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04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता ��ुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके ��ोगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ सा��सों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विह��न है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री अखिलेश मिश्रा
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम म��� मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व ��ंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री अखिलेश मिश्रा
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू ए��ुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी ��ातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
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04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्र��� का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री अखिलेश मिश्रा
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date - 17 December 2024 Time 01.00 to 01.05 PM Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक १७ डिसेंबर २०२४ दुपारी १.०० वा.
राज्य विधीमंडळाच्या हिवाळी अधिवेशनाच्या आजच्या दुसऱ्या दिवशी विधानसभेत बीड जिल्ह्यातल्या मस्साजोगच्या संरपंचाचं हत्या प्रकरण आणि परभणी इथल्या हिंसाचाराचा मुद्दा उपस्थित करण्यात आला. यासंदर्भातला स्थगन प्रस्ताव काँग्रेसच्या नितीन राऊत यांनी मांडला त्याला नाना पटोले यांनी अनुमोदन दिलं. हा विषय गंभीर असून, त्यावर उद्या नियम १०१ अन्वये चर्चा घेण्याचं अध्यक्षांनी जाहीर केलं. बीडचे आमदार संदीप क्षीरसागर यांनीही मस्साजोगच्या संरपंचाच्या हत्येचा मुद्दा उपस्थित केला. आरोपीला अजुनही अटक झाली नसल्यावरुन त्यांनी टीका केली. आरोपीचं नाव सांगून त्यांनी, बीड जिल्ह्यातल्या गुन्हेगारीला आळा घालण्याची सरकारला विनंती केली. या प्रकरणातल्या मुख्य आरोपीला अटक झाली नाही तर आंदोलनाचा इशारा क्षीरसागर यांनी दिला. या विषयावर सरकार गंभीर नसल्याचा आरोप करत विरोधकांनी सभात्याग केला. केजच्या आमदार नमिता मुंदडा यांनी यासंदर्भात बोलताना, सगळ्या सात आरोपींना पकडून फाशीची शिक्षा देण्याची मागणी केली.
दरम्यान, विधानसभेत तालिका अध्यक्ष म्हणून विजय रहांगडाले, रमेश बोरनारे, शेखर निकम आणि दिलीप सोपल यांची नियुक्ती केल्याचं अध्यक्ष राहुल नार्वेकर यांनी जाहीर केलं. सभागृहाचे माजी सदस्य आणि मंत्री दत्तात्रय राणे यांच्या निधनाबद्दल सभागृहात त्यांना श्रध्दांजली वाहण्यात आली.
मुंबई मध्ये झालेल्या तीन दिवसीय विशेष अधिवेशनात राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन यांनी केलेल्या अभिभाषणाबद्दल त्यांचे आभार मानणारा प्रस्ताव भाजपाचे पराग आळवणी यांनी विधानसभेत मांडला. राज्याची प्रगती साधणारं सरकार जनतेनं यावेळी निवडलं, असं ते म्हणाले. राज्यात आधी २०१४ ते २०१९ दरम्यान फडणवीस आणि नंतर शिंदे सरकारच्या अडीच वर्षांच्या काळात उद्योग वाढीसाठी विशेष प्रयत्न करण्यात आले, या सरकारने महिलांसाठी देखील अनेक चांगल्या योजना सुरू केल्याचं आळवणी यांनी सांगितलं. राष्ट्रवादी काँग्रेसचे चेतन तुपे यांनी या प्रस्तावला अनुमोदन दिलं.
विधान परिषदेच्या सभापती पदाची निवडणूक परवा १९ डिसेंबरला होणार आहे. उपसभापती निलम गोर्हे यांनी आज ही घोषणा केली. उद्या १८ डिसेंबर रोजी दुपारी १२ वाजेपर्यंत उमेदवारी अर्ज दाखल करता येणार असल्याचं त्यांनी सांगितलं.
दरम्यान, परभणी आणि बीड प्रकरणात सरकारची भूमिका गुन्हेगारांना वाचवण्याची असल्याचा आरोप करत, महाविकास आघाडीतर्फे अधिवेशनाच्या दुसऱ्या दिवशी विधिमंडळ परिसरात निषेध मोर्चा काढण्यात आला. यावेळी विरोधकांनी विधान परिषदेचे विरोधी पक्षनेते अंबादास दानवे यांच्या नेतृत्वात महायुती सरकार विरोधी घोषणाबाजी केली.
राज्यसभेत संविधानावरची चर्चा आज पुन्हा सुरु झाली. सभागृह नेते, केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा यांनी यावर बोलताना, भारत ही केवळ सर्वात मोठी लोकशाही नसून लोकशाहीची जननी असल्याचं नमूद केलं. भारतीय आचार विचारानुसार लोकशाहीमध्ये स्वातंत्र्य, समता आणि सर्वसमावेशकता यांचा समावेश होतो, ज्यामुळे नागरिकांना सन्मानपूर्वक जीवन जगता येतं, असं सांगून नड्डा यांनी, सरकार या दृष्टीकोनासाठी समर्पित असून, भारतीय संविधानाला आकार देणाऱ्या संविधान सभा सदस्यांचे देश ऋणी असल्याचं सांगितलं. दरम्यान, या चर्चेला आज पंतप्रधान नरेंद्र मोदी उत्तर देणार आहेत.
एक राष्ट्र एक निवडणूक विधेयक लोकसभेत सादर झालं. कायदा मंत्री अर्जुन राम मेघवाल यांनी हे विधेयक मांडलं. काँग्रेस, तृणमूल काँग्रेस, शिवसेना उद्धव बाळासाहे�� ठाकरे पक्ष, तसंच समाजवादी पक्षाने या विधेयकाला विरोध दर्शवला. तर शिवसेना, तेलगु देसम पक्षांनी या विधेयकाला पाठिंबा दिला.
राज्यातल्या राष्ट्रीय महामार्ग ६३ वरील जावळे-बोरगाव काळे विभागापासून ३७ किलोमीटर मार्गाच्या पेव्ह्ड शोल्डरसह फोर-लेन पुनर्वसन आणि अद्ययावतीकरणासाठी ५७४ कोटी १८ लाख रुपयांसह मंजुरी देण्यात आली आहे. केंद्रीय रस्ते वाहतूक आणि महामार्ग मंत्री नितीन गडकरी यांनी सामाजिक माध्यमावर ही माहिती दिली. मुंबई, पुणे, नागपूर, नांदेड, उदगीर आणि लातूर या प्रमुख शहरांना जोडण्यासाठी, तसंच कृषी मालाची वाहतूक आणि व्यावसायिकांसाठी देखील हा मार्ग महत्त्वपूर्ण असल्याचं गडकरी यांनी सांगितलं.
आपल्याला मंत्रिपदाचा प्रश्न नसून, आपली अवहेलना करण्यात आल्याचं, राष्ट्रवादी काँग्रेसचे नेते छगन भुजबळ यांनी म्हटलं आहे. भुजबळ यांना मंत्रिपद मिळालं नसल्याबद्दल त्यांच्या नाराज कार्यकर्त्यांच्या बैठकीनंतर ते वार्ताहरांशी बोलत होते. आपल्या मतदारसंघात जाऊन, नागरीक, कार्यकर्त्यांशी चर्चा करुन पुढील भुमिका जाहीर करणार असल्याचं त्यांनी सांगितलं.
