#भारतीय खेल बायोपिक
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'साइना' फिल्म की समीक्षा: एक बायोपिक के लिए बहुत प्यारा, एक स्पोर्ट्स फिल्म के लिए बहुत आसान
‘साइना’ फिल्म की समीक्षा: एक बायोपिक के लिए बहुत प्यारा, एक स्पोर्ट्स फिल्म के लिए बहुत आसान
साइना नेहवाल की प्रेरणादायक यात्रा केवल एक सिनेमाई खाके में सिमटी हुई है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से बच्चों पर सकारात्मक टिप्पणी छोड़ना है। क्या वयस्कों को भी देखभाल नहीं करनी चाहिए? साइना एक तरह की बायोपिक है जो दर्शकों को खुश करने के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए सराहनीय प्रतिबद्धता दिखाती है कि वे हॉल को या तो मुस्कुराते हुए छोड़ते हैं या गर्व के साथ छाती में सूजन। यह उस तरह की फिल्म भी है जो…
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#अमोल गुप्ते#परिणीति चोपड़ा#भारतीय खेल बायोपिक#साइना#साइना नेहवाल#साइना मूवी की समीक्षा#साइना रिव्यू#स्पोर्ट्स बायोपिक हिंदी#हिंदी स्पोर्ट्स फिल्म
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नई दिल्ली। बॉलीवुड एक और प्लेयर की फिल्म लेकर आ रहा है। जिसका स्क्रिप्ट का काम भी पूरा हो चुका है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष रह चुके सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के जीवन और खेल पर आधारित एक फिल्म बनने जा रही है। दादा की जीवनी पर आधारित फिल्म की स्क्रिप्ट का काम पूरा हो गया है। जल्द ही फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी। सौरव गांगुली का किरदार निभाने के लिए कई एक्टर्स से बात चल रही है। हालांकि स्वयं दादा की पहली पसंद बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर हैं। सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने कोलकाता एयरपोर्ट पर बातचीत करते हुए कहा कि बहुत सारे काम निपटाने के लिए मैं मुंबई जा राह हूं। बायोपिक की स्क्रिप्ट को लेकर चर्चाएं हुई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्क्रिप्ट को लेकर काम लगभग खत्म हो चुका है। दादा ने कहा, “मैं खुद ही अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहा हूं। स्क्रीनप्ले को लेकर लव प्रोडक्शन हाउस के साथ चर्चा होगी। काफी महीनों तक बायोपिक को लेकर उस तेजी से नहीं हो पाया जिससे होना चाहिए था। मेरे और प्रोडक्शन हाउस के टाइट शेड्यूल के चलते काम में ज्यादा तेजी नहीं आ पाई। हालांकि इस बार काम तेजी से होगा। जब सौरव गांगुली से पूछा गया कि उनका रोल फिल्म में कौन सा एक्टर प्ले करेगा, इसपर उन्होंने कहा, “इन सबस चीजों पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। उम्मीद करता हूं कि इसे लेकर मैं मीटिंग के बाद आपको कुछ बता सकूं।” फिल्म की रिलीज डेट को लेकर दादा ने कहा कि इन यह सब चीजें अभी फाइनल नहीं हो पाई हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट काम पूरा हो गया है। अब इसे लेकर अगला काम शुरू होगा।
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तापसी पन्नू ने खेल रत्न पुरस्कार पाने के लिए 'प्रेरणादायक' मिताली राज की सराहना की
तापसी पन्नू ने खेल रत्न पुरस्कार पाने के लिए ‘प्रेरणादायक’ मिताली राज की सराहना की
बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू ने मिताली राज की प्रशंसा की है, जो मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर हैं। तापसी, श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित, शाबाश मिठू नामक बायोपिक में मिताली राज की भूमिका निभाती नजर आएंगी, जिन्हें महिला क्रिकेट में सबसे अधिक एकदिवसीय रन बनाने का गौरव प्राप्त है। तापसी ने मंगलवार को घोषणा की कि स्पोर्ट्स बायोपिक की शूटिंग पूरी हो चुकी…
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टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा का कहना है कि 'बायोपिक इंतजार कर सकता है, खेल पर ध्यान देना चाहता हूं' | अन्य खेल समाचार
टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा का कहना है कि ‘बायोपिक इंतजार कर सकता है, खेल पर ध्यान देना चाहता हूं’ | अन्य खेल समाचार
भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को लगता है कि उनके जीवन के बारे में और भी कहानियां हैं जो भविष्य में सामने आ सकती हैं और उनकी बायोपिक इंतजार कर सकती है क्योंकि ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता आगामी टूर्नामेंटों पर ध्यान केंद्रित करने की कसम खाता है। नीरज चोपड़ा ने शनिवार (7 अगस्त) को इतिहास रच दिया क्योंकि उन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण लेने के लिए भाला फेंककर 87.58 मीटर की दूरी तय की। उन्होंने 87.03…
