#भारतीय नाम
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srbachchan · 1 year ago
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DAY 5671
Jalsa, Mumbai Aug 27, 2023 Sun 1:11 PM
Birthday - EF - Sandeep Singh Sandhu , Monday, 28 August .. greetings and love from the Ef family .. ❤️🙏
The Hindi retort to the BBC comment on twitter was put up yesterday .. and AG Anthony did a translate as asked .. which was and is good .. but I felt one or two points needed a slight change .. so here they are ..
वो देश, जिसके संग्रहालयों का खज़ाना, केवल दुनिया से लूटे गए मूल्यवान वस्तुओं से भरा है,
that country, whose Museums are decorated and filled with the 'loot' ( a Hindi word, copied and now accepted in the English British BBC dictionary) of valued stolen artifacts and materials of the World ..
वो देश, जो मसाले की खोज में भारत आया, उसे लूटा, लोगों को मानव निर्मित अकाल में झोंका और आज भी जिसके खानों से मसाले गायब हैं,
that country, that ostensibly came to India in search of spices, and then 'looted' colonised and began ruling over us .. that created a man made famine - the dreaded Bengal famine , where they starved the locals, so England could get the food, shipped out to them .. and building a thick bush wall around the territory and borders of Bengal, so none of the famished could seek food and survival by crossing over to the rest of the Country .. that country where spices are NOT an ingredient of their food .. ( or as AG Anthony put it , do not have mines that procure spices .. though the food thought is better, because we are talking of famine and food ) ..
वो देश, जिसे अपने ही इजाद किए खेल का विश्व कप जीतने में बरसों लग गए वो देश, जिसका सूरज कभी अस्त नहीं होता था, पर आज भी अपने अंतरिक्ष संस्थान का नाम दुनिया तक नहीं पहुंचा पाया है,
that country that were the inventors of the game ( ref to Cricket ), took years themselves, to win the World Cup (in Cricket) ..
that country that prided itself by stating 'the sun never sets on its territory' .. or whose 'sun never sets' , even till today, has not been able to put their name in the World of SPACE ..
आज हमें ज्ञान दे रहा है?
that country , today imparts 'gyaan' to us .. trying to teach us knowledge and learning ..
हम भारतीयों ने दुनिया को अद्भुत संरचनाएं दीं, कला दी और भारतीय दर्शन से संस्कृतियों को प्रभावित किया और आज भी कर रहे हैं
we Indians , have given the World incredible and most unique architectural structures , art forms , and impressed the entire World with the most treasured cultures .. and still continue to do so each day ..
हम भारतीयों ने अपने मसालों और अपनी पाक शास्त्र का परचम दुनिया के कोने कोने में लहराया है
we Indians have 'flown the flag' .. an emblem of our exalted presence .. of our 'spices' and the purity of our scriptures and its divinity, to all the corners of the World ..
हमने दूसरों के इजाद किए खेल न केवल सीखे, पर उनमें महारत भी प्राप्त की और धुरंधरों को धूल चटाई है
we have not only learnt those games invented by others and created victory and success in them .. making the opposition and champions of the game 'bite the dust' in competition ..
हमने न केवल चांद और तारों पर कविताएं लिखी, न केवल उनको देखकर सपने बुने, परंतु चांद पर भारतीय तिरंगा लहराया और अंतरिक्ष पर निरंतर और सतत जीत की ओर अग्रसर हैं।
we have not just written poems on the stars and the moon, not just built dreams about them, BUT have placed our TRICOLOuR, our Country's Flag on them , flowing with glory .. and continue aggressively, to gain victory and WIN over SPACE ..
जो कभी हम पर राज किया करते थे, उन अंग्रेज़ों की ईर्ष्या को यह चेतावनी है - यह आग तुम्हें बस जलाएगी पर इसी आग से हम अंतरिक्ष के उस छोर पर पहुंचेंगे जहां से भारत का सूरज कभी अस्त नहीं होगा।
so they that once ruled over us , those jealous British or 'angrez' as locally called, they the envious .. a warning .. this fire will just burn you , but WE shall with this fire, reach that destination and goal , from where the SUN SHALL NEVER SET ON ITS TERRITORY .. INDIA ..
JAI HIND
🇮🇳
in love in gratitude and in the presence in a few hours at the GOJ to be with the wellwishers ..
