#भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना प्रभाव
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IMF की एमडी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर किया ये बड़ा दावा,कहा-चमकता हुआ सितारा है भारत
IMF: वैश्विक अर्थव्यवस्था के मामले में भारत लगातार अपनी बढ़त बनाता जा रहा है. दुनिया की सारी रेटिंग एजेंसियां बता रही हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था 2023 में सबसे ज्यादा तेज वृद्धि की अर्थव्यवस्था हो सकती है.अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने कहा है कि भारत अकेले 2023 में वैश्विक वृद्धि का 15% योगदान देगा. आइए आपको बताते हैं कि क्रिस्टीना ने आगे क्या और कहा.
6.8 की उच्च विकास दर हासिल करेगा भारत
क्रिस्टालिना ने भारत में हुए डिजिटलीकरण की तारीफ करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के निचले स्तर से बाहर निकलकर भारत दुनिया की 5 वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. उन्होंने आगे कहा कि भारत का प्रदर्शन का��ी प्रभावशाली रहा है.2023 में हम उम्मीद करते हैं कि भारत मार्च में खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष में 6.8 की उच्च विकास दर हासिल कर लेगा.
चमकता हुआ सितारा है भारत
क्रिस्टालिना ने आगे कहा कि जब आईएमएफ को 2023 का साल एक मुश्किलों से भरा वर्ष लग रहा था तब भी भारत ऐसे समय में एक आकर्षक स्थान बना हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि भारत ने डिजिटलीकरण की दिशा में सचमुच में बहुत अच्छा काम किया है जिसके कारण वो एक चमकता सितारा बन गया है. भारत पहले से ही कोरोना महामारी के प्रभाव पर काबू पाने और विकास और नौकरियों के अवसर पैदा करने के एक प्रमुख चालक के रूप में काफी अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है.
क्रिस्टालिना ने आगे कहा कि भारत की ओर से जी-20 के लिए घोषित थीम ” एक पृथ्वी,एक परिवार, एक भविष्य” का आदर्श वाक्य बहुत ही संगठित करने वाला और सभी का उत्थान करने वाला है. क्रिस्टालिना ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी कहा कि भारत जैसे बड़े देश जिसने 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य रखा है वो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाकर इस महत्वकांक्षी लक्ष्य को पहले ही हासिल कर सकता है.
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वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट- 150 साल के बाद आ सकती है ऐसी मंदी, भारत समेत दुनियाभर में करोड़ों लोग हो जाएंगे गरीब
वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट- 150 साल के बाद आ सकती है ऐसी मंदी, भारत समेत दुनियाभर में करोड़ों लोग हो जाएंगे गरीब
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सन 1870 के बाद यह पहला मौका होगा, जब महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आएगी. विश्व बैंक (World Bank) के प्रेसिडेंट डेविड मलपास (World Bank President David Malpass) के मुताबिक, सन 1870 के बाद…
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*यह सारी लड़ाई आपके दिमाग से खेलने और नैरेटिव सेट करने की है।*
*चोर और देश की गद्दार मीडिया और फेंक न्यूज़ के समय में इतनी तेजी से घटनाक्रम आपके सामने आते और ओझिल हो जा रहें है कि मूल बातें और मुद्दे पृष्ठभूमि में चले जाते हैं। The Wire Hindi की हालिया रिपोर्ट बताती है कि किस तरह से कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और प्रोफेशनल्स की बड़ी फौज, चोर मीडिया के पूरे सहयोग से भाजपा भारतीयों के दिमाग से खेल रही है। उदाहरण के साथ आप को समझाने का प्रयास करता हूं कि किस तरह से आपके दिमाग को मेनुप्लेट किया जा रहा है।*
*नागरिकों के लिए मुद्दा होना चाहिए महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिगड़ती कानून व्यवस्था और सिर्फ कुछ कॉर्पोरेट घरानों को लाभ देने के प्रयास में बर्बाद हो चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था लेकिन मुद्दा बनाने का प्रयास किया जाएगा हिंदू मुसलमान मंदिर मस्जिद शमशान कब्रिस्तान और प्रधानमंत्र��� मोदी की जान को खतरा।*
*महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर है और ऐसा उस वक्त है जब आप की कमाई घटी है बेरोजगारी बढ़ी है लेकिन ऐसा क्या हो गया है कि पहले सिर्फ कुछ रुपयों की बढ़ोतरी होने पर जनता सड़कों पर आ जाया करती थी वह आज मुसलमानों को गालियां देकर ही संतुष्ट है। महंगाई की बात करने वालों को देश विरोधी बताया जाता है।*
*बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर है जहां पर करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं, नौजवान सड़कों पर भटक रहा है लाठियां खा रहा है सिर्फ सम्मान पूर्वक जीवन यापन करने हेतु रोजगार के लिए लेकिन ऐसा क्या हो गया कि बेरोजगारों को नौकरी मांगने वालों को देश विरोधी बताया जा रहा है।*
*शिक्षा को चरणबद्ध तरीके से नष्ट किया जा रहा है। यूजीसी की फंडिंग हर साल लगातार कम करी जा रही है, रिसर्च करने वालों को सरकारी प्राइमरी टीचरों की तरह तमाम गैरजरूरी कामों में लगा कर मजदूरों की तरह काम लिया जा रहा है, नए संस्थान नहीं बनाए जा रहे हैं और जो पुराने विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान हैं उनको देश विरोधी साबित किया जा रहा है जैसे जेएनयू।*
*स्वास्थ्य की क्या स्थिति है आप सब ने स्वयं देखी कोरोना की महामारी के दौरान। जहां पर डॉक्टरों पर लाठियां बरसाई जा रही हूं क्योंकि वह सिर्फ पीजी की काउंसलिंग की मांग कर रहे हो, जहां पर प्लास्टर भी ना हुआ हो बिल्डिंग तैयार ना हो वहां पर प्रचार हेतु एम्स का उद्घाटन कर दिया जा रहा है लेकिन सारे जिला अस्पतालों को नीति आयोग निजी हाथों में देने के लिए रिपोर्ट तैयार कर रहा हो वहां पर स्वास्थ्य की मांग करने वालों को देशद्रोही साबित किया जा रहा है।*
*कानून व्यवस्था को ऐसे समझा जाए कि भाजपा का फेंक न्यूज़ फैलाने वाला आईटी सेल और चोर मीडिया आम नागरिकों को नफरती दंगाई और अपराधी बना रहा है, धर्म संसद का आयोजन करा कर हिंदू धर्म को बदनाम किया जा रहा है और मुस्लिमों के नरसंहार की बात करी जा रही है। मुस्लिम महिलाओं की नीलामी जैसे जघन्य अपराध के लिए जिनको पकड़ा गया वो नई उम्र के कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के लड़कियां है। The Quint की रिपोर्ट बताती है कि इसमें इंजीनियरिंग सेकंड ईयर का 21 वर्ष का नीरज बिश्नोई असम से पकड़ा गया है जिसने बुल्ली बाई ऐप बनाई थी। उसके पिता बताते हैं कि वह 1980 में असम आ गए और तब से मेहनत करके अपनी जिंदगी संवारने और बच्चों को पढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। नीरज पढ़ने में तेज था कक्षा 10 में अच्छे मार्क्स लाने के बाद ��सम सरकार ने उसको लैपटॉप दिया था पर वह दिनभर चोर मीडिया और फेंक न्यूज़ की फैक्ट्री भाजपा आईटी सेल के प्रोपोगंडा देखता था जिसके कारण उसके मन में मुसलमानों के प्रति नफरत भर गई और उसने अपराध किया हालांकि उनके पिता ने स्वयं एक साल पहले सारे चोर मीडिया चैनल देखने बंद कर दिए थे लेकिन इस घटना से आप समझ सकते हैं कि कितना गहरा प्रभाव चोर मीडिया हमारे आपके बच्चों का डालता है और उन्हें अपराधी बना रहा है। जिस बात को पिछले 7 साल से सभी कह रहे हैं कि भाजपा की फेंक न्यूज़ की फैक्ट्री आईटी सेल और चोर गद्दार मीडिया लोगों को नफरत से भरा दंगाई और अपराधी बना रही है वह बात अब सच साबित होने लगी है लेकिन नफरत के खिलाफ बोलने वालों को देशद्रोही बताया गया।*
*अर्थव्यवस्था के किसी भी आंकड़े को आप उठाकर देख लीजिए तो आपको अंदाजा होगा कि फूलते शेयर मार्केट की सट्टेबाजी के उस पार आम भारतीय लगातार गरीब हो रहा है, उसकी बचत खत्म हो रही है, काम धंधे बंद पड़े हैं, कमाई कम हो गई है जिसके कारण अमीर और अमीर होता जा रहा है गरीब और गरीब और इस तरह से अमीरी गरीबी की खाई बढ़ती चली जा रही है और पूरी व्यवस्था सिर्फ कुछ कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रही है लेकिन अर्थव्यवस्था की बात करने वालों को देशद्रोही बताया जा रहा है।*
*आप स्वयं देखिए आपके चारों तरफ किन मुद्दों पर लोग बहस कर रहे हैं, किन मुद्दों पर बात कर रहे हैं और किन मुद्दों के आधार पर वह वोट देने जा रहे हैं तब आपको एहसास होगा कि यह ���ारी लड़ाई किस बात की है।*
*Rohan Sigh*
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तेजी से सुधर रहे हैं हालात, भारतीय अर्थव्यवस्था ने फिर पकड़ ली है रफ्तार
तेजी से सुधर रहे हैं हालात, भारतीय अर्थव्यवस्था ने फिर पकड़ ली है रफ्तार
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए कई निर्णयों के कारण अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के प्रभाव को काफी कम करते हुए जून 2021 माह में वृद्धि दर साफ तौर पर पुनः पटरी पर आती दिख रही है। वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के प्रथम एवं द्वितीय दौर के कारण विश्व के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं विपरीत रूप ��े प्रभावित हुई हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था भी बच नहीं पाई है एवं…
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कोरोना प्रभाव: इकोनॉमी के लिए बुरा संकेत, अप्रैल में आईआईपी गिरी, महंगाई बढ़ी, बेरोजगारी हालत
कोरोना प्रभाव: इकोनॉमी के लिए बुरा संकेत, अप्रैल में आईआईपी गिरी, महंगाई बढ़ी, बेरोजगारी हालत
नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था: एक बार फिर ��ेश की अर्थव्यवस्था मुश्किल में फंसती दिख रही है। कोरोना की पहली मार से अभी उबरे भी नहीं हैं की दूसरी लहर ने बुरी तरह डराना शुरू कर दिया है, इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था, महंगाई और शेयरों पर पड़ना तय है। पहला झटका-औद्योगिक उत्पादन गिरा पहला झटका इकोनॉमी को लेकर है, भारत के औद्योगिक उत्पादन (IIP) में फरवरी के महीने में 3.6 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है।…
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कोरोनावायरस की भारत की प्रतिक्रिया आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता में से एक है: पीएम मोदी
मेरे प्यारे देशवासियों,
नमस्कार !
आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार रहा है। कितने महीनों से देश के हर घर में, बच्चे-बूढ़े-जवान, सभी की जुबान पर यही सवाल था कि - कोरोना की वैक्सीन कब आएगी? तो अब कोरोना की वैक्सीन आ गई है, बहुत कम समय में आ गई है। अब से कुछ ही मिनट बाद भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। मैं सभी देशवासियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग विशेष रूप से प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे, दिन-रात जुटे थे। ना उन्होंने त्यौहार देखा है, ना उन्होंने दिन देखा है, ना उन्होंने रात देखी है। आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो-दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं। इतना ही नहीं कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, भारत की वैज्ञानिक दक्षता, भारत के टैलेंट का जीता जागता सबूत है। ऐसी ही उपलब्धियों के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है !!
भाइयों और बहनों,
भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है। जिसे सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। जिसे कोरोना संक्रमण का रिस्क सबसे ज्यादा है, उसे पहले टीका लगेगा। जो हमारे डॉक्टर्स हैं, नर्सेंस हैं, अस्पताल में सफाई कर्मी हैं, मेडिकल-पैरा मेडिकल स्टाफ हैं, वो कोरोना की वैक्सीन के सबसे पहले हकदार हैं। चाहे वो सरकारी अस्पताल में हों या फिर प्राइवेट में, सभी को ये वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी। इसके बाद उन लोगों को टीका लगाया जाएगा, जिन पर जरूरी सेवाओं और देश की रक्षा या कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी है। जैसे हमारे सुरक्षाबल हो गए, पुलिसकर्मी हो गए, फायरब्रिगेड के लोग हो गए, सफाई कर्मचारी हो गए, इन सभी को ये वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी। और मैंने जैसा पहले भी कहा है- इनकी संख्या करीब-करीब तीन करो��़ होती है। इन सभी के वैक्सीनेशन का खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया जाएगा।
साथियों,
इस टीकाकरण अभियान की पुख्ता तैयारियों के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से देश के कोने-कोने में Trials किए गए हैं, Dry Runs हुए हैं। विशेष तौर पर बनाए गए Co-Win डिजिटल प्लेटफॉर्म में टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर ट्रैकिंग तक की व्यवस्था है। आपको पहला टीका लगने के बाद दूसरी डोज कब लगेगी, इसकी जानकारी भी आपके फोन पर दी जाएगी। और मैं सभी देशवासियों को ये बात फिर याद दिलाना चाहता हूं कि कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है। एक डोज ले लिया और फिर भूल गए, ऐसा गलती मत करना। और जैसा एक्सपर्ट्स कह रहे हैं, पहली और दूसरी डोज के बीच, लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा। आपको ये भी याद रखना है कि दूसरी डोज़ लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध ज़रूरी शक्ति विकसित हो पाएगी। इसलिए टीका लगते ही आप असावधानी बरतने लगें, मास्क निकालकर रख दें, दो गज की दूरी भूल जाएं, ये सब मत करिएगा। मैं प्रार्थना करता हूँ मत करिएगा। और मैं आपको एक और चीज बहुत आग्रह से कहना चाहता हूं। जिस तरह धैर्य के साथ आपने कोरोना का मुकाबला किया, वैसा ही धैर्य अब वैक्सीनेशन के समय भी दिखाना है।
साथियों,
इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। ये अभियान कितना बड़ा है, इसका अंदाज़ा आप सिर्फ पहले चरण से ही लगा सकते हैं। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है। दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है। जो बुजुर्ग हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें अगले वाले चरण में टीका लगेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, 30 करोड़ की आबादी से ऊपर के दुनिया के सिर्फ तीन ही देश हैं- खुद भारत, चीन और अमेरिका। और कोई भी देश ऐसा नहीं है जिनकी आबादी इनसे ज्यादा हो। इसलिए भारत का टीकाकरण अभियान इतना बड़ा है। और इसलिए ये अभियान भारत के सामर्थ्य को दिखाता है। और मैं देशवासियों को एक और बात कहना चाहता हूं। हमारे वैज्ञानिक, हमारे एक्सपर्ट्स जब दोनों मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर आश्वस्त हुए तभी उन्होंने इसके इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी है। इसलिए देशवासियों को किसी भी तरह के प्रोपेगैंडा, अफवाएं, दुष्प्रचार से बचकर रहना है।
साथियों,
भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है और पहले से है। हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है।
मे��े प्यारे देशवासियों,
हर हिन्दुस्तानी इस बात पर गर्व करेगा कि दुनियाभर के करीब 60 प्रतिशत बच्चों को जो जीवनरक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं, भारत की सख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से ही होकर गुज़रते है। भारत के वैज्ञानिकों और वैक्सीन से जुड़ी हमारी विशेषज्ञता पर दुनिया का ये विश्वास मेड इन इंडिया कोरोना वेक्सीन में और मज़बूत होने वाला है। इसकी कुछ और खास बातें हैं जो आज मैं देशवासियों को जरूर बताना चाहता हूं। ये भारतीय वैक्सीन, विदेशी वैक्सीनों की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है। विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज पांच हजार रुपए तक में है और जिसे माइनस 70 डिग्री तापमान में फ्रिज में रखना होता है। वहीं, भारत की Vaccines ऐसी तकनीक पर बनाई गई हैं, जो भारत में बरसों से Tried और Tested हैं। ये वैक्सीन स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं। यही वैक्सीन अब भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत दिलाएगी।
साथियों,
कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है। इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखाई दिया है। संकट कितना ही बड़ा क्यों ना हो, देशवासियों ने कभी आत्मविश्वास खोया नहीं। जब भारत में कोरोना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी। हमने अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखा और आज 2300 से ज्यादा लैब्स का नेटवर्क हमारे पास है। शुरुआत में हम मास्क, PPE किट, टेस्टिंग किट्स, वेंटिलेटर्स जैसे ज़रूरी सामान के लिए भी विदेशों पर निर्भर थे। आज इन सभी सामानों के निर्माण में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं और इनका निर्यात भी कर रहे हैं। आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की इसी ताकत को हमें टीकाकरण के इस दौर में भी सशक्त करना है।
साथियों,
महान तेलुगू कवि श्री गुराजाडा अप्पाराव ने कहा था- सौन्त लाभं कौन्त मानुकु, पौरुगुवाडिकि तोडु पडवोय् देशमन्टे मट्टि कादोयि, देशमन्टे मनुषुलोय ! यानि हम दूसरों के काम आएं ये निस्वार्थ भाव हमारे भीतर रहना चाहिए। राष्ट्र सिर्फ मिट्टी, पानी, कंकड़, पत्थर से नहीं बनता, बल्कि राष्ट्र का अर्थ होता है, हमारे लोग। कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को संपूर्ण देश ने इसी भावना के साथ लड़ा है। आज जब हम बीते साल को देखते हैं तो, एक व्यक्ति के रूप में, एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ सीखा है, बहुत कुछ देखा है, जाना है, समझा है।
आज भारत जब अपना टीकाकरण अभियान शुरू कर रहा है, तो मैं उन दि��ों को भी याद कर रहा हूं। कोरोना संकट का वो दौर जब हर कोई चाहता था कि कुछ करे, लेकिन उसको उतने रास्ते नहीं सूझते थे। सामान्य तौर पर बीमारी में पूरा परिवार बीमार व्यक्ति की देखभाल के लिए जुट जाता है। लेकिन इस बीमारी ने तो बीमार को ही अकेला कर दिया। अनेकों जगहों पर छोटे-छोटे बीमार बच्चों को मां से दूर रहना पड़ा। मां परेशान रहती थी, मां रोती थी, लेकिन चाहकर भी कुछ कर नहीं पाती थी, बच्चे को अपनी गोद में नहीं ले पाती थी। कहीं बुजुर्ग पिता, अस्पताल में अकेले, अपनी बीमारी से संघर्ष करने को मजबूर थे। संतान चाहकर भी उसके पास नहीं जा पाती थी। जो हमें छोड़कर चले गए, उनको परंपरा के मुताबिक वो विदाई भी नहीं मिल सकी जिसके वो हकदार थे। जितना हम उस समय के बारे में सोचते हैं, मन सिहर जाता है, उदास हो जाता है।
