#लड़की से पहली बार कैसे करें
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किसी लड़की से पहली बार कैसे बात करें?
किसी लड़की से पहली बार कैसे बात करें? यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जो आपको सिखाएंगे कि पहली बार किसी लड़की से पहली बार कैसे बात करें. 1)अपना परिचय दें, 2)उनकी स्तुति करो, 3)हमेशा आंखों से संपर्क बनाए रखें, 4)उबाऊ सवाल मत पूछो, 5)आत्मविश्वासी और सहज रहें, वगैरह. ज्यादा जानकारी के लिए हमारा ब्लॉग तपासे।
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Best crying sad shayari on love
प्यार हमे��ा पूरी तरह से काम नहीं करता है और कभी-कभी हमें टूटे हुए दिल और दर्द में छोड़ दिया जाता है। इन भावनाओं को व्यक्त करने के लिए रोना और उन्हें व्यक्त करके, हम अपने टूटे हुए दिल को ठीक करने और सुधारने लगते हैं। Sad love shayari हमें अपने दिल में जो कुछ भी व्यक्त करने के लिए सही शब्दों को खोजने में मदद कर सकती है। कई बार दर्द इतना मजबूत होता है और लोग दूसरों के साथ sad shayari on love for whatsapp साझा करना चाह सकते हैं, जैसा कि कभी-कभी व्हाट्सएप के लिए उदास प्यार की स्थिति से देखा जाता है। हमें उम्मीद है कि आप जल्दी से बेहतर महसूस करेंगे और जल्द ही मुस्कुरा सकते हैं, लेकिन इस बीच, हमें आशा है कि आपको प्यार के बारे में इन Sad love status में राहत मिलेगी।
Best sad shayari on love-
लोग रोते हैं, न कि क्योंकि वे कमज़ोर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे बहुत लंबे समय तक मजबूत रहे हैं।
मैं हमेशा आपके साथ रहूं गा। जब आप खो गए थे तो आप डर गए थे जब मैं रोया था। मैंने तुम्हारी परवाह की। तो मुझे बताओ, जब मैं रो रहा था तुम कहाँ थे?
कभी-कभी आपको सिर्फ एक अच्छी रोना चाहिए। यहां तक कि यदि आप कारण नहीं जानते कि आप क्यों रो रहे हैं।
जब मैं एक चीज़ के बारे में रोता हूं तो मैं गलत सब कुछ के बारे में रोता हूं।
लड़की, जो हंसती है और बहुत बात करती है और बहुत खुश लगती है, वह लड़की भी है जो खुद सोने के लिए रो सकती है।
उस पल में एक गीत की सुन्दरता आपसे बात करती है, आपका जीवन, आपकी लड़ाई इतनी ज्यादा है कि आप रोते हैं ... रोना शुरू करें
रोना कमजोरी का संकेत नहीं है। यह बहुत लंबा होने के लिए मजबूत होने की कोशिश करने का एक संकेत है।
जब मैं रो रहा हूं और कोई मुझे गले लगाता है, तो यह मुझे और भी रोता है।
जब मेरी आंखें चमकती हैं और मेरी मुस्कुराहट मीठी होती है तो केवल मेरे सच्चे दोस्त जानते हैं कि मैं रोने वाला हूं।
रोना एकमात्र तरीका है जब आपकी आंखें बोलती हैं जब आपका मुंह यह नहीं समझा सकता कि चीजें आपके दिल को कैसे टूट�� हुई हैं।
जब कोई व्यक्ति रोता है और आँसू की पहली बूंद दाहिनी आंख से आती है। यह "हैप्पीनेस" है। लेकिन जब पहला रोल बाएं से है; "इसका" दर्द "।
व्यक्ति की वजह से रोओ मत। याद रखें, लाखों लोग मुस्कुराते हैं।
कभी-कभी अच्छी रोना होती है जो आपको अंदर आने वाली सभी चोटों को छोड़ने की आवश्यकता होती है
शायद थोड़ी देर में हमारी आँखें हमारे आंसुओं से धोने की ज़रूरत है, इसलिए हम फिर से एक स्पष्ट दृश्य के साथ जीवन देख सकते हैं।
आप जानते हैं कि हर व्यक्ति के अंदर एक व्यक्ति है जिसे आप नहीं जानते हैं।
जब मैं एक चीज़ के बारे में रोता हूं तो मैं गलत सब कुछ के बारे में रोता हूं।
मुझ पर विश्वास करो। मुझे पता हैं यह कैसा लगता हैं। मुझे पता है कि स्नान में रोने के लिए कैसा लगता है ताकि कोई भी आपको सुन सके। मुझे पता है कि हर किसी के लिए सोने की प्रतीक्षा करना कैसा है ताकि आप अलग हो सकें। सब कुछ इतनी बुरी चोट पहुंचाने के लिए आप बस इसे खत्म करना चाहते हैं। मुझे पता है कि यह कैसा महसूस करता है।
मैं उस लड़के पर रोने का बीमार हूँ। वह मुझे वापस पसंद नहीं करता है इसलिए चिंता क्यों करें और दर्द से खुद को रखें।
मैं आपको आँसू से बता सकता हूं कि आपको याद होगा।
मैं रोने से नहीं हँसता हूं। मैं आपको अपने चेहरे पर एक कुर्सी के साथ उच्च फेंकने से हंसता हूं।
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Skylab मूवी रिव्यु - नित्या मेनन के कारण फिल्म को देखा जाना चाहिए
हैदराबाद : एक्ट्रेस नित्या मेनन जब भी कोई फिल्म में आती है, तो अपनी छाप जरूर छोड़ती है। अगर आप बॉलीवुड एक्ट्रेस नित्या मेनन के फैन है, तो Skylab जरूर देखिए। स्टोरी : Skylab कहानी है 1970 दशक की। गांव Banda Lingampally में Skylab की कहानी को शूट किया गया है। कहानी में बताया गया है, स्पेस स्टेशन Skylab की गिरने वाली बात, यूज़ चैनल पर लीक हो जाती है। यह बात से चारों तरफ तहलका मच जाता है। नित्या मेनन यानी गौरी एक पत्रकार की भूमिका निभा रही है। गौरी अपने जर्नलिज्म के प्रोफेशन में बहुत विश्वास रखती है। मगर उनका प्रकाशन प्रतिबिंबम, गौरी में कोई विश्वास नहीं रखता है। View this post on Instagram A post shared by Nithya Menen (@nithyamenen) नित्या मेनन यानी गौरी को एक आखरी मौका मिलता है, अपनी काबिलियत साबित करने का। और गौरी अपने आप को साबित नहीं कर पाई तो उनकी शादी करा दी जाएंगी। आनंद यानी सत्यदेव एक डॉक्टर की भूमिका निभा रहे हैं। आनंद का मानना है की में एक गांव में ज्यादा नाम कमा लूंगा। और वहीं दूसरी ओर अगर हैदराबाद में काम किया, तो बड़ा करने में समय लगेगा। हैदराबाद में गाँव के मुताकबिक समय लगेगा पैसा, नाम और शुहरत कमाने में | View this post on Instagram A post shared by Nithya Menen (@nithyamenen) फिल्म में बताया है, कि स्कायलैब की जब दुर्घटना होती है, तो कैसे फिल्म के विभिन्न पात्र जैसे आंनद, गौरी, अपनी अपनी अलग-अलग आकांक्षा को महसूस करते हैं। जब हम बात करें परफॉर्मेंस, तो निःसंदेह नित्य मैनन सबसे आगे उबर के आती है। एक्ट्रेस नित्य मैनन थोड़े समय बाद फिल्मी पर्दे पर आ रही है। हमेशा की तरह इस बार भी नित्या मेनन ने अपनी उपस्थिति को दर्ज कराया है। उनके फैशन स्टाइल और ड्रेसिंग सेंस काफी अपीलिंग है। https://twitter.com/omprakashvaddi/status/1467084690574041091 https://twitter.com/greatandhranews/status/1467071918092140547 नित्य मैनन फिल्म में एक चुलबुली लड़की और बातूनी किसम का किरदार निभा रही हैं। जहां तक हम सत्यदेव की बात करें तो, उनका कैरेक्टर एक साधारण किसम का है। गांव में आकर वह अपने आपको थोड़ा ओर महत्वपूर्ण समझने लगता है। सिनेमैटोग्राफी की बात करें, आदित्य ने अच्छा काम किया है। स्टाइल आपका प्रोडक्शन नित्या मेनन और पृथ्वी कर रहे हैं। फिल्म का म्यूजिक ठीक-ठाक है। स्कायलैब का निर्देशन Vishvak ने किया है | विश्वक की यह पहली निर्देशित फिल्म है। आल्सो रीड : कटरीना कैफ और विक्की कौशल की शादी में सबको कोड़ नाम दिए गए है | https://twitter.com/eskoosme/status/1467062638542688258 अगर आप पर वीकेंड पर खाली है और कुछ मनोरंजक देखना है तो स्कायलैब देख सकते हैं। एक्ट्रेस नित्य मेनन के फैन के लिए ये मूवी must देखने लायक है | सिनेमा न्यूज़ : 2.5/5 स्टार्स Read the full article
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दोस्त की बहन का प्यार और चूत चुदाई दोस्तो, मेरा नाम राज है. मेरी हिंदी एडल्ट स्टोरी मेरे और मेरे दोस्त की बहन के बीच में घटी बुर की चुदाई एक सच्ची घटना है. मैं इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में था पर कभी भी किसी लड़की से खुल कर बातें नहीं कर पाता था. मेरे दोस्त की बहन का नाम प्रिया है. जो कि मेरे ही कॉलोनी में रहती है. उसकी उम्र 19 साल की है और वो देखने में काफ़ी अच्छी और खूबसूरत है. उसके 2 भाई और मम्मी पापा हैं. मैं बहुत शरमाता हूँ इसलिए कभी भी उससे बात नहीं कर पाया. उसका फ़िगर बहुत ही मस्त है. मैं जब भी कॉलेज जाता था तो वो पीछे के दरवाजे से मुझे स्माइल देती थी और मैं उसे देख कर चला जाता. मुझे पता ही नहीं था कि वो मुझे लाइक करती है. ये सिलसिला 3 महीने तक चलता रहा. पर एक दिन वो मुझे नहीं दिखाई दी, मैं बहुत उदास हो कर कॉलेज चला गया. उस दिन शा�� को जब मैं कॉलेज से आया तो उसके भाई ने मुझे कॉल किया और मिलने को बोला. मैं फ्रेश होकर मिलने गया. उसने बोला- भाई, मेरी बहन के 12 वीं के एग्जाम हैं और उसे मैथ्स में कुछ खास समझ नहीं आ रहा है तो कोई टीचर बता दो. मैंने अपने सर का नंबर दिया और वो थैंक्स बोल कर चला गया. सुबह जब मैं कॉलेज में था तो उसके भाई ने मुझे कॉल किया और बोला कि सर बोल रहे है की कोई बैच खाली नहीं है, तो ऐसा कर तू ही कुछ हेल्प कर दे! मैं पहले से ही मैथ्स और फिज़िक्स में अच्छा हूँ तो मैंने ओके बोल दिया. मैं प्रिया को बस शनिवार और रविवार को पढ़ाने लगा, इन दो दिनों में कुछ और बच्चे भी आते थे. कुछ हफ्ते निकल गए और मुझे उसके अन्दर इंप्रूव्मेंट दिखी. एक दिन रविवार को मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, पापा भी डयूटी पर गए थे और मैं अकेला था.. क्योंकि मेरे भाई, भाभी और माँ गाँव में रहते हैं. जब स्टूडेंट्स आए तो मैंने उन्हें छुट्टी दे दी और वो चले गए. मेरा सर, दर्द से फटे जा रहा था तो मैंने सोचा कॉफी बना लेता हूँ.. पर उठने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी. कुछ देर बाद डोरबेल बजी तो मैंने देखा कि ये प्रिया थी. मैंने उससे बोला कि मेरे सर में दर्द है इसलिए आज नहीं पढ़ाऊंगा.. मैं कॉफ़ी बनाने तक नहीं उठ पा रहा हूँ. वो कुछ कहे बिना ही मेरे घर के अन्दर आ गई. पहले मैंने सोचा कि पता नहीं ये क्या कर रही है. उसने पहले कॉफी बनाई और अपने घर से एक दवा लेकर आई. मैंने चेयर पर बैठकर दवा ली और कॉफी पीने लगा. वो मेरे पीछे होकर मेरे सर को दबाने लगी. मैंने मना किया पर वो नहीं मानी. मैंने अपने सिर पे उसके हाथ के अलावा उसके मम्मों को भी महसूस किया. मैंने जब उसे देखा तो वो मुस्करा कर शरमाने लगी और बोली- सीधे रहिए ना. साला लड़कों की फ़ितरत देखो, मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था, पर मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया. करीब 30 मिनट बाद उसने बोला- मैं जा रही हूँ. मैंने बोला- ओके. वो बोली- दरवाजा बंद कर लीजिए. मैं जैसे ही उठा उसने मुझे लिप पे किस की और ‘आई लव यू..’ बोल कर चली गई. मैं हैरान था, मुझे पहली बार किसी ने किस किया और आई लव यू बोला. कुछ हफ्तों में हमने सिलेबस कंप्लीट किया, पर उस दिन लिप किस वाली घटना का जिक्र दोबारा कभी नहीं हुआ. कुछ दिनों बाद उसके एग्जाम आ गए और मैंने उसे बेस्ट ऑफ लक कहा. एग्जाम खत्म हुए, पर हम फिर नहीं मिले. कुछ महीने बाद रिजल्ट आया. मैंने उसका रिजल्ट चेक किया और मैं काफ़ी खुश था कि वो 72% से पास हुई और मैथ्स में 80% मार्क्स लाई थी. शाम को बाहर निकला तो देखा कि वो सबको मिठाइयां खिला रही है. पर उसने मुझे एक बार देख कर इग्नोर कर दिया, ये मुझे बहुत बुरा लगा. फिर उसके भाई ने मुझे देखा और आकर थैंक्स बोला. अगले दिन शाम को पापा काम पर गए थे, आज उनकी सेकंड शिफ्ट थी. मैं घर पर अकेला था. लगभग 8:30 पर मेरी डोरबेल बजी, मैंने देखा कि प्रिया थी. मैंने उसे अन्दर बुलाया और बधाई देते हुए बोला- कैसे आना हुआ? वो बोली कि आपको मिठाई खिलानी थी. मैंने ओके कहा, पर उसके हाथ में कोई मिठाई नहीं थी. मैंने पूछा- कहां है? वो बोली- है ना.. आप अपनी आँख बंद करो. मैंने आँख बंद की. उसने मुझे किस किया तो मैं अपनी आँखें खोलीं. उसने पूछा- मीठी नहीं है क्या? मैंने बोला- एक बार और टेस्ट कराओ. वो हंस कर मेरे गले से लग गई. फिर हम लगातार एक दूसरे को किस करने लगे और मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा एक हाथ उसके मम्मों को और एक उसके गांड को दबा रहे थे. हम दोनों पसीने पसीने हो गए और मुहब्बत में सिहर भी रहे थे. फिर मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लिटाकर पहले उसके माथे पे किस किया, फिर होंठों पर.. और धीरे धीरे मैं नीचे आने लगा. मैंने उसकी कुरती खोली, उसने ब्रा नहीं पहनी थी.. इसलिए उसके चूचे मेरे सामने नंगे हो गए थे. उसकी चूचियां काफ़ी बड़ी और सुडौल थी. मैं उसकी चूचियों को और निप्पलों को चूसने लगा; वो अपनी आँखें बंद करके मादक सिसकारियां ले रही थी और मेरे बाल सहला रही थी. मैं और नीचे गया और उसकी नाभि को चाटने लगा. हम दोनों काँप रहे थे क्योंकि हम दोनों का पहला सेक्स था. फिर मैंने उसकी सलवार खोली, वो पिंक पैंटी में थी. मैं उसे देखता ही रह गया, मेरा लंड पूरे उफान पर आ गया था. वो बोली- क्या सोच रहे हैं? मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी. उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था और चूत गीली हो चुकी थी. मैंने अपनी जीभ को जैसे ही उसकी बुर पर लगाया, वो सिहर उठी और मेरे सर को पकड़ कर बुर की ओर करने लगी. मैं दस मिनट तक चूत चूसता रहा. फिर वो झड़ गई और मुझे बिस्तर धक्का देकर मेरी टी-शर्ट और पेंट उतार दी. मैं अंडरवियर में था और वो मेरे ऊपर आकर किस करते करते नीचे आ गई. जैसे ही उसने मेरा खड़ा लंड देखा, वो शरमाते हुए बोली- आपका इतना लंबा कैसे है? मेरे लंड की लम्बाई लगभग 7 इंच है, मैं बोला- तुम्हारे प्यार से हो गया है. फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव था. मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और उसने पूरा दही पी लिया. अब बारी थी कुछ और करने की तो हम 69 हुए और एक दूसरे को फिर से एग्ज़ाइट करने लगे. कुछ देर बाद वो बोली- अब रहा नहीं जाता. मैं उठा और उसके पैरों के बीच आकर उसकी टांगे फैला दीं. फिर मैंने अपना लंड उसकी बुर की फांकों पर लगाकर रगड़ने लगा. अभी लंड पेला भी नहीं था कि वो मादक सिसकारियां लेते लेते ��िर से झड़ गई. उसकी बुर बहुत गीली हो गई थी. मैंने उसकी बुर की सुराख पर अपना लंड टिका कर धक्का लगा दिया, वो चिल्ला दी- मैं अभी कुँवारी हूँ.. दर्द हो रहा है. मैंने वैसलीन लाकर उसकी बुर में अन्दर तक लगाई और उसने मेरे लंड पर मली. फिर हमने दूसरी बार कोशिश कि इस बार लंड का अगला हिस्सा उसकी बुर में घुस गया. वो दर्द से तड़प रही थी. मुझे देखा नहीं गया और मैंने बोला- रहने देते हैं. पर वो बोली- आपके प्यार के लिए मेरा यह दर्द बहुत छोटा सा है. यह सुन कर मेरा प्यार उसके लिए और बढ़ गया. मैं उसके होंठों और मम्मों को किस करने लगा ताकि उसका दर्द कुछ कम हो जाए. कुछ देर बाद वो बोली कि वो रेडी है और मुझे किस करने लगी ताकि उसकी आवाज ना निकल पाए. मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और मेरा लंड पूरी तरह उसकी बुर में घुस गया. वो चीखी पर उसकी चीख दबी रह गई. उसी पोज़िशन में कुछ देर रुकने के बाद मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. अब उसे भी मजा आने लगा, वो भी मुझे नीचे से रेस्पॉन्स देने लगी. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. वो कभी ‘आई लव यू जानू…’ तो कभी मादक सिसकारियां ले रही थी, तो कभी किस कर देती थी. कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि उसकी बुर में कुछ हलचल सी हो रही थी और जैसे गर्म लावा निकाल रही हो, मतलब वो झड़ रही थी. हम दोनों ने करीब 15 मिनट तक बुर चुदाई की, जिसमें वो दो बार झड़ गई. उसकी बुर में गजब की गर्मी महसूस हो रही थी, जो मुझे और एग्ज़ाइट कर रही थी. मैं भी झड़ने वाला था. मैंने पूछा तो वो बोली कि मैं आपको महसूस करना चाहती हूँ. मैं उसकी बुर के अन्दर ही झड़ गया. मैंने उसे देखा तो उसकी आँखों में आंसू थे, पर होंठों पर एक मुस्कान थी. मैं जब उसके ऊपर से हटा तो देखा कि उसकी बुर से खून के साथ साथ कामरस भी निकल रहा था. हम दोनों बहुत थक गए थे. फिर हम दोनों ने एक दूसरे के गुप्त अंगों को साफ किया और कपड़े पहन लिए. वो बहुत खुश थी और मुझे हल्के से किस करके उसने कॉफी बनाई. हम दोनों टीवी देखते देखते कॉफी पीने लगे. तभी मुझे याद आया कि अभी तो रात हो गई है. मैं डर गया और पूछा कि तुम अपने घर क्या कह कर आई हो? वो बोली कि आज उसके घर में कोई नहीं है, सब गाँव गए हैं और मैं कुछ बहाना बना कर रुक गई थी. इस वक्त रात के 10 बज चुके थे तो हमने खाना खाया और फिर रात को 2 और बार बुर की चुदाई की. इस बार हमने कई सारे आसन ट्राई किए. सुबह के 3:30 बजे वो अपने घर चली गई और मैं भी सो गया. अगले दिन उसकी पूरी फैमिली आ गई थी. एक दिन वो अपने भाई के सामने, जो कि मेरा दोस्त है, मुझसे पूछने लगी- मिठाई कैसी थी? तो मैंने बोला- बहुत मीठी. अब हमें जब भी मौका मिलता, हम दोनों खूब बुर की चुदाई करते हैं. मैंने उसकी गांड भी मारी थी. दोस्तो, कहानी लिखने में कोई ग़लती हुई हो तो माफ़ करना और मेरी हिंदी एडल्ट स्टोरी कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें. अपना समय देने के लिए आपक�� शुक्रिया
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बंगाल में बीजेपी को सत्ता भले न मिली हो, लेकिन वह हारी भी नहीं Divya Sandesh
#Divyasandesh
बंगाल में बीजेपी को सत्ता भले न मिली हो, लेकिन वह हारी भी नहीं
माटीगारा-नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के आनंदमोय बर्मन ने तृणमूल कांग्रेस के राजन सुंदास को 70 हज़ार से ज़्यादा मतों से हरा दिया. यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है. इस सीट से 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शंकर मालाकार की जीत हुई थी और वह इस बार तीसरे नंबर पर रहे.
