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#मैसाचुसेट्सइंस्टीट्यूटऑफटेक्नोलॉजी
allgyan · 4 years
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स्वाति मोहन नाम सुर्ख़ियों में क्यों है?
स्वाति मोहन और नासा -
स्वाति मोहन वैसे तो ये भारतीय मूल की अमेरिकन है।लेकिन हम हिंदी नाम आते ही जुड़ाव सा महसूस करते है।जैसे हाल ही में अमेरिकन राष्ट्रपति चुनाव में हुआ।ऐसा लगा सब भारतीय कमला हैरिस से जुड़ाव महसूस कर रहे है और जब वो जीती तब भारत में लोगों ने जश्न मनाया। लेकिन चलिए हम स्वाति मोहन पर आते है गुरुवार को स्वाति मोहन की बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन से हुई। ऐसा हुआ इसलिए क्योकि अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा दवरा अभी हाल में जो मंगल की सतह पर जो पर्सीवियररेंस नाम का जो रोबर उतरा है इस पुरे अभियान में स्वाति मोहन की प्रमुख्य भूमिका थी।स्वाति ने नासा के मंगल -2020 अभियान में दिशा -निर्देश , दिशा -सूचक और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया था।पर्सीवियररेंस रोवर मंगल की सतह पर 18 फरवरी को उतरा था और स्वाति पहली व्यक्ति थी जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी की रोवर सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतर गया है। जो बिडेन को उन्होंने ये बताया की उनकी रूचि नासा में आने की तब का लोकप्रिय टीवी शो स्टार ट्रैक देखने के बाद बनी।वो एक साल की उम्र में ही भारत को छोड़कर अमेरिका अपने माता -पिता के साथ आ गयी थी।
स्वाति के लिए मुश्किल के 7 मिनट -
स्वाति मोहन ने ये भी बताया की पुरे अभियान में जो सबसे मुश्किल समय था जो धड़कने बढ़ा देने वाला था वो मंगल के सतह पर उतरने से पहले के सात मिनट थे। क्योकि आपने देखा होगा की कई ऐसे अभियान लास्ट मोमेंट पर आकर असफल हो गए।इसमें से भारत का हाल का चंद्र अभियान भी था।उन्होंने बताया की हमे बहुत घबराहट हो रही थी।लेकिन जैसे ही रोवर सतह पर उतरा और हमे पिक्स मिली तो हम खुशी से झूम उठे। समय और दूरी की वजह से मंगल से सुचना आने में कुछ समय लगता है।स्वाति मोहन इस अभियान से खूब सुर्खियां बटोर रही है ।
स्वाति मोहन का शुरुआती जीवन -
स्वाति मोहन का जन्म बैंगलोर में हुआ था लेकिन जब वह मात्र एक साल की थीं जब वह भारत से अमेरिका गईं थी।उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया है।बचपन के दिनों में स्वाति बाल रोग विशेषज्ञ बनाना चाहती थी लेकिन 16 साल की उम्र में स्वाति ने फिजिक्स (भौतिकी) को लेकर आगे बढ़ी और अंतरिक्ष अन्वेषण में कैरियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग का अध्ययन करने का फैसला किया।स्वाति ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन कि जिसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी पूरी की।
स्वाति नासा के कई सफल व अहम मिशनों का हिस्सा रही है, कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी उन्होंने काम किया है।स्वाति मोहन सोशल मीडिया पर छाई हुई है साथ ही खासतौर से लोग उनकी बिंदी की चर्चा कर रहे हैं जिसके बाद से लोग उन्हें स्वाति मोहन ‘बिंदी’ भी कह रहे है।
पर्सिवियरेंस रोवर मंगल की सतह पर चलना शुरू कर दिया -
