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rebel-bulletin · 2 years ago
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शालेय विद्यार्थिनीवर युवकाचा लैंगिक अत्याचार
राजुरा : शहरातील नामांकित इंग्रजी माध्यमाच्या शाळेत शिकणार्‍या सहाव्या वर्गातील मुलीवर जंगलात नेऊन २२ वर्षीय युवकाने अत्याचार केल्याची घटना उघडकीस आल्याने खळबळ उडाली आहे. प्राप्त माहितीनुसार, राजुरा शहरातील नामांकित इंग्रजी माध्यमाच्या शाळेत पीडित मुलगी सहाव्या वर्गात शिकत होती. सोमवार, ३ एप्रिल रोजी सदर पीडित शाळा सुटल्या��र खाऊ घेण्याच्या उद्देशाने बाहेर निघाली असता तिथे मागावर असलेल्या २२…
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helputrust · 2 months ago
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लखनऊ, 13.11.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नवयुग कन्या महाविद्यालय, राजेंद्र नगर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 68 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l 
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रोफेसर गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर मनजुला यादव, डॉ. वनदना द्विवेदी, डॉ. मनीषा बडौनिया, डॉ. सीमा पाण्डेय, मिशन शक्ति समिति एवं रेड ब्रिगेड से सुश्री खुशी शुक्ला ने दीप प्रज्वलित किया l
नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि, "आत्मरक्षा का यह प्रशिक्षण केवल शारीरिक तकनीकों तक सीमित नहीं है यह एक मानसिक और आत्मिक शक्ति का निर्माण है, जो आपको हर परिस्थिति में सक्षम बनाएगा । यह जानना बेहद आवश्यक है कि जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए हमें खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाना होगा । आत्मरक्षा के जो गुर आपको सिखाए जा रहे हैं, वे केवल संकट के समय आपकी रक्षा के लिए नहीं, बल्कि आपके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को मजबूत करने के लिए हैं । यह कौशल आपको मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाएगा, ताकि आप हर चुनौती का डटकर सामना कर सकें । इस प्रशिक्षण से जो भी आपने सीखा है, उसे अपने जीवन में आत्मसात करें और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठाएं । खुद को स्वस्थ और सुरक्षित रखें और आत्मनिर्भरता के इस मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ें ।"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर, सुश्री खुशी शुक्ला ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय, प्रोफेसर गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर मनजुला यादव, डॉ. वनदना द्विवेदी, डॉ. मनीषा बडौनिया, डॉ. सीमा पाण्डेय, मिशन शक्ति समिति, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर, सुश्री खुशी शुक्ला तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही  l
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mischeifblogger · 8 months ago
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GAZA! 🇵🇸 Almost everybody on the planet has heard of this word, though. Why not, too? The most shocking thing about this brutal genocide against the world's most oppressed people is how they justify this senseless slaughter of women and children. They are having difficulty obtaining necessities like food and water, and guess what? The Jews, who were given sanctuary by the Palestinians, are subjected to this persecution in a Muslim-majority nation. Ahhh, the unsettling pictures of kids and the reports of adolescent girls and women being sexually assaulted. And here I am, writing this blog and doing absolutely nothing.
Perhaps the most severe sensation I have is that after we all pass away, questions regarding our roles in the tyranny will be raised. not one thing has changed in our ordinary lives; yet, some people are boycotting companies that promote Israel, raising the question of why these companies even exist. As you can see, they are so consumed with their success and wealth that they don't even consider humanity or our fundamental morality. What's worse is that we have no empathy whatsoever for Palestinians. Yes, even you! heard me correctly! because it has no effect on your day-to-day existence. We are having a pleasant time while dining in restaurants. Nothing in how we live every day has altered. And since we as human beings fell short to act and speak up for them, we are the individuals who are most accountable for this holocaust. We will pay a price for this.The Qur'an indicates that Almighty is aware of everything.
