#मोहम्मद अली जिन्ना
Explore tagged Tumblr posts
Text
महात्मा गांधी से पहले इन चेहरों को मिलने वाली थी भारतीय नोटों पर जगह, आजादी के 22 साल बाद नोटों पर दिखे गांधी जी
Mahatma Gandhi Photo on Indian Currency: किसी भी देश की करेंसी उस देश का इतिहास बयां करती है। नोटों पर अक्सर सभी देश अपनी प्राचीन धरोहरों और दिग्गज हस्तियों की तस्वीरें लगाने को तवज्जो देते हैं। अमेरिकी डॉलर पर जॉर्ज वाशिंगटन, पाकिस्तानी नोट पर मोहम्मद अली जिन्ना, चीनी नोट पर माओ जेडोंग और भारतीय नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर देखने को मिलती है। मगर क्या आप जानते हैं कि भारतीय नोट के लिए महात्मा…
0 notes
Text
पाकिस्तान की सेना में शामिल होंगे? जिन्ना के ऑफर पर क्या था सैम बहादुर का जवाब
नई दिल्ली: भारत के जांबाज फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को कौन नहीं जानता। आज उनपर बनी फिल्म सैम बहादुर देश के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। सैम मानेकशॉकी भूमिका में बॉलीवुड एक्टर विकी कौशल हैं। लोग मानेकशॉ की भूमिका में विकी की एक्टिंग की जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। मानेकशॉ को उनकी वीरता और हास्य-विनोद के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने लगभग चार दशकों तक सेना में सेवा की और द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर 1971 के पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध तक पांच युद्धों में भाग लिया।अब जब बात मानेकशॉ की हो ही रही है तो उनसे जुड़े एक किस्से का जिक्र करना भी जरूरी है। एक बार भारत के निडर निर्भीक इस जवान को पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना का न्योता आया था। न्योता था भारत की सेना को छोड़कर पाक आर्मी में शामिल होने का। लेकिन मानेकशॉ ने इससे इनकार कर दिया था। आइए जानते हैं वो रोचक किस्सा- देश ही नहीं सेना का भी हुआ था विभाजन1947 में हुई भारत-पाकिस्तान का विभाजन सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों का भी हुआ था। रेलवे, सरकारी खजाना, सिविल सेवा, यहां तक कि कुर्सियों और मेजों तक, सब कुछ दो नवजात देशों के बीच बांट दिया गया। इसी तरह, 1947 में लगभग 400,000 सैनिकों वाली इंडियन ब्रिटिश आर्मी को भी विभाजित कर दिया गया। सभी संपत्ति और स्वदेशी कर्मियों को दोनों देशों के बीच विभाजित किया गया था, जिसमें भारत को लगभग 260,000 पुरुष और पाकिस्तान को बाकी आवंटित किया गया था। 1947 में बहुत कुछ की तरह, सेना का विभाजन भी एक जटिल और खूनी प्रक्रिया थी, जिसमें व्यक्तिगत इकाइयों को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया था।सेना के जवानों के पास क्या था विकल्प? हालांकि आम सैनिकों को यह चुनने का अधिकार नहीं था कि वे किस सेना में शामिल होंगे, लेकिन अफसरों के लिए यह सच नहीं था, कम से कम औपचारिक रूप से। इतिहासकार ब्रायन लैपिंग ने 1985 में एंड ऑफ एम्पायर में लिखा, 'अधिकारियों को एक फॉर्म मिला, जिस पर उन्हें अपनी पसंद दर्ज करनी थी।'उन्होंने लिखा, 'ज्यादातर हिंदुओं और सिखों के पास कोई विकल्प नहीं था। पाकिस्तान उन्हें नहीं लेता था। लेकिन जिन मुसलमानों के घर भारत में थे, उनमें से कई ने एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में एक धर्मनिरपेक्ष सेना की आवश्यकता को देखते हुए भारत को चुना।' ईसाई और पारसी सैनिकों को भी इसी तरह का विकल्प चुनना पड़ा।