Best 30+ Sorry Shayari In Hindi | सॉरी शायरी हिंदी में
आज हम आपके लिए Best 30+ Sorry Shayari In Hindi का एक दिल को छू लेने वाला संग्रह लेकर आए हैं, जो किसी प्रियजन से माफ़ी मांगने के लिए एकदम सही है। अगर आपने अपने किसी करीबी को नाराज़ कर दिया है, तो ये शायरी दरार को ठीक करने में मदद कर सकती हैं।.
अक्सर, जब दो करीबी लोग एक-दूसरे से बहस करते हैं या नाराज़ हो जाते हैं, तो एक साधारण माफ़ी सभी मतभेदों को सुलझा सकती है। याद रखें, असहमति स्वाभाविक है, लेकिन इससे चुप्पी नहीं होनी चाहिए। मुद्दे को संबोधित न करके, आप एक मूल्यवान रिश्ते को खोने का जोखिम उठाते हैं। तो, आइए इन मार्मिक Sorry Shayari को एक साथ देखें और अपने प्रियजनों के साथ साझा करें ताकि सद्भाव वापस आ सके।.
I am Sorry Shayari in Hindi छमा याचना शायरी
ऐसा नहीं की आपकी याद आती नही,
खता सिर्फ इतनी सी है के हम बताते नही.!
मैं चाहकर भी उसे दुख नहीं से सकता,
वो इस कदर लाड़ली है मेरी.!
जब भरोसा टूटता है,
तब sorry का कोई मतलब नहीं होता.!
बड़ा गजब किस्सा है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है, पर खत्म नहीं.!
वो मेरे से बहुत प्यार करती है,
बस इसी वहम ने जिंदगी खराब करदी मेरी.!
कांच के जैसे हैं हम तनहा लोग,
कभी टूट जाते है, कभी तोड़ दिए जाते है.!
ऐसा नहीं की आपकी याद आती नही,
खता सिर्फ इतनी सी है के हम बताते नही.!
बड़ा गजब किस्सा है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है, पर खत्म नहीं.!
मतलबी दुनिया पे ऐतबार करना छोड़ दिया,
उसने मुझे छोड़ा मैने प्यार करना छोड़ दिया.!
बेवजह बिछड़ तो गए हो तुम,
बस इतना बता दो सुकून मिला या नहीं.!
झूठा ही सही मुस्कुराते जरूर है,
उदास देख कर लोग मजाक बहुत उड़ते है.!
नशा था तेरे प्यार का, जिसमे हम खो गए,
हमे भी पता नही चला, कब हम तेरे हो गए.!
आती है जब याद तेरी, तेरी यादों में हम खो जाते है,
आजकल तुझे सोचते सोचते ही हम सो जाते है.!
Feeling Sorry Shayari in Hindi अकेलापन क्षमा शायरी
बहुत कुछ बिखरा हुआ है मेरे अंदर ही अंदर,
वरना यूंही बेवजह आसू नही टपकते आंखो से.!
याद तो आऊंगा मगर,
लौटकर नहीं आऊंगा ये वादा रहा.!
गुस्सा, शक, और देखभाल वही इंसान करता है,
जो आपको हद से ज्यादा प्यार करता है.!
गुरुर और गलस्तफैमी का नशा,
शराब से भी ज्यादा होता है.!
थक गया हु हंसी का मुखौटा पहनते पहनते,
बस आइना जनता है मेरा हाल.!
ए नसीब एक बात तो बता
तू सबको आजमाता है या सिर्फ मुझसे दुश्मनी है.!
Very Hurt Sorry Shayari Hindi Mein
लोगो से अच्छा तो गूगल है,
लिखना शुरू करते ही दिल की बात जान लेता है.!
जब सबकुछ अकेले बर्दाश करने की आदत लग गए,
तब फर्क नही पड़ता कोन साथ है कोन नही.!
आज इतना ज्यादा अकेला महसूस किया खुद को,
कैसे लोग दफना कर चले गए हो.!
