#महिलाओं के पेट की चर्बी कम करने
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महिलाओं के पेट की चर्बी कम करने के लिए कौन से आयुर्वेदिक उपाय प्रभावी हैं?
महिलाओं में पेट की चर्बी एक आम समस्या है, और इसे कम करने के लिए कई आयुर्वेदिक उपाय प्रभावी हो सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक तरीकों से शरीर को संतुलित करना और स्वास्थ्य को सुधारने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं, महिलाओं के पेट की चर्बी कम करने के लिए कौन से आयुर्वेदिक उपाय सबसे प्रभावी हैं।
त्रिफला का सेवन: त्रिफला, आयुर्वेद में एक प्रसिद्ध हर्बल उपाय है जो पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। यह पेट की चर्बी को घटाने में मदद करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है। सुबह खाली पेट त्रिफला का पाउडर गर्म पानी के साथ सेवन करें।
जीरा और धनिया: जीरा और धनिया पेट की चर्बी को घटाने में मदद करते हैं। इनका पानी पीने से पाचन शक्ति में सुधार होता है और पेट की चर्बी कम होती है। आप इसका उपयोग हर दिन करें।
शहद और नींबू: शहद और नींबू का मिश्रण पेट की चर्बी को घटाने में काफी प्रभावी होता है। सुबह गर्म पानी में एक चम्मच शहद और नींबू का रस मिलाकर पीने से वजन कम हो सकता है और पेट की चर्बी भी घट सकती है।
गुलकंद: गुलकंद भी एक प्राकृतिक उपाय है जो शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। यह शरीर को ठंडा करता है और पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
आयुर्वेदिक तेल मालिश: पेट की चर्बी को कम करने के लिए आयुर्वेदिक तेलों की मालिश करना भी फायदेमंद होता है। इन तेलों से शरीर की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं और फैट बर्न करने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष: पेट की चर्बी को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय बेहद प्रभावी हो सकते हैं, अगर इन्हें सही तरीके से अपनाय�� जाए। शुद्ध और प्राकृतिक उपायों से स्वास्थ्य को ठीक रखना संभव है, और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। यदि आप इन उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें सही मार्गदर्शन प्राप्त करें।अगर आप पेट की चर्बी कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार खोज रहे हैं, तो Adinath Ayurveda - Delhi आपको सही मार्गदर्शन और उपचार प्रदान कर सकता है।
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लटका हुआ पेट कैसे कम करें | Burn Belly Fat & Lose Weight
दोस्तों आजकल मोटापे को लेकर सभी लोग परेशान हैं और उसे कम करने के लिए लोग जिम जा रहे हैं एक्सरसाइज कर रहे हैं और बाजार में मिलने वाली बहुत सारी ऐसी दवाइयां ले रहे हैं जिससे उनका वजन कम हो सके लेकिन उनके बाद भी उनका मोटापा जो है वह कम नहीं हो रहा है और आपको पता है
मोटापे के कारण हमारे शरीर में कितनी गंभीर बीमारियां हो जाती है मोटापे की वजह से हमारे शरीर में डायबिटीज अर्थराइटिस कैंसर थायराइड और हार्ट अटैक जै गंभीर बीमारियां हो जाती हैं अगर आपको भी मोटापे से बचना है तो आज इस कहानी को बड़े ही ध्यानपूर्वक सुनना
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पुनर्नवादि गुग्गुल: फायदे, नुकसान और उपयोग
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आयुर्वेद में अनेक जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। पुनर्नवादि गुग्गुल उन्हीं में से एक शक्तिशाली औषधि है। यह गुग्गुल (गुग्गलु) के साथ अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जो शरीर को डिटॉक्स करने, सूजन को कम करने और कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करता है। यह मुख्य रूप से वात और कफ दोष को संतुलित करने के लिए उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं इसके फायदे, नुकसान और उपयोग के बारे में।
पुनर्नवादि गुग्गुल के फायदे
पुनर्नवादि गुग्गुल के फायदे अनेक हैं। किडनी की कार्यक्षमता बढ़ाने से लेकर त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तक, पुनर्नवादि गुग्गुल के फायदे व्यापक हैं। आइए पुनर्नवादि गुग्गुल के फायदे के बारे में विस्तार से पढ़ें:
1. किडनी की सेहत को बेहतर बनाए पुनर्नवादि गुग्गुल किडनी को स्वस्थ रखने में सहायक है। इसमें पुनर्नवा, त्रिफला और गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं, जो मूत्रवर्धक (Diuretic) गुणों से भरपूर होती हैं। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और किडनी की कार्यक्षमता को सुधारता है।
2. जोड़ों के दर्द और गठिया में राहत यह औषधि सूजनरोधी (Anti-inflammatory) गुणों से भरपूर होती है, जो गठिया, संधिशोथ (Arthritis) और जोड़ों के दर्द में राहत देती है। गुग्गुल शरीर में जमा हुए टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, जिससे जोड़ों में होने वाली जकड़न और सूजन कम होती है।
3. वजन घटाने में सहायक जो लोग मोटापे से परेशान हैं, उनके लिए पुनर्नवादि गुग्गुल उपयोगी हो सकता है। यह मेटाबोलिज्म को तेज करता है और शरीर में जमा अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करता है। यह शरीर को डिटॉक्स करके अतिरिक्त चर्बी को घटाने में सहायक होता है।
4. यूरिक एसिड और गाउट में लाभकारी इस औषधि में पुनर्नवा और त्रिफला जैसे तत्व होते हैं, जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह गाउट (Gout) और जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल के जमाव को रोकने में मदद करता है।
5. त्वचा रोगों में फायदेमंद पुनर्नवादि गुग्गुल रक्त को शुद्ध करने वाली औषधि मानी जाती है। यह मुंहासे, फोड़े-फुंसी, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी समस्याओं में उपयोगी होता है। यह शरीर से टॉक्सिन्स निकालकर त्वचा को साफ और चमकदार बनाता है।
6. लिवर को मजबूत बनाए लिवर हमारे शरीर के पाचन और डिटॉक्सिफिकेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुनर्नवादि गुग्गुल लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और फैटी लिवर जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
पुनर्नवादि गुग्गुल के नुकसान
हालाँकि, पुनर्नवादि गुग्गुल के फायदे सर्वविदित हैं, लेकिन पुनर्नवादि गुग्गुल के नुकसान समझना भी महत्वपूर्ण है। आइए पुनर्नवादि गुग्गुल के नुकसान के बारे में पढ़ें:
पाचन संबंधी समस्या: अधिक मात्रा में लेने से पेट दर्द, गैस और एसिडिटी हो सकती है।
लो ब्लड प्रेशर: यह औषधि रक्तचाप को नियंत्रित करती है, लेकिन लो ब्लड प्रेशर वाले लोगों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए नहीं: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
एलर्जी की संभावना: कुछ लोगों को इसमें मौजूद जड़ी-बूटियों से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर खुजली या रैशेज हो सकते हैं।
पुनर्नवादि गुग्गुल का सेवन कैसे करें?
इसका सेवन आमतौर पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए।
सामान्य तौर पर, दिन में दो बार 1-2 गोलियां गुनगुने पानी या दूध के साथ ली जा सकती हैं।
इसे खाली पेट या भोजन के बाद लिया जा सकता है, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
निष्कर्ष
पुनर्नवादि गुग्गुल एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो किडनी, लिवर, त्वचा और जोड़ों की समस्याओं में लाभकारी होती है। यह शरीर को डिटॉक्स करने, सूजन कम करने और वजन घटाने में मदद करता है। हालांकि, इसका सेवन सही मात्रा में और चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही करें ताकि कोई दुष्प्रभाव न हो।
अगर आप इसे अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए लेना चाहते हैं, तो पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
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5 संख्याएँ जो आपको स्वस्थ हृदय के लिए जानने की आवश्यकता है
स्वस्थ हृदय को बनाए रखना आवश्यक है, और कुछ प्रमुख स्वास्थ्य संख्याओं को समझना बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), इष्टतम हृदय स्वास्थ्य की निगरानी के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण मीट्रिक साझा करते हैं।
रक्तचाप उच्च रक्तचाप आपके हृदय और धमनियों पर दबाव डालता है। आदर्श रक्तचाप 120/80 मिमी एचजी से कम है। नियमित रूप से इसकी निगरानी करने से हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी क्षति जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिल सकती है।
कोलेस्ट्रॉल का स्तर कोलेस्ट्रॉल बिल्डअप से धमनियाँ अवरुद्ध हो सकती हैं। एलडीएल ("खराब" कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को कम और एचडीएल ("अच्छा" कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को उच्च रखना महत्वपूर्ण है। एक आदर्श कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 200 मिलीग्राम / डीएल से कम है।
रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का स्तर बढ़ा हुआ रक्त शर्करा समय के साथ रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे हृदय रोग हो सकता है। हृदय स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए उपवास रक्त शर्करा के स्तर को 100 mg/dL से कम रखने का लक्ष्य रखें।
बॉडी मास इंडेक्स (BMI) आपका BMI ऊंचाई और वजन के आधार पर शरीर में वसा का माप है। 18.5 और 24.9 के बीच का BMI स्वस्थ माना जाता है, जबकि अधिक BMI हृदय रोग, मधुमेह और ��न्य स्थितियों के जोखिम को बढ़ा सकता है।
कमर की परिधि अतिरिक्त पेट की चर्बी हृदय संबंधी समस्याओं के उच्च जोखिम से जुड़ी है। एक स्वस्थ कमर की परिधि महिलाओं के लिए 35 इंच से कम और पुरुषों के लिए 40 इंच से कम है।
इन संख्याओं के प्रति सचेत रहकर, आप स्वस्थ हृदय की ओर सक्रिय कदम उठा सकते हैं। हृदय स्वास्थ्य और व्यक्तिगत परामर्श पर मार्गदर्शन के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में डॉ. एमडी फरहान शिकोह से संपर्क कर सकते हैं। उनके क्लिनिक से 6200784486 पर संपर्क करें या drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
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हर्निया के प्रकार, लक्षण, कारण और बचाव
हर्निया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के अंदरूनी अंग, जैसे कि आंत या पेट की चर्बी, मांसपेशियों या ऊतकों में कमजोर जगह से बाहर निकल आते हैं। यह एक गांठ या उभार पैदा कर सकता है जो दर्दनाक हो सकता है।
हर्निया के प्रकार:
इंघालाज हर्निया: यह सबसे आम प्रकार का हर्निया है, जो पेट के निचले हिस्से में कमर के पास होता है।
जांघ हर्निया: यह हर्निया जांघ ��ें होता है।
एम्बिलेटल हर्निया: यह हर्निया नाभि के पास होता है।
इनसाइजल हर्निया: यह हर्निया सर्जरी के निशान से निकलता है।
हियाटल हर्निया: यह हर्निया डायाफ्राम में होता है, जो पेट और छाती को अलग करता है।
हर्निया के लक्षण:
