#भारत की राष्ट्रीय भाषा
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helputrust · 3 months ago
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लखनऊ 20.08.2024 | सद्भावना दिवस 2024 तथा माननीय पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्री राजीव गांधी जी की 80वी जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के सेक्टर 25 स्थित कार्यालय में श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने माननीय पूर्व प्रधानमंत्री तथा भारत रत्न श्री राजीव गांधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "सद्भावना दिवस प्रतिवर्ष 20 अगस्त को पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है । यह दिन शांतिपूर्ण, समृद्ध और एकजुट भारत के लिए उनके दृष्टिकोण की याद दिलाता है । सद्भावना दिवस का उद्देश्य सभी धर्मों, भाषाओं और क्षेत्रों के लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना है जिससे राष्ट्र की उन्नति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो | आज का यह दिन एक प्रतिज्ञा लेने का दिन है | प्रतिज्ञा अपने आसपास शांति और सद्भाव स्थापित करने की, प्रतिज्ञा जाति, क्षेत्र, धर्म या भाषा से ऊपर उठकर इंसान बनने की और प्रतिज्ञा हिंसा से दूर हमारे संवैधानिक तरीकों से सभी मतभेदों को हल करने की | आइए हम सभी मिलकर भारत देश को जाति धर्म और संप्रदाय के झगड़ों से ऊंचा उठाकर प्रगति के मार्ग पर ले जाने का संकल्प लें जिससे हमारे आने वाली पीढ़ी गौरवान्वित महसूस करें |"
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kaminimohan · 1 year ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1383.
अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से विचलित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र
- कामिनी मोहन पाण्डेय। 
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मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि जिन्होंने राष्ट्र का निर्माण किया है उनकी कृति अमर हो गई है। त्याग तपस्या और बलिदान 1857 की क्रांति के रणबांकुरों ने ही नहीं किया बल्कि उससे प्रभावित होकर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उसी त्याग की भावना व संघर्ष की प्रेरणा को जगाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महती भूमिका निभाई। 
भारतेंदु ने भारत की स्वाधीनता, राष्ट्र उन्नति और सर्वोदय भावना का विकास किया। आज के संदर्भ में बात करें तो भारतेंदु ने हीं देश के सभी पत्रकारों, संपादकों व लेखकों को देश की दुर्दशा यानी देश की दशा और दिशा को समझने का मंत्र दिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की हुंकार की गूंज के बाद इस संबंध पर बेतहाशा लेखन और पठन-पाठन हुआ। उस समय क्रांति के असफल होने के बाद जब  निराशा का बीज व्याप्त हो गया था, तब समाज की दुर्दशा देखकर भारतेंदु का हृदय काफी व्यथित हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक गिरावट देखकर वह तिलमिला उठे थे। देश की दशा पर उनकी अभिव्यक्ति थी- "हां हां भारत दुर्दशा न देखी जाई।" उनके इस प्रलाप पर भारत आरत, भारत सौभाग्य, वर्तमान-दशा, देश-दशा, भारत दुर्दिन जैसे नवजागरण की पोषक रचनाएँ प्रकाशित हुई। 
इनमें देश के प्राचीन गौरव के स्मरण, समाज में व्याप्त आलस्य तथा देश की दीनता का वर्णन होता था। क्रांति के समय एवं उसके बाद स्वदेशाभिमानी पत्रकारों ने अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उस समय हिंदी अपने विकास के नए आयाम गढ़ रही थी। सारे प्रतिरोधों के बीच पत्रकारिता की पैनी नज़र खुल चुकी थी। ऐसे में स्वाभिमान के संचार व स्वदेश प्रेम के उदय तथा आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध पत्रों में प्रकाशित तत्वों में दिखता था। पत्र और पत्रकार ख़ुद स्वतंत्रता आंदोलन के सक्षम सेनानी बन गए थे। अन्याय, अज्ञान, प्रपीड़न व प्रव॔चना के संहारक समा��ार पत्रों ने ही हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला रखी थी।
राष्ट्र उत्थान की दृष्टि से इतिहास एवं पत्रकारिता दोनों संश्लिष्ट हैं। राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित भारतेंदु की रचनाओं का मूलाधार गौरव की वृद्धि रहा है। नौ सितंबर 1850 को काशी में जन्मे भारतेंदु को हिंदी पत्रकारिता का आधार स्तंभ कहा जाता है। भारतेंदु द्वारा पत्रकारिता में देश प्रेम के लिए जलाई गई अलख काशी में अब भी दिखती है। इसका कारण यह है कि यहाँ जो पैदा हुआ वह भी गुरु जो मर गया वह भी गुरु होता है। यहाँ किसी बात के लिए कोई हाय-हाय नहीं है। 
काशी की हिंदी पत्रकारिता की नींव 1845 में बनारस अखबार के रूप में पड़ी। इसके बारह साल बाद देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम आम लोगों को गहरे तक प्रभावित कर गया था। क्रांति का बिगुल काशी में भी सुनाई दिया। क्रांति के दौर में देश की आज़ादी के लिए यहाँ कई अख़बार प्रकाशित होते रहे। स्वाभिमान के साथ उठ खड़े होने को आमजन और क्रांतिकारियों को जो उसे से भरते रहे।
प्रमुख प्रकाशनों में कवि वचन सुधा (1867) हरिश्चंद्र मैगजीन (1875), हरिश्चंद्र चंद्रिका (1879) में भारतेंदु का मूल मंत्र सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति जगाना तथा सभी जातियों के अंदर स्वाभिमान का भाव भरना था। वे मानते थे कि "जिस देश में और जिस समाज में उसी समाज और उसी देश की भाषा में समाचार पत्रों का जब तक प्रचार नहीं होता, तब तक उसे देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। समाचार पत्र राजा और प्रजा के वकील है। समाचार पत्र दोनों की ख़बर दोनों को पहुँचा सकता है जहाँ सभ्यता है, वहीं स्वाधीन समाचार पत्र है"।
देश में लकड़ी बीनने वाले से लेकर लकड़ी का तमाशा दिखाने वाले तक सभी ने क्रांति के जयकारे में लकड़ी बजाते हुए आहुति दी थी। यह वह दौर था, जिस पर क्रांति ने अपना असर गहरे तक छोड़ा था। इसी का परिणाम रहा कि देश के हर नौजवान ने अपनी छाती अंग्रेजों की गोलियाँ खाने के लिए चौड़ी कर ली थी। अल्पायु में ही भारतेंदु अपने युग का प्रतिनिधित्व करने लगे थे  रचनात्मक लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से भारतेंदु ने देश की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों पर अपने आक्रामक तेवर के साथ संवेदन पूर्ण विचारों से सार्थक हस्तक्षेप किया था। साहित्य को उन्होंने जनसामान्य के बीच लाकर खड़ा कर दिया था।
घोर उथल-पुथल के बावजूद उनके काल में साहित्यिक विचारों के कारण आत्ममंथन शुरू हो गया था। वे ब्रिटिश राज की कार्यप्रणाली पर जमकर बरसते थे। हर समस्या के प्रति भारतेंदु का दृष्टिकोण दूरगामी होता था। वे वैचार���क क्रांति लाने के लिए हर घड़ी ��्रतिबद्ध दिखते थे। भारतेंदु चाहते थे कि भारतवासी स्वयं आत्मोत्थान और देशोत्थान में सक्रिय हो। यह बात आज भी प्रासंगिक है कि आर्थिक उत्थान से ही देश का भला हो सकता है। 
आर्थिक लूट पर वे लिखते हैं- 
भीतर-भीतर सब रस चूसै, बाहर से तन-मन-धन मूसै। 
जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज अंग्रेजों।। 
अंग्रेजों को अपना भाग्य विधाता मानने वालों को भारतेंदु ने झकझोरा था। कविवचन सुधा में वे लिखते हैं- "देशवासियों तुम इस निद्रा से चौको, इन अंग्रेजों के न्याय के भरोसे मत फूले रहो।... अंग्रेजों ने हम लोगों को विद्यामृत पिलाया और उससे हमारे देश बांधवों को बहुत लाभ हुए, इसे हम लोग अमान्य नहीं करते, परंतु उन्हीं के कहने के अनुसार हिंदुस्तान की वृद्धि का समय आने वाला हो, सो तो, एक तरफ रहा, पर प्रतिदिन मूर्खता दुर्भिक्षता और दैन्य प्राप्त होता जाता है।... अख़बार इतना भूंकते हैं, कोई नहीं सुनता। अंधेर नगरी है। व्यर्थ न्याय और आज़ादी देने का दावा है।"
गांधीजी की कई नीतियों व योजनाओं के बीज भारतेंदु साहित्य में पहले ही आ चुके थे। भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जाति निरपेक्षता, जो भारतीय संविधान के मूलाधार है, उन पर भारतेंदु के चिंतन में तात्कालिकता ही नहीं, भविष्योन्मुखता भी थी। वे हिंदू व मुसलमानों के प्रति भाईचारे का भाव रखने को प्रेरित करते थे। कहना ही पड़ता है कि देश के विकास उसकी उन्नति के लिए भारतेंदु स्वदेशी और राष्ट्रीयता के संदर्भ में दूरगामी अंतर्दृष्टि रखते थे। 
