#मिष्ठान्न
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#गुरू गोविन्द दोऊ खड़े#काके लागूं पांय।#बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।#कबीर का यह दोहा उतना ही अर्थपूर्ण है जितना अर्थपूर्ण है मेरी अध्यापिका का मुझ पर आशीर्वाद।#रामचरितमानस को लेकर जब सवाल तुलसी पर उठाया जा रहा था तो वे अपनी सूती साड़ी का पल्ला पकड़ती है और#कितना सुंदर कवि है ये हमारे भाई तुलसीदास जी !#क्यों उसकी छोटी सी कविता के भाग को समझने में इतनी तकलीफ़ हुई जाती है बेटा जी।#उन्होंने हमारी किताब को हाथ में लिया और चश्मा संभालकर जो समझाया उसने दुनिया को देखने समझने और व#और यही तो है २१वी सदी का ज्ञान कि जानो#परखो और चुनो।#ढोल गंवार शुद्र पशु नारी#सकल तारणा के अधिकारी : रामचरित मानस#१. ढोल (वाद्य यंत्र)- ढोल को हमारे सनातन संस्कृति में उत्साह का प्रतीक माना गया है इसके थाप से हमे#उत्साहमय हो जाता है. आज भी विभिन्न अवसरों पर ढोलक बजाया जाता है. इसे शुभ माना जाता है.#२. गंवार {गांव के रहने वाले लोग )- गाँव के लोग छल-प्रपंच से दूर अत्यंत ही सरल स्वभाव के होते हैं. गाँ#३. शुद्र (जो अपने कर्म व सेवाभाव से इस लोक की दरिद्रता को दूर करे)- सेवा व कर्म से ही हमारे जीवन व दू#४. पशु (जो एक निश्चित पाश में रहकर हमारे लिए उपयोगी हो) - प्राचीन काल और आज भी हम अपने दैनिक जीवन मे#दही. घी विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न इत्यादि के लिए हम पशुओं पर ही निर्भर हैं. पशुओ के बिना हमारे#५. नारी ( जगत -जननी#आदि-शक्ति#मातृ-शक्ति )- नारी के बिना इस चराचर जगत की कल्पना ही मिथ्या है नारी का हमारे जीवन में माँ#बहन बेटी इत्यादि के रूप में बहुत बड़ा योगदान है. नारी के ममत्व से ही हम हम अपने जीवन को भली-भाँती स#काली#लक्ष्मीबाई बनकर हमारा कल्याण करती है. इसलिए सनातन संस्कृति में नारी को पुरुषों से अधिक महत्त्#सकल तारणा के अधिकारी से यह तात्पर्य है-#१. सकल= सबका#२. तारणा= उद्धार करना#३. अधिकारी = अधिकार रखना#उपरोक्त सभी से हमारे जीवन का उद्धार होता है इसलिए इसे उद्धार करने का अधिकारी कहा गया है.#writing
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सनातनियों को ग़ुलामी की प्रतीक, Cake काटने और मोमबत्ती जलाने जैसी क्रियाएं/कार्य तत्काल बन्द कर देना चाहिये। इनके स्थान पर दुग्ध-फल-मिष्ठान्न-श्रीफल वितरण/आदान-प्रदान किया जाना चाहिये।
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"स्वादिष्ट परंपरा: 𝗕𝗶𝗵𝗮𝗿 𝗞𝗮 𝗧𝗶𝗹𝗸𝘂𝘁 का मीठा आनंद"
भारत के मध्य में स्थित, बिहार एक ऐसा राज्य है जो संस्कृति और परंपराओं की समृद्ध विरासत का दावा करता है। ऐसा ही एक पाक रत्न जो राज्य का पर्याय बन गया है वह है "तिलकुट।" जैसे ही सर्दी मकर संक्रांति के उत्सव की शुरुआत करती है, भुने हुए तिलों की सुगंध और गुड़ या चीनी की मिठास हवा में भर जाती है, जो इस स्वादिष्ट व्यंजन के आगमन का संकेत देती है।
तिलकुट का सार:
𝗕𝗶𝗵𝗮𝗿 𝗞𝗮 𝗧𝗶𝗹𝗸𝘂𝘁 सिर्फ एक मिठाई नहीं है; यह परंपरा और उत्सव का प्रतीक है। मुख्य सामग्री, तिल, और गुड़ या चीनी को सावधानी से मिलाकर एक ऐसा व्यंजन तैयार किया जाता है जो पीढ़ियों से भी बेहतर होता है। तिलकुट तैयार करने का कार्य ही एक अनुष्ठान है, जो अक्सर परिवारों द्वारा पारित किया जाता है, जो अपने साथ साझा यादों और सांस्कृतिक विरासत की गर्माहट लेकर आता है।
मकर संक्रांति कनेक्शन:
मकर संक्रांति, सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का प्रतीक त्योहार, बिहारियों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। तिलकुट उत्सव का एक अभिन्न अंग बन जाता है, जो इस खुशी के समय के दौरान परिवार और दोस्तों के साथ साझा किए गए मधुर क्षणों का प्रतीक है।
तिलकुट बनाना:
तिलकुट बनाने की प्रक्रिया एक कला है जिसमें कौशल और सटीकता की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, तिलों को सावधानीपूर्वक भूना जाता है, जिससे उनकी प्राकृतिक पौष्टिकता बढ़ जाती है। इस बीच, गुड़ या चीनी के साथ एक सिरप तैयार किया जाता है, जिससे तिल को एक साथ बांधने के लिए सही स्थिरता प्राप्त होती है। इन दो तत्वों के मेल से एक स्वादिष्ट मिश्रण बनता है जिसे रमणीय गोल या चौकोर आकार दिया जाता है, जिससे सिग्नेचर तिलकुट बनता है।
पाककला विरासत और सांस्कृतिक महत्व:
अपने स्वादिष्ट स्वाद के अलावा तिलकुट का सांस्कृतिक महत्व भी है। इसका आदान-प्रदान सद्भावना के संकेत के रूप में किया जाता है, जो समृद्धि और खुशी का प्रतीक है। तिलकुट की साझा प्लेटों पर बने मधुर बंधन समुदाय और एकजुटता के सार को दर्शाते हैं जो बिहार की भावना को परिभाषित करता है।
विविधताएँ और क्षेत्रीय प्रभाव:
जबकि मुख्य सामग्रियां स्थिर रहती हैं, तिलकुट की तैयारी में क्षेत्रीय विविधताएं होती हैं। ��ुछ लोग इस सदियों पुराने नुस्खे में व्यक्तिगत स्पर्श जोड़ते हुए अतिरिक्त मेवे या मसाले शामिल कर सकते हैं। ये विविधताएं बिहार के विविध पाक परिदृश्य को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष:
बिहार का तिलकुट मिष्ठान्न से कहीं अधिक है; यह स्वाद और साझा क्षणों के माध्यम से बताई गई कहानी है। जैसे तिल की सुगंध घरों में फैलती है और गुड़ की मिठास स्वाद कलिकाओं पर नृत्य करती है, तिलकुट बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि के प्रमाण के रूप में खड़ा है - एक ऐसी परंपरा जिसे चखा जाना चाहिए, मनाया जाना चाहिए और अगली पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। प्रत्येक निवाले में, आप न केवल मिठाई की मिठास का स्वाद ले सकते हैं, बल्कि उन मीठी यादों और परंपराओं का भी स्वाद ले सकते हैं जो बिहार का तिलकुट को वास्तव में खास बनाती हैं।
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दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर खुले विशाल भंडारे में आप सभी सादर आमंत्रित है
510 वर्ष पहले विक्रम संवत 1570 (सन् 1513) में परमेश्वर कबीर जी ने काशी (उत्तरप्रदेश, भारत) में 3 दिन का विशाल भंडारा किया था। इस भंडारे में गरीब जुलाहे की भूमिका निभा रहे कबीर साहेब के नाम झूठी चिट्ठी डालकर अठारह लाख लोगों को काशी में एकत्रित कर लिया गया था। कबीर साहेब ने केशव रूप बनाकर सतलोक से आकर सभी को अद्भुत भंडारा देकर तृप्त किया था। कई तरह के मिष्ठान्न और व्यंजनों के अतिरिक्त प्रत्येक भोजन करने वाले को एक मोहर और एक दोहर दान की थी। आज वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने उसी उपलक्ष्य में देश भर के 10 सतलोक आश्रमों में दिनांक 26 नवंबर, 27 नवंबर और दिनांक 28 नवंबर 2023 को दिव्य धर्म यज्ञ दिवस का आयोजन किया है जिसमें विश्व के सभी लोग सपरिवार आमंत्रित हैं। इस पवित्र अवसर पर अखंड पाठ और विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
कबीर परमेश्वर के विरुद्ध शेख तकी की साज़िश
कबीर साहेब के ज्ञान और चमत्कारों से शेख तकी सदैव ही उन्हें नीचा दिखाने की ताक में रहता किंतु हमेशा असफल होता। उसने कबीर साहेब को जान से मारने के कई असफल प्रयत्न किए। उसने कबीर साहेब की लोकप्रियता से ईर्ष्यालु होकर अन्य नकली धर्मगुरुओं के साथ मिलकर योजना बनाई जिसके बाद कबीर साहेब के नाम से पूरे भारत वर्ष में यह निमंत्रण फैलाया कि कबीर साहेब सभी के लिए विशेष भंडारे का आयोजन कर रहे हैं। यह भंडारा तीन दिन तक चलेगा। कबीर साहेब प्रत्येक भोजन करने वाले को एक स्वर्ण मुद्रा और दोहर भी भेंट करेंगे और इस तरह नियत दिन विभिन्न पंथों के साधु संत, गिरी, पुरी, नागा, वैष्णव, जटाधारी एवं अन्य लोग इकट्ठे हो गए।
कबीर साहेब ने दिया अठारह लाख साधु संतों को भंडारा
कबीर साहेब सबके इकट्ठे होने के बाद सतलोक में अन्य रूप में गए। उनका वह रूप केशव बंजारे का रूप कहलाता है। केशव बंजारे के रूप में कबीर साहेब ने सतलोक से 9 लाख बैलों के ऊपर पका पकाया भोजन एवं सर्व सामग्री लेकर काशी में उपस्थित अठारह लाख लोगों को तृप्त किया। प्रत्येक को भोजन के बाद एक मोहर और एक दोहर भेंट की। इस लालच में कइयों ने बार बार भंडारा ग्रहण किया। केशव रूप में कबीर साहेब ने चिट्ठी में लिखे अनुसार तीन दिन तक यह भंडारा आयोजित किया। लोग कबीर साहेब की जयजयकार करने लगे। सिकंदर लोदी को भी उस भंडारे में आने का आमंत्रण मिला हुआ था। सिकंदर लोदी ऐसा भव्य समारोह और स्वादिष्ट भंडारा देखकर दंग रह गया। उसने केशव बंजारे से उनका परिचय पूछा तो उत्तर मिला कि कबीर साहेब मेरे मित्र हैं उन्होंने सूचना दी कि एक छोटा सा भंडारा करवाना है तो मैं आ गया हूं। सिकंदर लोदी ने पूछा कि कबीर साहेब कहां हैं तो उसे जवाब मिला कि मैं उनका दास बैठा हूं उनकी जब इच्छा होगी तब वे आएंगे।
वह तुरंत कबीर साहेब की कुटिया में उन्हें लेने पहुंचा। कबीर साहेब ने भंडारे के विषय में अज्ञानता दर्शाई जिस पर सिकंदर लोदी ने हाथ जोड़कर भंडारे का सारा श्रेय दिया और कहा आप स्वयं को छिपा कर रखते हैं। सिकंदर लोदी ने कबीर साहेब को दंडवत प्रणाम किया और उन्हें अपने हाथी पर बैठाकर भंडारा स्थल लेकर गए। कबीर साहेब के पहुंचते ही आकाश से पुष्प वर्षा हुई और कबीर साहेब के लिए अपने आप तख्त बिछ गया जिस पर हीरे मोती लाल व अन्य जवाहरात जड़े हुए थे। कबीर साहेब वहां अपने ही रूप केशव रूप से मिले और 8 पहर तक अपने बच्चों के लिए सत्संग किया। सतलोक से आया उत्तम भोजन खाने के पश्चात सभी में भक्ति के लिए रुचि बनी और सभी ने तत्वज्ञान को समझा। इस तत्वज्ञान को सुनकर दस लाख लोगों ने नामदीक्षा ली। इस विषय में गरीबदास जी महाराज ने अपने सतग्रंथ साहेब में लिखा है -
शाह सिकंदर कूँ सुनी, धंन कबीर बलि जाँव।
गरीबदास मेले चलो, मम हिरदे धरि पांव।।
केशव और कबीर का, तंबू मांहि मिलाप।
गरीबदास आठ पहर लग, गोष्ठी निज गरगाप।।
तीन दिन पश्चात हुआ केशव, सेवादार और बैलों का निजधाम प्रस्थान
केशव रूप में कबीर साहेब के साथ कुछ सेवादार भी सतलोक से आए थे। तीन दिन तक भंडारे के पश्चात केशव रूप कबीर, अन्य सेवादारों के साथ टेंट व अन्य सामान समेटकर बैलों पर रखकर आपके निजधाम को चले। कबीर साहेब सिकंदर लोदी और अन्य लोगों के साथ खड़े थे। केशव जी ने कबीर साहेब से आज्ञा ली और चल पड़े। अंगरक्षक ने आवाज लगाई कि बैल पृथ्वी से छः इंच ऊपर चल रहे हैं। कुछ ही पलों में नौ लाख बैल और सेवादार अदृश्य हो गए। कबीर साहेब से जब सिकंदर लोदी ने पूछा तो उन्होंने कहा कि वे जहां से आए थे वहां वापस चले गए। पास ही खड़े केशव बंजारा रूप कबीर साहेब के शरीर में समा गए। सभी ने कबीर साहेब की जयजयकार की। इस संबंध में गरीबदास जी ने लिखा है कि
केशव चले स्व धाम को, नौलख बोडी लीन।
गरीबदास बंधन किया, बाजत हैं सुर बीन।।
केशव और कबीर जित, मिलत भये तहां ��क।
दासगरीब कबीर हरी, धरते नाना भेख।।
बनजारे और बैल सब, लाए थे भर माल।
गरीबदास सत्यलोक कूं, चले गये ततकाल।।
आवत जाते ना लखै, कौन धाम प्रकाश।
गरीबदास शाह बूझि है, कहां गये हरिदास।।
हरि में हरिके दास हैं, दासन कै हरि पास।
कबीर साहेब की जयजयकार के बीच शेख तकी ने अपनी विफल हुई योजना से दुखी होकर कहा ये भी कोई भंडारा किया ऐसे भंडारे हम कई कर दें, यह तो महौछा सा किया है। महौछा एक ऐसे भंडारे को कहते हैं जिसे बेमन से पुरोहित द्वारा सुझाए जाने पर कर दिया जाए। ऐसा कहते ही शेख तकी गूंगा और बहरा हो गया। वह अन्य लोगों के लिए उदाहरण बना कि अपनी ताकत का दुरुपयोग करना भारी पड़ता है।
अन्य चमत्कार जो भंडारे में हुआ
तीन दिनों तक काशी में अठारह लाख लोग शौच करके काशी में बुरी स्थिति कर देते। किंतु सर्व भोजन और सर्व पदार्थ सतलोक से आए हुए थे अतः कई कई बार भंडारा करने वाले भी शौच नहीं गए। अधिक दबाव बनाने पर भी केवल सुगंधित वायु निकली इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। इस बात का पुराणों में भी ज़िक्र है कि राजा ऋषभ देव जो राजपाट छोड़कर जंगल में भक्ति करते थे उनके लिए भोजन स्वर्ग से आता था। उनके पाखाने से सुगंध निकलती थी।
दिव्य धर्म यज्ञ के उपलक्ष्य में विशाल समागम 26, 27 और 28 नवंबर 2023 को
600 साल पहले हुए अद्भुत भंडारे की यादगार के रूप में वैसा ही दिव्य धर्म यज्ञ दिवस सभी आश्रमों
सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत;
सतलोक आश्रम भिवानी, हरियाणा;
सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र, हरियाणा;
सतलोक आश्रम मुंडका, दिल्ली;
सतलोक आश्रम धुरी, पंजाब;
सतलोक आश्रम खमानो, पंजाब;
सतलोक आश्रम शामली, उत्तर प्रदेश;
सतलोक आश्रम सोजत, राजस्थान;
सतलोक आश्रम बैतूल, मध्यप्रदेश;
सतलोक आश्रम जनकपुर, नेपाल
में लगातार तीन दिन दिनांक 26 नवंबर, 27 नवंबर और दिनांक 28 नवंबर 2023 को आयोजित होगा जिसमें सतग्रंथ साहेब का अखंड पाठ होगा और चौबीस घंटे भंडारे की व्यवस्था रहेगी। इस पवित्र अवसर पर आयोजित दिव्य धर्म यज्ञ दिवस का लाभ लेने अवश्य पहुंचें।
भंडारे पर आश्रम में सर्व सुविधा उपलब्ध
समागम के दौरान प्रतिदिन सभी आश्रमों में लाखों की संगत आती जाती है। उनकी सुविधा के लिए पर्याप्त स्थान और व्यवस्थाएं की गई हैं। सेवादारों द्वारा संगत का आवागमन और संचालन देखा जायेगा। वाहनों से आने वाले सभी वाहनों की उपयुक्त पार्किंग व्यवस्था है जहां अपने दुपहिया या चौपहिया वाहन पार्क किए जा सकेंगे। लाखों की संगत आने पर भी किसी भी व्यक्ति को असुविधा न हो इस बात का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। सभी आश्रम खुले हवादार हैं जहां एकसाथ कई लोग एक समय पर उपस्थित हो सकते हैं। पीने के पानी क�� लिए सभी आश्रमों में निर्मल जल की सुचारू व्यवस्था है। पर्याप्त मात्रा में स्नानघरों एवं शौचालय की सुविधा भी इन आश्रमों में है। विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि किसी भी प्रकार की सुविधा निशुल्क प्रयोग की जाती है तथा इस विशाल भंडारे एवं अखंड पाठ के समागम में किसी से कोई धनराशि नहीं ली जाती। वास्तव में ऐसी पवित्र जगहें ही धार्मिक कही जा सकती हैं जहां शास्त्रानुकूल साधना से पूर्ण परमेश्वर के कृपापत्र तत्वदर्शी संत की वाणी उच्चारित हो रही हो। जहां लिंग, धर्म, रंग, जाति के आधार पर कोई भेदभाव न हो। जहां सभी से विनम्र भाव में प्रार्थना की जाती है ना कि आदेश दिए जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज के आश्रमों यों भी 365 दिनों खुले रहते हैं जहां अन्न जल की कभी कोई कमी नहीं होती। अवश्य रूप से यहां समय निकालकर भेंटें और पुण्य के भागी बनें।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा आयोजित इस दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के अवसर पर आएं भंडारे में और अखंड पाठ का लाभ उठाएं।
यहां से देखे लाइव प्रसारण
इस विशेष समागम “दिव्य धर्म यज्ञ दिवस” के अवसर पर 28 नवंबर को सतलोक आश्रम धनाना धाम, जिला सोनीपत, हरियाणा से सीधा प्रसारण आप साधना और पॉपुलर TV पर सुबह 09:15 (AM) को किया जाएगा जिसे आप हमारे YouTube Channel Sant Rampal Ji Maharaj और Facebook Page Spiritual Leader Saint Rampal Ji पर भी देख सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- +91 8222880541,42,43,44
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (चतुर्दशी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*आपको और आपके पूरे परिवार को त्याग, समर्पण, अपनत्व, स्नेह, वात्सल्य और रक्षा के पर्व रक्षाबंधन, और भगवान लव-कुश के जन्मदिवस की अनन्त कोटि- कोटि शुभकामनाएं*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-30-अगस्त-2023
वार:----------बुधवार
तिथी :--------14चतुर्दशी:-10:59
पक्ष:----------शुक्लपक्ष
माह:----------द्बितीय श्रावण
नक्षत्र:---------धनिष्ठा:-20:47
योग:----------अतिगंड:-21:33
करण:---------वणिज:-10:58
चन्द्रमा:-------मकर10:19कुम्भ
सुर्योदय:-------06:20
सुर्यास्त:--------18:56
दिशा शूल---------उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :---------------वर्षा-शरद ऋतु
गुलीक काल:---10:53से 12:27
राहू काल:-------12:27से14:02
अभीजित-------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:20से07:54तक
अमृत:-07:54से09:28तक
शुभ:-11:03से12:37तक
चंचल:-15:37से 17:21तक
लाभ:-17:21से 18:56तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:24से21:50तक
अमृत :-21:50से23:15तक
चंचल :-23:15से00:40तक
लाभ :-03:31से04:56तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का161वाँ दिन, भद्रा प्रारम्भ
10:58से21:02 पृथ्वी-लोक अशुभ(दिशा) नैर्ऋत्य, रक्षाबंधन रात्रि 09:02 पश्चात, पूर्णिमा व्रत, नारिरली पूर्णिमा (दमन), कोकिला व्रत पूर्ण, संस्कृत दिवस,बुध अस्त पश्चिम में 14:43, शुक्ल यजु:-अथर्व तैतरीय श्रावणी,हयग्रीय जयंती, अवनी जयंती, कुलधर्म, झूलनयात्रा समाप्त, अन्वाधान, बलभद्र पूजा (उड़ीसा), पंचक प्रारम्भ 10:19, वज्रमुसलयोग 06:13से 20:47, राजयोग 10:58 से 20:47, कजरी पर्व (मध्य भारत), श्रवण पूजन, ऋषितर्पण, काण्वमाध्यन्दिन कात्या, अथर्वदेयी उपाकर्म, श्रावणी मरुस्थल,
*राखी बांधने का समय*:-
30अगस्त2023 को पूर्णिमा तिथि प्रातः 10:59से प्रारंभ हो जायेगी,इस दिन भद्रा 10:59से रात्रि 09:02तक रहेगी, अतः भद्रा प्रारम्भ के पूर्व एवं समाप्ति के पश्चात रक्षासूत्र (राखी) बांधें
👉वास्तु टिप्स👈
घर में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ हैं तो आपके बाथरूम का प्रवेश द्वार उत्तरी या पूर्वी दीवार पर होना चाहिए।
🎗🏵🎗 *रक्षाबंधन -*
सनातन परंपरा में किसी भी कर्मकांड व अनुष्ठान की पूर्णाहुति बिना रक्षासूत्र बांधे पूरी नहीं होती। प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं।
थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक व मिष्ठान्न आदि होते हैं। पहले अभीष्ट देवता और कुल देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके उसकी आरती उतारी जाती है व दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है।
भाई, बहन को उपहार अथवा शुभकामना प्रतीक कुछ न कुछ भेंट अवश्य देते हैं और उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पू���ा आदर और सम्मान देता है। रक्षाबंधन के अनुष्ठान के पूरा होने ��क व्रत रखने की भी परंपरा है।
यह रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है :-
*'येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल |*
*तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल' ||*
अर्थात जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
*🌅सुविचार🌅👏*
रक्षा के पवित्र बंधन को सदा निभाइये, अनमोल है बहनों पर सदां स्नेह लुटाइये।👍🏻
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
*वजन कम करने के लिए आसान योग -*
*उष्ट्रासन -*
उष्ट्रासन स्लिम और टोनिंग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योग आसन है। यह आपके कमर के आकार को कम करने में मदद करता है क्योंकि यह विशेष रूप से शरीर के उसी क्षेत्र पर काम करता है।
*उष्ट्रासन करने की विधि -*
सबसे पहले खाली पेट किसी खुली हवादार जगह पर एक चटाई बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैरों को सामने की तरफ फैलाएं और उसके बाद धीरे-धीरे दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर बैठ जाए। यह ठीक उसी तरह है जैसे आप वज्रासन की स्थिति में बैठते हैं। फिर धीरे-धीरे घुटनों के बल उपर की तरफ उठें और झुकते हुए पहले हाथ को पहली ऐड़ी और वैसे ही दूसरे हाथ को दूसरे पैर की ऐड़ी पर लगाएं। आप 10 से 15 सेकेंड इस स्थिति में रहें। फिर वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली होगी। धनार्जन होगा। चोट व रोग से बचें। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा के अवसर आएंगे। आमदनी में सुधार होगा। व्यापारिक स्थायित्व बढ़ेगा। मांगलिक उत्सवों में भाग लेंगे।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। जीवनसाथी को सम्मान मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। जोखिम के कामों से दूर रहें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण, पदोन्नति के योग हैं। अध्ययन में रुचि बढ़ेगी।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
तीर्थदर्शन हो सकता है। महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मेलजोल बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष की चिंता रहेगी। समस्याओं का हल ढूँढ सकेंगे। कर्ज लेने की प्रवृत्ति का त्याग करें। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। क्रोध-चिड़चिड़ाहट से कार्य नहीं करें।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
जल्दबाजी न करें। विवाद से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। सोच-विचार के अनुरूप स्थितियां रह पाएंगी। व्यावसायिक प्रयास सफल होने के आसार हैं। परिवार में धार्मिक, मांगलिक कार्य हो सकते हैं।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। प्रभावशाली व्यक्ति सहायता करेंगे। धनार्जन होगा। मानसिक-वैचारिक श्रेष्ठता रहेगी। आर्थिक स्थितियां विशेष लाभप्रद बन पाएंगी। दांपत्य जीवन संतोषप्रद रहेगा। व्यर्थ लोभ-लालच नहीं रखें।
👱🏻♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भूमि व भवन आदि की खरीद-फरोख्त संभव है। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार में अपने कार्य को महत्व देंगे। महत्वपूर्ण काम समय पर पूरे हो पाएंगे। नए कार्यों की योजना बनेगी। आशानुरूप लाभ होने के योग हैं।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
चोट व रोग से बचें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। निवेशादि लाभप्रद रहेंगे। परिवार के सदस्यों की तरक्की होगी। आमदनी से अधिक व्यय न करें। अपने कामों के प्रति सजगता रखना आवश्यक है।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। दु:खद समाचार मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। भागदौड़ रहेगी। कामकाज की अधिकता से तनाव बढ़ेगा। व्यावहारिक परेशानियां रहेंगी। छोटी-बड़ी तात्कालिक समस्याएं विचलित रखेंगी। व्यापारिक असंतोष रहेगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। लाभ होगा। दूसरों के व्यवहार से लाभ होगा। पूर्व नियोजित योजनाओं का क्रियान्वयन संभव है। रुके कार्यों की चर्चा होगी। संतान के कामों से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
अतिथियों का आवागमन रहेगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। बेचैनी रहेगी। मान बढ़ेगा। झंझटों में न पड़ें। सहयोग, मार्गदर्शन नहीं मिल पाएगा। अर्थ संबंधी विवाद हो सकते हैं। संतान की चिंता रहेगी। सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना होगा। पारिवारिक कामकाज स्थगित रहेंगे।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
महत्वपूर्ण कार्यसिद्धि हो सकती है। मनोरंजक यात्रा होगी। निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। प्रमाद न करें। व्यावसायिक स्थिति में सुधार संभव है। कामकाज में मन लगेगा। निजी कार्यों में सावधानी, सतर्कता रखें। रुका पैसा प्राप्त होगा।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
कुसंगति से बचें। ��ात्रादि में जोखिम न लें। लेन-देन में सावधानी रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। धैर्य रखें। आय से अधिक व्यय से आर्थिक तंगी आने की आशंका है। साधारण मतभेद, चिड़चिड़ाहट रह सकती है। दूसरों के कहने में नहीं रहें। व्यापार मध्यम रहेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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jharkhand deoghar- डीएवी कास्टर टाउन देवघर ने लगाया सेवा शिविर, कांवरियों के बीच फल, शरबत व स्वच्छ पेयजल का वितरण
देवघर: 17जुलाई को गीता देवी डीएवी पब्लिक स्कूल कास्टर टाउन, देवघर के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के सहयोग से श्रावणी सोमवारी के अवसर पर शिवभक्त कांवरियों की सेवा के लिए बिहार और झारखंड के बॉर्डर दुम्मा में शिविर लगाया गया. जिसमें शिव भक्तों के बीच फल, शरबत, चाय, मिष्ठान्न, स्वच्छ पेयजल आदि का वितरण किया गया. विद्यालय परिवार के सभी सदस्य कांवरिया भक्तों की सेवा में तत्पर थे.(नीचे भी…
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सावन सोमवार पूजा सामग्री:
🌺 फूल
🌺 पंच फल (पांच मेवा)
🌺 रत्न
🌺 सोना और चांदी
🌺 दक्षिणा
🌺 पूजा के बर्तन
🌺 दही
🌺 शुद्ध देशी घी
🌺 शहद
🌺 गंगाजल
🌺 पवित्र जल
🌺 पंच रस
🌺 इत्र और गंध रोली
🌺 मौली जनेऊ
🌺 पंच मिष्ठान्न
🌺 बिल्वपत्र
🌺 धतूरा
🌺 भांग
🌺 बेर
🌺 आम्र मंजरी
🌺 मंदार पुष्प
🌺 गाय का कच्चा दूध
🌺 कपूर
🌺 धूप और दीप
🌺 रूई
🌺 मलयागिरी
🌺 चंदन
🌺 शिव और मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री
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छानार पायेश मिष्ठान्न एक अनोखी मुलायम खीर | Chanar Payesh recipe in Hindi
छानार पायेश रेसिपी | Chanar Payesh recipe in Hindi #chanarpayesh #chanarpayeshrecipe #Chanarpayesh #durgapujaspecial #indiandessert #chanar #ChanarPayesh
छानार पायेश ���ह व्यंजन भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य की एक प्रसिद्ध खीर जैसा खुशबूदार मिष्ठान्न है। यह व्यंजन की प्रधान सामग्री छेना और गाढ़ा दूध है। छेना छेना दूध का एक द्विउत्पाद पदार्थ है। दूध में प्राकृतिक रूप से प्रोटीन तत्व केसीनोजन मौजूद है। यह केसीनोजेन अम्ल के संस्पर्श में आने पर जैविक रासायनिक विक्रिया का गठन होने लगता है एवं प्रोटीन तत्व जमकर तुरंत दूध से अलग हो जाता है। यह जमा…
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विक्की कौशल की नई दुल्हन कैटरीना कैफ ने ससुराल वालों के लिए बनाई मिठाई, कहा 'मैंने बनाया' - देखें तस्वीर - टाइम्स ऑफ इंडिया
विक्की कौशल की नई दुल्हन कैटरीना कैफ ने ससुराल वालों के लिए बनाई मिठाई, कहा ‘मैंने बनाया’ – देखें तस्वीर – टाइम्स ऑफ इंडिया
कैटरीना कैफ ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर अभिनेता विक्की कौशल के साथ शादी के बाद अपने ससुराल वालों के लिए बनाई गई मिठाई की एक तस्वीर साझा की। इस जोड़े ने हाल ही में राजस्थान में शादी की है। उसकी पोस्ट यहाँ देखें: फोटो में हम कैटरीना के हाथ में मिठाई के साथ कांच का कटोरा पकड़े हुए देख सकते हैं। उसने इसे कैप्शन दिया, ‘मैंने बनाया’ एक तीर के साथ पकवान की ओर इशारा करते हुए। उन्होंने लिखा, ‘चौंका…
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शिल्पा शेट्टी की राम नवमी स्पेशल में हमें जलन हुई। जरा देखो तो
शिल्पा शेट्टी की राम नवमी स्पेशल में हमें जलन हुई। जरा देखो तो
अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने राम नवमी की बहुत ही सकारात्मकता और प्रार्थना के साथ शुरुआत की। घर पर कम महत्वपूर्ण उत्सव में एक मीठा स्पर्श था, जो एक प्रसिद्ध भारतीय मिठाई के लिए धन्यवाद था। अभिनेत्री ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर रसगुल्लों को लुभाने के साथ एक मिट्टी के बर्तन की तस्वीर साझा की। मनोरम मिठाई मुंबई के जुहू की एक दुकान की थी। शिल्पा, जो एक फिटनेस उत्साही हैं, ने इस विशेष अवसर पर रास्ते…
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पूर्व में बीहू,
उत्तर में लोहड़ी,
पश्चिम में उत्तरायण,
दक्षिण में भोगी एवम् पोंगल।
पर्व एक नाम अनेक।
यही भारत की एकता-अखंडता-संस्कृति-सभ्यता है।
कृषि एवम् प्रकृति को समर्पित इस *महापर्व* पर, नई फसल का 🔥 देव को भोग लगाकर, 🔥 देव एवम् भगवान ☀ की स्तुति-आराधना की जाती है। भगवान् ☀ को जलार्ध्य चढ़ाया जाता है। मंगलगीत गाए जाते हैं। सुन्दर नृत्य प्रस्तुतियां की जाती हैं। रेवड़ी, दाने, चने मिष्ठान्न का प्रसाद वितरण किया जाता है।
संसार की सुख-समृद्धि-ख़ुशहाली हेतु मंगलकामना की जाती है।
इस पावन पर्व-महोत्सव की अनन्त शुभकामनाएं
☀🔥💐🙏
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इन सूखे फलों और नट्स के साथ अपनी मिठाई और डेसर्ट में कुछ स्वादिष्ट ट्विस्ट जोड़ें
इन सूखे फलों और नट्स के साथ अपनी मिठाई और डेसर्ट में कुछ स्वादिष्ट ट्विस्ट जोड़ें
इस तथ्य से कोई इनकार नहीं करता है कि सूखे फल और नट्स आपकी रसोई की पेंट्री में काम करने के लिए एक बेहतरीन सामग्री हैं। वे बहुमुखी हैं और किसी भी डिश को समृद्ध और स्वादिष्ट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। बादाम, पिस्ता, किशमिश आदि भी गैस्ट्रोनॉमी की दुनिया में उपयोग की एक विस्तृत श्रृंखला है – मीठे व्यंजनों में शामिल होने वालों में से एक। ये सामग्री लगभग हर मिठाई के नुस्खा के लिए एकदम सही…
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#ड्राई फ्रूट रेसिपी#ड्राई फ्रूट्स के फायदे#बादाम और गाजर का हलवा#ब्लूबेरी चीज़केक#मिष्ठान्न#मेवे#सूखे मेवे और मिठाई
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♻️अद्वितीय अद्भुत दिव्य धर्म यज्ञ♻️
जब जब धर्मको हानि हुन्छ तथा अधर्मको वृद्धि हुन्छ तब परमात्मा स्वयम् आउनुहुन्छ या आफ्ना कृपा पात्र सन्तलाई पठाउनुहुन्छ तथा धर्मको स्थापना गर्नुहुन्छ ।
मांझी मर्द कबीर है, जगत करै उपहास।
कैसौ बनजारा भया, भक्त बढ़ाया दास।।
६०० वर्ष पहिले पूर्ण जातिवाद, हिन्दू-मुस्लिम विवाद तथा पाखण्डवाद चरममा थियो। कबीर साहेबले तत्वज्ञानको आधारमा सबैलाई सम्झाउनुभयो । शास्त्रहरूको ज्ञान पनि सुनाउनुभयो । तर जगतले यसो मजाक गर्दथे कि जुलाहा अशिक्षित छ । कुरा गर्दछ वेदहरू, गीता र पुराणहरूको, यसलाई के थाहा छ भक्तिको बारेमा ? अन्य सन्तहरूको ज्ञानलाई परमेश्वर कबीर जीले गलत सिद्ध गरिदिनु भएको थियो तर प्रत्यक्ष आफ्नै आँखाले देखेर पनि आफ्नो रोजी रोटी को माध्यम बनाई राख्ने उद्देश्यले परमेश्वर कबीरजीलाई बाटोबाट हटाउनको लागि बदनाम तथा शर्मसार तुल्याउने उद्देश्यले भिन्न भिन्न काण्डहरु अपनाउँथे ।
शेखतकी सारा मुसलमानहरूको मुख्य पीर (गुरु) थिए, जो कबीरजीसँग बडो इर्ष्या गर्दथे। ज्ञान चर्चामा निरुत्तर सम्पूर्ण ब्राह्मणहरु मुल्ला-काजीहरु तथा शेखतकीले मीटिङ गरेर षडयन्त्र पूर्ण योजना बनाए । कबीर निर्धन छ, यसको नामबाट पत्र पठाइदेऊ कि कबीरजी कांशीका धेरै ठूला सेठ हुन्। कबीरजीले तीन दिनको धर्म भोजन-भण्डारा गर्ने छन्। सम्पूर्ण साधु-सन्तलाई आमन्त्रित गरिन्छ। प्रतिदिन प्रत्येक भोजन गर्ने वालालाई एक दोहर (जुन त्यस समयको सबैभन्दा मूल्यवान कम्बलको रूपमा मानिन्थ्यो), एक मोहर (१० ग्राम सुनबाट बनेको मोहर) दक्षिणामा दिने छन्। भोजनमा लड्डु, जिलेबी, हलुवा, खिर, दही बड़ा, माल पुवा, रसवरी आदि आदि सबै मिष्ठान्न खान पाइने छ । सुखा सिधा (पीठो, चामल, दाल आदि नपकाइएका सुख्खा, घिउ-बुरा) पनि दिइने छ।
शेखतकीले एउटा पत्र आफ्नो नाममा तथा दिल्लीका बादशाह सिकन्दर लोधीको नाममा पनि पठाए। निश्चित दिनभन्दा अघिल्लो रात देखि नै साधु-सन्त भक्त एकत्रित हुन थाले । भोलिपल्टको दिन भण्डारा (लंगर) सुरु हुनु थियो। सन्त रविदासजीले परमेश्वर कबीरजीलाई भन्नुभयो- हजुरको नामको पत्र लिएर लगभग १८ लाख साधु-सन्त तथा भक्त काशी शहरमा आएका छन् । कबीरजी अबत हामी काशी छोडेर कहीं अन्तै जानुपर्छ । कबीरजीत जानीजान हुनुहुन्थ्यो। फेरि पनि अभिनय गरिरहनु भएको थियो र भन्नुभयो रविदास जी झोपडी भित्र बस, सिक्री लगाऊ।
परमेश्वर कबीरजी अर्को भेषमा आफ्नो राजधानी सत्यलोक पुग्नुभयो। त्यहाँबाट नौ लाख गोरुमाथि गधाको जस्तो बोरा (थैला) राखेर त्यसमा पकाएको सारा समान भरेर तथा सुख्खा सामान (चामल पीठो, सख्खर, बुरा, दाल, घिउ आदि) भरेर पृथ्वीमा आउनुभयो। सत्यलोक बाट नै सेवादार - आए । परमेश्वर कबीरजी स्वयम् ले बनजाराको रूप बनाउनुभयो र आफ्नो नाम केशब बताउनुभयो ।
दिल्लीका सम्राट सिकन्दर तथा उनको धार्मिक पीर शेखतकी पनि आए। काशीमा भोजन - भण्डारा चलिरहेको थियो। सबैलाई प्रत्येक भोजन पश्चात एउटा ��ोहर र एक मोहर दक्षिणा दिइँदै थियो। चारैतिर कबीर साहेबको जय जयकार भइरहेको थियो ।
खुल्या भंडारा गैबका, बिन चिटठी बिन नाम।
गरीबदास मुक्ता तुलैं, धन्य केशौ बलि जांव।।
बिना पकाया पकि रह्या, उतरे अरस खमीर।
गरीबदास मेला सरू, जय जय होत कबीर।।