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'रश्मि रॉकेट', 'जर्सी', '83': 2021 में आगे बढ़ने के लिए खेल नाटक द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
‘रश्मि रॉकेट’, ‘जर्सी’, ’83’: 2021 में आगे बढ़ने के लिए खेल नाटक द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
कबीर खान की स्पोर्ट्स बायोपिक ’83’ में रणवीर सिंह को भारतीय कप्तान कपिल देव के रूप में दिखाया गया है, जिन्होंने 1983 क्रिकेट विश्व कप के दौरान भारत को फिनिशिंग लाइन तक पहुंचाया। फिल्म ऐतिहासिक जीत को आगे बढ़ाएगी और इसमें साकिब सलीम, ताहिर राज भसीन, पंकज त्रिपाठी और अन्य प्रमुख भूमिकाएँ होंगी। दीपिका पादुकोण, जो फिल्म का सह-निर्माण भी कर रही हैं, कपिल की पत्नी रोमी देव की भूमिका निभाएंगी। तस्वीर:…
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अनुपम खेर ने धोनी की रिटायरमेंट पर शेयर किया खास पोस्ट Image Source : TWITTER: @ANUPAMPKHER
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। इस बीच बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और धोनी की बायोपिक में उनके पिता का किरदार निभाने वाले अनुपम खेर ने खास पोस्ट शेयर किया है। उन्होंने लिखा कि अभी सारा आसमान बाकी है।
अनुपम खेर ने एमएस धोनी संग फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- मेरे प्यारे धोनी! ज़िंदगी की असली उड़ान अभी बाक़ी है, ज़िंदगी के कई इम्तिहान अभी बाक़ी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मी हमने, अभी तो सारा आसमान बाक़ी है!!! हम भले ही आपको खेल के मैदान में मिस करें! लेकिन हमारे दिलों पर आप हमेशा राज करेंगे। जीते रहो। आपका फ़िल्मी पिता।"
मैं पल दो पल का शायर हूं... गाने के साथ एमएस धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट को कहा अलविदा
मेरे प्यारे @msdhoni! ज़िंदगी की असली उड़ान अभी बाक़ी है, ज़िंदगी के कई इम्तिहान अभी बाक़ी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मी हमने, अभी तो सारा आसमान बाक़ी है!!! हम भले ही आपको खेल के मैदान में मिस करें! लेकिन हमारे दिलों पर आप हमेशा राज करेंगे।जीते रहो। आपका फ़िल्मी पिता।😍 pic.twitter.com/qdkn1lT0KJ
— Anupam Kher (@AnupamPKher) August 15, 2020
एमएस धोनी की बायोपिक 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' साल 2016 में रिलीज हुई थी। इसका निर्देशन नीरज पांडे ने किया था।
फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी का किरदार निभाकर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। इस फिल्म को दर्शकों ने खूब प्यार दिया था।
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बॉलीवुड डेस्क (मुंबई). सूरज पंचोली की अगली फिल्म ‘हवा सिंह’ होगी। यह मशहूर इंडियन बॉक्सर हवा सिंह की बायोपिक है। इसका फर्स्ट लुक मंगलवार को सलमान खान ने रिलीज किया। अगले पांच दिनों में इसकी पूरी टीम शूटिंग के लिए हरियाणा रवाना हो रही है। इसका निर्देशन प्रकाश नांबियार करेंगे। फिल्म में हवा सिंह की बॉडी एक्वायर करने के लिए सूरज ने 10 किलो वजन बढ़ाया और इसके लिए उन्हेंबॉक्सिंग की ट्रेनिंग खुद हवा सिंह के बेटे ने दी।
सूरज ने भास्कर से खास बातचीत में बताया, ‘इस फिल्म की शूटिंग हवा सिंह के घर और उनके होम टाउन में होगी। उनके परिवार में तीसरी पीढ़ी भी बॉक्सिंग के खेल को आगे बढ़ा रही है। उनकी पोती नूपुर हवा सिंह महज 18 या 19 साल की हैं और वे इंडिया ओलिंपिक्स के लिए क्वालीफाई कर रही हैं।'
छह महीने हरियाणा में रहकर ट्रेनिंग ली
सूरज के मुताबिक 'हवा सिंह जैसा बनने के लिए बॉडी ट्रांसफॉरमेशन के साथ-साथ बॉक्सिंग सीखने पर भी मैंने बहुत अभ्यास किया है। यह मुझे 6 महीने पहले ऑफर की गई थी और मैंने उसी वक्त से बॉक्सिंग ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। अपना वजन भी बढ़ाना शुरू कर दिया था। इसकी पूरी ट्रेनिंग मुझे उनके बेटे संजय हवा सिंह ने दी है। वहीं मैंने विजेंद्र सिंह से भी बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी। इस दौरान मैं छह महीने हरियाणा में रहा हूं। इसके बाद संजय मुंबई आए और यहीं कैंप लगाकर फिल्म के बाकी कलाकारों को भी बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दी।
कैरेक्टर के लिए 10 किलो वजन बढ़ाया
'हरियाणा में जब हमारा कैंप लगा था तब रोजाना दिन में तीन बार ट्रेनिंग होती थी। मैं वहां के प्रोफेशनल बॉक्सर्स के साथ ट्रेनिंग करता था। उन्हीं के घर का खाना खाता था। यह सिलसिला कुल मिलाकर 4 से 5 महीने तक चला। लिहाजा, मैंने पिछले पांच महीनों में अपना वजन इस कैरेक्टर के लिए 10 किलो बढ़ाया। ‘गजनी’ में वेट पुट ऑन करने के लिए आमिर हर दो घंटे पर छोटे-छोटे मील लिया करते थे। मैं पिछले चार-पांच महीनों से रोजाना दिन के 15-16 अंडे खा रहा हूं। डेढ़ किलो ��क दूध पी रहा हूं। नारियल पानी भी मेरी मील में रहता ही है।'
कौन थे हवा सिंह?