समय बदल गया, हम आज़ाद हैं। भारत वही है। संविधान वही है। भारत में रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मनुष्य भी वही है। विभिन्न धर्मों, मज़हबों,पंथों को मानने वाले मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाईयों तथा सनातन धर्म की गहराई में उतरने वाले हिन्दू क्रांति के बीज को आज भी वृक्ष बनते देखते हैं। उन विचारों की जो भारतेंदु के समय लोगों तक पत्रकारिता के माध्यम से पहुंचे थे, वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं। देश के लोगों को इसकी परम आवश्यकता है। 
- © Image art by Chandramalika 
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anuragyam · 2 years ago
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विशाखापट्टनम की उभरती बाल कलाकार पूर्वी रजक
विशाखापट्टनम की खूबसूरती की बात करें तो पूरे भारत में अनेक राज्य हैं पर इस राज्य की खूबसूरती अपने आप में अतुलनीय है । जहां भारत दिन प्रतिदिन विश्व स्तर पर आगे बढ़ता जा रहा है और पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहा है उसी भारत देश के आंध्र प्रदेश राज्य की एक छोटे से शहर विशाखापट्टनम की उभरती हुई बाल कलाकार पूर्वी रजक कक्षा 7 की छात्रा है और लिटिल एंजेल स्कूल में पढ़ती है । पूर्वी रजक ने पिछले साल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 में कला एवं संस्कृति में अपना नाम नामंकृत किया ।
चित्रकला का क्षेत्र हो या वक्ता का यह छोटी सी लड़की अपने चित्रों से, अपने भाषा से, अपने पर्यावरण से सबका मन जीत लेती है और अनेकों सम्मान से सम्मानित की जाती रही है ।
पिछले कुछ दिनों में पूर्वी रजक कोबहुत से अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया । अनुराग्यम नई दिल्ली द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 पर सुपर टैलेंटेड गर्ल अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया । अखिल भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति परिषद द्वारा अखिल भारतीय महिला गौरव सम्मान 2023 से सम्मानित किया । टालेंटिल्ला फाउंडेशन द्वारा प्रिज्म अंतर्राष्ट्रीय कला प्रतियोगिता एवं प्रदर्शनी 2023 पुरस्कार से सम्मानित किया । स्टार अकादमी तमिल नाडु द्वारा कोलॉरिंग कंटेंट्स 2023 परुस्कार से सम्मानित किया ।
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पूर्वी रजक ने इन सब का श्रेय अपने माता-पिता के चरणों में अर्पित किया। साथ में अपने स्कूल का और अध्यापकों का नाम रोशन किया इसके अतिरिक्त इसी महीने अपनी लिखी हुई एक किताब लोगों के सामने रखी जिसमें उसने 75 अंग्रेजी कविताओं का संग्रह अपने भारत के आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में समस्त देशवासियों को समर्पित की ।
विशाखापट्टनम के वेलागपुड़ी रामकृष्णा बाबू, एम एल ए द्वारा उन्हीं के ऑफिस में कई बार सम्मानित की गई । विशाखापट्टनम के एमएलए जी का कहना है कि यह भारत का उभरता हुआ वह सितारा है जो एक ना एक दिन भारत का नाम रोशन जरु�� करेगा और मुझे गर्व है कि यह मेरे राज्य की छोटी सी बच्ची है । मैं इस नन्ही सी बच्ची के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं ।
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kumardina · 19 days ago
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भोजपुरी भाषा का विकास बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड से जुड़ा हुआ है।
उत्पत्ति और प्रारंभिक विकास
भोजपुरी इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित है, यह भाषा संभवतः 1000-1500 ई. के आसपास उभरी, जो स्थानीय बोलियों के बीच बातचीत और संस्कृत, मगधी और मैथिली जैसी अन्य भाषाओं के प्रभावों से आकार लेती है।
साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत
19वीं और 20वीं शताब्दी में, भोजपुरी साहित्य में वृद्धि हुई, जिसमें भिखारी ठाकुर जैसे लेखकों और कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिन्हें “भोजपुरी का शेक्सपियर” कहा जाता है। उनके नाटक, विशेष रूप से बिदेसिया (जिसमें प्रवास और ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों पर चर्चा की गई है), प्रतिष्ठित बने हुए हैं!
आधुनिक भोजपुरी भाषा और मीडिया
हाल के दशकों में, भोजपुरी ने लोकप्रिय मीडिया, विशेष रूप से सिनेमा के माध्यम से प्रमुखता प्राप्त की है। भोजपुरी फ़िल्म उद्योग, या "भोजीवुड" ने बड़े पैमाने पर अपील वाली फ़िल्में बनाई हैं, जो अक्सर भोजपुरी संस्कृति में निहित विषयों को प्रदर्शित करती हैं। भोजपुरी गीतों और फ़िल्मों की लोकप्रियता ने भाषा की दृश्यता में योगदान दिया है और युवा पीढ़ी के बीच इसे संरक्षित करने में मदद की है।
आज, भोजपुरी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और हालाँकि इसे वहाँ आधिकारिक दर्जा नहीं मिला है, लेकिन इसे नेपाल में राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है और दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए इसका एक मजबूत सांस्कृतिक महत्व है।
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airnews-arngbad · 20 days ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 27 October 2024
Time 18.10 to 18.20
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक – २७ ऑक्टोबर २०२४ सायंकाळी ६.१०
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डिजिटल अरेस्ट सारख्या सायबर घोटाळ्यांना प्रतिबंध करण्यासाठी प्रत्येक नागरिकानं जागरुक राहण्याची आवश्यकता - मन की बात मध्ये पंतप्रधानांचं प्रतिपादन
विकसित भारताच्या वाटचालीत महाराष्ट्राचा मोठा वाटा - परराष्ट्र व्यवहार मंत्री एस जयशंकर
राष्ट्रवादी काँग्रेस, तसंच राष्ट्रवादी काँग्रेस शरदचंद्र पवार पक्षाकडून उमेदवारांची तिसरी यादी जाहीर
आणि
किनवट इथं मतदार जनजागृतीसाठी युवा संसद, संकल्प पत्र आणि मतदार शपथ कार्यक्रम
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डिजिटल अरेस्ट सारख्या सायबर घोटाळ्यांना प्रतिबंध करण्यासाठी प्रत्येक नागरिकानं जागरुक राहण्याची आवश्यकता, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी व्यक्त केली आहे. ते आज आकाशवाणीवरच्या मन की बात या कार्यक्रम श्रृंखलेच्या तिसऱ्या आवृत्तीतल्या पाचव्या भागातून संवाद साधत होते. सायबर घोटाळ्याविरोधातल्या मोहिमेत सर्व विद्यार्थ्यांना सहभागी करून घेण्याचं आवाहन त्यांनी केलं. समाजातल्या सगळ्यांच्या प्रयत्नानेच या आव्हानाचा सामना करू शकतो, असं सांगताना, पंतप्रधानांनी या प्रकारापासून सावध राहण्याबाबत सविस्तर मार्गदर्शन केलं –
Digital सुरक्षा के तीन हैं – ‘रुको-सोचो-Action लो’। Call आते ही, ‘रुको’ - घबराएं नहीं, शांत रहें, संभव हो तो screenshot लें और Recording जरूर करें। अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें। दूसरा चरण कोई भी सरकारी Agency Phone पर ऐसे धमकी नहीं देती, न ही ऐसे पैसे की मांग करती है - अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है। तीसरा चरण कहता हूँ - ‘एक्शन लो’। राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करें, cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें, परिवार और पुलिस को सूचित करें, सबूत सुरक्षित रखें। साथीयों, digital arrest जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है, तमाम जांच एजेंसियाँ, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। लेकिन बहुत जरूरी है – हर किसी की जागरूकता, हर नागरिक की जागरूकता।
सुलेखन, लोककला, शास्त्रीय नृत्यकला, या सांस्कृतिक विषयांसह संरक्षण, अंतराळ आणि माहिती तंत्रज्ञानाच्या क्षेत्रात भारताच्या यशस्वी वाटचालीचा त्यांनी आढावा घेतला. फिट इंडिया अभियानाच्या अनुषंगाने पंतप्रधानांनी विविध मुद्यांच्या माध्यमातून व्यायामाचं महत्त्व विशद केलं.
