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#माता भगवती की आराधना
parasparivaarorg · 12 days
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पारस से जाने: ज्ञान की देवी माता सरस्वती
वसंत पंचमी (मां सरस्वती का जन्मोत्सव)
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
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“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा करने का विधान है। यानि यह पर्व शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।बसंत पंचमी से बंसत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इस समय पीले-पीले सरसों के खेत एक अलग ही छटा बिखेरते हैं। इस अवसर पर पीले वस्त्र धारण करना शुभ होता है। वसंत ऋतु की महत्ता की बात करें तो गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ‘’ऋतूनां कुसुमाकराः’’ अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूं, यह कहकर वसंत को अपना स्वरूप बताया है।
कब है बसंत पंचमी का त्यौहार? बसंत पंचमी “वसंत” के आगमन को मनाने का एक पवित्र हिंदू त्यौहार है। इस त्यौहार में सरसों के फूलने की खुशी में लोग वसंत ऋतु का स्वागत करते हैं। प्रकृति के इस पर्व को महाकवि कालीदास ने ‘सर्वप्रिये चारुतर वसंते’’ कहकर अलंकृत किया है। इस दिन मां सरस्वती, ज्ञान की देवी की पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी का त्योहार इस बार 14 फरवरी, 2024 को पूरे देश भर में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूजा की जाती है। इस दिन घरों में पीले-केसरिया रंग के खाद्यान्न बनाने और खाने से विशेष कृपा मिलती है। बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों, कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
बसंत पंचमी पूजन विधि बसंत पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद मां सरस्वती की मन से आराधना करें। मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र पहनायें। उन्हें हल्दी, केसर, पीले रंग के फूल, पीली मिठाई आदि चीज़ेंअर्पित करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा कर माँ के सामने वाद्य यंत्र और किताबें रखें। अपने पूरे परिवार के साथ खासकर बच्चों के साथ इस दिन जरूर पूजा करें। मां सरस्वती को पीले चावल का भोग लगाकर इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में सभी को बांट दें। मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा और वीणावादनी आदि नामों से भी पूजा जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस दिन पूजा के दौरान मां सरस्वती व्रत कथा का पाठ करने से आपकी मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। शिक्षा और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए माता सरस्वती की पूजा में शिक्षा से संबंधित चीजें जरूर रखें, जैसे पेन, कॉपी, किताब और वाद्य यंत्र आदि। मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी के मंत्रों का जाप करना भी बेहद शुभ फलकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि अपनी प्रारंभिक अवस्था में शांत और नीरस थी। इस तरह मौन देखकर भगवान ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का और इससे मां सरस्वती प्रकट हुईं। मां सरस्वती की वीणा से संसार को वाणी मिली। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
मां सरस्वती को अति प्रिय है पीला रंग ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अच्छा माना जाता है। पीले रंग के वस्त्र पहनने से मां सरस्वती की आप पर कृपा बनी रहती है। इस दिन मां सरस्वती को हल्दी जरूर अर्पित करनी चाहिए। साथ ही इस दिन मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाईयों का भी भोग लगाया जाता है। इसके अलावा माँ को पीले रंग के फूल भी अर्पित किए जाते हैं। मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन घर में मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर अवश्य स्थापित करें।
क्यों इतना खास होता है वसंत पंचमी का त्यौहार? यह त्योहार पतझड़ के जाने के बाद बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसके अलावा यह दिन हिन्दू धर्म में ज्ञान की देवी मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी के त्यौहार को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। चारों ओर खेतों में खिले सरसों के फूल इसके आने की आहट देते हैं।
बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों, कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थाओं में माँ सरस्वती की पूजा के रूप में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। यह त्यौहार भारत में मुख्य रूप से माँ सरस्वती की पूजा और उनकी कृपा का उत्सव है। यह त्यौहार विद्यार्थियों को सरस्वती माता का आशीर्वाद लेने का अवसर देता है। वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम होता है। इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों के फूल लहलहाने लगते हैं। खेतों में ऐसा लगता है जैसे खेतों में पीली चादर सी बिछ गयी हो। सरसों के पीले फूल अपने आकर्षण से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसा लगता है मानो सोना चमक रहा हो। साथ ही आमों के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं। प्रकृति का माहौल एकदम खुशनुमा हो जाता है। बसंत पचंमी का त्यौहार होली की तैयारियों का संकेत है।
