#योग दिवस कब मनाया जाता है
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totalphysiologycom · 5 months ago
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     2024|10th International Yoga Day | अंतर्राष्ट्रीय योग  दिवस 2024
इस लेख में हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के विषय में बहुत कुछ जानेंगे |अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस  कब मनाया जाता है,इसका महत्व एवं बहुत कुछ जो आप जानना पसंद करेगें |  Table of…
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modijifans · 4 years ago
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020 Updates
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020 Updates
योग क्या है ?
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योग प्राचीन भारत में उत्पन्न शारीरिक, मानसिक और  आध्यात्मिक  प्रथाओं का एक समूह है।  यह एक आध्यात्मिक अनुशासन के साथ-साथ विज्ञान भी है।  ‘योग’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘युग’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’, ‘जुड़ना’, ‘एकजुट करना’। इस प्रकार, योग मन, शरीर और एकमात्र का मिलन है। इसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास  शामिल हैं।
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योग का इतिहास लगभग 5000 ईसा पूर्व का है। सिंधु घ…
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khaspress · 6 years ago
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21 जून को सबसे लंबा दिन होता है और जैसा की हम सबको पता है योग मनुष्य को लंबी आयु प्रदान करता है।इसलिए पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही मनाया जाता है। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 में मनाया गया, जिसकी शुरुवात भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितम्बर 2014 को अपने भाषण के साथ की थी ।
जिसके बाद इसको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया। संयुक्त राष्ट्र में 11 दिसम्बर 2014 को 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव पारित करवा दिया। जो पूर्ण बहुमत से पारित हुआ यह पहला प्रस्ताव था जो की 90 दिन में पारित हुआ, और संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। आज दुनिया भर के लोग इसे अपनी जीवनशैली का हिस्‍सा बना रहे हैं, काया को स्‍वस्‍थ और निरोगी बनाए रखने के लिए योग से बेहतर कुछ नहीं। यही नहीं योग आपके जीवन में सकारात्‍मक ऊर्जा भी लेकर आता है। यही वजह है कि हाल के दिनों में अगर सबसे ज्‍यादा क्रेज किसी का देखा गया है तो वह योग है।
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भारत ने पहले अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस पर बनाया था रिकार्ड 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्‍ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे. ​इस समारोह ने दो गिनीज रिकॉर्ड्स हासिल किए. पहला रिकार्ड 35,985 लोगों के साथ सबसे बड़ी योग क्लास और दूसरा रिकार्ड चौरासी देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का बना.
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भारतीय संस्‍कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्‍कृतियों में से एक ह��. भाारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है और इन्‍हीं में से एक योग भी है. आज योग सिर्फ भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है बल्‍कि अब इसे अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति मिल चुकी है. इसे योग की महिमा ही कहा जाएगा इस साल देहरादून में होगा मुख्य योग कार्यक्रम इस बार का मुख्य योग कार्यक्रम देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा और साल के इस सबसे लंबे दिन लोग अपने जीवन को अधिक से अधिक लंबा और स्वस्थ बनाए रखने का संकल्प लेंगे.
योग का इतिहास पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्‍य देखे गए। मुख्‍य स्रोत, जिनसे हम इस अवधि के दौरान योग की प्रथाओं तथा संबंधित साहित्‍य के बारे में सूचना प्राप्‍त करते हैं, वेदों (4), उपनिषदों (18), स्‍मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्‍यों (2) के उपदेशों, पुराणों (18) आदि में उपलब्‍ध हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस – 21 जून 2018 21 जून को सबसे लंबा दिन होता है और जैसा की हम सबको पता है योग मनुष्य को लंबी आयु प्रदान करता है।इसलिए पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही मनाया जाता है। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 में मनाया गया, जिसकी शुरुवात भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 सितम्बर 2014 को अपने भाषण के साथ की थी । जिसके बाद इसको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया। संयुक्त राष्ट्र में 11 दिसम्बर 2014 को 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव पारित करवा दिया। जो पूर्ण बहुमत से पारित हुआ यह पहला प्रस्ताव था जो की 90 दिन में पारित हुआ, और संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। आज दुनिया भर के लोग इसे अपनी जीवनशैली का हिस्‍सा बना रहे हैं, काया को स्‍वस्‍थ और निरोगी बनाए रखने के लिए योग से बेहतर कुछ नहीं। यही नहीं योग आपके जीवन में सकारात्‍मक ऊर्जा भी लेकर आता है। यही वजह है कि हाल के दिनों में अगर सबसे ज्‍यादा क्रेज किसी का देखा गया है तो वह योग है। भारत ने पहले अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस पर बनाया था रिकार्ड 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्‍ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे. ​इस समारोह ने दो गिनीज रिकॉर्ड्स हासिल किए. पहला रिकार्ड 35,985 लोगों के साथ सबसे बड़ी योग क्लास और दूसरा रिकार्ड चौरासी देशों ���े लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का बना. भारतीय संस्‍कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्‍कृतियों में से एक है. भाारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है और इन्‍हीं में से एक योग भी है. आज योग सिर्फ भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है बल्‍कि अब इसे अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति मिल चुकी है. इसे योग की महिमा ही कहा जाएगा इस साल देहरादून में होगा मुख्य योग कार्यक्रम इस बार का मुख्य योग कार्यक्रम देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा और साल के इस सबसे लंबे दिन लोग अपने जीवन को अधिक से अधिक लंबा और स्वस्थ बनाए रखने का संकल्प लेंगे. योग का इतिहास पूर्व वैदिक काल (2700 ईसा पूर्व) में एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक साक्ष्‍य देखे गए। मुख्‍य स्रोत, जिनसे हम इस अवधि के दौरान योग की प्रथाओं तथा संबंधित साहित्‍य के बारे में सूचना प्राप्‍त करते हैं, वेदों (4), उपनिषदों (18), स्‍मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्‍यों (2) के उपदेशों, पुराणों (18) आदि में उपलब्‍ध हैं।
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karanaram · 3 years ago
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🚩 25 दिसंबर का सच जानकर आप छोड़ देंगे क्रिसमस मनाना-15 दिसंबर 2021
🚩 यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय क्रिसमस डे की धूम है, लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है!
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🚩 भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू आदि लोग क्रिसमस की बधाई देते हैं और ईसाइयों के साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नहीं पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है?