मेरे साथ चलने से ही थी बदनामी उसकी,
बाकी सब लोग तो उसके अपने थे.!
बिछड़ना ही नही चाहते थे तुमसे हम,
वरना भूल तो तुमसे भी बहुत सी हुई थी.!
मैं हंसा देता हु अक्सर उदास लोगो को,
मुझसे देखा ही नहीं जाता, मुझसा कोई.!
कल थके हारे परिंदे ने नसीहत दी मुझे,
शाम ढल जाए तो तुम भी घर जाया करो.!
मेरी उजड़ी हुई बस्ती को यूंही सुनसान रहने दो,
खुशियां रास नहीं आती मुझे परेशान रहने दो.!
आज वो शख्स बिखरा पड़ा है,
जो सबको समेंटने का हुनर रखता है.!
अपनी उम्मीद हमेशा खुद से रखो,
इंसान कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं.!
अक्सर बिछड़ते भी वही है,
जो अपने इश्क को मुकम्मल समझते है.!
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Pratik gandhi upcoming movie (रावण लीला लेकर आ रहे है प्रतीक गाँधी) -
Pratik gandhi upcoming movie (रावण लीला लेकर आ रहे है प्रतीक गाँधी) -
रावण लीला फिल्म का ट्रेलर -
रावण लीला -जैसा की नाम से ही लग रहा है। इस फिल्म में मंचन तो राम -लीला की होगी लेकिन इसमें रावण ही लीला करेगा।और ट्रेलर में साफ दिख रहा -रावण बने प्रतीक गाँधी अपनी लीला को दिखाने के लिए तड़प रहे है।सबसे पहले ये बात कहना चाहता हूँ की प्रतीक गाँधी की एक्टिंग लाज़वाब है। जैसे उन्होंने स्कैम 1992 में एक्टिंग सब लोग उनके फैन है। वो गुजराती फिल्मो में पहले से काम करते रहे है लेकिन उनकी हिंदी फिल्म स्कैम 1992 ने तो गज़ब ही ढा दिया था।वेब सीरीज 'स्कैम 1992' (Scam 1992) के जरिए देशभर में बेहद लोकप्रिय हो चुके एक्टर प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) एक बार फिर से पर्दे पर वापसी करने के लिए तैयार हैं। ये फिल्म जल्द ही थिएटर्स में रिलीज होने जा रही है।
फिल्म में कई बेहतरीन कलाकार काम कर रहे है -
फिल्म का फर्स्ट लुक जारी किया जा चुका है और इसमें एक्ट्रेस ऐंद्रिता रे अभिनेता प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) के अपोजिट काम करती नजर आएंगी।प्रतीक और ऐंद्रिता के अलावा एक्टर अभिमन्यु सिंह, राजेश शर्मा, फ्लोरा सैनी, अंकुर भाटिया, राजेंद्र गुप्ता जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे।फिल्म का पोस्टर खुद प्रतीक (Pratik Gandhi) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है। पोस्टर में लीड कलाकार रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं और उनके बैकग्राउंड में रामलीला मंचन के दृष्य दिखाए गए हैं।पोस्टर पर फिल्म की पंचलाइन भी लिखी गई है।मेकर्स ने लिखा- राम में क्यों तूने रावण को देखा।इस पोस्टर को शेयर करते हुए प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) ने लिखा- मुखौटे पे मुखौटा.. राम के रावण की ली।
रावण लीला फिल्म किन चीजों पर आधारित है -
धर्म और संस्कृति ने समाज को इस तरह से अंधा कर दिया है कि कोई सवाल नहीं करना चाहता और न ही सवाल करने या पूछताछ करने की जिज्ञासा पैदा होती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी जीवन शैली के प्रति दृष्टिहीन हो जाता है, तो यह धोखे और बेईमानी से भरी जीवन शैली में परिणत होता है। न केवल जीवन के प्रति धोखा और इनकार समाज में लोगों की स्थिरता और विकास को बाधित करता है बल्कि दोहरे मानकों में भी खतरनाक वृद्धि को बढ़ावा देता है।ये कहानी उपरोक्त मुद्दे को एक अनोखे और सुंदर तरीके से उजागर करती है, जो समाज के दोहरे मानकों को उजागर करती है, जो कि एक घटिया जीवन जी रही है।
