#गणतंत्र दिवस केवल परेड देखने का दिन नहीं है
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verywitchvoid · 16 days ago
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poraggogoi · 16 days ago
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गणतंत्र दिवस केवल परेड देखने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर ईश्वर के बनाए हुए संविधान को समझने का दिन है। सतगुरु रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में इसे जानने का प्रयास करें।
RepublicDay
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anitapatra · 17 days ago
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गणतंत्र दिवस केवल परेड देखने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर ईश्वर के बनाए हुए संविधान को समझने का दिन है। सतगुरु रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में इसे जानने का प्रयास करें।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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स्वर्णिम भारत के निर्माण में सहयोग के लिए आगे आएं युवाः पोखरियाल
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वह 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत के निर्माण में सहयोग के लिए आगे आएं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश भर के स्कूलों, कॉलेजों, आईआईटी, एनआईटी और विश्वविद्यालयों से गणतंत्र दिवस परेड 2021 देखने के लिए बुलाए गए लगभग 100 मेधावी छात्रों को सर्टिफिकेट ऑफ़ एक्सीलेंस से सम्मानित करने के बाद संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे भी उपस्थित थे। यह सभी छात्र प्रधानमंत्री के अतिथि के रूप में आमंत्रित किए गए थे, जिनके रहने, भोजन एवं आने-जाने की व्यवस्था शिक्षा मंत्रालय ने की।    पोखरियाल ने सभी छात्रों से बात की एवं उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “आज का दिन आप सभी युवाओं को अपने संविधान पर गर्व करने और देशभक्ति की भावना महसूस करने का दिन है। मुझे यकीन है कि राजपथ पर देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक कौशल का गवाह बनने के बाद आपके भीतर इन भावनाओं को एक नया बल मिला होगा। भारत पूरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हमारे इस लोकतंत्र की ताकत है- समावेशी संविधान जो समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करता है और लोकतंत्र की नैतिकता और जीवंतता को केवल तभी सुरक्षित और जीवंत रखा जा सकता है जब राष्ट्र का युवा – लोकतंत्र के सिद्धांतों और राष्ट्र की समृद्धि के लिए कार्य करे। युवाओं की शक्ति में विश्वास करते हुए, मैं, युवा देवो भव:, युवा शक्ति देवो भव:’ का मंत्र आप सबके प्रति अर्पित करता हूं।
उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र के पास बहुत सारे संसाधन हो सकते हैं परंतु किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत उसकी युवा शक्ति होती है। “मैं युवाओं को दैवीय शक्ति के समकक्ष मानता हूं। मेरी नज़र में युवा केवल उम्र का एक पड़ाव या कोई वार्षिक चरण नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक स्थिति है। उन्होंने सभी छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “आप आज के युवा है और भारत का भविष्य भी है। आप में जबरदस्त ऊर्जा है, आकांक्षाएं हैं, स्वप्न हैं और उन्हें पूरा करने की इच्छा शक्ति भी है। आप जिस क्षेत्र में भी जाएं, अपना सर्वोत्तम योगदान दें, राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं तथा एक जिम्मेदार नागरिक बनें। मैं आशा करता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 21वीं सदी की युवा पीढ़ी स्व��्णिम भारत की आधारशिला बनेगी।