लेकिन साथियों,
संकट के उसी समय में, निराशा के उसी वातावरण में, कोई आशा का भी संचार कर रहा था, हमें बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाल रहा था। हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस के साथी और दूसरे Frontline Workers. उन्होंने मानवता के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी। इनमें से अधिकांश तब अपने बच्चों, अपने परिवार से दूर रहे, कई-कई दिन तक घर नहीं गए। सैकड़ों साथी ऐसे भी हैं जो कभी घर वापस लौट ही नहीं पाए, उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया है। इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर, एक तरह से समाज अपना ऋण चुका रहा है। ये टीका उन सभी साथियों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की आदरांजलि भी है।
भाइयों और बहनों,
मानव इतिहास में अनेक विपदाएं आईं, महामारियां आईं, भीषण युद्ध हुए, लेकिन कोरोना जैसी चुनौती की किसी ने कल्पना नहीं की थी। ये एक ऐसी महामारी थी जिसका अनुभव ना तो साइंस को था और ना ही सोसायटी को। तमाम देशों से जो तस्वीरें आ रही थीं, जो खबरें आ रहीं थीं, वो पूरी दुनिया के साथ-साथ हर भारतीय को विचलित कर रही थीं। ऐसे हालात में दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भारत को लेकर तमाम आशंकाएं जता रहे थे।
लेकिन साथियों,
भारत की जिस बहुत बड़ी आबादी को हमारी कमज़ोरी बताया जा रहा है था, उसको ही हमने अपनी ताकत बना लिया। भारत ने संवेदनशीलता और सहभागिता को लड़ाई का आधार बनाया। भारत ने चौबीसों घंटे सतर्क रहते हुए, हर घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, सही समय पर सही फैसले लिए। 30 जनवरी को भारत में ��ोरोना का पहला मामला मिला, लेकिन इसके दो सप्ताह से भी पहले भारत एक हाई लेवल कमेटी बना चुका था। पिछले साल आज का ही दिन था जब हमने बाकायदा सर्विलांस शुरु कर दिया था। 17 जनवरी, 2020 वो तारीख थी, जब भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी।
साथियों,
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जैसी इच्छाशक्ति दिखाई है, जो साहस दिखाया है, जो सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया है, वो आने वाली अनेक पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करेगा। याद कीजिए जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीया जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा।
साथियों,
कोरोना जैसे अनजान दुश्मन, जिसके Action-Reaction को बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देश नहीं भांप पा रहे थे, उसके संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका ही यही था कि जो जहां है, वो वहीं रहे। इसलिए देश में लॉकडाउन का फैसला भी किया गया। ये निर्णय आसान नहीं था। इतनी बड़ी आबादी को घर के अंदर रखना असंभव है, इसका हमें ऐहसास था। और यहां तो देश में सब कुछ बंद होने जा रहा था, लॉकडाउन होने जा रहा था। इसका लोगों की रोजी-रोटी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन भी हमारे सामने था। लेकिन देश ने ’जान है तो जहान है’ के मंत्र पर चलते हुए प्रत्येक भारतीय का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। और हम सभी ने ये देखा है कि कैसे तुरंत ही पूरा देश, पूरा समाज इस भावना के साथ खड़ा हो गया। अनेकों बार छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी देने के लिए मैंने भी अनेक बार देशवासियों के साथ सीधा संवाद किया। एक तरफ जहां गरीबों को मुफ्त भोजन की व्यवस्था की गई, तो वहीं दूध, सब्ज़ी, राशन, गैस, दवा, ऐसी ज़रूरी चीज़ों की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित की गई। देश में व्यवस्थाएं ठीक से चलें, इसके लिए गृह मंत्रालय ने 24X7 कंट्रोल रूम शुरु किया जिस पर हजारों कॉल्स का जवाब दिया गया है, लोगों को समाधान दिया गया है।
साथियों,
कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई में हमने कदम-कदम पर दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए। कोरोना काल में वंदे भारत मिशन के तहत 45 लाख से ज्यादा भारतीयों को विदेशों से भारत लाया गया। मुझे याद है, एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी टेस्टिंग लैब यहां से वहां भेज करके उसको वहां सजाया लगाया ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो।
साथियों,
भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा। ISRO, DRDO, फौज से लेकर किसानों और श्रमिकों तक, सभी एक संकल्प के साथ कैसे काम कर सकते हैं, ये भारत ने दिखाया है। ‘दो गज़ की दूरी और मास्क है जरूरी’ उस पर फोकस करने वालों में भी भारत अग्रणी देशों में रहा।
भाइयों और बहनों,
आज इन्हीं सब प्रयासों का परिणाम है कि भारत में कोरोना से होने वाली मृत्यु की दर कम है और ठीक होने वालों की दर बहुत अधिक है। देश के कई जिले ऐसे हैं जहां एक भी व्यक्ति को हमें कोरोना की वजह से खोना नहीं पड़ा। इन जिलों में हर व्यक्ति कोरोना से ठीक होने के बाद अपने घर पहुंचा है। बहुत से जिले ऐसे भी हैं, जहां बीते दो सप्ताह से कोरोना संक्रमण का एक भी केस नहीं आया है। यहां तक कि लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था की रिकवरी में भी भारत दुनिया में आगे निकल रहा है। भारत उन गिने-चुने देशों में है जिसने मुश्किल के बावजूद दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में ज़रूरी दवाएं और ज़रूरी मेडिकल सहायता पहुंचाई। पैरासिटामॉल हो, हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन हो, टेस्टिंग से जुड़ा सामान हो, भारत ने दूसरे देश के लोगों को भी बचाने की हर संभव कोशिश की। आज जब हमने अपनी वैक्सीन बना ली है, तब भी भारत की तरफ दुनिया आशा और उम्मीद की नज़रों से देख रही है। हमारा टीकाकरण अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, दुनिया के अनेक देशों को हमारे अनुभवों का लाभ मिलेगा। भारत की वैक्सीन, हमारी उत्पादन क्षमता, पूरी मानवता के हित में काम आए, ये हमारी प्रतिबद्धता है।
भाइयों और बह��ों,
ये टीकाकरण अभियान अभी लंबा चलेगा। हमें जन-जन के जीवन को बचाने में योगदान देने का मौका मिला है। इसलिए इस अभियान से जुड़ी प्रक्रिया को, उस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए भी देश में Volunteer आगे आ रहे हैं। मैं उनका स्वागत करता हूँ, और भी अधिक Volunteers को मैं अपना समय इस सेवा कार्य में जोड़ने के लिए जरूर आग्रह करूंगा। हां, जैसा मैंने पहले कहा, मास्क, दो गज़ की दूरी और साफ-सफाई, ये टीके के दौरान भी और ब��द में भी ज़रूरी रहेंगे। टीका लग गया तो इसका अर्थ ये नहीं कि आप कोरोना से बचाव के दूसरे तरीके छोड़ दें। अब हमें नया प्रण लेना है- दवाई भी, कड़ाई भी ! आप सभी स्वस्थ रहें, इसी कामना के साथ इस टीकाकरण अभियान के लिए पूरे देश को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ! देश के वैज्ञानिकों का, रिसर्चस का, लैब में जुड़े हुए सब लोगों का जिन्होंने पूरे साल एक ऋषि की तरह अपनी लैब में जीवन खपा दिया और ये वैक्सीन देश और मानवता को दी है मैं उनको भी विशेष रूप से अभिनंदन करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनांए हैं। आप जल्द इसका लाभ उठाएं। आप भी स्वस्थ रहें, आपका परिवार भी स्वस्थ रहे। पूरी मानव जाति इस संकट की घड़ी से बाहर निकले और स्वस्थता हम सबको प्राप्त हो, इसी एक कामना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !
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Covid 19 Current Affairs Question in Hindi
कोरोना वायरस से जुड़े 50 महत्वपूर्ण प्रशन हिन्दी में – Covid 19 Current Affairs Question in Hindi
इस वेबसाइट का आशय यह है कि आपको हमेशा वर्तमान जानकारी मिलती रहेगी जिससे आपको आगामी परीक्षा में समर्थन मिलेगा,
यदि आप किसी Government Job की तैयारी कर रहे हैं, तो आपके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि आपको Current Affairs की Knowledge हो, आपको ये जानकारी हो कि आपके राज्य में, देश में या विदेश में क्या हो रहा है, आपकी सरकार कौन से अभियान और योजनायें शुरू कर रही है.
कौन से नियम और कानून बनाये गये हैं, उनमें क्या बदलाव किये जा रहे हैं, देश की अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है, राजनीति में क्या हो रहा है, हमारे देश में कौन सी नई New Tecnology आई है, विज्ञान में कौन से नए आविष्कार हो रहे हैं, हमारे देश की सेना में कौन सी Exercise चलाई जा रही हैं, आदि के बारे में जानकारी होना अति आवश्क है,
हम आपको इस वेबसाइट के माध्यम से आने वाली UPSC, IAS, PCS, Banking, IBPS, Railway, Clerk, PO, UPPSC, RPSC, BPSC, MPPSC, TNPSC, MPSC, KPSC SSC EXAM, EXAM , HSSC EXAM, RSSC EXAM, PSSC EXAM, NDA EXAM, BANK EXAM और अन्य सरकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए हर रोज नई कर्रेंट अफेयर्स and GK की लेटेस्ट अपडेट देंगे जो आपको आने वाली सरकारी नोंकरी में सायता करेगी,
1. कोरोना किस प्रकार से फैलने वाली बीमारी है?
A. जीवाणु द्वारा
B. विषाणु द्वारा
C. दोनों
D. फफूंद द्वारा
Ans. विषाणु द्वारा
2. कोरोना ��ायरस का पहला केश किस वर्ष मिला था?
A. 2017
B. 2018
C. 2019
D. 2020
Ans. 2019
3. कोरोना वायरस का नाम किस भाषा से लिया गया है?
A. हिन्दी
B. अँग्रेजी
C. लैटिन
D. चीनी
Ans. लैटिन
4. कोरोना वायरस का पहला केश किस देश मे मिला था?
A. अमेरिका
B. रूस
C. इटली
D. चीन
Ans. चीन
5. कोरोना वायरस का पूरा नाम क्या है?
A. 2019 नॉवेल कोरोना
B. 2019-nCoV
C. दोनों
D. क्राउन
Ans. दोनों
6. कोरोनावायरस किस बीमारी का कारण होता है?
A. मर्स
B. सार्स
C. A और B दोनों
D. इनमें से कोई नहीं
Ans. अ और ब दोनों
7. कोविड-19 के लिए कौन- सा वायरस जिम्मेदार है?
A. एन1एच1
B. इबोला
C. सार्स-कोव 2
D. निडोवायरस
Ans. सार्स-कोव 2
8. कोरोनावायरस के लक्षण क्या है?
A. बुखार
B. खांसी
C. सांस लेने में तकलीफ
D. उपर्युक्त सभी
Ans. उपर्युक्त सभी
9. इस वायरस का नाम कोरोनावायरस कैसे पड़ा?
A. क्राउन जैसा स्ट्रचर होने के कारण
B. पत्ती जैसा आकार होने के कारण
C. ईंटों जैसी सतह होने के कारण
D. इनमें से कोई नहीं
Ans. क्राउन जैसा स्ट्रचर होने के कारण
10. WHO के द्वारा कोरोना वायरस को क्या नाम दिया है?
A. क्राउन
B. COVID-19
C. 2019-nCoV
D. सभी
Ans. COVID-19
11. कोरोना से पीड़ित व्यक्ति के शरीर मे क्या-क्या बदलाव आते है?
A. निमोनिया
B. खांसी
C. जुकाम, बुखार
D. सभी
Ans. सभी
12. कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रभाव किस मौसम मे रहता है?
A. सर्दी
B. गर्मी
C. बरसात
D. सभी मौसम मे बराबर
Ans. सर्दी
13. कोरोना किस प्रकार का वायरस है?
A. डीएनए
B. आरएनए
C. दोनों
D. इनमे से कोई नहीं
Ans. आरएनए
14. कोरोना वायरस दो मुख्य वायरस कौन से है?
A. MERS-CoV, SES-CoV
B. SARA-CoV , SES-CoV
C. MERS-CoV, SARA-CoV
D. SES-CoV.MEC-CoV
Ans. MERS-CoV, SARA-CoV
15. अभी तक किस देश मे कोरोना वायरस के कारण सबसे ज्यादा मृत्यु हुई है?
A. चीन
B. ईरान
C. अमेरिका
D. इटली
Ans. अमेरिका
16. कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति मे कितने दिनों बाद इसके लक्षण दिखाई देते है?
A. 2 दिन से 14 दिन
B. 7 दिन से 14 दिन
C. 10 दिन से 20 दिन
D. 14 दिन से 18 दिन
Ans. 2 दिन से 14 दिन
17. COVID-1 के नाम से किस वायरस क��� जाना जाता है?
A. कोरोना
B. SARS
C. MERS
D. सभी को
Ans. SARS
18. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण किस संस्था द्वारा ग्लोबल इमरजेंसी लागू की गई है?
A. यूनिसेफ
B. डबल्यूएचओ
C. युनेस्को
D. सभी
Ans. डबल्यूएचओ
19. कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए डबल्यूएचओ ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 600 मिलियन डॉलर
B. 650 मिलियन डॉलर
C. 675 मिलियन डॉलर
D. 700 मिलियन डॉलर
Ans. 675 मिलियन डॉलर
20. कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए ADB (एशियन डेवेलपमेंट बैंक) ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 2 मिलियन डॉलर
B. 60 मिलियन डॉलर
C. 67 मिलियन डॉलर
D. 70 मिलियन डॉलर
Ans. 2 मिलियन डॉलर
21. कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए भारत ने कितनी धनराशी दान दी है?
A. 2 मिलियन डॉलर
B. 6 मिलियन डॉलर
C. 1 मिलियन डॉलर
D. 7 मिलियन डॉलर
Ans. 1 मिलियन डॉलर
22. किस राज्य सरकार ने म्यांमार,चीन और दक्षिण पूर्व एशिया देशों से ��िब्बा बांध खाद्य पदार्थों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है?
A. उत्तर प्रदेश
B. उत्तराखंड
C. मिजोरम
D. मणिपुर
Ans. मणिपुर
23. कोरोना वायरस के खतरे मे भारत किस स्थान पर है?
A. 10 वें
B. 29 वें
C. 23 वें
D. 20 वें
Ans. 23 वें
24. कोरोना वायरस से निपटने के लिए किस देश ने टास्क फोर्स का गठन किया है?
A. भारत
B. चीन
C. इटली
D. ईरान
Ans. भारत
25. क्या चिकन, मीट, अंडा खाने से कोरोना वायरस का संक्रमण होता है?
Ans. अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिसमें कहा जाए कि यह नॉनवेज खाने से फैल रहा है।
26. कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत मे जनता कर्फ़्यू किस तिथि को हुआ था?
A. 21 मार्च – 2020
B. 22 मार्च – 2020
C. 23 मार्च – 2020
D. 24 मार्च – 2020
Ans. 22 मार्च – 2020
27. कोरोना वायरस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने निम्न मे से कौन सी ई-मेल आईडी उपलब्ध कराई है?
Ans. [email protected]
28. गोमूत्र पीने, अदरक, काली मिर्च, लहसुन, गर्म पानी आदि का इस्ते माल करने से कोरोना का वायरस मर जाएगा। इस पर क्या कहेंगे?
Ans. सोशल मीडिया में फैलाई जा रहीं ये सभी जानकारियां महज भ्रांतियां हैं। इन सबसे न तो कोरोना वायरस का संक्रमण रुकेगा और न ही यह ठीक करने की दवा है। अदरक, लहसुन, काली मिर्च से गले में वायरस मर जाएगा, इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं है।
29. कोरोना वाइरस से जुड़ी जानकारी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कौन सा नया हेल्पलाइन नंबर जारी किया है?
