#राजस्थान सरकार का गठन
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hardinnews0207 · 1 year ago
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Rajasthan's Evolving Geopolitical Landscape: A Look at the State's New Map
परिचय
क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जीवंत परंपराओं और विविध भूगोल के लिए जाना जाता है। यह राजसी राज्य पूरे इतिहास में कई साम्राज्यों और राजवंशों का उद्गम स्थल रहा है, जो अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गया है जो इसकी पहचान को आकार देती रहती है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान की भौगोलिक सीमाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे गए हैं, और हाल के दिनों में, एक नया मानचित्र सामने आया है, जो राज्य के भू-राजनीतिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करता है। इस लेख में, हम राजस्थान के विकसित होते मानचित्र और इन परिवर्तनों में योगदान देने वाले कारकों का पता लगाएंगे।
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ऐतिहासिक सीमाएँ
नए मानचित्र पर गौर करने से पहले राजस्थान की ऐतिहासिक सीमाओं को समझना जरूरी है। राज्य का भूगोल हमेशा वैसा नहीं रहा जैसा हम आज जानते हैं। राजस्थान का इतिहास विभिन्न राजवंशों के उत्थान और पतन के कारण क्षेत्रीय विस्तार और संकुचन के उदाहरणों से भरा पड़ा है। राजस्थान के क्षेत्र ने राजपूत वंशों, मुगलों, मराठों और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिनमें से प्रत्येक ने राज्य की सीमाओं पर अपनी छाप छोड़ी है।
आधुनिक राजस्थान का निर्माण
आधुनिक राजस्थान राज्य, जैसा कि हम आज इसे पहचानते हैं, का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था, जब राजस्थान की रियासतें एक एकीकृत इकाई बनाने के लिए एक साथ आईं। इस एकीकरण से पहले, राजस्थान रियासतों का एक समूह था, जिनमें से प्रत्येक का अपना शासक और प्रशासन था। इन रियासतों के एकीकरण ने राजस्थान के लिए एक नए युग की शुरुआत की, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को एक बैनर के नीचे एक साथ लाया गया।
राजस्थान का नया मानचित्र
हाल के वर्षों में, राजस्थान के मानचित्र में ऐसे परिवर्तन देखे गए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का ध्यान आकर्षित किया है। ये परिवर्तन मुख्य रूप से प्रशासनिक सीमाओं के पुनर्गठन और नए जिलों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यहां कुछ उल्लेखनीय विकास हैं:
नये जिलों का निर्माण: राजस्थान के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव नए जिलों का निर्माण है। राज्य सरकार ने प्रशासनिक दक्षता में सुधार और शासन को लोगों के करीब लाने के लिए यह पहल की है। उदाहरण के लिए, 2018 में, राज्य सरकार ने सात नए जिलों, अर्थात् प्रतापगढ़, चूरू, सीकर, झुंझुनू, उदयपुरवाटी, दौसा और नागौर के निर्माण की घोषणा की। इन परिवर्तनों का उद्देश्य नागरिकों को बेहतर प्रशासन और सेवा वितरण करना था।
सीमा विवाद: राजस्थान की सीमाएँ गुजरात, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई पड़ोसी राज्यों के साथ लगती हैं। सीमा विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जो अक्सर क्षेत्र और संसाधनों पर विवादों का कारण बनता है। इन विवादों के परिणामस्वरूप कभी-कभी राजस्थान के मानचित्र में परिवर्तन होता है क्योंकि संघर्षों को हल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों को फिर से तैयार किया जाता है। ऐसे विवादों के समाधान में अक्सर राज्य सरकारों और केंद्रीय अधिकारियों के बीच बातची�� शामिल होती है।
बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं राजस्थान के मानचित्र को भी प्रभावित कर सकती हैं। नई सड़कों, राजमार्गों और रेलवे का निर्माण राज्य के भीतर विभिन्न क्षेत्रों की पहुंच और कनेक्टिविटी को बदल सकता है। ऐसी परियोजनाओं से भौगोलिक सीमाओं की धारणा में बदलाव के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में आर्थिक विकास भी हो सकता है।
शहरीकरण: राजस्थान में हाल के वर्षों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। जैसे-जैसे शहरों और कस्बों का विस्तार होता है, उनकी सीमाएँ अक्सर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को घेरती हुई बढ़ती हैं। इस शहरी फैलाव के परिणामस्वरूप जिलों और नगरपालिका क्षेत्रों की प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव हो सकता है, जो राज्य के मानचित्र में परिलक्षित हो सकता है।
प्रभाव और निहितार्थ
राजस्थान के मानचित्र में बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं। सकारात्मक पक्ष पर, नए जिलों के निर्माण और प्रशासनिक सुधारों से अधिक प्रभावी शासन, बेहतर सेवा वितरण और बेहतर स्थानीय विकास हो सकता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों के बेहतर प्रतिनिधित्व और भागीदारी को भी सुविधाजनक बना सकता है।
हालाँकि, इन परिवर्तनों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। सीमा विवाद कभी-कभी पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव का कारण बन सकते हैं और ऐसे विवादों के समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों और बातचीत की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, जबकि शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक अवसर ला सकता है, वे पर्यावरण संरक्षण, भूमि उपयोग और संसाधन प्रबंधन से संबंधित चुनौतियां भी पैदा करते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान का नया नक्शा इसके भू-राजनीतिक परिदृश्य की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है। राज्य में क्षेत्रीय परिवर्तनों का एक समृद्ध इतिहास है, और इसकी सीमाएँ ऐतिहासिक, प्रशासनिक और विकासात्मक कारकों के कारण समय के साथ विकसित हुई हैं। हालाँकि इन परिवर्तनों का शासन, सीमा विवाद और शहरीकरण पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन ये बेहतर प्रशासन और विकास के अवसर भी प्रदान करते हैं।