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غزہ! سیارے پر تقریباً ہر شخص نے اس لفظ کے بارے میں سنا ہے۔ کیوں نہیں، بھی؟ دنیا کے مظلوم ترین انسانوں کے خلاف اس وحشیانہ نسل کشی کے بارے میں سب سے افسوسناک بات یہ ہے کہ وہ عورتوں اور بچوں کے اس بے ہودہ قتل کو کس طرح جائز قرار دیتے ہیں۔ انہیں خوراک اور پانی جیسی ضروریات کے حصول میں دشواری کا سامنا ہے، اور اندازہ لگائیں کہ کیا؟ یہودی، جنہیں فلسطینیوں نے پناہ دی تھی، مسلم اکثریتی قوم میں اس ظلم و ستم کا نشانہ بنتے ہیں۔ آہ، بچوں کی پریشان کن تصاویر اور نوعمر لڑکیوں اور خواتین کے ساتھ جنسی زیادتی کی اطلاعات۔ اور میں یہاں ہوں، یہ بلاگ لکھ رہا ہوں اور کچھ بھی نہیں کر رہا ہوں۔ شاید مجھے سب سے شدید احساس یہ ہے کہ ہم سب کے گزر جانے کے بعد، ظلم میں ہمارے کردار کے بارے میں سوالات اٹھیں گے۔ ہماری عام زندگیوں میں ایک چیز بھی نہیں بدلی۔ پھر بھی، کچھ لوگ اسرائیل کو فروغ دینے والی کمپنیوں کا بائیکاٹ کر رہے ہیں، یہ سوال اٹھا رہے ہیں کہ یہ کمپنیاں کیوں موجود ہیں۔ جیسا کہ آپ دیکھ سکتے ہیں، وہ اپنی کامیابی اور دولت کے ساتھ اس قدر ہڑپ کر جاتے ہیں کہ وہ انسانیت یا ہماری بنیادی اخلاقیات کا خیال تک نہیں رکھتے۔ سب سے بری بات یہ ہے کہ ہمیں فلسطینیوں کے لیے کوئی ہمدردی نہیں ہے۔ ہاں، تم بھی! مجھے صحیح سنا! کیونکہ اس کا آپ کے روزمرہ کے وجود پر کوئی اثر نہیں پڑتا۔ ریستوراں میں کھانے کے دوران ہم خوشگوار وقت گزار رہے ہیں۔ ہم جس طرح سے ہر روز رہتے ہیں اس میں کچھ بھی نہیں بدلا ہے۔ اور چونکہ ہم بحیثیت انسان ان کے لیے کام کرنے اور بولنے میں کوتاہی کرتے ہیں، اس لیے ہم وہ افراد ہیں جو اس ہولوکاسٹ کے لیے سب سے زیادہ جوابدہ ہیں۔ ہم اس کی قیمت ادا کریں گے۔ قرآن بتاتا ہے کہ اللہ تعالیٰ ہر چیز سے باخبر ہے۔
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गाझा! ग्रहावरील जवळजवळ प्रत्येकाने हा शब्द ऐकला आहे. का नाही, पण? जगातील सर्वात अत्याचारित लोकांवरील या क्रूर नरसंहाराची सर्वात धक्कादायक गोष्ट म्हणजे ते स्त्रिया आणि मुलांच्या या मूर्खपणाच्या कत्तलीचे समर्थन कसे करतात. त्यांना अन्न आणि पाणी यासारख्या गरजा मिळवण्यात अडचण येत आहे आणि अंदाज लावा काय? ज्यू, ज्यांना पॅलेस्टिनींनी अभयारण्य दिले होते, मुस्लिमबहुल राष्ट्रात हा छळ केला जातो. अहो, लहान मुलांची अस्वस्थ करणारी छायाचित्रे आणि किशोरवय���न मुली आणि स्त्रियांवर लैंगिक अत्याचार झाल्याच्या बातम्या. आणि मी इथे आहे, हा ब्लॉग लिहित आहे आणि काहीही करत नाही.
