ़ाकर आपकी मदद करता है।• पुरुष व्यक्ति की निश्चितता अधिक आश्वस्त करने वाली होगी। निश्चित रूप से एक व्यक्ति इस निश्चय को बढ़ाने के लिए तैयार हो सकता है कि वह युवती को आसानी से संतुष्ट करके इसे बाहर लाएगा।• पुरुष व्यक्ति का इरेक्शन समय लंबा और अधिक चालाक होगा। एक व्यक्ति 5 घंटे तक इरेक्शन बनाए रख सकता है। व्यक्ति के लिए यौन जीवन में दृढ़ विश्वास रखने के लिए यह समय पर्याप्त है।• व्यक्ति के शरीर के स्वर में कोई और यौन समस्या नहीं होगी। कोई भी बिना ज्यादा मेहनत किए सभी यौन समस्याओं को कम कर सकता है। समय से पहले डिस्चार्ज होने पर भी इरेक्टाइल ब्रेकडाउन जैसी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
क्या कोई साइड इफेक्ट और सावधा��ियां हैं?
चूंकि सभी सामग्रियां प्राकृतिक और हर्बल हैं इसलिए इस उत्पाद का उपयोग करने का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। साइड इफेक्ट की चिंता किए बिना कोई भी इसका इस्तेमाल कर सकता है। कुछ सावधानियां हैं जिन्हें आपको जानना आवश्यक है।
किसी भी स्थिति में सुझाई गई मात्रा से अधिक का सेवन न करें।
यह पूरक वयस्कों के लिए प्रयोग करने योग्य है। 18 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति इस पूरक का उपयोग नहीं कर सकता है।
ठंडी और सूखी जगह पर और बच्चों से दूर रखें।
यह पूरक केवल पुरुषों के लिए प्रयोग करने योग्य है। इसलिए, महिलाएं इस पूरक का उपयोग नहीं कर सकती हैं।
मुझे Kam Kashariya का सेवन कैसे करना चाहिए?
Kam Kashariya समीक्षा का उपयोग करना असाधारण रूप से सरल है। एक महीने के पैक में 60 कंटेनर होते हैं जो आपको हर दिन लेने होते हैं। दिन के पहले भाग में लगातार दो बार अच्छे नाश्ते के साथ लें। कोशिश करें कि गोलियां खाली पेट न लें और यदि आप अब कोई पेशेवर रूप से निर्धारित दवा ले रहे हैं, तो हम आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करने के बाद इसे लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सुझाए गए मापों को कभी भी पार न करें।
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Kam Kashariya कहां से खरीदें?
आप इस पेज पर सिर्फ बैनर या लिंक पर क्लिक करके अपना ऑर्डर दे सकते हैं। लिंक आपको उत्पाद की आधिकारिक वेबसाइट पर ले जाएगा जहां आप अपनी जेब के लिए उपयुक्त सर्वोत्तम अनन्य ऑफ़र पा सकते हैं। हम अपने उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी और कॉपी किए गए उत्पाद से बचने के लिए आधिकारिक वेबसाइट से सभी ऑनलाइन उत्पादों को खरीदने की सलाह देते हैं। अगर आप अपनी मर्दानगी बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इस उत्पाद को अपनाना चाहिए। आपूर्ति बिक जाने से पहले अभी अपना ऑर्डर जल्दी करें। उस स्थिति में, यदि आपूर्ति बिक जाती है तो हम आपको इस उत्पाद का सबसे अच्छा विकल्प प्रदान करेंगे जिसमें समान सामग्री शामिल है। इसलिए, इसे खरीदें और कोशिश करें Kam Kashariya लागत।
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गुग्गुल कई बीमारियों में है फायदे मंद
गुग्गुल का गोंद शरीर के लिए बेहद फायदे मंद है, आप लोगों ने अपने दादी—बाबा से ये नाम जरूर सुना ही होगा, यह गुग्गुल कई रोगों को दूर करने में लाभकारी होता है,
वैसे तो ये एक वृक्ष होता है इससे निकलने वाले लार जैसे पदार्थ को भी ‘गुग्गल’ कहते हैं, इसकी महक मीठी होती है और आग में डालने पर वह स्थान सुंगध से भर जाता है। इसका स्वाद कड़वा और कसैला होता है और इसकी प्रवृत्ति गर्म होती है।
गुग्गुल कफ, वात, कृमि और अर्श नाशक होता है। इसके अलावा इसमें सूजन और जलन को कम करने के गुण भी होते हैं।
हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करें हड्डियों में किसी भी प्रकार की परेशानी में गुग्गुल बहुत उपयोगी होता है। हड्डियों में सूजन, चोट के बाद होने वाले दर्द और टूटी हड्डियों को जोड़ने एवं रक्त के जमाव को दूर करने में बहुत लाभकारी होती है।
गर्भाशय में करें इसका गुड़ के साथ सेवन गर्भाशय से जुड़ें रोगों के लिए गुग्गुल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए गुग्गुल को सुबह-शाम गुड़ के साथ सेवन करने से कई प्रकार के गर्भाशय के रोग ठीक हो जाते हैं। अगर रोग बहुत जटिल है तो 4 से 6 घंटे के अन्तर पर इसका सेवन करते रहना चाहिए।
दर्द और सूजन से राहत दें गुग्गुल में मौजूद इन्फ्लमेशन गुण दर्द और सूजन में राहत देने में मदद करता है। इसके अलावा यह शरीर के तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने में भी बहुत मदद करता है।
त्वचा की समस्याओं में फायदेमंद गुग्गुल खून की खराबी के कारण शरीर में होने वाले फोड़े, फुंसी व चकत्ते आदि के कारण गुग्गुल बहुत लाभकारी होता है। क्योंकि इसके सेवन से खून साफ होता है। त्वचा संबंधी समस्या होने पर इसके चूर्ण को सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें।
कब्ज की शिकायत दूर करें अगर आपको कब्ज की शिकायत रहती हैं तो आपके लिए गुग्गुल का चूर्ण फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए लगभग 5 ग्राम गुग्गुल में सामान मात्रा में त्रिफला चूर्ण को मिलाकर रात में हल्का गर्म पानी के साथ सेवन करने से लम्बे समय से बनी हुई कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है तथा शरीर में होने वाले सूजन भी दूर हो जाते हैं
मुंह स्वास्थ्य के लिए ��ेहद उपयोगी मुंह से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में गुग्गुल का सेवन करना अच्छा रहता है। गुग्गुल को मुंह में रखने से या गर्म पानी में घोलकर दिन में 3 से 4 बार इससे कुल्ला व गरारे करने से मुंह के अन्दर के घाव, छाले व जलन ठीक हो जाते