गांठ या उभार: यह हर्निया का सबसे आम लक्षण है। यह खड़े होने, खांसने या भारी वस्तु उठाने पर अधिक ध्यान देने योग्य हो सकता है।
दर्द: हर्निया में दर्द हल्का या तेज हो सकता है। यह खासकर तब होता है जब आप खांसते हैं, झुकते हैं या भारी वस्तु उठाते हैं।
दबाव या भारीपन: हर्निया वाले क्षेत्र में दबाव या भारीपन महसूस हो सकता है।
मतली या उल्टी: कुछ मामलों में, हर्निया मतली या उल्टी का कारण बन सकता है।
हर्निया के कारण:
कमजोर मांसपेशियां या ऊतक: हर्निया तब हो सकता है जब पेट की दीवार में मांसपेशियां या ऊतक कमजोर हो जाते हैं। यह उम्र बढ़ने, गर्भावस्था, भारी वस्तु उठाने, पुरानी खांसी या कब्ज के कारण हो सकता है।
बढ़ा हुआ दबाव: पेट के अंदरूनी हिस्से पर बढ़ा हुआ दबाव हर्निया का कारण बन सकता है। यह भारी वस्तु उठाने, खांसी, छींकने, कब्ज या प्रोट्रूशन से हो सकता है।
हर्निया की रोकथाम:
स्वस्थ वजन बनाए रखें: अधिक वजन होने से पेट की दीवार पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे हर्निया का खतरा बढ़ जाता है।
नियमित व्यायाम करें: व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत बनाने और हर्निया के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान से कोलेजन का टूटना होता है, जो मांसपेशियों और ऊतकों को मजबूत ��खने में मदद करता है।
भारी वस्तुओं को उठाने का उचित तरीका सीखें: भारी वस्तुओं को उठाते समय अपनी पीठ की मांसपेशियों का उपयोग करें, पैरों का नहीं।
कब्ज से बचें: कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त भोजन खाएं और भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ पिएं।
पुरानी खांसी का इलाज कराएं: यदि आपको पुरानी खांसी है, तो डॉक्टर से इलाज करवाएं।
हर्निया का इलाज:
हर्निया का इलाज आमतौर पर सर्जरी द्वारा किया जाता है। सर्जरी में कमजोर क्षेत्र को मजबूत करना और अंगों को वापस अपनी जगह पर लाना शामिल है। कुछ मामलों में, हर्निया को सपोर्ट बेल्ट या ट्रस पहनकर ठीक किया जा सकता है।
हर्निया के प्रकार, लक्षण, कारण और बचाव
हर्निया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के अंदरूनी अंग, जैसे कि आंत या पेट की चर्बी, मांसपेशियों या ऊतकों में कमजोर जगह से बाहर निकल आते हैं। यह एक गांठ या उभार पैदा कर सकता है जो दर्दनाक हो सकता है। हर्निया किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक आम है, और यह उम्र बढ़ने के साथ-साथ होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
हर्निया के विभिन्न प्रकार:
हर्निया कई तरह के होते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि यह शरीर में कहाँ होता है।
इंघालाज हर्निया (Inguinal Hernia): यह सबसे आम प्रकार का हर्निया है, जो पेट के निचले हिस्से में कमर के पास होता है। यह पुरुषों में अधिक पाया जाता है और इसमें आंत या पेट की चर्बी वहाँ की मांसपेशियों के कमजोर हिस्से से निकलकर groin (जांघ के जोड़) में गांठ बना लेती है।
जांघ हर्निया (Femoral Hernia): यह हर्निया कम आम है और ज्यादातर महिलाओं में होता है। इसमें आंत या पेट की चर्बी जांघ की नस के पास कमजोर जगह से निकलकर जांघ के ऊपरी हिस्से में गांठ बना लेती है।
एम्बिलेटल हर्निया (Umbilical Hernia): यह हर्निया नाभि के पास होता है। यह आमतौर पर शिशुओं में पाया जाता है, लेकिन वयस्कों में भी हो सकता है, खासकर उन महिलाओं में जिन्होंने कई गर्भधारण किए हैं।
इनसाइजल हर्निया (Incisional Hernia): यह हर्निया सर्जरी के निशान से निकलता है। पेट की पिछली सर्जरी के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे आंत या अन्य अंग उस जगह से बाहर निकल सकते हैं।
हियाटल हर्निया (Hiatal Hernia): यह हर्निया डायाफ्राम में होता है, जो पेट और छाती को अलग करता है। इसमें पेट का ऊपरी हिस्सा डायाफ्राम में कमजोर जगह से छाती की ओर निकल जाता है।
हर्निया के लक्षण:
हर्निया के लक्षण इस बात पर निर्भर कर सकते हैं कि यह किस प्रकार का है और यह कितना गंभीर है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
गांठ या उभार: यह हर्निया का सबसे आम लक्षण है। यह खड़े होने, खांसने या भारी वस्तु उठाने पर अधिक ध्यान देने योग्य हो सकता है। कभी-कभी, लेटने पर यह गांठ गायब भी हो सकती है।
दर्द: हर्निया में दर्द हल्का या तेज हो सकता है। यह खासकर तब होता है जब आप खांसते हैं, झुकते हैं या भारी वस्तु उठाते हैं। कभी-कभी दर्द तेज हो सकता है और अचानक शुरू हो सकता है, खासकर अगर हर्निया अवरुद्ध हो जाए (अर्थात आंत उस गांठ में फंस जाए)।
दबाव या भारीपन: हर्निया वाले क्षेत्र में दबाव या भारीपन महसूस हो सकता है।
मतली या उल्टी: कुछ मामलों में, हर्निया मतली या उल्टी का कारण बन सकता है, खासकर अगर यह अवरुद्ध हो जाए।
कब्ज या कब्ज जैसा महसूस होना: कभी-कभी हर्निया आंतों के कार्य को प्रभावित कर सकता है, जिससे कब्ज या कब्ज जैसा महसूस होना हो सकता है।
हर्निया के कारण:
हर्निया के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन वे आम तौर पर पेट की दीवार में कमजोर मांसपेशियों या ऊतकों से संबंधित होते हैं। कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:
जन्मजात कमजोरियां: कुछ लोगों को जन्म से ही कमजोर मांसपेशियों या ऊतकों के साथ पैदा होते हैं
भारी वस्तु उठाना: बार-बार भारी वस्तु उठाने या अनुचित तरीके से उठाने से पेट की दीवार पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे ��ांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और हर्निया का खतरा बढ़ सकता है।
गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान बढ़ता हुआ गर्भाशय पेट की दीवार पर दबाव डालता है, जिससे हर्निया का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा: अधिक वजन होने से भी पेट की दीवार पर दबाव बढ़ सकता है।
पुरानी खांसी या छींक आना: बार-बार खांसने या छींक आने से पेट की दीवार पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे हर्निया का खतरा बढ़ सकता है।
कब्ज: बार-बार जोर लगाकर मल त्याग करने से भी पेट की दीवार पर दबाव बढ़ सकता है।
धूम्रपान: धूम्रपान कोलेजन के टूटने को बढ़ावा देता है, जो एक ऐसा पदार्थ है जो मांसपेशियों और ऊतकों को मजबूत रखने में मदद करता है।
हर्निया की रोकथाम:
हर्निया को पूरी तरह से रोका भले ही न जा सके, लेकिन कुछ आदतें अपनाकर आप हर्निया के खतरे को कम कर सकते हैं:
स्वस्थ वजन बनाए रखें: स्वस्थ वजन बनाए रखने से पेट की दीवार पर दबाव कम होता है।
नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम, खासकर पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम, हर्निया के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।
भारी वस्तुओं को उठाने का सही तरीका सीखें: भारी वस्तुओं को उठाते समय अपनी पीठ की मांसपेशियों का उपयोग करें, पैरों का नहीं। घुटनों को मोड़ें और वस्तु को अपने शरीर के पास रखें।
कब्ज को रोकें: फाइबर युक्त भोजन खाने और भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ पीने से कब्ज को रोका जा सकता है।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान छोड़ने से आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार होगा और हर्निया का खतरा भी कम होगा।
पुरानी खांसी का इलाज कराएं: यदि आपको पुरानी खांसी है, तो डॉक्टर से इलाज करवाएं।
हर्निया का इलाज:
हर्निया का इलाज आमतौर पर सर्जरी द्वारा किया जाता है। सर्जरी में कमजोर क्षेत्र को मजबूत करना और अंगों को वापस अपनी जगह पर लाना शामिल है। सर्जरी के प्रकार हर्निया के स्थान और गंभीरता पर निर्भर करते हैं। कुछ मामलों में, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (एक छोटा चीरा लगाकर की जाने वाली सर्जरी) की जा सकती है। वहीं, कुछ जटिल मामलों में ओपन सर्जरी (बड़ा चीरा लगाकर की जाने वाली सर्जरी) की आवश्यकता हो सकती है।
कुछ मामलों में, खासकर छोटे हर्निया के लिए, सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। डॉक्टर हर्निया को सपोर्ट करने के लिए एक ट्रस या बेल्ट पहनने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, यह स्थायी समाधान नहीं है और यह दर्द को कम करने में ही मददगार हो सकता है।
हर्निया का निदान:
हर्निया का निदान आमतौर पर शारीरिक परीक्षण और डॉक्टर से बातचीत के आधार पर किया जाता है। कुछ मामलों में, इमेजिंग परीक्षणों, जैसे कि अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन की आवश्यकता हो सकती है।
हर्निया से जुड़ी जटिलताएं:
अधिकांश हर्निया गंभीर नहीं होते हैं, लेकिन अगर उनका इलाज न किया जाए तो जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
अवरुद्ध हर्निया (Incarcerated Hernia): कभी-कभी हर्निया में फंसा हुआ अंग रक्त प्रवाह खो सकता है
अवरुद्ध हर्निया (Incarcerated Hernia): कभी-कभी हर्निया में फंसा हुआ अंग रक्त प्रवाह खो सकता है। यह गंभीर दर्द, मतली, उल्टी और ऊतक क्षति का कारण बन सकता है। इस स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
étrangulated हर्निया (Strangulated Hernia): अवरुद्ध हर्निया का एक गंभीर रूप है। इसमें फंसा हुआ अंग न केवल रक्त प्रवाह खो देता है, बल्कि उसकी आपूर्ति भी रुक जाती है। यह जल्दी से ऊतक मृत्यु का कारण बन सकता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और तुरंत सर्जरी की आवश्यकता होती है।
हर्निया के बारे में कब डॉक्टर को दिखाएं:
अगर आपको हर्निया का कोई लक्षण अनुभव हो, जैसे कि गांठ या उभार, दर्द, या पेट में कोई असामान्यता महसूस हो, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। जल्दी से इलाज करने ��े जटिलताओं के खतरे को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
हर्निया एक आम समस्या है। ज्यादातर मामलों में, यह गंभीर नहीं होती है और इसका इलाज सर्जरी द्वारा किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप हर्निया के खतरे को कम कर सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपको हर्निया हो सकता है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
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जानिये फैटी लिवर के बारे में सब कुछ
फैटी लिवर रोग क्या है?
लिवर में अतिरिक्त चिकनाई का बनना फैटी लिवर की बीमारी है।
फैटी लिवर की बीमारी शराब के अत्यधिक सेवन से हो सकती है और यदि व्यक्ति अतिरिक्त शराब पीना जारी रखे तो उससे लिवर को गंभीर क्षति हो सकती है. पिछले 30 वर्षों में, डॉक्टरों को यह लगने लगा है/अहसास हुआ है कि बड़ी संख्या में ऐसे रोगी हैं जो बहुत कम शराब पीते हैं या शराब नहीं पीते हैं, लेकिन फिर भी उनके लिवर में अतिरिक्त चर्बी है. इस विकार को नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के फैटी लिवर से लिवर में सूजन (सूजन), लिवर स्कारिंग (सिरोसिस), लिवर कैंसर, लिवर की विफलता और मृत्यु भी हो सकती है। फैटी लिवर एक बेहद सामान्य लिवर की बीमारी है और इससे 5-20 प्रतिशत तक भारतीयों के प्रभावित होने का अनुमान है।
कौन NAFLD से ग्रसित हो सकते है ?