कदाचित मला सर्वात तीव्र खळबळ अशी आहे की आपण सर्वांचे निधन झाल्यानंतर, जुलमी शासनातील आपल्या भूमिकेबद्दल प्रश्न उपस्थित केले जातील. आपल्या सामान्य जीवनात एकही गोष्ट बदललेली नाही; तरीही, काही लोक इस्रायलला प्रोत्साहन देणाऱ्या कंपन्यांवर बहिष्कार टाकत आहेत आणि या कंपन्या अस्तित्वात का आहेत असा प्रश्न उपस्थित करत आहेत. तुम्ही बघू शकता, ते त्यांच्या यशा��ा आणि संपत्तीचा इतका उपभोग घेतात की ते मानवतेचा किंवा आपल्या मूलभूत नैतिकतेचाही विचार करत नाहीत. सर्वात वाईट म्हणजे पॅलेस्टिनी लोकांबद्दल आम्हाला सहानुभूती नाही. होय, अगदी तुम्हीही! मला बरोबर ऐकले! कारण त्याचा तुमच्या दैनंदिन अस्तित्वावर कोणताही परिणाम होत नाही. रेस्टॉरंटमध्ये जेवताना आम्ही आनंददायी वेळ घालवत आहोत. आपण दररोज कसे जगतो यातील काहीही बदललेले नाही. आणि त्यांच्यासाठी कृती करण्यात आणि बोलण्यात आम्ही मानव म्हणून कमी पडलो असल्याने, या सर्वनाशासाठी आम्ही सर्वात जबाबदार व्यक्ती आहोत. आम्ही याची किंमत मोजू. कुराण सूचित करते की सर्वशक्तिमान सर्व गोष्टींबद्दल जागरूक आहे.
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غزة! ومع ذلك، فقد سمع الجميع تقريبًا على هذا الكوكب بهذه الكلمة. لماذا لا أيضا؟ إن الشيء الأكثر إثارة للصدمة في هذه الإبادة الجماعية الوحشية ضد الشعوب الأكثر اضطهادا في العالم هو كيف يبررون هذه المذبحة التي لا معنى لها للنساء والأطفال. إنهم يواجهون صعوبة في الحصول على الضروريات مثل الطعام والماء، وخمنوا ماذا؟ ويتعرض اليهود، الذين منحهم الفلسطينيون الملاذ، لهذا الاضطهاد في دولة ذات أغلبية مسلمة. آه، الصور المزعجة للأطفال والتقارير عن تعرض الفتيات والنساء المراهقات للاعتداء الجنسي. وها أنا أكتب هذه المدونة ولا أفعل شيئًا على الإطلاق.
ولعل أشد ما ينتابني هو أنه بعد وفاتنا جميعا ستُطرح أسئلة حول دورنا في الاستبداد. لم يتغير شيء واحد في حياتنا العادية؛ ومع ذلك، يقاطع بعض الناس الشركات التي تروج لإسرائيل، مما يثير التساؤل عن سبب وجود هذه الشركات. وكما ترون، فإنهم منشغلون جدًا بنجاحهم وثرواتهم لدرجة أنهم لا يفكرون حتى في الإنسانية أو أخلاقنا الأساسية. والأسوأ من ذلك هو أنه ليس لدينا أي تعاطف على الإطلاق مع الفلسطينيين. نعم، حتى أنت! سمعتني بشكل صحيح! لأنه ليس له أي تأثير على وجودك اليومي. نحن نقضي وقتًا ممتعًا أثناء تناول الطعام في المطاعم. لم يتغير شيء في الطريقة التي نعيش بها كل يوم. وبما أننا كبشر فشلنا في التحرك والتحدث نيابة عنهم، فإننا الأفراد الأكثر مسؤولية عن هذه المحرقة. وسندفع ثمن ذلك. ويشير القرآن إلى أن الله تعالى يعلم كل شيء.
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गाजा! हालाँकि, ग्रह पर लगभग हर किसी ने इस शब्द के बारे में सुना है। भी क्यों नहीं? दुनिया के सबसे उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ इस क्रूर नरसंहार के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वे महिलाओं और बच्चों के इस संवेदनहीन वध को कैसे उचित ठहराते हैं। उन्हें भोजन और पानी जैसी ज़रूरतें प्राप्त करने में कठिनाई ��ो रही है, और सोचिए क्या? जिन यहूदियों को फ़िलिस्तीनियों ने शरण दी थी, उन्हें मुस्लिम-बहुल राष्ट्र में इस उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। आह, बच्चों की परेशान करने वाली तस्वीरें और किशोर लड़कियों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न की खबरें। और मैं यहाँ हूँ, यह ब्लॉग लिख रहा हूँ और बिल्कुल कुछ नहीं कर रहा हूँ।