इसकी कहानी अंध मान्यताओं पर चोट पहुँचाती है -
यह राम-लीला के बारे में है जो पहली बार खाखर गांव में हो रही है।कहानी राजा राम के सपने और समाज पर उसके प्रभाव के बारे में है। स्वभाव से उत्साही राजा-राम का बचपन से ही अभिनेता बनने का एक ही सपना था, वह एक छोटे से गाँव के रहने वाले थे, वह एक होने के उस मौके से वंचित थे और उनके सपने को आज तक ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख नहीं मिले। यह कहानी लोगों को सोचने और वास्तविक और रील जीवन के बीच के अंतर को उनके अंध विश्वास और मानसिक अवरोधों के कारण अलग करने के लिए एक ठहराव पर आती है, उनकी नकली धार्मिक मान्यताएं युगल के खिलाफ उनके विचारों और कार्यों को प्रभावित कर रही थीं।असली संघर्ष अब शुरू हुआ था। क्या यह जोड़ी इन बाधाओं से बच पाएगी या शिकार बन जाएगी और समाज की अंध मान्यताओं के आगे झुक जाएगी, यह बयान एक बड़ा बहस का मुद्दा खड़ा करता है ... कि असली अपराधी कौन है असली रावण राजा-राम या हम "समाज" या कोई और।
गाँधी जयंती पे फिल्म आ सकती है -
जहां तक इस फिल्म की रिलीज का सवाल है तो इसे गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के खास मौके पर रिलीज किया जाएगा।फिल्म की रिलीज डेट 1 अक्टूबर 2021 रखी गई है।यानि गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) से ठीक एक दिन पहले दर्शक इस फिल्म को सिनेमाघरों में जाकर बड़े पर्दे पर देख पाएंगे।बता दें कि दर्शकों ने इस फिल्म के पोस्टर पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिया है। देखिए की प्रतीक गाँधी की इस फिल्म को लोग कितना प्यार देते है।
हम कभी गाते थे - केसरिया बल भरने वाली, सादा है सच्चाई , हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई 🇮🇳 !!
बल था अब नही है , सच्चाई थी अब नही है , हरा थे अब नही हैं !!
आखिर कैसे और कब ये सब हो गया ? पाठशाला से मधुशाला तक की यात्रा करने के अतिरिक्त कुछ भी तो उपलब्धि नही । रुपया है पर वह तो बल नही छल है । शब्दों का भंडार है पर वह तो सच्चाई नही महज एक रजाई है जिसके कारण पाण्डित्य का मुखौटा ससुशोभित है । देह में हर तरफ से सूखापन उजागर है लेकिन सामाजिक ढांचों में इस तरह से जम चुका है कि हरेभरे दिखते हैं ।
क्या इसीको स्वतंत्रता कहते हैं ? देश स्वतंत्र है तो क्या हम भी स्वतंत्र हैं ? जो दूसरों के ऊपर मालकियत करे वह मालिक या फिर वे मालिक जो स्वंय के ऊपर मालकियत करे ? हुन आये -गये , तुर्क आये- गये , मुगल आये -गये , अंग्रेज आये -गये परन्तु अब तो कोई नही फिर भी हम गुलाम ? हमें कौन निकालेगा ? हमने भी तो मालकियत को ही प्रथम पूज्य माना हुआ है । जिसको मर्जी उसी के गर्दन को दबोच देते हैं। ये दबे-कुचले लोग क्या वाकई स्वतंत्र हैं ? या फिर वे जो आवाज उठाते हैं , विवेकानंद को प्रत्यक्ष करते हैं उनको हम अप्रत्यक्ष कर देते हैं। वह पुलक जिसे फैलना चाहिए उसे अंगभंग करने में हम तनिक भी देर नही करते ।
चारलोग तिरंगा लेकर गीत गा ले , नाच ले और फिर तरह तरह की बातें सुनाकर करोडों लोगों को भेड़-बकरियों की तरह हाँके - क्या वे सभी स्वतंत्र कभी हो पावेंगे ? कितनों को स्वतंत्रता मिली है अबतक भारत में? है कोई जो कह सके कि वह "स्वतंत्र " है ?