जैसे-जैसे राजस्थान का विकास और विकास जारी है, नीति निर्माताओं, प्रशासकों और नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन परिवर्तनों के निहितार्थों पर विचार करें और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें।
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dainiksamachar · 3 months ago
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बाढ़ से ग्रस्त आंध्र प्रदेश, तेलंगाना को केंद्र ने दिया भरोसा, जानें क्या बोले गृहमंत्री अमित शाह
नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों से बात की और दोनों राज्यों में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बारिश तथा बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र की तरफ से से हरसंभ�� मदद का आश्वासन दिया केंद्र सरकार के अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्र���लय बाढ़ प्रभावित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में है। साथ ही राज्यों में नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय टीम तैनात की जाएंगी इस संबंध में गृह मंत्रालय ने गुजरात में बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की। केंद्र सरकार ने भेजी टीम केंद्र सरकार ने गुजरात में बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय दल (आईएमसीटी) का गठन किया है। यह दल राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के कार्यकारी निदेशक के नेतृत्व में गुजरात के बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा करेगी। इस साल आईएमसीटी ने असम, केरल, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे बाढ़ या लैंडस्लाइड प्रभावित राज्यों का दौरा किया। 25 से 30 अगस्त के बीच, राजस्थान और गुजरात के ऊपर बने गहरे दबाव के कारण गुजरात बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ। गुजरात के अलावा, हिमाचल प्रदेश भी भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन से प्रभावित हुआ है। आंध्र प्रदेश में जारी है भारी बारिश आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री वंगलापुड़ी अनिता ने रविवार को बताया कि राज्य में पिछले दो दिनों में मूसलाधार बारिश के कारण पांच जिलों के 294 गांवों से 13,227 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा के तटों पर बना अवदाब रविवार तड़के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़कर कलिंगपट्टनम के पास दक्षिणी राज्य के तट को पार कर गया। इसी के कारण राज्य में पिछले दो दिनों से भारी बारिश हो रही थी। तेलंगाना में भारी बारिश के कई ट्रेनें रद्द तेलंगाना में हैदराबाद सहित राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश जारी है। राज्य में भारी बारिश के बाद कुछ जिलों में छोटी नदियां उफान पर हैं और बाढ़ के पानी के कारण गांवों का सड़क संपर्क बाधित हो गया। हैदराबाद में भी भारी बारिश हुई और रातभर बारिश जारी रहने के कारण राजधानी के कई हिस्सों में जलभराव हो गया। भारी बारिश और कई स्थानों पर पटरियों पर जलभराव के कारण कई ट्रेन या तो रद्द कर दी गई हैं या आंशिक रूप से रद्द कर दी गई हैं। वहीं, कुछ ट्रेन के मार्ग में भी परिवर्तन किया गया है। रेलवे अधिकारियों ने रविवार को बताया कि विजयवाड़ा-काजीपेट मार्ग पर लगभग 24 ट्रेनों को रोका गया है। ट्रैक पर काफी मात्रा में जलभराव हो गया है। वहीं, विजयवाड़ा मंडल में 30 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। दक्षिण मध्य रेलवे ने कहा कि आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के कारण एहतियात के तौर पर कई ट्रेनों को डायवर्ट और रद्द किया जा रहा है। गुजरात में भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित गुजरात में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति ने जीवन को काफी प्रभावित कर दिया है, और केंद्र सरकार द्वारा आश्वासन मिलने से राहत कार्यों की दिशा में ��हत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में बाढ़ के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए पीड़ितों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। पीएम मोदी ने नागरिकों के जीवन और पशुधन की सुरक्षा पर मार्गदर्शन भी किया। साथ ही, गुजरात को केंद्र सरकार की ओर से सभी आवश्यक समर्थन और सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया गया। http://dlvr.it/TCgMnC
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bikanerlive · 4 months ago
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एसपीएमसी : एंटी रैगिंग कमेटी सहित कुल 8 समितियों का हुआ गठन*
*रैगिंग करने वाले विद्यार्थियों के खिलाफ कॉलेज प्रशासन उठाएगा सख्त कदम**बीकानेर, 24 जुलाई।* सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. गुंजन सोनी ने नव प्रवेशित विद्यार्थियों की सुविधा एवं सुरक्षा को मध्यनजर रखते हुए एंटी रैगिंग कमेटी सहित कुल 8 समितियो का गठन किया है। इन समितियों का गठन  सर्वोच्च न्यायालय, एन.एम.सी. नई दिल्ली. राज्य सरकार एवं राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय,…
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rajasthan-serv · 7 months ago
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पेपर लीक
पेपर लीक के दानव को भजन लाल सरकार ने किया बेअसर
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मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने पेपर लीक रोकथाम हेतु SIT की गठित, मिस्टर सीएम भजनलाल सर के साथ पुलिस अधिकारियों का फोटो