शायद मेरी सबसे गंभीर अनुभूति यह है कि हम सभी के निधन के बाद, अत्याचार में हमारी भूमिकाओं के बारे में सवाल उठाए जाएंगे। हमारे सामान्य जीवन में एक भी चीज़ नहीं बदली है; फिर भी, कुछ लोग इज़राइल को बढ़ावा देने वाली कंपनियों का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि ये कंपनियाँ अस्तित्व में क्यों हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं, वे अपनी सफलता और धन से इतने लीन हैं कि वे मानवता या हमारी मौलिक नैतिकता पर भी विचार नहीं करते हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि फ़िलिस्तीनियों के प्रति हमारी कोई सहानुभूति नहीं है। हाँ, आप भी! मुझे सही सुना! क्योंकि इसका आपके दैनिक अस्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। रेस्तरां में भोजन करते समय हम सुखद समय बिता रहे हैं। हम हर दिन कैसे जीते हैं, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। और चूँकि हम मनुष्य के रूप में उनके लिए कार्य करने और बोलने में विफल रहे, हम ही वे व्यक्ति हैं जो इस विनाश के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। हम इसके लिए कीमत चुकाएंगे। कुरान इंगित करता है कि सर्वशक्तिमान को हर चीज की जानकारी है।
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danzer91 · 8 days ago
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रामायण का महायोद्धा जिसने किया रंभा के साथ लैंगिक अत्याचार
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latestnewsandjokes · 12 days ago
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स्वास्थ्य वैश्विक क्षमता केंद्र अस्वास्थ्यकर लिंग अनुपात से जूझ रहे हैं
बेंगलुरू: स्वास्थ्य देखभाल-केंद्रित वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) लैंगिक विविधता के साथ संघर्ष करना जारी रखते हैं। टीमलीज़ के आंकड़ों के अनुसार, उद्योग के मानकों से मेल खाते हुए, महिलाएँ के��ल 28% कार्यबल हैं। अनुसंधान एवं विकास भूमिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व घटकर 15% रह गया है।“एसटीईएम में व्यापक लिंग अंतर के कारण यह अंतर जारी रहने की उम्मीद है, 2023 तक भारत में एसटीईएम कार्यबल में केवल…
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upcomingyojana · 12 days ago
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Ladli Behna Awas Yojana: ₹1.2 लाख की सहायता, नई सूची में नाम कैसे चेक करें!
Ladli Behna Awas Yojana: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपने लिए स्थायी आवास का निर्माण कर सकें। यह योजना महिलाओं को उनके खुद के घर बनाने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करके लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है। हाल…
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nagarchaufer · 13 days ago
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कल्याणमध्ये तणाव ,  ‘ त्या ‘ अल्पवयीन मुलीचा मृतदेह सापडला 
कल्याणमध्ये एका अल्पवयीन मुलीच अपहरण करुन तिची निर्घृण हत्या करण्यात आली असून भिवंडी बापगाव हद्दीत कब्रस्तान परिसरात मुलीचा मृतदेह सापडला आहे . हत्या करण्यापूर्वी मुलीवर लैंगिक अत्याचार करण्यात आले असून कल्याण कोळसेवाडी पोलिसांनी एकाला अटक केली आहे तर मुख्य आरोपी फरार आहे. मुलीला घेऊन जाणाऱ्या रिक्षा चालकाला पोलिसांनी अटक केली आहे.  विशाल गवळी असं मुख्य आरोपीच नाव असून तो अत्यंत खतरनाक गुंड आहे.…
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gnewsportal · 14 days ago
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meenakshisangwan · 20 days ago
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                        समानता का अधिकार अभिशाप या वरदान? 