🚩 कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन यीशु मसीह का जन्मदिन होता है पर सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। एन्नो डोमिनी (AD) काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म 7 ई.पू. से 2 ई.पू. के बीच 4 ई.पू. में हुआ था। जीसस के जन्म का वार, तिथि, मास, वर्ष, समय तथा स्थान- सभी बातें अज्ञात हैं। इसका बाईबल में भी कोई उल्लेख नहीं है। यदि वह इतने प्रसिद्ध संत, महात्मा या अवतारी व्यक्ति होते तो सारा ब्यौरा तत्कालीन जनता जानने का यत्न करती।
🚩 विलियम ड्यूरेंट ने यीशु मसीह का जन्म वर्ष ईसापूर्व चौथा वर्ष लिखा है। यह कितनी असंगत बात है? भला ईसा का ही जन्म ईसा पूर्व में कैसे हो सकता है? कालगणना अगर यीशु मसीह के जन्म से शुरू होती है, जन्म से पूर्व ई.पू. और बाद में ई. में की जाती है तो यीशु मसीह का जन्म 4 ई.पू. में कैसे हुआ?
🚩 और एक असंगति देखें।
ईसा का जन्म 25 दिसम्बर को मनाया जाता है और नववर्ष का दिन होता है एक जनवरी। तो क्या ईसा का जन्म ईसवी सन से एक सप्ताह पहले हुआ और यदि हुआ तो उसी दिन से वर्ष गणना शुरू क्यों नहीं की गई?
🚩 हाल ही में बीबीसी पर एक रिपोर्ट छपी थी उसके अनुसार यीशु का जन्म कब हुआ- इसे लेकर एक राय नहीं है। कुछ धर्मशास्त्री मानते हैं कि उनका जन्म बसंत में हुआ था, क्योंकि इस बात का जिक्र है कि जब ईसा का जन्म हुआ था, उस समय गड़रिये मैदानों में अपने झुंडों की देखरेख कर रहे थे। अगर उस समय दिसंबर की सर्दियां होतीं, तो वे कहीं शरण लेकर बैठे होते और अगर गड़रिये मैथुनकाल के दौरान भेड़ों की देखभाल कर रहे होते तो वे उन भेड़ों को झुंड से अलग करने में मशगूल होते, जो समागम कर चुकी होतीं। ऐसा होता तो ये पतझड़ का समय होता। मगर बाईबल में यीशु मसीह के जन्म का कोई दिन नहीं बताया गया है।
🚩 वास्तव में, पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘मकर संक्रांति' (शीतकालीन संक्रांति) पर्व मनाया जाता था और यूरोप-अमेरिका आदि देश धूमधाम से इस दिन सूर्य उपासना करते थे। सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।
🚩 सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है। सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है जिसके अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है। यूरोप शीतोष्ण कटिबंध में आता है इसलिए यहां सर्दी बहुत पड़ती है। जब सूर्य उत्तर की ओर चलता है, यूरोप उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ता है तो यहां से सर्दी कम होने की शुरुआत होती है, इसलिए 25 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाते थे।
🚩 विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से क्रिसमस डे को प्रारम्भ किया गया।
🚩 आपको बता दें कि सबसे पहले 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस का त्यौहा�� ईसाई रोमन सम्राट (First Christian Roman Emperor) के समय में 336 ईसवी में मनाया गया था। इसके कुछ साल बाद पोप जुलियस (Pop Julius) ने 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया, तब से दुनियाभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है।
🚩 आपको बता दें- बाईबल में भी जिक्र नहीं है कि यीशु मसीह 13 साल से 29 साल की उम्र के बीच कहाँ रहे? यीशु ने भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक योग किया ��ा, बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इत्र से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे।
🚩 बाद में यीशु के अधिक लोक संपर्क से योगबल खत्म हो गया और उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था। रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे।
🚩 एक नए शोध के अनुसार यीशु ने उनकी शिष्या मेरी मेग्दलीन से विवाह किया था, जिनसे उनको दो बच्चे भी हुए थे। ब्रिटिश दैनिक 'द इंडिपेंडेंट' में प्रकाशित रिपोर्ट में 'द संडे टाइम्स' के हवाले से बताया गया है कि ब्रिटिश लाइब्रेरी में 1500 साल पुराना एक दस्तावेज मिला है, जिसमें एक दावा किया गया है कि ईसा मसीह ने ना सिर्फ मेरी से शादी की थी, बल्कि उनके दो बच्चे भी थे।
🚩 साहित्यकार और वकील लुईस जेकोलियत (Louis Jacolliot) ने 1869 ई. में अपनी एक पुस्तक 'द बाइबिल इन इंडिया' (The Bible in India, or the Life of Jezeus Christna) में कृष्ण और क्राइस्ट पर एक तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। 'जीसस' शब्द के विषय में लुईस ने कहा है कि क्राइस्ट को 'जीसस' नाम भी उनके अनुयायियों ने दिया है। इसका संस्कृत में अर्थ होता है- 'मूल तत्व'।
🚩 इन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि 'क्राइस्ट' शब्द कृष्ण का ही रूपांतरण है, हालांकि उन्होंने कृष्ण की जगह 'क्रिसना' शब्द का इस्तेमाल किया। भारत में गांवों में कृष्ण को क्रिसना ही कहा जाता है। यह क्रिसना ही यूरोप में क्राइस्ट और ख्रिस्तान हो गया। बाद में यही क्रिश्चियन हो गया। लुईस के अनुसार, ईसा मसीह अपने भारत भ्रमण के दौरान भगवान जगन्नाथ के मंदिर में रुके थे। एक रूसी अन्वेषक निकोलस नोतोविच ने भारत में कुछ वर्ष रहकर प्राचीन हेमिस बौद्ध आश्रम में रखी पुस्तक 'द लाइफ ऑफ संत ईसा' पर आधारित फ्रेंच भाषा में 'द अननोन लाइफ ऑफ जीजस क्राइस्ट' नामक पुस्तक ��िखी है। इसमें ईसा मसीह के भारत भ्रमण के बारे में बहुत कुछ लिखा हुआ है।
🚩 मॉनेस्ट्री के एक अनुभवी लामा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया था कि ईसा मसीह ने भारत में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी और वह बुद्ध के विचार और नियमों से बहुत प्रभावित थे। यह भी कहा जाता है कि जीसस ने कई पवित्र शहरों, जैसे- जगन्नाथ पुरी, राजगृह और बनारस में दीक्षा दी और इसकी वजह से ब्राह्मण नाराज हो गए और उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया। इसके बाद जीसस हिमालय भाग गए और बौद्ध धर्म की दीक्षा लेना जारी रखा। जर्मन विद्वान होल्गर केर्सटन ने जीसस के शुरुआती जीवन के बारे में लिखा था और दावा किया था कि जीसस सिंध प्रांत में आर्यों के साथ जाकर बस गए थे।