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Amitabh Bachchan
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todaypostlive · 1 year ago
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Motihari: राजू खान ने एशियाई बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में जीता गोल्ड मेडल
Motihari:। जिले के मधुबन प्रखंड स्थित भेलवा पंचायत के गुलाब खान गांव निवासी मनीर आलम के पुत्र राजू खान ने एशियाई बॉडी बिल्डिंग व फिजिक स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए 65 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल प्राप्त कर देश का नाम रौशन किया है।वही इसकी जानकारी मिलते ही उनके पैतृक गांव सहित पूरे जिले में हर्ष व्याप्त है। राजू खान ने   बताया कि इंडियन बॉडी बिल्डर फेडरेशन ने उन्हे…
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helputrust · 2 months ago
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लखनऊ, 19.11.2024 | झांसी की रानी तथा नारी शक्ति की मिसाल लक्ष्मीबाई जी की जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द��वारा आर.एस.अकादमी, सेक्टर-17, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्प अर्पण” कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति की सदस्य डॉ सत्या सिंह, आर.एस.अकादमी की प्रधानाध्यापिका श्रीमती चित्रांशी शुक्ला एवं शिक्षिकाओं द्वारा दीप प्रज्वलित कर महान वीरांगना लक्ष्मीबाई जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए तथा उन्हें सादर नमन किया गया | कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और महान वीरांगना लक्ष्मीबाई जी के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया ।
इस अवसर पर हेल्प हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति की सदस्य डॉ सत्या सिंह ने कहा कि, “रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही बहुत बहादुर थीं । उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और युद्ध के गुर सीखने का बहुत शौक था । जब अंग्रेजों ने उनके राज्य को छीनने की कोशिश की, तो उन्होंने हार मानने के बजाय पूरी ताकत से उनका सामना किया ।
उनकी बहादुरी का सबूत है ये पंक्तियाँ जो हर भारतीय को गर्व महसूस कराती हैं:
“खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी,
दुश्मन के छक्के छुड़ाकर, इतिहास में अमर कहानी थी ।“
बच्चों, रानी लक्ष्मीबाई की यह कविता हमें सिखाती है कि हमें हर परिस्थिति में बहादुरी और आत्मविश्वास से काम लेना चाहिए । उन्होंने हमें बताया कि कठिनाई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर हमारा इरादा मजबूत है, तो हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं । आप सब भी रानी लक्ष्मीबाई जैसे साहसी बनें, मेहनत करें और अपने माता-पिता, देश और समाज का नाम रोशन करें ।“
आर.एस.अकादमी की प्रधानाध्यापिका श्रीमती चित्रांशी शुक्ला ने कहा कि, “रानी लक्ष्मीबाई का स्वभाव बहुत ही अलग और अद्भुत था । उन्हें अस्त्र-शस्त्र चलाने का बहुत शौक था । बचपन से ही वह बहादुरी और आत्मनिर्भरता की मिसाल थीं । सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर वह अभ्यास करती थीं । ऐसा कोई हथियार नहीं था जिसे वह चलाना न जानती हों । उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाइयाँ लड़ीं और हमेशा दृढ़ निश्चय के साथ खड़ी रहीं । उनकी सबसे बड़ी ताकत थी उनकी आत्मनिर्भरता और साहस । उन्होंने हमें सिखाया कि जब हमारे पास आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी चुनौती हमें नहीं ��ोक सकती । हमें भी रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा लेनी चाहिए । जैसे उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में हर चुनौती का सामना बहादुरी से करना चाहिए । आइए, हम सब मिलकर यह प्रण लें कि हम आत्मनिर्भर बनेंगे, बहादुर बनेंगे और अपने सपनों को साकार करने के लिए पूरी मेहनत करेंगे ।“
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति की सदस्य डॉ सत्या सिंह, आर.एस.अकादमी की प्रधानाध्यापिका श्रीमती चित्रांशी शुक्ला, शिक्षिकाओं श्रीमती आराधना सिंह, श्रीमती सरिता श्रीवास्तव, श्रीमती योगिता श्रीवास्तव, श्रीमती रितिका वर्मा, श्रीमती नेहा वर्मा, श्रीमती शिवानी कश्यप, श्रीमती मोनी सिंह, श्रीमती रेशमी, श्रीमती अनुपमा श्रीवास्तव, सुश्री आंचल सक्सैना, सुश्री तान्या माहेश्वरी, छात्र-छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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shantidasi · 6 months ago
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#मीडिया_का_काम_अफवायें_फैलाना नहीं सच्चाई बताना है
भारतीय मीडिया चुल्लू भर पानी में डूब मरो
ABP न्यूज़ चैनल एक तरफ तुम परीक्षण की बात करते हो और तुमने कौन सा परीक्षण करके संत रामपाल जी महाराज को साकार विश्व हरि जैसे ढोंगी बाबाओं के साथ दिखाया। जबाब दो, मांगी मांगो, अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहो।
Stop FakeNews On Sant RampalJi
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tnnews24 · 4 months ago
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⭕पितृ पक्ष पर क्या करें और क्या ना करें....⭕
**पितृ पक्ष: एक धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण** पितृ पक्ष, भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक 16 दिनों तक चलता है। इसे ‘श्राद्ध’ या ‘महालय’ के नाम से भी जाना जाता है। इन दिनों में हिन्दू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करते…
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colonelrajyavardhanrathore · 6 months ago
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कर्नल राज्यवर्धन राठौड़: ओलिंपिक के लिए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करेंगे
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ कौन हैं?