कप्तान ‘हवा सिंह’ का जन्म 16 दिसंबर 1937 को हरियाणा में भिवानी जिले के उमरवास गांव में हुआ था। 19 साल की उम्र में वे भारतीय सेना में शामिल हुए और वहीं उन्होंने बॉक्सिंग करना शुरू कर दिया। साल 1960 में उन्होंने उस समय के चैम्पियन मोहब्बत सिंह को हराकर वेस्टर्न कमांड का खिताब जीता था। हवा ने साल 1961 से 1972 तक लगातार नेशनल बॉक्सिंग चैम्पियनशिप जीती थी। उनके इस रिकॉर्ड की बराबरी आज तक कोई नहीं कर पाया है। एशियाई खेलों में बॉक्सिंग के लिए दो स्वर्ण पदक जीतने वाले हवा इकलौते भारतीय बॉक्सर हैं।
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फिल्म के फर्स्ट लुक पोस्टर में सूरज पंचोली का लुक।
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अनुपम खेर ने धोनी की रिटायरमेंट पर शेयर किया खास पोस्ट Image Source : TWITTER: @ANUPAMPKHER
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। इस बीच बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और धोनी की बायोपिक में उनके पिता का किरदार निभाने वाले अनुपम खेर ने खास पोस्ट शेयर किया है। उन्होंने लिखा कि अभी सारा आसमान बाकी है।
अनुपम खेर ने एमएस धोनी संग फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- मेरे प्यारे धोनी! ज़िंदगी की असली उड़ान अभी बाक़ी है, ज़िंदगी के कई इम्तिहान अभी बाक़ी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मी हमने, अभी तो सारा आसमान बाक़ी है!!! हम भले ही आपको खेल के मैदान में मिस करें! लेकिन हमारे दिलों पर आप हमेशा राज करेंगे। जीते रहो। आपका फ़िल्मी पिता।"
मैं पल दो पल का शायर हूं... गाने के साथ एमएस धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट को कहा अलविदा
मेरे प्यारे @msdhoni! ज़िंदगी की असली उड़ान अभी बाक़ी है, ज़िंदगी के कई इम्तिहान अभी बाक़ी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मी हमने, अभी तो सारा आसमान बाक़ी है!!! हम भले ही आपको खेल के मैदान में मिस करें! लेकिन हमारे दिलों पर आप हमेशा राज करेंगे।जीते रहो। आपका फ़िल्मी पिता।😍 pic.twitter.com/qdkn1lT0KJ
— Anupam Kher (@AnupamPKher) August 15, 2020
एमएस धोनी की बायोपिक 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' साल 2016 में रिलीज हुई थी। इसका निर्देशन नीरज पांडे ने किया था।
फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी का किरदार निभाकर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। इस फिल्म को दर्शकों ने खूब प्यार दिया था।
Written By:- Jaivendra Singh
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जन्मदिन विशेष: संघर्ष से भरा रहा बैडमिंटन क्वीन साइना नेहवाल का जीवन, झेल चुकी हैं लड़की होने का दर्द
चैतन्य भारत न्यूज भारतीय बैडमिंटन को नई ऊंचाइयों पर ले जानी वाली स्टार खिलाड़ी साइना नेहवाल का आज 30वां जन्मदिन है। साइना को कराटे में भी महारथ हासिल है। साइना कराटे में ब्लैक बेल्ट चैंपियन भी रह चुकी हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं साइना के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें... (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
साइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। साइना के पिता एग्रीकल्चर डिपार्टमें में पोस्टेड थे, जब उनका प्रमोशन हुआ तो पांच शहरों में ट्रांसफर का ऑफर आया। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद को सेलेक्ट किया और उनका पूरा परिवार हैदराबाद शिफ्ट हो गया। माता-पिता दोनों बैडमिंटन खिलाड़ी होने के कारण साइना का शुरू से ही बैडमिंटन में रूझान रहा।