आशय आणि सर्जनशीलतेमुळे मनोरंजनपर ॲनिमेशनमधली भारतीयांची कामगिरी जगभर नावाजली जाते, त्यामुळेच भारतातील ॲनिमेशन स्टुडिओज, डिस्ने आणि वॉर्नर ब्रदर्स सारख्या जगातल्या नावाजलेल्या निर्मिती संस्थांबरोबर काम करत असल्याचं पंतप्रधानांनी सांगितलं. देशातलं गेमिंग अवकाशही झपाट्यानं विस्तारत असून, भारत एक नवी क्रांती घडवण्याच्या मार्गावर असल्याचं ते म्हणाले. ॲनिमेशन क्षेत्रामुळे भारतीयांची सर्वाधिक निर्मिती असलेल्या व्ही आर अर्थात आभासी पर्यटनालाही मोठी चालना मिळाली असल्याचं त्यांनी सांगितलं. उद्या २८ ऑक्टोबरला जागतिक ॲनिमेशन दिवस साजरा होणार असून, यानिमित्तानं देशाला जागतिक ॲनिमेशन ऊर्जा केंद्र बनवण्याचा संकल्प करायचं आवाहनही त्यांनी केलं. यावेळी पंतप्रधानांनी भारतानं लडाखमध्ये हानले इथं आशियातल्या सर्वात मोठ्या एम ए सी ई या इमेजिंग टेलिस्कोपची स्थापना केल्याविषयी देखील सांगितलं.
सरदार पटेल आणि भगवान बिरसा मुंडा यांच्या शतकोत्तर सुवर्ण महोत्सवी जयंती महोत्सवात सहभागी होण्याचं तसंच सरदार वन फाईव्ह झिरो तसंच बिरसामुंडा वन फाईव्ह झिरो या हॅशटॅगसह या दोन्ही राष्ट्रपुरुषांबाबतचे विचार सामाजिक संपर्क माध्यमांवरून सामायिक करण्याचं आवाहन पंतप्रधानांनी केलं. सरदार पटेल यांच्या जयंतीदिनी ३१ ऑक्टोबरला होणारी राष्ट्रीय एकता दौड यंदा दिवाळीमुळे २९ ऑक्टोबरला होणार आहे. यामध्ये सहभागी होण्याचं आवाहन त्यांनी केलं.
सर्व देशवासियांना दीपावली आणि छट पूजेसह सर्व सणांच्या शुभेच्छा देतांना, vocal for local चा मंत्र लक्षात ठेवत, या सणांसाठीची खरेदी स्थानिक दुकानदारांकडूनच करण्याचं आवाहन करत, पंतप्रधानांनी आपल्या संबोधनाचा समारोप केला.
दरम्यान, सैन्य दलाचा इन्फन्ट्री दिवस आज सा��रा होत आहे. यानिमित्त पंतप्रधानांनी शुभेच्छा दिल्या आहेत.
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गेल्या दहा वर्षात भूमीबंदरांचा जो विकास झाला आहे, त्यामुळे शेजारी देशांमधल्या भाषा, संस्कृती आणि साहित्य यांच्यातल्या आदानप्रदानात भर पडत असल्याचं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यांनी म्हटलं आहे. पश्चिम बंगालमध्ये पेत्रापोल या भारत-बांगलादेश सीमेवरील पेट्रापोल या लँडपोर्टवर उभारलेल्या ‘मैत्रीद्वार’ या प्रवेशद्वाराचं तसंच प्रवासी टर्मिनल इमारतीचं उद्घाटन केल्यानंतर ते आज बोलत होते. लँडपोर्ट ॲथॉरिटीचं काम हे पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या समृद्धी, शांतता, भागीदारी आणि विकास या चतुःसुत्रीवर चालत असल्याचं शाह यांनी सांगितलं. बांगलादेशातून दररोज पाच ते सहा हजार माणसे भारतात वैद्यकीय इलाजासाठी येतात. या भूमीबंदरावरच्या वाढत्या सुविधांमुळे व्यापार वाहतूकीत वाढ होईल, परिणामी मोठ्या प्रमाणावर रोजगाराच्या संधी उपलब्ध होतील, असंही त्यांनी सांगितलं.
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विकसित भारताच्या वाटचालीत महाराष्ट्राचा वाटा मोठा असल्याचं, परराष्ट्र व्यवहार मंत्री एस जयशंकर यांनी म्हटलं आहे. ते आज मुंबईत भाजप कार्यालयात पत्रकार परिषदेत बोलत होते. जेथे राज्य आणि केंद्र सरकार एकत्र काम करतात, तेथे उद्योगांची सहाजिकच पहिली पसंती असते. सुसज्ज सुविधांसोबतच महाराष्ट्र हे भौगोलिकदृष्ट्या गुंतवणुकीस सर्वाधिक योग्य राज्य असल्याची जागतिक उद्योगांची भावना असल्याचं जयशंकर यांनी सांगितलं.
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या वर्षीच्या ऑगस्ट महिन्यात कर्मचारी राज्य विमा योजनेत २० लाख ७४ हजारांपेक्षा जास्त कर्मचाऱ्यांनी नोंदणी केली आहे. गेल्या वर्षीच्या ऑगस्ट महिन्याच्या तुलनेत सहा पूर्णांक आठ शतांश टक्के जास्त कामगारांनी नोंदणी केल्याचं आकडेवारीतून दिसून आलं आहे. यापैकी जवळपास १० लाख कर्मचारी २५ वर्षांखालच्या वयोगटातले आहेत. ऑगस्ट महिन्यात नोंदणी केलेल्या कर्मचाऱ्यांपैकी ४ लाख १४ हजार महिला आहेत.
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राष्ट्रवादी कॉंग्रेस पक्षाने विधानसभा निवडणुकीसाठी उमेदवारांची तिसरी यादी आज जाहीर केली. यात बीड जिल्ह्यातल्या गेवराईतून विजयसिंह पंडित, अहिल्यानगर जिल्ह्यात पारनेर मधून काशिनाथ दाते, नाशिक जिल्ह्यात निफाड इथं दिलीप बनकर आणि सातारा जिल्ह्यातल्या फलटण इथून सचिन सुधाकर पाटील यांना उमेदवारी देण्यात आली आहे.