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ओलिंपिक और राज्यवर्धन राठौड़
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने अपने जीवन में खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और उनका उद्देश्य है कि भारत को ओलिंपिक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाना। उनके नेतृत्व में भारतीय खिलाड़ियों को बेहतरीन प्रशिक्षण और आवास प्रदान किया जा रहा है, ताकि वे अपनी क्षमता को ओलिंपिक स्तर पर प्रदर्शन करने में सक्षम हो सकें।
खिलाड़ियों की तैयारी और प्रशिक्षण
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ के अनुप्राणन से, भारतीय खिलाड़ियों को विशेषज्ञ प्रशिक्षण और मॉडर्न सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। खेलों में उच्च स्तर की तैयारी के लिए वे अपने खिलाड़ियों को विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान कर रहे हैं।
भविष्य की दिशा
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का उद्देश्य है कि भारतीय खिलाड़ी ओलिंपिक में प्रतिष्ठा प्राप्त करें और खेल के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करें। उनके नेतृत्व में, खिलाड़ियों को उच्च स्तर की तैयारी और व्यापक समर्थन प्रदान किया जा रहा है, जिससे वे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारतीय ध्वज लहरा सकें।
समाप्ति
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ के नेतृत्व में, भारतीय खिलाड़ियों को ओलिंपिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए एक सामर्थ्यपूर्ण मंच प्रदान किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय खिलाड़ी अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए विश्व स्तर पर मान-सम्मान प्राप्त कर रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
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helputrust-harsh · 9 months ago
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धरोहर सेमिनार: हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व | Dharohar Seminar: Our Heritage, Our Responsibility
लखनऊ, 15.09.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) तथा समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर" के अंतर्गत सेमिनार विषयक "हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व" का आयोजन राधा कमल मुखर्जी सभागार, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में किया गया |
सेमिनार में सम्मानित वक्तागण के रूप में पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, साहित्यकार, डॉ रवि भट्ट, इतिहासविद, प्रो विभूति राय, डीन, विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, श्रीमती मीनू खरे, निदेशक, आकाशवाणी तथा प्रो श्री अनूप कुमार भरतिया, विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सहभागिता की | सेमिनार का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं दीप प्रज्वलन से हुआ | सभी विद्वान वक्ताओं का ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति (जनसंपर्क) की सदस्य तथा सेमिनार की निवेदक वंदना त्रिभुवन सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया |
डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी गणमान्य अतिथियों तथा श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि, धरोहर शब्द का अर्थ है विरासत जो कि हमें हमार�� पूर्वजों से उपहार में मिली है | दुनिया भर में अनेक इमारतें ह���ं जिन्हें  देखकर यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है | इमारत के साथ-साथ हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति, साहित्य सभी कुछ हमारी विरासत है, हमारा उपहार है और यह हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम इसको सहेज कर रखें, संभाल कर रखें | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समाज के सभी क्षेत्रों मे कार्य कर रहा है | ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर धर्मार्थ, साँस्कृतिक, जागरूकता व अनेक प्रकार के कार्यक्रम कराए जाते हैं | आप सभी से अनुरोध है कि ट्रस्ट को उसके जन सेवा कार्यों मे अपना सहयोग प्रदान करें तथा यह संकल्प लें कि अपनी धरोहर, अपनी विरासत को संभाल कर रखेंगे एवं भारत का नाम विश्व पटल पर सुनहरे अक्षरों में अंकित करेंगे |
प्रोफेसर अनूप कुमार भरतिया ने भारत देश की धरोहर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, समय के अनुसार हर एक चीज परिवर्तित होती जाती है और उसकी प्रकृति में भी परिवर्तन होता जाता है | हमें हमारी संस्कृति, विश्वास और परंपराओं को पूरी तरह से आत्मसात करना चाहिए | पहले के समय में लोगों में सहयोग की भावना होती थी अगर कहीं शादी होती थी तो पूरा गांव शादी की तैयारी में जुट जाता था | लेकिन आज यह संस्कृति समाप्त हो चुकी है आज सारा काम घर वाले नहीं बाहर वाले करते हैं और इसी वजह से लोगों के बीच आत्मीयता कम हो गई है | हमें अपनी उसी आत्मीयता के साथ अपनी धरोहर का अपनी विरासत का संरक्षण करना चाहिए व लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए | 
प्रोफेसर विभूति राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास बताते हुए कहा कि, लखनऊ विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक बिल्डिंग है और करीब 20 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ सभी शिक्षकों को लेकर हम लोगों ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ अनशन किया, प्रोटेस्ट मार्च निकाला और कुछ ऐतिहासिक ऐसे पत्र आदि मिल गए जिसके अनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम बदला नहीं जा सका |