राजस्थान में पेपर लीक पिछली सरकार के समय एक गंभीर समस्या बन गया था। पिछले पिछले 10 सालों की बात करें तो आरएएस, एलडीसी, कांस्टेबल सहित कई भर्तियों में या तो पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द की गई या फिर सवालों में गफलत के चलते परीक्षाएं निरस्त हो गईं। कुछ वर्षों में राजस्थान में रीट परीक्षा 2022, पटवारी परीक्षा 2023, राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2023 जैसी 17 सरकारी परीक्षाओं के पेपर एक के बाद एक लीक हुए, जिनसे न सिर्फ शिक्षा प्रणाली कमजोर हुई बल्कि सरकारी सिस्टम से छात्रों का विश्वास भी डगमगाया। पेपर लीक होने से परीक्षा की विश्वसनीयता कम हुई, युवाओं ने परीक्षा के परिणामों पर भरोसा करना बंद कर दिया, उन्हें लगने लगा कि यह निष्पक्ष नहीं हैं। इन त्रास्द हालातों ने कड़ी मेहनत कर प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले छात्रों में मानसिक तनाव भर दिया। उनका मनोबल गिरा, उनका खुद से आत्मविश्वास उठ गया। कई महीनों तक पेपर लीक की घटना को लेकर छात्रों ने शहीद स्मारक पर धरना दिया लेकिन पूर्ववर्ती सरकार टाल मटोल वाला रुख अपनाए रही। परन्तु मिस्टर सीएम भजनलाल सर ने सत्ता में आते ही इसे सीरियस मैटर मानते हुए इस पर 5D फोकस के साथ निर्णय लिए और SIT गठित की।
सरकार बनते ही पेपर लीक पर लिए अहम निर्णय
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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शपथ ग्रहण की और अगले ही दिन SIT लागू की
इस बीच, राज्य में पेपर लीक के मामलों ने सियासत को गरमा दिया। बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार को घेरती रही पेपर लीक की जांच एसआईटी को सौंपने की मांग करती रही। उसने छात्रों की मांग उठाने के लिए कई आंदोलन किए, विधानसभा का घेराव किया, यहां तक की बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं ने गिरफ्तारियां दी और लाठियां खाईं। मगर कांग्रेस सरकार के सिर जूं तक ना रेंगी। आनन फानन में पेपर लीक पर कानून तो बना दिया गया लेकिन इस अपराध को अंजाम देने वालों जांच कराने में कांग्रेस की गहलोत सरकार का रवैया बेहद लचर रहा। पेपर लीक में अपने मंत्री और सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता की आशंका के चलते कांग्रेस ��े मामले पर कड़ा एक्शन लेना ज़रूरी ही नहीं समझा। परन्तु सीएम भजनलाल सर ने पेपर लीक को महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हुए इसके सम्बन्ध में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। शपथ ग्रहण के अगले ही दिन से SIT पर कार्य शुरू हो चुका था।
अपना वादा निभाने की दिशा में बढ़ाए कदम
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की
विधानसभा 2023 के चुनाव बाद जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसने छात्रों से किया पेपर लीक रोकने का अपना वादा निभाने की दिशा में कदम बढ़ाए। पेपर लीक प्रकरणों के विरुद्ध प्रभावी कदम उनके 5D फोकस मॉडल के प्रमुख कार्यों में से एक है। बीजेपी से मुख्यमंत्री चुने गए भजनलाल शर्मा ने सरकार फार्म होते ही सबसे पहले जो निर्णय राजस्थान की जनता के लिए किये उनमें पेपर लीक रोकने के लिए एसआईटी के गठन का फैसला सबसे ऊपर था। मिस्टर सीएम भजनलाल ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर पेपर लीक की जांच सीबीआई से भी कराई जाएगी। इतना ही नहीं भजन सरकार ने पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कसने के साथ ही उनके घरों पर बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया। इस बेहद गंभीर मामले पर सख्ती दिखाते हुए आजादी के 75 वर्ष बाद पहली बार मोदी सरकार ने सदन में पब्लिक एग्जामिनेशन बिल पास कराया। इससे पहले पेपर लीक जैसे अपराध पर कभी देश के भविष्य को नुकसान पहुंचाने वालों को सजा देने के लिए कानून बनाने की किसी ने नहीं सोची थी।
पहली ही शुरुआत में दो सफल परीक्षाओं का संचालन
पेपर लीक रोकथाम हेतु मिस्टर सीएम सर के प्रयासों की हुई सराहना और जनता ने व्यक्त किया आभार
भजन सरकार पेपर लीक को खत्म करने के लिए कितनी गंभीर है इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार बनने के पहले ही महीने में आयोजित सहायक आचार्य शारीरिक शिक्षक और लाइब्रेरियन की भर्ती परीक्षा बिना पेपर लीक के संपन्न हुईं। इससे पहले भर्ती परीक्षा के सफल आयोजन को लेकर सीएम सर पर खासा दबाव था लेकिन जिस तरह से उन्होंने इतने कम समय में 5D फोकस के साथ सरकारी सिस्टम के पेंच कसे और परीक्षा में लापरवाही के खिलाफ सख्ती दिखाई वह उनका बेहद सराहनीय प्रयास था। परीक्षा के पहले केंद्रों की सुरक्षा से लेकर परीक्षा प्रणाली में सुधार और पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उन्होंने न सिर्फ युवाओं के सामने बल्कि राजनीतिक दलों के सामने भी अपनी प्रतिबद्धता और निष्पक्ष अप्रोच का लोहा मनवाया।
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anuj1985 · 9 months ago
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Rajasthan Ldc recruitment
Rajasthan Ldc recruitment 2024 की अपडेट और Rajasthan LDC syllabus 2024 का सभी अपडेट Hindi News Bizz पर !!
राजस्थान में नौकरी खोजने वालों के लिए रोमांचक खबर! Rajasthan Ldc recruitment 2024 शुरू हो चुकी है, और Hindi News Bizz आपके लिए नवीनतम अपडेट का आख़िरी मंज़िल है। भर्ती प्रक्रिया के बारे में सूचित रहें, महत्वपूर्ण तिथियों, पात्रता मानदंड, और आवेदन प्रक्रियाओं के बारे में सूचित रहें और प्रतिस्पर्धा के साथ कदम रखें।
लेकिन यही नहीं - हम Rajasthan LDC Syllabus 2024 के विस्तृत अन्वेषण के साथ आपक�� कवर किया है। हम आपको पाठ्यक्रम का व्यापक अवलोकन प्रदान करते हैं, जिसमें विषय, विषय, और परीक्षा पैटर्न शामिल हैं। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आपके पास Rajasthan LDC Syllabus 2024 परीक्षा में शानदार प्रदर्शन के लिए सभी उपकरण हों।
राजस्थान सरकार क्षेत्र में शामिल होने का यह सुनहरा अवसर न छूने। Hindi News Bizz पर भर्ती अधिसूचनाओं से लेकर पाठ्यक्रम के विवरणों तक, हर कदम पर आपको अपडेट किया जाएगा। हमारी समय पर और सटीक जानकारी के साथ, आप सार्वजनिक सेवा क्षेत्र में एक सफल करियर की ओर अपने यात्रा पर उत्साहित हो सकते हैं। नवीनतम Rajasthan Ldc recruitment 2024 की अपडेट और पाठ्यक्रम विवरणों के लिए बने रहें, Hindi News Bizz पर विशेष रूप से!"