जब मैं गांव से शहर आया था तो एक ताजा फूल था - केसरिया बल, सादा जीवन और बिल्कुल हराभरा । वही गीत जिसको कभी भगत सिंह ने , कभी बोस ने , कभी राणा ने तो कभी शिवाजी ने गाया उसे शहर में मैंने दोहराया । परन्तु साफ साफ देखा कि गीत के मुखड़े पर कालिख़ लगाकर पहले से ही कुछ और ही गा रहे थे शहर के लोग ।।
नही , मैं शहर के लोगों को बेईमान नही कह रहा बल्कि गुलाम कह रहा हूँ । जो भी कभी पहले-पहल शहर आये होंगे उन्होंने वही किया होगा जो मैं कर रहा था परन्तु जल्दि ही रंग में रंग गये होंगे क्योंकि जो स्पष्ट कहेगा वह भ्र्ष्टाचार के हाथों मरेगा । यही खेल चल रहा है - इस खेल में या तो शरीक रहिये या फिर निर्भीक कहिये । परन्तु निर्भीक लोगों से मैं अबतक मिल नही पाया ।
लगभग ग्यारह वर्ष से कार्यरत हूँ । शहर ने बहुत कोशिश की की मेरे गीत पर भी कालिख़ मले लेकिन आजतक वे सफल नही हो पाए । बस दुःखी मैं भी हूँ परन्तु इसलिए नही की मुझे किसी से डर है बल्कि इसलिए कि भारत कभी भी स्वतंत्र नही हो सकेगा । विदेशी के हाथ मे सत्ता हो या देशी के हाथ मे - क्या फर्क पड़ता है ? आदेश और नियम में तो वही करना होगा इनको जो ये करने को आदि हैं ।
हालांकि अनेको विस्मरण हैं पर मुझे याद है कि कैसे कार्यालय में लोग डरे सहमे रहते हैं । कुछ भी नही बोलते । अपने से नीचेवाले को सभी दबाते रहते हैं । यही हाल उसके ऊपरवाले उनके साथ कर रहे होते हैं । विछिप्त अवस्था मे काम करते लोग , फीकी हंसी । मैं तो शब्दों के माध्यम से लिखता भर हूँ परंतु चेहरों को पढ़ने में काफी दिलचस्पी है । मैं देखता भर रहता था ।
मुझे जाननेवाले , जिनके साथ मैंने काम किया है वे बढियां से मुझे जानते हैं । उनको पता है - मैं मेरे मत के अनुसार चलने का आदि हूँ चाहे परिणाम कुछ भी हो । मैं स्वतंत्र हूँ - इसलिए नही की 1947 में देश स्वतंत्रत हुआ बल्कि इसलिए क्योंकि मैं स्वयं का मालिक हूँ और मुझपर कम से कम आजतक किसी की मालकियत नही रही । लोग जवानी में समझौता करते हैं और कुछ जोड़ लेने के बाद बुढ़ापे में विचार रखते हैं परंतु मैं जवानी में ही विचार रखने का आदि हूँ । इसके कारण विपदाओं को भी झेला है -परंतु स्वतंत्र विचार के आगे ऐसी विपदाओं का कोई महत्व नही । आत्मविश्वास और चेतना में ज्वाला है तो कहीं भी वैचारिक समझौता मेरे लिए असंभव है ।
स्वीकार करता हूँ कि थोड़ा बहुत चालक हो गया हूँ , करता वही हूँ जो मुझे करना है परंतु अब कृष्ण की तरह । पहले राम की तरह स्पष्ट था । जंगल मिलना ही था । परंतु अब कृष्णवस्त्र में घूमता हूँ । बचपन मे जिस कृष्ण को सबसे पहले देखा - जन्माष्टमी में नाचा , आरती की वही कृष्ण अब मेरे सारथी हैं । यदि कृष्ण गलत तो मैं भी गलत ।।
मैं स्वतंत्र हूँ । अनुभव ही स्वतंत्रता है । आवाज में बल और मन मे उठे तरंग वही बने रहेंगे जो हमेशा से अंदर है । मेरे चेहरे पर तरह तरह के मुखौटे हैं जिसे भेदना दुर्योधन के लिए कठिन ही नही असम्भव है ।। बस मैं अंत मे यही कहूंगा कि स्वतंत्र वही है जिसने परतंत्रता को जान लिया है । जिसने परतंत्रता को नही जाना वे कभी स्वतंत्र नही हो पाएंगे चाहे आजीवन 15 अगस्त के दिन झंडादोलन करने के उपरांत मिठाई खाते रहें ।