राष्ट्रवादी काँग्रेस शरदचंद्र पवार पक्षानेही उमेदवारांची तिसरी यादी आज जाहीर केली. यामध्ये माजलगाव मतदारसंघातून मोहन जगताप, परळी - राजेसाहेब देशमुख, कारंजा - ज्ञायक पाटणी, हिंगणघाट - अतुल वांदिले, हिंगणा - रमेश बंग, अणुशक्तीनगर - फहद अहमद, चिंचवड - राहुल कलाटे, भोसरी - अजित गव्हाणे तर मोहोळ मतदारसंघातून सिद्धी रमेश कदम यांना उमेदवारी देण्यात आली आहे.
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श्रोते हो, विधानसभा निवडणुकीच्या निमित्तानं ‘आढावा विधानसभा मतदारसंघांचा’ हा कार्यक्रम दररोज संध्याकाळी सात वाजून १० मिनिटांनी आकाशवाणीवरुन प्रसारित होत आहे. या कार्यक्रमात आज रायगड जिल्ह्यातल्या विधानसभा मतदारसंघांचा आढावा आपल्याला ऐकता येईल.
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नांदेड जिल्ह्यातल्या किनवट इथल्या सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक आणि उच्च माध्यमिक विद्यालयात युवा संसद, संकल्प पत्र आणि मतदार शपथ कार्यक्रम घेण्यात आला. जिल्हाधिकारी तथा जिल्हा निवडणूक अधिकारी अभिजीत राऊत, जिल्हा परिषदेच्या मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा जिल्हा स्वीपच्या नोडल अधिकारी मीनल करणवाल यांच्या संकल्पनेतून हे उपक्रम राबवण्यात आले. नव मतदारांच्या युवा संसद कार्यक्रमात नवमतदारांचं स्वागत करण्यात आलं. सर्वांनी आपल्या आई-वडिलांना, पत्र लिहून मतदान करण्याचं आवाहन केलं, तसंच शिक्षकांसह सर्व नवमतदार युवक युवतींना मतदान शपथ देण्यात आली.
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नागपूर इथं आज सीमा शुल्क विभागाने मोठा मद्यसाठा जप्त केला. यात मद्याच्या ४४८ सिलबंद बाटल्या तसंच वाहन आणि मोबाईलसह एकूण ३८ लाख ६९ हजार रूपयांचा मुद्येमाल जप्त करत तीन जणांविरुद्ध गुन्हा दाखल करण्यात आला.
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मुंबईत वांद्रे रेल्वे स्थानकावर आज पहाटे प्रवाशांच्या गर्दीने झालेल्या चेंगराचेंगरीत काही प्रवाशांची प्रकृती बिघडली. पहाटे सहा वाजेच्या सुमारास वांद्रे गोरखपूर एक्सप्रेस सुटण्याच्या वेळी ही घटना घडली. नऊ प्रवाशांना रुग्णालयात दा��ल करण्यात आलं असून, त्यापैकी दोन जण अत्यवस्थ आहेत.
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महिला क्रिकेटमध्ये, भारत-न्यूझीलंड दरम्यान तीन एकदिवसीय सामन्यांच्या मालिकेतल्या दुसर्या सामन्यात न्यूझीलंडने भारताला २६० धावांचं लक्ष्य दिलं आहे. प्रथम फलंदाजी करत न्यूझीलंडच्या संघाने निर्धारित षटकात नऊ बाद २५९ धावा केल्या. भारताकडून राधा यादवनं चार, दीप्ती शर्मानं दोन, तर सायमा ठाकोर आणि प्रिया मिश्रा यांनी प्रत्येकी एक खेळाडू बाद केला. शेवटचं वृत्त हाती आलं तेव्हा भारताच्या तीन बाद चौतीस धावा झाल्या होत्या.
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दक्षिण मध्य रेल्वेनं नांदेड-पनवेल-नांदेड आणि विजयवाडा-नांदेड या विशेष गाड्यांची प्रत्येकी एक फेरी चालवण्याचा निर्णय घेतला आहे.
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rightnewshindi · 1 month ago
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भारत एक हिंदू राष्ट्र, हिंदू समाज खत्म करे भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद; मोहन भागवत
Mohan Bhagwat On Hindu Rashtra: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार (5 अक्टूबर) को हिंदू समाज से एकजुट होकर आपस में मतभेद और विवाद खत्म करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद खत्म कर के अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा। वहीं समाज ऐसा होना चाहिए जिसमें एकता, सद्भावना और जुड़ाव की भावना हो। उन्होंने आगे कहा कि समाज में आचरण का…
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unmquolalee96 · 1 month ago
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राष्ट्रपिता 'बापू'
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गांधी जी व्यक्ति से ऊपर एक संस्था हैं, सर्वोदय के अग्रदूत गांधी जी का जन्मदिन २ अक्टूबर १८६९ को पोरबंदर में हुआ,
गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है, उनके पिता जी का नाम करम चंद गांधी था, तथा माता का नाम पुतली बाई।
गांधी जी की आरंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई, उस समय के अनुरूप उनका विवाह १४ वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ हो गया था। वर्ष १८८८ में यह शिक्षा हेतु गांधीजी विलायत गए थे, वर्ष १८९१ में गांधी जी बैरिस्टर बन कर बम्बई लौटे थे, जहाँ वह प्रैक्टिस करने लगे, १८९३ में एक दीवानी मुकदमे में जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका ��ए, जिसका फैसला वर्ष १८९�� में समझौते का हुआ, वर्ष १८९५ में गांधी जी नटाल के उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए, तथा वहाँ नेटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया। बाल गंगाधर तिलक, एवं गोपाल कृष्ण गोखले और नेताओं से गांधी जी वर्ष १९०६ में मिले, जब वह मात्र ६ माह के लिए आये थे, उनके गतिविधियों से चिढ़े हुए अंग्रेजो ने गांधी विरुद्ध प्रदर्शन किए, इस उम्मीद में कि अंग्रेज भारतीयों के प्रति नरमी रखेंगे, वहां रहने वाले ३०० आम भारतीय ८०० बंधुआ भारतीयों जिनको गिरमिटिया कानून के बतौर गुलामी करने लाया गया था, के मदद से एम्बुलेंस सेवाओ में अंग्रेजी सरकार की बोअर युद्ध* में मदद किया।**
वर्ष १९०१ में वह राजकोट, भारत लौटकर आये तथा महामारी प्लेग से पीड़ित जगहों में जन सेवा का गठन किया, तथा दिसंबर में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए। तीन माह पश्चात गांधी जी पुनः अफ्रीका लौट गए जहाँ १९०३ में उन्होंने ट्रांसवाल ब्रिटिश इंडिया और इंडियन ओपिनियन नाम से संस्था स्थापित किया, १९०६ में हुए ज़ुलु विद्रोह जिसमे ज़ुलु के नेतृत्व ने और अतिरिक्त कर देने से मना किया था, उसी का नतीजा था, जिसमे गांधी जी ने अंग्रेजो से नेटल में रहते समय अपने द्वारा सहयोग की बात उस समय के तत्कालीन गवर्नर से की जिसे मानते हुए गांधी जी और अन्य सहयोगियों को घायल ज़ुलु लोगो की सेवा सुश्रुषा के लिए दिया गया क्योंकि गोरे सवयंसेवक इस कार्य के लिए तैयार नहीं थे, गांधी जी के व्यवहार से वह सभी बेहद प्रभावित हुए, गांधी जी लियो टॉलस्टॉय की रचनाओं से बहुत प्रभावित थे, और टॉलस्टॉय के नाम पर एक आश्रम आरम्भ किया जहां वह भारतीयों के विरुद्ध होने वाले अत्याचार पर सत्याग्रहका केंद्र बना।
सन् १९१४ में लंदन में सरोजिनी नायडू से गांधी जी की पहली भेंट हुई जब वह उनसे मिलने गई तो उन्होंने यह देखा कि एक विश्वप्रसिद्ध नेता जो दक्षिण अफ्रिका से अंग्रेजो से सीधी टक्कर ले कर आ रहा है, वह काफी साधारण अवस्था मे एक लकड़ी के कटोरे में अत्यंत साधारण सा भोजन कर रहा है, तो उनकी हँसी छूट गईं, आंख उठा कर गांधी जी उन्हें देख वह भी बड़े जोर से हँसे और
पहचान लिया।●●●