🚩 "फिफ्त गॉस्पल" फिदा हसनैन और देहन लैबी द्वारा लिखी गई एक किताब है जिसका जिक्र अमृता प्रीतम ने अपनी किताब 'अक्षरों की रासलीला' में विस्तार से ��िया है। ये किताब जीसस की जिन्दगी के उन पहलुओं की खोज करती है जिसको ईसाई जगत मानने से इन्कार कर सकता है। जैसे- मसलन कुँवारी माँ से जन्म और मृत्यु के बाद पुनर्जीवित हो जाने वाले चमत्कारी मसले। किताब का भी यही मानना है कि 13 से 29 वर्ष की उम्र तक ईसा भारत भ्रमण करते रहे।
🚩 बीबीसी ने “Jesus Was A Buddhist Monk” नाम से एक डॉक्युमेंट्री बनाई थी जिसमें बताया गया था कि यीशु मसीह को सूली पर नहीं चढ़ाया गया था। जब वह 30 वर्ष के थे तो वह अपनी पसंदीदा जगह वापस चले गए थे। डॉक्युमेंट्री के मुताबिक, यीशु मसीह की मौत नहीं हुई थी और वह यहूदियों के साथ अफगानिस्तान चले गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोगों ने इस बात की पुष्टि की कि यीशु मसीह ने कश्मीर घाटी में कई वर्ष व्यतीत किए थे और 80 की उम्र तक वहीं रहे। अगर यीशु मसीह ने 16 वर्ष किशोरावस्था में और जिंदगी के आखिरी 45 साल व्यतीत किए तो इस हिसाब से वह भारत, तिब्बत और आस-पास के इलाकों में करीब 61 साल रहे। कई स्थानीय लोगों का मानना है कि कश्मीर के श्रीनगर में रोजा बल श्राइन में जीसस की समाधि बनी हुई है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर यह मजार एक मध्यकालीन मुस्लिम उपदेशक यूजा आसफ का मकबरा है। अगर इस बात को सत्य माना जाए तो इसका मतलब है कि यीशु मसीह को कील ठोककर क्रॉस पर लटकाना आदि बातें झूठ है। ईसाई मिशनरियां इसी बात को बोलकर यीशु मसीह को भगवान का बेटा बताती हैं। इसका मतलब- ईसाई मिशनरियां केवल धर्मांतरण के लिए ये सफेद झूठ बोलती हैं।
🚩 यदि यीशु मसीह ने धार्मिक प्रवचन करते अपना जीवन बिताया होता तो उनके प्रवचनों की कोई बड़ी ��ुस्तक जरूर होती या कम से कम बाइबिल में ही उनके प्रवचन होते पर बाईबल में तो उनके किसी प्रवचन का जिक्र ही नहीं है? अब प्रश्न ये है कि वे सारे भाषण कहाँ हैं? इसका उत्तर आज तक किसी के पास नहीं है।
🚩 25 दिसंबर क्रिसमस का न यीशु से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से; फिर भी भारत में पढ़े-लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं। भारतीय संस्कृति को खत्म करने और ईसाईकरण के लिए भारत में क्रिसमस डे मनाया जाता है, इसलिये आप सावधान रहें ।
🚩 ध्यान रहे- हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है। हिन्दू महान भारतीय संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला, मांस खाने वाला अंग्रेजों का नववर्ष मनायें- ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है।
🚩 आपको बता दें कि वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व शांति से जनमानस का जीवन मंगलमय हो- इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू संत आशाराम बापूजी ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में मनाना शुरू करवाया। समस्त भारतवासी भी 25 दिसम्बर तुलसी पूजन करके ही मनायें।
🚩 तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है। तुलसी माता पर्यावरण शुद्ध करती है, हवा को साफ करती है और तुलसी के घर में होने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
🚩 मरने के बाद भी मोक्ष देनेवाली तुलसी पूजन की महत्ता बताकर जन-मानस को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि विज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने।
🚩 धन्य हैं ऐसे संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय, अत्याचार को ना देखकर संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं।
🚩 सभी भारतीय, 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें।
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abhay121996-blog · 3 years ago
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सउदी अरब में महर्षि पतंजलि की योग कन्‍या "नौफ़ अल मारवाही" Divya Sandesh
#Divyasandesh
सउदी अरब में महर्षि पतंजलि की योग कन्‍या "नौफ़ अल मारवाही"
नई दिल्‍ली। पूरा विश्‍व आज अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस मना रहा है, इस बार ‘योगा फॉर वेलनेस’, दृष्टि इसी पर है कि कैसे हम सभी कोरोना के इस महासंकट के बीच शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने पर जोर दें और पूर्णतया सफल हो सकें। जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो स्‍वत: ही यहां आत्‍मविश्‍वास उभर कर सामने आता है। जिसका यह विश्‍वास जितना दृढ़ है वह जीवन में उतना ही सफल भी है। लाख कठिनाइयां उसे कमजोर नहीं कर पाती और अंत में जो भी निर्णय आए, वह उसी के पक्ष में आता है। योग के क्षेत्र में एक ऐसा ही नाम सामने आ रहा है, जिन्‍हें अनेक अवसरों पर अपमानित किया गया, डराया, धमकाया गया, यहां तक कि धर्म का हवाला भी दिया जाता रहा कि वे अपने इरादे से ह�� जाएं लेकिन वे हर मुश्‍किल को मुस्‍कुराते हुए सहती रहीं और एक दिन वह आ गया जब उनके देश के राजा ने उनकी प्रशंसा में भरपूर शब्‍द कहे। 
योग है एक जीवनचर्या  इन शुभकामना भरे शब्‍दों के साथ अब सारा अपमान पीछे छूट गया था, सामने दिख रहा था तो उनका सतत एक दिशा में बढ़ते रहने का उनका कर्म लोगों की प्रेरणा बन चुका था और उसके बाद उनके देश के लोगों ने भी माना कि ‘योग’ कोई हिन्‍दू धर्म का हिस्‍सा नहीं बल्‍कि यह एक जीवनचर्या है जोकि हमें स्‍वस्‍थ रहने का मार्ग बताता है। निरोगी काया के लिए ‘योग’ को अपनाने से किसी की इबादत में कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्‍कि स्‍वस्‍थ जीवन जीने का मार्ग ही सुगम होता है। बात यहां हम सऊदी अरब की कर रहे हैं। जहां पर सनातन हिन्‍दू धर्म या अन्‍य धर्म के माननेवाले नहीं बल्‍कि इस्‍लाम को धर्म के ��ूप में स्‍वीकार्य करनेवाले लोग हैं। 
