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चलपति राव का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया
चलपति राव का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया
चलपति राव का निधन: साउथ फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है। मशहूर अभिनेता चलपति राव का शनिवार देर रात निधन हो गया। अभिनेता ने 78 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। इस खबर के बाद पूरी फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है। खबरों में उनके निधन की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। लंबे समय से बीमार थे (चलपति राव का निधन) मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिग्गज अभिनेता चलपति राव लंबे…
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Bhaktamar Stotra Hindi
श्री प. हेमराज जी
आदिपुरुष आदीश जिन, आदि सुविधि करतार। धरम-धुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार॥
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
श्रुत-पारग इंद्रादिक देव, जाकी थुति कीनी कर सेव। शब्द मनोहर अरथ विशाल, तिस प्रभु की वरनों गुन-माल॥2॥
विबुध-वंद्य-पद मैं मति-हीन, हो निलज्ज थुति-मनसा कीन। जल-प्रतिबिंब बुद्ध को गहै, शशि-मंडल बालक ही चहै॥3॥
गुन-समुद्र तुम गुन अविकार, कहत न सुर-गुरु पावै पार। प्रलय-पवन-उद्धत जल-जन्तु, जलधि तिरै को भुज बलवन्तु॥4॥
सो मैं शक्ति-हीन थुति करूँ, भक्ति-भाव-वश कछु नहिं डरूँ। ज्यों मृगि निज-सुत पालन हेतु, मृगपति सन्मुख जाय अचेत॥5॥
मैं शठ सुधी हँसन को धाम, मुझ तव भक्ति बुलावै राम। ज्यों पिक अंब-कली परभाव, मधु-ऋतु मधुर करै आराव॥6॥
तुम जस जंपत जन छिनमाहिं, जनम-जनम के पाप नशाहिं। ज्यों रवि उगै फटै तत्काल, अलिवत नील निशा-तम-जाल॥7॥
तव प्रभावतैं कहूँ विचार, होसी यह थुति जन-मन-हार। ज्यों जल-कमल पत्रपै परै, मुक्ताफल की द्युति विस्तरै॥8॥
तुम गुन-महिमा हत-दुख-दोष, सो तो दूर रहो सुख-पोष। पाप-विनाशक है तुम नाम, कमल-विकाशी ज्यों रवि-धाम॥9॥
नहिं अचंभ जो होहिं तुरंत, तुमसे तुम गुण वरणत संत। जो अधीन को आप समान, करै न सो निंदित धनवान॥10॥
इकटक जन तुमको अविलोय, अवर-विषैं रति करै न सोय। को करि क्षीर-जलधि जल पान, क्षार नीर पीवै मतिमान॥11॥
प्रभु तुम वीतराग गुण-लीन, जिन परमाणु देह तुम कीन। हैं तितने ही ते परमाणु, यातैं तुम सम रूप न आनु॥12॥
कहँ तुम मुख अनुपम अविकार, सुर-नर-नाग-नयन-मनहार। कहाँ चंद्र-मंडल-सकलंक, दिन में ढाक-पत्र सम रंक॥13॥
पूरन चंद्र-ज्योति छबिवंत, तुम गुन तीन जगत लंघंत। एक नाथ त्रिभुवन आधार, तिन विचरत को करै निवार॥14॥
जो सुर-तिय विभ्रम आरंभ, मन न डिग्यो तुम तौ न अचंभ। अचल चलावै प्रलय समीर, मेरु-शिखर डगमगै न धीर॥15॥