वह बाद में गांधी जी के विचारधारा में कदम कदम चलती रही तथा समर्थक रही, सामान्य घर गृहस्थी छोड़ कर भी गांधी जी के पीछे पीछे जेल गईं, जब वह जेल में नहीं होती थी ��ब सामाजिक कार्यों में सलग्न रहती थी।
भारत लौटे गांधी जी को सन् १९१५ में केसर-ए-हिन्द का खिताब दिया गया था, यहां से गांधी जी भारत भ्रमण पर निकले गांधी जी से तब काका कलेलकर(दत्तात्रेय बालकृष्ण कलेलकर) से और आचार्य जे बी कृपलानी(जीवतराम भगवान दास कृपलानी) से हुई, काका कलेलकर इसके पश्चात वह गांधी जी से प्रभावित हो कर साबरमती आश्रम के सदस्य बने तथा सर्वोदय में संपादकीय भूमिका निभाई। काका कलेलकर ने गांधी जी से प्रभावित हो कर अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की।
जे बी कृपलानी, देशभक्त के साथ एक समाजवादी और पर्यावरणविद थे, तथा गांधी जी के शिष्य और विचारों के घोर समर्थक थे।
सन् १९१९ से गांधी जी ने पत्रिकाओं यंग इंडिया और नवजीवन का संपादन कार्य किया था। पं. जवाहर लाल नेहरू से गांधी जी पहली भेंट १९१६ में काशी विश्वविद्यालय के स्थापना अवसर के बाद कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में हुई। स्थापना दिवस पर ६ फरवरी को जहाँ गांधी जी ने भाषण दिया और बहुत ही महत्वपूर्ण विषयों पर कहा जैसे कि हिंदी भाषा के ऊपर आंग्ल भाषा भाषण के लिए चुना जाना, वाइसराय हार्डिंग के लिए चाक चौबंद सुरक्षा होना, मंदिर के आसपास व्याप्त गन्दगी, विभिन्न महाराजाओं का आकंठ सोने से लदे रहना, जो कि दरिद्रों के शोषण का पर्याय है, उन्होंने स्वयं को अराजकतावादी घोषित किया, किसानो के उठ खड़े होने से भारत को मुक्ति मिलेगी आदि।उपस्थित राजाओ ने थोड़े देर के बाद बहिर्गमन कर दिया।
नेहरू जी को वह अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी मानते थे, नेहरू ने इस विषय मे कहा है कि उस समय गांधी जी राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रियता न दिखाते हुए भारतीयों के दक्षिण अफ्रिकाई मुद्दों पर जुड़े रहना चाहते थे।
सन् १९१७ में मुजफ्फरपुर बिहार में महात्मा गांधी की भेंट डॉ० राजेन्द्र प्रसाद से हुई, वह कलकत्ता कॉलेज से विधि स्नातक तथा कलकत्ता उच्च न्यायालय में अधिवक्ता थे, उन्होंने पत्रिका साप्ताहिक बिहार विधि की नींव रखी।
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष और प्रथम राष्ट्रपति थे। वैसे भारतीय संविधान में राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के क्रम में शाश्वत उत्तराधिकारी होने में कोई बाधा नहीं है, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में होता है, परन्तु इसमें डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ने सबसे अधिक बार राष्ट्रपति बनने के बाद भी दुबारा पद में दावेदारी न रखने का उदाहरण रखा।
विचार
सर्वोदय: इसका अर्थ सब का समान रूप से उदय हैं, यह शब्द पहली शताब्दी के जैन सन्त सुमन्तभद्र के क���र्य से प्रेरित हैं, गुजराती में रूपांतरित जॉन रस्किन के अन टू द लास्ट, "आखिरी व्यक्ति तक", से उत्प्रेरित गाँधी जी द्वारा एक फिनिक्स आश्रम स्थापित किया गया, सर्वोदय का अर्थ लोकनीति से है जो राजनीति से ऊपर रहेगा, यह एक आदर्श समाज की स्थापना करने वाला है जिसमे कोई जाति या वर्ग नहीं होगा, आधुनिक दर्शन के उलट जिसमे त्याग से ऊपर उपभोग और अधिक उपभोक्तावाद को तरजीह दी जाती हैं, गांधी जी के दर्शन सर्वोदय का कार्य शासन और आम जनता हर एक के ऊपर इस मंतव्य को और आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी डालती है।
छत्तीसगढ़ में गांधी जी का प्रभाव
गोंड जाति के मांझी उपभाग की राजमोहिनी देवी इनमे से एक है, जब १९५१ के एक बहुत व्यापक भुखमरी और अकाल से क्षुब्ध यह बड़े चट्टान में आंख मूंद के बैठी थी तब इन्हें गांधी जी के विचार के प्रासंगिकता की अनुभूति हुई जिसके बाद इन्होंने २१ दिवस का उपवास किया और इसके बाद वर्षा हुई, इन्होंने बापू धर्म या सूरज धर्म की स्थापना की, इनके द्वारा स्थापित संस्था बापू धर्म सभा आदिवासी सेवा मण्डल के कार्य से इन्होंने खद्दर का प्रचार किया जो कि देशी बुनकरों द्वारा सृजन की हुई हो, मदिरापान को तम्बाकू सेवन को निषिद्ध किया गौ हत्या पर प्रतिबंध की बात कही, गांधी जी के विचारों की शिक्षाओं के प्रसार हेतु यह पैदल ही निकल पड़ी थी, इनके कार्य से जुड़ने वालो को भगत कहा जाता था।
अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ महात्मा गांधी ने देश भर में सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ा था। उन्होंने 1933 में समाज के दलित वर्ग के उद्धार के लिए एक आंदोलन के रूप में 'हरिजन यात्रा' शुरू की थी। इसी क्रम में गांधी नवम्बर 1933 में छत्तीसगढ़ के तीन दिन के दौरे पर आए थे। इन तीन दिनों में उन्होंने विशेषकर दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर जिलों के अनेक स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया और सभाएं संबोधित की। इस यात्रा का एक उद्देश्य राष्ट्रीय आंदोलन के लिए धन जुटाना भी था।
गांधी दुर्ग से होते हुए रायपुर पहुंचे थे। उनका स्वागत आमापारा नाका पर किया गया। वहां से बूढ़ापारा में पंडित रविशंकर शुक्ल के आवास तक पहुंचने में उन्हें 3 घंटे लगे थे। उस दिन रायपुर में ऐसी रोशनी की गई थी कि आगे दीपावली का दीपोत्सव फीका पड़ रहा था। रायपुर में उनकी एक सभा कोतवाली के पास उस स्थल पर हुई जिसे अब गांधी चैक के नाम से जाना जाता है। दूसरी सभा कंपनी गार्डन (आज के मोतीबाग) में हुई जहां ��्राम उद्योग की प्रदर्शनी लगाई गई थी। तीसरी-लारी स्कूल (आज के सप्प्रे स्कूल) में हुई। आनंद समाज पुस्तकालय के पास भी उन्होंने बड़ी सभा की थी जिसमें उनके साथ मौलाना मोहम्मद अली और मौलाना शौकत अली भी थे। सभी स्थानों पर अपार जनसमूह जुटा था।
वास्तव में पूरे रायपुर जिले से लोग उन्हें देखने और सुनने आए थे। सबसे दिलचस्प घटना कोतवाली के पास मैदान में सभा में हुई। इसमें गांधी ने पहले तो अपने आंदोलन की रूप-रेखा सरल शब्दों में बताई और फिर आग्रह
किया कि देश का प्रत्येक व्यक्ति इस आंदोलन में तन-मन-धन से सहयोग करे। गांधी के भाषण के बाद एक झोली सभा में घुमाई गई। सभा में उपस्थित हर व्यक्ति ने उसके पास जो कुछ था वह दान स्वरूप दे दिया। जब वह झोली गांधी जी के पास पहुंची तो उन्होंने कहा- 'मैं बनिया हूं। इन चीजों की नीलामी करूंगा।' उनकी यह बात सुनकर पूरी सभा में हंसी की हल्की लहर दौड़ गई। इसके बाद तो गांधी ने दान में मिली चीजों को एक-एक कर बेच दिया। बड़ी बात यह है कि हर चीज अपनी वास्तविक कीमत से कई गुना दाम पर बिकी। नीलामी के बाद गांधी ने जनता को धन्यवाद दिया। उ��्लेखनीय बात यह है कि नवम्बर 1933 की इस सभा के बाद ही कोतवाली के पास का मैदान गांधी चौक के नाम से मशहूर हो गया।
*बोअर: दक्षिण अफ्रीका के मूल डच निवासियों के वंशज थे। १८०६ में ब्रिटेन द्वारा कब्जाए जाने के बाद यह जनजातीय इलाको में पलायन कर गए और ट्रांसवाल ऑरेंज फ्री स्टेट की स्थापना की, १८६७ तक शांति रहने के बाद हीरे और सोने की खोज ने युद्ध की नींव डाली, (ट्रांसवाल: वाल नदी के उत्तर कई राज्य और प्रशासनिक संभाग आते थे, प्रिटोरिया जोहानसबर्ग) बोअर गणराज्य या ऑरेंज फ्री स्टेट क्या हैं?
