स्वाति मोहन नाम सुर्ख़ियों में क्यों है?
स्वाति मोहन और नासा -
स्वाति मोहन वैसे तो ये भारतीय मूल की अमेरिकन है।लेकिन हम हिंदी नाम आते ही जुड़ाव सा महसूस करते है।जैसे हाल ही में अमेरिकन राष्ट्रपति चुनाव में हुआ।ऐसा लगा सब भारतीय कमला हैरिस से जुड़ाव महसूस कर रहे है और जब वो जीती तब भारत में लोगों ने जश्न मनाया। लेकिन चलिए हम स्वाति मोहन पर आते है गुरुवार को स्वाति मोहन की बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन से हुई। ऐसा हुआ इसलिए क्योकि अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा दवरा अभी हाल में जो मंगल की सतह पर जो पर्सीवियररेंस नाम का जो रोबर उतरा है इस पुरे अभियान में स्वाति मोहन की प्रमुख्य भूमिका थी।स्वाति ने नासा के मंगल -2020 अभियान में दिशा -निर्देश , दिशा -सूचक और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया था।पर्सीवियररेंस रोवर मंगल की सतह पर 18 फरवरी को उतरा था और स्वाति पहली व्यक्ति थी जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी की रोवर सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतर गया है। जो बिडेन को उन्होंने ये बताया की उनकी रूचि नासा में आने की तब का लोकप्रिय टीवी शो स्टार ट्रैक देखने के बाद बनी।वो एक साल की उम्र में ही भारत को छोड़कर अमेरिका अपने माता -पिता के साथ आ गयी थी।
स्वाति के लिए मुश्किल के 7 मिनट -
स्वाति मोहन ने ये भी बताया की पुरे अभियान में जो सबसे मुश्किल समय था जो धड़कने बढ़ा देने वाला था वो मंगल के सतह पर उतरने से पहले के सात मिनट थे। क्योकि आपने देखा होगा की कई ऐसे अभियान लास्ट मोमेंट पर आकर असफल हो गए।इसमें से भारत का हाल का चंद्र अभियान भी था।उन्होंने बताया की हमे बहुत घबराहट हो रही थी।लेकिन जैसे ही रोवर सतह पर उतरा और हमे पिक्स मिली तो हम खुशी
से झूम उठे। समय और दूरी की वजह से मंगल से सुचना आने में कुछ समय लगता है।स्वाति मोहन इस अभियान से खूब सुर्खियां बटोर रही है ।
स्वाति मोहन का शुरुआती जीवन -
स्वाति मोहन का जन्म बैंगलोर में हुआ था लेकिन जब वह मात्र एक साल की थीं जब वह भारत से अमेरिका गईं थी।उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया है।बचपन के दिनों में स्वाति बाल रोग विशेषज्ञ बनाना चाहती थी लेकिन 16 साल की उम्र में स्वाति ने फिजिक्स (भौतिकी) को लेकर आगे बढ़ी और अंतरिक्ष अन्वेषण में कैरियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग का अध्ययन करने का फैसला किया।स्वाति ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन कि जिसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी पूरी की।
स्वाति नासा के कई सफल व अहम मिशनों का हिस्सा रही है, कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी उन्होंने काम किया है।स्वाति मोहन सोशल मीडिया पर छाई हुई है साथ ही खासतौर से लोग उनकी बिंदी की चर्चा कर रहे हैं जिसके बाद से लोग उन्हें स्वाति मोहन ‘बिंदी’ भी कह रहे है।
पर्सिवियरेंस रोवर मंगल की सतह पर चलना शुरू कर दिया -
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर चलना यानी खोज करना शुरू कर दिया है । एजेंसी के अनुसार, रोवर बहुत दूर नहीं गया है।इसने अब तक कुल 6.5 मीटर यानी 21 फ़ीट का सफ़र किया है।लेकिन नासा की वरिष्ठ वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन ने इसे एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' बताया है।पर्सिवियरेंस रोवर को अब भी बहुत सी तकनीकी जाँचों से गुज़रना पड़ रहा है।लेकिन जैसे ही इसके रबड़ के पहिये घूमना शुरू होंगे,हम ख़ुद को इसके ज़रिए मंगल ग्रह का खोजकर्ता मान सकते हैं। गुरुवार को इस रोवर ने कुछ दूरी तय की, जिसके बाद इसने 150 डिग्री का मोड़ लिया और वापस अपनी जगह पर लौट आया।मंगल तक पहुँचने के लिए सात महीने पहले धरती से गये इस रोवर ने तक़रीबन आधा अरब किलोमीटर की दूरी तय की। यह रोवर क़रीब दो वर्ष के काल-खण्ड में मंगल ग्रह की सतह पर तक़रीबन 15 किलोमीटर चलेगा। हमारा काम है आपको उन जानकारियों से अवगत करना जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे। हमे आप अपना समर्थन दे।
पूरा जानने के लिए-http://bit.ly/3rrBn0I
