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History Of Syrian Civil War: Causes, Effects and Current Situation
Introduction Of Syrian Civil War
सीरिया एक प्राचीन भूमि है जिसने पूरे विश्व के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. आज वही प्राचीन शहर गृह युद्ध (Syrian Civil War) की आंच में तेजी से जल रहा है. सीरिया में साल 2011 में गृह युद्ध (Syrian Civil War) छिड़ने के बाद से लेकर अब तक पांच लाख से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. सीरियाई सेना (Syrian Civil War) 7 दिसंबर को दक्षिणी सीरिया के अधिकांश भाग से हट गई, जिसके कारण सीरिया की दो प्रांतीय राजधानी समेत सहित देश के अधिकांश बड़े शहर विद्रोहियों (Syrian Civil War) के कब्जे में आ गए.
Table Of Content
क्या है सीरिया का इतिहास?
सीरिया में कब हुई तख्तापलट की शुरूआत?
UAR के विघटन के बाद कैसे बदली सीरिया की सियासत?
साल 2011 में कैसे हुई सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत?
क्या है सीरिया में गृह युद्ध की पूरी टाइमलाइन?
अब 7 दिसंबर को विद्रोहियों ने बशर अल-असद के शासन को उखाड़ फेंक दिया है. इसमें सबसे बड़ा हाथ है HTS यानी हयात तहरीर अल-शाम का और उसके कमांडर मोहम्मद अल-जोलानी का. मोहम्मद अल-जोलानी ने ही 50 सालों से चल रहे सीरिया में अल-असद के परिवार की सत्ता और सीरियाई बाथ पार्टी के शासन को कुचल दिया है. दावा यह भी किया जा रहा है कि बशर अल-असद देश छोड़ कर भाग खड़े हुए हैं. सीरियाई सेना और विपक्षी युद्ध निगरानी ने इस बात की पुष्टि कर दी है. ऐसे में हम जानते हैं कि क्या है सीरिया में गृह युद्ध की कहानी और इतिहास.
क्या है सीरिया का इतिहास?
सीरिया के गृह युद्ध (Syrian Civil War) को जानने से पहले जरूरी है सीरिया का इतिहास जानना. सीरियन लॉ जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया पर सीरिया पर कई शासकों ने शासन किया है. इसमें मिस्र, असीरियन, यूनानी, रोमन, बीजान्टिन, उमय्यद खलीफा, अब्बासी खिलाफत, फातिमिद, सेल्जुक तुर्क, जेंगिड, अय्यूबी राजवंश, मामलुक, ओटोमन (उस्मानी साम्राज्य) और अंत में फ्रांसीसी शामिल हैं. इस कारण सीरिया (Syrian Civil War) में कई धर्मों और जातियों का प्रभुत्व देखने को मिलता रहा है. सीरिया 17 अप्रैल 1946 को स्वतंत्र हुआ था.
लेकिन इससे पहले ही 1918 में ब्रिटिश सेना ने ओटोमन साम्राज्य को हराने के बाद सीरिया में राजशाही स्थापित की. इसके बाद 1920 में मेसालौन की लड़ाई ब्रिटिशों ने अपना शासनादेश लागू कर दिया. उन्होंने सीरिया (Syrian Civil War) को कई राज्यों में विभाजित किया. फिर सीरियाई राज्य का गठन 1932 में शुरू हुआ और अली अबेद देश के पहले राष्ट्रपति बने. हालांकि, इस दौरान अंग्रेज सीरिया में हावी रहे और जनता और सेना की शत्रुता की यह स्थिति द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक जारी रही. बाद में अंतरराष्ट्रीय समझौते तके तहत फ्रांस ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और परिणामस्वरूप सीरियाई राष्ट्रपति शुकरी कुवतली ने 17 अप्रैल, 1946 को सीरिया (Syrian Civil War) की आधिकारिक स्वतंत्रता की घोषणा की.
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सीरिया में कब हुई तख्तापलट की शुरूआत?
साल 1948 में पहली बार अरब-इजराइल के बीच युद्ध (Syrian Civil War) छिड़ गया. इसमें सीरिया ने अरब देशों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बाद में इसी भूमिका ने सरकार और सेना के बीच अंदरूनी कलह (Syrian Civil War) को जन्म दिया. पहली बार सेना में असंतोष देखने को मिला. सीरियन लॉ जर्नल के मुताबिक मार्च 1949 में सेना प्रमुख जनरल हुस्नी जैम के नेतृत्व में पहली बार सीरिया में तख्तापलट (Syrian Civil War) पलट हुआ. राष्ट्रपति पद संभालने के बाद भी जनरल हुस्नी जैम ने सिर्फ 138 दिन तक ही शासन किया. जनरल हुस्नी जैम के शासन में पहली बार देश में यूरोपीय मॉडल की झलक देखने को मिली. हुस्नी जैम को सत्ता से अगले सैन्य नेता अदीब शिशकली ने 1951 में सत्ता से उखाड़ फेंका (Syrian Civil War) और राष्ट्रपति गणराज्य की स्थापना की.
इस दौरान सीरिया में समाजवादी विचारधारा के समर्थक भी बढ़ते रहे. सेना में विभाजन और लोकप्रिय अशांति के कारण अदीब शिशकली इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए. साल 1954 में हाशिम अतासी और साल 1955 में शुकरी कुवतली जैसे अनुभवी राजनेताओं ने भी सीरिया (Syrian Civil War) की कमान संभाली. तत्कालीन मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल-नासिर के साथ हाशिम अतासी और शुकरी कुवतली ने अच्छे रिश्ते स्थापित किए. इसके बाद सीरिया (Syrian Civil War) और मिस्र दोनों ने दोनों देशों के बीच एक संघ पर गंभीरता से विचार किया और 1958 में UAR यानी संयुक्त अरब गणराज्य की स्थापना की. राष्ट्रपति गमाल अब्देल-नासिर ने UAR के राष्ट्रपति के रूप में पद संभाला.
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UAR के विघटन के बाद कैसे बदली सीरिया की सियासत?
सीरिया (Syrian Civil War) को UAR में जूनियर पार्टनर बनाने से गमाल अब्देल-नासिर के खिलाफ सैनाओं के भीतर नाराजगी बढ़ने लगी. सितंबर 1961 में सेना के सब्र का बांध टूट गया और तख्तापलट (Syrian Civil War) ने UAR को हमेशा के लिए दफ्न कर दिया. इसके साथ एक बार फिर से सीरिया (Syrian Civil War) में स्वतंत्र सरकार बहाल कर दी गई. दिसंबर 1961 में राष्ट्रपति नाजिम कुदसी प्रशासन ने UAR शासन के कई योजनाओं को जड़ से खत्म कर दिया. हालांकि, वह इससे सफल नहीं हो पाए और दो साल के भीतर साल 1963 में समाजवादी वामपंथी बाथ पार्टी (Syrian Civil War) ने अरबवाद के समर्थन से सत्ता में आई और गमाल अब्देल-नासिर की UAR शासन की कई योजनाओं को फिर से लागू कर दिया.
बाद में अमेरिका की सहायता से विघटन संधि ने गोलान हाइट्स के मुख्य शहर कुनेत्रा को सीरियाई नियंत्रण में वापस ला दिया. सीरिया में कुछ समय के लिए शांत�� थी, लेकिन तेल की कीमतों में गिरावट ने 1986 में सबसे बड़े राजनीतिक संकट (Syrian Civil War) को जन्म दिया. हालांकि, इससे बचते हुए सीरिया (Syrian Civil War) ने 1990 के दशक में अमेरिका से संबंध बेहतर किए. कुवैत से इराकी सेना को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी सेना का साथ दिया.
इसके बाद जुलाई 2000 में हाफिज अल-असद के बेटे बशर अल-असद सीरिया (Syrian Civil War) के राष्ट्रपति बने. हालांकि, तेल भंडार में गिरावट ने उन्हें कमजोर कर दिया. राष्ट्रपति बशर अल-असद (Syrian Civil War) के पदभार संभालने के साथ ही फिलिस्तीनी विद्रोह भड़क उठा और अमेरिका में 9/11 के हमले हुए. इससे अमेरिका ने अरब देशों के दूरी बना ली. साल 2003 में इराक पर आक्रमण और साल 2005 के लेबनान संकट ने अमेरिका और सीरिया (Syrian Civil War) के बीच के रिश्तों को कमजोर कर दिया. हालांकि, साल 2011 में बराक ओबामा के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही यह संबंध पहले से बेहतर हुए. लेकिन तब तक सीरिया (Syrian Civil War) में पूरी तरह से अशांति फैल चुकी थी. अल-असद की सत्ता के दौरान विद्रोहों को दबाने के लिए बड़े पैमाने पर तोप और भारी हथियारों का इस्तेमाल किया गया.
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साल 2011 में कैसे हुई सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत?
हाफिज अल-असद के मौत के बाद साल 2000 में उनके बेटे बशर अल-असद सीरिया के राष्ट्रपति बने. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन साल 2011 में अरब स्प्रिंग यानी अरब क्रांति की चिंगारी ने सीरिया (Syrian Civil War) को पूरी तरह से बदल दिया. अरब स्प्रिंग एक लोकतंत्र समर्थक विद्रोहों (Syrian Civil War) की एक श्रृंखला थी. हालांकि, इसमें शांतिपूर्ण और सशस्त्र दोनों ही पक्ष शामिल थे. इनमें से कई को सरकार ने कुचल दिया, जिससे यह चिंगारी (Syrian Civil War) भड़कती ही चली गई.
इसमें कई लोग बढ़ते बेरोजगारी दर, भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वतंत्रता की कमी से नाखुश (Syrian Civil War) थे. जब सरकार ने इन्हें (Syrian Civil War) कुचलने के लिए घातक बल का इस्तेमाल किया, तो पूरे देश में विरोध प्रदर्शन (Syrian Civil War) भड़क उठे और क्रूर युद्ध का रूप ले लिया. इस संघर्ष में कई समूह लड़ाई (Syrian Civil War) में शामिल हो गए और वह कई गुट अलग-अलग हितों के लिए एक-दूसरे के खिलाफ लड़ (Syrian Civil War) रहे हैं.
उत्तर-पश्चिम में तुर्की समर्थित सेनाएं इस बात पर अड़ी हुई थी कि किसी भी शांति समझौते में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को दूर रखा जाए. वहीं, इस गृहयुद्ध (Syrian Civil War) में आतंकी संगठन ISIS की भी भागीदारी देखी गई है, जिसके नियंत्रण में कई हिस्से थे. हालांकि अब ISIS के पास कोई वास्तविक अधिकार या कोई क्षेत्र नहीं है. इसमें (Syrian Civil War) सबसे ज्यादा सक्रिय हैं कुर्द लड���ाके, जो सुन्नी मुसलमान हैं. इसमें कुछ यजीदी, ईसाई, शिया लड़ाके भी भाग ले रहे हैं.
