#मंगलेश डबराल
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nehalnv · 2 years ago
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अधूरी कविता : मंगलेश डबराल
अधूरी कविता जो कविताएँ लिख ली गई उन्हें लिखना आसान था अधूरी कविताओं को पूरा करना था कठिन वे एक आग में जल रही थीं जंगलों की तरह वे निगल लेती थीं सब कुछ उनकी चिनगारियों से डर लगता था वे ग़ुस्सैल थीं टेढ़ी-तिरछी उन्हें रास्ते पर लाना कठिन था सर्द रात में पुलों के नीचे वे कोहरे की तरह इकट्ठा होती थीं पुलों से गुज़र जाते थे लोग अपने तामझाम के साथ वे जिन काग़ज़ों पर लिखी जाती थीं उन्हें फाड़ देती…
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niramish · 4 years ago
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पुनर्रचनाएँ - मंगलेश डबराल
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इस तरह मैंने तुम्हारी कल्पना की ताकि दुख से उबरने के लिए प्रार्थनाएँ न करनी पड़ें मैंने तुम्हारी कल्पना की ताकि नी��द के लिए अँधेरे की कामना न करनी पड़े मैंने तुम्हारी कल्पना की ताकि तुम्हें देखने के लिए फिर से कल्पना न करनी पड़े।
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infantisimo · 5 years ago
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भूक और भूत • मंगलेश डबराल
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roh230 · 4 years ago
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bakaity-poetry · 3 years ago
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मंगलेश डबराल का घोंसला और लोक संस्कृति की मृत चिड़िया - Junputh
मंगलेश जी की केवल एक कविता से मैं चाहता तो अपनी बात कह सकता था, इतना लम्‍बा लिखने की जरूरत नहीं थी। यह कविता 2018 में लिखी गयी थी, शीर्षक है ”हमारे देवता”:
हमारे देवता ताक़तवर देवताओं से घबराए हुए और चुप्पे हैं
उनके पास जाने से कतराते हैं
उनके लिए उन जगमग मन्दिरों में कोई जगह नहीं
जहाँ ढोल-नगाड़े बजते हैं अनुष्ठान तुमुल कोलाहल होता है
आवाहन ध्यान स्तुतियाँ घण्टियाँ घड़ियाल बलियाँ मंत्रोच्चार
ब्रहमाओं विष्णुओं वामनों इन्द्रों के समय में
हमारे व्यक्तिगत देवता किसी बुद्ध की तरह आत्म में लीन रहते
दुर्गाओं कालियों अष्टभुजाओं सिंहारूढ़ों खड्ग-खप्परधारिनियों के सामने
हमारी देवियाँ भी पुरानी साड़ियाँ पहने हुए स्त्रियाँ हैं
बहुत सी अचिन्हित बीमारियों से पीड़ित
जो ज़मीन पर बैठी अपने पैरों या हाथों के नाखून कुरेदती दिखती हैं…
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janchowk · 4 years ago
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कवयित्री शोभा सिंह को मिला ‘पथ के साथी’ सम्मान
कवयित्री शोभा सिंह को मिला ‘पथ के साथी’ सम्मान
नई दिल्ली। वरिष्ठ कवयित्री शोभा सिंह को ‘पथ के साथी’ सम्मान दिया गया। ‘सिद्धांत फाउंडेशन’ ने यह सम्मान उन्हें प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के हाथों दिया। शोभा के दूसरे कविता संग्रह ‘यह मिट्टी दस्तावेज़ हमारा’ का लोकार्पण भी हुआ।
‘सफाई कर्मचारी आंदोलन’ के दफ्तर में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मंगलेश डबराल ने कहा कि शोभा सिंह उन कवियों में हैं जो अपनी कविताओं की सार्थकता समाज में भी देखती…
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telnews-in · 2 years ago
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NCERT Book for Class 10 Hindi (Horizon) Chapter 9 Mangalesh Dabral - Rojgar Samachar
NCERT Book for Class 10 Hindi (Horizon) Chapter 9 Mangalesh Dabral – Rojgar Samachar
मंगलेश डबराल एनसीईआरटी कक्षा 10 हिंदी अध्याय 9 डाउनलोड या पढ़ने के लिए यहां उपलब्ध है। जो छात्र 10वीं कक्षा में हैं या 10वीं हिंदी पर आधारित किसी भी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वे बेहतर तैयारी के लिए एनसीईआरटी हिंदी ई-बुक का संदर्भ ले सकते हैं। Digital Encert Book Class 10 Hindi PDF का उपयोग करना हमेशा आसान होता है। यहां आप कक्षा 10वीं की हिंदी एनसीईआरटी की 9वीं अध्याय की पुस्तकें पढ़ सकते हैं।…
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kalamshala · 3 years ago
