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Astrobhoomi- Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। दिसंबर 01, 2023 Historical History
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। राम मंदिर इमेजेस। Historical History MNG Image source: social media
Happy New Year 2024 Wishes: आपको बता दें कि शास्त्रों में भी कहा गया कि भगवान के दर्शन से अगर किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जाए तो हर काम बन जाता है। जिससे तरक्की और खुशहाली आती है। नए वर्ष की शुरुआत मंदिर में दर्शन के साथ करना ही चाहिए।
Happy New Year 2024 Wishes: नया वर्ष नई उम्मीद और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आता है। हमारी कामना है की आने वाला साल 2024 जीवन में खुशियां और समृद्धि लेकर आए। बता दें कि इस कामना से बड़ी संख्या में लोग नए साल की शुरुआत मंदिर में भगवान के दर्शन के साथ शुरू करते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि भगवान के दर्शन से अगर किसी शुभ काम की शुरुआत की जाए तो बिगड़ा हर काम बन जाता है। इससे तरक्की और खुशहाली का भी आगमन होता है। अगर आप भी नए साल (New Year 2024) में खास मंदिरों के दर्शन कर आर्शीवाद लेना चाहते हैं तो इन 7 मंदिरों में दर्शन कर साल की शुरुआत करें…
माता वैष्णो देवी मंदिर (Mata Vaishno Devi Temple)
Happy New Year 2024 Wishes: नए साल की शुरुआत आप माता वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन से कर सकते हैं। बता दें कि इस दिन बड़ी संख्या में लोग माता के दर्शन करने जाते हैं। इसकी बुकिंग पहले से ही चलती रहती है। माना जाता है कि माता वैष्णो देवी के दर्शन से ही हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अपने भक्तो को हमेशा खुश हाल रखती हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। माता वैष्णो देवी मंदिर इमेजेस। Historical History MNG Image source: social media
ये भी पढ़ें: माता वैष्णो देवी मंदिर (Mata Vaishno Devi Temple) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानें।
सिद्धि विनायक मंदिर, मुंबई
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर दुनियाभर में फेमस है। यहां हर समय भक्तों का आना जाना लगा रहता है। साल के पहले दिन यहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है। मान्यता ये है कि बप्पा का दर्शन करने से भक्त खाली हाथ कभी नहीं जाते हैं। दर्शन मात्र से ही गणपति भक्त के बड़े - बड़े संकट दूर हो जाते हैं।
महाकाल मंदिर, उज्जैन
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि महाकाल नगरी उज्जैन के राजाधिराज महाकाल हैं। द���वादश ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से हर तरह के दुख संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। देश-विदेश से लाखों की भीड़ में श्रद्धालु महाकाल के दर्शन करने जाते हैं। हर दिन मंदिर की भस्म आरती देखने लायक होता है। बाबा महाकाल के दर्शन से खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन कर नववर्ष की शुरुआत बेहद खास हो सकती है। बाबा भोलेनाथ की त्रिशूल पर बसी काशी में स्विम महादेव निवास करते हैं। यहां की गंगा आरती दुनिया की कोने - कोने में मशहूर है। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने नए साल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
बांके बिहारी मंदिर, मथुरा
Happy New Year 2024 Wishes: श्रीकृष्ण जन्मभूमि ,जन्मस्थली मथुरा में बांकेबिहारी का मंदिर है। नए साल की खुशियां को सेलिब्रेट करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और बांके बिहारी का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। यहां आने से ही उनकी हर तकलीफ दुख समाप्त हो जाती है और कान्हा उनकी कामनाएं भी पूरी करते हैं। यहां आने वाला हर व्यक्ति श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है।
श्रीराम जन्मभूमि, अयोध्या
Happy New Year 2024 Wishes: आपको बता दें कि अयोध्या जाकर आप श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन के साथ नए साल की शुरुआत कर सकते हैं। ये एक बहुत ही बड़ा आवास मिला है। बता दें कि प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली सरयू नदी के किनारे है। प्रभु राम की स्थली सुबह औऱ शाम में बेहद खास होती है। यहां आकर आप हनुमानगढ़ी के दर्शन भी कर आर्शीवाद भी प्राप्त कर सकते हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। राम मंदिर इमेजेस। Historical History MNG Image source: social media
तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि आंध्र प्रदेश में तिरुमला तिरुपति बालाजी का मंदिर दुनिया भर में काफी मशहूर है। देश - विदेश से यहां श्रद्धालु आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। मंदिर में भगवान विष्णु Venkateswara अवतार में विराजमान हैं। यहां बड़ी संख्या में भक्त का मेला होता हैं। मान्यता है कि मंदिर में बालाजी भगवान के दर्शन से ही सारी मनोकामनाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं।
ये भी पढ़ें: तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानें।
अगर संभव हो तो आप इन 7 मंदिरों में से किसी एक के दर्शन करने से आपका नव वर्ष की शुरुआत भगवान के आर्शीवाद से होगा जो कि आपके जीवन में सुख - समृद्धि और खुशहाली भर देगी। मैं अपनी तरफ से नव वर्ष की शुभकामनाए देता हू। New Year 2024: नया साल सभी के जीवन में खुशियां लेकर आता है। ऐसे में लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार है। नए साल के शुभ अवसर पर कुछ लोग खरीदारी करते हैं तो कुछ घूमने की योजना बनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। इस दौरान मोर का पंख खरीदना बेहद शुभ होता है। इसलिए लोग नए साल के शुभ अवसर पर इसे घर लाते हैं। साथ ही घर में पूजा पाठ का आयोजन भी किया जाता है।
इस दौरान कुछ लोग अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए योजनाएं भी बनाते हैं तो कुछ अपने ��धूरे काम को पूरा करने का प्रण लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिनको नए साल पर करने से पूरे साल परेशानियां झेलन…
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जानें क्यों महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर रोज की जाती है भस्म आरती, छिपा है गहरा रहस्य देश में स्थापित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना इतिहास और महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की 5 तरह से आरती की जाती है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है 'भस्म आरती'। जी हां, देश के... Source link
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Mahakal Lok Corridor
महाकाल लोक कोरीडोर और उज्जैन दर्शन
उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर की दूरी लगभग 3.5 किलोमीटर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकाल जाने के लिए कुल दो रास्ते हैं जो एक मालीपुरा होते हुए कोर्ट मोहल्ले होते हुए सीधे महाकाल मंदिर की ओर जाता है इसकी दूरी लगभग 3 किलोमीटर है और वही दूसरा दूसरा रास्ता हरी फटक ओवर ब्रिज से होते हुए महाकाल कॉरिडोर के नंदी द्वार तक जाता है जिसकी दूरी लगभग 2:30 किलोमीटर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर जाने के लिए के लिए ऑटो र��क्शा, ई-रिक्शा, या प्रा��वेट टैक्सी या फिर सार्वजनिक वाहन का उपयोग किया जा सकता है। मालीपुरा से होते हुए महाकाल मंदिर का रास्ता शहर के बीच होने के कारण यह दूरी पैदल भी तय की जा सकती है।
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने हेतु अनेक लॉज धर्मशाला होटल स्थित है। रेलवे स्टेशन के सामने की ओर एवं एवं देवास गेट चौराहे से मालीपुरा की ओर जाने वाले रास्ते पर भी लॉज और होटल स्थित है। जिन में आने वाले यात्री न्यूनतम शुल्क के साथ ठहर सकते हैं एवं महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं। रेलवे स्टेशन के सामने की ओर जो होटल है और लॉज है उसके अतिरिक्त महाकाल मंदिर क्षेत्र में भी अनेकों भोजनालय लॉज होटल एवं धर्मशाला है बनी हुई है जिनमें भी अनेकों श्रद्धालु प्रतिदिन आकर रुकते हैं और महाकालेश्वर मंदिर में भगवान के दर्शन लाभ लेते हैं। महाकाल मंदिर परिक्षेत्र में न्यूनतम शुल्क पर लॉज होटल एवं धर्मशाला में कमरे किराए पर उपलब्ध हो जाते हैं जिन की न्यूनतम कीमत ₹400 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से प्रारंभ होती है। महाकाल मंदिर क्षेत्र में स्थित लॉज होटल और धर्मशाला ओं में ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से भी बुकिंग की सुविधा रहती है यदि कोई यात्री पूर्व में ही ठहरने की सुविधा के लिए ऑनलाइन कमरे की बुकिंग करवाना चाहे तो यहां स्थित होटल लॉज और धर्मशालाएं ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा प्रदान करती है।