बता दें कि कुर्दों के लिए साल 1920 में सेव्रेस की संधि के तहत एक अलग देश देने का वादा किया गया था, लेकिन लौसाने की संधि ने इस वादे को रद्द कर दिया. ऐसे में कुर्द लड़ाके (Syrian Civil War) अपनी मांगों के लिए लड़ रहे हैं. साल 2014 में उन्होंने उत्तरी सीरिया (Syrian Civil War) के रोजावा में अपने नियंत्रण वाले इलाकों को स्वायत्त सरकार घोषित कर दिया. कुर्दों के हितों के लिए SDF की राजनीतिक शाखा सीरियन डेमोक्रेटिक काउंसिल का गठन किया गया था. अब सबसे अहम है HTS यानी हयात तहरीर अल-शाम, जिसने बशर अल-असद की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया है.
क्या है सीरिया में गृह युद्ध की पूरी टाइमलाइन?
साल 2011 में मार्च के महीने में सीरिया (Syrian Civil War) के दक्षिणी शहर डेरा में पहली बार हिंसा की जानकारी सामने आई. इस दौरान पुलिस ने राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ राजनीतिक नारे लिखने के आरोप में कुछ लड़कों को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद हिंसा (Syrian Civil War) भड़कती ही चली और कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि अगस्त तक पांच महीनों में सीरियाई सुरक्षा बलों (Syrian Civil War) की ओर से 2 हजार से अधिक लोग मारे गए थे. इस मामले में इस्तांबुल में सीरियाई राष्ट्रीय परिषद का गठन किया गया. साथ ही अरब लीग के शांति प्रस्ताव को खारिज करने के बाद सीरिया (Syrian Civil War) को अरब लीग से निलंबित कर दिया गया.
वहीं, फ्री सीरियन आर्मी ने दमिश्क और अलेप्पो शहर में हमले शुरू कर दिए. अगले साल 2012 में होम्स शहर में सीरियाई सेना (Syrian Civil War) ने मोर्चा संभाला और कुछ ही दिनों में सैकड़ों लोगों को मार डाला. यह लड़ाई करीब तीन साल तक चली. फिर भी क्रांति की राजधानी कहे जाने वाले होम्स शहर पर सेना नियंत्रण हासिल नहीं कर पाई. बाद में साल 2012 में सीरियाई सरकार (Syrian Civil War) ने संयुक्त राष्ट्र के शांति योजना को स्वीकार करते हुए भारी हथियारों और स��निकों को वापस बुलाया. साथ ही कैद किए गए लोगों को रिहा करने की भी बात कही.
संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान विभाग के प्रमुख हर्वे लैडसौस इस दौरान इसे पहली बार गृह युद्ध (Syrian Civil War) बताया. इसी बीच सीरियाई राष्ट्रीय गठबंधन का उदय हुआ. साल 2013 के मार्च महीने में ईरान समर्थित लेबनानी आतंकी समूह हिज्बुल्लाह के हजारों की संख्या में लड़ाके सीरियाई सरकार (Syrian Civil War) का समर्थन करने के लिए युद्ध (Syrian Civil War) में शामिल हो गए. इसके कारण सीरिया (Syrian Civil War) में जमकर खून बहा.
साल 2017 में अमेरिका समर्थित कुर्द समूह सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज ने भी ISIS को कुचल कर रक्का शहर को आजाद करा लिया. 2018 सीरियाई सेना ने डेरा और अल कुनेत्रा प्रांतों पर भी सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया. इस दौरान रूस और तुर्की ने इदलिब प्रांत में सेना रखने का फैसला किया. साल 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही घोषणा की कि अमेरिका उत्तर-पूर्वी सीरिया छोड़ देगा, वैसे ही तुर्की ने उत्तर-पूर्वी सीरिया (Syrian Civil War) के कुर्द क्षेत्र में आक्रमण शुरू कर दिया. हालांकि, साल 2020 में तुर्की और रूसी सेना ने सीरिया के आखिरी विपक्षी इलाके इदलिब में युद्ध विराम की घोषणा की और सुरक्षा गलियारा स्थापित करने पर सहमति जताई. कोविड-19 का भी असर इस युद्ध पर पड़ा और संघर्ष कमजोर हो गया.
साल 2021 में बशर अल-असद सीरिया (Syrian Civil War) के फिर से राष्ट्रपति बने और रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस की सहायता कम हो गई. हालांकि, अब एक बार फिर से 27 नवंबर को चरमपंथी समूह HTS यानी हयात तहरीर अल शाम ने सीरिया (Syrian Civil War) के अलेप्पो, दारा और हमा शहर पर अचानक हमला कर कब्जा कर लिया. HTS का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहा है. वह राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है. अब बशर अल-असद की सरकार गिर गई है.
Concussion
बता दें कि हाल के दिनों में ईरान और इजराइल के बीच की लड़ाई ने हिज्बुल्लाह को काफी नुकसान पहुंचाया है. यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा रूस भी खुद पर ध्यान दे रहा है. दोनों ही सीरिया में ��ाष्ट्रपति बशर अल-असद की मदद साल 2011 से ही करते आए हैं. ऐसे में उनकी मदद कमजोर होते ही साल 2015 और 2016 की तरह विद्रोह को कुचलने के लिए इस्तेमाल की गई सेना की संख्या हाल में सीरिया के पास नहीं थी. इसका फायदा उठाते हुए HTS ने बशर अल-असद की सत्ता का पलट दिया.
अब उम्मीद की जा सकती है कि सीरिया में यह गृह युद्ध रुक जाएगा. हालांकि, इस युद्ध (Syrian Civil War) में साल 2011 से लेकर 2024 तक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पांच लाख से अधिक लोग मारे गए हैं. हजारों लोग पलायन कर रहे हैं. वहीं, लाखों लोग पूरी तरह से मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. 1 करोड़ 20 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़ कर इराक, मिस्र, उत्तरी अफ्रीका, लेबनान, जॉर्डन और तुर्की में शरणार्थी की तरह रह रहे हैं. युद्ध के कारण यूरोप में को सबसे बड़ा शरणार्थी संकट पैदा हो गया है. इसके अलावा ग्लोबल पीस इंडेक्स ने 2016 से 2018 तक सीरिया को सबसे नीचे रखा था. अब यह नीचे से 8वें नंबर पर है.
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आर्कबिशप विगानो और चेतावनी
______________________________________________________________ आर्कबिशप Vigano ______________________________________________________________ आर्कबिशप कार्लो भिगानो, जनवरी 16, 1941 मा जन्मेका, रोमन क्याथोलिक चर्चका आर्कबिशप हुन् जसले 2011-2016 सम्म संयुक्त राज्य अमेरिकामा अपोस्टोलिक नुन्सियोको रूपमा सेवा गरे। ______________________________________________________________ ख्रीष्टले पुष्टि…
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LBS kya hai, LBS ka full form kya hai
1) एलबीएस: पाउंड-मास या पाउंड LBS एक रोमन शब्द लिब्रा से लिया गया है, इसे ‘lb’ या ‘lbs’ द्वारा दर्शाया जाता है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय शब्द है जिसका उपयोग किसी वस्तु के वजन या द्रव्यमान को परिभाषित करने के लिए किया जाता है, LBS kya hai, LBS ka full form kya hai. पाउंड एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘वजन के अनुसार पाउंड’। संयुक्त राज्य अमेरिका और राष्ट्रमंडल देशों ने पाउंड और यार्ड शब्द पर सहमति…
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PLUTO DAY 18 FEB प्लूटो दिवस प्रतिवर्ष 18 फरवरी को 1930 में प्लूटो की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस ग्रह की खोज 1930 में की गई थी और इसे लगभग 76 वर्षों तक सौर मंडल में नौवां ग्रह माना गया था, लेकिन 1992 के बाद, एक ग्रह के रूप में इसकी स्थिति को 1930 में बुलाया गया था। प्रश्न इसलिए है क्योंकि समान आकार की कई वस्तुएं, जैसे प्लूटो, कुइपर बेल्ट में खोजी गई थीं, जो नेपच्यून की कक्षा से परे पिंडों का एक वलय है। 24 अगस्त, 2006 को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा एक ग्रह के रूप में प्लूटो की स्थिति को बौने ग्रह में बदल दिया गया था और इस दिन को प्लूटो डिमोटेड डे के रूप में जाना जाता है। नेप्च्यून की खोज के केवल 84 साल बाद क्लाइड टोम्बो ने एरिजोना के फ्लैगस्टाफ में लोवेल वेधशाला में प्लूटो की खोज की। कुछ विशेष तथ्य- 1. खगोलविदों का अनुमान है कि खगोलविदों का अनुमान है कि बौने ग्रह की कक्षा में पांच चंद्रमा हैं। नाम हैं, चारोन, स्टाइलक्स, निक्स, केर्बरोस और हाइड्रा, जिसमें चारोन प्लूटो के सबसे करीब और हाइड्रा सबसे दूर है। 2. प्लूटो के वातावरण को अधिकतर नाइट्रोजन गैस कहा जाता है। 3. प्लूटो सूर्य से पृथ्वी की तुलना में 40 गुना दूर है, इसलिए इसकी कक्षा धीमी है; एक परिक्रमा पूरी करने में लगने वाला घंटा 6.4 पृथ्वी दिवस या 153.3 घंटे के बराबर होता है। 4. देवता और प्लूटो: कहा जाता है कि इस ग्रह का नाम अंडरवर्ल्ड के रोमन देवता प्लूटो के नाम पर रखा गया था, जिसका सुझाव इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड की एक 11 वर्षीय लड़की ने दिया था। 5. प्लूटो का व्यास लगभग 1,400 मील (2,380 किलोमीटर) है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की चौड़ाई का लगभग आधा है, या चंद्रमा की चौड़ाई का दो-तिहाई है। बौने ग्रह की कक्षा में पांच चंद्रमा हैं। नाम हैं, चारोन, स्टाइलक्स, निक्स, केर्बरोस और हाइड्रा, जिसमें चारोन प्लूटो के सबसे करीब और हाइड्रा सबसे दूर है। 6. प्लूटो का वातावरण ज्यादातर नाइट्रोजन गैस वाला बताया जाता है। 7. प्लूटो सूर्य से पृथ्वी की तुलना में 40 गुना दूर है, इसलिए इसकी कक्षा धीमी है; एक परिक्रमा पूरी करने में लगने वाला घंटा 6.4 पृथ्वी दिवस या 153.3 घंटे के बराबर होता है। 8. देवता और प्लूटो: कहा जाता है कि इस ग्रह का नाम अंडरवर्ल्ड के रोमन देवता प्लूटो के नाम पर रखा गया था, जिसका सुझाव इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड की एक 11 वर्षीय लड़की ने दिया था। 9. प्लूटो का व्यास लगभग 1,400 मील (2,380 किलोमीटर) है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की चौड़ाई का लगभग आधा या चंद्रमा की चौड़ाई का दो-तिहाई है। #pluto #18feb #plutoday (at Kanpur, Uttar Pradesh) https://www.instagram.com/p/Co3-PDtpHdc/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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समरस्लॅममध्ये रोमन रेन्स विरुद्ध ब्रॉक लेसनर मॅच बुक करणे ही WWE ची सर्वात मोठी चूक का आहे?
समरस्लॅममध्ये रोमन रेन्स विरुद्ध ब्रॉक लेसनर मॅच बुक करणे ही WWE ची सर्वात मोठी चूक का आहे?
