#यश यश यश
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The superstar shines bright in his upcoming project 'Toxic' and leaves fans thrilled with a special birthday surprise.
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#GodMorningMonday कबीर जब जप करि थक गए#हरि यश गावे संत।कै जिन धर्म पुराण पढ़े#ऐशो धर्म सिद्धांत।।यदि भक्त जाप करते-करते थक जाए तो परमात
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#महर्षि दयानन्द सरस्वती से अनुप्रेरित धर्म और राष्ट्र के लिए योगदान देने वाली युगों-युगों तक यश#aryasamaj 0#rupendra_arya
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#कबीर#जब जप करि के थक गए हरि यश गावे संत । के जिन धर्म पुराण पढ़े#ऐसो धर्म सिद्धांत ।।GodNightTuesday हिन्दू_भाई_संभलो📚 अधिक जानकारी
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#GodNightSaturday कबीर, जब जप करि के थक गए, हरि यश गावे संत। कै जिन धर्म पुराण पढ़े, ऐसो धर्म सिद्धांत ||
भावार्थ-
यदि भक्त जाप करते-करते थक जाए तो परमात्मा की महिमा की वाणी पढ़े, यदि याद है तो गाए या अपने धर्म की पुस्तकों को पढ़े, यह धार्मिक सिद्धांत है।
- संत रामपाल जी महाराज
#GodNightSaturday कबीर#जब जप करि के थक गए#हरि यश गावे संत। कै जिन धर्म पुराण पढ़े#ऐसो धर्म सिद्धांत ||भावार्थ-यद- संत रामपाल जी महाराज
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Ranchi: लव जिहाद मामले में पीड़ित मॉडल पहुंची रांची, पुलिस ने कराई मेडिकल जांच
Ranchi: लव जिहाद मामले में पीड़ित बिहार के भागलपुर की मॉडल बुधवार को रांची पहुंची। इसके बाद वह गोंदा थाने में पहुंचकर पुलिस को आरोपित यश मॉडलिंग एजेंसी के संचालक तनवीर अख्तर के खिलाफ कई जानकारियां दी। इसके बाद पुलिस मॉडल को लेकर सदर अस्पताल पहुंची, जहां उसका मेडिकल टेस्ट कराया गया। थाना प्रभारी ने बताया कि युवती का मेडिकल कराया गया है। गुरुवार को उसका 164 के तहत कोर्ट में बयान दर्ज कराया जायेगा।…
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कबीर, जब जप करि के थक गए, हरि यश गावे संत। कै जिन धर्म पुराण पढ़े, ऐसो धर्म सिद्धांत।। भावार्थ:- यदि भक्त जाप करते-करते थक जाए तो परमात्मा की महिमा की वाणी पढ़े, यदि याद है तो गाए या अपने धर्म की पुस्तकों को पढ़े, यह धार्मिक सिद्धांत है।
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हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक और हमारे देश के महान साहित्यकार पद्म भूषण डॉ. गोपाल दास नीरज जी की जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" का आयोजन दिनांक: 04 जनवरी 2025 (शनिवार), समय: सायं 05:00 बजे से, स्थान: संत गाडगे प्रेक्षागृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ मे किया जा रहा है |
इस सांस्कृतिक संध्या में बांसुरी वादन, नृत्य प्रस्तुति, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन होगा । कार्यक्रम की परिकल्पना श्री सर्वेश अस्थाना ने की है |
अध्यक्षता: आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त)
अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तर प्रदेश |
मुख्य अतिथि: श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश |
विशिष्ट अतिथि: श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलंब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश एवं श्री राजेश पाण्डेय जी, रिटायर्ड आई.पी.एस., नोडल अफसर, यूपीडा |
कार्यक्रम को गौरव प्रदान करेंगे श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र) एवं श्री पल्लव ��ीरज (नीरज जी के पौत्र) |
नीरज जन्मशती सम्मान से सम्मानित प्रबुद्धजन:
श्री उदय प्रताप सिंह, पूर्व सांसद एवं पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान |
श्री हरिओम, IAS |
श्री आलोक राज, IPS |
श्री सूर्य पाल गंगवार, IAS |
श्री अखिलेश मिश्रा, IAS |
श्री पवन कुमार, IAS |
कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित कवि:
डॉ. विष्णु सक्सेना, हाथरस |
डॉ. प्रवीण शुक्ल, दिल्ली |
श्री दिनेश रघुवंशी, फ़रीदाबाद |
डॉ. सोनरूपा विशाल, बदायु |
श्री बलराम श्रीवास्तव, मैनपुरी |
श्री यशपाल यश, फ़िरोज़ाबाद |
डॉ. राजीव राज, इटावा |
श्री सर्वेश अस्थाना, लखनऊ |
विशेष प्रस्तुतियां:
बांसुरी वादन: श्री राजीव वत्सल |
नृत्य प्रस्तुति: श्रीमती स्नेहा |