NAFLD पुरुषों, महिलाओं और सभी उम्र के बच्चों को प्रभावित कर सकता है, मगर अधिक वजन वाले लोगों का इससे ग्रसित होना आम है. चिकनाई से भरपूर आहार, कैलोरी और फ्रुक्टोज भी फैटी लिवर रोग का कारण हो सकते हैं. भारत के शहरों में मोटापा एक खतरनाक दर से बढ़ रहा है। वर्तमान मे�� अधिक से अधिक लोगों में मधुमेह का निदान किया जा रहा है। चूंकि मोटापा और मधुमेह फैटी लिवर के लिए प्रमुख खतरा हैं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 10-20 वर्षों में इन रोगियों के मौत का एक प्रमुख कारण भीषण प्रकार का फैटी लिवर रोग बनने वाला है।
फैटी लिवर रोग के कितने चरण हैं?
फैटी लिवर आमतौर पर निम्नलिखित चरणों के माध्यम से आगे बढ़ता है:
साधारण फैटी लिवर
सूजन के साथ फैटी लिवर (NASH या नॉन-अल्कोहिलक स्टेटोहेपेटाइटिस के रूप में जाना जाता है)
फैटी लिवर जिसमे लिवर की स्कार्रिंग हो या लिवर सख्त हो जाये (जिसे लिवर सिरोसिस भी कहा जाता है)
यह अनुमान है कि साधारण फैटी लिवर 5-20 प्रतिशत भारतीयों को प्रभावित कर सकता है। अच्छी खबर यह है कि अधिकांश साधारण फैटी लिवर से ग्रसित लोगों को गंभीर लिवर क्षति नहीं होती । फिर भी, कुछ व्यक्तियों, विशेष रूप से कई खतरों वाले कारकों, लिवर सिरोसिस की ओर अग्रसर होंगे। एक बार जब लिवर सिरोसिस विकसित हो जाता है, तो लिवर की विफलता, लिवर कैंसर और मृत्यु का प्रमुख खतरा होता है।
फैटी लिवर के क्या लक्षण हैं ?
फैटी लिवर वाले अधिकांश व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि कुछ को लिवर के बढ़ने के कारण पेट के दाहिनी ओर दर्द का अनुभव हो सकता है। अन्य लक्षण सामान्य थकान, मतली और भूख न लगना है। एक बार सिरोसिस विकसित हो जाता है, और लिवर की विफलता की शुरुआत हो जाए, तब आँखों का पीलापन (पीलिया), पेट में पानी भरना (एडिमा), खून की उल्टी, मानसिक भ्रम और पीलिया हो सकता है।
फैटी लिवर ��ोग का निदान कैसे किया जाता है?
फैटी लिवर आमतौर पर रुटीन चेकअप के दौरान पाया जाता है, जब डॉक्टर को बढ़े हुए लिवर का पता चलता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन लिवर में फैट दिखा सकती है , जब लिवर का रक्त परीक्षण सामान्य नहीं हो। कुछ नए परीक्षण "फाइब्रोस्कैन" और "फाइब्रोटेस्ट" के रूप में जाने जाते हैं जो अधिक विश्वसनीय हैं। फैटी लिवर के लिए खतरे के कारकों को पहचानना और अपने चिकित्सक के साथ वार्षिक जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि रोग का जल्द पता चल सके।
फैटी लिवर रोग खतरनाक क्यों है?
फैटी लिवर एक मूक रोग ’है। हो सकता है की यह तब तक कोई लक्षण न दिखाए जब तक कि स्थिति लिवर सिरोसिस और लिवर की विफलता की ओर नहीं बढ़ जाती है। प्रारंभिक चरण में इस बीमारी का पता लगाना महत्वपूर्ण है जब इसकी प्रगति को रोका जा सकता है या धीमा किया जा सकता है।
फैटी लिवर का इलाज कैसे किया जाता है?
वर्तमान में, फैटी लिवर के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर आमतौर पर आहार परिवर्तन, वजन घटाने, व्यायाम और मधुमेह जैसे खतरे के कारकों के नियंत्रण से आसानी से उलट जाता है। जैसे-जैसे लिवर की क्षति अधिक गंभीर होती जाती है, सिरोसिस और लिवर की विफलता विकसित हो सकती है और इस स्तर पर केवल लिवर प्रत्यारोपण से रोगी के जीवन को बचाया जा सकता है। कुछ रोगी जो मोटे हैं और जिन्हे फैटी लिवर भी है, वे वजन घटाने की (बेरिएट्रिक) सर्जरी से लाभान्वित हो सकते हैं।
फैटी लिवर के रोग को कैसे पलटें और रोकें?
अपनावजन मैनेज करें। वजन कम करें, यदि आप अधिक वजन वाले हैं (तेजी से वजन कम करने से बचें)। डाइट कार्यक्रमों से दूर रहें जो भूखे रहने की सलाह देते हैं।
प्रतिदिनकम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
आहारमें चिकनाई की मात्रा कम करें।
कार्बोहाइड्रेटयुक्त आहार (सफेद चावल, आलू, सफेद ब्रेड) को ना कहें। ये हमारी आंतों से जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं/सोख लिए जाते हैं और लिवर फैट में परिवर्तित हो जाते हैं। खाद्य पदार्थ जो धीरे-धीरे अवशोषित हो जाते हैं, जैसे कि अनाज, दालें, नट्स, सेब और संतरे सहित असंसाधित फल फायदेमंद होते हैं।
फ्रुक्टोजसे भरपूर कई जूस और कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें। इसके अलावा, बहुत ज़्यादा फल खाने से सावधान रहें।
एंटीऑक्सिडेंटजैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
एंटीऑक्सिडेंटजैसे सिलीमारिन, विटामिन सी और ई के कुछ लाभ हो सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
वार्षिकस्वास्थ्य जांच करें। हर साल अपने लिवर एंजाइम, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करें।
अगरआपको उच्च रक्तचाप और मधुमेह ��ै, तो इसका प्रभावी उपचार करें।
अगरआप मध्यम या काम मात्रा में शराब पीने वाले हैं, तब भी शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करने की सलाह दी जाती है।
लिवर ट्रांसप्लांट हेल्पलाइन +91-7705002277
निष्कर्ष
फैटी लिवर महामारी का खतरा मूक है लेकिन आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए वास्तविक है। मोटापे, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे फैटी लिवर रोगों का खतरा भारत के शहरों में खतरनाक दर से बढ़ रहा हैं। हालाँकि शायद ही कभी इस बारे में बात की जाती है कि लिवर 500 से अधिक कार्य करता है और यह दिल से भी बड़ा काम करता है। इसलिए, लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखना सभी के लिए प्राथमिक चिंता का विषय होना चाहिए। ऐसा न करना मृत्युदंड जैसा है। फैटी लिवर का जल्द से जल्द इलाज कराने में सक्रिय रहें और इलाज शुरू करने के लिए इसके खराब होने का इंतजार न करें, चूँकि तब तक बहुत देर हो सकती है|
Originally Published at - https://lucknow.apollohospitals.com/
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कॉफ़ी और उसपे की गयी रिसर्च -
ये टाइटल सुनके हो सकता है आप चौके लेकिन ये बात सच है और कई रिसर्च में ये बात पता चला है की जो भी महिलाये रोज 2 या 3 काफी रोज पीती है |उनके पेट की चर्बी और शरीर की चर्बी की मात्रा काफी न पीने वालो से कम होती है | ये भी बताया गया है की कॉफ़ी में कुछ ऐसे कम्पाउंड्स या गुण है जो मोटापा को कम करते है |अमेरिका की सेण्टर फॉर डिजीज कण्ट्रोल ने एक प्रयोग किया जिसमे लोगों पर अध्ययन किया गया |रोज़ाना कितने कप कॉफ़ी पी गयी और बेली फैट की प्रतिशत एक दूसरे में सम्बन्ध क्या ये जानने की कोशिश की गयी |
अध्ययन में क्या मिला -
ये देखा गया की 20 से 44 साल की महिलाओं है जो रोज़ाना 2 या 3 कप काफी पीती है उनके मोटापे के स्तर उस उम्र के बीच कॉफ़ी न पीने वाली महिलाओं के अपेक्षा 3.4 % कम था |वही जो भी महिलाए 45 से 69 साल के बीच रोज़ाना 4 काफी पी रही थी उनका भी मोटापे का स्तर काफी न पीने वाली इस उम्र की महिलाओं से 4.1 प्रतिशत कम था |इसका साफ़ मतलब है की महिलाओं की कोई भी उम्र हो लेकिन काफी पीने वाली महिलाओं को टोटल बॉडी फैट परसेंटेज औसतन 2.8 प्रतिशत कमी देखने को मिली |ये भी देखने को मिला की जो भी नतीजे आये चाहे महिलाओं ने कैफीन की काफी पी हो या सामान्य काफी नतीजे पर कोई फर्क नहीं पड़ता |
पुरषों में मोटापे के स्तर पर ज्यादा प्रभाव नहीं डालती कॉफ़ी ?
अध्ययन में ये भी पाया गया की कॉफ़ी महिलाओं की तुलना में पुरषों को कम फायदा करती है | 20 से 44 साल के बीच जिन पुरषों ने रोज़ाना 2 से 3 काफी पी और जिन पुरषों ने कॉफ़ी नहीं पी उनके अपेक्षा रोज़ काफी पीने वाले शरीर की कुल चर्बी में 1.3 प्रतिशत कमी और पेट की चर्बी 1.8 की कमी थी |इसलिए महिलाओं को तो कॉफ़ी जरूर पीनी चाहिए |
कॉफ़ी में कौन से गुण है जो मोटापे कम करते है ?