मराठा आरक्षण आंदोलनाचे नेते मनोज जरांगे पाटील यांनी येत्या २५ जानेवारी पासून पुन्हा उपोषण करण्याचा इशारा दिला आहे. जालना जिल्ह्यातल्या आंतरवाली सराटी इथं ते आज वार्ताहरांशी बोलत होते.
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लोक सभा, विधान सभा और राज्य सभा में क्या अंतर है?
लोकसभा, विधान सभा और राज्य सभा भारत के राजनीतिक ढांचे के महत्वपूर्ण अंग हैं, जो विभिन्न स्तरों पर नागरिकों के प्रतिनिधित्व का कार्य करते हैं। इनके बीच के प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं:
1. संरचना:
लोकसभा:
यह भारतीय संसद का निचला सदन है।
इसमें कुल 545 सदस्य होते हैं, जिनमें से 543 सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचन के जरिए चुने जाते हैं और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित होते हैं।
राज्य सभा:
यह भारतीय संसद का ऊपरी सदन है।
इसमें 245 सदस्य होते हैं, जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा निर्वाचित होते हैं, और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।
विधान सभा:
यह राज्य स्तर पर सन्निहित है और हर राज्य की अपनी विधान सभा होती है।
सदस्यों की संख्या प्रत्येक राज्य में भिन्न होती है, लेकिन आमतौर पर यह 60 से 500 के बीच होती है। सभी सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से चुने जाते हैं।
2. निर्वाचन प्रक्रिया:
लोकसभा:
सदस्य सीधे जनता द्वारा चुनाव में भाग लेकर चुने जाते हैं।
राज्य सभा:
इसके सदस्य मुख्यतः अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से चुने जाते हैं, जहाँ राज्य विधानसभाएँ और राष्ट्रपति विशेष व्यक्तियों को नामित करते हैं।
विधान सभा:
इसके सभी सदस्य सीधे जनता द्वारा चुनाव के माध्यम से चुनते हैं।
3. कार्यकाल:
लोकसभा:
इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन इसे राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है।
राज्य सभा:
यह एक निरंतर सदन है; इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है और हर 2 वर्ष में 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं।
विधान सभा:
इसका कार्यकाल भी 5 वर्ष का होता है, लेकिन इसे किसी भी समय भंग किया जा सकता है।
4. मुख्य कार्य:
लोकसभा:
यह वित्तीय मामलों में प्रमुख भूमिका निभाती है। सभी वित्तीय विधेयक यहाँ पेश किए जाते हैं।
राज्य सभा:
यह विधायिका में सुधार लाने और विभिन्न मुद्दों पर विचार करने का कार्य करती है। यह लोकसभा के निर्णय पर पुनर्विचार कर सकती है, लेकिन अंततः लोकसभा के पास अंतिम निर्णय लेने का अधिकार है।
विधान सभा:
यह राज्य के लिए सभी महत्वपूर्ण कानूनों को बनाने और स्थानीय समस्याओं का निपटान करने की जिम्मेदारी रखती है।
5. प्रतिनिधित्व:
लोकसभा:
यह सम्पूर्ण देश की जनता का प्रतिनिधित्व करती है।
राज्य सभा:
यह राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है।
विधान सभा:
यह विशेष तौर पर संबंधित राज्य की जनता का प्रतिनिधित्व करती है।
इन सभी बिंदुओं के माध्यम से, यह स्पष्ट होता है कि लोकसभा, राज्य सभा और विधान सभा में संरचना, कार्य, निर्वाचन प्रक्रिया और महत्व में ��ुनियादी अंतर हैं। ये तीनों संस्थाएँ भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Advocate Karan Singh (Kanpur Nagar) [email protected] 8188810555, 7007528025
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जब नारायण मूर्ति ने सुधा मूर्ति के पिता को 2 घंटे तक इंतजार कराया: पहली बार ससुराल वालों से मिलते समय 5 गलतियाँ करने से बचें
जब नारायण मूर्ति ने सुधा मूर्ति के माता-पिता को 2 घंटे तक इंतजार कराया भारत में सबसे सम्मानित जोड़ों में से एक, इन्फोसिस संस्थापक नारायण मूर्ति और उसकी पत्नी सुधा मूर्ति हाल ही में द ग्रेट इंडियन कपिल शो में दिखाई दिए जहां उन्होंने अपनी शादी और विनम्र जीवन की झलक दी। स्पष्ट बातचीत में, राज्य सभा सदस्य-परोपकारी-लेखिका सुधा मूर्ति ने नारायण मूर्ति के साथ अपनी प्रेम कहानी के बारे में बात की।…
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बिहार राज्य किसान सभा की राज्य कमेटी भंग एवं नयी संगठन समिति गठित
पटना:बिहार राज्य किसान सभा की राज्य परिषद की विशेष बैठक 04 अक्टूबर 2024 को केदार भवन, पटना में हुई। बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन क्षत्रसागर और राष्ट्रीय महासचिव आर वेंकैया ने भी भाग लिया। बैठक में बिहार राज्य किसान सभा के निष्क्रिय हो चुके राज्य कमिटी को भंग कर 11 सदस्यीय व्यापक संगठन समिति गठित की गई। 11 सदस्यीय संगठन समिति के सदस्य रामचन्द्र महतो, प्रमोद प्रभाकर,…
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प्रदेशवादियों के नाम संदेश,
4 जून 2024 को भारत के आम चुनाव यानि कि 18वें लोक सभा चुनाव समाप्त हो गए। चुनाव से संबंधित रोचक तथ्यों पर अगर नज़र डाली जाए तो दर्जनों तथ्य सामने आएं हैं जिस पर विश्वास कर पाना अधिकांश लोगों को असहज कर देता हैं। पर उस सभी में सबसे रोचक और चर्चा का विषय बनने वाला मुद्दा बना उत्तर प्रदेश के लोगों का चुनावी व्यवहार। पिछले दो लोक सभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत की परिस्थिति में लाने वाले और सीट(आबादी) के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश में इस बार एक बड़ा उलट फेर देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने एक बड़ी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। किसी ने शायद ही सोचा होगा की राम मंदिर और मोदी – योगी के डबल इंजन वाले राज्य में ऐसा भी हो सकता है। इतना झटका कम नहीं था की प्रभु श्री राम नगरी अयोध्या(फैज़ाबाद) वासियों ने भी चौकाने वाले परिणाम देकर आखरी कील ठोकने का काम किया। ऐसे में अपनी पसंदीदा पार्टी को ना जीतता हुआ देखना कष्टदायी तो है।
