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#भारतीय जल सीमा
currenthunt · 8 months
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'प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना'
भारतीय प्रधानमंत्री ने 'प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना' शुरू की, जो एक नवाचारी सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य देश में एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली या रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित करना है। रूफटॉप सोलर पैनल - रूफटॉप सोलर एक फोटोवोल्टिक प्रणाली है जिसमें विद्युत उत्पादन करने वाले सौर पैनल आवासीय या व्यावसायिक भवन या संरचना की छत पर लगे होते हैं। - लाभ: यह ग्रिड से जुड़ी विद्युत की खपत को कम करता है और उपभोक्ता के लिये विद्युत की लागत बचाता है। - रूफटॉप सोलर प्लांट से उत्पन्न अधिशेष सौर ऊर्जा इकाइयों को मीटरिंग प्रावधानों के अनुसार ग्रिड में निर्यात किया जा सकता है। - उपभोक्ता प्रचलित नियमों के अनुसार अधिशेष निर्यातित विद्युत के लिये मौद्रिक लाभ प्राप्त कर सकता है। - संबंधित सरकारी पहल: सरकार ने वर्ष 2014 में रूफटॉप सोलर प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक 40,000 मेगावाट (MW) या 40 गीगावाट (GW) की संचयी संस्थापित क्षमता हासिल करना था। - हालाँकि यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका। परिणामस्वरूप, सरकार ने समय-सीमा वर्ष 2022 से बढ़ाकर वर्ष 2026 कर दी। - कुछ रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना 40 गीगावॉट रूफटॉप सोलर क्षमता के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने का एक बड़ा प्रयास है। भारत की मौजूदा सौर क्षमता की स्थिति भारत की वर्तमान सौर क्षमता - रूफटॉप सौर क्षमता: दिसंबर 2023 तक छत पर लगाए गए/रूफटॉप सोलर प्रणाली की कुल क्षमता लगभग 11.08 गीगावॉट है। - गुजरात 2.8 गीगावॉट के साथ सूची में शीर्ष पर है जिसके बाद महाराष्ट्र 1.7 गीगावॉट की क्षमता के साथ दूसरे स्थान पर है। - ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Council on Energy, Environment and Water- CEEW) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार कुल रूफटॉप सोलर प्रणाली की मात्र 20% स्थापनाएँ आवासीय क्षेत्र में की गई हैं तथा अधिकांश रूफटॉप सोलर प्रणाली वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में हैं। - रिपोर्ट के अनुसार भारत के 25 करोड़ घर छतों पर कुल 637 गीगावॉट की क्षमता की सोलर प्रणाली स्थापित कर सकते हैं तथा इसकी कुल क्षमता का मात्र एक-तिहाई हिस्सा देश में संपूर्ण आवासीय क्षेत्रों की विद्युत की मांग को पूरा कर सकता है। - स्थापित सोलर प्रणाली की कुल क्षमता: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2023 तक भारत में छतों पर स्थापित सोलर प्रणाली की क्षमता लगभग 73.31 गीगावॉट तक पहुँच गई है। - कुल सौर क्षमता के मामले में राजस्थान 18.7 गीगावॉट के साथ शीर्ष पर है। गुजरात 10.5 गीगावॉट के साथ दूसरे स्थान पर है। - छत पर स्थापित सोलर प्रणाली क्षमता के संदर्भ में गुजरात 2.8 गीगावॉट के साथ सूची में सबसे ऊपर है इसके बाद महाराष्ट्र 1.7 गीगावॉट के साथ दूसरे स्थान पर है। भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग - अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency) के अनुसार भारत को अगले तीन दशकों में वैश्विक स्तर पर ऊर्जा मांग में सबसे अधिक वृद्धि का अनुभव करना पड़ सकता है। - कोयला उत्पादन में वृद्धि के बावजूद भारत वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिये प्रतिबद्ध है। - इसके अलावा, देश का लक्ष्य वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50% विद्युत् ऊर्जा उत्पादन का है, जो पहले ही 43% तक पहुँच चुका है जिसमें कुल स्थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 30% है। - बढ़ती विद्युत् ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिये नवीकरणीय क्षमता, विशेषकर सौर ऊर्जा में तेज़ी से वृद्धि आवश्यक है। Read the full article
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dainiksamachar · 10 months
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हिंद महासागर में रूसी युद्धपोतों ने क्यों जमाया डेरा, पुतिन को होगी मोदी सरकार की मदद की दरकार!
मॉस्को: रूस ने पिछले कुछ महीनों से हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी को बढ़ा दिया है। हाल में ही रूसी नौसेना का प्रशांत बेड़ा भारत दौरे पर पहुंचा था। इस बेड़े ने भारतीय नौसेना के साथ बंगाल की खाड़ी में युद्धाभ्यास भी किया था। इस महीने की शुरुआत में पिछले पांच दशकों में पहली बार रूसी युद्धपोत बांग्लादेश पहुंचे थे। इसके अलावा रूस ने म्यांमार की नौसेना के साथ भी युद्धाभ्यास कर नया इतिहास रच दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध के बीच हिंद महासागर पर नजर क्यों गड़ाए बैठे हैं। सवाल यह भी है कि क्या भारत हिंद महासागर में अमेरिका के खिलाफ रूस का साथ देगा। एशिया पर रूस का खास ध्यान विशेषज्ञों के अनुसार, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से पुतिन ने एशियाई देशों के साथ संबंध मजबूत किए हैं। जिन एशियाई देशों के साथ रूस का व्यापार न के बराबर था, उसे अब बढ़ाया जा रहा है। यहां तक कि रूस अब पाकिस्तान के साथ भी रिश्ते मजबूत करने में नहीं झिझक रहा है। वह म्यांमार की सैन्य शासन को लगातार हथियारों की सप्लाई कर रहा है। भारत और चीन पहले ही रूस से तेल की रिकॉर्ड खरीद कर रहे हैं। बांग्लादेश और श्रीलंका भी अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस की तरफ उम्मीदों से देख रहे हैं। भारत करेगा रूस की पूरी मदद विश्लेषकों का कहना है कि भारत अपने पुराने सहयोगी और रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता रूस के खिलाफ नहीं है। भारत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते पदचिह्न का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मजबूत साझेदारी बनाए हुए है। इसके बावजूद वह अपने पुराने दोस्त रूस को हर तरह की मदद करने को तैयार है। इसके लिए भारत ने अपने पश्चिमी सहयोगियों के दबाव को भी नजरअंदाज कर दिया है। इसका प्रमाण रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी देखने को मिला, जब भारत ने पुतिन की आलोचना करने से साफ इनकार कर दिया। म्यांमार और बांग्लादेश के साथ रूस ने बढ़ाया संबंध रूस के रक्षा मंत्रालय ने 7 से 9 नवंबर तक अंडमान सागर में म्यांमार के साथ आयोजित नौसैनिक अभ्यास को "आधुनिक इतिहास में पहला रूसी-म्यांमार नौसैनिक अभ्यास" कहा। इस अभ्यार में रूसी प्रशांत बेड़े के दो पनडुब्बी रोधी जहाजों एडमिरल ट्रिब्यूट्स और एडमिरल पेंटेलेयेव ने म्यांमार की नौसेना के एक फ्रिगेट और एक कार्वेट के साथ भाग लिया। म्यांमार के साथ अभ्यास के कुछ दिनों बाद, वही रूसी युद्धपोत बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचे। यह 50 साल में पहला मौका था, जब कोई रूसी युद्धपोत बांग्लादेश पहुंचा था। ढाका में रूसी दूतावास ने इसे "रूस-बांग्लादेश संबंधों के लिए एक बड़ा मील का पत्थर" कहा। रूसी नौसेना की मौजूदगी पर क्या करेगा भारत द विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा, "हालांकि भारत के लिए निकटवर्ती जल क्षेत्र में विदेशी सेनाओं की उपस्थिति का स्वागत करना अजीब लग सकता है, लेकिन भारत रूसी नौसैनिक शक्ति को चीन के समान चिंता के साथ नहीं देखेगा। भारत संभवतः इस रूसी उपस्थिति को एक ऐसी चीज के रूप में देखता है जो क्षेत्र में चीनी नौसैनिक शक्ति को संतुलित कर सकती है, जिससे नई दिल्ली के लिए खतरा कम हो जाएगा। चीन की मौजूदगी भारत के लिए बना सिरदर्द विश्लेषकों का कहना है कि पिछले दशक में हिंद महासागर में श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों में चीन का बढ़ता प्रभाव नई दिल्ली के लिए एक प्रमुख रणनीतिक सिरदर्द के रूप में उभरा है। भारत 2020 से अपनी हिमालयी सीमा पर चीन के साथ एक कड़वे सैन्य गतिरोध से जूझ रहा है। श्रीलंका में भी चीन ने भारत के करीब हंबनटोटा बंदरगाह का निर्माण किया है। इस बंदरगाह पर आए दिन चीनी अनुसंधान जहाज आते रहते हैं, जिसे पूरी दुनिया "जासूस जहाजों" के रूप में देखती है। म्यांमार को कर रहा हथियारों की सप्लाई 2021 में म्यांमार में सैन्य जुंटा द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद से मॉस्को का उसके साथ सहयोग बढ़ रहा है और रूस अब म्यांमार को हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। यह देश अन्य रूसी निर्यातों के लिए भी एक प्रमुख बाज़ार है। रूस और ढाका के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं और चूंकि बांग्लादेश की सरकार अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर अमेरिका के दबाव में है, इसलिए वह मास्को के करीब आ सकती है। रूस बांग्लादेश का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र बना रहा है। http://dlvr.it/SzZPvF
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india7d · 1 year
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When was the first time the name 'India' was used for 'Bharat'?
