#भीतर
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subhashdagar123 · 2 days ago
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sudhanshujimaharaj · 13 days ago
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जैसे बांसुरीवादक बांसुरी से संगीत निकालता है, वैसे ही आप भी अपने भीतर छिपे संगीत को प्रकट करना सीखें। Just like a flutist produces music from his flute, you should also learn to reveal the music hidden within you. . . .
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parshotamdaas · 3 months ago
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shitaldesi · 7 months ago
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valiantpeachpaper · 11 months ago
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neelu123 · 11 months ago
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cbmehar · 1 year ago
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गरीब, कृष्ण कन्हैया राम हैं, बलि बावन अवतार। हिरणाकुश नरसिंह है, सब माया...
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gautamkumarrajbhar · 1 year ago
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manju84 · 1 year ago
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#SantRampalJiEternalKnowledge
मनुष्य जिन देवताओं की खोज में मंदिर मंदिर और तीर्थ धाम दौड़ता फिरता है वे उसके भीतर बने कमलों में नियत स्थान पर विराजमान हैं। इसका पूरा विवरण शास्त्रों में है जिनकी जानकारी सन्त रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों के माध्यम से देते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने कभी नहीं कहा कि इनकी साधना मत करो ब��्कि ये बताया कि शास्त्रों में कहे अनुसार साधना करो।
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mrprincelovevanshi · 1 year ago
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thebharatexpress · 2 years ago
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14 दिन के भीतर लग सकता है लॉकडाउन? दो हफ्ते बाद भारत में चरम पर होगा कोरोना, सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को
14 दिन के भीतर लग सकता है लॉकडाउन?  नई दिल्ली: Lockdown may Be Imposed in 14 days? कोरोना संक्रमण का दौर एक बार फिर भारत में लौट रहा है। देश के अलग-अलग राज्यों से रोजाना हजारों नए मरीजों की पुष्टि हो रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा खस्ता हालत दिल्ली और महाराष्ट्र की है, जहां रोजाना नए संक्रमितों के आंकड़ों का नया रिकॉर्ड बन रहा है। इस बीच लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक…
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mwsnewshindi · 2 years ago
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छुट्टी की भीड़ को कम करने के लिए मुंबई हवाईअड्डे ने यात्रियों के लिए जारी की सलाह: 'जल्दी आओ'
छुट्टी की भीड़ को कम करने के लिए मुंबई हवाईअड्डे ने यात्रियों के लिए जारी की सलाह: ‘जल्दी आओ’
यह पहला छुट्टियों का मौसम है जब कोविड-19 का डर डैमोकल्स की तलवार की तरह सिर पर नहीं लटक रहा है। जबकि लोग छुट्टी पर जाने के लिए उत्साहित हैं, मुंबई हवाईअड्डे पर सर्पीली कतारें, आप्रवासन संबंधी परेशानियां, सुरक्षा जांच के साथ अराजकता चरम पर है। छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (CSMIA) ने सोशल मीडिया पर दिसंबर के महीने में यात्रा करने वाले यात्रियों को एक एडवाइजरी जारी की है, जो छुट्टियों के…
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sonikasmeer · 5 months ago
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एक शादी शुदा स्त्री , जब किसी पुरूष से मिलती है ... उसे जाने अनजाने में अपना दोस्त बनाती है .... तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है .... और न ही वो उसका हो सकता है .... वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती .. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध ल��ती है .... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती ? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती ? जी नहीं .... !! वो समाज के नियमो को भी मानती है .... और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है ... मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है ... !! कुछ खट्टा ... कुछ मीठा .... आपस मे बांटना चाहती है .. जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है .वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है ... जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से ... थोडा हँसना चाहती है . खिलखिलाना चाहती हैं ... वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे ... सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे ... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है ... जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो ... कुछ पल बिताना चाहती है ... जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो , न राशन का जिक्र हो .... न EMI की कोई तारीख हो .... आज क्या बनाना है , ना इसकी कोई तैयारी हो .... बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है .... कभी उल्टी सीधी , बिना सर पैर की बाते ... तो कभी छोटी सी हंसी और कुछ पल की खुशी ... बस इतना ही तो चाहती है .... आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है .. .. जो जिम्मेदारी से मुक्त हो ... ,
एक सुहागन औरत की रणभूमि उसके सुहाग का बिस्तर होता है,
जहा वो हर जीत को भूल बस अपने यद्ध कला का भरपूर प्रदर्शन करती,🔥🔥🔥🔥
अपने यौवन के तीर को कामुकता भरे अंदाज में प्रहार करती है,🔥🔥🔥
अपने वस्त्रों को त्याग कर रणभूमि में निडर हो कर अपने कामवासनाओं के शास्त्रो के साथ रणभुमि में अपने यौवन 🥵का भार पुर जौहर दिखती है,💋
अपने तन के शास्त्रो को एक एक कर ऐसे प्रहार करती है कि रणभुमि भी उसके वीरता की गवाही देने पर मजबूर हो जाती है,
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anouchan-jpg · 9 months ago
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ज़िंदगी तुम्हारे उसी गुण का इम्तिहान लेती है, जो तुम्हारे भीतर मौजूद हो।
मेरे अंदर इश्क़ था।
-अमृता प्रीतम
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cybergardenturtle · 1 year ago
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🔸️काशी का अद्भुत विशाल भंडारा🔸️
600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होत�� है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन ��ंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
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