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की भस्म आरती भी विश्व विख्यात है। इसके अतिरिक्त और भी अनेक मंदिर हैं जिनका ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है। उन सभी की यात्रा के लिए महाकाल मंदिर परिक्षेत्र से ऑटो रिक्शा ई-रिक्शा सार्वजनिक वाहन या प्राइवेट टैक्सी कर सभी का दर्शन लाभ लिया जा सकता है। महाकाल मंदिर के ठीक पश्चिम दिशा की ओर मां हरसिद्धि शक्तिपीठ स्थित है। मां हरसिद्धि मां हरसिद्धि शक्तिपीठ भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है एवं सम्राट विक्रमादित्य की कुलदेवी भी है। हरसिध्दि शक्ति पीठ के पीछे की ओर मोक्षदायिनी मां शिप्रा प्रवाहित होती है। यह भारत की एकमात्र नदी है जो दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होती है। मां क्षिप्रा के घाटों पर अनेक मंदिरों को स्थापित किया गया है। श्रावण मास में होने वाली 84 महादेव की यात्राओं में आने वाले अनेक महादेव मंदिर क्षिप्रा नदी के घाट पर स्थित है।
उज्जैन के धार्मिक तीर्थ स्थलों के ही मालवा क्षेत्र का एक और मुख्य नगर इंदौर भी है। भारत में भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग मे दो ज्योतिर्लिंग मालवा में स्थित है। मालवा में स्थित दूसरा ज्योतिर्लिंग इंदौर क्षेत्र के ओंकारेश्वर में ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थित है। नर्मदा नदी के तट पर बसा ओंकारेश्वर तीर्थ आदिगुरु शंकराचार्य जी की तप स्थली भी है। आदि गुरू शंकराचार्य जी महाराज का ज्ञान से साक्षात्कार ओंकारेश्वर में हुआ था। ओंकारेश्वर के पास ही ��क नगर और है जो कि आदिगुरू शंकराचार्य जी से जुड़ा हुआ है। जिसे महेश्वर के नाम से जाना जा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि शंकराचार्य जी के ज्ञान से साक्षात्कार के बाद मंडन मिश्र नामक विद्वान और आदिगुरू शंकराचार्य जी के बीच शास्त्रार्थ महेश्वर में ही हुआ था। इस प्रकार मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में दो ज्योतिर्लिंग स्थित होने के कारण इसका महत्व अधिक हो जाता है। जिस प्रकार महाकाल ज्योर्तिलिंग के समीप महाकाल लोक कॉरीडोर का निर्माण कराया गया है। उसी प्रकार ओंकारेश्वर में भी विकास को ध्यान में रखते हुए आदिगुरु शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
इसके अतिरिक्त क्षिप्रा नदी घाट पर संध्या आरती का विशेष महत्व है। क्षिप्रा नदी के पास ही दानी गेट पर स्थित एक जैन तीर्थ भी स्थापित है। जहां पर संपूर्ण भारत के जैन धर्म को मानने वाले दर्शन के लिए आते हैं। शिप्रा नदी के पश्चिमी घाट पर दत्त अखाड़ा स्थित हे। दत्त अखाड़े के पास ही एक गुरुद्वारा स्थित है। यहां माना जाता है कि जब गुरुनानक देव जी भारत भ्रमण पर अपनी यात्रा पर निकले थे। उस समय उज्जैन के इसी गुरुद्वारे के स्थान पर गुरु नानक देव जी ने अपनी अमृतवाणी कही थी। उज्जैन में उनके द्वारा दिए गए उपदेशो को गुरु ग्रंथ साहिब में भी समाहित किया गया है। क्षिप्रा नदी के तट पर ही बाबा काल भैरव का मंदिर स्थित है। यहां बाबा कालभैरव स्वयं विराजित है। बाबा को चढ़ने वाला मदिरा भोग बाबा कालभैरव स्वयं ग्रहण करते है। ऐसे ही उज्जैन नगर में अनेको अद्भुत मंदिर स्थापित है जहां के दर्शन मात्र से मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता बढ़ने लगती है।
उज्जैन में महाकाल मंदिर के साथ ही महाकाल लोक कॉरीडोर और अनेक तीर्थस्थल के दर्शन का लाभ भी मिलता है। उज्जैन की दक्षिण दिशा से क्षिप्रा नदी के त्रिवेणी संगम के तट पर शनि नवग्रह मंदिर से प्रारंभ होकर उत्तर दिशा की ओर मंगल नाथ मंदिर से होते हुए सिद्धनाथ तक स्थित है। जिनके दर्शन के लिए स्थानीय साधनों का उपयोग किया जा सकता है। सार्वजनिक वाहन या ऑटो रिक्शा या ई-रिक्शा या नीजि टैक्सी के द्वारा उज्जैन दर्शन के लिए भी जाया जा सकता है। प्रत्येक दर्शनार्थी 250 से 400 रू. तक किराया देकर उज्जैन नगर के सभी धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकते है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए बाहर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को उज्जैन में सभी प्रकार की सुविधाएं न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध हो जाती है। श्रद्धालुओं के ठहरने से लेकर भोजन, यात्रा एवं सभी धर्म स्थलों के दर्शन आदि सभी अत्यंत न्यूनतम खर्च पर उपलब्ध रहता है। जिसके कारण दर्शनार्थियों को उज्जैन शहर रास आने लगता है। और वे बार बार बाबा महाकाल ज्योर्तिलिंग के दर्शन हेतु उज्जैन में यात्रा के लिए आते है। उज्जैन दर्शन सहित और भी अन्य धार्मिक पर्यटन की नवीनतम जानकारी के लिए हमें फॉलो करते रहिये।