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'भारत' के लिए 'इंडिया' नाम का प्रयोग पहली बार कब किया गया था? पहली बार 'भारत' के लिए 'इंडिया' शब्द का प्रयोग क्यों किया गया? " इंडिया" शब्द की उत्पत्ति "सिंधु" शब्द से हुई है, जो सिंधु नदी को संदर्भित करता है। "इंडिया " शब्द का प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है जब प्राचीन यूनानी इतिहासकारों और लेखकों ने सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को "इंडिया" या "इंडी" कहा था। "India" शब्द का सबसे पहला दर्ज उपयोग हेरोडोटस के लेखन में पाया जा सकता है, जो एक यूनानी इतिहासकार था जो 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में रहता था। हालाँकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि "भारत" शब्द, जैसा कि हम आज जानते हैं, का उपयोग पूरे उपमहाद्वीप को एक एकल राजनीतिक इकाई के रूप में संदर्भित करने के लिए नहीं किया गया था। इसके बजाय, यह मुख्य रूप से वर्तमान पाकिस्तान में सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को संदर्भित करता है। दूसरी ओर, " भारत" शब्द की जड़ें प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, "भारत " नाम पौराणिक राजा भरत से लिया गया था, जो प्राचीन भारत के शासक थे और भारतीय महाकाव्य, महाभारत में एक प्रमुख व्यक्ति थे। "भारतवर्ष" या " भारत" नाम का प्रयोग प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए किया गया था। भारतीय संदर्भ में , पूरे देश को संदर्भित करने के लिए "भारत" शब्द का उपयोग प्राचीन काल से किया जा सकता है। इस शब्द का प्रयोग विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और ग्रंथों में किया गया है, जो पूरे इतिहास में इसके उपयोग की निरंतरता को दर्शाता है। आधुनिक समय में देश का आधिकारिक नाम अंग्रेजी में "इंडिया" और अंग्रेजी में "भारत" है। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में . 1950 में अपनाए गए भारत के संविधान में औपचारिक रूप से अंग्रेजी में "इंडिया" और हिंदी में "भारत" को देश के नाम के रूप में मान्यता दी गई। देश की विविध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करने के लिए दोहरे नामकरण को चुना गया था। "इंडिया" और "भारत" को अपनाने का निर्णय "जैसा कि आधिकारिक नाम देश के समृद्ध इतिहास और भाषाई विविधता को स्वीकार करने और अपनाने का एक सचेत प्रयास था। दोनों नाम महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, जो देश की पहचान के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। "भारत" प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की विरासत रखता है । , जबकि "भारत" भारतीय सभ्यता की ऐतिहासिक निरंतरता और प्राचीन जड़ों का प्रतीक है। "इंडिया" शब्द का प्रयोग भारत के संदर्भ में किये जाने के ऐतिहासिक साक्ष्य लेकिन ब्रिटिशों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए " इंडिया" शब्द का उपयोग किए जाने के सीमित ऐतिहासिक साक्ष्य हैं । जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "इंडिया" शब्द "सिंधु" शब्द से लिया गया है, जो सिंधु नदी का संदर्भ देता है। हेरोडोटस जैसे प्राचीन यूनानी इतिहासकारों और बाद के लेखकों ने सिंधु नदी के आसपास ��े क्षेत्र का वर्णन करने के लिए "इंडिया" या "इंडिक" शब्द का इस्तेमाल किया , जो वर्तमान पाकिस्तान में है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से पहले, भारतीय उपमहाद्वीप को अलग-अलग नामों से जाना जाता था और इसकी विविध सांस्कृतिक और भाषाई पहचान थी। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "भारत" शब्द का उपयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में किया गया था, लेकिन उपमहाद्वीप में विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य नाम भी थे। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से पहले भारत के नाम से जाने जाने वाले भारतीय उपमहाद्वीप के ऐतिहासिक संदर्भ क्या हैं? प्राचीन भारत: प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप को विभिन्न क्षेत्रों और सभ्यताओं में विभिन्न नामों से जाना जाता था। वेदों और उपनिषदों जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस क्षेत्र को महान राजा भरत के नाम पर "भारत वर्ष" या " भारत खंड " कहा गया है । फ़ारसी और अरबी इतिहासकार, जिनका व्यापार और यात्रा के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप से संपर्क था, उन्होंने इस क्षेत्र को "हिंद" या "अल-हिंद" कहा। फ़ारसी प्रत्यय "-स्तान" के साथ "हिंद" को मिलाकर "हिंदुस्तान" शब्द भी उभरा, जिसका अर्थ है भूमि या देश। मेगस्थनीज जैसे यूनानी इतिहासकार, जिन्होंने ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार का दौरा किया था, ने अपने लेखन में इस क्षेत्र को "इंडिका" कहा है। शास्त्रीय काल: शास्त्रीय काल के दौरान, भारतीय उपमहाद्वीप में कई शक्तिशाली साम्राज्य और राज्य थे। चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी में गुप्त साम्राज्य को प्राचीन ग्रंथों में "आर्यावर्त" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ आर्यों की भूमि था। दक्षिण में चोल, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजवंशों ने अपने डोमेन को "द्रविड़" या "तमिलकम" कहा। इस्लामी काल: मध्ययुगीन काल के दौरान, भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न इस्लामी राजवंशों का उदय हुआ। फ़ारसी और अरबी इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए "हिंद" या "अल-हिंद" शब्द का उपयोग करना जारी रखा। 13वीं शताब्दी में स्थापित दिल्ली सल्तनत अपने क्षेत्र को "हिंदुस्तान" कहती थी। यूरोपीय खोजकर्ता: भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा करने वाले यूरोपीय खोजकर्ताओं और यात्रियों ने इस क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए "भारत" शब्द के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल किया। इतालवी खोजकर्ता मार्को पोलो ने अपने लेखों में भारत को "चिपंगु" कहा है, यह शब्द उन्होंने एशिया के विभिन्न क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया था। औपनिवेशिक काल: ब्रिटिश सहित यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों के आगमन के साथ, "भारत" शब्द को भौगोलिक और राजनीतिक पहचान के रूप में प्रमुखता मिली। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी उपस्थिति स्थापित की, और "ब्रिटिश इंडिया" शब्द का प्रयोग आम तौर पर उनके नियंत्रण वाले क्षेत्रों के लिए किया जाने लगा। मुगल साम्राज्य: मुगल साम्राज्य, जिसने 16वीं से 18वीं शताब्दी तक भारतीय उपमहाद्वीप के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर शासन किया था, ने फ़ारसी अभिलेखों में अपने डोमेन को "हिंदुस्तान" के रूप में संदर्भित किया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि "भारत" शब्द यूरोपीय और फारसी अभिलेखों में उभरा, भारतीय उपमहाद्वीप एक विविध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र था, जिसमें विभिन्न सभ्यताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न नाम थे। "इंडिया" शब्द को औपनिवेशिक युग में प्रमुखता मिली और आधुनिक समय में इसे देश के आधिकारिक नाम के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त हुई। India का मतलब क्या है? "india" शब्द के उस संदर्भ के आधार पर कई अर्थ हैं जिसमें इसका उपयोग किया गया है। "india" के प्राथमिक अर्थ इस प्रकार हैं: भौगोलिक अर्थ: भारत दक्षिण एशिया में स्थित एक देश है, जिसकी सीमा उत्तर पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन और नेपाल, उत्तर पूर्व में भूटान और पूर्व में बांग्लादेश और म्यांमार से लगती है। यह दक्षिण में हिंद महासागर और दक्षिण पश्चिम में अरब सागर से घिरा है। "india" शब्द पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करता है, जिसमें इसके भूभाग और आसपास के क्षेत्रीय जल भी शामिल हैं। राजनीतिक अर्थ: भारत /india एक संप्रभु राष्ट्र और एक संघीय संसदीय लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसे 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिली और इसे भारत के डोमिनियन के रूप में जाना जाने लगा। 26 जनवरी, 1950 को भारत ने अपना संविधान अपनाया और यह आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य बन गया। एक राजनीतिक इकाई के रूप में, भारत/india  28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से बना है। ऐतिहासिक अर्थ: ऐतिहासिक रूप से, "india" शब्द का उपयोग समग्र रूप से भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए किया गया है, जिसमें आधुनिक देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार और अफगानिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं। प्राचीन काल में, "india/indus" शब्द का उपयोग विभिन्न संस्कृतियों द्वारा सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र का वर्णन करने के लिए किया जाता था। सांस्कृतिक और सभ्यतागत अर्थ: भारत/india अपनी हजारों साल पुरानी समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत के लिए जाना जाता है। यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और इस्लाम सहित विभिन्न धर्मों के साथ-साथ विविध प्रकार की भाषाओं, कला, संगीत, साहित्य और परंपराओं का घर है। आर्थिक अर्थ: भारत/india दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण, कृषि और सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। प्रतीकात्मक अर्थ: भारत को अक्सर विविधता, एकता और लचीलेपन के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह अपने जीवंत त्योहारों, विविध परिदृश्यों और विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए मनाया जाता है। कुल मिलाकर, "india" शब्द विविध अर्थों वाली एक महत्वपूर्ण और बहुआयामी इकाई का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक मंच पर इसके ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को दर्शाता है। ऐतिहासिक सन्दर्भ विशेष रूप से 1800 से पहले या ब्रिटिश औपनिवेशिक युग से पहले भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए "india" का उपयोग करते हैं जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "india" शब्द "सिंधु" शब्द से लिया गया था और शुरू में सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को संदर्भित करता था, जो वर्तमान पाकिस्तान में है. इसे बाद में व्यापक भारतीय उपमहाद्वीप का वर्णन करने के लिए विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं द्वारा अपनाया गया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक युग से पहले, भारतीय उपमहाद्वीप को विभिन्न नामों से जाना जाता था और इसकी विविध सांस्कृतिक और भाषाई पहचान थी। "india" शब्द का प्रयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में किया जाता था, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों और सभ्यताओं द्वारा अन्य नामों का भी प्रयोग किया जाता था। जैसा कि कहा जा रहा है, यहां 1800 से पहले भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ ऐतिहासिक संदर्भ दिए गए हैं: हेरोडोटस (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व): प्राचीन यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस ने अपने काम "इतिहास" में सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को " इंडिया" या "इंडिक" कहा है। स्ट्रैबो (पहली शताब्दी ईसा पूर्व - पहली शताब्दी ईस्वी): यूनानी भूगोलवेत्ता और इतिहासकार स्ट्रैबो ने अपने लेखन में "india" का उल्लेख किया है , इसे फारस के पूर्व में स्थित भूमि के रूप में वर्णित किया है। प्लिनी द एल्डर (प्रथम शताब्दी सीई): रोमन लेखक प्लिनी द एल्डर ने अपने काम "नेचुरल हिस्ट्री" में "india" का उल्लेख रोमन साम्राज्य की पूर्वी सीमाओं से परे एक सुदूर भूमि के रूप में किया है। टॉलेमी (दूसरी शताब्दी सीई): ग्रीको-मिस्र के गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और भूगोलवेत्ता क्लॉडियस टॉलेमी ने अपने प्रभावशाली काम "जियोग्राफिया" में भारतीय उपमहाद्वीप को " india" के रूप में संदर्भित किया। चीनी अभिलेख (विभिन्न तिथियाँ): चीनी ऐतिहासिक अभिलेख, जैसे कि हान राजवंश और तांग राजवंश के, भारतीय उपमहाद्वीप को " यिन्दु" या "तियानझू" ("Yindu" or "Tianzhu.")के रूप में संदर्भित करते हैं। अल-बिरूनी (11वीं शताब्दी सीई): फ़ारसी विद्वान और बहुज्ञ अल-बिरूनी ने अपने कार्यों में भारतीय उपमहाद्वीप को "hind" के रूप में संदर्भित किया। मार्को पोलो (13वीं शताब्दी ई.): इतालवी खोजकर्ता मार्को पोलो ने अपनी यात्राओं के विवरण में भारतीय उपमहाद्वीप को "india" कहा था। इब्न बतूता (14वीं शताब्दी ई.): मोरक्को के विद्वान और खोजकर्ता इब्न बतूता ने अपने लेखन में भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए "हिंद" शब्द का इस्तेमाल किया। तैमूर (14वीं शताब्दी ई.): मध्य एशियाई विजेता तैमूर ने अपने संस्मरणों में भारतीय उपमहाद्वीप को "हिंदुस्तान" कहा है। बाबरनामा (16वीं शताब्दी ई.): मुगल सम्राट बाबर की आत्मकथा, "बाबरनामा" में भारतीय उपमहाद्वीप को "हिंदुस्तान" के रूप में संदर्भित किया गया है। जबकि इन ऐतिहासिक संदर्भों में भारतीय उपमहाद्वीप का उल्लेख है, यह समझना आवश्यक है कि "india" शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया गया था और अभी तक पूरे क्षेत्र के लिए एकमात्र नाम के रूप में मजबूती से स्थापित नहीं हुआ था। भारतीय उपमहाद्वीप के प्राथमिक नाम के रूप में "इंडिया" का उपयोग ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान और उसके बाद अधिक प्रचलित हो गया।
"अंग्रेजों ने आमतौर पर 'भारत' के बजाय 'इंडिया' शब्द का इस्तेमाल क्यों किया?