डॉ रवि भट्ट ने भारतीय इतिहास, संवाद, संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, धरोहर दो प्रकार की होती है, एक मूर्त और एक अमूर्त | मूर्त धरोहर वह धरोहर है जिसे हम छू सकते हैं, देख सकते हैं जैसे हमारी इमारतें लेकिन अमूर्त धरोहर को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं जैसे हमारी भाषा, संस्कृति, साहित्य आदि | मेरा ऐसा मानना है कि हमें मूर्त धरोहर के साथ-साथ अमूर्त धरोहर को सहेज कर रखना चाहिए क्योंकि अमूर्त धरोहर जैसे अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य, इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करके हम आने वाली पीढ़ियों को जागरूक कर सकते हैं |
पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने बताया कि किसी भी ��ेश की धरोहर के आधार पर किसी भी राष्ट्र के महत्व का मूल्यांकन होता है ।मूर्त धरोहर में स्थापत्य कलाएं मूर्तियां चित्र आदि हैं और अमूर्त में जिन्हें देखा नहीं जा सकता वह धरोहर है। पूर्वजों से प्राप्त संस्कार, साहित्य, संगीत, कला संस्कृति के रूप में हम सुरक्षित इसे पाते हैं । इन सब का संरक्षण और भावी पीढ़ियों में इनका प्रसार करना हम सभी का दायित्व है ।
डॉ जानिसार आलम, असिस्टेंट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सेमिनार में अपना पेपर प्रस्तुतीकरण किया |
छात्र-छात्राओं ने विद्वान वक्ताओं से भारतीय धरोहर एवं विरासत के बारे में कई प्रश्न पूछे जिसका उत्तर पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल उठे | प्रश्न पूछने वाले छात्र-छात्राओं को ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया |
सेमिनार में डॉ शिखा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, स्वयंसेवकों व मीडिया कर्मियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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sachindc · 6 months ago
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# मीडिया_का_काम_अफवायें_फैलाना नहीं सच्चाई बताना है
सभी मीडिया चुल्लू भर पानी में डुब मरों , भारतीय मीडिया बिना किसी जांच पड़ताल कें किसीकें बारे में झुठी खबरें दिखानां बंद करें अन्य संतों की
लिस्ट में संत रामपाल जी महाराज का नाम मत जोड़ो।
Stop Fake News On Sant Rampal Ji.
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kamlesh-rathva · 1 year ago
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संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितम्बर हुआ जिनके विषय में हंगरी की महिला ज्योतिषी ‘‘बोरिस्का’’ ने लिखा है कि 21 वीं सदी में मानवीय सद्गुणों का विकास एक भारतीय संत के द्वारा होगा, जो चिरस्थाई रहेगा, इस आध्यात्मिक व्यक्ति के अनुयायी भौतिकवाद को आध्यात्मिकता में बदल देगें।
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*✰वेदों के अनुसार वो परमात्मा कौन हैं जिनकी साधना से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं?✰*
अवश्य पढ़ें पवित्र सद्ग्रंथों पर आधारित संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक *ज्ञान गंगा*।
निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करने हेतु अपना नाम, पूरा पता, और मोबाइल नंबर हमें व्हाट्सएप करें : +91 7496801825
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helpukiranagarwal · 11 months ago
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“एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम उस देश के आदर्शों पर निहित करता है।”
महान सामाजिक कार्यकर्ता, कवयित्री और कुशल राजनीतिज्ञ, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर वक्ता एवं लेखिका, नारी शक्ति की प्रतीक, साहस व समर्पण की प्रतिमूर्ति एवं उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल तथा 'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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drrupal-helputrust · 11 months ago
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“एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम उस देश के आदर्शों पर निहित करता है।”
महान सामाजिक कार्यकर्ता, कवयित्री और कुशल राजनीतिज्ञ, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर वक्ता एवं लेखिका, नारी शक्ति की प्रतीक, साहस व समर्पण की प्रतिमूर्ति एवं उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल तथा 'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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srbachchan · 1 year ago
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DAY 5670
Jalsa, Mumbai Aug 26/27, 2023 Sat/Sun 1:19 AM
Birthday - EF - Rohit Kumar Bhutoria Sunday, 27 August .. wishes and more from the entire Ef family .. 🚩
In time at last .. or well sort of .. an effort made to be in no disappointment for the Ef .. and to be able to bring back the discipline that has ever existed and remains a part the primary Ef ..
the run is customary now .. unless there is a need to alternate it with either someone that has 'rolled over' and has been incapable of any physical activity ..
but before all that physical bit .. a bit of the self aggrandisement in the HELLO mag about the 100 influentials of INDIA :
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.. and then we have a brilliant retort from Anand Mahindra to the BBC, questioning our Chandrayaan 3 .. !!