ये सारी दुनिया के लिए एक बहस का मुद्दा है कि स्त्री या पुरुष दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए या समय के हिसाब से कानून भी बने या समान अधिकारों की बात भी होती है। विकसित देश कुछ हद तक इसमें सफल भी रहे हैं लेकिन हमारे देश में लैंगिक समानता पर बहुत कुछ करना बाकी है। समानता का अर्थ है कि प्रत्येक लिंग का समान प्रतिनिधित्व हो। जिसमें महिलाओं और पुरुषों को समान अवसरों, अधिकारों, तक सुनिश्चित करना शामिल…
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indlivebulletin · 24 days ago
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महिलाओं को कपड़ों के आधार पर आंकना रूढ़िवादी सोच को दर्शाता है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि महिलाओं को उनके कपड़ों के आधार पर आंकना या उनसे तलाक मिलने पर दुखी होने की उम्मीद करना महिला विरोधी पूर्वाग्रह और लैंगिक रूढ़िवादी सोच को दर्शाता है. जस्टिस देवन रामचंद्रन और जज एमबी स्नेहलता की बेंच ने एक फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. इसमें एक मां को बच्चों की कस्टडी देने से मना कर दिया गया था. फैमिली कोर्ट ने कई कारणों का हवाला देते…
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helputrust-harsh · 24 days ago
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निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला : शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ
27.05.2023 | गो कैंपेन (अमेरिकी संस्था) के सहयोग से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का संचालन किया गया l कार्यशाला में प्रशिक्षित व कुशल प्रशिक्षकों ��्वारा करीब 70 छात्राओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाये गए I "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तथा दीप प्रज्ज्वलित हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल, डॉ सत्या सिंह व सुश्री लक्ष्मी विश्वकर्मा ने किया गया l 
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती डॉ० रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "आज हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसमें आत्मरक्षा विशेष रूप से लड़कियों / महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है । लड़कियों / महिलाओं को आम तौर पर समाज में आनंद की वस्तु के रूप में देखा जाता है और उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है । देश में लैंगिक हिंसा से संबंधित मामलों में अधिकांश पीड़ित लड़कियां / महिलाएं इस प्रकार की हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट नहीं करती हैं, ऐसे में लड़कियों / महिलाओं के लिए आत्मरक्षा अधिक आवश्यक है । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे आम रूप बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और हत्या हैं । एसिड अटैक और छेड़छाड़ से भी समाज में लड़कियां असुरक्षित महसूस करती हैं । वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि वे किसी पीड़ित के साथ हो रही हिंसा को नजरअंदाज कर बिना प्रतिक्रिया दिए चले जाते हैं । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की ये छोटी-छोटी घटनाएं दूसरे बड़े अपराधों का रूप ले सकती हैं और उन्हें तभी रोका जा सकता है जब महिलाएं खुद आत्मरक्षा की तकनीक सीख लें । आत्मरक्षा प्रशिक्षण एक जीवन कौशल है जो किसी को अपने परिवेश के बारे में अधिक जागरूक होने और किसी भी क्षण अप्रत्याशित घटना होने पर तैयार रहने में मदद करता है । आत्मरक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से, लड़कियों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से इतना मजबूत बनाना सिखाया जाता है कि वे संकट के समय अपनी रक्षा कर सकें क्योंकि: "हमला आत्मरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है" I इसी क्रम में आज इस निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है और मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हमारे कुशल प्रशिक्षकों द्वारा दिए जा रहे आत्मरक्षा प्रशिक्षण से आप सभी निश्चय ही लाभान्वित होंगी अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेगी |"
कार्यशाला में डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "आज हमारे समाज में महिलाओं व बालिकाओं की स्थिति अत्यंत शोचनीय है ! आज का युवा वर्ग अपना कैरियर व स्टेटस बनाने के लिए किसी भी हद तक जा रहा है जो कि सही नहीं है I आज के युवा वर्ग में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ता जा रहा है जिससे कि यौन अपराध व छेड़छाड़ की घटनाएं मूर्त रूप ले रही है I बच्चे अपनी समस्याएं  अपने माता पिता को ना बताकर अनजान लोगों से साझा कर रहे हैं जो उन्हें गलत राह पर ले जा रहा है I मेरा यह मानना हैं कि हर माता पिता को अपने बच्चे का दोस्त बनकर रहना चाहिए जिससे बच्चे अपनी हर बात उनसे साझा करें और समाज मे अपराध कम हो सके I"
निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतर्गत विभिन्न आत्मरक्षा तकनीकों और कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जो बिना हथियार के खुद को सुरक्षित रखने के लिए उपयोगी हैं । प्रशिक्षण में शारीरिक, मानसिक और तार्किक तरीकों से आत्मरक्षा की कलाएं सिखाई गई | इसमें आपातकाल में स्वयं को बचाने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग सिखाया गया, जैसे कि शारीरिक संघटना, अंतर्दृष्टि, संतुलन, ताकत और न्यायसंगत विचार शक्ति का विकास करना ।
कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के उप प्राचार्य श्री करणवीर सिंह, शिक्षिकाओं डॉ प्रतिभा यादव, श्रीमती गरिमा चौधरी, श्रीमती मनीषा श्रीवास्तव, श्रीमती मधु सिंह, तान्या देवगन, शिखा सिंह, रेड ब्रिगेड लखनऊ से लक्ष्मी विश्वकर्मा, पूजा विश्वकर्मा, ललित कुमार, दीपक विश्वकर्मा, अन्नू तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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rebel-bulletin · 2 years ago
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बाल लैंगिक अत्याचार | आरोपीला तीन वर्षांचा सश्रम कारावास
गोंदिया : जिल्हा तथा जिल्हा विशेष न्यायाधीश एन.बी. लवटे यांनी 16 फेब्रुवारी रोजी बाल लैंगिक अत्याचार प्रकरणातील आरोपीला 3 वर्षाचा सश्रम कारावास व दंडात्मक शिक्षा ठोठावली. रोशन गजभिये (40, रा.गोंदिया) असे आरोपीचे नाव आहे. पीडित 12 वर्षीय मुलगी ही तिच्या नातेवाईकाच्या घरी 22 मे 2018 रोजी एकटी खेळत असताना आरोपीने लैंगिक अत्याचार करण्याचा प्रयत्न केला. मात्र त्याचवेळी पीडितेची आई पोहोचल्याने पुढील…
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helputrust · 2 months ago
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लखनऊ, 12.11.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज, कश्मीरी मोहल्ला, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 54 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l  
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती रुचि किशोर, श्रीमती सरिता गौतम, श्रीमती प्रीति सिंह एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया l
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
कार्यशाला में म्युनिस्पिल गर्ल्स इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका श्रीमती पूनम मिश्रा, श्रीमती रुचि किशोर, श्रीमती सरिता गौतम, श्रीमती प्रीति सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही  l
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helpukiranagarwal · 24 days ago
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निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला : शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ
27.05.2023 | गो कैंपेन (अमेरिकी संस्था) के सहयोग से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का संचालन किया गया l कार्यशाला में प्रशिक्षित व कुशल प्रशिक्षकों द्वारा करीब 70 छात्राओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाये गए I "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तथा दीप प्रज्ज्वलित हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल, डॉ सत्या सिंह व सुश्री लक्ष्मी विश्वकर्मा ने किया गया l 
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती डॉ० रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "आज हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसमें आत्मरक्षा विशेष रूप से लड़कियों / महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है । लड़कियों / महिलाओं को आम तौर पर समाज में आनंद की वस्तु के रूप में देखा जाता है और उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है । देश में लैंगिक हिंसा से संबंधित मामलों में अधिकांश पीड़ित लड़कियां / महिलाएं इस प्रकार की हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट नहीं करती हैं, ऐसे में लड़कियों / महिलाओं के लिए आत्मरक्षा अधिक आवश्यक है । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे आम रूप बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और हत्या हैं । एसिड अटैक और छेड़छाड़ से भी समाज में लड़कियां असुरक्षित महसूस करती हैं । वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि वे किसी पीड़ित के साथ हो रही हिंसा को नजरअंदाज कर बिना प्रतिक्रिया दिए चले जाते हैं । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की ये छोटी-छोटी घटनाएं दूसरे बड़े अपराधों का रूप ले सकती हैं और उन्हें तभी रोका जा सकता है जब महिलाएं खुद आत्मरक्षा की तकनीक सीख लें । आत्मरक्षा प्रशिक्षण एक जीवन कौशल है जो किसी को अपने परिवेश के बारे में अधिक जागरूक होने और किसी भी क्षण अप्रत्याशित घटना होने पर तैयार रहने में मदद करता है । आत्मरक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से, लड़कियों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से इतना मजबूत बनाना सिखाया जाता है कि वे संकट के समय अपनी रक्षा कर सकें क्योंकि: "हमला आत्मरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है" I इसी क्रम में आज इस निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है और मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हमारे कुशल प्रशिक्षकों द्वारा दिए जा रहे आत्मरक्षा प्रशिक्षण से आप सभी निश्चय ही लाभान्वित होंगी अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेगी |"