गंजापन दूर करें आधुनिक जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण आजकल बढ़ी उम्र के लोग हीं नहीं बल्कि युवा भी गंजेपन का शिकार हो रहे हैं। अगर आपकी भी यहीं समस्या हैं तो आप गुग्गुल को सिरके में मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सिर पर गंजेपन वाले स्थान पर लगाएं इससे आपको लाभ मिलेगा।
अम्लपित्त से छुटकारा आमतौर पर उल्टा-सीधा या अधिक मिर्च मसाले युक्त आहार लेने से अम्लपित्त यानि खट्टी डकारों की समस्या हो जाती है। इस समस्या से बचने के लिए आप गुग्गुल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए 1 चम्मच गुग्गुल का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर रख दें। लगभग एक घंटे के बाद छान लें। भोजन के बाद दोनों समय इस मिश्रण का सेवन करने से अम्लपित्त की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर को कम करें रक्तचाप के स्तर को कम और सामान्य स्तर पर बनाए रखने में गुग्गुल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा गुग्गुल दिल को मजबूत रखता है और दिल के टॉनिक के रूप में जाना जाता है
मोटापे का विरोधी एजेंट गुग्गुल का इस्तेमाल शरीर में फैट को कम करने के लिए किया जाता है। सदियों से यह एक मोटापा विरोधी एजेंट के रूप में काम करता है। अगर आप मोटापे की समस्या से परेशान है तो शुद्ध गुग्गुलु की 1 से 2 ग्राम को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। गुग्गुल शुद्ध करने के लिए इसे त्रिफला के काढ़े और दूध में पका लें।
हिचकी यदि कोई हिचकी से परेशान है तो उसके लिए गुग्गूल बहुत लाभकारी होता है | हिचकी आने पार गूगल को जल में घिसकर बनाया लेप नाभि पर लगायें, आराम होगा |
गंजापन दूर करने के लिए गुग्गूल गुग्गूलको गंजापन दूर करने के लिए भी जाना जाता है | कई बार इसके सफल पयोग भी हो चुके हैं | गंजापन दूर करने लिए गूगल को सिरके में घोटकर गंज पर सुबह-शाम नियमित रूप से लगाएं | 2-3 महीने में बाल आने शुरू हो जायेंगे |
गठिया रोग को दूर करे गुग्गुल गठिया के लक्षणों को कम करने में हमारी मदद कर सकता है। गुग्गुल में अन्य औषधीय जड़ी बूटीयों को मिला कर गठिया का उपचार किया जाता है। इसमें अन्य सामग्री जैसे कि थिरिकादुगम, त्रिफला पाउडर, अमलाकी, जीरा आदि को मिला कर उपयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से गठिया के दर्द, और सूजन (इनफ्लमेशन) का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह जोड़ों को मजबूत करने में मदद करता है और उन लोगों की भी मदद करता है जिनके जोड़ सख्त (स्टिफ जायंट्स) होते हैं। लेंकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकता है इस��िए इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।
गुग्गुल के उपयोग फ्रैक्चर के लिए जोड़ों के दर्द और फ्रैक्चर का उपचार करने के लिए गुग्गुल बहुत ही उपयोगी होता है। इनके उपचार के लिए गुग्गुल में अन्य आयुर्वेदिक उत्पादों को मिलाया जाता है जैसे कि अश्वगंधा । गुग्गुल और अश्वगंधा के मिश्रण का उपयोग करने से यह हड्डीयों के घनत्व को बढ़ाता है। ओस्टियोपोरोसिस से पीडित व्यक्तियों द्वारा इसका सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस दवा को चिकित्सक के मार्गदर्शन के अनुसार ही लेना चाहिए। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आपके पेट में जलन हो सकती है
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कहानी- जहां न पहुंचे रवि... (Short Story- Jahan N Pahunache Ravi…)
मैं स्तब्ध खड़ी रह गई थी. मेरा बुद्धिजीवी तार्किक मस्तिष्क संज्ञाशून्य हो गया था. तकनीक और विज्ञान हमें चांद-सूरज पर पहुंचा सकता है, पर किसी के दिल तक पहुंचने के लिए तो एक संवेदनशील दिल ही चाहिए.
बेटे पिंटू को फिज़ियोथेरेपी के लिए ले जाते हुए यह मेरा छठा दिन था. खेलते व़क्त गिर जाने के कारण उसके घुटने की सर्जरी हुई थी और अब फिर से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए उसे लगभग दो महीने की फिज़ियोथेरेपी की आवश्यकता थी. फिज़ियोथेरेपी सेंटर लगभग पूरे दिन ही खुला रहता था, इसलिए मैं अपनी सुविधानुसार सुबह, दोपहर, शाम- कभी भी उसे लेकर वहां पहुंच जाती थी. कभी नए चेहरे नज़र आते, तो कभी रोज़वाले ही परिचित चेहरे. कुछ स्वयं चलकर आने वाले होते, कुछ को छोड़ने और लेने आनेवाले होते थे, तो कुछ मेरे जैसे भी थे, जो आरंभ से अंत तक पेशेंट के साथ ही बने रहते थे. मैं और पिंटू जल्द ही वहां के माहौल में अभ्यस्त होने लगे थे.
लगभग हर उम्र, धर्म और आर्थिक स्तर के स्त्री-पुरुष वहां आते थे. मैंने गौर किया अधिकांश पुरुष और कुछ महिलाएं तो आते ही अपने-अपने मोबाइल पर व्यस्त हो जाते. वाट्सऐप, फेसबुक, वीडियो गेम या फिर गाने सुनने में थेरेपी के उनके डेढ़-दो घंटे ऐसे ही निकल जाते. मैंने सोच लिया, अब से मैं भी सारे मैसेजेस वहीं देखा और भेजा करूंगी.
उस दिन यही सोचकर मैंने पर्स से मोबाइल निकालने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि पास के बेड पर लेटे एक बुज़ुर्ग सज्जन के सवाल ने मुझे चौंका दिया.
“एक्सीडेंट हुआ था क्या?”
“ज...जी. खेलते व़क्त घुटने का लिगामेंट रप्चर हो गया था. सर्जरी हुई है.” न चाहते हुए भी मेरे चेहरे पर 9 वर्षीय पिंटू के लिए चिंता की लकीरें उभर आई थीं.
“अरे, चिंता मत करो. जिस तरह अच्छा व़क्त जल्दी गुज़र जाता है, उसी तरह बुरा व़क्त भी ज़्यादा दिन नहीं ठहरता. जल्दी ठीक हो जाएगा. इस उम्र में रिकवरी जल्दी होती है. समस्या तो हम जैसों के साथ है.”
“आपको क्या प्रॉब्लम है?”
“फ्रोज़न शोल्डर्स! वैसे तो बुढ़ापा अपने आप में ही एक बीमारी है और उसमें भी कुछ समस्या हो जाए, तो लंबा खिंच जाता है. यहां आ जाता हूं, फिज़ियोथेरेपिस्ट की निगरानी में कुछ व्यायाम कर लेता हूं, मशीन से थोड़ी सिंकाई करवा लेता हूं, तो आराम मिल जाता है.”
“सही है. लोगों से मिलकर, बात करके थोड़ा मन भी बहल जाता होगा.” मैंने उनके समर्थन में सुर मिलाया.