सउदी अरब में ‘योग’  को ऐसे मिली मान्‍यता  अरब में पहले ‘योग’  को सिर्फ हिंदू धार्मिक का हिस्‍सा माना जाता था। ‘योग’ करना गैर इस्लामिक था। लेकिन जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को खेल के रूप में मान्यता दी तब से यह इस देश में लोकप्रिय हो रहा है। खुशी की इसमें बात यह है कि ‘योग’ का ध्‍वज लेकर जो सबसे पहले आगे बढ़ा वह कोई पुरुष नहीं, एक महिला है। 
जिस देश में कभी शरीया कानूनों के नाम पर औरतों के अधिकारों को दबाया जाता था। उनकी आजादी छीनी जाती थी। आज उसी देश में औरतों की आवाज बुलंद हो रही है। लगभग 20 सालों की लड़ाई के बाद “नौफ़ अल मारवाही” यहां पहली योग शिक्षिका घोषित होने में सफल ही नहीं रहीं बल्‍कि आज के समय में पूरे अरब में यह एक आशा की किरण बनकर उभरी हैं। 
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इस्‍लामिक देश में योग को प्रतिष्‍ठा दिलाने में सफल रहीं “नौफ़ अल मारवाही”  कहना होगा कि अरब में ‘योग’ को प्रतिष्ठापित व मान्यता दिलाने का पूरा-पूरा श्रेय नौफ मारवाई को जाता है। वह सऊदी अरब में “अरब योग फाउंडेशन” की संस्थापिका हैं।  उन्‍होंने ही यहां योग को कानूनी बनाने और सऊदी अरब में आधिकारिक मान्यता दिलाने में योगदान दिया है। इसलिए उन्‍हें भारत ने वर्ष 2018 में अपने चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित भी किया।
योग मुद्रा सूर्य नमस्‍कार पर थी सबसे अधिक लोगों को आपत्‍त‍ि  मारवाई अपने अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि पहले उन्हें बहुत परेशान किया गया। मौलवियों को सबसे अधिक आपत्‍त‍ि सूर्य नमस्कार पर थी। लेकिन लगातार के प्रयासों के बाद अब यहां के लोगों का नजरिया बदलने लगा है । लोग समझने लगे हैं कि ‘योग’  जीवन को स्‍वस्‍थ रखने का एक माध्‍यम है। इसका धर्म से लेना-देना नहीं है।
‘योग’ कैंसर जैसे रोग से भी बचाने में है मददगार  नौफ का कहना है कि ‘योग’ ने उन्हें कैंसर से बचने में मदद की है । अल्लाह की मैं बहुत आभारी हूं कि उसने मुझे ‘योग’ का रास्‍ता बताया। मैं एक ऑटो-इम्यून बीमारी के साथ जन्मी जरूर थी लेकिन योग और आयुर्वेद के माध्यम से इस चुनौती पर विजय प्राप्त करने में सफल रही हूं। वे अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि उन्‍हें लगभग बीस वर्षों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन उनके साथ उनका परिवार साथ देने के लिए खड़ा हुआ था इसलिए वे योग के रास्‍ते पर सतत आगे बढ़ती रहीं। 
योग के अंतरराष्‍ट्रीय दिवस घोषित होते ही बदली परिस्‍थ‍ितियां  वे कहती हैं कि उन्होंने सबसे पहले वर्ष 2004 में ‘योग’ के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की थी, तब कोई भी योग से वाकिफ़ नहीं था। लोगों के बीच यह नया विषय था, फिर 2006 में योग को कानूनी रूप से मान्यता दिए जाने के लिए प्रयास किया गया लेकिन उन्‍हें कोई भी सफलता नहीं मिल पाई थी बल्‍कि सउदी में जब महिलाओं के खेलों और योग को लेकर कुछ स्‍वतंत्रता दी गई तब बहुत कठिनाई आने लगी थी, किंतु 11 दिसंबर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से ‘योग के अंतरराष्‍ट्रीय दिवस’ के रूप में 21 जून को मंजूरी दे दी तब स्‍थ‍ितियां बदले लगीं।   उस दिन हमने जेद्दाह में आधिकारिक रूप से सार्वजनिक तौर पर पहला ‘योग’ उत्सव मनाया। इसके बाद हर साल हमें योग को प्रचारित करने का मौका मिल गया। 
‘योग’ मन और शरीर दोनों से करता है मजबूत  उन्होंने कहा कि फरवरी 2017 में राजकुमारी रीमा बंत बंदार अल सऊद से उनकी हुई मुलाकात के बाद से बहुत कुछ तेजी से बदलता हुआ यहां दिखा । मुझे अपने देश में सभी को योग के स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताना था। मैं ऑटो इम्यून डिजीज के साथ पैदा हुई थी और बहुत कुछ सहा था। मैं एक सामान्य जीवन शैली जीने में असमर्थ थी।  एक बार किसी ने मुझे योग के बारे में बताया और फिर मैंने इसके बारे में पढ़ना शुरू किया। जितना अधिक मैंने इसके बारे में जाना मेरी रुचि और अधिक बढ़ती गई। 
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आयुर्वेद और योग से कठिन बीमारी पर भी पाई जा सकती है विजय  वे कहती हैं कि  ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं भारत ��ली आई, अब तक मेरी बीमारी ने किडनी पर असर करना शुरू कर दिया था। ऐसे में भारत आकर मैं सबसे पहले केरल गई जहां आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों से मिलकर अपना इलाज शुरू किया । उसके बाद मैंने देखा शरीर में बहुत तेजी के साथ सुधार हो रहा है, चिकित्‍सा में योग करना भी एक भाग था।  यहां से मैं योग के साथ और बहुत गहरे से जुड़ गई । उसके बाद भारत में कई स्‍थानों पर जाकर योग के बारे में जानने का प्रयास किया, जितना अध्ययन किया इस विषय में उतना ही अधिक ज्ञान बढ़ा । 
इस्‍लामिक देशों में आज खड़ा हुआ है योग का सफल उद्योग  मारवाई बताती हैं, कि योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने के भीतर ही मक्का, मदीना सहित देश के कई शहरों में योगा स्टूडियो और योग प्रशिक्षकों का एक नया उद्योग खड़ा हो गया है। सऊदी अरब के माध्यम से योग का अभ्यास किया जा रहा है। मक्का, रियाद मदीना और जेद्दा जैसे शहरों में योग केंद्र और योग शिक्षक हैं। सऊदी अरब में योग की मांग है क्योंकि लोग जानते हैं कि योग आपको स्वस्थ बनाता ��ै। इसने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर मदद मिलती है । 
‘योग’ कोरोना काल में नर्वस सिस्‍टम और मानसिक संतुलन को बनाए रखने का देता है बल  नौफा मारवाई का इस कोरोना महामारी के वक्‍त में कहना है कि हम सभी जानते हैं कि इस वक्‍त पूरा विश्‍व कोरोना संकट में जी रहा है, ऐसे वक्‍त में हमारे सामने नर्वस सिस्‍टम एवं मानसिक संतुलन को बनाए रखना बहुत जरूरी है । हमारे मस्‍तिष्‍क में खुश रहनेवाले हार्मोन बनते हैं । ऐसे हार्मोन बनाने में योग बहुत कारगर है। वे कहती हैं कि यदि हम प्रतिदिन योग को अपने जीवन में शामिल कर लें तो हमारी क्‍वालिटी ऑफ लाईफ बेहतर हो जाती है। 