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर चलना यानी खोज करना शुरू कर दिया है । एजेंसी के अनुसार, रोवर बहुत दूर नहीं गया है।इसने अब तक कुल 6.5 मीटर यानी 21 फ़ीट का सफ़र किया है।लेकिन नासा की वरिष्ठ वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन ने इसे एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' बताया है।पर्सिवियरेंस रोवर को अब भी बहुत सी तकनीकी जाँचों से गुज़रना पड़ रहा है।लेकिन जैसे ही इसके रबड़ के पहिये घूमना शुरू होंगे,हम ख़ुद को इसके ज़रिए मंगल ग्रह का खोजकर्ता मान सकते हैं। गुरुवार को इस रोवर ने कुछ दूरी तय की, जिसके बाद इसने 150 डिग्री का मोड़ लिया और वापस अपनी जगह पर लौट आया।मंगल तक पहुँचने के लिए सात महीने पहले धरती से गये इस रोवर ने तक़रीबन आधा अरब किलोमीटर की दूरी तय की। यह रोवर क़रीब दो वर्ष के काल-खण्ड में मंगल ग्रह की सतह पर तक़रीबन 15 किलोमीटर चलेगा। हमारा काम है आपको उन जानकारियों से अवगत करना जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे। हमे आप अपना समर्थन दे।
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/3rrBn0I
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chaitanyabharatnews · 5 years
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सभी बड़ी परीक्षाएं एक साथ पास करने वाली स्तुति खंडवाला को मिली 2.24 करोड़ की स्कॉलरशिप
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चैतन्य भारत न्यूज सूरत. नीट, एम्स और जेईई मेन्स जैसी कई बड़ी प्रवेश परीक्षाओं को एक साथ पास करने वाली गुजरात के सूरत की स्तुति खंडवाला को 2.24 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली है। यह स्कॉलरशिप अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी ने उन्हें दी है।
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स्तुति ने यह जानकारी देते हुए बताया कि, 'इस स्कॉलरशिप में मेरे रहने, खाने और चार साल की पढ़ाई का खर्च शामिल है। मेरी एक साल की फीस 56 लाख रुपए हैं। इस स्कॉलरशिप के तहत मुझे सभी जरुरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।' स्तुति ने यह भी बताया कि, 'मैंने एमआईटी (अमेरिका में प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) परीक्षा जनवरी-2018 में दी थी। इसका नतीजा अप्रैल-2019 में आया है। अब में अल्जाइमर और सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों पर शोध और इलाज के लिए तकनीक-उपकरण विकसित करना चाहती हूं।'
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स्तुति का कहना है कि, भारत में ऐसी यूनिवर्सिटी बहुत कम हैं जो एक साथ दो डिग्री पूरी करने की इजाजत देती हैं। यहां जो ऐसी यूनिवर्सिटी हैं वो विदेशी यूनिवर्सिटी के स्तर की नहीं होती हैं। इसलिए उन्होंने एमआईटी के लिए आवेदन किया था, जहां से वह 4 साल में बीएससी और बीटेक दोनों ही डिग्री पूरी कर सकेंगी। स्तुति ने बताया कि, वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत आकर अपने देश के लिए काम करना चाहती हैं।
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बता दें स्तुति सभी प्रवेश परीक्षाओं में न सिर्फ पास हुईं बल्कि उन्होंने बेहतरीन रैंक भी हासिल की है। स्तुति ने नीट 2019 प्रवेश परीक्षा में 71वीं रैंक और एम्स एमबीबीएस 2019 प्रवेश परीक्षा में पूरे भारत में 10वीं रैंक हासिल की है। इसके अलावा जेईई मेन्स में 1086 रैंक और जेआईपीएमईआर एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में पूरे भारत में 27वीं रैंक हासिल की। यह भी पढ़े...  सूरत की इस लड़की ने किया कमाल, एक साथ पास की भारत की सभी बड़ी प्रवेश परीक्षाएं   Read the full article
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allgyan · 4 years
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स्वाति मोहन और नासा -