Rajasthan LDC syllabus 2024
अगर आप राजस्थान लोअर डिवीज़न क्लर्क का एग्जाम देने की सोच रहे है तो आपको Rajasthan LDC syllabus 2024 के सिलेबस के बारे में जानकारी होना बेहद जरुरी है| अगर आपको सिलेबस के बारे में सही जानकारी नहीं होगी तो आप कभी एग्जाम की सही से तैयारी नहीं कर सकते है| काफी सारे छात्र सिलेबस के बारे में अधूरी जानकारी करके एग्जाम की तैयारी करने लगते है|
सिलेबस की अधूरी जानकारी होने की वजह से उनका सेलेक्शन नहीं हो पाता है| अगर आपको सिलेबस के बारे में जानकारी नहीं है तो परेशां ना हो नीचे हम आपको सिलेबस के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है| लेकिन हम आपको सलाह देंगे की Rajasthan LDC syllabus की सही और सटीक जानकारी के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट जरूर करें| क्योंकि कई बार सिलेबस में काफी बदलाव देखने को मिलते है| नीचे हम आपको सिलेबस के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे है
सामान्य हिंदी:
हिंदी व्याकरण, शब्दावली, पर्यायवाची, विलोम, अनेकार्थक शब्द, वाक्य गठन, मुहावरे और लोकोक्तियाँ।
सामान्य अंग्रेजी:
अंग्रेजी व्याकरण, शब्दावली, वाक्य गठन, पार्ट्स ऑफ स्पीच, अनेकार्थी शब्द, मुहावरे और लोकोक्तियाँ।
सामान्य ज्ञान:
इतिहास, भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भारतीय संविधान, राजस्थान का इतिहास, राजस्थान की संस्कृति आदि।
राजस्थान अध्ययन:
राजस्थान का इतिहास, भूगोल, संस्कृति, राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाजिक विविधता आदि।
कंप्यूटर ज्ञान:
कंप्यूटर के मूल सिद्धांत, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, इंटरनेट, डाटा एंट्री, कंप्यूटर नेटवर्किंग आदि।
मानसिक योग्यता और लोक सेवा आदेश:
राजस्थान सामान्य योग्यता और लोक सेवा आदेश, जैसे कि कार्यालयी अनुशासन, लोक सेवा आयोग, कैनवेंसन आदि।
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mycitydilse · 11 months ago
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राजस्थान में पेपर लीक मामले में ED ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया, सरकार ने एसआईटी का गठन किया - https://mycitydilse.com/ED-arrested-5-accused-in-paper-leak-case-in-Rajasthan,-government-formed-SIT 📌📰 NEWS शेयर जरूर करें ✍🏻 व्हाट्सएप से जुड़��... https://whatsapp.com/channel/0029Va4cMAQ65yDGYqZyug1l
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realtimesmedia · 1 year ago
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छत्तीसगढ़ में नए साल में ही मिलेगी मंत्रियों काे कुर्सी 
रायपुर. छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार ताे बन गई है। लेकिन जहां तक मंत्रियाें का सवाल है ताे इनकाे अभी अपनी कुर्सी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा, ऐसा मना जा रहा है कि नए साल से पहले मंत्रिमंडल क�� गठन संभव नहीं हाेगा। इसी के साथ एक बड़ी बात यह भी है कि ज्यादातर मंत्रियाें के चेहरे भी नए हाेने वाले हैं। भाजपा ने जिस तरह से चौकाने वाले फैसले किए हैं और छत्तीसगढ़, मप्र और राजस्थान में नए चेहरों को…
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bhimsenachief · 1 year ago
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जयपुर में श्री राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की दिनदहाड़े घर में घुसकर ह*त्या बेहद दुखद है। यह राजपूत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। राजस्थान में लगातार जंगलराज चल रहा है। नई सरकार के चयन के बाद सरकार गठन और मुख्यमंत्री के चयन से पहले इस तरह की घटना बहुत ही चिंताजनक है। क्या यह राजस्थान में भयावह जंगलराज की शुरुआत है। प्रदेश की राजधानी जयपुर में इस तरह की दर्दनाक घटना चरमरा रही बेलगाम कानून व्यवस्था की पोल खोलती है। हम कड़े शब्दों में इस घटना की निंदा करते है और सरकार से मांग करते हैं कि अविलम्ब आरोपियों को गिरफ्तार करके सख्त सजा सुनिश्चित की जाए। इस दुःख की घड़ी में भीम सेन�� दिवंगत सुखदेव सिंह के परिवार के साथ है। भीम सेना और करणी सेना के विचारों में बेशक भिन्नता हो सकती है लेकिन हम अंबेडकरवादी हैं और हिंसा का पुरजोर विरोध करते हैं। अतः न्याय के लिए संघर्ष में भी भीम सेना राजपूत समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी ��ै।
नवाब सतपाल तंवर
Nawab Satpal Tanwar
भीम सेना चीफ
#BhimSenaChief #NawabSatpalTanwar #BhimSena #JaiBhim #AkhilBhartiyaBhimSena
#SukhdevSinghGogaMedi #KarniSena #JaipurNews #RajasthanNews
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nbs-hindi-news · 1 year ago
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कोटा में बढ़ते सुसाइड से चिंतित सरकार, पेरेंट्स कैसे हों सजग, एक्सपर्ट के सुझाव
कोटा में बढ़ते सुसाइड से चिंतित सरकार, पेरेंट्स कैसे हों सजग, एक्सपर्ट के सुझाव
कोटा में बढ़ते आत्महत्या के मामलों के चलते राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 24 अगस्त को एक हाई लेवल ��मेटी का गठन किया। कमेटी में कोचिंग संचालक, छात्र, अभिभावक, मनोचिकित्सक, चाइल्ड साइकॉलजिस्ट, हॉस्टल और पीजी के संचालक सभी शामिल थे। कोटा में बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं की गंभीरता का आंकलन इसी तथ्य से किया जा सकता है कि कमेटी ने दिन-रात काम करके एक महीने के रिकॉर्ड समय में अपनी रिपोर्ट पेश…
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ashokgehlotofficial · 1 year ago
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स्वतंत्रता दिवस के मौके को और यादगार बनाने के लिए आज प्रदेशवासियों के हित में निम्न फैसले किए हैं-
➡️ जयपुर की पहचान रहे रामगढ़ बांध को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के तहत ईसरदा बांध से भरा जाएगा. इस पर 1250 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे जिससे आंधी, जमवारामगढ़, आमेर, जालसू, गोविन्दगढ़, शाहपुरा, विराटनगर, पावटा, कोटपूतली, थानागाजी एवं बानसूर ब्लॉक्स हेतु पेयजल योजना बनाई जा सकेगी.