इसके अलावा उन्होनें कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा मंत्रालय द्वारा शिक्षा को अनवरत जारी रखने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में भी छात्रों को विस्तार से बताया और उनसे कहा कि अब समय आ गया है कि आप रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म करें. शिक्षा मंत्रालय सदैव आपके साथ खड़ा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को आत्मनिर्भर भारत अभियान के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित की गईं विभिन्न हैकाथॉन, टॉयथॉन, टेकाथॉन इत्यादि के साथ साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में भी विस्तार से बताया। 
निशंक ने युवाशक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि भारत को एक ‘ज्ञान महाशक्ति’ के रूप में उभरने के लिए, यह आवश्यक है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और हमारे राष्ट्रपति के संरक्षण में, हम ‘इंडिया फर्स्ट – कैरेक्टर मस्ट’ की सोच के साथ ‘टीम इंडिया’ के रूप में एक साथ आगे बढ़ें। उन्होनें कहा, “आज हमारे पास विज़न, लीडरशिप एवं इक्छाशक्ति सब कुछ है। हमारे पास हमारा मार्गदर्शन करने की दृष्टि है, नेतृत्व करने का कौशल है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे पास अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रबल इच्छाशक्ति है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम नीति के कार्यान्वयन की दिशा की ओर बढ़ें।
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7cnews · 7 years ago
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Republic Day 2018: जानिए गणतंत्र दिवस से जुड़ी बेहद खास बातें
नई दिल्ली। हर भारतीय के लिए 26 जनवरी का दिन काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन पहली बार हम गणतंत्र हुए थे। ये केवल एक पर्व नहीं बल्कि हमारा गौरव और सम्मान का मानक है। इस बार हमारे गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए एक साथ 10 देशों के प्रतिनिधि मुख्य अतिथि के तौर पर आ रहे हैं। इन 10 देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
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theviralpagesindia-blog · 8 years ago
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26 जनवरी विशेष : हसीन, पिंकी और गीता, औरतें जो अपना 'संविधान' खुद लिख रही हैं
नई दिल्ली: पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने महिला पायलटों के लड़ाकू विमान उड़ाने को हरी झंडी दी थी। यह फैसला तब लिया गया जब दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं की तरक्की के रास्ते में आने वाली किसी भी तर�� की बाधा पर कोर्ट को आपत्ति होगी। जब अखबारों में यह ख़बर पहले पन्ने पर छपी थी, उसके कुछ महीने बाद दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हसीन नाम की औरत अपने पति से रिक्शा चलाने की इजाज़त मांग रही थी जिस पर उसे जवाब मिला ‘जो चलाना है चलाओ…रिक्शा क्यों..तुम तो हवाई जहाज़ चलाओ…!!’
2015 के गणतंत्र दिवस पर पहली बार महिला अफसरों की टुकड़ी ने परेड में हिस्सा लिया था
ख़ैर, यह ताना हसीन को एक ऐसा काम पकड़ने से नहीं रोक पाया जिसे अक्सर पुरुषों के बस की बात समझा जाता है। हसीन जैसी औरतों को ई-रिक्शा के ज़रिए रोजगार के कुछ ऐसे मौके दिखाई दे रहे हैं जो अभी तक सिर्फ पुरुषों की ही विरासत माना जाता था। यह वे महिलाएं हैं जिन पर जब अपने परिवार की ज़िम्मेदारी आई तो इन्होंने ‘लोग क्या कहेंगे’ से ऊपर उठकर ‘लीक से हटकर’ रोजगार को चुनने में ज़रा सा भी वक्त नहीं लगाया।