मोटापे से आज दुनिया परेशान है |नये-नये उत्पाद बाजार में है | कोई कहता है संतुलित आहार ले और कोई कहता है कसरत करे |कोई कहता कोई डाइट करे | लेकिन कॉफ़ी में भी ऐसे कंपाउंड आते है |जो मोटापे को कम करता है |क्योकि कॉफ़ी में कैफीन के आलावा भी बायोएक्टिव कम्पाउंड्स पाए जाते है जो वजन को नियंत्रित करता है |जिसका इस्तेमाल एंटी -ओबेसिटी कम्पाउंड्स के तत्त्व पर किया जाता है |इसका ये असर है कॉफ़ी के इन इनग्रेंडेण्ट्स स्वस्थ आहार में जोड़ा जाया जिससे मोटापे के बोझ को कम किया जा सकता है |कॉफ़ी पीने से कई बिमारियों में भी फायदा होता है और तुरंत एनर्जी मिलती है |
कॉफ़ी से और कौन -कौन सी बीमारी दूर होती है-
इससे टाइप 2 की डाइबिटीज़ का खतरा कम होता है |एल्ज़ीमर्स और पार्किंसन जैसी बीमारी में भी बहुत सहायक होता है |शारीरिक परफॉरमेंस को बेहतर करने में इसका योगदान होता है |कॉफ़ी तभी फायदेमंद है जब इसको लिमिट में पिए |कॉफ़ी ज्यादा पीने से अनिंद्रा , बेचैनी , दिल की धड़कन बढ़ना पाचन शक्ति को कम करती है |तनाव को भी कम करती है |लेकिन कसरत का और संतुलित डाइट और बेहतर नींद से अचूक मोटापे का कोई इलाज नहीं है |
#सेण्टरफॉरडिजीजकण्ट्रोल#संतुलितडाइट#ससंतुलितआहार#शारीरिकपरफॉरमें#शरीरकीचर्बी#मोटापेकोकैसेकमकरे#मोटापेकाकोईइलाज#बायोएक्टिवकम्पाउंड्स#दिलकीधड़कनबढ़ना#Bvitamins#caffeine#coffeebenefits#magnesium#riboflavin#slimbody#एंटी -ओबेसिटीकम्पाउंड्स#एल्ज़ीमर्स#काफीकेफायदे#कैफीन#कॉफ़ीकेइनइनग्रेंडेण्ट्स#कॉफ़ीकेफायदे#कॉफ़ीतभीफायदेमंद#कॉफ़ीशॉप#टाइप2कीडाइबिटीज़काखतरा#पार्किंसन#पेटकीचर्बी#मोटापाकोकमकरते
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महिलाओं का बढ़ा हुआ पेट का मोटापा कम करने के रामबाण उपाय
महिलाओं का बढ़ा हुआ पेट का मोटापा कम करने के रामबाण उपाय
महिलाओं को अक्सर अपनी मोटापा से शर्मिंदा होना पड़ता है इसलिए आज हम महिलाओं का मोटापा कम करने के रामबाण उपाय के बारे में बात करेंगे। इन उपायों के इस्तेमाल करने से महिलाओं के पेट और जांघ की चर्बी कम हो जाएगी क्योंकि यह सभी तरीका जल्दी मोटापा कम करने का रामबाण उपाय है। महिलाओं के लिए यह सभी उपाय जल्दी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि जितना जल्दी आप इन उपायों को अपनाएंगे उतना ही जल्दी आप एक सुंदर और पतले…
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exercise after c section: सिजेरियन डिलीवरी के बाद व्यायाम करने के 5 फायदे
जब स्पर्म (Male Sperm) शारीरिक संबंध के बाद महिला के शरीर में जाकर उनके अंडे से मिलता है, तो महिला गर्भधारण कर सकती है। यह फर्टिलाइज अंडा गर्भ की परत से जुड़ जाता है और एक शिशु के रूप में बढ़ने लगता है। गर्भावस्था का सबसे सामान्य संकेत पीरियड्स ना आना है। लेकिन कई बार नार्मल डिलीवरी नहीं हो पाती और ऑपरेशन करना पड़ता है इसलिए आपको सिजेरियन डिलीवरी के बाद व्यायाम (Exercise after c section) के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
गर्भावस्था को पूरा होने में लगभग चालीस हफ्तों का समय लगता है। यह पूरी प्रक्रिया तीन भागों में पूरी होती है, जिन्हें तिमाही कहा जाता है। तीन महीने मिलकर एक तिमाही बनाते हैं और तीन तिमाही नौ माह बनाते है।
आमतौर पर शिशु को योनि से बाहर निकाला जाता है। यह शिशु को जन्म देने की प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह माता और शिशु दोनों के लिए अच्छी होती है। लेकिन कई बार ऑपरेशन करना पड़ता है।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद योग: Exercise after c section in Hindi:
माँ बनने के बाद महिलाओं के शरीर की शेप काफी बदल जाती है और उन्हें फिट और स्लिम बॉडी पाने के लिए एक्सरसाइज करनी चाहिए। सी-स��क्शन के बाद आप योग तो कर सकती हैं लेकिन कब करें, यह पूरी तरह से आपकी रिकवरी पर निर्भर करता है।
ऑपरेशन के कितने दिन बाद योग करना चाहिए: When to do Exercise after c section:
सामान्य तौर पर महिलाऐं डिलीवरी के 6 से 8 हफ्ते बाद योग कर सकती हैं लेकिन सी-सेक्शन में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही एक्सरसाइज की शुरुआत करनी चाहिए। डॉक्टर आपकी शारीरिक स्थिति और मांसपेशियों में लचीलेपन की जाँच करते है और उसके बाद ही आपको एक्सरसाइज (Exercise after c section) शुरू करने की सलाह देते है।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद योग के फायदे: Benefits of Exercise after c section in Hindi:
सी-सेक्शन के बाद योग (Exercise After c section) करने से मांसपेशियां टोन (Muscle Tone) होती हैं और उन्हें मजबूती मिलती है। इससे रिकवरी में भी तेजी आती है।
योग से लिगामेंट और ढीली पड़ी मांसपेशियाँ ठीक होती हैं।
इसकी मदद से मन और मस्तिष्क को आराम एवं शांति मिलती है जो माँ बनने के बाद बहुत जरूरी है।
किसी भी तनावपूर्ण स्थिति को शांति से सुलझाने में मदद मिलती है।
योग से शारीरिक अंगों को मजबूती मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है।
अब हम आपको बता चुके हैं सिजेरियन डिलीवरी के बाद योग (Exercise after c section) करने के क्या-क्या फायदे है। अब आपको यह जानना भी जरूरी है कि आखिर ऐसे कौन-कौन से व्यायाम है जो आपको सिजेरियन डिलीवरी में करनी चाहिए।
सी सेक्शन के लिए व्यायाम: Exercise for c section:
पेट के लिए पेल्विक हिस्से के लिए कंधरासन और पेट की मांसपेशियों को मजबूती देने के लिए भुजंगासन करें।
कमर के निचले हिस्से को मजबूती देने, पेट की मांसपेशियों को टोन करने और पोस्चर में सुधार लाने के लिए ऊर्ध्व प्रसारिता पादासन करना चाहिए।
कमर और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाने, जांघों और पिंडलियों की बाहरी मांसपेशियों को स्ट्रेच करने एवं उन्हें मजबूती देने के लिए अधो मुख शवासन करें।
पेट की चर्बी घटाने के लिए भुजंगासन करें।
जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके है सिजेरियन डिलीवरी के बाद योग (Exercise after c section) करने के फायदे लेकिन आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर सिजेरियन डिलीवरी करने की जरूरत क्या है?
सिजेरियन ऑपरेशन क्या होता है?
दरअसल, अधिकतर डिलीवरी योनि द्वारा होती हैं, लेकिन कई बार कुछ जटिलताओं या खतरों के चलते सिजेरियन डिलीवरी (c section) की जाती है। कभी-कभी इसी तरीके से माता व शिशु का जीवन बचा सकते है।
सी-सेक्शन की योजना तब बनाई जाती है जब सामान्य वजाइनल डिलीवरी में कोई समस्या होती है। ऐसे कई कारण होते हैं, जिनकी वजह से सी सेक्शन डिलीवरी की जाती है जिसमें माता की इच्छा भी शामिल होती है। कई बार कुछ महिलाऐं कोई समस्या नहीं होने पर भी कुछ महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी करवाती हैं।
ऑपरेशन क्यों करते है यह आप सोच रहे होंगे। तो आइये आपको कुछ ऐसे कारण बताते है जब आपको सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है।
ऑपरेशन क्यों करते है
यदि आपकी श्रोणि में कोई समस्या है, जिसकी वजह से बर��थ कैनाल से शिशु को जन्म देना मुश्किल हो जाता है। श्रोणि (Pelvis) एक हड्डी का ढांचा जो कि पेट के पास होता है जिसमें कूल्हे की हड्डी होती है, यह कमर के निचले भाग और पैरों को जोड़ती है।
शिशु के सिर का आकार बर्थ कैनाल से बड़ा है और उसमें से नि��ल नहीं सकता।
लेबर में ज्यादा दर्द नहीं हो पा रहा जिस वजह से मांसपेशियां सिकुड़ नहीं पाती और गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय का निचला हिस्सा) खुल नहीं पाती जिस वजह से शिशु बर्थ कैनाल से बाहर नहीं आ पाता। इस वजह से सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है।
यदि शिशु के हृदय की दर असामान्य है या किसी अन्य मेडिकल स्थिति के कारण सामान्य डिलीवरी नहीं हो पाती तो शिशु को सिजेरियन डिलीवरी (Exercise after c section) द्वारा निकाला जाता है और उसका ट्रीटमेंट किया जाता है।
यदि आपको लंबे समय से किसी तरह का रोग है जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह (डायबिटीज) आदि।
आमतौर पर शिशु को जब निकाला जाता है तो पहले उसका सिर बर्थ कैनाल से बाहर आता है। हालांकि, कुछ मामलों में शिशु के पैर पहले बाहर आते दिखाई देते हैं जिस स्थिति को ब्रीच कहा जाता है, ऐसी स्थिति में सी सेक्शन डिलीवरी की जाती है।
यदि आपकी गर्भावस्था में खतरे के लक्षण दिख रहे है।
यदि आपको गर्भनाल से जुड़ी समस्या है जैसे प्लेसेंटा प्रिविया (प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग होना) जिसमें गर्भनाल अपने स्थान से हिलकर गर्भाशय के नीचे पहुँच जाती है, यह शिशु के बाहर निकलने के रास्ते को अवरुद्ध कर सकती है, जिससे योनि से रक्तस्राव हो सकता है।
#exercise after c section#ऑपरेशन क्र कितने दिन बाद योग करना चाहिए#सिजेरियन डिलीवरी क्या होता है#ऑपरेशन क्यों करते है
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डायबिटीज से छुटकारा और वजन कम करने में मददगार है अंकुरित मेथी
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आप सब को यह तो पता ही होगा कि मेथी के दाने पाचन शक्ति के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। सब्जी में या कोई भी खाने में मेथी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए, यह हमारे शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। अगर आपको साबुत मेथी के दाने खाना पसंद नहीं है तो आप अंकुरित मेथी के दाने या स्प्राउट मेथी के दाने भी खा सकते हैं।
अंकुरित मेथी खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है साथ में मोटापा, दिल ��े जुड़ी बीमारियां, ब्लड प्रेशर और थायराइड जैसी तमाम बीमारियों से हमें निजात दिलाने में अंकुरित मेथी के दाने मदद करते हैं। अंकुरित मेथी खाने से हमारे शरीर के अंदर फोटोकेमिकल्स नाम के एक तत्व में इजाफा आता है जो बहुत फायदेमंद है। इस लेख को पढ़िए और अंकुरित मेथी के अनेक फायदों के बारे में जानिए।
आयुर्वेद में भी बताए गए हैं अनेक फायदे
आयुर्वेद के ज्ञाता यह बताते हैं कि मेथी वात और पित्त को खत्म करने में सक्षम है। आयुर्वेद के अनुसार मेथी पाचन क्रिया को बढ़ाता है और दिल के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखता है। कई शोध में यह पता चला है कि मेथी के अंदर मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, मैंगनीज, विटामिन बी6 और कई महत्वपूर्ण तत्व मौजूद रहते हैं जो बीमारियों से लड़ने के लिए हमारे शरीर को दुरुस्त बनाता है।
वजन कम करने में मेथी है कारगर
अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको अंकुरित मेथी जरूर खानी चाहिए। मेथी के अंदर गैलेक्टोमैनन मौजूद होता है जिसकी वजह से हंगर पैंग्स महसूस नहीं होते हैं। साथ ही मेथी के अंदर करीब 75 प्रतिशत फाइबर होता है जो पाचन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक है। मेथी का एक और फायदा है कि हमारे शरीर के अंदर इकट्ठा हो गए वसा को यह कम करता है। आपको हर सुबह खाली पेट अंकुरित मेथी जरूर खानी चाहिए इसके मदद से चर्बी कम होती है।
दिल के स्वास्थ्य के लिए है बहुत हितकारी
आपको बता दें कि अंकुरित मेथी खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक का रिस्क कम होता है। मेथी खाने से खून के अंदर मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स कम होता है जिसकी वजह से दिल से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को मेथी जरूर खानी चाहिए
अगर आप गर्भवती महिला हैं तो आपके लिए मेथी बहुत लाभदायक है। इस समय मेथी खाने से आपको बहुत सारे पोषक तत्व मिलते हैं जो आपके और आपके बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद है। अंकुरित मेथी में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आयरन प्रसव पीड़ा को कम करने में काफी लाभदायक साबित होता है साथ ही यह गर्भाशय के संकुचन को भी सुधारने में मदद करता है। मेथी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हर्बल गैलेक्टैगोगू की तरह पेश आता है।
डायबिटीज को रखता है नियंत्रण में
अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को डायबिटीज है तो अंकुरित मेथी का सेवन करना बहुत लाभदायक माना जाता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि मेथी खाने से ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है। उनकी मानें तो मेथी खाने से इंसुलिन बढ़ता है। कई शोधकर्ता यह बताते हैं कि अंकुरित मेथी को नियमित रूप से खाने में शुगर लेवल नियंत्रित हो सकता है। मेथी के अंदर एमिनो एसिड होता है जो डायबिटीज से पीड़ित लोगों के शरीर के अंदर इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता है।
मेथी खाएं, बालों को मजबूत बनाएं
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मेथी के दाने में प्र���टीन और निकोटीनिक नाम का एसिड पाया जाता है जो हमारे बालों को घना और मजबूत बनाते हैं। मेथी खाने का फायदा यह भी है कि यह हमारे बालों को जुंए और रूसी जैसी परेशानियों से दूर रखता है। अगर आपको यह परेशानी है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, एक कटोरी में थोड़ा-सा नारियल का दूध लीजिए और उसमें दो बड़े चम्मच मेथी के दाने डाल दीजिए। फिर पेस्ट बनाकर अपने बालों पर लगा लीजिए और 30 मिनट बाद धो लीजिए। बाल धोने के बाद आप यह देखेंगे की आपके बालों से जुंए और रूसी कम हो गई हैं।
https://kisansatta.com/sprouted-fenugreek-is-helpful-in-getting-rid-of-diabetes-and-reducing-weight/ #SproutedFenugreekIsHelpfulInGettingRidOfDiabetesAndReducingWeight Sprouted fenugreek is helpful in getting rid of diabetes and reducing weight Life #Life KISAN SATTA - सच का संकल्प
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प्रेग्नेंसी से जुड़े कुछ ऐसे मिथक जिनकी सच्चाई जानना आपके लिए जरूरी है!