“हां, पर आजकल लोगों के पास मिलने-बतियाने का व़क्त कहां है? देखो, सब के सब अपने-अपने मोबाइल पर व्यस्त हैं. मीलों दूर बैठे व्यक्ति को मैसेज पर मैसेज, फोटोज़ भेजते रहेंगे, पर मजाल है बगल में दर्द से कराहते व्यक्ति की ज़रा-सी सुध ले लें.”
इस बार मैं उनकी हां में हां नहीं मिला सकी. मेरे बुद्धिजीवी मस्तिष्क ने अपना तर्क रख ही दिया. “दर्द से ध्यान हटाने के लिए ही तो हर कोई अपने को मोबाइल में व्यस्त किए हुए है.”
“मतलब?”
“अब देखिए न अंकल, थेरेपी में थोड़ा-बहुत दर्द तो होता ही है. ध्यान गानों में, संदेश भेजने-पढ़ने में, फोटोज़ देखने में लगा रहेगा तो दर्द की अनुभूति कम होगी. मैंने इसीलिए तो पिंटू को हेडफोन लगा दिया है. ख़ुद मैं भी अपना मोबाइल ही चेक करने जा रही थी...”
“कि मैंने तुम्हें बातों में लगाकर तुम्हारा टाइम ख़राब कर दिया.” अंकल ने मेरी बात झटके से समाप्त करते हुए दूसरी ओर मुंह फेर लिया. शायद मैंने उन्हें नाराज़ कर दिया था.
“आह!” उनके मुंह से कराह निकली.
“देखिए, आपका ध्यान दर्द पर गया और दर्द महसूस होने लगा. इतनी देर मुझसे बातें करते हुए आपको दर्द का एहसास ही नहीं हो रहा था. बात स़िर्फ ख़ुद को व्यस्त रखकर दर्द से ध्यान बंटाने की है. देखिए, आपसे बातों-बातों में पिंटू की एक्सरसाइज़ पूरी भी हो गई. न उसे कुछ पता चला, न मुझे, वरना वो यदि दर्द से परेशान होता रहता, तो उसे तड़पता देख मैं दुखी होती रहती.”
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केयरटेकर ने आकर अंकल की मशीन हटाई, तो उनके मुंह से निकल गया, “अरे, हो भी गई. आज तो पता ही नहीं चला.”
केयरटेकर सहित मेरे चेहरे पर भी मुस्कान दौड़ गई. अंकल झेंप गए.
“टेक्नोलॉजी इतनी बुरी भी नहीं है अंकल! हां, अति सर्वत्र वर्जयेत्.”
प्रत्युत्तर में अंकल मुस्कुरा दिए, तो मैं फूलकर कुप्पा हो गई. घर लौटकर मैंने यह बात अपने पति को बताई, तो वे भी मुस्कुराए बिना न रह सके.
“मतलब, वहां भी तुमने अपनी समझदारी का सिक्का जमाना आरंभ कर दिया है. सॉरी नीतू, घर के कामों के साथ-साथ पिंटू को लाने-ले जाने की ज़िम्मेदारी भी तुम्हें संभालनी पड़ रही है. क्या करूं? आजकल ऑफिस में वर्कलोड ज़्यादा होने से लगभग रोज़ ही लौटने में देरी हो जाती है. देखो, शायद अगले महीने थोड़ा फ्री हो जाऊं, तो फिर पिंटू को लाने-ले जाने की ज़िम्मेदारी मैं संभाल लूंगा.”
“अरे नहीं, मुझे कोई परेशानी नहीं है, बल्कि कुछ नया देखने-समझने को मिल रहा है.” मैंने उन्हें अपराधबोध से उबारना चाहा.
“ओहो! तो लेखिका महोदया को यहां भी कहानी का कोई प्लॉट मिल गया लगता है.”
पति ने चुटकी ली, तो मैं मन ही मन इनकी समझ की दाद दिए बिना न रह सकी. वाकई इस एंगल से तो मैंने सोचा ही नहीं था. सेंटर में तो इतने तरह के कैरेक्टर्स मौजूद हैं कि कहानी क्या, पूरा उपन्यास लिखा जा सकता है. मैं अब और भी जोश के साथ पिंटू को सेंटर ले जाने लगी. पर उन अंकल से फिर बातचीत नहीं हो सकी. एक-दो बार आते-जाते आमना-सामना ज़रूर हो गया था, पर हम मुस्कुराकर आगे बढ़ गए थे. उन्हें जाने की जल्दी थी, तो मुझे आने की. इस बीच मेरा जन्मदिन आया, तो पति ने मुझे उपहारस्वरूप किंडल लाकर दिया.
“इसमें तुम कोई भी क़िताब सॉफ्ट कॉपी के रूप में स्टोर कर कहीं भी पढ़ सकती हो. हैंडल करने में बेहद सुविधाजनक.”
स्मार्टफोन, चश्मे के अलावा ��ब किंडल भी मेरे हैंडबैग की एक आवश्यक एक्सेसरी हो गई थी. सेंटर में मेरा व़क्त और भी आराम से गुज़रने लगा था. पिंटू के घुटने में भी काफ़ी सुधार था. मुझे किंडल पर व्यस्त देख वह मज़ाक करता.
“ममा, आप अपना लैपटॉप भी साथ ले आया करो. यहीं स्टोरी टाइप कर लिया करो.”
“नहीं, इतना भी नहीं.” मैं मुस्कुरा देती. पर्स में किंडल आ जाने के बाद से मेरी आंखें उन अंकल को और भी बेचैनी से तलाशने लगी थीं. शायद मैं उन्हें उन्नत ��ेक्नोलॉजी का एक और अजूबा दिखाने के लिए बेक़रार हो रही थी. उनसे उस दिन की मुलाक़ात न जाने क्यों मेरे दिल में बस-सी गई थी, आख़िर मेरी मुराद पूरी हो ही गई. उस दिन पिंटू को फिज़ियोथेरेपिस्ट के हवाले कर मैंने किंडल पर अपना अधूरा नॉवल पढ़ना शुरू ही किया था कि एक परिचित स्वर ने मुझे चौंका दिया. देखा तो अंकल थे.
“अंकल, आप कैसे हैं? कितने दिनों बाद फिर से मुलाक़ात हुई है?”
“हां, बीच में कुछ दिन तो मैं आया ही नहीं था. विदेश से बेटी-दामाद आए हुए थे. उनके और नाती-नातिन के संग दिन कब गुज़र जाता था पता ही नहीं चलता था. भगवान का शुक्र है उस समय कंधों में कोई दर्द नहीं हुआ.”