➡️ 13 जिलों की महत्वपूर्ण पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाई गई DPR में 26 बांध शामिल किए गए थे. ERCP की इस DPR में कई बांध वंचित रह गए थे. अब दौसा, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर एवं अलवर जिले के 53 बांधों को ERCP से जोड़कर उन्हें भरा जाएगा. इससे ERCP की परियोजना लागत 1665 करोड़ रुपये बढ़ जाएगी और 13 विधानसभा क्षेत्रों के 11 लाख किसान लाभान्वित होंगे.
➡️ वर्तमान में लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) में भारत सरकार द्वारा अधिकतम लाभार्थियों की सीमा निश्चित की हुई है जिससे कई जरूरतमंद परिवार NFSA के लाभों से वंचित रह जाते हैं. कोविड के दौरान राज्य सरकार ने निराश्रित परिवारों का सर्वे करवाया था और करीब 33 लाख NFSA एवं नॉन-NFSA परिवारों को 5500 रुपये की आर्थिक सहायता दी. NFSA परिवारों के साथ-साथ जिन नॉन-NFSA परिवारों को कोविड में आर्थिक सहायता दी गई थी, उन्हें भी आज से शुरू हो रही अन्नपूर्णा राशन किट योजना में निशुल्क राशन किट उपलब्ध करवाई जाएगी.
➡️ राज्य में वर्तमान चिरंजीवी जीवन रक्षक योजना चल रही है जिसके माध्य�� से सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाने वालों को 5000 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है. इस योजना से सैकड़ों लोगों की जान बचाई गई है. अब इस योजना में सम्मान राशि को बढ़ाकर 10,000 रुपये की जाएगी एवं कानून व्यवस्था की समस्या उतपन्न होने पर पुलिस की सहायता करने वाले लोगों के लिए भी इस तरह की योजना लाई जाएगी.
➡️ प्रदेश में महिला सशक्तिकरण एवं डिजिटल डिवाइड कम करने के उद्देश्य से इन्दिरा गांधी स्मार्टफोन योजना के तहत पहले चरण में 40 लाख बालिकाओं व महिलाओं क�� स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं. इस योजना को लेकर महिलाओं में बड़ा उत्साह है. इस योजना के अगले चरण में बजट घोषणा के मुताबिक करीब 1 करोड़ और महिलाओं को स्मार्टफोन दिए जाएंगे.जिसकी गारंटी के लिए 20 अगस्त से गारंटी कार्ड दिए जाएंगे जिनको दिखाकर अगले चरण में वो अपना स्मार्टफोन निशुल्क ले सकेंगी.
➡️ कांस्टेबल से लेकर पुलिस महानिदेशक स्तर तक सभी पुलिसकर्मियों को राजस्थान पुलिस के गठन के 75 वर्ष पूर्ण होने का विशेष “राजस्थान पुलिस पंचसती मेडल“ दिया जाएगा.
➡️ पुलिस विभाग में कांस्टेबल से लेकर निरीक्षक तक के पदों पर पदोन्नति की व्यवस्था वर्तमान में परीक्षा के माध्यम से पूरी की जाती है. अब इस व्यवस्था में बदलाव कर कांस्टेबल से लेकर पुलिस निरीक्षक पद तक की पदोन्नति भी समयबद्ध डीपीसी के माध्यम से की जाएगी.