ये वही नक्सलबाड़ी इलाक़ा है, जहाँ से 1967 में अतिवादी वामपंथी नेताओं ने हथियारबंद आंदोलन का आग़ाज़ किया और कई राज्यों के मज़दूरों, भूमिहीनों, दलितों, आदिवासियों और शोषितों को आकर्षित किया. नक्सलबाड़ी में बीजेपी की जीत को क्या पश्चिम बंगाल के किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र में जीत की तरह ही देखा जाना चाहिए?
नक्सलबाड़ी आंदोलन के जनक चारू मजूमदार के बेटे अभिजीत मजूमदार कहते हैं कि अगर मोटे तौर पर देखें तो ऐसा ही लगता है कि देश भर में बीजेपी जीत रही है, तो नक्सलबाड़ी में भी जीत सकती है.
लेकिन अभिजीत इस जीत को एक सामान्य जीत से आगे देखते हैं. वे कहते हैं, ”इस जीत से पता चलता है कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों में लेफ़्ट की पकड़ बहुत कमज़ोर हो गई है और बीजेपी पाँव जमा चुकी है.”
अभिजीत कहते हैं, ”माटीगारा-नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में 30 फ़ीसदी अनुसूचित जातियों की आबादी है. बिना अनुसूचित जातियों के समर्थन के बीजेपी इस सीट को नहीं जीत सकती है.” मजूमदार आदिवासियों के बीच भी बीजेपी की पैठ की मिसाल देते ह���ं.
वे कहते हैं, “इसी इलाक़े में फांसीदेवा विधानसभा क्षेत्र है और यहाँ से भी बीजेपी के दुर्गा मुर्मु को लगभग 30 हज़ार के अंतर से जीत मिली है. ये अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट है. सीपीआई (एमएल-एल) से चाय बगान की एक मज़दूर लड़���ी सुमंती एक्का को उतारा था लेकिन उन्हें 3000 भी वोट नहीं मिले. बीजेपी दलितों और आदिवासियों को पश्चिम बंगाल में अपने साथ लाने में कामयाब होती दिख रही है.”
इस बार के चुनावी नतीजों को देखें, तो ये बात बिल्कुल स्पष्ट नज़र आती है कि दलितों और आदिवासियों के बीच बीजेपी की मौजूदगी बढ़ रही है.
294 सदस्यों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 84 रिज़र्व सीटें हैं. इनमें से 68 अनुसूचित जाति के लिए और 16 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इस बार टीएमसी को 45 रिज़र्व सीटों पर जीत मिली है और बीजेपी को 39 सुरक्षित सीटों पर.
नतीजा किसके पक्ष में?
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों को अनेक दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है. सबसे पहली चीज़ तो यही दिखती है कि ममता बनर्जी ने बहुत ही आसानी से चुनाव जीता और बीजेपी कड़ी टक्कर नहीं दे पाई. इस बार बीजेपी का वोट शेयर 38.1 फ़ीसदी है जबकि ममता बनर्जी का 47.94 फ़ीसदी. ममता बनर्जी को 294 में से 213 और बीजेपी को 77 सीटों पर जीत मिली.
ममता बनर्जी को बीजेपी से क़रीब 10 फ़ीसदी वोट ज़्यादा मिले हैं और यह कोई छोटा फ़ासला नहीं है. बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में 40.30 फ़ीसदी वोट मिले थे. अगर लोकसभा से तुलना करें तो इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दो फ़ीसदी कम वोट मिला.
दूसरी तरफ़ टीएमसी का 2019 में 43.30 फ़ीसदी से बढ़कर 48.20 प्रतिशत हो गया. अगर बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से जीत मिलती, तो क़रीब 121 विधायक बीजेपी के होते लेकिन 77 सीटों पर ही बीजेपी को जीत मिली है क्योंकि उसका वोट प्रतिशत घटा है जबकि ममता का बढ़ा है.
वोट शेयर और सीटों की संख्या के लिहाज से टीएमसी की पश्चिम बंगाल में अब तक की सबसे बड़ी जीत है. लेकिन 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन की तुलना इस विधानसभा चुनाव से करें तो यह उसकी एक बड़ी जीत है.
2016 में बीजेपी को केवल तीन सीटों पर जीत मिली थी और इस बार 77 सीटों पर जीत मिली है. 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर लगभग 10 फ़ीसदी था, 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी की लोकप्रियता का उफ़ान दिखा और उसने वोट शेयर के मामले में एक झटके में 40 प्रतिशत का आँकड़ा पार कर लिया. बीजेपी को इस विधानसभा चुनाव में में 38.1 प्रतिशत वोट मिले हैं.
ताज़ा चुनाव में बीजेपी की इस जीत से कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां साफ़ हो गईं. आज़ादी के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के एक भी विधायक नहीं चुने गए. 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा गठबंधन को 77 सीटों पर जीत मिली थी यानी ठीक उतनी ही सीटें जितनी इस बार बीजेपी को मिली हैं.
पिछली बार कांग्रेस लेफ्ट गठबंधन का वोट शेयर 26.2 प्रतिशत था लेकिन इस बार इन्हें एक भी सीट पर जीत नहीं मिली और वोट शेयर भी आठ फ़ीसदी के आसपास सिमटकर रह गया.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी सरकार नहीं बना पाई लेकिन विपक्ष की पूरी जगह उसने अपने पाले में कर ली है. पार्टियाँ अक्सर सत्ता में आने से पहले विपक्ष की जगह ही हासिल करती हैं और ये काम बीजेपी ने सीपीएम-कांग्रेस को बेदखल करके कर लिया है.
अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल में इस बार सरकार बना लेती तो बहुत ही अप्रत्याशित होता, क्योंकि बंगाल में वो सीधे तीन सीट से सत्ता तक पहुँचती. ऐसा शायद ही किसी राज्य में हुआ है.
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क्या बीजेपी की हार हुई है?
क्या विपक्ष की जगह को हासिल करना बीजेपी की कम बड़ी जीत है? इस बार का पश्चिम बंगाल चुनाव बीजेपी के सरकार नहीं बना पाने के लिए जाना जाएगा या सीपीएम-कांग्रेस के साफ़ हो जाने के लिए या फिर ममता बनर्जी के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए?
जादवपुर यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर अब्दुल मतीन कहते हैं कि ममता का तीसरी बार मुख्यमंत्री बनना अहम है लेकिन उससे ज़्यादा अहम बीजेपी का तीन से 77 तक पहुँचना है. अब्दुल मतीन मानते हैं कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का विपक्ष बनना यहाँ की राजनीति के लिए टर्निंग पॉइंट है.
प्रोफ़ेसर मतीन कहते हैं, ”बीजेपी ने जिस तरह से बंगाल में माहौल बनाया था, उसे देखते हुए यह नतीजा थोड़ी राहत देता है. लेकिन मैं नहीं मानता कि ये धर्मनिरेपक्षता की राजनीति की जीत है. ममता इसलिए जीत गईं क्योंकि मुसलमानों ने एकजुट होकर टीएमसी को वोट दिया. यह पॉलिटिकल बाइनरी की जीत है. मतलब ममता ने मुसलमानों के बीच संदेश फैलाने में सफलता हासिल की कि वोट टीएमसी को करो नहीं तो बीजेपी जीत जाएगी. ध्रुवीकरण की राजनीति की जीत को हम बीजेपी की हार नहीं मान सकते.”
इस बार का चुनाव पूरी तरह से दो ध्रुवीय रहा. 292 में से 290 सीटों पर टीएमसी या फिर बीजेपी को जीत मिली है. एक पर इंडियन सेक्युलर फ्रंट और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है.
प्रोफ़ेसर मतीन कहते हैं, ”बंगाल में जिस मुर्शिदाबाद और मालदा इलाक़े में सबसे ज़्यादा मुसलमान हैं, वहाँ टीएमसी के 80 फ़ीसदी से ज़्यादा उम्मीदवार जीते हैं. मतलब बंगाल के 28 फ़ीसदी मुसलमानों ने एकजुट होकर ममता को वोट किया है. लेकिन हिन्दू वोट उस तरह से ध्रुवीकृत नहीं हो पाए और ममता को इसीलिए जीत मिली. लेकिन एक समुदाय का वोट इस तरह से एकजुट होगा तो बहुसंख्यकों के बीच क्या इस पोलराइज़ेशन को लेकर कोई संदेश नहीं जाएगा? अगर काउंटर पोलराइज़ेशन हिन्दुओं के बीच भी हुआ तब क्या होगा? और याद रखिए ध्रुवीक���ण की पॉलिटिक्स में इसकी आशंका हमेशा रहती है.”
प्रोफ़ेसर मतीन कहते हैं कि बंगाल में बीजेपी के स्थानीय हिन्दुत्व और राष्ट्रीय हिन्दुत्व में तालमेल की थोड़ी कमी थी लेकिन इसके बावजूद विधानसभा में हिन्दुत्व ने मज़बूती से दस्तक दे दी है और यह बीजेपी की बड़ी जीत है.
मतीन कहते हैं, ”सीपीएम और कांग्रेस का साफ़ हो जाना बीजेपी की सबसे बड़ी सफलता है. मुझे लगता है कि यह सफलता ममता के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने से कम बड़ी नहीं है.”
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मुस्लिम प्रतिनिधित्व
हालाँकि इस बार मुसलमानों के ध्रुवीकरण का फ़ायदा भले टीएमसी को मिला लेकिन इससे विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ा बल्कि 2016 की तुलना में कम हुआ है. 2016 में पश्चिम बंगाल में कुल 59 मुस्लिम विधायक चुने गए थे लेकिन इस बार यह संख्या 44 रह गई है. कांग्रेस और सीपीएम के साफ़ होने का असर मुसलमानों के प्रतिनिधित्व पर पड़ा है.
2016 में कुल 59 मुस्लिम विधायकों में 32 तृणमूल कांग्रेस, 18 कांग्रेस और 9 वाम मोर्चे से थे. इस बार कुल 44 मुसलमान चुनकर आए हैं और जिनमें से 43 टीएमसी के हैं और एक अब्बास सिद्दीक़ी के आईएसएफ़ से. मुस्लिम वोटों के टीएमसी के पक्ष में ध्रुवीकरण की क़ीमत सीपीएम और कांग्रेस को भी चुकानी पड़ी.
जब पश्चिम बंगाल में मतदान हो रहा था तभी अप्रैल के दूसरे हफ़्ते में क्लबहाउस ऑडियो ऐप पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पत्रकारों से बातचीत की चैट लीक हुई. इस लीक चैट में प्रशांत किशोर कह रहे थे कि बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफ़ी लोकप्रिय हैं और दलित खुलकर बीजेपी के साथ हैं.
प्रशांत किशोर ने इस चैट को ख़ारिज नहीं किया लेकिन कहा कि पूरे संदर्भ को काटकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है लेकिन सबके लिए यह हैरानी की बात थी कि मतदान के टाइम में इस तरह की चैट कैसे और क्यों लीक हुई. कई लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि प्रशांत किशोर बीजेपी के आदमी हैं और टीएमसी में रहकर बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं.
प्रशांत किशोर की संस्था आईपैक यानी इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी में काम करने वाले एक प्रोफ़ेशनल से पूछा कि मतदान के बीच इस तरह की चैट क्यों लीक हुई थी? उस प्रोफ़ेशनल ने नाम नहीं ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया, ”��सा प्रशांत किशोर ने जानबूझकर किया था. मुसलमानों के बीच यह संदेश देना था कि टीएमसी के पक्ष में एकजुट नहीं हुए तो बीजेपी प्रदेश में सरकार बना लेगी. यह रणनीति कामयाब रही और मुस्लिम वोट टीएमसी के साथ एकजुट हो गया.”
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मुसलमानों की एकजुटता
कोलकाता यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर हिमाद्री चटर्जी कहते हैं कि ममता के साथ मुसलमान एकजुट थे लेकिन हिन्दू वोट को भी ध्रुवीकृत होने से बचाया है. हिमाद्री चटर्जी कहते हैं कि बीजेपी का पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्ष बनना और कांग्रेस, सीपीएम को एक भी सीट नहीं मिलना एक बड़ा संकेत है.
हिमाद्री कहते हैं, ”देश भर में बाइलपोलर राजनीति बढ़ रही है. तीसरे के लिए स्पेस लगातार कम हो रहा है. बंगाल में पहले कांग्रेस सत्ता में रही. फिर वाम मोर्चा सत्ता में आया और कांग्रेस विपक्ष में आई. विपक्ष की जगह फिर टीएमसी ने ली और वाम मोर्चा को 2011 में बेदख़ल किया. उसके बाद से एक मज़बूत विपक्ष और अलग नैरेटिव को लेकर ख़ालीपन था, जिसे अब बीजेपी ने भर दिया है. अब बीजेपी विपक्ष में है और बंगाल में कोई विपक्षी पार्टी सत्ता में नहीं आई हो ऐसा कभी नहीं हुआ.”