ऑरेंज एवं वाल नदी के मध्य स्थित होने से, ट्रांसवाल का अर्थ वाल नदी के उत्तर से है, या उसके पार, सन् १८९० में मामूली लड़ाई और १८९९ में पूर्ण पैमाने में युद्ध शुरू हुआ, फिर १९०० में उस पर ब्रिटेन का पूर्ण नियंत्रण आ गया, और १९०२ तक सारे विद्रोह कुचल दिए गए, तथा ३१ मई को सैन्य प्रशासन लागू कर दिया गया, सन् १९१० में नेटल एक प्रान्त था दक्षिण अफ्रीका के स्वायत्त संघ में।
**संदर्भ: विकिपीडिया
•••संदर्भ: नेशनल हेराल्ड इंडिया, भारत के गौरव (आंठवा भाग)
००ब्रिटानिका
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bikanerlive · 1 month ago
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श्रीमाली की पुस्तक का हुआ लोकार्पण, पुस्तक आदिशक्ति पीठ हिंगलाज माँ की यात्रा पर है आधारित, अखंड भारत मे ऊर्जा व पराक्रम का महान बिंदु है हिंगलाज पीठ - जानकी नारायण श्रीमाली, राष्ट्रीय एकता व सांस्कृतिक वैभव को जोड़ती पुस्तक है हिंगलाज जात्रा- राजेन्द्र जोशी
राती घाटी शोध एवं विकास समिति केतत्त्वावधान में विद्वान इतिहासकार जानकी नारायण श्रीमाली द्वारा विरचित राजस्थानी भाषा की पुस्तक “हिंगलाज जात्रा- माँ हिंगलाज सौवीर री आत्मा अर भारत रो सांस्कृतिक रक्षा सूत्र” का लोकार्पण योगी श्री शिव सत्यनाथ जी महाराज अधिष्ठाता श्री 1008 नवलेश्वर मठ सिद्धपीठ के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ। शारदीय नवरात्र स्थापना के पुनीत दिवस पर इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए श्री शिव…
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deshbandhu · 2 months ago
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Raashtreey Ekata Mein Hindi ki Bhoomika
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, जहाँ विभिन्न भाषाएँ, धर्म, जातियाँ, और सांस्कृतिक धरोहरें पाई जाती हैं। इस विविधता के बावजूद, देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए एक साझा भाषा का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान विशेष महत्व रखता है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि देश के विभिन्न भागों को एकता के सूत्र में पिरोने वाली शक्ति है। राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है।
हिंदी: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में हिंदी ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले लोग एक मंच पर आए और एक साझा लक्ष्य के लिए लड़े। इस समय हिंदी ने संचार का प्रमुख माध्यम बनकर सभी को एक सूत्र में बाँधने का काम किया। महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं ने हिंदी को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया, जिससे यह स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज़ बन गई। आजादी के बाद, भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि हिंदी न केवल स्वतंत्रता संग्राम की भाषा रही है, बल्कि देश की एकता को बनाए रखने में भी इसका महत्व है।
सांस्कृतिक एकता में हिंदी का योगदान
भारत की सांस्कृतिक विविधता में हिंदी एक सेतु का काम करती है। विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में बोलचाल की अलग-अलग भाषाएँ और बोलियाँ हैं, परंतु हिंदी ने इन सबको एक मंच पर लाने का काम किया है। हिंदी फिल्मों, संगीत, साहित्य, और नाटकों ने भारतीय समाज के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। हिंदी सिनेमा ने न केवल भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया, बल्कि देश के अंदर भी लोगों को एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं से परिचित करवाया। हिंदी के माध्यम से लोग एक-दूसरे की भावनाओं और विचारों को समझ पाते हैं, जिससे समाज में आपसी भाईचारा और सौहार्द बढ़ता है।
सामाजिक समरसता और हिंदी
हिंदी भाषा ने सामाजिक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह भाषा स��ाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद और विचार-विमर्श का सशक्त माध्यम बनी है। हिंदी, एक ऐसी भाषा है जिसे आम आदमी से लेकर उच्च वर्ग तक सभी लोग समझ सकते हैं। यह भाषा विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती है। विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोग हिंदी के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। इससे समाज में एक समरसता और सहयोग की भावना उत्पन्न होती है, जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है। इस प्रकार राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान समाज के विभिन्न हिस्सों को एक साथ लाने में अहम रहा है।
राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में हिंदी की भूमिका
स्वतंत्रता के बाद, भारत के संविधान निर्माताओं ने हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। यह निर्णय देश की अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया था। प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का माध्यम बन गया। चाहे संसद हो या विभिन्न राज्यों की विधानसभाएँ, हिंदी के माध्यम से संवाद और निर्णय लिए जाते हैं। इससे देश के सभी नागरिकों को एक समान रूप से संचार की सुविधा मिलती है, जिससे राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है।
हिंदी और शिक्षा
हिंदी शिक्षा के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भाषा शिक्षा का एक प्रमुख माध्यम बनकर उभरी है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ हिंदी मातृभाषा नहीं है। हिंदी के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों से परिचित होते हैं, जिससे उनकी समझ में विस्तार होता है और वे राष्ट्रीय एकता की भावना को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। हिंदी माध्यम से दी गई शिक्षा लोगों को न केवल अपनी भाषा और संस्कृति से परिचित कराती है, बल्कि देश की अन्य भाषाओं और संस्कृतियों को समझने का अवसर भी प्रदान करती है।
हिंदी: एकता का प्रतीक
हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गई है। भारत में कई क्षेत्रीय भाषाएँ और बोलियाँ होने के बावजूद, हिंदी ने पूरे देश को एकजुट रखने का कार्य किया है। हिंदी का सरल और प्रभावी स्वरूप इसे देश के विभिन्न हिस्सों में अपनाने के लिए अनुकूल बनाता है। हिंदी के माध्यम से लोग न केवल संवाद कर पाते हैं, बल्कि एक साझा राष्ट्रीय पहचान का अनुभव भी करते हैं। यह भाषा राष्ट्रीय पर्वों, आयोजनों, और सरकारी कार्यक्रमों में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है, जिससे देश की एकता और अखंडता को मजबूती मिलती है।
वैश्विक मंच पर हिंदी की भूमिका
हिंदी न केवल भारत के भीतर, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की एकता और पहचान को सशक्त कर रही है। हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख भाषा के रूप में मान्यता मिल रही है, और इसे संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी स्वीकार किया जा रहा है। विदेशों में बसे भारतीय भी हिंदी के माध्यम से अपनी संस्कृति और ��ूल्यों को संरक्षित करते हैं। हिंदी भाषा ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत की एकता और अखंडता का संदेश दुनिया भर में फैल रहा है।
हिंदी का भविष्य और राष्ट्रीय एकता
आज के समय में भी हिंदी राष्ट्रीय एकता की धारा को सशक्त बनाए हुए है। तकनीकी और डिजिटल युग में हिंदी ने अपनी महत्ता को बनाए रखा है। सोशल मीडिया, इंटरनेट, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हिंदी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है। हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता और उपयोगिता इसे भविष्य में भी राष्ट्रीय एकता का महत्वपूर्ण साधन बनाएगी।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। यह भाषा न केवल लोगों को जोड़ने का माध्यम है, बल्कि एक राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक भी है। हिंदी ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक स्तर पर देश की एकता को सुदृढ़ किया है। आज के युग में भी हिंदी अपनी सशक्त उपस्थिति के साथ राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रही है। इसके माध्यम से भारत की विविधता में एकता का संदेश प्रकट होता है, जो देश की प्रगति और स्थिरता के लिए अनिवार्य है। राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान हर स्तर पर महत्त्वपूर्ण और अनमोल है, और भविष्य में भी यह देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपना योगदान देती रहेगी।
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aaastarztimes · 2 months ago
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From 'Pappu' to Powerful Leader: Sam Pitroda's Bold Rebuttal You Need to Read!