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dainiksamachar · 4 months ago
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एससी कोटा में कोटा : पंजाब सरकार ने की थी शुरुआत, पढ़िए दशकों चली कानूनी लड़ाई का A टु Z
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अनुसूचित जाति (SC) में कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी दे दी। संविधान पीठ ने 7-1 के बहुमत से फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने इस तरह ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में 2004 के अपने ही फैसले को पलट दिया। तब उसने अनुसूचित जातियों के भीतर कुछ उप-जातियों को विशेष लाभ देने से इनकार कर दिया था। लेकिन अब गुरुवार को सुनाए फैसले के बाद एससी कोटे के भीतर सब कैटिगरी बनाई जा सकती है। कोटे में कोटा की ये कानूनी लड़ाई कब शुरू हुई? कब-कब अहम पड़ाव आए? आइए समझते हैं। 1975 में पंजाब सरकार के लिए गए एक फैसले से पड़ा बीज कोटे के भीतर कोटे के मुद्दे की बुनियाद आज से 49 साल पहले पंजाब सरकार के एक फैसले से पड़ी। राज्य सरकार ने 25 प्रतिशत एससी कोटा को दो श्रेणियों में बांट दिया था। पहला- बाल्मिकी और मजहबी सिखों के लिए और दूसरा- अन्य अनुसूचित जातियों के लिए। ये बंटवारा ईवी चिन्नैया मामले में 2004 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक जारी रहा। तब पांच जजों की बेंच ने आंध्र प्रदेश शेड्यूल्ड कास्ट (रैशनलाइजेशन ऑफ रिजर्वेशंस) ऐक्ट, 2000 को रद्द कर दिया था। 60 के दशक से ही उठने लगी थी मांग सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जातियों के को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस बहस का केंद्र है, अनुसूचित जाति में भी उस समूह को आरक्षण का लाभ कैसे मिले जो बहुत ही ज्यादा पीछे रह गए हैं। दरअसल, 1960 के दशक से ही पिछड़े अनुसूचित जनजाति समूहों की शिकायत रही है कि आगे बढ़ चुके SC वर्ग आरक्षण का सारा लाभ हथिया लेते हैं।इस मुद्दे पर सबसे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने साल 2000 में एक कानून बनाया था। इस कानून के तहत, SC वर्ग को चार समूहों में बांटा गया था। साथ ही, आरक्षण में इन चारों समूहों की हिस्सेदारी भी तय की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ईवी चिन्नैया मामले में इस कानून को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि अनुसूचित जाति एक समरूप समूह है और इसे उप-श्रेणियों में नहीं बांटा जा सकता। अलग-अलग राज्यों ने अलग-अलग समय पर बनाए आयोग इसके बावजूद, कई राज्यों ने अपने यहां पिछड़े अनुसूचित जाति समूहों को आरक्षण का लाभ पहुंचाने के लिए समय-समय पर आयोगों का गठन किया और कानून भी बनाए।आरक्षण के भीतर आरक्षण की मांग कोई नई नहीं है। अलग-अलग राज्यों में गठित आयोगों की रिपोर्ट बताती हैं कि आरक्षण का लाभ SC वर्ग के सभी समुदायों तक समान रूप से नहीं पहुंच पाया है।आंध्र प्रदेश ने 1997 में जस्टिस पी. रामचंद्र राजू आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आरक्षण का लाभ मुख्य रूप से SC वर्ग के एक खास समुदाय को मिला है। आयोग ने SC वर्ग को चार श्रेणियों में विभाजित करने की सिफारिश की थी।इसी तरह, उत्तर प्रदेश में 2001 में हुकुम सिंह समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने पाया कि आरक्षण का लाभ सबसे पिछड़े वर्गों तक नहीं पहुंच पाया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नौकरियों में सबसे ज्यादा फायदा यादवों को हुआ है। समिति ने SC/OBC सूची का उप-वर्गीकरण करने की सिफारिश की थी।महाराष्ट्र में 2003 में लाहुजी साल्वे आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग को SC सूची में शामिल मांग जाति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने का काम सौंपा गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जाति पदानुक्रम में सबसे निचले पायदान पर माने जाने वाले मांग समुदाय को आरक्षण का पर्याप्त लाभ नहीं मिला है।इसी तरह, कर्नाटक में 2005 में न्यायमूर्ति ए.जे. सदाशिव पैनल का गठन किया गया था। इस पैनल को उन SC जातियों की पहचान करने का काम सौंपा गया था जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला था। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में 101 जातियों को चार श्रेणियों में बांटने और प्रत्येक श्रेणी को SC आरक्षण का 15 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की थी।बिहार में 2007 में महादलित पैनल ने SC सूची में शामिल 18 जातियों को अत्यंत कमजोर जातियों के रूप में शामिल करने की सिफारिश की थी।इसी वर्ष, राजस्थान में न्यायमूर्ति जसराज चोपड़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गुर्जर समुदाय अत्यंत पिछड़ा हुआ है और इसे OBC को मिलने वाली सुविधाओं से बेहतर सुविधाएं दी जानी चाहिए।तमिलनाडु में 2007 में न्यायमूर्ति एम.एस. जनार्दनम पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अरुंधतियार समुदाय को आरक्षण में अलग से प्रावधान किए जाने चाहिए।कर्नाटक में 2017 में के. रत्ना प्रभा समिति की सिफारिशों के आधार पर 2018 में एक कानून बनाया गया था। इस कानून के तहत, आरक्षण के आधार पर तरक्की पाने वाले सरकारी कर्मचारियों को वरीयता देने का प्रावधान किया गया था। कई अहम पड़ावों से होकर अंजाम तक पहुंची कानूनी लड़ाई * 1994: 27 जुलाई को आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में मडिगा रिजर्वेशन पोराता समिति ने एससी के भीतर सब-कैटिगराइजेशन की… http://dlvr.it/TBP3pq
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rakhignews · 1 year ago
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राज्य में श्रमण संस्कृति बोर्ड का गठन करे सरकार - श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र
जयपुर l श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ��त्र लिखकर आग्रह किया कि राज्य में जिस प्रकार से सर्व समाज के कल्याण हेतु विभिन्न बोर्डों का गठन किया जा रहा है ठीक उसी प्रकार जैन समाज के कल्याण एवं उत्थान हेतु “श्रमण संस्कृति बोर्ड” का गठन हों ताकि जैन संस्कृति का अधिक प्रचार-प्रसार हो सकें।उन्होंने कहा कि आपके साढ़े चार वर्षीय कार्यकाल दौरान राजस्थान राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में काफी…
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cyberpolicenacho · 2 years ago
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पारित हुआ राइट टो हेल्थ बिल राजस्थान द्वारा Right To Health Bill: इमरजेंसी में इलाज का पैसा भी देगी राज्य सरकार, राजस्थान में पारित हुआ 'राइट टू हेल्थ' बिल
*देश का दर्पण न्यूज़ राजस्थान संवाददाता उमेंद्र राजपूत*
डॉक्टरों के विरोध जताए जाने के बावजूद राजस्थान में सोमवार को स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022 ध्वनिमत से पास हो गया है. इसके अंतर्गत अस्पतालों में उपचार के लिए मरीजों को मना नहीं किया जा सकेगा.