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जिनसे मिलना संभव नहीं हुआ उनकी भी एक याद बनी रहती है जीवन में। ~ मंगलेश डबराल https://www.instagram.com/p/CVJ3ItAppnk/?utm_medium=tumblr
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lekhni · 4 years ago
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#काव्य_कृति @KavyaKriti_
और
#काव्य @kavyaoftheday
पर दिनांक 16 मई 2021 के कार्यक्रम👇
#मंगलेश_डबराल
#जन्मजयंती💐
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
सहायतार्थ लिंक👇
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#बालस्वरूप_राही
#जन्मदिन🎂💐
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
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#अमिता_प्रजापति
#जन्मदिन🎂💐
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
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कार्यक्रम, सौजन्य :
आरती सि���ह @AarTee33,
नरपति चंद्र पारीक @pareeknc7
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niramish · 4 years ago
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वर्णमाला - मंगलेश डबराल
एक भाषा में अ लिखना चाहता हूँ अ से अनार अ से अमरूद लेकिन लिखने लगता हूँ अ से अनर्थ अ से अत्याचार कोशिश करता हूँ कि क से क़लम या करुणा लिखूँ लेकिन मैं लिखने लगता हूँ क से क्रूरता क से कुटिलता अभी तक ख से खरगोश लिखता आया हूँ लेकिन ख से अब किसी ख़तरे की आहट आने लगी है मैं सोचता था फ से फूल ही लिखा जाता होगा बहुत सारे फूल घरो के बाहर घरों के भीतर मनुष्यों के भीतर लेकिन मैंने देखा तमाम फूल जा रहे थे ज़ालिमों के गले में माला बन कर डाले जाने के लिए कोई मेरा हाथ जकड़ता है और कहता है भ से लिखो भय जो अब हर जगह मौजूद है द दमन का और प पतन का सँकेत है आततायी छीन लेते हैं हमारी पूरी वर्णमाला वे भाषा की हिंसा को बना देते हैं समाज की हिंसा ह को हत्या के लिए सुरक्षित कर दिया गया है हम कितना ही हल और हिरन लिखते रहें वे ह से हत्या लिखते रहते हैं हर समय ।
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pritamandginsbergsgarden · 4 years ago
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बची हुई जगहें
मंगलेश डबराल 
https://www.youtube.com/watch?v=5rr6EzgjrfI (Dabral himself reading the poem)
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lokkesari · 4 years ago
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"आवाज साहित्यिक संस्था "मुनी की रेती द्वारा प्रख्यात साहित्यकार मंगलेश डबराल को अर्पित की गई श्रद्धांजलि
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"आवाज साहित्यिक संस्था "मुनी की रेती द्वारा प्रख्यात साहित्यकार मंगलेश डबराल को अर्पित की गई श्रद्धांजलि
ऋषिकेश 10 दिसंबर 2020 आवाज साहित्यिक संस्था के तत्वावधान मैं प्रख्यात साहित्यकार मंगलेश डबराल के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट किया गया तथा उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष अशोक खरे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मंगलेश डबराल का इस रूप से चले जाना साहित्य समाज में एक बहुत बड़ी क्षति हुई है! उन्होंने साहित्य को तिल तिल समर्पित कर आगे बढ़ाने का प्रयास किया है !वह आज भी संपूर्ण साहित्यकारों के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में रहे हैं जो जीवन पर्यन्त याद रहेंगे! इस अवसर पर संस्था के उपाध्यक्ष आचार्य रामकृष्ण पोखरिया�� ने कहा कि मंगलेश डबराल साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर थे! जिन्होंने अपने साहित्य में उन भावों का समावेश किया जो भाव कहीं ना कहीं व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाने क��� लिए प्रेरणा देते हैं। इस अवसर पर संस्था के उपाध्यक्ष प्रबोध उनियाल महासचिव धनेश कोठारी सत्येंद्र चौहान महेश चीट कारिया नरेंद्र रयाल, शिवप्रसाद बहुगुणा आलम मुसाफिर ,धनीराम बिंजोला एवं सुनील थपलियाल के द्वारा स्वर्गीय मंगलेश डबराल की साहित्य की कृतियों पर प्रकाश डालते हुए विचार व्यक्त किए ! उक्त श्रद्धांजलि सभा में सभी वक्ताओं ने मंगलेश डबराल को साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति बताते हुए साहित्य के लिए उनके किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए!