A. 102
B. 1098
C. 1075
D. 1198
Ans. 1075
30. आस्ट्रेलिया मे कोरोना वायरस की वैक्सीन किस भारतीय वैज्ञानिक की अगुआई मे तैयार की जा रही है?
A. ऋषभ सिंह
B. एसएस वासन
C. के एल कालेकर
D. सभी
Ans. एसएस वासन
31. चाइना के वुहान शहर मे फसे 324 भारतीयों को किस विमान से बाहर निकाला गया था
A. एयर इंडिया
B. विस्तारा
C. पवन हंस
D. इंडिगो
Ans. एयर इंडिया
33. कोविड-19 के वैक्सीन के लिए हाल ही में मनुष्यों पर पहला परिक्षण कहां पर शुरू हुआ है,
A. रूस
B. अमेरिका
C. जापान
D. भारत
Ans. अमेरिका
33. अभी हाल ही में कोरोना वायरस ट्रैकर किसने लांच किया है
A. माइक्रोसॉफ्ट
B. मक्रोवेब
C. मक्रोवोर्ल्ड
नेटफ्लेसी
Ans. माइक्रोसॉफ्ट
34. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए स्वच्छ हाथों की शक्ति को बढ़ावा देने के लिए सेफहैंड़स चुनौती की शुरूआत किसने की है
A. WHO
B. DWO
C. MON
D. ESRO
Ans. WHO
35. किसने कोविड-19 महामारी से संबंधित जानकारी के लिए एक वेबसाइट लांच की है
A. SAARC आपदा प्रबंधन केंद्र
B. AAWER आपदा प्रबंधन केंद्र
C. WQRST आपदा प्रबंधन केंद्र
D. GHTUO आपदा प्रबंधन केंद्र
Ans. SAARC आपदा प्रबंधन केंद्र
36. मणिपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग ने कोरोना वायरस के मद्देनजर इथाईल अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर की कितनी बोतलें बनाई है,
A. 500
B. 600
C. 400
D. 300
Ans. 500
37. किस बैंक ने IND – COVID इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन की घोषणा की है
A.INDIA BANK
B.SBI BANK
C.PNB BANK
D.ICICI BANK
Ans. इंडियन बैंक
38. भारत में कोरोना वायरस से पहले मृत्यु किस राज्य में हुई थी?
A. कर्नाटक
B. हरयाणा
C. पंजाब
D. उतर्पर्देश
Ans. कर्नाटक
39. सूक्ष्मदर्शी (Microscope) द्वारा देखने पर कोरोना वायरस की संरचना किसके समान दिखाई देती है?
A. मुकुट के समान
B. मछर के समान
C. चीटी के समान
D. फुल के समान
Ans. मुकुट के समान
40. हाल ही मे किस देश ने कपड़ों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है?
A. नेपाल
B. भूटान
C. अमेरिका
D. भारत
Ans. भारत
41. कोरोना वायरस क्या है?
A. यह वायरस का एक बड़ा परिवार जैसा है.
B. यह निडोवायरस के परिवार से संबंधित है.
C. A और B दोनों सही हैं
D. केवल Aसही है।
Ans. A और B दोनों सही हैं
16 August 2020 Today Current Affairs in Hindi 16 अगस्त 2020 आज की ताज़ा कर्रेंट अफेयर्स
42. 11 फरवरी, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी के लिए एक आधिकारिक नाम की घोषणा की है जो कि 2019 नॉवेल कोरोना वायरस के प्रकोप का कारण बन रही है? इस बिमारी का नया नाम क्या है?
A. COVID-19
B. COVn-19
C. COnV-20
D. COnVID-19
Ans. COVID -19
43. नॉवेल कोरोनो वायरस के पहले मामले की पहचान कहां हुई थी?
A. बीजिंग
B. शंघाई
C. वुहान
D. तिआनजिन
Ans. वुहान
44. कोरोना वायरस निम्नलिखित में से किस बीमारी से संबंधित है?
A. MERS
B. SARS
C. A और B दोनों
D. न तो A और न ही B
Ans. C. A और B दोनों – ( MERS Middle East Respiratory Syndrome और SARS Severe Acute Respiratory Syndrome )
45. कोरोना वायरस का नाम कहां से पड़ा?
A. crown-like projection जैसे अनुमानों के कारण.
B. leaf-like projection जैसे अनुमानों के कारण.
C. ईंटों की उनकी सतह संरचना के कारण.
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans. crown-like projection जैसे अनुमानों के कारण
46. कोरोना वायरस से बचने के लिए कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत है?
A. छींक आने पर अपनी नाक और मुंह ढक कर रखें.
B. अपने आहार में अधिक लहसुन शामिल करें.
C. एंटीबायोटिक्स उपचार के लिए अपने डॉक्टर से मिलें.
D. हर घंटे के बाद अपने हाथ धोएं.
Ans. छींक आने पर अपनी नाक और मुंह ढक कर रखें
47. सैनिटाइजर के कई ब्रांड बाज़ार में उपलब्ध हैं। लोगों में भ्रमित हैं कि कौन सा लें कौन सा न ल���ं। इस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है?
Ans. उनको पहले देखना चाहिए कि बॉटल पर एल्कोउहल बेस्डं लिखा है या नहीं, क्योंकि एल्को हल बेस्डक सैनिटाइजर वायरस को मार देता है।
48. कोरोना वायरस से बचाव कैसे करें, क्या-क्या सावधानियां बरतें?
Ans. अगर किसी को ज़ुकाम, नज़ला, खांसी है तो वह अपनी खांसी को ढके या फिर अपनी बाज़ू में खांसे। टिश्यूि या रुमाल का प्रयोग करे।
49. गांव में एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर उपलब्धइ नहीं रहता है। ऐसी सिचुवेशन में किस तरह से हमें हाथ साफ करना चाहिए?
Ans. जरूरी नहीं है कि आपके पास सैनिटाइजर हो। साबुन से अगर अच्छे से हाथ धोएं, वही बहुत है। साबुन से हाथ धोना सेनइटाइजर से बेहतर है।
50. हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल कब करें?
Ans. अगर आप सफर कर रहे हैं, तो मजबूरी है कि आप सैनिटाइजर का प्रयोग करें, लेकिन अगर आप ऐसी जगह पर हैं, जहां पानी और साबुन उपलब्धक है, तो उसका ही इस्ते,माल करना चाहिए,
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कोविड प्रभाव: विदेशी निवेशकों ने मई में अबतक शुद्ध रूप से 4,444 करोड़ रुपये निकाले Divya Sandesh
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कोविड प्रभाव: विदेशी निवेशकों ने मई में अबतक शुद्ध रूप से 4,444 करोड़ रुपये निकाले
नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) विदेशी निवेशकों ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसके पड़ने वाले प्रभाव की चिंता में मई में अबतक भारतीय बाजारों से 4,444 करोड़ रुपये की निकासी की है। डिपोजिटरी आंकड़े के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने एक से 21 मई के दौरान शेयर बाजार से 6,370 करोड़ रुपये निकाले जबकि बांड में 1,926 करोड़ रुपये लगाये। इस प्रकार, शुद्ध रूप से एफपीआई ने 4,444 करोड़ रुपये की निकासी की। मार्निंग स्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक अनुसंधान-हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर और उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता से विदेशी निवेशक बाजार से थोड़ी दूरी बनाकर चल रहे हैं और शेयर बाजार में बड़ी राशि निवेश करने से बच रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले दो सप्ताह से कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर स्थिति में सुधार के संकेत हैं। इससे कुछ राहत मिली है तथा शुद्ध रूप से निकासी संख्या उल्लेखनीय रूप से घटी है। इससे पहले, अप्रैल में भारतीय पूंजी बाजार से शुद्ध रूप से 9,435 करोड़ रुपये निकाले गये थे। कोटक सिक्योरिटीज लि. के कार्यकारी उपाध्यक्ष (इक्विटी तकनीकी शोध) श्रीकांत चौहान ने कहा कि मुद्रास्फीति में वृद्धि और कर्ज स्तर बढ़ने की चिंता से उभरते बाजारों से एफपीआई पूंजी निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों में दक्षिण कोरिया और ताइवान में इस माह अबतक क्रमश: 825 करोड़ डॉलर और 344 करोड़ डॉलर निकाले गये। हालांकि इसके उलट इंडोनेशिया में इस दौरान 4.6 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ।
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देश कि गिरती GDP में कृषि क्षेत्र पर प्रभाव
देश में फैली वैश्विक महामारी कोरोना के चलते वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) करीब एक चौथाई के घाटे में चली गयी है जिससे भारतीय बाज़ारो में बड़ी गिरावट देखी गयी हैं। जिसके बाद से आंकड़ों को लेकर सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है | जून तिमाही की जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट आई है | सरकार की तरफ से मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) केवी सुब्रमण्यम ने इसका जवाब दिया है कि आखिर यह गिरावट क्यों हुई?