मैं मुस्कुरा दी. “अंकल दर्द तो हुआ होगा, पर आप बेटी और उसके बच्चों में इतने मगन थे कि आपको दर्द का एहसास ही नहीं हुआ.” अंकल हंसने लगे थे. “तुमसे मैं तर्क में नहीं जीत सकता बेटी. अपनी बेटी को भी मैंने तुम्हारे बारे में बताया था. कहने लगी ठीक ही तो कह रही हैं वे. कब से आपसे कह रही हूं कि इस बटनवाले मोबाइल को छोड़कर स्मार्टफोन ले लीजिए. आपका मन लगा रहेगा और हमें भी तसल्ली रहेगी. वह तो ख़ुद लाने पर उतारू थी, पर मैंने ही मना कर दिया. मेरे भला कौन-से ऐसे यार-दोस्त हैं, जिनसे वाट्सएप पर बातें करूंगा. जो दो-चार हैं, वे मेरे जैसे ही हैं, जो या तो ऐसे ही मिल लेते हैं या फोन पर बातें कर लेते हैं. अपना पुराना लैपटॉप वह पिछले साल आई थी, तब यहीं छोड़ गई थी. उस पर स्काइप पर बात कर लेती है. बाकी सुबह-शाम टीवी देख लेता हूं. मोबाइल में जितने ज़्यादा फंक्शन होंगे, मेरे लिए उसे हैंडल करना उतना ही मुश्किल होगा. शरीर संभल जाए वही बहुत है. और पिंटू बेटा कैसा है? ठीक है? यह तुम्हारे हाथ में क्या है?”
“यह किंडल है अंकल!” मैं उत्साहित हो उठी थी. “मेरे हसबैंड ने मुझे बर्थडे पर गिफ्ट किया है. मुझे पढ़ने-लिखने का बहुत शौक़ है न, तो इसलिए.” मैं उत्साह से उन्हें दिखाने लगी, तो आसपास के कुछ और लोग भी उत्सुकतावश जुट आए.
“यह देखिए. यह मैंने इसमें कुछ क़िताबें मंगवाई हैं. अब ये इसमें सॉफ्ट कॉपी के रूप में उपलब्ध हो गई हैं. मेरा जब जहां मन चाहे खोलकर पढ़ने लग जाती हूं मोबाइल की तरह. यह भी बैटरी से चार्ज होता है. मेरी अपनी लिखी क़िताब भी सॉफ्ट कॉपी के रूप में इसमें उपलब्ध है. आप कभी पढ़ना चाहें तो!”
“वाह, क्या टेक्नोलॉजी है!” आसपास के लोग सराहना करते धीरे-धीरे छितरने लगे, तो मेरा ध्यान अंकल की ओर गया. अंकल किसी गहरी सोच में डूबे हुए थे.
“क्या हुआ अंकल?”
“अं... कुछ नहीं. मैंने तुम्हें बताया था न कि बेटी ने स्मार्टफोन दि��वाने की बात कही थी और मैंने इंकार कर दिया था. तब वह यही, जो तुम्हारे हाथ में है- किंडल, यह भेजने की ज़िद करने लगी. दरअसल, उसने मुझे उसकी मां की डायरी पढ़ते देख लिया था.”
“आपकी पत्नी डायरी लिखती हैं?” मैंने बीच में ही बात काटते हुए प्रश्न कर डाला था.“लिखती है नहीं, लिखती थी? दो वर्ष पूर्व वह गुज़र गई.”
“ओह, आई एम सॉरी!”
अंकल, शायद किसी और ही दुनिया में चले गए थे, क्योंकि मेरी प्रतिक्रिया पर भी वे निर्लिप्त बने रहे और पत्नी की स्मृतियों में खोए रहे.
“उसके जीते जी तो कभी उसकी डायरी पढ़ने की आवश्यकता महसूस ही नहीं हुई. बहुत जीवंत व्यक्तित्व की स्वामिनी थी तुम्हारी आंटी. बेहद हंसमुख, बेहद मिलनसार, बेहद धार्मिक... हर किसी को अपना बना लेने का जादू आता था उसे. मैं ज़रा अंतर्मुखी हूं, लेकिन वो हर व़क्त बोलती रहती थी. पर कैंसर के आगे उसकी भी बोलती बंद हो गई.”
“क्या? कैंसर था उन्हें?”
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“ख़ूब लंबा इलाज चला. अपनी जिजीविषा के सहारे वो लंबे समय तक उस भयावह बीमारी से संघर्ष करती रही, पर अंत में थक-हारकर उसने घुटने टेक दिए. उसके दिन-प्रतिदिन टूटने का सफ़र याद करता हूं, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. तुम उस दिन फिज़ियोथेरेपी के दर्द के व़क्त ध्यान दूसरी ओर लगाने की बात कर रही थी न? तुम्हारी आंटी के कीमोथेरेपी के दर्द के सम्मुख यह दर्द कुछ भी नहीं है. मैं तो उस व़क्त आंखें बंद कर बस उसका ध्यान कर लेता हूं. उसका हंसता-मुस्कुराता जीवंत चेहरा मेरी स्मृति में तैर जाता है और मैं सब भूलकर किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता हूं.”
अंकल को भावुक होते देख मैंने उनका ध्यान बंटाना चाहा. “आप उनकी डायरी के बारे में बता रहे थे.”
“हां, उसके जाने के बाद मैंने एक दिन वैसे ही उसकी डायरी खोलकर पढ़ना शुरू किया, तो हैरत से मेरी आंखें चौड़ी हो गई थीं. भावनाओं को इतनी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोया गया था कि मैं उसकी सशक्त लेखनी की दाद दिए बिना नहीं रह सका. किसी कवयित्री की कविता से कम नहीं है उसकी डायरी. एक-एक शब्द जितनी शिद्दत से काग़ज़ पर उकेरा गया था, पढ़ते व़क्त उतनी ही गहराई से दिल में उतरता चला जाता है. जाने कितनी बार पढ़ चुका हूं, पर मन ही नहीं भरता. दिन में एक बार उसके पन्ने न पलट लूं, तब तक मन को शांति नहीं मिलती. बेटी परिवार सहित आई हुई थी, फिर भी मैं आंख बचाकर, मौक़ा निकालकर एक बार तो डायरी के पन्ने पलट ही लेता ��ा और रवाना होने से एक दिन पहले बस बेटी ने यही देख लिया. मां की डायरी देख, पढ़कर पहले तो वह भी ख़ूब रोई. फिर बोली, “ठीक है पापा, मान लिया स्मार्टफोन आपके काम का नहीं. अब मैं आपके लिए किंडल भेजूंगी. उसमें आप न केवल मम्मी की डायरी, वरन और भी बहुत सारी क़िताबें पढ़ सकेंगे. देखिए, मम्मी की डायरी की क्या हालत हो गई है. एक-एक पन्ना छितरा पड़ा है.”
“वो तो बेटी मैं रोज़ देखता हूं न तो इसलिए...” मैंने सफ़ाई दी थी.
“पर किंडल में यह समस्या नहीं होगी, चाहे आप दिन में 20 बार पढ़ें.”
“हां, बिल्कुल. यह देखिए न आप.” मैंने अपना किंडल उनके हाथ में पकड़ा दिया. वे कुछ देर उसे देखते-परखते रहे. फिर लौटा दिया.
“लेकिन बेटी इसमें वो डायरीवाली बात कहां? उस डायरी के पन्नों के बीच तो मेरे द्वारा तुम्हारी आंटी को दिए सूखे गुलाब हैं. जगह-जगह हल्दी-तेल के निशान हैं. आंसुओं से धुंधलाए अक्षर हैं. उसके पन्नों पर हाथ फेरता हूं, तो लगता है तुम्हारी आंटी को ही स्पर्श कर रहा हूं.”