इन सभी कहानियों के बीच व्यक्तिगत रूप से जो चीज हृदय के सबसे करीब पहुंची वो थी पूरे प्रदेश वासियों की आलोचना और कई मौकों पर काफ़ी निचले स्तर की भाषा में आलोचना। आलोचकों में बीमारू राज्यों में गिने जाने वाले राज्यों के वासी भी हैं । आलोचकों का कहना है भाजपा के सबसे प्रिय राज्य होने के बाद भी उत्तर प्रदेश ने धोखा दे दिया। प्रदेशवासियों को देशद्रोही और गद्दार जैसे उपाधियों से सुशोभित किया जा रहा है। कहा जा रहा है दगाबाजी की सीमाओं को लांघने में उत्तर प्रदेश अब "सोनम बेवफा" से भी आगे निकल चुका है। राजनैतिक पार्टियां और उनके कार्यकर्ता आलोचना करें तो एक हद तक बातें समझ में आती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की होती है। पर जब आम जनता पार्टी कैडर की तरह अपने ही देशवासियों का मखौल उड़ाने लगे तो सजग होने की आवश्यकता है। अपने पसंदीदा नेता से प्रेम करना, उसका प्रचार प्रसार करने या फिर फिर उसको आलोचना से बचाने के प्रयत्नों में कोई बुराई नहीं है। परंतु अपने नेता या पार्टी के प्रति अंधभक्ति किसी दिन आपके स्वयं के लिए भी भयावह साबित हो सकती है। सोचकर देखिए की अगर किसी दिन रोड ऐक्सिडेंट में अकारण आपके परिवार से किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, जिसमें आपके परिवार के सदस्य की कोई गलती नहीं है। करोड़ों की गाड़ी से कुचलने वाला आपकी ही समर्थित पार्टी विशेष का विधायक या उसका बेटा निकलता है। आप आपने परिवार जन के लिए न्याय की गुहार लगाते हैं और आपके अन्��� साथी आप पर ही पार्टी को बदनाम करने के प्रयास करने का आरोप लगाते हैं। इस परिस्थिति में आपकी पीड़ा असहज करने वाली होगी पर किसी से बताए, बताई नहीं जायेगी। ऐसी घड़ी में कोई पार्टी या नेता आपके दुखों पे मरहम की पट्टी बांधने नहीं आएगा। आपका पड़ोसी जो आ सकता था, उसे आप पहले ही राजनैतिक मतभेद के कारण द्वेष से भर चुके हैं। अंत में बचेगी न्यायलय जिसमें 6 महीने घिसने के बाद आपको अपनी औकात और लाचारी दोनों स्वयं महसूस होने लगेगी। उदाहरण के तौर पे भारत में अगर हर महीने आप ₹ 25000 कमाते हैं तो भारत में टॉप 10% अमीरों की श्रेणी में आते हैं और वहीं कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील केस की एक उपस्थिति के ₹ 2500000 तक चार्ज करते हैं। ध्यान रहे कि ये जरूरी भी नहीं है की आपके मामले में सीसीटीवी कैमरा लगा हो और लगा भी तो सही अवस्था में सही प्राधिकरण तक पहुंच जाए। मुझे पता है अधिकांश लोगों को ऊपर बनाती गई मेरी मनगढ़ंत घटना प्रासंगिक न लगे, परंतु ऐसा कुछ भी कभी नहीं होगा जैसे ढीठ खयाल भी मन से त्याग देना ही उचित होगा। प्रोप��गेंडा, नैरेटिव और विचारधारा की लड़ाई एक हद तक उचित है पर जब विचार मतभेद से मनभेद में बदलने लगे, तो सतर्क और सजग होने की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। सुख दुख बाटने वाले अपने निजी स्पेस को हुंडा पे चढ़ा के तीरथ पर निकलने के बजाय उसे संजोहने का प्रयत्न करें।लोकतंत्र में मतदान का अधिकार ही सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और उसके इस्तेमाल के लिए लोगों को गद्दार बोलना अनैतिक ही नहीं अपमानित करने जैसा है। यूटयूब पे गीता ज्ञान अर्जित करने और भजन सुनने से कुछ नही होगा जबतक जीवन में उन मूल्यों को बिना किसी शर्त आत्मसात किया जाए।
मेरा द्वेष में आकर साथी बीमारू राज्यों का मखौल उड़ाने का कोई मकसद नहीं है क्योंकि सभी राज्य अपनी–अपनी विशेष परिस्थियों के अधीन हैं और सभी के माखौल बनाने के पर्याप्त कारण भी मौजूद हैं। परंतु साथ ही सभी की अपनी चुनौतियां हैं और सभी की अपनी विशेषताएं भी।" राम–श्याम" जैसे द्वंद समासी उदाहरण स्वरूप और एक स्वास में लिए जाने वाले दो जमीनी सीमा से जुड़े हुए भाई समान राज्य एक दूसरे का मखौल बनाएं ये शोबनिया कहीं से नहीं प्रतीत होता है। लेकिन एक बात मैं फिर भी कहना चाहूंगा की उत्तर प्रदेश का वर्तमान और भविष्य बाकी पिछड़े हुए उत्तर के राज्यों के मुकाबले सबसे उज्ज्वल है। उदहारण के तौर पर अगर माना जाए की सभी राज्य कैंसर से ग्रस्त हैं तो उत्तर प्रदेश अभी भी इस स्टेज में हैं जिसके लिए पूर्ण प्रभावी इलाज़ सबसे ज्यादा संभव है।
खैर साथी राज्यों का भी समय के अनुसार मौज लेना उतना नहीं खलता है जितना की प्रदेश के वासियों का अपने ही प्रदेश वासियों के प्रति नफरत और द्वेष। विशेषकर फैज़ाबाद के वासियों के प्रति तो नफ़रत और गालियों के कसीदे पढ़े जा रहें हैं। लोगों का कहना है की मोदी जी इस प्रदेश के लोग आपके प्रेम और सम्मान के लायक नहीं हैं। "यू डिजर्व बैटर" जैसे हैशटैग का इस्तेमाल जोरो शोरो पे है। कुछ लोग तो राज्य छोड़ने तक की बात कर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पे मेरा साफ और स्पष्ट तौर पे मत है कि ना तो उत्तर प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ प्रदेश से बड़े हैं और ना ही माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी। प्रजा से राजा की पहचान है राजा से प्रजा की नहीं। राष्ट्र से बड़े होने का तो दूर–दूर तक सवाल ही नहीं है। आपका मत मेरे मत से भिन्न हो सकता है। उत्तर प्रदेश के लोग अपना नेता चुनने का अधिकार रखते हैं और वही वो हर चुनाव में करते आ रहे हैं। गुजरात से आने वाले व्यक्ति को बनारस के लोगों ने और गंगा मां ने ना केवल अपने बेटे की तरह प्यार और सम्मान दिया है, बल्कि प्रधानमंत्री तक क�� सफर को सुगम बनाने का हर संभव प्रयास किया जो की अपने आप में प्रदेशवासियों के उदारता का प्रतीक है।
नोएडा में पिताजी जी की chauffeur–सहित चार चूड़ी वाली ऑटोमैटिक ई वी में बैठी चिंकी और ओमान –मस्कट में फ्री टाइम में नान खटाई की रेडी लगाने वाला गोरखपुर का दिनेश भी ट्वीट कर रहें हैं की "यूपी पीपल यू हैव लेड द गॉड डाउन" । "बट विच गॉड ?" पूछने पे सकपका जा रहे हैं कि भगवान राम का नाम लें या मोदी जी का। एक व्यक्ति चाहें कितना भी सम्मानित, प्रिय और ताकतवर क्यूं ना हो, वो ईश्वर से ऊपर स्थान कभी नहीं पा सकता। इतनी सीख तो हिंदुओं को कम से कम मुस्लिमों से ही ले लेनी चाहिए।