साइना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, जब वह आठ साल की थीं तब उन्हें प्रैक्टिस के लिए घर से 25 किलोमीटर दूर स्टेडियम जाना पड़ता था। इसके लिए उन्हें सुबह चार बजे उठना पड़ता था। उनके पिता स्कूटर से स्टेडियम ले जाते। दो घंटे वे भी वहीं रहते थे और उनका खेल देखते। फिर वहीं से उन्हें स्कूल छोड़ते। उन्होंने बताया कि, 'सुबह जल्दी उठने की वजह से कई बार नींद भी आ जाती थी। कही गिर न पड़ूं, इसलिए मां भी साथ आतीं थी। पिता स्कूटर चलाते और मां मुझे पकड़कर बैठतीं। रोजाना करीब 50 किलोमीटर का सफर। आसान नहीं था, लेकिन यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा।'
साइना एकमात्र ऐसी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जिन्होने ओलंपिक में पदक जीतने के साथ-साथ कॉमनवेल्थ महिला एकल में स्वर्ण, वर्ल्ड जूनियर, कॉमनवेल्थ युथ टाइटल्स एवं सुपर सीरीज टाइटल भी जीता है। साइना को खेल के सबसे बड़े पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। यही नहीं 2010 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न और पद्मश्री अवार्ड भी मिला था। साइना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, 'जब वह पैदा हुई थीं, उस समय पोते की चाहत रखने वाली उनकी दादी ने गुस्से में एक महीने तक उनका चेहरा नहीं देखा था।'
साइना को आइसक्रीम खाना बहुत पसंद हैं। वह जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतती हैं तो उसके बाद आइसक्रीम का लुत्फ जरूर उठाती हैं। साइना साल 2006 में पहली बार चर्चा में आईं, जब 16 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय अंडर-19 चैंपियनशिप जीती। इसके अलावा इतिहास रचते हुए एक बार नहीं बल्कि दो बार एशियाई सेटेलाइट चैंपियनशिप जीती।
साइना ने पिछले साल 16 दिसंबर को बैडमिंटन खिलाड़ी परुपल्ली कश्यप से शादी की। दोनों की शादी साइना के साइबराबाद के रायदुर्गम स्थित घर ओरियोन विला में संपन्न हुई। इस विवाह समारोह में केवल साइना और कश्यप के परिवार के सदस्य, खास रिश्तेदार समेत लगभग 40 मेहमानों ने शिरकत की थी। साइना साल 2000 में पहली बार 10 साल की उम्र में कश्यप से मिली थीं और 2010 के दौरान उन्हें पहली बार लगा था कि कश्यप वह शख्स हैं जिन्हें वह अपना जीवनसाथी बना सकती हैं। ये भी पढ़े... बीजेपी में शामिल हुईं साइना नेहवाल, दिल्ली चुनाव में करेंगी प्रचार, पीएम मोदी की तारीफों के बांधे पुल साइना नेहवाल की बायोपिक से बाहर हुईं श्रद्धा कपूर, इस एक्ट्रेस की हुई एंट्री ऑल इंग्लैंड ओपन: ताइ जु से हारकर क्वार्टर फाइनल से बाहर हुईं साइना नेहवाल Read the full article
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B'day Spl: MS Dhoni से Sushant Singh Rajput ने किए थे कई सावल, तीन मुलाकातों के बाद खिलाड़ी ने कही थे ये बात
B’day Spl: MS Dhoni से Sushant Singh Rajput ने किए थे कई सावल, तीन मुलाकातों के बाद खिलाड़ी ने कही थे ये बात
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम में माही और ‘कैप्टन कूल’ के नाम से मशहूर महें��्र सिंह धोनी (MS Dhoni) आज अपना 39 वां जन्मदिन सेलिब्रेट करने जा रहे हैं। इस कप्तान ने जिस तरह से खेल जगत में अपनी मेहनत के दम से ऐसी खास जगह बनाई है उसी तरह से सुशांतने भी फैंस के दिल पर जगह बनाने में कोई कसर नही छोड़ी थी जिसका जीता जागता उदा. धोनी की बायोपिक में देखा जा सकता है। धोनी की जर्नी पर बन चुकी फिल्म में सुशांत…
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अनि भयो नेपाली महिला क्रिकेटको उदय
१ असार २०६१ ।
‘केटीले पनि क्रिकेट खेल्ने ? मैले त देखेको छैन,’ शान्तिले आश्चर्यभाव प्रकट गरिरहँदा एकपटक मेरो मथिङ्गल घुम्यो । दिमागमा कुनै नयाँ कुराको बीजारोपण हुँदा मैले पहिलो सेयर गर्ने भनेकै जीवनसाथीलाई हो । नयाँ निर्णय लिनुअघि उनैसँग सल्लाह गर्छु । सम्भावना, चुनौती र जोखिमबारे हामी धेरै कोणबाट कुरा गर्छौं । जीवनसाथीको अर्थ जीवनकालमा आइपर्ने कुनै समस्या, खुसी वा महत्वपूर्ण निर्णयको साझेदार अनि मुख्य सल्लाहकार हुनु पनि त हो !