दरअसल, हमारे समाज में गर्भवती महिलाओं को अपनी प्रेग्नेंसी की बात पहले 3 महीने तक छिपाकर और पेट ढक कर रखने की सलाह दी जाती हैं। मानना हैं कि अगर गर्भवती महिला का पेट किसी बाहरी इंसान ने देख लिया तो उसे नज़र लग सकती है। जो सिर्फ महज एक मिथ है जिनपर आंख बंद करके विश्वास करना गलत होगा। ऐसे ही कुछ और मिथ है जिनकी सच्चाई जानना आपके लिए भी जरूरी है…मिथक- बेली यानी पेट के शेप और साइज से पता चल सकता है कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की। माना जाता है कि अगर बेबी बंप नीचे की ओर झुका हुआ है तो लड़का होगा और अगर ऊपर की ओर उठा हुआ है तो इसका मतलब है कि लड़की होने वाली है। सच्चाई- ये झूठ है क्योंकि पेट की शेप आपके वास्तविक आकार, पेट की चर्बी और यूट्रेस के अंदर बेबी की पोजिशन पर निर्भर करता है।मिथक- प्रेग्नेंसी में अगर आपके चेहरे पर ग्लो है तो लड़की होने वाली है और अगर ग्लो नहीं है तो लड़का होगा। सच्चाई- यह झूठ है क्योंकि प्रेग्नेंट महिला का चेहरा दूसरे ट्राइमेस्टर के आते-आते ग्लो करने लगता है क्योंकि दूसरे ट्राइमेस्टर में मॉर्निंग सिकनेस खत्म सी हो जाती है। मां पहले से ज्यादा खाने-पीने लगती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है और ग्लो बढ़ता है। मिथक- अगर प्रेग्नेंट महिला के सीने में जलन हो तो होने वाले बच्चे के ढेर सारे बाल होते हैं।सच्चाई- सीने में जलन तब होती हैं जब पेट का खाना और एसिड फूड पाइप की ओर आने लगते हैं जिसे सीने में जलन करते है। मिथक- प्रेग्नेंट महिलाओं को कॉफी नहीं पीनी चाहिए। सच्चाई- अगर कॉफी कम मात्रा में पी जाए तो कोई नुकसान नहीं होगा इसलिए दिन में तीन कप से ज्यादा कॉफी नहीं पीनी चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा कॉफी बच्चे के वजन को घटा सकती है। मिथक- प्रेग्नेंसी में केसर और संतरा खाने से गर्भ में पल रहा बच्चा गोरा होता है। सच्चाई- बच्चे का रंग फल या सब्जी पर नहीं बल्कि आनुवांशिक गुणों पर निर्भर करता है। मिथक- घी या मक्खन खाने से डिलिवरी आसानी से होती है। मानना है कि घी खाने से गर्भाशय सिकुड़ता है। सच्चाई- नॉर्मल डिलीवरी में घी या मक्खन का कोई रोल नहीं है, ये तो बच्चे के आकार, साइज और पेल्विस के आकार पर निर्भर करता है।तो ये थे प्रेग्नेंसी से जुड़े मिथक जिनपर आंख मूंद कर भरोस कर लिया जाता है जबकि इनमें किसी ��रह की कोई सच्चाई नहीं है।
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प्रेगनेंसी के बाद वजन कम करने के उपाय
हमारा जीवन कठिनाइयों भरा होता है, जहां कोई ना कोई परेशानी लगी ही रहती है। अगर बात महिलाओं की जाए तो भी सजग रहते हुए भी स��स्या आ ही जाती है। ऐसा देखा जाता है कि महिलाओं के प्रेग्नेंट होने पर उनका वजन अचानक बढ़ जाता है जिससे बाद में महिल��ओं को वजन कम करने में बड़ी दिक्कतें होने लगती हैं।
ऐसे में हम आपकी मदद करेंगे ताकि आप प्रेगनेंसी के बाद अपना वजन आसानी से कम कर सके।
डिलीवरी के बाद क्यों बढ़ जाता है वजन?
कई बार ऐसा देखा जाता है कि प्रेग्नेंसी के समय वजन बढ़ता ही जाता है जिससे महिलाएं चिंतित होने लगती हैं। एक्सपर्ट की मानें तो ऐसे समय में हार्मोन का संतुलन बदलता रहता है।
जब भी महिलाएं प्रेग्नेंट होती है, तो बच्चे एवं खुद के पोषण को ध्यान रखते हुए खानपान की मात्रा बढ़ा दी जाती है। ऐसे में वजन बढ़ना लाजिमी हो जाता है। कई बार महिलाओं को प्रेगनेंसी में भी थायराइड की समस्या होती है और वजन बढ़ने का कारण बनती है। कई बार प्रेगनेंसी में बेहतर सेहत के लिए कई प्रकार की दवाइयां दी जाती है और यह भी वजन बढ़ने में बड़ा कारण बनती है।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
प्रेगनेंसी के बाद वजन कम करने के कारगर उपाय
प्रेगनेंसी के बाद महिलाएं चिंतित होने लगती हैं क्योंकि कुछ दिनों में उनका वजन बढ़ जाता है। ऐसे में हैरान परेशान नहीं बल्कि कुछ कारगर उपाय कर आप फायदा ले सकती हैं।
1) खानपान सही हो – महिलाएं वजन को लेकर इतना परेशान हो जाती है कि खाना भी सही तरीके से नहीं खाती हैं। ऐसा करने से आपकी परेशानी और भी बढ़ सकती है। ऐसे समय में आपको ऐसा खानपान लेना होगा जो आपको पूरा पोषण दे सके।
2) बेल्ट का उपयोग – आपने देखा होगा कि मोटापा कम करने के लिए लोग बेल्ट का उपयोग करते हैं ऐसे में आप भी इस बेल्ट का सहारा ले सकती हैं, जो पूर्ण रूप से सुरक्षित है और आसानी से मिल भी जाती है।
3) ज्यादा कैलोरी ना लेना – ऐसे समय में ऐसा खानपान ले, जो ज्यादा कैलोरी का ना हो। इसमें आप प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, कैल्शियम, फाइबर युक्त भोजन ले। यह सभी वजन कम करने में फायदेमंद है।
4) सही सामान की खरीदारी करें – कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि मार्केट जाते ही हम कई प्रकार के खाने का सामान देखकर खरीदारी कर लेते हैं। जो आपके लिए सही नहीं है। ऐसे में चॉकलेट, कुकीज ,कुकीज़, से दूर ही रहे तो बेहतर होगा।
5) खाना हो सही समय पर — इस बात का खास ख्याल रखें कि खाना सही समय पर खाएं। बहुत ज्यादा देर ना करें। सोने के 2 घंटे पहले खाना खाना ही बेहतर है।
6) तनाव से दूरी — कई बार ऐसा भी देखा गया है कि तनाव के कारण वजन बढ़ सकता है, ऐसे में किसी भी तनाव से बचें। ऐसा देखा गया है कि यह कहना आसान है लेकिन अगर आप चाहे तो एक बार कोशिश की जा सकती है।
7) स्नैक्स ले — अगर आपको ऐसा लगे कि भूख लग रही है तो थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। आप चाहे तो स्नैक्स के रूप में ओट्स, सूखे मेवे का सेवन कर सकत�� हैं।
8) ज्यादा पानी पिए — अगर आप ज्यादा पानी पिए तो फायदेमंद होगा। रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पी कर खुद को स्वस्थ भी रख सकते हैं।
9) चाय, कॉफी से दूरी — प्रेगनेंसी में वजन कम करने के लिए चाय, कॉफी से दूरी बना लेना ही फायदेमंद है। इनमें कैफीन होती है, जो वजन कम करने में बाधक है। अगर आप चाय, कॉफी पीने के शौकीन हैं तो ग्रीन टी पी सकते हैं।
डिलीवरी के बाद वजन कम करने के घरेलू उपाय
pregnancy ke baad vajan kam kaise kare | delivery ke baad vajan kam karne ka gharelu upay
अगर आप चाहे तो घरेलू उपाय से ही वजन कम किया जा सकता है जो सुरक्षित भी है और घर में रखी सामग्री से आप अपना काम कर सकते हैं।
1) नींबू और शहद – अगर आप खाली पेट नींबू का पानी गर्म करके और उसमें शहद डालकर पिए हैं, तो यह बहुत ही फायदेमंद हो जाएगा।
2) टमाटर – अगर टमाटर का सेवन किया जाए तो यह बेहतर होगा। टमाटर में लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन होता है, जो वजन कम करता है। इसमे प्राकृतिक शुगर पाई जाती है, जो किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं करती है।
3) लहसुन – अगर आप रोज सुबह खाली पेट कच्चे लहसुन की चार पांच कलियों को खाएं तो निश्चित रूप से वजन कम किया जा सकता है। शुरू में इसका स्वाद अजीब लगेगा पर बाद में ठीक हो जाता है।
4). ग्रीन टी – अगर आप ग्रीन टी का उपयोग करें तो बहुत ही फायदा करेगा और कुछ ही दिनों में आपका वजन कम हो जाएगा।
5) अजवाइन का पानी – अगर आप एक चम्मच अजवायन को पानी में डालकर गर्म कर लें और रोजाना पिए तो इससे भी बहुत ज्यादा फायदा होने वाला है।
प्रेगनेंसी के बाद वजन कम करने के कुछ मुख्य व्यायाम
प्रेगनेंसी के होने पर व्यायाम की सलाह दी जाती है लेकिन आप डिलीवरी के बाद भी व्यायाम करके आप वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
1) वॉकिंग – वजन कम करने का सबसे आसान उपाय वाकिंग है। अगर आपको समय मिले तो सुबह ताजी हवा में कम से कम आधे घंटे तक वॉकिंग करें इससे आपको फायदा होगा वजन कम करने में।
2) सिटअप्स – अगर आप नियमित रूप से सिटअप्स करते हैं, तो निश्चित रूप से आपका वजन कम होगा। इसके लिए जमीन पर लेट जाए। इसके बाद अपने दोनों हाथों को गर्दन के पीछे ले जाएं और धीरे-धीरे सिर को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें।अगर आप बार-बार दोहराती है, तो अतिरिक्त वसा बढ़ नहीं पाती है।
3) स्विमिंग – अगर आप वजन कम करने की इच्छुक हैं, तो प्रेगनेंसी के बाद स्विमिंग आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके लिए आप अपने समयानुसार स्विमिंग कर आनंद ले सकती हैं।
4) स्टेचिंग – वजन कम करने के लिए इसे भी कारगर माना गया है। इसमें आप पीठ के बल लेट जाएं । उसके बाद अपने घुटनों को धीरे धीरे मोड़े। ऐसा करते समय पीठ एकदम सीधी होनी चाहिए। शुरुआत में इसे बहुत ज्यादा देर तक नहीं करें तो बेहतर होगा।
5) बेली बीथिंग – इसे करना बहुत ही आसान है। इसमें आपको पीठ के बल लेटना होगा और अपने हाथों को पेट में रखे। जैसे सांस ले तो आप देखेंगे पेट बाहर आएगा और ��ांस होने पर पेट को अंदर खींच ले। फिर से सांस रोकते हुए या व्यायाम करें यह भी आपके लिए फायदेमंद है।
अच्छा होगा यदि शुरुआत में आप किसी विशेषज्ञ से सलाह ले ले।
वजन कम करने हेतु क्या नहीं करना चाहिए
कई बार महिलाएं वजन कम करने की होड़ में कुछ गलतियां कर बैठती हैं, तो आपको इन गलतियों से बचना होगा।