2020 के कोविड लॉकडॉन में ट्यूटर चलाना सीखने वाला रिंकू भी ट्वीट कर रहा है की ये "अजय राय कौन है ?" जो मोदी जी के जीत के मार्जिन को इतना कम कर दिया। रिंकू को मेरा उत्तर ये है की ट्यूटर से पहले जो भारत में चुनाव हुआ करते थे, जिस समय तुम टूटी–फ्रूटी के टेट्रा पैक में स्ट्रॉ फसाना सीख रहे थे तब अजय राय पांचवी बार विधायिकी की शपथ ले रहे थे। संभवतः अगर स्वयं प्रधानमंत्री वाराणसी सीट से ना लड़ रहे होते तो इस बार भाजपा के किसी और उम्मीदवार को मुंह की भी खानी पड़ सकती थी। खैर ऐसी अनेक जानकारियों के लिए ट्यूटर अनइंस्टॉल करके किताब ना सही तो कम से कम विकिपीडिया तक का सफर तो तय ही करना पड़ेगा।
किसी सीट पे कौन सी पार्टी/उम्मीदवार जीती और कौन सी हारी के अनेकों कारण गिनाए जा सकते हैं। भारत जैसे विकासशील और विविधताओं से भरे देश में इसका आंकलन लगाना और भी मुश्किल हो जाता है। मैं कोई चुनावी विशेषज्ञ तो नहीं हूं पर मुझे लगता है सभी मुद्दों में "निजी मुद्दे" सभी के निर्णयों में अनुपातहीन तरीके से दखलंदाजी करता है । भारत, जिसकी अधिकांश आबादी या तो मिडल क्लास या गरीब है उसके लिए जीडीपी, इंफ्रास्ट्रक्चर ,इकोनॉमिक आउटलुक, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, फॉरेक्स रिज़र्व ,ग्लोबल स्ट्रेचर, वर्ल्ड ऑर्डर, ग्लोबलाइजेशन आदि जैसे जटिल राष्ट्रहित के मुद्दों से ज्यादा दिलचस्पी और भावना महंगाई, शिक्षा, नौकरी, सेहत, पानी, बिजली, मकान आदि मुद्दों से जुड़ी होती है। क्या लोगों के विचारों में इन बातों को लेकर कोई बदल��व नहीं हुए हैं? हुए हैं, पर महज़ 70 साल पहले शारीरिक गुलामी त्यागने वाले देश की तुलना आप अमरीका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन सरीखे देशों से नहीं कर सकते। इन बदलावों के लिए जागरूक करने का श्रेय भी काफी हद तक पिछले 10 साल के मोदी कार्यकाल को भी जाता है।
ऐसा ही एक "निजी मुद्दा" था अयोध्या निवासियों का अपने मूल स्थानों से विस्थापन । अयोध्या में ऐसे हजारों परिवार हैं जिन्हें राम मंदिर निर्माण कार्य के अंतर्गत चलाए गए भूमि अधिग्रहण कार्यक्रम के दौरान अपने निजी जमीन, मकान और दुकानों को ना चाहते हुए भी या फिर बाज़ार से कम कीमत पर बेचना पड़ गया। ऐसी परिस्थिति के कारण जनता में काफी रोष और गुस्सा भी था जो शायद लोगों ने अपने वोट के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया है। आम जनमानस के पास सरकारों के खिलाफ़ लड़ने का बस ये एकमात्र हथियार होता है। आप इसे छीन नहीं सकते। हो सकता है इंदौर, लखनऊ, रायपुर जैसे शहरों में एसी में बैठकर, इस सितंबर परिवार संग अयोध्या में रामलला के दर्शन की प्लानिंग के हिसाब से ये तर्कसंगत न लगे पर वास्तविकता यही है। ईश्वर से किसी को बैर नहीं हैं, अयोध्या निवासियों को तो बिलकुल नहीं। वो तो रामलला को सदियों से पूज रहें हैं जब किसी मंदिर की कोई आस भी नहीं थी परंतु मंदिर बन जाने के कारण वो अपने आज और कल से मुंह तो नही मोड़ सकते। जब ठोकर आपके निजी स्वार्थ पे लगती है तो पीड़ा असहज कर ही जाती है। जिस मकान को आपके पुरखों ने बनाया हो, जिसे आपके माता पिता ने अपनी मेहनत से रंगत दी हो, जहां आप ने अपने भाई बहन के साथ अपना बचपन हंसते–खेलते काटा हो, जिसकी छतों से आप न��� दूसरों की पतंगे काटी हो, जिसके आंगन में आपकी मां ने अचार और पापड़ सुखाएं हों, जिसके दुआर पर आपके पिताजी की स्कूटर वर्षों से खड़ी होती आई हो, उसको एक झटके में खो देना कभी भी आसान नहीं होता है। बात कई बार सिर्फ़ आर्थिक कीमत की नहीं, बल्कि उससे जुड़े हुए आपके हृदय में बसी हुए भावनाओं की होती है। बजार संगत कीमत तो बस एक समझौता है जिसे हासिल करने के बाद भी कभी टीस नहीं जाती। जिस दुकान से घरों की रोजी रोटी चल रही हो उसे यूं एक पल में पराया कर देना किसी के लिए आसान नहीं होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है की मंदिर निर्माण और उससे संबंधित विकास कार्यों से अयोध्या की अर्थव्यवस्था में आने वाले वर्षों में काफ़ी वृद्धि होगी। पर इन वृद्धियों से लाभ उठाने का घाटा भी अयोध्यावासियों को ही ��हना पड़ रहा है। ऐसे में जनता में नाराज़गी होना स्वाभाविक था। हार जीत समीकरण के सैकड़ों कारकों में एक महत्वपूर्ण कारक यह भी था। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी विकास कार्य के कारण आम जनता को परेशानी न उठानी पड़ी हो। जब काशी विश्वनाथ कोरिडोर निर्माणाधीन था तब इस कार्य से प्रभावित जनता ने अपना आक्रोश 2019 लोक सभा चुनावों में व्यक्त भी किया था। विकास और उसके प्रभावों के बीच के सामंजस्य और संतुलन होना अति आवश्यक हैं। ऐसा संतुलन ना हो तो क्या हो सकता है उसका एक बेहतरीन उदाहरण इस ग्रीष्म ऋतु ने बयां कर ही दिया है। मुझे यकीन है की इतना कहने के बाद भी लोग इसे मोदीजी के विकास कार्यों के बाधा के रूप में ही देख रहे होंगे। दुखों में साथी बनने और स्वयं आत्मसात करने में भरी अंतर होता है।पर विश्वास कीजिए जब कोई सरकार आपके पिताजी/माताजी या स्वयं की अर्जित कमाई को अपनी शर्तों पे लेने आएगी तो आप भी ज्यादा देर तक नाराज़गी छुपा नहीं पाएंगे। उदाहरणस्वरूप इनकम टैक्स भरने वाले शायद इस भावना से ज्यादा जुड़ पाएंगे। आप अपनी कमाई का हिस्सा देने में कतराते हैं और कोई बिना इच्छा अपनी विरासत नीलाम कर के वोट भी खिलाफत में देने का अधिकार खो दे । ये तो न्यायसंगत बात नहीं होगी। जैसे कि करोड़ों भारतीयों के लिए "विंडफाल टैक्स" या फिर " POEM रूल्स" या "NPA" जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे चुनावी मुद्दों की सूची में पहली प्राथमिकता पाने में असफल महसूस करते हैं वैसे ही अयोध्यावासी या कोई आम नागरिक भी पहले अपने परिवार का पेट पालने को सोचता है फिर कहीं समाज हित की बात करता है। आधुनिक काल में दार्शनिक बनने की सबसे पहली शर्त होती पेट में अन्न होना। आदर्श समाधान प्रायः दूसरों के संदर्भ में ही दिए जाते हैं। बाकि ये "एक" चुनाव हारने का "एक" खास चुनाव क्षेत्र से संबंधित "एक" विशेष मुद्दा है। चुनाव जीतने और नहीं जीतने के अनेकों और कारण होते हैं। ज्यादा दिलचस्पी के लिए विशेषज्ञों के लेखों को पढ़ा जा सकता है।