यह गीत मेरे दिल के करीब है , अति प्रिय , संस्कृति नही आती तो हिंदी में ही इसके अर्थ को जाना - क्या अदभुत लिख गए चटर्जी । जय हिंद।
Pratik gandhi upcoming movie (रावण लीला लेकर आ रहे है प्रतीक गाँधी) -
रावण लीला फिल्म का ट्रेलर -
रावण लीला -जैसा की नाम से ही लग रहा है। इस फिल्म में मंचन तो राम -लीला की होगी लेकिन इसमें रावण ही लीला करेगा।और ट्रेलर में साफ दिख रहा -रावण बने प्रतीक गाँधी अपनी लीला को दिखाने के लिए तड़प रहे है।सबसे पहले ये बात कहना चाहता हूँ की प्रतीक गाँधी की एक्टिंग लाज़वाब है। जैसे उन्होंने स्कैम 1992 में एक्टिंग सब लोग उनके फैन है। वो गुजराती फिल्मो में पहले से काम करते रहे है लेकिन उनकी हिंदी फिल्म स्कैम 1992 ने तो गज़ब ही ढा दिया था।वेब सीरीज 'स्कैम 1992' (Scam 1992) के जरिए देशभर में बेहद लोकप्रिय हो चुके एक्टर प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) एक बार फिर से पर्दे पर वापसी करने के लिए तैयार हैं। ये फिल्म जल्द ही थिएटर्स में रिलीज होने जा रही है।
फिल्म में कई बेहतरीन कलाकार काम कर रहे है -
फिल्म का फर्स्ट लुक जारी किया जा चुका है और इसमें एक्ट्रेस ऐंद्रिता रे अभिनेता प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) के अपोजिट काम करती नजर आएंगी।प्रतीक और ऐंद्रिता के अलावा एक्टर अभिमन्यु सिंह, राजेश शर्मा, फ्लोरा सैनी, अंकुर भाटिया, राजेंद्र गुप्ता जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे।फिल्म का पोस्टर खुद प्रतीक (Pratik Gandhi) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है। पोस्टर में लीड कलाकार रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं और उनके बैकग्राउंड में रामलीला मंचन के दृष्य दिखाए गए हैं।पोस्टर पर फिल्म की पंचलाइन भी लिखी गई है।मेकर्स ने लिखा- राम में क्यों तूने रावण को देखा।इस पोस्टर को शेयर करते हुए प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) ने लिखा- मुखौटे पे मुखौटा.. राम के रावण की ली।
रावण लीला फिल्म किन चीजों पर आधारित है -
धर्म और संस्कृति ने समाज को इस तरह से अंधा कर दिया है कि कोई सवाल नहीं करना चाहता और न ही सवाल करने या पूछताछ करने की जिज्ञासा पैदा होती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी जीवन शैली के प्रति दृष्टिहीन हो जाता है, तो यह धोखे और बेईमानी से भरी जीवन शैली में परिणत होता है। न केवल जीवन के प्रति धोखा और इनकार समाज में लोगों की स्थिरता और विकास को बाधित करता है बल्कि दोहरे मानकों में भी खतरनाक वृद्धि को बढ़ावा देता है।ये कहानी उपरोक्त मुद्दे को एक अनोखे और सुंदर तरीके से उजागर करती है, जो समाज के दोहरे मानकों को उजागर करती है, जो कि एक घटिया जीवन जी रही है।
