#रामचरितमानस चौपाई अर्थ सहित
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Shree RamNavami: The Birth of Lord Rama (रामनवमी 2021)
🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
#रामनवमी
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।
जन-जन के मन में रमने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का पृथ्वी पर अवतरण सकारण था। गोस्वामी जी ने लिखा है :
"विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार"
उल्लेख मिलता है कि #इक्ष्वाकुवंशीय अयोध्या के चक्रवर्ती राजा दशरथ ने चौथेपन में पुत्र-प्राप्ति के लिए #पुत्रेष्ठि_यज्ञ किया, जिसके फलस्वरूप श्रीहरि के सातवें अवतार के रूप में #श्रीरामचंद्र उन्हें पुत्र-रूप में प्राप्त हुए।
एक मां के ममत्व की दृष्टि से रानी #कौशल्या ने प्रगट हुए श्रीहरि के विशालकाय रूप को देखकर अनुरोध किया कि आप मेरे गर्भ से जन्म लेकर शिशु-लीला कीजिए। मेरे वात्सल्य-स्नेह की पूर्णता तो आपके बालरूप में ही संभव है।
उसके पश्चात #श्रीहरि कौशल्या की गोद में नवजात शिशु की भांति चैत्र मास के शुक्ल पक्ष, तिथि नवमी पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न की शुभ मुहूर्तबेला में श्रीराम का अवतरण हुआ।
यही दिन #चैत्र_नवरात्र के पवित्र दिवस (नवमी) #शक्ति उपासना-आराधना के विराम का भी होता है।
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Tulsidas Ke Dohe in Hindi : तुलसीदास के प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित
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11 रामचरितमानस:अयोध्याकाण्ड 2
कृपासिंधु बोले मुसुकाई। सोइ करु जेंहि त��� नाव न जाई॥ वेगि आनु जल पाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥ जासु नाम सुमरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा॥ सोइ कृपालु केवटहि निहोरा। जेहिं जगु किय तिहु पगहु ते थोरा॥ पद नख निरखि देवसरि हरषी। सुनि प्रभु बचन मोहँ मति करषी॥ केवट राम रजायसु पावा। पानि कठवता भरि लेइ आवा॥ अति आनंद उमगि अनुरागा। चरन सरोज पखारन लागा॥ बरषि सुमन सुर सकल सिहाहीं। एहि सम पुन्यपुंज…
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रामायण का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. रामायण की किताब लगभग हर हिंदू घर में मिलती है. रामायण में हर एक किरदारों का अपना एक अलग महत्व है. रामायण के बारे में ज़्यादातर लोगों को टीवी, सीरियल या राम-लीला देखकर ही जानकारी मिली है. बहुत लोग किताब पढ़कर भी रामायण में निपुण हुए हैं. तुलसीदास महाराज ने रामायण लिखकर मनुष्य का जीवन सफल कर दिया है. रामचरितमानस अवधी भाषा में तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है. रामायण में आपको तुलसीदास की ढेर सारी चौपाइयां मिलेंगी.
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Ramcharitmanas Chaupai with Hindi Meaning (रामायण चौपाई अर्थ सहित)
🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
#RamayanChaupai
श्याम गात राजीव बिलोचन,
दीन बंधु प्रणतारति मोचन।
अनुज जानकी सहित निरंतर,
बसहु राम नृप मम उर अन्दर।।
भावार्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि हे श्रीरामचंद्रजी ! आप श्यामल शरीर, कमल के समान नेत्र वाले, दीनबंधु और संकट को हरने वाले हैं। हे राजा रामचंद्रजी आप निरंतर लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृद�� में निवास कीजिए।
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Epic Ramayana Story: Lord Hanuman and Mother Sita First Meet (हनुमान-सीता मिलन):
🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
#हनुमान_सीता_मिलन (#HanumanSitaMilan):
यह मुद्रिका मातु मैं आनी।
दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥
#सीताजी को विरह से परम व्याकुल देखकर वह क्षण #हनुमान जी को कल्प के समान बीता॥ तब हनुमान जी ने हदय में विचार कर (सीताजी के सामने) अँगूठी डाल दी। सीताजी ने #राम_नाम से अंकित अत्यंत सुंदर एवं मनोहर अँगूठी देखी। अँगूठी को पहचानकर सीताजी आश्चर्यचकित होकर उसे देखने लगीं और सोचती है ये जरूर कोई #रावण की माया है।
उसी समय हनुमान् जी मधुर वचन बोले-
रामचंद्र गुन बरनैं लागा।
सुनतहिं सीता कर दुख भागा॥
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई।
आदिहु तें सब कथा सुनाई॥
वे श्री #रामचंद्र जी के गुणों का वर्णन करने लगे, (जिनके) सुनते ही सीताजी का दुःख भाग गया। वे कान और मन लगाकर उन्हें सुनने लगीं। हनुमान्जी ने आदि से लेकर अब तक की सारी कथा कह सुनाई॥
सीताजी बोलीं- जिसने सुंदर कथा कही वह प्रकट क्यों नही होता?