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने भी रूस से तेल आयात पर लगे आरोपों के सन्दर्भ में पूछे गए प्रश्न के दौरान यही कहा की" यूरोप की तकलीफें विश्व की तकलीफें नहीं हो सकती। भारत वो हर संभव प्रयास करेगा जो उसके निजी हित के लिए उचित होगा।" विश्वगुरु होने के नाते हमें सभी के बारे में सोचना चाहिए ये आदर्श नीति तो हो सकती है पर व्यवहारिक नीति नहीं। शायद इससे कुछ मिलता जुलता विचार आक्रोशित अयोध्यावासियों का भी रहा होगा। अगर मंदिर निर्माण के बाद भी कुछ लोगो ने वोट नहीं दिया है तो मंदिर निर्माण के कारण से ही बहुत से ��ोगो ने वोट दिया भी है।
चर्चा में थोड़ा भटक गया था। मूल मुद्दा था उत्तर प्रदेश वासियों का अपने की सह–प्रदेशवासियों के प्रति कटुता। वैसे तो मैं मूलतः गोरखपुर का निवासी हूं पर पिताजी के कड़ी मेहनत के पैसे उड़ाने के कारण गोरखपुर और और उत्तर प्रदेश से बाहर रहने का भी कई बार सौभाग्य मिला। इन तमाम जगहों पर रहने के बाद एक व्यतिगत अनुभव साझा करने के कारण ही इतना लंबा लेख लिखना पड़ गया। हो सकता शायद सभी लोग इस बात से इत्तेफाक ना रखें पर मैंने ऐसा महसूस किया है की एकता के नाम पे सबसे कमज़ोर राज्य अगर कोई है तो वो उत्तर प्रदेश है। आप देश में कहीं भी चले जाएं आपको हर जगह बिहारी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलगु , मलयाली , कन्नड़, पंजाबी, हरयाणवी, हिमाचली, कश्मीरी,आसामी,आदि ग्रुप मिल जायेगा पर उत्तर प्रदेश के लोगों का कोई ग्रुप मिल पाना संभव नहीं होता। उत्तर प्रदेश वासी अक्सर आलू/भाटा की भांति किसी अन्य ग्रुप का हिस्सा बना हुआ मिल सकता है। या ज्यादा से ज्यादा बिहारी का साथ पकड़ के माहौल बनने की कोशिश करता हुआ मिल सकता है। और एक प्रदेश से होने की जो खुशी अन्य राज्य के लोगों में देखने को मिलती है वो खुशी उत्तर प्रदेश वासियों में नगण्य के समान है। एक कारण तो है उत्तर प्रदेश का पूरब से पश्चिम तक भगौलिक विस्तार जो की मूलतः बोली के आधार पे मोटा–मोटा ब्रज, अवध, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, बघेलखंड जैसे क्षेत्रों में बांटा जा सकता है । ये सभी क्षेत्र अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए है जैसे ब्रज/ पश्चिमी यूपी जुड़ा है दिल्ली और हरियाणा से, पूर्वांचल जुड़ा है बिहार से, बुंदेलखंड जुड़ा है मध्य प्रदेश से और बघेलखंड जुड़ा है छत्तीसगढ़ और झारखंड से, जिसके फलस्वरूप इन सभी क्षेत्रों की एक प्रदेश के रूप में पहचान न होकर एक क्षेत्रीय पहचान तक ही सीमित रह गई है या यूं कहें कि इन जुड़े हुए राज्यों में आवश्यकता से अधिक मिश्रित हो गई है। दूसरा कारण है अपने ही मन में धारण किया हुआ पूर्वाग्रह। पूर्वांचल का व्यक्ति जब किसी पश्चिमी यूपी के व्यक्ति से मिलता है तो उसको मन ही मन "दिल्ली से है बे***" वाली कैटेगरी में डाल के खुश हो जाता है और पश्चिमी यूपी वाला पूर्वांचल वाले को "भोजपुरी स्पीकिंग इलिटरेट बिहारी टाइप्स" वाली कैटेगरी में डाल के खुश। बुंदेली और बघेली बाकी तीनों से रिजोनेट ना ही करते हैं, और लगता है ना ही करना चाहते हैं और अपनी चौड़ में मस्त रहते हैं। अवध भी बाकी चारों से कोई खास जुड़ाव शायद ही महसूस करता है क्योंकि शायद आज भी मुग़लकालीन बादशाहत उसके दिमाग पे काबिज है। इसलिए पांचों भाई अपने को एक परिवार का हिस्सा मानने के बजाय अपनी ही धुन में सवार रहते हैं। ��रंतु ऐसा भी नहीं है की कम से कम एक क्षेत्र के ही दो लोगों में कोई खास भाईचारा उत्पन्न हो जाए। गोरखपुर के ही अगर पांच अपरिचित लोगों को अगर एक कमरे में बंद कर दिया जाए तो वो भी बस ज्यादा से ज्यादा नाम पूछने की इच्छा जाहिर कर सकते हैं , इस बात की एक प्रतिशत भी खुशी नहीं जाहिर करेंगे की एक ही जिले से हैं एक राज्य तो दूर की बात हैं। हैरत की बात नही है की एक समय पर राज्य को चार भाग में विभाजित करने की बात भी चर्चा में आई थी। जिले स्तर पर भी देखा जाए तो गाजियाबाद, नोएडा वाले उनका पता पूछने पर असली नाम कम, एनसीआर कहना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उससे दिल्ली वाली फील आती है तो वहीं बलिया के लोग मंगल पांडे के जमाने से ही अपने आप को राज्य के भीतर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देखते हैं और बागी तमगे के साथ जायज भी ठहराते हैं। गाजीपुर वाले मानते है की एक दिन पहले आजाद होने के कारण वो भी विशेष दर्जा ही रखते हैं। पूरे प्रदेश को शायद जमीन पे जोड़ रखा है मां गंगा ने और आसमान में 80 लोक सभा सीटों ने। पर आज जब कुछ लोग राजनैतिक मतभेद के चक्कर में अपने ही लोगों को गाली देने में लगे थे तो फिर लगा की अपनी पीड़ा साझा की जाए और प्रदेशवासियो को याद दिलाया जाए की एक "स्टेट आइडेंटिटी" के रूप तो आज भी कोई ठोस भावनात्मक पहचान बना पाने में अक्षम रहें हैं हम उत्तर प्रदेश के लोग। इसलिए समय रहते प्रयत्न करें की अपनों के साथ अपनो जैसे व्यव���ार हो पाए और पूरा प्रदेश एक परिवार जैसा महसूस करे। अपने आप को श्रेष्ठकर और दूसरों को न्यूंतर मानकर अपनी मानसिक कुंठा से बाहर निकलने का प्रयास करें। प्रदेश में मानसिक विभाजन के अनेक कारण पहले ही मौजूद हैं, एक और न बनाकर अपना बंटाधार होने से बचाएं।
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हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक और हमारे देश के महान साहित्यकार पद्म भूषण डॉ. गोपाल दास नीरज जी की जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" का आयोजन दिनांक: 04 जनवरी 2025 (शनिवार), समय: सायं 05:00 बजे से, स्थान: संत गाडगे प्रेक्षागृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ मे किया जा रहा है |