हिमाद्री चटर्जी कहते हैं कि बीजेपी ने जो पश्चिम बंगाल में इन्वेस्टमेंट किया और उससे जो इम्प्रेशन बनाया, उसका मेल चुनावी नतीजे से बिल्कुल नहीं है और इसीलिए बीजेपी विरोधी ख़ुश हैं. प्रोफ़ेसर हिमाद्री कहते हैं कि बीजेपी के तीन से 77 तक पहुँचने को जो लोग कमतर आँक रहे हैं वे ग़लती कर रहे हैं क्योंकि बंगाल में बीजेपी अब केवल इंटरनेट पर नहीं है बल्कि लोकसभा के बाद विधानसभा में भी पहुँच गई है.
हावड़ा में बाली विधानसभा सीट से सीपीएम की उम्मीदवार और जेएनयू में पीएचडी की स्टूडेंट दीपसीता धर तीसरे नंबर पर रहीं. यहां से टीएमसी के राणा चटर्जी को जीत मिली. दीपसीता कहती हैं कि अगर सीपीएम यहां मैदान में नहीं होती तो बीजेपी की वैशाली डालमिया जीत जातीं और यह केवल बाली सीट की बात नहीं है. दीपसीता को लगता है कि बीजेपी को बंगाल में इस बार सत्ता में आने से केवल टीएमसी ने नहीं बल्कि सीपीएम और कांग्रेस गठबंधन ने भी रोका है.
दीपसीता कहती हैं कि भले बीजेपी सरकार नहीं बना पाई लेकिन पश्चिम बंगाल में अपनी मजबूत पैठ बना चुकी है और विपक्ष की पूरी जगह उसने ले ली है.
वो कहती हैं, जिन्हें लग रहा है कि बीजेपी की हार हुई है ��े या तो बीजेपी से बहुत ज़्यादा उम्मीद कर रहे थे या फिर उसकी इस बड़ी जीत को कमतर आँक रहे है. टीएमसी की राज्यसभा सांसद अर्पिता घोष कहती हैं कि अगर कांग्रेस और सीपीएम को भी कुछ सीटें मिली होतीं तो ज़्यादा ठीक होता.
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सीपीएम की दुविधा
सीपीएम के साफ़ होने की वजह क्या रही? दीपसीता कहती हैं, ”यह चुनाव बिल्कुल बाइपोलर था. हम लोग भी एंटी बीजेपी एजेंडे पर लड़ रहे थे और टीएमसी भी. एंटी बीजेपी खेमे वाले मतदाताओं को लगा कि टीएमसी के पीछे जाना चाहिए क्योंकि वही बीजेपी को मात दे सकती है. ऐसा ही हुआ. मुसलमान पूरी तरह से एकजुट हो गए. उनके मन में डर था कि बीजेपी आ जाएगी और बीजेपी को टीएमसी ही रोक सकती है.”
दीपसीता कहती हैं, ”हमारे लिए बंगाल में विचित्र स्थिति हो गई है. जब हम बीजेपी का विरोध करते तो लोगों को लगता है कि टीएमसी का समर्थन कर रहे हैं. जब हम टीएमसी का विरोध करते हैं तो लोगों को लगता है कि यह बीजेपी के पक्ष में जा रहा है. हमें ये डिसाइड करने में बहुत परेशानी हुई कि किस आक्रामक एजेंडे के साथ आगे बढ़ना है. इस चुनाव में यही हुआ.”
दीपसीता ये भी मानती हैं कि जिस तरह से टीएमसी के पास ममता बनर्जी हैं और बीजेपी के पास नरेंद्र मोदी वैसा कोई पॉपुलर अपील वाला नेता वामपंथियों के पास नहीं है. दीपसीता कहती हैं कि आने वाले दिन सीपीएम और कांग्रेस के बहुत ही मुश्किल भरे हैं क्योंकि बीजेपी और टीएमसी से एक साथ लड़ना आसान नहीं है. दीपसीता कहती हैं कि उन्हें फिर से शून्य से शुरू करना होगा, मानो उनके लिए फिर से 1925 के साल आ गए हैं.
पश्चिम बंगाल परिवर्तन में वक़्त लेता है. आज़ादी के बाद से कांग्रेस लगभग तीन दशक तक सत्ता में रही. कांग्रेस के बाद 34 सालों तक सीपीएम सत्ता में रही और पिछले 10 सालों से तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है. बंगाल लोगों को वक़्त देता है. ममता को लेकर भी बंगाल अपनी पुरानी रवायत ही दोहरा रहा है. लेकिन बीजेपी ने भी बंगाल के दरवाज़े पर दस्तक दे दी है और कह रही है हमारा भी वक़्त आ गया है.
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पीरियड के दर्द को कम करने का उपाय
हमारे जीवन में कई प्रकार की समस्याएं देखी जा सकती हैं शारीरिक हो या मानसिक। जीवन का एक दौर ऐसा होता है, जब इन समस्याओं से दो-चार कभी ना कभी होना ही पड़ता है। महिलाओं की बात करें,तो उनको भगवान ने एक असीम शक्ति दी है जिसके बलबूते सारे दर���द, गम मे भी मुस्कुरा देती है लेकिन कुछ दर्द ऐसे भी हैं, जो अंदर से तोड़ने का काम करते हैं। उनमें से एक दर्द है पीरियड का दर्द।
क्या है पीरियड | kya hai period
इसे सामान्यतः मासिक धर्म या महावारी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रत्येक महीने होने वाली शारीरिक प्रक्रिया है, जो 10 से 15 साल की लड़कियों में शुरू होती है। पीरियड के दौरान हर महीने अंडाशय से अंडा निकलता है। ऐसे समय में महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन देखे गए हैं यह प्रक्रिया ओव्यूलेशन कहलाती है।
इस समय में अंडा का निषेचन ना हो पाए तो गर्भाशय की परत बाहर की ओर आ जाती है जिसे ही पीरियड कहा जाता है। शुरुआत में इसकी अवधि लंबी हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे अपने सामान्य समय चार-पांच दिनों का ही रह जाता है। प्रत्येक महिला की शारीरिक संरचना अलग-अलग होती है, जो प्रायः 21 से 35 दिनों बाद पीरियड होने लगते हैं।
पीरियड के लक्षण | period ke lakshan in hindi
पीरियड के आने पर महिलाओं में कई प्रकार के लक्षण देखे गए हैं
1) पेट के निचले भाग में दर्द होना।
2) कमर दर्द होना।
3) मूड बदलना।
4) खाने का मन ना होना।
5) उल्टी होना।
6) बेचैनी होना।
7) किसी भी काम में मन ना लगना।
पीरियड के दर्द को कैसे किया जा सकता है दूर
कई बार महिलाएं पीरियड के दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाती उन्हें लगातार दर्द की शिकायत रहती है। यह दर्द कम या ज्यादा होते रहता है। ऐसे समय में कुछ उपायों के माध्यम से भी दर्द से दूर रहा जा सकता है।
1) अदरक — अदरक कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मददगार है। ऐसे में अदरक का उपयोग पीरियड के दर्द को कम करने में कर सकते हैं। इसके लिए अदरक को बारीक कूटकर पानी में उबाल लें। जब पानी उबालकर आधा हो जाए तो इसका उपयोग पीने में करें। ऐसा करने पर इस दर्द को दूर किया जा सकता है।
2) अजवाइन — इस दर्द को दूर करने के लिए अजवाइन के पानी को उबालकर पीने से भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
3) पपीता — ऐसा माना जाता है कि इस दर्द को दूर करने में पपीता भी महत्वपूर्ण होता है। पपीते में पाया जाने वाला एंजाइम पेपेन पेट दर्द से राहत दिलाता है।
4) गरम पानी की थैली — यह ऐसा दर्द है, जो बार-बार होता रहता है कभी कम कभी ज्यादा। ऐसे में कुछ भी करने का मन नहीं होता तो ऐसे में आप गर्म पानी की थैली बाजार से अवश्य लाए। उस थैली से सिकाई करने पर आपको फायदा होने लगेगा।
5) दूध — ऐसे दर्द से बचने के लिए आपको दूध जरूर पीना चाहिए। दूध में कैल्शियम है, जो इम्यूनिटी को मजबूत कर दर्द से राहत दिलाता है।
6) एलोवेरा — एलोवेरा के औषधीय गुणों ��ी जानकारी हमें हैं। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का जूस बनाकर पिए तो निश्चित रूप से इससे फायदा होगा।
7) जैस्मीन — ऐसा भी माना गया है कि जैस्मीन युक्त चाय पी लेने से भी इस दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
8) गर्म पानी से नहाना — ऐसे समय में अगर आप गर्म पानी से नहाती हैं, तो आपको अच्छा महसूस होगा और आप इस दर्द को भूल जाएगी।
पीरियड के दर्द को दूर करने के कुछ गुणकारी टिप्स | period ko dur karne ke liye helpful tips
इसके अलावा आप अगर बहुत ही ज्यादा दर्द से बेहाल रहती हैं, तो आप इन टिप्स से भी फायदा ले सकती हैं। अगर हो सके तो आप इन्हें कुछ दिनों पहले से ही शुरू करें।
1) इस दर्द से निपटने के लिए वॉकिंग पर जाएं इससे आपका शरीर एक्टिव होगा। आपने देखा होगा कि आप जितना एक्टिव रहते हैं दर्द उतना ही कम होता है।
2) ऐसे समय में आप ज्यादा भारी खाना ना खाएं हल्का खाना ही बेहतर होगा।
3) अगर आप थोड़ा व्यायाम कर ले इससे भी फायदा होगा। ज्यादा नहीं तो आधा घंटा व्यायाम करना ही सही रहता है।
4) बिस्तर पर लेटने के बजाय खुद को एक्टिव बनाए रखें। कुकिंग करना, पुस्तकें पढ़ना, पेड़ पौधों में पानी देना, घर के छोटे-छोटे काम कर सकती हैं।
5) उस दिन अपने काम जैसे स्कूल, कॉलेज, ऑफिस से छुट्टी नहीं ले। आप अपने काम में जाएंगी तो आपका दर्द कम होगा और शरीर भी गतिशील बना रहेगा।
6) दर्द को कम करने के लिए अपना पसंदीदा म्यूजिक सुन सकती हैं यह आपको नई ताजगी और ऊर्जा देगा।
दही का सेवन भी हो सकता है फायदेमंद
पेट का दर्द असहनीय भी हो जाता है। ऐसे में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। ऐसे दर्द में आप दही का सेवन जरूर करें। दही में कई प्रकार के पोषक तत्व कैल्शियम, प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। दही में लैक्टोबैसिलस लेसिली नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो किसी भी पेट संबंधी विकार को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में आप भी पीरियड के दर्द को दूर करने के लिए ठंडी दही का उपयोग करें। इससे जरूर आपको फायदा होगा।
इन आहारो से दूर रहे पीरियड के समय
अगर आप पीरियड के दर्द से बेहाल रहती हैं,तो इन आहारो से दूर रहने में आपको फायदा होगा और दर्द से भी छुटकारा मिल सकता है।
1). चीनी –– ऐसा माना जाता है कि महिलाओं और लड़कियों को मीठा खाना पसंद होता है। लेकिन जब आपको पीरियड का दर्द ज्यादा हो रहा हो, तो चीनी युक्त आहारों का सेवन बिलकुल बंद कर दें। ऐसे हार्मोन के साथ साथ चीनी का लेवल बढ़ता घटता रहता है और ज्यादा चीनी लेने से मीठे का स्तर बढ़कर परेशानी कर सकता है ऐसे में कुछ दिन चीनी से दूर ही रहे।
2) वसायुक्त आहार — ऐसे समय में ऐसे आहारो से दूर रहे जिनमें वसा अधिक मात्रा में स्थित हो। वसायुक्त ��दार्थ में प्रोस्टाग्लैंडइन पाए जाते हैं, जो मुमकिन है कि इसमें गर्भाशय की दीवारें संकुचित होकर दर्द उत्पन्न करें। ऐसे में आप पौष्टिक आहार लें तो ही बेहतर होगा।
3) नमक — महिलाएं इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाती हैं कि ऐसे में नमक का सेवन बहुत ही हानिकारक होता है। नमक में सोडियम ज्यादा मात्रा में होता है जो कहीं ना कहीं नुकसान करता है ऐसे में कोशिश करें कि नमक ,पापड़, चिप्स से दूर ही रहा जाए।
4) काँफी –– अगर आप कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो ऐसे में कुछ दिनों के लिए कॉफी पीना छोड़ दे तो फायदेमंद होगा। कॉफी में कैफीन होती है, जो गर्भाशय की दीवारों को संकुचित करके दर्द को बढ़ा देती है। ऐसे में यह पेय पदार्थ नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में पेट में ऐठन की भी समस्या बनी रहती है।
5) प्रोसैस्ड फूड — अगर आप ऐसे समय में प्रोसैस्ड फूड का त्याग कर दें तो आपके लिए सही रहेगा। यह फूड तेल व वसा युक्त होता है, जो परेशानी को बढ़ाने का भी काम करता है।
प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे चेक करें
पीरियड में इन आहारो को लेने से होगा फायदा–
1) हरी पत्तेदार सब्जियां — ऐसे समय में कई महिलाएं बहुत हेवी फ्लो का शिकार हो जाती हैं। ऐसे में पूरी संभावना होती है कि शरीर में आयरन और विटामिन की कमी हो जाएं। बहुत अच्छा होगा कि आप हरी पत्तेदार सब्जियां ले जिससे किसी भी प्रकार की कमी शरीर को ना होने पाए।
2) नॉन वेज खाना — अगर आप नॉनवेज खाना पसंद करती हैं, तो यह आपके लिए अच्छा हो सकता है। ऐसे में अगर आप चिकन और मछली का सेवन करें तो फायदेमंद होगा। इसमें भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड हैं, जो पीरियड में फायदेमंद है।
3) मेवे — अगर आप ऐसे समय में मेवे जैसे — काजू, बादाम ,अखरोट का सेवन करें तो उसमें उपस्थित मैग्नीशियम, आयरन दर्द को सहने की ताकत देता है।
4) गर्म पानी का सेवन — ऐसे समय में गर्म पानी का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होगा। गरम पानी संकुचित दीवारों को सही करने का काम करती हैं।
5) केला — केला खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। इससे उर्जा भी प्राप्त की जा सकती है, जो मूड को सही रखने का काम करता है। जब भी आपको पीरियड का दर्द सताए तो केले का सेवन अवश्य रूप से करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
पहली बार पीरियड होने में ले सावधानी
जब भी कोई लड़की 12 वर्ष या उससे ऊपर होती है तो पीरियड आने शुरू हो जाते हैं। शुरु शुरु में तो उन्हें कुछ समझ नहीं आता। ऐसे में घर की महिलाओं को भी पूरी सावधानी रखनी चाहिए। इससे संबंधित थोड़ी जानकारी पीरियड के पहले से ही दे दिया जाए तो बेहतर होगा। पहली बार पीरियड होने पर ��ास ध्यान रखें। ऐसा आहार दें जिससे परेशानी से बचा जा सके। पीरियड से संबंधित किसी भी बात को लड़कियों से ना ही छिपाएं।
समय के हिसाब से आया है बदलाव
अगर प्राचीन समय की बात की जाए तो उस समय महिलाओं के साथ पीरियड के समय बहुत ही भेदभाव किया जाता था। उन्हें जमीन में सोना पड़ता था, किचन में जाने की अनुमति नहीं थी, कोई भी खाद्य सामग्री को छूने की मनाही होती थी, उनके कपड़े बर्तन अलग ही रखा रहता था लेकिन आज के समय में बदलाव देखा गया है। इन सारी दकियानूसी बातों को पीछे कर महिलाएं कहीं आगे निकल चुकी हैं। वे हर दर्द को झेलते हुए निरंतर आगे बढ़ रही हैं और प्रगति कर रही हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार से हमने देखा कि पीरियड का दर्द असहनीय है, जो मुश्किलों भरा समय है। हर महीने इस समस्या को झेलना आसान नहीं है। ऐसे में अपना ध्यान रखें और सही दिशा में आहार ले ताकि आप स्वस्थ रह सकें। ऐसे समय में इन उपायों से खुद का ध्यान रखें और आगे बढ़े।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/period-ke-dard-ko-kam-karne-ke-gharelu-upay/
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क्या शादी करना करियर का अंत है ?
भारतीय महिलाओं के अनुसार, उनके पति और बच्चों की सुरक्षा हमेशा उनकी पहली प्राथमिकता रही है। इस सब के दौरान, क्या वे सचमुच अपने सपनों और करियर को खुशी से नहीं त्याग रहे हैं? वे अपने पारिवारिक जीवन से परे क्यों नहीं सोचते हैं कि क्या महिलाओं में आत्म टिकाऊ और आत्म जिम्मेदारी नहीं बची है? या क्या वे अपने पारिवारिक जीवन से अलग अपनी योग्यता को पहचान नहीं पा रहे हैं?