यह दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए है अत्यंत ही शुभ महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि यह दिन किसी भी नए व शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए अत्यंत ही शुभ होता है। इस दिन शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। साथ ही यह दिन मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। माँ सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है इसलिए स्कूलों और कॉलेज में भी इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। विद्या की देवी को प्रसन्न करने के लिए बच्चे मां की पूजा करते हैं, जिससे वे परीक्षा में अच्छे अंकों को प्राप्त करें और जीवन में आगे बढ़ें। यह दिन छात्रों, कला, संगीत आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद खास होता है। वसंत पंचमी कई तरह के शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त में विद्यारंभ, गृह प्रवेश, विवाह और कोई भी नई वस्तु की खरीदारी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। विद्यार्थी और कला साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति को इस दिन मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा कभी विफल नहीं जाती है।
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को लगायें इन चीज़ों का भोग बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। सरस्वती पूजा के दिन इन विशेष चीज़ों का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। आइये जानते हैं माँ सरस्वती को किन चीज़ों का भोग लगाना शुभ फल देता है।
पीले चावल माँ सरस्वती की पूजा में पीला रंग बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि माँ सरस्वती को पीला रंग बेहद पसंद है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को पीले चावल का भोग लगायें।
पीले लडडू बसंत पंचमी के दिन माँ को पीले लडडू यानि बेसन या बूंदी के लडडू का भोग लगाएं। माना जाता है कि पीले लडडू का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती है।
राजभोग इस दिन माँ सरस्वती को राजभोग का भी भोग लगाया जाता है, जो कि शुभ होता है। इन सबके अलावा मालपुआ और जलेबी का भी भोग लगा सकते हैं।
घर में वीणा रखने से रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार घर में वीणा रखने से घर के अंदर रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है। मां सरस्वती की पूजा में मोर पंख को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ तक कि घर के मंदिर में मोर पंख रखने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है। इस दिन बच्चों के अक्षर का शुभारंभ भी किया जाता है। सरस्वती पूजा के दिन‘ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:’ मंत्र का जाप करें और इस मंत्र को बोलकर विद्यार्थी मां सरस्वती का स्मरण करें। इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि तेज होती है और आप सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
जीवन का यह बसंत, आप सबको अपार खुशियां दे … मां सरस्वती की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। “पारस परिवार” की ओर से आप सबको बसंत पचंमी और सरस्वती पूजा की ढेर सारी शुभकामनायें !!!
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astrovastukosh · 6 months
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*आज दिनांक - 9 अप्रैल 2024 का हिंदू वैदिक पंचांग*
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत् - 2081
मास - चैत्र
पक्ष - शुक्ल
तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08.30 तक, तत्पश्चात द्वितीया
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण- चैत्री नूतन वर्ष विक्रम संवत 2081 प्रारम्भ, गुड़ी पड़वा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), चैत्री नवरात्र प्रारम्भ, हेडगेवारजी जयंती
विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
*चैत्री नूतन वर्ष : 9 अप्रैल 2024 - वि. सं 2081 प्रारम्भ*
शक्ति के उपासकों के लिये माँ भगवती विश्रांति ध्यान..
नवरात्रि का व्रत धन धान्य प्रदान करनेवाला, आयु और आरोग्य वर्धक हैं । शत्रुओं का दमन और बल की वृद्धि करनेवाला हैं । नवरात्री में सारस्वत्य मंत्र या इष्ट मंत्र का अनुष्ठान करने से और रात्रि 12:00 बजे तक का जागरण और जप,कीर्तन, ध्यान से अद्भुत लाभ होता हैं ।
इस दिन घर में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों का तोरण बाँधें, जिससे वहाँ से लोग गुजरें तो वर्षभर प्रसन्न रहें, निरोग रहें । स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नीम की पत्तियाँ, मिश्री, काली मिर्च व अजवायन प्रसादरूप में लें ।।