ब्रिटिश आमतौर पर कई कारणों से "भारत" के बजाय "इंडिया" शब्द का इस्तेमाल करते थे, जो मुख्य रूप से ऐतिहासिक संदर्भ, भाषाई विचारों और औपनिवेशिक प्रभावों से संबंधित थे। यह समझना आवश्यक है कि भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक काल ने अपने शासन के दौरान और उसके बाद अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में "इंडिया" शब्द के उपयोग को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया। यहां कुछ कारण बताए गए हैं कि अंग्रेजों ने "भारत" के बजाय " इंडिया" शब्द का इस्तेमाल क्यों किया : ऐतिहासिक उपयोग: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "भारत" शब्द का उपयोग प्राचीन ग्रीक और फ़ारसी इतिहासकारों सहित विभिन्न संस्कृतियों द्वारा, अंग्रेजों के भारत में आने से पहले ही सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए किया गया था। अंग्रेजों ने इस ऐतिहासिक उपयोग को जारी रखा और भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए इस शब्द को अपनाया। औपनिवेशिक विरासत: ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश क्राउन ने भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल क्षेत्रों पर शासन किया। उन्होंने अपनी प्रशासनिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचनाएँ स्थापित कीं और "भारत" शब्द उनके नियंत्रण वाले क्षेत्रों का पर्याय बन गया। भाषाई सुविधा: अंग्रेजी में "इंडिया" शब्द " भारत " की तुलना में छोटा और उच्चारण में आसान है। यह भारत और ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन दोनों में अंग्रेजी भाषा के दस्तावेजों, आधिकारिक रिकॉर्ड और संचार में क्षेत्र का सामान्य नाम बन गया। प्रशासन में एकरूपता: अंग्रेजों का लक्ष्य अपने शासन के दौरान शासन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना था। क्षेत्र के लिए एक सुसंगत नाम, यानी, "india" का उपयोग करने से आधिकारिक संचार और प्रशासन में एकरूपता बनाने में मदद मिली। अंतर्राष्ट्रीय संबंध: "india" शब्द को भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और उपयोग किया गया था । ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से पहले ही यह विभिन्न यूरोपीय शक्तियों, व्यापारियों और खोजकर्ताओं के बीच इस नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश राज की विरासत: ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत ने भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति, भाषा, शासन और शिक्षा प्रणाली को गहराई से प्रभावित किया। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद भी , आधिकारिक दस्तावेजों, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और लोकप्रिय मीडिया सहित विभिन्न संदर्भों में " इंडिया" नाम व्यापक रूप से उपयोग में रहा। विदेशियों के लिए सुविधा: "इंडिया" शब्द उन विदेशियों के लिए अधिक परिचित और पहचानने योग्य है जो भारत की स्थानीय भाषाओं में "india" शब्द से परिचित नहीं हो सकते हैं । यह देश के लिए एक सामान्य और आसानी से पहचाने जाने योग्य नाम प्रदान करता है। (नवीन सिन्हा) Read the full article
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ashokgehlotofficial · 2 years
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राजस्थान विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान दिए गए जवाब में कहा कि राज्य सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन से बजट 2023-24 में युवा, शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, सड़क, सामाजिक सुरक्षा, पेंशनधारियों सहित हर क्षेत्र के सर्वोंगीण विकास के लिए घोषणाएं की गई हैं। बजट की पूरे देश में चर्चा और सराहना हो रही है। सभी घोषणाएं निश्चित रूप से धरातल पर उतरेगी। इस बजट डॉक्यूमेंट को हर राज्य के मुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है, ताकि वे इसे आधार मानकर आमजन को लाभ पहुंचा सके। हमारे वित्तीय प्रबंधन से ही राजस्थान देश में जीडीपी की विकास दर में भी दूसरे स्थान पर आ गया है। बजट चर्चा का जवाब देते हुए आगामी वर्ष में 1 लाख भर्तियों की भी घोषणा की।
राज्य सरकार समावेशी बजट, कुशल वित्तीय प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बढ़ते दायरे के कारण प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है। प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लिए सतत प्र��ास कर रहे हैं। बताया कि वर्ष 2022-23 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 56 हजार 149 रही, जो कि गत वर्ष से 14.85 प्रतिशत अधिक है। पिछले 11 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में सर्वाधिक वृद्धि गत वर्ष 18.10 प्रतिशत और इस वर्ष 14.85 प्रतिशत रही है। राजस्थान की प्रति व्यक्ति आय में पिछले 4 वर्षाें में 10.01 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह वृद्धि 7.89 प्रतिशत ही रही है।
गत 3 वर्षों में राजस्थान अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले पिछडे़ राज्यों से निकलकर अग्रणी राज्यों में खड़ा हो गया है। सांख्यिकी कार्यक्रम इम्प्लीमेंटेशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अगस्त, 2022 में जारी विभिन्न राज्यों की जीएसडीपी के अनुसार विभिन्न राज्यों में गत 10 वर्षों में रही वृद्धि दर के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि वाले राज्यों में राजस्थान का स्थान अग्रणी रहा है।
पिछली सरकार के समय में वर्ष 2016-17 में 21वें, वर्ष 2017-18 में 30वें और वर्ष 2018-19 में 19वें स्थान पर रहा था। वहीं, राज्य सरकार की कुशल आर्थिक नीतियों के कारण सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में राजस्थान वर्ष 2019-20 में 12वें, वर्ष 2020-21 में 10वें और वर्ष 2021-22 में 9वें स्थान पर रहा है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 5 साल के कार्यकाल में शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, जल एवं स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा एवं सेवाएं, सड़क एवं पुल आदि क्षेत्रों में कुल 3,06,479.23 करोड़ रुपए खर्च किए। वहीं, वर्तमान सरकार द्वारा 2,26,280 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए गए है।
13 जिलों की जनता के लिए पानी उपलब्धता के लिए ईआरसीपी में 13 हजार 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री ने हाल ही ईआरसीपी में राजस्थान-मध्यप्रदेश को शामिल कर नया विषय खड़ा कर दिया गया है। कर्नाटक में 21 हजार 450 करोड़ रुपए के ऊपरी भद्रा प्रोजेक्ट को हालांकि राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा तो नहीं दिया, लेकिन केंद्र द्वारा 5300 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया गया है। वहीं, राजस्थान को इस संबंध में राहत प्रदान नहीं की गई। वहीं, केंद्र सरकार की प्रस्तावित योजना में 2 लाख हैक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा।
मानवीय दृष्टिकोण से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की। इस बजट में बोर्ड, निगम सहित सभी के लिए ओपीएस की घोषणा की गई है। इससे कार्मिकों का भविष्य सुरक्षित होगा और उनकी चिंताएं दूर होंगी। राज्य सरकार द्वारा बजट में लम्पी रोग में अकाल मृत्यु प्राप्त गायों के परिवारों को 40 हजार रुपए प्रति गाय दिए जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रति परिवार 2-2 दुधारू पशुओं का बीमा किया है। गत सरकार द्वारा 4 साल में 143 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया, जबकि वर्तमान में 2313 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने हर क्षेत्र के बजट में कटौती की है। पर्यावरण वानिकी में 40 प्रतिशत, सीमा क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम में 71.73 प्रतिशत, राष्ट्रीय शिक्षा मिशन में 17.54 प्रतिशत, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में 30.47 प्रतिशत, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 32.90 प्रतिशत, पशुधन सहायक और रोग नियंत्रण कार्यक्रम में 30 प्रतिशत, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य मिशन में 71.19 प्रतिशत, महात्मा गांधी नरेगा योजना में 32.88 प्रतिशत की लगभग कटौती की गई। इसके साथ ही मिड-डे मील में लगभग 10 प्रतिशत, यूरिया सब्सिडी में 14 प्रतिशत, अनुसंधान में 13 प्रतिशत, आईसीडीएफ में 38 प्रतिशत, एनएफएसए में 17 प्रतिशत, इलेक्ट्रोनिक एवं आईटी हार्डवेयर में 41 प्रतिशत, अटल पेंशन योजना में 28 प्रतिशत, पवन ऊर्जा में 14 प्रतिशत, आत्म निर्भर भारत रोजगार योजना में 7 प्रतिशत की लगभग कटौती की गई है।
केंद्र का सकल कर 33 लाख 52 हजार 79 करोड़ रुपए है। इसका राज्यों को देय 41 प्रतिशत यानी 13 लाख 74 हजार 352 करोड़ रुपए होता है। यह राज्यों में वितरित होना चाहिए, जबकि केंद्र द्वारा 30 से 33 प्रतिशत हिस्सा ही राज्यों को हस्तांतरित किया जाता है। इसमें राजस्थान का हिस्सा लगभग 6.026 प्रतिशत है, जिसमें 82 हजार 818 करोड़ रुपए राजस्थान को मिलने चाहिए। केंद्रीय बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 में राजस्थान के लिए 61 हजार 552 करोड़ रुपए रखा गया। इसमें राजस्थान को 21 हजार 266 करोड़ रुपए कम मिलेंगे। इसके लिए पक्ष-विपक्ष को मिलकर राजस्थान के हित में केंद्र सरकार से मांग करनी चाहिए।
15वें वित्त आयोग ने राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से 42 प्रतिशत बढ़ाया, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा राज्यों का हिस्सा कम दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले राष्ट्रीय खाद सुरक्षा मिशन में केंद्र का शेयर 100 प्रतिशत था, जिसे अब राज्य का 40 और केंद्र का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में केंद्र पर 100 प्रतिशत शेयर को अब 40ः60, समेकित बाल विकास सेवाएं में 10ः90 को अब 40ः60, प्रोजेक्ट टाइगर में 15ः85 को 40ः60, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 25ः75 को 40ः60, मरूस्थलीय क्षेत्रों में सिंचाई निर्माण में 10ः90 को अब 40ः60, इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 25ः75 को अब 50ः50, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 25ः75 को अब 40ः60, समेकित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में 0ः100 को अब 40ः60 और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 0ः100 शेयर पैटर्न को अब 40ः60 प्रतिशत कर दिया गया है।
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worldinyourpalm · 2 years
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हठधर्मिता': भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन की योजना के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया | Indiscipline: India notifies Pakistan of its intentions to modify the Indus Water Treaty;
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संशोधन के लिए नोटिस
संधि के 'संशोधन के लिए नोटिस' को भारतीय पक्ष द्वारा 25 जनवरी को दोनों पक्षों के सिंधु जल आयुक्तों के माध्यम से अवगत कराया गया था।
भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन करने के अपने इरादे के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया है, जो सीमा पार नदियों के प्रबंधन के लिए एक तंत्र स्थापित करता है, क्योंकि संधि को लागू करने में पाकिस्तानी पक्ष की 'हठधर्मिता' है, इस मामले से परिचित लोगों ने कहा शुक्रवार।
संधि के 'संशोधन के लिए नोटिस' को भारतीय पक्ष द्वारा 25 जनवरी को दोनों पक्षों के सिंधु जल आयुक्तों के माध्यम से अवगत कराया गया था। लोगों ने कहा कि भारत को नोटिस जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर 'प्रतिकूल प्रभाव' डाला था।
भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल की बातचीत के बाद सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे और विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई थी, जो भी एक हस्ताक्षरकर्ता है। यह दोनों देशों के बीच सबसे टिकाऊ संधि है, लेकिन हाल के वर्षों में काफी दबाव में आ गई है क्योंकि आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर से संबंधित तनाव के कारण द्विपक्षीय संबंध सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गए हैं।
भारत सिंधु जल संधि को अक्षरशः
लागू करने में हमेशा एक दृढ़ समर्थक और एक जिम्मेदार भागीदार रहा है। संधि पर पाकिस्तान की हठधर्मिता ने भारत को संशोधन का नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया, 'लोगों में से एक ने कहा।
19 सितंबर, 1960 को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और विश्व बैंक के डब्ल्यूएबी इलिफ द्वारा कराची में हस्ताक्षर किए जाने के बाद पहली बार संधि में बदलाव करने की प्रक्रिया को नोटिस खोलेगा।
'संशोधन के लिए नोटिस का उद्देश्य पाकिस्तान को सिंधु जल संधि के भौतिक उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है। यह प्रक्रिया पिछले 62 वर्षों में सीखे गए पाठों को शामिल करने के लिए संधि को भी अद्यतन करेगी, 'उपरोक्त व्यक्ति ने कहा।
नोटिस संधि के अनुच्छेद Xll (3) के अनुरूप जारी किया गया था, जिसमें कहा गया है: 'इस संधि के प्रावधानों को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच इस उद्देश्य के लिए विधिवत अनुसमर्थित संधि द्वारा संशोधित किया जा सकता है।.....
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airnews-arngbad · 2 years
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad
Date : 28 December 2022
Time 7.10 AM to 7.25 AM
Language Marathi
आकाशवाणी औरंगाबाद
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक : २८ डिसेंबर  २०२२ सकाळी ७.१० मि.
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ठळक बातम्या
कोविडच्या पार्श्वभूमीवर देशभरातल्या रुग्णालयांमध्ये मॉक ड्रील;आरोग्य व्यवस्थेची सज्जता  
सीमा भागातली मराठी भाषिक गावं समाविष्ट करण्याचा ठराव विधीमंडळात एकमताने मंजूर
भ्रष्टाचाराच्या आरोपावरून जालना जिल्हा आरोग्य अधिकारी डॉ. विवेक खतगावकर निलंबित
औरंगाबाद इथं पहिलं महिला कृषी महाविद्यालय स्थापन होणार; कृषीमंत्र्यांची घोषणा
माजी मंत्री अनिल देशमुख यांच्या जामिनाला स्थगिती देण्यास मुंबई उच्च न्यायालयाचा नकार
जल जीवन मिशनअंतर्गत औरंगाबाद परिक्षेत्रातल्या पस्तीस गावांसाठीच्या वॉटर ग्रीड योजनेला मान्यता
आणि
श्रीलंकेविरुद्धच्या टी ट्वेंटी क्रिकेट मालिकेत हार्दिक पंड्या भारतीय संघाचा कर्णधार
सविस्तर बातम्या
कोविडच्या संभाव्य प्रादुर्भावाच्या पार्श्वभूमीवर देशभरातल्या शासकीय तसंच खासगी रुग्णालयांमध्ये आरोग्य व्यवस्था सज्ज केली जात असल्याचं, केंद्रीय आरोग्य मंत्री डॉ मनसुख मांडवीया यांनी म्हटलं आहे. काल देशभरात कोविड व्यवस्थापनाच्या तयारीचा आढावा घेण्यासाठी आरोग्य यंत्रणेचा सराव घेण्यात आला. दिल्लीत सफदरजंग रुग्णालयात आरोग्य मंत्र्यांनी या तयारीचं निरीक्षण केल्यानंतर पत्रकारांशी संवाद साधला. ते म्हणाले...