इन सभी प्रश्नों का एकमात्र उत्तर ‘इच्छा‘ है। यदि कोई व्यक्ति, विशेष रूप से एक महिला, अपनी इच्छा और अपने स्वाभिमान को बनाए रखने का साहस रखती है, तो उसे रोकने का ��ोई तरीका नहीं है।
विवाह एक बहाना है जो एक महिला अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए अपनी इच्छा की कमी को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त पाती है। वही लड़की, जिसने शुरू से ही कड़ी मेहनत करने, पैसे कमाने और अपने माता-पिता को वह जीवन देने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए उसने सपने देखे थे, अपने लक्ष्यों को भूल जाती है और उन्हें शादी करवाने के लिए दोषी ठहराती है, जिसके कारण वह वो सब नहीं कर पाती जो वह चाहती थी। लेकिन यहाँ यह सवाल उठता है कि आपने अपने लक्ष्य को क्यों छोड़ दिया? विवाह केवल आपके उपनाम को बदल देता है आपकी शिक्षा को नहीं, केवल आप जिन लोगों के साथ जी रहे हैं उनको बदल देता है, उनके समर्थन को नहीं।
मान लीजिये कि आपके पास एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से बी.एड की डिग्री है, तो विवाहित होने से आपको नौकरी करने या उच्च शिक्षा प्राप्त करने में शादीशुदा होना किसी भी स्थिति में कम सक्षम नहीं बनाता है। व्यक्तिगत रूप से, मैंने कई शिक्षित महिलाओं को शादी करते हुए देखा है और कैरियर की दृष्टि से वह बेकार जीवन जी रही है। जल्दी उठना, नाश्ता बनाना, बच्चों को स्कूल भेजना, अपने पति को कार्यालय भेजना, घर का काम करना और फिर इस सब के बाद केवल यही पूरे दिन उनके दिमाग में चलता रहता है की “अब खाने में क्या बनाउ”? मेरा विश्वास करो यह सबसे कठिन सवाल है जिसका कोई स्थायी जवाब नहीं है और हमारी महिलाओं के दिमाग में सबसे बड़ी परेशानियों में से एक है, मैंने माताओं लिखा होता लेकिन यहां मैं सभी महिलाओं के बारे में बात कर रही हूं।
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मुझे कभी-कभी चिढ़ होती है, लेकिन हम किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा से परे कुछ करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। अगर मेरे पास दस कारण हैं कि उन्हें क्यों ‘अपनी रोटी कमानी चाहिए’ तो उनके पास स्पष्टीकरणों की एक श्रृंखला है कि वे क्यों नहीं कर सकते या क्यों नहीं करना चाहिए। मुझे आश्चर्य है कि कैसे लोग खुद को इतना हावी महसूस कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, मैंने एक बार एक विवाहित महिला से अंग्रेजी का अभ्यास शुरू करने के लिए कहा क्योंकि इससे लोगों के सामने बोलने के लिए उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ जाएगा, उसने 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी और फिर शादी की थी, उसके पास मेरे सुझाव का एक ही जवाब था ‘अब क्या करना , अब तो शादी हो गयी है ‘। मैं उसके जवाब के बाद हैरान थी, उसने मुझे अपने भविष्य के बारे में दो बार सोचने पे मजबूर कर दीया।
कुछ महिलाएं अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहती हैं, लेकिन अक्सर एक शिकायत होती है कि उनके पति उन्हें काम करने की अनुमति नहीं देते हैं। ईमानदारी से किसी को भी इस लेख को पढ़ने के बाद यह सवाल मन में आना चाहिए जो बड़े देर से मुझे चकित कर रहा है, शादी की सात प्रतिज्ञा करते हुए, क्या कोई भी प्रतिज्ञा आपको इस बंधन में बांधती है कि आपको अपने पति से अनुमति लेनी होगी कुछ भी करने के लिए या करने कि इच्छा के लिए ?. मेरी जानकारी के अनुसार, ऐसी कोई बात नहीं है। क्या आपके माता-पिता ने बचपन से लेकर अब तक आपको शिक्षित करने के लिए आपके पति से पूछा? क्या उन्होंने आपको काम करने और पैसा कमाने के लिए योग्य बनाया ताकि समय आने पर आप अपने पति से पूछ सकें और अपनी इच्छा के अनुसार अपना करियर खत्म कर सकें?
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यदि इस सब का जवाब नहीं है, तो इंतजार क्यों, और समय क्यों बर्बाद करें । अपने पति को एक अच्छी शिक्षित और कामकाजी महिला का गौरवशाली पति होने दें, अपने बच्चों को एक प्यार करने वाली माँ के अलावा आपको अपने करियर मॉडल के रूप में देखने का मौका दें । यदि आपके पास इच्छाशक्ति है, तो दुनिया आपके विचार से कहीं अधिक है। हर किसी को कुछ काम करने होते हैं, इसलिए जब तक आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच जाते हैं, तब तक खोज और श्रम करें, और अपने करियर और जीवन के लिए शादी को एक उत्साजनक प्रेरणा बनाए और उसे अपने करियर ��े बीच आने का बहाना बनाना छोड़ दे। आप खुश तोह सब खुश ।
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कहानी- दूसरा वर (Short Story- Dusara Var)
इतने समझदार कि जानकी चाहती रही मोबाइल पर रोज़ बात करें, पर संभव ने शादी की तारीख़ तक चार-छह बार ही बात की. बारात में गिनती के लोग आए. जानकी बड़ी हसरत से जयमाला के लिए मंच पर आई.
मतिभ्रम हुआ है कि यही यथार्थ है? जिसे चाचा समझा था वह डॉ. संभव हैं और जिसे डॉ. संभव समझ पहली नज़र में दिल दे दिया, वह उनके ठीक बगल में खड़ा उनका अनुज संयम है. जानकी सदमे में. संयम पूरी तरह चंचल हो रहा था, “भौजाईजी, भइया को माला पहनाइए.”
मैथिली भी यथार्थ पर अचंभित थी. उसने भी वही समझा था, जो जानकी ने, लेकिन अब स्थिति का सामना करना है. बोली, “पहना रही हैं भौजाईजी के देवरजी. थोड़ा धीर धरें.”...
विकास की ओर अग्रसर कस्बा-करारी. करारी का चार पुत्रियोंवाला साधारण-सा परिवार. निजी संस्थान के मामूली पद पर कार्यरत बाबूजी का स्तर साधारण है, पर लक्ष्य बड़ा है- पुत्रियों को कुछ दे सकें, न दे सकें, पर पढ़ने का पूरा अवसर देंगे. बड़ी पुत्री जानकी हिंदी विषय में एमए उत्तीर्ण कर करारी की निजी स्कूल में प्राथमिक कक्षा में अध्यापन करते हुए इसी साल 25 की हुई है. उसके परिणय के लिए बाबूजी जहां भी गए, एक ही प्रश्न- कितना देंगे? बाबूजी पिटे हुए प्यादे की तरह घर लौट आते. कोई ख़बर नहीं थी बात बनेगी और आसानी से बनेगी. तय तिथि पर लड़केवाले जानकी को देखने आ रहे हैं. माता-पिता जीवित नहीं हैं. दो भाई हैं, जो चाचाजी के साथ आएंगे, लेकिन तीन नहीं, दो प्राणी ही तशरीफ लाए. जानकी से छोटी, मेहमानों की आवभगत में तल्लीन मैथिली, बुलावे के लिए सजकर तैयार बैठी जानकी से बोली, “चाचाजी और लड़का ही आए हैं. लड़का इतना सजीला है कि जानकी तुम्हारा जी मचल-मचल जाएगा.” जानकी घबरा गई, “मैथिली, मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं.” “सजीले को देखकर मदहोश हो जाओगी. चलो, बैठक में तुम्हारी पुकार हो रही है.” बैठक में सलज्ज जानकी की दृष्टि नहीं उठती थी. ��ड़ा ज़ोर लगाकर उसने अगल-बगल बैठे दोनों प्राणियों को देखा. सचमुच सजीला है. यदि कुछ पूछा जाएगा, तो बताते समय अच्छी तरह देख लेगी. वे दोनों इतने सज्जन निकले कि कुछ नहीं पूछा. सज्जनों के जाने के उपरांत तीसरी बहन वैदेही ने पूछा, “जानकी, हरण करनेवाले कैसे लगे?” “मैं बेशर्म नहीं हूं.” बाबूजी योजना बनाने लगे, “लड़केवाले शादी जल्दी चाहते हैं. अगले माह अच्छा मुहूर्त है.” अम्मा संशय में है, “सब कुछ बहुत अच्छा है, लेकिन संभव जानकी से 10 साल बड़े हैं.” बाबूजी बेफ़िक्र हैं, “संभव डॉक्टर हैं. सुपर स्पेशिलाइज़ेशन, फिर प्रैक्टिस जमाने तक डॉक्टरों की इतनी उम्र हो जाती है. मुझे तो संभव बहुत सीधे-सादे और समझदार लगते हैं.” इतने समझदार कि जानकी चाहती रही मोबाइल पर रोज़ बात करें, पर संभव ने शादी की तारीख़ तक चार-छह बार ही बात की. बारात में गिनती के लोग आए. जानकी बड़ी हसरत से जयमाला के लिए मंच पर आई. मतिभ्रम हुआ है कि यही यथार्थ है? जिसे चाचा समझा था वह डॉ. संभव हैं और जिसे डॉ. संभव समझ पहली नज़र में दिल दे दिया, वह उनके ठीक बगल में खड़ा उनका अनुज संयम है. जानकी सदमे में. संयम पूरी तरह चंचल हो रहा था, “भौजाईजी, भइया को माला पहनाइए.” मैथिली भी यथार्थ पर अचंभित थी. उसने भी वही समझा था, जो जानकी ने, लेकिन अब स्थिति का सामना करना है. बोली, “पहना रही हैं भौजाईजी के देवरजी. थोड़ा धीर धरें.” जानकी के हाथों को सहारा देकर मैथिली और वैदेही ने माला डलवा दी. फोटो शूट के बाद जानकी अंदर कमरे में लाई गई. उसे ससुराल से आए वस्त्र पहनकर चढ़ावा के लिए तैयार होना है. तैयार होने का उमंग गायब था. बिछावन पर बैठकर हिचककर रोने लगी. अम्मा जानती थीं कि उस दिन चाचा नहीं आ पाए थे. जानकी ने सामान्य कद-सूरत व रंगतवाले संभव को चाचा और सजीले संयम को संभव समझ लिया है. उन्होंने बाबूजी से कहा था संभव अपनी उम्र से बड़े लगते हैं. दुबली जानकी अपनी उम्र से कम लगती है, पर बाबूजी ने निर्णय सुना दिया था, “लड़के का रूप-रंग नहीं, पद-प्रतिष्ठा देखी जाती है.” अम्मा विवश हुई. जानकी को इस तरह रोते देख, रिश्ते-नातेदार, महिलाएं पता नहीं क्या अर्थ लगाएंगी. वे उनसे बोलीं, “जानकी आज पराई हुई. ऐसे मौ़के पर रोना आ ही जाता है. आप लोग भोजन करें. मैं इसे आगे की रस्म के लिए तैयार कर दूं.” उनके जाते ही अम्मा ने जानकी को गले से लगा लिया, मत रो जानकी.” “अम्मा, तुमने मुझे धोखे में रखा.”
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“मैं नहीं जानती जानकी तुमने क्या देखा और क्या समझा. संभव की डॉक्टरी अच्छी चलती है. घर में पैसा भरा है.” “���ुम्हें पैसा दिखता है. अधेड़ नहीं दिखता?” “35 का लड़का अधेड़ नहीं हो जाता. बाबूजी की हैसियत जानती हो. जो कर सकते हैं, कर रहे हैं. न रोओ. बात फैलेगी, तो बारात लौट सकती है. हम तो जीते जी मर जाएंगे.” जानकी ने मान लिया विरोध का कोई मतलब नहीं. यदि बारात लौट गई, तो बहनों के विवाह में अड़चन ��एगी. जिस संयम को पहली नज़र में दिल दे दिया, वह नफ़रत से भर जाएगा. छोटी हैसियतवालों को बड़े सपने नहीं देखने चाहिए. सजीले राजकुमार अमीरजादियों को मिलते हैं. वह तैयार होने लगी. संयम फोटोग्राफर को ले आया, “भौजाईजी, तैयार नहीं हुईं? फोटो शूट होना है.” मैथिली ने माहौल को हल्का करने की कोशिश की, “ठहरिए, भौजाई के देवरजी. लड़कियों को तैयार होने में व़क्त लगता है. वह तो आप लड़के हैं कि कोट-पैंट पहना और हो गए तैयार.” संयम, मैथिली को देखता रह गया, “आप लड़की हैं कि क्या हैं?” “आना-जाना बना रहेगा. जान लीजिएगा हम मैथिली हैं.” संयम पूरी रात संभव और जानकी के आसपास मंडराता रहा. किसी मित्र ने नियंत्रित किया, “बहुत ऊपर-ऊपर हो रहे हो. शादी तुम्हारी नहीं, भइया की हो रही है.” “इस समय मैं भौजाई की ननद का रोल कर रहा हूं. मेरी बहन आज होती, तो इन्हें इसी तरह घेरे रहती.” जानकी विदा होकर संगतपुर आ गई. बड़ा और व्यवस्थित मकान. पहली रात का आरंभ संभव ने अपनी पारिवारिक रूपरेखा बताकर किया. “जैसा कि तुम जानती होगी पापा और मां डॉक्टर थे. यह मकान व संपत्ति उनकी बनाई हुई है. दोनों का अच्छा नाम था. उनके नाम का पूरा फ़ायदा मुझे मिल रहा है. वे हम तीनों भाई-बहन को डॉक्टर बनाना चाहते थे, पर संयम को आर्ट्स सब्जेक्ट अच्छा लगता था. बीकॉम के बाद लॉ किया. अब कचहरी में प्रैक्टिस करता है.” “आपकी बहन भी है?” “थी. मुझसे छोटी, संयम से बड़ी थी. मेडिकल कर रही थी. पापा-मां उसे छोड़ने हॉस्टल जा रहे थे. कार का एक्सीडेंट हो गया. तीनों नहीं रहे. मैं और संयम अचानक बेसहारा हो गए. पैसे की कमी नहीं थी, पर मानसिक संबल की ज़रूरत थी. चाचाजी ने बड़ा सहारा दिया. वे तुम्हें देखने आते, पर उन्हें छुट्टी नहीं मिली. मैंने संयम को बच्चे की तरह संभाला है. नादानी करे, तो अपना बच्चा समझकर माफ़ कर देना.” जानकी आत्मयंत्रणा से गुज़र रही है, जिसे पहली नज़र में दिल दे बैठी, जो आयु में उससे बड़ा है, उसे अपना बच्चा कैसे समझ सकती है? जिसे चाचाजी समझा, उसे पति कैसे समझ ले? “जब मैं तुम्हें देखने आया तुम नाज़ुक लग रही थी. घर आकर मैंने साफ़ कह दिया था कि मिस मैच हो जाएगा. शादी नहीं करना चाहता था, पर संयम अड़ गया कि वह तुम्हें पसंद कर चुका है. चाचाजी अड़ गए कि उन्होंने तुम्हारे बाबूजी को उम्मीद दी है.” जानकी आत्मयंत्रणा से गुज़र रही है. मैं संयम की पसंद और बाबूजी को दी गई उम्मीद की भेंट चढ़ गई. “मां के बाद यह घर कभी घर नहीं लगा. वे पता नहीं कैसे इतना संभाल लेती थीं. मैं तो चाबियां देखते ही घबरा जाता हूं. संयम की स्थिति तो मुझसे भी दयनीय है. तुम हंसोगी, पर मुंह दिखाई म��ं मैं तुम्हें चाबियां दूंगा. संभालो अपना घर.” “चाबियां नहीं ले सकती. अभी आप मुझे ठीक तरह से नहीं जानते हैं, उस पर...” “सात फेरों का बंधन मज़बूत होता है. घर तुम्हारा, ज़िम्मेदारी तुम्हारी. मैं मुक्त हुआ.” जानकी संगतपुर में 10 दिन रही. संभव उसकी सहूलियत का ख़्याल रखते. संयम उसे प्रसन्न रखने का प्रयास करता, “अरे भाभी, तुम अच्छा आ गई. घर में मर्दाने चेहरे देखकर मैं संन्यासी बनता जा रहा था. यहां कामवाली बाई भी नहीं है कि उसका मुख देख लूं. खाना बनाने से लेकर बगीचे मेें पानी देने तक सारा काम बुढ़ऊ काका करते हैं.” संभव मुस्कुरा दिए, “अब घर कैसा लगता है?” “जन्नत. कचहरी जाने की इच्छा नहीं होती. लगता है भाभी के पास डटा रहूं.” “शादी के बाद मेरे पैरों में बेड़ियां पड़नी चाहिए, पड़ गई तुम्हारे पैरों में.” “सही फ़रमाते हो भइया. मां होतीं, तो भाभी को रसोई के राज-रहस्य बतातीं. आजकल मैं सास के रोल में हूं.” संभव कृतज्ञ थे. “जानकी, दिनों बाद घर में रौनक़ लौटी है. इसी तरह मुझे सहयोग और संयम को स्नेह देती रहना.” संयम ने अभूतपूर्व बयान दिया, “भइया के मुख से अब जाकर सहयोग, स्नेह, सहभागिता जैसे शब्द सुन रहा हूं, वरना वही एक्स रे, एमआरआई, ईसीजी, सिरिंज, ड्रिप. बाप रे! इसीलिए मैं डॉक्टर नहीं बना. डॉक्टर लोग बहुत कम हंसते हैं.” संभव हंसते हुए बोले, “मैं हंस रहा हूं.” “अब थोड़ा हंसने लगे हो भइया. भाभी, भइया तुम पर लट्टू हैं. मैं हौसला न बढ़ाता, तो कुंआरे रह जाते.” जानकी आत्मयंत्रणा से गुज़र रही है. यह हो जाता, तो विधाता शायद मेरा संयोग तुमसे जोड़ देते संयम... जानकी करारी लौटी. अम्मा गदगद. “दोनों भाइयों में बहुत प्रेम है. जानकी तुम संयम को संभव से कम न मानना.” “संयम को कम नहीं बढ़कर मानती हूं.” मैथिली बोली, “न सास-ससुर की रोक-टोक, न ननद की दादागिरी. जानकी मुझे जो ऐसा घर मिल जाए, तो ख़ूब मौज उड़ाऊं.” “मेरा विवाह संयम से होता, तो मैं भी उड़ाती.” अम्मा ने मैथिली को डपट दिया, “कुछ भी बोलती है. जानकी, बाबूजी से कहूंगी डॉक्टर साहब को फोन करके कहें कि तुम्हें लेने दोनों भाई आएं.” मेरी नज़र तो संयम पर टिक गई है. चाहती हूं कि डॉक्टर साहब नहीं, संयम आएं.