बतादें कि आज इस्‍लामिक देशों में योग के प्रशिक्षण और अभ्यास को जो मंजूरी मिली हुई है उसका पूरा श्रेय यदि सऊदी अरब और खाड़ी के देशों में किसी को जाता है तो वह इसके लिए पूरी तरह से समर्पित “नौफ़ अल मारवाही” ही हैं।  जिसके बाद कहना होगा कि वे सच्‍चे अर्थों में महर्षि पतंजलि की योग कन्‍या हैं। 
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gyanyognet-blog · 6 years ago
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एनसीसी के बारे में 20 रोचक तथ्य । National Cadet Corps (NCC) in Hindi
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एनसीसी के बारे में 20 रोचक तथ्य । National Cadet Corps (NCC) in Hindi
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Amazing Facts about National Cadet Corps (NCC) In Hindi राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के बारे में रोचक तथ्य
Contents
1 Amazing Facts about National Cadet Corps (NCC) In Hindi राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के बारे में रोचक तथ्य
1.1 एन सी सी क्या है – What is NCC in Hindi
1.2 NCC का इतिहास, NCC की स्थापना कब और किसने की – History of Ncc in Hindi
1.3 NCC का Motto
1.4 एनसीसी नियम
1.5 राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन सी सी) दिवस
1.6 एनसीसी निदेशालय
1.7 एन सी सी गान
1.8 NCC के लाभ, फायदे – Benefits of NCC in Hindi
1.9 NCC के रोचक तथ्य (9 से 20)
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National Cadet Corps (NCC) एक त्रिकोणीय सेवा संगठन है, यह अधिकत्तर काॅलेज के समय ज्वॉइन की जाती है. आइए जानते है एनसीसी के बारे में रोचक तथ्य..
एन सी सी क्या है – What is NCC in Hindi
1. एन सी सी भारत का एक सैन्य कैडेट कोर है जो स्कूल और कॉलेज के छात्रों को सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए उपयुक्त सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करता है. यह 3 साल का एक कोर्स टाइप होता है जिसे पूरा करने पर योग्यता अनुसार सर्टिफिकेट भी मिलता है. ये मानिए कि इसे ज्वाॅइन करने वाला छात्र फौजी ही बन जाता है.
NCC का इतिहास, NCC की स्थापना कब और किसने की – History of Ncc in Hindi
2. अगर भारत में Ncc का इतिहास देखा जाए तो पता चलता है कि Ncc का गठन एक कमेटी द्वारा किया गया था. जिसके हेड थे ‘Pandit Hradaya Nath Kunjru’ इन्होनें सुझाव दिया था कि देश में एक नेशनल लेवल की सैनिक छात्र संस्था होनी चाहिए. इन्हीं के सुझाव पर आजादी के कुछ महीने बाद 16 April, 1948 को national cadet corps acts 1948 के साथ Ncc की स्थापना हुई. आज देश के 13 लाख से ज्यादा छात्र NCC में है, जबकि 1948 में यह सिर्फ 20,000 के साथ शुरू हुई थी.
NCC का Motto
3. Ncc का motto है- “एकता और अनुशासन” -“unity and discipline“. इस सिद्धांत को 12 Oct, 1980 को अपनाया गया था।
एनसीसी नियम
4. एन सी सी के मुख्य 4 नियम है:
मुस्कान के साथ आज्ञा का पालन करो.
समय पर आयें.
बिना गड़बड़ के कठिन परिश्रम करो.
कभी बहाना नही बनाना और झूठ नही बोलना.
रा��्ट्रीय कैडेट कोर (एन सी सी) दिवस
5. एन सी सी दिवस हर साल नवंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है.
एनसीसी निदेशालय
6. देश में एनसीसी के कुल 17 निदेशालय है हर एक को एनसीसी झंडे पर कमल द्वारा दर्शाया गया ��ै. सबसे बड़ा एनसीसी निदेशालय उत्तर प्रदेश में है. यहां करीब 1.19 लाख कैडेट राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. कई कैडेट्स ने निशानेबाजी और घुड़सवारी में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अनेक सम्‍मान भी अर्जित किये हैं. NCC का जो हेडक्वार्टर हैं वो दिल्ली में हैं।
एन सी सी गान
7. एन सी सी का वर्तमान गीत ‘सुदर्शन फकीर‘ द्वारा लिखा गया है. इससे पहले, एन सी सी का गीत था- “कदम मिला के चल“. अब, आधिकारिक गीत “हम सब भारतीय है“, जिसका अर्थ है “we are all indians” और इसे 1982 में अपनाया गया था. सुदर्शन फाकीर पहले ऐसे इंसान थे जिसे अपने पहले गाने के लिए ही filmfare award’s मिला।
NCC के लाभ, फायदे – Benefits of NCC in Hindi
8. छात्रों के लिए एनसीसी के कई सारे लाभ है. NCC तीन साल की होती है, पहले साल ‘A’, दूसरे साल ‘B’ और तीसरे साल ‘C’ grade का certificate मिलता है. एनसीसी में शामिल होने से छात्रों को मेडिकल, उच्च शिक्षा से लेकर आर्मी के GD की और NDA की लिखित परीक्षा तक में छूट मिलती है. यदि आपके शरीर में छोटी -मोटी कमी है तो NDA medical में एनसीसी सर्टिफिकेट से benefits मिलता है. लेकिन आप बड़े फाॅल्ट से नही बच सकते. जैसे:- घुटना आपस में नही सटना चाहिए, दाँतो का ज्यादा प्रॉब्लम ना हो, और आँखों और पैर में ज्यादा प्रॉब्लम नही होनी चाहिए. एन सी सी का certificate होने पर आपको उच्च शिक्षा में अलग से कोटा मिलता है. Ncc का ‘C’ certificate होने से आपको आर्मी के GD की और NDA की लिखित परीक्षा नही देनी पड़ती और कई जगह छूट भी मिलती है (‘A’ certificate को 5%, ‘B’ certificate को 8% और ‘C’ certificate को 10%)।
NCC के रोचक तथ्य (9 से 20)
9. PM Narendra Modi एक समय पर NCC के छात्र थे।
10. NDA और IMA के उल्ट, NCC में लड़कियों को शामिल होने की अनुमति है. यहाँ लड़कियों को भी लड़को के सामान अवसर मिलते है।
11. ये एक रिकॉर्ड है कि, प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 9.5 लाख एनसीसी छात्रों ने देश के 1805 सेंटरों पर योग किया था. इनमें लेह, कन्याकुमारी, अंडमान और निकोबार द्वीप के भी सेंटर शामिल थे।
12. NCC, दक्षिण पूर्व एशिया के 12 देशों में एक youth exchange program भी चलाती है।
13. 1963 और उससे आगे के सालों में देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एनसीसी के प्रशिक्षण को अनिवार्य कर दिया गया था।
14. 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में एन सी सी के छात्र दूसरे नंबर के रक्षक थे. इन्हें कारखानों में हथियारों की सप्लाई और गश्त लगाने ��ाले दलों के रूप में तैनात किया गया था. बड़ी संख्या में ncc छात्रों ने ट्रैफिक पुलिस और राहत कार्यों में भी सहायता प्रदान की।