मानेकशॉ के सामने जिन्ना की पाक आर्मी वाली शर्त मेजर सैम मानेकशॉ एक पारसी थे और अमृतसर में पैदा हुए थे, हालांकि उनका परिवार मूल रूप से बॉम्बे (अब मुंबई) से था। ��न्होंने नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई करने से पहले पंजाब शहर में अपने शुरुआती साल बिताए। उनकी मूल यूनिट, 12th फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट, पाकिस्तानी सेना का हिस्सा बन गई। इस प्रकार, मानेकशॉ के सामने भी कठिन परीक्षा की घड़ी आ गई थी। मानेकशॉ के सामने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने एक ऑफर रखा। यह ऑफर था पाकिस्तानी सेना में शामिल होने का अनुरोध। सौभाग्य से भारत माता के आगे मानेकशॉ ने जिन्ना के अनुरोध को ठुकरा दिया। हालांकि पाकिस्तान ने उनके जैसे प्रतिभाशाली अधिकारी के लिए बेहतर करियर की संभावनाएं प्रदान कीं थीं। सैम को ऑफर दिया गया था कि अगर वह जिन्ना की बात मान लेते तो पाकिस्तानी सेना में तेजी से पदोन्नति होती लेकिन मानेकशॉ ने भारत में ही रहना पसंद किया। आपके पास अपराजित भारत 1971 में होता...मानेकशॉ को पहले बहुत कम समय के लिए 16वें पंजाब रेजिमेंट में और बाद में, लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में, 5वें गोरखा राइफल्स में स्थानांतरित किया गया था। हालांकि, उन्होंने गोरखा सैनिकों के साथ सेवा नहीं की और उन्हें 1947-48 के कश्मीर युद्ध के दौरान सेना मुख्यालय के सैन्य संचालन निदेशालय को सौंपा गया था। वर्षों बाद, अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, फील्ड मार्शल मानेकशॉ से 1947 में उनके निर्णय के बारे में पूछा गया। उन्होंने मजाक में जवाब दिया, '1947 में जिन्ना ने मुझे पाकिस्तानी सेना में शामिल होने के लिए कहा था। अगर मैं होता, तो आपके पास एक पराजित भारत 1971 में होता।' http://dlvr.it/SzZPtq
0 notes
Text
What is Khalistan
Khalistan Kya Hai : खालिस्तान आंदोलन उन लोगों का एक समूह है जो खालिस्तान नामक अपना देश बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि सिखों, एक धार्मिक अल्पसंख्यक समूह, की अपनी मातृभूमि होनी चाहिए।
कब हुआ था पंजाबी सूबा आंदोलन और अकाली दल का जन्म?
कहानी 1929 से शुरू होती है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्��ेस का वार्षिक अधिवेश�� लाहौर में हो रहा था। इसी बैठक में मोतीलाल नेहरू ने ‘पूर्ण स्वराज’ का घोषणापत्र तैयार किया। तीन समूहों ने इस विचार का विरोध किया: मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग, दलितों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले भीमराव अम्बेडकर, और शिरोमणि अकाली दल (एमएडी)। यह एक अलग मातृभूमि के लिए सिख मांग की शुरुआत थी। 1947 में भारत के विभाजन के बाद पंजाब दो भागों में बंट गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अकाली गुट ने सिखों के लिए एक अलग प्रांत की मांग की। हालाँकि, राज्य संगठन आयोग ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। यह पहली बार था जब भाषा के आधार पर पंजाब को अलग करने का प्रयास किया गया था। इस आंदोलन के कारण अकाली दल को तेजी से लोकप्रियता मिली। अलग पंजाब की मांग को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गए।
तीन हिस्सों में बंट गया पंजाब
इंदिरा गांधी को प्रधान मंत्री के रूप में अपने पहले वर्ष के दौरान कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। जवाहरलाल नेहरू, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री और इंदिरा के पिता, चीन के साथ युद्ध में देश की हार के बाद 1962 में मृत्यु हो गई। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। लेकिन, शास्त्री की अप्रत्याशित मृत्यु के 10 दिन बाद, पाकिस्तान के साथ युद्ध और ताशकंद समझौते के बाद, देश को इंदिरा गांधी के रूप में एक नया प्रधान मंत्री मिला। प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद इंदिरा गांधी को कई बाधाओं और समस्याओं का सामना करना पड़ा। पंजाब भाषाई आंदोलन का जन्मस्थान था। इंदिरा गांधी ने 1966 में पंजाब को तीन टुकड़ों में बांट दिया था।
पंजाब में सिखों की बहुलता थी, हरियाणा में हिंदी भाषियों की बहुलता थी, और चंडीगढ़ तीसरा भाग था।
पहला पंजाब जिंसमें सिखों की बहुलता थी, दूसरा हरियाणा जिसमें हिंदी भाषियों की बहुलता थी, और चंडीगढ़ तीसरा भाग था।
चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में नामित किया गया था। इसे दोनों नए क्षेत्रों की राजधानी के रूप में नामित किया गया था। इसके अलावा, पंजाब के कई पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल प्रदेश के साथ जोड़ा गया है। इस महत्वपूर्ण कदम के बावजूद बहुत से लोग विभाजन से असंतुष्ट थे। कुछ पंजाब को सौंपी गई भूमि से असंतुष्ट थे, जबकि अन्य एकल राजधानी की अवधारणा का विरोध कर रहे थे।
फिर भी, पंजाब की स्थापना के बाद भी, सिखों की आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुईं। इसके बाद भी मामला अनसुलझा ही रहा। एक पक्ष पंजाब के आवंटित क्षेत्र से नाराज था, जबकि दूसरे ने साझा राजधानी के फार्मूले पर आपत्ति जताई। इंदिरा गांधी की प्रतिज्ञा के बावजूद, उन्हें 1970 में चंडीगढ़ नहीं मिला।
कब दिया गया Khalistan नाम
1969 में पंजाब विधानसभा चुनाव हारने के दो साल बाद, जगजीत सिंह चौहान यूनाइटेड किंगडम चले गए। जगजीत सिंह ने 1971 में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक अलग खालिस्तान का विज्ञापन किया। यह आंदोलन के वित्त के लिए था। जगजीत सिंह ने 1980 में ‘खालिस्तान नेशनल काउंसिल’ की स्थापना भी की थी। इस काउंसिल द्वारा खालिस्तान को एक अलग देश माना जाता था। ‘खालिस्तान नेशनल काउंसिल’ के पूर्व महासचिव बलबीर सिंह संधू ने पूरे समय उनका अनुसरण किया। चौहान 1977 में भारत लौटे और 1979 में लंदन में खालिस्तान नेशनल काउंसिल की स्थापना की। उन्होंने ‘खालिस्तान हाउस’ की इमारत से अपना संचालन फिर से शुरू किया। इस अवधि में, उन्होंने सिख धार्मिक नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के साथ संपर्क बनाए रखा।
निष्कर्ष
खालिस्तान आंदोलन में पंजाब के सिखों के समूह अपना एक अलग सिख राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे है तथा इन मांगो को सरकार द्वारा बार बार ख़ारिज किया गया है
For Full Information, Please Read Our Full Blog :
0 notes
Text
गांधी जी की शहीदी पर खास , / महात्मा गाँधी की नालंदा जिला के एकंगरसराय यात्रा.
बिहार / पटना /अंग एक्सप्रेस न्यूज़। अर्चना भारती नागेंद्र, उन दिनों की बात है जब ,राष्ट्रपिता, मोहन दास करमचंद गाँधी 1945 ईस्वी को देश का तुफानी दौरा कर रहे थे। पुरे विश्व में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था,और देश में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आन्दोलन जारी था , साथ ही भारतवर्ष ( अविभाजित भारत )का मोहम्मद अली जिन्ना के द्वारा मातृभूमि को दो राष्ट्रों में विभाजित करने का जबरदस्त प्रयास…
View On WordPress
1 note
·
View note
Text
Bihar: लालू यादव के करीबी ने जिन्ना की तारीफ से कसे कसीदे, CM नीतीश के मंत्री बोले- खो चुके हैं मानसिक संतुलन
Bihar: लालू यादव के करीबी ने जिन्ना की तारीफ से कसे कसीदे, CM नीतीश के मंत्री बोले- खो चुके हैं मानसिक संतुलन
पटना. देश के स्वतंत्रता आंदोलन में मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) की भूमिका को लेकर राजनीतिक दलों के बीच छिड़ी जंग गहराती जा रही है. इस मुद्दे पर बिहार (Bihar) में भी नेताओं के बीच लगातार बयानों के तीर चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता और ��ूर्व मंत्री श्याम रजक (Shyam Rajak) ने मोहम्मद अली जिन्ना का देश की आजादी में बड़ा योगदान बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत…
View On WordPress
#bihar news#mohammad ali jinnah#neeraj kumar balu#Patna News#shyam rajak#Veer Savarkar#नीरज कुमार बबलू#पटना न्यूज#बिहार न्यूज#मोहम्मद अली जिन्ना#वीर सावरकर#श्याम रजक
0 notes
Text
योगी बोले- 'सरदार पटेल ने देश को जोड़ा, जिन्ना ने तोड़ा, दोनों को एक बताने वालों से रहें सतर्क'
योगी बोले- ‘सरदार पटेल ने देश को जोड़ा, जिन्ना ने तोड़ा, दोनों को एक बताने वालों से रहें सतर्क’
औरैया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सरदार पटेल (Sardar Patel) और मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) को एक जैसा बताने पर बिना नाम लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर जमकर हमला बोला. योगी ने शनिवार को औरैया में कहा कि, ‘मोहम्मद अली जिन्ना और सरदार पटेल एक जैसे नहीं हो सकते. सरदार पटेल देश की रियासतों को एक करके भारत को जोड़ने वाले नेता हैं तो दूसरी तरफ…