तर, महिला क्रिकेटको कुरा उप्काउँदा उनैले नाक खुम्च्याई दिइन् । शान्तिलाई सम्झाउनै मैले धेरै मिहिनेत गर्नुपर्यो । मैले संसारका विभिन्न देशमा महिलाले क्रिकेट खेलेका उदाहरण दिएँ । भिडिओ क्लिप खोजेर देखाएँ । मैदानमा पुरुष क्रिकेट मात्र हेरिरहेकाले शान्तिलाई महिलाले पनि क्रिकेट खेल्छन् भन्ने नै थाहा रहेनछ । क्रिकेट मैदानभन्दा परकी शान्ति मात्र होइन, नेपालका धेरै क्रिकेटर नै अनभिज्ञ थिए । शान्ति कन्भिन्स भएपछि सुझाइन्, ‘राम्रोसँग योजना नबनेसम्म कसैसँग सेयर नगर्नु नि Û नत्र, योजना नबुझेरै विरोध सुरु होला, हाँसोमजाक बनाऊलान् ।’
शान्ति स्कुलमा पढाउँथिन् । त्यसैले महिला क्रिकेटको कुरा सुन्दा उनी आफूले पढाउने नानीहरूका हातमा ब्याट सोच्न भ्याउँथिन् होला । तर, उनी आफँैलाई पत्यार नलागे के वास्ता ? त्यसै पनि उनलाई खेलकुदप्रति खासै रुचि थिएन, जे जति थियो मेरै कारण मात्र । मैले कोलकातामा वाईके चौधरीलाई पनि टेलिफोन गरेँ । उनी साथी कम, शुभेच्छुक धेरै थिए । नयाँ सोच सुन्दा उनी धेरै नै खुसी भए । त्यो खुसीलाई रोक्नै नसकेझैँ गरेर उनले भनिहाले, ‘आगे बढ् एलबी । तु आगे जाएगा, बहुत अच्छा होगा ये काम ।’ वाईकेका कुराले हौसला मिलिरहेको थियो । उनी आफैँमा एउटा राम्रो क्रिकेटर हुन् । नेपाल फर्किएर मैले क्रिकेटमा गरेको प्रगति देखेर उनी त्यसै पनि दङ्ग थिए ।
मैले भारतीय पूर्वराष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलामको एउटा महान् वाणी सुनेको थिएँ, ‘सपना त्यो होइन, जो तपाइर्ं निदाएर देख्नुहुन्छ । सपना त त्यो हो, जसले तपाईंलाई निदाउनै दिँदैन ।’ साँच्चै ! महिला क्रिकेटको सपनाले ���ेरो निद्रा भगाइदिएको थियो । प्राची र शान्ति मस्त��ँग छेउमा निदाउँथे, म भने अबेर रातीसम्म अनेक योजना बुनेर बस्थेँ । महिला क्रिकेटको अवधारणा आइरहँदा मैले प्राचीको अनुहार नियालिरहेको थिएँ । क्रिकेट छोराले मात्र खेल्ने खेल हो भन्ने भ्रम मैले आˆनै छोरीको सम्मानका लागि पनि हटाउनु पथ्र्यो । कन्भिन्स भएपछि शान्तिले यो सपना पूरा गर्न सघाइन् । छोराछोरीले समान अवसर र व्यवहार पाउनुपर्छ भन्नेमा उनी पहिल्यैदेखि सहमत थिइन् ।
कुस्तीका मसहुर भारतीय खेलाडी महावीरसिंह फोगटले आफूले अन्तर्राष्ट्रिय पदक जित्न नसकेको छटपटी कालान्तरमा आˆनो छोरीबाट पूरा गरेका थिए । छोरीले कमनवेल्थ गेम्समा स्वर्ण पदक जितेर बुबाको सपना पूरा गरेकी थिइन् । अभिनेता आमिर खानले पछि उनैको बायोपिक ‘दङ्गल’ फिल्म नै बनाए । हुन त प्राचीले कहिल्यै क्रिकेटमा चासो देखाइनन् । तर, त्यसबेला मैले पनि क्रिकेट जीवनमा आफूले नपाएको सफलता छोरीबाट अपेक्षा गरेको थिएँजस्तो लाग्छ ।
प्राचीको न्वारनकै दिन नेपालको अफिसियल प्रतियोगितामा डेब्यु गर्न कलैया हिँडेको मलाई सधैँ सम्झना आइरहन्छ । कोलकातामा उच्च शिक्षा मात्र होइन, क्रिकेट अनुभवसमेत लिएर म कोहलपुर आएको थिएँ । त्यतिबेला यता सबै बिरानो थियो तर मातृभूमिको माटोको सुगन्धले छिट्टै अपनत्व महसुस भइरह्यो । कोलकातामा सिकेको क्रिकेटले मलाई चाँडै घुलमिल गरायो । लगालग धेरै प्रतियोगिताको अवसर जुट्यो । जिल्ला, क्षेत्र हुँदै राष्ट्रिय प्रतियोगितासम्म आˆनो क्षमता प्रदर्शन गर्न पाएँ । त्यो क्रम नेपाली राष्ट्रिय टिमको नेतृत्वमा नपुगुन्जेल जारी रह्यो ।