इस सांस्कृतिक संध्या में बांसुरी वादन, नृत्य प्रस्तुति, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन होगा । कार्यक्रम की परिकल्पना श्री सर्वेश अस्थाना ने की है |
अध्यक्षता: आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त)
अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तर प्रदेश |
मुख्य अतिथि: श्री दिनेश शर्मा जी, ��ाननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश |
विशिष्ट अतिथि: श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलंब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश एवं श्री राजेश पाण्डेय जी, रिटायर्ड आई.पी.एस., नोडल अफसर, यूपीडा |
कार्यक्रम को गौरव प्रदान करेंगे श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र) एवं श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र) |
नीरज जन्मशती सम्मान से सम्मानित प्रबुद्धजन:
श्री उदय प्रताप सिंह, पूर्व सांसद एवं पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान |
श्री हरिओम, IAS |
श्री आलोक राज, IPS |
श्री सूर्य पाल गंगवार, IAS |
श्री अखिलेश मिश्रा, IAS |
श्री पवन कुमार, IAS |
कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित कवि:
डॉ. विष्णु सक्सेना, हाथरस |
डॉ. प्रवीण शुक्ल, दिल्ली |
श्री दिनेश रघुवंशी, फ़रीदाबाद |
डॉ. सोनरूपा विशाल, बदायु |
श्री बलराम श्रीवास्तव, मैनपुरी |
श्री यशपाल यश, फ़िरोज़ाबाद |
डॉ. राजीव राज, इटावा |
श्री सर्वेश अस्थाना, लखनऊ |
विशेष प्रस्तुतियां:
बांसुरी वादन: श्री राजीव वत्सल |
नृत्य प्रस्तुति: श्रीमती स्नेहा |
हम आपका सपरिवार सादर स्वागत करते हैं । आपके समय और सहयोग के लिए हम हार्दिक आभारी रहेंगे ।
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गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | डॉ. प्रवीण शुक्ल
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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यह राजनीति कुछ समझ नहीं आई।
भारष्टाचार, बईमानी के विरुद्ध बड़े जोश के साथ अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में आंदोलन हुआ और एक नए संगठन का जन्म हुआ, जिसका लक्ष्य एक ईमानदार और स्वच्छ गठबंधन करके देशहित के लिए कार्य करना था पदलोलुप की इच्छा न रखते हुए इसमें स्वेच्छा से कई लोग शामिल हुए।
किंतु धीरे धीरे यह सक्रिय राजनीति में परिवर्तित हो गया। केजरीवाल जिन्होंने अपनी छवि कट्टर ईमानदार बताते हुए जनता को झूठे प्रलोभन देकर बड़े-बड़े वादे करके दिल्ली के मुख्य मंत्री बन गए।
केजरीवाल जो की महिला सशक्तिकरण के हिमायती तथा महिलाओं को न्याय दिलाने के पक्ष में थे उन्हीं के आवास में उनके ही इशारों पर उनके सेक्रेटरी विभव ने स्वाति मालीवाल को लातो और घूसों से पिटवाया।
भारत के स्वतंत्रता के इतिहास में यह कांड काले पन्नो में लिखा जायेगा। स्वाति मालीवाल जो की स्वयं इतने सशक्त पद पर कार्य कर चुकी हैं तथा राज्य सभा की सदस्य हैं उनसे इतना शर्मनाक और क्रूर व्यवहार हुआ तो साधारण लोग क्या ही आशा करेंगे?
इस कृत्य की जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है। केजरीवाल जो की अपने आप को सत्यता और न्याय की मूर्ति बताते हैं उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी, इससे तो यही साबित होता है कि इनके इशारों पर ही सारा कार्य हो रहा था, जो कि बेहद शर्मनाक तथा निंदनीय है।
जय हिंद
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नीति आयोग के कार्यों से अवगत हुए प्रशिक्षु IAS
रायपुर। राज्य नीति आयोग के सभा कक्ष में 11 मई को भारतीय प्रशासनिक सेवा वर्ष 2022 के प्रशिक्षु अधिकारियों को आयोग के कार्यों की जानकारी दी गई। आयोग के उपाध्यक्ष श्री अजय सिंह एवं सदस्य सचिव अनूप श्रीवास्तव तथा संयुक्त संचालक डॉ नीतू गौरडिया द्वारा अधिकारियों को आयोग की पृष्ठभूमि, आयोग को सौंप गए दायित्व, आयोग की संरचना, प्रमुख उपलब्धियां, सतत विकास लक्ष्य एवं उसका क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी दी…
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 06 April 2024
Time 18.10 to 18.20
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक – ०६ एप्रिल २०२४ सायंकाळी ६.१०
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लोकसभा निवडणुकीच्या पहिल्या टप्प्याच्या प्रचाराला वेग, स्टार प्रचारकांच्या ठिकठिकाणी जाहीर सभा
छत्तीसगडच्या विजापूर जिल्ह्यात सुरक्षा दलांसोबत झालेल्या चकमकीत तीन नक्षलवादी ठार
मतदान केलेल्या नागरिकांना दोन दिवस तपासणी शुल्कात सूट देण्याचा इंडीयन मेडिकल असोसिएशनच्या परभणी शाखेचा निर्णय
आणि
धाराशिव जिल्ह्यातल्या शासकीय जमिनीची शेतकऱ्यांच्या नावावर खोटी नोंद केलेल्या २४ सेवा केंद्र चालकांवर गुन्हा दाखल
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लोकसभा निवडणुकीच्या पहिल्या टप्प्याच्या प्रचाराला वेग आला आहे. मोठ्या राजकीय पक्षांच्या स्टार प्रचारकांच्या जाहीर सभा ठिकठिकाणी होत आहेत. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी आज सकाळी उत्तरप्रदेशातल्या सहारनपूर इथं, तर दुपारी राजस्थान मधील अजमेर तालुक्यात पुष्कर इथं सभा घेतली. त्यानंतर उत्तरप्रदेशात गाझियाबाद इथं पंतप्रधान रोड शो मध्ये सहभागी झाले होते.
भाजपचे ज्येष्ठ नेते नितीन गडकरी यांनी यवतमाळ जिल्ह्यात पांढरकवडा इथं प्रचार सभा घेतली.
काँग्रेस पक्षाच्या वतीने आज राजस्थानात जयपूर इथं पक्षाच्या जाहीरनाम्याच्या अनुषंगानं मोठी प्रचार सभा घेण्यात आली. त्यामध्ये पक्षाध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे, ज्येष्ठ नेत्या सोनिया गांधी आणि राहुल गांधी सहभागी झाले होते.