मैं स्तब्ध खड़ी रह गई थी. मेरा बुद्धिजीवी तार्किक मस्तिष्क संज्ञाशून्य हो गया था. तकनीक और विज्ञान हमें चांद-सूरज पर पहुंचा सकता है, पर किसी के दिल तक पहुंचने के लिए तो एक संवेदनशील दिल ही चाहिए. तभी तो कहा गया है ‘जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि’. शायद इसीलिए अंकल से रू-ब-रू वार्तालाप से मुझे जितना सुकून मिलता है, उतना वाट्सऐप पर पिंटू के लिए मिले गेट वेल सून मैसेजेस से नहीं.
संगीता माथुर
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मक्खन (बटर) के फायदे, उपयोग और नुकसान – Butter (Makhan) Benefits and Side Effects in Hindi
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मक्खन (बटर) के फायदे, उपयोग और नुकसान – Butter (Makhan) Benefits and Side Effects in Hindi
मक्खन (बटर) के फायदे, उपयोग और नुकसान – Butter (Makhan) Benefits and Side Effects in Hindi Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 December 24, 2019
अच्छी सेहत और रोगों को दूर रखने के लिए पोषक तत्वों से युक्त आहार को प्राथमिकता देना जरूरी है। ऐसे में उचित आहार का चुनाव करना हमारे लिए जरूरी होता है। यही नियम मक्खन पर भी लागू होता है। अब आप सोचेंगे कि मक्खन कैसे सेहत के लिए लाभदायक हो सकता है। इसमें तो जरूरत से ज्यादा फैट होता है, लेकिन तब भी हम यही कहेंगे कि कुछ मामलों में मक्खन सेहत के लिए फायदेमंद है। अब सेहत के लिहाज से कौन-सा मक्खन खाना चाहिए और कौन सा नहीं, यह आपको लेख में आगे जानने को मिलेगा। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम मक्खन के फायदे, मक्खन के नुकसान और मक्खन का उपयोग कैसे करें, इस बारे में विस्तार से बताएंगे।
विषय सूची
इस आर्टिकल में सबसे पहले हम यह जानेंगे कि मक्खन क्या है।
मक्खन क्या है? – What is Butter in Hindi
मक्खन एक तरह का डेयरी उत्पाद है। इसे दही, लस्सी, मलाई व दूध को मथकर निकाला जाता है। मक्खन को दधिज या माखन के नाम से भी जाना जाता है। मक्खन कई प्रकार के होते ह��ं, जिनमें दूध से बना बटर, पीनट बटर व कोको बटर मुख्य है। मक्खन में ऊर्जा, वसा और प्रोटीन जैसे मुख्य पोषक तत्व होते हैं (1)। मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट वाला बटर का सेवन बेहतर होता है। ध्यान रहे कि इतने गुणों के बाद भी इसे कम मात्रा में सेवन करना ही उचित होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर हाई सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट वाले बटर का सेवन कर रहे हैं, तो हृदय रोग की समस्या बढ़ सकती है (2)। इस आर्टिकल में आगे हम बटर का उपयोग करने के विभिन्न तरीकों व फायदों के बारे में विस्तार से बताएंगे।
आर्टिकल के अगले हिस्से में बटर के फायदे जानेंगे।
मक्खन (बटर) के फायदे – Benefits of Butter in Hindi
स्वास्थ्य के लिहाज से मक्खन के कई फायदे हैं, जिनके बारे में हम यहां बता रहे हैं। साथ ही हम स्पष्ट कर दें कि इसे दवा या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प न समझा जाए। यह घरेलू नुस्खे की तरह सिर्फ स्वस्थ्य रहने में मदद कर सकता है। वहीं, अगर कोई बीमार है, तो उसे डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।
1. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए
हृदय को स्वस्थ रखने की बात करें, तो इस मामले में पीनट बटर सबसे बेहतर है, क्योंकि इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट पाए जाता हैं, जिसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जा सकता है। मोनोअनसैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने पर हृदय रोग से बचना आसान हो जाता है। वहीं, आम बटर में सैचुरेटेड फैट की मात्रा ज्यादा पाई जाती है (3)। इसलिए, ऐसा माना जा सकता है कि मक्खन के फायदे स्वस्थ हृदय के लिए हो सकते हैं।
2. पेट व वजन को कम करे
पेट को बढ़ाने से रोकने में मक्खन का सेवन मददगार हो सकता है। दरअसल, कम फैट वाले आहार का सेवन करने पर बढ़ते मोटापा से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा, कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA) युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से भी वजन को जरूरत से ज्यादा बढ़ने से रोका जा सकता है (4) (5) (6)। इसमें पेट का बढ़ना भी शामिल है। वहीं मक्खन में यह गुण पाया जाता है। फिलहाल, इस संबंध में और शोध किए जाने की जरूरत है (7)।
3. प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मददगार
द नेशनल एकेडमी प्रेस (The National Academies Press) के मुताबिक, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण शरीर में संक्रमण ��र कई अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। वहीं, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए विटामिन-ए मददगार हो सकता है। जिन खाद्य आहार में विटामिन-ए पाए जाते हैं, उनमें मक्खन भी शामिल है (8)। इसलिए, मक्खन को इम्यून सिस्टम के लिए लाभकारी कहा जा सकता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि मक्खन कम फैट वाला होना चाहिए। अभी इस संबंध में और शोध किए जाने की जरूरत है।
4. एंटी कैंसर की तरह
बटर के फायदे कैंसर जैसी जानलेवा समस्या को दूर रखने के लिए हो सकते हैं। पीनट में आइसोफ्लेवोन्स, फाइटोस्टेरोल, रेसवेराट्रोल और फेनोलिक एसिड पाए जाते है, जो एक तरह कि एंटी कैंसर की तरह काम करता है। चुकी पीनट बटर, पीनट से बनाए जाते हैं। जो कैंसर की समस्या को दूर रखने के साथ साथ इसके लक्षण से भी राहत दिलाने का काम कर सकता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि पीनट बटर को एंटी-कैंसर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है (9)।
5. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पेट से जुड़ी समस्या है। इसमें कब्ज, एसिडिटी, बदहजमी व डायरिया आदि समस्याएं हो सकती हैं (10)। इस समस्या से बचने के लिए सीमित मात्रा में बटर का सेवन किया जा सकता है। बटर में ब्यूटायरेट (butyrate) नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो शॉट चेन फैटी एसिड का एक प्रकार है (11)। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के मामले में ब्यूटायरेट पर भरोसा किया जा सकता है। ब्यूटायरेट आंतों में सूजन को होने से रोक सकता है। साथ ही तरल पदार्थ व इलेक्ट्रोलाइट के स्तर को संतुलित बनाए रखने में मदद कर सकता है (12)। इस प्रकार कहा जाता सकता है कि मक्खन के फायदे में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचना भी शामिल है।
इस आर्टिकल के अगले हिस्से में मक्खन के पौष्टिक तत्व के बारे में जानेंगे।
मक्खन के पौष्टिक तत्व – Butter Nutritional Value in Hindi
मक्खन में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं, उस बारे में हम नीचे एक टेबल के जरिए बता रहे हैं (1):