WWE समरस्लॅम 2022 साठी कोणतीही कसर सोडू इच्छित नाही. या कारणास्तव, त्याने समरस्लॅम 2022 साठी रोमन रेन्स विरुद्ध ब्रॉक लेसनर सामना जाहीर केला आहे. हा सामना अधिक मनोरंजक बनवण्यासाठी त्याने हा शेवटचा मॅन स्टँडिंग सामना बनवला आहे. त्यानंतर अनेक चाहते या सामन्याला चुकीचे बुकिंग म्हणत आहेत. अशा परिस्थितीत, या लेखात आम्ही कोक करतो की WWE ने हा सामना बुक करून मोठी चूक का केली आहे. रोमन रेन्सचा चॅम्पियन…
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कोंगी और भूमि-पुत्र और धिक्कार कोंगी और भूमि-पुत्र और धिक्कार भूमि-पुत्र कौन है? जिसने जहां जन्म लिया वह वहाँका भूमि-पुत्र है.
#अंग्रेजी#अत्याचार और नरसंहार#अपूर्ण रोमन लिपि#अवमानना#असम#आतंकवादसे लिप्त#इन्दिरा नहेरुघांडी कोंग्रेस = आई.एन.सी.#इन्दिराका सत्ता लक्षी एजन्डा#ईशान क्षेत्र संपत्तिवान#ईशानीय राज्य#कच्छ#कश्मिरी#काठीयावाड सौराष्ट्र#केन्द्र सरकार#कोंगी#कोंगीयोंका एजन्डा#क्रीश्चीयन मीशनरी#खासी#गुजरात#गुजराती#गुजराती और मराठी ल्गोंके बीच वैमनस्य#घुस पैठीया#घुसपैठी मुस्लिम#जम्मु-कश्मिर#जहाँ जन्म लिया#द्वेषभाव#धर्म प्रचार#धार्मिक अलगतावाद#नहेरुमें आर्ष दृष्टिका अभाव#पर प्रांतीय
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भारत का कालक्रम - 1
500,000-10,000 ईसा पूर्व पाषाण काल संस्कृति – 100,000 ईसा पूर्व अफ्रीका में होमो सेपियंस सेपियंस (Homo Sapiens Sapiens) का उदय|
10,000-4000 ईसा पूर्व मध्य पाषाण संस्कृति|
4000 ईसा पूर्व नवपाषाण काल|
3200 ईसा पूर्व सुमेर निवासियों (Sumerian) ने विश्व की पहली सभ्यता की स्थापना की|
3000-2600 ईसा पूर्व हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत।
2600-2500 ईसा पूर्व हड़प्पा सभ्यता अपनी सबसे विकसित अवस्था में- 2200 ईसा पूर्व चीनी सभ्यता का उदय ।
2000-1900 ईसा पूर्व हड़प्पा सभ्यता का पतन।
2000-1500 ईसा पूर्व उत्तर-पश्चिम भारत में आर्यों का आक्रमण।
1500-500 ईसा पूर्व वैदिक युग का प्रारंभ।
1200-900 ईसा पूर्व चार संहिताओं अथर्ववेद, ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद (Atharva Veda, Rig Veda, Sama Veda, Yajur Veda) की रचना हुई – 1200 ईसा पूर्व हिब्रू सभ्यता (Hebrew civilization) का उदय।
1000 ईसा पूर्व आर्यों ने गंगा की घटी में प्रवास किया।
800-700 ईसा पूर्व उपनिषदों की रचना हुई।
600 ईसा पूर्व ऋग्वेद में सबसे प्राचीन तिथि किखी गयी।
600 ईसा पूर्व सोलह महान राज्यों (महाजनपद) का उदय।
563-483 ईसा पूर्व बुद्ध का जीवन काल।
540-493 ईसा पूर्व बिम्बिसार का शासनकाल – 509 ईसा पूर्व रोमन गणराज्य की स्थापना।
540-468 ईसा पूर्व चौबीसवें जैन तीर्थंकर महावीर का जीवन काल
527 ईसा पूर्व बुद्ध ने पहला धर्मोपदेश दिया।
517 ईसा पूर्व फारस (Persia) के हख़ामनी साम्राज्य (Achaemenid empire) ने गांधार पर कब्जा कर लिया।
500 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में मगध राज्य का उदय।
490-459 ईसा पूर्व अजातशत्रु का शासनकाल।
400 ईसा पूर्व महाभारत और रामायण की रचना।
362-321 ईसा पूर्व उत्तर और मध्य भारत में नंद वंश का शासन।
326 ईसा पूर्व सिकंदर ने सिंधु नदी को पार किया, सिकंदर और पोरस के बीच हायडापेस का युद्ध- प्राचीन ग्रीक भाषा में झेलम नदी को हायडापेस (Hydaspes) और ऋग्वेद में वितस्ता कहा गया है।
321-297 ईसा पूर्व मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त (Chandragupta) का शासनकाल।
321-296 ईसा पूर्व अर्थ शास्त्र की रचना।
302 ईसा पूर्व यूनानी राजदूत मेगस्थनीस (Megasthenes) चंद्रगुप्त के दरबार में आया, जिसे यूनानी राजा सेल्यूकस प्रथम (Hellenistic king Seleucus I) ने भेजा था| मेगस्थनीस ने इंडिका (Indica) की भी रचना की थी| – चीन में महान दीवार का निर्माण।
297-272 ईसा पूर्व बिन्दुसार का शासनकाल।
268-231 ईसा पूर्व अशोक का शासनकाल।
260 ईसा पूर्व अशोक द्वारा कलिंग की विजय।
257-256 ईसा पूर्व अशोक के कलिंग शिलालेखों के साथ, 14 शिलालेखों का निर्माण।
251 ईसा पूर्व अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र को सीलोन (श्रीलंका) बौद्ध धर्म के प्रचार के ���िए भेजा।
250-240 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में तीसरी बौद्ध संगीति।
242 ईसा पूर्व अशोक के सात स्तंभ शिलालेखों का निर्माण।
240-232 ईसा पूर्व लघु स्तंभ शिलालेखों का निर्माण।
184 ईसा पूर्व अंतिम मौर्य राजा ब्रिह्दार्थ की मृत्यु, शुंग राजवंश के राजा पुष्यमित्र का उदय।
73 ईसा पूर्व अंतिम शुंग राजवंश के राजा देवभूति की हत्या।
भारतीय-बैक्ट्रियंस और उत्तर पश्चिम भारत Indo-Bactrians And Northwest India
250 ईसा पूर्व बक्ट्रियन यूनानियों द्वारा ओक्सस नदी (Amu Darya, greek- Oxus River) के मैदानों पर राज्य की स्थापना।
200-190 ईसा पूर्व देमेत्रियस (Demetrius) भारतीयों का राजा बना|
166-155 ईसा पूर्व सबसे प्रसिद्ध इंडो-ग्रीक शासक मिनांडर (Menander) का शासन काल।
150 ईसा पूर्व गांधार कला का विकास एवं प्रसार।
140-130 ईसा पूर्व अंतिम भारतीय-बक्ट्रियन राजा हेलिओक्लीज (Heliokles) का शासन|
94 ईसा पूर्व उत्तर-पश्चिम भारत में मॉएस (Maues), शक् या इंडो-पार्थियन राजाओं का शासन।
78 ईसवी कनिष्क ने “गांधार के राजा” के रूप में कुषाण वंश की स्थापना की।
दक्षिण और मध्य भारत South And Central India
50 ईसा पूर्व- 50 ईसवी रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार अपनी ऊँचाईयों पर।
5 ईसा पूर्व-ईस्वी 29, यीशु का जीवन और ईसाई धर्म का उदय।
27 ईसा पूर्व-2 ईस्वी सातवाहन (आंध्र) राजवंश।
68 ईसवी, मायलापुर, मद्रास में सेंट थॉमस का मौत।
150 ईसवी, रुद्र्मन ने पश्चिमी भारत में शक् सत्ता की स्थापना की।
174-203 ईसा पूर्व यजन के अंतर्गत आन्ध्र में विकसित राज्य की स्थापना।
225 ईसा पूर्व सातवाहन वंश (आन्ध्र प्रदेश) का अंत।
255 ईसा पूर्व-मध्य 6 वीं शताब्दी बुंदेलखंड के वाकाटक का शासन।
325 ईसा पूर्व पल्लव वंश की स्थापना।
गुप्त वंश Gupta Dynasty
320-335 ईसवी चंद्रगुप्त प्रथम द्वारा गुप्त साम्राज्य की स्थापना।
320 ईसवी पुराणों की रचना।
335-375 ईसवी समुद्रगुप्त का शासनकाल।
375–415 ईसवी चंद्रगुप्त द्वितीय या चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन के दौरान गुप्त वंश का स्वर्ण काल। चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में कालिदास भी रहा करते थे।
405-411 ईसवी चीनी तीर्थयात्री फ़ह्सिएन (Fa-hsien) का भारत में चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आगमन।
454 ईसवी जैन धर्म की वल्लभी परिषद् का आयोजन – श्वेतांबर और दिगंबर दो अलग संप्रदायों में उदभव।
455-467 ईसवी स्कन्दगुप्त का शासनकाल, हूणों का उत्तर पश्चिमी भारत पर आक्रमण।
543-566 ईसवी पुलकेशिन प्रथम के तहत बादामी के चालुक्यों के राजवंश की स्थापना।
560-574 ईसवी सिम्हाविष्णु द्वारा कांची में पल्लव राजवंश की स्थापना।
600-630 ईसवी महेन्द्रवर्मन के तहत पल्लव शक्ति का का विकास – 570-632 ईसवी मोह्हमद साहब का जीवन काल, 7-8 वीं शताब्दी इस्लाम की वृद्धि और प्रसार
609-642 ईसवी पुलकेशिन द्वितीय के अंतर्गत चालुक्य शक्ति का विस्तार, दक्षिण भारत में प्रभुत्व के लिए पल्लव और चालुक्यों के बीच संघर्ष|
752 ईसवी-10वीं के बीच राष्ट्र्कूटों द्वारा एलोरा गुफाओं का निर्माण।
756-757 ईसवी एलोरा में कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण।
उत्तर भारत North India
606-647 ईसवी कन्नौज के हर्ष वर्धन का शासन।
629-645 ईसवी चीनी बौद्ध यात्री ह्वेनसांग (Hsieun Tsang) की भारत यात्रा।
630 ईसवी चालुक्यों ��्वारा हर्ष वर्धन की पराजय।
711 ईसवी में अरबों द्वारा सिंध की विजय, भारत में इस्लाम की स्थापना।
736 ईसवी दिल्लिका (दिल्ली) स्थापित।
750-770 ईसवी गोपाल द्वारा बंगाल में पाल वंश की स्थापना।
752 ईसवी पल्लव राजा ने चालुक्यों को हराया।
780 ईसवी उज्जैन में गुर्जर-प्रतिहारों ने अपनी शक्ति स्थापित की।
788-836 ईसवी शंकराचार्य का जीवनकाल।
814-840 ईसवी सबसे शक्तिशाली राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष का शासनकाल।
836-885 ईसवी राजा भोज द्वारा प्रतिहार साम्राज्य की स्थापना।
885-910 ईसवी राजा महेन्द्रपाल द्वारा प्रतिहार साम्राज्य का प्रसार।
1077-1120 ईसवी पाल वंश के राजा रामपाल के तहत पाल राजवंश की शक्ति में वृद्धि।
11वीं-13वीं शताब्दी में धर्मयुद्ध के परिणामस्वरूप पूर्व-पश्चिम में अधिक से अधिक संपर्क।
1148 ईसवी कल्हण द्वारा राजतरंगिणी की रचना।
दक्षिण भारत South India
897 ईसवी राजा आदित्य द्वारा चोल राजवंश की स्थापना।
907 ईसवी परांतक प्रथम के तहत चोलों की शक्ति में वृद्धि।
939-968 ईसवी दक्कन में राष्ट्रकूटों का प्रभुत्व।
973 ईसवी तायला, कल्याणी के चालुक्यों ने राष्ट्रकूटों को हराया, और बाद में चालुक्य वंश की स्थापना की।
985-1016 ईसवी राजराजा प्रथम ने चोल साम्राज्य स्थापित किया।
1016-1044 ईसवी राजेंद्र चोल का शासनकाल।
1025 ईसवी चोलों दक्षिण पूर्व एशिया में नौसेना के साथ युद्ध का संचालन किया।
1025-1137 ईसवी वैष्णव शिक्षक रामानुज का जीवनकाल।
1077 ईसवी चोल व्यापारियों ने चीन की यात्रा की।