1) कई बार महिलाएं अपना खाना पीना छोड़ने लगती हैं। यह तो बिल्कुल गलत है जब तक आपका पोषण सही नहीं होगा, तब तक बच्चे का पोषण सही से नहीं हो पाएगा। इससे बच्चे की सेहत पर बुरा असर होगा।
2) कुछ महिलाएं ऐसा सोचती है कि उपवास करने से वजन कम हो जाएगा लेकिन यदि आपकी कुछ दिनों पहले ही डिलीवरी हुई हो, तो उपवास बिल्कुल ना करें इससे बच्चे की सेहत पर असर पड़ेगा सबसे ज्यादा जरूरी बच्चे की सेहत है, उस पर ध्यान दें।
3) ऐसे समय में आपके बच्चे को आपके दूध की परम आवश्यकता है। ऐसे में बच्चे को दूध नियमित रूप से दें किसी भी प्रकार की कोताही ना बरतें।
4) आपने अखबार पत्र व विज्ञापनों में वजन कम करने के लिए कई प्रकार की दवाइयों की जानकारी देखी होगी तो इस प्रकार के विज्ञापनों से दूर ही रहे और सही निर्णय लें।
डिलीवरी के बाद वजन कम करना क्यों है जरूरी
डिलीवरी के बाद कई महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और उसे कम करने की जद्दोजहद शुरू होती है लेकिन यह भी देखा गया है कि डिलीवरी के बाद वजन कम करना जरूरी है क्योंकि बाद में कई प्रकार की समस्याएं घिर सकती हैं, जो बच्चे के लिए भी घातक हो सकता है ऐसे में पूरा ध्यान बच्चे पर दें।
व���न कम करना है एक चुनौती
वजन कम करना एक हमेशा से ही चुनौती होती है और अगर प्रेगनेंसी के बाद वजन कम करना हो, तो यह और भी मुश्किल काम नजर आता है। बच्चे के साथ वजन कम करना थका देने वाला काम है। ऐसे में अगर सही पोषण पर ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से यह आपके और बच्चे के लिए फायदेमंद होने वाला है। ऐसे में अगर आप किसी भरोसेमंद व्यक्ति या अपने पार्टनर से मदद लें तो भी फायदेमंद होगा। ऐसे में खुश रहे और धीरे-धीरे वजन कम करने की कोशिश करें ज्यादा परेशान ना ही रहे।
प्रेगनेंसी में इम्यूनिटी पावर कैसे बढ़ाए
सिजेरियन के बाद कैसे करें वजन कम
सिजेरियन डिलीवरी होने से कई प्रकार की समस्याएं देखी जा सकती हैं उनमें से एक वजन की भी समस्या है। इस समय आप एकदम से वजन कम करने के बारे में न सोचे। कुछ दिनों बाद ही वजन कम करना सही होगा। इस समय आपको खुद का ध्यान देने की आवश्यकता है। कुछ आसान उपाय करके इस समय आप अपना वजन कम कर सकती हैं
1) स्तनपान – स्तनपान. किसी भी मां के लिए सबसे अच्छा तरीका है। अपना वजन कम करने का स्तनपान कराने से बच्चे को भी सही पोषण मिल जाता है। जब भी स्तनपान कराया जाता है तो उसमें लगभग 500 कैलोरी खर्च होती है और इससे पेट की चर्बी को भी कम किया जा सकता है। इसे करना आसान भी है।
2) खूब पानी पिए – रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिए जो शरीर के लिए फायदेमंद है। यह अतिरिक्त वसा को दूर करने का भी काम करता है।
3) ��मेशा कैलोरी पर ध्यान दें – वजन कम करने की जद्दोजहद में कैलोरी पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। सही तरीके से नाश्त��, खाना, मेवे, दही ही लिया जाए तो सही रहेगा। कोशिश करना चाहिए कि ऐसे समय में कैलोरी बहुत ज्यादा भी कम ना हो सके नहीं तो ऐसे में दिक्कत हो जाएगी।
निष्कर्ष
इसमें से हमने देखा कि प्रेगनेंसी के बाद वजन कम करना थोड़ा मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। इस बात का विशेष ध्यान रखें और बच्चे का भी ध्यान रखें। बहुत जरूरी है कि ऐसे समय में खुश रहे तभी बच्चा सही विकास कर पाएगा।
आपके आने वाले भविष्य के लिए शुभकामनाएं एवं हमारा लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/pregnancy-ke-baad-vajan-kam-karne-ke-upay/
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एरण्ड के तेल के वारे मे अरंडी का नाम सुनकर समझ में आने वाली असुविधा हो सकती है लेकिन आपकी सुविधा के लिए, जब मैं ये नाम कहता हूं तब तक आप उसे पहचान लोगे क्योंकि अरंडी का तेल या अरंडी का तेल सभी नाम से जाना जाता है अपने आयुर्वेदिक गुणों के कारण, अरंडी। का उपयोग सदियों से कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जा रहा है। अरंडी का तेल लाभ कैस्टर के पत्ते, बीज, जड़, फूल और उन्हें निकाले गए तेल का उपयोग उपचार के रूप में किया जाता है, आमतौर पर अरंडी का उपयोग आंखों की समस्याओं, बवासीर, खांसी, पेट दर्द जैसी समस्याओं के लिए किया जाता है। आइए आगे जानते हैं जातियों के बारे में विस्तार से एरंड क्या होता है ( क्या है हिन्दी में Arandi ) अरंडी से बने अरंडी का तेल या अरंडी का तेल आमतौर पर एक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। अरंडी के तेल का इस्तेमाल लगभग हर बीमारी में किया जाता है। कैस्टर ऑयल का उपयोग न केवल त्वचा की स्थिति, बल्कि पेट और महिलाओं से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। अन्य भाषाओं में एरंड का नाम (का नाम Arandi अलग अलग भाषाओं में हिन्दी में) एरंड का वानास्पतिक नाम ricinus communis एल (रिसिनस कॉम्युनिस) है और ये Euphorbiaceae (युफोर्बिएसी) कुल का होता है। ये यूफोरबिएसी (युफोर्बियासी) कुल का है और अंग्रेजी में इसको कैस्टर-ऑयल प्लांट (कैस्टर ऑयल प्लान्ट) कहते हैं। लेकिन भारत में अन्य प्रांतों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। जैसे- Sanskrit- एरण्ड, आमण्ड, चित्र, गन्धर्वहस्तक, पञ्चाङ्गुल, वर्धमान, दीर्घदण्ड, वातारि, उरुबक, चित्रबीज, उत्तानपत्रक, व्याघपुच्छ; हिंदी- अरंड, एरंड, एरंडी, रेंडेरी; एरंडी का औषधीय गुण (औषधीय गुणों की आरंडी हिंदी में) अरंडी का तेल एक सुरक्षित रेचक है। यह कुष्ठ रोग के लिए एक अत्यंत उपयोगी औषधि है और यह एक अच्छा गाउट भी है। यह गाउट के कारण होने वाली कब्ज और गाउट के लिए थोड़ी मात्रा में दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है , सर्दी, ठंड और ठंड में लोगों के रोग, एरंडपैक के उपयोग से मल बिना गायब हो जाता है, जिससे रोगी को उपरोक्त रोग हो सकते हैं से होने वाली दैनिक पीड़ा से राहत मिलती है। दवाओं के अलावा, यह भोजन के रूप में भी काम क��ता है। अरंडी बलगम और वात को कम करती है, पित्त को बढ़ाती है, सूजन और दर्द को कम करती है, एंटीपीयरेटिक एक कीटनाशक, कीटनाशक, expectorant, मूत्रवर्धक, वीर्य, गर्भाशय क्लीन्ज़र, कुष्ठ और लिन है। अरंडी का तेल या अरंडी का तेल रिफाइनरी, त्वचा के लिए फायदेमंद है, खंडीय है और खांसी को कम करता है। एरंड के फायदे (अरंडी) उपयोग और लाभ) कैस्टर में इतने गुण होते हैं कि इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। तो आइए नजर डालते हैं कि किन बीमारियों के लिए किया जाता है। नेत्र रोग के लिए फायदेमंद कैस्टर ऑयल (Castor oil Benefits in Eye Disease in Hindi) अरंडी का तेल हिंदी में अरंडी के तेल की 2 बूंदे आँखों में डालने से आँखों के विकार दूर होते हैं, फंगल रोग में तीक्ष्णता भी होती है। अरंडी के पत्तों को जौ के आटे के साथ पीसकर, इसकी लेप बनाकर आंखों पर बांधने से पित्त के कारण होने वाली सूजन कम होती है। और पुनः आंखों के संक्रमण (इंफेक्शन) के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार खाँसी से दिलाये राहत एरंडी (अरंडी पत्ते से लाभ मिलता है खाँ से राहत पाने के लिए हिंदी में) 500 मिलीग्राम अरंडी के पत्तों को 3 मिलीलीटर तेल और बराबर भाग गन्ने के रस के साथ चाटने से खांसी ठीक हो जाती है। उदर-विकार में लाभकारी एरंडी (अरंडी का पौधा पेट की समस्या से राहत पाने में मदद करता है) में में) अरंडी के बीजों को पीसकर गाय के दूध में चार बार पकाएं, जब यह खो गया (मावा) जैसा हो तो इसमें 2 भाग गुड़ या शकर मिलाएं और अवलेह बनाएं। रोज 10 ग्राम खाने से पेट की बीमारियों स��� राहत मिलती है पुराने पेट दर्द के लिए, एक नींबू का रस और अरंडी के तेल की 5-10 बूंदें 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी में रात को सोने से पहले पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है। । प्रवाहिका या पेचिश से राहत पाने में मदद करेगा एरंडी ( हिंदी में डायसेंट्रिक में अरंडी फायदेमंद) यदि एमओ और रक्त अन्नप्रणाली में गिरता है, तो शुरुआत में 10 मिलीलीटर अरंडी का तेल पीने से आम का क्षरण कम होगा और रक्त का बहाव भी कम होगा। और पढ़ें - बाबासीर मे मूली के फायदे एपेन्डिसाइटिस से दिलाये राहत अरंडी का तेल (Arandi Oil Help to Cure Appendicitis in Hindi) इस बीमारी के दर्द चरणों में, रोजाना 5 से 10 मिलीलीटर अरंडी का तेल देना आवश्यक नहीं है। कृमि से निजात दिलाये अरंडी के पत्ते (Arandi Leaves Benefit to Get Relief to Worms in Hindi) पेट की चर्बी करे कम अरंडी का तेल (Arandi Plant Beneficial in Weight Loss in Hindi) पेट की चर्बी 20 से 50 ग्राम हरी अरंडी की जड़ को धो लें और इसे पीसकर 200 मिलीलीटर पानी में उबालें और शेष 50 मिला पर पियें, इससे पेट की चर्बी कम होगी। पम्स के कष्ट से दिलाये राहत अरंडी (Arandi Leaves for Piles in Hindi) 20-30 मिलीलीटर अरंडी के पत्तों के काढ़े में 15 ��िलीलीटर एलोवेरा को मिलाकर सुबह के समय पीने से बवासीर में होता है। और पढ़ें: मस्सों के लिए कैस्टर ऑयल (Castor Oil