पोषक तत्व मूल्य प्रति 100 g पानी 15.87 g ऊर्जा 717 kcal प्रोटीन 0.85 g टोटल लिपिड (फैट) 81.11 g कार्बोहाइड्रेट 0.06 g शुगर 0.06 g कैल्शियम, Ca 24 Mg आयरन Fe 0.02 Mg मैग्नीशियम, Mg 2 Mg फॉस्फोरस, P 24 Mg पोटैशियम, K 24 Mg सोडियम, Na 643 Mg जिंक 0.09 Mg थायमिन 0.005 Mg राइबोफ्लेविन 0.034 Mg नियासिन 0.042 Mg विटामिन बी-6 0.003 Mg फोलेट 3 µg विटामिन ई 2.32 Mg फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 51.368 g फैटी एसिड, टोटल ��ोनोअनसैचुरेटेड 21.021 g फैटी एसिड, टोटल पोलीअनसैचुरेटेड 3.043 g
आइए, अब यह भी जान लेते हैं कि मक्खन का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।
मक्खन का उपयोग – How to Use Butter in Hindi
मक्खन को कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनमें से सबसे आम तरीकों के बारे में हम यहां बता रहे हैं।
कैसे खाएं:
ब्राउन ब्रेड पर मक्खन (बटर) को लगाकर खाया जा सकता है।
रोटी या पराठे के साथ भी मक्खन को खाया जा सकता है।
कुछ मक्खन ऐसे होते हैं, जिनसे सब्जी बनाकर भी खाया जा सकता है।
कई आहार में बटर को ऊपर से गार्निश किया जा सकता है।
बटर को आमलेट बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कब खाएं:
सुबह ब्रेड के साथ खाया जा सकता है।
दोपहर या रात की सब्जी तैयार करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
शाम के नाश्ता में आमलेट के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं।
कितना खाएं:
प्रतिदिन एक चम्मच या 14 g मक्खन खाना स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद हो सकता है (13)। फिर भी इसके सेवन से पहले आहार विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। वह आपके स्वास्थ्य के अनुसार इसकी उचित मात्रा का सही जानकारी देंगे।
आगे हम बता रहे हैं कि मक्खन के सेवन से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
मक्खन के नुकसान – Side Effects of Butter in Hindi
जिस तरह बटर के फायदे हैं, उसी तरह हाई सैचुरेटेड फैट वाले मक्खन के सेवन से नुकसान भी हो सकते हैं (2), जो इस तरह से हैं:
मक्खन में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है। इसके अधिक मात्रा में सेवन से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का जोखिम हो सकता है (14)।
मक्खन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर हृदय रोग की समस्या भी हो सकती है (15)।
मक्खन में वसा की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसलिए, इसके अधिक मात्रा में सेवन करने पर मोटापा बढ़ सकता है।
इस आर्टिकल को पढ़कर यह तो समझ आ ही गया होगा कि मक्खन कितने प्रकार के होते हैं। साथ ही किस तरह के बटर का सेवन उचित होगा। आप मक्खन जरूर खाएं, लेकिन कम फैट वाला और सीमित मात्रा में। साथ ही ध्यान रहे मक्खन किसी भी बीमारी का उपचार नहीं है। इन गंभीर बीमारी की अवस्था में मेडिकल ट्रीटमेंट से बेहतर कुछ नहीं है। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। अगर आपके पास इस लेख से जुड़ी अन्य जानकारी या सुझाव है, तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Bhupendra Verma
भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/butter-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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हाथ से खाने के हैं कई फायदे, जिसे जान कर चौंक जाएंगे आप
खाते वक्त जमीन पर बैठने से लेकर जल्दी डिनर कर लेने तक पुराने जमाने के लोग जिन बातों को फॉलो करते थे उनके पीछे खास वजह होती थी।भारतीयों का मानना है कि भोजन का असली स्वाद केवल हाथों से खाने से ही महसूस किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, प्रत्येक उंगली पांच तत्वों में से प्रत्येक का एक अलग महत्व है। डेली रुटीन में शामिल ये साधारण चीजें हेल्थ के काफी अच्छी होती हैं। हालांकि वेस्टर्नाइजेशन के चलते धीरे-धीरे ये ट्रडिशंस गायब हो चुके हैं। ज के टाइम अगर कोई खाना खाता है तो लोगों द्वारा उसको गलत तरीके से देखा जाता है या उसको गवार समझा जाता है। खाना खाते वक्त हाथ खराब न हों, और आप सलीके से खा सकें इसके लिए आज चम्मच यानि स्पून एक जरूरी माध्यम है। यहां हम आपको बता रहे हैं हाथ से खाना खाने के फायदे-
1. अगर आपका वजन ज्यादा है तो चम्मच, कांटे के बजाय हाथ से खाना शुरू कीजिए। आयुर्वेद के मुताबिक, जब आप खाने का निवाला लेने के लिए उंगलियों को जोड़ते हैं तो इससे योगिक मुद्रा बन जाती है जो कि आपके सेंसरी ऑर्गन्स को ऐक्टिवेट करती है।
2. माना जाता है कि हर उंगली पांचों तत्वों का रूप होती है। अंगूठा आकाश, पहली उंगली हवा, बीच की उंगली आग, रिंग फिंगर पानी और सबसे छोटी उंगली धरती को रिप्रजेंट करती है।
3. जब कोई व्यक्ति भोजन करने के लिए चम्मच या अन्य किसी चीज का उपयोग करता है, तो वह अपने अनुभव को केवल मुंह में महसूस होने वाले ��ोजन की बनावट तक सीमित कर सकता है। दूसरी ओर, हाथों से खाना आपके सभी इंद्रियों को उलझाकर आपके भोजन के समय के लिए एक ठोस आयाम जोड़ता है।
4. जब आप चम्मच से खाते हैं तो खाना तेजी से खाने लगते हैं जिससे ज्यादा खा लेते हैं। वहीं हाथ से खाने पर आपकी स्पीड कम हो जाती है और संतुष्टि का अहसास होता है। इसमें ज्यादा सेंसेज इन्वॉल्व होते हैं तो आपका पोर्शन कंट्रोल रहता है। इससे न सिर्फ आपका वजन नियंत्रित रहता है बल्कि खाने का स्वाद भी ज्यादा मिलता है।
5- आपके हाथ तापमान सेंसर के रूप में भी काम कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति एक कांटा के साथ खाता है, तो वह महसूस नहीं कर सकता है कि भोजन कितना गर्म है। इसके लिए वह सीधे उसके मुंह में चला जाता है। इसके विपरीत, जब आप भोजन को अपने हाथों से खाते हुए स्पर्श करते हैं, तो आपकी उंगलियों के तंत्रिका अंत मस्तिष्क को पढ़ने के तापमान को व्यक्त करते हैं। इस प्रकार आपको अपनी जीभ को जलाने से रोकते हैं।
6- हाथों से भोजन करना स्वस्थ है क्योंकि यह एक अद्भुत मांसपेशियों का व्यायाम साबित है। जो बदले में रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद कर सकता है. हाथ की चाल रक्त के बेहतर प्रवाह को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है, इस प्रकार शरीर के समग्र कल्याण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
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स्वस्थ किडनी के लिए योग – Yoga For kidneys in Hindi
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स्वस्थ किडनी के लिए योग – Yoga For kidneys in Hindi
स्वस्थ किडनी के लिए योग – Yoga For kidneys in Hindi Somendra Singh Hyderabd040-395603080 December 3, 2019