इसकी कहानी अंध मान्यताओं पर चोट पहुँचाती है -
यह राम-लीला के बारे में है जो पहली बार खाखर गांव में हो रही है।कहानी राजा राम के सपने और समाज पर उसके प्रभाव के बारे में है। स्वभाव से उत्साही राजा-राम का बचपन से ही अभिनेता बनने का एक ही सपना था, वह एक छोटे से गाँव के रहने वाले थे, वह एक होने के उस मौके से वंचित थे और उनके सपने को आज तक ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख नहीं मिले। यह कहानी लोगों को सोचने और वास्तविक और रील जीवन के बीच के अंतर को उनके अंध विश्वास और मानसिक अवरोधों के कारण अलग करने के लिए एक ठहराव पर आती है, उनकी नकली धार्मिक मान्यताएं युगल के खिलाफ उनके विचारों और कार्यों को प्रभावित कर रही थीं।असली संघर्ष अब शुरू हुआ था। क्या यह जोड़ी इन बाधाओं से बच पाएगी या शिकार बन जाएगी और समाज की अंध मान्यताओं के आगे झुक जाएगी, यह बयान एक बड़ा बहस का मुद्दा खड़ा करता है ... कि असली अपराधी कौन है असली रावण राजा-राम या हम "समाज" या कोई और।
गाँधी जयंती पे फिल्म आ सकती है -
जहां तक इस फिल्म की रिलीज का सवाल है तो इसे गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के खास मौके पर रिलीज किया जाएगा।फिल्म की रिलीज डेट 1 अक्टूबर 2021 रखी गई है।यानि गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) से ठीक एक दिन पहले दर्शक इस फिल्म को सिनेमाघरों में जाकर बड़े पर्दे पर देख पाएंगे।बता दें कि दर्शकों ने इस फिल्म के पोस्टर पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिया है। देखिए की प्रतीक गाँधी की इस फिल्म को लोग कितना प्यार देते है।
Pratik gandhi upcoming movie (रावण लीला लेकर आ रहे है प्रतीक गाँधी) -
रावण लीला फिल्म का ट्रेलर -
रावण लीला -जैसा की नाम से ही लग रहा है। इस फिल्म में मंचन तो राम -लीला की होगी लेकिन इसमें रावण ही लीला करेगा।और ट्रेलर में साफ दिख रहा -रावण बने प्रतीक गाँधी अपनी लीला को दिखाने के लिए तड़प रहे है।सबसे पहले ये बात कहना चाहता हूँ की प्रतीक गाँधी की एक्टिंग लाज़वाब है। जैसे उन्होंने स्कैम 1992 में एक्टिंग सब लोग उनके फैन है। वो गुजराती फिल्मो में पहले से काम करते रहे है लेकिन उनकी हिंदी फिल्म स्कैम 1992 ने तो गज़ब ही ढा दिया था।वेब सीरीज 'स्कैम 1992' (Scam 1992) के जरिए देशभर में बेहद लोकप्रिय हो चुके एक्टर प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) एक बार फिर से पर्दे पर वापसी करने के लिए तैयार हैं। ये फिल्म जल्द ही थिएटर्स में रिलीज होने जा रही है।
फिल्म में कई बेहतरीन कलाकार काम कर रहे है -