🤣🤣🤣
Really?? The truth is that, in large part, our poverty was a result of decades of colonial rule which systematically plundered the wealth of an entire subcontinent. Yet the most valuable possession we were robbed of was not the Kohinoor Diamond but our pride & belief in our own capabilities. Because the goal of colonisation—its most insidious impact—is to convince its victims of their inferiority. Which is why investing in BOTH toilets AND space exploration is not a contradiction. Sir, what going to the moon does for us is that it helps restore our pride & self-confidence. It creates belief in progress through science. It gives us the aspiration to lift ourselves out of poverty. The greatest poverty is the poverty of aspiration… Quote Megh Updates 🚨™ @MeghUpdates · Aug 23 Listen to what BBC had to say about #Chandrayaan3
Should India which lacks in Infrastructure and has extreme poverty, Should they be spending this much amount of money on a space program
But what is quite brilliant is also a Hindi retort from a colleague :
वो देश, जिसके संग्रहालयों का खज़ाना, केवल दुनिया से लूटे गए मूल्यवान वस्तुओं से भरा है, वो देश, जो मसाले की खोज में भारत आया, उसे लूटा, लोगों को मानव निर्मित अकाल में झोंका और आज भी जिसके खानों से मसाले गायब हैं, वो देश, जिसे अपने ही इजाद किए खेल का विश्व कप जीतने में बरसों लग गए वो देश, जिसका सूरज कभी अस्त नहीं होता था, पर आज भी अपने अंतरिक्ष संस्थान का नाम दुनिया तक नहीं पहुंचा पाया है,
आज हमें ज्ञान दे रहा है?
हम भारतीयों ने दुनिया को अद्भुत संरचनाएं दीं, कला दी और भारतीय दर्शन से संस्कृतियों को प्रभावित किया और आज भी कर रहे हैं हम भारतीयों ने अपने मसालों और अपनी पाक शास्त्र का परचम दुनिया के कोने कोने में लहराया है हमने दूसरों के इजाद किए खेल न केवल सीखे, पर उनमें महारत भी प्राप्त की और धुरंधरों को धूल चटाई है हमने न केवल चांद और तारों पर कविताएं लिखी, न केवल उनको देखकर सपने बुने, परंतु चांद पर भारतीय तिरंगा लहराया और अंतरिक्ष पर निरंतर और सतत जीत की ओर अग्रसर हैं।
जो कभी हम पर राज किया करते थे, उन अंग्रेज़ों की ईर्ष्या को यह चेतावनी है - यह आग तुम्हें बस जलाएगी पर इसी आग से हम अंतरिक्ष के उस छोर पर पहुंचेंगे जहां से भारत का सूरज कभी अस्त नहीं होगा।
🇮🇳
WILL THE HINDI /ENGLISH LITERATE PLEASE TRANSLATE
🇮🇳
but before all that .. a bit of the self aggrandisement in the HELLO mag about the 100 influentials of INDIA :
and the music delivers its most colourful night .. it is the divinity of the hour that brings the creativity to the fore .. and in its brilliance dwells the ultimate ..
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when the 'SA 🎶' - the first note is hit .. its vibration exudes all that is in the positive eons within .. the superiority of its scale is beyond measure .. actually measure is truly the wrong word .. vibrations of the gravity of a 'note' cannot be measured .. Richter scale and all ..
( and mr Googlé does not have Richter in its information .. process )
we be in blessings beyond to be as in to be ..
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Amitabh Bachchan
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helputrust-drrupal · 11 months ago
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“एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम उस देश के आदर्शों पर निहित करता है।”
महान सामाजिक कार्यकर्ता, कवयित्री और कुशल राजनीतिज्ञ, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर वक्ता एवं लेखिका, नारी शक्ति की प्रतीक, साहस व समर्पण की प्रतिमूर्ति एवं उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल तथा 'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन ।
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helputrust · 3 months ago
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लखनऊ, 26.09.2024 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, गोमती नगर में "नवनिर्वाचित छात्र परिषद शपथ ग्रहण एवं सम्मान समारोह" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता की |
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया । भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अलका निवेदन और उप प्राचार्य डॉ. संदीप बाजपेई ने डॉ. रूपल अग्रवाल को पौधा और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया । डॉ. रूपल अग्रवाल, प्राचार्या डॉ. अलका निवेदन एवं उप प्राचार्य डॉ. संदीप बाजपेई ने नवनिर्वाचित छात्र परिषद की सभी छात्राओं को बैच लगाए तथा शपथ दिलाई, साथ ही कॉलेज में आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं की विजेता छात्राओं को प्रतीक चिन्ह, प्रमाण पत्र एवं मैडल देकर सम्मानित किया | छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए |
सभी छात्राओं को बधाई देते हुए डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "आज आप सभी ने अपने कॉलेज के कर्तव्यों का निर्वहन करने की शपथ ली है | मुझे आशा है कि आप सभी अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे और अपने माता-पिता एवं कॉलेज का नाम समाज में रोशन करेंगे |"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रबंध न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्या डॉ अलका निवेदन, उप प्राचार्य डॉ संदीप बाजपेई, शिक्षिकाओं, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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thedhongibaba · 1 year ago
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🙏अब आपकी बारी
खासकर अपने बच्चों को बताएं
क्योंकि ये बात उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बताएगा...