1100 ईसवी रामानुज ने भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया।
1246-1279 ईसवी राजेन्द्र तृतीय, अंतिम चोल राजा का जीवनकाल।
उत्तर भारत में ग़ज़नवी और ग़ोरी साम्राज्य Ghaznavids And Ghurids In North India
971-1030 गजनी के महमूद का शासनकाल
973–1048 अलबरूनी फिरदौसी का जीवनकाल
997-1014 अफगानिस्तान में गजनी के महमूद का उत्तरी भारत पर आक्रमण एवं हर साल लूटपाट। मुह्हमद गोरी ने, गजनवी को हराया और पंजाब पर कब्ज़ा कर लिया।
1175 मुहम्मद ग़ोरी का भारत पर पहला आक्रमण।
1179 मुहम्मद ग़ोरी द्वारा पेशावर पर कब्ज़ा।
1186 मुहम्मद ग़ोरी द्वारा लाहौर पर कब्ज़ा।
1192 मोहम्मद गोरी ने तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के नेतृत्व में राजपूतों को हराया।
1193 मुहम्मद ग़ोरी ने दिल्ली और उत्तर भारत पर कब्ज़ा किया।
1206 मुहम्मद ग़ोरी की लाहौर में हत्या कर दी गयी।
दिल्ली सल्तनत Delhi Sultanate
1206-1210 कुतुब-उद-दीन ऐबक ने मामलुक वंश (गुलाम वंश, या दिल्ली सल्तनत) की स्थापना की|
1211-1136 शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश का शासनका��।
1221-1222 मंगोल द्वारा उत्तर पश्चिम भारत में आक्रमण शुरू।
1231 इल्तुतमिश द्वारा ग्वालियर पर कब्ज़ा।
1235 उज्जैन पर कब्ज़ा|
1236-1240 रजिया का शासनकाल।
1240–1246 चालीस रईसों के एक विशिष्ट समूह द्वारा शासन।
1246–1286 बलबन का शासन।
1266-1286 बलबन ��्वारा दिल्ली की मुस्लिम कला और अध्ययन केंद्र के रूप में स्थपना।
1290 खिलजी वंश की स्थापना।
1290-1296 पहले खिलजी शासक जलाल-उद-दीन फ़िरोज़ शाह का शासनकाल – मंगोलों के आक्रमण को रोका।
1296-1326 अलाउद्दीन मुहम्मद खिलजी का शासनकाल।
14 वीं सदी सुहरावर्दी, चिश्ती और फिरदौसी सूफी संप्रदाय का उदय। 1300 ईसवी एज़्टेक सभ्यता अपने चरमोत्कर्ष पर।
1301 अलाउद्दीन मुहम्मद खिलजी द्वारा राजपूत किला रणथम्भौर पर कब्जा।
1303 अलाउद्दीन मुहम्मद खिलजी द्वारा राजपूत किला चित्तौड़ पर कब्जा।
1309-1311 अलाउद्दीन मुहम्मद खिलजी द्वारा दक्षिण भारत पर विजय।
1316 शिहाब-अल-दीन उमर का शासनकाल।
1316-1320 कुतुब-अल-दीन मुबारक शाह का शासनकाल।
1320 तुगलकों ने, खलजियों को दिल्ली के सुल्तानों के रूप प्रतिस्थापित किया।
1320-1324 गयासुद्दीन तुगलक शाह प्रथम का शासनकाल।
1324-1351 मुहम्मद तुगलक शाह का शासनकाल।
1334 मालाबार तुग्लकों के शासन से मुक्त हुआ।
1336-1646 विजयनगर साम्राज्य।
1337 बंगाल पर मलिक शम्स-उद-दीन का शासनकाल, तुग्लकों के शासन से मुक्त हुआ।
1347-1526 बहमनी राजवंश।
1351 गियास-अल-दीन महमूद शाह का शासनकाल।
1351-1388 फ़िरोज़ शाह का शासनकाल।
1388-1389 गियास-अल-दीन तुगलक शाह द्वितीय का शासनकाल।
1389-1390 अबू बक्र शाह का शासनकाल।
1390-1394 नासिर अल-दीन मुहम्मद शाह का शासनकाल।
1394 अला-अल-दीन सिकंदर शाह का शासनकाल।
1394-1412 नासिर अल-दीन महमूद शाह का शासनकाल।
1398–1399 तैमुर लंग की सेनाओं द्वारा दिल्ली में लूटपाट।
1414-1450 दिल्ली के सुल्तानों के रूप में सय्यदों का शासन।
1440-1518 कबीर द्वारा सभी धर्मों की एकता का उपदेश।
1450 में लोधियों ने सय्यदों को दिल्ली में प्रस्थापित किया।
1469-1539 गुरु नानक, सिख धर्म के संस्थापक का जीवनकाल।
1480-1564 कर्नाटक संगीत के संगीतकार पुरन्दर दास का जीवनकाल।
1482-1673 अहमदनगर, बरार, बीजापुर के दक्षिणी सल्तनतों,
1482-1673 दक्कन के सल्तनत अहमदनगर, बरार, बीजापुर, बीदर, और गोलकुंडा का उदय।
1486-1533 हिंदू भक्ति के शिक्षक चैतन्य का जीवनकाल। 1492 कोलंबस ने अमेरिका के लिए पहली यात्रा की।
1498 वास्को डा गामा द्वारा भारत में पुर्तगाली उपस्थिति स्थापित।
1509-1529 विजयनगर पर कृष्णदेव राय का शासनकाल।
1510 अफोंसो डी अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने गोवा पर अधिकार किया।
1526 बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को पराजित किया।
1530 बाबर की मौत और हुमायूं का शासन।
1532-1623 तुलसी दास का जीवनकाल।
1540 शेरशाह ने हुमायूं को पराजित किया, हुमायूं का फारस में निर्वासन।
1551-1602 अबुल फज़ल का जीवनकाल।
1555 हुमायूं की वापसी और हुमायूं द्वारा दिल्ली पर पुनः कब्ज़ा।
1556 हुमायूं की मौत और अकबर गद्दी का उत्तराधिकारी बना। पानीपत का द्वितीय युद्ध।
1556-1605 अकबर का शासनकाल। 1558 एलिजाबेथ प्रथम का इंग्लैंड में सिंहासन ��रोहण।
1563 हिंदुओं पर तीर्थयात्रा कर की समाप्ति।
1564 गैर मुस्लिमों पर लगने वाले कर जिजया की समाप्ति।
1571 फतेहपुर सीकरी में नई राजधानी का निर्माण।
1573 गुजरात पर विजय।
1575 इबादतखाना का निर्माण।
1576 बंगाल पर विजय।
1581 काबुल पर विजय।
1582 अकबर द्वारा दीन-ए-इलाही का आरंभ।
1584 फतेहपुर सीकरी का त्याग।
1592 उड़ीसा की विजय।
1595 बलूचिस्तान की विजय।
1600 महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को चार्टर दिया गया।
1605-1627 जहांगीर का शासनकाल।
1612 ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सूरत में व्यापारिक केंद्र की स्थापना।
1616-1618 सर थॉमस रो जहांगीर के दरबार में आया, ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार करने के लिए अनुमति।
1619 सूरत में ब्रिटिश “कारखाने” की स्थापना।
1628-1658 शाहजहां का शासनकाल।
1630-1680 मराठा वंश के संस्थापक, शिवाजी का जीवनकाल।
1642 ब्रिटिश व्यापारिक किले फोर्ट सेंट जॉर्ज की मद्रास में स्थापना।
1643 ताजमहल का निर्माण पूरा हुआ।
1658-1707 औरंगजेब का शासनकाल।
1664 फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1674 शिवाजी की छत्रपति के रूप में ताजपोशी।
1679 औरंगजेब ने गैर मुसलमानों पर जिजया पुनः लगाया।
1681 औरंगजेब ने दक्कन की विजय के लिए अभियान शुरू किया।
1686 बीजापुर पर विजय।
1689 गोलकुंडा पर कब्ज़ा, शम्भूजी को पकड़ कर हत्या की गयी।
1690 जॉब चर्नोक ने कलकत्ता में ब्रिटिश व्यापारिक केंद्र की स्थापना की।
1699 सिख खालसा दसवें गुरु, गोबिंद राय द्वारा स्थापित।
अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में मुगल Mughals In Eighteenth And Nineteenth Centuries
1707-1712 बहादुर शाह का शासनकाल।
1713-1719 फर्रुख़ सियर का शासनकाल। सैयद बंधु हुसैन अली और अब्दुल्ला का ‘राजा निर्माताओं’ के रूप में वर्चस्व।
1714 पेशवा बालाजी विश्वनाथ के तहत मराठा शक्ति का उदय।
1719 रफी-उद दरजात, रफी-उद दौलत, और निकुसियर का शासनकाल।
1719-1748 मुहम्मद शाह का शासनकाल।
1723 निजाम अल-मुल्क ने हैदराबाद में निज़ामी स्थापना की।
1739 करनाल की लड़ाई। ईरान के नादिर शाह ने दिल्ली में लूटपाट की।
1748-1754 अहमद शाह का शासनकाल। 1750 यूरोप में औद्योगिक क्रांति।
1754-1759 आलमगीर द्वितीय का शासनकाल।
1759-1806 शाह आलम द्वितीय का शासनकाल।
1806-1837 अकबर द्वितीय का शासनकाल।
1837-1857 बहादुर ��ाह द्वितीय का शासनकाल।
अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के भारत में ब्रिटिश – British In Eighteenth And Nineteenth-Century India
1742-1763 दक्षिण भारत पर वर्चस्व के लिए, अपने वैश्विक युद्ध के परिणाम के रूप में ब्रिटिश और फ्रेंच में लड़ाईयां।
1746 जोसेफ फ़्राँस्वा दुप्लेइक्स द्वारा मद्रास पर कब्जा।
1746-1794 सर विलियम जोन्स का जीवनकाल।
1748 अंग्रेजों ने मद्रास वापस प्राप्त किया।
1751 रॉबर्ट क्लाइव ने अर्काट पर कब्जा किया।
1756 कलकत्ता की ब्लैक होल घटना।
1757 क्लाइव ने प्लासी की लड़ाई जीती।
1760 में ब्रिटिश द्वारा फ्रांसीसियों की पराजय।
1761 हैदर अली द्वारा मैसूर में मुस्लिम सत्ता स्थापना।
1764 बक्सर की लड़ाई में ब्रिटिश जीत।
1765 ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी मिली।
1772–1785 वारेन हेस्टिंग्स, बंगाल का 1772-1773 गवर्नर जनरल; भारत का 1784-1785 गवर्नर जनरल।
1774 रोहिल्ला युद्ध।
1778 प्रथम मराठा युद्ध।
1784 में बंगाल एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना।
1786-1793 चार्ल्स कार्नवालिस, भारत का गवर्नर जनरल।
1793 कार्नवालिस द्वारा स्थायी जमींदारी व्यवस्था की स्थापना।
1789-1805 रिचर्ड कोले वेलेस्जली गवर्नर जनरल।
1799 मैसूर के टीपू सुल्तान को श्रीरंगपट्टम में अंग्रेजों द्वारा हरा दिया गया।
1801-1839 रणजीत सिंह द्वारा सिख साम्राज्य की स्थापना।
1802 भसीन की संधि।
1803 द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध।
1805 जुलाई-अक्टूबर, चार्ल्स कार्नवालिस, गवर्नर जनरल बना।
1805-1807 जॉर्ज बारलो कार्यवाहक गवर्नर जनरल बना।
1807-1813 गिल्बर्ट इलियट, फर्स्ट अर्ल ऑफ़ मिंटो, गवर्नर जनरल।
1813 ईसाई मिशनरियों का भारत आगमन।
1813–1823 वारेन हेस्टिंग्स गवर्नर जनरल।
1814-1816 आंग्ल-गोरखा युद्ध।
1818 तीसरे मराठा युद्ध में, मराठों की हार।
1817-1898 सैयद अहमद खान का जीवनकाल।
1823-1828 विलियम पिट एमहर्स्ट गवर्नर जनरल।
1826 बर्मा के साथ यांदबू की संधि।
1827 शिमला का गर्मियों में कामकाज के लिए इस्तेमाल शुरू किया गया।
1828 राम मोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना।
1828-1835 विलियम कैवेंडिश बेंटिक, गवर्नर जनरल।
1829 सती प्रथा को अवैध घोषित किया गया।
1835-1836 चार्ल्स थियोफिलस मेटकाल्फ, कार्यवाहक गवर्नर जनरल।