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From 'Pappu' to Powerful Leader: Sam Pitroda's Bold Rebuttal You Need to Read!
Vision Contrary to BJP’s Narrative हाल ही में Texas में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए, कांग्रेस नेता Sam Pitroda ने Rahul Gandhi का जोरदार बचाव किया और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अक्सर पेश की गई "Pappu" छवि को दूर किया। Pitroda, जो Gandhi के करीबी सहयोगी और भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, ने Rahul Gandhi की बौद्धिक गहराई और रणनीतिक सोच को उजागर किया, यह बताते हुए कि यह उपाधि न केवल गलत है बल्कि राजनीतिक प्रचार का परिणाम भी है। The Legacy of Inclusion and Gandhian Principles Pitroda ने जोर देकर कहा कि Rahul Gandhi की दृष्टि सत्ता में आसीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राजनीतिक विचारधारा से पूरी तरह विपरीत है। उन्होंने कहा कि BJP जनसं perception को आकार देने में बहुत अधिक संसाधन लगाती है, अक्सर Rahul Gandhi को नकारात्मक प्रकाश में दिखाती है। हालांकि, Pitroda के अनुसार, Gandhi अच्छी तरह ��े शिक्षित, विचारशील, और एक कुशल रणनीतिकार हैं जिनकी जटिल राष्ट्रीय मुद्दों की गहरी समझ है।"वह कोई Pappu नहीं हैं," Pitroda ने कहा, जो Gandhi के खिलाफ राजनीतिक विमर्श में इस्तेमाल की जाने वाली अपमानजनक भाषा से एक बदलाव का संकेत है। Democracy is a Collective Responsibility Pitroda, जो स्वतंत्रता के बाद के भारत में बड़े हुए, ने साझा किया कि Gandhian विचार और मूल्य जैसे समावेशिता और विविधता ने उनके दृष्टिकोण को गहराई से आकार दिया। उन्होंने अफसोस जताया कि आज का भारत सामाजिक परिवर्तनों का सामना कर रहा है जो देश की एकता और विविधता के मौलिक सिद्धांतों को खतरे में डालते हैं। उन्होंने Rahul Gandhi की सराहना की जिन्होंने इन मूल्यों की रक्षा की है, उन्हें एक नेता के रूप में प्रस्तुत किया जो भारत के बहुपरकारी ढांचे को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। "Rahul Gandhi समावेशिता को बढ़ावा देने, विविधता की सराहना करने, और सभी के लिए गरिमा को बनाए रखने की दिशा में नेतृत्व कर रहे हैं," Pitroda ने कहा। इन मूल्यों को कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य बताया। उन्होंने जाति, धर्म, भाषा, और क्षेत्र के आधार पर समाजिक विभाजन पर चिंता व्यक्त की, यह कहते हुए कि ये वही मुद्दे हैं जिन पर Rahul Gandhi अपनी भारत के भविष्य की दृष्टि के माध्यम से काम कर रहे हैं। Rahul Gandhi: A Man of His Word Pitroda ने लोकतंत्र की नाजुकता पर जोर दिया, चेतावनी दी कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि भारत के अंदर और बाहर दोनों जगह ताकतें लोकतंत्र को “हाइजैक” करने की कोशिश कर रही हैं। Mahatma Gandhi, Jawaharlal Nehru, Maulana Azad, और Sardar Patel जैसे भारत के संस्थापक नेताओं पर विचार करते हुए, Pitroda ने समुदाय से स्वतंत्र भारत के उनके दृष्टिकोण को याद रखने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं और मूल्यों की सुरक्षा के लिए सक्रिय भागीदारी और सतर्कता की आवश्यकता है, विशेष रूप से एक ऐसे युग में जहां लोकतंत्र के प्रति वैश्विक खतरों में वृद्धि हो रही है। Indian Overseas Congress: Expanding Democratic Engagement Pitroda ने Rahul Gandhi की अपनी प्रतिबद्धताओं के प्रति वफादारी की भी सराहना की। New York में एक पूर्व बैठक को याद करते हुए, Pitroda ने साझा किया कि Gandhi ने अपने अगले यात्रा के दौरान Dallas आने का वादा किया था, जिसे उन्होंने अपनी वर्तमान यात्रा के दौरान पूरा किया। Pitroda ने बताया कि यह Gandhi की ईमानदारी और भारतीय प्रवासी से जुड़ने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। Conclusion Pitroda ने Indian Overseas Congress (IOC) की भूमिका को भी उजागर किया, जिसका वह नेतृत्व करते हैं, जो वैश्विक भारतीय समुदाय ��ो कांग्रेस पार्टी की लोकतांत्रिक पहलों से जोड़ता है। IOC 32 देशों में संचालित होता है, सदस्यता बढ़ाने, कार्यक्रमों का आयोजन करने, और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए काम करता है।Pitroda ने प्रवासी समुदाय से इस मिशन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया, उन्हें IOC से जुड़ने और भारत और विदेश में लोकतंत्र की रक्षा के बड़े कारण में योगदान करने के लिए प्रेरित किया। Sam Pitroda का Rahul Gandhi का बचाव एक मजबूत प्रतिकथन प्रस्तुत करता है जो अक्सर उनके खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले नकारात्मक लेबल के खिलाफ है।Pitroda का भाषण न केवल Gandhi की बौद्धिक और रणनीतिक क्षमताओं को उजागर करता है बल्कि कांग्रेस पार्टी की समावेशिता, विविधता, और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता को भी पुनः पुष्टि करता है। जैसे-जैसे भारत अपने जटिल राजनीतिक परिदृश्य को नेविगेट करता है, नेताओं जैसे Rahul Gandhi की इन सिद्धांतों के लिए समर्थन की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।बढ़ती राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच, Pitroda का संदेश यह याद दिलाता है कि लोकतंत्र और एकता के लिए सामूहिक प्रयास और अडिग प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।Also Read:Congress Fields Wrestler Vinesh Phogat from Julana in Haryana Assembly Polls Read the full article
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dainiksamachar · 3 months ago
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अपराधी खुलआम घूमते हैं, पीड़ित डर में रहते हैं... महिला सुरक्षा को लेकर राष्ट्रपति मुर्मू ने न्यायपालिका के समक्षजताईचिंता
नई दिल्ली: ने रविवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के प्रयास किए जाने की जरूरत है। जिला न्यायपालिका के दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है। राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की जरूरत है। 'न्याय की रक्षा करना देश के सभी जजों की जिम्मेदारी' राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि न्याय की रक्षा करना देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अदालती माहौल में आम लोगों का तनाव का स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने इस विषय पर अध्ययन का भी सुझाव दिया। उन्होंने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर भी प्र��न्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'अपनी स्थापना के बाद के पिछले 75 वर्षों के दौरान भारत के उच्चतम न्यायालय ने विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की न्याय-व्यवस्था के सजग प्रहरी के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया है। उच्चतम न्यायालय ने भारत के न्याय-शास्त्र यानी jurisprudence को बहुत सम्मानित स्थान दिलाया है।' राष्ट्रपति ने कहा कि जनपद स्तर के न्यायालय ही करोड़ों देशवासियों के मस्तिष्क में न्यायपालिका की छवि निर्धारित करते हैं। इसलिए जनपद न्यायालयों द्वारा लोगों को संवेदनशीलता और तत्परता के साथ, कम खर्च पर न्याय सुलभ कराना हमारी न्यायपालिका की सफलता का आधार है। राष्ट्रपति ने महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को सराहा उन्होंने आगे कहा कि मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि हाल के वर्षों में न्यायिक अधिकारियों के चयन में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। इस वृद्धि के कारण, कई राज्यों में कुल न्यायिक अधिकारियों की संख्या में महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है। मैं आशा करती हूं कि न्यायपालिका से जुड़े सभी लोग महिलाओं के विषय में पूर्वाग्रहों से मुक्त विचार, व्यवहार और भाषा के आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। स्थानीय भाषा में न्याय देने पर जोर राष्ट्रपति ने आगे कहा कि स्थानीय भाषा और स्थानीय परिस्थितियों में न्याय प्रदान करने की व्यवस्था करके शायद ‘न्याय सबके द्वार’ तक पहुंचाने के आदर्श को प्राप्त करने में सहायता होगी। यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि, कुछ मामलों में, साधन-सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं। जो लोग उनके अपराधों से पीड़ित होते हैं, वे डरे-सहमे रहते हैं, मानो उन्हीं बेचारों ने कोई अपराध कर दिया हो। उन्होंने कहा कि कभी-कभी मेरा ध्यान कारावास काट रही माताओं के बच्चों और बाल अपराधियों की ओर जाता है। उन महिलाओं के बच्चों के सामने पूरा जीवन पड़ा है। ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है इस विषय पर आकलन और सुधार हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।इस कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उच्चतम न्यायालय का ध्वज और प्रतीक चिह्न भी जारी किया। http://dlvr.it/TCg14H