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लेकिन संभव आए. जानकी निरुत्साहित. कार ��्राइव कर रहे संभव ने उसके निरुत्साह को लक्ष्य किया, “उदास हो?” “संयम को भी लाते.” “उसे बुख़ार है.” “कब से?” “उदास थी, अब घबरा गई?” घर पहुंचकर संभव ने संयम का टेंपरेचर चेक किया. “मैं इसकी हाय-तौबा से परेशान हो गया हूं. जानकी अब तुम करो इसकी सेवा.” संयम ने मुस्कुराते हुए कहा, “भाभी, तुमने मेरी केयर भइया से कम की, तो मैं तहलका मचा दूंगा. देवर का अर्थ जानती हो? दूसरा वर. मैं तुम्हारा दूसरा वर हूं.” जानकी उसे अपलक देखती रही. संकेत तो नहीं दे रहा है? इस तरह घेरे रहता है जैसे समीपता चाहता है. इसी को मन में बसाकर तो यहां रहने की कोशिश कर रही हूं, पर जानकी की क़िस्मत में सदमे ही लिखे हैं. बाबूजी अचानक आए, “डॉक्टर साहब, मैथिली ने बीएससी कर लिया है. एमएससी बायो टेक में करना चाहती है. करारी में यह विषय नहीं है. कहें तो यहां रहकर पढ़े. जानकी को अकेलापन नहीं लगेगा.” जानकी आत्मयंत्रणा से गुज़र रही है. बाबूजी ने मेरा इस्तेमाल करने के लिए ही मुझे अधेड़ से ब्याह दिया है. सास-ससुर का झमेला नहीं है, इसलिए इन लोगों को चाहे जब टपक पड़ने की पात्रता मिल गई है. अभी अम्मा बीमार पड़ीं, बाबूजी यहां पटक गए कि करारी के डॉक्टर बेव़कूफ़ हैं. संभव अच्छा इलाज करेंगे. क्षीण बुद्धि संभव ने उपचार किया और माता जैसा आदर दिया. अब मैथिली पढ़ना चाहती है. फिर वैदेही फिर छोटी सिया. मैं अपने घर में, ख़ासकर संयम को लेकर दख़ल नहीं चाहती. बोली, “बाबूजी, सुनो तो...” लेकिन क्या करे इस क्षीण बुद्धि प्राणनाथ का. अविलंब कहा, “बाबूजी, सुनना क्या है? आपका घर है. मैथिली रहेगी, तो चहल-पहल बनी रहेगी.” बाबूजी उद्देश्य पूरा कर चलते बने. जानकी सदमे में. संभव ने हाल पूछा, “जानकी परेशान लगती हो.” “बाबूजी आप पर भार डाल रहे हैं. मुझे संकोच होता है.” “संकोच क्यों? इस घर में तुम्हारा अधिकार है.” संयम ख़ुश हो गया, “बुला लो भाभी. मैथिली ने शादी में बहुत सताया था. गिन-गिनकर बदला लूंगा.” मैथिली आकर माहौल में रंग भरने लगी. जानकी को संदेह नहीं पुख्ता विश्वास है कि मैथिली, संयम को लपेटे में लेने के लिए यहां स्थापित हुई है. उसमें रुचि लेकर संयम चालबाज़ी दिखा रहा है. फोर्थ सेमिस्टर पूरा होते-होते समझ में आ गया रचना रची जा चुकी है. राज़ खोलने का भार संयम पर डाल फोर्थ सेम की परीक्षा होते ही मैथिली करारी खिसक ली कि उसकी अनुपस्थिति में संयम प्रस्ताव पारित करा ले. संयम प्रस्ताव लेकर जानकी के सम्मुख आया, “भाभी, कुछ कहना है.” “कहो.” “भइया से कहने की हिम्मत नहीं हो रही है. तुम मेरी अर्जी उनके दरबार में लगा देना.” जानकी सब समझ रही है, पर फिर ��ी कहा, “अर्जी का मजमून तो सुनूं.” “मैं मैथिली से शादी करना चाहता हूं.” अब तक का सबसे भीषण सदमा. इस तरह चीखकर अभद्रता दिखाते हुए जानकी पहली बार बोल रही है, “पागल हुए हो?” “उसी दिन पागल हो गया था, जब मैथिली को पहली बार देखा था.” “मैथिली प्रेम-वेम पसंद नहीं करती.” “उसका समर्थन है. कह रही थी तुम्हारा सामना नहीं कर सकेगी, इसलिए जब वह करारी चली जाए, तब मैं तुमसे बात करूं.” जानकी रो देगी. “देखती हूं संयम तुम्हारे भइया क्या कहते हैं?” जानकी आत्मयंत्रणा से गुज़र रही है. जिसे पहली नज़र में दिल दे दिया, वह मैथिली के नाम की लौ जलाए बैठा है. मैथिली कितनी घाघ है. मेरी स्थिति जानती है, फिर भी... ज़रूर अम्मा ने भेजा होगा कि संयम पर मोहिनी डाले. एक और लड़की के हाथ सस्ते में पीले हो जाएं. मैथिली ने ऐसी मोहिनी डाली... नहीं, मुझे मनचाहा नहीं मिला, मैं मैथिली को मनचाहा नहीं पाने दूंगी. जानकी को रातभर नींद नहीं आई. ख़ुद को असहाय, उपेक्षित पा रही है. संभव की संगत नहीं चाहती, पर वे अपनी भलमनसाहत में उसके समीप आना चाहते हैं. संयम की संगत चाहती है, पर वह पकड़ से छूटता जा रहा है. अब उसके व्यवहार में रोमांच नहीं कपट का आभास होता है. पहले दिन से ही मैथिली को पाने की योजना बना रहा था. योजना सफल हो, इसलिए भाभी... भाभी... कहकर उसकी ख़ुशामद करता रहा. जानकी निराशा, ईर्ष्या, क्रोध, बौखलाहट से गुज़र रही थी. अम्मा का फोन बौखलाहट को पराकाष्ठा पर ले आया. “जानकी, मैथिली ने सब समाचार बताया. तुमको लेकर वह बड़े संकोच में है, पर संयम उससे शादी करना चाहता है. हमारे तो भाग्य जाग गए. दोनों बहनें मिल-जुल कर रहोगी. बाबूजी इतवार को डॉक्टर साहब से बात करने आएंगे.” जानकी बौखलाहट में ललकारने लगी, “अम्मा, तुमने मैथिली को जान-बूझकर पढ़ने के बहाने मेरे घर भेजा कि संयम पर मोहिनी डाले. संयम, मोहिनी की चाल में फंस गया. क्षीण बुद्धि डॉक्टर साहब को क्या कहूं? संयम उनके दिमाग़ में इतना घुस गया है कि उसकी ख़ुशी के अलावा इन्हें कुछ नहीं सूझता.” “नहीं...” “मैं बोलूंगी अम्मा. तुम्हें मैथिली का बड़ा ख़्याल है. मुझे धोखे में रखकर अधेड़, बदसूरत के साथ बांधा, तब मेरा ख़्याल नहीं आया था? जब ये दोनों भाई मुझे देखने आए थे, मैंने डॉक्टर साहब को चाचा, संयम को डॉक्टर साहब समझ लिया था. तुम जानती थी असलियत क्या है, लेकिन मुझे नहीं बताया. मेरे साथ कपट किया.” “नहीं बेटी...”
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“मैं बोलूंगी अम्मा. मैं अब भी सदमे से उबर नहीं पाई हूं. अच्छी चाल चली तुम लोगों ��े. मेरा दिमाग़ ख़राब है. इस विषय में मुझसे बात न करना.” जानकी ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया. ठीक इसी क्षण स्वर उभरा, “भाभी...” जानकी के कान बज रहे हैं या संयम कचहरी से लौट आया है? बैठक में बैठी, तेज़ आवाज़ में अम्मा को ललकार रही जानकी को आभास नहीं था कि ज़रूरी फाइल लेने के लिए अचानक आ पहुंचा संयम उसकी कटुता सुनकर बैठक से लगे बाहरी खुले बरामदे में ठिठका खड़ा है. इसके आने की आहट नहीं मिली या दबी चाप से बैठक में दाख़िल हुआ है. “संयम तुम? जल्दी आ गए.” “फाइल भूल गया था.” “पानी पियोगे?” “हां.” जानकी को राहत मिली कि संयम ने फोन पर की गई उसकी बातचीत नहीं सुनी. सुनता तो प्रतिक्रिया ज़रूर देता. लेकिन जानकी महसूस करने लगी है कि संयम बहुत बदल गया है. कुटनी मैथिली करारी क्या गई, संयम की हंसी ले गई.” “संयम, मैथिली की याद आ रही है?” “उससे मेरा कोई वास्ता नहीं.” “शादी नहीं करोगे?” “नहीं.” “क्यों?”“
अम्मा से तुम जो बातें कर रही थीं, सुनकर शादी से मेरा विश्वास उठ गया. शादी के समय तुम्हारे मन में जो भी था, पर भइया के इतने अपनेपन को देखकर तुम्हारी धारणा में बदलाव नहीं आना चाहिए था? अधेड़, बदसूरत... भइया में इतने गुण हैं, पर तुम इस मामूली बात पर अटकी हो कि वे ख़ूबसूरत नहीं हैं? तुम तो बहुत ख़ूबसूरत हो, पर दिल साफ़ नहीं है, तो ख़ूबसूरती किस काम की? कपट तो हम लोगों के साथ हुआ है. सोचता था तुमने भइया का जीवन परिपूर्ण कर दिया है. उनकी भावनाओं को समझती हो. सब ढोंग. भैया हमेशा मुझसे कहते हैं कि मुझे फुर्सत नहीं मिलती, संयम तुम अपनी भाभी का ख़्याल रखा करो. मैंने तुम्हें इतना मान-सम्मान दिया, ख़्याल रखा... छी... छी...”
“संयम सुनो तो...” “तुम सुनो. मिस मैच होगा सोचकर भइया शादी का मन नहीं बना रहे थे. मैं अड़ गया, मुझे तुम बहुत अच्छी लगी हो. अफ़सोस, मैं ग़लत था.” “सुनो तो...” “तुम सुनो. मैं मानता हूं कि भइया जैसे इंसान के लिए जो अच्छे विचार नहीं रखता, वह अच्छा नहीं हो सकता. भइया मेरे लिए क्या हैं, तुम नहीं समझोगी... मेरे लिए उनसे बढ़कर कुछ नहीं है. न तुम, न मैथिली.” “संयम...” “मैंने तुम्हारे भीतर का कालापन देख लिया, पर भइया को मत दिखाना. वे तुम पर विश्वास करते हैं. उन्हें तकलीफ़ होगी. उनके सामने मेरे साथ सहज व्यवहार करती रहना. मैं भी नाटक करता रहूंगा. नहीं करूंगा, तो भइया को कारण क्या बताऊंगा.” संयम वहां से चला गया. जानकी आत्मयंत्रणा से गुज़र रही है. संयम की आंखें सुलग रही थीं. शब्द लड़खड़ा रहे थे. कितना अपमानजनक है भाभी... भौजाई... रटनेवाले जिस देवर ने एक दिन दूसरा वर होने जैसी बात ��ी थी. आज उसे भाभी कहने से भरपूर बच रहा था.
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बॉलीवुड डेस्क (अमित कर्ण). एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर की फिल्म 'स्ट्रीट डांसर' हाल ही में रिलीज हुई है और इसके साथ ही इंडस्ट्री में भी उनके दस साल पूरे हो गए हैं। इस फिल्म में उन्होंने अपने बचपन के दोस्त वरुण धवन के साथ काम किया है। इस मौके पर उन्होंने अपने फिल्मी करिअर से जुड़े कई मुद्दों और अपकमिंग प्रोजेक्ट्स पर अमित कर्ण से बात की।
'साहो' में आपने अपने एक्शन का दम दिखाया था। क्या 'बागी 3' में भी आप एक्शन करती नजर आएंगी?
एक्शन तो मेरे ख्याल से कम है। इस वक्त वैसे भी उस फिल्म के बारे में ज्यादा रिवील नहीं कर सकती। बहरहाल, मुझे अच्छा लगता है जब लोग बोलते हैं कि टाइगर के साथ मेरी ऑन स्क्रीन पेयरिंग बहुत अच्छी लगती है। टाइगर स्कूल में मुझसे तीन साल जूनियर रहे हैं। स्कूल में तो मैं उनसे लंबी थी। वह बास्केटबॉल ड्रेस में स्कूल के कॉरीडोर में दौड़ते थे। अचानक मुझे देखते तो बड़े सीधे बच्चे की तरह धीमी आवजा में हाय श्रद्धा बोलते और निकल जाते थे। टाइगर असल जिंदगी में भी बहुत अच्छे इंसान हैं। सेट पर हर किसी से बात करते हैं। हमेशा अपना कंसर्न दिखाते हैं। ऐसे लोगों के साथ काम करना अच्छा लगता है।
वरुण धवन के अपोजिट आपने पहली बार 'स्ट्रीट डांसर' में उनकी एंटी पार्टी का रोल किया। रियल लाइफ में आप दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं। स्क्रीन पर उनके किरदार के खिलाफ नफरत कैसे ला पाईं?
यह वाकई बहुत मुश्किल था। फिल्म में मैंने इनायत नाम की लड़की का रोल प्ले किया है जो बहुत एग्रेसिव कैरक्टर था। रियल लाइफ में मैं वैसी हूं नहीं। बहरहाल, एक्टिंग का यही तो मजा है। खुद के विपरीत मिजाज वाले शख्स का रोल प्ले करना। वहीं सामने वरुण थे जो कि ��ेरे अच्छे दोस्त रहे हैं और बहुत ही अच्छे इंसान भी हैं। खैर, जैसे-तैसे मैंने अपने कैरेक्टर में जाकर वरुण से नफरत की जो कि रियल लाइफ में कतई आसान नहीं है।
आप और वरुण डांस जॉनर के अलावा अगर कुछ और ट्राई करें तो वह क्या होगा?
मुझे वरुण के साथ कॉमेडी करनी है। फुल ऑन कॉमेडी हो, जिसमें हम दोनों के कैरेक्टर पूरे पागल हों। वैसे भी मुझे डेविड अंकल की कॉमेडी काफी पसंद रही है। उसमें मेरे डैड भी काम करते रहे हैं। खासतौर पर जिस स्पेस में गोविंदा और सलमान की कॉमेडी फिल्में रही हैं वैसी ही फिल्म अब मुझे करनी है।
करिअर के इस फेज में कितनी संतुष्ट हैं?
मैं इस वक्त अपने करिअर के बेहतरीन फेज में हूं। ऐसी कमर्शियल फिल्में मिल रही हैं जो लार्जर दैन लाइफ टॉपिक है। जैसे 'स्ट्रीट डांसर' में मुझे बहुत ही करीब से लंदन और बाकी मुल्कों में रहने वाले लोगों की तकलीफें जानने और समझने का मौका मिला। यह समझने का मौका मिला कि डांस बहुत ही पावरफुल मीडियम है।
लव रंजन की फिल्म कब शुरू हो रही है?