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सारे देश में कोविड ट्रीटमेंट देनेवाली सभी अस्पताल मे मॉक ड्रील की जा रही है, ताकी हमारी सारी हॉस्पिटल कोविड केस देश मे बढे तो संपूर्ण तरीके से तयार रहे। सफदरगंज अस्पताल में आके कोविड वॉर्ड का निरीक्षण किया। जिस तरह से यहाँ व्यवस्था की गई है, वैसे ही व्यवस्था देश की सभी सरकारी अस्पताल मे और प्रायव्हेट अस्पताल मे भी तयारी की जा रही है। राज्य मे राज्य के हेल्थ मिनिस्टर उसको मार्गदर्शन कर रहे है। निरीक्षण कर रहे है।
देशभरात सर्वत्र आरोग्य यंत्रणांच्या सज्जतेचा अशाच मॉकड्रील मधून आढावा घेण्यात आला. औरंगाबाद इथं मेल्ट्रॉन रुग्णालयात ही सराव चाचणी घेण्यात आली. वैद्यकीय प्राणवायू व्यवस्थापन तसंच औषधी साठा सुरळीत असल्याबाबत यावेळी खात्री करण्यात आली.
नांडेड जिल्ह्यातही काल बारा कोविड समर्पित रुग्णालयांमध्ये सराव चाचणी घेण्यात आली. गर्दीच्या ठिकाणी मास्क वापरावेत आणि लसीकरण पूर्ण करण्याला प्राधान्य द्यावं, असे निर्देश नांदेडचे जिल्हाधिकारी अभिजीत राऊत यांनी दिले आहेत.
परभणी जिल्ह्यात आरोग्य यंत्रणेची पूर्वतयारी झाली असल्याची माहिती जिल्हा आरोग्य अधिकारी डॉ. राहुल गिते यांनी काल पत्रकार परिषदेत दिली. परभणी शहरात चार तर जिल्ह्यात चौदा रुग्णालयांमध्ये कोविड केअर सेंटर उभारण्यात आली आहेत. जिल्ह्यात कोविड लसींच्या ३७ हजार मात्रा उपलब्ध असल्याची माहिती गीते यांनी दिली.
दरम्यान, देशव्यापी कोविड प्रतिबंधक लसीकरण मोहिमेत आतापर्यंत दोनशे वीस कोटींहून अधिक लसमात्रा देण्यात आल्याची माहिती आरोग्य मंत्रालयानं दिली आहे. २२ कोटी २३ लाखांपेक्षा जास्त लाभार्थ्यांनी खबरदारीची लसमात्रा घेतली आहे.
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नाकातून देण्यात येणाऱ्या भारत बायोटेकची इनकोव्हॅक लस कोविन ॲप वर उपलब्ध करण्यात आली असून, या लसीचं शुल्क निश्चित करण्यात आलं आहे. खाजगी रूग्णालयात या लसीची किंमत ८०० रुपये, तर सरकारी रूग्णालयात ३२५ रूपये निश्चित करण्यात आले आहेत.
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कर्नाटक - महाराष्ट्र सीमा भागातल्या आठशे पासष्ट मराठी भाषिक गावांची इंचन् इंच जागा महाराष्ट्राचीच आहे, आणि सीमा भागातल्या मराठी भाषिकांच्या पाठीशी महाराष्ट्र सरकार खंबीरपणे सर्व ताकदीनिशी उभं आहे, असा ठराव, काल विधानसभेत आणि त्या पाठोपाठ विधान परिषदेत एकमतानं मंजूर करण्यात आला. बेळगाव, बीदर, धारवाड, निपाणी, भालकी आणि कारवार या शहरांसह, आठशे पासष्ट मराठी भाषिक गावं महाराष्ट्रात समाविष्ट करण्यासाठी, कायदेशीर लढा देण्याचा निर्धार मुख्यमंत्र्यांनी हा ठराव मांडताना व्यक्त केला. कर्नाटकच्या मराठीविरोधी भूमिका आणि वर्तनाचा त्यांनी तीव्र शब्दांत निषेध केला. ते म्हणाले....
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बेळगाव, कारवार, निपाणी, भालकी, बिदर या शहरांसह ८६५ गावांतील मराठी भाषिक जनतेसोबत महाराष्ट्र शासन खंबीरपणे निर्धाराने व सर्व ताकदीनिशी उभा आहे. याबाबत केंद्र शासनाने सकारात्मक भूमिका घेऊन महाराष्ट्र राज्याच्या न्याय्य मागण्यांसाठी व मराठी भाषिक खेडे, घटक, भौगोलिक सलगता, मराठी भाषिक लोकांची सापेक्ष बहुसंख्यता व महाराष्ट्रात समाविष्ट होण्यासाठीची तेथील लोकेच्छा या तत्वानुसार महाराष्ट्राला साथ देण्यासाठी केंद्र शासनाला देखील विनंती करणे असा ठराव ही विधानसभा आज निर्धारपूर्वक एक मताने पारित करीत आहे.
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दरम्यान सीमा भागातल्या या आठशे पासष्ट गावांचा मुख्यमंत्री सहायता देणगी योजनेत समावेश केला असून, तिथे महात्मा फुले जन आरोग्य योजना लागू करण्याचे निर्देश देण्यात आल्याचं मुख्यमंत्र्यांनी सांगितलं. सीमा भागातल्या मराठी संस्थांना राज्य मराठी विकास संस्थेमार्फत अर्थसहाय्य देण्याचा निर्णय घेण्यात आला असून, या उपक्रमासाठी, २०२२-२३ या आर्थिक वर्षाकरता एक कोटी रुपयांची तरतूद केल्याची माहितीही मुख्यमंत्र्यांनी यावेळी दिली.
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राज्य सरकारने सीमा प्रश्नासंदर्भात ठराव संमत केल्याबद्दल शिवसेना पक्ष्रप्रमुख उद्धव ठाकरे यांनी सरकारचं अभिनंदन केलं आहे. मात्र कर्नाटक सरकार करत असलेल्या आगळिकीबद्दल सर्वोच्च न्यायालयात पुनर्विचार याचिका दाखल करण्याची मागणी ठाकरे यांनी पत्रकारांशी बोलताना केली.
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लोकप्रतिनिधी, स्थानिक नागरिक, व्यापारी, वारकऱ्यांना विश्वासात घेऊनच पंढरपूर तीर्थक्षेत्राचा विकास आराखडा तयार करणार असून, याबाबत कोणावरही अन्याय होणार नाही, अशी ग्वाही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी काल विधान परिषदेत दिली. सदस्य अमोल मिटकरी यांनी पंढरपूर तीर्थक्षेत्र विकास आराखडा मार्गिकेबाबत लक्षवेधी सूचना उपस्थित केली होती.
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आपल्या पक्षनेत्यांची तुलना महापुरुषांशी करणं, हा महापुरुषांचा अवमान होत नाही का, असा प्रश्न उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विधान परिदेत विचारला. विरोधी पक्षनेते अंबादास दानवे यांनी  नियम २८९ नुसार महापुरुषांचा अवमानासंदर्भात प्रस्ताव मांडला, मात्र उपसभापतींनी हा प्रस्ताव फेटाळून लावल्याने गदारोळ झाला, या गदारोळातच फडणवीस बोलत होते. देवदेवता, संत महात्मे तसंच महापुरुषांबाबत विरोधी पक्षाच्या नेत्यांकडून होणारी वक्तव्य फडणवीस यांनी सदनाच्या निदर्शनास आणून दिली. मात्र गदारोळ वाढत गेल्यामुळे उपसभापती डॉ नीलम गोऱ्हे यांनी सदनाचं कामकाज दिवसभरासाठी तहकूब केलं.
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राज्यातल्या महानगरपालिका आणि इतर ठिकाणी प्रक्रिया करण्यात आलेलं पाणी औद्योगिक विकास महामंडळानं विकत घेऊन ते उद्योगांसाठी वापरावं, यासाठी आवश्यक सूचना देण्यात येतील, असं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी काल विधानसभेत सांगितलं. यामुळे धरणातलं पाणी शिल्लक राहून ते पिण्यासाठी वापरता येईल, असं ते म्हणाले.
महाराष्ट्र लोकसेवा आयोगामार्फत परीक्षा उत्तीर्ण झालेल्या तत्कालीन मराठा आरक्षित मात्र न्यायलायाच्या निर्णयामुळे नियुक्त होऊ न शकलेल्या सर्व उमेदवारांना आर्थिक दृष्ट्या मागासलेल्या वर्गात नियुक्त्या दिल्या जातील, अशी ग्वाही देखील फडणवीस यांनी दिली. याबाबतचा प्रश्न धनंजय मुंडे यांनी उपस्थित केला होता.
दरम्यान, महाराष्ट्र लोकसेवा आयोगानं जानेवारी २०१९ ते डिसेंबर २०२२ या कालावधीत प्रसिद्ध केलेल्या, सरळसेवा भरतीच्या एकूण चारशे तीस जाहिरातींसाठी दिव्यांग आरक्षणानुसार भरती प्रक्रिया राबवली जाईल, असं मंत्री दीपक केसरकर यांनी विधान परिषदेत सांगितलं. उमेदवारांच्या वयोमर्यादेत वाढ करण्याचा विचार करता येणार नाही, असं त्यांनी स्पष्ट केलं.
जालन्याचे जिल्हा आरोग्य अधिकारी डॉ. विवेक खतगावकर यांना निलंबित करत असल्याची घोषणा, आरोग्य मंत्री तानाजी सावंत यांनी काल विधानसभेत केली. भ्रष्टाचार आणि महिलांसोबत आक्षेपार्ह वर्तणूक या मुद्यावरून ही कारवाई करण्यात आली. राष्ट्रीय आरोग्य अभियानांतर्गत करार तत्त्वावर असलेल्या डॉ. अर्चना पाटील आणि डॉ. सतीश पवार या दोन्ही वैद्यकीय अधिकाऱ्यांची सेवा संपुष्टात आणल्याची माहिती सावंत यांनी दिली.
राज्यातले गडकिल्ले, ऐतिहासिक वारसा स्थळांच्या जीर्णोद्धारासाठी येत्या तीन वर्षात एक हजार कोटी रुपये निधी उपलब्ध केला जाईल, असं सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार यांनी विधानसभेत सांगितलं.
शेतकऱ्यांचं विविध प्रकारचं होणारं नुकसान मोजण्यासाठी एक ॲप विकसित करून ई- पंचनामे करण्याची प्रणाली विकसित केली जात असल्याची माहिती, मंत्री शंभुराज देसाई यांनी दिली.
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राज्यातल्या वैद्यकीय महाविद्यालय आणि रुग्णालयांना औषधे आणि अन्य बाबींचा नियमित पुरवठा होण्यासाठी, मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरणाच्या धर्तीवर, महाराष्ट्र वैद्यकीय प्राधिकरण स्थापन करण्याबाबत राज्य शासन विचाराधीन असून, याबाबत लवकरच निर्णय घेण्यात येईल, अशी माहिती वैद्यकीय शिक्षण मंत्री गिरीश महाजन यांनी दिली. याबाबत शासन परिपत्रक निर्गमित करण्यात आलं असून, प्रशासनाला सूचना देण्यात आल्याचं त्यांनी सांगितलं.
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महिलांच्या शैक्षणिक उन्नतीसाठी औरंगाबाद इथं पहिलं महिला कृषी महाविद्यालय सुरु केलं जाणार आहे. कृषीमंत्री अब्दुल सत्तार यांनी काल विधान परिषदेत ही घोषणा केली. राज्यात ४८ शासकीय आणि अनेक खासगी कृषी महाविद्यालये आहेत. या प्रत्येक महाविद्यालयामध्ये महिला प्रवेशासाठी ३० टक्के जागा राखीव करण्यात आल्या आहेत. औरंगाबादमध्ये उप कृषी विद्यापीठ सुरु करण्याबाबत समिती गठित करण्यात आली असून, या समितीच्या अहवालानंतर निर्णय घेण्यात येईल असं सत्तार यांनी सांगितलं.
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दरम्यान, हिवाळी अधिवेशनाच्या काल सातव्या दिवशी विधान भवनाच्या आवारात महाविकास आघाडीच्या आमदारांनी दिंडीच्या टाळांच्या तालावर सरकारविरोधी घोषणा देत आंदोलन केलं. विरोधी पक्षनेते अजित पवार आणि अंबादास दानवे यांच्या नेतृत्वाखाली निघालेल्या या दिंडीत मंत्र्यांच्या विरोधात जोरदार निदर्शनं करण्यात आली.