📜😇 दो पक्ष-
कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !
📜😇 तीन ऋण -
देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !
📜😇 चार युग -
सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !
📜😇 चार धाम -
द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !
📜😇 चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !
📜😇 चार वेद-
ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !
📜😇 चार आश्रम -
ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !
📜😇 चार अंतःकरण -
मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !
📜😇 पञ्च गव्य -
गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !
📜
📜😇 पंच तत्त्व -
पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !
📜😇 छह दर्शन -
वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !
📜😇 सप्त ऋषि -
विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!
📜😇 सप्त पुरी -
अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !
📜😊 आठ योग -
यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !
📜
📜
📜😇 दस दिशाएं -
पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल
📜😇 बारह मास -
चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !
📜
📜
📜😇 पंद्रह तिथियाँ -
प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !
📜😇 स्मृतियां -
मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !
**********************
इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी सनातन भारतीय संस्कृति का ज्ञान हो।
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत क�� लोगों को मालूम होंगी ।
5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में
सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।
अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।
परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।
उदास हो?
कथाए पढो ।
टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।
फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......
सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।
व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।
ये मेसेज असुर भेजने से रोकेगा मगर आप ऐसा नही होने दे और मेसेज सब नम्बरो को भेजे ।
श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।
.
''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...
बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...
बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...
अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...
खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...
''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...
खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...
खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...
खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...
खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...
बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...
ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है
रोज एक सेब
नो डाक्टर ।
रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।
रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।
रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।
रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।
रोज चार काजू,
नो भूख ।
रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।
रोज कथा सुनो
मन को शान्ति मिलेगी ।।
"चेहरे के लिए ताजा पानी"।
"मन के लिए गीता की बाते"।
"सेहत के लिए योग"।
और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।
अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।
जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान इक इक पुण्य के लिए तरसेगा ।
जब तक ये मेसेज भेजते रहोगे मुझे और आपको इसका पुण्य मिलता रहेगा...