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स्वाति मोहन और नासा -
स्वाति मोहन वैसे तो ये भारतीय मूल की अमेरिकन है।लेकिन हम हिंदी नाम आते ही जुड़ाव सा महसूस करते है।जैसे हाल ही में अमेरिकन राष्ट्रपति चुनाव में हुआ।ऐसा लगा सब भारतीय कमला हैरिस से जुड़ाव महसूस कर रहे है और जब वो जीती तब भारत में लोगों ने जश्न मनाया। लेकिन चलिए हम स्वाति मोहन पर आते है गुरुवार को स्वाति मोहन की बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन से हुई। ऐसा हुआ इसलिए क्योकि अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा दवरा अभी हाल में जो मंगल की सतह पर जो पर्सीवियररेंस नाम का जो रोबर उतरा है इस पुरे अभियान में स्वाति मोहन की प्रमुख्य भूमिका थी।स्वाति ने नासा के मंगल -2020 अभियान में दिशा -निर्देश , दिशा -सूचक और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया था।पर्सीवियररेंस रोवर मंगल की सतह पर 18 फरवरी को उतरा था और स्वाति पहली व्यक्ति थी जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी की रोवर सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतर गया है। जो बिडेन को उन्होंने ये बताया की उनकी रूचि नासा में आने की तब का लोकप्रिय टीवी शो स्टार ट्रैक देखने के बाद बनी।वो एक साल की उम्र में ही भारत को छोड़कर अमेरिका अपने माता -पिता के साथ आ गयी थी।
स्वाति के लिए मुश्किल के 7 मिनट -
स्वाति मोहन ने ये भी बताया की पुरे अभियान में जो सबसे मुश्किल समय था जो धड़कने बढ़ा देने वाला था वो मंगल के सतह पर उतरने से पहले के सात मिनट थे। क्योकि आपने देखा होगा की कई ऐसे अभियान लास्ट मोमेंट पर आकर असफल हो गए।इसमें से भारत का हाल का चंद्र अभियान भी था।उन्होंने बताया की हमे बहुत घबराहट हो रही थी।लेकिन जैसे ही रोवर सतह पर उतरा और हमे पिक्स मिली तो हम खुशी
से झूम उठे। समय और दूरी की वजह से मंगल से सुचना आने में कुछ समय लगता है।स्वाति मोहन इस अभियान से खूब सुर्खियां बटोर रही है ।
स्वाति मोहन का शुरुआती जीवन -
स्वाति मोहन का जन्म बैंगलोर में हुआ था लेकिन जब वह मात्र एक साल की थीं जब वह भारत से अमेरिका गईं थी।उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया है।बचपन के दिनों में स्वाति बाल रोग विशेषज्ञ बनाना चाहती थी लेकिन 16 साल की उम्र में स्वाति ने फिजिक्स (भौतिकी) को लेकर आगे बढ़ी और अंतरिक्ष अन्वेषण में कैरियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग का अध्ययन करने का फैसला किया।स्वाति ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन कि जिसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी पूरी की।
स्वाति नासा के कई सफल व अहम मिशनों का हिस्सा रही है, कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी उन्होंने काम किया है।स्वाति मोहन सोशल मीडिया पर छाई हुई है साथ ही खासतौर से लोग उनकी बिंदी की चर्चा कर रहे हैं जिसके बाद से लोग उन्हें स्वाति मोहन ‘बिंदी’ भी कह रहे है।
पर्सिवियरेंस रोवर मंगल की सतह पर चलना शुरू कर दिया -
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर चलना यानी खोज करना शुरू कर दिया है । एजेंसी के अनुसार, रोवर बहुत दूर नहीं गया है।इसने अब तक कुल 6.5 मीटर यानी 21 फ़ीट का सफ़र किया है।लेकिन नासा की वरिष्ठ वैज्ञानिक केटी स्टैक मॉर्गन ने इसे एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' बताया है।पर्सिवियरेंस रोवर को अब भी बहुत सी तकनीकी जाँचों से गुज़रना पड़ रहा है।लेकिन जैसे ही इसके रबड़ के पहिये घूमना शुरू होंगे,हम ख़ुद को इसके ज़रिए मंगल ग्रह का खोजकर्ता मान सकते हैं। गुरुवार को इस रोवर ने कुछ दूरी तय की, जिसके बाद इसने 150 डिग्री का मोड़ लिया और वापस अपनी जगह पर लौट आया।मंगल तक पहुँचने के लिए सात महीने पहले धरती से गये इस रोवर ने तक़रीबन आधा अरब किलोमीटर की दूरी तय की। यह रोवर क़रीब दो वर्ष के काल-खण्ड में मंगल ग्रह की सतह पर तक़रीबन 15 किलोमीटर चलेगा। हमारा काम है आपको उन जानकारियों से अवगत करना जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे। हमे आप अपना समर्थन दे।
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