अब महिला क्रिकेट मेरो नयाँ सपना बनेको थियो, महत्वाकाङ्क्षा बनेको थियो । यस्तो सपना, जसभित्र थुप्रै अधुरा सपना जोडिएका थिए । त्यो सपना पूरा हुँदा क्रिकेटलाई मात्र होइन, नेपाली समाजकै लागि योगदान हुने थियो । खेलबाट समतामूलक समाजतर्फको यात्रा आफैँमा नयाँ अध्याय हुने थियो । मैले त्यसरी हेरेको थिएँ । तर, अवसरजत्तिकै ठूला चुनौती सामुन्ने थिए । म भने भित्रभित्रै छोरीको हातमा बल र ब्याटको कल्पना गरिरहेको थिएँ ।
असार २ गते बिहान कोहलपुर विद्युत् रोड सामुन्ने गोपाल नास्ता पसलमा चिया पिउँदै थियाँै । अन्तर्राष्ट्रिय गैरसरकारी संस्था प्लान नेपालका कोहलपुर प्रमुख नेत्र उपाध्याय भेटिए । हाम्रो सर्कल एउटै थियो । घरछेउको यो चियापसलमा हरेक दिनजसो भेट भइरहन्थ्यो । चियाको चुस्कीसँगै अनेक गफ हुन्थे । भीड पातलिइसकेपछि मैले खुसुक्क नेत्रजीलाई महिला क्रिकेटको सपना सेयर गरेँ ।
वास्तवमा मलाई ��कुसमुकुस भइरहेको थियो । उनी नयाँ क्लिक भएझैँ तरङ्गित भए । ‘गज्जब आइडिया !’ एकै स्वरमा उनले भनिहाले, ‘स्कुल तहमा छात्रा क्रिकेट गराँै । म पनि सहयोगको पहल गर्छु ।’
त्यतिबेला खेल गतिविधि केही थिएन । भइरहेका प्रतियोगितासमेत हुन छाडेका थिए । यस्तोमा नयाँ खेल कसरी सुरु गर्ने ? अझ, महिला क्रिकेट Û प्लानले सघाउला कि भनेर पनि मैले नेत्रजीलाई भनेको थिएँ ।
एनजीओ, आईएनजीओहरू विकास, मानव अधिकार र महिला सशक्तीकरणमा बजेट छुट्याउँथे । प्लानले अघिल्लो वर्ष छात्र क्रिकेटमा साझेदारी गरेकाले आशा जागेको थियो । महिला क्रिकेट साँच्चै महिला सशक्तीकरणको अभियान थियो । त्यो सपना पूरा हुँदा त्यसले हाम्रा छोरीहरूलाई छोरासरह क्रिकेट मैदानमा उतार्ने थियो । छोरीहरूका हातमा पनि बल र ब्याट देखिने थिए । उनीहरूमा पनि एउटा आत्मविश्वास जाग्ने थियो । हामी पनि केटाहरूभन्दा के कुरामा कम छौँ भन्ने भावना पलाउँथ्यो ।
मैले सहयोग, सहकार्य र सल्लाह लिन कुनै ढिला गरिनँ । प्रयोजक र सहयोगीका लागि प्रपोजल लेखेँ । भोलिपल्टै विभिन्न एनजीओ, आईएनजीओ, सरकारी कार्यालय र निजी व्यावसायिक र्फमहरूमा ती प्रपोजल पुर्याएँ । नेत्रजीसँग धेरै परामर्श गरेकाले मेरो आशा प्लानसँग थियो, त्यसैले जिल्ला प्रबन्धक रामानन्द गुप्तालाई भेट्न नेपालगन्ज पुगेँ । मेरो प्रस्ताव सुनेर उनले पनि आश्चर्यभाव प्रकट गरे ।
‘यो सम्भव छ र ?’ गुप्ताले सोधे ।
मैले भने, ‘असम्भव भन्ने के छ र सर संसारमा ! मात्र तपाईंहरूको साथ चाहियो ।’ मैले महिला क्रिकेटका धेरै उदाहरण दिएँ । गुप्ताजी मेरा कुरा सुनिरहे ।
अन्त्यमा, उनले सकारात्मक सङ्केत गर्दै भने, ‘ल ठीक छ, म प्रपोजल हेरेर खबर गर्छु ।’
म नेपाल क्रिकेट सङ्घ -क्यान)को केन्द्रीय सदस्य र क्षेत्रीय क्रिकेट विकास समिति, क्षेत्र नम्बर ५ नेपालगन्जको अध्यक्ष थिएँ । महिला क्रिकेट अघि बढ्ने आधार तयार भएपछि लगत्तै मैले क्रिकेट विकास समितिको बैठक बोलाएँ । त्यतिबेला नेपालको क्रिकेटमा पाँच क्षेत्रको मात्र संरचना थियो । क्षेत्र नम्बर ५ ले बुटवल पश्चिमका प्रायः सबै जिल्ला समेट्थ्यो । पछि, क्षेत्र नम्बर ६ बैतडी जन्मियो । धेरै पछि क्षेत्र नम्बर ७ धनगढी जन्मियो । क्यान केन्द्रीय अध्यक्ष जयकुमारनाथ साह थिए ।