*चैत्र नवरात्रि (09 से 17 अप्रैल 2024)*
प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का भोग लगाएं । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।
*नवरात्रि का महत्व*
देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है । मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं ।
शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं ।
जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है ।
प्रसन्नता बढ़ती है । द्रव्य की वृद्धि होती है । लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण खत्म होते हैं ।
नौ दिन नहीं तो कम से कम 7 दिन / 6 दिन /5 दिन , या आख़िरी के 3 दिन तो जरुर उपवास रख लेना चाहिए ।
3. नवरात्री में भगवती रुप में कन्या का पूजन हो (पूजन करने के लिए कन्या कैसी हो इसका वर्णन बापूजी ने किया) और प्रेरणा देनेवाली ऐसी कन्या को भगवती समझ कर पूजन करने से दुःख मिटता है, दरिद्रता मिटती है ।
नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो ।
नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए ।
नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा, विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है ।
नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें । रोग नाश होते हैं ।
या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः ।।
*जप करें; पूरा साल आरोग्य रहेगा ।*
नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काली का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो शत्रुओं का दमन होता है ।
नवरात्रि के छठे दिन 7 वर्ष की कन्या का चंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है ।
नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवी रुप में पूजन कर के भोजन करायें तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए, शत्रु पे धावा बोलने के लिए सफलता मिलेगी ।
नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा पूजा करनी चाहिए । सभी संकल्प सिद्ध होते हैं । शत्रुओं का संहार होता है ।
नवरात्रि के नवमी को 9 से 17 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है । नवरात्रि में पति पत्नी का व्यवहार नहीं, संयम से रहें ।
चैत्री नूतन वर्ष ( गुडी पड़वा ): 09 अप्रैल 2024 - वि. सं 2081 प्रारम्भ
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या गुडी पड़वा वर्ष का आरम्भ दिवस माना जाता है ।
इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी ने बालि के अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था । उसकी खुशी में लोगों ने घर-घर गुड़ी (ध्वजा) खड़ी कर उत्सव मनाया इसलिए यह दिन ‘गुड़ी पड़वा’ नाम से प्रचलित हुआ ।
शालिवाहन ने शत्रुओं पर विजय पायी, जिससे इस दिन से शालिवाहन शक प्रारम्भ हुआ ।
इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पायी और विक्रम संवत्सर प्रारम्भ हुआ ।
आध्यात्मिक ढंग से देखें तो यह सतयुग का प्रारम्भिक दिवस है । ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया उस समय इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) तिथि सूचित किया था ।
वर्ष के साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक है गुडी पड़वा का दिन ! यह बिना मुहूर्त के मुहूर्त है अर्थात् इस पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहता है, पंचांग में शुभ मुहूर्त नहीं देखना पड़ता । इस दिन जितना भी भजन, ध्यान, जप, मौन, सेवा की जाए, उसका अनेक गुना फल मिलता है ।
नये साल के प्रथम दिन से ही चैत्री नवरात्र का उपवास चालू हो जाता है । 9 दिन का उपवास करके माँ शक्ति की उपासना की जाती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ मानसिक प्रसन्नता व शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ भी सहज में ही मिल जाता है ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वर्ष का पहला दिन होने से इसका विशेष महत्व है । वर्षारम्भ की यह मंगलदायिनी तिथि समूचे वर्ष के सुख-दुःख का प्रतीक मानी जाती है ।
*भारतीय चैत्री नूतन वर्ष 9 अप्रैल को कैसे मनायें ?*
सुबह सूर्योदय पहले स्नान करें । तिलक करें ।
सूर्योदय के समय शंखध्वनि करें । सूर्यनारायण को अर्घ दें । भगवा ध्वज फहरायें ।
अशोक - आम- नीम- पीपल के पत्ते का तोरण बांधे । नीम - काली मिर्च - मिश्रीयुक्त चटनी खायें ।
भजन-संकीर्तन करें । एक दूसरे को हार्दिक बधाई दें ।
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newsplus21 · 7 months
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Naaree Shakti Vandan: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं से नारी शक्ति वंदन कार्यक्रम में किया संवाद