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अनुसूचित जाती - जमाती तसंच ओबीसी विद्यार्थ्यांना शंभर टक्के शिष्यवृत्ती मिळाली पाहिजे, या मागणीसाठी वंचित बहुजन आघाडीच्या वतीने विधीज्ञ प्रकाश आंबेडकर यांच्या मार्गदर्शनात काल विधान भवनावर इशारा मोर्चा काढण्यात आला. अंगणवाडी कर्मचारी कृती समितीनं मानधन वाढीच्या मागणीसाठी काल मोर्चा काढला. दिव्यांग शाळा आणि कर्मशाळा कर्मचारी कृती समितीच्या वतीनंही काल विविध मागण्यांसाठी मोर्चा काढण्यात आला.
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माजी गृहमंत्री अनिल देशमुख यांच्या जामिनाला आणखी स्थगिती देण्यास मुंबई उच्च न्यायालयाच्या सुटीकालीन पीठानं नकार दिला आहे. भ्रष्टाचार प्रकरणी अटकेत असलेल्या देशमुख यांच्या जामिनाला स्थगिती देण्याची मागणी केंद्रीय अन्वेषण विभाग-सीबीआयनं या पीठाकडे केली होती, न्यायालयानं ती काल फेटाळून लावली. देशमुख यांची कारागृहातून जामिनावर मुक्तता होऊ शकते.
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जल जीवन मिशन मोहिमेअंतर्गत औरंगाबाद परिक्षेत्रातल्या पस्तीस गावांसाठीच्या सुमारे एकशे चौतीस कोटी रुपये मूल्याच्या वॉटर ग्रीड अर्थात नळ पाणी पुरवठा योजनेला प्रशासकीय मान्यता मिळाली आहे. या संदर्भातला शासन निर्णय जारी झाला आहे. हा प्रकल्प पूर्ण झाल्यानंतर औरंगाबाद तालुक्यातल्या पिसादेवी, झाल्टा, गांधेली, गेवराई तांडा, तीसगाव, दौलताबाद, शरणापूर, केसापुरी, जटवाडा यासह पस्तीस गावांना नळानं पाणी पुरवठा करता येणार आहे.
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श्रीलंकेविरुद्ध टी ट्वेंटी क्रिकेट मालिकेचा संघ काल जाहीर करण्यात आला. हार्दिक पंड्या याच्या नेतृत्वातल्या या संघात सूर्यकुमार यादव उपकर्णधार, ईशान किशन यष्टीरक्षक, ऋतुराज गायकवाड, शुभमन गील, दीपक हुडा, संजू सॅमसन, युजवेंद्र चहल, अक्षर पटेल, वॉशिंग्टन सुंदर, अर्शदीपसिंह, हर्षल पटेल, उमरान मलिक, राहुल त्रिपाठी, शिवम मावी, मुकेश कुमार, यांचा समावेश करण्यात आला आहे. या मालिकेत तीन तारखेचा पहिला सामना मुंबईत, पाच तारखेचा दुसरा सामना पुण्यात तर अखेरचा तिसरा सामना ७ तारखेला राजकोट इथं होईल. त्यानंतर दोन्ही संघात तीन एकदिवसीय क्रिकेट सामन्यांची मालिका होणार आहे.
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जालना शहरातल्या नथुमल वासुदेव या कापड विक्रीच्या दुकानातले एक कोटी ७० लाख रुपये चोरणाऱ्या चार संश���ितांना पोलिसांनी अटक केली आहे. या चौघांकडून एक कोटी ६९ लाख रुपये हस्तगत करण्यात आले. दुकानात काम करणाऱ्या एका नोकरानेच तीन साथीदारांच्या मदतीनं ही चोरी केल्याचं तपासात समोर आलं आहे.
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स्वातंत्र्याच्या अमृतमहोत्सवानिमित्त राबवण्यात येणाऱ्या चला जाणूया नदीला याअभियाना अंतर्गत बीड जिल्ह्यातल्या मांजरा नदीची निवड करण्यात आली आहे. मांजरा नदीच्या उगमापासून काठालगतची गावं आणि तिथल्या नागरिकांमध्ये जनजागृतीसाठी चार जानेवारीपासून सहा दिवस नदी संवाद यात्रेचं आयोजन करण्यात येणार आहे. जिल्हाधिकारी राधाबिनोद शर्मा यांनी ही माहिती दिली.
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अंबाजोगाई पत्रकार संघाचे पुरस्कार काल जाहीर करण्यात आले. पत्रकार संघाचे विश्वस्त नानासाहेब गाठाळ आणि अंबाजोगाई पत्रकार संघाचे विश्वस्त अशोकराव गुंजाळ यांना पत्रकारिता क्षेत्रात दिलेल्या महत्त्वपूर्ण योगदानाबद्दल जीवनगौरव पुरस्कार देण्यात येणार आहे. भिकाभाऊ राखे स्मृती पत्रकारिता पुरस्कार बीडचे ज्येष्ठ पत्रकार डॉ लक्ष्मीकांत बाहेगव्हाणकर यांना, तर धनंजय गद्रे स्मृती पत्रकारिता पुरस्कार, बीडचे पत्रकार अभिजीत नखाते यांना जाहीर झाला आहे. येत्या दर्पण दिनी सहा जानेवारी २०२३ रोजी अंबाजोगाई इथं हे पुरस्कार प्रदान करण्यात येतील.
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नांदेड जिल्ह्यातल्या लोहा तालुक्यात जवळा देशमुख इथं येत्या तीस तारखेला जनसंवाद ग्रामीण साहित्य संमेलनाचं आयोजन करण्यात आलं आहे. सप्तरंगी साहित्य मंडळाच्या या साहित्य संमेलनाचं हे दुसरं वर्ष आहे. या संमेलनाच्या अध्यक्षपदी प्रसिद्ध साहित्यिक - समीक्षक डॉक्टर राम वाघमारे यांची निवड झाली आहे.
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indiandefensekhabar · 2 years
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तवांग सेक्टर से भारतीय और चीनी सैनिकों की भिड़ंत का वायरल वीडियो
तवांग सेक्टर से भारतीय और चीनी सैनिकों की भिड़ंत का वायरल वीडियो
OSNIT के सदस्य द हॉक आई @thehawkeyex के अनुसार, भारतीय सैनिकों द्वारा चीनी सैनिकों को कुचलने का अदिनांकित वीडियो वास्तव में अरुणाचल प्रदेश में तवांग सीमा से है, जिसने वीडियो में देखे गए पवित्र जल प्रपात – चुमिंग ग्यास्टर के साथ वीडियो का भौगोलिक पता लगाया है। What’s not clear- Date, Exact geolocation What’s clear- India-China border, raw & ruthless Indian army. Take a feel…
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4rtheyenews · 2 years
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मुख्यमंत्री ने भारतीय नौसेना दिवस पर दी बधाई
मुख्यमंत्री ने भारतीय नौसेना दिवस पर दी बधाई
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 4 दिसम्बर को भारतीय नौसेना दिवस पर साहस, शौर्य और निष्ठा के प्रतीक जल सीमाओं के प्रहरी भारतीय नौसैनिकों और उनके परिवारों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। बघेल ने कहा है कि समुद्री सीमा की रक्षा के साथ नौसैनिकों ने प्राकृतिक आपदाओं और विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़कर देश सेवा की है। भारतीय नौसैनिकों के अदम्य साहस और पराक्रम ने हमेशा हर भारतीय को गौरवान्वित किया है। पूरा देश…
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ckpcity · 4 years
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पीएम मोदी ने लद्दाख में 'तिरुक्कुरल' अगेन, सोल्ज फॉर सोल्जर्स से उद्धरण दिया
पीएम मोदी ने लद्दाख में ‘तिरुक्कुरल’ अगेन, सोल्ज फॉर सोल्जर्स से उद्धरण दिया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लेह में सैनिकों को संबोधित किया। (विशेष व्यवस्था)
प्रधान मंत्री ने ‘तिरुक्कुरल’ से उद्धृत किया है, जो पहले के अवसरों पर भी सभी क्षेत्रों के लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
PTI
आखरी अपडेट: 3 जुलाई, 2020, 10:59 PM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तमिल क्लासिक ‘तिरुक्कुरल’ के हवाले से कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने हमेशा शौर्य और सम्मान…
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indian army status in hindi
हेल्लो  ! आज  की पोस्ट में हम आपके लिए लेके आये है फौजी शायरी हिंदी में| हम सब जानते है कि.आज हम इतने  स्वतंत्र होकर घूमते है या कुछ भी करते है है वो सब हमारी देश की सेना की वजह से | क्योकि सीमा पर हमारे जवान खड़े है | तो आज हम उन्ही जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए आज से पोस्ट लेके आये है जिसमे हम एक सैनिक के लिए जोश भरे शायरी/ स्टेटस लेके आये है|
वो क्या #सफल होगा , जो निर्भर हो #गैरों पर, #मंजिल तो उसको मिलती है , जो चलता हो अपने #पैरों पर
सिर्फ बेटी घर नहीं छोड़ती जनाब!….. कुछ बेटे भी घर छोड़ देते है, ताकि हमारा देश सुरक्षित रहे। #जय जवान
फौजी भी कमाल होते है, पर्स में परिवार और दिल में देश रखते है।
हमे गर्व है, भारतीय सेना पर…. इन्ही की बदौलत आज हम चैन की साँस ले रहे है।
देश भक्तों के बलि��ान से स्वतंत्र हुए है, हम….. कोई पूछे कौन हो तुम तो गर्व से कहना हिंदुस्तानी है, हम
#देश के लोगों की #खुशियों के लिए जो अपनी #ख़ुशी भी #त्याग दे, ऐसा #दम एक #फौजी ही रख सकता है।
वो #लड़की बहुत खुश किस्मत होती है।……जिसकी #शादी के #फौजी के साथ होती है।
काँप उठा वो विशाल #पर्वत जब #फौजी ने लगाई दहाड़।
INDIAN ARMY STATUS IN HINDI
जिसकी वजह से सारा देश चैन की नींद सोये …. वो #फौजी होता है।
#बाज़ी लगा देंगे अपनी #जान की, जब बात चलेगी #हिंदुस्तान की।
जिक्र अगर हीरो का होगा तो नाम हिंदुस्तान के वीरों का होगा।
#दूध मांगोगे तो #खीर देंगे, अगर उंगली उठाई हमारे #हिन्दुस्तान पर तो #चीर  देंगे।
आसान नहीं है #फौजी बनना, रगो में #जज्बात की जगह #लोहा भरना पड़ता है।
दुश्मन के घर में जो घुस के मारे , वो #इंडियन #आर्मी होती है।
#नींद उड़ गयी ये बात सोचकर कि हमने क्या किया अपने #देश के लिए…………आज फिर #सरहद पर खून बहा मेरी एक #नींद के लिए।
जो #जीता है …दूसरों के लिए, वही एक #फौजी कहलाया।
Inspirationa Indian Army Quotes In Hindi
भारतीय सेना जब तक सिमा पर है, तब तक आप शांति से अपने घर पर रह सकते हैं – भारतीय सेना
मेरे कन्धों पर दो सितारे, आकाश में लाखो सितारों से बेहतर है।  – भारतीय सेना
आतंकवादियों को माफ़ करना भगवान का काम है पर भगवान् से उन्हें मिलवाना हमारा काम है। – भारतीय सेना
सात बार गिर कर भी उठना जानती है, भारतीय सेना
अगर तुम हमारे घर में घुसने की कोशिश करोगे तो हम तुम्हारे घर में घुस के तुम्हे मारेंगे।
हम तिरंगे को लहरा कर आएंगे या फिर तिरंगे में लिपट कर आयंगे। – भारतीय सेना
हम भारतीय सेना पुरे दम ख़म से लड़ते है क्योंकि जंग में कोई दूसरा स्थान नहीं होता।
रिव्वायत सी बन गयी हैं देशभक्ति तो जनाब बस लोग तारीखों पर फर्ज अदा करते हैं. जय हिन्द
हम चैन से सो पाए इसलिए ही वो सो गया, वो भारतीय फौजी ही था जो आज शहीद हो गया. जय हिन्द
Army Status in Hindi
हमारी दिवाली में रोशनी इसलिए हैं क्योंकि सरहद पर अँधेरे में कोई खड़ा हैं. जय हिन्द
एक सैनिक ने क्या खूब कहा है. किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द
Shayari For Army Man
जहाँ हम और तुम हिन्दू-मुसलमान के फर्क में लड़ रहे हैं, कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं. नींद उड़ गया यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए. जय हिन्द
Shayari For Army Man
जहर पिलाकर मजहब का, इन कश्मीरी परवानों को, भय और लालच दिखलाकर तुम भेज रहे नादानों को, खुले प्रशिक्षण, खुले शस्त्र है खुली हुई शैतानी है, सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है, जय हिन्द
Shayari on Army Soldiers
फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं, ऐसे सपूतो को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं. जिसकी वजह से पूरा हिन्दुस्तान चैन से सोता हैं, कड़ी ठंड, गर्मी और बरसात में अपना धैर्य न खोता हैं. जय हिन्द
fauji Facebook Status
कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना, कभी तपती धूप में जल के देख लेना, कैसे होती हैं हिफ़ाजत मुल्क की, कभी सरहद पर चल के देख लेना जय हिन्द
Fauji Status in Hindi
जब हम तुम अपने महबूब की आँखों में खोये थे, जब हम तुम खोयी मोहब्बत के किस्सों में खोये थे, सरहद पर कोई अपना वादा निभा रहा था, वो माँ की मोहब्बत का कर्ज चुका रहा था. जय हिन्द
fauji Whatsapp Status
मिलते नही जो हक वो लिए जाते हैं, है आजाद हम पर गुलाम किये जाते हैं, उन सिपाहियों को रात-दिन नमन करो, मौत के साए में जो जिए जाते हैं. जय हिन्द
Fauji attitude Status in Hindi
सीमा नहीं बना करतीं हैं काग़ज़ खींची लकीरों से, ये घटती-बढ़ती रहती हैं वीरों की शमशीरों से. जय हिन्द
Army Facebook Status
हर पल हम सच्चे भारतीय बनकर देश के प्रति अपना फर्ज निभायेंगे. जरूरत पड़ी तो लहू का एक-एक कतरा देकर इस धरती का कर्ज चुकायेंगे. जय हिन्द
Fauji love Status in Hindi
सरहद पर एक फौजी अपना वादा निभा रहा हैं, वो धरती माँ की मोहब्बत का कर्ज चुका रहा हैं. जय हिन्द
Army Whatsapp Status
अपना घर छोड़ कर, सरहद को अपना ठिकाना बना लिया, जान हथेली पर रखकर, देश की हिफाजत को अपना धर्म बना लिया. जय हिन्द
Fauji Quotes
मेरे जज्बातों से मेरा कलम इस कदर वाकिफ हो जाता हैं, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो इन्कलाब लिखा जाता हैं. जय हिन्द
मरने के बाद भी जिसके नाम मे जान हैं, ऐसे जाबाज़ सैनिक हमारे भारत की शान है देश के उन वीर जवानों को सलाम जय हिन्द
जो सुरक्षा का एहसास दिलाते हैं, जो हथेली पर रखकर जान, हमारी हिफाजत का जिम्मा उठाते हैं. जय हिन्द
Fauji attitude Status in Hindi
चीर के बहा दूं लहू दुश्मन के सीने का , यही तो मजा है फौजी होकर जीने का. जय हिन्द
तन की मोहब्बत में, खुद को तपाये बैठे हैं, मरेंगे वतन के लिए, शर्त मौत से लगाये बैठे हैं जय हिन्द
Fauji Status in Hindi
फौजी भी कमाल के होते हैं, जेब के छोटे बटुए में परिवार, और दिल मे सारा हिंदुस्तान रखते हैं, चंदन, वंदन , अभिनंदन Indian Army जय हिन्द
जिनमे अकेले चलने के हौसले होते हैं । एक दिन उन्ही के पीछे काफिले होते हैं ।। सेना है तो हम हैं जय हिन्द
हरयाणवी फौजी स्टेटस (Haryanvi Fouji Status)
जो पूरी रात जागते हो, यो जरूरी कोणी के वो आशिक हो. कुछ देश प मिटन आले फौजी भी होया करै. जय हिन्द
Shayari For Army Man
या तो मै तिरंगा गाड़ कै आऊंगा. या फेर तिरंगा मै लिपट कै आऊंगा. जय हिन्द
आसान कोनी फौजी बनना, दूसरा की खुशियां खातर मरना पड़ा करै. जय हिन्द
Army Status in Hindi
आसान कोनी फौजी कहलाना, रगो में जज्बातां की जगा लोह भरना पड़ा करै. जय हिन्द
जिसकी वजह त सारा देश चैन की साँस सोया करै. वो फौजी होया करै. जय हिन्द
Shayari on Army Soldiers
दूध मांगोगे तो खीर देवांगे, कश्मीर मांगेंगे तो लाहौर भी खोस लेवांगे. जय हिन्द
जो खतरा त लड़ा करे वो खिलाडी होया करै. पर जो गर्दन कटे बाद भी दुश्मन न मारा करै वो फौजी होया करै. जय हिन्द
Army Status in Hindi
वो ज़िन्दगी ए के जिसमे देश भक्ति ना हो. अर वा मौत ए के जो तिरंगे म ना लिपटी हो. जय हिन्द
वा छोरी खुशकिस्मत होया करै, जिसका पति फौजी होया करै. जय हिन्द
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haryanaupdate · 2 years
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UPSC ESE 2023: संघ लोक सेवा आयोग आज जारी करेगा इंजीनियरी सेवा परीक्षा की अधिसूचना, जानिए किन पदों पर निकली भर
यूपीएससी इंजीनियरिंग सर्विसेस एग्जाम की तैयारी में जुटे उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण अलर्ट।
Haryana Update. UPSC ESE 2023 Prelims Notification: सिविल, यांत्रिक, विद्युत और इलेक्ट्रॉनिकी व दूरसंचार इंजीनियरी से सम्बन्धित विभिन्न केंद्रीय सेवाओं में ग्रुप क/ख सेवाओं पदों पर भर्ती के लिए योग्य उम्मीदवारों के चयन हेतु निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत पहले चरण यानि प्रारंभिक परीक्षा के लिए अधिसूचना संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आज यानि बुधवार, 14 सितंबर 2022 को जारी की जाएगी।
आयोग द्वारा यूपीएससी ईएसई 2023 प्रिलिम्स नोटिफिकेशन को आधिकारिक वेबसाइट, upsc.gov.in पर जारी किया जाएगा।
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UPSC ESE 2023: आवेदन 14 सितंबर से 4 अक्टूबर तकउम्मीदवारों को ध्यान देना चाहिए कि आयोग द्वारा यूपीएससी ईएसई 2023 प्रिलिम्स नोटिफिकेशन जारी किए जाने के साथ-साथ ही आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
किसी मान्यता प्राप्त तकनीकी शिक्षा संस्थान से सम्बन्धित ट्रेड में बीई/बीटेक और 1 जनवरी 2023 को 21 से 30 वर्ष तक की आयु के आवेदन के इच्छुक उम्मीदवार यूपीएससी के अप्लीकेशन पोर्टल, upsconline.nic.in पर एकमुश्त पंजीकरण (OTR) करते हुए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। यूपीएससी ने इंजीनियरिंग सर्विसेस प्रिलिम्स 2022 के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 4 अक्टूबर निर्धारित की है।
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UPSC ESE 2023: इन सेवाओं व पदों में भर्ती
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा इंजीनियरी सेवा परीक्षा के माध्यम से आमतौर पर भरे जाने वाले विभिन्न सेवाओं के ग्रुप ए और बी पदों के विवरण को यूपीएससी ईएसई 2023 प्रिलिम्स नोटिफिकेशन में जारी किया जाएगा। पिछले वर्ष जिन सेवाओं/पदों के लिए अधिसूचना जारी की गई थी, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:-
केंद्रीय इंजीनियरी सेवा
केंद्रीय इंजीनियरी सेवा (सड़क) समूह क (सिविल इंजीनियरी पद)
भारतीय सर्वेक्षण विभाग समूह क सेवा
सीमा सड़क इंजीनियरी सेवा में सहायक कार्यपालक इंजीनियर (सिविल इंजीनियरी पद)
भारतीय रक्षा इंजीनियर सेवा
सैन्य इंजीनियरी सेवा (एमईएस) सर्वेयर संवर्ग में सहायक कार्यपालक इंजीनियर
केंद्र जल इंजीनियरी सेवा (समूह क) सेवा
भारतीय कौशल विकास सेवा
इंजीनियरी सेवा परीक्षा 2023 से भरे जाने वाले अन्य सेवाओं/पदों की जानकारी के लिए यूपीएससी ईएसई 2023 प्रिलिम्स नोटिफिकेशन देखें।
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newswave-kota · 2 years
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रक्षा क्षेत्र में MSME के माध्यम से कोटा का औद्योगिक गौरव लौटेगा - ओम बिरला
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डिफेंस कॉन्क्लेव : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने MSME उद्यमियों से रक्षा क्षेत्र में संभावनाएं तलाशने का आव्हान किया न्यूजवेव@ कोटा MSME उद्यमियों के लिए राजस्थान में रक्षा क्षेत्र अनंत संभावनाओं से भरा है। हमारी कोशिश है कि रक्षा क्षेत्र में सरकारी व निजी कम्पनियों के साथ कोटा में एमएसएमई इकाइयां स्थापित कर शहर का औद्योगिक गौरव फिर से लौटायें। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कोटा के दशहरा मैदान में नेशनल डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। इस डिफेंस कॉन्क्लेव को राजस्थान और कोटा के लिए ऐतिहासिक बताते हुए स्पीकर बिरला ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के तहत केंद्र सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई हैं जिसमें नवाचार के माध्यम से उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है। सरकार मेक इन इंडिया को एक संकल्प के साथ पूरा करते हुये रिसर्च और डेवलपमेंट को प्रोत्साहित कर रही है। मोदी स��कार की योजनाओं से रक्षा क्षेत्र में देश के उद्यमी आयातक से निर्यातक बन रहे हैं। निर्यात को बढावा देने के लिये एमएसएमई और स्टार्टअप की अहम भूमिका है।
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स्पीकर बिरला ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हमारी आवश्यकता है। तेजी से बदलती आधुनिक तकनीक में युद्ध आमने-सामने नहीं लड़े जाते। इलेक्ट्रॉनिक, टेक्नोलॉजिकल ���र आईटी प्लेटफार्म के जरिए सीमा से दूर रहकर भी हम युद्ध को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्हांेने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक व्यापक दृष्टिकोण से आगे बढ़ रहा है। हमारी कोशिश है कि कोटा के एमएसएमई उद्यमी रक्षा क्षेत्र में काम कर रही सरकारी और निजी कंपनियों के साथ करार करें जिससे यहां भी डिफेंस से जुडे उद्योग पनप सके। मोदी विजन से रक्षा उपकरणों के निर्यात में भी भारत आगे कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत नए विजन के साथ दुनिया को तकनीक देने वाला देश बन गया है। हम दुनिया के टॉप-25 रक्षा निर्यातकों में से एक हैं। 2014 के बाद देश के रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। हम रक्षा बजट को खर्च करने वाले विश्व के प्रथम तीन देशों में है। जिससे हम जल-थल-नभ तीनों में मजबूती के साथ खडे़ हैं। उन्होने कहा कि मोदी सरकार ने एमएसएमई और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ तक के ऑर्डर आरक्षित कर दिए हैं। इस कॉन्क्लेव के माध्यम से कोटा सहित राजस्थान के एमएसएमई और स्टार्टअप भी रक्षा क्षेत्र में अवसर तलाशें। कोटा देश को सबसे काबिल युवा देता है केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव संजय जाजू ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में कोटा देश को सबसे काबिल युवा देता है। यदि इन युवाओं को पढ़ाई के दौरान ही रक्षा क्षेत्र से रूबरू होने का मौका मिले तो तो हम टेक्नोलॉजी के साथ नवाचार की पहल कर सकते हैं। केंद्र ने विदेशी कंपनियों को कई तरह के उपकरण भारतीय कम्पनियों से खरीदने की शर्त रख दी है। कोटा के एमएसएमई उद्यमी और स्टार्टअप इस मौके का लाभ उठायें। SIDM के अध्यक्ष और महिन्द्रा डिफेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीप्रकाश शुक्ला ने कहा कि एक छोटी सी कार बनाने में 200 MSME का सहयोग चाहिए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिफेंस उपकरण बनाने में कितनी एमएसएमई का सहयोग चाहिए। एमएसएमई अपने उत्पाद बेचने के लिए भारी और मध्यम उद्योग पर निर्भर है, लेकिन भारी और माध्यम उद्योग अपने उत्पाद बनाने के लिए एमएसएमई पर निर्भर हैं। कोटा में केमिकल, रेयांस व फर्टीलाइजर्स क्षेत्र में पहले से काम हो रहा है। अब यहां के उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए आगे आना होगा। Read the full article
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india7d · 1 year
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When was the first time the name 'India' was used for 'Bharat'?