Benefits in Warts in Hindi) अरंडी का तेल और अरंडी का तेल अरंडी के तेल और एलोवेरा को मिलाकर हिंदी में फायदा करता है पीलिया में फायदेमंद अरंडी का तेल (Arandi Oil Beneficial in Jaundice in Hindi) यदि गर्भवती महिला को कमला हो जाए और उसे प्रारंभिक अवस्था हो, तो उसे कमला में पांच दिनों तक 5-10 मिली लीटर लेपटोन देने से लाभ होता है और सूजन भी गायब हो जाती है। ५ मिली अरंडी पत्र सिरप, ५०० मिलीग्राम पेपरिका पाउडर या दूध देने से लाभ होता है। कमला में -6 मिली अरंडी की जड़ में 250 मिली दूध मिलाकर पीने से लाभ होता है। कमला मेंगारर के 20-30 मिलीलीटर में दो चम्मच शहद सहित पीने से लाभ होता है और पढ़ें - बछचो की खासी के लिए किडनी की सूजन को कम करें अंरडी का तेल (अरण्डी का पौधा हिंदी में गुर्दे की सूजन से राहत पाने में मदद करता है) अरंडी के बीजों को पीसकर, पेट के उदर भाग में गर्म द्वारा लगाने से रीढ़ की शूल और सूजन से राहत मिलती है ब्रेस्ट के ग्लैंड को कम करें अरंडी (अरण्डी लाभ हिंदी में स्तन ग्रंथि सूजन की पीड़ा से इलाज पाने के लिए) जब दूध किसी महिला के स्तनों से नहीं निकलता है और स्तन में गांठ होती है। फिर 500 ग्राम अरंडी के पत्तों को 20 लीटर पानी में एक घंटे के लिए उबालें और 15-20 मिनट के लिए शरीर के स्तनों पर गुनगुना पानी डालें अरंडी के तेल की मालिश करें और स्तनों पर उबले हुए पत्तों के घुमावक करें। गांठें पक जाती हैं और दूध का प्रवाह फिर से शुरू हो जाता है खजूर का तेल कम अरंडी का तेल (Castor Oil Help to Get Relief to Delivery Pain in Hindi) प्रसव के दौरान दर्द को कम करने के लिए, गर्भवती महिलाओं को 15 महीने बाद 15 दिनों के बाद अरंडी का तेल हल्का जुलाब देना प्रसव के समय, चाय या दूध के साथ अरंडी की 25 मिली को मिलाकर पीने से तुरंत प्रसव होता है यूटेरस का सूजन कम अरंडी का तेल (Arandi Oil Help to Cure Uterus Inflammation in Hindi) कॉटन स्वैब को हिंदी अरंडी के तेल में भिगोकर योनि में पहनने से योनि दर्द में आराम मिलेगा। -गर्भाशय-शोथ प्राथमिकता पीड़ित पश्चात होता है। इसमें रुग्ण को बहुत तेज ज्वर होता है। ऐसी अवस्थाओं में एरंड के पत्तों ( कैस्टर इन हिंदी) के वत्रपूत स्वरस में शुद्ध रूई का फाहा भिगोकर योनि में रखने से लाभ होता है। मासिक विकार की समस्या से राहतये निजात संबंधी एरंड के टुकड़े (अरंडी पत्तियां हिंदी में पीरियड प्रॉब्लम से निपटने में मदद करती हैं) पीड़ा - धर्म में पीड़ा गर्म करने के बाद पेट पर अरंडी के पत्तों को बांधने से मासिक धर्म के विकारों से राहत मिलती है यदि मासिक धर्म के दौरान दर्द दर्दनाक है, तो यह घरेलू उपाय बहुत उपयोगी है। और पढ़ें - बाल बढाने के लिए साइटिका का दर्द कम एरंड (हिंदी में अरंडी लाभकारी) 10 ग्राम अरंडी के बीजों को दूध में उबालें, खीर बनाएं और उसे पोषण दें, इससे पेट की खराबी और गठिया से राहत मिलेगी और कब्ज से राहत मिलेगी (अरंडी का तेल हिंदी में)। अंरडी का तेल अर्थराइटिस का दर्द कम अरंडी का तेल (Arandi Oil Benefit to Treat Arthritis in Hindi) अरंडी और मेंहदी के पत्तों को पीसकर इंफ क्षेत्र पर लगाएं, गाउट को दबाएं। एक गिलास दूध में 10 मिलीलीटर अरंडी का तेल मिलाकर सेवन करना रोगी के लिए फायदेमंद होता है। अरंडी के बीज को पीसकर जोन्स पर लेप करने से जोड़ों की सूजन और गठिया समाप्त हो जाता है। कटिस्नायुशुल, गोनोरिया, लेटरल कोलिक, कार्डियक कोलिक, बलगम, गठिया और गठिया इन सभी रोगों में 10 ग्राम अरंडी की जड़ और 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण सहित उबालकर सेवन करना चाहिए, और दर्द के स्थान पर अरंडी के तेल की मालिश करनी चाहिए। और पढ़ें : दमा मे राहत पाने के लिए न्यूरोजिकॉल घाव को कम एरंडी के टुकड़ों (Arandi Leaf Beneficial in Neuralgic Wounds in Hindi) श्याम अरंडी के पत्तों को पीसकर लगाने से नाड़ी की शुद्धि और राशन होता है (अरंडी का तेल हिंदी में) बिस्तर सोर में लाभकारी अरंडी का तेल (Castor oil Help to Treat Bedores in Hindi) अरंडी का तेल हिंदी में लगाने से बेडसोर या बेडोरस से राहत मिलती है। बिस्तर सोन्स को कैसे ठीक करें स्किन डिजीज में लाभकारी एरंड (अरंडी फायदेमंद त्वचा रोगों में हिंदी में) 20 ग्राम अरंडी की जड़ को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें, काढ़ा बनाएं और इसे 100 मिलीलीटर छोड़ने के बाद पी लें, यह त्वचा की स्थिति में फायदेमंद है। सूजन को कम करता है एरंडी के टुकड़े (Arandi Leaves Benefits to Treat Inflammation in Hindi) अरंडी के पत्तों को पीसकर, अरंडी का तेल हिंदी में फायदेमंद है। और पढ़ें - मूत्र संबंधी समस्या गोरेपन के लिए अरंडी तेल लाभकारी (Castor Oil Beneficial for Fairness in Hindi) अरंडी के तेल में स्खलन के कारण, यह त्वचा की प्राकृतिक चमक या गोरापन बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए, त्वचा को बेहतर बनाने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग फायदेमंद है। कील-मुहासों को दूर करे रीठा का तेल (Castor Oil Beneficial to Get Rid to Pimples in Hindi) माना जाता है कि कील मुहासों का कारण आमतौर पर पित्त या कफ दोष का अनुकरणीय होता है। ऐसी स्थिति में, कैस्टर के expectorant और कसैले गुणों के कारण, इस स्थिति में लाभ देता है, यह एक तेल है, इसलिए राशि कम होनी चाहिए। फटे होंठो को श्याम करने में अरंडी का तेल उपयोगी (Castor Oil Beneficial to Treat Cracked Lips in Hindi) होंठ फटने का कारण वात दोष का असंतुलन है जो खुरदरापन या सूखापन का कारण बनता है। अरंडी का तेल होठों की शुष्कता को कम कर सकता है क्योंकि इसमें वात सुखदायक और बाल्समिक गुण होते हैं। झूठों को दूर करने में सहायक रायड़ी का तेल (हिंदी में पिगमेंटेशन के लिए कैस्टर ऑयल का लाभ) अरंडी के तेल के बालामिक गुण भी झाड़ी को दूर रखने में मदद कर सकते हैं। डैंड्रफ या रूसी को दूर करने में अरंडी लाभकारी (Castor Beneficial to Treat Dandruff in Hindi) सैंड तेल धब्बे और झाई को हल्का करने के लिए उपयोगी है। डैंड्रफ की समस्या रूसी का मुख्य कारण सिर पर दाने की उपस्थिति है, अर्थात वात दोष में वृद्धि। ऐसी स्थिति में अरंडी के तेल में पाए जाने वाले वात शांत और बलगम के गुणों की मदद से इसे इस स्थिति में भी लिया जा रहा है।]] विषनाशक एरंड के पत्ते (Arandi Leaves Help to Reduce Poison Effect in Hindi) अरंडी पत्र सिरप के 30-50 मिलीलीटर पीने और सांप के काटने और बिच्छू से संबंधित दर्द, दर्द आदि के विषाक्त प्रभाव को कम करता है। 10-15 ग्राम अरंडी के फल को पीसकर और छानकर अफीम का जहर निकाल दिया जाता है। एरण्ड का सेवन करने के दुष्परिणाम (के दुष्प्रभाव Arandi हिन्दी में) एरंड का सेवन कैसे करना चाहिए ( सेवन कैसे Arandi हिन्दी में) आयुर्वेद में, औषधि के लिए अरंडी, पत्र, फूल, बीज और तेल (अरंडी का तेल) की उत्पत्ति का उपयोग किया जाता है। डॉ की सलाह के अनुसार, अरंडी के बीज का 2-6, 10-20 मिलीलीटर तेल, 20-40 मिलीलीटर काढ��े, 2-4 ग्राम पाउडर का सेवन किया जा सकता है। एरंड कहां पाया और उगाया जाता है ( है कहाँ Arandi मिले या उगाया जाता है हिन्दी में) इसका एक छोटा पेड़ या पाल है। बीजों के बीजों से प्राप्त तेल। कैस्टर रक्त और सफेद दो प्रकार के होते हैं। जिन पेड़ों के बीज बड़े होते हैं उनका तेल जलने के लिए उपयोग किया जाता है, और जिनके बीज छोटे होते हैं, तेल का उपयोग दवा में किया जाता है। इसके अलावा, पैटरैंड का उपयोग दवाओं के लिए भी किया जाता है।
https://www.maikpurhardoi.blogspot.com
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कॉफ़ी और उसपे की गयी रिसर्च -
ये टाइटल सुनके हो सकता है आप चौके लेकिन ये बात सच है और कई रिसर्च में ये बात पता चला है की जो भी महिलाये रोज 2 या 3 काफी रोज पीती है |उनके पेट की चर्बी और शरीर की चर्बी की मात्रा काफी न पीने वालो से कम होती है | ये भी बताया गया है की कॉफ़ी में कुछ ऐसे कम्पाउंड्स या गुण है जो मोटापा को कम करते है |अमेरिका की सेण्टर फॉर डिजीज कण्ट्रोल ने एक प्रयोग किया जिसमे लोगों पर अध्ययन किया गया |रोज़ाना कितने कप कॉफ़ी पी गयी और बेली फैट की प्रतिशत एक दूसरे में सम्बन्ध क्या ये जानने की कोशिश की गयी |
अध्ययन में क्या मिला -
ये देखा गया की 20 से 44 साल की महिलाओं है जो रोज़ाना 2 या 3 कप काफी पीती है उनके मोटापे के स्तर उस उम्र के बीच कॉफ़ी न पीने वाली महिलाओं के अपेक्षा 3.4 % कम था |वही जो भी महिलाए 45 से 69 साल के बीच रोज़ाना 4 काफी पी रही थी उनका भी मोटापे का स्तर काफी न पीने वाली इस उम्र की महिलाओं से 4.1 प्रतिशत कम था |इसका साफ़ मतलब है की महिलाओं की कोई भी उम्र हो लेकिन काफी पीने वाली महिलाओं को टोटल बॉडी फैट परसेंटेज औसतन 2.8 प्रतिशत कमी देखने को मिली |ये भी देखने को मिला की जो भी नतीजे आये चाहे महिलाओं ने कैफीन की काफी पी हो या सामान्य काफी नतीजे पर कोई फर्क नहीं पड़ता |
पुरषों में मोटापे के स्तर पर ज्यादा प्रभाव नहीं डालती कॉफ़ी ?