स्वाति मोहन वैसे तो ये भारतीय मूल की अमेरिकन है।लेकिन हम हिंदी नाम आते ही जुड़ाव सा महसूस करते है।जैसे हाल ही में अमेरिकन राष्ट्रपति चुनाव में हुआ।ऐसा लगा सब भारतीय कमला हैरिस से जुड़ाव महसूस कर रहे है और जब वो जीती तब भारत में लोगों ने जश्न मनाया। लेकिन चलिए हम स्वाति मोहन पर आते है गुरुवार को स्वाति मोहन की बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन से हुई। ऐसा हुआ इसलिए क्योकि अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा दवरा अभी हाल में जो मंगल की सतह पर जो पर्सीवियररेंस नाम का जो रोबर उतरा है इस पुरे अभियान में स्वाति मोहन की प्रमुख्य भूमिका थी।स्वाति ने नासा के मंगल -2020 अभियान में दिशा -निर्देश , दिशा -सूचक और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया था।पर्सीवियररेंस रोवर मंगल की सतह पर 18 फरवरी को उतरा था और स्वाति पहली व्यक्ति थी जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी की रोवर सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतर गया है। जो बिडेन को उन्होंने ये बताया की उनकी रूचि नासा में आने की तब का लोकप्रिय टीवी शो स्टार ट्रैक देखने के बाद बनी।वो एक साल की उम्र में ही भारत को छोड़कर अमेरिका अपने माता -पिता के साथ आ गयी थी।
स्वाति के लिए मुश्किल के 7 मिनट -
स्वाति मोहन ने ये भी बताया की पुरे अभियान में जो सबसे मुश्किल समय था जो धड़कने बढ़ा देने वाला था वो मंगल के सतह पर उतरने से पहले के सात मिनट थे। क्योकि आपने देखा होगा की कई ऐसे अभियान लास्ट मोमेंट पर आकर असफल हो गए।इसमें से भारत का हाल का चंद्र अभियान भी था।उन्होंने बताया की हमे बहुत घबराहट हो रही थी।लेकिन जैसे ही रोवर सतह पर उतरा और हमे पिक्स मिली तो हम खुशी से झूम उठे। समय और दूरी की वजह से मंगल से सुचना आने में कुछ समय लगता है।स्वाति मोहन इस अभियान से खूब सुर्खियां बटोर रही है ।
स्वाति मोहन का शुरुआती जीवन -
स्वाति मोहन का जन्म बैंगलोर में हुआ था लेकिन जब वह मात्र एक साल की थीं जब वह भारत से अमेरिका गईं थी।उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया है।बचपन के दिनों में स्वाति बाल रोग विशेषज्ञ बनाना चाहती थी लेकिन 16 साल की उम्र में स्वाति ने फिजिक्स (भौतिकी) को लेकर आगे बढ़ी और अंतरिक्ष अन्वेषण में कैरियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग का अध्ययन करने का फैसला किया।स्वाति ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन कि जिसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी पूरी की।
स्वाति नासा के कई सफल व अहम मिशनों का हिस्सा रही है, कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी उन्होंने काम किया है।स्वाति मोहन सोशल मीडिया पर छाई हुई है साथ ही खासतौर से लोग उनकी बिंदी की चर्चा कर रहे हैं जिसके बाद से लोग उन्हें स्वाति मोहन ‘बिंदी’ भी कह रहे है।
पर्सिवियरेंस रोवर मंगल की सतह पर चलना शुरू कर दिया -
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर चलना यानी खोज करना शुरू कर दिया है । एजेंसी के अनुसार, रोवर बहुत दूर नहीं गया है।इसने अब तक कुल 6.5 मीटर यानी 21 फ़ीट का सफ़र किया है।लेकिन नासा की वरिष्ठ वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन ने इसे एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' बताया है।पर्सिवियरेंस रोवर को अब भी बहुत सी तकनीकी जाँचों से गुज़रना पड़ रहा है।लेकिन जैसे ही इसके रबड़ के पहिये घूमना शुरू होंगे,हम ख़ुद को इसके ज़रिए मंगल ग्रह का खोजकर्ता मान सकते हैं। गुरुवार को इस रोवर ने कुछ दूरी तय की, जिसके बाद इसने 150 डिग्री का मोड़ लिया और वापस अपनी जगह पर लौट आया।मंगल तक पहुँचने के लिए सात महीने पहले धरती से गये इस रोवर ने तक़रीबन आधा अरब किलोमीटर की दूरी तय की। यह रोवर क़रीब दो वर्ष के काल-खण्ड में मंगल ग्रह की सतह पर तक़रीबन 15 किलोमीटर चलेगा। हमारा काम है आपको उन जानकारियों से अवगत करना जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे। हमे आप अपना समर्थन दे।