*राइट टू हेल्थ बिल*
इमरजेंसी में इलाज का पैसा भी देगी राज्य सरकार, राजस्थान में पारित हुआ 'राइट टू हेल्थ' बिल
राजस्थान में सोमवार को 'राइट टू हेल्थ' बिल (Right to Health Bill) पास हो गया है. जबकि कई दिनों से प्राइवेट डॉक्टर��स इसके विरोध पर हैं. चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडल स्टेट बन रहा है. राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र पर 7 प्रतिशत बजट व्यय हो रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है. चिकित्सा मंत्री सदन में प्रवर समिति ने प्रतिवेदित ''राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022'' पर चर्चा का जवाब दे रहे थे. इसके बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.
मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि 'राइट टू हेल्थ' जनता के हित में है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सभी सदस्यों के सुझाव के आधार पर इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा था. विधेयक में सभी सदस्यों और चिकित्सकों के सुझाव शामिल किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अस्पतालों में उपचार के लिए मरीजों को मना नहीं किया जाए इसीलिए 'राइट टू हेल्थ' विधेयक लाया गया है. इसके अंतर्गत इमरजेंसी में इलाज का खर्चा सम्बन्धित मरीज के वहन नहीं करने की स्थिति में पुनर्भरण राज्य सरकार करेगी.
*चिकित्सकों का पहला धर्म उपचार करना: मीणा*
राइट टू ह���ल्थ विधेयक के तहत राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण लॉजिस्टिकल शिकायत (State Health Authority Logistical Complaint) का भी गठन किया गया है. साथ ही, जिला स्तरीय प्राधिकरण का प्रावधान भी किया गया है. मीणा ने कहा कि चिकित्सकों का पहला धर्म उपचार करना है, जो उन्हें निभाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बड़े अस्पतालों को राज्य सरकार ने रियायती दर पर जमीनें उपलब्ध करवाई है. इन अस्पतालों को 'राइट टू हेल्थ' विधेयक के अंतर्गत जोड़ने का प्रावधान है. चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जनता को बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है. इससे पहले सदस्यों के विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचारित करने के सुझावों को सदन ने ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया.
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prabudhajanata · 2 years ago
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जयपुर: लंबे समय से नियमितीकरण regularization का इंतजार कर रहे संविदा और अनियमित कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज है। जी हां अनियमित कर्मचारियों को जल्द ही नियमित किया जाएगा, सरकार ने इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि पहले चरण में सरकार ने 10 हजार कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा एक लाख से अधिक कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया गया था। मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने नियमितीकरण के लिए पहले चरण में उन कर्मचारियों का चयन किया है, जो 15 साल की सेवा अवधि पूरा कर चुके हैं। वहीं, जिनके पास 12 , 13 ,14 साल के अनुभव है, उन्हें 1 साल का इंतजार करना होगा। आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में 15 साल सेवा अवधि पूरा कर चुके लगभग 10000 कर्मचारी कार्यरत हैं। दरअसल प्रदेश में संविदा कर्मचारियों की संख्या लाखों में है। ऐसे में संविदा कर्मचारियों की सबसे अधिक संख्या चिकित्सा शिक्षा और शिक्षा विभाग में रिकॉर्ड की गई है। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में संविदा कर्मचारियों की संख्या 44833 है जबकि शिक्षा विभाग में संविदा कर्मचारियों की संख्या 41423 हैं। ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग सहित अल्पसंख्यक विभाग में भी संविदा कर्मचारियों की संख्या अधिक है। हालांकि राजस्थान सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि पहले प्रक्रिया के तहत 15 साल का अनुभव रखने वाले कर्मचारियों को ही नियमितीकरण का लाभ दिया जाएगा। वहीं इस प्रक्रिया में राज्य के 10000 संविदा कर्मचारी नियमित होंगे जबकि अन्य कर्मचारियों को 15 साल की सेवा पूरी होने के बाद ही नियमितीकरण का लाभ दिया जाएगा। ��ससे पूर्व राजस्थान सरकार ने बजट 2023-24 में कहा था कि विभिन्न विभागों के तहत काम करने वाले संविदा कर्मचारियों को अन्य सेवाओं में नियमितीकरण का लाभ आईएएस के पद पर चयन पदोन्नति के समान पैटर्न पर किया जाएगा। इसके तहत कुल कार्य अनुभव के बजाय उन्हें एक तिहाई कार्य अनुभव को ही गिना जाएगा। हालांकि बजट में राजस्थान सरकार द्वारा इसकी घोषणा किए जाने के साथ ही कर्मचारियों में विरोध देखा जा रहा था इससे पहले अक्टूबर महीने में सरकार द्वारा बड़ी घोषणा की गई थी इसमें कहा गया था कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए नियम तय किए जाएंगे। इसके साथ ही उनके वेतन को लेकर भी नियम तय किए जाने हैं। वेतन और अन्य भत्ते का भी मिलेगा लाभ राजस्थान सरकार द्वारा अपनी घोषणा में कहा गया था कि लंबे समय से संविदा के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने का फैसला किया गया। इसमें पंचायत सहायक, पैरा टीचर सहित शिक्षाकर्मी के रूप में कार्य संविदा कर्मियों को नियमित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। वहीं तीनों कर्मचारियों को शुरुआत में 10400 मिलेंगे। 9 साल की नौकरी पूरी करने के बाद 18500 रुपए जबकि 18 साल की सेवा पूरी करने के बाद 33300 रुपए वेतन के रूप में प्राप्त होंगे। बीडी कल्ला सब कमेटी की सिफारिश बता दे कि संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए मंत्री बीडी कल्ला के नेतृत्व में कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी द्वारा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए नियम तय किए गए थे। हालांकि संविदा कर्मचारी सरकारी कर्मचारियों के अनुसार वेतन और पदोन्नति की मांग कर रहे थे लेकिन राज्य सरकार द्वारा ऐसा नहीं करके अलग से नियम तय किए गए हैं। वहीं राजस्थान कांट्रेक्चुअल सर्विस रूल 2021 के दायरे में आने वाली संविदा कर्मचारियों को ही नियमित किया जाएगा। इधर बजट में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया IAS के पद पर चयन और पदोन्नति के समान पैटर्न रखने पर विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठन का कहना है कि इस पैटर्न के तहत कर्मचारियों की कुल कार्य अनुभव के बजाय उन्हें एक तिहाई कार्य अनुभव को ही मान्य किया जाएगा। संविदा कर्मचारी संघ की मांग है कि उनके पिछले सेवा के कुल कार्य अनुभव को उनके पदों के नियमितीकरण में गिना जाना चाहिए। 15 साल तक काम करने वाले को केवल 5 साल का अनुभव के ना गिना जाना सही नहीं है। वही राजस्थान में केवल 10000 अनुबंधित कर्मचारियों के पास ही 15 साल का अनुभव है। ऐसे में केवल 10000 को ही इस नियमितीकरण का लाभ मिलेगा। वही आगे आने वाली प्रक्रिया में फिर अन्य कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ दिया जाएगा।
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letshnnews · 4 years ago
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राजस्थान: गहलोत ने विधानसभा सत्र की तारीख 31 जुलाई रखी, राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा चित्र स्रोत: INDIA TV राजस्थान: गहलोत ने विधानसभा सत्र की तारीख 31 जुलाई रखी, राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा
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namoagainnarendramodi · 4 years ago
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पीएम नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की; 9 करोड़ किसान परिवारों को लाभ, 18000 करोड़ रुपये DBT के माध्यम से जमा.