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'भारत' के लिए 'इंडिया' नाम का प्रयोग पहली बार कब किया गया था? पहली बार 'भारत' के लिए 'इंडिया' शब्द का प्रयोग क्यों किया गया? " इंडिया" शब्द की उत्पत्ति "सिंधु" शब्द से हुई है, जो सिंधु नदी को संदर्भित करता है। "इंडिया " शब्द का प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है जब प्राचीन यूनानी इतिहासकारों और लेखकों ने सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को "इंडिया" या "इंडी" कहा था। "India" शब्द का सबसे पहला दर्ज उपयोग हेरोडोटस के लेखन में पाया जा सकता है, जो एक यूनानी इतिहासकार था जो 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में रहता था। हालाँकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि "भारत" शब्द, जैसा कि हम आज जानते हैं, का उपयोग पूरे उपमहाद्वीप को एक एकल राजनीतिक इकाई के रूप में संदर्भित करने के लिए नहीं किया गया था। इसके बजाय, यह मुख्य रूप से वर्तमान पाकिस्तान में सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को संदर्भित करता है। दूसरी ओर, " भारत" शब्द की जड़ें प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, "भारत " नाम पौराणिक राजा भरत से लिया गया था, जो प्राचीन भारत के शासक थे और भारतीय महाकाव्य, महाभारत में एक प्रमुख व्यक्ति थे। "भारतवर्ष" या " भारत" नाम का प्रयोग प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए किया गया था। भारतीय संदर्भ में , पूरे देश को संदर्भित करने के लिए "भारत" शब्द का उपयोग प्राचीन काल से किया जा सकता है। इस शब्द का प्रयोग विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और ग्रंथों में किया गया है, जो पूरे इतिहास में इसके उपयोग की निरंतरता को दर्शाता है। आधुनिक समय में देश का आधिकारिक नाम अंग्रेजी में "इंडिया" और अंग्रेजी में "भारत" है। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में . 1950 में अपनाए गए भारत के संविधान में औपचारिक रूप से अंग्रेजी में "इंडिया" और हिंदी में "भारत" को देश के नाम के रूप में मान्यता दी गई। देश की विविध भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करने के लिए दोहरे नामकरण को चुना गया था। "इंडिया" और "भारत" को अपनाने का निर्णय "जैसा कि आधिकारिक नाम देश के समृद्ध इतिहास और भाषाई विविधता को स्वीकार करने और अपनाने का एक सचेत प्रयास था। दोनों नाम महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, जो देश की पहचान के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। "भारत" प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की विरासत रखता है । , जबकि "भारत" भारतीय सभ्यता की ऐतिहासिक निरंतरता और प्राचीन जड़ों का प्रतीक है। "इंडिया" शब्द का प्रयोग भारत के संदर्भ में किये जाने के ऐतिहासिक साक्ष्य लेकिन ब्रिटिशों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए " इंडिया" शब्द का उपयोग किए जाने के सीमित ऐतिहासिक साक्ष्य हैं । जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "इंडिया" शब्द "सिंधु" शब्द से लिया गया है, जो सिंधु नदी का संदर्भ देता है। हेरोडोटस जैसे प्राचीन यूनानी इतिहासकारों और बाद के लेखकों ने सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र का वर्णन करने के लिए "इंडिया" या "इंडिक" शब्द का इस्तेमाल किया , जो वर्तमान पाकिस्तान में है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से पहले, भारतीय उपमहाद्वीप को अलग-अलग नामों से जाना जाता था और इसकी विविध सांस्कृतिक और भाषाई पहचान थी। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "भारत" शब्द का उपयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में किया गया था, लेकिन उपमहाद्वीप में विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य नाम भी थे। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से पहले भारत के नाम से जाने जाने वाले भारतीय उपमहाद्वीप के ऐतिहासिक संदर्भ क्या हैं? प्राचीन भारत: प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप को विभिन्न क्षेत्रों और सभ्यताओं में विभिन्न नामों से जाना जाता था। वेदों और उपनिषदों जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस क्षेत्र को महान राजा भरत के नाम पर "भारत वर्ष" या " भारत खंड " कहा गया है । फ़ारसी और अरबी इतिहासकार, जिनका व्यापार और यात्रा के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप से संपर्क था, उन्होंने इस क्षेत्र को "हिंद" या "अल-हिंद" कहा। फ़ारसी प्रत्यय "-स्तान" के साथ "हिंद" को मिलाकर "हिंदुस्तान" शब्द भी उभरा, जिसका अर्थ है भूमि या देश। मेगस्थनीज जैसे यूनानी इतिहासकार, जिन्होंने ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार का दौरा किया था, ने अपने लेखन में इस क्षेत्र को "इंडिका" कहा है। शास्त्रीय काल: शास्त्रीय काल के दौरान, भारतीय उपमहाद्वीप में कई शक्तिशाली साम्राज्य और राज्य थे। चौथी से छठी शताब्दी ईस्वी में गुप्त साम्राज्य को प्राचीन ग्रंथों में "आर्यावर्त" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ आर्यों की भूमि था। दक्षिण में चोल, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजवंशों ने अपने डोमेन को "द्रविड़" या "तमिलकम" कहा। इस्लामी काल: मध्ययुगीन काल के दौरान, भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न इस्लामी राजवंशों का उदय हुआ। फ़ारसी और अरबी इतिहासकारों ने इस क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए "हिंद" या "अल-हिंद" शब्द का उपयोग करना जारी रखा। 13वीं शताब्दी में स्थापित दिल्ली सल्तनत अपने क्षेत्र को "हिंदुस्तान" कहती थी। यूरोपीय खोजकर्ता: भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा करने वाले यूरोपीय खोजकर्ताओं और यात्रियों ने इस क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए "भारत" शब्द के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल किया। इतालवी खोजकर्ता मार्को पोलो ने अपने लेखों में भारत को "चिपंगु" कहा है, यह शब्द उन्होंने एशिया के विभिन्न क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया था। औपनिवेशिक काल: ब्रिटिश सहित यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों के आगमन के साथ, "भारत" शब्द को भौगोलिक और राजनीतिक पहचान के रूप में प्रमुखता मिली। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी उपस्थिति स्थापित की, और "ब्रिटिश इंडिया" शब्द का प्रयोग आम तौर पर उनके नियंत्रण वाले क्षेत्रों के लिए किया जाने लगा। मुगल साम्राज्य: मुगल साम्राज्य, जिसने 16वीं से 18वीं शताब्दी तक भारतीय उपमहाद्वीप के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर शासन किया था, ने फ़ारसी अभिलेखों में अपने डोमेन को "हिंदुस्तान" के रूप में संदर्भित किया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि "भारत" शब्द यूरोपीय और फारसी अभिलेखों में उभरा, भारतीय उपमहाद्वीप एक विविध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र था, जिसमें विभिन्न सभ्यताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न नाम थे। "इंडिया" शब्द को औपनिवेशिक युग में प्रमुखता मिली और आधुनिक समय में इसे देश के आधिकारिक नाम के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त हुई। India का मतलब क्या है? "india" शब्द के उस संदर्भ के आधार पर कई अर्थ हैं जिसमें इसका उपयोग किया गया है। "india" के प्राथमिक अर्थ इस प्रकार हैं: भौगोलिक अर्थ: भारत दक्षिण एशिया में स्थित एक देश है, जिसकी सीमा उत्तर पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन और नेपाल, उत्तर पूर्व में भूटान और पूर्व में बांग्लादेश और म्यांमार से लगती है। यह दक्षिण में हिंद महासागर और दक्षिण पश्चिम में अरब सागर से घिरा है। "india" शब्द पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करता है, जिसमें इसके भूभाग और आसपास के क्षेत्रीय जल भी शामिल हैं। राजनीतिक अर्थ: भारत /india एक संप्रभु राष्ट्र और एक संघीय संसदीय लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसे 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिली और इसे भारत के डोमिनियन के रूप में जाना जाने लगा। 26 जनवरी, 1950 को भारत ने अपना संविधान अपनाया और यह आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य बन गया। एक राजनीतिक इकाई के रूप में, भारत/india  28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से बना है। ऐतिहासिक अर्थ: ऐतिहासिक रूप से, "india" शब्द का उपयोग समग्र रूप से भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए किया गया है, जिसमें आधुनिक देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार और अफगानिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं। प्राचीन काल में, "india/indus" शब्द का उपयोग विभिन्न संस्कृतियों द्वारा सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र का वर्णन करने के लिए किया जाता था। सांस्कृतिक और सभ्यतागत अर्थ: भारत/india अपनी हजारों साल पुरानी समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत के लिए जाना जाता है। यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और इस्लाम सहित विभिन्न धर्मों के साथ-साथ विविध प्रकार की भाषाओं, कला, संगीत, साहित्य और परंपराओं का घर है। आर्थिक अर्थ: भारत/india दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण, कृषि और सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। प्रतीकात्मक अर्थ: भारत को अक्सर विविधता, एकता और लचीलेपन के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह अपने जीवंत त्योहारों, विविध परिदृश्यों और विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए मनाया जाता है। कुल मिलाकर, "india" शब्द विविध अर्थों वाली एक महत्वपूर्ण और बहुआयामी इकाई का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक मंच पर इसके ऐतिहासिक, भौगोलिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को दर्शाता है। ऐतिहासिक सन्दर्भ विशेष रूप से 1800 से पहले या ब्रिटिश औपनिवेशिक युग से पहले भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए "india" का उपयोग करते हैं जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "india" शब्द "सिंधु" शब्द से लिया गया था और शुरू में सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को संदर्भित करता था, जो वर्तमान पाकिस्तान में है. इसे बाद में व्यापक भारतीय उपमहाद्वीप का वर्णन करने के लिए विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं द्वारा अपनाया गया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक युग से पहले, भारतीय उपमहाद्वीप को विभिन्न नामों से जाना जाता था और इसकी विविध सांस्कृतिक और भाषाई पहचान थी। "india" शब्द का प्रयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में किया जाता था, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों और सभ्यताओं द्वारा अन्य नामों का भी प्रयोग किया जाता था। जैसा कि कहा जा रहा है, यहां 1800 से पहले भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ ऐतिहासिक संदर्भ दिए गए हैं: हेरोडोटस (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व): प्राचीन यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस ने अपने काम "इतिहास" में सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को " इंडिया" या "इंडिक" कहा है। स्ट्रैबो (पहली शताब्दी ईसा पूर्व - पहली शताब्दी ईस्वी): यूनानी भूगोलवेत्ता और इतिहासकार स्ट्रैबो ने अपने लेखन में "india" का उल्लेख किया है , इसे फारस के पूर्व में स्थित भूमि के रूप में वर्णित किया है। प्लिनी द एल्डर (प्रथम शताब्दी सीई): रोमन लेखक प्लिनी द एल्डर ने अपने काम "नेचुरल हिस्ट्री" में "india" का उल्लेख रोमन साम्राज्य की पूर्वी सीमाओं से परे एक सुदूर भूमि के रूप में किया है। टॉलेमी (दूसरी शताब्दी सीई): ग्रीको-मिस्र के गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और भूगोलवेत्ता क्लॉडियस टॉलेमी ने अपने प्रभावशाली काम "जियोग्राफिया" में भारतीय उपमहाद्वीप को " india" के रूप में संदर्भित किया। चीनी अभिलेख (विभिन्न तिथियाँ): चीनी ऐतिहासिक अभिलेख, जैसे कि हान राजवंश और तांग राजवंश के, भारतीय उपमहाद्वीप को " यिन्दु" या "तियानझू" ("Yindu" or "Tianzhu.")के रूप में संदर्भित करते हैं। अल-बिरूनी (11वीं शताब्दी सीई): फ़ारसी विद्वान और बहुज्ञ अल-बिरूनी ने अपने कार्यों में भारतीय उपमहाद्वीप को "hind" के रूप में संदर्भित किया। मार्को पोलो (13वीं शताब्दी ई.): इतालवी खोजकर्ता मार्को पोलो ने अपनी यात्राओं के विवरण में भारतीय उपमहाद्वीप को "india" कहा था। इब्न बतूता (14वीं शताब्दी ई.): मोरक्को के विद्वान और खोजकर्ता इब्न बतूता ने अपने लेखन में भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए "हिंद" शब्द का इस्तेमाल किया। तैमूर (14वीं शताब्दी ई.): मध्य एशियाई विजेता तैमूर ने अपने संस्मरणों में भारतीय उपमहाद्वीप को "हिंदुस्तान" कहा है। बाबरनामा (16वीं शताब्दी ई.): मुगल सम्राट बाबर की आत्मकथा, "बाबरनामा" में भारतीय उपमहाद्वीप को "हिंदुस्तान" के रूप में संदर्भित किया गया है। जबकि इन ऐतिहासिक संदर्भों में भारतीय उपमहाद्वीप का उल्लेख है, यह समझना आवश्यक है कि "india" शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया गया था और अभी तक पूरे क्षेत्र के लिए एकमात्र नाम के रूप में मजबूती से स्थापित नहीं हुआ था। भारतीय उपमहाद्वीप के प्राथमिक नाम के रूप में "इंडिया" का उपयोग ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान और उसके बाद अधिक प्रचलित हो गया।
"अंग्रेजों ने आमतौर पर 'भारत' के बजाय 'इंडिया' शब्द का इस्तेमाल क्यों किया?