15. NCC के वर्तमान डायरेक्टर जनरल (DG) ‘B. S. Sahrawat‘ जी है.
16. साल 2017 के गणतंत्र दिवस मार्च कंपीटिशन में एनसीसी छात्रों ने 3rd पाॅजिशन हासिल की और ट्राॅफी भी जीती।
17. पूरे देश में एन सी सी की कुल 788 unit हैं, इनमें से 667 सेना के.. 60 नौसेना के.. और 61 वायु सेना के छात्रों को तैयार कर रही हैं. किसी भी एनसीसी समूह का नेतृत्व ‘लेफ्टिडेंट जनरल‘ रैंक का ऑफिसर करता है।
18. Ncc के झंडे में तीन रंग है: लाल.. सेना के लिए, गहरा नीला.. नौसेना के लिए और हल्का नीला.. वायु सेना के लिए है।
19. Ncc के छात्र ��लग-अलग तरह की वर्दी पहनते है- खाकी.. सेना के लिए, सफेद.. नौसेना के लिए और हल्की नीली.. वायु सेना के लिए।
20. काॅलेज में NCC और NSS दोनों इकट्ठी भी ज्वाॅइन की जा सकती है।
उम्मीद है आपको NCC Full Details in Hindi / एनसीसी के रोचक तथ्य पसंद आए होगे. आप चाहे तो इसे summarize करके essay on ncc in hindi 💡 भी लिख सकते है.
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moneycontrolnews · 5 years ago
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जीवन मंत्र डेस्क. गुरुवार, 30 जनवरी को माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी है, इस तिथि वसंत पंचमी मनाई जाती है। ये दिन देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे वागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार बसंत पंचमी पर दोपहर 1.30 बजे से सर्वार्थ सिद्धि का योग भी रहेगा। मंगल स्वराशि वृश्चिक में, गुरु स्वराशि धनु में, शनि स्वराशि मकर में, शुक्र मित्र राशि कुंभ में, राहु-केतु भी मित्र राशि में रहेंगे। ग्रहों के योगों में वसंत पंचमी का आना शुभ फलों में वृद्धि में करने वाला है। 175 साल पहले बना था ऐसा योग 2020 से पहले वसंत पंचमी पर ग्रहों का ऐसा योग 175 वर्ष पहले 1845 को बना था। उस समय मंगल स्वराशि वृश्चिक में, शनि स्वराशि मकर में और गुरु भी स्वराशि में था, गुरु उस समय मीन राशि में था। साथ ही, इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना है। विद्यार्थियों के लिए शुभ दिन है वसंत पंचमी शिक्षा से संबंधित काम करने वाले और विद्यार्थियों के लिए ये वसंत पंचमी बहुत ही श्रेष्ठ फल देने वाली है, इस योग में विद्यार्थियों को कोई नई विद्या का सीखना शुरू करना चाहिए। पं. शर्मा के अनुसार वसंत पंचमी पर शुरू की गई नई विद्या से जल्दी ज्ञान मिलता है और उस का उपयोग हम जीवन में कर पाते हैं। प्राचीन काल में आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में बांटा था पं. शर्मा के मुताबिक जब ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की, उस समय देवी मां यानी आद्यशक्ति ने स्वयं को पांच भागों में विभाजित किया था। ये पांच भाग यानी स्वरूप हैं राधा, पद्मा, सावित्रि, दुर्गा और सरस्वती। ये शक्तियां भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई थी। उस समय भगवान के कंठ से प्रकट होने वाली देवी ही सरस्वती थीं। भगवती सरस्वती सत्तवगुण संपन्ना हैं। इनके अनेक नाम हैं। देवी को वाक, वाणी, गिरा, गी:, भाषा, शारदा, वाचा, धीश्वरी, वाग्देवी आदि कई नामों से जाना जाता है। सार्वजनिक स्थानों पर नही�� किया जाता देवी का पूजन देवी सरस्वती का पूजन कभी भी सार्वजनिक स्थानों पर में नहीं किया जाता है। देवी की देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। शास्त्रों में वाग्देवी का पूजन यानी अराधना व्यक्तिगत रूप से ही करने का विधान बताया गया है। देवी भागवत के अनुसार श्रीं ह्रीं सरसवत्यै स्वाहा। इस अष्टाक्षर मंत्र से देवी का पूजन करना चाहिए। देवी सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से हुई है। इसीलिए वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनके पूजन में सफेद वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए। इसी दिन से छोटे बच्चों का विद्याध्यन शुरू कराना चाहिए। सभी ऋषियों ने प्रसन्न किया है देवी सरस्वती को देवी भागवत और ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार सभी ऋषियों ने देवी सरस्वती को प्रसन्न किया था। प्रसन्न होकर देवी ने ऋषियों को वाक्सिद्धि प्रदान की। देवी की प्रसन्नता की वजह से ही ऋषियों ने कई ग्रंथों की रचना की। महाकवि कालिदास ने सरस्वती मां के काली स्वरूप में उपासना की थी। इसके बाद कालिदास से विश्वकवि के रूप प्रसिद्ध हुए। तुलसीदासजी ने भी देवी सरस्वती और गंगा को एक समान पापहारिणी और अविवेक हारिणी बताया था। देवी सरस्वती की प्रसन्नता के बाद ही महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं देवी सरस्वती विद्या की देवी है और विद्या को सभी प्रकार के धनों में श्रेष्ठ माना गया है। विद्या से ही अमृतपान किया जा सकता है। जिस व्यक्ति पर देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं, उसे महालक्ष्मी की भी प्रसन्नता मिल जाती है। विद्या से ही धन अर्जन किया जा सकता है। इसीलिए सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं और धन की प्राप्ति विद्या प्राप्त करने के बाद ही होती है। वसंत पंचमी के योगों का राशिफल और इस दिन राशि अनुसार क्या करें मेष- आय कमजोर रहेगी और किसी से सहयोग की अपेक्षा बेकार जाएगी। कार्य में बाधाएं आएंगी। सरस्वतीजी के को शहद का भोग लगाएं। केसरी वस्त्र धारण करें। वृषभ- भाग्य वृद्धि होगी। कार्य की अधिकता रहेगी और धन लाभ मिलेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। शुभ सूचनाएं और पद लाभ मिलेगा। सरस्वतीजी को मिठाई का भोग लगाएं। श्वेत वस्त्र धारण करें। मिथुन- समयानुसार कार्य पूरे होंगे, आर्थिक लाभ भी मिलेगा। सहयोग की प्राप्ति होगी। नई योजनाएं सफल होंगी। संतान से सुख की प्राप्ति होगी। सरस्वती को मूंग के हलवे भोग लगाएं। हरे वस्त्र धारण करें। कर्क- स्थितियां नियंत्रण