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प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीएम किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की।इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि आज एक बटन के क्लिक पर देश के 9 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 18000 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जब से यह योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।प्रधान मंत्री ने खेद व्यक्त किया कि पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसानों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि बंगाल के 23 लाख से अधिक किसानों ने इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। लेकिन राज्य सरकार ने सत्यापन प्रक्रिया को इतने समय के लिए रोक दिया है। उन्होंने कहा कि जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के हित में नहीं बोलते हैं, वे दिल्ली आकर किसान की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां आजकल एपीएमसी-मंडियों को याद कर रही हैं, लेकिन ये पार्टियां बार-बार यह भूल जाती हैं कि केरल में एपीएमसी-मंडियां नहीं हैं और ये लोग कभी केरल में आंदोलन नहीं करते।प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की इनपुट लागत को कम करने के उद्देश्य से काम किया है। उन्होंने सरकार की कुछ किसान केंद्रित पहलें मसलन मृदा स्वास्थ्य कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, सौर पंपों के वितरण की योजना को सूचीबद्ध किया, जिससे किसानों के लिए इनपुट लागत को कम करने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि किसानों को बेहतर फसल बीमा कवर मिले। आज करोड़ों किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ मिल रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि देश के किसानों को फसल का उचित मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए एमएसपी के रूप में उत्��ादन लागत का डेढ़ गुना मूल्य तय किया है। उन्होंने उन फसलों की संख्या को जोड़ा जिनके लिए एमएसपी उपलब्ध है ��न्हें भी बढ़ाया गया था।प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए नई फसलें खोलने का लक्ष्य बनाया है ताकि वे 9 फसल बेच सकें। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की एक हजार से अधिक कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा है। इनमें रु। से अधिक रु। एक लाख करोड़ का कारोबार किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने छोटे किसानों के समूह बनाने की दिशा में काम किया है ताकि वे अपने क्षेत्र में एक सामूहिक शक्ति के रूप में काम कर सकें। आज देश में 10000 से अधिक किसान निर्माता संगठनों - एफपीओ के गठन के लिए एक अभियान चल रहा है, उन्हें वित्तीय मदद दी जा रही है।प्रधानमंत्री ने आज कहा, किसानों को पक्के घर, शौचालय और स्वच्छ पाइप पेयजल मिल रहा है। मुफ्त बिजली कनेक्शन, मुफ्त गैस कनेक्शन से उन्हें बहुत फायदा हुआ है। तक का मुफ्त इलाज। आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख ने किसानों के जीवन की प्रमुख चिंता को कम कर दिया है।प्रधान मंत्री ने कहा कि इन कृषि सुधारों के माध्यम से किसानों को बेहतर विकल्प प्रदान किए गए। इन कानूनों के बाद किसान अपनी उपज को अपनी इच्छानुसार बेच सकते हैं। वे जहां भी उचित मूल्य प्राप्त करते हैं, अपनी उपज बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के बाद, किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकते हैं या इसे बाजार में बेच या निर्यात कर सकते हैं या व्यापारी को बेच सकते हैं, या इसे दूसरे राज्य में बेच सकते हैं, या इसे एफपीओ के माध्यम से बेच सकते हैं या बिस्कुट के मूल्य श्रृंखला का हिस्सा हो सकते हैं, चिप्स, जाम, अन्य उपभोक्ता उत्पाद।प्रधान मंत्री ने कहा कि अन्य क्षेत्रों में निवेश और नवाचार में सुधार हुआ है, आय में वृद्धि हुई है और उस क्षेत्र में ब्रांड इंडिया की स्थापना हुई है। उन्होंने कहा कि अब ब्रांड इंडिया के लिए समय आ गया है कि वह समान प्रतिष्ठा के साथ दुनिया के कृषि बाजारों में खुद को स्थापित करे।प्रधानमंत्री ने देश भर के उन सभी किसानों को धन्यवाद दिया जिन्होंने कृषि सुधारों का पूरा समर्थन और स्वागत किया है और आश्वासन दिया है कि वह उन्हें निराश नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि असम, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया और एक तरह से किसानों को गुमराह करने वाली सभी पार्टियों को खारिज कर दिया।>आज देश के 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे, एक क्लिक पर 18 हज़ार करोड़ रुपए जमा हुए हैं।जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं: PMमुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।>बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं।लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है:
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