फिल्म का फर्स्ट लुक जारी किया जा चुका है और इसमें एक्ट्रेस ऐंद्रिता रे अभिनेता प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) के अपोजिट काम करती नजर आएंगी।प्रतीक और ऐंद्रिता के अलावा एक्टर अभिमन्यु सिंह, राजेश शर्मा, फ्लोरा सैनी, अंकुर भाटिया, राजेंद्र गुप्ता जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे।फिल्म का पोस्टर खुद प्रतीक (Pratik Gandhi) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है। पोस्टर में लीड कलाकार रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं और उनके बैकग्राउंड में रामलीला मंचन के दृष्य दिखाए गए हैं।पोस्टर पर फिल्म की पंचलाइन भी लिखी गई है।मेकर्स ने लिखा- राम में क्यों तूने रावण को देखा।इस पोस्टर को शेयर करते हुए प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) ने लिखा- मुखौटे पे मुखौटा.. राम के रावण की ली।
रावण लीला फिल्म किन चीजों पर आधारित है -
धर्म और संस्कृति ने समाज को इस तरह से अंधा कर दिया है कि कोई सवाल नहीं करना चाहता और न ही सवाल करने या पूछताछ करने की जिज्ञासा पैदा होती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी जीवन शैली के प्रति दृष्टिहीन हो जाता है, तो यह धोखे और बेईमानी से भरी जीवन शैली में परिणत होता है। न केवल जीवन के प्रति धोखा और इनकार समाज में लोगों की स्थिरता और विकास को बाधित करता है बल्कि दोहरे मानकों में भी खतरनाक वृद्धि को बढ़ावा देता है।ये कहानी उपरोक्त मुद्दे को एक अनोखे और सुंदर तरीके से उजागर करती है, जो समाज के दोहरे मानकों को उजागर करती है, जो कि एक घटिया जीवन जी रही है।
इसकी कहानी अंध मान्यताओं पर चोट पहुँचाती है -
यह राम-लीला के बारे में है जो पहली बार खाखर गांव में हो रही है।कहानी राजा राम के सपने और समाज पर उसके प्रभाव के बारे में है। स्वभाव से उत्साही राजा-राम का बचपन से ही अभिनेता बनने का एक ही सपना था, वह एक छोटे से गाँव के रहने वाले थे, वह एक होने के उस मौके से वंचित थे और उनके सपने को आज तक ऊंची उड़ान भरने के लिए पंख नहीं मिले। यह कहानी लोगों को सोचने और वास्तविक और रील जीवन के बीच के अंतर को उनके अंध विश्वास और मानसिक अवरोधों के कारण अलग करने के लिए एक ठहराव पर आती है, उनकी नकली धार्मिक मान्यताएं युगल के खिलाफ उनके विचारों और कार्यों को प्रभावित कर रही थीं।असली संघर्ष अब शुरू हुआ था। क्या यह जोड़ी इन बाधाओं से बच पाएगी या शिकार बन जाएगी और समाज की अंध मान्यताओं के आगे झुक जाएगी, यह बयान एक बड़ा बहस का मुद्दा खड़ा करता है ... कि असली अपराधी कौन है असली रावण राजा-राम या हम "समाज" या कोई और।
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जहां तक इस फिल्म की रिलीज का सवाल है तो इसे गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के खास मौके पर रिलीज किया जाएगा।फिल्म की रिलीज डेट 1 अक्टूबर 2021 रखी गई है।यानि गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) से ठीक एक दिन पहले दर्शक इस फिल्म को सिनेमाघरों में जाकर बड़े पर्दे पर देख पाएंगे।बता दें कि दर्शकों ने इस फिल्म के पोस्टर पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिया है। देखिए की प्रतीक गाँधी की इस फिल्म को लोग कितना प्यार देते है।
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