योग आज दुनियाभर में लोगों के बीच तेजी से फैल रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह योग का सकारात्मक प्रभाव है। अगर यह कहा जाए कि स्वस्थ रहने के लिए योग से बेहतर कुछ नहीं है, तो गलत नहीं होगा। वैसे तो सभी प्रकार के योगासन लाभदायक हैं, लेकिन बीमारियों के अनुसार भी योगासनों को वर्गीकृत किया गया है। स्टाइलक्रेज का यह लेख किडनी को स्वस्थ रखने के लिए योग के बारे में है। इस लेख में हम जिन योगासनों का जिक्र कर रही हैं, वो किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि योग का असर भी तभी होता है, जब संतुलित आहार का सेवन किया जाए। वहीं, अगर किसी को किडनी से संबंधित कोई गंभीर बीमारी है, तो उस अवस्था में मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है।
विषय सूची
स्वस्थ किडनी में कैसे लाभदायक है योग – How Does Yoga Help with kidneys in Hindi
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से प्रकाशित वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, योग किडनी की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही किडनी के रोग से ग्रस्त मरीजों की जीवनशैली में भी कुछ सुधार हो सकता है (1)। इसके अलावा, योग करने से किडनी को एक मसाज मिल जाती है, जिस कारण किडनी अच्छी तरह से काम कर पाती है। (2)।
एक अन्य वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, ��ाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) और मधुमेह के ��ारण किडनी से जुड़े रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में योग करने से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और लिपिड के स्तर को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इससे किडनी रोग के जोखिम से बचा जा सकता है। इसके अलावा, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, मानसिक तनाव और इंफ्लेमेटरी मार्कर को कम करने के लिए भी योग लाभ पहुंचा सकता है (3)।
किडनी से जुड़ी बीमारी में योग हेमाटोक्रिट (खून में रेड ब्लड सेल्स) के स्तर को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है। इसलिए, योग किडनी रोग की रोकथाम और उसके जोखिम को संतुलित करने में एक सहायक चिकित्सक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ध्यान रहे कि हमेशा योग्य योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में योगासन करने चाहिए, वरना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है (4)।
आइए, अब जानते हैं कि स्वस्थ किडनी के लिए कौन-कौन से योगमुद्राओं को करना लाभदायक हो सकता है।
स्वस्थ किडनी के लिए योग – Yoga For Kidneys in Hindi
यहां हम कुछ ऐसी खास योग मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं, जिनकी मदद से किडनी को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सकता है। साथ ही एक बार फिर से स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि योग के साथ-साथ पोषक तत्वों से युक्त आहार का सेवन करना भी जरूरी है।
1. अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana)
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कैसे है लाभदायक :
इस योगासन को करते समय रीढ़ का आधा हिस्सा मुड़ता है, जिस कारण यह किडनी और लीवर को उत्तेजित करता है। इससे किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही इम्यून सिस्टम में भी सुधार हो सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन में भी माना गया कि इस योग से किडनी और लीवर सक्रिय रूप से कार्य कर सकते हैं (5)।
कैसे करें :
सबसे पहले योग मैट बिछाएं और दंडासन यानी पैरों को आगे की ओर सीधा फैलाकर बैठ जाएं।
ध्यान रहे कि रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहे।
अब, दाएं पैर को घुटने के पास से मोड़ते हुए, बाएं पैर के ऊपर से ले जाते हुए, बाएं पैर के घुटने के बगल में रखें।
फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं पैर की एड़ी को दाएं कुल्हे के नीचे रख दें।
इसके बाएं हाथ को, दाएं घुटने के ऊपर से क्रॉस करते हुए दाएं पैर के टखने को पकड़ने का प्रयास करें।
फिर अपनी कमर, गर्दन और कंधों को दाईं ओर मोड़ें, और दाहिने कंधे के ठीक सामने की ओर देखें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में बने रहें और सामान��य गति से सांस लेते रहें।
फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
यही प्रक्रिया दूसरी तरफ भी करें।
इस योग को करीब 7-10 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानी :
रीढ़ से जुड़ी हुई कोई बीमारी है, तो इस योग को करने से बचें।
अगर कंधों में या कमर में किसी प्रकार का दर्द है, तो इस योगमुद्रा को करने से बचें।
गर्भावस्था और मासिक धर्म के समय इस योगासन को न करें।
2. सुप्त वज्रासन (Supt Vajrasana)
Shutterstock
कैसे है लाभदायक :
इस योगसन को करने से भी किडनी की समस्या में राहत मिल सकती है। दरअसल, इस योगमुद्रा को करने से पेट के विभिन्न अंगों में खिंचाव महसूस होता है। इसका असर किडनी के लिए भी लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा यह योगमुद्रा कब्ज की समस्या को भी दूर करने में मदद कर सकती है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
कैसे करें :
एक समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।
हाथों को शरीर के समानांतर जमीन पर कूल्हों के साथ सटाकर रखें।
अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पहले कोहनियों को जमीन पर सटाएं और फिर पूरा शरीर पीछे की ओर ले जाएं।
अब अपने हाथों को पीछे की ओर सीधी कर दें। अगर आप चाहें तो अपने दोनों हाथों को पैरों की जांघों पर भी रख सकते हैं।
फिर सिर को हल्का-सा पीछे की ओर यानी पीठ की तरफ मोड़ें।
अब पीठ को मध्य भाग से हल्का-सा उठाएं। इस अवस्था में आपकी पीठ कमानी की तरह नजर आएगी। इसमें आपकी पीठ ऊपर की ओर जबकि सिर व कंधे फर्श से सटे रहेंगे।
कुछ सेकंड इसी अव���्था में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
इस योगासन को 5-10 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानी :
कोहनी, कमर और पीठ में दर्द होने पर इस योग को करने से बचें।
गर्भावस्था के दौरान भी इस योग को नहीं करना चाहिए।
3. ड्रैगन पोज (Dragon pose)
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कैसे है लाभदायक :
इस योगमुद्रा को करने से किडनी और रीढ़ की हड्डी में सक्रियता बढ़ सकती है, जो किडनी स्वास्थ्य के लिए उत्तम हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में भी अभी वैज्ञानिक शोध किया जाना बाकी है कि यह योगासन किस प्रकार किडनी को स्वस्थ रखने के काम आ सकता है।
कैसे करें :
एक योग मैट लें और उस पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं।
फिर आगे की ओर झुकते हुए हथेलियों को जमीन से सटा दें।
इस अवस्था में आपकी मुद्रा बिल्ली या फिर गाय की तरह होगी।
अब दाएं पैर को उठाते हुए आगे लाएं और दोनों हाथों के बीच में रख दें।
इसके बाद बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं और बिल्कुल सीधा कर दें। इस स्थिति में आपके पैर का तलवा आसमान की ओर होना चाहिए।