जानकारी के लिए आपको बता दें कि सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से अप्रैल से जून की इस ��ित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा की भारतीय बाजरो में उछाल के लिए सरकार कौन कौन से नियमों को जनता के बीच लाएगी जिससे सीधे तौर पर जनता के जेब पर असर डालने के लिए काफी होगा। वही दूसरी ओर केवी सुब्रमण्यम ने कहा, ‘देश में दो महीने तक कठोर लॉकडाउन लागू किया गया था। इसके कारण जीडीपी में इतनी भारी गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने आगे की बात करते हुए कहा कि अब कोर सेक्टर में सुधार हुआ है। बिजली की खपत बढ़ी है, इसके अलावा मालगाड़ी ट्रैफिक में तेजी आई है, ई-वे बिल बढ़ा है। ये ऐसे संकेत हैं जिससे साफ पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है।
उन्होने कहा, ‘यह (कोरोना) एक-डेढ़ शताब्दी में होने वाली घटना है, जिसका सामना हम कर रहे हैं। अप्रैल से जून में भारत में लॉकडान की वजह से ज्यादातर आर्थिक गतिविधियों पर रोक था। ये आंकड़े अनुमान के मुताबिक ही हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान ब्रिटेन की जीडीपी में भी 22 फीसदी की गिरावट आई है।
किसानों के ऊपर इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ा दिसंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फ़ीसदी हो गई है जो नवंबर में 5.54 फ़ीसदी थी। इसके अलावा खाद्य महंगाई दर में भी साल के आख़िरी महीने में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नवंबर में खाद्य महंगाई दर 10.01 फ़ीसदी थी, जो दिसंबर में बढ़कर 14.12 फ़ीसदी हो गई। पिछले कुछ दशकों के दौरान, अर्थव्यवस्था के विकास में मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों का योगदान तेजी से बढ़ा है, जबकि कृषि क्षेत्र के योगदान में गिरावट हुई है। 1950 के दशक में जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान जहां 50% था, वहीं 2015-16 में यह गिरकर 15.4% रह गया (स्थिर मूल्यों पर)। पिछले कुछ दशकों के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर अस्थिर रही है। 2005-06 में जहां यह दर 5.8% थी, वहीं 2009-10 में 0.4% और 2014-15 में -0.2% थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर में इतना अंतर आय को तो प्रभावित करता ही है, इससे खेती में निवेश करने के लिए किसानों की कर्ज लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
https://kisansatta.com/impact-on-agricultural-sector-in-countrys-falling-gdp/ #Farming, #GDP, #GDPOFINDIA, #HINDINEWSFORINDIAN, #LIVEBREAKINGNEWS, #TopNews Farming, GDP, GDP OF INDIA, HINDI NEWS FOR INDIAN, LIVE BREAKING NEWS, top news Business, Farming, In Focus, National, Top, Trending #Business, #Farming, #InFocus, #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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2020 में भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5 फीसदी की ‘ऐतिहासिक’ गिरावट देखी जाएगी : IMF
IMF ने इस साल भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5% तक गिरावट रहने की बात कही है.
नई दिल्ली:
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बुधवार को इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 4.5 फीसदी तक की गिरावट आने का अनुमान जताया है. जो कि अपने आप में एक ऐतिहासिक गिरावट हो सकती है. कोरोना के चलते ठप्प पड़ी सभी आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर यह अनुमान लगाया गया है. हालांकि संगठन का कहना है कि 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था वापसी करेगी और 6 फीसदी की विकास दर दर्ज की जाएगी.
आईएमएफ ने इस साल वैश्विक विकास दर –4.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जो कि वर्ल्ड इकोनॉमी आउटलुक द्वारा जताए गए अनुमान से 1.9 फीसदी कम है. संगठन की मुख्य अर्थशास्री भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ ने कहा, “इस साल भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5 फीस���ी गिरावट रहने का अनुमान है. कोरोना से हुए अप्रत्याशित नुकसान के चलते इस ऐतिहासिक गिरावट का अंदाजा लगाया गया है.”
COVID-19 महामारी ने 2020 की पहली छमाही में अधिक नकारात्मक प्रभाव डाला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में वैश्विक विकास दर 5.4 फीसदी रहेगी. 2020 में पहली बार सभी क्षेत्रों में नकारात्मक विकास दर रहने का अनुमान है. चीन में जहां पहली तिमाही में आई गिरावट से रिकवरी जारी है, वहां इस साल विकास दर 1 प्रतिशत अनुमानित है.
आईएमएफ ने कहा, ” लंबे वक्त तक चले लॉकडाउन और धीमी गति से उबरती अर्थव्यवस्था में 4.5 प्रतिशत तक गिरावट का अनुमान है.” आईएमएफ के रिकॉर्ड से पता चलता है कि यह 1961 के बाद से भारत के लिए अब तक की सबसे निचली विकास दर है. हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था की 2021 में छह प्रतिशत की मजबूत वृद्धि के साथ वापसी की उम्मीद है.
बता दें कि वर्ष 2019 में भारत की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत थी. आईएमएफ का भारत की 2020 की स्थित का ताजा अनुमान अप्रैल के अनुमान से बेहतर है. अप्रैल में अनुमान था कि वर्ष के दौरान गिरावट 6.4 प्रतिशत रहेगी. लेकिन 2021 में 6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान अप्रैल में आयी रिपोर्ट के मुकाबले 1.4 प्रतिशत कम है.
गोपीनाथ ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा. इससे वायरस को काबू में करने और जीवन को बचाने में मदद मिली लेकिन महामंदी के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट की चपेट में भी आयी है.” उन्होंने कहा कि 75 प्रतिशत से अधिक देश अब अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ खोल रहे हैं. दूसरी तरफ कई उभरते बाजारों में महामारी तेजी से फैल रही है. कई देशों में सुधार हो रहा है. हालांकि चिकित्सा समाधान के अभाव में रिकवरी अनिश्चित है और विभिन्न क��षेत्रों तथा देशें पर प्रभाव अलग-अलग है.”
उन्होंने कहा, ‘‘पहले इस अप्रत्याशित संकट ने निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी की संभावनाओं को प्रभावित किया. साथ ही विकासशील और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बीच आय समन्वय की संभावनाओं को धूमिल किया.” गोपीनाथ ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि 2020 में विकसित और उभरते तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बड़ी गिरावट आएगी. विकसित अर्थव्यवस्था में जहां वृद्धि दर में 8 प्रतिशत की गिरावट आएगी. वहीं उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मामले में वृद्धि दर 3 प्रतिशत घटेगी. और अगर चीन को हटा दिया जाए तो यह गिरावट 5 प्रतिशत होगी. साथ ही 95 प्रतिशत से अधिक देशों में 2020 में प्रति व्यक्ति आय में नकारात्मक वृद्धि होगी.”
उन्होंने कहा कि अनुमान के ऊपर जाने का मतलब है कि टीका और इलाज के अलावा नीतिगत मोर्चे पर कुछ अतिरिक्त उपायों से आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं. वहीं अगर संक्रमण बढ़ने की दर तेज होती है तो खर्च बढ़ेंगे और वित्तीय स्थिति और तंग होगी. इससे स्थिति और खराब हो सकती है. गोपीनाथ ने कहा कि भू-राजनीतिक और व्यापार तनाव वैश्विक संबंधों को ऐसे समय और नुकसान पहुंचा सकता है जब व्यापार में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है.