यहां ऐसी ही तीन औरतों की कहानी, उनके रोज़मर्रा की चुनौतियों का ज़िक्र है जिन्होंने अखबार की सुर्खियों में जगह तो नहीं बनाई है, लेकिन कभी नहीं खत्म होने वाले संघर्षों के बीच वे जिस जिम्मेदारी के साथ अपने परिवार को चला रही हैं, वह शायद किसी भी सुर्खी से परे है। हसीन जैसी औरतें दरअसल उन सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं जिन्होंने अपना घर चलाने और भविष्य के सपनों को बुनने के लिए रोज़गार के बीच खींची गई मर्द-औरत की लकीर को न केवल अपनी मर्ज़ी से लांघा, बल्कि अपने लिए एक नया ‘संविधान’ लिखा।
हसीन का हौंसला दिल्ली के एक रिहायशी इलाके में लगी ई रिक्शा की लंबी लाइन जहां हसीन अकेली महिला रिक्शा चालक हैं। बिना किसी जल्दबाज़ी के अपने रिक्शा में सवारी भरने का इंतजार करती हसीन के लिए यह काम बहुत पुराना नहीं है। भारत में अब धीरे धीरे महिला रिक्शा चालकों की संख्या बढ़ती जा रही है, हसीन भी उन्हीं चुनिंदा औरतों में से एक हैं जिन्हें लगता है कि कपड़े इस्त्री करने या घर-घर जाकर काम करने से अच्छा है रिक्शा चलाना, इसमें कम से कम थोड़ी देर के लिए घर आकर बच्चों की देखरेख तो की जा सकती है।
अपने मोहल्ले में हसीन अकेली रिक्शाचालक है
45 पार कर चुकी हसीन के तीन बेटे हैं जिनमें से दो की शादी हो चुकी है। सबसे छोटा वाला उनके साथ रिक्शा में चलता है, इसके अलावा हसीन के पिता की दूसरी शादी से हुई बेटियां भी उन्हीं के साथ रहती हैं। हसीन बड़े गर्व से ��ताती हैं कि दो लड़कियों की शादी उन्होंने बड़े धूमधाम से कर दी है, दोनों अपने-अपने घरों में खुश हैं। अब सबसे छोटी लड़की की शादी करनी बाकी है। यह सब कुछ बताते हुए आपको एक पल के लिए भी नहीं लगेगा कि हसीन जिन लड़कियों की बात कर रही हैं वह उनकी सगी बहनें नहीं हैं।
अब बात हसीन के पति की जो अपने परिवार को पांच साल पहले ही छोड़कर चला गया था और कुछ महीने पहले ही वापस लौटा है। वह फलों की रेहड़ी लगाता है, लेकिन आर्थिक मदद के नाम पर हसीन का ज़रा भी हाथ नहीं बंटाता। हालत यह है कि हसीन की सबसे छोटी बहन ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है और अब वह एक फोटोकॉपी की दुकान पर काम करती है। अभी कुछ दिनों से हसीन के रिक्शे में फिर ब्रेक लग गया है। जब दूसरे रिक्शावालों से हसीन के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला – ‘अरे वो तो मौज-मस्ती वाली औरत है, टाइम पास के लिए रिक्शा चलाती है।‘
शायद यही वह मोर्चा है जिस पर लड़ पाना और उसके बाद खड़े रह पाना किसी भी औरत के लिए सबसे मुश्किल होता है, वैसे भी भारत जैसे कई देशों में औरतों के चरित्र को आंकने का अधिकार समाज के हाथ में होता है, हसीन अपवाद नहीं हैं…लेकिन हसीन का हौंसला यकीनन अपवाद ही है…
पेट्रोल पंप वाली पिंकी दिल्ली के संभ्रांत इलाके का एक पेट्रोल पंप जहां पिंकी काम करती हैं। सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक पिंकी उस पंप पर आने वाली तमाम गाड़ियों में पेट्रोल और डीज़ल डालती दिखाई देंगी। उसकेअलावा उस पंप पर बाकी सभी पुरुष हैं जिनमें से एक पिंकी का पति गुलाल भी है जिसकी नौकरी पिंकी ने ही यहां लगवाई थी। बड़ी शान से अपनी स्कूटी दिखाते हुए पिंकी बताती हैं कि उसे पंप की नौकरी पसंद है। ब्यूटी पार्लर या सुपरमार्केट में काम करने से ज्यादा उसे यह काम करना ज्यादा अच्छा लगता है, क्यों – इसका जवाब उसके पास नहीं है, बस उसे यह काम पसंद है।
पिंकी पेट्रोल पंप पर काम करती है