अध्ययन में ये भी पाया गया की कॉफ़ी महिलाओं की तुलना में पुरषों को कम फायदा करती है | 20 से 44 साल के बीच जिन पुरषों ने रोज़ाना 2 से 3 काफी पी और जिन पुरषों ने कॉफ़ी नहीं पी उनके अपेक्षा रोज़ काफी पीने वाले शरीर की कुल चर्बी में 1.3 प्रतिशत कमी और पेट की चर्बी 1.8 की कमी थी |इसलिए महिलाओं को तो कॉफ़ी जरूर पीनी चाहिए |
कॉफ़ी में कौन से गुण है जो मोटापे कम करते है ?
मोटापे से आज दुनिया परेशान है |नये-नये उत्पाद बाजार में है | कोई कहता है संतुलित आहार ले और कोई कहता है कसरत करे |कोई कहता कोई डाइट करे | लेकिन कॉफ़ी में भी ऐसे कंपाउंड आते है |जो मोटापे को कम करता है |क्योकि कॉफ़ी में कैफीन के आलावा भी बायोएक्टिव कम्पाउंड्स पाए जाते है जो वजन को नियंत्रित करता है |जिसका इस्तेमाल एंटी -ओबेसिटी कम्पाउंड्स के तत्त्व पर किया जाता है |इसका ये असर है कॉफ़ी के इन इनग्रेंडेण्ट्स स्वस्थ आहार में जोड़ा जाया जिससे मोटापे के बोझ को कम किया जा सकता है |कॉफ़ी पीने से कई बिमारियों में भी फायदा होता है और तुरंत एनर्जी मिलती है |
कॉफ़ी से और कौन -कौन सी बीमारी दूर होती है-
इससे टाइप 2 की डाइबिटीज़ का खतरा कम होता है |एल्ज़ीमर्स और पार्किंसन जैसी बीमारी में भी बहुत सहायक होता है |शारीरिक परफॉरमेंस को बेहतर करने में इसका योगदान होता है |कॉफ़ी तभी फायदेमंद है जब इसको लिमिट में पिए |कॉफ़ी ज्यादा पीने से अनिंद्रा , बेचैनी , दिल की धड़कन बढ़ना पाचन शक्ति को कम करती है |तनाव को भी कम करती है |लेकिन कसरत का और संतुलित डाइट और बेहतर नींद से अचूक मोटापे का कोई इलाज नहीं है |
#सेण्टर फॉर डिजीज कण्ट्रोल#ससंतुलितआहार#संतुलितडाइट#शरीरकीचर्बी#शारीरिकपरफॉरमें#Bvitamins#caffeine#coffeebenefits#magnesium#riboflavin#slimbody#एंटी -ओबेसिटीकम्पाउंड्स#एल्ज़ीमर्स#काफीकेफायदे#कैफीन#कॉफ़ी#कॉफ़ीकेइनइनग्रेंडेण्ट्स#कॉफ़ीकेफायदे#कॉफ़ीतभीफायदेमंद#कॉफ़ीशॉप#टाइप2कीडाइबिटीज़काखतरा#दिलकीधड़कनबढ़ना#पार्किंसन#पेटकीचर्बी#बायोएक्टिवकम्पाउंड्स#मोटापाकोकमकरते#मोटापेकाकोईइलाज#मोटापेकोकैसेकमकरे
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एशिया की सबसे वजनी महिला ने चार महीने में घटाया 214 किलो वजन, अब दिखती हैं ऐसी
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चैतन्य भारत न्यूज एशिया की सबसे मोटी महिला कही जाने वाली अमिता राजानी ने चार साल में अपना 214 किलोग्राम वजन घटाकर चौंकाने वाला कारनामा कर दिखाया है। 42 वर्षीय अमिता महराष्ट्र के पालघर की रहने वाली हैं। पहले अमिता का वजन करीब तीन सौ किलोग्राम से ज्यादा था। बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद अमिता का वजन 300 से घटकर 86 किलोग्राम हो गया है। इसकी घोषणा डाॅ. शशांक शाह ने की है। उन्होंने बताया कि, चार साल में अमिता की दो चरणों में सर्जरी हुई है जिसके बाद उनका इतना वजन घटा है।
अमिता को कोई पैदाइशी बीमारी नहीं थी। वह एक सामान्य बच्चे की तरह ही पैदा हुईं थीं। जन्म के समय अमिता का वजन तीन किलो था। लेकिन जब वह छह साल की हुईं तो अचानक उनका वजन बढ़ने लगा और 16 साल की होते-होते उसका वजन 126 किलो हो गया था। अमिता के बढ़ते हुए वजन को देख घरवालों की चिंता बढ़ गई। फिर उन्होंने देश और दुनिया के कई बड़े डॉक्टरों से संपर्क किया। अमिता ने कई डॉक्टरों से इलाज भी कराया लेकिन इसका उनपर कोई असर नहीं हुआ। धीरे-धीरे उन्हें रोजाना के काम करने में दिक्कत होने लगी। ज्यादा वजन के कारण अमिता को चलने-फिरने में भी दिक्कत होने लगी थी। इतना ही नहीं बल्कि उनकी शारीरिक क्रियाएं बिलकुल बंद हो गई थी। इस चक्कर में अमिता ने घर से निकलना छोड़ दिया।
फिर अमिता का इलाज मुंबई के बांद्रा स्थित लीलावती अस्पताल में लैपराओबेसो सेंटर के संस्थापक शशांक शाह ने किया। उन्होंने तो जैसे अमिता की जिंदगी ही बदल दी। डॉ. शाह ने कहा कि, पहली बार अमिता उनके पास साल 2015 में आई थी। उन्हें सुपर मॉर्बिड ओबेसिटी के साथ ही और भी कई बीमारियां हो गई थी। तमाम जांचों के बाद अमिता की सर्जरी करने का फैसला लिया गया। अमिता को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस में सोफा लगाना पड़ा था। अस्पताल में अमिता के लिए एक खास बेड का इंतजाम किया गया। अमिता की दो बार सर्जरी हुई। पहली 'मेटाबॉलिक सर्जरी' 2015 में हुई और दूसरी 'गैस्ट्रिक बाईपास' 2017 में हुई। सर्जरी के बाद उनका वजन कम होने लगा और अब उनका वजन 86 किलो हो गया है। सर्जरी के बाद अमिता को किडनी, ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज जैसी बीमारियों से भी मुक्ति मिल गई है। डॉ. शाह के मुताबिक, फिलहाल अमिता का नाम 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है।
डॉ. शाह ने बताया कि, बदलते पर्यावरण के प्रभाव से लोगों का वजन बढ़ रहा है। पहले हमारे देश में हर पांचवा व्यक्ति मोटापे से पीड़ित था लेकिन अब यह बीमारी हर तीसरे व्यक्ति को होने लगी है। मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखी जाती है। महिलाओं में मोटापे के कारण प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज आदि होते हैं। वहीं पुरुषों में पेट के ऊपर चर्बी जमने की शिकायतें ज्यादा देखने को मिलते हैं। मोटापे के कारण कलेस्ट्रॉल, डायबीटीज और दिल के ज��ड़ी तमाम बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। क्या है बेरियाट्रिक सर्जरी वैसे तो वजन घटाने के कई सारे तरीके होते हैं, लेकिन अगर कोई सबसे आसान तरीका है तो वह है बेरियाट्रिक सर्जरी। इस सर्जरी के जरिए वजन तेजी से कम किया जा सकता है। बेरियाट्रिक सर्जरी तीन तरह की होती है- 'लैप बैंड', 'स्लीव गैस्ट्रीकटोमी' और 'गैस्ट्रीक बाइपास' सर्जरी। लैप बैंड सर्जरी कराने के बाद व्यक्ति की खाने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। स्लीव गैस्ट्रीक्टोमी से हर हफ्ते डेढ़ से दो किलो वजन कम होना शुरू हो जाता है। तीसरी गैस्ट्रीक बाइपास सर्जरी में पेट को बांटकर गेंद के आकार का बनाकर छोड़ दिया जाता है। इस सर्जरी के बाद भूख बढ़ाने वाला 'ग्रेहलीन' हार्मोन बनना बंद हो जाता और खाना भी देर से पचता है। इस सर्जरी के जरिए शरीर में जो भी फैट जमा है वह एनर्जी के रूप में बाहर आ जाता है। ऐसे में वजन तेजी से कम होना शुरू हो जाता है। Read the full article
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प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहायता करते हैं ये योगासन
महिलाओं में प्रजनन की क्षमता तनाव और चिंता के कारण कम हो सकता है। यही वजह की वो मां बनने के सुख से वंचित रह जाती हैं। कई तरह के ट्रीटमेंट के साथ ही सही तरह से खानपान और जीवनशैली की सहयता से भी इस दिक्कत से निवारण मिल सकता है। योग प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। शोध में भी इस बात का दावा किया जाता है। जानिए किन योगासनों की मदद से प्रजनन क्षमता बढ़ाने में सहयता मिलती है।
ये करे बद्ध कोणासन:-
इस बद्ध कोणासन को करने से शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। बटरफ्लाई पोजीशन के नाम से जाना जाने वाला ये योगासन घुटनों से लेकर हिप्स तक की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है। जो महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।
योगासन:-
रोजाना सांस से संबंधित इस आसन को करने से मन को शांति और सुकून रहता है। जिसकी वजह से तनाव दूर होता है और मां बनने की संभावना में बढ़ जाती है।
इस तरह करे बालासन:-
बालासन यानी चाइल्ड पोज, रोजाना खाली पेट सुबह इस आसन का रोजाना तमाम बीमारियों में आराम देता है। साथ ही बालासन महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने में भी सहायता करता है।
ये तरीका है शवासन करने का :-
शवासन शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है। जिसकी मदद से उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसी बीमारियों को दूर करता है। इस आसान को नियमित अभ्यास मानसिक शांति प्रदान करता है | बिना कारण क्रोध और निराशा को दूर कर ऊर्जा का संचार करने में मदद करता है।
वज्रासन इस तरह करे:-
वज्रासन करने से शरीर मजबूत और स्वस्थ रहता है। रोजाना वज्रासन किया जाए तो पाचन तंत्र स्ट्रांग होता है और पूरे शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से होने लगता है।
ऐसे करे पश्चिमोत्तासन:-
पश्चिमोत्तासन का अभ्यास सभी लोगों को करना चाहिए है। इस आसन को करने से जहां पेट के आसपास जमा चर्बी दूर होती है और पाचन मजबूत होता है। वहीं पुरुषों में इस आसन को करने से अनेक फायदे देखने को मिलते हैं। जिसकी मदद से इनमें हार्मोंस की गड़बड़ी दूर होती है और सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है।
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