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helputrust · 1 year ago
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लखनऊ 20.08.2023 | सद्भावना दिवस 2023 तथा माननीय पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्री राजीव गांधी जी की 79वी जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के सेक्टर 25 स्थित कार्यालय में श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने माननीय पूर्व प्रधानमंत्री तथा भारत रत्न श्री राजीव गांधी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि भारत के माननीय पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्री राजीव गांधी जी की जन्म जयंती (20 अगस्त) को प्रति वर्ष सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है | सद्भावना दिवस का उद्देश्य सभी धर्मों, भाषाओं और क्षेत्रों के लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना है जिससे राष्ट्र की उन्नति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो | आज का यह दिन एक प्रतिज्ञा लेने का दिन है | प्रतिज्ञा अपने आसपास शांति और सद्भाव स्थापित करने की, प्रतिज्ञा जाति, क्षेत्र, धर्म या भाषा से ऊपर उठकर इंसान बनने की और प्रतिज्ञा हिंसा से दूर हमारे संवैधानिक तरीकों से सभी मतभेदों को हल करने की | आइए हम सभी मिलकर देश की सद्भावना और शांति बनाए रखने में अपना योगदान दें और अपने देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित करें |
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sharpbharat · 3 months ago
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Jamdhedpur bhumij samaj oppose : पोटका भूमिज समाज का दल राष्ट्रीय अजजा आयोग के अध्यक्ष से रांची में मिला, भूमिज समाज की समास्याओं से उन्हें कराया अवगत, भूमिज भाषा को शिक्षक पात्रता परीक्षा से हटाने के खिलाफ भी दर्ज कराया विरोध
जादूगोड़ा : पोटका भूमिज समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने रांची स्थित श्रीकृष्ण प्रशासनिक ��ंस्थान में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अतर सिंह आर्य से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें भूमिज समाज की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया एवं ��नकी अध्यक्षता में आयोजित बैठक में शिरकत भी की.  बताते चलें कि भारत के अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अतर सिंह आर्य फिलहाल रांची दौरे पर आये हुए हैं, जो…
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manmohan888-blog · 4 months ago
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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
3 अगस्त/जन��म-दिवस यों तो द��निया की हर भाषा और बोली में काव्य रचने वाले कवि होते हैं। भारत भी इसका अपवाद नहीं हैं; पर अपनी रचनाओं से राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाले कवि कम ही होते हैं। श्री मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी भाषा के एक ऐसे ही महान कवि थे, जिन्हें राष्ट्रकवि का गौरव प्रदान किया गया। श्री मैथिलीशरण गुप्त का जन्म चिरगाँव (झाँसी, उ.प्र.) में तीन अगस्त, 1886 को सेठ रामचरणदास कनकने के घर में…
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asr24news · 4 months ago
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कोर्ट के फैसले स्थानीय भाषा में भी लिखे जाएं : चंद्रचूड़
लखनऊ, 13 जुलाई 2024। शनिवार, 13 जुलाई को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कोर्ट के फैसले हिंदी-अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषा में लिखे जाने का महत्वपूर्ण सुझाव दिया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि लॉ…
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drrupal-helputrust · 4 months ago
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National Voter Day | राष्ट्रीय मतदाता दिवस
लखनऊ, 25.01.2023 | राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2023 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में "शपथ ग्रहण समारोह" कार्यक्रम का आयोजन किया गया I कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों व लाभार्थियों ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मतदाता जागरूकता अभियान में अपनी भागीदारी करते हुए शपथ ली I
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "राष्ट्रीय मतदाता दिवस पूरे देश में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों में से एक है । इस महत्वपूर्ण दिवस का आयोजन सभी भारतवासियों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है, साथ ही यह भी बताता है कि हर व्यक्ति के लिए मतदान करना ज़रूरी है । राष्ट्रीतय मतदाता दि‍वस के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य् अधि‍क मतदाता, वि‍शेष रूप से नए मतदाता बनाना है । 'राष्ट्री य मतदाता दि‍वस' के अन्तर्गत निर्वाचन आयोग द्वारा समूचे देश में शि‍क्षि‍त मतदाताओं, वि‍शेष रूप से युवाओं और महि‍लाओं को आकर्षि‍त करने के लि‍ए व्यायपक और सुव्यूवस्थिद‍त मतदाता शि‍क्षा और मतदान ��ा���ीदारी अभि‍यान चलाये जाते हैं । लोकतंत्र की असली शक्ति हमारा मत है, आइये हम मत के अधिकार के महत्व को समझें और लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बनाने के लिए प्रत्येक चुनाव में अपने मत का उपयोग करने का संकल्प करें ।
डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "मतदान हमारा लोकतांत्रिक अधिकार ही नहीं अपितु कर्तव्य भी है, इसलिए हम अपने मताधिकार के प्रति जागरूक बने और अन्य लोगों को भी जागरूक करें I आइये भारत के महान लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपने मत अधिकार का उपयोग करने का संकल्प लें एवं दूसरों को भी प्रेरित करें । राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2023 का विषय है "चुनावों को समावेशी, सुलभ और सहभागी बनाना"। यह विषय स्पष्ट रूप से मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है जिसके अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा मतदान जागरूकता अभियान को बढ़ावा देने के लिए मतदाता जागरूकता शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया I
हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास करेंगे। आज हम प्रतिज्ञा करते हैं :-
शपथ
"हम, भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए, निर्भीक होकर, धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचनों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे ।"
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