हम आपका सपरिवार सादर स्वागत करते हैं । आपके समय और सहयोग के लिए हम हार्दिक आभारी रहेंगे ।
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सच है,
विपत्ति ���ब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाने को,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके वीर नर के मग मेंखम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
गुण बडे एक़ से एक प्रख़र,
हैं छिपें मानवो के भीतर,
मेहदीं मे जैसे लालीं हो,
वर्ति��का-बीच ऊजियाली हों।
बत्तीं जो नही ज़लाता हैं,
रोशनी नही वह पाता हैं।
पीसा ज़ाता जब इक्षु-दण्ड,
झ़रती रस की धारा अख़ण्ड,
मेहदी जब सहती हैं प्रहार,
बनतीं ललनाओ का सिगार।
ज़ब फ़ूल पिरोए जाते है,
हम उनकों गले लगातें है।
वसुधा का नेंता कौंन हुआ?
भूख़ण्ड-विजे़ेता कौंन हुआ?
अतुलिंत यश क्रेता कौंन हुआ?
नव-धर्मं प्रणेता कौंन हुआ?
ज़िसने न कभीं आराम क़िया,
विघ्नो मे रहकर नाम क़िया।
जब विघ्ऩ सामनें आते है,
सोतें से हमें ज़गाते है,
मन को मरोडते है पल-पल,
तन को झ़झोरते है पल-पल।
सत्पंथ की ओर लगाक़र ही,
जाते है हमे ज़गाकर ही।
वाटिक़ा और वन एक़ नही,
आराम और रण एक़ नही।
वर्षां, अंधड, आतप अख़ंड,पौरुष के है साधन प्रचण्ड़।
वन मे प्रसून तो ख़िलते है,
बागो मे शाल न मिलते है।
कङकरियां जिनकी सेज़ सुघर,
छाया देता क़ेवल अम्बर,
विपदाए दूध पिलाती है,
लोरी आंधियां सुनाती है।
जों लाक्षा-गृह मे ज़लते है,
वें ही सूरमा निक़लते है।
बढकर विपत्तियो पर छा ज़ा,मेरें किशोर! मेरें ताजा!
ज़ीवन का रस छन ज़ाने दे,तन को पत्थर ब़न जाने दें,
तू स्वयं तेज़ भयक़ारी हैं,क्या क़र सकती चिंगारी है???
~ रामधारी सिंह ‘दिनकर’
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#AlmightyGodKabir
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर
जब जप करि के थक गए, हरि यश गावे संत। कैजिन धर्म पुराण पढ़े, ऐसो धर्म सिद्धांत ।
यदि भक्तजाप करते-करते थक जाए तो परमात्मा की महिमा की वाणी पढ़े, यदि याद है तो गाए या अपने धर्म की पुस्तकों को पढ़े, यह धार्मिक सिद्धांत है।
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(SANT RAMPAL JI MAHARAJ )Youtube Channel for more information about way of worship.
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ll श्रीराम चालीसा ll
श्री रघुबीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहीं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन मांही।
ब्रह्मा, इन्द्र पार नहीं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहुं पुर जाना॥
जय, जय, जय रघुनाथ कृपाला।
सदा करो संतन प्रतिपाला॥
तव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गोसाईं।
दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पार न पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ भेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखी॥
गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहिं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहीं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा��
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पावत कोऊ न तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहूं न रण में हारो॥
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्ध जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
जो तुम्हरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्धि चरणन में लोटत॥
सिद्धि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हरे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुमहिं राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय जय दशरथ के प्यारे॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा।
नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब सिधि दीन्हीं॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन-मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिव मेरा॥
और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्धता पावै॥
अन्त समय रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम क��,
पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से,
अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े,
राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै,
सकल सिद्ध हो जाय॥
🙏जय श्री राम🙏
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