1836-1842 जॉर्ज ईडन, ऑकलैंड का अर्ल, गवर्नर जनरल।
1838-1842 पहला अफगान युद्ध।
1839-1842 अफ़ीम युद्ध।
1842-1844 एलनबरो गवर्नर जनरल|
1843 सिंध पर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कब्जा।
1844–1848 हेनरी हार्डिंग गवर्नर जनरल।
1845 प्रथम सिख युद्ध।
1848–1856 डलहौजी गवर्नर जनरल।
1848-1849 द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध।
1849 ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पंजाब का विलय।
1852 द्वितीय बर्मा युद्ध।
1853 मुंबई और ठाणे के बीच पहली रेलवे लाइन, कोलकाता और आगरा के बीच पहली टेलीग्राफ लाइन।
1856 अवध का विलय।
1856–1861 कैनिंग, भारत का गवर्नर जनरल और वाइसराय।
1856-1920 बाल गंगाधर तिलक का जीवनकाल।
10 मई 1857, भारतीय विद्रोह की शुरुआत।
1858 में महारानी की घोषणा।
1862–1863 एल्गिन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1864–1869 जॉन लारें�� भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1865 इंग्लैंड और भारत के बीच टेलीग्राफ कनेक्शन।
1866-1915 गोपाल कृष्ण गोखले का जीवनकाल।
1867 प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम लागू।
1869–1872 मेयो भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1869-1948 मोहनदास करमचंद गांधी का जीवनकाल।
1872 भारत की पहली जनगणना।
1872–1876 नार्थब्रुक भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1875 मुहम्मद एंग्लो ओरिएंटल कालेज अलीगढ़ में स्थापित।
1875 मेयो कॉलेज अजमेर में स्थापित।
1875-1950 सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवनकाल।
1876 रॉयल टाइटल अधिनियम द्वारा महारानी विक्टोरिया, भारत की महारानी बनी।
1876–1880 लिटन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1876-1948 मोहम्मद अली जिन्ना का जीवनकाल।
1878 वर्नाकुलर प्रेस एक्ट एवं दूसरा आंग्ल-अफगान युद्ध।
1880–1884 रिपन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1880 मेवंद (अफगानिस्तान) का युद्ध, लार्ड रॉबर्ट्स ने कंधार की ओर कूच किया।
1882 मद्रास के पास थियोसोफिकल सोसायटी के मुख्यालय की स्थापना।
1883-1884 इल्बर्ट विधेयक विवाद।
1884–1888 डफरिन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1885 बंबई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना तीसरा आंग्ल-बर्मा युद्ध।
1886 बर्मा को कब्जे में लिया गया।
1888–1894 लैंसडाउन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1889 पंजाब में अहमदिया संप्रदाय स्थापित किया गया।
1889-1964 जवाहर लाल नेहरू का जीवनकाल।
1891 सहमति अधिनियम लागू (Age of Consent Act) किया गया।
1892 भारतीय परिषद अधिनियम लागू किया गया।
1894-1899 एल्गिन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1895-1951 लियाकत अली खान का जीवनकाल।
1899–1905 कर्जन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
बीसवीं सदी से 1947 Twentieth Century To 1947
1900 उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत बनाया।
1904 तिब्बत में यंगहसबंद अभियान।
1905 बंगाल का विभाजन।
1905–1910 मिन्टो भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1906 ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना।
1907 कांग्रेस सूरत में उदारवादियों और चरमपंथियों (नरम दल व गरम दल) के बीच विभाजित।
1908 समाचार पत्र अधिनियम।
1909 तिलक राजद्रोह का दोषी पाया। भारत के कानून की परिषदों (मिंटो-मोर्ले सुधारों) की स्थापना। लार्ड सिन्हा गवर्नर-जनरल की परिषद के लिए नियुक्त।
1910 श्री अरविंद घोष द्वारा पांडिचेरी में आश्रम की स्थापना।
1910 समाचार पत्र (अपराध के लिए उकसाना) अधिनियम।
1911 में दिल्ली दरबार। भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दी गयी। बंगाल के विभाजन को रद्द कर दिया।
1911–1916 हार्डिंग भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1913 रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार।
1915 भारत रक्षा अधिनियम। प्रथम विश्व युद्ध, 1914-1918।
1916 ऑल इंडिया मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच लखनऊ समझौता। होम रूल आंदोलन।
1916–1921 चेम्सफोर्ड भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1917 मोंटे��्यू घोषणा।
1917-1984 इंदिरा गाँधी का जीवनकाल।
1918 में भारत सरकार अधिनियम (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)।
1919 रोलेट अधिनियम। अमृतसर (जलियांवाला बाग) नरसंहार।
1920 महात्मा गांधी के पहले असहयोग आंदोलन की शुरूआत।
1920-1924 खिलाफत आंदोलन।
1921–1926 रीडिंग भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1921-1992 सत्यजीत रे का जीवनकाल।
1922 चौरा चौरी घटना। गांधीजी को छह साल की कैद की सजा सुनाई गयी। स्वराज पार्टी का गठन।
1924 गांधी जेल से रिहा।
1925 मुद्दिमन समिति की रिपोर्ट। सिख गुरुद्वारा अधिनियम।
1925–1931 इरविन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1927 साइमन कमीशन नियुक्त।
1928 नेहरू रिपोर्ट। लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत।
1929 में मोहम्मद अली जिन्ना का चौदह सूत्रीय फार्मूला।
1930 जनवरी 26, स्वतंत्रता दिवस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित। दांडी यात्रा। साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रस्तुत। प्रथम गोलमेज सम्मेलन। सर मुहम्मद इकबाल द्वारा मुस्लिम राज्य के निर्माण की मांग।
1931 मुंबई में पहली भारतीय फिल्म का निर्माण। गांधी-इरविन पैक्ट। दूसरा गोलमेज सम्मेलन। भारतीय प्रेस (आपातकालीन शक्तियां) अधिनियम।
1931–1936 विलिंगटन भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1932 अगस्त 16, सांप्रदायिक पुरस्कार। तीसरा गोलमेज सम्मेलन।
1935 भारत सरकार अधिनियम।
1936–1943 लिनलिथगो भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1937 आम चुनाव। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा सात प्रांतों में सरकार का गठन।
1939 भारत रक्षा अधिनियम। 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रांतीय सरकारों ने इस्तीफा दिया। 22 दिसंबर, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने मुक्ति दिवस मनाया।
1940 अगस्त प्रस्ताव।
1941 मार्च 23, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की लाहौर घोषणा, पाकिस्तान की मांग।
1942 क्रिप्स मिशन। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ‘भारत छोड़ो’ अभियान।
1943 में बंगाल का अकाल। सुभाष चंद्र बोस द्वारा इंडियन नेशनल आर्मी का गठन।
1943–1947 वेवेल भारत का गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1944 गांधी-जिन्ना वार्ता।
1945 देसाई-लियाकत समझौता। 27 जून से 14 जुलाई, पहला शिमला सम्मेलन।
आम चुनाव।
1946 कैबिनेट मिशन। अगस्त 16 ऑल इंडिया मुस्लिम लीग द्वारा सीधी कार्रवाई दिवस (Direct Action Day)। नोआखली के दंगे। दूसरा शिमला सम्मेलन। अंतरिम सरकार का गठन।
1947 20 फ़रवरी, प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली का बयान। माउंटबेटन गवर्नर जनरल और वायसराय। 3 जून की योजना, भारत की स्वतंत्रता और विभाजन की घोषणा। अगस्त 14, भारत और पाकिस्तान की आजादी।
1947 के बाद का भारत India Since 1947
1947-1948 लुईस माउंटबेटन गवर्नर जनरल एवं वाइसराय।
1947-1964 जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री।
30 जनवरी 1948, मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या। हैदराबाद पर आक्रमण और विलय।
1948-1950 चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के गवर्नर जनरल।
26 जनवरी 1950, भारतीय संविधान अस्तित्व में ��ता है। राजेन्द्र प्रसाद, भारत के प्रथम राष्ट्रपति। राष्ट्रीय योजना आयोग की स्थापना। वल्लभभाई पटेल की मौत। मदर टेरेसा द्वारा चैरिटी ऑफ़ मिशनरीज स्थापित।
1951 प्रथम पंचवर्षीय योजना।
1952 पहला आम चुनाव।
1955 बांडुंग सम्मेलन।
1956 भारत के पहले परमाणु रिएक्टर आपरेशन ने काम करना शुरू किया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम। दूसरी पंचवर्षीय योजना।
1957 में जम्मू-कश्मीर के भारत में शामिल। दूसरा आम चुनाव।
1959 में दलाई लामा का तिब्बत से भारत के लिए पलायन।
1960 दिल्ली से दूरदर्शन का प्रसारण। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि।
1961 गोवा पर आक्रमण किया और विलय।
1962 नागालैंड राज्य का गठन। पूर्वोत्तर में भारत और चीन के साथ सीमा युद्ध।
1962-1967 सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति।
1964 मई 24, जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु।
1964-1966 लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री।
1965 पाकिस्तान के साथ युद्ध।
1966 पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौता। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी।
1967 चौथा आम चुनाव।
1967-1969 जाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति।
1968 हरित क्रांति की शुरूआत।
1969-1974 वराहगिरि वेंकट गिरि, भारत के राष्ट्रपति। मानव का चन्द्रमा पत पहला कदम 1969।