अगर आपका हाथ जमीन पर ठीक तरह से नहीं पहुंच रहा है, तो आप किसी चीज का सहारा भी ले सकते हैं।
अब अपनी गर्दन को अजगर की तरह हल्का-सा सामने की ओर उठाएं।
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में वापस आ जाएं।
बाद में यही प्रक्रिया दूसरे पैर से भी करें।
इसके करीब 5 चक्र किए जा सकते हैं।
सावधानी :
अगर आपकी एड़ियों का इलाज चल रहा है या उसमें दर्द है, तो इस योग को करने से बचें।
गर्भावस्था में इस योग को करने से बचें।
पीठ में किसी भी प्रका�� का खिंचाव होने पर इस योग को करने से बचें।
4. स्क्वायर पोज (Square pose)
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कैसे है लाभदायक :
स्क्वायर पोज भी किडनी की कार्यप्रणाली को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। जो किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद कर सकता है। हालांकि किडनी रोग की स्थिति जिन लोगों को ज्यादा समय से बनी हुई है वो लोग मेडिकल ट्रीटमेंट लेने में ज्यादा देर न करें। इससे वह किडनी रोग के बढ़ने वाले जोखिम को कम समय में रोक सकते हैं।
कैसे करें :
समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें।
अब एक लंबी गहरी सांस लेते हुए शरीर को सामने की ओर हल्का-सा झुकाएं।
फिर कोहनियों से मोड़ते हुए सामने की ओर जमीन पर टिका लें।
इसके बाद अपने माथे को जमीन के साथ स्पर्श करने का प्रयास करें।
कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
इस योगासन को करीब 5-7 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानी :
घुटने में कोई चोट आदि लगी हो, तो इस योगासन को करने से बचें।
योग मुद्रा को पहली बार करने से पहले इसकी प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझ लें, हो सके तो किसी योग प्रशिक्षक की सलाह लें।
अगर रीढ़ से जुड़ी कोई बीमारी है तो इस योग को करने से बचें।
5. अर्ध धनुरासन (Ardha Dhanurasana)
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कैसे है लाभदायक :
इस योगासन को करने से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पड़ता है, जो सीधे तौर पर सकारात्मक रूप से किडनी को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए अर्ध-धनुरासन योग को किडनी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जा सकता है। किडनी के मामले में अभी इस योगासन पर भी कोई मेडिकल रिसर्च नहीं हुई है।
कैसे करें :
एक समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को आगे की ओर फैलाएं। ध्यान दें कि आपके हाथ जमीन से सटे हुए होने चाहिए।
अब सांस लेते हुए दाएं पैर को ऊपर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए घुटने से मोड़ लें।
इसके बाद दाएं हाथ को पीछे की ओर ले जाकर दाएं पैर की एड़ी को पकड़ने का प्रयास करें।
इस दौरान बायां हाथ आगे की ओर जमीन से ही लगा रहेगा।
अब दाहिने हाथ से, दाहिने पैर को पीठ की ओर लाने की कोशिश करें और सांस लेते हुए सीने को भी हल्का-सा ऊपर उठाएं।
व्यक्ति का शरीर इस स्थिति में धनुष के अर्ध भाग की तरह नजर आएगा।
संभव हो, तो बाएं हाथ को भी सामने की ओर ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें।
अब इस अवस्था में कुछ सेकंड के लिए रुक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
अब दूसरी ओर से भी इस प्रक्रिया को करें।
इस योगमुद्रा के करीब 5 चक्र, 8 -10 मिनट तक किए जा सकते हैं।
सावधानी :
गर्भावस्था के दौरान इस योग को करने से बचें।
सीने में दर्द या कमर दर्द में इस योग को करने से बचें।
पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव होने पर इस योग को करने से बचें।
6. परिपूर्ण नवासन (Paripurna Navasana)
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कैसे है लाभदायक :
परिपूर्ण नवासन योग मुद्रा मुद्रा के जरिए भी किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिल सकती है। परिपूर्ण नवासन करते समय रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ पेट के सभी मुख्य अंगों पर दबाव पड़ता, जिससे किडनी को उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है। यह किडनी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
कैसे करें :
एक योग मैट पर दंडासन में बैठ जाएं। कमर को सीधा रखें और हथेलियों को शरीर के पास जमीन से सटाए रखें।
एक सांस छोड़ते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं करीब 60 डिग्री के कोण तक ले आएं।
अब सांस लेते हुए हल्का-सा पीछे की ओर झुकें और हाथों को कंधे के सामानांतर ले जाते हुए, सामने की ओर फैला दें।
हथेलियों क��� मुंह एक-दूसरे के आमने-सामने होगा।
कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
अब हाथों को जमीन पर वापस ले आएं।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर लेकर आएं और सांस लेते हुए पैरों को नीचे ले आएं।
इस दौरान कमर को बिल्कुल सीधा रखें।
पूर्ण नवासन के 5-6 चक्र को करीब 5-10 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानी :
अगर आपके घुटने में या हाथ में कोई चोट लगी हो, तो इस योग प्रक्रिया को करने से बचें।
नोट : इस लेख में बताए गए सभी योगासन को किसी प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
इस लेख में आपने योग के जरिए किडनी को स्वस्थ रखने के बारे में जाना। इन योगासन को करने से आप न सिर्फ अपनी किडनी की कार्यप्रणाली को बेहतर कर सकते हैं, बल्कि पूर्ण रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। वहीं, जो किडनी से जुड़ी किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, वो डॉक्टर की सलाह पर इन योगासनों को कर सकते हैं। हालांकि, ये किडनी रोग से जुड़ी हुई बीमारी का सटीक उपचार नहीं है, लेकिन इससे किडनी के इलाज के दौरान मदद जरूर मिल सकती है। योग के साथ-साथ आपको मेडिकल ट्रीटमेंट व उचित खान-पान पर ध्यान देने की भी जरूरत है। अगर आप किडनी से जुड़े योगासनों के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Somendra Singh
सोमेंद्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 2019 में बी.वोक इन मीडिया स्टडीज की है। पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने पढ़ाई से अतिरिक्त समय बचाकर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान सोमेंद्र ने 5 वेबसाइट पर समाचार लेखन से लेकर इन्हें पब्लिश करने का काम भी किया। यह मुख्य रूप से राजनीति, मनोरंजन और लाइफस्टइल पर लिखना पसंद करते हैं। सोमेंद्र को फोटोग्राफी का भी शौक है और इन्होंने इस क्षेत्र में कई पुरस्कार भी जीते हैं। सोमेंद्र को वीडियो एडिटिंग की भी अच्छी जानकारी है। इन्हें एक्शन और डिटेक्टिव टाइप की फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/swasth-kidney-ke-liye-yoga-in-hindi/
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