में नहीं रहेंगी। कुछ दिनों बाद समय अनुकूल होने की संभावना है। सरस्वतीजी को दही का भोग लगाएं। श्वेत वस्त्र धारण करें। सिंह- अज्ञात-भय और चिंता बनी रहेगी। खर्च की अधिकता रहेगी। यात्रा में कष्ट हो सकता है। शेष समय पक्ष का रहेगा। सरस्वतीजी को गाजर के हलवे का भोग लगाएं। लाल वस्त्र धारण करें। कन्या- संतान से सुख मिलेगा। लाभ वृद्धि होगी। मंगलवार को कार्य में देरी और बुधवार को यात्रा का योग ��ै। सतर्क रहना होगा। विवाद से दूर रहें। सरस्वतीजी को घी का दीपक लगाएं। पीले वस्त्र धारण करें। तुला- आपके लिए अभी का समय चिंताजनक रहेगा। कुछ दिनों बाद आय में वृद्धि हो सकती है। सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। सरस्वतीजी को इत्र अर्पित करें और श्वेत वस्त्र धारण करें। वृश्चिक- सुख में कमी हो सकती है। परिवार से वैचारिक मतभेद हो सकता है। आय भी कमजोर रहेगी। सरस्वतीजी को फलों का भोग लगाएं और केसरी वस्त्र धारण करें। धनु- अच्छा समय आरंभ हुआ है। सफलता प्राप्त होगी। आय भी अच्छी बनी रहेगी। योजनाएं सफल होंगी। सरस्वतीजी को दूध का भोग लगाएं एवं नारंगी वस्त्र धारण करें। मकर- कार्यों में सफलता मिलेगी, प्रसन्नता रहेगी। पुराने अटके काम शुरू हो सकते हैं। आर्थिक सुधार होगा। सरस्वतीजी को मक्खन का भोग लगाएं और पीले वस्त्र धारण करें। कुंभ- समय अच्छा रहेगा। कार्य के उत्साह के साथ कर पाएंगे। आर्थिक स्थितियों में सुधार रहेगा। समस्याओं का समाधान होगा। सरस्वतीजी को चने-गुड़ का भोग लगाएं एवं पीले वस्त्र धारण करें। मीन- व्यय की अधिकता हो सकती है। मामले उलझ सकते हैं। बेकार की उलझनें हो सकती हैं। आय बढ़ेगी और कार्य में तेजी आएगी। सरस्वतीजी को मीठे चावल का भोग लगाएं। पीले वस्त्र धारण करें। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Basant Panchami, Basant Panchami 2020, Vasant Panchami, Vasant Panchami, also spelled Basant Panchami, बसंत पंचमी कब है, Wednesday, 30 January, Basant Panchami 2020, वसंत पंचमी राशिफल
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/175.html
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totalphysiologycom · 5 months ago
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     2024|10th International Yoga Day | अंतर्राष्ट्रीय योग  दिवस 2024
इस लेख में हम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के विषय में बहुत कुछ जानेंगे |अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस  कब मनाया जाता है,इसका महत्व एवं बहुत कुछ जो आप जानना पसंद करेगें |  Table of…
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modijifans · 4 years ago
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020
योग क्या है ?
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योग प्राचीन भारत में उत्पन्न शारीरिक, मानसिक और  आध्यात्मिक  प्रथाओं का एक समूह है।  यह एक आध्यात्मिक अनुशासन के साथ-साथ विज्ञान भी है।  ‘योग’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘युग’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’, ‘जुड़ना’, ‘एकजुट करना’। इस प्रकार, योग मन, शरीर और एकमात्र का मिलन है। इसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास  शामिल हैं।
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योग का इतिहास लगभग 5000 ईसा पूर्व का है। सिंधु घ…
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chaitanyabharatnews · 3 years ago
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World Music Day : संगीत व सेहत का है अटूट रिश्ता, जानिए कब, क्यों और कैसे हुई इस दिन की शुरुआत
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चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष 21 जून को 'विश्व संगीत दिवस' (World Music Day) मनाया जाता है। संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से ही विश्व में संगीत के नाम एक दिन है। विश्व संगीत दिवस का उद्देश्य लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करना है ताकि लोगों का विश्वास संगीत से न उठे। इस दिवस की शुरुआत विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने क�� लिए ही फ्रांस में पहली बार 21 जून 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया था। इससे पहले अमेरिका के एक संगीतकार योएल कोहेन ने साल 1976 में इस दिवस को मनाने की बात की थी। विश्व संगीत दिवस कुल 110 देशों में ही मनाया जाता है (जर्मनी, इटली, मिस्र, सीरिया, मोरक्को, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, कांगो, कैमरून, मॉरीशस, फिजी, कोलम्बिया, चिली, नेपाल, और जापान आदि)। इस दिन कई जगहों पर बड़े-से-बड़ा कलाकार बगैर फीस लिए परफॉरमेंस देते हैं।
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संगीत का महत्व माना जाता है कि हर किसी शख्स के साथ अपने पसंद की गीत सुनने के दौरान शरीर के संवेदनशील अंगों में हरकतें होती हैं। मन झुमने लगता है, दिमाग में आनंद छा जाता है, कभी किसी धुन पर आंसू तक निकल आते हैं और सबसे खास बात संगीत उदास लोगों का मन भी हल्का कर देता है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि संगीत का सेहत से गहरा संबंध है। आदि काल से संगीत का सेहत पर पड़ने वाले साकारात्मक पहलू को ही अब संगीत थैरेपी का नाम दे दिया गया है। संगीत थेरेपी में बीमार व्यक्ति का उसके मन-पसंद गीत सुनाकर इलाज किया जाता है। प्रकृति के कण-कण में संगीत योग से हम स्वस्थ्य रहते हैं उसी तरह हम संगीत से भी स्वस्थ्य व प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि प्रकृति के कण-कण में संगीत का सुर सुनाई देता है। जैसे- सुबह की हवा, चिड़ियों का चहकना और पेड़ों के पत्ते का लहराना, सभी संगीत के रूप में जाने जाते हैं। हम सभी की आत्मा में संगीत बस चुका है, हम खुश रहते हैं तो संगीत, गम में संगीत यानी सुख-दुख का साथी है संगीत जिससे हम कभी नहीं दूर रह सकते। संगीत वही है जिसमें लय हो, इस तर्ज पर कविताएं भी संगीत से कम नहीं होतीं। उनमें लय है, शब्दों के आरोह-अवरोह हैं और गायन भी है। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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World Music Day : संगीत व सेहत का है अटूट रिश्ता, जानिए कब, क्यों और कैसे हुई इस दिन की शुरुआत