Naaree Shakti Vandan: रायपुर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्व-सहायता समूह की महिलाओं से सीधे संवाद किया। उन्होंने शासन की विभिन्न हितग्राहीमूलक योजनाओं से देश की मातृशक्ति को अवगत कराने नारी शक्ति वंदन कार्यक्रम के तहत पूरे देश की महिलाओं को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि पूरे 140 करोड़ देशवासी मेरा परिवार है। महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा और सशक्तिकरण ही मोदी की गारंटी है। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से बालिकाओं को लाभ मिला, उज्ज्वला गैस कनेक्शन योजना के तहत मुफ्त घरेलू गैस कनेक्शन दिया जा रहा है, हर घर नल योजना से लोगों को स्वच्छ पेयजल की सुविधा मिल रही है। वहीं शासन द्वारा नारी हित के लिए अन्य योजनाएं और अभियान चलाकर उन्हें लाभान्वित किया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय रायपुर के शंकर नगर स्थित दुर्गा मैदान में आयोजित शक्ति वंदन अभियान में शामिल हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री जी का उद्बोधन जनप्रतिनिधियों और स्वसहायता समूह की महिलाओं के साथ सुना। मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री स्वनीधि योजना की हितग्राही महिला दीदियों को चेक वितरित कर और स्वच्छता दीदियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
Naaree Shakti Vandan: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही नारियों का पूजन होता आ रहा है। वेदों में भी कहा गया है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’ अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहाँ भगवान का वास होता है। हम ज़ब भी भगवान का नाम लेते हैं तो पहले भगवती का नाम आता है उमापति महादेव, राधा कृष्ण, सीता राम। मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नारी शक्तियों की आराधना की जाती है। जैसे शक्ति प्राप्त करने के लिए माँ दुर्गा, वैभव- धन सम्पदा के लिए माता लक्ष्मी और ज्ञान की प्राप्ति के लिए माता सरस्वती की आराधना की जाती है। इस प्रकार सभी शक्तियाँ माताओं के पास ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदैव महिलाओं को सम्मान दिया है।
आज देश का जो सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का है वहाँ भी एक महिलाओ द्रौपदी मुर्मू विराजमान हैं, इससे बड़ा सम्मान महिलाओं के लिए क्या हो सकता है । महिलाओं को सम्मान देने के लिए हमारी सरकार ने राशन कार्ड महिलाओं के नाम से, उज्जवला कनेक्शन महिलाओं के नाम से किया है। लोकसभा और राज्य सभा में 33 प्रतिशत आरक्षण और पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। महिलाओं को स्व सहायता समूह के माध्यम से सदैव सशक्त बनाने का कार्य किया है। यह सरकार नारियों का सम्मान करने वाली सरकार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मोदी की गारंटी में महतारी वंदन योजना के तहत प्रत्येक विवाहित महिला के खाते में हर महीने जो एक हजार रूपये अंतरण करने की बात कही है शीघ्र ही लागू करने वाले हैं।
Naaree Shakti Vandan: वनमंत्री केदार कश्यप ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश नारी वंदन का कार्यक्रम कर रहा है। प्रत्येक विकासखंड में शक्ति वंदन अभियान का आयोजन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मातृशक्ति को आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने महिलाओं को केंद्र बिंदु मानकर प्रधानमंत्री आवास योजना, नल-जल योजना, उज्जवला योजना जैसी विभिन्न योजनाएँ प्रारम्भ की है। छत्तीसगढ़ में माताओं को देवियों की तरह पूजा जाता है। हम ज़ब भी ईश्वर का स्मरण करते हैं तो सबसे पहले देवियों का स्मरण करते हैं, जैसे सीता-राम, राधा-कृष्ण। यही हमारी देश की पहचान है, आज हम ऐसी नारी शक्ति का अभिनंदन कर रहे हैं। हमारा देश इस वंदन से उत्तरोत्तर आगे बढ़ेगा। हमारी सरकार ने अपने इन तीन महीने के कार्यकाल में ही महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए अनेक काम किये हैं।
विधायक पुरन्दर मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रदेश के साथ ही हमारे देश में जितना माताओं-बहनों का सम्मान किया जाता है उतना पूरे विश्व में कहीं नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरकार बनते ही सबसे पहले प्रदेश के पांच शक्ति पीठों को कारिडोर बनाने का निर्णय कर नारी शक्तियों को सम्मानित किया। हमारी सरकार माताओं का सम्मान करते हुए उनका आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ रही है।
Naaree Shakti Vandan: इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री स्वनिधि हितग्राही महिला दीदी छाया साहू, मालती साहू और जानकी तांडी को योजना का चेक वितरित किया। साथ ही स्वच्छता दीदी चन्द्रकला पंड्या, जीत बाई मंडावी और मैना बाई बंजारे को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में वन मंत्री केदार कश्यप, विधायक पुरंदर मिश्रा, जनप्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में स्वच्छता दीदी भी उपस्थित थीं।
Source: Naree Shakti Vandan
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astroclasses · 1 year