#स्वाति मोहन नाम सुर्ख़ियों में क्यों#अमेरिकनस्पेसएजेंसीनासा#अमेरिकाकेराष्ट्रपतिजोबिडेन#अमेरिकीअंतरिक्षएजेंसी#नासा#एयरोनॉटिक्सएंड एस्ट्रोनॉटिक्स#कॉर्नेलविश्वविद्यालय#टीवीशोस्टारट्रैक#नासाकेमंगल2020अभियान#पर्सीवियररेंस#पर्सीवियररेंसरोवरमंगलकीसतहपर18फरवरी#भारतकोछोड़करअमेरिकाअपनेमातापिता#भारतीयकमलाहैरिस#भारतीयमूलकीअमेरिकन#मैसाचुसेट्सइंस्टीट्यूटऑफटेक्नोलॉजी#राष्ट्रपतिचुनाव#स्वातिकेलिएमुश्किलके7मिनट#स्वातिनेनासाकेमंगल 2020अभियान#स्वातिमोहन#स्वातिमोहनऔरनासा#स्वातिमोहनकाजन्मबैंगलोर#स्वातिमोहनकाशुरुआतीजीवन#स्वातिमोहनकीप्रमुख्यभूमिका
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allgyan · 4 years
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स्वाति मोहन और नासा -
स्वाति मोहन वैसे तो ये भारतीय मूल की अमेरिकन है।लेकिन हम हिंदी नाम आते ही जुड़ाव सा महसूस करते है।जैसे हाल ही में अमेरिकन राष्ट्रपति चुनाव में हुआ।ऐसा लगा सब भारतीय कमला हैरिस से जुड़ाव महसूस कर रहे है और जब वो जीती तब भारत में लोगों ने जश्न मनाया। लेकिन चलिए हम स्वाति मोहन पर आते है गुरुवार को स्वाति मोहन की बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन से हुई। ऐसा हुआ इसलिए क्योकि अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा दवरा अभी हाल में जो मंगल की सतह पर जो पर्सीवियररेंस नाम का जो रोबर उतरा है इस पुरे अभियान में स्वाति मोहन की प्रमुख्य भूमिका थी।स्वाति ने नासा के मंगल -2020 अभियान में दिशा -निर्देश , दिशा -सूचक और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया था।पर्सीवियररेंस रोवर मंगल की सतह पर 18 फरवरी को उतरा था और स्वाति पहली व्यक्ति थी जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी की रोवर सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतर गया है। जो बिडेन को उन्होंने ये बताया की उनकी रूचि नासा में आने की तब का लोकप्रिय टीवी शो स्टार ट्रैक देखने के बाद बनी।वो एक साल की उम्र में ही भारत को छोड़कर अमेरिका अपने माता -पिता के साथ आ गयी थी।
स्वाति के लिए मुश्किल के 7 मिनट -
स्वाति मोहन ने ये भी बताया की पुरे अभियान में जो सबसे मुश्किल समय था जो धड़कने बढ़ा देने वाला था वो मंगल के सतह पर उतरने से पहले के सात मिनट थे। क्योकि आपने देखा होगा की कई ऐसे अभियान लास्ट मोमेंट पर आकर असफल हो गए।इसमें से भारत का हाल का चंद्र अभियान भी था।उन्होंने बताया की हमे बहुत घबराहट हो रही थी।लेकिन जैसे ही रोवर सतह पर उतरा और हमे पिक्स मिली तो हम खुशी से झूम उठे। समय और दूरी की वजह से मंगल से सुचना आने में कुछ समय लगता है।स्वाति मोहन इस अभियान से खूब सुर्खियां बटोर रही है ।
स्वाति मोहन का शुरुआती जीवन -
स्वाति मोहन का जन्म बैंगलोर में हुआ था लेकिन जब वह मात्र एक साल की थीं जब वह भारत से अमेरिका गईं थी।उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया है।बचपन के दिनों में स्वाति बाल रोग विशेषज्ञ बनाना चाहती थी लेकिन 16 साल की उम्र में स्वाति ने फिजिक्स (भौतिकी) को लेकर आगे बढ़ी और अंतरिक्ष अन्वेषण में कैरियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग का अध्ययन करने का फैसला किया।स्वाति ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन कि जिसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी पूरी की।
स्वाति नासा के कई सफल व अहम मिशनों का हिस्सा रही है, कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी उन्होंने काम किया है।स्वाति मोहन सोशल मीडिया पर छाई हुई है साथ ही खासतौर से लोग उनकी बिंदी की चर्चा कर रहे हैं जिसके बाद से लोग उन्हें स्वाति मोहन ‘बिंदी’ भी कह रहे है।
पर्सिवियरेंस रोवर मंगल की सतह पर चलना शुरू कर दिया -