धूमरहित बाती गत नेह, परकाशै त्रिभुवन-घर एह। बात-गम्य नाहीं परचण्ड, अपर दीप तुम बलो अखंड॥16॥
छिपहु न लुपहु राहु की छांहि, जग परकाशक हो छिनमांहि। घन अनवर्त दाह विनिवार, रवितैं अधिक धरो गुणसार॥17॥
सदा उदित विदलित मनमोह, विघटित मेघ राहु अविरोह। तुम मुख-कमल अपूरव चंद, जगत-विकाशी जोति अमंद॥18॥
निश-दिन शशि रवि को नहिं काम, तुम मुख-चंद हरै तम-धाम। जो स्वभावतैं उपजै नाज, सजल मेघ तैं कौनहु काज॥19॥
जो सुबोध सोहै तुम माहिं, हरि हर आदिक में सो नाहिं। जो द्युति महा-रतन में होय, काच-खंड पावै नहिं सोय॥20॥
(हिन्दी में) नाराच छन्द : सराग देव देख मैं भला विशेष मानिया। स्वरूप जा���ि देख वीतराग तू पिछानिया॥ कछू न तोहि देखके जहाँ तुही विशेखिया। मनोग चित-चोर और भूल हू न पेखिया॥21॥
अनेक पुत्रवंतिनी नितंबिनी सपूत हैं। न तो समान पुत्र और माततैं प्रसूत हैं॥ दिशा धरंत तारिका अनेक कोटि को गिनै। दिनेश तेजवंत एक पूर्व ही दिशा जनै॥22॥
पुरान हो पुमान हो पुनीत पुण्यवान हो। कहें मुनीश अंधकार-नाश को सुभान हो॥ महंत तोहि जानके न होय वश्य कालके। न और मोहि मोखपंथ देय तोहि टालके॥23॥
अनन्त नित्य चित्त की अगम्य रम्य आदि हो। असंख्य सर्वव्यापि विष्णु ब्रह्म हो अनादि हो॥ महेश कामकेतु योग ईश योग ज्ञान हो। अनेक एक ज्ञानरूप शुद्ध संतमान हो॥24॥
तुही जिनेश बुद्ध है सुबुद्धि के प्रमानतैं। तुही जिनेश शंकरो जगत्त्रये विधानतैं॥ तुही विधात है सही सुमोखपंथ धारतैं। नरोत्तमो तुही प्रसिद्ध अर्थ के विचारतैं॥25॥
नमो करू�� जिनेश तोहि आपदा निवार हो। नमो करूँ सुभूरि-भूमि लोकके सिंगार हो॥ नमो करूँ ��वाब्धि-नीर-राशि-शोष-हेतु हो। नमो करूँ महेश तोहि मोखपंथ देतु हो॥26॥
चौपाई तुम जिन पूरन गुन-गन भरे, दोष गर्वकरि तुम परिहरे। और देव-गण आश्रय पाय, स्वप्न न देखे तुम फिर आय॥27॥
तरु अशोक-तर किरन उदार, तुम तन शोभित है अविकार। मेघ निकट ज्यों तेज फुरंत, दिनकर दिपै तिमिर निहनंत॥28॥
सिंहासन मणि-किरण-विचित्र, तापर कंचन-वरन पवित्र। तुम तन शोभित किरन विथार, ज्यों उदयाचल रवि तम-हार॥29॥
कुंद-पुहुप-सित-चमर ढुरंत, कनक-वरन तुम तन शोभंत। ज्यों सुमेरु-तट निर्मल कांति, झरना झरै नीर उमगांति ॥30॥
ऊँचे रहैं सूर दुति लोप, तीन छत्र तुम दिपैं अगोप। तीन लोक की प्रभुता कहैं, मोती-झालरसों छवि लहैं॥31॥
दुंदुभि-शब्द गहर गंभीर, चहुँ दिशि होय तुम्हारे धीर। त्रिभुवन-जन शिव-संगम करै, मानूँ जय जय रव उच्चरै॥32॥
मंद पवन गंधोदक इष्ट, विविध कल्पतरु पुहुप-सुवृष्ट। देव करैं विकसित दल सार, मानों द्विज-पंकति अवतार॥33॥
तुम तन-भामंडल जिनचन्द, सब दुतिवंत करत है मन्द। कोटि शंख रवि तेज छिपाय, शशि निर्मल निशि करे अछाय॥34॥