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Mahakal Lok Corridor and Ujjain Darshan
The distance of Mahakal temple from Ujjain railway station is about 3.5 kms. There are a total of two ways to go to Mahakal from Ujjain railway station, one via Malipura via Court Mohalla, it goes directly to Mahakal temple, its distance is about 3 kilometers and the other way is through Hari Phatak Over Bridge, Nandi of Mahakal Corridor. Goes to the gate which is about 2:30 kms away. One can use auto rickshaw, e-rickshaw, or private taxi or public vehicle from Ujjain railway station to reach Mahakal temple. This distance can also be covered on foot due to the way to the Mahakal temple via Malipura being in the middle of the city.
There are many lodges located in Dharamshala Hotel for the devotees visiting Ujjain Mahakaleshwar Temple. The lodge and hotel are located in front of the railway station and on the way from Dewas Gate intersection to Malipura. In which the visiting travelers can stay with minimum fee and can visit Mahakaleshwar temple for darshan. In addition to the hotel and lodge in front of the railway station, there are many restaurants, lodges, hotels and dharamsalas in the Mahakal temple area, in which many devotees come and stay every day and take advantage of God's darshan in the Mahakaleshwar temple. Rooms are available on rent in Lodge Hotel and Dharamshala at Mahakal Mandir area for minimum charges starting from ₹400 per person per day. Lodge hotels and Dharamshalas located in the Mahakal temple area also have the facility of online booking through internet, if a traveler wants to book a room online for the convenience of staying in advance, then the hotel lodges and Dharamshalas located here have the facility of online booking. provides. Indore is also another main city of the Malwa region, apart from the religious pilgrimage sites of Ujjain. Of the 12 Jyotirlingas in India, two Jyotirlingas are located in Malwa. The second Jyotirlinga located in Malwa is located in Omkareshwar of Indore region by the name of Mamleshwar Jyotirlinga. Omkareshwar Tirtha situated on the banks of river Narmada is also the place of penance of Adiguru Shankaracharya. Adi Guru Shankaracharya Ji Maharaj was interviewed with knowledge in Omkareshwar. There is another town near Omkareshwar which is associated with Adiguru Shankaracharya. Which is known as Maheshwar. According to mythology, it is believed that the debate between a scholar named Mandan Mishra and Adiguru Shankaracharya took place in Maheshwar after the interview with the knowledge of Shankaracharya. Thus, due to the presence of two Jyotirlingas in the Malwa region of Madhya Pradesh, its importance becomes more. Just as Mahakal Lok Corridor has been constructed near Mahakal Jyotirling. Similarly, keeping in mind the development in Omkareshwar, it has been decided to install a huge statue of Adiguru Shankaracharya. The Bhasma Aarti of Baba Mahakal in Mahakaleshwar temple in Ujjain is also world famous. Apart from this, there are many other temples which have historical and mythological importance. For the journey of all of them, from the Mahakal temple complex, auto rickshaw, e-rickshaw, public vehicle or private taxi can be availed. Maa Harsiddhi Shaktipeeth is situated on the west side of Mahakal temple. Maa Harsiddhi Maa Harsiddhi Shaktipeeth is one of the 51 Shaktipeeths of India and is also the Kuldevi of Emperor Vikramaditya. Mokshadayini Maa Shipra flows towards the back of Harsiddhi Shakti Peeth. It is the only river in India that flows from south to north. Many temples have been established on the ghats of Maa Kshipra. Many Mahadev temples, which come during the visits of 84 Mahadev in the month of Shravan, are located on the ghat of the river Kshipra.