35 साल की उम्र और पढ़ाई के नाम पर सिर्फ 8वीं पास पिंकी ने नौकरी भी उन्होंने शादी के बाद ही करनी शुरू की है। उसे महीने के 14 हज़ार रुपए मिलते हैं, गुलाल की तनख्वाह इससे थोड़ी ही कम है। पिंकी के अलावा घर में उसकी सास और चार बच्चे है जिसमें से तीन बेटियां और एक बेटा है। पिकीं का पति गुलाल दो साल के लिए इन सबको छोड़कर चला गया था, उसने दूसरी शादी कर ली थी। दो साल बाद जब गुलाल की दूसरी पत्नी ने उसे छोड़ दिया तो वो बड़ी ‘सहजता’ के साथ पिंकी के पास वापिस लौट आया, लेकिन अकेला नहीं बल्कि उसके साथ उसकी दूसरी पत्नी से जन्मी बेटी भी थी।
जिस सहजता के साथ पिंकी तीन नहीं चार बच्चों के मां होने की बात बताती हैं, उससे शायद ही कोई उनकी जिंदगी में आए इस बड़े तूफा�� का अंदाज़ा लगा सके। कड़ी मेहनत से पिंकी ने अपना घर बना लिया है, भविष्य को लेकर उसके सपने हैं, अपनी स्कूटी की ईएमआई भर चुकी है, अपना, पति का और अपनी सहेलियों के नाम उसने हाथ पर गुदवा रखा है और लड़कियों की मदद करने के लिए वह हमेशा तैयार रहती हैं। पिंकी के हौंसले की गाड़ी में पेट्रोल कभी खत्म ही नहीं होता…
अपने भविष्य की गार्ड गीता दिल्ली के ख़ान मार्केट की एक दुकान में गीता गार्ड का काम करती हैं। घर सजाने का सामान बेचने वाली इस दुकान में ग्राहकों का तांता लगा रहता है और गेट के पास रखी छोटी सी टेबल मानो बस देखने भर के लिए ही है, क्योंकि गीता को उस पर बैठक�� सुस्ताने का वक्त ही नहीं मिलता। यह पूछने पर कि दिन में वह कितनी बार ग्राहकों के लिए दरवाज़ा खोलती-बंद करती हैं, तो जवाब था – ‘गिनती भूल गई हूं।‘
गीता गार्ड का काम करती है
किसी दुकान के गेट पर लगातार 7-8 घंटे तक खड़े रहकर ग्राहकों का अभिवादन करते अभी भी कम ही औरतें दिखाई देती हैं। अगर ख़ान मार्केट की ही बात करें, तो गीता वहां अकेली महिला गार्ड हैं, हालांकि वहां काम करने वाले राहुल ने बताया कि गीता के देखा-देखी इलाके की एक और दुकान में महिला गार्ड को नियुक्त किया गया है। 45 पार कर चुकी गीता अपने काम से काफी खुश नज़र आती हैं, वह बताती हैं कि इससे पहले वह पाइप काटने का काम भी कर चुकी हैं, लेकिन वहां के मालिक की बदसलूकी की वजह से उन्होंने वह काम छोड़ दिया।
दिलचस्प बात यह है कि गीता फिलहाल जिस दुकान में काम करती हैं उसकी मालिक से लेकर मैनेजर तक सभी महिलाएं ही हैं। दुकान की मैनेजर मीनाक्षी एक घटना का ज़िक्र करते हुए बताती हैं कि ‘किस तरह उनकी दुकान के बाहर खड़ी एक कार से धुआं निकल रहा था, गीता उस वक्त ड्यूटी कर रहीं थी और उसकी नज़र कार पर पड़ गई। उसने आव देखा ना ताव, बगैर किसी से पूछे वह दुकान में से आग बुझाने का सिलेंडर लेकर कार की तरफ दौड़ीं और एक बड़ी दुर्घटना होने से रोक लिया।’
कभी न खत्म होते संघर्ष पूरे ख़ान मार्केट में गीता की बहादुरी के चर्चे हैं। उसने अपने बेटे के साथ-साथ अपने माता-पिता और अपनी उस बहन के बच्चों की जिम्मेदारी उठा रखी है जो अब इस दुनिया में नहीं है। करीब 8 साल पहले ही गीता अपने पति से अलग हो गईं थी और अब इतनी दूर हो गई हैं कि उन्हें नहीं पता कि वह कहां और क्या कर रहा है। महीने में करीब 14 हज़ार वेतन पाने वाली गीता को सोच-समझकर छुट्टी लेनी पड़ती है, क्योंकि कई सुरक्षा एजेंसियों की तरह उसकी कंपनी में भी छुट्टी का प्रावधान नहीं है। गीता अपनी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर नहीं हैं, वह अपने मन का काम कर रही हैं, दूसरों की मदद करना गीता को अच्छा लगता है और वह सिर्फ इस दुकान की नहीं अपने परिवार ��र खुद के सुनहरे भविष्य की गार्ड भी हैं।