View On WordPress
#Akhilesh Yadav#Auraiya#Mohammad Ali Jinnah#Sardar Patel#UP Assembly Elections 2022#Yogi Adityanath#अखिलेश यादव#औरैया#मोहम्मद अली जिन्ना#यूपी विधानसभा चुनाव 2022#योगी आदित्यनाथ#सरदार पटेल
0 notes
Text
BJP नेता ने कहा- भारत विभाजन महात्मा गांधी की भूल, दिग्विजय को बताया जिन्ना से ज्यादा खतरनाक
BJP नेता ने कहा- भारत विभाजन महात्मा गांधी की भूल, दिग्विजय को बताया जिन्ना से ज्यादा खतरनाक
भोपालः भाजपा नेता ने कहा भारत विभाजन महात्मा गांधी की भूलए दिग्विजय को बताया जिन्ना से ज्याता खतरनाक भोपाल के हुजूर विधानसभा सीट से विधायक और प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा अपने एक बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. उन्होंने 1947 में देश के विभाजन के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को जिम्मेदार ठहराया है. दिग्विजय सिंह को कोसते-कोसते प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने देश विभाजन को राष्ट्रपिता…
View On WordPress
#Advani on Jinnah#digvijay singh#madhya pradesh#Madhya Pradesh News#Mahatma Gandhi#Mohammad Ali Jinnah#mp political news#MP Samachar#Partition of India#Protem Speaker Rameshwar Sharma#Rameshwar Sharma#दिग्विजय सिंह#प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा#भारत विभाजन#महात्मा गांधी#मोहम्मद अली जिन्ना
0 notes
Text
‘नया पाकिस्तान’ में अल्पसंख्यकों को मिलेगा बराबरी का दर्जा: इमरान
[ad_1]
<!-- Loading... -->
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक हफ्ते के अंदर दूसरी बार भारत विरोधी बयान दिया है. उन्होंने अपने देश और भारत में अल्पसंख्यकों के हालात की तुलना करते हुए कहा कि भारत में जो हो रहा है उसकी तुलना में ‘नया पाकिस्तान’ में अल्पसंख्यकों को बराबरी का दर्जा मिलेगा.
मंगलवार को…
View On WordPress
#hindu muslim#Hindus#Imran Khan#India#Minorities#mohammad ali jinnah#Muslims#new pakistan#Pakistan#इमरान खान#नया पाकिस्तान#पाकिस्तान#मुस्लिम#मोहम्मद अली जिन्ना#हिंदुओं#हिंदू मुस्लिम
0 notes
Text
Majeed Memon calls Jinnah big contributor in freedom struggle
अब मजीद मेमन ने की जिन्ना की तारीफ, कहा- आजादी में किया बड़ा संघर्ष
हाईलाइट
अब एनसीपी नेता मजीद मेमन ने की जिन्ना की तारीफ।
मे��न ने कहा- जिन्ना ने आजादी की लड़ाई में बड़ा संघर्ष किया।
वह मुस्लिम थे, इस वजह से लोग नाराज हैं और शत्रुघ्न को राष्ट्र विरोधी कह रहे हैं।
कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता मजीद मेमन ने मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की है साथ ही उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के बयान का बचाव भी किया है। उन्होंने कहा, मोहम्मद अली जिन्ना का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। जिन्ना मुस्लिम थे इस वजह से शत्रुघ्न सिन्हा के बयान पर विवाद हो रहा और उनको देशविरोधी कहा जा रहा है।
मजीद मेमन ने शत्रुघ्न सिन्हा के बयान का बचाव करते हुए बीजेपी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ये बात याद रखें कि कल तक शत्रुघ्न सिन्हा आपकी ही पार्टी में थे। अगर उन्होंने देशविरोधी बयान दिया है तो आपने वैसी उनको शिक्षा दी होगी। मेमन ने ये भी कहा कि, जिन्ना ने आजादी की लड़ाई में बड़ा संघर्ष किया है, लेकिन वो एक मुस्लिम थे इस वजह से आप नाराज हैं और शत्रुघ्न सिन्हा को राष्ट्र विरोधी कह रहे हैं।
#राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी#नेता मजीद मेमन#मोहम्मद अली जिन्ना#बीजेपी#बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह#Majeed Memon#NCP#Shatrughan Sinha#Mahatma Gandhi#BhaskarHindiNews