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चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष 21 जून को 'विश्व संगीत दिवस' (World Music Day) मनाया जाता है। संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से ही विश्व में संगीत के नाम एक दिन है। विश्व संगीत दिवस का उद्देश्य लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करना है ताकि लोगों का विश्वास संगीत से न उठे। इस दिवस की शुरुआत विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही फ्रांस में पहली बार 21 जून 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया था। इससे पहले अमेरिका के एक संगीतकार योएल कोहेन ने साल 1976 में इस दिवस को मनाने की बात की थी। विश्व संगीत दिवस कुल 110 देशों में ही मनाया जाता है (जर्मनी, इटली, मिस्र, सीरिया, मोरक्को, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, कांगो, कैमरून, मॉरीशस, फिजी, कोलम्बिया, चिली, नेपाल, और जापान आदि)। इस दिन कई जगहों पर बड़े-से-बड़ा कलाकार बगैर फीस लिए परफॉरमेंस देते हैं।
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संगीत का महत्व माना जाता है कि हर किसी शख्स के साथ अपने पसंद की गीत सुनने के दौरान शरीर के संवेदनशील अंगों में हरकतें होती हैं। मन झुमने लगता है, दिमाग में आनंद छा जाता है, कभी किसी धुन पर आंसू तक निकल आते हैं और सबसे खास बात संगीत उदास लोगों का मन भी हल्का कर देता है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि संगीत का सेहत से गहरा संबंध है। आदि काल से संगीत का सेहत पर पड़ने वाले साकारात्मक पहलू को ही अब संगीत थैरेपी का नाम दे दिया गया है। संगीत थेरेपी में बीमार व्यक्ति का उसके मन-पसंद गीत सुनाकर इलाज किया जाता है। प्रकृति के कण-कण में संगीत योग से हम स्वस्थ्य रहते हैं उसी तरह हम संगीत से भी स्वस्थ्य व प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि प्रकृति के कण-कण में संगीत का सुर सुनाई देता है। जैसे- सुबह की हवा, चिड़ियों का चहकना और पेड़ों के पत्ते का लहराना, सभी संगीत के रूप में जाने जाते हैं। हम सभी की आत्मा में संगीत बस चुका है, हम खुश रहते हैं तो संगीत, गम में संगीत यानी सुख-दुख का साथी है संगीत जिससे हम कभी नहीं दूर रह सकते। संगीत वही है जिसमें लय हो, इस तर्ज पर कविताएं भी संगीत से कम नहीं होतीं। उनमें लय है, शब्दों के आरोह-अवरोह हैं और गायन भी है। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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World Music Day : संगीत व सेहत का है अटूट रिश्ता, जानिए कब, क्यों और कैसे हुई इस दिन की शुरुआत
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चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष 21 जून को 'विश्व संगीत दिवस' (World Music Day) मनाया जाता है। संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से ही विश्व में संगीत के नाम एक दिन है। विश्व संगीत दिवस का उद्देश्य लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करना है ताकि लोगों का विश्वास संगीत से न उठे। इस दिवस की शुरुआत विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही फ्रांस में पहली बार 21 जून 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया था। इससे पहले अमेरिका के एक संगीतकार योएल कोहेन ने साल 1976 में इस दिवस को मनाने की बात की थी। विश्व संगीत दिवस कुल 110 देशों में ही मनाया जाता है (जर्मनी, इटली, मिस्र, सीरिया, मोरक्को, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, कांगो, कैमरून, मॉरीशस, फिजी, कोलम्बिया, चिली, नेपाल, और जापान आदि)। इस दिन कई जगहों पर बड़े-से-बड़ा कलाकार बगैर फीस लिए परफॉरमेंस देते हैं।
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संगीत का महत्व माना जाता है कि हर किसी शख्स के साथ अपने पसंद की गीत सुनने के दौरान शरीर के संवेदनशील अंगों में हरकतें होती हैं। मन झुमने लगता है, दिमाग में आनंद छा जाता है, कभी किसी धुन पर आंसू तक निकल आते हैं और सबसे खास बात संगीत उदास लोगों का मन भी हल्का कर देता है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि संगीत का सेहत से गहरा संबंध है। आदि काल से संगीत का सेहत पर पड़ने वाले साकारात्मक पहलू को ही अब संगीत थैरेपी का नाम दे दिया गया है। संगीत थेरेपी में बीमार व्यक्ति का उसके मन-पसंद गीत सुनाकर इलाज किया जाता है। प्रकृति के कण-कण में संगीत योग से हम स्वस्थ्य रहते हैं उसी तरह हम संगीत से भी स्वस्थ्य व प्रसन्न रहते हैं। कहा जाता है कि प्रकृति के कण-कण में संगीत का सुर सुनाई देता है। जैसे- सुबह की हवा, चिड़ियों का चहकना और पेड़ों के पत्ते का लहराना, सभी संगीत के रूप में जाने जाते हैं। हम सभी की आत्मा में संगीत बस चुका है, हम खुश रहते हैं तो संगीत, गम में संगीत यानी सुख-दुख का साथी है संगीत जिससे हम कभी नहीं दूर रह सकते। संगीत वही है जिसमें लय हो, इस तर्ज पर कविताएं भी संगीत से कम नहीं होतीं। उनमें लय है, शब्दों के आरोह-अवरोह हैं और गायन भी है। Read the full article
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