ब्रिटिश आमतौर पर कई कारणों से "भारत" के बजाय "इंडिया" शब्द का इस्तेमाल क��ते थे, जो मुख्य रूप से ऐतिहासिक संदर्भ, भाषाई विचारों और औपनिवेशिक प्रभावों से संबंधित थे। यह समझना आवश्यक है कि भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक काल ने अपने शासन के दौरान और उसके बाद अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में "इंडिया" शब्द के उपयोग को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया। यहां कुछ कारण बताए गए हैं कि अंग्रेजों ने "भारत" के बजाय " इंडिया" शब्द का इस्तेमाल क्यों किया : ऐतिहासिक उपयोग: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, "भारत" शब्द का उपयोग प्राचीन ग्रीक और फ़ारसी इतिहासकारों सहित विभिन्न संस्कृतियों द्वारा, अंग्रेजों के भारत में आने से पहले ही सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए किया गया था। अंग्रेजों ने इस ऐतिहासिक उपयोग को जारी रखा और भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए इस शब्द को अपनाया। औपनिवेशिक विरासत: ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश क्राउन ने भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल क्षेत्रों पर शासन किया। उन्होंने अपनी प्रशासनिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचनाएँ स्थापित कीं और "भारत" शब्द उनके नियंत्रण वाले क्षेत्रों का पर्याय बन गया। भाषाई सुविधा: अंग्रेजी में "इंडिया" शब्द " भारत " की तुलना में छोटा और उच्चारण में आसान है। यह भारत और ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन दोनों में अंग्रेजी भाषा के दस्तावेजों, आधिकारिक रिकॉर्ड और संचार में क्षेत्र का सामान्य नाम बन गया। प्रशासन में एकरूपता: अंग्रेजों का लक्ष्य अपने शासन के दौरान शासन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना था। क्षेत्र के लिए एक सुसंगत नाम, यानी, "india" का उपयोग करने से आधिकारिक संचार और प्रशासन में एकरूपता बनाने में मदद मिली। अंतर्राष्ट्रीय संबंध: "india" शब्द को भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और उपयोग किया गया था । ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से पहले ही यह विभिन्न यूरोपीय शक्तियों, व्यापारियों और खोजकर्ताओं के बीच इस नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश राज की विरासत: ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत ने भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति, भाषा, शासन और शिक्षा प्रणाली को गहराई से प्रभावित किया। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद भी , आधिकारिक दस्तावेजों, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और लोकप्रिय मीडिया सहित विभिन्न संदर्भों में " इंडिया" नाम व्यापक रूप से उपयोग में रहा। विदेशियों के लिए सुविधा: "इंडिया" शब्द उन विदेशियों के लिए अधिक परिचित और पहचानने योग्य है जो भारत की स्थानीय भाषाओं में "india" शब्द से परिचित नहीं हो सकते हैं । यह देश के लिए एक सामान्य और आसानी से पहचाने जाने योग्य नाम प्रदान करता है। (नवीन सिन्हा) Read the full article
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suryyaskiran · 2 years
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हसीना का भारत दौरा : एमओयू, सीमा प्रबंधन को प्राथमिकता
सुमी खान ढाका, 4 सितम्बर (SuryyasKiran)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना तीन साल बाद सोमवार से चार दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत आ रही हैं, वह मंगलवार को अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी।रोहिंग्या मुद्दे को उनकी बातचीत में प्रमुखता मिल सकती है और बांग्लादेश भारत के साथ ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में सहयोग का इच्छुक है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ ए.के. अब्दुल मोमेन ने रविवार को मीडिया ब्रीफिंग में यह बात कही।उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट, वैश्विक आर्थिक मंदी और चल रही कोविड-19 महामारी के बीच इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी चुनौतियों से पार पाने के लिए सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता के दौरान सुरक्षा सहयोग, निवेश, संवर्धित व्यापार संबंध, बिजली और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग, साझा नदियों के जल बंटवारे, जल संसाधन प्रबंधन, सीमा प्रबंधन, मादक पदार्थों की तस्करी और मानव तस्करी से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता मिलने की संभावना है।यह यात्रा मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों और आपसी विश्वास और समझ के आधार पर दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करेगी।मोदी औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री की अगवानी करेंगे जबकि उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। वह राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगी।अपनी यात्रा के दौरान, हसीना हैदराबाद हाउस में अपने भारतीय समकक्ष के साथ द्विपक्षीय परामर्श करने के अलावा भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात करेंगी।भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर हसीना से मुलाकात करेंगे, जिनके अजमेर भी जाने की संभावना है। उनका मोदी द्वारा आयोजित लंच में भी शामिल होने का कार्यक्रम है।विदेश मंत्री ने कहा कि कुशियारा नदी के अपस्ट्रीम से पानी की निकासी, दोनों देशों के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेजों के बीच सहयोग, न्यायिक अधिकारियों के बीच सहयोग, रेल के आधुनिकीकरण और क्षमता निर्माण और सूचना के बीच सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने की तैयारी चल रही है।इसके अलावा, ब्लू इकोनॉमी और दो प्रसारण प्राधिकरणों के बीच पहले हस्ताक्षरित दो समझौता ज्ञापनों के बीच सहयोग का नवीनीकरण किया जाएगा। एक राजनयिक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनकी भारत यात्रा के दौरान, नेपाल से जलविद्युत आयात करने के लिए भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी जीएमआर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।मीडिया ब्रीफिंग में विदेश सचिव मसूद बिन मोमेन भी मौजूद थे।प्रधानमंत्री एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे जिसमें कई मंत्री, सलाहकार, राज्य मंत्री, सचिव और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।बांग्लादेश के व्यापारिक निकायों के प्रतिनिधि भी हसीना के साथ होंगे, जिनका भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक व्यावसायिक कार्यक्रम में भाग लेने का भी कार्यक्रम है।/ Read the full article
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getdreamjobonline · 2 years
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DSSSB Recruitment 2022: दिल्ली में जल बोर्ड व DTC समेत कई पदों पर निकली बम्पर भर्तियां, जानें क्या मांगी गई है योग्यता
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दिल्ली में सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों को लिए उम्मीदारों के लिए अच्छी खबर है कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी), महिला एवं बाल विकास, दिल्ली आर्काइव्स और अन्य विभागों में कुल 168 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगें हैं। इच्छुक उम्मीदवार संबंधित विभाग की वेबसाइट dsssb.delhi.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (Delhi Subordinate Services Selection Board) ने परिवहन विभाग और जल बोर्ड में विभिन्न रिक्त पदों पर भर्तियों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इच्छुक उम्मीदवार 20 अप्रैल से DSSSB की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकेंगे। आवेदन की अंतिम तिथि 9 मई 2022 है।
रिक्त पदों की संख्या - असिस्टेंट आर्काइविस्ट, ग्रेड-I दिल्ली अभिलेखागार – 6 पद - मैनेजर (सिविल) दिल्ली परिवहन निगम – 1 पद - शिफ्ट इंचार्ज (दिल्ली जल बोर्ड) – 8 पद - मैनेजर (मैकेनिकल) दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन – 24 पद - मैनेजर (यातायात) दिल्ली परिवहन निगम – 13 पद - प्रोटेक्शन ऑफिसर – 23 पद - डिप्टी मैनेजर (यातायात) दिल्ली परिवहन निगम – 3 पद - पंप ड्राइवर / फिटर इलेक्ट्रिकल द्वितीय श्रेणी-/ एसबीओ – 68 पद - मैनेजर (आईटी) दिल्ली परिवहन निगम – 1 पद - फिल्टर सुपरवाइजर दिल्ली जल बोर्ड – 18 पद - मैनेजर (इलेक्ट्रिकल) दिल्ली परिवहन निगम – 1 पद - बैक्टीरियोलॉजिस्ट दिल्ली जल बोर्ड – 2 पद यह भी पढ़ें: SBI SCO Recruitment 2022: भारतीय स्टेट बैंक में विभिन्न पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी, 28 अप्रैल तक कर सकते हैं अप्लाई
योग्यता - असिस्टेंट आर्काइविस्ट, ग्रेड-I - डिप्लोमा इन आर्काइव्स कीपिंग, आयु सीमा: 18-30 वर्ष - मैनेजर (सिविल) दिल्ली परिवहन निगम - सिविल इंजीनियरिंग में BE / B.Tech डिग्री, आयु सीमा: 18-35 वर्ष - शिफ्ट इंचार्ज (दिल्ली जल बोर्ड) - 3 साल के अनुभव के साथ इलेक्ट्रिकल ट्रेड में ITI सर्टिफिकेट के साथ कक्षा 10 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण, आयु सीमा: 18-32 वर्ष - मैनेजर (मैकेनिकल) दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन - मैकेनिकल / ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में BE / B.Tech डिग्री, आयु सीमा: 18-35 वर्ष - मैनेजर (यातायात) दिल्ली परिवहन निगम -किसी भी विषय में मास्टर डिग्री, आयु सीमा: 18-35 वर्ष - प्रोटेक्शन ऑफिसर - 3 साल के अनुभव के साथ सामाजिक कार्य / समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री, आयु सीमा: 18-30 वर्ष - डिप्टी मैनेजर (यातायात) दिल्ली परिवहन निगम - किसी भी विषय में स्नात�� डिग्री, आयु सीमा: 18-35 वर्ष - पंप ड्राइवर / फिटर इलेक्ट्रिकल द्वितीय श्रेणी/ एसबीओ - Electrical Trade में ITI प्रमाण पत्र के साथ कक्षा 10 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण, आयु सीमा: 18-27 वर्ष - मैनेजर (आईटी) दिल्ली परिवहन निगम - कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर डिग्री या कंप्यूटर इंजीनियरिंग/ IT Trade में बी.टेक डिग्री, आयु सीमा: 18-35 वर्ष - फिल्टर सुपरवाइजर दिल्ली जल बोर्ड - 2 साल के अनुभव के साथ साइंस B.Sc डिग्री, आयु सीमा: 18-27 वर्ष - मैनेजर (इलेक्ट्रिकल) दिल्ली परिवहन निगम - इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में BE / B.Tech डिग्री, आयु सीमा: 18-35 वर्ष - बैक्टीरियोलॉजिस्ट दिल्ली जल बोर्ड - बायो केमिस्ट्री / माइक्रोबायोलॉजी / बैक्टीरियोलॉजी / बायोटेक्नोलॉजी / जूलॉजी में मास्टर डिग्री या रसायन विज्ञान / जैव रसायन विज्ञान / जीव विज्ञान / सूक्ष्म जीव विज्ञान / जीवाणु विज्ञान / जैव प्रौद्योगिकी के साथ विज्ञान में डिग्री, आयु सीमा: 18-30वर्ष
आवेदन शुल्क जनरल, OBC और EWS उम्मीदवारों को 100 रुपए आवेदन शुल्क जमा करना होगा। जबकी SC, ST, PH और महिलाएं नि:शुल्क आवेदन कर सकते है। यह भी पढ़ें: BSSC Recruitment 2022: बिहार में निकली दो हजार से अधिक पदों में ब���पर भर्ती, स्नातक पास कर सकते हैं आवेदन
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/dsssb-recruitment-2022-for-various-posts-in-dtc-and-jal-board-7465740/
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lok-shakti · 3 years
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10 चालक दल के सदस्यों के साथ पाकिस्तान की नाव गुजरात तट से पकड़ी गई
10 चालक दल के सदस्यों के साथ पाकिस्तान की नाव गुजरात तट से पकड़ी गई
राज्य के एक रक्षा प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने गुजरात तट से भारतीय जल सीमा में 10 चालक दल के सदस्यों के साथ एक पाकिस्तानी नाव को पकड़ लिया। अधिकारी ने कहा कि यासीन नाम की नाव को शनिवार रात एक ऑपरेशन के दौरान एक आईसीजी जहाज ने पकड़ा था। अधिकारी ने एक ट्वीट में कहा, “भारतीय तटरक्षक बल के जहाज अंकित ने 08 जनवरी को रात के ऑपरेशन के दौरान अरब सागर में 10 चालक दल के साथ…
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