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jainyupdates · 4 years ago
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��ंगलेश डबरालः थक गए थे, घर आना चाहते थे ...मगर
मंगलेश डबरालः थक गए थे, घर आना चाहते थे …मगर
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी। *Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP! सार साहित्यकार मंगलेश को याद कर लोग हुए गमगीन बेटी से कागज पर लिखकर मांगी थी चाय या कॉफी आखिरी बार वीडियो कॉल से हुई थी बात सोसायटी और मिलने-जुलने वालों में छाया मातम  विस्तार वरिष्ठ साहित्यकार मंगलेश डबराल के निधन की खबर से जनसत्ता सोसायटी में शोक की लहर दौड़ गई। साहित्य प्रेमियों ने…
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bakaity-poetry · 4 years ago
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आँखे / मंगलेश डबराल
आँखे संसार के सबसे सुंदर दृश्य हैं इसीलिए उनमें दिखने वाले दृश्य और भी सुंदर हो उठते हैं उनमें एक पेड़ सिहरता है एक बादल उड़ता है नीला रंग प्रकट होता है सहसा अतीत की कोई चमक लौटती है या कुछ ऐसी चीज़ें झलक उठती हैं जो दुनिया में अभी आने को हैं वे दो पृथ्वियों की तरह हैं प्रेम से भरी हुई जब वे दूसरी आंखों को देखती हैं तो देखते ही देखते कट जाते हैं लंबे और बुरे दिन
यह एक पुरानी कहानी है कौन जानता है इस बीच उन्हें क्या-क्या देखना पड़ा और दुनिया में सुंदर चीज़ें किस तरह नष्ट होती चली गईं अब उनमें दिखता है एक ढहा हुआ घर कुछ हिलती-डुलती छायाएं एक पुरानी लालटेन जिसका कांच काला पड़ गया है वे प्रकाश सोखती रहती हैं कुछ नहीं कहतीं सतत आश्चर्य में खुली रहती हैं चेहरे पर शोभा की वस्तुएं किसी विज्ञापन में सजी हुई ।
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janchowk · 3 years ago
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रघुवीर सहाय-मंगलेश डबराल की स्मृति में आयोजित हु�� समारोह
रघुवीर सहाय-मंगलेश डबराल की स्मृति में आयोजित हुआ समारोह
(रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि को प्रतिरोध दिवस के तौर पर मनाया गया। इस अवसर पर प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें तमाम नामचीन साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर एक प्रतिरोध प्रस्ताव भी पारित किया गया। पेश है पूरा प्रस्ताव- संपादक) हिंदी के यशस्वी कवि पत्रकार रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की स्मृति में आयोजित यह सभा पहले तो कोविड में हमसे बिछड़ने वाले लेखकों और देश…
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bbbnews · 4 years ago
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हिंदी के प्रख्यात कवि व पत्रकार मंगलेश डबराल का निधन, कोरोना से थे संक्रमित
हिंदी के प्रख्यात कवि व पत्रकार मंगलेश डबराल का निधन, कोरोना से थे संक्रमित
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हिंदी के प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का कोरोना संक्रमण से मौत
नई दिल्ली:
हिंदी के प्रख्यात कवि, पत्रकार व साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल का बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण से निधन हो गया. वह 72 वर्ष के थे. करीब 12 दिन पहले कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए डबराल ने एम्स में आखिरी सांस ली. एम्स में उपचार के दौरान शाम में उन्हें दिल का दौरा पड़ा. जनसंस्कृति मंच से…
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