Apart from this, Sandhya Aarti has special significance at Kshipra River Ghat. A Jain pilgrimage is also established at the Dani Gate near the Kshipra river. Where the followers of Jainism from all over India come to visit. Datta Akhara is situated on the Western Ghats of Shipra River. A Gurudwara is situated near the Datta Akhara. It is believed that when Guru Nanak Dev ji set out on his journey to India. At that time, at the place of this Gurdwara in Ujjain, Guru Nanak Dev ji had spoken his nectar. The teachings given by him in Ujjain have also been incorporated in the Guru Granth Sahib. The temple of Baba Kal Bhairav is situated on the banks of river Kshipra. Here Baba Kalbhairav himself is enshrined. Baba Kalbhairav himself accepts the drink offered to Baba. Similarly, many wonderful temples are established in Ujjain city, where positivity starts increasing in the life of a person just by having a glimpse of it.
Along with the Mahakal temple in Ujjain, there is also the benefit of visiting the Mahakal Lok Corridor and many pilgrimage sites. From the south direction of Ujjain, Shani is situated on the banks of Triveni Sangam of river Kshipra, starting from Navagraha temple and going northwards through Mangal Nath temple till Siddhanath. For whose darshan local means can be used. Ujjain can also be visited for darshan by public vehicle or auto rickshaw or e-rickshaw or private taxi. 250 to 400 rupees per visitor. You can visit all the religious places of Ujjain city by paying rent up to Rs.
All kinds of facilities are available in Ujjain to all the devotees coming from outside to visit Mahakaleshwar Jyotirlinga at a minimum fee. From the stay of the devotees to food, travel and visits to all the religious places etc., all are available at very minimum cost. Due to which the visitors start liking the city of Ujjain. And they come again and again to visit Ujjain to see Baba Mahakal Jyotirling. Keep following us for the latest information on Ujjain Darshan and other religious tourism.
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महाकाल भस्म आरती 11 सितंबर से भक्तों के लिए खोली गई है, जो पर्यटकों के लिए एक बड़ी राहत है।
महाकाल भस्म आरती 11 सितंबर से भक्तों के लिए खोली गई है, जो पर्यटकों के लिए एक बड़ी राहत है।
اجین मध्य प्रदेश के अजिन से बड़ी खबर। करीब डेढ़ साल बाद महाकाल। भक्तों की मनोकामना पूर्ण हुई है। भक्त 11 सितंबर से भस्म आरती में प्रवेश कर सकेंगे। शुक्रवार को हुई महाकाल प्रबंधन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया. भस्म आरती की बुकिंग सात सितंबर से एक माह तक खुली रहेगी। भस्म आरती से पहले भक्त हरिओम को जल नहीं दे सकेंगे। महाकाल मंदिर समिति ने फैसला किया है कि श्रद्धालुओं को अब 50 फीसदी क्षमता के…
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पंचांग :- संवत :- २०७८ ( आनंद ) दिनांक :- 12 अगस्त 2021 मास :- श्रावण तिथि :- चतुर्थी वार :- गुरुवार नक्षत्र :- उत्तरा फाल्गुनी योग :- सिद्ध करण :- विष्टि अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- वर्षा लाभ :- 12:31 - 14:09 अमृत:- 14:10 - 15:47 शुभ :- 17:24 - 19:01 राहु काल :- 14:10 - 15:47 जय श्री महाकाल :- *श्रावण मास प्रारम्भ।* सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी मनाई जाती है। जिस किसी की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, नागपंचमी के दिन विशेष पूजा करने से यह दोष दूर हो जाता है। *नागपंचमी 13 अगस्त 2021 शुक्रवार।* अति महत्वपूर्ण :- अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है। कालसर्प दोष को दूर करने के लिए यह दिन बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा और ॐ नम: शिवाय का जप करना फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिन पर *रुद्राभिषेक* करने से भी जातक की कुंडली से कालसर्प दोष में शांति मिलती है व इस दोष के कारणवश आ रही कठिनाई दूर होती है व जीवन मे सफलता के मार्ग खुलतें हैं। यदि आप मे से भी किसी की जन्मकुंडली में कालसर्प दोष निर्मित हो रहा है तो वह भी इस सुअवसर का लाभ ले सकतें हैं। नागपंचमी पर विशेष रुद्राभिषेक पूजन बुकिंग के लिए संपर्क कर अपना स्थान सुनिश्चित करें। आज का मंत्र :- ""|| ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय श्री महाकाल। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय श्री महाकाल🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 12 अगस्त 2021 ( गुरुवार ) जय श्री महाकाल। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CSdgReboLzO/?utm_medium=tumblr
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बाबा महाकाल की भस्म आरती में इस तारीख से मिलेगा प्रवेश, निशुल्क ऑनलाइन बुकिंग होगी
उज्जैन। बाबा महाकाल के भक्तों के लिये खुशखबरी है, अब फिर श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्म आरती के दर्शन शुरु होने जा रहे हैं। और इसके लिये भक्तों को निशुल्क ऑनलाइन बुकिंग करानी होगी। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। मेला कार्यालय में आयोजित इस बैठक में निर्णय लिया गया कि भस्मारती में दर्शनार्थियों की प्रवेश व्यवस्था आगामी 15 मार्च से शुरु कर दी…
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कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु
चैतन्य भारत न्यूज सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान तीसरा है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख माना जाता है। काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था। इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता मान्यता है कि, जो भी भक्त इस ज्योतिर्लिंग की आराधना करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि, यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां सुबह होने वाली भस्म आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का मानना है कि, भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन नगरी की रक्षा कर रहे हैं।
महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहां कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है। वर्तमान में जो ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। वहीं गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। महाकालेश्वर का मुख्य आकर्षण यहां का मुख्य आकर्षण भगवान महाकाल की भस्म आरती समेत नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। प्रतिदिन सुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग हो जाती है। इस आरती की सबसे खास बात यह है कि, इस आरती में ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है हालांकि आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म ने ले लिया है। कहां है और कैसे पहुंचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में बसा हुआ है। उज्जैन पहुंचने के लिए इंदौर, रतलाम, भोपाल आदि स्थानों से बस, ट्रेन व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट इंदौर है। बता दें उज्जैन की प्रसिद्धि सदियों से एक पवित्र व धार्मिक नगर के रूप में रही है। लंबे समय तक यहां न्याय के राजा महाराजा विक्रमादित्य का शासन रहा। ये भी पढ़े... ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग..! जानिए भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का इतिहास और इसका महत्व 51 शक्तिपीठों में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जानिए इसका इतिहास और महत्व Read the full article
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आज से खुले महाकाल के द्वार, दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को करानी होगी प्री बुकिंग
आज से खुले महाकाल के द्वार, दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को करानी होगी प्री बुकिंग
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उज्जैन: करीब ढाई महीने बाद उज्जैन महाकाल में आज से दर्शन शुरू होने जा रहे हैं. आज सुबह 4 बजे भस्म आरती के बाद मंदिर में पहले दर्शन सुबह 8 बजे से शुरू किए गए. भस्म आरती के समय मंदिर परिसर पूरी तरह खाली दिखा.
आपको बता दें कि श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था को लेकर तैयारियां जोरो से चल रही हैं. महाकाल मंदिर में अब श्रद्धालु पहले की तरह सीधे दर्शन नहीं कर पायेंगे. दर्शन करने के लिए उन्हें…
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कालों के काल महाकाल है एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग, दर्शन से टलती है अकाल मृत्यु
चैतन्य भारत न्यूज सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए जानते है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान तीसरा है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख माना जाता है। काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था। इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता मान्यता है कि, जो भी भक्त इस ज्योतिर्लिंग की आराधना करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि, यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां सुबह होने वाली भस्म आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का मानना है कि, भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन नगरी की रक्षा कर रहे हैं।
महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहां कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है। वर्तमान में जो ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य के खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। वहीं गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का ��िशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है, ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। महाकालेश्वर का मुख्य आकर्षण यहां का मुख्य आकर्षण भगवान महाकाल की भस्म आरती समेत नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। प्रतिदिन सुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग हो जाती है। इस आरती की सबसे खास बात यह है कि, इस आरती में ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है हालांकि आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म ने ले लिया है। कहां है और कैसे पहुंचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में बसा हुआ है। उज्जैन पहुंचने के लिए इंदौर, रतलाम, भोपाल आदि स्थानों से बस, ट्रेन व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा देवी अहिल्या एयरपोर्ट इंदौर है। बता दें उज्जैन की प्रसिद्धि सदियों से एक पवित्र व धार्मिक नगर के रूप में रही है। लंबे समय तक यहां न्याय के राजा महाराजा विक्रमादित्य का शासन रहा। ये भी पढ़े... ये हैं देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थित भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग..! जानिए भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का इतिहास और इसका महत्व 51 शक्तिपीठों में से एक है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जानिए इसका इतिहास और महत्व Read the full article
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