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नवरात्रि के छठे दिन की देवी हैं मां कात्यायनी, जानें इनकी पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र और भोग
असुरों का नाश करने वाली मां कात्यायनी देवी भगवती का छठा स्वरूप हैं। माता का यह स्वरूप अत्यंत फलदायी है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता की विधिवत आराधना करने से भक्तों का हर कार्य आसान हो जाता है। समस्त कष्टों का नाश होता है। मां कात्यायनी बृज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। चार भुजाओं वाली माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला और अत्यंत दिव्य है। उनकी भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र और कमल का फूल विराजमान है। शास्त्रों के मुताबिक, कात्यायनी माता की पूजा करने से विवाह का शीघ्र योग बनता है और मनचाहा वर मिलता है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा।
मां कात्यायनी पूजा विधि -
• इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
• इसके बाद कलश की पूजा करके माता को पंचामृत से स्नान कराएं।
• स्नान के बाद माता का श्रंगार कर उन्हें फल, फूल, सिंदूर, रोली, अक्षत, नारियल, पान, सुपारी, कुमकुम और चुन्नी अर्पित करें।
• अब दीप प्रज्वलित करके माता के मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा का पाठ करें।
• पूजा के बाद मां कात्यायनी को शहद और मिठाई का भोग लगाएं।
• अंत में आरती करके प्रसाद बांटें।
मां कात्यायनी व्रत कथा –
पौराणिक कथानुसार, एक वनमीकथ नामक महर्षि थे। उनका एक पुत्र कात्य था। इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया, उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने मां भगवती को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तप की थी। मां भगवती ने महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें साक्षात दर्शन दिए।तब कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मनसा बताई। इसपर देवी भगवती ने वचन दिया कि वह उनके घर में पुत्री के रूप में अवश्य जन्म लेंगी।
फिर, एक बार तीनों लोकों पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ गया। देवी और देवता उसके कृत्य से परेशान हो गए। उसी समय ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के प्रभाव से माता का महर्षि कात्यायन के घर जन्म हुआ। इसलिए मां के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।कात्यायन ऋषि ने माता के जन्म के बाद सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिनों तक माता की पूजा की। तत्पश्चात दशमी के दिन मां कात्यायनी ने महिषासुर नामक दैत्य का वध कर तीनों लोकों को उसके अत्याचार से बचा लिया।
मां कात्यायनी के विशेष मंत्र -
1. कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
2. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
3. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Pandit Gopal Shastri Ji
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sharpbharat · 2 years
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Jamshedpur sastha priti mahotsav : सास्था प्रीति महोत्सव के तहत शतचंडी महायज्ञ का हुआ आयोजन, पुरोहितों के दिव्य मंत्रोच्चार से गूंजता रहा मंदिर, संध्या समय भगवती सेवा में शामिल हुईं श्रद्धालु महिलाएं  
जमशेदपुर : बिष्टुपुर धर्म सास्था मंदिर में चल रहे 75वें सास्था प्रीति महोत्सव के तहत शुक्रवार को शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया. बाहर से आये पुरोहितों के मार्गदर्शन में आयोजित यज्ञानुष्ठान में आज मंदिर माता चंडी की आराधना के मंत्रों से गूंजता रहा. (नीचे भी पढ़ें) शुक्रवार को यज्ञानुष्ठान की शुरुआत महा गणपति होमम के साथ हुई, जिसके बाद शतचंडी महायज्ञ के लिए कलश स्थापना की गयी. पुरोहितों ने देवी…
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myjyotish · 4 years
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Maha Lakshmi Anusthan for Business Sector Growth
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Kamala Mahalakshmi Anusthan:- महालक्ष्मी देवी धन की देवी के रूप में जानी जाती हैं। वह हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। माता पार्वती और माता सरस्वती के साथ उनका स्थान त्रिदेवियों में भी उपस्थित है। वह भगवान श्री विष्णु की अर्धांगिनी हैं। इन्होंने विभिन्न रूपों में विष्णु जी के साथ धरती पर मनुष्य को धर्म का पाठ पढ़ाने के लिए मानव रूप में जन्म लिया है।
माँ लक्ष्मी का ही एक रूप कमला माँ लक्ष्मी का भी है। अक्सर सभी यह दोनों को समान ही समझते हैं परन्तु इन दोनों में बहुत ही कम अंश का अंतर है जिसका भेद बहुत कम लोग जान पाते हैं। दोनों ही अपने-अपने रूप में भक्तों को आशीर्वाद व कमल का फूल धारण किए दिखाए गए हैं। परन्तु देवी कमला की प्रतिमा में दो हाथी सदैव उपस्थित रहते हैं जो की उनकी मुद्रा पर जल से अभिषेक करते रहते हैं।