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प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश को 12 मई 2020 को रात 8 बजे किया गया, अपने देश के नाम सम्भोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा:
शब्दशः प्रधानमंत्री
सभी देशवासियों को आदर पूर्वक नमस्कार,
कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा हो रहे हैं। इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है। भारत में भी लोगों ने अपने स्वजन खोए हैं। मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
साथियों,
एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया, जिंदगी बचाने की जंग में जुटी है। हमने ऐसा संकट न देखा है, न ही सुना है। निश्चित तौर पर ��ानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय है, ये Crisis अभूतपूर्व है। लेकिन थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा। हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा।
साथियों,
हम पिछली शताब्दी से ही सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है। हमें कोरोना से पहले की दुनिया को, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका मिला है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका मार्ग क्या हो? विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है क��� इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत"। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- एष: पंथा: यानि यही रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत।
साथियों,
एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात रखूंगा। जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाए, क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि, आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली है।
साथियों,
आज विश्व में आत्मनिर्भर शब्द के मायने बदल गए हैं, Global World में आत्मनिर्भरता की Definition बदल गई है। अर्थकेंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है। विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता।
भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में 'माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्यः' की ��ोच रखती हो जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।
भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव, विश्व कल्याण पर पड़ता है। जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है। इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल, मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से दुनिया भर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है, तो हर भारतीय गर्व करता है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है - कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प।
साथियों,
हमारा सदियों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब समृद्ध था, सोने की चिड़िया कहा जाता था, संपन्न था, तब सदा विश्व के कल्याण की राह पर ही चला। वक्त बदल गया, देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया, हम विकास के लिए तरसते रहे। आज भारत विकास की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा रहा है, तब भी विश्व कल्याण की राह पर अटल है। याद करिए, इस शताब्दी की शुरुआत के समय Y2K संकट आया था। भारत के टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने दुनिया को उस संकट से निकाला था। आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम Best Products बनाएंगे, अपनी Quality और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे।
साथियों,
मैंने अपनी आंखों से कच्छ भूकंप के वो दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सब कुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छ, मौत की चादर ओढ़कर सो गया हो। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालात बदल पाएंगे। लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ, कच्छ चल पड़ा, कच्छ बढ़ चला। यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी है, राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना। भारत की संकल्पशक्ति ऐसी है कि भारत आत्मनिर्भर बन सकता है।
साथियों,
आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पाँच Pillars पर खड़ी होगी। पहला पिलर Economy एक ऐसी इकॉनॉमी जो Incremental change नहीं बल्कि Quantum Jump लाए । दूसरा पिलर Infrastructure एक ऐसा Infrastructure जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- हमारा System- एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली Technology Driven व्यवस्थाओं पर आधारित हो। चौथा पिलर- हमारी Demography- दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में हमारी Vibrant Demography हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पाँचवाँ पिलर- Demand- हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।
देश में डिमांड बढ़ाने के लिए, डिमांड को पूरा करने के लिए, हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेक-होल्डर का सशक्त होना जरूरी है। हमारी सप्लाई चेन, हमारी आपूर्ति की उस व्यवस्था को हम मजबूत करेंगे जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक हो, हमारे मजदूरों के पसीने की खुशबू हो।
साथियों,
कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये आर्थिक पैकेज, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा।
साथियों,
हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है। इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को, 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगा, सपोर्ट मिलेगा। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में Land, Labour, Liquidity और Laws, सभी पर बल दिया गया है।
ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है। ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक सामर्थ्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित हैं। कल से शुरू करके, आने वाले कुछ दिनों तक, वित्त मंत्री जी द्वारा आपको 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' से प्रेरित इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
साथियों,
आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए Bold Reforms की प्रतिबद्धता के साथ अब देश का आगे बढ़ना अनिवार्य है। आपने भी अनुभव किया है कि बीते 6 वर्षों में जो Reforms हुए, उनके कारण आज ��ंकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम, अधिक समर्थ नज़र आईं हैं। वरना कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसा भेजेगी, वो पूरा का पूरा गरीब की जेब में, किसान की जेब में पहुंच पाएगा। लेकिन ये हुआ। वो भी तब हुआ जब तमाम सरकारी दफ्तर बंद थे, ट्रांसपोर्ट के साधन बंद थे। जनधन-आधार-मोबाइल- JAM की त्रिशक्ति से जुड़ा ये सिर्फ एक रीफॉर्म था, जिसका असर हमने अभी देखा। अब Reforms के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है।
ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो। ये रिफॉर्म्स, Rational टैक्स सिस्टम, सरल और स्पष्ट नियम-कानून, उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर, समर्थ और सक्षम Human Resource, और मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम के निर्माण के लिए होंगे। ये रिफॉर्म्स, बिजनेस को प्रोत्साहित करेंगे, निवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया के हमारे संकल्प को सशक्त करेंगे।
साथियों,
आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है। और आज ये समय की मांग है कि भारत हर स्पर्धा में जीते, ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाए। इसे समझते हुए, भी आर्थिक पैकेज में अनेक प्रावधान किए गए हैं। इससे हमारे सभी सेक्टर्स की Efficiency बढ़ेगी और Quality भी सुनिश्चित होगी।
साथियों,
ये संकट इतना बड़ा है, कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमने, देश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है। खासकर हमारे जो रेहड़ी वाले भाई-बहन हैं, ठेला लगाने वाले हैं, पटरी पर सामान बेचने वाले हैं, जो हमारे श्रमिक साथी हैं, जो घरों में काम करने वाले भाई-बहन हैं, उन्होंने इस दौरान बहुत तपस्या की है, त्याग किया है। ऐसा कौन होगा जिसने उनकी अनुपस्थिति को महसूस नहीं किया। अब हमारा कर्तव्य है उन्हें ताकतवर बनाने का, उनके आर्थिक हितों के लिए कुछ बड़े कदम उठाने का। इसे ध्यान में रखते हुए गरीब हो, श्रमिक हो, प्रवासी मजदूर हों, पशुपालक हों, हमारे मछुवारे साथी हों, संगठित क्षेत्र से हों या असंगठित क्षेत्र से, हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा।
साथियों,
कोरोना संकट ने हमें Local Manufacturing, Local Market, Local Supply Chain, का भी महत्व समझाया है। संकट के समय में, Local ने ही हमारी Demand पूरी की है, हमें इस Local ने ही बचाया है। Local सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। समय ने हमें सिखाया है कि Local को हमें ��पना जीवन मंत्र बनाना ही होगा।
आपको आज जो Global Brands लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल Local थे। लेकिन जब वहां के लोगों ने उनका इस्तेमाल शुरू किया, उनका प्रचार शुरू किया, उनकी ब्रांडिंग की, उन पर गर्व किया, तो वो Products, Local से Global बन गए। इसलिए, आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल Products खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।
मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है। आपके प्रयासों ने, तो हर बार, आपके प्रति मेरी श्रद्धा को और बढ़ाया है। मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूं, याद करता हूं। जब मैंने आपसे, देश से खादी खरीदने का आग्रह किया था। ये भी कहा था कि देश के हैंडलूम वर्कर्स को सपोर्ट करें। आप देखिए, बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम, दोनों की ही डिमांड और बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही नहीं, उसे आपने बड़ा ब्रांड भी बना दिया। बहुत छोटा सा प्रयास था, लेकिन परिणाम मिला, बहुत अच्छा परिणाम मिला।
साथियों,
सभी एक्सपर्ट्स बताते हैं, साइंटिस्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। लेकिन साथ ही, हम ऐसा भी नहीं होने दे सकते कि हमारी जिंदगी सिर्फ कोरोना के इर्द-गिर्द ही सिमटकर रह जाए। हम मास्क पहनेंगे, दो गज की दूरी का पालन करेंगे लेकिन अपने लक्ष्यों को दूर नहीं होने देंगे।
इसलिए, लॉकडाउन का चौथा चरण, लॉकडाउन 4, पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा। राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी आपको 18 मई से पहले दी जाएगी। मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुए, हम कोरोना से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।
साथियों,
हमारे यहाँ कहा गया है- 'सर्वम् आत्म वशं सुखम्' अर्थात, जो हमारे वश में है, जो हमारे नियंत्रण में है वही सुख है। आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है। 21वीं सदी, भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा। इस दायित्व को 130 करोड़ देशवासियों की प्राणशक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी। आत्मनिर्भर भारत का ये युग, हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा। अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है। जब आचार-विचार कर्तव्य भाव से सराबोर हो, कर्मठता की पराकाष्ठा हो, कौशल्य की पूंजी हो, तो आत्मनिर्भर भारत बनने से कौन रोक सकता है? हम भारत को आत्म निर्भर भारत बना सकते हैं। हम भारत को आत्म निर्भर बनाकर रहेंगे। इस संकल्प के साथ, इस विश्वास के साथ, मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
आप अपने स्वास्थ्य का, अपने परिवार, अपने करीबियों का ध्यान रखिए।
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BCCI clears dues of contract players amid coronavirus lockdown, says Won't let anyone suffer- लॉकडाउन में BCCI ने दिखाया बड़ा दिल, चुकाई क्रिकेटरों की बकाया राशि, कहा- किसी को परेशान नहीं होने देंगे
BCCI clears dues of contract players amid coronavirus lockdown, says Won’t let anyone suffer- लॉकडाउन में BCCI ने दिखाया बड़ा दिल, चुकाई क्रिकेटरों की बकाया राशि, कहा- किसी को परेशान नहीं होने देंगे
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों की तिमाही बकाया राशि का भुगतान कर दिया है और कहा है कि कोविड-19 के कारण बनी अनिश्चितता के बावजूद वह किसी को परेशान नहीं होने देगा। कोरोना वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों के वेतन में कटौती के संकेत दिये हैं। इस महामारी के कारण अभी तक विश्व…
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RBI मॉनिटरी पॉलिसी रिपोर्ट, कोरोना ने फेर दिया पानी, GDP ग्रोथ का अनुमान लगाना मुश्किल - Rbi monetary policy report coronavirus spectre hangs over india future tuta
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RBI मॉनिटरी पॉलिसी रिपोर्ट, कोरोना ने फेर दिया पानी, GDP ग्रोथ का अनुमान लगाना मुश्किल - Rbi monetary policy report coronavirus spectre hangs over india future tuta
मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और पीछे धकेला
इस अनिश्चितता की वजह से GDP ग्रोथ अनुमान करना मुश्किल
कोरोना पर जल्द काबू पा लिया गया तो फिर तेजी से रिकवरी संभव
कोरोना वायरस की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लगने वाला है. खासकर जीडीपी के मोर्चे पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आगाह कर दिया है. वहीं ग्लोबल इकोनॉमी 2020 में स्लोडाउन में जा सकती है. RBI ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी रिपोर्ट जारी कर दी है.