1971 प्रिंसेस प्रिवी पर्स समाप्त कर दिया। शांति, मैत्री और सहयोग पर भारत-सोवियत संधि। 4 दिसंबर, पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान के साथ युद्ध।
1974 मई 5, भारत द्वारा परमाणु परीक्षण।
1975 26 जून, “राष्ट्रीय आपातकाल” इंदिरा गांधी द्वारा घोषित।
1977-1979 मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।
1980 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए दुबारा चुनी गयीं।
1984 जून, अमृतसर में, ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’। अक्टूबर 31, इंदिरा गांधी की हत्या। राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने।
1985 नई आर्थिक नीति।
1987 मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा नए राज्य बने। जुलाई, भारतीय-श्रीलंका ने संधि पर हस्ताक्षर किए।
1989 विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने।
1990 चन्द्र शेखर प्रधानमंत्री बने।
1991 मई 21, राजीव गांधी की हत्या। पी वी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने।
1992 अक्टूबर, बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया।
1996 तेरह दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। एच डी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने।
1997 इंदर कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने।
कोचेरी रमन नारायणन भारत के राष्ट्रपति। 29 सितंबर, भारत ने अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने की शुरूआत की।
1998 मार्च 20, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री। 11-13 मई, भारत ने परमाणु परीक्षण किया। 13 मई, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया। ईसाइयों के खिलाफ हिंसा।
2004 आम चुनावों में कांग्रेस सत्ता में लौटी।
2005 भारत और पाकिस्तान मिसाइल परीक्षण क��� अग्रिम चेतावनी देने के लिए सहमत।
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मेक्सिको में पत्रकार की हत्या | मेक्सिको में एक और पत्रकार की हत्या, इस साल अब तक 15 पत्रकारों की हत्या
मेक्सिको में पत्रकार की हत्या | मेक्सिको में एक और पत्रकार की हत्या, इस साल अब तक 15 पत्रकारों की हत्या
फ़ाइल तस्वीर मेक्सिको : दक्षिणी मेक्सिको में एक ऑनलाइन स्थानीय समाचार कार्यक्रम चलाने वाले पत्रकार की ��ोली मारकर हत्या कर दी गई। इस साल अब तक देश में 15 मीडियाकर्मियों की हत्या की जा चुकी है। दक्षिणी राज्य ग्युरेरो में अभियोजकों ने सोमवार को कहा कि फ़्रेडी रोमन की राज्य की राजधानी चिलपेंसिंगो में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रोमन का कार्यक्रम ‘द रियलिटी ऑफ ग्युरेरो’ राज्य की राजनीति पर केंद्रित…
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केरल सचिवालय के आसपास अब नहीं होगी फिल्म की शूटिंग
केरल सचिवालय के आसपास अब नहीं होगी फिल्म की शूटिंग
तिरुवनंतपुरम 16 July: केरल सरकार ने राज्य सचिवालय के आसपास के क्षेत्र में फिल्म की शूटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस आशय का एक आदेश पिछले महीने पारित किया गया था, क्योंकि यह क्षेत्र एक उच्च सुरक्षा क्षेत्र है और शूटिंग के कारण, जगह पर बहुत सारे लोग देखे जाते हैं। भव्य सचिवालय भवन 1869 में बनाया गया था और इसके लिए रोमन और डच शैली की वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया था और अब यह एक प्रमुख विरासत…
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क्या राम मंदिर की जगह अयोध्या में विश्वविद्यालय या अस्पताल बनाना सही होगा?
क्या राम मंदिर की जगह अयोध्या में विश्वविद्यालय या अस्पताल बनाना सही होगा?
वैटिकन शहर
यह वैटिकन शहर है जो पृथ्वी पर सबसे छोटा स्वतंत्र राज्य है ये सिर्फ 48 हेक्टेयर (108-7 एकड़) में फैला हुआ है जो यूरोप महाद्वीप में स्थित है 1929 मैं एक संघ के अनुसार इसे स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया! ईसाई धर्म के प्रमुख साम्प्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च का यही केन्द्र है! और इस वेटिकेन में कभी शिव म��दिर हुआ करता था उदाहरण के लिए खुद ही इस फोटो को ध्यान से देखिये जिसमे आपको चर्च का एरिया…
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad Date – 02 May 2022 Time 1.00 to 1.05pm Language Marathi आकाशवाणी औरंगाबाद प्रादेशिक बातम्या दिनांक – ०२ मे २०२२ दुपारी १.०० वा. ****
देशात जाणीवपूर्वक धृवीकरण करण्याचे प्रयत्न सुरू आहेत. राज्यातल्या जनतेनं शांतता राखावी, आम्ही परिस्थितीवर पूर्ण लक्ष ठेवून आहोत, असं गृहमंत्री दिलीप वळसे पाटील यांनी ��्हटलं आहे. ते एका खासगी वृत्त वाहिनीला दिलेल्या मुलाखतीत बोलत होते. ‘ईद’च्या पार्श्वभूमीवर पोलिस अधिकाऱ्यांसोबत बैठक घेणार असल्याचं त्यांनी सांगितलं. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे यांच्या औरंगाबाद सभेनंतर संवेदनशील भागांसाठी विशेष सूचना गृह मंत्रालयाकडून करण्यात येणार असून, त्यांच्या भाषणाबाबत कायदेशीर मतं जाणून कारवाई करणार असल्याचं वळसे पाटील यांनी सांगितलं.
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देशात कोविड प्रतिबंधात्मक लसीकरण मोहिमेनं १८९ कोटी मात्रांचा टप्पा पार केला आहे. काल चार लाख दोन हजार १७० नागरिकांचं लसीकरण झालं. देशात आतापर्यंत या लसीच्या १८९ कोटी २३ लाख ९८ हजार ३४७ मात्रा देण्यात आल्या आहेत.
दरम्यान, देशात काल नव्या तीन हजार १७५ कोरोना विषाणू बाधित रुग्णांची नोंद झाली, २६ रुग्णांचा उपचारादरम्यान मृत्यू झाला, तर दोन हजार ७२३ रुग्ण बरे झाले. देशात सध्या १९ हजार ५०० रुग्णांवर उपचार सुरु आहेत.
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राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षण परिषदेनं २०२३-२४ या शैक्षणिक सत्रासाठी चार वर्षांच्या एकात्मिक शिक्षक शिक्षण कार्यक्रमासाठी ऑनलाइन अर्ज मागवले आहेत. या अंतर्गत बीए - बीएड, बीएससी - बीएड आणि बीकॉम - बीएड पदवी प्रदान केली जाईल. शिक्षक शिक्षणाशी संबंधित राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण २०२० चं हे मुख्य उद्दिष्ट असल्याचं शिक्षण मंत्रालयाने म्हटलं आहे. राष्ट्रीय चाचणी संस्थेद्वारे राष्ट्रीय सामायिक प्रवेश परीक्षेतून प्रवेश दिला जाईल. चार वर्षांचा एकात्मिक शिक्षक शिक्षण कार्यक्रम इयत्ता १२ वी नंतर शिकवू इच्छिणाऱ्या सर्व विद्यार्थ्यांसाठी खुला असेल. संपूर्ण शिक्षक शिक्षण क्षेत्राच्या पुनरुज्जीवनासाठी हा अभ्यासक्रम महत्त्वपूर्ण योगदान देईल, असं मंत्रालयानं म्हटलं आहे.
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इंडोनेशियाने खाद्यतेलाच्या निर्यातीवर बंदी घातली असली तरी भारतातल्या खाद्यतेलाच्या स्थितीवर कोणताही विपरीत परिणाम होत नसल्याचं सरकारने म्हटलं आहे. देशात सुमारे २१ लाख मेट्रिक टन खाद्यतेल उपलब्ध आहे. याशिवाय या महिन्यात सुमारे १२ लाख मेट्रिक टन खाद्यतेल देशात पोहोचेल, असं ग्राहक, अन्न आणि सार्वजनिक वितरण मंत्रालयाने म्हटलं आहे. २०२१-२२ या वर्षात देशात सोयाबीनचे उत्पादन १२६ लाख मेट्रिक टनांपेक्षा जास्त झालं आहे, जे मागील वर्षी ११२ लाख मेट्रिक टन होतं. मोहरीच्या लागवडीखालील क्षेत्रा�� ३७ टक्के वाढ झाल्यानं राजस्थानसह सर्व प्रमुख उत्पादक राज्यांमध्ये या कालावधीत उत्पादन ११४ लाख मेट्रिक टनांपर्यंत वाढण्याची अपेक्षा आहे.
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राज्य बाल हक्क संरक्षण आयोगाच्या अध्यक्ष पदी सुशीबेन शाह यांची नियुक्ती करण्यात आली आहे. आयोगाच्या अध्यक्षांसह सात सदस्यांच्या नावांची अधिसूचना महिला आणि बाल विकास विभागाने जारी केली. पुढील तीन वर्षांसाठी ही नियुक्ती करण्यात आल्याचं अधिसूचनेत म्हटलं आहे.
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औरंगाबाद इथून आज रात्री अकरा वाजून १५ मिनिटांनी सुटणाऱ्या औरंगाबाद - तिरुपती विशेष रेल्वे गाडीच्या मार्गात बदल करण्यात आला आहे. निझामाबाद स्थानकानंतर मार्गात बदल करण्यात आला असून, ही गाडी काझीपेट, विजयवाडा मार्गे धावेल, असं दक्षिण मध्��� रेल्वेनं कळवलं आहे.
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कर्नाटकात बंगळुरू इथं सुरू असलेल्या खेलो इंडिया विद्यापीठस्तरीय क्रीडा स्पर्धेत काल झालेल्या हॉकीच्या सामन्यात सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठाला कांस्य पदक मिळालं. योग प्रात्यक्षिकांमध्ये पुरुषांच्या गटात तुकडोजी महाराज नागपूर विद्यापीठानं सुवर्णपदक पटकावलं, तर शिवाजी विद्यापीठानं रौप्य पदक मिळवलं. पुरुषांच्या कुस्तीमध्ये ग्रीको रोमन प्रकारात १३० किलो गटात भारती विद्यापीठाच्या तुषार दुबेनं कांस्यपदक मिळवलं.
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उष्णतेच्या लाटेच्या पार्श्वभूमीवर केंद्रानं सर्व राज्यं आणि केंद्रशासित प्रदेशांना सतर्क राहण्याच्या इशारा दिला आहे. उष्णतेशी संबंधित आजारांवर प्रभावी व्यवस्थापन करण्यासाठी सर्व जिल्ह्यांनी योग्य त्या उपाय योजना कराव्यात आणि मार्गदर्शक सूचना जारी कराव्यात असं पत्र या संदर्भात केंद्रीय आरोग्य सचिव राजेश भूषण यांनी सर्व राज्यांना लिहिलं आहे.