दरम्यान, लोकसभा निवडणुकीच्या दुसऱ्या टप्प्यासाठी उमेदवारी अर्ज मागे घेण्याची मुदत परवा आठ तारखेपर्यंत आहे. तर तिसऱ्या टप्प्यांची अधिसूचना येत्या १२ तारखेला जारी होणार आहे.
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काँग्रेस पक्षानं आज आणखी सहा उमेदवारांच्या नावांची घोषणा केली. यात गोवा राज्यातल्या उत्तर गोवा मतदारसंघासाठी रमाकांत खलप, दक्षिण गोवा मतदार संघासाठी कॅप्टन विरीयटो फर्नांडिस यांना, मध्य प्रदेशातल्या मोरेना मतदार संघासाठी सत्यपालसिंग सिकरवार, ग्वाल्हेरसाठी प्रवीण पाठक, तर खंडवा लोकसभेसाठी नरेंद्र पटेल यांना उमेदवारी दिली आहे. दादरा आणि नगर हवेली इथल्या एका जागेसाठी अजीत रामजीभाई महला यांना उमेदवारी देण्यात आली आहे.
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लोकसभा निवडणुकीत रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडियाने महायुतीचं काम न करता तटस्थ राहण्याचा निर्णय घेतला आहे. अहमदनगर इथं आज झालेल्या निर्धार मेळाव्यात हा निर्णय घेण्यात आला. पक्षाचे संपर्क प्रमुख श्रीकांत भालेराव आणि राज्य उपाध्यक्ष विजय वाकचौरे यांच्या प्रमुख उपस्थितीत हा निर्धार मेळावा घेण्यात आला. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडियाने लोकसभेच्या निवडणुकीसाठी महायुतीकडून शिर्डी आणि सोलापूरच्या जागेची मागणी केली होती, ती मान्य होत नसल्या कारणाने पक्ष तटस्थ राहणार असल्याचं याबाबच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
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शिवसेना शिंदे गटाचे कल्याणचे विद्यमान खासदार डॉ. श्रीकांत शिंदे हेच महायुतीचे उमेदवार असतील. महायुतीतील भारतीय जनता पक्षासह सर्व घटक पक्ष त्यांना मताधिक्याने निवडून आणतील, असं भाजपचे नेते आणि राज्याचे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी आज स्पष्ट केलं. भाजपा पक्ष स्थापना दिनानिमित्त नागपुरात आयोजित कार्यक्रमानंतर त्यांनी पत्रकारांशी संवाद साधला. भारतीय जनता पक्ष हा देशातला सर्वाधिक सदस्य असलेला, त्याचप्रमाणे सर्वात जास्त लोकप्रतिनिधी असणारा पक्ष आहे. या पक्षात कधीच फूट पडली नाही, कारण या पक्षाचे कार्यकर्ते आत्मकेंद्रित नाहीत, असं त्यांनी सांगितलं. यावेळी पक्षाचे प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुळे यांच्यासह इतर नेते आणि कार्यकर्ते उपस्थित होते.
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दरम्यान, भाजपच्या ४४व्या स्थापना दिनानिमित्त भाजपाचे ज्येष्ठ नेते आणि पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी पक्ष कार्यकर्त्यांना शुभेच्छा दिल्या आहेत. गेली अनेक वर्ष कठोर परिश्रम, संघर्ष आणि त्यागातून पक्षाची उभारणी केलेल्या कार्यकर्त्यांचे आभार मानत असल्याचं त्यांनी आपल्या संदेशात म्हटलं आहे. राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीचा अविभाज्य घटक असल्याबद्दल भाजपला अभिमान वाटत असून ही भागीदारी आणखी दृढ व्हावी, असं ही त्यांनी म्हटलं आहे. भाजपचे ज्येष्ठ नेते अमित शाह आणि अध्यक्ष जे पी नड्डा यांनीही सर्व कार्यकर्त्यांना शुभेच्छा दिल्या आहेत.
भारतीय जनता पक्षाच्या स्थापना दिनानिमित्त मुंबईच्या दादर इथल्या वसंत स्मृतीच्या ठिकाणी कार्यक्रम घेण्यात आला. तसंच मुंबईत भाजप कार्यालयात अध्यक्ष आमदार आशिष शेलार यांनी ध्वजारोहण केलं.
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श्रोतेहो, राज्यातल्या लोकसभा मतदारसंघातले उमेदवार, निवडणूक लढवण्यामागची त्यांची भूमिका, स्थानिक राजकारण यांचा आढावा घेणारा 'लोकनिर्णय महाराष्ट्राचा' हा कार्यक्रम, आकाशवाणीनं सुरू केला आहे. कार्यक्रमाच्या आजच्या भागात आपण अकोला लोकसभा मतदार संघाचा आढावा घेणार आहोत. संध्याकाळी सव्वा सात ते साडे सात वाजेपर्यंत आकाशवाणी मुंबईच्या अस्मिता वाहिनीवर आणि समाज माध्यमांवर हा कार्यक्रम ऐकता येईल.
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तेलंगणाच्या सीमेला लागून असलेल्या छत्तीसगडच्या विजापूर जिल्ह्यातल्या जंगलात आज सकाळी सुरक्षा दलांसोबत झालेल्या चकमकीत तीन नक्षलवादी ठार झाले. तेलंगणात मुलुगी जिल्ह्यातल्या आंतरराज्य सीमेजवळच्या पुजारी कांकेर जंगलात ही चकमक झाली. पोलिसांनी नक्षलवाद्यांकडून एक एके ४७, एक एलएमजी आणि एक १२-बोअर बंदूक, आदी साहित्य जप्त केलं.
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आम आदमी पक्षाचे नेते आणि दिल्लीचे माजी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया यांच्या कोठडीत १८ एप्रिलपर्यंत वाढ करण्यात आली आहे. त्यांना आज दिल्लीतल्या राऊज ॲव्हेन्यू न्यायालयात हजर करण्यात आलं. दिल्ली उत्पादनशुल्क धोरण घोटाळ्या��्रकरणी विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा यांनी सिसोदिया यांच्या न्यायालयीन कोठडीत वाढ करण्याचे आदेश दिले.
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परभणी जिल्ह्यात मतदानाची टक्केवारी वाढावी यासाठी इंडीयन मेडिकल असोसिएशनच्या परभणी शाखेच्या वतीने मतदान केलेल्या नागरिकांना दोन दिवस तपासणी शुल्कात ३० टक्के सूट देण्यात येणार आहे. डॉक्टर संघाने जिल्हाधिकारी रघुनाथ गावडे यांची भेट घेऊन याबाबतचं पत्र दिल्याची माहिती, जिल्हाध्यक्ष डॉ राजगोपाल कालानी यांनी दिली.
दरम्यान, जिल्ह्यात मतदानाची टक्केवारी वाढवण्यासाठी जास्तीत जास्त नागरिकांनी मतदान करावं, आणि नागरिकांमध्ये जनजागृती करण्यासाठी सामाजिक संघटना आणि संस्थांनी पुढाकार घेण्याचं आवाहन जिल्हाधिकारी गावडे यांनी केलं आहे.