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कोरोना की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट
RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के चलते दुनियाभर में जिस तरह से लॉकडाउन की स्थिति है, भारत की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है. आरबीआई के अनुसार कोविड-19 की महामारी के कारण वैश्विक उत्पादन, सप्लाई, व्यापार और पर्यटन पर विपरीत असर पड़ेगा, क्योंकि सभी तरह के काम-धंधे बंद हैं.
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मंदी के बाद कोरोना का कहर
पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और पीछे धकेल दिया है. इस अनिश्चितता की वजह से GDP ग्रोथ अनुमान करना फिलहाल मुश्किल है. RBI ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में लिखा है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेजी से खत्म हो रही है.
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हालांकि RBI का कहना है कि अगर कोरोना संकट पर जल्द काबू पा लिया गया तो केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदम से अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी होगी. RBI की मानें तो राहत की बात बस इतनी है कि इंटरनेशनल क्रूड प्राइस में नरमी बनी हुई है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से मांग कम है.
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दुनियाभर में मंदी के संकेत
आरबीआई ने कहा है कि इस वायरस के फैलने से पहले, 2020-21 को ग्रोथ के दृष्टिकोण को देखा जा रहा था. लेकिन COVID-19 की महामारी ने उम्मीद पर पानी फेर दिया है. ग्लोबल इकोनॉमी 2020 में स्लोडाउन में जा सकती है.
आरबीआई ने कहा कि कोरोनो वायरस का प्रकोप मुद्रास्फीति पर प्रभाव डालेगा. आपूर्ति की बाधा के चलते के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आ सकती है जबकि गैर खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
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गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से आरबीआई ने पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में एक आपात कदम उठाते हुए अपनी प्रमुख कर्ज दर में उम्मीद से अधिक 75 आधार अंकों की कटौती कर दी थी. ताकि बाजार में नकदी की किल्ल न हो.
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Fitch Rating: कोरोना की दूसरी लहर से सरकार के साथ इकॉनमी को झटका Divya Sandesh
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Fitch Rating: कोरोना की दूसरी लहर से सरकार के साथ इकॉनमी को झटका
नई दिल्ली ग्लोबल रेटिंग एजेंसी (Global rating Agency) फिच सोल्यूशंस (Fitch Solution) ने कहा हे कि कोविड-19 (Covid-19) के मौजूदा बढ़ते संकट के भारत की हेल्थ सुविधाओं (Health Services) को डुबो दिया है। यही नहीं, लगता है कि व्यवस्था (System) ध्वस्त हो गई है। ऐसे में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रति जन समर्थन को कुछ धक्का लगा है। कुछ झटका इकोनॉमी (Economy) को भी लग सकता है। एजेंसी का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर के बीच वित्त वर्ष 2021- 22 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ कम होकर 9.5 फीसदी रह सकती है।
वास्तविक प्रभाव पिछले साल के मुकाबले कमफिच का मानना है कि कंटेनमेंट जोन जैसे उपायों से भारत की आर्थिक क्षेत्र में सुधरती स्थिति पर असर होगा लेकिन स्थानीय स्तर पर अलग अलग स्थानों पर लगने वाले प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था पर वास्तविक प्रभाव पिछले साल अप्रैल- जून के प्रभाव के मुकाबले कम ही होगा। पिछले साल अप्रैल- जून के दौरान देश में विभिन्न चरणों में सख्त लॉकडाउन लागू किया गया था।
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सरकार की तरफ से अपर्याप्त उपाय एजेंसी का कहना है कि सरकार की तरफ से अपर्याप्त उपाय, लोगों का स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन नहीं करना जैसे कही सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनना, शारीरिक दूरी रखने के नियम का पालन नहीं करना भी बड़ी वजह रही है, जिसके कारण भारत में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं।
सुनामी की तरह आई बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर देश में सुनामी की तरह आई। इसका मुख्य कारण देश में हुए विधानसभा चुनाव और धार्मिक त्योहारों का आयोजन रहा। बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने वन शेयर वर्ल्ड द्वारा आयोजित वैश्विक वैक्सीन इक्विटी पर चर्चा के दौरान कहा, ‘कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर देश में सुनामी की तरह आई। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि दूसरी लहर ने देश के किसी भी क्षेत्र को अछूता नहीं छोड़ा।’
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ग्रामीण इलाकों तक फैल गया संक्रमण शॉ ने कहा, ‘इस बार शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण फ़ैल गया क्योंकि देश कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और धार्मिक त्योहारों का आयोजन हुआ। जिसके कारण यह भयावह स्थिति बनी।’ शॉ ने कहा, ‘कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से अस्पतालों के बुनियादी ढांचों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ गया। हमारे पास पर्याप्त मानव संसाधन नहीं हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सबसे अहम, हमारे पास कोरोना वैक्सीन इतनी अधिक संख्या में उपलब्ध नहीं है जिससे लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाया जा सके। भारत की विशाल जनसंख्या इस स्थिति को अधिक चुनौतीपूर्ण बनाती है। अगर भारत सुरक्षित नहीं है तो दुनिया भी सुरक्षित नहीं रह सकेगी।’
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कोरोना का कहर, अब ये कर्मचारियों के वेतन में आई भरी कटौती
कोरोना का कहर, अब ये कर्मचारियों के वेतन में आई भरी कटौती
कोरोना वायरस का दुनिया के विकसित देशो की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार लगाए हुए लोकडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगा है।
इस साल कोरोनो वायरस महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है। तभी एक बार फिर, केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और लाभों में भारी कटौती की गई है।
को…
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कोरोना दंश के चलते नहीं उभर सकती अर्थव्यवस्था - RBI
नई दिल्ली : देश में फैली कोरोना महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था बेलगाम हो गयी है | महामारी और इसके संक्रमण को रोकने के लिए लागू किये गए लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव लंबा चल सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था में नेगेटिव ग्रोथ जारी रह सकती है। आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक गतिविधियों में सिकुड़न दूसरी तिमाही में भी जारी रह सकती है। मई-जून महीने में आर्थिक गतिविधियों में थोड़ी तेजी आई थी, लेकिन जुलाई-अगस्त में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न राज्यों में लगाए गए प्रतिबंधों के चलते आर्थिक गतिविधियां बाधित रहीं।
केंद्र सरकार ने वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया था। इस लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील दी गई, लेकिन संक्रमण के मामलों के बढ़ने पर कई राज्यों में प्रतिबंधों को फिर से बढ़ाया गया। आरबीआइ की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, अब तक के त्वरित आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में सिकुड़न की ओर इशारा करते हैं, जो कि अप्रत्याशित है।
राज्यों को जीएसटी मुआवजे के मुद्दे पर पहुंची सोनिया गांधी
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया, ‘देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद मई और जून महीने में आर्थिक गतिविधियों में आई बढ़त जुलाई व अगस्त में फिर से लॉकडाउन प्रतिबंधों के लागू होने के चलते चली गई। इससे यह अनुमान है कि ��र्थिक गतिविधियों में सिकुड़न दूसरी तिमाही में भी जारी रह सकती है।
कुल्लू के हॉट मिक्सिंग तारकोल प्लांट में लगी आग
रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि के बारे में कोई अनुमान नहीं दिया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय 31 अगस्त को मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमान जारी करेगा। यहां बता दें कि महामारी के प्रकोप से पहले भी भारत की आर्थिक ग्रोथ सुस्त चल रही थी। भारत की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2019-20 में 4.2 फीसद रही, जो एक दशक से अधिक की न्यूनतम है।
https://kisansatta.com/economy-cannot-emerge-due-to-corona-sting-rbi/ #EconomyCannotEmergeDueToCoronaStingRBI Economy cannot emerge due to Corona sting - RBI Business, Trending #Business, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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