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हवामान - राज्यात उन्हाची काहिली वाढली असून काल चंद्रपूर इथं राज्यातलं सर्वाधिक ४६ पूर्णांक सहा दशांश अंश सेल्सिअस तापमानाची नोंद झाली. अकोला, वर्धा, मालेगाव, सोलापूर, औरंगाबाद, परभणी, नांदेड, अमरावती, बुलडाणा, गोंदिया आणि नागपूरमध्येही पारा ४० च्या वरच होता. विदर्भात आजही उष्णतेची लाट कायम आहे. उद्या आणि परवा मध्य महाराष्ट्र आणि मराठवाड्यात तुरळक ठिकाणी विजांच्या कडकडाटासह पाऊस पडण्याची शक्यता हवामान खात्यानं वर्तवली आहे.
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'कोडी रोमनला हरवून तुम्ही वर्ल्ड चॅम्पियनशिप हिरावून घेऊ शकता', माजी WWE चॅम्पियनचे मोठे विधान
‘कोडी रोमनला हरवून तुम्ही वर्ल्ड चॅम्पियनशिप हिरावून घेऊ शकता’, माजी WWE चॅम्पियनचे मोठे विधान
कोडी रोड्सने WWE मध्ये परतल्यानंतर स्वतःला मुख्य इव्हेंट स्टार म्हणून सिद्ध केले आहे. अलीकडे, त्याने सेठ रोलिन्स विरुद्धच्या भांडणात विजय मिळवला आहे. मात्र, या सामन्यात कोडी दुखापतीनंतरही रिंगमध्ये आला आणि विजय मिळवला. त्यानंतर आता डब्ल्यूडब्ल्यूईचा दिग्गज रिक फ्लेअरने त्याच्याबद्दल मोठे व��्तव्य केले आहे. विशेष म्हणजे, दुखापतीमुळे कोडीवर शस्त्रक्रिया होणार आहे. यामुळे तो काही काळ रिंगपासून दूर…
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India China Arunachala Pradesh Dispute : China Announces Standardized Official Chinese Names For 15 More Places In Arunachal Pradesh - बाज नहीं आ रहा चीन! अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों के लिए घोषित किए चीनी नाम, कहा- हमारी संप्रभुता
India China Arunachala Pradesh Dispute : China Announces Standardized Official Chinese Names For 15 More Places In Arunachal Pradesh – बाज नहीं आ रहा चीन! अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों के लिए घोषित किए चीनी नाम, कहा- हमारी संप्रभुता
पेइचिंगचीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की है। चीन अरुणाचल प्रदेख के दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है। ��रकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को दी गई खबर में कहा कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि उसने जांगनान, अरुणाचल प्रदेश के लिए चीनी नाम, में 15 स्थानों के नामों को चीनी…
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Dehradun Famous tourist places To visit In 2021
Mindrolling Monastery
Dehradun Quick View
कोनसे राज्य में स्थित (Dehradun Located In) : Uttarakhand देहरादून की स्थानीय भाषा (Darjiling Local Language) : हिंदी,अंग्रेजी स्थानीय परिवहन (Local Transport) : सरकारी बस,कार,मोटर साइकिल देहरादून के प्रसिद्द खान-पान (Famous Food And Drink Of Dehradun) : अगर आप देहरादून घूमने जाते हे तो हम आपको बताएगे दार्जीलिग में खान-पान में क्या आपको चखना चाहिए। देहरादून में वैसे तो कई ऐसी चीज हे जो आप वह पर खा सकते हो लेकिन उनमे से सबसे प्रसिद्ध वहा के कंडेली का साग, गहत की दाल, आलू के गुटके, निम्बू, काफली, गुलगुला हे जो यहाँ पर ज्यादा मात्रा में खाए जाते हे। देहरादून भारत के सबसे सुन्दर और रमणीय राज्यों में से एक राज्य उत्तराखंड की राजधानी हे। देहरादून भारत के हिल स्टेशन में से सबसे सुन्दर हिल स्टेशन हे। यहाँ के प्राकृतिक नज़ारे और यहाँ की ठंडी हवाई आपको मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी हे। देहरादून हिमालय की पर्वतीय श्रृंखला में बसा हुआ हे इसी लिए इसकी सुंदरता और मनमोहकता बहुत ज्यादा हे। देहरादून शहर हिमालय की तलहटी में लगभग 2,200 फीट (670 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। देहरादून की स्थापना १६९९ में हुई थी जब विधर्मी सिख गुरु राम राय को पंजाब से बाहर निकाल दिया गया था और वहां एक मंदिर का निर्माण किया था। १८वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र ने लगातार आक्रमणकारियों के हमले हुए लगातार हो रहे हमले के आगे इस शहर ने अपने घुटने टेक दिए इन आक्रमणों में से अंतिम आक्रमणकारी गोरखा (जातीय नेपाली सैनिक) थे। जब 1816 में गोरखा युद्ध समाप्त हुआ तो यह क्षेत्र अंग्रेजों को सौंप दिया गया था। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यह शहर उत्तर प्रदेश के नए राज्य का एक हिस्सा बन गया। लेकिन बाद में 2000 में उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग को उत्तराखंड नाम देकर नया राज्य बनाया गया था। उस समय देहरादून नए राज्य की राजधानी बन गया था।
Dehradun History in Hindi
Dehradun भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक। यह शहर उत्तराखंड की राजधानी हे और हिमालय की गोद में बसा एक ऐतिहासिक शहर। देहरादून ज्ञान और सूचना के क्षेत्र में उत्कृष्ट साख वाला शहर प्रस्तुत होता है। देहरादून को अज्ञात समय से गढ़वाल क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। देहरादून के इतिहास के बारे में कई बाटे मौजूद हे आज हम उन सभी बातो को देखेंगे। स्कंद पुराण में देहरादून को शिव के निवास केदारखंड नामक क्षेत्र के एक हिस्से के रूप में वर्णित किया गया है। विभिन्न पौराणिक कथाएं देहरादून को रामायण का हिस्सा बताती हे । एक लोकप्रिय मान्यता है कि राम और लक्ष्मण इस शहर में तपस्या के लिए आए थे। साथ ही साथ यह कौरवों और पांडवों के शक्तिशाली गुरु द्रोण (द्रोण नगरी) के निवास के रूप में भी प्रसिद्ध है। शहर इसके बारे में कई किंवदंतियों का दावा करता है और उनमें से अधिकांश महान महाकाव्य महाभारत से संबंधित हैं। विभिन्न शिलालेख जो यह पर पाए गए हे वह देहरादून को सम्राट अशोक से जोड़ते हैं। जिन्होंने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में शासन किया था। कुछ लोग कैसे मानते हैं कि इस शहर की स्थापना गुरु राम राय ने की थी। इस प्रकार इस शहर का नाम "दून" और "डेरा" दो शब्दों से बना हे जिसमे दून घाटी को समर्पित हे और डेरा यानि बसावट। पिछले सौ वर्षों में देहरादून में कई क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं जिनका पुनर्पूंजीकरण करना अच्छा होगा ताकि शहर के भविष्य के बहाव को सही परिप्रेक्ष्य में रखा जा सके। 1890 में हरिद्वार से पहली ट्रेन देहरादून रेलवे स्टेशन पहुंची। इस ऐतिहासिक वर्ष ने शेष भारत और विशेष रूप से ब्रिटिशों के लिए घाटी को अधिक सुलभ बनाने की प्रक्रिया शुरू की, इस वर्ष केवल पहला रेडियो स्टेशन भी कच्छरी परिसर में अस्तित्व में आया। Other Post Golconda Fort : Full History Of Golconda And Amazing Fact Alleppey Kerala > Full History And Best Places To Visit Khajuraho Temple > Full History Of Khajuraho Temple Varanasi Banaras : 9 Attractive Places To Visit In Varansi
places to visit in dehradun
देहरादून में आपका सफर बहुत ही रोमांचक होने वाला हे क्युकी यहाँ पर एक से बढ़ कर एक घूमने लायक स्थान मौजूद हे जहा पर आप अपनी छुट्टिया बिता सकते हो। तो आइये देखते हे देहरादून में घूमने लायक जगहों को। Mindrolling Monastery in Clement Town, Dehradun अगर आप देहरादून का दौरा करते हे और आप माइंड्रोलिंग मठ ( Mindrolling Monastery ) की मुलाकात नहीं लेते तो आपकी देहरादून की यात्रा अधूरी है यह जगह स्थानीय रूप से बुद्ध मंदिर के रूप में लोकप्रिय है। जी हां, इस खूबसूरत मंदिर परिस��� में जाने के बाद आपका दिमाग घूम जाएगा। हालाँकि इस मठ का नाम 'मिन ड्रोलिंग' के रूप में उच्चारित किया जाता है न कि 'माइंड रोलिंग' के रूप में। क्लेमेंट टाउन में स्थित इस मठ के आस-पास की जगहों में तिब्बतियों के घरो और अच्छी संख्या में तिब्बती कैफे मौजूद हे । तिब्बती भाषा में माइंड्रोलिंग का अर्थ है 'स्वतंत्रता का स्थान'। मठ का निर्माण १९६० में गुरु रिनपोछे द्वारा एक प्रतिकृति के रूप में किया गया था जब १९५९ में एक सांप्रदायिक आक्रमण के दौरान तिब्बत में एक समान दिखने वाले मठ को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। माइंड्रोलिंग मठ बौद्ध संस्कृति को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के इरादे से बनाया गया था। यहाँ पर एक स्तूप बना हे जो 190 फीट ऊंचा और 100 फीट चौड़ा स्तूप है। जिसे विश्व शांति स्तूप के नाम से भी जाना जाता है। यह स्तूप दुनिया का सबसे ऊंचा स्तूप है और माइंड्रोलिंग मठ का मुख्य आकर्षण है। स्तूप के शीर्ष पर रंगीन नक्काशीदार मैत्रेय - भविष्य के बुद्ध हैं जबकि सामने की ओर वर्तमान बुद्ध की एक मूर्ति सीढ़ियों से उतरती हुई ��िखाई देती है। स्तूप 5-मंजिला है और बौद्ध धर्म और उसके इतिहास की कहानियों को दर्शाते हुए रंगीन चित्रित भित्ति चित्रों और मूर्तियों के साथ अंदर एक प्रार्थना कक्ष है। प्रार्थना कक्ष में फोटोग्राफी प्रतिबंधित है। माइंड्रोलिंग मठ मंदिर परिसर में एक कॉलेज, भिक्षुओं के लिए छात्रावास, गेस्टहाउस, एक कॉफी शॉप, एक कैंटीन और तिब्बती हस्तशिल्प बेचने वाली एक स्मारिका की दुकान भी है। परिसर के पास एक और आकर्षण बुद्ध की 130 फीट ऊंची मूर्ति है जो दलाई लामा को समर्पित है। Robber's Cave or Guchhupani in Malsi, Dehradun