कमला शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द कमल से हुई है। देवी के विराजमान होने का आसन कमल का फूल ही है जिसके कारण उन्हें कमला देवी कहा जाता है। कमल का फूल पवित्रता एवं शुभता का प्रतीक है। अनेकों देवी-देवताओं की प्रतिमा में कमल के पुष्प का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। परन्तु देवी माँ से इसका जुड़ाव विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
इनकी प्रतिमा में हाथियों द्वारा किए गए जलाभिषेक को बरसात के मौसम समान माना गया है। जिस प्रकार हाथी द्वारा जल से देवी का जलाभिषेक होता है। उसी प्रकार बारिश से देवी अपने भक्तों व प्राणियों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। जिसके कारण उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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कमला महालक्ष्मी की आराधना यदि महादेव पुत्र गणपति जी के साथ की जाएं तो उसका फल अत्यंत ही लाभकारी प्रमाणित होता है। इनकी पूजा रात्रि के समय करना शुभ माना जाता है। पूजा में कमल का फूल व मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। देवी अपने भक्तों से जितनी ही प्रसन्न रहेंगी उनके भक्तों के जीवन में उतना धन-धान्य का भंडार भरा रहेगा। वह सदैव कष्टों से मुक्त सुखद जीवन व्यतीत करेंगे।
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🙏🙏🛕🛕🪔🪔🔔🔔🌎🌍🎙️🎙️📡📡🕓October 14❣️भक्ति सत्संगमयी शुभ सुंदर मंगलमय गुरुवार ❣️नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. नवमी मानने वाले लोग गुरुवार, 14 अक्टूबर को पूजन करेंगे. इस दिन पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.: श्री दुर्गा महानवमी : देवी सिद्धिदात्री : कथा : मां दुर्गा का आखिरी स्वरूप सिद्धिदात्री हैं। ये मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति हैं। मां सिद्धिदात्री व्यक्ति को सिद्धि प्रदान करती हैं। अगर इनकी पूजी विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ की जाए तो व्यक्ति सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की हिम्मत भी व्यक्ति में आ जाता है। देवीपुराण में कहा गया है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिवशंकर ने सिद्धियां प्राप्त की थीं। ये मां की ही अनुकम्पा थी कि भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ। इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया। मां सिद्धिदात्री के कई नाम हैं। इनमें अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्‌सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि शामिल हैं। कमल पुषअप पर आसीन मां की 4 भुजाएं हैं। मां का वाहन सिंह है। सिद्धिदात्री मां की आराधना-उपासना कर भक्तों की लौकिक, पारलौकिक सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मां अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं जिससे कुछ भी ऐसा शेष नहीं बचता है जिसे व्यक्ति पूरा करना चाहे। व्यक्ति अपनी सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं से ऊपर उठता है और मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता है और फिर विषय-भोग-शून्य हो जाता है। इन सभी को पाने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज को पाने की इच्छा नहीं रह जाती है... आरती :... जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता, तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम हाथ सेवक के सर धरती हो तुम, तेरी पूजा में न कोई विधि है तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है... आप सभी पर देवी माँ सिद्धिदात्री की असीम कृपा और आशीर्वाद हमेंशा बना रहे : प्रणाम : जय माता दी 🇮🇳🇮🇳🛕🛕🪔🪔🔔🔔🌎🌍🎙️🎙️📡📡🙏🙏🕓 https://www.instagram.com/p/CU_EzIxBoKo/?utm_medium=tumblr
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journalistcafe · 3 years
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शारदीय नवरात्रि 2021 : देवी कात्यायनी को समर्पित है छठा दिन, जानिए इनके बारे में...
शारदीय नवरात्रि 2021 : देवी कात्यायनी को समर्पित है छठा दिन, जानिए इनके बारे में…
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना, संकल्प, साधना और सिद्धि का दिव्य समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सुअवसर भी है। इस दौरान देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरुप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। छठे दिन माता कात्यायनी की…
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nisthadhawani · 3 years
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माँ भगवती के 9 स्वरुप के रहस्य , जरूर जाने
माँ भगवती के 9 स्वरुप के रहस्य , जरूर जाने
शारदीय नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है।  माँ के नवरात्र 9  दिनों तक चलते है।  इस दौरान माँ भगवती की आराधना करते है।  नवरात्र के पावन अवसर पर भक्त माँ के रंग में रंग जाते है। भक्त माता को प्रसन्न करने का हर प्रयास करते है।  जैसे कि हम सभी जानते है नवरात्र में माँ के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।  माँ के प्रथम रूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।  दूसरा नाम ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा…