वह 'बागी 3' पूरी होते ही मार्च के मिड तक शुरू हो जाएगी। फिल्म में मेरे अपोजिट रणबीर हैं। उनके साथ यह मेरी पहली फिल्म है। इस फिल्म में मेरा कैरेक्टर कुछ ऐसा है, जिसे लोगों ने आज तक नहीं देखा। यह मुझे अपने कंफर्ट जोन से बाहर ले जा रहा है। इसके लिए मुझे फिजिकली तो नहीं पर मेंटली काफी तैयारियां करनी पड़ेंगी।
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श्रद्धा कपूर (फाइल फोटो)
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Hello, everyone, we are back online again, today we have Badmashi Status for you guys, point to be noted is that we have all these Badmashi Status in Hindi language and we have also done the Badmash Status in Hinglish, we hope you guys liked this post, and stay tuned with us. There are people who are searching for Badmashi status in Hindi and if we are not wrong these people who are searching for these Badmashi wale status are very badmash, we have such a st of naughty status here in our article. मैं प्यार और शादी में विश्वास करता हूं लेकिन जरूरी नहीं कि एक ही व्यक्ति के साथ हो। main pyaar aur shaadee mein vishvaas karata hoon lekin jarooree nahin ki ek hee vyakti ke saath ho. अच्छी लड़कियाँ स्वर्ग में जाती हैं, बुरी लड़कियाँ हर जगह जाती हैं achchhee ladakiyaan svarg mein jaatee hain, buree ladakiyaan har jagah jaatee hain. सिर्फ इसलिए कि मैं रोलिंग स्टोन के कवर पर सेक्सी दिखती हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मैं शरारती हूं sirph isalie ki main roling ston ke kavar par seksee dikhatee hoon isaka matalab yah nahin hai ki main sharaaratee hoon
क्या आपकी जेब में बंदूक है, या आप मुझे देखकर खुश हैं? kya aapakee jeb mein bandook hai, ya aap mujhe dekhakar khush hain? सामान्य तौर पर लोग मुझे शरारती लड़की के रूप में देखने के आदी हैं क्योंकि यही उन्होंने हमेशा मुझे कास्ट किया है saamaany taur par log mujhe sharaaratee ladakee ke roop mein dekhane ke aadee hain kyonki yahee unhonne hamesha mujhe kaast kiya hai जब महिलाएं गलत हो जाती हैं, तो पुरुष उनके पीछे जाते हैं jab mahilaen galat ho jaatee hain, to purush unake peechhe jaate hain यदि आपने अपने कपड़े उतार दिए हैं, तो निश्चित रूप से आप तेजी से गर्म होंगे yadi aapane apane kapade utaar die hain, to nishchit roop se aap tejee se garm honge एक बार जब आप नटखट होने लगते हैं, तो जाना आसान होता है और आगे और जल्दी, या बाद में कुछ भयानक होता है। ek baar jab aap natakhat hone lagate hain, to jaana aasaan hota hai aur aage aur jaldee, ya baad mein kuchh bhayaanak hota hai. हमारे पास यह विश्वास करने का कारण है कि सबसे पहले आदमी हस्तमैथुन के लिए अपने हाथों को मुक्त करने के लिए सीधा चला था hamaare paas yah vishvaas karane ka kaaran hai ki sabase pahale aadamee hastamaithun ke lie apane haathon ko mukt karane ke lie seedha chala tha Badmashi status Download for Eveyone We are very sure that you people who are searching for this Badmashi status in Hindi are very fond of WhatsApp quotes and we are happy to inform you that we provide all kinds of status on this blog on WhatsApp quotes for status, we know that we people search and publish these Badmashi status for fb on publishing them on their social media services. मैं अब काफी शरारती चीजें करता हूं। मुझे थोड़ा सेक्सी बनना पसंद है main ab kaaphee sharaaratee cheejen karata hoon. mujhe thoda seksee banana pasand hai "यहाँ हमारी पत्नियाँ और गर्लफ्रेंड हैं ... वे कभी नहीं मिल सकतीं! yahaan hamaaree patniyaan aur garlaphrend hain ... ve kabhee nahin mil sakateen! "मुझे याद है कि जब हवा साफ थी और सेक्स गंदा था। mujhe yaad hai ki jab hava saaph thee aur seks ganda tha.
एकमात्र समुद्र जो मैंने देखा था, वह दृश्य देखा समुद्र आप पर सवार था। लेट जाओ, आसान झूठ बोलो। मुझे अपनी जाँघों में जहाज़ चलाने दो ekamaatr samudr jo mainne dekha tha, vah drshy dekha samudr aap par savaar tha. let jao, aasaan jhooth bolo. mujhe apanee jaanghon mein jahaaz chalaane do मुझे उन लड़कियों से प्यार है जो बुरे और शरारती और बदमाश हैं, और थोड़े स्वार्थी हैं, लेकिन मुझे सम्मानजनक दूरी से देखना पसंद है! mujhe un ladakiyon se pyaar hai jo bure aur sharaaratee aur badamaash hain, aur thode svaarthee hain, lekin mujhe sammaanajanak dooree se dekhana pasand hai क्षमा करें, लेकिन एक संपूर्ण क्रश ऑनलाइन प्रेम परीक्षण का पता लगाने और व्हाट्सएप स्थिति पर अंतिम परिणाम पोस्ट करने के बारे में आप मिनटों का लाभ उठाते हैं, यह स्पष्ट रूप से आपको एक बेवकूफ दिखाता है। kshama karen, lekin ek sampoorn krash onalain prem pareekshan ka pata lagaane aur vhaatsep sthiti par antim parinaam post karane ke baare mein aap minaton ka laabh uthaate hain, yah spasht roop se aapako ek bevakooph dikhaata hai. पुरुष मेरे शौक हैं, अगर मैंने कभी शादी की है तो मुझे इसे देना होगा purush mere shauk hain, agar mainne kabhee shaadee kee hai to mujhe ise dena hoga मुझे सिद्धांतों से बेहतर व्यक्ति पसंद हैं, और मुझे दुनिया में किसी भी चीज़ से बेहतर कोई सिद्धांत नहीं हैं। mujhe siddhaanton se behatar vyakti pasand hain, aur mujhe duniya mein kisee bhee cheez se behatar koee siddhaant nahin hain.
Best Badmashi status Hindi in 2020
By posting these badmashi status in Hindi on facebook or any other social media platforms like whatsapp, instagram, flicker, etc we cna share this with our friends and family, you will find many website who are providing these badmashi status in Hindi, but we provide the best Badmashi status in Hindi on the whole internet. जिस मोड को मैंने अपनी पूर्व प्रेमिका को पार्क में आज गले लगाया था वह निश्चित रूप से मेरी गिरफ्तारी का रास्ता दिखाने वाला है jis mod ko mainne apanee poorv premika ko paark mein aaj gale lagaaya tha vah nishchit roop se meree giraphtaaree ka raasta dikhaane vaala hai मैं अपने पैरों को मेरे सिर के चारों ओर लपेटना चाहता हूं और आपको एक फीड बैग की तरह पहनना चाहिए main apane pairon ko mere sir ke chaaron or lapetana chaahata hoon aur aapako ek pheed baig kee tarah pahanana chaahie हम शेर और शेर के बारे में कैसे खेलते हैं? आप अपना मुंह खुला रखें, और मैं अपना सिर अंदर डालूंगा ham sher aur sher ke baare mein kaise khelate hain? aap apana munh khula rakhen, aur main apana sir andar daaloonga काश तुम एक दरवाजा होते तो मैं तुम्हें दिन भर पटक सकता था kaash tum ek daravaaja hote to main tumhen din bhar patak sakata tha वह ड्रेस आप पर बहुत जंचती है। बेशक, अगर मैं तुम पर था, भी बन रहा है! vah dres aap par bahut janchatee hai. beshak, agar main tum par tha, bhee ban raha hai! रक्त मेरे शरीर के उन हिस्सों में चला गया, जिन्हें मैंने शून्यता के साथ जोड़ा था, और मैं इसे रोकने के लिए शक्तिहीन था। rakt mere shareer ke un hisson mein chala gaya, jinhen mainne shoonyata ke saath joda tha, aur main ise rokane ke lie shaktiheen tha. मैंने हमेशा फोटोग्राफी को एक शरारती चीज़ के रूप में सोचा था - वह इसके बारे में मेरी पसंदीदा चीजों में से एक थी, और जब मैंने पहली बार ऐसा किया, तो मुझे बहुत बुरा लगा। mainne hamesha photograaphee ko ek sharaaratee cheez ke roop mein socha tha - vah isake baare mein meree pasandeeda cheejon mein se ek thee, aur jab mainne pahalee baar aisa kiya, to mujhe bahut bura laga.
वे आँकड़े मुझे बीमार करते हैं। हालाँकि, मैं इस सामान को महीनों से कह रहा हूँ। मैंने फेस बुक को काट दिया और इसे व्हाट्सएप से बदल दिया और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। ve aankade mujhe beemaar karate hain. haalaanki, main is saamaan ko maheenon se kah raha hoon. mainne phes buk ko kaat diya aur ise vhaatsep se badal diya aur mujhe bahut achchha lag raha hai. आप एक ऑस्ट्रेलियाई चुंबन की कोशिश करना चाहते हैं? यह सिर्फ एक फ्रेंच चुंबन की तरह है, लेकिन नीचे aap ek ostreliyaee chumban kee koshish karana chaahate hain? yah sirph ek phrench chumban kee tarah hai, lekin neeche Badmash Status in Hindi 2020 So these Badmash status for whatsapp in hindi or people may also call it badmashi status in hindi are also called as Naughty status we also provide such naughty status in hindi. these badmashi status are hand written are people who write such badmsh status focus on very short lines. so that these badmashi status in Hindi can be easily shared across the internet. आप एक पुरस्कार विजेता मछली की तरह हैं। मुझे नहीं पता कि आपको खाना चाहिए या आपको माउंट करना चाहिए। क्या मैं आपके पेट के बटन को अंदर से छू सकता था? आइए शरारती हों और सांता की यात्रा को बचाएं। “सेक्स करना पुल की तरह है। यदि आपके पास एक अच्छा साथी नहीं है, तो आपके पास एक अच्छा हाथ है। " बच्चों को शरारती होना च���हिए और उस विद्रोही चरण से गुजरना चाहिए जो मेरे पास नहीं है। यदि आपने अपने कपड़े उतार दिए हैं, तो निश्चित रूप से आप तेजी से गर्म होंगे। यदि आप दाहिने पैर को धन्यवाद दे रहे थे और आपका बायाँ पैर क्रिसमस था, तो क्या मैं आपसे छुट्टियों के बीच मिल सकता था? अच्छी लड़कियाँ स्वर्ग में जाती हैं, बुरी लड़कियाँ हर जगह जाती हैं। एक बार जब आप नटखट होने लगते हैं, तो जाना आसान होता है और आगे और जल्दी, या बाद में कुछ भयानक होता है। आपके माता-पिता को मंदबुद्धि होना चाहिए, क्योंकि आप विशेष हैं।
Badmashi status for Fb || Badmash status in 2020 These Badmashi status in Hindi can bring a dirty smile on people face, this is because we are surrounded by dirty-minded people. By reading such Badmash status in hindi we too got one. Facebook isthe leading social media platform consisting more than 1 billion active users, we have also shared Badmasi status for FB. मुझे यह कहते हुए खेद है, लेकिन आप मूर्ख स्वार्थी हैं, जो लेडी गागा मेम की तरह दिखता है, जो व्हाट्सएप पर सभी को असहज कर रहा है। वे कपड़े मेरे बेडरूम के फर्श पर टूटे हुए ढेर में बहुत अच्छे लगते। अगर यह सच है कि हम वही हैं जो हम खाते हैं, मैं सुबह तक आप हो सकता है! मैं कभी भी वह प्यारा बच्चा नहीं था जिसे शरारती होने के लिए माफ कर दिया गया था। अच्छा पैर ... वे किस समय खोलते हैं? एक बिल्ली पानी में गिर जाती है और मुर्गा हंसता है। कहानी का नैतिक क्या है ??? गीली चूत हमेशा एक मस्त लंड बनाती है। सिर्फ इसलिए कि मैं रोलिंग स्टोन के कवर पर सेक्सी दिखती हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं शरारती हूं। "मुझे वह डी दे दो जो आप जानते हैं कि आप चाहते हैं।" WE hope you guys liked these Badmashi status in hindi that we have provided for you people, make sure you people share this on social media and be naughy as these badmash status, we will take our leave. Thank you Also,Read Corruption essay in Hindi Read the full article
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ऐक्ट्रेस कृति सेनन अपनी फिल्म हाउसफुल 4 की सफलता का जश्न मना रही हैं। वहीं, आने वाले दिनों में वह पीरियड ड्रामा पानीपत, सरॉगसी पर आधारित मिमी और राहुल ढोलकिया की थ्रिलर फिल्म में दिखेंगी। करियर पर कृति से खास बातचीत: आपको बॉलिवुड में पांच साल हो गए। क्या अब भी खुद को आउडसाइडर मानती हैं या पूरी तरह इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन चुकी हैं? इंडस्ट्री का हिस्सा तो निश्चित तौर पर हूं। बेशक, मैं आउटसाइडर हूं, लेकिन अब ज्यादा लोगों को जानती हूं तो लगता है कि मैं इंडस्ट्री का हिस्सा हूं। हालांकि, अब भी मेरी कोई बैकिंग नहीं है या कोई ऐसा एक इंसान नहीं है, जो हर फिल्म में मेरी मदद कर रहा हो। मेरी फिल्में अलग-अलग लोगों के साथ रही हैं और अपने इस सफर पर मुझे गर्व है। मैं हर फिल्म के साथ खुद को खोजने की कोशिश कर रही हूं। ऐक्ट्रेस बनना कोई मेरे बचपन का सपना नहीं था, तो मैंने कभी ऐक्टिंग सीखी नहीं थी, न कभी कोई वर्कशॉप किया था, न थिएटर किया था। मैंने जो सीखा, वह सेट्स पर ही सीखा। मुझे खुशी है कि मैंने ग्लैमरस रोल से दूर हटकर 'बरेली की बर्फी' की, जिसने मेरे प्रति लोगों की सोच बदली और मुझे 'लुका-छिपी' जैसी फिल्म मिली, जिससे लोग मुझे ऐसी स्मॉल सिटी गर्ल के रूप में भी देखने लगे। वहीं, अपनी अगली फिल्मों से मैं अपनी इस इमेज को भी तोड़ना चाहूंगी और दूसरी दुनिया में जाना चाहूंगी। आप अलग-अलग तरह की फिल्में कर रही हैं। कोई खास जॉनर है, जिसे आप एक्सप्लोर करना चाहती हैं? मैं लव स्टोरीज की फैन हूं। ऐसी प्योर सच्ची लव स्टोरी वाली फिल्म करना चाहूंगी, जो आपके दिल को छू जाए। आजकल वैसी फिल्में बहुत कम देखने को मिलती हैं। खासकर, अपने यहां पर तो वैसी फिल्में बहुत ही कम हो गई हैं। मैं वाकई उम्मीद करती हूं कि मुझे कोई बहुत खूबसूरत इंटेंस लव स्टोरी करने को मिले। इसके अलावा, मैं काफी समय से थ्रिलर फिल्म करना चाहती थी, जो अब जाकर मुझे मिली है। थ्रिलर मैंने कभी किया नहीं है। मुझे थ्रिलर फिल्में देखना बहुत पसंद है, लेकिन एक अच्छी थ्रिलर स्क्रिप्ट बहुत मुश्किल से मिलती है। आपने कहा कि आप काफी रोमांटिक हैं, तो अब तक प्यार से दूरी की क्या वजह है? मैं प्यार से बिल्कुल भी भागती नहीं हूं। मेरा मानना है कि यह जब होना होगा, खुद से होगा। यह कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे आप ढूंढ़े या प्रेशर लें। जब वक्त सही होगा, इंसान सही होगा, तो वह ऑटोमैटिकली हो जाएगा। फिलहाल, अभी ऐसा कुछ नहीं है। आपकी हालिया रिलीज फिल्म हाउसफुल 4 बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है, लेकिन यह मल्टीस्टारर फिल्म करते वक्त कभी स्क्रीन स्पेस को लेकर इनसिक्यॉरिटी नह��ं महसूस हुई? नहीं, जब मल्टीस्टारर फिल्म कर रहे होते हैं, जैसे मैंने 'दिलवाले' भी की है, तो पता होता है कि उसमें बहुत ऐक्टर्स हैं। तब आप ये सोचकर नहीं जाते कि आप ही अकेले दिखेंगे। आपको पता होता है कि आपका स्क्रीन टाइम बाकी कलाकरों के साथ बंटेगा, जो ठीक है। ऐसी फिल्मों का अपना फ्लेवर होता है और एक ऐक्टर के तौर पर इनमें आप बस अपना पार्ट सही तरीके से निभाना चाहते हैं। फिल्म पानीपत में आप पहली बार एक पीरियड ड्रामा का हिस्सा बनी हैं। उसके लिए कितनी अलग तैयारी करनी पड़ी? हर फिल्म के लिए अलग तैयारी करनी पड़ती है, वह किसी भी जॉनर की हो। 'पानीपत' जैसी फिल्म में यह थोड़ा ज्यादा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वह ऐसे वक्त के बारे में है, जो हमें पता नहीं है। हमने नहीं देखा कि वे लोग कैसे होते होंगे, कैसे बात करते होंगे, जैसे इसमें मेरा पार्वती बाई का किरदार मराठी है, तो मुझे मराठी लहजा लाना था। मैं दिल्ली से हूं, पंजाबी हूं, तो मेरे लिए मराठी सही बोलना भी एक चुनौती थी। फिर, पीरियड फिल्म करते वक्त अक्सर हमारी बॉडी लैंग्वेज स्लो हो जाती है। हम एक ठहराव और नजाकत के साथ बात करते हैं। पार्वती बाई रॉयल खानदान में पैदा नहीं हुई। वह सा��ारण ब्राह्मण लड़की है, उसकी शादी शाही खानदान में होती है, तो वह इतनी रॉयल नहीं है। वह बिंदास और थोड़ी नखरीली है। मैं कई बार सोचती थी और आशुतोष सर को बोलती थी कि क्या मुझे थोड़ी और नजाकत नहीं लानी चाहिए, तो वे कहते थे कि नहीं, यही तो नई बात है तुम्हारे किरदार में। किसे पता है कि वे लोग ऐसे बोलते थे, हमने यह इमेज बना रखी है, तो यह एक नई बात थी। आपकी बहन नुपुर भी ऐक्ट्रेस बनने की राह पर हैं। उनको आपने क्या सलाह या गाइडेंस दी? मैं इस बात की कद्र करती हूं कि वह भी अपना सफर खुद तय करना चाहती हैं, जैसे मैंने अपनी राह खुद चुनी। मैं केवल यही सलाह देती हूं कि वह इतना धैर्य रखें कि अपनी पहली सही फिल्म का इंतजार करें। वह बहुत इंपॉर्टेंट है। कई बार हमारे सामने ऐसी फिल्में आती हैं, जो हमें ललचाती हैं और हमें लगता है कि यार, ले लेते हैं। डेब्यू फिल्म के लिए इंतजार करना जितना मुश्किल है, वह उतना ही इंपॉर्टेंट है, तो मैंने उनसे यही कहा कि धैर्य रखो, मेरी लाइफ में भी बहुत से ऐसे मौके आए थे, लेकिन अगर मैं उनके लिए हां कह देती, तो शायद मेरी जर्नी आज यह नहीं होती। इसलिए, सही फिल्म के लिए इंतजार करना बहुत जरूरी है।
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Kapil Sharma Show: लड़की से चक्कर के बारे में पता चला तो शत्रुघ्न ने खाई पत्नी से डांट - Kapil sharma show shatrughan sinha shared story about kalicharan tmov
कपिल शर्मा शो में रणवीर सिंह, सलमान खान, सलीम खान, विकी कौशल और यामी गौतम के बाद ख्यात अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने परिवार के साथ शिरकत की. उन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ और फिल्म करियर से जुड़े किस्से शेयर किए.