अच्छा लगा तो मैने भी आपको भेज दिया, आप भी इस पुण्य के भागीदार बनें
*जय माँ सरस्वती*!! जय मां शारदा !! 🙏🙏🌹🌹
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essentiallyoutsider · 2 years ago
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फ़रवरी
देवी प्रसाद मिश्र
(एक)
युवा होने के ख़तरों से मैं दूर आ गया हूँ लेकिन नसों में कितनी ही फ़रवरियों का ख़ून बह रहा है
फ़रवरी में फ़रवरी से बेहतर महीना ढूँढने का
यह वक्त नहीं है
मनुष्यों से अधिक पेड़
एक नयी दुनिया बनाने के संकल्प से भरे हैं
लेकिन नये पत्ते नये अर्थ का प्रतीक बनने से
गुरेज़ कर रहे हैं
कौन जाने यह वसंत है भी कि नहीं –
अनिश्चयों के इस शमशेर सन्नाटे में
राजनीति को मैं बदल नहीं सका
पर्दे मैंने बदल दिये हैं कि तुम आओगी
नई माचिस ले आया हूं कि रगड़ते ही जल उठें तीलियाँ और भक्क से निकलने वाली हँसी और आग में मैं चाय बनाता रहूँ
और तुम मुझे देखो
एक मनमाने स्वतंत्रचेता पशु की
लाल आँखों से कि
कोई भी प्रेम अपूर्णता ही क्यों है
व्यक्तियों को न बदलने के अवसाद के साथ मैंने चादर बदल दी है अधिक फूलों वाली चादर की जगह ज़मीन के रंग वाली चादर बिछा दी है
यह एक अनाथ भूभाग है
इच्छाएं हमें जहाँ निर्लज्ज बना देंगी
लालसा के तारे दमक रहे होंगे
विद्रोही वासना के सूने आकाश में
होगा उल्कापात पूरी रात
तामसिक उजाले में हम होते जाएंगे अगाध और अप्रमेय की गोधूलि का झुटपुटा
वैधता का धर्मग्रंथ मैं फाड़ दूँगा
कुछ भी नहीं होगा सोशली करेक्ट
पोलिटिकल करेक्टनेस हासिल कर लेंगे
ठीक ही कहा था लेनिन ने कि
रणनीतियाँ प्रक्रिया में बनती हैं;
बहुत पहले से तो पूर्वग्रह होते हैं- यह मैंने कहा लेकिन क्या तुमने सुना
हमारे बीच हुई
हिंसाओं में दृष्टिकोण,
चयन और आग्रहों का रक्तपात है
तुम्हारा आना एक दृष्टिकोण का आना है जिसकी जगह बनाने के लिए मैंने कमरों की जो सफाई शुरू की तो इतनी धूल उड़ी कि पड़ोसी गोली मारने आ गया जिससे मैंने कहा कि प्रेम करने के बाद मैं मरने के लिए उसके घर आ जाऊँगा ज़्यादा नाराज़ होकर वह लौट गया यह कहते हुए कि उसकी हिंदू चाय को लेकर मेरी अन्यमनस्कता मुझे महँगी पड़ेगी
मुझसे बेहतर कवि होने के लिए
मुझसे अधिक दुख उठाने होंगे
और मुझसे खराब कविता लिखने के लिए
करने होंगे वैचारिक अपराध
भागती रेलगाड़ी की खिड़की के पास बैठा अच्छी कविता लिखने का फार्मूला बाहर फेंकता ब्लू-ब्लैक स्याही की दवात-सा मैं प्रगाढ़तर होता उजास हूँ अगर हवास हूँ
मेरे गाँव का नाम हरखपुर है- यहाँ के नारीवाद पर मैं किताब ढूँढ रहा हूँ कवितावली वाली अवधी में राउटलेज और सेज ��ी किताबें मध्यवर्गीय धर्मग्रंथ हैं
नहाने की जगह मैंने रगड़कर साफ़ की
तेज़ाब से मेरी जल गईं उंगलियाँ
दुनिया के दाग़दार फर्श को इतनी ही शिद्दत से साफ़ करूँगा यह तय किया है
बाथरूम के शीशे में मेरा चेहरा उस आदमी के चेहरे-सा था जिसके राज्यसत्ता के साथ बहुत बुरे सम्बन्ध रहे- वह स्याह पूरे घर में फैल गया है
भारतीय वसंत और पतझड़ के बीच फैले इस अपारदर्शी में अब और भी जरूरत है मुझे तुम्हारी प्यार और अपरायजिंग में होती पराजयों ने मुझे
रोते हुए हँसने का नमूना बना रखा है
मेरे पास आना एक ज़ख्मी आदमी की
कराह सुनने के धीरज के साथ आना है
मेरे और निराला के तख्त के बीच बमुश्किल तीन मील का फासला होगा- मैं इलाहाबाद की आंख और घाव से टपका खून का आख़िरी कतरा तो नहीं ही हूँ
मैंने घर को तुम्हारे आने के लिए तैयार कर रखा है जबकि तुमने कह दिया है कि तुम नहीं आओगी फ़रवरी में – कारण न मैं जानता हूँ न तुम
प्रेम एक टेढ़ी नदी है जो पहाड़ों की घाटियों से शिखरों की तरफ बहती है उल्टी
उल्टियाँ करने का मेरा मन होता रहा है
सिर कितना घूमताssरहा है गेंदबाज़ चंद्रशेखर की लेग स्पिन- सा
तुम्हें याद करना एक बोझ उठाना है
और न याद करना निरुद्देश्य पर्वतारोही हो जाना है
शोकसभा के बाद बिछी रह गई दरी सी है
फरवरी
अट्ठाईस दिनों की फ़रवरी में अगर तुम नहीं आ रही हो तो इसे मैं तीस और इकतीस दिनों का कर दूँगा
इससे ज्यादा क्या चाहती हो क्या कर दूँ पूरा कैलेंडर बदल दूँ ?