स्वर्ग-मोख-मारग-संकेत, परम-धरम उपदेशन हेत। दिव्य वचन तुम खिरें अगाध, सब भाषा-गर्भित हित साध॥35॥
दोहा : विकसित-सुवरन-कमल-दुति, नख-दुति मिलि चमकाहिं। तुम पद पदवी जहं धरो, तहं सुर कमल रचाहिं॥36॥
ऐसी महिमा तुम विषै, और धरै नहिं कोय। सूरज में जो जोत है, नहिं तारा-गण होय॥37॥
(हिन्दी में) षट्पद : मद-अवलिप्त-कपोल-मूल अलि-कुल झंकारें। तिन सुन शब्द प्रचंड क्रोध उद्धत अति धारैं॥ काल-वरन विकराल, कालवत सनमुख आवै। ऐरावत सो प्रबल सकल जन भय उपजावै॥ देखि गयंद न भय करै तुम पद-महिमा लीन। विपति-रहित संपति-सहित वरतैं भक्त अदीन॥38॥
अति मद-मत्त-गयंद कुंभ-थल नखन विदारै। मोती रक्त समेत डारि भूतल सिंगारै॥ बांकी दाढ़ विशाल वदन में रसना लोलै। भीम भयानक रूप देख जन थरहर डोलै॥ ऐसे मृग-पति पग-तलैं जो नर आयो होय। शरण गये तुम चरण की बाधा करै न सोय॥39॥
प्रलय-पवनकर उठी आग जो तास पटंतर। बमैं फुलिंग शिखा उतंग परजलैं निरंतर॥ जगत समस्त निगल्ल भस्म करहैगी मानों। तडतडाट दव-अनल जोर चहुँ-दिशा उठानों॥ सो इक छिन में उपशमैं नाम-नीर तुम लेत। होय सरोवर परिन मैं विकसित कमल समेत॥40॥
कोकिल-कंठ-समान श्याम-तन क्रोध जलन्ता। रक्त-नयन फुंकार मार विष-कण उगलंता॥ फण को ऊँचा करे वेग ही सन्मुख धाया। तब जन होय निशंक देख फणपतिको आया॥ जो चांपै निज पगतलैं व्यापै विष न लगार। नाग-दमनि तुम नामकी है जिनके आधार॥41॥
जिस रन-माहिं भयानक रव कर रहे तुरंगम। घन से गज गरजाहिं मत्त मानों गिरि जंगम॥ अति कोलाहल माहिं बात जहँ नाहिं सुनीजै। राजन को परचंड, देख बल धीरज छीजै॥ नाथ तिहारे नामतैं सो छिनमांहि पलाय। ज्यों दिनकर परकाशतैं अन्धकार विनशाय॥42॥
मारै जहाँ गयंद कुंभ हथियार विदारै। उमगै रुधिर प्रवाह वेग जलसम विस्तारै॥ होयतिरन असमर्थ महाजोधा बलपूरे। तिस रनमें जिन तोर भक्त जे हैं नर सूरे॥ दुर्जय अरिकुल जीतके जय पावैं निकलंक। तुम पद पंकज मन बसैं ते नर सदा निशंक॥43॥
नक्र चक्र मगरादि मच्छकरि भय उपजावै। जामैं बड़वा अग्नि दाहतैं नीर जलावै॥ पार न पावैं जास थाह नहिं लहिये जाकी। गरजै अतिगंभीर, लहर की गिनति न ताकी॥ सुखसों तिरैं समुद्र को, जे तुम गुन सुमराहिं। लोल कलोलन के शिखर, पार यान ले जाहिं॥44॥
महा जलोदर रोग, भार पीड़ित नर जे हैं। वात पित्त कफ कुष्ट, आदि जो रोग गहै हैं॥ सोचत रहें उदास, नाहिं जीवन की आशा। अति घिनावनी देह, धरैं दुर्गंध निवासा॥ तुम पद-पंकज-धूल को, जो लावैं निज अंग। ते नीरोग शरीर लहि, छिनमें होय अनंग॥45॥
पांव कंठतें जकर बांध, सांकल अति भारी। गाढी बेडी पैर मांहि, जिन जांघ बिदारी॥ भूख प्यास चिंता शरीर दुख जे वि��लाने। सरन नाहिं जिन कोय भूपके बंदीखाने॥ तुम सुमरत स्वयमेव ही बंधन सब खुल जाहिं। छिनमें ते संपति लहैं, चिंता भय विनसाहिं॥46॥