कार्यशाला में डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "आज हमारे समाज में महिलाओं व बालिकाओं की स्थिति अत्यंत शोचनीय है ! आज का युवा वर्ग अपना कैरियर व स्टेटस बनाने के लिए किसी भी हद तक जा रहा है जो कि सही नहीं है I आज के युवा वर्ग में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ता जा रहा है जिससे कि यौन अपराध व छेड़छाड़ की घटनाएं मूर्त रूप ले रही है I बच्चे अपनी समस्याएं  अपने माता पिता को ना बताकर अनजान लोगों से साझा कर रहे हैं जो उन्हें गलत राह पर ले जा रहा है I मेरा यह मानना हैं कि हर माता पिता को अपने बच्चे का दोस्त बनकर रहना चाहिए जिससे बच्चे अपनी हर बात उनसे साझा करें और समाज मे अपराध कम हो सके I"
निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतर्गत विभिन्न आत्मरक्षा तकनीकों और कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जो बिना हथियार के खुद को सुरक्षित रखने के लिए उपयोगी हैं । प्रशिक्षण में शारीरिक, मानसिक और तार्किक तरीकों से आत्मरक्षा की कलाएं सिखाई गई | इसमें आपातकाल में स्वयं को बचाने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग सिखाया गया, जैसे कि शारीरिक संघटना, अंतर्दृष्टि, संतुलन, ताकत और न्यायसंगत विचार शक्ति का विकास करना ।
कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के उप प्राचार्य श्री करणवीर सिंह, शिक्षिकाओं डॉ प्रतिभा यादव, श्रीमती गरिमा चौधरी, श्रीमती मनीषा श्रीवास्तव, श्रीमती मधु सिंह, तान्या देवगन, शिखा सिंह, रेड ब्रिगेड लखनऊ से लक्ष्मी विश्वकर्मा, पूजा विश्वकर्मा, ललित कुमार, दीपक विश्वकर्मा, अन्नू तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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helputrust-drrupal · 24 days ago
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निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला : शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ
27.05.2023 | गो कैंपेन (अमेरिकी संस्था) के सहयोग से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का संचालन किया गया l कार्यशाला में प्रशिक्षित व कुशल प्रशिक्षकों द्वारा करीब 70 छात्राओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाये गए I "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तथा दीप प्रज्ज्वलित हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल, डॉ सत्या सिंह व सुश्री लक्ष्मी विश्वकर्मा ने किया गया l 
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती डॉ० रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "आज हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसमें आत्मरक्षा विशेष रूप से लड़कियों / महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है । लड़कियों / महिलाओं को आम तौर पर समाज में आनंद की वस्तु के रूप में देखा जाता है और उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है । देश में लैंगिक हिंसा से संबंधित मामलों में अधिकांश पीड़ित लड़कियां / महिलाएं इस प्रकार की हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट नहीं करती हैं, ऐसे में लड़कियों / महिलाओं के लिए आत्मरक्षा अधिक आवश्यक है । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे आम रूप बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और हत्या हैं । एसिड अटैक और छेड़छाड़ से भी समाज में लड़कियां असुरक्षित महसूस करती हैं । वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि वे किसी पीड़ित के साथ हो रही हिंसा को नजरअंदाज कर बिना प्रतिक्रिया दिए चले जाते हैं । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की ये छोटी-छोटी घटनाएं दूसरे बड़े अपराधों का रूप ले सकती हैं और उन्हें तभी रोका जा सकता है जब महिलाएं खुद आत्मरक्षा की तकनीक सीख लें । आत्मरक्षा प्रशिक्षण एक जीवन कौशल है जो किसी को अपने परिवेश के बारे में अधिक जागरूक होने और किसी भी क्षण अप्रत्याशित घटना होने पर तैयार रहने में मदद करता है । आत्मरक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से, लड़कियों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से इतना मजबूत बनाना सिखाया जाता है कि वे संकट के समय अपनी रक्षा कर सकें क्योंकि: "हमला आत्मरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है" I इसी क्रम में आज इस निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है और मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हमारे कुशल प्रशिक्षकों द्वारा दिए जा रहे आत्मरक्षा प्रशिक्षण से आप सभी निश्चय ही लाभान्वित होंगी अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेगी |"