Robber's Cave रॉबर की गुफा देहरादून शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ब्रिटिश शासन के दौरान गुफाओं को लुटेरों द्वारा गुप्त ठिकाने के रूप में इस्तेमाल किया गया था और इसलिए इसका नाम रॉबर की गुफा पड़ा । ६०० मीटर लंबी यह गुफा ऊपर से खुली हुई है जिसके दोनों ओर दो ऊँचे पहाड़ हैं और बीच में पानी की धारा बहती है। रॉबर की गुफा के अंदर जाने के लिए 1-2 फीट गहरे पानी में चलना पड़ता है। जमीन छोटे-छोटे कंकड़ से भरी हुई है और पानी ठंडा और ताज़ा है। जैसे-जैसे आप गुफाओं के अंदर जाते हैं, कण्ठ संकरा और संकरा होता जाता है, जब तक कि यह अंत में एक छोटे से झरने के साथ एक विस्तृत क्षेत्र में नहीं खुल जाता। जलप्रपात बहने वाली धारा का स्रोत है। सूरज की रोशनी दो पहाड़ियों की चोटी से छनती है और एक अद्भुत वातावरण प्रदान करती है। लुटेरों की गुफा में एक ही प्रवेश और निकास बिंदु है और गुफा के अंत तक पहुँचने के बाद आपको उसी रास्ते पर वापस चलना होगा। कहा जाता है कि बरसात के मौसम में पानी का स्तर घुटने तक पहुंच जाता है। पानी में न��गे पैर चलने के बजाय नुकीले पत्थरों और कंकड़ से चोट लगने से बचने के लिए 10 रुपये में बाहर दुकानों से चप्पल / फ्लिप फ्लॉप किराए पर लेने की सलाह दी जाती है। रॉबर की गुफा का पार्किंग क्षेत्र विशाल है और कई खाद्य और स्मारिका दुकानों से घिरा हुआ है। अगर आप पानी में भीगना चाहते हैं तो लॉकर और चेंजिंग रूम भी उपलब्ध हैं। Khalanga War Memorial in Tibbanala Pani, Dehradun खलंगा युद्ध स्मारक दुनिया का पहला स्मारक है जिसे सेना ने अपने विरोधियों को सम्मान देने के लिए बनवाया है। नलपानी की लड़ाई (1814-1816) देहरादून के नलपानी किले में ब्रिटिश सैनिकों और नेपाल के गोरखाओं के बीच लड़ी गई थी। ५००० ब्रिटिश सेना की सेना ६०० मजबूत गोरखा सेना के खिलाफ लड़ते हुए एक महीने से अधिक समय तक लगातार विफल रही। ब्रिटिश सेना ने तब किले की पानी की आपूर्ति में चतुराई से कटौती की और गोरखाओं को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। लेकिन तब तक गोरखाओं ने ब्रिटिश सेना पर भारी तबाही मचा दी थी; इतना कि इसने अंग्रेजों द्वारा जीत की किसी भी सच्ची भावना को नकार दिया। भले ही अंग्रेजों ने लड़ाई जीत ली, लेकिन उन्होंने गोरखाओं की वीरता को उनके लिए एक स्मारक बनाकर उसी स्थान पर बनवाया जहां लड़ाई लड़ी गई थी। खलंगा युद्ध स्मारक घने साल जंगल के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। खलंगा युद्ध स्मारक की यात्रा अत्यंत मनोरम और दर्शनीय है। स्मारक पर शायद ही कोई पर्यटक आता है, इसलिए आप पूरी जगह को अच्छी तरह से देख सकते हैं और इस जगह की शांति का आनंद ले सकते हैं। हालांकि वहां करने के लिए बहुत कुछ नहीं है, लेकिन प्रकृति प्रेमियों और शहर की हलचल से एक छोटा ब्रेक चाहने वालों के लिए खलंगा युद्ध स्मारक अवश्य देखने लायक जगह है। Forest Research Institute on Chakarata road, Dehradun वन अनुसंधान संस्थान (FRI) भारत में वानिकी अनुसंधान पर एक प्रमुख संस्थान है। एफआरआई इमारत प्रतिष्ठित है और देहरादून की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। इमारत 1000 एकड़ से अधिक के क्षेत्र में फैली हुई है जो कि बकिंघम पैलेस से भी बड़ी है! ईंट की इमारत एक हरे-भरे इलाके में खड़ी है जिसकी पृष्ठभूमि में हिमालय है। ग्रीको-रोमन और औपनिवेशिक स्थापत्य शैली के साथ डिजाइन प्रभावशाली है। एफआरआई का निर्माण तब किया गया था जब भारत ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अधीन था और इस इमारत ने बहुत लंबे समय तक दुनिया में सबसे बड़ी विशुद्ध रूप से ईंट संरचना के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब अपने नाम किया। एफआरआई के मुख्य भवन का उद्घाटन 1929 में हुआ था और कहा जाता है कि इसे पूरा होने में 7 साल लगे थे। इमारत के आंतरिक केंद्रीय आंगन हवादार हैं और पहली मंजिल पर छोटी खिड़कियों और भूतल पर बड़ी खिड़कियों के साथ विशिष्ट औपनिवेशिक वास्तुकला पेश करते हैं। वन अनुसंधान संस्थान परिसर में कई प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग की गई है। परिसर में एक मिनी वन से घिरे छावनी निवास भी हैं। वन अनुसंधान संस्थान एक शैक्षिक सह पर्यटन स्थल है क्योंकि इसमें 6 संग्रहालय हैं। - Silviculture museum - Entomology museum - Timber museum - Non-wood forest products museum - Social forestry museum - Pathology museum संग्रहालयों में से एक में 700 साल पुराने देवदार के पेड़ के क्रॉस-सेक्शन की प्रदर्शनी देखने से न चूकें। एफआरआई में आधा दिन बिताएं और इसकी शानदार वास्तुकला, सुखदायक माहौल और सुरम्य सुंदरता का आनंद लें। हमने अपने आस-पास की वनस्पतियों, उसके वर्गीकरण, खतरों आदि को समझने में पहले कुछ संग्रहालयों को व्यावहारिक पाया, लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़े, हमने पाया कि कुछ संग्रहालय आम आदमी के लिए बहुत अधिक तकनीकी हैं और कॉलेज के छात्रों के लिए बहुत अधिक उपयुक्त हैं। कोई गाइड उपल��्ध नहीं था और हमारे चारों ओर प्रदर्शित वैज्ञानिक शब्द पढ़ने में भी बहुत मुश्किल थे, कुछ भी समझना भूल जाते थे। Sahastradhara Hot Spring and Waterfall in Timilimansingh, Dehradun सहस्त्रधारा एक पर्यटन स्थल है जहां एक ही स्थान पर कई आकर्षण हैं - एक गुफा, गर्म पानी का झरना, एक झरना, कुछ मंदिर, रोपवे के ऊपर एक दृश्य और एक डरावना घर भी है. ईमानदारी से कहूं तो हमें यह जगह स्थानीय लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट के रूप में मिली। सभी रेलिंग और बीच में बने वॉकिंग एरिया से झरना बिल्कुल भी प्राकृतिक नहीं लगता है। झरने के नीचे कई कैस्केडिंग पूल जैसे ढांचे का निर्माण किया गया है जो कि झरने के पानी से भरे हुए हैं, लेकिन वे सभी बहुत ही गंदे और अस्वच्छ कुछ स्थानों के साथ बहुत ही व्यवसायिक दिखते हैं। गर्म पानी का झरना एक तथाकथित छोटा ठंडे पानी का स्विमिंग पूल है जिसमें गंधक की गंध आती है लेकिन हमें गंभीरता से संदेह है कि यह वास्तव में कितना वास्तविक या प्रामाणिक है। आसपास की दुकान के विक्रेता आपको पानी में डुबकी लगाने और यहां तक कि औषधीय उपचार के लिए पीने के लिए कहेंगे। यह जगह कई रेस्तरां, स्मारिका बेचने वाली दुकानों और स्नान करने की इच्छा होने पर कपड़े किराए पर देने से भरी हुई है। लॉकर और चेंजिंग रूम की सुविधाएं अतिरिक्त शुल्क पर भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं। स्टैलेक्टाइट गुफाएं एक छोटी पहाड़ी पर हैं और पानी के छोटे-छोटे नालों से घिरी हुई हैं जैसे कि गुफाओं के अंदर पानी टपकता है। गुफाओं के पास और भीतर की जमीन बहुत फिसलन भरी है और बहुत कम लोग ही इसे देखने आते हैं। माना जाता है कि महाभारत के गुरु द्रोणाचार्य ने इन गुफाओं में समय बिताया था। Other attractions in Dehradun ऊपर बताए गए लोकप्रिय स्थानों के अलावा, देहरादून में कुछ और दिलचस्प आकर्षण हैं। - सुबीर राहा तेल संग्रहालय एक भारतीय बहुराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी ओएनजीसी के मुख्यालय में स्थित है। यह कच्चे तेल और हाइड्रोकार्बन की उत्पादन प्रक्रिया और तेल उद्योग के विस्तृत इतिहास को प्रदर्शित करता है। - वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी में एसपी नौटियाल संग्रहालय शक्तिशाली हिमालय की उत्पत्ति और विकास को प्रदर्शित करता है। यह भूकंप, ग्लेशियरों पर जलवायु के प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन क्षमता जैसे क्षेत्रों में जनता को शिक्षित करता है। - क्षेत्रीय मानव विज्ञान संग्रहालय वन अनुसंधान संस्थान से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह कलाकृतियों को रखता है और हिमालय की तलहटी में लोगों के जीवन के तरीके दिखाता है - देहरादून चिड़ियाघर और मालसी डियर पार्क पक्षियों और जानवरों की विभिन्न प्रजातियों को देखने के लिए आकर्षण हैं, जो बच्चों के लिए रुचिकर हो सकते हैं। - टपकेश्वर मंदिर, संतला देवी मंदिर, तपोवन मंदिर और लक्ष्मण सिद्ध मंदिर देहरादून में कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं यदि मंदिर आपकी रुचि रखते हैं। - लच्छीवाला नदी के किनारे स्थानीय लोगों के लिए एक और पिकनिक स्थल है, जो गर्मियों और सप्ताहांत में भीड़भाड़ वाला होता है। हम वास्तव में देहरादून आने वाले पर्यटकों को इसकी अनुशंसा नहीं करेंगे। Read the full article
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पाटोद्याच्या आणखी एका पैलवानाची राष्ट्रीय स्पर्धेसाठी निवड
पाटोद्याच्या आणखी एका पैलवानाची राष्ट्रीय स्पर्धेसाठी निवड
बीड दि 6 फेब्रुवारी,प्रतिनिधी बीड जिल्ह्यात पैलवानाची खाण असल्याचे बोलले जाते.हे मात्र आता तंतोतंत खरे होताना दिसत आहे. पाटोद्याच्या पैलवान अमोल मुंढेनी पंजाब येथे होणाऱ्या राष्ट्रीय स्पर्धेसाठी निवड झाली आहे. पुणे येथे झालेल्या राज्य ग्रीको रोमन निवडचाचणी कुस्तीस्पर्धेत पैलवान अमोल मुंढे याने प्रथम क्रमांक मिळवून राष्ट्रीय स्पर्धेत पदार्पण केले आहे. मामासाहेब मोहोळ कुस्ती संकुल कात्रज येथे…
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