बैठकमा महिला क्रिकेटको प्रस्ताव राख्दा साथीहरूले सुरुमा पत्याएनन् । धेरै त महिला क्रिकेटबारे नै अनभिज्ञ रहेछन् । कतिपयलाई महिला क्रिकेट हुन्छ भन्ने नै थाहा रहेनछ । मैले सबैलाई विश्वासमा लिएँ । केही जिम्मेवार साथीहरूले प्रश्न तेस्र्याए, ‘महिला क्रिकेटसम्बन्धी गफ त धेरै गर्नुभयो । बजेट कहाँबाट ल्याउनुहुन्छ ?’
मैले ‘चाहिने बजेटको धेरै चिन्ता गर्नु पर्दैन, बन्दोबस्त मिलाउँदैछु’ भनेर साथीहरूलाई आश्वस्त पारेँ । अब भने एउटा सपनाले संस्थागत र औपचारिक रूप ग्रहण गर्दै थियो । साथीहरूले बाटो खोल्ने जिम्मा मलाई लगाए ।
हाम्रो नेपालगन्जिया मैदानवरपर महिला क्रिकेटले तरङ्ग ल्याइदिएको थियो । भेटघाट र छलफल भइरहन्थ्यो । हाम्रो स्वीकृत प्रस्तावमा खेल शिक्षकलाई एक दिन र विद्यार्थीहरूलाई तीन दिन प्रशिक्षण दिने कार्यक्रम तय गरिएको थियो । त्यसले क्रिकेटरहरूमा नयाँ कौतूहल र उत्साह जगाइदिएको थियो । किनभने, यो सबैका लागि नयाँ विषय थियो ।
नयाँ प्रतिभाको खोजीको सबैभन्दा राम्रो सम्भावना विद्यालयमा हुन्छ । त्यसैले हाम्रो प्राथमिकता स्कुल तहमै थियो । त्यसै पनि, किशोरीहरू धेरै जिज्ञासु हुन्छन् । त्यसमाथि, लैङ्गिक समानताको नारा लिएर जाँदा धेरैभन्दा धेरै सहभागी हुनेमा हामी ढुक्क थियौँ ।
हामीले जिल्ला शिक्षा कार्यालयसँग समन्वय गर्याँै । तत्कालीन जिल्ला शिक्षा अधिकारी विष्णु थैव निकै उत्साहित भए । उनी यो अभियानको राम्रा सहयोगी बने । उनले सहभागिताका लागि ४० विद्यालयलाई पत्राचारसमेत गरिदिए । म आफैँ २२ विद्यालयमा पुगेँ । जहाँ पुगियो, सुरुमा सम्झाउनै गाह्रो । छात्रा क्रिकेट सुन्नासाथ प्रधानाध्यापकहरू कान ठाडा पार्थे, केही उत्साह, धेरै आश्चर्यभावका साथ सोध्थे, ‘भलिबलमा ६ जना पुर्याउन त धौ धौ हुन्छ । क्रिकेटमा ११ जना कहाँ खोज्ने ?’ उनीहरूले निमावि र मावि तहका किशोरीहरूलाई कक्षामा गएर सोधेछन् । किशोरीहरू तयार देखिएपछि केही प्रधानाध्यापकले खुसी हुँदै फोन पनि गरेका थिए ।
अन्ततः ३३ विद्यालय सहभागी हुने भए ।
(नेपाली क्रिकेटका पहिलो पुस्ताका खेलाडी एलबी क्षेत्रीको आत्मकथा कप्तान १९९८ बाट)
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आशा है कि मेरी बायोपिक युवा लड़कियों को क्रिकेट के लिए प्रेरित करती है: मिताली राज
आशा है कि मेरी बायोपिक युवा लड़कियों को क्रिकेट के लिए प्रेरित करती है: मिताली राज
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टेस्ट और वनडे में भारतीय महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज को उम्मीद है कि उनकी बायोपिक शाबाश मिठू युवा लड़कियों को खेल से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगी।
राहुल ढोलकिया द्वारा निर्देशित जीवनी ड्रामा, रईस, लम्हा और परज़ानिया जैसी फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है।
“मुझे खुशी है कि मेरी कहानी पर एक बायोपिक है क्योंकि एक महिला क्रिकेटर के संघर्ष के बारे में बहुत कुछ दिखाया…
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मैं फिट हूं : परिणीति
अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा ‘साइना’ नामक आगामी बायोपिक में मशहूर भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के किरदार को निभा रही हैं। गर्दन में चोट लगने की समस्या से जूझने के बाद परिणीति ने बैडमिंटन कोर्ट में फिर से अपनी वापसी की है। परिणीति ने कहा, हां, यह सही जानकारी है। मैं अब सौ प्रतिशत फिट हूं और बैडमिंटन कोर्ट में कदम रखने और खेल को दोबारा से खेलने का अब और इंतजार नहीं कर सकती हूं। मैं ‘साइना’ के अपनी पूरी टीम को उनके बहुमूल्य समर्थन और अपनी मेडिकल टीम को मुझे जल्दी से ठीक करने और कोर्ट में वापस लाने के लिए धन्यवाद देती हूं। परिणीति फिल्म के एक ऐसे हिस्से को फिल्मा रही हैं जिसके लिए उन्हें आठ घंटे की समय सीमा तक इस खेल को खेलने की आव��्यकता होगी। फिल्म से जुड़े एक सूत्र ने कहा, परी सौ प्रतिशत ठीक महसूस कर रही हैं और वह वापस से खेलना चाहती हैं। वह जल्दी ठीक होने और कैमरे के लिए गेम को दोबारा खेलने के लिए बेहद रोमांचित हैं। परिणीति के गर्दन और रीढ़ की हड्डी के पास ऐंठन की वजह से डॉक्टर ने दस दिन तक बैडमिंटन न खेलने की सलाह दी थी। उनके ठीक होने की इस प्रक्रिया में ‘साइना’ की पूरी टीम बेहद सर्पोटिव रही और परी फिर से अपने पूरे दमखम के साथ वापस आने के लिए तैयार हैं। अमोल गुप्ते इसके निर्देशक हैं और टी-सीरीज के बैनर तले भूषण कुमार व कृष्ण कुमार इसे प्रोड्यूस कर रहे हैं। Read the full article
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Box Office पर सूरमा रिलीज़, पहले दिन इतनी कमाई की उम्मीद
Box Office पर सूरमा रिलीज़, पहले दिन इतनी कमाई की उम्मीद
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Publish Date:Mon, 16 Jul 2018 12:23 AM (IST)
मुंबई। एक ज़माना था जब भारतीय हॉकी का दुनिया में रुतबा था और फिर वो दौर भी आया जब हॉकी सुनहरा अतीत बन गई। हाल के वर्षों में फिर हॉकी में जान आई है और इस खेल के प्रति रुझान भी बढ़ा है। सिनेमा भी खेलों और खिलाडियों का फैन रहा है। बायोपिक के दौ�� में एक हॉकी लीजेंड की कहानी पर फिल्म बनी है, सूरमा। ये फिल्म शुक्रवार को बॉक्स ऑफ़िस के गेम में उतरी।
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prediction for diljit dosanjh and taapsee pannu starrer film soorma which is release this friday
prediction for diljit dosanjh and taapsee pannu starrer film soorma which is release this friday
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Publish Date:Thu, 12 Jul 2018 01:09 PM (IST) मुंबई। एक ज़माना था जब भारतीय हॉकी का दुनिया में रुतबा था और फिर वो दौर भी आया जब हॉकी सुनहरा अतीत बन गई। हाल के वर्षों में फिर हॉकी में जान आई है और इस खेल के प्रति रुझान भी बढ़ा है। सिनेमा भी खेलों और खिलाडियों का फैन रहा है। बायोपिक के दौर में एक हॉकी लीजेंड की कहानी पर फिल्म बनी है, सूरमा। इस हफ़्ते बॉक्स ऑफ़िस के गेम में ये फिल्म उतरेगी।
इ…
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