हनुमान्जी ने कहा-
राम दूत मैं मातु जानकी।
सत्य सपथ करुनानिधान की॥
माँ जानकी मैं श्री रामजी का दूत हूँ। मैं सच कहता हूँ और ये #��ंगूठी मैं ही लेकर आया हूँ जो की श्री #राम जी ने दी है।
सीताजी ने पूछा-) नर और #वानर का मिलन कैसे हुआ? तब हनुमानजी ने जैसे जो हुआ था, वह सब कथा कही॥
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Know Your Hanuman: The Story of Hanuman when He returned from Lanka (जब हनुमानजी माता सीता की सुध ले कर आए)
#श्रीराम_हनुमान_संवाद
🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
#सीता जी का पता लगाकर वापस आने पर श्री राम हनुमान से कहते हैं-
सुनु कपि तोहि समान उपकारी।
नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी॥
प्रति उपकार करौं का तोरा।
सनमुख होइ न सकत मन मोरा
सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं।
देखेउँ करि बिचार मन माहीं॥
पुनि पुनि कपिहि चितव सुरत्राता।
लोचन नीर पुलक अति गाता॥
-(भगवान् कहने लगे-) हे #हनुमान्! सुन, तेरे समान मेरा उपकारी देवता, मनुष्य अथवा मुनि कोई भी शरीरधारी नहीं है। मैं तेरा प्रत्युपकार (बदले में उपकार) तो क्या करूँ, मेरा मन भी तेरे सामने नहीं हो सकता।
-हे पुत्र! सुन, मैंने मन में (खूब) विचार करके देख लिया कि मैं तुझसे उऋण नहीं हो सकता। देवताओं के रक्षक प्रभु बार-बार हनुमान् जी को देख रहे हैं। नेत्रों में प्रेमाश्रुओं का जल भरा है और शरीर अत्यंत पुलकित है।
सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत।
चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत॥
प्रभु के वचन सुनकर और उनके (प्रसन्न) मुख तथा (पुलकित) अंगों को देखकर हनुमान्जी हर्षित हो गए और प्रेम में विकल होकर 'हे भगवन्! मेरी रक्षा करो, रक्षा करो' कहते हुए श्री #राम जी के चरणों में गिर पड़े।
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Dussehra (दशहरा) or VijayaDashami (विजयादशमी): The Festival of "Victory of Truth over Untruth"
🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
आप सभी को 'असत्य पर सत्य के जीत' के इस पावन पर्व पर आप सभी को शुभकामनाएं और बधाई🙏
#Dussehra (VijayaDashmi):
सायक एक नाभि सर सोषा।
अपर लगे भुज सिर करि रोषा॥
लै सिर बाहु चले नाराचा।
सिर भुज हीन रुंड महि नाचा॥
#दशहरा (विजयादशमी या #आयुध_पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। #अश्विन (क्वार) मास के #शुक्ल पक्ष की #दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान #राम ने इसी दिन #रावण का वध किया था तथा देवी #दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त #महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।
इस पर्व को भगवती के '#विजया' नाम पर भी '#विजयादशमी' कहते हैं। इस दिन भगवान #रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा #रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय '#विजय' नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।
दशहरे का उत्सव #शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है। #नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरे अर्थात विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव का उत्सव आवश्यक भी है।
🌹जय माता दी🌹
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