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bhagyachakra · 3 years
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पंचांग :- संवत :- २०७८ ( आनंद ) दिनांक :- 07 अक्टूबर 2021 सूर्योदय :- 06:21 सूर्यास्त :- 18:09 सूर्य राशि :- कन्या चंद्र राशि :- कन्या चंद्रोदय :- 07:01 चन्द्रास्त :- 19:00 मास :- अश्विन तिथि :- प्रतिपदा वार :- गुरुवार नक्षत्र :- चित्रा योग :- वैधृ करण :- बव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- शरद लाभ :- 12:14 - 13:43 अमृत:- 13:44 - 15:12 शुभ :- 06:20 - 07:49 राहु काल :- 13:44 - 15:12 जय श्री महाकाल :- *नवरात्रि ( देवी आराधना )आरंभ* *"या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।* *नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥* सुख, शान्ति एवं समृध्दि की मंगलमय कामनाओं के साथ आप एवं आप के परिवार को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनायें। माँ अम्बे आपको सुख ,समृद्धि, वैभव ख्याति प्रदान करे व स्वस्थ रखें। आज 07 अक्टूबर 2021 गुरुवार को नवरात्रि का पहला दिन है। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी हमारे यहाँ नवरात्रि में नित्य वैदिक ब्राह्मणो द्वारा माता शक्ति की आराधना हेतु नवरात्रि के नो दिन *दुर्गासप्तशती(नवचंडी)* के पाठ किये जाएगे व दसवें दिन ( मुहूर्त अनुसार ) हवन व पूर्णाहुति होगी। जिसको यजमान अपने जीवन के भिन्न भिन्न प्रयोजनों की पूर्ति हेतु करवाते है जैसे :- परिवार में सुख शांति, उत्तम स्वास्थ्य की कामना, धन लाभ, मान सम्मान में वृद्धि, शत्रु नाश, मनोकामना की पूर्ति व अन्य भी कई प्रयोजन होते है। *यदि आप मे से भी कोई माँ भगवती के दुर्गासप्तशती ( नवचंडी ) के पाठ व हवन अपने किसी प्रयोजन हेतु करवाना चाहता है तो हमसे शीघ्रातिशीघ्र आज ही संपर्क करें।* आज का मंत्र :- ""|| ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय श्री महाकाल। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय श्री महाकाल🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 07 अक्टूबर 2021 ( गुरुवार ) जय श्री महाकाल। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CUt1VltsIxY/?utm_medium=tumblr
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omastroinfo · 3 years
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हरितालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 09 सितम्बर, गुरुवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है- विधि इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं। इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं। प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। व्रत का पूजन रात भर चलता है। महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें- ॐ उमायै नम:, ॐ पार्वत्यै नम:, ॐ जगद्धात्र्यै नम:, ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ॐ शांतिरूपिण्यै नम:, ॐ शिवायै नम: भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें- ॐ हराय नम:, ॐ महेश्वराय नम:, ॐ शम्भवे नम:, ॐ शूलपाणये नम:, ॐ पिनाकवृषे नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ पशुपतये नम:, ॐ महादेवाय नम: पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं। #omastroinfo #omastroinfopune #Astrologer #Astrology #vastutips #vastupune #vastu #vastuconsultantpune #bestastrologer #punebestvastu #hartalikateej https://www.instagram.com/p/CTjVp7iNHvT/?utm_medium=tumblr
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gyanjyotish · 3 years
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किन राशियों के लिए ख़ास होगी ये नवरात्री और क्यों?
नवरात्रि का हर दिन माँ दुर्गा को समर्पित है, नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा माँ के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है, एवं kundali matching का अच्छा योग होता है आदि शक्ति की आराधना का पर्व एक वर्ष में चार बार आता है। धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार, चैत्र नवरात्र भगवती दुर्गाजी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम और माँ दुर्गा का जन्म हुआ था।
नवरात्रि में राशि पर प्रभाव :
पंडित राजीव शास्त्री जी के अनुसार kundli making के लिए हर भक्त सभी देवियों की पूजा अर्चना करता है, जिससे उसे देवी माँ की कृपा भी प्राप्त होती है। पर क्या आप जानते हैं कि देवी माँ की पूजा की स्थिति भी आपकी राशि को काफी प्रभावित करती है। जैसे हर कुंडली में एक खास राशि और उसका स्वामी होता है, ऐसे ही हर राशि की एक खास या यूं कहें मुख्य देवी होती हैं। जिनकी पूजा हमें सर्वाधिक फल प्रदान करती है।