स्वीपच्या अंतर्गत आपण वेगवगळ्या संस्था, संघटना, सामाजिक संस्था यांना बोलवून आवाहन केलं होतं की, २६ तारखेला मतदाना टक्का वाढवण्यासाठी आपणही आपल्या ज्या दैनंदिन सेवा आहेत, त्यामध्ये काहीतरी सूट जाहीर करावी. तात्काळ इंडियन मेडिकल असोसिएशनने त्याला चांगला प्रतिसाद दिला. आणि त्या माध्यमातून त्यांनी असं एक निवेदन आमच्याकडे दिलं की, दिनांक २६ व २७ एप्रिल रोजी जे कोणी नागरिक मतदान केल्याची बोटाची शाई दाखवून आमच्याकडे उपचारासाठी येतील त्यांना तपासणी शुल्कमध्ये ३० टक्के अशी भरघोस सूट देणार आहेत. आणि अजून काही संघटनांनी पुढं येऊन नागरिकांसाठी मतदानासाठी सूट द्यावी, असं मी त्यांना जाहीर आवाहन करतो. धन्यवाद.
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धाराशिव जिल्ह्यातल्या सुमारे दोन हजार ९९४ पूर्णांक ५४ हेक्टर शासकीय जमिनीची शेतकऱ्यांच्या नावावर खोटी नोंद करत, ऑनलाईन सेवा केंद्र चालकांनी शासनाची आणि विमा कंपन्यांची फसवणूक केल्याचं उघड झालं आहे. या प्रकरणी २४ सेवा केंद्र चालकांवर गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे. यात बीड जिल्ह्यातले १६, छत्रपती संभाजीनगर जिल्ह्यातले दोन, परभणी दोन, नांदेड एक, तसंच सोलापूर एक आणि धाराशिव जिल्ह्यातल्या एका सेवा केंद्राचा समावेश आहे. शासकीय जमिनीचे कोणतेही भाडेकरार किंवा संमतीपत्र नसतांना सुमारे एक हजार एकशे सत्तर शेतकऱ्यांच्या नावावर खोट्या नोंदी दाखवत हा पीक विमा या केंद्र चालकांनी भरला होता, असं याबाबतच्या वृत्तात म्हटलं आहे.
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मुलामुलींना शिक्षणाच्या मुळ प्रवाहात आणल्यास समृद्ध राष्ट्र निर्माण होईल, असं बीड जिल्हा विधी सेवा प्राधिकरणाचे सचिव जी. जी. सोनी यांनी म्हटलं आहे. बालविवाह जनजागृती अभियान, जिल्हा विधी सेवा प्राधिकरण आणि विवेकानंद विद्यामंदिर, यांच्या संयुक्त विद्यमाने आज घेण्यात आलेल्या एका कार्यक्रमात ते बोलत होते.
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मुस्लिम धर्मीयांसाठी पवित्र असलेल्या रमजाम महिन्यातील शब-ए-कद्र आज साजरी करण्यात येणार आहे. यानिमित्तानं सर्व मशिदींमध्ये आज रात्रभर नमाज अदा केली जाते. छत्रपती संभाजीनगर शहरातल्या प्रसिद्ध जामा मशिदीत विविध धार्मिक कार्यक्रमांचं आयोजन करण्यात आलेलं आहे, तसंच इतर मशिदींमध्येही प्रार्थना केली जाणार आहे.
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नांदेड इथल्या कवयित्री मीनाक्षी आचमे-चित्तरवाड यांच्या 'इटुकली पिटुकली' बाल कवितासंग्रहाला अखिल भारतीय मराठी प्रकाशक संघाचे दोन पुरस्कार जाहीर झाले आहेत. शिशुसाहित्य या विभागात उत्कृष्ट प्रकाशनासाठीचा प्रथम पुरस्कार, तर उत्कृष्ट मुखपृष्ठ विभागात याच संग्रहाचे मुखपृष्ठ तयार करणारे चित्रकार संतोष घोंगडे यांना पुरस्कार जाहीर करण्यात आला आहे. येत्या २८ एप्रिल रोजी पुणे इथं या पुरस्कारांचं वितरण होणार असल्याची माहिती, इसाप प्रकाशनाचे दत्ता डांगे यांनी दिली.
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बीड जिल्हा शासकीय रुग्णालयाच्या परिसरात आज स्वछता मोहीम राबवण्यात आली. रुग्णालयाच्या सर्व डॉक्टर, परिचारिका, कर्मचारी आणि विद्यार्थांनी या मोहिमेत सहभाग घेतला. यावेळी जिल्हा शल्यचिकित्सक डॉ. अशोक बडे, डॉ. लक्ष्मण तांदळे उपस्थित होते.
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भारत आणि ऑस्ट्रेलियाच्या हॉकी संघादरम्यानच्या पाच सामन्यांच्या मालिकेतल्या आज झालेल्या पहिल्या सामन्यात ऑस्ट्रेलियानं भारताचा पाच - एक असा पराभव केला. मालिकेतला दुसरा सामना उद्या होणार आहे.
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आयपीएल क्रिकेट स्पर्धेत आज जयपूर इथं राजस्थान रॉयल्स आणि रॉयल्स चॅलेंजर्स बंगळुरू यांच्यात सामना होणार आहे. सायंकाळी साडे सात वाजता सामन्याला सुरुवात होईल.
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वैक्टेश्वरा एवं जीनत हैण्डीक्राफ्ट एवं मिनिस्ट्री ऑफ आई.टी., आसाम सरकार के संयुक्त तत्वाधान में विदेशी राजनयिकों (राजदूत / हाईकमिशनर्स / चीफ काउन्सलर्स) के सम्मान में "साझा शैक्षणिक अनुबंधों" एवं "शानदार होली मिलन समारोह" का शानदार आयोजन।
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दिल्ली के पाँच सितारा होटल अशोका में यू.के.. यू.एस.. फिलिस्तीन, ब्राजील, रूस, कनाडा, ऑस्ट्रिया,
जिम्बॉम्बे, केन्या एवं दुबई समेत चार दर्जन से अधिक देशों के राजदूत, हाईकमिशनर्स एवं विभिन्न दूतावासों
के चीफ काउन्सलर्स के साथ बनी "साझा शैक्षणिक सहमति" एवं सभी को विश्वविद्यालय परिवार की ओर से
होली पर "स्मृति चिह्न" भेंट कर किया गया सम्मानित।
राज्य सभा एम.पी. एवं स्वास्थ्य मंत्रालय की स्टैन्डिग कमैटी के चेयरमैन श्री भुवनेश्वर कलीता ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में की शिरकत ।
होली सिर्फ रंगों का ही नहीं, बल्कि जीवन में उमंग, उल्लास प्रेम, सौहर्द एवं राष्ट्रीय एकता का प्रतीक डॉ. सुधीर गिरि, संस्थापक अध्यक्ष वेंक्टेश्वरा समूह।
भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को एक सूत्र में पिरोने वाली, होली सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि समरसता एवं उल्लास के साथ जीवन जीने की कला श्री भुवनेश्वर कलीता, संसद सदस्य एवं चेयरमैन स्टैन्डिंग कमेटी स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार।
समूह चेयरमैन डॉ. सुधीर गिरि के प्रतिनिधि के रूप में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी एवं जेड.एच. के निदेशक कासिफ ने सभी राजनयिकों को शॉल, पटका एवं स्मृति चिह्न भेंटकर किया सम्मानित ।
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