कार्यशाला में डॉ सत्या सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "आज हमारे समाज में महिलाओं व बालिकाओं की स्थिति अत्यंत शोचनीय है ! आज का युवा वर्ग अपना कैरियर व स्टेटस बनाने के लिए किस�� भी हद तक जा रहा है जो कि सही नहीं है I आज के युवा वर्ग में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ता जा रहा है जिससे कि यौन अपराध व छेड़छाड़ की घटनाएं मूर्त रूप ले रही है I बच्चे अपनी समस्याएं  अपने माता पिता को ना बताकर अनजान लोगों से साझा कर रहे हैं जो उन्हें गलत राह पर ले जा रहा है I मेरा यह मानना हैं कि हर माता पिता को अपने बच्चे का दोस्त बनकर रहना चाहिए जिससे बच्चे अपनी हर बात उनसे साझा करें और समाज मे अपराध कम हो सके I"
निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतर्गत विभिन्न आत्मरक्षा तकनीकों और कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जो बिना हथियार के खुद को सुरक्षित रखने के लिए उपयोगी हैं । प्रशिक्षण में शारीरिक, मानसिक और तार्किक तरीकों से आत्मरक्षा की कलाएं सिखाई गई | इसमें आपातकाल में स्वयं को बचाने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग सिखाया गया, जैसे कि शारीरिक संघटना, अंतर्दृष्टि, संतुलन, ताकत और न्यायसंगत विचार शक्ति का विकास करना ।
कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट के उप प्राचार्य श्री करणवीर सिंह, शिक्षिकाओं डॉ प्रतिभा यादव, श्रीमती गरिमा चौधरी, श्रीमती मनीषा श्रीवास्तव, श्रीमती मधु सिंह, तान्या देवगन, शिखा सिंह, रेड ब्रिगेड लखनऊ से लक्ष्मी विश्वकर्मा, पूजा विश्वकर्मा, ललित कुमार, दीपक विश्वकर्मा, अन्नू तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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drrupal-helputrust · 24 days ago
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27.05.2023 | गो कैंपेन (अमेरिकी संस्था) के सहयोग से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में, शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का संचालन किया गया l कार्यशाला में प्रशिक्षित व कुशल प्रशिक्षकों द्वारा करीब 70 छात्राओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाये गए I "निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला" (Self Defence Training Workshop) का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तथा दीप प्रज्ज्वलित हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती (डॉ०) रूपल अग्रवाल, डॉ सत्या सिंह व सुश्री लक्ष्मी विश्वकर्मा ने किया गया l 
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी श्रीमती डॉ० रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "आज हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसमें आत्मरक्षा विशेष रूप से लड़कियों / महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है । लड़कियों / महिलाओं को आम तौर पर समाज में आनंद की वस्तु के रूप में देखा जाता है और उन्हें आसानी से निशाना बनाया जाता है । देश में लैंगिक हिंसा से संबंधित मामलों में अधिकांश पीड़ित लड़कियां / महिलाएं इस प्रकार की हिंसा के खिलाफ रिपोर्ट नहीं करती हैं, ऐसे में लड़कियों / महिलाओं के लिए आत्मरक्षा अधिक आवश्यक है । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे आम रूप बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और हत्या हैं । एसिड अटैक और छेड़छाड़ से भी समाज में लड़कियां असुरक्षित महसूस करती हैं । वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है कि वे किसी पीड़ित के साथ हो रही हिंसा को नजरअंदाज कर बिना प्रतिक्रिया दिए चले जाते हैं । लड़कियों / महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की ये छोटी-छोटी घटनाएं दूसरे बड़े अपराधों का रूप ले सकती हैं और उन्हें तभी रोका जा सकता है जब महिलाएं खुद आत्मरक्षा की तकनीक सीख लें । आत्मरक्षा प्रशिक्षण एक जीवन कौशल है जो किसी को अपने परिवेश के बारे में अधिक जागरूक होने और किसी भी क्षण अप्रत्याशित घटना होने पर तैयार रहने में मदद करता है । आत्मरक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से, लड़कियों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से इतना मजबूत बनाना सिखाया जाता है कि वे संकट के समय अपनी रक्षा कर सकें क्योंकि: "हमला आत्मरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है" I इसी क्रम में आज इस निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है और मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि हमारे कुशल प्रशिक्षकों द्वारा दिए जा रहे आत्मरक्षा प्रशिक्षण से आप सभी निश्चय ही लाभान्वित होंगी अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेगी |"
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निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतर्गत विभिन्न आत्मरक्षा तकनीकों और कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जो बिना हथियार के खुद को सुरक्षित रखने के लिए उपयोगी हैं । प्रशिक्षण में शारीरिक, मानसिक और तार्किक तरीकों से आत्मरक्षा की कलाएं सिखाई गई | इसमें आपातकाल में स्वयं को बचाने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग सिखाया गया, जैसे कि शारीरिक संघटना, अंतर्दृष्टि, संतुलन, ताकत और न्यायसंगत विचार शक्ति का विकास करना ।
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