0 notes
Text
Independence Day 2024; जानें कौन था भारत पाकिस्तान के बंटवारे का गुनहगार, जब मरा तो लाश मारने लगी थी बदबू
India-Pakistan Partition: भारत 15 अगस्त 1947 को सिर्फ आजाद ही नहीं हुआ था, बल्कि ये वो भी तारीख है, जिसने दुनिया का नक्शा बदल दिया था. यही वो दिन था जब भारत से अलग होकर एक और नया देश पाकिस्तान बनाया गया था. इस भारत-पाकिस्तान बंटवारे के कई गुनहगार हैं. कोई मोहम्मद अली जिन्ना को तो कोई विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदारी मानता है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे का असली गुनाहगार किसी के लिए भारत-पाकिस्तान…
0 notes
Text
जिन्ना का ये सीक्रेट खुल जाता तो आज नहीं होता पाकिस्तान और ‘अखंड भारत’ का सपना साकार होता
जिन्ना का ये सीक्रेट खुल जाता तो आज नहीं होता पाकिस्तान और ‘अखंड भारत’ का सपना साकार होता
जिन्ना का ये सीक्रेट खुल जाता तो आज नहीं होता पाकिस्तान और ‘अखंड भारत’ का सपना साकार होता
नई दिल्ली: मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) एक ऐसी शख्सियत था जिसने अपनी जिद से देश का बंटवारा करवा दिया. गांधी जी, नेहरू, पटेल जैसे उस वक्त के राष्ट्रीय नेताओं तक को ये समझ में नहीं आ रहा था कि जिन्ना से कैसे पार पाएं. एक बार तो गांधी जी ने जिन्ना के सामने आजाद अखंड भारत का पीएम बनाने का प्रस्ताव रख…
View On WordPress
0 notes
Text
If this secret of Jinnah opened that time the dream of United India would have come true | जिन्ना का ये सीक्रेट खुल जाता तो आज ‘अखंड भारत’ का सपना साकार होता
If this secret of Jinnah opened that time the dream of United India would have come true | जिन्ना का ये सीक्रेट खुल जाता तो आज ‘अखंड भारत’ का सपना साकार होता
[ad_1]
नई दिल्ली: मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah)एक ऐसी शख्सियत था जिसने अपनी जिद से देश का बंटवारा करवा दिया. गांधी जी, नेहरू, पटेल जैसे उस वक्त के राष्ट्रीय नेताओं तक को ये समझ में नहीं आ रहा था कि जिन्ना से कैसे पार पाएं. एक बार तो गांधी जी ने जिन्ना के सामने आजाद अखंड भारत का पीएम बनाने का प्रस्ताव रख दिया था लेकिन नेहरू समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इसे मानने से साफ इनकार कर…
View On WordPress
0 notes
Text
AMU में फिर दिखी जिन्ना की तस्वीर, लाइब्रेरियन को कारण बताओ नोटिस जारी
AMU में फिर दिखी जिन्ना की तस्वीर, लाइब्रेरियन को कारण बताओ नोटिस जारी
[ad_1] इस बार विवाद यूनियन हॉल में लगी तस्वीर को लेकर नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी में आयोजित प्रदर्शनी में लगायी गई जिन्ना की फोटो को लेकर खड़ा हुआ हैं. [ad_2] Source link
View On WordPress
#Aligarh#Aligarh muslim university#AMU#Muhammad Ali Jinnah#अलीगढ़#अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी#मोहम्मद अली जिन्ना
0 notes
Text
जिन्ना महापुरुष थे और रहेंगे, आज़ादी की लड़ाई में था योगदान, जहां जरूरत पड़े लगाई जाए तस्वीर : BJP सांसद
जिन्ना महापुरुष थे और रहेंगे, आज़ादी की लड़ाई में था योगदान, जहां जरूरत पड़े लगाई जाए तस्वीर : BJP सांसद
जिन्ना महापुरुष थे और रहेंगे, आज़ादी की लड़ाई में था योगदान, जहां जरूरत पड़े लगाई जाए तस्वीर : BJP सांसद
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जिन्ना की तस्वीर को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे को लेकर जहां तमाम पार्टियां सामने हैं। वहीं एएमयू के छात्र-छत्राएं भी जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने विवादित बयान देकर पार्टी के…
View On WordPress
#Aligarh Muslim University#AMU#BJP#Muhammad Ali Jinnah#SavitriBai Phule#अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय#बीजेपी#मोहम्मद अली जिन्ना#सावित्री बाई फुले
0 notes
Video
youtube
बंटवारे के 'खलनायक' मोहम्मद अली जिन्ना पर सबसे बड़ा खुलासा! | Muhammad Al...