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर चलना यानी खोज करना शुरू कर दिया है । एजेंसी के अनुसार, रोवर बहुत दूर नहीं गया है।इसने अब तक कुल 6.5 मीटर यानी 21 फ़ीट का सफ़र किया है।लेकिन नासा की वरिष्ठ वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन ने इसे एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' बताया है।पर्सिवियरेंस रोवर को अब भी बहुत सी तकनीकी जाँचों से गुज़रना पड़ रहा है।लेकिन जैसे ही इसके रबड़ के पहिये घूमना शुरू होंगे,हम ख़ुद को इसके ज़रिए मंगल ग्रह का खोजकर्ता मान सकते हैं। गुरुवार को इस रोवर ने कुछ दूरी तय की, जिसके बाद इसने 150 डिग्री का मोड़ लिया और वापस अपनी जगह पर लौट आया।मंगल तक पहुँचने के लिए सात महीने पहले धरती से गये इस रोवर ने तक़रीबन आधा अरब किलोमीटर की दूरी तय की। यह रोवर क़रीब दो वर्ष के काल-खण्ड में मंगल ग्रह की सतह पर तक़रीबन 15 किलोमीटर चलेगा। हमारा काम है आपको उन जानकारियों से अवगत करना जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे। हमे आप अपना समर्थन दे।
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chaitanyabharatnews · 5 years
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सूरत की इस लड़की ने किया कमाल, एक साथ पास की भारत की सभी बड़ी प्रवेश परीक्षाएं
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चैतन्य भारत न्यूज गुजरात की एक लड़की ने प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसी सफलता हासिल की जिसके बारे में जानकर हर कोई दंग रह गया। प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है लेकिन इस लड़की ने नीट, जेआईपीएमईआर, एम्स और जेईई जैसी कई मुश्किल परीक्षा एक ही प्रयास में पास कर ली। हम बात कर रहे हैं सूरत की रहने वाली स्तुति खंडवाला के बारे में जिन्‍होंने एक साथ यह सभी परीक्षा पास करके सभी को हैरत में डाल दिया। खास बात यह है कि स्तुति इन परीक्षाओं में न सिर्फ पास हुईं बल्कि उन्होंने बेहतरीन रैंक भी हासिल की है। साथ ही उन्हें अमेरिका में प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से 90 फीसदी स्‍कॉलरशिप का भी ऑफर मिला है। बता दें, स्तुति ने नीट 2019 प्रवेश परीक्षा में 71वीं रैंक और एम्स एमबीबीएस 2019 प्रवेश परीक्षा में पूरे भारत में 10वीं रैंक हासिल की है। इसके अलावा स्तुति का नाम जेईई मेन और जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा की मेरिट लिस्ट में शामिल है। उन्होंने जेआईपीएमईआर एमबीबीएस 2019 में ऑल इंडिया में 27वीं रैंक हासिल की। वहीं जेईई मेन 2019 में उन्होंने 1086 रैंक हासिल की। स्तुति के मुताबिक, वह आने वाले साल में 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए एमआईटी में एडमिशन लेंगी। स्तुति ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है। स्तुति के पिता पैथॉलजिस्ट हैं जबकि मां दांतों की डॉक्टर हैं। स्तुति ने कहा कि, एमआईटी से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वह रिसर्च की फिल्ड में जाना चाहती हैं। स्तुति ने राजस्थान के कोटा में एलन करियर इंस्टीट्यूट से कोचिंग ली है। स्तुति ने कक्षा 12वीं में सीबीएसई बोर्ड में 98.8 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। ऐसे पढाई करती हैं स्तुति स्तुति ने अपनी पढ़ाई के बारे में बताया कि वह प्रवेश परीक्षा की तैयारी एनसीइआरटी की किताबों से करती हैं। वह दिन में 12 से 13 घंटे पढ़ाई करती हैं। जब भी वह बोर होती हैं तो खुद को रिफ्रेश करने के लिए टॉम एंड जेरी और कुकिंग वीडियो यूट्यूब पर देखा करती हैं। उन्होंने और भी छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि, जीवन में आने वाले किसी भी मौके को गंवाना नहीं चाहिए, आप जो चाहे वो हासिल कर सकते हैं। बता दें स्तुति की उम्र 18 वर्ष है।   Read the full article
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