शत्रुघ्न सिन्हा अपनी फिल्म कालीचरण से काफी चर्चित हुए थे. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने सुभाष घई से इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी तो सुनते-सुनते सो गए थे. सिन्हा ने कहा- मैं उस समय तीन-चार शिफ्ट में काम कर रहा था, इस कारण काफी बिजी था. घई कई दिनों से अपनी स्क्रिप्ट सुनाने के लिए पीछे पड़े थे. जब एक दिन में रात को 2 बजे शूट से घर लौटा तो वे घर पर ही बैठे थे. उन्होंने कहा कि आज मैं स्क्रिप्ट सुनाकर ही जाऊंगा. उन्होंने 3-4 बजे तक स्क्रिप्ट सुनाई, जिसे सुनते-सुनते मैं सो गया.
Ever heard of the phrase ‘Love is blind’? Bachcha Yadav has his own take on the matter! Don’t miss his ‘jocks’ and all the fun, tonight at 9:30 PM on #TheKapilSharmaShow! @KapilSharmaK9 @trulyedward @kikusharda @haanjichandan @bharti_lalli @sumona24 @RochelleMRao @shatrugansinha pic.twitter.com/nx9pAZOZHS
— Sony TV (@SonyTV) January 13, 2019
. @KapilSharmaK9 and the gang are going to make you laugh until your belly hurts! So gather around and tune in to #TheKapilSharmaShow, tonight at 9:30 PM! @shatrugansinha @kikusharda @haanjichandan @Krushna_KAS @bharti_lalli @sumona24 @RochelleMRao @trulyedward @banijayasia pic.twitter.com/kPcScZ7j3R
— Sony TV (@SonyTV) January 13, 2019
Bachcha Yadav aur humare taraf se aap sabko Happy Lohri! Dekhiye #TheKapilSharmaShow aaj raat 9:30 baje! @KapilSharmaK9 @trulyedward @kikusharda @haanjichandan @Krushna_KAS @bharti_lalli @sumona24 @RochelleMRao pic.twitter.com/JLqIcIeNq2
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From Chingari to you, a very Happy Lohri! Watch #TheKapilSharmaShow tonight at 9:30 PM. @KapilSharmaK9 @trulyedward @kikusharda @haanjichandan @Krushna_KAS @bharti_lalli @sumona24 @RochelleMRao pic.twitter.com/gVBldpYepe
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सिन्हा ने बताया कि वे कई बार अपनी फिल्मों के डायलॉग इम्प्रोवाइज करते थे. उन्होंने अपने गढ़े हुए कुछ शब्द एक बार लोकसभा में भी बोल दिए थे. उन्होंने जब किसी विषय पर चल रही चर्चा के बीच बोला कि ये हुआ तो जलवा ये जुब्बिस होगा. खलबली होगी तो सुनकर सब हैरान रह गए.
सिन्हा ने मजाकिया अंदाज में कहा कि एक बार जब उनकी पत्नी को उनके किसी लड़की से चक्कर के बारे में पता चला तो वे काफी शर्मिंदा हुए थे. उनकी पत्नी पू��म ने उन्हें काफी डांटा था. उन्होंने कहा आपके इतने बड़े-बड़े बच्चे हो गए, शर्म नहीं आती ये सब करते हुए. इस बार माफ कर देती हूं, आगे से पता चता तो खैर नहीं. आगे सिन्हा मजाक में कहा- वो दिन है और आज का दिन, पता नहीं चलने दिया.
शत्रुघ्न सिन्हा ने बताया, “जब पहली बार मेरे भाई पूनम के घर रिश्ता लेकर गया तो मुझे उनकी माताजी ने इंकार कर दिया था. इसकी वजह मेरी शक्ल, क्योंकि ये तो मिस इंडिया रह चुकी थीं. मैं देखने में उन्हें गुंडे जैसा लगता था. ऐसे में उन्होंने मुझे देखकर यही कहा कि दोनों की जोड़ी कैसे बनेगी. फोटो में साथ कैसे लगेंगे.”
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दोपहर के एक बजे हैं। कीर्ति नगर में चूना भट्टी के पास बसी एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली विजेता राजभर अभी-अभी नोएडा से वापस लौटी हैं। आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा थी। इसी परीक्षा में शामिल होने विजेता नोएडा गई थी।
कीर्ति नगर के आस-पास बसी झुग्गियों में 25 हजार से भी ज़्यादा परिवार रहते हैं। लेकिन, लाखों की इस आबादी में शायद विजेता अकेली ऐसी लड़की हैं जो पीएचडी करने के सपने के इतना क़रीब पहुंच सकी हैं। जिस झुग्गी बस्ती में वे रहती हैं, वहां ऐसे लोगों की संख्या मुट्ठी भर से ज़्यादा नहीं जो ग्रेजुएट हों। पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले तो उंगलियों पर गिने जा सकते हैं।
विजेता अगर यह प्रवेश परीक्षा पास कर लेती हैं तो कीर्ति नगर की झुग्गी से निकल कर यह कीर्तिमान रचने वाली वे पहली लड़की होंगी। इस परीक्षा की लिए विजेता ने काफी मेहनत भी की है। लेकिन, परीक्षा से ठीक एक हफ्ता पहले, जब वो अपना सारा ध्यान सिर्फ़ परीक्षा की तैयारी में लगा देना चाहती थी, तभी उन्हें खबर मिली कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 48 हजार झुग्गियों को तोड़ डालने का आदेश दिया है जिनमें उनकी झुग्गी भी शामिल हो सकती है।
कीर्ति नगर के आस-पास बसी इन झुग्गियों में 25 हजार से भी ज़्यादा परिवार रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 48 हजार झुग्गियों को तोड़ डालने का आदेश दिया है, जिससे यहां रहने वाले सहमे हुए हैं।
विजेता कहती हैं, ‘बचपन से आज तक कभी हमारे पास पढ़ाई के लिए अलग कमरा नहीं रहा, इसलिए हमें बहुत सारे शोर में ही पढ़ाई करने की आदत पड़ गई। यहां पीछे ही रेलवे की पटरी है जहां से दिन भर में न जाने कितनी ट्रेन गुजरती हैं। इनके शोर ने भी कभी परेशान नहीं किया।
लेकिन जब से झुग्गियां टूटने की खबर मिली है, दिमाग़ में ए��� अलग ही तरह का शोर उठा हुआ है। कई सवाल मन में उठ रहे हैं। झुग्गियां भी नहीं रहेंगी तो हम कहां जाएंगे। इस मनोदशा में पढ़ाई भी नहीं हो रही।’
विजेता जैसी ही मनोदशा से दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोग इन दिनों गुजर रहे हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के अनुसार पूरी दिल्ली में करीब 700 सौ पंजीकृत झुग्गी बस्तियां हैं जिनमें 4 लाख से ज्यादा झुग्गियां हैं। इनमें रहने वाले लोगों की संख्या 20लाख से भी अधिक बताई जाती है।
यदि इस आंकडे में गैर पंजीकृत झुग्गियों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इनमें से हजारों झुग्गियां रेलवे लाइन के किनारे बसी हुई हैं जिनमें रहने वाले लाखों लोग अब अपने भविष्य को लेकर आशंकाओं से घिर गए हैं।
झुग्गियां तोड़ने का यह आदेश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एमसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया केस की सुनवाई करते हुए दिया है। इस आदेश में कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में रेलवे की 140 किलोमीटर लम्बी लाइन के सेफ्टी ज़ोन में जितने भी अतिक्रमण हैं, उन्हें तीन महीने के अंदर ध्वस्त किया जाए।
इस सेफ्टी जोन में आने वाली 48 हजार झुग्गियों को तोड़ने का आदेश देते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा है कि इस आदेश पर कोई भी राजनीतिक हस्तक्षेप न किया जाए। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश पर अगर कोई भी न्यायालय अंतरिम आदेश जारी करता है तो ऐसा आदेश मान्य नहीं होगा।
साल 2003-04 के दौरान रेलवे ने डूसिब को पुनर्वास के लिए 11.25 करोड़ रुपए दिए था। लेकिन 4410 झुग्गियों में से सिर्फ़ 257 का ही पुनर्वास किया गया।
इस आदेश ने सिर्फ़ झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोगों को ही नहीं बल्कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों को भी हैरत में डाल दिया है। डूसिब के एक अधिकारी कहते हैं, ‘मामला सुप्रीम कोर्ट का है इसलिए हम खुलकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन यह फैसला बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है।
ऐसे रातों-रात लाखों लोगों के घर कैसे उजाड़े जा सकते हैं? इन लोगों के पुनर्वास का क्या होगा, इन्हें कहां बसाया जाएगा, इतनी जमीन कहां से आएगी जहां इनका पुनर्वास हो और पुनर्वास के लिए संसाधन और पैसा कौन जारी करेगा, ये सब बातें इतने कम समय में तय नहीं हो सकती।’
दिल्ली में झुग्गियों के पुनर्वास का इतिहास देखें तो यह भी बेहद ख़राब रहा है। सलोनी सिंह मामले में फैसला देते हुए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दर्ज किया है कि साल 2003-04 के दौरान रेलवे ने डूसिब को पुनर्वास के लिए 11.25 करोड़ रुपए दिए थे। लेकिन 4410 झुग्गियों में से सिर्फ़ 257 का ही पुनर्वास किया गया।
कीर्ति नगर में ही रेशमा कैंप नाम की एक झुग्गी बस्ती होती थी। साल 2002 के करीब इस बस्ती के लोगों क�� रोहिणी में बसाया गया और इस बस्ती को ध्वस्त कर दिया गया। लेकिन आज उस जगह पर पहले से भी ज़्यादा झुग्गियां नजर आती हैं।
इसी झुग्गी में रहने वाले अजय चौधरी बताते हैं, ‘हम भी पहले रेशमा कैंप में ही रहते थे। लेकिन हमारे पास कागज पूरे नहीं थे इसलिए हमें पुनर्वास में शामिल नहीं किया गया और झुग्गियां तोड़ दी गई। हम जैसे कई लोग बेघर हो गए और कई महीनों तक फुटपाथ पर रहे। फिर दस हजार रुपए देकर दोबारा एक झुग्गी डाली। तब से यहीं रहते हैं।'
कीर्ति नगर में एशिया का सबसे बड़ा फर्नीचर मार्केट है। इस पूरे मार्केट की रीढ़ इसके इर्द-गिर्द बसी ये झुग्गी बस्तियां ही हैं। रेलवे लाइन के किनारे बनी इन्हीं छोटी-छोटी झुग्गियों में ये फर्नीचर तैयार होता है और झुग्गी के अधिकतर लोग इसी फर्नीचर मार्केट में कारीगर या लेबर का काम करते हैं।
कीर्ति नगर में एशिया का सबसे बड़ा फर्नीचर मार्केट है। यहां काम करने वाले राज मंगल विश्वकर्मा कहते हैं कि हम अपनी मेहनत से सारे अफसर, नेता और जज साहब का घर बसाते हैं लेकिन वो अपने फैसलों से हमारा ही घर उजाड़ देते हैं।
पिछले 22 साल से यहां फर्नीचर का काम कर रहे राज मंगल विश्वकर्मा कहते हैं, ‘हम जो फर्नीचर बनाते हैं वो पूरे देश में जाता है। दिल्ली के सभी सरकारी दफ्तरों से लेकर संसद और अदालतों तक में यहीं से बना फर्नीचर जाता है। ये सारे नेता, अफसर, जज सभी हमारे बनाए बेड पर सोते हैं और हमारी बनाई कुर्सियों पर बैठते हैं। हम तो अपनी मेहनत और कारीगरी से उनके घर बसाते हैं लेकिन वो अपने फैसलों से हमारे ही घर उजाड़ देते हैं। ‘
दिल्ली में झुग्गी वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि ये इन्हें दिल्ली का सबसे बड़ा वोट बैंक भी कहा जा सकता है। इसलिए इन पर राजनीति भी ख़ूब होती है। चुनावों से पहले जहां आम आदमी पार्टी ने बाकायदा अपने घोषणा पत्र में सभी झुग्गी वालों को पक्के मकान देने का वादा किया था वहीं भाजपा ने ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ जैसे जुमले दिए थे।
लेकिन चुनावों के बाद न तो आम आदमी पार्टी ने इनके लिए कुछ खास किया जिनकी दिल्ली में सरकार है और जिनके अंतर्गत डूसिब जैसे विभाग आते हैं और न ही भाजपा ने कुछ खास किया जिसकी केंद्र में सरकार है और जिसके अंतर्गत रेलवे जैसे मंत्रालय हैं, जिनकी जमीनों पर सबसे ज्यादा झुग्गियां बसी हुई हैं।
कमला नेहरू कैम्प की झुग्गी में रहने वाली नीतू देवी हाथ में एक लिफाफा थामे हुए हमसे मिलती हैं। इस लिफाफे पर ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी है और बड़े- बड़े अक्षरों में लिखा है ‘जहां झुग्गी वहीं मकान।' यह लिफाफा हमारी ओर बढ़ाते हुए नीतू देवी पूरी मासूमियत से कहती हैं, ‘ये देखिए। मोदी जी तो देश के प्रधानमंत्री हैं। वो ही वादा किए थे कि जहां हमारी झुग्गी है, वहीं मकान होगा। फिर क्यों झुग्गी तोड़ने की बात कही जा रही है? क्या सच में हमारी झुग्गी तोड़ दी जाएगी?’
नीतू देवी के इस सवाल पर सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट से जुड़े सुनील कुमार अलेडिया कहते हैं, ‘इन झुग्गियों को एक बार में ही तोड़ देना सरकार या अधिकारियों के लिए नामुमकिन नहीं है। ऐसे कई उदाहरण हम लगातार देखते रहे हैं जब रातों-रात झुग्गियां गिराकर हजारों लोगों को एक झटके में बेघर किया गया। शालीमार बाघ का उदाहरण तो अभी ज़्यादा पुराना भी नहीं है। लेकिन कोरोना की महामारी के इस दौर में जब लोगों की आर्थिक स्थिति भी बेहद खराब है, अगर झुग्गी टूटती हैं तो ये लोग कहां जाएंगे और क्या खाएंगे?’
कमला नेहरू कैम्प की झुग्गी में रहने वाली नीतू देवी कहती हैं कि मोदी जी वादा किए थे कि जहां हमारी झुग्गी है, वहीं मकान होगा। फिर क्यों झुग्गी तोड़ने की बात कही जा रही है?
वैसे इस मामले में कुछ लोग पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की भी बात कर रहे हैं। अधिवक्ता कमलेश मिश्रा कहते हैं, ‘न्यायालय का ये फैसला तर्कसंगत नहीं है। इस मामले में झुग्गियों में रहने वाले उन लोगों का पक्ष तो सुना ही नहीं गया है जो इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होने जा रहे हैं। ये मामला रेलवे लाइन के आस-पास जमा होने वाले कचरे से संबंधित था।
सरकारी रिपोर्ट ही बताती है कि भारतीय रेलवे खुद सबसे ज्यादा कचरा पैदा करती है। लेकिन इस मामले में अपनी गर्दन बचाने के लिए रेलवे ने झुग्गी वालों पर बात डाल दी और कोर्ट ने झुग्गी वालों को सुने बिना ही हजारों झुग्गियां हटाने का आदेश दे दिया। हम लोग जल्द ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।’
सम्भव है कि सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका का संज्ञान लेते हुए झुग्गियों को तोड़ने के आदेश पर फ़िलहाल रोक लगा दे या इसे कुछ समय के लिए टाल दे। लेकिन फिलहाल ��ो कोर्ट के आदेश के बाद झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोगों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।
इसी झुग्गी में रहने वाले 26 साल के मिलन कुमार कहते हैं, ‘आज मुंबई में कंगना रनौत के घर का एक हिस्सा टूटा तो सारे देश में उसकी चर्चा है। सारा मीडिया वही खबर दिखा रहा है और कहा जा रहा है कि ये लोकतंत्र की हत्या है। इधर हम जैसे लाखों लोगों के घर उजड़ने को हैं और इस पर कहीं कोई चर्चा ही नहीं है। क्या हम लोग इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं?'
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Neetu, who lives here, says, 'Modi ji promised that where our slum is, there will be a house, then why are our slums breaking?
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 Bhaktin
NCERT Class 12 Hindi Chapter 11 :: Bhaktin
(भक्तिन)
(गद्य भाग)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? (CBSE-2008)उत्तर:भक्तिन का वास्तविक नाम था-लछमिन अर्थात लक्ष्मी। लक्ष्मी नाम समृद्ध व ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है, परंतु यहाँ नाम के साथ गुण नहीं मिलता। लक्ष्मी बहुत गरीब तथा समझदार है। वह जानती है कि समृद्ध का सूचक यह नाम गरीब महिला को शोभा नहीं देता। उसके नाम व भाग्य में विरोधाभास है। वह सिर्फ़ नाम की लक्ष्मी है। समाज उसके नाम को सुनकर उसका उपहास न उड़ाए इसीलिए वह अपना वास्तविक नाम लोगों से छुपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। उसके गले में कंठी-माला व मुँ��़े हुए सिर से वह भक्तिन ही लग रही थी। उसमें सेवा-भावना व कर्तव्यपरायणता को देखकर ही लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रखा।
प्रश्न 2.दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं? (CBSE-2011)उत्तर:हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लछिमन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
प्रश्न 3.भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे? (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबरदस्ती करने की कोशिश की। लड़की ने उसकी खूब पिटाई की, परंतु पंचायत ने अपीलहीन फ़ैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया। यह सरासर स्त्री के मानवाधिकारों का हनन है। भारत में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहाँ शादी करने का निर्णय सिर्फ़ पुरुष के हाथ में होता है। महाभारत में द्रौपदी को उसकी इच्छा के विरुद्ध पाँच पतियों की पत्नी बनना पड़ा। मीरा की शादी बचपन में ही कर दी गई तथा लक्ष्मीबाई की शादी अधेड़ उम्र के राजा के साथ कर दी गई। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ अयोग्य लड़के के साथ गुणवती कन्या का विवाह किया गया तथा लड़की की जिंदगी नरक बना दी गई।
प्रश्न 4.भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? (CBSE-2009)उत्तर:जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कहना और समझना लेखिका के लिए कठिन है।
प्रश्न 5.भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?उत्तर:भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को, चाहे वह शास्त्र की ही क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। वह सिर घुटाए रखती थी, लेखिका को यह अच्छा नहीं लगता था। जब उसने भक्तिन को ऐसा करने से रोका तो उसने अपनी बात को ऊपर रखा तथा कहा कि शास्त्र में यही लिखा है। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है? उसने तुरंत उत्तर दिया-तीरथ गए मुँड़ाए सिद्ध। यह बात किस शास्त्र में लिखी गई है, इसका ज्ञान भक्तिन को नहीं था। जबकि लेखिका जानती थी कि यह कथन किसी व्यक्ति का है, न कि शास्त्र का। अत: वह भक्तिन को सिर घुटाने से नहीं रोक सकी तथा हर बृहस्पतिवार को उसका मुंडन होता रहा।
प्रश्न 6.भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? (CBSE-2014)उत्तर:भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.‘आलो आँधारि’ की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?उत्तर:‘आलो आँधारि’ की नायिका एक घरेलू नौकरानी है। भक्तिन भी लेखिका के घर में नौकरी करती है। दोनों में यही समानता है। दूसरे, दोनों ही घर में पीड़ित हैं। परिवार वालों ने उन्हें पूर्णत: उपेक्षित कर दिया था। दोनों ने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन-निर्वाह किया।भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं हैं। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रस7 के साथ रखकर उस पर चचा करें। भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अब भी पंचायतों का तानाशाही रवैया बरकरार है। अखबारों या टी०वी० पर अकसर समाचार सुनने को मिलते हैं कि प्रेम विवाह को पंचायतें अवैध करार देती हैं तथा पति-पत्नी को भाई-बहिन की तरह रहने के लिए विवश करती हैं। वे उन्हें सजा भी देती हैं। कई बार तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है। यह मध्ययुगीन बर्बरता आज भी विद्यमान है। पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं हैं, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं।
प्रश्न 2.भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।उत्तर:पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा और टी०वी० पर देखा कि राजस्थान के एक गाँव में केवल दो साल की बच्ची के साथ एक 20 वर्षीय युवक ने बलात्कार किया। आरोपी को बाद में लोगों ने पकड़ भी लिया। पंचायत हुई। इस पंचायत में फैसला सुनाया गया कि आरोपी को दस जूते लगाए जाएँ। दस जूते लगाकर उसे छोड़ दिया गया। यह निर्णय हैरतअंगेज़ करने वाला था क्योंकि पंच लोग केवल दबंग लोगों का साथ देते हैं। चाहे वे कितना ही गलत कार्य क्यों न करें।
प्रश्न 3.पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।उत्तर:हमारे देश में नारी पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। अनपढ़ जनता पुरानी लीक पर चल रही है। पाँच वर्ष तो क्या दुधमुँही बच्ची की शादी की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के देहातों में एक महीने की बच्चियों का विवाह (गौना) किया जा रहा है। आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि दो दिन की बच्ची की शादी कर दी। कई बार तो दस वर्ष की बच्ची की शादी तीस वर्ष के युवक के साथ कर दी जाती है।
प्रश्न 4.महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई-पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़े। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित है।उत्तर:यह बात बिलकुल सत्य है कि महादेवी जी पशु-पक्षी के प्रति अधिक संवेदनशील थीं। उन्होंने कई प्रकार के पशु पक्षी पाल रखे थे। महादेवीजी ने अपने घर में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि के अतिरिक्त लक्का कबूतर, चित्रा बिल्ली, नीलकंठ मोर, कजली कुतिया, गिल्लू कौवा, दुर्मुख खरगोश, गौरा गऊ, रोजी कुतिया, निक्की नेवला और रानी घोड़ी आदि पशु पक्षी पाल रखे थे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्णउत्तर:
किसी पूर्व-प्रकाशित पुस्तक को पुन: प्रकाशित करना उसका नया संस्करण कहलाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। भक्तिन ने एक कन्या के बाद पुन: दो और कन्याएँ पैदा कीं। ‘संस्करण’ से तात्पर्य यह है कि उसने एक लिंग की संतान को जन्म दिया।
टकसाल सिक्के ठालने वाली मशीन को कहते हैं। भारतीय समाज में ‘लड़के’ को खरा सिक्का तथा लड़कियों को ‘खोटा सिक्का’ कहा जाता है। समाज में लड़कियों का कोई महत्व नहीं ह��ता। भक्तिन को खोटे सिक्कों की टकसाल की संज्ञा दी गई है क्योंकि उसने एक के बाद एक तीन लड़कियाँ उत्पन्न कीं, जबकि समाज पुत्र जन्म देने वाली स्त्रियों को महत्व देता है।
भक्तिन अपने पिता की मृत्यु के कई दिन बाद पहुँची। उसे सिर्फ़ पिता की बीमारी के बारे में बताया गया था। जब वह अपने मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोग कानाफूसी करते हुए पाए गए कि बेचारी लछमिन अब आई है। आमतौर पर शोक की खबर प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कही जाती। कानाफूसी के जरिए अस्पष्ट शब्दों में एक ही बात बार-बार कही जाती है। इन्हें लेखिका ने अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ कहा है। पिता की मृत्यु हो जाने पर लोग उसे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि से देख रहे थे तथा ढाँढ़स बँधा रहे थे। ये बातें स्पष्ट तौर पर की जा रही थीं, अत: उन्हें स्पष्ट सहानुभूति कहा गया है।
प्रश्न 2.‘बहनोई’-शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, परे स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदीतथा और भाषाओं की खोज करें।उत्तर:ननद + आई = ननदोई।
प्रश्न 3.पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।
ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल रांध लेइत है, साग-भाजी बँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
हमारे मलकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
तुम पचै का का बताई-यहै पचास बरिस से संग रहित है।
हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहो।
उत्तर:
यह कौन-सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ, दाल बना लेती हूँ, साग-भाजी छौंक सकती हूँ, और शेष क्या रहा।
हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में डूबी रहती हैं। अब हम भी पढ़ने लगे तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा-सुनेगा।
वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं और तुम लोग घूमती-फिरती हो। चलो, तनिक हाथ बँटा लो।
तब वह कुछ करता-धरता नहीं होगा, बस गली-गली में गाता-बजाता फिरता होगा।
तुम्हें हम क्या-क्या बताएँ-यही पचास वर्ष से साथ रहती हूँ।
हम कुतिया-बिल्ली नहीं हैं। हमारा मन चाहेगा तो हम दूसरे के यहाँ (पत्नी बनकर) जाएँगे नहीं तो तुम्हारी छाती पर ही होरहा भूलूँगी और राज करूंगी-यह समझ लेना।
प्रश्न 4.भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही वे प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनम���ं किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ, है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं?– अरे ! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।– घबरा मत ! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फ़ाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।– जॉनी टेंसन नयी लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।उत्तर:इस प्रकार की शब्दावलियों का प्रयोग पिछले कुछ समय से बढ़ गया है। यह टपोरी शब्दावली है। वास्तव में यह हिंग्लिश शब्दावली के नाम से जानी जाती है। पहले वाक्य में कंप्यूटर शब्दावली का प्रयोग हुआ। दूसरे वाक्य में खेलात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। अंतिम वाक्य में मुंबईया शब्दावली का प्रयोग हुआ है। इन प्रयोगों से भाषा का मूल स्वरूप बिगड़ जाता है। ऐसी शब्दावली भाषा को समृद्धि नहीं बल्कि कंगाली देती है अर्थात् भाषा की अपनी सार्थकता खत्म हो जाती है। कुछ और उदाहरणों को देखें
तुम अपन को जानताई छ नहीं है।
तेरा रामू के साथ टांका भिड्रेला है भेडू।
जो तुम कहते हो वह कंप्यूटर की तरह मेरे दिमाग में फीड हो जाता है।
इस बार दलजीत ने कुछ कहा तो उसे स्टेडियम की फुटबाल की तरह बाहर भेज दूंगा।
तेरे नखरे भी शेयर बाजार जैसे चढ़ते जा रहे हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.भक्तिन की शारीरिक बनावट कैसी थी?उत्तर:भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके होंठ पतले थे एवं आँखें छोटी थीं। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसकी शारीरिक बनावट कुल मिलाकर 50 वर्षीया स्त्री की थी लेकिन वह बूढ़ी नहीं लगती थी।
प्रश्न 2.महादेवी जी ने भक्तिन के बारे में क्या लिखा है?उत्तर:महादेवी वर्मा भक्तिन के बारे में लिखती हैं-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृधि भक्ति के कपाल की कैंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी।
प्रश्न 3.भक्तिन की कितनी संतानें थीं? उनका जीवन कैसा था?उत्तर:भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया। इन तीनों बेटियों के कारण भक्तिने को जीवन भर दुख उठाने पड़े। सास और जेठानियाँ सभी उसे तंग करती रहती। उनकी बेटी को हर वक्त काम में लगाएं रखती। कोई भी नहीं चाहता था कि भक्तिन की बेटियाँ सुखी रहें।
प्रश्न 4.भक्तिन दुर्भाग्यशाली क्यों थी?उत्तर:भक्तिन का पति उस समय मरा जब वह केवल 36 वर्ष की थी। वह तीन बेटियों को जन्म देकर चला गया। इस कारण भक्तिन को बहु कष्ट उठाने पड़े। भक्तिन की बेटी विवाह के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गई। उसके जेठ जेठानियाँ सभी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाने लगे।
प्रश्न 5.भक्तिन का स्वभाव कैसा था?उत्तर:यद्यपि भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे रुपये उठा लेती। उसने कभी सच नहीं बोला। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।
प्रश्न 6.पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए। (CBSE-2012, 2017)उत्तर:भक्तिन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं(क) जुझारू – भक्तिन जुझारू महिला थी। उसने कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना किया। शादी के बाद ससुराल में मेहनत से खेतीबाड़ी की। पति की मृत्यु के बाद बेटियों की शादी की। समाज के भेदभावपूर्ण व्यवहार का कड़ा विरोध किया।(ख) भाग्य से पीड़ित – भक्तिन मेहनती थी, परंतु भाग्य उसके सदैव विपरीत रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता का देश उसे हमेशा झालता रहा। ससुराल में तीन पुत्रियों का जन्म देने के कारण उपेक्षा मिली। पति की अकाल मृत्यु हुई। फिर दामाद की मृत्यु व परिवार के षड्यंत्र ने उसे तोड़कर रख दिया।(ग) सेवाभाव – भक्तिन महादेवी की सेविका थी। वह छाया के समान हर समय महादेवी के साथ रहती थी। महादेवी के कार्य को खुशी से करती थी।
प्रश्न 7.भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था।अथवा‘महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE-2015)उत्तर:भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी( स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती। सेवक भी स्वामी के चले जाने के आश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते है जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख दे��े हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।
प्रश्न 8.‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेवी जी के लिए अनमोल क्यों थी?उत्तर:भक्तिन उनके अवगुणों के होते हुए भी महादेवी के लिए अनमोल थी क्योंकि
वह लेखिका के हर कष्ट को लेने को तैयार थी।
वह लेखिका की सेवा करती थी।
लेखिका के पास पैसे की कमी की बात सुनकर वह जीवन भर की अपनी कमाई उसे देना चाहती थी।
प्रश्न 9.‘भक्तिन’ और ‘महादेवी’ के नामों में क्या विरोधाभास था?उत्तर:‘भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। वह किसी भी दृष्टि से । देवी के समकक्ष नहीं थी। दोनों के नामों वे उसके गुणों में कोई तारतम्य नहीं था।
प्रश्न 10.भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:भक्तिन का जीवन सदैव परेशानी भरा रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता ने उससे भेदभाव किया। विवाह के बाद उसकी तीन लड़कियाँ हुई जिसके कारण सास व जेठानियों ने उसके व लड़कियों के साथ भेदभाव किया। 36 वर्ष की आयु में पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वालों ने संपत्ति हड़पने के तमाम प्रयास किए, परंतु उसने बेटियों की शादी की। एक घरजमाई बनाया, परंतु दुर्भाग्य से वह शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद ससुराल वालों ने मिलकर उसकी विधवा पुत्री का बलात्कार कराने की कोशिश की। पंचायत ने बलात्कारी के साथ ही लड़की का विवाह जबरन कर दिया। इसके बाद भक्तिन की संपत्ति का विनाश हो गया
प्रश्न 11.भक्तिन की बेटी के मानवाधिकारों का हनन पंचायत ने किस प्रकार किया? स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2011)उत्तर:भक्तिन ने घरजमाई रखा। वह अकालमृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके जेठ के परिवार वाले संपत्ति हडपना चाहते थे. परंतु सारी जायदाद लड़की के नाम थी, लड़की के ताऊ के लड़के के तीतरबाज़ साले ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लक्ष्मी ने उसकी खूब पिटाई की। जेठ ने पंचायत में अपील की। वहाँ भी भ्रष्टतंत्र था। उन्होंने लड़की की न सुनकर अपीलहीन फैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फैसला सुनाया। यह मानवाधिकारों ��ा हनन था। दोषी को सजा न देकर उसे इनाम मिला।
प्रश्न 12.भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।उत्तर:भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपने नाम को छिपाना चाहती थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था। लेखिका ने उसके गले में कॅठीमाला देखकर यह नामकरण कर दिया। वह इस कवित्वहीन नाम को पाकर गदगद हो उठी थी।
प्रश्न 13.‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। (CBSE-2014)उत्तर:यह कथन सही है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उत्तर तैयार रहता था। लेखिका ने जब उसको सिर घुटाने से रोका तो उसका उत्तर था – तीरथ गए मुंडाए सिद्ध’ इसी तरह उसके बनाएँ खाने पर कटाक्ष करने पर उसने उत्तर दिया – वह कुछ अनाड़िन या फूछड़ नहीं। ससुर, पितिया ससुर, अजिया सास आदि ने उसकी पाक कुशलता के लिए न जाने कितने मौखिक प्रमाणपत्र दे डाले थे।
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