(दो)
मैं तुम्हें विचलित करने के लिए कहता हूँ कि तुम अविश्वसनीय हो इसलिए उत्तेजक हो
तुम कहती हो कि तीन साल पुराना प्रेम डेढ क्विंटल राख है
प्रेम के फ़ायरप्लेस में अब संस्मरणों की सूखी लकड़ियाँ जल रही हैं
जलाने के लिए तुम्हारी चिट्ठियाँ नहीं हैं मेरे पास तुम्हारी आवाज़ है और उसके अपरिमित संस्करण जो मुझे पहाड़ों की तरह घेरे रहते हैं और ऐन छत को छूकर गुज़रते हवाई जहाज़ की तरह गूँजते हैं
यह बता पाना मुश्किल है कि तुम्हें याद करना वृत्त में घूमना है या एक दीवार को छूकर दूसरी दीवार तक जाना है- तुम्हारी स्मृति कारावास है या आभासीय आवासीयता का अनोखा आसमान
हम अलगाव के उजाड़ तुग़लकाबाद में घूम रहे हैं
हमने गणतंत्र दिवस पर एक दूसरे से स्वतंत्र होने का अभिनय किया दो राष्ट्र बना लिए और एक कँटीली फेंस डाल दी बीच में और ज़ल्दबाज़ी में एक दूसरे का संविधान उठा लाये
इतना दुख था कि जैसे प्रेम में घायलों की आख़िरी प्रजाति थे हम और आसक्ति की संस्कृति में कई बार मरने के क्रम का पहला मरना
हमारी स्वायत्तता अब
हमारा अकेलापन है
मालूम है
आधुनिकता अपारगम्य कलह है
तुम्हारी तरफ जाने वाला रास्ता
और मेरी तरफ आने वाली पगडंडी
इस बात की मिसाल हैं
कि हमने सरल को समाधान नहीं माना
मंगलेश के साथ हिंदी के हर सरल वाक्य की मृत्यु हो गई क्या
तुम्हारा फोन नहीं आ रहा इक्कीसवीं सदी के पहले चतुर्थांश का यह अहंवाद है जिसमें स्त्री बोहेमियन हो सकती है
मेरे पास हजारों साल पुराना पुरुष होने का नियंत्रक अहंकार है जो एकनिष्ठ होने का नाट्य कर सकता है और जो एकाधिकार की दार्शनिकता को अभिपुष्ट कर सकता है
मोबाइल एक ब्लैक बोर्ड की तरह ख़ाली है जहाँ नहीं चमकता तुम्हारे संदेश का लाल तारा
व्हाट्सऐप हरे चौकोर घास के मैदान सा निर्जन है
यह डूबने के लिए झुका हुआ जहाज है
पूरा नहीं ध्वस्त है आधा जला बंदरगाह
भूख के उदाहरणों से भरे शहर में
प्रेम छीन लिया गया
जैसे थाली हटा ली जाती है
बुभुक्षु के सामने से
क्या प्रेम सेक्स के रनवे  तक पहुँचने की खड़ंजा वाली मनरेगा रोड भर है
तुमसे अलग होने का दुख पूछता रहा है कि क्यों खत्म होता है आरंभ- वह चाहता है कि लौट आए उस पहले वाक्य की उदग्रता उस दूसरे वाक्य की उसाँस उस तीसरे वाक्य का धैर्य उस नवें वाक्य की असहमति उस तेरहवें वाक्य का विषण्ण और जो इस निरुपाय हठ से भरा है कि फरवरी के फर फर में उड़ती धूप के पर्दे पर उसकी कथा फिल्म देखी जाये निस्सहायता परिभाषित हो और पारस्परिकता के नष्ट होने को एक बड़ी त्रासदी माना जाये
यह प्यार का एकेश्वरवाद था- पत्थरों की उपासना के वैविध्य से भरा बहुदेववाद: पत्थर के सनम, तुझे हमने मुहब्बत का ख़ुदा माना
एक ढहते हुए रेस्तरां में एक मेज़ और आमने सामने रखी घुन खाई दो कुर्सियाँ संवाद के आख़िरी नमूने हैं
उच्चस्थानीय एक प्रतिशत के पास चालीस प्रतिशत और आखिरी पचास प्रतिशत के पास तीन प्रतिशत परिसंपत्ति है और यही हमारी केंद्रीय विपत्ति है, यह कहकर हमने एक दूसरे को कॉमरेड कहा और फिर कभी बात न करने का फैसला किया
रेनेसां की बजाय हमारे पास धार्मिक छिछोरापन है, गाय बचाने की पाशविकता और मनुष्य मारने का सलफास और नागरिकता का मुँह चमकाने की फिटकिरी और हर साल कला और साहित्य के लिए दिये गये पुरस्कारों का कई टन तांबा, टीन और लक्कड़
जले हुए प्रेम के पुस्तकालय के नालंदा के उजाड़ में हैं हम
पत्तों के वस्त्र पहनकर मैं जंगल की तरफ जा रहा हूँ तुम भी आ जाओ री, अनिवारणीय ! सुबह के झुटपुटे अनार के रंग वाली
आओ,
हम प्रकृति के दो पर्ण हो जाएँ
और हिंदी के आरंभिक
उत्तर-मनुष्य
हम दुर्भाग्य के मारे हैं हमारे पास
न नवजागरण है और न साम्यवाद
और न अनीश्वरवाद का महास्नान
एक डग डग प्रधानमंत्री और एक धक धक पूंजीपति के बीच हम क्रांति में न मरने का जेनेटिक डिज़ाइन
और वंशानुगत इनसेस्टुअस मतदाता होने की हेडलाइन हैं भारतीय लोकतंत्र में इच्छाओं
का प्रतिनिधित्व नहीं आसान
क्या अपराधी ही बनाते हैं सरकार, मेरी जान.
_______________
(देवी प्रसाद मिश्र की कविता फ़रवरी का पहला हिस्सा ‘फ़रवरी-एक’ सदानीरा पत्रिका  में भी प्रकाशित हुई है. यह उसका संवर्धित रूप है.)
देवी प्रसाद मिश्र
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