महामत गजराज और मृगराज दवानल। फणपति रण परचंड नीरनिधि रोग महाबल॥ बंधन ये भय आठ डरपकर मानों नाशै। तुम सुमरत छिनमाहिं अभय थानक परकाशै॥ इस अपार संसार में शरन नाहिं प्रभु कोय। यातैं तुम पदभक्त को भक्ति सहाई होय॥47॥
यह गुनमाल विशाल नाथ तुम गुनन सँवारी। विविधवर्णमय पुहुपगूंथ मैं भक्ति विथारी॥ जे नर पहिरें कंठ भावना मन में भावैं। मानतुंग ते निजाधीन शिवलक्ष्मी पावैं॥ भाषा भक्तामर कियो, हेमराज हित हेत। जे नर पढ़ैं, सुभावसों, ते पावैं शिवखेत॥48॥
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भारत विश्व बंधुत्व का सन्देश देने के लिए प्रतिबद्ध है:- श्री.आर.एन. रव...
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Kamayani, Lajja Sarg 26,UGC NET Hindi | कोमल किसलय मर्मर-रव-से जिस का जय...
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राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह) by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
किताब के बारे में... राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' की प्रेम से सराबोर समकालीन 62 हिन्दी ग़ज़लें एक बार जरूर पढ़े। झलकियां- पुस्तक से कुछ शेर - यूं ही देखते रहो प्यार हो जायेगा। नज़रों ही नज़रों में खेल हो जायेगा।। *** जब हंसी होंठो पे आई होगी। अदा वो दिल में समाई होगी।। *** न दिन में चैंन है न रात में सुकूंन है। जब से तिरी निगाह में गिरफ्तार हुए हैं।। *** न दौलत न शौहरत न रव। प्यार को बस वफ़ा चाहिए।। *** मिल गया दिल ऐ राना तुम्हें। फिर क्या इसके सिवा चाहिए।। *** और भी सैकड़ों प्यार भरे शेर... एक बार जरूर पढ़िएगा एक प्यार भरा अफसाना। ये "राना का नज़राना"।।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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मराठी समानार्थी शब्द
समानार्थी शब्द हा व्याकरणाचा महत्त्वाचा भाग आहे. समानार्थी शब्द दोन किंवा अधिक शब्द आहेत ज्यांचा समान अर्थ आहे. तुम्ही "समानार्थी" देखील म्हणता जे समानार्थी आहेत.
समानार्थी शब्द वापरल्याने तुमच्या भाषेचे सौंदर्य वाढते, तुमच्या लिखाणात विविधता येते आणि तुमच्या भावना अधिक प्रभावीपणे व्यक्त होतात. तुमचे लेखन वैविध्यपूर्ण आणि तुमची भाषा समृद्ध असती.
Marathi Sansarthi Shabd: शालेय विद्यार्थी किंवा स्पर्धा परीक्षांची तयारी करणाऱ्या व्यक्तीसाठी मराठी भाषा आणि व्याकरणाचे चांगले ज्ञान असणे आवश्यक आहे. थेट भरती (Talathi Bharti, Police Bharti, Gramsevak Bharti, ZP Bharti) आणि नागरी सेवा मुख्य परीक्षा, बँकिंग परीक्षा आणि उच्च शैक्षणिक संस्थांच्या प्रवेश परीक्षेत मराठी व्याकरणाच्या "समानार्थी" किंवा घटक भागांचे 2 ते 3 प्रश्न विचारले जातात.
Marathi Sansarthi Shabd: जर तुम्हाला समानार्थी शब्द किंवा घटकांमध्ये गुण मिळवायचे होते ; Samanarthi Shabd Marathi ब्लॉग पोस्ट मध्ये आम्ही 100 पेक्षा जास्त समानार्थी किंवा रिक्त पृष्ठे आहेत जी तुम्हाला विविध स्पर्धा परीक्षांमध्ये समानार्थी शब्द किंवा घटक कव्हर गुण देण्यास मदत करतील.
हे पन वाचा
Marathi Grammar
विरुद्धार्थी शब्द मराठी
मराठी वाक्प्रचार व त्यांचे अर्थ
मराठी समानार्थी शब्द
भोजन X खाना
नाच X नृत्य
अंत X शेवट
गयावया X काकुळती
स्वीकार X मान्य
अंतरिक्ष X अवकाश
चिल्लापिल्ली X मुलेबाळे
कपाळ X ललाट
अंग X शरीर, तन, काया
मदत X सहाय्य
काळ X समय
अंगण X आवार
कन्या X मुलगी
अंगण X विस्तव
खुषी X संतोष
अंघोळ X स्नान
प्रकाश X उजेड
कल्याण X हित
अंधार X काळोख
गस्त X पहारा
चप X गप्प
अंधुक X पुसट
गार X थंड
करार X वचन, ठराव, कबुली
आई X माता, माय, जननी, माऊली, जन्मदात्री
प्रवास X सफर, फेरफटका, पर्यटन
चरितार्थ X उदरनिर्वाह
ममता X माया
गाय X धेनू, गो, गोमाता
चरण X पाय, पाऊल
आजारी X पीड़ित, रोगी
निश्चय X निर्धार
कठोर X निर्दयी, निष्ठूर
चाकर X नोकर, सेवक, गडी, दास, गुलाम
आयुष्य X जीवन, हयात
पिशवी X थैली
कवच X आच्छादन, आवरण, टरफल
गदारोळ X गोंधळ, ओरड
आनंद X संतोष, मोद, हर्ष, तोष, प्रमोद
चंद्र X सोम, निशानाथ, चंद्रमा, हिमांशु
सामर्थ्य X शक्ति, बळ
आकर्षण X मोह, ओढ, पाश
कविता X काव्य, पद्य
मैत्री X दोस्ती
ओबडधोबड X बेढव, बेडौल, खरबरीत, रांगडे
चपल X चलाख, वेगवान, तल्लख, हुशार
मुलुख X देश, प्रांत, परगणा
कसूर X कुचराई, चूक, न्यूनता, दोष
आवाज X नाद, निनाद, रव
गोपाळ X कन्ह���या, कृष्ण, मोहन, मुरलीधर, गोविंद, गिरीधर
मेहनत X कष्ट, श्रम, परिश्रम
आवश्यकता X गरज, जरूरी
कणव X दया, माया, कृपा, कीव, करूणा
आग्रह X हट्ट
मौज X मजा, गंमत
चांदणे X कौमुदी, ज्योत्सना, चंद्रिका
साहित्य X लिखाण
आक्रमण X हल्ला, चढाई, स्वारी, मोहीम
कमळ X पंकज, अंबुज, कमल, नीरज, पदम, नलिनी
ग्रह X कल्पना, समजूत, भावना
आवाहन X विनंती, बोलवणे, आमंत्रण
मुद्रा X चेहरा, मुख, तोंड, वदन
चांदी के रूपे
आश्चर्य X नवल, विस्मय, अचंबा
कबूल X मान्य, संमत, पसंत, अभिमत
मित्र X दोस्त, साथी, सखा, सवंगडी
आहार X खाना, भोजन, अन्न
मिष्टान्न X गोडधोड
मुख X तोंड, चेहरा
कपाळ X ललाट, भाल, निढळ, निटिल
गडप X अदृश्य
चाणाक्ष X हुशार, चतुर, धूर्त, चलाख, चालाख
सेवा X शुश्रूषा
कबूल X संमत, मान्य, पसंत, मंजूर, अनुकूल
पुस्तक X ग्रंथ
चाचणी X परीक्षा, तपासणी, पारख
मुलगा X पुत्र, सुत, तनय
इमानी - प्रामाणिक, नेक, एकनि��्ठ
मुलगी X कन्या, तनया
गरीब X दीन, लाचार, पामर, दुबळा
इंद्र X सुरेंद्र, देवेंद्र, शक्र, पुरंदर, वज्रपाणी, वासव, सहस्त्राक्ष
चटकन X झपाझप, झरझर, त्वरीत, चटदिशी, झटपट
परिश्रम X कष्ट, मेहनत
पती X नवरा, वर
पत्र X टपाल
पहाट X उषा
चबुतरा X चौथरा, कट्टा
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VARANASI || बाबूलाल पटेल ने हरी झंडी दिखा अपनादल एस के काफिले को लखनऊ रव...
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*🚩सनातनपूजनसामग्रीभण्डार* *रोचक तथ्य एवं अध्यात्मिक ज्ञान* *┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*👉🏻लेख क्र.-सधस/२०८०/ज्येष्ठ/शु./११- १०७५१*
*┉══════❀(("ॐ"))❀══════┉┈*
⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳
http://www.tumblr.com/sanatan-poojan-samagri-bhandar,
*श्रीराम जय राम जय जय राम*
*🌞श्रीरामचरितमानस🌞*
*प्रथम सोपान*
*बाल-काण्ड*
*दोहा सं० ३००*
*सब के उर निर्भर हरषु पूरित पुलक सरीर ।*
*कबहिं देखिबे नयन भरि रामु लखनु दोउ बीर ॥३००।।*
भावार्थ:- सबके हृदय में अपार हर्ष है और शरीर पुलक से भरे हैं। (सबको एक ही लालसा लगी है कि हम श्री राम-लक्ष्मण दोनों भाइयों को नेत्र भरकर कब देखेंगे।
🚩 *चौपाई* 🚩
*गरजहिं गज घंटा धुनि घोरा ।*
*रथ रव बाजि हिंस चहु ओरा ॥*
*निदरि घनहि घुर्म्मरहिं निसाना।*
*निज पराइ कछु सुनिअ न काना ॥१II*
भावार्थ:- हाथी गरज रहे हैं, उनके घंटों की भीषण ध्वनि हो रही है। चारों ओर रथों की घरघराहट और घोड़ों की हिनहिनाहट हो रही है। बादलों का निरादर करते हुए नगाड़े घोर शब्द कर रहे हैं। ��िसी को अपनी पराई कोई बात कानों से सुनाई नहीं देती।
*महा भीर भूपति के द्वारें।*
*रज होइ जाइ पषान पबारें ॥*
*चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नारीं ।*
*लिएँ आरती मंगल थारीं ॥२॥*
भावार्थ:- राजा दशरथ के दरवाजे पर इतनी भारी भीड़ हो रही है कि वहाँ पत्थर फेंका जाए तो वह भी पिसकर धूल हो जाए। अटारियों पर चढ़ी स्त्रियाँ मंगल थालों में आरती लिए देख रही हैं।
*गावहिं गीत मनोहर नाना।*
*अति आनंदु न जाइ बखाना ॥*
*तब सुमंत्र दुइ स्यंदन साजी ।*
*जोते रबि हय निंदक बाजी ॥३॥*
भावार्थ:- और नाना प्रकार के मनोहर गीत गा रही हैं। उनके अत्यन्त आनंद का बखान नहीं हो सकता। तब सुमन्त्रजी ने दो रथ सजाकर उनमें सूर्य के घोड़ों को भी मात करने वाले घोड़े जोते।
*दोउ रथ रुचिर भूप पहिं आने।*
*नहिं सारद पहिं जाहिं बखाने ॥*
*राज समाजु एक रथ साजा।*
दूसर तेज पुंज अति *भ्राजा ॥४॥*
भावार्थ:- दोनों सुंदर रथ वे राजा दशरथ के पास ले आए, जिनकी सुंदरता का वर्णन सरस्वती से भी नहीं हो सकता। एक रथ पर राजसी सामान सजाया गया और दूसरा जो तेज का पुंज और अत्यन्त ही शोभायमान था।
🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏🚩📿
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गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं। उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।
*भगवान गणेश जी की जय*
_*सनातनपूजनसामग्रीभण्डार*_ इसी तरह के रोचक तथ्य एवं अध्यात्मिक ज्ञान हेतू हमारे पेज से जुड़े 👇🏻। *tumblr par 👇🏻* https://www.tumblr.com/sanatan-poojan-samagri-bhandar,
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परंतु सर्व मानव ने एक बात की रट लगा रखी हैं कि प्रभु( खुदा god रव) निराकार है सर्व धर्मों के पवित्र ग्रंथ में प्रमाण है कि खुदा मानव जैसा साकार है
#Allah_Is_Kabir
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Ravi kishan: पत्नी के सो जाने के बाद चुपके से ये काम करते हैं रवि किशन, नहीं लगती है किसी को भनक भी
Ravi kishan: पत्नी के सो जाने के बाद चुपके से ये काम करते हैं रवि किशन, नहीं लगती है किसी को भनक भी
रवि किशन अपनी पत्नी प्रीति (Ravi kishan Wife Priti) से बेहद ही प्यार करते हैं. इनकी लव स्टोरी स्कूल के दिनों की है. वो 11वीं क्लास में प्रीति को दिल दे बैठे थे और बाद में उन्होंने शादी करके प्यार को अमर कर दिया है. दोनों जन्म-जन्मांतर तक एक-दूसरे के हो गए. वो रियल लाइफ में एक आदर्शवादी पिता, बेटा और पति हैं. #Ravi #kishan #पतन #क #स #जन #क #बद #चपक #स #य #कम #करत #ह #रव #कशन #नह #लगत #ह #कस #क…
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राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह) by Rajeev Namdeo
किताब के बारे में... राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' की प्रेम से सराबोर समकालीन 62 हिन्दी ग़ज़लें एक बार जरूर पढ़े । झलकियां- पुस्तक से कुछ शेर - यूं ही देखते रहो प्यार हो जायेगा। नज़रों ही नज़रों में खेल हो जायेगा।। *** जब हंसी होंठो पे आई होगी। अदा वो दिल में समाई होगी।। *** न दिन में चैंन है न रात में सुकूंन है। जब से तिरी निगाह में गिरफ्तार हुए हैं।। *** न दौलत न शौहरत न रव। प्यार को बस वफ़ा चाहिए।। *** मिल गया दिल ऐ राना तुम्हें। फिर क्या इसके सिवा चाहिए।। *** और भी सैकड़ों प्यार भरे शेर... एक बार जरूर पढ़िएगा एक प्यार भरा अफसाना।
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अदिति राव और सिद्धार्थ का स्वेटशर्ट खुला
अदिति राव और सिद्धार्थ का स्वेटशर्ट खुला
अदिति सिद्धार्थ: बॉलीवुड एक्ट्रेस अदिति राव हैदरी और साउथ सेलिब्रिटी सिद्धार्थ इन दिनों अपनी लव लाइफ को लेकर काफी ��ुर्खियों में हैं। हाल ही में एक्ट्रेस के बर्थडे पर सिद्धार्थ की स्पेशल पोस्ट ने सभी को चौंका दिया था. वहीं सोशल मीडिया पर वायरल होती दोनों की रोमांटिक तस्वीरें अक्सर सुर्खियों का हिस्सा बन जाती हैं। इस दौरान दोनों की स्वेटशर्ट वाली तस्वीर इंटरनेट की दुनिया पर छाई हुई है। जिसे देखकर…
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