चैत्र नवरात्रि में इन 3 राशियों की किस्मत का तारा चमकेगा और उनके लिए हर तरह से लाभ के योग बनेंगे-
· मकर राशि
चैत्र नवरात्रि आपके लिए अनुकूल अवधि होगी| आपको पदोन्नति मिलने की संभावना है| एक उच्च संभावना है कि आपकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा |
· कुंभ राशि
kundli matching in hindi अनुसार आपके सीनियर्स आपके काम से प्रभावित होंगे| आने वाले दिनों में आप पर देवी दुर्गा की कृपा होगी| आपकी कुछ संपत्ति में निवेश करने की संभावना बन रही है और ये आपके लिए भविष्य में अच्छे परिणाम लाएगा|
· मीन राशि
चैत्र नवरात्रि आपके लिए एक अद्भुत अवधि होगी. आपको एक बहुत जरूरी ब्रेक मिलेगा| आप अपने दोस्तों के साथ कुछ आकर्षक स्थान की यात्रा कर सकते हैं| जिनकी पूजा हमें सर्वाधिक फल प्रदान करती है।
नवरात्रि के राशि अनुसार उपाय :
ज्योतिष आचार्य राजीव शास्त्री जी अनुसार यदि नवरात्रि में राशि अनुसार विशेष उपाय किए जाएं तो माता की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। इनमें से एक है अपनी मुख्य देवी की पूजा। जानकारों के अनुसार हर राशि की एक मुख्य देवी होती हैं, जिनकी पूजा करने से इस राशि के जातक को जल्दी और खास लाभ मिलते हैं|
मेष- इस राशि के लोगों के लिए मां स्कंदमाता की अराधना काफी फलदायी मानी जाती है। नवरात्र के नौ दिन दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें|
वृषभ- आपको माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना करनी चाहिए। नवरात्र में ललिता सहस्र नाम का पाठ करें।
मिथुन- इस राशि के लोगों को मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करना चाहिए।
कर्क- कर्क राशि के लोगों को मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए और नवरात्र में लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए|
लेखक का परिचय
ज्योतिष आचार्य राजीव शास्त्री जी जाने-माने kundli maker ज्योतिषियों में से एक हैं। वह ज्योतिष केंद्र,एस्ट्रोलॉजी,ज्योतिष शास्त्र सहित अंक ज्योतिष और जातकों को दोषमुक्त करने में उनकी सहायता की है| ये ज्ञान ज्योतिष द्वारा करते है एवं लोगों की समस्याओं का समाधान करते है|
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🙏🙏🛕🛕🪔🪔🔔🔔🌍🌎📡📡🎙️🎙️🇮🇳🇮🇳🕓भक्ति सत्संगमयी शुभ सुंदर मंगलमय सोमवार : छटा नवरात्र : देवी माँ कात्यायनी : देवी माँ कात्यायनी की कथा : Maa Katyayani Katha: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। ... मान्यताओं के अनुसार, कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की कठिन तपस्या की थी। उन्हें पुत्री चाहिए थी और तपस्या के फल में उन्हें पुत्री की प्राप्त हुई। महर्षि कात्यायन के घर जन्मी इस देवी का नाम देवी कात्यायनी हुआ.. मां दुर्गा की छठवीं शक्ति कात्यायनी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥ नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं... इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है...देवी माँ कात्यायनी की आरती : जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी। बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा। कई नाम हैं, कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है। हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी। हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की। झूठे मोह से छुड़ाने वाली...आप सभी पर देवी माँ कात्यायनी की असीम कृपा और आशीर्वाद हमेंशा बना रहे : प्रणाम : जय माता https://www.instagram.com/p/CU3VdXKBFJb/?utm_medium=tumblr
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journalistcafe · 3 years
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शारदीय नवरात्रि 2021 : देवी स्कंदमाता को समर्पित है पांचवा दिन, जानिए इनके बारे में
शारदीय नवरात्रि 2021 : देवी स्कंदमाता को समर्पित है पांचवा दिन, जानिए इनके बारे में
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना, संकल्प, साधना और सिद्धि का दिव्य समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सुअवसर भी है। इस दौरान देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरुप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। पांचवा दिन माता स्कंदमाता की…
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nisthadhawani · 3 years
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7 अक्टूबर नवरात्रि शुरू होने से पहले ही जान ले माता के ये 9 स्वरुप
7 अक्टूबर नवरात्रि शुरू होने से पहले ही जान ले माता के ये 9 स्वरुप
आने वाली 7 अक्टूबर से अश्विन मास से नवरात्रि का प्रारम्भ होने वाला है। नवरात्रि प्रत्येक वर्ष में 2 बार आती  है।  पहली चैत्र के महीने और दूसरी अश्विन मास में। अश्विन मास में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगो के लिए यह पर्व बहुत ही पावन माना जाता है।  क्यों कि इस दौरान माँ भगवती की आराधना की जाती है।  माना जाता है कि इस दौरान…
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