हसीन हो, पिंकी हो या फिर गीता, इन सबमें एक बात समान है, यह पढ़ी लिखी नहीं है लेकिन इसके बावजूद इन्होंने समाज की परवाह ना करते हुए अपनी राह खुद चुनी है। क्योंकि जिसके भरोसे इन्होंने अपने भविष्य की डोर दी थी, उसकी तो खुद की पतंग न जाने कहां किस पेड़ पर फंसी हुई है। इतनी परेशानियों के बावजूद खुद के परिवार के साथ इन्होंने दूसरों के बच्चों को संभालने की अतिरिक्त जिम्मेदारियों से भी मुंह नहीं मोड़ा। यही हालात और चुनौतियां इन औरतों को उन मर्दों से अलग और ख़ास बनाती हैं जो इन्हीं की तरह गार्ड या रिक्शा चलाने जैसा काम करते हैं। ऐसी गुमनाम और साहसी औरतें सिर्फ गणतंत्र दिवस ही नहीं किसी भी दिन कई सलामी की हक़दार हैं…
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anitapatra · 17 days ago
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गणतंत्र दिवस केवल परेड देखने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर ईश्वर के बनाए हुए संविधान को समझने का दिन है। सतगुरु रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में इसे जानने का प्रयास करें।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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ट्रैक्टर रैली में बवाल: योगेंद्र यादव बोले- मैं शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं, जिम्मेदारी लेता हूं
नई दिल्लीगणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के नाम पर देश की राजधानी में कथित किसानों के हुड़दंग, हिंसा और बवाल की कलंकित करने वाली घटनाओं से पूरा देश स्तब्ध है। बवाल के बाद अब किसान आंदोलन की अगुआई कर रहे नेताओं के सुर भी बदल गए हैं और वे अपने बयानों में हुड़दंगियों से किनारा कर रहे हैं। स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा है कि किसानों की ट्रैक्टर परेड में मंगलवार को जो कुछ हुआ, उससे वह ‘शर्मिंदा’ महसूस कर रहे हैं और इसकी जिम्मेदारी लेते हैं।
यादव ने कहा, ‘प्रदर्शन का हिस्सा होने के नाते मैं, जो चीजें हुईं, उनसे शर्मिंदा महसूस करता हूं और इसके लिए जिम्मेदारी लेता हूं।’ उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘हिंसा किसी भी आंदोलन पर गलत प्रभाव डालती है। मैं इस समय नहीं कह सकता कि यह किसने किया और किसने नहीं किया, लेकिन पहली नजर में ऐसा लगता है कि यह उन लोगों ने किया जिन्हें हमने किसानों के प्रदर्शन से बाहर रखा है।’
योगेंद्र यादव ने कहा, ‘मैंने लगातार अपील की कि हम तय किए गए रूट पर ही चलें और इससे न हटें। यदि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता है, केवल तभी हम जीतने में सफल होंगे।’ गणतंत्र दिवस के दिन आंदोलनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है।
राजपथ से लालकिला तक हजारों प्रदर्शनकारी कई स्थानों पर पुलिस से भिड़े जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई। किसानों का दो महीने से जारी प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहा था। गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता क��� प्रदर्शन किया जाता है। हालांकि, इस बार ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान तय समय से दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए।
शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिए गए और ट्रेलर ट्रकों को पलट दिया गया। इस दौरान सड़कों पर अप्रत्याशित दृश्य देखने को मिले। इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी एक ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ फहरा दिया जहां पर भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है।
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि दिन में हिंसा के दौरान उसके 86 कर्मी घायल हो गए। वहीं, ट्रैक्टर पलटने से आईटीओ के पास एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।
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