#youtube#केजरीने दिल्ही कोर्ट को अपनी रखेल बनादि लगती है ==================== मोदीजीने अपने कई लोगो पे निगाह रखनी ह
0 notes
Photo
🐵🐵🐵 अंग्रेजी में एक शब्द है "एक्सपेंसिव-पावर्टी" इसका मतलब होता है.... "महं��ी- गरीबी" अर्थात... गरीब दिखने के लिए आपको बहुत खर्चा करना पड़ता है। गांधीजी की गरीबी ऐसी ही थी। एक बार सरोजनी नायडू ने उनको मज़ाक में कहा भी था कि “आप को गरीब रखना हमें बहुत महंगा पड़ता है !!” ऐसा क्यों ?...... गांधी जी जब भी तीसरे दर्जे में रेल सफर करते थे तो वह सामान्य तीसरा दर्जा नहीं होता था। अंग्रेज नहीं चाहते थे की गांधी जी की खराब हालातों में, भीड़ में यात्रा करती हुई तस्वीरें अखबारों में छपे उनको पीड़ित (विक्टिम) कार्ड का लाभ मिले। इसलिए जब भी वह रेल यात्रा करते थे तो उनको विशेष ट्रेन दी जाती थी जिसमें कुल 3 डिब्बे होते थे..... जो केवल गांधी जी और उनके साथियों के लिए होते थे, क्योंकि हर स्टेशन पर लोग उनसे मिलने आते थे। इस सब का खर्चा बाद में गांधीजी के ट्रस्ट की ओर से अंग्रेज सरकार को दे दिया जाता था। इसीलिए एक बार मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था की ..... “जितने पैसो में मैं प्रथम श्रेणी यात्रा करता हूँ उस से कई गुना में गांधीजी तृतीय श्रेणी की यात्रा करते हैं।” गांधीजी ने प्रण लिया था कि वे केवल बकरी का दूध पिएंगे। बकरी का दूध आज भी महंगा मिलता है, तब भी महंगा ही था... अपने आश्रम में तो बकरी पाल सकते थे, पर गांधी जी तो बहुत घूमते थे।ज़रूरी नही की हर जगह बकरी का दूध आसानी से मिलता ही हो। इस बात का वर्णन स्वयं गांधीजी की पुस्तकों में है, कैसे लंदन में बकरी का दूध ढूंढा जाता था, महंगे दामों में खरीदा जाता था क्योंकि गांधी जी गरीब थे, वो सिर्फ बकरी का दूध ही पीते थे... ये बात अलग है कि खुशवंत सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि... गांधी जी ने दूध के लिए जो बकरियां पाली थी, उनको नित्य साबुन से नहलाया जाता था, उनको प्रोटीन खिलाया जाता था। उनपर 20 रुपये प्रतिदिन का खर्च होता था। 90 साल पहले 20 रुपये मतलब आज हज़ारों रुपये... बाकी खर्च का तो ऐसा है कि गांधीजी अपने साथ एक दानपात्र रखते थे जिसमें वह सभी से कुछ न कुछ धनराशि डालने का अनुरोध करते थे। इसके अलावा कई उद्योगपति उनके मित्र उनको चंदा देते थे। उनका एक न्यास (ट्रस्ट) था जो गांधी के नाम पर चंदा एकत्र करता था। उनके 75 वें जन्मदिन पर 75 लाख रुपए का चंदा जमा करने का लक्ष्य था, पर एक करोड़ से ज्यादा ��मा हुए। सोने के भाव के हिसाब से तुलना करें तो आज के 650 करोड़ रुपये हुए। गांधी उतने गरीब भी नहीं थे, जितना हमको घुट्टी पिला पिलाकर रटाया गया है। #rajeshgupta https://www.instagram.com/p/ChV-4k_BR7X/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes