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घासीपुरा में भी चख सकेंगे अब लोग भगत जी की बालूशाही का स्वाद
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन। भगत जी टटीरी बालूशाही वालों की नई ब्रांच भगत जी स्वीट हाउस एनएच-58 हीरो शोरूम के सामने घासीपुरा मुजफ्फरनगर में भी खुल गई है। अब घासीपुरा व आसपास के लोग भगत जी टटीरी बालूशाही वालों की बालूशाही का स्वाद चख सकेंगे। दुकान व रेस्टोरेंट के शुभारंभ अवसर पर हवन का आयोजन किया गया, इसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सामूहिक रूप से हवन कुंड में आहुतियां डाली। इस मौके पर…
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खीर बनाए बिलकुल नए तरीक़े से, चावल की रबड़ीदार खीर! Rice kheer Recipe
Rice kheer Recipe in Hindi: Simmo Kitchenwali की रसोई में आएं और उनके साथ खोजें चावल की खीर की एक अनोखी और नवीन रेसिपी। यह खास रेसिपी, जिसमें रबड़ीदार अंदाज में चावल की खीर बनाई गई है, आपको भारतीय मिठाइयों के पारंपरिक स्वाद के साथ-साथ एक नए जायके का अनुभव कराएगी। यह रेसिपी न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि इसे बनाने की विधि भी अनूठी है। इस अद्भुत खीर को बनाने के तरीके और स्वाद का राज जानने के लिए,…
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प्रसवोत्तर रिकवरी के लिए पंजीरी कैसे बनाएं - न्यूट्रीशनिस्ट शेयर कर रही हैं उनकी पसंदीदा रेसिपी
प्रसवोत्तर रिकवरी के लिए पंजीरी कैसे बनाएं – न्यूट्रीशनिस्ट शेयर कर रही हैं उनकी पसंदीदा रेसिपी
भारतीय घरों में शीतकालीन मेनू में विभिन्न प्रकार की समृद्ध मिठाइयाँ शामिल होती हैं। गाजर का हलवा और गजक के अलावा, पंजीरी हर किचन पेंट्री में पाई जाती है, वह भी थोक में। चूंकि, पंजीरी बनाना आसान है और जल्दी खराब नहीं होता है, लोग इसे सीजन की शुरुआत में ही बड़ी मात्रा में बनाते हैं, और सर्दियों के दौरान इसका आनंद लेते रहते हैं। आटा, मेवे, खाने योग्य गोंद और ढेर सारे घी से बनी पंजीरी का स्वाद लाजवाब…
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#सन1513_में_काशीभंडारा
केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया चाहे कितना भी खाओ कोई रोक-टोक नहीं मिठाई, लड्डू ,जलेबी ,चावल ,खीर हलवा आदि के ढेर की ढेर लगे थे मानो कुबेर का भंडारा ही धरती पर आया है।
अधिक जानकारी के लिए आज ही पड़े पवित्र पुस्तक ज्ञान ।
Divya Dharma Yagya Diwas
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दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में कबीर परमेश्वर
केशव बंजारे का वेश धारण करके अमर लोक यानी सतलोक से नौ लाख बोरी में भंडारा सामग्री बैलों पर रखकर व एक लाख सेवादारों के साथ कांशी नगर आए। केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया। चाहे कितना भी खाओ कोई रोक टोक नहीं, वहा मिठाई, लड्डू, जलेबी, चावल, खीर, हलवा, आदि कढ़ाहो के ढेर की ढेर लगे थे, मानो कुबेर का भंडार ही धरती पर आ गया हो।
Sant Rampal Ji Maharaj
#santrampalji is trueguru#santrampalji incarnationdayधरती पर अवतार#santrampaljimaharaj#kabir is supreme god
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#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस_क्या_है
Sant Rampal Ji Maharajदिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में कबीर परमेश्वर
केशव बंजारे का वेश धारण करके अमर लोक यानी सतलोक से नौ लाख बोरी में भंडारा सामग्री बैलों पर रखकर व एक लाख सेवादारों के साथ कांशी नगर आए। केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया। चाहे कितना भी खाओ कोई रोक टोक नहीं, वहा मिठाई, लड्डू, जलेबी, चावल, खीर, हलवा, आदि कढ़ाहो के ढेर की ढेर लगे थे, मानो कुबेर का भंडार ही धरती पर आ गया हो।
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09.04.2024, लखनऊ | भगवान झूलेलाल जी (चेटी चंद) की जयंती के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा स्वयं सेवकों ने दीप प्रज्वलन करके भगवान झूलेलाल जी के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा पुष्प अर्पित करके भगवान झूलेलाल जी की जयंती का पर्व मनाया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को भगवान झूलेलाल जी की जयंती की बधाई देते हुए कहा कि, “चेटी चंद पर्व सिंधी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है । इस दिन को भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है । साथ ही इस दिन से सिंधी नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है । यह पर्व हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है । इस दिन सिंधी समुदाय के लोग एक-दूसरे को गुड़ी, थाली और मिठाई भेंट करते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियां मनाते हैं । यह पर्व सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है | हम इस त्योहार के माध्यम से सभी लोगों को एकजुट होने और समानता और समरसता की भावना को स्थापित करने की अपील करते हैं |"
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दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस_क्या_है
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🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेखतकी व अन्य धार्मिक मुल्ला काजियों ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब को काशी से भगाने के लिए उनके नाम का झूठा निमंत्रण पत्र पूरे भारतवर्ष में प्रचारित कर दिया। निमंत्रण पत्र में लिखा कि कबीर पुत्र नीरू काशी में तीन दिन तक भंडारा (लंगर) करेगा। भोजन करने वाले को प्रत्येक बार भंडारा करने पर एक मोहर व एक दोहर दिया जायेगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, खीर, पूरी, हलवा, दही बड़े, आदि मिष्ठान बनाए जायेंगे। भंडारे में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुखा सीधा भी दिया जायेगा। यह निमंत्रण पाकर दूर दूर से साधु संत आने लगे और उन्होंने तीन दिन भंडारा किया।
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Shraddha TV Satsang |12-11-2024 || Episode: 2742 || Sant Rampal Ji Mahar...
*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
♦♦♦
12/11/23
🥁🥁🥁🥁🥁🥁🥁
*💥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस💥*
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1🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेखतकी व अन्य धार्मिक मुल्ला काजियों ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब को काशी से भगाने के लिए उनके नाम का झूठा निमंत्रण पत्र पूरे भारतवर्ष में प्रचारित कर दिया। निमंत्रण पत्र में लिखा कि कबीर पुत्र नीरू काशी में तीन दिन तक भंडारा (लंगर) करेगा। भोजन करने वाले को प्रत्येक बार भंडारा करने पर एक मोहर व एक दोहर दिया जायेगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, खीर, पूरी, हलवा, दही बड़े, आदि मिष्ठान बनाए जायेंगे। भंडारे में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुखा सीधा भी दिया जायेगा। यह निमंत्रण पाकर दूर दूर से साधु संत आने लगे और उन्होंने तीन दिन भंडारा किया।
2🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में परमेश्वर कबीर जी ने काशी में 18 लाख साधु संतों को भंडारा करवाया था जो 3 दिन तक कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को प्रारंभ हुआ था मंगसर (माघशीर्ष) के कृष्ण पक्ष एकम (प्रथमा) को सम्पन्न हुआ था।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस 14, 15, और 16 नवंबर 2024 को मनाया जायेगा।
3🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
केशव बंजारे का रुप बदलकर आए कबीर परमेश्वर जी
ने विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में18 लाख महात्माओं को विश्वविख्यात काशी नगर में धार्मिक भंडारा करवाकर भोजन कराया था। आज वही दिव्य धर्म भंडारा संत रामपाल जी महाराज जी के संचालन में देश के दस सतलोक आश्रमों में किया जा रहा है।
4🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
काशी नगर में पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी ने तीन दिनों तक खुला भंडारा आयोजित किया था। इसी के उपलक्ष्य में 14 नवंबर से प्रारंभ होने वाले विशाल भंडारे व धार्मिक आयोजन की संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा देश के दस सतलोक आश्रमों में तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। इस तीन दिवसीय विशाल धर्म भंडारे में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओ के जुटने का अनुमान लगाया जा रहा है l
5🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में कबीर परमेश्वर
केशव बंजारे का वेश धारण करके अमर लोक यानी सतलोक से नौ लाख बोरी में भंडारा सामग्री बैलों पर रखकर व एक लाख सेवादारों के साथ कांशी नगर आए। केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया। चाहे कितना भी खाओ कोई रोक टोक नहीं, वहा मिठाई, लड्डू, जलेबी, चावल, खीर, हलवा, आदि कढ़ाहो के ढेर की ढेर लगे थे, मानो कुबेर का भंडार ही धरती पर आ गया हो।
6🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस परमात्मा कबीर साहेब जी द्वारा किए गए उस दिव्य चमत्कार का स्मरण
विक्रमी संवत 1570 (सन् 1513) में कबीर जी ने काशी में 18 लाख साधु-संतों के लिए तीन दिवसीय भंडारे का आयोजन किया। कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष में प्रारंभ हुआ यह भंडारा मंगसर (माघशीर्ष) की कृष्ण पक्ष एकम (प्रथमा) को सम्पन्न हुआ। यह आयोजन उन लोगों के झूठे निमंत्रण के कारण हुआ था, जो कबीर साहेब से ईर्ष्या रखते थे और इस असंभव भंडारे को उनके लिए चुनौती मानते थे। कबीर साहेब ने केशव बंजारे का रूप धारण कर सतलोक से सारी सामग्री मंगवाई और साधु-संतों को तीन दिन तक भोजन करवाकर यह चमत्कार पूर्ण किया। आज संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में उनके अनुयायियों द्वारा इस दिवस को दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के रूप में श्रद्धा से मनाया जाता है, जिसमें सभी सतलोक आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा और अमरवाणी का अखंड पाठ किया जाता है।
7🥥 दिव्य धर्म यज्ञ का उद्देश्य
दिव्य धर्म यज्ञ का उद्देश्य परमात्मा कबीर साहेब द्वारा दिखाए गए मार्ग को जन-जन तक पहुँचाना है। संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में इसे इस बार 14, 15, 16 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें भक्त दिव्य भंडारे का आनंद लेते हैं, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं और धर्म के वास्तविक स्वरूप से परिचित होते हैं।
8🥥कैसे हुआ दिव्य धर्म यज्ञ का प्रारंभ?
विक्रमी संवत 1570 में कबीर साहेब ने काशी में तीन दिनों का भंडारा आयोजित किया था। इसमें 18 लाख साधु-संतों ने भाग लिया था और कबीर साहेब ने उन्हें भोजन और वस्त्र भेंट किए थे। इस ऐतिहासिक आयोजन की स्मृति में संत रामपाल जी महाराज द्वारा 14, 15, 16 नवंबर को दिव्य धर्म यज्ञ मनाया जा रहा है।
9🥥क्या है दिव्य धर्म यज्ञ दिवस?
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस, परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा काशी में आयोजित धार्मिक भंडारे की पुनः स्मृति का एक भव्य आयोजन है। इस आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है और सत्संग का आयोजन होता है, जो संत रामपाल जी महाराज के आदेशानुसार उनके अनुयायियों द्वारा किया जा रहा है। इस वर्ष यह आयोजन 14, 15, 16 नवंबर को होगा।
10🥥511वें दिव्य धर्म यज्ञ दिवस का उद्देश्य
संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में दिव्य धर्म यज्ञ का आयोजन परमात्मा कबीर साहेब की उस ऐतिहासिक घटना को स्मरण करने हेतु किया जाता है, जब उन्होंने (शेख तकी द्वारा डाली गई झूठी चिट्ठी के बाद आए) 18 लाख साधुओं को भोजन कराया था। परमेश्वर की संपूर्ण लीलाओं की जान��ारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा 📕
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दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेखतकी व अन्य धार्मिक मुल्ला काजियों ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब को काशी से भगाने के लिए उनके नाम का झूठा निमंत्रण पत्र पूरे भारतवर्ष में प्रचारित कर दिया। निमंत्रण पत्र में लिखा कि कबीर पुत्र नीरू काशी में तीन दिन तक भंडारा (लंगर) करेगा। भोजन करने वाले को प्रत्येक बार भंडारा करने पर एक मोहर व एक दोहर दिया जायेगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, खीर, पूरी, हलवा, दही बड़े, आदि मिष्ठान बनाए जायेंगे। भंडारे में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुखा सीधा भी दिया जायेगा। यह निमंत्रण पाकर दूर दूर से साधु संत आने लगे और उन्होंने तीन दिन भंडारा किया।
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#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस_क्या_है
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेखतकी व अन्य धार्मिक मुल्ला काजियों ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब को काशी से भगाने के लिए उनके नाम का झूठा निमंत्रण पत्र पूरे भारतवर्ष में प्रचारित कर दिया। निमंत्रण पत्र में लिखा कि कबीर पुत्र नीरू काशी में तीन दिन तक भंडारा (लंगर) करेगा। भोजन करने वाले को प्रत्येक बार भंडारा करने पर एक मोहर व एक दोहर दिया जायेगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, खीर, पूरी, हलवा, दही बड़े, आदि मिष्ठान बनाए जायेंगे। भंडारे में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुखा सीधा भी दिया जायेगा। यह निमंत्रण पाकर दूर दूर से साधु संत आने लगे और उन्होंने तीन दिन भंडारा किया।
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#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस_क्या_है
#SantRampalJiMaharajदिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में कबीर परमेश्वर केशव बंजारे का वेश धारण करके अमर लोक यानी सतलोक से नौ लाख बोरी में भंडारा सामग्री बैलों पर रखकर व एक लाख सेवादारों के साथ काशी नगर आए। केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया। चाहे कितना भी खाओ कोई रोक टोक नहीं, वहां मिठाई, लड्डू, जलेबी, चावल, खीर, हलवा, आदि के ढेर की ढेर लगे थे, मानो कुबेर का भंडार ही धरती पर आया हो।
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Gajar Ka Halwa: सर्दियों का स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक रेसिपी 😋
Gajar Ka Halwa: इस सर्दी के मौसम में अपने परिवार के लिए बनाएं स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक गाजर का हलवा। हमारी खास रेसिपी से सीखें कैसे तैयार करें यह पारंपरिक हलवाआसान और सरल तरीके से। गाजर के स्वास्थ्य लाभों के साथ, यह नुस्खा आपके परिवार को जरूर पसंद आएगा। पौष्टिक तत्वों से भरपूर, यह हलवा न केवल आपके स्वाद की कलियों को तृप्त करेगा बल्कि सर्दियों में आपकी सेहत का भी ख्याल रखेगा। मुख्य…
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#Gajar halwa recipie#Gajar ka halwa#आसान हलवा विधि#गाजर का हलवा#घर पर हलवा बनाना#घरेलू खाना पकाने के टिप्स#ताजा गाजर की रेसिपी#पारंपरिक व्यंजन#फेस्टिवल स्पेशल मिठाई#भारतीय मिठाई#मीठा व्यंजन#वेजिटेरियन डेज़र्ट#शीतकालीन व्यंजन#सर्दी की मिठाई#स्वास्थ्यवर्धक रेसिपी
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सर्दियों के लिए गाजर पायसम कैसे बनाएं - रेसिपी वीडियो देखें अंदर
सर्दियों के लिए गाजर पायसम कैसे बनाएं – रेसिपी वीडियो देखें अंदर
सर्दियों के मौसम के बारे में कुछ ऐसा है जो हमें हर चीज को स्वादिष्ट बनाने के लिए लालायित कर देता है। यह मौसम अपने साथ कई रेसिपीज भी लाता है जो हमें खूब मस्ती में ले जाती हैं। पराठा, मा��न, गुड़ की खीर और बहुत कुछ, सर्दियों के व्यंजनों के कई विकल्प हैं, जो हमें विकल्पों के लिए खराब कर देते हैं। एक और लोकप्रिय सर्दियों का इलाज गाजर का हलवा है। कुरकुरे गाजर, चीनी और घी के साथ बनाया गया, यह…
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दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में कबीर परमेश्वर
केशव बंजारे का वेश धारण करके अमर लोक यानी सतलोक से नौ लाख बोरी में भंडारा सामग्री बैलों पर रखकर व एक लाख सेवादारों के साथ कांशी नगर आए। केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया। चाहे कितना भी खाओ कोई रोक टोक नहीं, वहा मिठाई, लड्डू, जलेबी, चावल, खीर, हलवा, आदि कढ़ाहो के ढेर की ढेर लगे थे, मानो कुबेर का भंडार ही धरती पर आ गया हो।
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🔥 *दिव्य धर्म यज्ञ दिवस सेवा* 🔥
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेखतकी व अन्य धार्मिक मुल्ला काजियों ने ईर्ष्यावश कबीर साहेब को काशी से भगाने के लिए उनके नाम का झूठा निमंत्रण पत्र पूरे भा���तवर्ष में प्रचारित कर दिया। निमंत्रण पत्र में लिखा कि कबीर पुत्र नीरू काशी में तीन दिन तक भंडारा (लंगर) करेगा। भोजन करने वाले को प्रत्येक बार भंडारा करने पर एक मोहर व एक दोहर दिया जायेगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, खीर, पूरी, हलवा, दही बड़े, आदि मिष्ठान बनाए जायेंगे। भंडारे में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुखा सीधा भी दिया जायेगा। यह निमंत्रण पाकर दूर दूर से साधु संत आने लगे और उन्होंने तीन दिन भंडारा किया।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में परमेश्वर कबीर जी ने काशी में 18 लाख साधु संतों को भंडारा करवाया था जो 3 दिन तक कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष को प्रारंभ हुआ था मंगसर (माघशीर्ष) के कृष्ण पक्ष एकम (प्रथमा) को सम्पन्न हुआ था।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस 14, 15, और 16 नवंबर 2024 को मनाया जायेगा।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
केशव बंजारे का रुप बदलकर आए कबीर परमेश्वर जी
ने विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में18 लाख महात्माओं को विश्वविख्यात काशी नगर में धार्मिक भंडारा करवाकर भोजन कराया था। आज वही दिव्य धर्म भंडारा संत रामपाल जी महाराज जी के संचालन में देश के दस सतलोक आश्रमों में किया जा रहा है।
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काशी नगर में पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी ने तीन दिनों तक खुला भंडारा आयोजित किया था। इसी के उपलक्ष्य में 14 नवंबर से प्रारंभ होने वाले विशाल भंडारे व धार्मिक आयोजन की संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा देश के दस सतलोक आश्रमों में तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। इस तीन दिवसीय विशाल धर्म भंडारे में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओ के जुटने का अनुमान लगाया जा रहा है l
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस क्या है?
विक्रमी संवत् 1570 (सन 1513) में कबीर परमेश्वर
केशव बंजारे का वेश धारण करके अमर लोक यानी सतलोक से नौ लाख बोरी में भंडारा सामग्री बैलों पर रखकर व एक लाख सेवादारों के साथ कांशी नगर आए। केशव बंजारे रूप में आए परमात्मा ने काशी नगर में अद्भुत भंडारे का आयोजन किया। चाहे कितना भी खाओ कोई रोक टोक नहीं, वहा मिठाई, लड्डू, जलेबी, चावल, खीर, हलवा, आदि कढ़ाहो के ढेर की ढेर लगे थे, मानो कुबेर का भंडार ही धरती पर आ गया हो।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस परमात्मा कबीर साहेब जी द्वारा किए गए उस दिव्य चमत्कार का स्मरण
विक्रमी संवत 1570 (सन् 1513) में कबीर जी ने काशी में 18 लाख साधु-संतों के लिए तीन दिवसीय भंडारे का आयोजन किया। कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष में प्रारंभ हुआ यह भंडारा मंगसर (माघशीर्ष) की कृष्ण पक्ष एकम (प्रथमा) को सम्पन्न हुआ। यह आयोजन उन लोगों के झूठे निमंत्रण के कारण हुआ था, जो कबीर साहेब से ईर्ष्या रखते थे और इस असंभव भंडारे को उनके लिए चुनौती मानते थे। कबीर साहेब ने केशव बंजारे का रूप धारण कर सतलोक से सारी सामग्री मंगवाई और साधु-संतों को तीन दिन तक भोजन करवाकर यह चमत्कार पूर्ण किया। आज संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में उनके अनुयायियों द्वारा इस दिवस को दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के रूप में श्रद्धा से मनाया जाता है, जिसमें सभी सतलोक आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा और अमरवाणी का अखंड पाठ किया जाता है।
🥥 दिव्य धर्म यज्ञ का उद्देश्य
दिव्य धर्म यज्ञ का उद्देश्य परमात्मा कबीर साहेब द्वारा दिखाए गए मार्ग को जन-जन तक पहुँचाना है। संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में इसे इस बार 14, 15, 16 नवंबर को मनाया जाएगा, जिसमें भक्त दिव्य भंडारे का आनंद लेते हैं, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं और धर्म के वास्तविक स्वरूप से परिचित होते हैं।
🥥कैसे हुआ दिव्य धर्म यज्ञ का प्रारंभ?
विक्रमी संवत 1570 में कबीर साहेब ने काशी में तीन दिनों का भंडारा आयोजित किया था। इसमें 18 लाख साधु-संतों ने भाग लिया था और कबीर साहेब ने उन्हें भोजन और वस्त्र भेंट किए थे। इस ऐतिहासिक आयोजन की स्मृति में संत रामपाल जी महाराज द्वारा 14, 15, 16 नवंबर को दिव्य धर्म यज्ञ मनाया जा रहा है।
🥥दिव्य धर्म यज्ञ दिवस : समाज में सकारात्मक बदलाव
इस भव्य आयोजन में दहेज मुक्त विवाह जैसे कार्यक्रम समाज में सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा देते हैं। परमेश्वर की संपूर्ण लीलाओं की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
🥥क्या है दिव्य धर्म यज्ञ दिवस?
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस, परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा काशी में आयोजित धार्मिक भंडारे की पुनः स्मृति का एक भव्य आयोजन है। इस आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है और सत्संग का आयोजन होता है, जो संत रामपाल जी महाराज के आदेशानुसार उनके अनुयायियों द्वारा किया जा रहा है। इस वर्ष यह आयोजन 14, 15, 16 नवंबर को होगा।
🥥511वें दिव्य धर्म यज्ञ दिवस का उद्देश्य
संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में दिव्य धर्म यज्ञ का आयोजन परमात्मा कबीर साहेब की उस ऐतिहासिक घटना को स्मरण करने हेतु किया जाता है, जब उन्होंने (शेख तकी द्वारा डाली गई झूठी चिट्ठी के बाद आए) 18 लाख साधुओं को भोजन कराया था। परमेश्वर की संपूर्ण लीलाओं की जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
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