यो सब देखेर शेखतकीले रुन्चे अनुहार बनायो र जाँच गर्न थाल्यो । राजासँगै त्यस टेण्टमा गयो, जहाँ केशव नामबाट स्वयम् कबीरजी भेष बदलेर बनजारा (त्यस समयका व्यापारीहरुलाई बनजारा भनिन्थ्यो।) को रूपमा बस्नुभएको थियो। सिकन्दर लोधी राजाले तपाई को हुनुहुन्छ? नाम के हो ? तपाईंको कबीरजीसँग के सम्बन्ध छ ? भनी सोधे। केशव रूपमा बस्नुभएको परमात्माजी ने भन्नुभयो मेरो नाम केशव हो, म बनजारा हूँ।
कबीरजी मेरा पगड़ी साटासाट गरेको मित्र हुनुहुन्छ । मकहाँ वहाँको पत्र आएको थियो, जसमा एउटा सानो भण्डारा यानी लंगर गर्नुछ, केही सामान लिएर आउनुहोला भनी लेखिएको थियो। वहाँको आदेश पालना गरेर सेवाक हाजिर छ। भण्डारा चलिरहेको छ। शेखतकी त मन दह्रो बनाएर भुइँमा बस्यो। उसले एउटा सानो भण्डारा गर्नुछ भन्ने सुन्यो तर यहाँ १८ लाख व्यक्तिहरु भोजन गर्न आएका छन्।
सिकन्दर लोधी हात्तिमा बसेर अंगरअकहरु सहित कबीरजीको झुपडीमा गए । त्यहाँबाट कबीरजी तथा रविदासजीलाई साथमा लिएर भण्डारा स्थल गए। सबैसँग कबीर सेठको परिचय गराए। केशव रूपमा स्वयम् कबीरजीले दोहोरो भूमिका गरेर उपस्थित सन्तहरू-भक्तहरूलाई प्रश्न उत्तर गरी सत्सङ्ग सुनाउनुभयो, जुन २४ घण्टा सम्म चल्यो । कैयौं लाख सन्तहरूले आफ्नो गलत भक्ति त्यागेर कबीरजीबाट दीक्षा लिए, आफ्नो कल्याण गराए ।
केशव और कबीर जित, मिलत भये तहां एक।
दासगरीब कबीर हरी, धरते नाना भेख।।
बनजारे और बैल सब, लाए थे भर माल।
गरीबदास सत्यलोक कूं, चले गये ततकाल।।
भण्डारापछि सबै सेवादार बन्जारा र गोरुहरु गंगा पार गरेर अन्तर्ध्यान भए। सिकन्दर लोधीले हेर्दा कोही थिएनन् । आचाश्चार्यचकित भएर राजाले सोधे- कबीरजी ! ती गोरुहरु तथा बनजारा यत्ति चाँडै कहाँ गए ? त्यही समय हेदाहेर्दै केशव पनि परमेश्वर कबीरजीको शरीरमा समाहित भए । एक्लै कबीरजी खडा हुनुहुन्थ्यो।
सबै रहस्य बुझेर सिकन्दर लोधी राजाले भने-कबीरजी यो सारा लिला हजुरकै थियो । हजुर स्वयम् परमात्मा हुनुहुन्छ ।
कबीरजीले भक्तहरुलाई उदाहरण दिनुभएको छ- यदि मेरो जसरी सच्चा मनले भक्ति गर्यौ तथा इमान्दारीपूर्वक निर्वाहा गयौ भने परमात्मा तपाईहरुलाई यसरी नै सहायता गर्नुहुन्छ । भक्त नै वास्तवमा सेठ अर्थात् घनवंता हुन्। भक्तसँग दुबै धन छ, संसारमा जे चाहियोस्, त्यो धन पनि भक्तसँग नै हुन्छ तथा सत्य साधना रूपी धन पनि भक्तसँग नै हुन्छ ।
सतगुरु सन्त रामपालजी महाराजको सान्निध्यमा नबैवटा सतलोक आश्रमहरूमा दिनांक ७,८,९ नोभेम्बर २०२२ को विशाल दिव्य धर्म यज्ञ को आयोजना गरेको छ । जसमा लड्डु, जिलेवी, पूडी, तरकारी आदि बनाउन केवल देशी घिउको मात्र प्रयोग गरिन्छ ।
यस्तो समागम केवल परमात्मा ले नै गर्नसक्नुहुन्छ । जसमा पूरा विश्वलाई आमंत्रित गरिन्छ।
पूर्णब्रह्म कबीर साहेबको अवतार सन्त गरीबदासजी महाराजको अमर ग्रन्थको अखण्ड पाठ गरिन्छ। साथमा लगातार तीन दिवसीय भण्डाराको आयोजन हुन्छ। ग्रन्थ साहेबको वाणीबाट वातावरण शुद्ध हुन्छ, वर्षा हुन्छ, आध्यात्मिक वातावरण तथा मानसिक शान्ति हुन्छ। तथा दान-धर्म एवं भण्डाराको प्रसादबाट करोडौँ पाप नाश हुन्छन्।
सर्वप्रथम परमात्मालाई भोग लगाएर भोजन-भण्डारा गरिन्छ, जसबाट भोजन प्रसाद बन्दछ, जुन खानाले कोटि कोटि पाप नाश हुन्छन्।
भंडारा पूर्णतया निशुल्क हुन्छ।
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
Kartik 21_22_23
दिव्य धर्म यज्ञ दिवसमा अवश्य हेर्नुहोला हाम्रो विशेष कार्यक्रमको प्रत्यक्ष प्रसारण
२०७९ कार्तिक २१, २२ तथा २३ गते विहान ९ बजे देखि १२ बजे सम्म सगरमाथा तथा अप्पन टि.भी. मा। त्यस कार्यक्रमलाई हजुरले "Satlok Ashram Nepal YouTube Channel" मा पनि हेर्न सक्नुहुनेछ।
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आज साउन १५ खीर खाने दिन, घरघरमा खीर र मिष्ठान्न खाएर मनाइँदै
आज साउन १५ खीर खाने दिन, घरघरमा खीर र मिष्ठान्न खाएर मनाइँदै
बैतडी: आज साउन १५ गते अर्थात खीर खाने दिन बैतडी सहित देशैभर घरघरमा खीर र मिष्ठान्न खाएर यो पर्व मनाइँदै छ । परम्परादेखि नै साउन १५ मा खीर खानुपर्छ भन्ने सामाजिक मान्यता नेपाली समाजमा रहिआएको छ । वर्षभरिमा कहिले जौ को सातु र सर्वत, कहिले दही चिउरा, क्वाँटी खाए जस्तै गरी हरेक साउन १५ मा खीर पकाई आपसमा बाँडेर खाने चलन छ । यसको साँस्कृतिक मात्रै नभई वैज्ञानिक महत्व पनि ठूलो छ । हुन त साउन महिनाभर…
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सेवइको व्यापार
मुस्लिम समुदायको मुख्य पर्व ईद अल–फित्र रमदान (रमजान) महिना सकिएका अवसरमा राजविराजस्थित पसलमा मङ्गलबार सेवइ किन्दै इस्लाम धर्मावलम्बीहरु । मुस्लिम समुदायको ईद अल–फित्र मुख्य पर्व भएकाले यस पर्वमा नयाँ लुगा लगाउने, सेवइको खिर र मिष्ठान्न परिकार खाने र खुवाउने चलन छ । तस्बिर ः नानीमैया कटवाल÷रासस
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